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लौह युग

सूची लौह युग

लौह युग (Iron Age) उस काल को कहते हैं जिसमें मनुष्य ने लोहे का इस्तेमाल किया। इतिहास में यह युग पाषाण युग तथा कांस्य युग के बाद का काल है। पाषाण युग में मनुष्य की किसी भी धातु का खनन कर पाने की असमर्थता थी। कांस्य युग में लोहे की खोज नहीं हो पाई थी लेकिन लौह युग में मनुष्यों ने तांबे, कांसे और लोहे के अलावा कुछ अन्य ठोस धातुओं की खोज तथा उनका उपयोग भी सीख गया था। विश्व के भिन्न भागों में लौह-प्रयोग का ज्ञान धीरे-धीरे फैलने या उतपन्न होने से यह युग अलग समयों पर शुरु हुआ माना जाता है लेकिन अनातोलिया से लेकर भारतीय उपमहाद्वीप में यह १३०० ईसापूर्व के आसपास आरम्भ हुआ था, हालांकि कुछ स्रोतों के अनुसार इस से पहले भी लोहे के प्रयोग के कुछ चिह्न मिलते हैं। इस युग की विशेषता यह है कि इसमें मनुष्य ने विभिन्न भाषाओं की वर्णमालाओं का विकास किया जिसकी मदद से उस काल में साहित्य और इतिहास लिखे जा सके। संस्कृत और चीनी भाषाओं का साहित्य इस काल में फला-फूला। ऋग्वेद और अवस्ताई गाथाएँ इसी काल में लिखी गई थीं। कृषि, धार्मिक विश्वासों और कलाशैलियों में भी इस युग में भारी परिवर्तन हुए।The Junior Encyclopædia Britannica: A reference library of general knowledge.

32 संबंधों: चिल्का झील, एडिनबर्ग, झगड़ते राज्यों का काल, झोऊ राजवंश, तोन्दो राज्य, दंत-क्षरण, नरभक्षण, नवपाषाण युग, पदार्थ विज्ञान, पाषाण युग, प्रागितिहास, फ़्रान्स, बैल (पौराणिक मान्यता), भारत में लौह युग, महाजनपद, मानव बलि, मिनोआई सभ्यता, युदा प्रदेश, रुआण्डा, स्किथी लोग, सूचना युग, जर्मैनी भाषा परिवार, जुनापाणी के शिलावर्त, विश्व का इतिहास, विंबलडन, लंदन, इजराइल प्रदेश, इंग्लिश चैनल, कांस्य युग, असुर (आदिवासी), अकसूम राज्य, अक्कादी भाषा, उर, मेसोपोटामिया

चिल्का झील

चिल्का झील चिल्का झील उड़ीसा प्रदेश के समुद्री अप्रवाही जल में बनी एक झील है। यह भारत की सबसे बड़ी एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है। इसको चिलिका झील के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अनूप है एवं उड़ीसा के तटीय भाग में नाशपाती की आकृति में पुरी जिले में स्थित है। यह 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। यह समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग होकर एक छीछली झील के रूप में हो गया है। दिसम्बर से जून तक इस झील का जल खारा रहता है किन्तु वर्षा ऋतु में इसका जल मीठा हो जाता है। इसकी औसत गहराई 3 मीटर है। इस झील के पारिस्थितिक तंत्र में बेहद जैव विविधताएँ हैं। यह एक विशाल मछली पकड़ने की जगह है। यह झील 132 गाँवों में रह रहे 150,000 मछुआरों को आजीविका का साधन उपलब्ध कराती है। इस खाड़ी में लगभग 160 प्रजातियों के पछी पाए जाते हैं। कैस्पियन सागर, बैकाल झील, अरल सागर और रूस, मंगोलिया, लद्दाख, मध्य एशिया आदि विभिन्न दूर दराज़ के क्षेत्रों से यहाँ पछी उड़ कर आते हैं। ये पछी विशाल दूरियाँ तय करते हैं। प्रवासी पछी तो लगभग १२००० किमी से भी ज्यादा की दूरियाँ तय करके चिल्का झील पंहुचते हैं। 1981 में, चिल्का झील को रामसर घोषणापत्र के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्र भूमि के रूप में चुना गया। यह इस मह्त्व वाली पहली पहली भारतीय झील थी। एक सर्वेक्षण के मुताबिक यहाँ 45% पछी भूमि, 32% जलपक्षी और 23% बगुले हैं। यह झील 14 प्रकार के रैपटरों का भी निवास स्थान है। लगभग 152 संकटग्रस्त व रेयर इरावती डॉल्फ़िनों का भी ये घर है। इसके साथ ही यह झील 37 प्रकार के सरीसृपों और उभयचरों का भी निवास स्थान है। उच्च उत्पादकता वाली मत्स्य प्रणाली वाली चिल्का झील की पारिस्थिकी आसपास के लोगों व मछुआरों के लिये आजीविका उपलब्ध कराती है। मॉनसून व गर्मियों में झील में पानी का क्षेत्र क्रमश: 1165 से 906 किमी2 तक हो जाता है। एक 32 किमी लंबी, संकरी, बाहरी नहर इसे बंगाल की खाड़ी से जोड़ती है। सीडीए द्वारा हाल ही में एक नई नहर भी बनाई गयी है जिससे झील को एक और जीवनदान मिला है। लघु शैवाल, समुद्री घास, समुद्री बीज, मछलियाँ, झींगे, केकणे आदि चिल्का झील के खारे जल में फलते फूलते हैं। .

