लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

वर्षा

सूची वर्षा

वर्षा (Rainfall) एक प्रकार का संघनन है। पृथ्वी के सतह से पानी वाष्पित होकर ऊपर उठता है और ठण्डा होकर पानी की बूंदों के रूप में पुनः धरती पर गिरता है। इसे वर्षा कहते हैं। .

99 संबंधों: चंगम, चक्रवात, टोपी, टीपी, झारखण्ड के आदिवासी त्योहार, तुर्कमेनिस्तान, तूफ़ान, दक्षिण अमेरिका, देचू, देवापि, नक्षा, नेट रन रेट, पद्मराजन, पपीहा, पशु बीमा, पश्चिमी विक्षोभ, पालक, प्रियंका चोपड़ा, पोरबन्दर बन्दरगाह, पीथमपुरी झील, बरसात (बहुविकल्पी), बलि, बादल, बादल फटना, बिजनौर, बुखारेस्ट, बृहत्संहिता, भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार, भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष, भूमध्यसागरीय जलवायु, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, भूस्खलन, मरुस्थल, मरुस्थल और शुष्क क्षुपभूमियाँ, मेसोअमेरिकी, मोठ दाल, यूरोप, राना टिग्रिना, राम नारायण आर्य, रामायण, राष्ट्रीय राजमार्ग ३४, राष्ट्रीय राजमार्ग ३५, राजस्थान के वन्य-जीव अभयारण्य, राजस्थान की झीलें, राजस्थान की जलवायु, ला नीना, लिख्टेंश्टाइन, शिवहर, सलीम-सुलेमान, सिसिली, ..., सिक्किम, स्टार पुरस्कार पाने वाले नये उभरते अभिनेता, हिम, हिमपात, हिमस्खलन, हिमालय, जल, जल चक्र, जल निकासी, जल संसाधन, जलपात, जलमिति, जलसम्भर, जुपिटर, जीववाद, वन, वर्षण, वर्षा जल संचयन, वर्षा ऋतु, वर्षामापी, वैशाली जिला, खनादेवी, खीरा, गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य, गिरगिट, ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर, गोबी मरुस्थल, ओसांक, आर्द्रता, इन्द्रधनुष, इन्द्रजाल, कच्चा ओला, कल मदो, कांगो द्रोणी, किष्किन्धाकाण्ड, क्राइस्ट द रिडीमर (प्रतिमा), क्रॉस नदी, कैलगरी, कोच्चि, कोदो, अपरदन, अजीतगढ़, अग्रसेन, अंतर्वाह (जलविज्ञान), अंधविश्वास, अक्साई चिन, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, ऋतु, १८६९ का राजपूताना अकाल सूचकांक विस्तार (49 अधिक) »

चंगम

चंगम, तमिलनाडु के तिरुअंनामलाई जिले में चेय्यार नदी के तट पर स्थित कस्बा है, जो तमिलनाडु के प्राकृतिक विभागवाले उच्च प्रदेश के दक्षिणी पठार का ही एक भाग है। गरमी में यहाँ का ताप 30 डिग्री से लेकर 35 डिग्री सें.

नई!!: वर्षा और चंगम · और देखें »

चक्रवात

फ़रवरी 27, 1987 को बेरिंट सागर के ऊपर ध्रुवीय ताप चक्रवात (साइक्लोन) घूमती हुई वायुराशि का नाम है। उत्पत्ति के क्षेत्र के आधार पर चक्रवात के दो भेद हैं.

नई!!: वर्षा और चक्रवात · और देखें »

टोपी

टोपी (hat) सिर पर पहने जाने वाला एक वस्त्र होता है। यह भिन्न आकारों में मिलता है और इसके कई प्रयोग होते हैं, मसलन सिर को सर्दी, वर्षा, हिम व धूप से बचाना, निर्माण या अन्य कार्यों में गिरती हुई वस्तुओं से सिर को सुरक्षित रखना, पारम्परिक रूप से पद, धर्म, सामुदायिक सम्बन्ध या अन्य पहचान देना, इत्यादि। .

नई!!: वर्षा और टोपी · और देखें »

टीपी

टीपी (Tipi, Teepee) उत्तर अमेरिका के ग्रेट प्लेन व प्रेरी क्षेत्रों में बसने वाले अमेरिकी आदिवासी समूहों द्वारा आवास के लिए प्रयोग होने वाले शंकु-आकार के पारम्परिक तम्बुओं को कहते हैं। इनका ढांचा १५ से २० फ़ुट लम्बे खम्बों से बना होता है जिसके इर्द-गिर्द अमेरिकी बायसन की खाल लपेटी जाती है। तम्बू के ऊपर खाल का एक भाग लटका हुआ होता है जो बाहर से वर्षा, हिम और पवन को भीतर आने से तो रोकता है लेकिन अंदर जल रही आग के धुँए को तम्बू से निकास का मार्ग प्रदान करता है।Holley, Linda A. Tipis-Tepees-Teepees: History and Design of the Cloth Tipi. .

नई!!: वर्षा और टीपी · और देखें »

झारखण्ड के आदिवासी त्योहार

झारखंड में कुल ३२ जनजातिया मिलकर रह्ती है। एक विशाल सांस्कृतिक प्रभाव होने के साथ साथ, झारखंड यहाँ के मनाये जाने वाले त्योहारों की मेजबानी के लिए जाना जाता है। इसके उत्सव प्रकृति के कारण यह भारत की ज्वलंत आध्यात्मिक कैनवास पर भी कुछ अधिक रंग डालता है। यह राज्य प्राचीन काल के संदर्भ में बहुत मायने रखता है। झारखंड में पूरे मज़ा और उल्लास के साथ सभी त्योहारो को मनाया जाता है। देशभर में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों को भी झारखंड में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस राज्य में मनाये जाने वाले त्योहारों से झारखंड का भारत में सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत उपस्थिति का पता चलता है। हालाकि झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी त्योहारों के उत्सव में होता है। यहाँ की सबसे प्रमुख, उल्लास के साथ मनायी जाने वाली त्योहारो में से एक है सरहुल। .

नई!!: वर्षा और झारखण्ड के आदिवासी त्योहार · और देखें »

तुर्कमेनिस्तान

तुर्कमेनिस्तान (तुर्कमेनिया के नाम से भी जाना जाता है) मध्य एशिया में स्थित एक तुर्किक देश है। १९९१ तक तुर्कमेन सोवियत समाजवादी गणराज्य (तुर्कमेन SSR) के रूप में यह सोवियत संघ का एक घटक गणतंत्र था। इसकी सीमा दक्षिण पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान, दक्षिण पश्चिम में ईरान, उत्तर पूर्व में उज़्बेकिस्तान, उत्तर पश्चिम में कज़ाख़िस्तान और पश्चिम में कैस्पियन सागर से मिलती है। 'तुर्कमेनिस्तान' नाम फारसी से आया है, जिसका अर्थ है, 'तुर्कों की भूमि'। देश की राजधानी अश्गाबात (अश्क़ाबाद) है। इसका हल्के तौर पर "प्यार का शहर" या "शहर जिसको मोहब्बत ने बनाया" के रूप में अनुवाद होता है। यह अरबी के शब्द 'इश्क़' और फारसी प्रत्यय 'आबाद' से मिलकर बना है।, Bradley Mayhew, Lonely Planet, 2007, ISBN 978-1-74104-614-4,...

नई!!: वर्षा और तुर्कमेनिस्तान · और देखें »

तूफ़ान

तूफ़ान या आँधी पृथ्वी या किसी अन्य ग्रह के वायुमंडल में उत्तेजना की स्थिति को कहते हैं जो अक्सर सख़्त मौसम के साथ आती है। इसमें तेज़ हवाएँ, ओले गिरना, भारी बारिश, भारी बर्फ़बारी, बादलों का चमकना और बिजली का चमकना जैसे मौसमी गतिविधियाँ दिखती हैं। आमतौर पर तूफ़ान आने से साधारण जीवन पर बुरा असर पड़ता है। यातायात और अन्य दैनिक क्रियाओं के अलावा, बाढ़ आने, बिजली गिरने और हिमपात से जान व माल की हानि भी हो सकती है। रेगिस्तान जैसे शुष्क क्षेत्रों में रेतीले तूफ़ान और समुद्रों में ऊँची लहरों जैसी ख़तरनाक स्थितियाँ भी पैदा हो सकती हैं। इसके विपरीत बारिश व हिमपात से कुछ इलाक़ों में सूखे की समस्या में मदद भी मिल सकती है। मौसम-वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि हर साल पृथ्वी पर लगभग १.६ करोड़ गरज-चमक वाले तूफ़ान आते हैं।, Seymour Simon, pp.

नई!!: वर्षा और तूफ़ान · और देखें »

दक्षिण अमेरिका

दक्षिण अमेरिका (स्पेनी: América del Sur; पुर्तगाली: América do Sul) उत्तर अमेरिका के दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिमी गोलार्द्ध का एक महाद्वीप है। दक्षिणी अमेरिका उत्तर में १३० उत्तरी अक्षांश (गैलिनस अन्तरीप) से दक्षिण में ५६० दक्षिणी अक्षांश (हार्न अन्तरीप) तक एवं पूर्व में ३५० पश्चिमी देशान्तर (रेशिको अन्तरीप) से पश्चिम में ८१० पश्चिमी देशान्तर (पारिना अन्तरीप) तक विस्तृत है। इसके उत्तर में कैरीबियन सागर तथा पनामा नहर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व में अन्ध महासागर, पश्चिम में प्रशान्त महासागर तथा दक्षिण में अण्टार्कटिक महासागर स्थित हैं। भूमध्य रेखा इस महाद्वीप के उत्तरी भाग से एवं मकर रेखा मध्य से गुजरती है जिसके कारण इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबन्ध में पड़ता है। दक्षिणी अमेरिका की उत्तर से दक्षिण लम्बाई लगभग ७,२०० किलोमीटर तथा पश्चिम से पूर्व चौड़ाई ५,१२० किलोमीटर है। विश्व का यह चौथा बड़ा महाद्वीप है, जो आकार में भारत से लगभग ६ गुना बड़ा है। पनामा नहर इसे पनामा भूडमरुमध्य पर उत्तरी अमरीका महाद्वीप से अलग करती है। किंतु पनामा देश उत्तरी अमरीका में आता है। ३२,००० किलोमीटर लम्बे समुद्रतट वाले इस महाद्वीप का समुद्री किनारा सीधा एवं सपाट है, तट पर द्वीप, प्रायद्वीप तथा खाड़ियाँ कम हैं जिससे अच्छे बन्दरगाहों का अभाव है। खनिज तथा प्राकृतिक सम्पदा में धनी यह महाद्वीप गर्म एवं नम जलवायु, पर्वतों, पठारों घने जंगलों तथा मरुस्थलों की उपस्थिति के कारण विकसित नहीं हो सका है। यहाँ विश्व की सबसे लम्बी पर्वत-श्रेणी एण्डीज पर्वतमाला एवं सबसे ऊँची टीटीकाका झील हैं। भूमध्यरेखा के समीप पेरू देश में चिम्बोरेजो तथा कोटोपैक्सी नामक विश्व के सबसे ऊँचे ज्वालामुखी पर्वत हैं जो लगभग ६,०९६ मीटर ऊँचे हैं। अमेजन, ओरीनिको, रियो डि ला प्लाटा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। दक्षिण अमेरिका की अन्य नदियाँ ब्राज़ील की साओ फ्रांसिस्को, कोलम्बिया की मैगडालेना तथा अर्जेण्टाइना की रायो कोलोरेडो हैं। इस महाद्वीप में ब्राज़ील, अर्जेंटीना, चिली, उरुग्वे, पैराग्वे, बोलिविया, पेरू, ईक्वाडोर, कोलोंबिया, वेनेज़ुएला, गुयाना (ब्रिटिश, डच, फ्रेंच) और फ़ाकलैंड द्वीप-समूह आदि देश हैं। .

नई!!: वर्षा और दक्षिण अमेरिका · और देखें »

देचू

देचू राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले में स्थित रेगिस्तानी क्षेत्र, कस्बा तथा पंचायत समिती है। यह जोधपुर से लगभग 125 किलोमीटर दूर है तथा जोधपूर जैसलमेर राष्ट्रीय राजमार्ग 125 व मेगा हाईवे पर स्थित है। देचू में काफी बड़े-बड़े रेत के टीले जिन्हें स्थानीय भाषा में 'धोरा' कहा जाता है। गाँव में कई होटल तथा रिसोर्ट भी हैं। देचू में रेलवे लाईन की सुविधा नहीं है। देचू में काफी सारे विदेशी यात्री भी घूमने आते हैं जो चाँदनी रात्री में सांस्कृतिक कार्यक्रम, ऊँट की सवारी तथा मरूधरा की माटी में खेलने का लुत्फ उठाते हैं। गाँव में डाकघर भी है तथा इनका पिन कोड ३४२३१४ है। देचू की जनसंख्या २०११ की जनगणना के अनुसार ६१२१ है। .

