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लोहाघाट

सूची लोहाघाट

लोहाघाट भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चम्पावत जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध शहर, नगर पंचायत और हिल स्टेशन है। मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चारों ओर से छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा यह नगर पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। जनपद मुख्यालय से 13 किमी उत्तर की ओर टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग में लोहावती नदी के किनारे देवीधार, फोर्ती, मायावती, एबटमाउंट, मानेश्वर, बाणासुर का किला, झूमाधूरी आदि विशेष धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों के मध्य स्थित होने से इस नगर की सुन्दरता और बढ़ जाती है। जनपद का यह मुख्य शहर जहां से ग्रामीण क्षेत्रों को आवागमन होता है, प्रमुख व्यापारिक स्थल भी है। इसलिए इसे जनपद चम्पावत का हृदयस्थल कहा जाता है। देवदार वनों से घिरे इस नगर की समुद्रतल से ऊँचाई लगभग ५५०० फ़ीट है। .

9 संबंधों: देवीधूरा मेला, रानीखेत, लोहाघाट तहसील, हल्द्वानी में यातायात, गढ़वाल कुमाऊं के मेले, कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची, अल्मोड़ा का इतिहास, उत्तराखण्ड के नगरों की सूची, उत्तराखण्ड के राज्य राजमार्गों की सूची

देवीधूरा मेला

माँ बाराही धाम, लोहाघाट लोहाघाट-हल्द्वानी मार्ग पर लोहाघाट से लगभग 45 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यह स्थान सुमद्रतल से लगभग 6500 फिट की ऊँचाई पर स्थित है। महाभारत में पाण्डवों के अज्ञातवास से लेकर अनेक पौराणिक धार्मिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं से जुडा हुआ है। यही प्रसिद्ध देवीधूरा मेला आयोजित हुआ करता है। .

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रानीखेत

रानीखेत भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह राज्य के अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत स्थित एक फौजी छावनी है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक हिल स्टेशन है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है। रानीखेत में फ़ौजी छावनी भी है और गोल्फ़ प्रेमियों के लिए एक सुन्दर पार्क भी है। १८६९ में ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना रानीखेत में की, और भारतीय गर्मियों से बचने के लिए हिल स्टेशन के रूप में इस नगर का प्रयोग किया जाने लगा। ब्रिटिश राज के दौरान एक समय में, यह शिमला के स्थान पर भारत सरकार के ग्रीष्मकालीन मुख्यालय के रूप में भी प्रस्तावित किया गया था। १९०० में इसकी गर्मियों की ७,७०५ जनसंख्या थी, और उसी साल की सर्दियों की जनसंख्या १९०१ में ३,१५३ मापी गई थी। स्वच्छ सर्वेक्षण २०१८ के अनुसार रानीखेत दिल्ली और अल्मोड़ा छावनियों के बाद भारत की तीसरी सबसे स्वच्छ छावनी है। .

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लोहाघाट तहसील

लोहाघाट तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में चम्पावत जनपद की एक तहसील है। चम्पावत जनपद के उत्तरी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय लोहाघाट नगर में स्थित हैं। १३ फरवरी २००४ को उत्तराखण्ड सरकार के शाशनादेश से चम्पावत तहसील के १४६ ग्रामों के साथ इसका गठन किया गया। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में पाटी तहसील और अल्मोड़ा जनपद की भनोली तहसील, उत्तर में पिथौरागढ़ जनपद की पिथौरागढ़ तहसील तथा दक्षिण में चम्पावत तहसील है। .

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हल्द्वानी में यातायात

कुमाऊँ का प्रवेश द्वार, हल्द्वानी उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित हल्द्वानी राज्य के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है। इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। नगर के यातायात साधनों में २ रेलवे स्टेशन, २ बस स्टेशन तथा एक अधिकृत टैक्सी स्टैंड है। इनके अतिरिक्त नगर से २८ किमी की दूरी पर एक घरेलू हवाई अड्डा स्थित है, और नगर में एक अंतर्राज्यीय बस अड्डा निर्माणाधीन है। .

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गढ़वाल कुमाऊं के मेले

गढ़वाल - कुमाऊँ की संस्कृति यहाँ के मेलों में समाहित है। रंगीले कुमाऊँ के मेलों में ही यहाँ का सांस्कृतिक स्वरुप निखरता है। धर्म, संस्कृति और कला के व्यापक सामंजस्य के कारण इस अंचल में मनाये जाने वाले उत्सवों का स्वरुप बेहद कलात्मक होता है। छोटे-बड़े सभी पर्वों, आयोजनों और मेलों पर शिल्प की किसी न किसी विद्या का दर्शन अवश्य होता है। कुमाऊँनी भाषा में मेलों को कौतिक कहा जाता है। कुछ मेले देवताओं के सम्मान में आयोजित होते हैं तो कुछ व्यापारिक दृष्टि से अपना महत्व रखते हुए भी धार्मिक पक्ष को पुष्ट अवश्य करते है। पूरे अंचल में स्थान-स्थान पर पचास से अधिक मेले आयोजित होते हैं जिनमें यहाँ का लोक जीवन, लोक नृत्य, गीत एवं परम्पराओं की भागीदारी सुनिश्चित होती है। साथ ही यह धारणा भी पुष्टि होती है कि अन्य भागों में मेलों, उत्सवों का ताना बाना भले ही टूटा हो, यह अंचल तो आम जन की भागीदारी से मनाये जा रहे मेलों से निरन्तर समद्ध हो रहा है। मेला चारे जिस स्थान पर भी आयोजित हो रहा हो, उसका परिवेश कैसा भी हो, उसका परिवेश कैसा भी हो, अवसर ऐतिहासिक हो, सांस्कृतिक हो, धार्मिक हो या फिर अन्य कोई उल्लास से चहकते ग्रामीणों को आज भी अपनी संस्कृति, अपने लोग, अपना रंग, अपनी उमंग, अपना परिवार इन्हीं मेलों में वापस मिलते हैं। सुदूर अंचलों में तो बरसों का बिछोह लिये लोग मिलन का अवसर मेलों में ही तलाशते हैं। .

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कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची

कुमाऊं विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न निम्नलिखित सूची कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से सम्बद्ध राजकीय महाविद्यालयों की है: .

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अल्मोड़ा का इतिहास

२०१३ में अल्मोड़ा अल्मोड़ा, भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। इस नगर को राजा कल्याण चंद ने १५६८ में स्थापित किया था। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊँ राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। .

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उत्तराखण्ड के नगरों की सूची

उत्तराखण्ड के नगर नामक इस सूची में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के सभी नगरों की ज़िलेवार सूची दी गई है, जो वर्णमालानुसार क्रमित है। .

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उत्तराखण्ड के राज्य राजमार्गों की सूची

निम्नलिखित सूची उत्तराखण्ड राज्य के राज्य राजमार्गों की है: .

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