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एडिनबर्ग

एडिनबर्ग या एडिनबर (Edinburgh,अंग्रेजी उच्चारण: / ए॑डिन्बर / Dùn Èideann डुन एडिऽन्न), स्कॉटलैंड की राजधानी, एवं ग्लासगो के बाद, स्कॉटलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह स्काॅटलैन्ड के लोथियन क्षेत्र में फ़ाॅर्थ के नदमुख के दक्षिणी तट पर स्थित है। वर्ष 2013 के हिसाब से,इस शहर की आबादी 5,00,000 के करीब है। 15वीं सदी से ही यह ऐतिहासिक शहर स्कॉटलैंड की राजधानी है। शुरुआत से ही स्काॅटियाई राजशाही के सारे महत्वपूर्ण प्रशासनिक भवन इसी शहर में ही स्थित हुआ करते थे, परंतू 1603 और 1707 के बीच, इंग्लैंड से विलय के पश्चात इस शहर की काफ़ी राजनैतिक ताकत लंदन चली गई। 1999 में स्कॉटिश संसद को स्वायत्त रूप से शाही धोषणा द्वारा स्थापित किया गया तब से यह शहर स्काॅटलैंड की संसद व स्काॅटलैंड में राजगद्दी का आसन है। स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय संग्रहालय, स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय पुस्तकालय और स्कॉटलैंड की अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थाओं के मुख्यालय व नेशनल गैलरी यहीं एडिनबर्ग में स्थित हैं। आर्थिक रूप से, यह यूके में लंदन के बाहर का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र है। एडिनबर्ग का इतिहास काफ़ी लम्बा है, एवं यहां कई ऐतिहासिक इमारतों को भी अच्छी तरह से संरक्षित देखे जा सकते हैं। एडिनबर्ग कासल, हाॅलीरूड पैलेस, सेंट जाइल्स कैथेड्रल और कई अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतें यहां स्थित हैं। एडिनबर्ग का ओल्ड टाउन और न्यू टाउन, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। 2004 में, एडिनबर्ग विश्व साहित्य में पहला शहर बन गया। साथी यह ऐतिहासिक रूप से शिक्षा का भी एक विकसित केन्द्र रहा है, यहाँ स्थित, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है, एवं यह अब भी दुनिया के शीर्ष सिक्षा संस्थानों में शामिल है। इसके अलावा एडिनबर्ग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और यहां आयोजित किये गए अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विश्वविख्यात समारोहों में से एक है। लंडन के बाद ब्रिटेन में, एडिनबर्ग दूसरा सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र है। .

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झगड़ते राज्यों का काल

३५० ईसापूर्व में झगड़ते राज्यों की स्थिति झगड़ते राज्यों के काल से एक लोहे की और दो कांसे की तलवारें झगड़ते राज्यों का काल (चीनी:战国时代, झांगुओ शिदाई; अंग्रेज़ी: Warring States Period) प्राचीन चीन के पूर्वी झोऊ राजवंश काल के दुसरे भाग को कहते हैं, जो लौह युग में लगभग ४७५ ईसापूर्व से २२१ ईसापूर्व तक चला। पूर्वी झोऊ राजकाल में इस से पहले बसंत और शरद काल आया था। झगड़ते राज्यों के काल के बाद २२१ ईसापूर्व में चिन राजवंश का काल आया जिन्होनें चीन को फिर से एक व्यवस्था में संगठित किया। ध्यान रखने योग्य बात है कि पूर्वी झोऊ काल में वैसे तो झोऊ सम्राट को सर्वोच्च कहा जाता था, लेकिन यह सिर्फ़ नाम मात्र ही था - सारी शक्तियाँ वास्तव में भिन्न राज्यों के राजाओं-जागीरदारों के पास थीं। 'झगड़ते राज्यों के काल' का नाम हान राजवंश के दौरान लिखे गए 'झगड़ते राज्यों का अभिलेख' नामक इतिहास-ग्रन्थ से लिया गया है। इस बात पर विवाद है कि 'बसंत और शरद काल' किस समय ख़त्म हुआ और 'झगड़ते राज्यों का काल' कब शुरू हुआ, लेकिन बहुत से इतिहासकार जिन (Jìn) नामक राज्य के वहाँ की तीन शक्तिशाली परिवारों के बीच के विभाजन को इस काल की आरंभिक घटना मानते हैं और यह ४०३ ईसापूर्व में हुआ था।, P. J. Ivanhoe, Bryan William Van Norden, Hackett Publishing, 2005, ISBN 978-0-87220-780-6,...