नई!!: वर्षा और देचू · और देखें »

देवापि

राजा मारुत देवापी से भेंट करते हुए देवापि पुरुवंशी प्रतीप के ज्येष्ठ पुत्र जो परम धर्मपरायण थे। अपने तपोबल से ब्राह्मण्य प्राप्त किया और कहा जाता है कि ये अब भी योगी वेश में सुमेरु पर्वत के निकट रहते हैं। कलियुग की समाप्ति पर ये फिर सतयुग में चंद्रवंश की स्थापना करेंगे। इनके छोटे भाई को गद्दी दी गई तो राज्य में १२ वर्ष की अनावृष्टि हुई। देवापि उस समय तपस्या में लगे थे और ब्राह्मणों के कहने पर जब इन्हें राज्य सौंपा गया तो छोटे भाई शंतनु से कहकर इन्होंने यज्ञ कराया और स्वयं उनके पुरोहित बने। ऐसा करने पर खूब वर्षा हुई। (२) 'देवापि' नाम के एक और भी राजा महाभारतकाल में हुए थे जो पांडवों के पक्ष में लड़े थे। श्रेणी:पौराणिक पात्र.

नई!!: वर्षा और देवापि · और देखें »

नक्षा

नक्शा किसी भी क्षेत्र का एक दृश्य प्रतिनिधित्व है- एक प्रतीकात्मक चित्रण जो कि उस जगह के तत्वों के बीच संबंधों पर प्रकाश डालता है, जैसे की वस्तुएँ, क्षेत्र और विषय.

नई!!: वर्षा और नक्षा · और देखें »

नेट रन रेट

नेट रन रेट (NRR) क्रिकेट के खेल में प्रयोग की जाने वाली एक सांख्यिकी है। एक दिवसीय लीग प्रतियोगिता में टीम को विभाजित करने के लिए यह एक सामान्य प्रणाली होती है, जिस प्रकार फुटबॉल में "गोल अंतर" होता है वैसे ही इसका इस्तेमाल क्रिकेट में किया जाता है। एक एकल खेल में नेट रन रेट, प्रति ओवर का वह रन रेट है जो उस मैच में टीम द्वारा अर्जित किया जाता है और उसमें से उनके खिलाफ बानाए गए प्रति ओवर रन रेट को घटा दिया जाता है। .

नई!!: वर्षा और नेट रन रेट · और देखें »

पद्मराजन

पी.

नई!!: वर्षा और पद्मराजन · और देखें »

पपीहा

पपीहा एक पक्षी है जो दक्षिण एशिया में बहुतायत में पाया जाता है। यह दिखने में शिकरा की तरह होता है। इसके उड़ने और बैठने का तरीका भी बिल्कुल शिकरा जैसा होता है। इसीलिए अंग्रेज़ी में इसको Common Hawk-Cuckoo कहते हैं। यह अपना घोंसला नहीं बनाता है और दूसरे चिड़ियों के घोंसलों में अपने अण्डे देता है। प्रजनन काल में नर तीन स्वर की आवाज़ दोहराता रहता है जिसमें दूसरा स्वर सबसे लंबा और ज़्यादा तीव्र होता है। यह स्वर धीरे-धीरे तेज होते जाते हैं और एकदम बन्द हो जाते हैं और काफ़ी देर तक चलता रहता है; पूरे दिन, शाम को देर तक और सवेरे पौं फटने तक। .

नई!!: वर्षा और पपीहा · और देखें »

पशु बीमा

परवरिश पशुओ और बेचने के लिए पोल्ट्री अप्रत्याशित और जोखिम भरा हो सकता है। यही कारण है कि एक ठोस और पशुधन या मुर्गी बीमा पॅलिसी एक आवश्यकता है वह है। यह बीमा उन अप्रत्याशित घटनाओं और दुर्घटनाओं कि अपने जानवरों और अपनी आजीविका तबाह कर सकते हैं से अपने निवेश की सुरक्षा करता है। फ़ार्म पशु बीमा अपने विशेष पशु समूह को कवर के लिए अनुकूलित किया जा सकता है, तो पशु, सूअर, भेड, एमु, बकरी, मुर्गी या अपने खेत पर इनमें से किसी भी संयोजन है या नहीं। भारतीय कृषि उद्योग, एक और हरित क्रांति कि इसे और अधिक आकर्षक और लाभदायक बनाता के कगार पर भारत में कुल कृषि उत्पादन के रूप में अगले दस साल में दोगुना होने की संभावना है और वह भी एक जैविक तरीके से| पशु बीमा पॉलिसी अपने मवेशियों है, जो एक ग्रामीण समुदाय की सबसे मूल्यवान संपत्ति है कि मृत्यु के कारण वित्तीय नुकसान से भारतीय ग्रामीन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रदान की जाती है। नीति होने गाय, बैल या तो सेक्स एक पशु चिकित्सक/ सर्जन द्वारा ध्वनि और उत्तम स्वास्थ्य और चोट या रोग से मुक्त होने के रूप में प्रमाणित की भैंस और जो माइक्रो फ़ाइनेंस संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों के सदस्य कर रहे हैं व्यक्तियों को शामिल किया, सरकार प्रायोजित संगठनों और इस तरह के संबंध समूहों/ ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र में संस्थानों| पशु बीमा .

नई!!: वर्षा और पशु बीमा · और देखें »

पश्चिमी विक्षोभ

पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स (Western Disturbance) भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊँची तहों में भूमध्य सागर, अन्ध महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है।, J. S. Lall, A. D. Moddie, India International Centre, 1981,...

नई!!: वर्षा और पश्चिमी विक्षोभ · और देखें »

पालक

पालक पालक (वानस्पतिक नाम: Spinacia oleracea) अमरन्थेसी कुल का फूलने वाला पादप है, जिसकी पत्तियाँ एवं तने शाक के रूप में खाये जाते हैं। पालक में खनिज लवण तथा विटामिन पर्याप्त रहते हैं, किंतु ऑक्ज़ैलिक अम्ल की उपस्थिति के कारण कैल्शियम उपलब्ध नहीं होता। यह ईरान तथा उसके आस पास के क्षेत्र का देशज है। ईसा के पूर्व के अभिलेख चीन में हैं, जिनसे ज्ञात होता है कि पालक चीन में नेपाल से गया था। 12वीं शताब्दी में यह अफ्रीका होता हुआ यूरोप पहुँचा।Victor R. Boswell, "Garden Peas and Spinach from the Middle East".

नई!!: वर्षा और पालक · और देखें »

प्रियंका चोपड़ा

प्रियंका चोपड़ा (जन्म: १८ जुलाई, १९८२) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

नई!!: वर्षा और प्रियंका चोपड़ा · और देखें »

पोरबन्दर बन्दरगाह

पोरबन्दर शहर का एक दृश्य पोरबन्दर बन्दरगाह गुजरात का एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह है। इसका अधिकतर व्यापार पूर्वी अफ्रीका से होता है। वर्षा के दिनों में यह बन्दरगाह बन्द रहता है। यहां से नमक और सीमेण्ट का निर्यात और कोयला, खजूर तथा मशीनों का आयात होता है। श्रेणी:बन्दरगाह.

नई!!: वर्षा और पोरबन्दर बन्दरगाह · और देखें »

पीथमपुरी झील

पीथमपुरी झील भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर ज़िले के नीम का थाना तहसील में स्थित एक झील है जो सिंचाई प्रयोजन में महत्वपूर्ण नहीं है। यह एक छोटी-सी गर्त भूमि पर है जहां वर्षा का पानी जमा हो जाता है जो कुछ महीनों तक भरा रहता है और बाद में सूख जाता है। .

नई!!: वर्षा और पीथमपुरी झील · और देखें »

बरसात (बहुविकल्पी)

बरसात का अर्थ वर्षा होता है। अन्य उपयोग.

नई!!: वर्षा और बरसात (बहुविकल्पी) · और देखें »

बलि

बलि (sacrifice) के दो रूप हैं। वैदिक पंचमहायज्ञ के अंतर्गत जो भूतयज्ञ हैं, वे धर्मशास्त्र में बलि या बलिहरण या भूतबलि शब्द से अभिहित होते हैं। दूसरा पशु आदि का बलिदान है। विश्वदेव कर्म करने के समय जो अन्नभाग अलग रख लिया जाता है, वह प्रथमोक्त बलि है। यह अन्न भाग देवयज्ञ के लक्ष्यभूत देव के प्रति एवं जल, वृक्ष, गृहपशु तथा इंद्र आदि देवताओं के प्रति उत्सृष्ट (समर्पित) होता है। गृह्यसूत्रों में इस कर्म का सविस्तार प्रतिपादन है। बलि रूप अन्नभाग अग्नि में छोड़ा नहीं जाता, बल्कि भूमि में फेंक दिया जाता है। इस प्रक्षेप क्रिया के विषय में मतभेद है। स्मार्त पूजा में पूजोपकरण (जिससे देवता की पूजा की जाती है) भी बलि कहलाता है (बलि पूजोपहार: स्यात्‌)। यह बलि भी देव के पति उत्सृष्ट होती है। देवता के उद्देश्य में छाग आदि पशुओं का जो हनन किया जाता है वह बलिदान कहलाता है (बलिउएतादृश उत्सर्ग योग्य पशु)। तंत्र आदि में महिष, छाग, गोधिका, शूकर, कृष्णसार, शरभ, हरि (वानर) आदि अनेक पशुओं को बलि के रूप में माना गया है। इक्षु, कूष्मांड आदि नानाविध उद्भिद् और फल भी बलिदान माने गए हैं। बलि के विषय में अनेक विधिनिषेध हैं। बलि को बलिदानकाल में पूर्वाभिमुख रखना चाहिए और खंडधारी बलिदानकारी उत्तराभिमुख रहेगा - यह प्रसिद्ध नियम है। बलि योग्य पशु के भी अनेक स्वरूप लक्षण कहे गए हैं। पंचमहायज्ञ के अंतर्गत बलि के कई अवांतर भेद कहे गए हैं - आवश्यक बलि, काम्यबलि आदि इस प्रसंग में ज्ञातव्य हैं। कई आचार्यों ने छागादि पशुओं के हनन को तामसपक्षीय कर्म माना है, यद्यपि तंत्र में ऐसे वचन भी हैं जिनसे पशु बलिदान को सात्विक भी माना गया है। कुछ ऐसी पूजाएँ हैं जिनमें पशु बलिदान अवश्य अनुष्ठेय होता है। वीरतंत्र, भावचूड़ामणि, यामल, तंत्रचूड़ामणि, प्राणतोषणी, महानिर्वाणतंत्र, मातृकाभेदतंत्र, वैष्णवीतंत्र, कृत्यमहार्णव, वृहन्नीलतंत्र, आदि ग्रंथों में बलिदान (विशेषकर पशुबलिदान) संबंधी चर्चा है। .

नई!!: वर्षा और बलि · और देखें »

बादल

कपासी बादल, हवाई जहाज की खिड़की से लिया गया चित्र वायुमण्डल में मौज़ूद जलवाष्प के संघनन से बने जलकणों या हिमकणों की दृश्यमान राशि बादल कहलाती है। मौसम विज्ञान में बादल को उस जल अथवा अन्य रासायनिक तत्वों के मिश्रित द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो द्रव रूप में बूंदों अथवा ठोस रवों के रूप में किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड के वायुमण्डल में दृश्यमान हो। बादल वर्षण (वर्षा और हिमपात इत्यादि) का प्रमुख स्रोत होते हैं। बादलों का विधिवत वैज्ञानिक अध्ययन मौसम विज्ञान की बादल भौतिकी नामक शाखा में किया जाता है। .

नई!!: वर्षा और बादल · और देखें »

बादल फटना

बादल फटना, (अन्य नामः मेघस्फोट, मूसलाधार वृष्टि) बारिश का एक चरम रूप है। इस घटना में बारिश के साथ कभी कभी गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं। सामान्यत: बादल फटने के कारण सिर्फ कुछ मिनट तक मूसलाधार बारिश होती है लेकिन इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बादल फटने की घटना अमूमन पृथ्वी से १५ किलोमीटर की ऊंचाई पर घटती है। इसके कारण होने वाली वर्षा लगभग १०० मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है। कुछ ही मिनट में २ सेंटी मीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, जिस कारण भारी तबाही होती है। .

