3 संबंधों: सौर उभार, किरीट, कॉरोना।
सौर उभार
सौर उभार (solar prominence) सूरज की सतह से ऊपर कुंडली के आकार में उभरी हुई दमकती गैस और प्लाज़्मा की एक आकृति होती है। यह सूरज के प्रकाश मंडल में सूरज से जुड़े होते हैं और ऊपर से कोरोना में उभरे हुए होते हैं। जहाँ कोरोना की गैसें ३० लाख सेन्टीग्रेग का अति-गरम आयनित प्लाज़्मा होती हैं और बहुत कम प्रकाश छोड़ती हैं, वहाँ सौर उभारों का प्लाज़्मा वर्णमण्डल से मिलते-जुलते तापमान (३५०० से २५००० सेन्टीग्रेड) पर होता है। नये सौर उभार लगभग एक दिन के काल पर निर्मित होते हैं और कभी-कभी कई सप्ताहों या महीनों तक रहते हैं। कभी-कभी इनके फंदे टूटकर कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (coronal mass ejection) का कारण बन सकते हैं। वैज्ञानिक सौर उभारों के बनने के कारणों पर अनुसंधान कर रहे हैं। .
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किरीट
किरीट दो अर्थों में प्रयुक्त होता है.
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कॉरोना
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान, सौर कोरोना को नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। सूर्य के वर्णमंडल के परे के भाग को किरीट या कोरोना (Corona) कहते हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण के समय वह श्वेत वर्ण का होता है और श्वेत डालिया के पुष्प के सदृश सुंदर लगता है। किरीट अत्यंत विस्तृत प्रदेश है और प्रकाश-मंडल के ऊपर उसकी ऊँचाई सूर्य के व्यास की कई गुनी होती है। कॉरोना चाँद या पानी की बूँदों के विवर्तन के द्वारा सूर्य के चारों ओर बनाई गई एक पस्टेल हेलो को कहते हैं। इसका निर्माण प्लाज़्मा द्वारा होता है। ऐसे सिरोस्टरटस के रूप में बादलों में बूंदों और बादल परत स्वयं को लगभग पूरी तरह से समान इस घटना के लिए आदेश में हो रहा होगा.
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