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झोऊ राजवंश

चीन के झोऊ राजवंश का इलाक़ा (लाल रंग) पश्चिमी झोऊ युग में बना कांसे का एक समारोहिक बर्तन झोऊ राजवंश (चीनी: 周朝, झोऊ चाओ; पिनयिन अंग्रेज़ीकरण: Zhou dynasty) प्राचीन चीन में १०४६ ईसापूर्व से २५६ ईसापूर्व तक राज करने वाला एक राजवंश था। हालांकि झोऊ राजवंश का राज चीन के किसी भी अन्य राजवंश से लम्बे काल के लिए चला, वास्तव में झोऊ राजवंश के शाही परिवार ने, जिसका पारिवारिक नाम 'जी' (姬, Ji) था, चीन पर स्वयं राज केवल ७७१ ईसापूर्व तक किया। झोऊ राजवंश के इस १०४६ से ७७१ ईसापूर्व के काल को, जब जी परिवार का चीन पर निजी नियंत्रण था, पश्चिमी झोऊ राजवंश काल कहा जाता है। ७७१ ईसापूर्व के बाद के काल को पूर्वी झोऊ राजवंश काल कहा जाता है।, Dr John A.G. Roberts, Palgrave Macmillan, 2011, ISBN 978-0-230-34536-2,...

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तोन्दो राज्य

तोन्दो राज्य (अंग्रेज़ी: Kingdom of Tondo, तगालोग: Kaharian ng Tondo) फ़िलिपीन्ज़ के लूज़ोन द्वीप के मनिला खाड़ी क्षेत्र में स्थित एक मण्डल शैली का राज्य था। सन् 1175–1571 काल में अस्तित्व में रहा यह राज्य भारतीय संकृति से गहरी-तरह प्रभावित था। इसकी जड़ें इसकी स्थापना से पहले जाती हैं और इस जगह बस्ती के उपस्थित होने का उल्लेख सन् 900 ईसवी काल की लगूना ताम्रपत्र अभिलेख में मिलता है। सन् 1500 में पड़ोस के ब्रुनेई साम्राज्य ने इसपर आक्रमण करा और पास में नदी के पार एक बस्ती स्थापित करी। .

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दंत-क्षरण

दंत क्षरण, जिसे दंत-अस्थिक्षय या छिद्र भी कहा जाता है, एक बीमारी है जिसमें जीवाण्विक प्रक्रियाएं दांत की सख्त संरचना (दन्तबल्क, दन्त-ऊतक और दंतमूल) को क्षतिग्रस्त कर देती हैं। ये ऊतक क्रमशः टूटने लगते हैं, जिससे दन्त-क्षय (छिद्र, दातों में छिद्र) उत्पन्न हो जाते हैं। दन्त-क्षय दो जीवाणुओं के कारण प्रारंभ होता है: स्ट्रेप्टोकॉकस म्युटान्स (Streptococcus mutans) और लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus).

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नरभक्षण

हैंस स्टैडेन द्वारा कहा गया 1557 में नरभक्षण. लियोंहार्ड कर्ण द्वारा नरभक्षण, 1650 नरभक्षण (नरभक्षण) (नरभक्षण की आदत के लिए विख्यात वेस्ट इंडीज जनजाति कैरीब लोगों के लिए स्पेनिश नाम कैनिबलिस से) एक ऐसा कृत्य या अभ्यास है, जिसमें एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का मांस खाया करता है। इसे आदमखोरी (anthropophagy) भी कहा जाता है। हालांकि "कैनिबलिज्म" (नरभक्षण) अभिव्यक्ति के मूल में मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य के खाने का कृत्य है, लेकिन प्राणीशास्त्र में इसका विस्तार करते हुए किसी भी प्राणी द्वारा अपने वर्ग या प्रकार के सदस्यों के भक्षण के कृत्य को भी शामिल कर लिया गया है। इसमें अपने जोड़े का भक्षण भी शामिल है। एक संबंधित शब्द, "कैनिबलाइजेशन" (अंगोपयोग) के अनेक अर्थ हैं, जो लाक्षणिक रूप से कैनिबलिज्म से व्युत्पन्न हैं। विपणन में, एक उत्पाद के कारण उसी कंपनी के अन्य उत्पाद के बाजार के शेयर के नुकसान के सिलसिले में इसका उल्लेख किया जा सकता है। प्रकाशन में, इसका मतलब अन्य स्रोत से सामग्री लेना हो सकता है। विनिर्माण में, बचाए हुए माल के भागों के पुनःप्रयोग पर इसका उल्लेख हो सकता है। खासकर लाइबेरिया और कांगो में, अनेक युद्धों में हाल ही में नरभक्षण के अभ्यास और उसकी तीव्र निंदा दोनों ही देखी गयी। अतीत में दुनिया भर के मनुष्यों के बीच व्यापक रूप से नरभक्षण का प्रचलन रहा था, जो 19वीं शताब्दी तक कुछ अलग-थलग दक्षिण प्रशांत महासागरीय देशों की संस्कृति में जारी रहा; और, कुछ मामलों में द्वीपीय मेलेनेशिया में, जहां मूलरूप से मांस-बाजारों का अस्तित्व था। फिजी को कभी 'नरभक्षी द्वीप' ('Cannibal Isles') के नाम से जाना जाता था। माना जाता है कि निएंडरथल नरभक्षण किया करते थे, और हो सकता है कि आधुनिक मनुष्यों द्वारा उन्हें ही कैनिबलाइज्ड अर्थात् विलुप्त कर दिया गया हो। अकाल से पीड़ित लोगों के लिए कभी-कभी नरभक्षण अंतिम उपाय रहा है, जैसा कि अनुमान लगाया गया है कि ऐसा औपनिवेशिक रौनोक द्वीप में हुआ था। कभी-कभी यह आधुनिक समय में भी हुआ है। एक प्रसिद्ध उदाहरण है उरुग्वेयन एयर फ़ोर्स फ्लाइट 571 की दुर्घटना, जिसके बाद कुछ बचे हुए यात्रियों ने मृतकों को खाया.