नई!!: वर्षा और बादल फटना · और देखें »

बिजनौर

बिजनौर भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। हिमालय की उपत्यका में स्थित बिजनौर को जहाँ एक ओर महाराजा दुष्यन्त, परमप्रतापी सम्राट भरत, परमसंत ऋषि कण्व और महात्मा विदुर की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है, वहीं आर्य जगत के प्रकाश स्तम्भ स्वामी श्रद्धानन्द, अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक डॉ॰ आत्माराम, भारत के प्रथम इंजीनियर राजा ज्वालाप्रसाद आदि की जन्मभूमि होने का सौभाग्य भी प्राप्त है। साहित्य के क्षेत्र में जनपद ने कई महत्त्वपूर्ण मानदंड स्थापित किए हैं। कालिदास का जन्म भले ही कहीं और हुआ हो, किंतु उन्होंने इस जनपद में बहने वाली मालिनी नदी को अपने प्रसिद्ध नाटक 'अभिज्ञान शाकुन्तलम्' का आधार बनाया। अकबर के नवरत्नों में अबुल फ़जल और फैज़ी का पालन-पोषण बास्टा के पास हुआ। उर्दू साहित्य में भी जनपद बिजनौर का गौरवशाली स्थान रहा है। क़ायम चाँदपुरी को मिर्ज़ा ग़ालिब ने भी उस्ताद शायरों में शामिल किया है। नूर बिजनौरी जैसे विश्वप्रसिद्ध शायर इसी मिट्टी से पैदा हुए। महारनी विक्टोरिया के उस्ताद नवाब शाहमत अली भी मंडावर,बिजनौर के निवासी थे, जिन्होंने महारानी को फ़ारसी की पढ़ाया। संपादकाचार्य पं. रुद्रदत्त शर्मा, बिहारी सतसई की तुलनात्मक समीक्षा लिखने वाले पं. पद्मसिंह शर्मा और हिंदी-ग़ज़लों के शहंशाह दुष्यंत कुमार,विख्यात क्रांतिकारी चौधरी शिवचरण सिंह त्यागी, पैजनियां - भी बिजनौर की धरती की देन हैं। वर्तमान में महेन्‍द्र अश्‍क देश विदेश में उर्दू शायरी के लिए विख्‍यात हैं। धामपुर तहसील के अन्‍तर्गत ग्राम किवाड में पैदा हुए महेन्‍द्र अश्‍क आजकल नजीबाबाद में निवास कर रहे हैं। .

नई!!: वर्षा और बिजनौर · और देखें »

बुखारेस्ट

बुखारेस्ट (Bucureşti) रूमानिया की राजधानी एवं वहां का सबसे बडा वाणिज्यिक केंद्र है। यह रूमानिया के दक्षिण-पूर्व में दाम्बोवीता नदी के तट पर स्थित है जो पहले दाम्बोवीता सिटाडेल के नाम से मशहूर था। यूरोपीय मानको मे अनुसार बुखारेस्ट बहुत पुराना शहर नहीं है, इसका उल्लेख १४५९ से पूर्व कहीं नहीं मिलता है। पुराने बुखारेस्ट से १८६२ में रूमानिया की राजधानी बनने तक में अबतक इस शहर में बहुत परिवर्तन आ चुके है और आज यह अपने आप को रुमानियाई मीडिया, कला एवं संस्कृति के केन्द्र के रूप में स्थापित कर चुका है। इसकी स्थापत्य कला को साम्यवादी काल एवं आधुनिक यूरोप के सम्मिश्रण के रूप में देखा जा सकता है। दो विश्व युद्धों के बीच के समय में इस शहर की शानदार स्थापत्य कला की वजह से इसे "पूर्व का पेरिस" एवं "लघु पेरिस" (मिकुल पेरिस) जैसे नाम भी दिये गये हैं। यद्यपि इसके बहुत से ऐतिहासिक भवन विश्वयुद्ध, भूकंप इत्यादि में स्वाहा हो चुके हैं लेकिन अब भी कई शानदार ईमारतें अपना सिर ऊंचा किए खडी हैं। हाल के वर्षों में इस शहर ने काफी सांस्कृतिक एवं आर्थिक तरक्की की है।.

नई!!: वर्षा और बुखारेस्ट · और देखें »

बृहत्संहिता

बृहत्संहिता वाराहमिहिर द्वारा ६ठी शताब्दी संस्कृत में रचित एक विश्वकोश है जिसमें मानव रुचि के विविध विषयों पर लिखा गया है। इसमें खगोलशास्त्र, ग्रहों की गति, ग्रहण, वर्षा, बादल, वास्तुशास्त्र, फसलों की वृद्धि, इत्रनिर्माण, लग्न, पारिवारिक संबन्ध, रत्न, मोती एवं कर्मकांडों का वर्णन है। वृहत्संहिता में १०६ अध्याय हैं। यह अपने महान संकलन के लिये प्रसिद्ध है। .

नई!!: वर्षा और बृहत्संहिता · और देखें »

भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार

भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची (संख्या के क्रम में) भारत के राजमार्गो की एक सूची है। .

नई!!: वर्षा और भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार · और देखें »

भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष

3 मई 2013 (शुक्रवार) को भारतीय सिनेमा पूरे सौ साल का हो गया। किसी भी देश में बनने वाली फिल्में वहां के सामाजिक जीवन और रीति-रिवाज का दर्पण होती हैं। भारतीय सिनेमा के सौ वर्षों के इतिहास में हम भारतीय समाज के विभिन्न चरणों का अक्स देख सकते हैं।उल्लेखनीय है कि इसी तिथि को भारत की पहली फीचर फ़िल्म “राजा हरिश्चंद्र” का रुपहले परदे पर पदार्पण हुआ था। इस फ़िल्म के निर्माता भारतीय सिनेमा के जनक दादासाहब फालके थे। एक सौ वर्षों की लम्बी यात्रा में हिन्दी सिनेमा ने न केवल बेशुमार कला प्रतिभाएं दीं बल्कि भारतीय समाज और चरित्र को गढ़ने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। .

नई!!: वर्षा और भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष · और देखें »

भूमध्यसागरीय जलवायु

भूमध्य जलवायु (mediterranean climate) वह जलवायु है जो भूमध्य द्रोणी क्षेत्र में व्यापक है। भूमध्य सागर के अलावा कैलिफ़ोर्निया के तटवर्ती क्षेत्र, पश्चिमी और दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के कुछ क्षेत्र, दक्षिणपश्चिमी दक्षिण अफ़्रीका और मध्य चिली में भी इस प्रकार की मौसमी परिस्थितियाँ मिलती हैं। इन इलाक़ों में हलकी ठंड व वर्षा वाली शीतऋतु और मध्यम गरमी वाली व शुष्क ग्रीष्मऋतु होती है। .

नई!!: वर्षा और भूमध्यसागरीय जलवायु · और देखें »

भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव

extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .

नई!!: वर्षा और भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव · और देखें »

भूस्खलन

कैल्फोर्निया में १९९७ के जनवरी माह में हुए भूस्खलन का कम्प्यूटर सिमुलेशन भूस्खलन भूस्खलन (landslide) एक भूवैज्ञानिक घटना है। धरातली हलचलों जैसे पत्थर खिसकना या गिरना, पथरीली मिटटी का बहाव, इत्यादि इसके अंतर्गत आते है। भू-स्खलन कई प्रकार के हो सकते हैं और इसमें चट्टान के छोटे-छोटे पत्थरों के गिरने से लेकर बहुत अधिक मात्रा में चट्टान के टुकड़े और मिटटी का बहाव शामिल हो सकता है तथा इसका विस्तार कई किलोमीटर की दूरी तक हो सकता है। भारी वर्षा तथा बाढ़ या भूकम्प के आने से भू-स्खलन हो सकता है। मानव गतिवधियों, जैसे कि पेड़ों आैर वनस्पति के हटाने, सड़क किनारे खड़ी चट्टान के काटने या पानी के पाइपों में रिसाव से भी भू-स्खलन हो सकता है।;भू-स्खलन से पहले भू-स्खलन से पहले की गई तैयारी से आपको अपने घर तथा व्यापार को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी तथा आपकी जीवित बच निकलने में सहायक होगी। अपनी काउंसिल से पता लगाएं कि आपके इलाके में पहले भी कभी भू-स्खलन हुआ है तथा उनके दुबारा कहाँ होने की संभावना है। धरती के हिलने के चिन्हों की जाँच करें। इन चिन्हों में निम्नलिखित शामिल हैं.

नई!!: वर्षा और भूस्खलन · और देखें »

मरुस्थल

अटाकामा मरुस्थल मरुस्थल या रेगिस्तान ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों को कहा जाता है जहां जलपात (वर्षा तथा हिमपात का योग) अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कम होती है। प्रायः (गलती से) रेतीले रेगिस्तानी मैदानों को मरुस्थल कहा जाता है जोकि गलत है। यह बात और है कि भारत में सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र (थार) एक रेतीला मैदान है। मरूस्थल (कम वर्षा वाला क्षेत्र) का रेतीला होना आवश्यक नहीं। मरुस्थल का गर्म होना भी आवश्यक नहीं है। अंटार्कटिक, जोकि बर्फ से ढका प्रदेश है, विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है ! विश्व के अन्य देशों में कई ऐसे मरुस्थल हैं जो रेतीले नहीं है। .

नई!!: वर्षा और मरुस्थल · और देखें »

मरुस्थल और शुष्क क्षुपभूमियाँ

मरुस्थल और शुष्क क्षुपभूमियाँ (Deserts and xeric shrublands) ऐसे बायोम होते हैं जिनपर बहुत कम मात्रा में नमी पड़ती है। पारिभाषिक रूप से इन स्थनों पर हर साल २५० मिलीमीटर से कम वर्षा और बर्फ़ गिरती है। यह भूमि पर सबसे विस्तृत बायोम है और पृथ्वी के भूमीय इलाक़ों का लगभग १९% भाग इस श्रेणी में आता है। .

नई!!: वर्षा और मरुस्थल और शुष्क क्षुपभूमियाँ · और देखें »

मेसोअमेरिकी

350 पीएक्स (px) 350 पीएक्स (px) 350 पीएक्स (px) 350 पीएक्स (px) पैलेंकी के क्लासिक माया शहर का दृश्य, जो 6 और 7 सदियों में सुशोभित हुआ, मेसोअमेरिकी सभ्यता की उपलब्धियों के कई उदाहरणों में से एक है ट्युटिहुकन के मेसोअमेरिकी शहर का एक दृश्य, जो 200 ई. से 600 ई. तक सुशोभित हुआ और जो अमेरिका में दूसरी सबसे बड़ी पिरामिड की साइट है माया चित्रलिपि पत्रिका में अभिलेख, कई मेसोअमरिकी लेखन प्रणालियों में से एक शिलालेख.दुनिया में मेसोअमेरिका पांच स्थानों में से एक है जहां स्वतंत्र रूप से लेखन विकसित हुआ है मेसोअमेरिका या मेसो-अमेरिका (Mesoamérica) अमेरिका का एक क्षेत्र एवं सांस्कृतिक प्रान्त है, जो केन्द्रीय मैक्सिको से लगभग बेलाइज, ग्वाटेमाला, एल सल्वाडोर, हौंड्यूरॉस, निकारागुआ और कॉस्टा रिका तक फैला हुआ है, जिसके अन्दर 16वीं और 17वीं शताब्दी में, अमेरिका के स्पैनिश उपनिवेशवाद से पूर्व कई पूर्व कोलंबियाई समाज फलफूल रहे थे। इस क्षेत्र के प्रागैतिहासिक समूह, कृषि ग्रामों तथा बड़ी औपचारिक व राजनैतिक-धार्मिक राजधानियों द्वारा वर्णित हैं। यह सांस्कृतिक क्षेत्र अमेरिका की कुछ सर्वाधिक जटिल और उन्नत संस्कृतियों जैसे, ऑल्मेक, ज़ैपोटेक, टियोतिहुआकैन, माया, मिक्सटेक, टोटोनाक और एज़्टेक को शामिल करता है। .

नई!!: वर्षा और मेसोअमेरिकी · और देखें »

मोठ दाल

मोठ एक प्रकार का दलहन होता है। इससे दाल मिलती है। यह केल्शियम, फॉस्फोरस, कार्बोहाइड्रेट व विटामिनों से युक्त तथा कृमि नाशक व ज्वर नाशक होती है। .

नई!!: वर्षा और मोठ दाल · और देखें »

यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

नई!!: वर्षा और यूरोप · और देखें »

राना टिग्रिना

भारतीय मेढ़क '''राना टिग्रिना''' राना टिग्रिना नामक मेढ़क भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला बड़े आकार का मेढ़क है। .

नई!!: वर्षा और राना टिग्रिना · और देखें »

राम नारायण आर्य

राम नारायण आर्य (1936 – 2010) एक आर्यसमाजी थे जिन्होने वर्षा तथा मौसम से सम्बन्धित अनेक कार्य किये, जैसे वर्षा कराना, वर्षा रोकना, वायु का वेग और दिशा बदलना आदि। श्रेणी:आर्यसमाज.

नई!!: वर्षा और राम नारायण आर्य · और देखें »

रामायण

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके २४,००० श्लोक हैं। यह हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। .

नई!!: वर्षा और रामायण · और देखें »

राष्ट्रीय राजमार्ग ३४

४४३ किलोमीटर यह राजमार्ग पश्चिम बंगाल में दलकोला को कोलकाता से जोड़ता है। इसका रूट दलकोला के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से - बहरामपुर - बरसात – कोलकाता है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

नई!!: वर्षा और राष्ट्रीय राजमार्ग ३४ · और देखें »

राष्ट्रीय राजमार्ग ३५

६१ किलोमीटर यह राजमार्ग पश्चिम बंगाल में बरसात को बनगाँव से जोड़ता है। इसका रूट बरसात - बनगाँव - भारत बांगलादेश सीमा है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

नई!!: वर्षा और राष्ट्रीय राजमार्ग ३५ · और देखें »

राजस्थान के वन्य-जीव अभयारण्य

देश का सबसे अधिक दुर्लभ पक्षी गोडावण है जो राजस्थान के बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर जिले में अधिक संख्या में मिलता है राजस्थान में तीन राष्ट्रीय उद्यान, २५ वन्य जीव अभ्यारण्य एवं ३३ आखेट निषेद क्षेत्र घोषित किए जा चुके हैं। भारतीय वन्यजीव कानून १९७२ देश के सभी राज्यों में लागू है। राज्य में वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास को जानने के लिए भू-संरचना के अनुसार प्रदेश को चार मुख्य भागों में बांटा जा सकता है- १ मरुस्थलीय क्षेत्र, २ पर्वतीय क्षेत्र, ३ पूर्वी तथा मैदानी क्षेत्र और ४ दक्षिणी क्षेत्र। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जो कि भरतपुर में स्थित है यह एक राष्ट्रीय उद्यान है अर्थात एक अंतर्राष्ट्रीय पार्क जिसे पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है। धार्मिक स्थलों के साथ जुड़े ओरण सदैव ही पशुओं के शरणस्थल रहे हैं केंद्र सरकार द्वारा स्थापित पशु-पक्षियों का स्थल राष्ट्रीय उद्यान व राज्य सरकार द्वारा स्थापित स्थल अभ्यारण्य कहलाता है। .

नई!!: वर्षा और राजस्थान के वन्य-जीव अभयारण्य · और देखें »

राजस्थान की झीलें

प्राचीन काल से ही राजस्थान में अनेक प्राकृतिक झीलें विद्यमान है। मध्य काल तथा आधुनिक काल में रियासतों के राजाओं ने भी अनेक झीलों का निर्माण करवाया। राजस्थान में मीठे और खारे पानी की झीलें हैं जिनमें सर्वाधिक झीलें मीठे पानी की है। .

नई!!: वर्षा और राजस्थान की झीलें · और देखें »

राजस्थान की जलवायु

उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान का जलवायु आम तौर पर शुष्क या अर्ध-शुष्क है और वर्ष भर में काफी गर्म तापमान पेश करता है, साथ ही गर्मी और सर्दियों दोनों में चरम तापमान होते हैं। भारत का यह राज्य राजस्थान उत्तरी अक्षांश एवं पूर्वी देशांतर पर स्थित है। उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली रेखाएं देशांतर रेखाएं तथा देशांतर रेखाओं के अक्षीय कोण अथवा पृथ्वी के मानचित्र में पश्चिम से पूर्व अथवा भूमध्य रेखा के समानांतर रेखाएं खींची जाती हैं उन्हें अक्षांश रेखाएं कहा जाता है। राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार २३°३ उत्तरी अक्षांश से ३०°१२ उत्तरी अक्षांश तक है तथा देशांतरीय विस्तार ६०°३० पूर्वी देशांतर से ७८°१७ पूर्वी देशांतर तक है। कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिण अर्थात बांसवाड़ा जिले के मध्य (कुशलगढ़) से होकर गुजरती है इसलिए हर साल २१ जून को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले पर सूर्य सीधा चमकता है। राज्य का सबसे गर्म जिला चुरु जबकि राज्य का सबसे गर्म स्थल जोधपुर जिले में स्थित फलोदी है। इसी प्रकार राज्य में गर्मियों में सबसे ठंडा स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है इसलिए माउंट आबू को राजस्थान का शिमला कहा जाता है। पृथ्वी के धरातल से क्षोभ मंडल में जैसे-जैसे ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं तापमान कम होता है तथा प्रति १६५ मीटर की ऊंचाई पर तापमान १ डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। राजस्थान का गर्मियों में सर्वाधिक दैनिक तापांतर वाला जिला जैसलमेर है जबकि राज्य में गर्मियों में सबसे ज्यादा धूल भरी आंधियां श्रीगंगानगर जिले में चलती है राज्य में विशेषकर पश्चिमी रेगिस्तान में चलने वाली गर्म हवाओं को लू कहा जाता है। राजस्थान में गर्मियों में स्थानीय चक्रवात के कारण जो धूल भरे बवंडर बनते हैं उन्हें भभुल्या कहा जाता है गर्मियों में राज्य के दक्षिण पश्चिम तथा दक्षिणी भागों में अरब सागर में चक्रवात के कारण तेज हवाओं के साथ चक्रवाती वर्षा भी होती है राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान में गर्मियों में निम्न वायुदाब की स्थिति उत्पन्न होती है फलस्वरूप महासागरीय उच्च वायुदाब की मानसूनी पवने आकर्षित होती है तथा भारतीय उपमहाद्वीप के ऋतु चक्र को नियमित करने में योगदान देती है। राजस्थान में मानसून की सर्वप्रथम दक्षिण पश्चिम शाखा का प्रवेश करती है अरावली पर्वतमाला के मानसून की समानांतर होने के कारण राजस्थान में कम तथा अनियमित वर्षा होती है। राज्य का सबसे आर्द्र जिला झालावाड़ है जबकि राज्य का सबसे आर्द्र स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है जबकि सबसे शुष्क जिला जैसलमेर है। राज्य का दक्षिण पश्चिम दक्षिण तथा दक्षिणी पूर्वी भाग सामान्यतया आर्द्र कहलाता है। जबकि पूर्वी भाग सामान्यतया उप आर्द्र कहलाता है जबकि पश्चिमी भाग शुष्क प्रदेश में आता है इसके अलावा राजस्थान का उत्तर तथा उत्तर पूर्वी भाग सामान्यतया अर्ध अर्ध शुष्क प्रदेश में आता है। .

नई!!: वर्षा और राजस्थान की जलवायु · और देखें »

ला नीना

ला नीना (La Niña) एक प्रतिसागरीय धारा है। इसका आविर्भाव पश्चिमी प्रशांत महासागर में उस समय होता है जबकि पूर्वी प्रशांत महासागर में एल नीनो का प्रभाव समाप्त हो जाता है। .

नई!!: वर्षा और ला नीना · और देखें »

लिख्टेंश्टाइन

लीख़्टेनश्टाइन (जर्मन: Fürstentum Liechtenstein) पश्चिमी यूरोप में स्थित एक छोटा लैंडलॉक देश है। इसकी सीमा पश्चिम और दक्षिण में स्विटजरलैंड और पूर्व में आस्ट्रिया से मिलती है। महज 160 वर्ग किमी (करीब 61.7 वर्ग मील) वाले इस देश की आबादी करीब 35,000 है। यहां की राजधानी वादुज और सबसे बड़ा शहर श्चान है। लीख़्टेनश्टाइन दुनिया का जर्मन भाषी इकलौता अल्पाइन राज्य है, जो पूरी तरह से आलप्स पर स्थित है। यह इकलौता जर्मनभाषी राज्य है, जिसकी सीमा जर्मनी से नहीं मिलती है। यह संवैधानिक राजशाही है, जो 11 निगम इकायों में विभाजित है। पर्वतीय भू-संरचना की वजह से लीख़्टेनश्टाइन शीत खेलों के लिए लोकप्रिय स्थल है। मजबूत वित्तीय व्यवस्था वाले इस देश को कर के मामले में स्वर्ग माना जाता है। यह यूरोपीय मुक्त व्यापार संगठन का सदस्य है, लेकिन यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं है। इसकी पश्चिमी सीमा पर राइन नदी बहती है। यहाँ के निम्न प्रदेश का वार्षिक औसत ताप लगभग ८डिग्री सें.

नई!!: वर्षा और लिख्टेंश्टाइन · और देखें »

शिवहर

शिवहर बिहार के तिरहुत प्रमंडल का एक नवगठित जिला है। इस जिले के पूरब एवं उत्तर में सीतामढी, पश्चिम में पूर्वी चंपारण तथा दक्षिण में मुजफ्फरपुर जिला है। शिवहर बिहार का सबसे छोटा एवं आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत ही पिछडा हुआ जिला है। वर्षा एवं बाढ़ के दिनों में इसका संपर्क अपने पडोसी जिलों से भी पूरी तरह कट जाता है। बज्जिका एवं हिन्दी यहाँ की मुख्य भाषाएँ है। .

नई!!: वर्षा और शिवहर · और देखें »

सलीम-सुलेमान

सलीम और सुलेमान हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीत निर्देशक और गायक हैं। यह एक दो भाइयों की जोड़ी है जिसमे, सलीम मर्चेंट और सुलेमान मर्चेंट शामिल हैं। सलीम और सुलेमान पिछले एक दशक से अधिक से फिल्मों के लिए संगीत रचना कर रहे हैं, इनकी प्रसिद्ध फिल्मों मे शामिल हैं, चक दे! इंडिया, भूत, मुझसे शादी करोगी, मातृभूमि और फैशन। एक प्रदर्शन में सलीम-सुलेमान इस जोड़ी ने कई भारतीय पॉप बैंड के लिए भी संगीत तैयार किया है जिनमें वीवा, आसमां, श्वेता शेट्टी, जैस्मीन और स्टाइल भाई आदि शामिल हैं। इन्होने कई टीवी विज्ञापनों का निर्माण और संगीत निर्देशन किया है जिसमे इनका सहयोग उस्ताद जाकिर हुसैन और उस्ताद सुल्तान खान जैसे कलाकारों ने किया है। इन्हें इनका पहला मौका करण जौहर ने अपनी फिल्म काल की संगीत रचना करने के लिए दिया था। उसके बाद, इन्होने कई बड़े निर्माताओं और निर्देशक जैसे यश चोपड़ा, सुभाष घई और राम गोपाल वर्मा के साथ फिल्में की हैं। गीत संगीत रचना से पहले, वे फिल्मों मे पार्श्व संगीत रचना करते रहे हैं। कुछ डरावनी फिल्मों में उनका पार्श्व संगीत बहुत पसंद किया गया।.

नई!!: वर्षा और सलीम-सुलेमान · और देखें »

सिसिली

इटली का '''सिसिली''' द्वीप सिसिली (Sicily; इतालवी: Sicilia / / सिचिल्या) भूमध्य सागर का सबसे बड़ा द्वीप है जो इटली प्रायद्वीप से मेसीना जलमडरूमध्य के द्वारा अलग होता है। यह इटली का स्वायत्त क्षेत्र है। यह ट्यूनीसिया से ९० मील चौड़े सिसली जलमडरूमध्य द्वारा अलग है तथा सार्डीनिया से इसकी दूरी २७२ किलोमीटर है। इसकी आकृति त्रिभुजाकार है, उत्तर में कुमारी बोओ (Boeo) से कुमारी पेलोरो तक लंबाई २८० किलोमीटर, पूर्वी किनारा १९२ किलोमीटर और दक्षिणी पश्चिमी किनारा २७२ किलोमीटर लम्बा है। तट की कुल लंबाई १०८८ किलोमीटर है और क्षेत्रफल ९८३० वर्ग मील है परंतु आस-पास के अन्य द्वीपों को मिलाकर क्षेत्रफल ९९२५ वर्गमील है। द्वीप में ९ प्रांत हैं। पलेरमो इसकी राजधानी है। सिसली के निवासियों की औसत ऊँचाई ५ फुट २ इंच है। उनकी आँखें और बाल काले होते हैं। इनकी भाषा इटली से भिन्न है। लोग अतिथि का स्वागत एवं आदर करते हैं। पलेरमो, कटनिया और मसीना में विश्वविद्यालय हैं। .

नई!!: वर्षा और सिसिली · और देखें »

सिक्किम

(या, सिखिम) भारत पूर्वोत्तर भाग में स्थित एक पर्वतीय राज्य है। अंगूठे के आकार का यह राज्य पश्चिम में नेपाल, उत्तर तथा पूर्व में चीनी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र तथा दक्षिण-पूर्व में भूटान से लगा हुआ है। भारत का पश्चिम बंगाल राज्य इसके दक्षिण में है। अंग्रेजी, नेपाली, लेप्चा, भूटिया, लिंबू तथा हिन्दी आधिकारिक भाषाएँ हैं परन्तु लिखित व्यवहार में अंग्रेजी का ही उपयोग होता है। हिन्दू तथा बज्रयान बौद्ध धर्म सिक्किम के प्रमुख धर्म हैं। गंगटोक राजधानी तथा सबसे बड़ा शहर है। सिक्किम नाम ग्याल राजतन्त्र द्वारा शासित एक स्वतन्त्र राज्य था, परन्तु प्रशासनिक समस्यायों के चलते तथा भारत से विलय के जनमत के कारण १९७५ में एक जनमत-संग्रह के अनुसार भारत में विलीन हो गया। उसी जनमत संग्रह के पश्चात राजतन्त्र का अन्त तथा भारतीय संविधान की नियम-प्रणाली के ढाचें में प्रजातन्त्र का उदय हुआ। सिक्किम की जनसंख्या भारत के राज्यों में न्यूनतम तथा क्षेत्रफल गोआ के पश्चात न्यूनतम है। अपने छोटे आकार के बावजूद सिक्किम भौगोलिक दृष्टि से काफ़ी विविधतापूर्ण है। कंचनजंगा जो कि दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है, सिक्किम के उत्तरी पश्चिमी भाग में नेपाल की सीमा पर है और इस पर्वत चोटी चको प्रदेश के कई भागो से आसानी से देखा जा सकता है। साफ सुथरा होना, प्राकृतिक सुंदरता पुची एवं राजनीतिक स्थिरता आदि विशेषताओं के कारण सिक्किम भारत में पर्यटन का प्रमुख केन्द्र है। .