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नवपाषाण युग

अनेकों प्रकार की निओलिथिक कलाकृतियां जिनमें कंगन, कुल्हाड़ी का सिरा, छेनी और चमकाने वाले उपकरण शामिल हैं नियोलिथिक युग, काल, या अवधि, या नव पाषाण युग मानव प्रौद्योगिकी के विकास की एक अवधि थी जिसकी शुरुआत मध्य पूर्व: फस्ट फार्मर्स: दी ओरिजंस ऑफ एग्रीकल्चरल सोसाईटीज़ से, पीटर बेल्वुड द्वारा, 2004 में 9500 ई.पू.

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पदार्थ विज्ञान

पदार्थ विज्ञान एक बहुविषयक क्षेत्र है जिसमें पदार्थ के विभिन्न गुणों का अध्ययन, विज्ञान एवं तकनीकी के विभिन्न क्षेत्रों में इसके प्रयोग का अध्ययन किया जाता है। इसमें प्रायोगिक भौतिक विज्ञान और रसायनशास्त्र के साथ-साथ रासायनिक, वैद्युत, यांत्रिक और धातुकर्म अभियांत्रिकी जैसे विषयों का समावेश होता है। नैनोतकनीकी और नैनोसाइंस में उपयोजता के कारण, वर्तमान समय में विभिन्न विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं और संस्थानों में इसे काफी महत्व मिला है। .

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पाषाण युग

पाषाण युग इतिहास का वह काल है जब मानव का जीवन पत्थरों (संस्कृत - पाषाणः) पर अत्यधिक आश्रित था। उदाहरणार्थ पत्थरों से शिकार करना, पत्थरों की गुफाओं में शरण लेना, पत्थरों से आग पैदा करना इत्यादि। इसके तीन चरण माने जाते हैं, पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल एवं नवपाषाण काल जो मानव इतिहास के आरम्भ (२५ लाख साल पूर्व) से लेकर काँस्य युग तक फैला हुआ है। भीमबेटका स्थित पाषाण कालीन शैल चित्र .

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प्रागितिहास

आज से लगभग २७,००० साल पहले फ़्रान्स की एक गुफ़ा में एक प्रागैतिहासिक मानव ने अपने हाथ के इर्दगिर्द कालख लगाकर यह छाप छोड़ी प्रागैतिहासिक (Prehistory) इतिहास के उस काल को कहा जाता है जब मानव तो अस्तित्व में थे लेकिन जब लिखाई का आविष्कार न होने से उस काल का कोई लिखित वर्णन नहीं है।, Chris Gosden, pp.

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फ़्रान्स

फ़्रान्स,या फ्रांस (आधिकारिक तौर पर फ़्रान्स गणराज्य; फ़्रान्सीसी: République française) पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश है किन्तु इसका कुछ भूभाग संसार के अन्य भागों में भी हैं। पेरिस इसकी राजधानी है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर में बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, पूर्व में जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड, इटली, दक्षिण-पश्चिम में स्पेन, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्यसागर तथा उत्तर पश्चिम में इंग्लिश चैनल द्वारा घिरा है। इस प्रकार यह तीन ओर सागरों से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से इसकी स्थिति उत्तम नहीं है। लौह युग के दौरान, अभी के महानगरीय फ्रांस को कैटलिक से आये गॉल्स ने अपना निवास स्थान बनाया। रोम ने 51 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया। फ्रांस, गत मध्य युग में सौ वर्ष के युद्ध (1337 से 1453) में अपनी जीत के साथ राज्य निर्माण और राजनीतिक केंद्रीकरण को मजबूत करने के बाद एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा। पुनर्जागरण के दौरान, फ्रांसीसी संस्कृति विकसित हुई और एक वैश्विक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित हुआ, जो 20 वीं सदी तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थी। 16 वीं शताब्दी में यहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट (ह्यूजेनॉट्स) के बीच धार्मिक नागरिक युद्धों का वर्चस्व रहा। फ्रांस, लुई चौदहवें के शासन में यूरोप की प्रमुख सांस्कृतिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति बन कर उभरा। 18 वीं शताब्दी के अंत में, फ्रेंच क्रांति ने पूर्ण राजशाही को उखाड़ दिया, और आधुनिक इतिहास के सबसे पुराने गणराज्यों में से एक को स्थापित किया, साथ ही मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा के प्रारूप का मसौदा तैयार किया, जोकि आज तक राष्ट्र के आदर्शों को व्यक्त करता है। 19वीं शताब्दी में नेपोलियन ने वहाँ की सत्ता हथियाँ कर पहले फ्रांसीसी साम्राज्य की स्थापना की, इसके बाद के नेपोलियन युद्धों ने ही वर्तमान यूरोप महाद्वीपीय के स्वरुप को आकार दिया। साम्राज्य के पतन के बाद, फ्रांस में 1870 में तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई, हलाकि आने वाली सभी सरकार लचर अवस्था में ही रही। फ्रांस प्रथम विश्व युद्ध में एक प्रमुख भागीदार था, जहां वह विजयी हुआ, और द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र में से एक था, लेकिन 1940 में धुरी शक्तियों के कब्जे में आ गया। 1944 में अपनी मुक्ति के बाद, चौथे फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई जिसे बाद में अल्जीरिया युद्ध के दौरान पुनः भंग कर दिया गया। पांचवां फ्रांसीसी गणतंत्र, चार्ल्स डी गॉल के नेतृत्व में, 1958 में बनाई गई और आज भी यह कार्यरत है। अल्जीरिया और लगभग सभी अन्य उपनिवेश 1960 के दशक में स्वतंत्र हो गए पर फ्रांस के साथ इसके घनिष्ठ आर्थिक और सैन्य संबंध आज भी कायम हैं। फ्रांस लंबे समय से कला, विज्ञान और दर्शन का एक वैश्विक केंद्र रहा है। यहाँ पर यूरोप की चौथी सबसे ज्यादा सांस्कृतिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद है, और दुनिया में सबसे अधिक, सालाना लगभग 83 मिलियन विदेशी पर्यटकों की मेजबानी करता है। फ्रांस एक विकसित देश है जोकि जीडीपी में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा क्रय शक्ति समता में नौवीं सबसे बड़ा है। कुल घरेलू संपदा के संदर्भ में, यह दुनिया में चौथे स्थान पर है। फ्रांस का शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन प्रत्याशा और मानव विकास की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन है। फ्रांस, विश्व की महाशक्तियों में से एक है, वीटो का अधिकार और एक आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देश के साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है। यह यूरोपीय संघ और यूरोजोन का एक प्रमुख सदस्यीय राज्य है। यह समूह-8, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और ला फ्रैंकोफ़ोनी का भी सदस्य है। .

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बैल (पौराणिक मान्यता)

अंकारा में ऐनाटोलियन सभ्यताओं के संग्रहालय में कैटलहोयुक से बैल का सिर खोदकर निकाला गया। नंदी बैल की द्वितीय शताब्दी ईसवी की मूर्ति. प्राचीन विश्व के दौरान पवित्र बैल की पूजा पश्चिमी विश्व की स्वर्ण बछड़े की प्रतिमा से सम्बंधित बाइबिल के प्रसंग में सर्वाधिक समानता रखती है, यह प्रतिमा पर्वत की चोटी के भ्रमण के दौरान यहूदी संत मोसेज़ द्वारा पीछे छोड़ दिए गए लोगों द्वारा बनायी गयी थी और सिनाइ (एक्सोडस) के निर्जन प्रदेश में यहूदियों द्वारा इसकी पूजा की जाती थी। मर्दुक "उटू का बैल" कहा जाता है। भगवान शिव की सवारी नंदी, भी एक बैल है। वृषभ राशि का प्रतीक भी पवित्र बैल है। बैल मेसोपोटामिया और मिस्र के समान चन्द्र संबंधी हो या भारत के समान सूर्य संबंधी हो, अन्य अनेकों धार्मिक और सांस्कृतिक अवतारों का आधार होता है और साथ ही साथ नवयुग की संस्कृति में आधुनिक लोगो की चर्चा में होता है। .

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भारत में लौह युग

भारतीय उपमहाद्वीप की प्रागितिहास में, लौह युग गत हड़प्पा संस्कृति (कब्र संस्कृति) के उत्तरगामी काल कहलाता है। वर्तमान में उत्तरी भारत के मुख्य लौह युग की पुरातात्विक संस्कृतियां, गेरूए रंग के मिट्टी के बर्तनों की संस्कृति (1200 से 600 ईसा पूर्व) और उत्तरी काले रंग के तराशे बर्तन की संस्कृति (700 से 200 ईसा पूर्व) में देखी जा सकती हैं। इस काल के अंत तक वैदिक काल के जनपद या जनजातीय राज्यों का सोलह महाजनपदों या प्रागैतिहासिक काल के राज्यों के रूप में संक्रमण हुआ, जो ऐतिहासिक बौद्ध मौर्य साम्राज्य के उद्भव में सहायक हुआ। .

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महाजनपद

महाजनपद, प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है। 6वीं-5वीं शताब्दी ईसापूर्व को प्रारंभिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है; जहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आंदोलनों (बौद्ध धर्म और जैन धर्म सहित) का उदय हुआ, जिसने वैदिक काल के धार्मिक कट्टरपंथ को चुनौती दी। पुरातात्विक रूप से, यह अवधि उत्तरी काले पॉलिश वेयर संस्कृति के हिस्सा रहे है। .

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मानव बलि

एचिलिस के कब्र पर नीओप्टोलेमस के हाथ से पॉलीजिना मर गया" (एक प्राचीन कैमिया के बाद 1900 सदी का चित्र) किसी धार्मिक अनुष्ठान के भाग (अनुष्ठान हत्या) के रूप में किसी मानव की हत्या करने को मानव बलि कहते हैं। इसके अनेक प्रकार पशुओं को धार्मिक रीतियों में काटा जाना (पशु बलि) तथा आम धार्मिक बलियों जैसे ही थे। इतिहास में विभिन्न संस्कृतियों में मानव बलि की प्रथा रही है। इसके शिकार व्यक्ति को रीति-रिवाजों के अनुसार ऐसे मारा जाता था जिससे कि देवता प्रसन्न अथवा संतुष्ट हों, उदाहरण के तौर पर मृत व्यक्ति की आत्मा को देवता को संतुष्ट करने के लिए भेंट किया जाता था अथवा राजा के अनुचरों की बलि दी जाती थी ताकि वे अगले जन्म में भी अपने स्वामी की सेवा करते रह सकें.