नई!!: वर्षा और सिक्किम · और देखें »

स्टार पुरस्कार पाने वाले नये उभरते अभिनेता

कोई विवरण नहीं।

नई!!: वर्षा और स्टार पुरस्कार पाने वाले नये उभरते अभिनेता · और देखें »

हिम

हिम क्रिस्टलीय जलीय बर्फ के रूप में हुआ एक प्रकार का वर्षण है, जिसमे एक बड़ी मात्रा में हिमकण शामिल होते है जो बादलों से गिरते हैं। चूंकि हिम बर्फ के महीन कणों से बनी होती है, इसलिए यह एक दानेदार पदार्थ है। इसकी संरचना खुली और इसलिए नरम होती है, जब तक कि कोई बाहरी दाब डाल कर इसे दबाया ना जाए। हिमपात हिमपातबर्फ के क्रिस्टल के रूपों को दर्शाता है जो वायुमंडल (आमतौर पर बादलों से) से निकलता है और पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन से गुजरता है। यह अपने जीवन चक्र में जमे हुए क्रिस्टलीय पानी से संबंधित है, जब उचित परिस्थितियों में, वातावरण में बर्फ के क्रिस्टल का निर्माण होता है, मिलिमीटर का आकार बढ़ाता है, सतह पर तरक्की हो जाती है और सतह पर जमा होता है, फिर जगह में बदल जाता है, और अंततः पिघल, स्लाइड या दूर जाना जाता है । वायुमंडलीय नमी और ठंडी हवा के स्रोतों पर खिलाकर बर्फ के तूफान व्यवस्थित और विकसित होते हैं। स्नोफ्लेक्स सुपरकोलाइड पानी की बूंदों को आकर्षित करके वातावरण में कणों के चारों ओर घूमती है, जो हेक्सागोनल-आकार के क्रिस्टल में स्थिर होते हैं। स्नोफ्लेक विभिन्न आकारों पर लेते हैं, इनमें से मूल प्लेटलेट्स, सुई, स्तंभ और शिलाएं हैं। जैसा कि बर्फ एक बर्फ के टुकड़े में जमा हो जाता है, यह बहाव में उड़ सकता है समय के साथ, सिमेंटर, नीचीकरण और फ्रीज-पिघलना द्वारा, बर्फ का आकार संचित किया गया। जहां साल-दर-वर्ष संचय के लिए जलवायु ठंडा होती है, एक ग्लेशियर हो सकता है। अन्यथा, बर्फ आमतौर पर मौसम में पिघला देता है, जिससे नदियों और नदियों में जल प्रवाह और भूजल रिचार्ज होता है .

नई!!: वर्षा और हिम · और देखें »

हिमपात

वायुमण्डल के जल के हिम बनने के कारण बर्फ धरती पर आच्छादित हो जाती है, इसे हिमपात कहते हैं। .

नई!!: वर्षा और हिमपात · और देखें »

हिमस्खलन

हिमालय में होता एक हिमस्खलन हिमस्खलन (avalanche) किसी ढलान वाली सतह पर तेज़ी से हिम के बड़ी मात्रा में होने वाले बहाव को कहते हैं। यह आमतौर पर किसी ऊँचे क्षेत्र में उपस्थित हिमपुंज में अचानक अस्थिरता पैदा होने से आरम्भ होते हैं। शुरु होने के बाद ढलान पर नीचे जाता हुआ हिम गति पकड़ने लगता है और इसमें बर्फ़ की और भी मात्रा शामिल होने लगती है। .

नई!!: वर्षा और हिमस्खलन · और देखें »

हिमालय

हिमालय पर्वत की अवस्थिति का एक सरलीकृत निरूपण हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं। इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है। हिमालय पर्वत पाँच देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन। अन्तरिक्ष से लिया गया हिमालय का चित्र संसार की अधिकांश ऊँची पर्वत चोटियाँ हिमालय में ही स्थित हैं। विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटियाँ हैं। विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है। हिमालय में 100 से ज्यादा पर्वत शिखर हैं जो 7200 मीटर से ऊँचे हैं। हिमालय के कुछ प्रमुख शिखरों में सबसे महत्वपूर्ण सागरमाथा हिमाल, अन्नपूर्णा, गणेय, लांगतंग, मानसलू, रॊलवालिंग, जुगल, गौरीशंकर, कुंभू, धौलागिरी और कंचनजंघा है। हिमालय श्रेणी में 15 हजार से ज्यादा हिमनद हैं जो 12 हजार वर्ग किलॊमीटर में फैले हुए हैं। 72 किलोमीटर लंबा सियाचिन हिमनद विश्व का दूसरा सबसे लंबा हिमनद है। हिमालय की कुछ प्रमुख नदियों में शामिल हैं - सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और यांगतेज। भूनिर्माण के सिद्धांतों के अनुसार यह भारत-आस्ट्र प्लेटों के एशियाई प्लेट में टकराने से बना है। हिमालय के निर्माण में प्रथम उत्थान 650 लाख वर्ष पूर्व हुआ था और मध्य हिमालय का उत्थान 450 लाख वर्ष पूर्व हिमालय में कुछ महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ प्रमुख हैं। भारतीय ग्रंथ गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है (गीता:10.25)। .

नई!!: वर्षा और हिमालय · और देखें »

जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

नई!!: वर्षा और जल · और देखें »

जल चक्र

जल चक्र पृथ्वी पर उपलब्ध जल के एक रूप से दूसरे में परिवर्तित होने और एक भण्डार से दूसरे भण्डार या एक स्थान से दूसरे स्थान को गति करने की चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें कुल जल की मात्रा का क्षय नहीं होता बस रूप परिवर्तन और स्थान परिवर्तन होता है। अतः यह प्रकृति में जल संरक्षण के सिद्धांत की व्याख्या है। इसके मुख्य चक्र में सर्वाधिक उपयोग में लाए जाने वाला जल रूप - पानी (द्रव) है जो वाष्प बनकर वायुमण्डल में जाता है फिर संघनित होकर बादल बनता है और फिर बादल बनकर ठोस (हिमपात) या द्रव रूप में वर्षा के रूप में बरसता है। हिम पिघलकर पुनः द्रव में परिवर्तित हो जाता है। इस तरह जल की कुल मात्रा स्थिर रहती है। यह पृथ्वी के सम्पूर्ण पर्यावरण रुपी पारिस्थितिक तंत्र में एक भूजैवरसायन चक्र (Geobiochemical cycle) का उदाहरण है।उन सभी घटनाओं का एक पूर्ण चक्र जिसमें होकर पानी, वायुमंडलीय जलवाष्प के रूप में आरंभ होकर द्रव्य या ठोस रूप में बरसता है और उसके पष्चात् वह भू-पृष्ठ के ऊपर या उसके भीतर बहने लगता है एवं अन्ततः वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन द्वारा पुनः वायुमंडलीय जल-वाष्प के रूप में बल जाता है। जल के समुद्र से वायुमण्डल में तथा फिर भूमि पर बहुत सी अवस्थाओं जैसे अवक्षेपण अंतरोधन अपवाह, अन्त: स्यन्दन अन्त: स्त्रवण भौमजल संचयन वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन इत्यादि प्रक्रियाओं के बाद पुन: समुद्र में वापिस जाने का घटना चक्र। जलीय परिसंचरण (circulation) द्वारा निर्मित एक चक्र जिसके अंतर्गत जल महासागर से वायुमंडल में, वायुमंडल से भूमि (भूतल) पर और भूमि से पुनः महासागर में पहुँच जाता है। महासागर से वाष्पीकरण द्वारा जलवाष्प के रूप में जल वायुमंडल में ऊपर उठता है जहाँ जलवाष्प के संघनन से बादल बनते हैं तथा वर्षण (precipitation) द्वारा जलवर्षा अथवा हिमवर्षा के रूप में जल नीचे भूतल पर आता है और नदियों से होता हुआ पुनः महासागर में पहुँच जाता है। इस प्रकार एक जल-चक्र पूरा हो जाता है। सागर से वायुमंडल तथा थल पर से होता हुआ वापस सागर तक जाने वाला जल का परिसंचरण चक्र। जल वापस सागर तक थल पर से बहता हुआ अथवा भूमिगत मार्गों से पहुंचता है। इस निरंतर चलते रहने वाले चक्र में जल अस्थायी रूप से जीवों में तथा ताजे पानी बर्फिली जमावटों अथवा भूमिगत भंडारों के रूप में जमा होता रहता है। .

नई!!: वर्षा और जल चक्र · और देखें »

जल निकासी

न्यू साउथ वेल्स में एक सिडनी नाली की अत्यंत गहराई में किसी क्षेत्र की सतह या उप-सतह के पानी को प्राकृतिक या कृत्रिम ढंग से हटाना जल निकासी कहलाता है। कृषि भूमि के उत्पादन को सुधारने या पानी की आपूर्ति के प्रबंधन के लिए जल निकासी की आवश्यकता पड़ती है। .

नई!!: वर्षा और जल निकासी · और देखें »

जल संसाधन

जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मानव के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की संभावना हो। पानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक, घरेलू, मनोरंजन हेतु और पर्यावरणीय गतिविधियों में। वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में से ज्यादातर में ताजे जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर पानी की कुल उपलब्ध मात्रा अथवा भण्डार को जलमण्डल कहते हैं। पृथ्वी के इस जलमण्डल का ९७.५% भाग समुद्रों में खारे जल के रूप में है और केवल २.५% ही मीठा पानी है, उसका भी दो तिहाई हिस्सा हिमनद और ध्रुवीय क्षेत्रों में हिम चादरों और हिम टोपियों के रूप में जमा है। शेष पिघला हुआ मीठा पानी मुख्यतः जल के रूप में पाया जाता है, जिस का केवल एक छोटा सा भाग भूमि के ऊपर धरातलीय जल के रूप में या हवा में वायुमण्डलीय जल के रूप में है। मीठा पानी एक नवीकरणीय संसाधन है क्योंकि जल चक्र में प्राकृतिक रूप से इसका शुद्धीकरण होता रहता है, फिर भी विश्व के स्वच्छ पानी की पर्याप्तता लगातार गिर रही है दुनिया के कई हिस्सों में पानी की मांग पहले से ही आपूर्ति से अधिक है और जैसे-जैसे विश्व में जनसंख्या में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही हैं, निकट भविष्य मैं इस असंतुलन का अनुभव बढ़ने की उम्मीद है। पानी के प्रयोक्ताओं के लिए जल संसाधनों के आवंटन के लिए फ्रेमवर्क (जहाँ इस तरह की एक फ्रेमवर्क मौजूद है) जल अधिकार के रूप में जाना जाता है। आज जल संसाधन की कमी, इसके अवनयन और इससे संबंधित तनाव और संघर्ष विश्वराजनीति और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। जल विवाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण विषय बन चुके हैं। .

नई!!: वर्षा और जल संसाधन · और देखें »

जलपात

हिमपात तथा वर्षा के योग को कभी कभी जलपात का नाम दिया जाता है।.

नई!!: वर्षा और जलपात · और देखें »

जलमिति

जलमिति (Hydrometry), वर्षा, भूजल के गुणधर्मों, जल की गुणवत्ता एवं धरातल पर विद्यमान जल की प्रवाह की विशेषताओं सहित जल चक्र का सम्पूर्ण अध्ययन करता है। श्रेणी:जल.

नई!!: वर्षा और जलमिति · और देखें »

जलसम्भर

जलसंभर का उदहारण - लाल रंग की लकीर जलविभाजक क्षेत्र को दर्शा रही है जलसंभर या द्रोणी उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नेहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। उस स्थान से या तो एक ही बड़ी नदी में पानी जलसंभर क्षेत्र से निकास कर के आगे बह जाता है, या फिर किसी सरोवर, सागर, महासागर या दलदली इलाक़े में जा के मिल जाता है। इस सन्दर्भ में कभी-कभी जलविभाजक शब्द का भी प्रयोग होता है क्योंकि भिन्न-भिन्न जलसंभर किसी भी विस्तृत क्षेत्र को अलग-अलग जल मंडलों में विभाजित करते हैं। जलसंभर खुले या बंद हो सकते हैं। बंद जलसंभारों में पानी किसी सरोवर या सूखे सरोवर में जा कर रुक जाता है। जो बंद जलसंभर शुष्क स्थानों पर होते हैं उनमें अक्सर जल आ कर गर्मी से भाप बनकर हवा में वाष्पित (इवैपोरेट) हो जाता है या उसे धरती सोख लेती है। पड़ौसी जलसंभर अक्सर पहाड़ों, पर्वतों या धरती की भिन्न ढलानों के कारण एक-दुसरे से विभाजित होते हैं। भौगोलिक दृष्टि से जलसंभर एक कीप (यानि फनल) का काम करते हैं क्योंकि वे एक विस्तृत क्षेत्र के पानी को इक्कठा कर के एक ही नदी, जलाशय, दलदल या धरती के भीतर पानी सोखने वाले स्थान पर ले जाते हैं। .