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मिनोआई सभ्यता

क्नोसोस के खंडरों में मिले बासन क्रीत पर मिनोआई सभ्यता से सम्बंधित पुरातन स्थल यह या तो कोई "सर्प देवी" थी या फिर किसी पुजारिन की आकृति है मिनोआई सभ्यता कांस्य युग में यूनान के दक्षिण में स्थित क्रीत के द्वीप पर उभरकर २७वीं सदी ईसापूर्व से १५वीं सदी ईसापूर्व तक फलने-फूलने वाली एक संस्कृति थी। यह यूरोप की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। इतिहासकारों को मिले सुराग़ों से ज्ञात हुआ है कि मानव १२८,००० ईपू में ही आकर क्रीत पर बस चुके थे लेकिन यहाँ कृषि लगभग ५००० ईपू में ही जाकर विकसित स्तर पर पहुँची। .

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युदा प्रदेश

यूदा प्रदेश; Kingdom of Judah एक यहूदी प्रदेश था जो वर्तमान इजराइल है इस प्रदेश का वर्णन वाईबल में मूख्य रूप से मिलता है। .

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रुआण्डा

रुआण्डा (Rwanda) मध्य-पूर्व अफ़्रीका में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल लगभग २६ हज़ार वर्ग किमी है, जो भारत के केरल राज्य से भी छोटा है। यह अफ़्रीका महाद्वीप की मुख्यभूमि पर स्थित सबसे छोटे देशों में से एक है। रुआण्डा पृथ्वी की भूमध्य रेखा (इक्वेटर) से ज़रा दक्षिण में स्थित है और महान अफ़्रीकी झीलों के क्षेत्र का भाग है। इसके पश्चिम में पहाड़ियाँ और पूर्व में घासभूमि है। .

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स्किथी लोग

पार्थी लोग इनसे दक्षिण में स्थित थे स्किथी या स्किथाई (प्राचीन यूनानी: Σκύθαι; अंग्रेजी: Scythian) यूरेशिया के स्तेपी इलाक़े की एक प्राचीन ख़ानाबदोश जातियों के गुट का नाम था। ये प्राचीन ईरानी भाषाएँ बोलते थे और इनका भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग पर एक गहरा प्रभाव पड़ा है। इनके अति-प्राचीन इतिहास के बारे में ज़्यादा नहीं पता लेकिन लौह युग में इनकी संस्कृति बहुत पनपी और इतिहासकारों को खुदाई करने पर इनके द्वारा बनाई गई बहुत सी चीज़ें मिली हैं। यह लोग पूर्वी यूरोप से अल्ताई पर्वतों तक विस्तृत थे। जब स्किथी लोगों के विख्यात व्यक्तियों को मृत्योपरांत दफ़नाया जाता था तो उनकी समाधियों के लिए बड़े टीले बनाए जाते थे जिनसे आज भी बहुत सी सोने के वस्तुएँ बरामद होती हैं।, Ellen D. Reeder, Esther Jacobson, Harry Abrams in association with the Walters Art Gallery and the San Antonio Museum of Art, 1999, ISBN 978-0-8109-4476-3,...

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सूचना युग

सूचना युग (Information Age), जो क्म्प्यूटर युग और डीजिटल युग भी कहलाता है, मानव इतिहास का एक काल है जिसमें औद्योगिक क्रांति के बाद हुए औद्योगीकरण द्वारा स्थापित आर्थिक व्यवस्था धीरे-धीरे सूचना क्रांति द्वारा स्थापित कम्प्यूटर-आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो रही है। सूचना युग में डीजिटल उद्योग एक विश्वव्यापी ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहा है जिसमें सेवाएँ व निर्माण नागरिकों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार उपलब्ध किये जाते हैं।Hilbert, M. (2015).

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जर्मैनी भाषा परिवार

जर्मैनी भाषाओँ का फैलाव - गाढ़े नीले रंग के देशों में कोई जर्मैनी भाषा बहुसंख्यक या प्रथम भाषा है, हलके नीले देशों में कोई जर्मैनी भाषा सरकारी स्तर पर मान्य है जर्मैनी भाषा परिवार हिन्द-यूरोपी भाषा परिवार की एक शाखा है। इस परिवार की सारी भाषाओँ की सांझी पूर्वजा "आदिम जर्मैनी" नाम की एक कल्पित भाषा है। इतिहासकार अनुमान लगते हैं की आदिम जर्मैनी भाषा लौह युग में लगभग 800 ईसापूर्व के काल में उत्तर यूरोप में बोली जाती थी। अंग्रेज़ी इसी भाषा परिवार की सदस्या है और इसकी अन्य जानी-मानी भाषाएँ जर्मन, डच और स्कैंडिनेविया क्षेत्र की भाषाएँ हैं (जिनमें नोर्वीजियाई, स्वीडी, डेनी और आइसलैंडी शामिल हैं)। कुल मिलकर विश्व में लगभग 56 करोड़ लोग किसी जर्मैनी भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। दुनिया में अंग्रेज़ी के फैलाव के कारण लगभग 2 अरब लोग किसी जर्मैनी भाषा को बोल सकते हैं (चाहे वह मातृभाषा न होकर उनकी दूसरी या तीसरी भाषा ही हो)। .

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जुनापाणी के शिलावर्त

जुनापाणी के शिलावर्त भारत के महाराष्ट्र राज्य के नागपुर नगर के पास स्थित जुनापाणी शहर में महापाषाण शिलावर्त (बड़ी शिलाओं से ज़मीन पर बने गोले) हैं जो यहाँ प्रागैतिहासिक काल में बनाए गए थे। यहाँ पत्थरों के ऐसे ३०० चक्र मिले हैं। सन् १८७९ में इतिहासकार जे॰ ऍच॰ रिवॅट-कारनैक ने यहाँ खुदाई करके इनकी खोज की थी। इन शिलावर्तों में लोहे के ख़ंजर, कुल्हाड़े, फावड़े, कंगन, छल्ले, तराशने के पैने औज़ार और चिमटे (जो शायद कभी लकड़ी के दस्ते रखते थे) मिले हैं। यहाँ लाल और काली मट्टी के बर्तनों के टुकड़े भी मिले हैं जिनमें से कुछ पर काले रंग से डिज़ाईन बने हुए हैं। कुछ जगहों पर लोग भी दफ़न हैं और वहाँ केअर्न (पत्थरों की व्यवस्थित ढेरियाँ) बने हुए हैं। इतिहासकारों के अनुसार यह शिलावर्त शायद १००० ईसापूर्व काल में बने हों। कुछ पत्थरों पर प्यालों के चिह्न हैं और उन्हें दिशाओं के अनुसार खड़ा किया गया है जिस से यह सम्भावना बनती है कि इनका प्रयोग खगोल-जिज्ञासा से सम्बन्धित रहा हो। हालांकि बहुत से शिलावर्त पाषाण युग में बने होते हैं, अपनी निर्माण आयु के मुताबिक़ यह शिलावर्त लौह युग में बने थे। .

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विश्व का इतिहास

अंकोरवाट मंदिर विश्व के इतिहास से आशय अतीत से लेकर आजतक पृथ्वी के सभी स्थानों की मानवजाति के इतिहास से है। इसमें गैरमानव इतिहास जैसे प्राकृतिक इतिहास और भूवैज्ञानिक इतिहास शामिल नहीं हैं। .

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विंबलडन, लंदन

विंबलडन इंग्‍लैंड के लंदन के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र का एक जिला है जो वंड्सवर्थ के दक्षिण में और ग्रेटर लंदन के बाहरी इलाके में टेम्‍स नदी पर किंग्‍स्‍टन के पूर्व में स्थित है। विंबलडन टेनिस चैंपियनशिप और न्‍यू विंबलडन थियेटर का प्रारंभ यहीं से हुआ था और लंदन में कॉमन लैंड के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक, विंबलडन कॉमन भी इसके अंतर्गत आता है। आवासीय क्षेत्र दो भागों गांव और शहर के रूप में बंटा हुआ है जहां हाई स्‍ट्रीट, मूल मध्‍यकालीन गांव का और शहर" 1838 में रेलवे स्‍टेशन बनने के बाद से हुए आधुनिक विकास का हिस्‍सा है। विंबलडन में लौह युग के समय से लोग रह रहे हैं और ऐसा माना जाता है कि विंबलडन कॉमन पर हिल फोर्ट को उसी काल में बनाया गया था। 1087 में जब डूम्सडे बुक को संकलित किया गया था, विंबलडन मोर्टलेक की जागीर का हिस्सा था। इसके इतिहास के दौरान विंबलडन की जागीर कई धनी परिवारों के बीच बदली थी और इसने कई अन्‍य धनी परिवारों को भी आकर्षित किया जिन्‍होंने यहां ईगल हाउस, विंबलडन हाउस और वारेन हाउस जैसे भव्‍य मकान बनाए.

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इजराइल प्रदेश

युदा प्रदेश.

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इंग्लिश चैनल

इंग्लिश चैनल का सैटेलाइट दृश्य इंग्लिश चैनल (la Manche, "स्लीव") अटलांटिक महासागर की एक शाखा है जो ग्रेट ब्रिटेन को उत्तरी फ्रांस से अलग करती है और उत्तरी सागर को अटलांटिक से जोड़ती है। यह तकरीबन लंबी है और चौड़ाई में से इसकी व्यापकता से लेकर डोवर जलसंयोगी में केवल तक के आधार पर भिन्नता है।"इंग्लिश चैनल".

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कांस्य युग

कांस्य युग उस काल को कहते हैं जिसमें मनुष्य ने तांबे (ताम्र) तथा उसकी रांगे के साथ मिश्रित धातु कांसे का इस्तेमाल किया। इतिहास में यह युग पाषाण युग तथा लौह युग के बीच में पड़ता है। पाषाण युग में मनुष्य की किसी भी धातु का खनन कर पाने की असमर्थता थी। कांस्य युग में लोहे की खोज नहीं हो पाई थी और लौह युग में तांबा, कांसा और लोहे के अलावा मनुष्य कुछ अन्य ठोस धातुओं की खोज तथा उनका उपयोग भी सीख गया था। कांस्य युग की विशेषता यह है कि मनुष्य शहरी सभ्यताओं में बसने लगा और इसी कारण से विश्व की कई जगहों में पौराणिक सभ्यताओं का विकास हुआ। इस युग की एक और ख़ास बात यह है कि विभिन्न सभ्यताओं में अलग-अलग लिपिओं का विकास हुआ जिनकी मदद से आज के पुरातत्व शास्त्रियों को उस युग के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य हासिल होते हैं। .

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असुर (आदिवासी)

असुर भारत में रहने वाली एक प्राचीन आदिवासी समुदाय है। असुर जनसंख्या का घनत्व मुख्यतः झारखण्ड और आंशिक रूप से पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में है। झारखंड में असुर मुख्य रूप से गुमला, लोहरदगा, पलामू और लातेहार जिलों में निवास करते हैं। समाजविज्ञानी के.

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अकसूम राज्य

अकसूम राज्य (Kingdom of Aksum) या अकसूमी साम्राज्य (Aksumite Empire) पूर्वी अफ़्रीका के आधुनिक इथियोपिया व इरित्रिया देशों के क्षेत्र में स्थित एक राज्य था। इस इलाक़े में लौह युग में चौथी सदी ईसापूर्व से विकसित होना शुरू होकर, यह लगभग १०० ईसवी से लेकर लगभग ९४० ईसवी तक अस्तितिव में रहा। प्राचीन भारत और प्राचीन रोम के बीच में इसने एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक भूमिका निभाई और अपनी मुद्रा जारी करके भी व्यापार को बढ़ावा दिया। एक तरफ़ इसने अपने पश्चिम में स्थित कूश राज्य को अपने अधीन कर लिया और दूसरी ओर हिम्यरी राज्य पर क़ब्ज़ा करके अरबी प्रायद्वीप की राजनीति में भी प्रवेश कर लिया। महाराजा एज़ाना (अनुमानित काल: ३२०-३६० ई) के शासनकाल में यह विश्व का पहला साम्राज्य बना जिसने ईसाई धर्म अपना लिया और ईरान के धार्मिक नेता मानी (२१६-२७६ ई) ने इसे ईरान, चीन और रोम की टक्कर की चौथी महान शक्ति बताया। ७वीं सदी में मक्का के कुछ मुस्लिम अनुयायी स्थानीय क़ुरैश क़बीले (जिन्होने तब इस्लाम नहीं अपनाया था और उसका बलपूर्वक विरोध कर रहे थे) के अत्याचार से बचने के लिए अकसूम में शरण लेने आ गए और यह घटना इस्लामी इतिहास में 'पहले हिज्र' के नाम से जानी जाती है। आज अकसूम राज्य की राजधानी, जिसका नाम भी अकसूम ही था, उत्तरी इथियोपिया में स्थित एक नगर है। यूरोप और मध्य-पूर्व के इतिहास में प्रसिद्ध 'शीबा की रानी' भी यहीं की निवासी मानी जाती थी।Stuart Munro-Hay (1991).

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अक्कादी भाषा

अक्कादी भाषा (Akkadian या Accadian या Assyro-Babylonian) एक मृत सामी भाषा है। यह प्राचीन मेसोपोटामिया में बोली जाती थी। यह अंकन लिपि (cuneiform writing system) में लिखी जाती थी। अक्कादी का यह नाम उस अक्काद नगर से पड़ा जो ईसा पूर्व 24वीं सदी में प्रसिद्ध सम्राट् शर्रूकीन की राजधानी था। तभी अक्कादी को राजभाषा का पद मिला। कालांतर में अक्कादी, प्रदेश और काल के अनुसार, असूरी (Assyrian) और बाबुली (Babylonian) नामक जनबोलियों में विकसित होकर बँट गई। असूरी दजला नदी (इराक) की उपरली घाटी में और बाबुली दजला-फरात के सागरवर्ती दोआब में बोली जाती थी। काल क्रम से अक्कादी के तीन युग माने जाते हैं- 1. प्राचीन काल (लगभग 2000 ई.पू.-लगभग 1500 ई.पू.), 2. मध्यकाल (लगभग 1500 ई.पू.- लगभग 1000 ई.पू.) और 3. उत्तरकाल (लगभग 1000 ई.पू - लगभग 500 ई.पू.)। .

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उर, मेसोपोटामिया

उर प्राचीन मेसोपोटामिया में एक महत्वपूर्ण सुमेरियन शहर-राज्य था। यह शहर लगभग 3800 ईसा पूर्व उबायद काल से है, और 26 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से शहर का राज्य के रूप में लिखित इतिहास में दर्ज किया गया है, इसका पहला राजा मेसनपेडा था। शहर का संरक्षक देवता नाना, सुमेरियन और अक्कडियन (अश्शूर-बेबीलोनियन) चंद्रमा देवता था, और माना जाता है शहर का नाम मूल रूप से भगवान के नाम से लिया गया है। स्थल को उर के जिगुरत के आंशिक रूप से बहाल खंडहरों द्वारा चिह्नित किया गया है, जिसमें 1930 के दशक में खुदाई में नाना का मंदिर था। यह मंदिर 21 वीं शताब्दी ईसा पूर्व (लघु कालक्रम) में बनाया गया था। .

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