नई!!: वर्षा और जलसम्भर · और देखें »

जुपिटर

यूपीतेर (लातीनी भाषा: iupiterयूपीतेर) प्राचीन रोमन धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक थे और देवताओं के राजा थे। वो वर्षा, बिजली और पुरुषत्व के देवता थे। उनके समतुल्य प्राचीन यूनानी धर्म के देवता थे स़ेउस (यूनानी में: ζευς)। रोमन धर्मशास्त्र में आकाश की आत्मा को 'जूपितर' की संज्ञा दी गई है। वर्षा और विद्युत के देवता के रूप में इसकी पूजा की जाती है। वह रोमन जातियों का रक्षक माना गया है। .

नई!!: वर्षा और जुपिटर · और देखें »

जीववाद

जीववाद या सर्वात्मवाद (Animism) वह दार्शनिक, धार्मिक या आध्यात्मिक विचार है कि आत्मा न केवल मनुष्यों में होती है वरन् सभी जन्तुओं, वनस्पतियों, चट्टानों, प्राकृतिक परिघटनाओं (बिजली, वर्षा आदि) में भी होती है। इससे भी आगे जाकर कभी-कभी शब्दों, नामों, उपमाओं, रूपकों आदि में भी आत्मा के अस्तित्व की बात कही जाती है। सर्वात्मवाद का दर्शन मुख्यतया आदिवासी समाजों में पाया जाता है परन्तु यह शिन्तो एवं हिन्दुओं के कुछ सम्प्रदायों में भी पाया जाता है। .

नई!!: वर्षा और जीववाद · और देखें »

वन

National Park)). एक क्षेत्र जहाँ वृक्षों का घनत्व अत्यधिक रहता है उसे वन कहते हैं। पेड़ जंगल के कई परिभाषाएँ, है जो कि विभिन्न मानदंडों पर आधारित हैं। वनों ने पृथ्वी के लगभग ९.४% भाग को घेर रखा है और कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 30% भाग घेर रखा है। कभी वन कुल भूमि क्षेत्र के ५०% भाग में फैल हुए थे। वन जीव जन्तुओं के लिए आवास स्थल, जल-चक्र को प्रभावित करते हैं और मृदा संरक्षण के काम आते हैं इसी कारण यह पृथ्वी के जैवमण्डल का अहम हिस्सा कहलाते हैं। इतिहास बताता है, कि "वन" एक बीहड़ क्षेत्र जिसका मतलब कानूनी तौर पर बाजू के लिए निर्धारित शिकार के द्वारा सामंती कुलीनता है और इन शिकार जंगलों जरूरी ज्यादा अगर में सभी (देखें जंगली नहीं थे रॉयल वन। हालांकि, शिकार के जंगलों अक्सर वुडलैंड के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया जबकि, शब्द वन अंततः जंगली भूमि अधिक सामान्यतः मतलब करने के लिए आया था। एक वुडलैंड जो की एक जंगल से भिन्न है। .

नई!!: वर्षा और वन · और देखें »

वर्षण

वर्षण या अवक्षेपण एक मौसम विज्ञान की प्रचलित शब्दावली है जो वायुमण्डलीय जल के संघनित होकर किसी भी रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस आने को कहते हैं। वर्षण के कई रूप हो सकते हैं जैसे वर्षा, फुहार, हिमवर्षा, हिमपात और ओलावृष्टि इत्यादि। अतः वर्षा वर्षण का एक रूप या प्रकार है। वर्षण का महत्व जलविज्ञान में भी है क्योंकि किसी भी जलसम्भर का जल बजट तय करने में इसकी प्रमुख भूमिका होती है। ऊपर उठती गर्म एवं आर्द्र वायु के संतृप्त होने तथा ओसांक की प्राप्ति के बाद संघनन होने पर वायुमंडलीय जलवाष्प के या तो तरल रूप (ओस, जलवर्षा) या ठोस रूप (हिमपात) में नीचे गिरने को वर्षण कहते हैं। .

नई!!: वर्षा और वर्षण · और देखें »

वर्षा जल संचयन

ठाठवाड़, राजस्थान के एक गांव में जोहड़ में संचयन पहेली में भी दिखाया गया था वर्षा जल संचयन (अंग्रेज़ी: वाटर हार्वेस्टिंग) वर्षा के जल को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है। इसका कारण पृथ्वी के जलस्तर का लगातार नीचे जाना भी है। इसके लिये अधिशेष मानसून अपवाह जो बहकर सागर में मिल जाता है, उसका संचयन और पुनर्भरण किया जाना आवश्यक है, ताकि भूजल संसाधनों का संवर्धन हो पाये। अकेले भारत में ही व्यवहार्य भूजल भण्डारण का आकलन २१४ बिलियन घन मी.

नई!!: वर्षा और वर्षा जल संचयन · और देखें »

वर्षा ऋतु

वर्षा ऋतु, वर्ष की एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान तथा आर्द्रता प्रायः उच्च रहते हैं। साल की अन्य प्रमुख ऋतु हैं - गृष्म ऋतु, शीत ऋतु, वसन्त ऋतु। भारत में यह जुलाई से अक्टूबर तक होती है। अन्य देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है। .

नई!!: वर्षा और वर्षा ऋतु · और देखें »

वर्षामापी

मानक '''वर्षामापी''' वर्षामापी का रेकार्ड (Tipping Bucket Rain Gauge Recorder) वर्षा रिकार्डर के चार्ट का पास से लिया गया दृष्य वर्षामापी (rain gauge या udometer या pluviometer) एक ऐसी युक्ति है जो वर्षा की मात्रा की माप करता है। मौसमविज्ञानी इसका बहुत उपयोग करते हैं। .

नई!!: वर्षा और वर्षामापी · और देखें »

वैशाली जिला

वैशाली (Vaishali) बिहार प्रान्त के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली एक अलग जिला बना। वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर में है। बज्जिका तथा हिन्दी यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। वैशाली जिला भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र नगरी है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ। भगवान बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। ऐतिहासिक महत्त्व के होने के अलावे आज यह जिला राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। .

नई!!: वर्षा और वैशाली जिला · और देखें »

खनादेवी

खनादेवी, राजा विक्रमादित्य के नवरत्न, ज्योतिषाचार्य वराहदेव की पुत्रवधू एवं मिहिर की पत्नी थीं। इनका ज्योतिषज्ञान प्रकांड था। कृषि विषयक इनकी कहावतें बंगाल में अत्यधिक समादरित हैं। उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में भी 'खोना' या 'डाक' नाम से कृषि विषयक कुछ कहावतें पाई जाती हैं। विक्रमादित्य का काल भारतीय इतिहास में स्वर्णिम युग कहा जाता है। खना इसी युग में हुई थीं। .

नई!!: वर्षा और खनादेवी · और देखें »

खीरा

खीरे की लता, पुष्प एवं फल खीरा (cucumber; वैज्ञानिक नाम: Cucumis sativus) ज़ायद की एक प्रमुख फसल है। सलाद के रूप में सम्पूर्ण विश्व में खीरा का विशेष महत्त्व है। खीरा को सलाद के अतिरिक्त उपवास के समय फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा विभिन्न प्राकर की मिठाइयाँ भी तैयार की जाती है। पेट की गड़बडी तथा कब्ज में भी खीरा को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। खीरा कब्ज़ दूर करता है। पीलिया, प्यास, ज्वर, शरीर की जलन, गर्मी के सारे दोष, चर्म रोग में लाभदायक है। खीरे का रस पथरी में लाभदायक है। पेशाब में जलन, रुकावट और मधुमेह में भी लाभदायक है। घुटनों में दर्द को दूर करने के लिये भोजन में खीरा अधिक खायें। .

नई!!: वर्षा और खीरा · और देखें »

गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य

गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य भारत में गुजरात में स्थित राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यप्राणी अभयारण्य है। एशिया में सिंहों के एकमात्र निवास स्थान के लिए जाना जाता है। गिर अभयारण्य 1424 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसमें, २५८ वर्ग किलोमीटर में राष्ट्रीय उद्यान और ११५३ वर्ग किलोमीटर वन्यप्राणियों के लिए आरक्षित अभयारण्य विस्तार है। इसके अतिरिक्त पास में ही मितीयाला वन्यजीव अभयारण्य है जो १८.२२ किलोमीटर में फैला हुआ है। ये दोनों आरक्षित विस्तार गुजरात में जूनागढ़, अमरेली और गिर सोमनाथ जिले के भाग है। सिंहदर्शन के लिए ये उद्यान एवं अभयारण्य विश्व में प्रवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। विश्व में सिंहों की कम हो रही संख्या की समस्या से निपटने और एशियाटिक सिंहों के रक्षण हेतु सिंहों के एकमेव निवासस्थान समान इस विस्तार को आरक्षित घोषित किया गया था। विश्व में अफ़्रीका के बाद इसी विस्तार में सिंह बचे हैं। .

नई!!: वर्षा और गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य · और देखें »

गिरगिट

गिरगिट (Chameleons, कैमीलियन) एक प्रकार का पूर्वजगत छिपकली का क्लेड है जिसकी जून २०१५ तक २०२ जीववैज्ञानिक जातियाँ ज्ञात थी। गिरगिटें कई रंगों की होती हैं और उनमें से कई में रंग बदलने की क्षमता होती है। .

नई!!: वर्षा और गिरगिट · और देखें »

ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर

झोंपड़ा गाँव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाली प्रमुख ग्राम पंचायत है ! ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा गाँव झोंपड़ा है जिसमें मीणा जनजाति का नारेड़ा गोत्र मुख्य रूप से निवास करता हैं। ग्राम पंचायत में झोंपड़ा, बगीना, सिरोही, नाहीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव शामिल है। झोंपड़ा ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 5184 है और ग्राम पंचायत में कुल घरों की संख्या 1080 है। ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी नदी बनास नदी है वहीं पंचायत की सबसे लम्बी घाटी चढ़ाई बगीना गाँव में बनास नदी पर पड़ती है। ग्राम पंचायत का सबसे विशाल एवं प्राचीन वृक्ष धंड की पीपली है जो झोंपड़ा, बगीना एवं जगमोंदा गाँवों से लगभग बराबर दूरी पर पड़ती है। .

नई!!: वर्षा और ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर · और देखें »

गोबी मरुस्थल

गोबी मरुस्थल, चीन और मंगोलिया में स्थित है। यह विश्व के सबसे बड़े मरुस्थलों में से एक है। गोबी दुनिया के ठंडे रेगिस्तानों में एक है, जहां तापमान शून्य से चालीस डिग्री नीचे तक चला जाता है। गोबी मरुस्थल एशिया महाद्वीप में मंगोलिया के अधिकांश भाग पर फैला हुआ है। यह मरुस्थल संसार के सबसे मरुस्थलों में से एक है। 'गोबी' एक मंगोलियन शब्द है, जिसका अर्थ होता है- 'जलरहित स्थान'। आजकल गोबी मरूस्थल एक रेगिस्तान है, लेकिन प्राचीनकाल में यह ऐसा नहीं था। इस क्षेत्र के बीच-बीच में समृद्धशाली भारतीय बस्तियाँ बसी हुई थीं। गोबी मरुस्थल पश्चिम में पामीर की पूर्वी पहाड़ियों से लेकर पूर्व में खिंगन पर्वतमालाओं तक तथा उत्तर में अल्ताई, खंगाई तथा याब्लोनोई पर्वतमालाओं से लेकर दक्षिण में अल्ताइन तथा नानशान पहाड़ियों तक फैला है। इस मरुस्थल का पश्चिमी भाग तारिम बेसिन का ही एक हिस्सा है। यह संसार का पांचवां बड़ा और एशिया का सबसे विशाल रेगिस्तान है। सहारा रेगिस्तान की भांति ही इस रेगिस्तान को भी तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है- 1.

नई!!: वर्षा और गोबी मरुस्थल · और देखें »

ओसांक

यह ग्राफ दिखाता है कि विभिन्न तापों पर, समुद्रतल पर, वायु में अधिकतम कितने प्रतिशत (द्रव्यमान के प्रतिशत के रूप में) जलवाष्प हो सकता है। जिस तापमान पर जल-वाष्प संघनित होकर जल (द्रव) रूप में बदल जाती है, उसे ओसांक (dew point) कहते हैं। ओसांक कई बातों पर निर्भर करता है, दाब, आपेक्षिक आर्द्रता आदि। .

नई!!: वर्षा और ओसांक · और देखें »

आर्द्रता

वायुमण्डल में विद्यमान अदृष्य जलवाष्प की मात्रा आर्द्रता (humidity) कहलाती हैं। यह आर्द्रता पृथ्वी से वाष्पीकरण के विभिन्न रुपों द्वारा वायुमण्डल में पहुंचती हैं। आर्द्रता का जलवायु विज्ञान में सर्वाधिक महत्व होता हैं, क्योंकि इसी पर वर्षा, तथा वर्षण के विभिन्न रूप जैसे वायुमण्डलीय तूफान तथा विक्षोभ (चक्रवात आदि) आधारित होते हैं। वर्षा, बादल, कुहरा, ओस, ओला, पाला आदि से ज्ञात होता है कि पृथ्वी को घेरे हुए वायुमंडल में जलवाष्प सदा न्यूनाधिक मात्रा में विद्यमान रहता है। प्रति घन सेंटीमीटर हवा में जितना मिलीग्राम जलवाष्प विद्यमान है, उसका मान हम रासायनिक आर्द्रतामापी से निकालते है, किंतु अधिकतर वाष्प की मात्रा को वाष्पदाव द्वारा व्यक्त किया जाता है। वायु-दाब-मापी से जब हम वायुदाब ज्ञात करते हैं तब उसी में जलवाष्प का भी दाब सम्मिलित रहता है। आर्द्रतामापी - हवा में आर्द्रता की मात्रा को नापने का उपकरण .

नई!!: वर्षा और आर्द्रता · और देखें »

इन्द्रधनुष

अर्धवृत्ताकार दोहरा-इन्द्रधनुष आकाश में संध्या समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है। वर्षा अथवा बादल में पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़नेवाली सूर्य किरणों का विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। इंद्रधनुष सदा दर्शक की पीठ के पीछे सूर्य होने पर ही दिखाई पड़ता है। पानी के फुहारे पर दर्शक के पीछे से सूर्य किरणों के पड़ने पर भी इंद्रधनुष देखा जा सकता है। .

नई!!: वर्षा और इन्द्रधनुष · और देखें »

इन्द्रजाल

जादू का खेल ही इंद्रजाल कहलाता है। कहा जाता है, इसमें दर्शकों को मंत्रमुग्ध करके उनमें भ्रांति उत्पन्न की जाती है। फिर जो ऐंद्रजालिक चाहता है वही दर्शकों को दिखाई देता है। अपनी मंत्रमाया से वह दर्शकों के वास्ते दूसरा ही संसार खड़ा कर देता है। मदारी भी बहुधा ऐसा ही काम दिखाता है, परंतु उसकी क्रियाएँ हाथ की सफाई पर निर्भर रहती हैं और उसका क्रियाक्षेत्र परिमित तथा संकुचित होता है। इंद्रजाल के दर्शक हजारों होते हैं और दृश्य का आकार प्रकार बहुत बड़ा होता है। वर्षा का वैभव इंद्र का जाल मालूम होता है। ऐंद्रजालिक भी छोटे पैमाने पर कुछ क्षण के लिए ऐसे या इनसे मिलते जुलते दृश्य उत्पन्न कर देता है। शायद इसीलिए उसका खेल इंद्रजाल कहलाता है। प्राचीन समय में ऐसे खेल राजाओं के सामने किए जाते थे। बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों तक कुछ लोग ऐसे खेल करना जानते थे, परंतु अब यह विद्या नष्ट सी हो चुकी है। कुछ संस्कृत नाटकों और गाथाओं में इन खेलों का रोचक वर्णन मिलता है। जादूगर दर्शकों के मन और कल्पनाओं को अपने अभीष्ट दृश्य पर केंद्रीभूत कर देता है। अपनी चेष्टाओं और माया से उनको मुग्ध कर देता है। जब उनकी मनोदशा ओर कल्पना केंद्रित हो जाती है तब यह उपयुक्त ध्वनि करता है। दर्शक प्रतीक्षा करने लगता है कि अमुक दृश्य आनेवाला है या अमुक घटना घटनेवाली है। इसी क्षण वह ध्वनिसंकेत और चेष्टा के योग से सूचना देता है कि दृश्य आ गया या घटना घट रही है। कुछ क्षण लोगों को वैसा ही दीख पड़ता है। तदनंतर इंद्रजाल समाप्त हो जाता है। .

नई!!: वर्षा और इन्द्रजाल · और देखें »

कच्चा ओला

वेस्टवुड, मासेचुसेट्स में ०२-०२-२०१० को गिरे कच्चे ओले कच्चे ओले (Graupels) वर्षण का वह प्रकार हैं जिसके अंतर्गत जल की परमशीतल बूंदें सतह पर हिमकण के उपर गिरकर और जम कर 2 से 5 मिमी व्यास के गोलों की रचना करती हैं और इस प्रक्रिया में हिमकण संघनन के नाभिक के रूप में कार्य करता है। यह छोटे ओलों (smaall hail) से भिन्न होता है जो बर्फ़ की पैलेट्स के ठोस बर्फ़ में आवृत्त हो जाने से बनते हैं। .

नई!!: वर्षा और कच्चा ओला · और देखें »

कल मदो

कल मदो (Cal Madow) या अल-मदो (علمدو‎, Al Mado) पूर्वोत्तरी सोमालिया में स्थित एक पर्वतमाला है। हालांकि सोमालिया एक शुष्क देश है, इस पहाड़ी क्षेत्र में ७००-८०० मीटर की ऊँचाई पर एक फैला हुआ जंगल है, जहाँ वर्षा और धुंध से पौधों को पानी मिलता रहता है। यहाँ के घने जंगल में कई पशु-पक्षी भी अपना घर बनाते हैं। .

नई!!: वर्षा और कल मदो · और देखें »

कांगो द्रोणी

कांगो द्रोणी (Congo Basin) मध्य अफ़्रीका में बहने वाली कांगो नदी की अवसादी द्रोणी व जलसम्भर क्षेत्र है। इस द्रोणी के इलाक़े को कभी-कभी सरल-रूप से कांगो क्षेत्र भी कहा जाता है। .

नई!!: वर्षा और कांगो द्रोणी · और देखें »

किष्किन्धाकाण्ड

Rama Meets Sugreeva किष्किन्धाकाण्ड वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस का एक भाग (काण्ड या सोपान) है। राम ऋष्यमूक पर्वत के निकट आ गये। उस पर्वत पर अपने मंत्रियों सहित सुग्रीव रहता था। सुग्रीव ने, इस आशंका में कि कहीं बालि ने उसे मारने के लिये उन दोनों वीरों को न भेजा हो, हनुमान को राम और लक्ष्मण के विषय में जानकारी लेने के लिये ब्राह्मण के रूप में भेजा। यह जानने के बाद कि उन्हें बालि ने नहीं भेजा है हनुमान ने राम और सुग्रीव में मित्रता करवा दी। सुग्रीव ने राम को सान्त्वना दी कि जानकी जी मिल जायेंगीं और उन्हें खोजने में वह सहायता देगा साथ ही अपने भाई बालि के अपने ऊपर किये गये अत्याचार के विषय में बताया। राम ने बालि का वध कर के सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य तथा बालि के पुत्र अंगद को युवराज का पद दे दिया। Rama gives his ring to Maruti, so Sita can recognize him as a messenger राज्य प्राप्ति के बाद सुग्रीव विलास में लिप्त हो गया और वर्षा तथा शरद् ऋतु व्यतीत हो गई। राम के नाराजगी पर सुग्रीव ने वानरों को सीता की खोज के लिये भेजा। सीता की खोज में गये वानरों को एक गुफा में एक तपस्विनी के दर्शन हुये। तपस्विनी ने खोज दल को योगशक्ति से समुद्रतट पर पहुँचा दिया जहाँ पर उनकी भेंट सम्पाती से हुई। सम्पाती ने वानरों को बताया कि रावण ने सीता को लंका अशोकवाटिका में रखा है। जाम्बवन्त ने हनुमान को समुद्र लांघने के लिये उत्साहित किया। .

नई!!: वर्षा और किष्किन्धाकाण्ड · और देखें »

क्राइस्ट द रिडीमर (प्रतिमा)

क्राइस्ट द रिडीमर (Cristo Redentor) ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है। यह प्रतिमा अपने 9.5 मीटर (31 फीट) आधार सहित लंबी और चौड़ी है। इसका वजन 635 टन (700 शॉर्ट टन) है और तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है जहाँ से पूरा शहर दिखाई पड़ता है। यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक है (बोलीविया के कोचाबम्बा में स्थित क्राइस्टो डी ला कोनकोर्डिया की प्रतिमा इससे थोड़ी अधिक ऊँची है)। ईसाई धर्म के एक प्रतीक के रूप में यह प्रतिमा रियो और ब्राजील की एक पहचान बन गयी है। यह मजबूत कांक्रीट और सोपस्टोन से बनी है, इसका निर्माण 1922 और 1931 के बीच किया गया था। .

नई!!: वर्षा और क्राइस्ट द रिडीमर (प्रतिमा) · और देखें »

क्रॉस नदी

क्रॉस नदी (Cross River), जो ओयोनो नदी (Oyono River) भी कहलाती है, दक्षिणपूर्वी नाइजीरिया की मुख्य नदी है, जिसके नाम पर उस देश के क्रॉस रिवर राज्य का नाम भी पड़ा है। यह पड़ोसी देश कैमरून में मान्यू नदी (Manyu River) के नाम से उत्पन्न होती है। हालांकि अन्य अफ़्रीकी नदियों की तुलना में यह बहुत लम्बी नहीं है, इसके जलसम्भर क्षेत्र में बहुत वर्षा पड़ने के कारण यह एक चौड़ी नदी है। अपने अन्तिम ८० किमी मार्ग में यह दलदली जंगल से निकलती हुई कई धाराओं में कालाबार नदी के साथ संगम करते हुए एक बड़ा नदीमुख (डेल्टा) क्षेत्र बनाती है, जो समुद्र से दूर एक स्थलरुद्ध क्षेत्र में होने के लिए उल्लेखनीय है (नदीमुख आमतौर पर सागरीय तटों के किनारे बनाते हैं)। यह नदीमुख पश्चिमी किनारे पर ओरोन शहर और पूर्वी किनारे पर कालाबार शहर के बीच स्थित, २० किमी चौड़ा और ५० किमी लम्बा है और अटलांटिक महासागर से ३० किमी से अधिक दूर है। यहाँ यह एक ज्वारनदीमुख (एस्चुएरी) बनती है जिसमें क्षेत्र की अन्य छोटी नदियाँ भी विलय हो जाती हैं। यह ज्वारनदीमुख २४ किमी चौड़ा है और इसका पूर्वी किनारा कैमरून में है। .

नई!!: वर्षा और क्रॉस नदी · और देखें »

कैलगरी

कैलगरी कनाडा के अलबर्टा प्रांत का सबसे बड़ा शहर है। यह प्रांत के दक्षिण में, कनाडा की चट्टानों (Canadian Rockies) की अग्रिम पर्वतमालाओं के लगभग पूर्व में एक तलहटी एवं मैदानी क्षेत्र में स्थित है। यह शहर अलबर्टा के घासभूमि वाले क्षेत्र में स्थित है। 2006 में, कैलगरी शहर की आबादी 988,193 होने के कारण इस शहर की नगरपालिका देश की तीसरी सबसे बड़ी एवं अलबर्टा की सबसे बढ़ी नगरपालिका बन गई थी। 2006 में सम्पूर्ण महानगरीय जनसँख्या 1,079,310 के साथ यह कनाडा का पांचवां सबसे बड़ा महानगरीय जनगणना क्षेत्र (सी.ऍम.ए.) बन गया था। 2009 में, कैलगरी की अनुमानित महानगरीय जनसंख्या 1,230,248 के होते हुए यह क्रम में बढ़कर चौथा सबसे बड़ा महानगरीय जनगणना क्षेत्र (सी.ऍम.ए.) बन गया था। एडमॉन्टन के दक्षिण में स्थित होने से सांख्यिकीविदों ने इन दो शहरों के बीच के संकीर्ण जनसँख्या वाले क्षेत्र को "कैलगरी-एडमॉन्टन गलियारा" के रूप में परिभाषित किया है। टोरंटो और वैंकूवर के बीच कैलगरी कनाडा का सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र है। महानगरीय क्षेत्र एवं शहर के नजदीक प्रमुख पहाड़ी आश्रयों के साथ कैलगरी शीतकालीन खेलों एवं पर्यावरणीय पर्यटन के लिए एक गंतव्य स्थल है। यहाँ की आर्थिक गतिविधियाँ ज्यादातर पेट्रोलियम उद्योग पर केंद्रित हैं। शहर के आर्थिक विकास में कृषि, पर्यटन और उच्च तकनीक उद्योगों का भी योगदान है। 1988 में कैलगरी, शीतकालीन ओलिंपिक खेलों की मेजबानी करने वाला कनाडा का पहला शहर बन गया था। .

नई!!: वर्षा और कैलगरी · और देखें »

कोच्चि

कोच्चि, जिसे कोचीन भी कहा जाता था, लक्षद्वीप सागर के दक्षिण-पश्चिम तटरेखा पर स्थित एक बड़ा बंदरगाह शहर है, जो भारतीय राज्य केरल के एर्नाकुलम जिले का एक भाग है। कोच्चि को काफ़ी समय से प्रायः एर्नाकुलम भी कहा जाता है, जिसका अर्थ नगर का मुख्यभूमि भाग इंगित करता है। कोच्चि नगर निगम के अधीनस्थ (जनसंख्या ६,०१,५७४) ये राज्य का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला शहर है। ये कोच्चि महानगरीय क्षेत्र के विस्तार सहित (जनसंख्या २१ लाख) केरल राज्य का सबसे बड़ा शहरी आबादी क्षेत्र है। कोच्चि नगर ग्रेटर कोच्चि क्षेत्र का ही एक भाग है, और इसे भारत सरकार द्वारा द्वितीय दर्जे वाला शहर वर्गीकृत किया गया है। नगर की देख-रेख व अनुरक्षण दायित्त्व १९६७ में स्थापित हुआ कोच्चि नगर निगम देखता है। इसके अलावा पूरे क्षेत्र के सर्वांगीण विकास का भार ग्रेटर कोचीन डवलपमेंट अथॉरिटी (GCDA) एवं गोश्री आईलैण्ड डवलपमेंट अथॉरिटी (GIDA) पर है। कोच्चि १४वीं शताब्दी से ही भारत की पश्चिमी तटरेखा का मसालों का व्यापार केन्द्र रहा है और इसे अरब सागर की रानी के नाम से जाना जाता था। १५०३ में यहां पुर्तगालियों का आधिपत्य हुआ और यह उपनिवेशीय भारत की प्रथम यूरोपीय कालोनी बना और १५३० में गोवा के चुने जाने तक ये पुर्तगालियों का यहां का प्रधान शक्ति केन्द्र रहा था।क्कालांतर में कोच्चि राज्य के रजवाड़े में परिवर्तित होने के क्साथ ही ये डच एवं ब्रिटिश के नियन्त्रण में आ गया। आज केरल में कुल अन्तर्देशीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन संख्या में प्रथम स्थान बनाये हुए है। नीलसन कम्पनी के आउटलुक ट्रैवलर पत्रिका के लिये किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार कोच्चि आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक आकर्षणों में छठवें स्थान पर बना हुआ है। मैकिन्से ग्लोबल संस्थान द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, कोच्चि २०२५ तक के विश्व के सकल घरेलु उत्पाद में ५०% योगदान देने वाले ४४० उभरते हुए शहरों में से एक था। भारतीय नौसेना के दक्षिणी नौसैनिक कमान का केन्द्र तथा भारतीय तटरक्षक का राज्य मुख्यालय भी इसी शहर में स्थित है, जिसमें एयर स्क्वैड्रन ७४७ नाम की एक वायु टुकड़ी भी जुड़ी है। नगर के वाणिज्यिक सागरीय गतिविधियों से सम्बन्धित सुविधाओं में कोच्चि बंदरगाह, अन्तर्राष्ट्रीय कण्टेनर ट्रांस्शिपमेण्ट टर्मिनल, कोचीन शिपयार्ड, कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ का अपतटीय (ऑफ़शोर) सिंगल बॉय मूरिंग (एस.पी.एम), एवं कोच्चि मैरीना भी हैं। कोच्चि में ही कोचीन विनिमय एक्स्चेंज, इंटरनेशनल पॅपर एक्स्चेंज भी स्थित हैं, तथा हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (एच.एम.टी), सायबर सिटी, एवं किन्फ़्रा हाई-टेक पाक एवं बड़ी रासायनिक निर्माणियां जैसे फ़र्टिलाइज़र्स एण्ड कैमिकल्स त्रावणकौर (फ़ैक्ट), त्रावणकौर कोचीन कैमिकल्स (टीसीसी), इण्डियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (आई.आर.ई.एल), हिन्दुस्तान ऑर्गैनिक कैमिकल्स लिमिटेड (एच.ओ.सी.एल) कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ के साथ साथ ही कई विद्युत कंपनियां जैसे टी.ई.एल.के एवं औद्योगिक पार्क भी बने हैं जिनमें कोचीन एपेशल इकॉनोमिक ज़ोन एवं इन्फ़ोपार्क कोच्चि प्रमुख हैं। कोच्चि में ही प्रमुख राज्य न्यायपीठ केरल एवं लक्षद्वीप उच्च न्यायालय एवं कोचीन युनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी भी स्थापित हैं। इसी नगर में केरल का नेशनल लॉ स्कूल, नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ़ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ को भी स्थान मिला है। .

नई!!: वर्षा और कोच्चि · और देखें »

कोदो

कोदो या कोदों या कोदरा (Paspalum scrobiculatum) एक अनाज है जो कम वर्षा में भी पैदा हो जाता है। नेपाल व भारत के विभिन्न भागों में इसकी खेती की जाती है। धान आदि के कारण इसकी खेती अब कम होती जा रही है। इसका पौधा धान या बडी़ घास के आकार का होता है। इसकी फसल पहली बर्षा होते ही बो दी जाती है और भादों में तैयार हो जाती है। इसके लिये बढि़या भूमि या अधिक परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती। कहीं-कहीं यह रूई या अरहर के खेत में भी बो दिया जाता है। अधिक पकने पर इसके दाने झड़कर खेत में गिर जाते हैं, इसलिये इसे पकने से कुछ पहले ही काटकर खलिहान में डाल देते हैं। छिलका उतरने पर इसके अंदर से एक प्रकार के गोल चावल निकलते हैं जो खाए जाते हैं। कभी कभी इसके खेत में 'अगिया' नाम की घास उत्पन्न हो जाती है जो इसके पौधों को जला देती है। यदि इसकी कटाई से कुछ पहले बदली हो जाय, तो इसके चावलों में एक प्रकार का विष आ जाता है। वैद्यक के मत से यह मधुर, तिक्त, रूखा, कफ और पित्तनाशक होता है। नया कोदो कुरु पाक होता है, फोडे़ के रोगी को इसका पथ्य दिया जाता है। कोदो के दानों को चावल के रूप में खाया जाता है और स्थानीय बोली में 'भगर के चावल' के नाम पर इसे उपवास में भी खाया जाता है। इसके दाने में 8.3 प्रतिशत प्रोटीन, 1.4 प्रतिशत वसा तथा 65.9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट पाई जाती है। कोदो-कुटकी मधुमेह नियन्त्रण, यकृत (गुर्दों) और मूत्राशय के लिए लाभकारी है। .

नई!!: वर्षा और कोदो · और देखें »

अपरदन

गेहूँ के एक खेत में अत्यधिक भूक्षरण का दृष्य अपरदन (Erosion) या वह प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें चट्टानों का विखंडन और परिणामस्वरूप निकले ढीले पदार्थ के जल, पवन, इत्यादि प्रक्रमों द्वारा स्थानांतरण होता है। अपरदन के प्रक्रमों में वायु, जल तथा हिमनद और सागरीय लहरें प्रमुख हैं। .

नई!!: वर्षा और अपरदन · और देखें »

अजीतगढ़

अजीतगढ़ (ਮੋਹਾਲੀ, Mohali) चंडीगढ़ के पड़ोस में एक शहर है और भारत के राज्य पंजाब, का १८वाँ जिला है। इसका आधिकारिक नाम गुरु गोविंद सिंह के ज्येष्ठ पुत्र साहिबज़ादा अजीत सिंह की याद में (एस ए एस नगर) रखा गया है। अजीतगढ़, चंडीगढ़ और पंचकुला मिल कर चंडीगढ़ त्रिनगरी कहलाते हैं। यह पहले रूपनगर जिले का हिस्सा था, पर हाल के कुछ वर्षों में इसे अलग जिला बना दिया गया। .

नई!!: वर्षा और अजीतगढ़ · और देखें »

अग्रसेन

महाराजा अग्रसेन (४२५० BC से ६३७ AD) एक पौराणिक समाजवाद के प्रर्वतक, युग पुरुष, राम राज्य के समर्थक एवं महादानी एवं समाजवाद के प्रथम प्रणेता थे। वे अग्रोदय नामक गणराज्य के महाराजा थे। जिसकी राजधानी अग्रोहा थी .

नई!!: वर्षा और अग्रसेन · और देखें »

अंतर्वाह (जलविज्ञान)

जलविज्ञान के संदर्भ में, किसी जलनिकाय में जल का अंतर्वाह या अंत:प्रवाह उस निकाय के जल का स्रोत है। इसे किसी नियत समय या समय इकाई के दौरान जलनिकाय में आने वाले जल की औसत मात्रा (आयतन) के रूप में भी संदर्भित किया जा सकता है। यह बहिर्वाह का विपरीत है। सभी जलनिकायों में अंतर्वाह के एकाधिक स्रोत होते हैं, लेकिन अक्सर, कोई एक प्रवाह स्रोत अन्य स्रोतों की अपेक्षा अधिक प्रबल होता है, हालाँकि कई मामलों में, कोई एक विशेष प्रवाह स्रोत प्रबल ना होकर कई स्रोत प्रबल होते हैं। किसी झील के लिए, अंतर्वाह का स्रोत एक नदी या जलधारा हो सकती है जो इसी झील मे गिरती हो। अंतर्वाह का एक अन्य स्रोत वर्षण जैसे कि वर्षा भी हो सकता है। .

नई!!: वर्षा और अंतर्वाह (जलविज्ञान) · और देखें »

अंधविश्वास

आदिम मनुष्य अनेक क्रियाओं और घटनाओं के कारणों को नहीं जान पाता था। वह अज्ञानवश समझता था कि इनके पीछे कोई अदृश्य शक्ति है। वर्षा, बिजली, रोग, भूकंप, वृक्षपात, विपत्ति आदि अज्ञात तथा अज्ञेय देव, भूत, प्रेत और पिशाचों के प्रकोप के परिणाम माने जाते थे। ज्ञान का प्रकाश हो जाने पर भी ऐसे विचार विलीन नहीं हुए, प्रत्युत ये अंधविश्वास माने जाने लगे। आदिकाल में मनुष्य का क्रिया क्षेत्र संकुचित था इसलिए अंधविश्वासों की संख्या भी अल्प थी। ज्यों ज्यों मनुष्य की क्रियाओं का विस्तार हुआ त्यों-त्यों अंधविश्वासों का जाल भी फैलता गया और इनके अनेक भेद-प्रभेद हो गए। अंधविश्वास सार्वदेशिक और सार्वकालिक हैं। विज्ञान के प्रकाश में भी ये छिपे रहते हैं। अभी तक इनका सर्वथा उच्द्वेद नहीं हुआ है। भारत में अंध विश्वास की जड़े बहुत गहरी हो चुकी हैं, ब्राह्मण साहित्य का इसमें प्रमुख योगदान है ll .

नई!!: वर्षा और अंधविश्वास · और देखें »

अक्साई चिन

अक्साई चिन या अक्सेचिन (उईग़ुर:, सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 १९५० के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है। .

नई!!: वर्षा और अक्साई चिन · और देखें »

उष्णकटिबंधीय चक्रवात

इसाबेल तूफान (2003) के रूप में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के 7 अभियान के दौरान कक्षा से देखा. आंख, आईव़ोल और आसपास के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशेषता rainbands स्पष्ट रूप से कर रहे हैं अंतरिक्ष से इस दृश्य में दिखाई देता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तूफान प्रणाली है जो एक विशाल निम्न दबाव केंद्र और भारी तड़ित-झंझावातों द्वारा चरितार्थ होती है और जो तीव्र हवाओं और घनघोर वर्षा को उत्पन्न करती है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति तब होती है जब नम हवा के ऊपर उठने से गर्मी पैदा होती है, जिसके फलस्वरूप नम हवा में निहित जलवाष्प का संघनन होता है। वे अन्य चक्रवात आंधियों जैसे नोर'ईस्टर, यूरोपीय आंधियों और ध्रुवीय निम्न की तुलना में विभिन्न ताप तंत्रों द्वारा उत्पादित होते है, अपने "गर्म केंद्र" आंधी प्रणाली के वर्गीकरण की ओर अग्रसर होते हुए.

नई!!: वर्षा और उष्णकटिबंधीय चक्रवात · और देखें »

ऋतु

ऋतु एक वर्ष से छोटा कालखंड है जिसमें मौसम की दशाएँ एक खास प्रकार की होती हैं। यह कालखण्ड एक वर्ष को कई भागों में विभाजित करता है जिनके दौरान पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के परिणामस्वरूप दिन की अवधि, तापमान, वर्षा, आर्द्रता इत्यादि मौसमी दशाएँ एक चक्रीय रूप में बदलती हैं। मौसम की दशाओं में वर्ष के दौरान इस चक्रीय बदलाव का प्रभाव पारितंत्र पर पड़ता है और इस प्रकार पारितंत्रीय ऋतुएँ निर्मित होती हैं यथा पश्चिम बंगाल में जुलाई से सितम्बर तक वर्षा ऋतु होती है, यानि पश्चिम बंगाल में जुलाई से अक्टूबर तक, वर्ष के अन्य कालखंडो की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है। इसी प्रकार यदि कहा जाय कि तमिलनाडु में मार्च से जुलाई तक ग्रीष्म ऋतु होती है, तो इसका अर्थ है कि तमिलनाडु में मार्च से जुलाई तक के महीने साल के अन्य समयों की अपेक्षा गर्म रहते हैं। एक ॠतु .

नई!!: वर्षा और ऋतु · और देखें »

१८६९ का राजपूताना अकाल

१८६९ का राजपूताना अकाल जिसे ग्रेट राजपूताना अकाल भी कहा जाता है इसके अलावा हम इस अकाल को बुंदेलखंड अकाल भी कह सकते हैं 'ये अकाल १८६९ में पड़ा था ' इसमें १९६.००० वर्ग मील (७७०,००० किलोमीटर) प्रभावित हुए थे तथा उस वक्त की जनसंख्या लगभग ४४,५००,००० जिसमें मुख्य रूप से राजपूताना,अजमेर,भारत प्रभावित हुआ था ' इनके अलावा गुजरात,उत्तरी डेक्कन ज़िले,जबलपुर संभाग,आगरा और बुंदेलखंड संभाग और पंजाब का हिसार संभाग भी काफी प्रभावित हुए थे ' .

नई!!: वर्षा और १८६९ का राजपूताना अकाल · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

बरसात, बारिश, वर्षा (मौसम)

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »