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लोकतंत्र

सूची लोकतंत्र

लोकतंत्र (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन") या प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है। यह शब्द लोकतांत्रिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतंत्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किंतु लोकतंत्र का सिद्धांत दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतंत्र भिन्न भिन्न सिद्धांतों के मिश्रण से बनते हैं, पर मतदान को लोकतंत्र के अधिकांश प्रकारों का चरित्रगत लक्षण माना जाता है। .

99 संबंधों: चुनाव, तहरीर चौक, तानाशाही, दार्शनिक यथार्थवाद, दक्षिण सूडान, द्वितीय विश्व युद्घ, नाज़ी जर्मनी, नागरिक समाज, निर्वाचन प्रणालियाँ, नेपाल, नोआम चाम्सकी, पत्रकारिता, परवेज़ मुशर्रफ़, पश्चिमी संस्कृति, पाकिस्तान, पंचायत, पुष्पकमल दाहाल, प्रतापगढ़ (राजस्थान) का इतिहास, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्रकृतिवाद (दर्शन), पृथ्वी का इतिहास, पूरब से उत्पन्न पश्चिमी सभ्यता, पूर्वी समस्या, पेप्सिको, पॉल वुल्फोवित्ज़, बांग्लादेश की राजनीति, ब्रूस विलिस, भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची, भारत में मानवाधिकार, भारत सारावली, भारत का प्रधानमन्त्री, भारत की राजनीति, भारत की संस्कृति, भारत-संयुक्त राज्य सम्बन्ध, भारतीय चुनाव, भारतीय संसद, भाषा आन्दोलन दिवस, मध्य पूर्व, मलावी, मानविकी, मानववाद, मिनीकॉनामी, मिज़ूरी, मेटरनिख, यूरोपीय संघ, यूके की संसद, राम प्रसाद 'बिस्मिल', रामराज्य, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संघ, राजनीतिक दल, ..., रूसो, लोकतांत्रिक समाजवाद, लोकतंत्र का इतिहास, शासन, शिकायत निवारण प्रणाली, श्रम आंदोलन, समतावाद, समानता, समाजवाद, सरकार, सर्वसत्तावाद, सर्वजनीन मताधिकार, सहभागी लोकतंत्र, सामाजिक परिवर्तन, सार्वजनिक हित, सिद्धान्त, संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी मूल-निवासी, सुधारवाद, स्पेन, स्पेनी गृहयुद्ध, स्विट्ज़रलैण्ड, हाउस ऑफ़ कॉमन्स, कनाडा, हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, जन लोकपाल विधेयक आंदोलन २०११, जनसंचार, जॉन लॉक, ईदी अमीन, वाद-विवाद, विदेश मंत्री, विधान परिषद, विश्व शांति, वंशवाद, वैश्वीकरण, वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली, गणराज्य, ग़ुलाम इशाक़ ख़ान, आतंकवाद, आर्य वंश, आज़रबाइजान का संविधान, इस्कंदर मिर्ज़ा, क्रान्ति, कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ, कॅबिनेट मैन्युअल, अतिविशिष्ट व्यक्ति, अनिवार्य मतदान, अंतरराष्ट्रीय संबंध सिद्धांत, उत्तर प्रदेश के राजनैतिक दलों की सूची, उलान बतोर, २०१० सूचकांक विस्तार (49 अधिक) »

चुनाव

चुनाव पेटी चुनाव या निर्वाचन (election), लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तिओं का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह निजी संस्थानों, क्लबों, विश्वविद्यालयों, धार्मिक संस्थानों आदि में भी प्रयुक्त होता है। .

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तहरीर चौक

तहरीर चौक (ميدان التحرير,, Liberation Square., मुक्ति/आज़ाद चौक. जो की लिबरेशन स्क़्वाएर (बलिदानी चौराहा) के नाम से भी जाना जाता है, मिस्र की राजधानी काहिरा में स्थित शहर का एक बहुत बड़ा चौराहा है। यह काहिरा में राजनीतिक प्रदर्शनों व क्राँतियों का मुख्य केन्द्र है। यहीं पर २०११ में राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के खिलाफ विद्रोह व उनका सत्ता से निर्वासन, और मिस्र में सैन्य तख्तापलट २०१३ हुआ। यह चौराहा इन क्रान्तियों का प्रमुख केन्द्र व गवाह रहा। .

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तानाशाही

वर्तमान समय में तानाशाही या अधिनायकवाद (डिक्टेटरशिप) उस शासन-प्रणाली को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (प्रायः सेनाधिकारी) विद्यमान नियमों की अनदेखी करते हुए डंडे के बल से शासन करता है। एकाधिनायकत्व, अधिनायकवाद या डिक्टेटरशिप उस एक व्यक्ति की सरकार है जिसने शासन उत्तराधिकार के फलस्वरूप नहीं वरन् बलपूर्वक प्राप्त किया हो तथा जिसे पूर्ण संप्रभुत्ता प्राप्त हो-अर्थात् संपूर्ण राजनीतिक शक्ति न केवल उसी के संकल्प से उद्भूत हो वरन् कार्यक्षेत्र और समय की दृष्टि से असीमित तथा किसी अन्य सत्ता के प्रति उत्तरदायी नहीं-और वह उसका प्रयोग बहुधा अनियंत्रित ढंग से विधान के बदले आज्ञप्तियों द्वारा करता हो। .

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दार्शनिक यथार्थवाद

यथार्थवाद (realism) से तात्पर्य उस विचारधारा से है जो कि उस वस्तु एवं भौतिक जगत को सत्य मानती है, जिसका हम ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं। पशु, पक्षी, मानव, जल थल, आकाश इत्यादि सभी वस्तुओं का हम प्रत्यक्षीकरण कर सकते हैं, इसलिए ये सभी सत्य हैं, वास्तविक हैं। यथार्थवाद, जैसा यह संसार है वैसा ही सामान्यतः उसे स्वीकार करता है। यथार्थवाद यद्यपि आदर्शवाद के विपरीत विचारधारा है किन्तु यह बहुत कुछ प्रकृतिवाद एवं प्रयोजनवाद से साम्य रखती है। यथार्थवाद किसी एक सुगठित दार्शनिक विचारधारा का नाम न होकर उन सभी विचारों का प्रतिनिधित्व करता है जो यह मानते हैं कि वस्तु का अस्तित्व हमारे ज्ञान पर निर्भर करता है किन्तु यथार्थवाद विचारक मानते हैं कि वस्तु का स्वतंत्र अस्तित्व है, चाहे वह हमारे अनुभव में हो अथवा नहीं। वस्तु तथा उससे संबंधित ज्ञान दोनों अलग-अलग सत्तायें हैं। विश्व में अनेक ऐसी वस्तुएं हैं जिनके विषय में हमें कोई ज्ञान नहीं होता परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि वे वस्तुएं अस्तित्व में नहीं हैं। ज्ञान तो हमेशा बढ़ता जाता है। जगत का सम्पूर्ण रहस्य मानव ज्ञान की सीमा में कभी नहीं आ सकता। कहने का तात्पर्य यह है कि वस्तु की स्वतंत्र स्थिति है चाहे मनुष्य को उसका ज्ञान हो अथवा नहीं। व्यक्ति का ज्ञान उसे वस्तु की स्थिति से अवगत कराता है, परन्तु वस्तु की स्थिति का ज्ञान मनुष्य को न हो तो वस्तु का अस्तित्व नष्ट नहीं होता। यथार्थवाद के अनुसार हमारा अनुभव स्वतंत्र न होकर वाह्य पदार्थों के प्रति प्रतिक्रिया का निर्धारण करता है। अनुभव वाह्य जगत से प्रभावित है और वाह्य जगत का वास्तविक सत्ता है। यथार्थवाद के अनुसार मनुष्य को वातावरण का ज्ञान होना चाहिये। उसे यह पता होना चाहिए कि वह वातावरण को परिवर्तित कर सकता है अथवा नहीं और इसी ज्ञान के अनुसार उसे कार्य करना चाहिये। यथार्थवाद का नवीन रूप वैज्ञानिक यथार्थवाद है जिसे आज 'यथार्थवाद' के नाम से ही जान जाता है। वैज्ञानिक यथार्थवादियों ने दर्शन की समस्याओं को सुलझाने में विशेष रूचि प्रदर्शित नहीं की। उनके अनुसार यथार्थ प्रवाहमय है। यह परिवर्तनशील है और इसके किसी निश्चित रूप को जानना असंभव है। अतः वह यह परिकल्पित करता है कि यथार्थ मानव मन की उपज नहीं है। सत्य मानव मस्तिष्क की देन है। यथार्थ मानव-मस्तिष्क से परे की वस्तु है। उस यथार्थ के प्रति दृष्टिकोण विकसित करना सत्य कहा जायेगा। जो सत्य यथार्थ के जितना निकट होगा वह उतना ही यथार्थ सत्य होगा। .

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दक्षिण सूडान

दक्षिण सूडान या 'जनूब-उस-सूडान' (आधिकारिक तौर पर दक्षिणी सूडान गणतंत्र) उत्तर-पूर्व अफ़्रीका में स्थित स्थल-रुद्ध देश है। जुबा देश की वर्तमान राजधानी और सबसे बड़ा शहर भी है। देश के उत्तर में सूडान गणतंत्र, पूर्व में इथियोपिया, दक्षिण-पूर्व में केन्या, दक्षिण में युगान्डा, दक्षिण-पश्चिम में कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य और पश्चिम में मध्य अफ़्रीकी गणराज्य है। दक्षिण सूडान को 9 जुलाई 2011 को जनमत-संग्रह के पश्चात स्वतंत्रता प्राप्त हुई। इस जनमत-संग्रह में भारी संख्या (कुल मत का 98.83%) में देश की जनता ने सूडान से अलग एक नए राष्ट्र के निर्माण के लिए मत डाला। यह विश्व का 196वां स्वतंत्र देश, संयुक्त राष्ट्र का 193वां सदस्य तथा अफ्रीका का 55वां देश है। जुलाई 2012 में देश ने जिनेवा सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए। अपनी आजादी के ठीक बाद से राष्ट्र को आंतरिक संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। .

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द्वितीय विश्व युद्घ

विश्व युद्ध II, अथवा द्वितीय विश्व युद्ध, (इसको संक्षेप में WWII या WW2 लिखते हैं), ये एक वैश्विक सैन्य संघर्ष था जिसमें, सभी महान शक्तियों समेत दुनिया के अधिकांश देश शामिल थे, जो दो परस्पर विरोधी सैन्य गठबन्धनों में संगठित थे: मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र.इस युद्ध में 10 करोड़ से ज्यादा सैन्य कर्मी शामिल थे, इस वजह से ये इतिहास का सबसे व्यापक युद्ध माना जाता है।"पूर्ण युद्ध" की अवस्था में, प्रमुख सहभागियों ने नागरिक और सैन्य संसाधनों के बीच के अंतर को मिटा कर युद्ध प्रयास की सेवा में अपनी पूरी औद्योगिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षमताओं को झोक दिया। इसमें सात करोड़ से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश साधारण नागरिक थे, इसलिए इसको मानव इतिहास का सबसे खूनी संघर्ष माना जाता है। युद्ध की शुरुआत को आम तौर पर 1 सितम्बर 1939 माना जाता है, जर्मनी के पोलैंड के ऊपर आक्रमण करने और परिणामस्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्रमंडल के अधिकांश देशों और फ्रांस द्वारा जर्मनी पर युद्ध की घोषणा के साथ.

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नाज़ी जर्मनी

नाज़ी जर्मनी, नाट्सी जर्मनी या तीसरा राइख (Drittes Reich, "द्रीत्तेस रय्ख़्") १९३३ और १९४५ के बीच जर्मनी के लिए इतिहासकारों द्वारा सामान्य नाम दिया गया है, जब जर्मनी पर अडोल्फ़ हिटलर के नेतृत्व वाली नेशनल सोशलिस्ट जर्मन कार्यकर्ता पार्टी (NSDAP) का एकछत्र राज्य था। इसके अतिरिक्त इसे - नाजीवादी जर्मनी (Das nazistische Deutschland "दस नत्सीस्तिशे दोय्च्लन्द्") तथा सहस्रवर्षीय साम्राज्य (Das Tausendjähriges Reich "दस थाउज़ेन्द्येरिगेस रय्ख़्") भी कहा जाता है। तृतीय साम्राज्य वैमार गणराज्य के बाद सत्ता में आया, जब 4 मार्च 1933 को राष्ट्रीय-समाजवादी जर्मन श्रमिकों की पार्टी ने (NSDAP "एन-एस-दे-आ-पे", Die Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei "दी नत्सिओनाल-सोत्सिअलीस्तिशे दोय्चे आर्बाय्तेर्पर्ताय") हिटलर के नेतृत्व में राजसत्ता हथिया ली। ३० जनवरी १९३३ को अडोल्फ़ हिटलर जर्मनी का चांसलर बना और जल्दी ही सारे विरोध को ख़त्म करके वह उस देश का इकलौता नेता बन बैठा। देश ने उसे फ़्युअरर (जर्मन भाषा में लीडर) कहकर पूजना शुरु कर दिया और सारी ताक़त उसके हाथ में सौंप दी। इतिहासकारों ने बड़ी सभाओं में उसके वाक्चातुर्य और कमरे में हुयी बैठकों में उसकी आँखों से होने वाले मंत्रमुग्ध लोगों का ज़ोर देकर बताया है। शनैः शनैः यह बात प्रचलन में आ गई कि फ़्युअरर का वचन विधि से भी ऊपर है। दरअसल यह मत लोगों के बीच हिटलर के मतप्रचालन (propaganda) मंत्री गॅबॅल्स ने रखा था जिसे प्रथम विश्वयुद्ध और वर्साय की संधि से सताई गई जनता ने दोनों हाथों से हड़प लिया। सरकार के शीर्षस्थ अधिकारी केवल हिटलर को रिपोर्ट देते थे और उसी की नीतियों का अनुसरण भी करते थे, हालांकि उनकी कार्यशैली में कुछ हद तक स्वायत्ता बरक़रार थी। .

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नागरिक समाज

नागरिक समाज, सरकार द्वारा समर्थित संरचनाओं (राज्य की राजनीतिक प्रणाली का लिहाज़ किए बिना) और बाज़ार के वाणिज्यिक संस्थानों से बिलकुल अलग, क्रियात्मक समाज के आधार को रूप देने वाले स्वैच्छिक नागरिक और सामाजिक संगठनों और संस्थाओं की समग्रता से बना है। क़ानूनी राज्य का सिद्धांत (Rechtsstaat, यानी क़ानून के नियमांतर्गत राज्य) राज्य और नागरिक समाज की समानता को अपनी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता मानता है। उदाहरण के लिए, लिथुआनिया गणराज्य का संविधान लिथुआनियाई राष्ट्र को "क़ानून के शासन के तहत एक मुक्त, न्यायोचित और सामंजस्यपूर्ण नागरिक समाज और सरकार के लिए प्रयासरतस" के रूप में परिभाषित करता है। .

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निर्वाचन प्रणालियाँ

एकल हस्तान्तरणीय मत '''मिश्रित प्रणाली''' प्रतिनिधियों के चुनाव के अनेक तरीके हो सकते हैं। लाटरी के टिकट निकाल कर बिना समझे बूझे प्रतिनिधियों का चुनाव कर लेना तो एक ऐसा तरीका है जिसकी लोकतंत्र में कोई गुंजाइश नहीं है। दूसरे तरीके सामान्यत: निर्वाचन की मतदान प्रणाली पर ही आधृत हैं,। यद्यपि ये तरीके भी पूर्णत: निर्दोष ही हों यह आवश्यक नहीं; पदप्राप्ति के इच्छुक प्रत्याशी प्राय: मतदाताओं को घूस देकर अथवा डरा धमकाकर कर जोरजबर्दस्ती से उनका मत प्राप्त कर लेते हैं। विभिन्न प्रकार के अल्पसंख्यक वर्ग उचित प्रतिनिधित्व से वंचित रह जाते हैं। राजनीतिक तथा अन्य प्रकार के दल कभी कभी चुनाव के लिए किसी अयोग्य उम्मीदवार को खड़ा कर देते हैं। ऐसी हालत में उस दल के लोगों को चाहे-अनचाहे उसी को अपना मत देना पड़ता है। इन दोषों को दूर अथवा कम करने और मतदान को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए समय-समय पर निर्वाचन की विभिन्न प्रणालियों का विकास किया गया है। .

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नेपाल

नेपाल, (आधिकारिक रूप में, संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल) भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध हिमालयी राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के ८१ प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व का प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है। एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की श्रृंखलाएं अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची १४ हिम श्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है। वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई संधियों में नेपाल को उस समय (१८१४ में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इंडिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा पश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारंभ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अंततः २००८ में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् २००६ में राजा के अधिकारों को अत्यंत सीमित कर दिया गया था। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है। .

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नोआम चाम्सकी

एवरम नोम चोम्स्की (हीब्रू: אברם נועם חומסקי) (जन्म 7 दिसंबर, 1928) एक प्रमुख भाषावैज्ञानिक, दार्शनिक, by Zoltán Gendler Szabó, in Dictionary of Modern American Philosophers, 1860–1960, ed.

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पत्रकारिता

पत्रकारिता (अंग्रेजी: journalism) आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, जानकारी एकत्रित करके पहुँचाना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं। आज के युग में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे - अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि। बदलते वक्त के साथ के अंतर्संबंधों ने पत्रकारिता की विषय-वस्तु तथा प्रस्तुति शैली में व्यापक परिवर्तन किए। .

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परवेज़ मुशर्रफ़

परवेज़ मुशर्रफ़ परवेज़ मुशर्रफ़ (उर्दू: پرويز مشرف; जन्म अगस्त 11, 1943) पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख रह चुके हैं। इन्होंने साल 1999 में नवाज़ शरीफ की लोकतान्त्रिक सरकार का तख्ता पलट कर पाकिस्तान की बागडोर संभाली और 20 जून, 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। .

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पश्चिमी संस्कृति

पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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पंचायत

भारत की पंचायती राज प्रणाली में गाँव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है जो भारत के स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अवयव है। सरपंच, ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सार्वजनिक जीवन का प्रत्येक पहलू इसी के द्वारा संचालित होता था। .

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पुष्पकमल दाहाल

पुष्पकमल दाहाल (जन्म:११ दिसम्बर १९५४), जिन्हें नेपाली राजनीति में प्रचंड नाम से संबोधित किया जाता है, व नेपाल के प्रधानमंत्री हैं। 3 अगस्त 2016 को वे दूसरी बार इस पद पर आसीन हुए। वे नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) तथा इसी पार्टी के सशस्त्र अंग जनमुक्ति सेना के भी शीर्ष नेता हैं। उन्हें नेपाल की राजनीति में १३ फ़रवरी १९९६ से नेपाली जनयुद्ध शुरु करने के लिए जाना जाता है जिसमें लगभग १३,००० नेपाली नागरिकों की हत्या होने का अनुमान लगाया जाता है। प्रचंड द्वारा मार्क्सवाद, लेनिनवाद एवं माओवाद के मिले जुले स्वरूप को नेपाल की परिस्थितियों मे व्याख्यित करने को नेपाल में प्रचंडवाद के नाम से पुकारा जाने लगा है। .

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प्रतापगढ़ (राजस्थान) का इतिहास

सुविख्यात इतिहासकार महामहोपाध्याय पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा (1863–1947) के अनुसार "प्रतापगढ़ का सूर्यवंशीय राजपूत राजपरिवार मेवाड़ के गुहिल वंश की सिसोदिया शाखा से सम्बद्ध रहा है".

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्रकृतिवाद (दर्शन)

प्रकृतिवाद (Naturalism) पाश्चात्य दार्शनिक चिन्तन की वह विचारधारा है जो प्रकृति को मूल तत्त्व मानती है, इसी को इस बरह्माण्ड का कर्ता एवं उपादान (कारण) मानती है। यह वह 'विचार' या 'मान्यता' है कि विश्व में केवल प्राकृतिक नियम (या बल) ही कार्य करते हैं न कि कोई अतिप्राकृतिक या आध्यातिम नियम। अर्थात् प्राक्रितिक संसार के परे कुछ भी नहीं है। प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन आदि की सत्ता में विश्वास नहीं करते। यूनानी दार्शनिक थेल्स (६४० ईसापूर्व-५५० इसापूर्व) का नाम सबसे पहले प्रकृतिवादियों में आता है जिसने इस सृष्टि की रचना जल से सिद्ध करने का प्रयास किया था। किन्तु स्वतन्त्र दर्शन के रूप में इसका बीजारोपण डिमोक्रीटस (४६०-३७० ईसापूर्व) ने किया। प्रकृतिवादी विचारक बुद्धि को विशेष महत्व देते हैं परन्तु उनका विचार है कि बुद्धि का कार्य केवल वाह्य परिस्थितियों तथा विचारों को काबू में लाना है जो उसकी शक्ति से बाहर जन्म लेते हैं। इस प्रकार प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन इत्यादि की सत्ता में विश्वास नहीं करते हैं। प्रो.

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पृथ्वी का इतिहास

पृथ्वी के इतिहास के युगों की सापेक्ष लंबाइयां प्रदर्शित करने वाले, भूगर्भीय घड़ी नामक एक चित्र में डाला गया भूवैज्ञानिक समय. पृथ्वी का इतिहास 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी ग्रह के निर्माण से लेकर आज तक के इसके विकास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं और बुनियादी चरणों का वर्णन करता है। प्राकृतिक विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं ने पृथ्वी के इतिहास की प्रमुख घटनाओं को स्पष्ट करने में अपना योगदान दिया है। पृथ्वी की आयु ब्रह्माण्ड की आयु की लगभग एक-तिहाई है। उस काल-खण्ड के दौरान व्यापक भूगर्भीय तथा जैविक परिवर्तन हुए हैं। .

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पूरब से उत्पन्न पश्चिमी सभ्यता

पूरब से उत्पन्न पश्चिमी सभ्यता (The Eastern Origins of Western Civilisation), जॉन एम हॉब्सन द्वारा सन २००४ में लिखित पुस्तक है जिसमें इस ऐतिहासिक सिद्धान्त के विरुद्ध तर्क दिया गया है कि पश्चिम का उदय सन १४९२ के बाद 'कुँवारी माँ' से हुआ। इस पुस्तक में यह दर्शाने का सफल प्रयत्न किया गया है कि पश्चिमी का उदय वस्तुतः उसके पूर्वी देशों के साथ अन्तःक्रिया (interactions) के कारण हुआ जो पश्चिम की तुलना में सामाजिक एवं प्रौद्योगिकीय दृष्टि से अधिक उन्नत थे। .

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पूर्वी समस्या

राजनय के इतिहास में पूर्वी समस्या या प्राच्य समस्या (Eastern Question) से आशय उस्मानी साम्राज्य के कमजोर होने पर यूरोप की महाशक्तियों के बीच उपजे रणनीतिक स्पर्धा एवं राजनैतिक स्थिति से है। १८वीं शताब्दी के अन्त से लेकर २०वीं शताब्दी के अन्त तक उस्मानी साम्राज्य राजनैतिक एवं आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा था। इसे 'यूरोप का रोगी' (sick man of Europe) कहते थे। 'पूर्वी समस्या' के अन्तर्गत एक-दूसरे से जुड़ी अनेकों समस्याएँ थीं, जैसे उस्मानी साम्राज्य की सैनिक पराजय, संस्थानों का दिवाला, उस्मानी साम्राज्य के राजनैतिक एवं आर्थिक आधुनीकरण का अभाव, प्रान्तों में सामाजिक-धार्मिक राष्ट्रीयता का उदय, तथा महाशक्तियों की आपसी प्रतिद्वन्द्विता। पूर्वी समस्या यूरोप के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित तुर्की साम्राज्य की ईसाई जनता की आजादी की समस्या थी। वस्तुतः पतनोन्मुख तुर्की साम्राज्य ने यूरोप के इतिहास में 19वीं शताब्दी में जिस समस्या को जन्म दिया उसे पूर्वी समस्या कहते हैं। यह बहुत ही जटिल, उलझी हुई तथा विभिन्न देशों के परस्पर विरोधी हितों से सम्बन्धित थी। इस समस्या ने प्रथम युद्ध की पृष्ठभूमि का कार्य किया। इतिहासकार सी.डी.

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पेप्सिको

पेप्सिको, इन्कोर्पोरेटेड फॉर्च्यून 500 अमरीकी बहुराष्ट्रीय कम्पनी है जिसका मुख्यालय परचेस, न्यूयॉर्क में है और इसकी रूचि कई प्रकार के कार्बोनेटेड एवं गैर कार्बोनेटेड पेय, अनाज आधारित मीठे और नमकीन स्नैक्स और अन्य खाद्य पदार्थ के उत्पादन और विपणन में है। पेप्सी ब्रांड के अलावा यह कम्पनी क्वेकर ओट्स, गेटोरेड, फ्रिटो ले, सोबे, नेकेड, ट्रॉपिकाना, कोपेल्ला, माउंटेन ड्यू, मिरिंडा और 7 अप (अमरीका के बाहर) जैसे दूसरे ब्रांड की भी मालिक है। 2006 से इंदिरा कृष्णामूर्ति नूयी पेप्सिको की मुख्य प्रबंधक हैं और इकाई के पेय पदार्थ वितरण और बॉटलिंग का उतरदायित्व सम्बंधित इकाई जैसे दी पेप्सी बॉटलिंग ग्रुप और पेप्सी अमेरिकास संभालती है। पेप्सिको एक एसआईसी 2080 (SIC 2080) पेय पदार्थ इकाई है। .

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पॉल वुल्फोवित्ज़

पॉल वुल्फोवित्ज़ पॉल वुल्फोवित्ज़ ने अमरीका और दुनिया के सार्वजनिक जीवन मे तीस से भी ज्यादा साल एक अध्यापक और अन्य दूसरे रूपों में गुज़ारे हैं जिसमें छ: अमरीकी राष्ट्रपतियों के अधीन चौबीस साल की सरकारी सेवा भी शामिल है। मार्च 2001 में एक बार फिर अमरीका के अट्ठाइसवें रक्षा सचिव के रूप में उनकी वापसी हुई। पेंटागन के इस दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पद के लिये वुल्फोवित्ज़ डोनाल्ड रम्सफील्ड के साथ वे अमरीकी सेना के लिये महत्वपूर्ण नीति निर्माण की प्रक्रिया को अंज़ाम देते हैं। ग्यारह सितंबर के हमलों के बाद पॉल वुल्फोवित्ज़ ने पूरे विश्व में आतंकवाद के खिलाफ़ अमरीकी रणनीति तैयार करने से लेकर ईराक़ और अफ़गानिस्तान के हमलों के लिये नीति तैयार करने में अति विशिष्ट भूमिका निभाई है। 1989 में राष्ट्रपति बुश ने उन्हें पेंटागन में वापिस बुलाया और उन्होंने तत्कालीन रक्षा सचिव डिक चेनी को खाड़ी युद्ध के संचालन एवं उसके लिये पैसे का जुगाड़ करने में काफी मदद की। राष्ट्रपति रीगन के शासनकाल में वुल्फोवित्ज़ ने तीन साल तक इंडोनेशिया में अमरीका के राजदूत की भूमिका भी अदा की। इस दौरना श्री वुल्फोवित्ज़ की छवि काफी अच्छी रही थी और इस्लामी दुनिया से सार्थक संवाद में उन्होंने काफी अच्छी भूमिका निभाई। इंडोनेशिया जाने से पहले वुल्फोवित्ज़ केन्द्रीय सरकार के नीति निर्धाण एवं योजना कार्यान्वयन विभाग के प्रमुख पद पर तीन साल तक और लगभग ढाई साल तक पूर्वी एशिया और प्रशांत महासगरीय देशों के मामले के समीति के सचिव पद पर कार्य कर चुके थे। चीन के साथ अमरीका के संबंध सुधारने मे वुल्फोवित्ज़ काफी आगे रहे थे और जापान तथा कोरिया के मामलों में भी अमरीकी सरकार उनपर काफी निर्भ रही थी। कोरिया और फिलिपींस में लोकतंत्र संबंधी आंदोलोनों में भी वे काफी प्रभावी साबित हुये। पॉल वुल्फोवित्ज़ के सराकारी दायरों से बाहर की भूमिका मुख्य रूप से एक प्राध्यापक के रूप में रही है। 1994 से 2001 के बीच वे जान हापकिन्स विश्वविद्यालय में डीन एवं प्रोफ़ेसर के रूप में उन्होंने काम किया। प्राध्यापक के रूप में उन्होंने अमरीका की रक्षा नीति से संबंधित बहसों में जमकर भाग लिया और कई बहसों के आयोजक बने। इससे पहले श्री पॉल वुल्फोवित्ज़ येल विश्वविद्यालय में 1970 से 1973 के बीच राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक भी रह चुके थे। श्री पॉल वुल्फोवित्ज़ ने सुरक्षा संबंधी मामलों पर काफी कुछ लिखा भी है। उन्होंने गणित में अपने स्नातक की उपाधि 1965 में कोर्नेल विश्वविद्यालय से प्राप्त की और 1972 में शिकागो विश्वविद्यालय से डाक्टरेट की उपाधि हासिल की। श्रेणी:अमेरीका के अर्थशास्त्री श्रेणी:आधार श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन.

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बांग्लादेश की राजनीति

बांग्लादेश में राजनीति संविधान, में दिए गए संसदीय, प्रतिनिधित्व वादी लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत होती है जिसके अनुसार: राष्ट्रपति बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष एवं बांग्लादेश के प्रधानमंत्री, सरकार एवं एक बहुदलीय जनतांत्रिक प्रणाली के प्रमुख होते हैं। कार्यकारी शक्तियाँ, बांग्लादेश की सरकार के अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत आती हैं, एवं विधाई शक्तियां सरकार और संसद दोनों पर न्योछावर की गई हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश में एक स्वतंत्र श्रेणीबद्ध न्यायपालिका भी है, जिसके शिखर पर बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय है। बांग्लादेश के संविधान को सन 1972 में लिखा गया था और तब से लेकर आज तक इसमें कुल 16 संशोधन किए गए हैं। .

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ब्रूस विलिस

वाल्टर ब्रूस विलिस (जन्म मार्च 19, 1955), ब्रूस विलिस के नाम से भी मशहूर हैं; एक अमेरिकी अभिनेता, निर्माता और संगीतकार हैं। उन्होंने अपना कैरियर 1980 के दशक में टेलीविजन से शुरू किया व तब से वे टेलीविजन तथा फिल्मों, दोनों में ही काम कर रहे हैं जिनमें हास्य, नाटकीय तथा एक्शन भूमिकाएं शामिल हैं। वे डाई हार्ड श्रृंखला के जॉन मैक्लेन की भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं जो जटिल होने के साथ साथ आर्थिक रूप से अत्यंत सफल भूमिका थी। उन्होंने साठ से अधिक फिल्मों मे भूमिकाएं कीं हैं जिनमें बॉक्स ऑफिस पर सफल होने वाली फ़िल्में, जैसे पल्प फिक्शन, सिन सिटी, 12 मन्कीज़, दि फिफ्थ एलिमेंट, अर्मागेडन तथा दि सिक्स्थ सेन्स शामिल हैं। विलिस की भूमिकाओं वाली फिल्मों ने उत्तर अमेरिकी बॉक्स ऑफिस पर 2.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 3.05 बिलियन डॉलर का कारोबार किया जिससे वे मुख्य भूमिका में सर्वाधिक कमाई करने वाले नौवें अभिनेता तथा सहायक भूमिका में सर्वाधिक कमाई करने वाले बारहवें अभिनेता बन गए। वे दो बार के एमी पुरस्कार विजेता, गोल्डेन ग्लोब पुरस्कार विजेता तथा चार बार सैटर्न पुरस्कारों के लिए नामांकित अभिनेता हैं। विलिस का विवाह डेमी मूर से हुआ था तथा तेरह वर्ष के वैवाहिक जीवन के बाद वर्ष 2000 में उनका तलाक हुआ, उस वक्त उनके तीन बेटियां थीं। .

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भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची

भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची। भारत ने सर्वाधिक हिंदी भाषा के समाचार पत्र सर्कुलेट होते हैं उसके बाद इंग्लिश और उर्दू समाचारपत्रों का स्थान है। .

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भारत में मानवाधिकार

देश के विशाल आकार और विविधता, विकसनशील तथा संप्रभुता संपन्न धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में इसकी प्रतिष्ठा, तथा एक भूतपूर्व औपनिवेशिक राष्ट्र के रूप में इसके इतिहास के परिणामस्वरूप भारत में मानवाधिकारों की परिस्थिति एक प्रकार से जटिल हो गई है। भारत का संविधान मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिसमें धर्म की स्वतंत्रता भी अंतर्भूक्त है। संविधान की धाराओं में बोलने की आजादी के साथ-साथ कार्यपालिका और न्यायपालिका का विभाजन तथा देश के अन्दर एवं बाहर आने-जाने की भी आजादी दी गई है। यह अक्सर मान लिया जाता है, विशेषकर मानवाधिकार दलों और कार्यकर्ताओं के द्वारा कि दलित अथवा अछूत जाति के सदस्य पीड़ित हुए हैं एवं लगातार पर्याप्त भेदभाव झेलते रहे हैं। हालांकि मानवाधिकार की समस्याएं भारत में मौजूद हैं, फिर भी इस देश को दक्षिण एशिया के दूसरे देशों की तरह आमतौर पर मानवाधिकारों को लेकर चिंता का विषय नहीं माना जाता है। इन विचारों के आधार पर, फ्रीडम हाउस द्वारा फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2006 को दिए गए रिपोर्ट में भारत को राजनीतिक अधिकारों के लिए दर्जा 2, एवं नागरिक अधिकारों के लिए दर्जा 3 दिया गया है, जिससे इसने स्वाधीन की संभतः उच्चतम दर्जा (रेटिंग) अर्जित की है। .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत का प्रधानमन्त्री

भारत गणराज्य के प्रधानमन्त्री (सामान्य वर्तनी:प्रधानमंत्री) का पद भारतीय संघ के शासन प्रमुख का पद है। भारतीय संविधान के अनुसार, प्रधानमन्त्री केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद् का प्रमुख और राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का प्रमुख होता है और सरकार के कार्यों के प्रति संसद को जवाबदेह होता है। भारत की संसदीय राजनैतिक प्रणाली में राष्ट्रप्रमुख और शासनप्रमुख के पद को पूर्णतः विभक्त रखा गया है। सैद्धांतिकरूप में संविधान भारत के राष्ट्रपति को देश का राष्ट्रप्रमुख घोषित करता है और सैद्धांतिकरूप में, शासनतंत्र की सारी शक्तियों को राष्ट्रपति पर निहित करता है। तथा संविधान यह भी निर्दिष्ट करता है कि राष्ट्रपति इन अधिकारों का प्रयोग अपने अधीनस्थ अधकारियों की सलाह पर करेगा। संविधान द्वारा राष्ट्रपति के सारे कार्यकारी अधिकारों को प्रयोग करने की शक्ति, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित, प्रधानमन्त्री को दी गयी है। संविधान अपने भाग ५ के विभिन्न अनुच्छेदों में प्रधानमन्त्रीपद के संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७४ में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमन्त्री की उपस्थिति को आवश्यक माना गया है। उसकी मृत्यु या पदत्याग की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह स्वेच्छा से ही मंत्रीपरिषद का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है तथा सभी नीतिगत निर्णय भी वही लेता है। राष्ट्रपति तथा मंत्रीपरिषद के मध्य संपर्कसूत्र भी वही हैं। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह सत्तापक्ष के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है। संसद मे मंत्रिपरिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्रीगण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना आवश्यकतानुसार मंगवा सकता है। प्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत-धारी दल का नेता होता है, और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने पर होती है। इस पद पर किसी प्रकार की समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है परंतु एक व्यक्ति इस पद पर केवल तब तक रह सकता है जबतक लोकसभा में बहुमत उसके पक्ष में हो। संविधान, विशेष रूप से, प्रधानमन्त्री को केंद्रीय मंत्रिमण्डल पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इस पद के पदाधिकारी को सरकारी तंत्र पर दी गयी अत्यधिक नियंत्रणात्मक शक्ति, प्रधानमन्त्री को भारतीय गणराज्य का सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति बनाती है। विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या, सबसे बड़े लोकतंत्र और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य बलों समेत एक परमाणु-शस्त्र राज्य के नेता होने के कारण भारतीय प्रधानमन्त्री को विश्व के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों में गिना जाता है। वर्ष २०१० में फ़ोर्ब्स पत्रिका ने अपनी, विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की, सूची में तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को १८वीं स्थान पर रखा था तथा २०१२ और २०१३ में उन्हें क्रमशः १९वें और २८वें स्थान पर रखा था। उनके उत्तराधिकारी, नरेंद्र मोदी को वर्ष २०१४ में १५वें स्थान पर तथा वर्ष २०१५ में विश्व का ९वाँ सबसे शक्तिशाली व्यक्ति नामित किया था। इस पद की स्थापना, वर्त्तमान कर्तव्यों और शक्तियों के साथ, २६ जनवरी १९४७ में, संविधान के परवर्तन के साथ हुई थी। उस समय से वर्त्तमान समय तक, इस पद पर कुल १५ पदाधिकारियों ने अपनी सेवा दी है। इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले पदाधिकारी जवाहरलाल नेहरू थे जबकि भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्हें 26 मई 2014 को इस पद पर नियुक्त किया गया था। .

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भारत की राजनीति

भारत की राजनीति अपने संविधान के ढाँचे में काम करती हैं, क्योंकि भारत एक संघीय संसदीय, लोकतांत्रिक गणतंत्र हैं, जहाँ पर राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता हैं और प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता हैं। भारत एक द्वि-राजतन्त्र का अनुसरण करता हैं, अर्थात, केन्द्र में एक केन्द्रीय सत्ता वाली सरकार और परिधि में राज्य सरकारें। संविधान में विधान मंडल के द्विसदनीयता का प्रावधान हैं, जिस में एक ऊपरी सदन (राज्य सभा) जो भारतीय संघ के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता हैं, और निचला सदन (लोक सभा) जो भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करता हैं, सम्मिलित हैं। शासन एवं सत्ता सरकार के हाथ में होती है। संयुक्त वैधानिक बागडोर सरकार एवं संसद के दोनो सदनों, लोक सभा एवं राज्य सभा के हाथ में होती है। न्याय मण्डल शासकीय एवं वैधानिक, दोनो से स्वतंत्र होता है। संविधान के अनुसार, भारत एक प्रधान, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक राज्य है, जहां पर सरकार जनता के द्वारा चुनी जाती है। अमेरिका की तरह, भारत में भी संयुक्त सरकार होती है, लेकिन भारत में केन्द्र सरकार राज्य सरकारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है, जो कि ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है। बहुमत की स्थिति में न होने पर सरकार न बना पाने की दशा में अथवा विशेष संवैधानिक परिस्थिति के अंतर्गत, केन्द्र सरकार राज्य सरकार को निष्कासित कर सकती है और सीधे संयुक्त शासन लागू कर सकती है, जिसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है। .

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भारत-संयुक्त राज्य सम्बन्ध

भारत (हरा) तथा संयुक्त राज्य अमेरिका (केशरिया) भारत-संयुक्त राज्य सम्बन्ध से आशय भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध से है। यद्यपि भारत १९६१ में गुट निरपेक्ष आन्दोलन की स्थापना करने वाले देशों में प्रमुख था किन्तु शीत युद्ध के समय उसके अमेरिका के बजाय सोवियत संघ से बेहतर सम्बन्ध थे। .

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भारतीय चुनाव

चुनाव लोकतंत्र का आधार स्तम्भ हैं। आजादी के बाद से भारत में चुनावों ने एक लंबा रास्ता तय किया है। 1951-52 को हुए आम चुनावों में मतदाताओं की संख्या 17,32,12,343 थी, जो 2014 में बढ़कर 81,45,91,184 हो गई है। 2004 में, भारतीय चुनावों में 670 मिलियन मतदाताओं ने भाग लिया (यह संख्या दूसरे सबसे बड़े यूरोपीय संसदीय चुनावों के दोगुने से अधिक थी) और इसका घोषित खर्च 1989 के मुकाबले तीन गुना बढ़कर $300 मिलियन हो गया। इन चुनावों में दस लाख से अधिक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल किया गया। 2009 के चुनावों में 714 मिलियन मतदाताओं ने भाग लिया (अमेरिका और यूरोपीय संघ की संयुक्त संख्या से भी अधिक).

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भारतीय संसद

संसद भवन संसद (पार्लियामेंट) भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। यह द्विसदनीय व्यवस्था है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति तथा दो सदन- लोकसभा (लोगों का सदन) एवं राज्यसभा (राज्यों की परिषद) होते हैं। राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। भारतीय संसद का संचालन 'संसद भवन' में होता है। जो कि नई दिल्ली में स्थित है। लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या ५५२ है। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें सदस्य संख्या २५० है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन / मनोनयन ६ वर्ष के लिए होता है। जिसके १/३ सदस्य प्रत्येक २ वर्ष में सेवानिवृत्त होते है। .

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भाषा आन्दोलन दिवस

भाषा आंदोलन के दिन या भाषा क्रांति दिवस या बंगाली भाषा आंदोलन दिवस (भाषा Andolôn Dibôs), जिसे भाषा शहीद दिवस या शहीद दिवस (Shôhid Dibôs), के रूप में भी संदर्भित करते हैं, एक राष्ट्रीय दिन है, जो बांग्लादेश में 1952 में बंगाली भाषा आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शन करते समय मरने वाले छात्रों के बलिदान को याद रखने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। .

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मध्य पूर्व

मध्य पूर्व का राजनीतिक नक्शा मध्य पूर्व (या पूर्व में ज्यादा प्रचलित पूर्व के करीब (Near East)) दक्षिण पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप और उत्तरी पूर्वी अफ़्रीका में विस्तारित क्षेत्र है। इसकी कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है, अक्सर इस शब्द का प्रयोग पूर्व के पास (Near East) के एक पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता, ठीक सुदूर पूर्व (Far East) के विपरित। मध्य पूर्व शब्द का प्रचलन १९०० के आसपास के यूनाइटेड किंगडम में शुरू हुआ। .

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मलावी

मलावी गणराज्य दक्षिणपूर्व अफ्रीका में स्थित एक लैंडलॉक देश है। इसे पूर्व में 'न्यासालैंड' (Nyasaland) कहा जाता था। यह अफ्रीका की तृतीय सबसे बड़ी झील मलावी (निऐसा) के दक्षिणी तथा पश्चिमी किनारे के साथ साथ जैंबीजी नदी तक फैला हुआ है। इसकी संपूर्ण लंबाई २,५०० मील तथा चौड़ाई ५० से १३० मील है। संपूर्ण राष्ट्र तीन प्रांतों में विभक्त है। इसके उत्तरपश्चिम में तंजानिया और पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में मोजाम्बिक स्थित है। मलावी झील इस देश की सीमा तंजानिया और मोजाम्बिक से निर्धारित करती है। देश का कुल क्षेत्रफल 118,000 वर्ग किमी है, जहां 13,900,000 से ज्यादा लोग निवास करते हैं। इसकी राजधानी लिलोंग्वा और सबसे बड़ा शहर ब्लांतायर है। मलावी नाम क्षेत्र में रहने वाले न्यांजा लोगों के पुराने नाम 'मारावी' से पड़ा है। अंग्रेज़ी प्रमुख भाषा है परंतु निएंजा भाषा उन्नति कर रही है। मलावी दुनिया के सबसे निर्धन और सबसे सघन बसे देशों में शुमार किया जाता है। अर्थव्यवस्था ग्रामीण इलाकों में रहने वाली जनता के सहारे कृषि पर पूरी तरह से निर्भर है। मलावी सरकार विकास के लिए बहुत हद तक बाहरी मदद पर निर्भर है, हालांकि वर्ष 2000 के बाद से इस पर कमी आई है। मलावी सरकार के सामने अर्थव्यवस्था के विकास, शिक्षा में बढ़ोतरी, स्वास्थ्य, पर्यावरण सुरक्षा और आर्थिक रूप से सक्षम बनने जैसी कई समस्याएं खड़ी हैं। वर्ष 2005 के बाद से इन बिन्दुओं की ओर ध्यान देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसके परिणाम भी नजर आने लगे हैं। मलावी की जलवायु उष्णकटिबंधीय है। चीनी तथा गेहूँ को छोड़कर अन्य सभी खाद्यानों का उत्पादन यहाँ होता है। तंबाकू यहाँ की प्रधान कृषि उपज है। इसके साथ ही चाय, कपास आदि भी न्यूनाधिक मात्रा में पैदा की जाती है। सन् १९६४ में स्वतंत्रताप्राप्ति के बाद से कृषि की उन्नति पर काफी जोर दिया जा रहा है, परंतु संपूर्ण राष्ट्र के पहाड़ी एवं पठारी होने के कारण कृषियोग्य भूमि की कमी है। यहाँ के पर्वतों की ऊँचाई १,५०० फुट एवं १०,००० फुट के मध्य है। यहाँ से निर्यात की जानेवाली सामग्री में तंबाकू एवं कपास का स्थान प्रथम है। संपूर्ण राष्ट्र एक रेलमार्ग द्वारा विभक्त है। इस रेलमार्ग के अलावा यहाँ पर्याप्त पक्की सड़कें भी हैं। हवाई मार्ग की भी सेवाएँ अफ्रीका के विभिन्न भागों में सुलभ हैं। .

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मानविकी

सिलानिओं द्वारा दार्शनिक प्लेटो का चित्र मानविकी वे शैक्षणिक विषय हैं जिनमें प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के मुख्यतः अनुभवजन्य दृष्टिकोणों के विपरीत, मुख्य रूप से विश्लेषणात्मक, आलोचनात्मक या काल्पनिक विधियों का इस्तेमाल कर मानवीय स्थिति का अध्ययन किया जाता है। प्राचीन और आधुनिक भाषाएं, साहित्य, कानून, इतिहास, दर्शन, धर्म और दृश्य एवं अभिनय कला (संगीत सहित) मानविकी संबंधी विषयों के उदाहरण हैं। मानविकी में कभी-कभी शामिल किये जाने वाले अतिरिक्त विषय हैं प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी), मानव-शास्त्र (एन्थ्रोपोलॉजी), क्षेत्र अध्ययन (एरिया स्टडीज), संचार अध्ययन (कम्युनिकेशन स्टडीज), सांस्कृतिक अध्ययन (कल्चरल स्टडीज) और भाषा विज्ञान (लिंग्विस्टिक्स), हालांकि इन्हें अक्सर सामाजिक विज्ञान (सोशल साइंस) के रूप में माना जाता है। मानविकी पर काम कर रहे विद्वानों का उल्लेख कभी-कभी "मानवतावादी (ह्यूमनिस्ट)" के रूप में भी किया जाता है। हालांकि यह शब्द मानवतावाद की दार्शनिक स्थिति का भी वर्णन करता है जिसे मानविकी के कुछ "मानवतावाद विरोधी" विद्वान अस्वीकार करते हैं। .

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मानववाद

मानववाद या मनुष्यवाद (ह्यूमनिज़्म / humanism) दर्शनशास्त्र में उस विचारधारा को कहते हैं जो मनुष्यों के मूल्यों और उन से सम्बंधित मसलों पर ध्यान देती है। अक्सर मानववाद में धार्मिक दृष्टिकोणों और अलौकिक विचार-पद्धतियों को हीन समझा जाता है और तर्कशक्ति, न्यायिक सिद्धांतों और आचारनीति (ऍथ़िक्स) पर ज़ोर होता है। मानववाद की एक "धार्मिक मानववाद" नाम की शाखा भी है जो धार्मिक विचारों को मानववाद में जगह देने का प्रयत्न करती है। .

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मिनीकॉनामी

मिनीकॉनामी (शाब्दिक अर्थ लघु अर्थव्यवस्था) (जिसे खिलाडियों द्वारा MC भी कहा जाता है), एक वेब ब्राउज़र आधारित, बहु-खिलाड़ी ऑनलाइन खेल है। मिनीकॉनामी एक व्यापार/अर्थव्यवस्था अनुकारक खेल जिस का उद्धगम और विकास नीदरलैंड में हुआ। खेल में 121 विभिन्न देशों के 60000 खिलाड़ी पंजिकृत हैं, जो इस खेल को अंग्रेज़ी और डच भाषाओं में खेलते हैं। मिनीकॉनामी अपने 64वें चक्र में है जो 2 मई 2009 को आरंभ हुआ। मिनीकॉनामी एक शुल्क मुक्त खेल है, परंतु कोई भी खिलाड़ी नाम मात्र का शुल्क दे कर विशिष्ट प्रीमियम सदस्य बन सकता है। यह प्रीमियम सदस्यता खिलाड़ीयों को कुछ अतिरिक्त सुविधायें देती है। प्रीमियम सदस्य कंपनीयों और निगमों की स्थापना कर सकते हैं। यह कंपनीयां बैंक, बंदरगाह, जहाज़रानी, वाहन निर्माण और टैक्सी जैसे क्षेत्रों में व्यापार कर सकती हैं। प्रीमियम सदस्य राजनैतिक संगठन बना सकते हैं, भावों को प्रगट करने के लिए स्माईली का प्रयोग कर सकते हैं। प्रीमियम सदस्य साधारण सदस्यों की तुलना में दोगुणा उत्पादन कर सकते हैं। जब प्रीमियम सदस्य घर बनाते हैं तो उन को घर में मिनीकॉनामी कंप्यूटर निशुल्क प्राप्त होता है। .

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मिज़ूरी

अमेरिका के मानचित्र पर मिज़ूरी (Missouri) आयोवा, इलिनॉय, केन्टकी, टेनेसी, अर्कन्सास, ओक्लाहोमा, केन्सास और नेब्रास्का से घिरा संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य-पश्चिम क्षेत्र का एक राज्य है। मिसौरी सबसे अधिक जनसंख्या वाला 18वां राज्य है जिसकी 2009 में अनुमानित जनसंख्या 5,987,580 थी। यह 114 प्रान्तों और एक स्वतंत्र शहर से मिलकर बना है। मिसौरी की राजधानी जेफ़रसन शहर है। तीन सबसे बड़े शहरी क्षेत्र सेंट लुई, कन्सास शहर और स्प्रिंगफील्ड हैं। मिसौरी को मूल रूप से लुइसियाना खरीद के भाग के रूप में फ्रांस से अधिग्रहण किया गया था। मिसौरी राज्य क्षेत्र के भाग को 10 अगस्त 1821 में 24वें राज्य के रूप में संघ में शामिल कर लिया गया। मिसौरी में राष्ट्र के जनसांख्यिकीय, आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्र में शहरी और ग्रामीण संस्कृति का मिश्रण देखने को मिलता है। इसे लंबे समय से एक राजनीतिक कसौटी राज्य माना जाता रहा है। 1956 और 2008 को छोड़कर, मिसौरी के U.S. राष्ट्रपति के पद के चुनाव के परिणाम ने 1904 से प्रत्येक चुनाव में संयुक्त राज्य अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की सही-सही भविष्यवाणी की है। यह मध्य पश्चिमी और दक्षिणी दोनों संस्कृतियों से प्रभावित है और अपने इतिहास में एक सीमा राज्य के रूप में प्रदर्शित है। यह पूर्वी और पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक अवस्थांतर भी है क्योंकि सेंट लुई को अक्सर "सुदूर-पश्चिमी पूर्वी शहर" और कन्सास शहर को "सुदूर-पूर्वी पश्चिमी शहर" कहते हैं। मिसौरी के भूगोल में अत्यधिक विविधता है। राज्य का उत्तरी भाग विच्छेदित गोल मैदानों में पड़ता है जबकि दक्षिणी भाग ओज़ार्क पर्वतों (विच्छेदित पठार) में पड़ता है जिसे मिसोरी नदी दो भागों में बांटती है। मिसिसिपी और मिसौरी नदियों का संगम सेंट लुई के पास स्थित है। .

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मेटरनिख

मेटरनिख मेटरनिख (Prince Klemens Wenzel von Metternich (जर्मन में पूरा नाम: Klemens Wenzel Nepomuk Lothar, Fürst von Metternich-Winneburg zu Beilstein, अंग्रेजी रूपान्तरण: Clement Wenceslas Lothar von Metternich-Winneburg-Beilstein; 15 मई 1773 – 11 जून 1859) राजनेता व राजनयज्ञ था। वह १८०९ से १८४८ तक आस्ट्रियाई साम्राज्य का विदेश मंत्री रहा। वह अपने समय का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे प्रतिभाशाली राजनयिक था। नेपोलियन की वाटरलू पराजय के बाद मेटरनिख यूरोप की राजनीति का सर्वेसर्वा बन गया। उसने यूरोपीय राजनीति में इतनी प्रमुख भूमिका निभाई कि 1815 से 1848 तक के यूरोपीय इतिहास का काल 'मेटरनिख युग’ के नाम से प्रसिद्ध है। मेटरनिख ने अपने प्रधानमन्त्रितत्व-काल में प्रतिक्रया और अनुदारीता का अनुकरण करने की नीति अपनाई और उसके प्रभाव के कारण आस्ट्रिया का साम्राज्य यूरोप में अत्यन्त महत्वपूर्ण बन गया। .

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यूरोपीय संघ

यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 28 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है। इसका अभ्युदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपिय आर्थिक परिषद के माध्यम से छह यूरोपिय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुआ था। तब से इसमें सदस्य देशों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती रही और इसकी नीतियों में बहुत से परिवर्तन भी शामिल किये गये। 1993 में मास्त्रिख संधि द्वारा इसके आधुनिक वैधानिक स्वरूप की नींव रखी गयी। दिसम्बर 2007 में लिस्बन समझौता जिसके द्वारा इसमें और व्यापक सुधारों की प्रक्रिया 1 जनवरी 2008 से शुरु की गयी है। यूरोपिय संघ सदस्य राष्ट्रों को एकल बाजार के रूप में मान्यता देता है एवं इसके कानून सभी सदस्य राष्ट्रों पर लागू होता है जो सदस्य राष्ट्र के नागरिकों की चार तरह की स्वतंत्रताएँ सुनिश्चित करता है:- लोगों, सामान, सेवाएँ एवं पूँजी का स्वतंत्र आदान-प्रदान.

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यूके की संसद

यूके की संसद (Parliament of the United Kingdom, या UK Parliament या British Parliament)युनाइटेड किंगडम की सर्वोच्च विधायी संस्था है।ब्रिटन के अन्य सभी राजनीतिक निकार्यो पर अंतिम शक्ति है। संसद में एक हाउस ओफ लॉर्ड्स और हाउस ओफ कॉमन्स भी शामिल है। हाउस ओफ लॉर्ड्स में दो प्रकार के लोग शामिल है-लॉर्ड्स स्पिरित्च्वल और लॉर्ड्स टेम्परल। अक्तूबर २००९ में सर्वोच्च न्यायालय के उद्घाटन के पहले, हाउस ओफ लॉर्ड्स ने लॉ लॉर्ड्स के माध्यम से भी एक न्यायिक भूमिका की। लंदन में वेस्टमिनिस्टर पालस में दो सदनों अलग-अलग कक्षों में मिलती हैं। प्रधान मंत्री सहित सभी सरकारी मंत्रियों, हाउस ओफ कॉमन्स के सदस्य है। १७०७ में ग्रेट ब्रिटन की संसद का गठन किया गया था।ब्रिटन की संसद ने विश्व के कई लोकतंत्रों के लिए उदाहरण थी। इसलिए यह संसद "मधर ओफ पार्लिमेन्ट" कही जाती है। .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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रामराज्य

हिन्दू संस्कृति में राम द्वारा किया गया आदर्थ शासन रामराज्य के नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में रामराज्य का प्रयोग सर्वोत्कृष्ट शासन या आदर्श शासन के रूपक (प्रतीक) के रूम में किया जाता है। रामराज्य, लोकतन्त्र का परिमार्जित रूप माना जा सकता है। वैश्विक स्तर पर रामराज्य की स्थापना गांधीजी की चाह थी। गांधीजी ने भारत में अंग्रेजी शासन से मुक्ति के बाद ग्राम स्वराज के रूप में रामराज्य की कल्पना की थी। .

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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संघ

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संघ (बर्मी भाषा: အမျိုးသား ဒီမိုကရေစီ အဖွဲ့ချုပ် / अम्योसा दीमोकरेची अफ्वैंख्युप्; IPA:; NLD) म्यांमार का एक राजनैतिक दल है जो अभी सत्ता में है। iइसकी स्थापना २७ सितम्बर १९८८ को हुई थी। इस दल के राजनैतिक दर्शन का झुकाव लोकतांत्रिक समाजवाद तथा उदार लोकतन्त्र की तरफ है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की इसकी अध्यक्षा हैं। .

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राजनीतिक दल

राजनीतिक दल अथवा राजनैतिक दल एक राजनीतिक संस्था (Political organisation) है जो शासन में राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने एवं उसे बनाये रखने का प्रयत्न करता है। इसके लिये प्राय: वह चुनाव की प्रक्रिया में भाग लेता है। राजनीतिक दलों का अपना एक सिद्धान्त या लक्ष्य (विज़न) होता है जो प्राय: लिखित दस्तावेज के रूप में होता है। विभिन्न देशों में राजनीतिक दलों की अलग-अलग स्थिति व व्यवस्था है। कुछ देशों में कोई भी राजनीतिक दल नहीं होता। कहीं एक ही दल सर्वेसर्वा (डॉमिनैन्ट) होता है। कहीं मुख्यतः दो दल होते हैं। किन्तु बहुत से देशों में दो से अधिक दल होते हैं। लोकतान्त्रिक राजनैतिक व्यवस्था में राजनैतिक दलों का स्थान केन्द्रीय अवधारणा के रूप में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। राजनैतिक दल किसी समाज व्यवस्था में शक्ति के वितरण और सत्ता के आकांक्षी व्यक्तियों एवं समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे परस्पर विरोधी हितों के सारणीकरण, अनुशासन और सामंजस्य का प्रमुख साधन रहे हैं। इस तरह से राजनैतिक दल समाज व्यवस्था के लक्ष्यों, सामाजिक गतिशीलता, सामाजिक परिवर्तनों, परिवर्तनों के अवरोधों और सामाजिक आन्दोलनों से भी सम्बन्धित होते हैं। राजनैतिक दलों का अध्ययन समाजशास्त्री और राजनीतिशास्त्री दोनों करते हैं, लेकिन दोनों के दृष्टिकोणों में पर्याप्त अन्तर है। समाजशास्त्री राजनैतिक दल को सामाजिक समूह मानते हैं जबकि राजनीतिज्ञ राजनीतिक दलों को आधुनिक राज्य में सरकार बनाने की एक प्रमुख संस्था के रूप में देखते हैं। .

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रूसो

महान दार्शनिक '''रूसो''' जीन-जक्क़ुएस रूसो (1712 - 78) की गणना पश्चिम के युगप्रवर्तक विचारकों में है। किंतु अंतर्विरोध तथा विरोधाभासों से पूर्ण होने के कारण उसके दर्शन का स्वरूप विवादास्पद रहा है। अपने युग की उपज होते हुए भी उसने तत्कालीन मान्यताओं का विरोध किया, बद्धिवाद के युग में उसने बुद्धि की निंदा की (विश्वकोश के प्रणेताओं (Encyclopaedists) से उसका विरोध इस बात पर था) और सहज मानवीय भावनाओं को अत्यधिक महत्व दिया। सामाजिक प्रसंविदा (सोशल कंट्रैक्ट) की शब्दावली का अवलंबन करते हुए भी उसने इस सिद्धांत की अंतरात्मा में सर्वथा नवीन अर्थ का सन्निवेश किया। सामाजिक बंधन तथा राजनीतिक दासता की कटु आलोचना करते हुए भी उसने राज्य को नैतिकता के लिए अनिवार्य बताया। आर्थिक असमानता और व्यक्तिगत संपत्ति को अवांछनीय मानते हुए भी रूसो साम्यवादी नहीं था। घोर व्यक्तिवाद से प्रारंभ होकर उसे दर्शन की परिणति समष्टिवाद में होती है। स्वतंत्रता और जनतंत्र का पुजारी होते हुए भी वह राबेसपीयर जैसे निरंकुशतावादियों का आदर्श बन जाता है। .

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लोकतांत्रिक समाजवाद

लोकतांत्रिक समाजवाद एक राजनीतिक विचारधारा हैं, जो राजनीतिक लोकतंत्र के साथ उत्पादन के साधनों के सामाजिक स्वामित्व की वक़ालत करती हैं, व इसका अधिकतर ज़ोर समाजवादी आर्थिक प्रणाली में लोकतांत्रिक प्रबन्धन पर रहता हैं। कभी कभी "लोकतांत्रिक समाजवाद" का प्रयोग "समाजवाद" के पर्यायवाची शब्द के रूप में होता हैं; "लोकतांत्रिक" विशेषण जोड़कर, इसके और मार्क्सवादी-लेनिनवादी प्रकार के समाजवाद के बीच अंतर किया जाता हैं, जिसे व्यापक रूप से व्यवहार में अलोकतांत्रिक देखा जाता हैं। .

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लोकतंत्र का इतिहास

एथेंस के एक्रोपोलिस का चित्रण लोकतंत्र के उपयोग का इतिहास लंबा और ऊंचनीच से भरा हुआ है। भारत के प्राचीन गणतंत्रों अथवा यूरोप के एथेन्सी लोकतंत्र का इतिहास ही दो हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है और हम देखते हैं कि उस काल के मानव समाज में भी लोकतंत्रीय संस्थाएं किसी-न-किसी रूप में विद्यमान थीं। मानवीय गतिविधि जैसे-जैसे व्यापक रूप लेती गई, मानव दृष्टि में भी व्यापकता आती गई। नागरिक समाज निर्माण करने की आकांक्षा ने मनुष्य को लोकतंत्र की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया क्योंकि यही ऐसी व्यवस्था है जिसमें सर्वसाधारण को अधिकतम भागीदारी का अवसर मिलता है। इससे केवल निर्णय करने की प्रक्रिया ही में नहीं अपितु कार्यकारी क्षेत्र में भी भागीदारी उपलब्ध होती है। अपने विकास क्रम के विभिन्न चरणों में लोकतंत्र ने भिन्न-भिन्न परिस्थितियों को अन्यान्य मात्रा में सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। .

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शासन

शासन संचालन की गतिविधि को शासन कहते हैं, या दूसरे शब्दों में कहें तो, राज करने या राज चलाने को शासन कहा जाता है। इसका संबंध उन निर्णयों से है जो उम्मीदों को परिभाषित करते हैं, शक्ति देते हैं, या प्रदर्शन को प्रमाणित करते हैं। यह एक अलग प्रक्रिया भी हो सकती है या प्रबंधन अथवा नेतृत्व प्रक्रिया का एक खास हिस्सा भी हो सकती है। कभी कभी लोग इन प्रक्रियाओं और व्यवस्थाओं के संचालन के लिए सरकार की स्थापना करते हैं। किसी कारोबार अथवा गैर-लाभकारी संगठन के सन्दर्भ में, शासन का तात्पर्य अविरुद्ध प्रबंधन, एकीकृत नीतियों, मार्गदर्शन, प्रक्रियाओं और किसी दिए गए क्षेत्र के निर्णायक-अधिकारों से संबंधित है। उदाहरण के लिए, कॉर्पोरेट स्तर पर प्रबंधन के लिए गोपनीयता, आंतरिक निवेश, तथा आंकड़ों के प्रयोग संबंधी नीतियाँ बनाना शामिल हो सकता है। अगर सरकार और शासन शब्दों में अंतर किया जाए, तो जो निकलकर सामने आएगा वो यह है कि एक सरकार जो करती है वही शासन है। यह कोई भी भू-राजनीतिक सरकार (राष्ट्र-राज्य), कॉर्पोरेट सरकार (कारोबारी संस्था), सामाजिक-राजनीतिक सरकार (जाति, परिवार इत्यादि) या किसी भी अन्य प्रकार की सरकार हो सकती है। लेकिन शासन शक्ति और नीति के प्रबंधन की गतिज प्रक्रिया है, जबकि सरकार वह माध्यम (आमतौर पर सामूहिक) है जो इस प्रक्रिया को अंजाम देती है। वैसे सरकार शब्द का इस्तेमाल शासन के पर्यायवाची शब्द के तौर पर भी किया जाता है, जैसा कि कनाडाई नारे के तहत "शांति, व्यवस्था और अच्छी सरकार " है। 1947 ई. में जाकर अंग्रेजों का भारत पर शासन समाप्त हुआ। .

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शिकायत निवारण प्रणाली

किसी भी लोकतंत्र में नागरिक अधिकांशतः सरकारी एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं और सुविधाओं पर निर्भर रहते हैं और उन्हें प्रायः इन एजेंसियों के साथ व्यवहार करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन विभागों या एजेंसियों द्वारा सेवाएँ प्रदान करने में देरी और उत्पीड़न समस्या उत्पन्न करते हैं जिससे लोगों में अस्ंतोष पैदा होता है। शिकायत निवारण तंत्र इन समस्याओं से निपटने और बड़े पैमाने पर लोगों हेतु सेवाओं में सुधार सुनिश्चित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण साधन/प्रक्रिया है। .

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श्रम आंदोलन

श्रम आंदोलन या लेबर मूवमेंट श्रमवर्ग लोगों के एक सामूहिक संगठन के विकास के लिए अपने कर्मचारियों और सरकारों से, विशेष रूप से श्रम संबंधों को शासित करने वाले विशिष्ट कानूनों के कार्यान्वयन के माध्यम से बेहतर आचरण के लिए अपने स्वयं के हित में अभियान चलाने में इस्तेमाल किया जाने वाला एक व्यापक शब्द है। ट्रेड यूनियन समाजों के भीतर सामूहिक संगठनों के रूप में हैं जिन्हें श्रमिकों और कामगार वर्ग के हितों का प्रतिनिधित्व करने के उद्देश्य से गठित किया गया है। शासक वर्ग के कई लोग तथा राजनीतिक समूह भी श्रम आंदोलन में सक्रिय और इसका एक हिस्सा हो सकते हैं। कुछ देशों में, खासकर ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में श्रम आंदोलन को एक औपचारिक "राजनीतिक पक्ष" को घेरने वाला समझा जाता है जिसे अक्सर लेबर पार्टी या वर्कर्स पार्टी के नाम से जाना जाता है जो उपरोक्त "औद्योगिक पक्ष" का पूरक बनते हैं। .

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समतावाद

सामाजिक और राजनीतिक चिंतन में समतावाद (Egalitarianism) एक स्थापित लेकिन विवादित अवधारणा है। समतावाद का सिद्धांत सभी मनुष्यों के समान मूल्य और नैतिक स्थिति की संकल्पना पर बल देता है। समतावाद का दर्शन ऐसी व्यवस्था का समर्थन करता है जिसमें सम्पन्न और समर्थ व्यक्तियों के साथ-साथ निर्बल, निर्धन और वंचित व्यक्तियों को भी आत्मविकास के लिए उपयुक्त अवसर और अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त हो सकें। समतावाद समाज के सब सदस्यों को एक ही शृंखला की कड़ियाँ मानता है जिसमें मज़बूत कड़ियाँ कमज़ोर कड़ियों की हालातसे अप्रभावित नहीं रह सकतीं। उसका दावा है कि जिस समाज में भाग्यहीन और वंचित मनुष्य दुःखमय, अस्वस्थ और अमानवीय जीवन जीने को विवश हों, उसमें भाग्यशाली और सम्पन्न लोगों को व्यक्तिगत उन्नति और सुख समृद्धि प्राप्त करने की असीम स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती। वस्तुतः समतावाद स्वतंत्रता और समानता में सामंजस्य स्थापित करना चाहता है। इसे एक विवादितसंकल्पना इसलिए कहा गया है कि समानता के कई स्वरूप हो सकते हैं और लोगों के साथ समान व्यवहार करने के भी अनेक तरीके हो सकते हैं। .

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समानता

सामाजिक सन्दर्भों में समानता (equality) का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है जिसमें उस समाज के सभी लोग समान (अलग-अलग नहीं) अधिकार या प्रतिष्ठा (status) रखते हैं। सामाजिक समानता के लिए 'कानून के सामने समान अधिकार' एक न्यूनतम आवश्यकता है जिसके अन्तर्गत सुरक्षा, मतदान का अधिकार, भाषण की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, सम्पत्ति अधिकार, सामाजिक वस्तुओं एवं सेवाओं पर समान पहुँच (access) आदि आते हैं। सामाजिक समानता में स्वास्थ्य समानता, आर्थिक समानता, तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा भी आतीं हैं। इसके अलावा समान अवसर तथा समान दायित्व भी इसके अन्तर्गत आता है। सामाजिक समानता (Social Equality) किसी समाज की वह अवस्था है जिसके अन्तर्गत उस समाज के सभी व्यक्तियों को सामाजिक आधार पर समान महत्व प्राप्त हो। समानता की अवधारणा मानकीय राजनीतिक सिद्धांत के मर्म में निहित है। यह एक ऐसा विचार है जिसके आधार पर करोड़ों-करोड़ों लोग सदियों से निरंकुश शासकों, अन्यायपूर्ण समाज व्यवस्थाओं और अलोकतांत्रिक हुकूमतों या नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष करते रहे हैं और करते रहेंगे। इस लिहाज़ से समानता को स्थाई और सार्वभौम अवधारणाओं की श्रेणी में रखा जाता है। दो या दो से अधिक लोगों या समूहों के बीच संबंध की एक स्थिति ऐसी होती है जिसे समानता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।  लेकिन, एक विचार के रूप में समानता इतनी सहज और सरल नहीं है, क्योंकि उस संबंध को परिभाषित करने, उसके लक्ष्यों को निर्धारित करने और उसके एक पहलू को दूसरे पर प्राथमिकता देने के एक से अधिक तरीके हमेशा उपलब्ध रहते हैं। अलग-अलग तरीके अख्तियार करने पर समानता के विचार की भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ उभरती हैं। प्राचीन यूनानी सभ्यता से लेकर बीसवीं सदी तक इस विचार की रूपरेखा में कई बार ज़बरदस्त परिवर्तन हो चुके हैं। बहुत से चिंतकों ने इसके विकास और इसमें हुई तब्दीलियों में योगदान किया है जिनमें अरस्तू, हॉब्स, रूसो, मार्क्स और टॉकवील प्रमुख हैं। .

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समाजवाद

समाजवाद (Socialism) एक आर्थिक-सामाजिक दर्शन है। समाजवादी व्यवस्था में धन-सम्पत्ति का स्वामित्व और वितरण समाज के नियन्त्रण के अधीन रहते हैं। आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक प्रत्यय के तौर पर समाजवाद निजी सम्पत्ति पर आधारित अधिकारों का विरोध करता है। उसकी एक बुनियादी प्रतिज्ञा यह भी है कि सम्पदा का उत्पादन और वितरण समाज या राज्य के हाथों में होना चाहिए। राजनीति के आधुनिक अर्थों में समाजवाद को पूँजीवाद या मुक्त बाजार के सिद्धांत के विपरीत देखा जाता है। एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में समाजवाद युरोप में अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में उभरे उद्योगीकरण की अन्योन्यक्रिया में विकसित हुआ है। ब्रिटिश राजनीतिक विज्ञानी हैरॉल्ड लॉस्की ने कभी समाजवाद को एक ऐसी टोपी कहा था जिसे कोई भी अपने अनुसार पहन लेता है। समाजवाद की विभिन्न किस्में लॉस्की के इस चित्रण को काफी सीमा तक रूपायित करती है। समाजवाद की एक किस्म विघटित हो चुके सोवियत संघ के सर्वसत्तावादी नियंत्रण में चरितार्थ होती है जिसमें मानवीय जीवन के हर सम्भव पहलू को राज्य के नियंत्रण में लाने का आग्रह किया गया था। उसकी दूसरी किस्म राज्य को अर्थव्यवस्था के नियमन द्वारा कल्याणकारी भूमिका निभाने का मंत्र देती है। भारत में समाजवाद की एक अलग किस्म के सूत्रीकरण की कोशिश की गयी है। राममनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और नरेन्द्र देव के राजनीतिक चिंतन और व्यवहार से निकलने वाले प्रत्यय को 'गाँधीवादी समाजवाद' की संज्ञा दी जाती है। समाजवाद अंग्रेजी और फ्रांसीसी शब्द 'सोशलिज्म' का हिंदी रूपांतर है। 19वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इस शब्द का प्रयोग व्यक्तिवाद के विरोध में और उन विचारों के समर्थन में किया जाता था जिनका लक्ष्य समाज के आर्थिक और नैतिक आधार को बदलना था और जो जीवन में व्यक्तिगत नियंत्रण की जगह सामाजिक नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे। समाजवाद शब्द का प्रयोग अनेक और कभी कभी परस्पर विरोधी प्रसंगों में किया जाता है; जैसे समूहवाद अराजकतावाद, आदिकालीन कबायली साम्यवाद, सैन्य साम्यवाद, ईसाई समाजवाद, सहकारितावाद, आदि - यहाँ तक कि नात्सी दल का भी पूरा नाम 'राष्ट्रीय समाजवादी दल' था। समाजवाद की परिभाषा करना कठिन है। यह सिद्धांत तथा आंदोलन, दोनों ही है और यह विभिन्न ऐतिहासिक और स्थानीय परिस्थितियों में विभिन्न रूप धारण करता है। मूलत: यह वह आंदोलन है जो उत्पादन के मुख्य साधनों के समाजीकरण पर आधारित वर्गविहीन समाज स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है और जो मजदूर वर्ग को इसका मुख्य आधार बनाता है, क्योंकि वह इस वर्ग को शोषित वर्ग मानता है जिसका ऐतिहासिक कार्य वर्गव्यवस्था का अंत करना है। .

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सरकार

सरकार कुछ निश्चित व्यक्तियों का समूह होती है जो राष्ट्र तथा राज्यों में निश्चित काल के लिए तथा निश्चित पद्धति द्वारा शासन करता है। प्रायः इसके तीन अंग होते हैं - व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। सरकार के माध्यम से राज्य में राजशासन नीति लागू होती है। सरकार के तंत्र का अभिप्राय उस राजनितिक व्यवस्था से होता है जिसके द्वारा राज्य की सरकार को जाना जाता है। राज्य निरन्तर बदलती हुयी सरकारों द्वारा प्रशासित होते हैं। हर नई सरकार कुछ व्यक्तियों का समूह होती है जो राजनितिक फ़ैसले लेती है या उनपर नियन्त्रण रखती है। सरकार का कार्य नए कानून बनाना, पुराने कानूनों को लागू रखना तथा झगड़ों में मध्यस्थता करना होता है। कुछ समाजों में यह समूह आत्म-मनोनीत या वंशानुगत होता है। बाकी समाजों में, जैसे लोकतंत्र, राजनितिक भूमिका का निर्वाह निरन्तर बदलते हुये व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। संसदीय पद्धति में सरकार का अभिप्राय राष्ट्रपतीय पद्धति के अधिशासी शाखा से होता है। इस पद्धति में राष्ट्र में प्रधान मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् तथा राज्य में मुख्य मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् होते हैं। पाश्चात् देशों में सरकार और तंत्र में साफ़ अन्तर है। जनता द्वारा सरकार का दोबारा चयन न करना इस बात को नहीं दर्शाता है कि जनता अपने राज्य के तंत्र से नाख़ुश है। लेकिन कुछ पूर्णवादी शासन पद्धतियों में यह भेद इतना साफ़ नहीं है। इसका कारण यह है कि वहाँ के शासक अपने फ़ायदे के लिये यह लकीर मिटा देते हैं। .

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सर्वसत्तावाद

सर्वसत्तावाद, सर्वाधिकारवाद (Totalitarianism) या समग्रवादी व्यवस्था उस राजनीतिक व्यवस्था का नाम है जिसमें शासन अपनी सत्ता की कोई सीमारेखा नहीं मानता और लोगों के जीवन के सभी पहलुओं को यथासम्भव नियंत्रित करने को उद्यत रहता है। ऐसा शासन प्रायः किसी एक व्यक्ति, एक वर्ग या एक समूह के नियंत्रण में रहता है। समग्रवादी व्यवस्था लक्ष्यों, साधनों एवं नीतियों के दृष्टिकोण से प्रजातांत्रिक व्यवस्था के बिल्कुल विपरीत होता है। यह एक तानाशाह या शक्तिशाली समूह की इच्छाओं एवं संकल्पनाओं पर आधारित होता है। इसमें राजनैतिक शक्ति का केन्द्रीकरण होता है अर्थात् राजनैतिक शक्ति एक व्यक्ति, समूह या दल के हाथ में होती है। ये आर्थिक क्रियाओं का सम्पूर्ण नियंत्रण करता है। इसमें एक सर्वशक्तिशाली केन्द्र से सम्पूर्ण व्यवस्था को नियंत्रित किया जाता है। इसमें सांस्कृतिक विभिन्नता को समाप्त कर दिया जाता है और सम्पूर्ण समाज को सामान्य संस्कृति के अधीन करने का प्रयत्न किया जाता है। ऐसा प्रयत्न वास्तव में दृष्टिकोणों की विभिन्नता की समाप्ति के लिये किया जाता है और ऐसा करके केन्द्र द्वारा दिये जाने वाले आदेशों और आज्ञाओं के पालन में पड़ने वाली रूकावटों को दूर करने का प्रयत्न किया जाता है। समग्रवादी व्यवस्था का सम्बन्ध एक सर्वशक्तिशाली राज्य से है। इसमें पूर्ण या समग्र को वास्तविक मानकर इसके हितों की पूर्ति के लिये आयोजन किया जाता है। किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाएगा, कब, कहाँ, कैसे और किनके द्वारा किया जायेगा और कौन लोग इसमें लाभान्वित होगें, इसका निश्चय मात्र एक राजनैतिक दल, समूह या व्यक्ति द्वारा किया जाता है। इसमें व्यक्तिगत साहस व क्रिया के लिये स्थान नहीं होता है। सम्पूर्ण सम्पत्ति व उत्पादन के समस्त साधनों पर राज्य का अधिकार होता है। इस व्यवस्था में दबाव का तत्व विशेष स्थान रखता है। इसके दो प्रमुख रूप रहे हैं - अधिनायकतंत्र तथा साम्यवादी तंत्र। .

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सर्वजनीन मताधिकार

सर्वजनीन मताधिकार (Universal suffrage) या 'सर्वजनीन वयस्क मताधिकार' (universal adult suffrage, general suffrage या common suffrage) का अर्थ है कि बिना किसी भेदभाव के सभी वयस्कों (एक निश्चित आयु से अधिक आयु वालों को) मताधिकार प्रदान करना। .

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सहभागी लोकतंत्र

सहभागी लोकतंत्र (Participatory democracy) उस प्रक्रिया का नाम है जो किसी राजनैतिक प्रणाली के संचालन एवं निदेशन में लोगों की भरपूर सहभागिता पर जोर देती है। वैसे 'लोकतंत्र' का आधार ही 'लोक' (लोग) हैं और सभी लोकतंत्र साझेदारी पर ही आधारित हैं किन्तु फिर भी 'सहभागी लोकतंत्र' सामान्य सहभागिता के बजाय कहीं अधिक सहभागिता की बात करती है। .

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सामाजिक परिवर्तन

संस्कृतियों के परस्पर सम्पर्क आने से सामाजिक परिवर्तन; इस चित्र में एरिजोना के एक जनजाति के तीन पुरुष दिखाये गये हैं। बायें वाला पुरुष परम्परागत पोशाक में है, बीच वाला मिश्रित शैली में है तथा दाहिने वाला १९वीं शदी के अन्तिम दिनों की अमेरिकी शैली में है। सामाजिक परिवर्तन, समाज के आधारभूत परिवर्तनों पर प्रकाश डालने वाला एक विस्तृत एवं कठिन विषय है। इस प्रक्रिया में समाज की संरचना एवं कार्यप्रणाली का एक नया जन्म होता है। इसके अन्तर्गत मूलतः प्रस्थिति, वर्ग, स्तर तथा व्यवहार के अनेकानेक प्रतिमान बनते एवं बिगड़ते हैं। समाज गतिशील है और समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है। आधुनिक संसार में प्रत्येक क्षेत्र में विकास हुआ है तथा विभिन्न समाजों ने अपने तरीके से इन विकासों को समाहित किया है, उनका उत्तर दिया है, जो कि सामाजिक परिवर्तनों में परिलक्षित होता है। इन परिवर्तनों की गति कभी तीव्र रही है कभी मन्द। कभी-कभी ये परिवर्तन अति महत्वपूर्ण रहे हैं तो कभी बिल्कुल महत्वहीन। कुछ परिवर्तन आकस्मिक होते हैं, हमारी कल्पना से परे और कुछ ऐसे होते हैं जिसकी भविष्यवाणी संभव थी। कुछ से तालमेल बिठाना सरल है जब कि कुछ को सहज ही स्वीकारना कठिन है। कुछ सामाजिक परिवर्तन स्पष्ट है एवं दृष्टिगत हैं जब कि कुछ देखे नहीं जा सकते, उनका केवल अनुभव किया जा सकता है। हम अधिकतर परिवर्तनों की प्रक्रिया और परिणामों को जाने समझे बिना अवचेतन रूप से इनमें शामिल रहे हैं। जब कि कई बार इन परिवर्तनों को हमारी इच्छा के विरुद्ध हम पर थोपा गया है। कई बार हम परिवर्तनों के मूक साक्षी भी बने हैं। व्यवस्था के प्रति लगाव के कारण मानव मस्तिष्क इन परिवर्तनों के प्रति प्रारंभ में शंकालु रहता है परन्तु शनैः उन्हें स्वीकार कर लेता है। वध दल .

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सार्वजनिक हित

सार्वजनिक हित सामूहिक रूप से जनता के हित को कह सकते हैं। इसकी अवधारणा लोकनीति, प्रजातन्त्र, सरकार के स्वरूप, राजनीति, नीतिगत बहस, जनकल्याण, सरकारी नियोजन, न्याय के लिये आवश्यक है। सभी लोग जनहित की बात करते हैं, लेकिन सामान्यतः इसपर सर्वसम्मति नहीं हो पाती कि किसे जनहित कहा जाए। .

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सिद्धान्त

भारतीय परम्परा में सिद्धान्त का अर्थ 'परम्परा' या 'दर्शन' (Doctrine) से है। भारतीय दर्शन में किसी सम्प्रदाय के स्थापित एवं स्वीकृत विचार दर्शन कहलाते हैं। सिद्धान्त, 'सिद्धि का अन्त' है। यह वह धारणा है जिसे सिद्ध करने के लिए, जो कुछ हमें करना था वह हो चुका है, और अब स्थिर मत अपनाने का समय आ गया है। धर्म, विज्ञान, दर्शन, नीति, राजनीति सभी सिद्धांत की अपेक्षा करते हैं। धर्म के संबंध में हम समझते हैं कि बुद्धि, अब आगे आ नहीं सकती; शंका का स्थान विश्वास को लेना चाहिए। विज्ञान में समझते हैं कि जो खोज हो चुकी है, वह वर्तमान स्थिति में पर्याप्त है। इसे आगे चलाने की आवश्यकता नहीं। प्रतिष्ठा की अवस्था को हम पीछे छोड़ आए हैं, और सिद्ध नियम के आविष्कार की संभावना दिखाई नहीं देती। दर्शन का काम समस्त अनुभव को गठित करना है; दार्शनिक सिद्धांत समग्र का समाधान है। अनुभव से परे, इसका आधार कोई सत्ता है या नहीं? यदि है, तो वह चेतन के अवचेतन, एक है या अनेक? ऐसे प्रश्न दार्शनिक विवेचन के विषय हैं। विज्ञान और दर्शन में ज्ञान प्रधान है, इसका प्रयोजन सत्ता के स्वरूप का जानना है। नीति और राजनीति में कर्म प्रधान है। इनका लक्ष्य शुभ या भद्र का उत्पन्न करना है। इन दोनों में सिद्धांत ऐसी मान्यता है जिसे व्यवहार का आधार बनाना चाहिए। धर्म के संबंध में तीन प्रमुख मान्यताएँ हैं- ईश्वर का अस्तित्व, स्वाधीनता, अमरत्व। कांट के अनुसार बुद्धि का काम प्रकटनों की दुनियाँ में सीमित है, यह इन मान्यताओं को सिद्ध नहीं कर सकती, न ही इनका खंडन कर सकती है। कृत्य बुद्धि इनकी माँग करती है; इन्हें नीति में निहित समझकर स्वीकार करना चाहिए। विज्ञान का काम 'क्या', 'कैसे', 'क्यों'- इन तीन प्रश्नों का उत्तर देना है। तीसरे प्रश्न का उत्तर तथ्यों का अनुसंधान है और यह बदलता रहता है। दर्शन अनुभव का समाधान है। अनुभव का स्रोत क्या है? अनुभववाद के अनुसार सारा ज्ञान बाहर से प्राप्त होता है, बुद्धिवाद के अनुसार यह अंदर से निकलता है, आलोचनावाद के अनुसार ज्ञान सामग्री प्राप्त होती है, इसकी आकृति मन की देन है। नीति में प्रमुख प्रश्न 'नि:श्रेयस का स्वरूप' है। नैतिक विवाद बहुत कुछ भोग के संबंध में है। भोगवादी सुख की अनुभूति को जीवन का लक्ष्य समझते हैं; दूसरी ओर कठ उपनिषद् के अनुसार श्रेय और प्रेय दो सर्वथा भिन्न वस्तुएँ हैं। राजनीति राष्ट्र की सामूहिक नीति है। नीति और राजनीति दोनों का लक्ष्य मानव का कल्याण है; नीति बताती है कि इसके लिए सामूहिक यत्न को क्या रूप धारण करना चाहिए। एक विचार के अनुसार मानव जाति का इतिहास स्वाधीनता संग्राम की कथा है, और राष्ट्र का लक्ष्य यही होना चाहिए कि व्यक्ति को जितनी स्वाधीनता दी जा सके, दी जाए। यह प्रजातंत्र का मत है। इसके विपरीत एक-दूसरे विचार के अनुसार सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी खराबी व्यक्तियों में स्थिति का अंतर है; इस भेद को समाप्त करना राष्ट्र का लक्ष्य है। कठिनाई यह है कि स्वाधीनता और बराबरी दोनों एक साथ नहीं चलतीं। संसार का वर्तमान खिंचाव इन दोनों का संग्राम ही है। .

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संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी मूल-निवासी

संयुक्त राज्य अमेरिका में अमेरिकी मूल-निवासी उत्तरी अमेरिका में वर्तमान महाद्वीपीय संयुक्त राज्य अमेरिका, अलास्का के भागों और हवाई के द्वीपीय राज्य की सीमाओं के भीतर रहने वाले मूलनिवासी लोग हैं। वे अनेक, विशिष्ट कबीलों, राज्यों और जाति-समूहों से मिलकर बने हैं, जिनमें से अनेक का अस्तित्व पूर्ण राजनैतिक समुदायों के रूप में मौजूद है। अमेरिकी मूल-निवासियों का उल्लेख करने के लिए प्रयुक्त शब्दावलियाँ विवादास्पद हैं; यूएस सेंसस ब्यूरो (US Census Bureau) के सन 1995 के घरेलू साक्षात्कारों के एक समुच्चय के अनुसार, अभिव्यक्त प्राथमिकता वाले उत्तरदाताओं में से अनेक ने अपना उल्लेख अमेरिकन इन्डियन्स (American Indians) अथवा इन्डियन्स (Indians) के रूप में किया। पिछले 500 वर्षों में, अमेरिकी महाद्वीप में एफ्रो-यूरेशियाई अप्रवासन के परिणामस्वरूप पुराने और नये विश्व के समाजों के बीच सदियों तक टकराव और समायोजन हुआ है। अमेरिकी मूल-निवासियों के बारे में अधिकांश लिखित ऐतिहासिक रिकॉर्ड की रचना यूरोपीय लोगों द्वारा अमेरिका में उनके अप्रवासन के बाद की गई थी। "नेटिव अमेरिकन्स फर्स्ट व्यू व्हाइट्स फ्रॉम द शोर," अमेरिकन हेरिटेज, स्प्रिंग 2009.

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सुधारवाद

सुधारवाद यह धारणा हैं कि मौजूदा संस्थानों के माध्यम से और उनके भीतर से क्रमिक परिवर्तन आखिरकार समाज के मौलिक आर्थिक प्रणाली और राजनीतिक संरचनाओं को बदल सकते हैं। यह सामाजिक परिवर्तन की परिकल्पना उस क्रान्तिकारी समाजवाद के विरोध में उठी, जो दावा करता हैं कि मौलिक संरचनात्मक बदलाओं के घटित होने हेतु क्रान्ति का कुछ रूप आवश्यक हैं। सुधारवाद व्यावहारवादी सुधारों से अलग हैं: सुधारवाद यह धारणा हैं कि सुधारों के संचय से एक ऐसे सामाजिक-आर्थिक प्रणाली का उद्भव हो सकता हैं, जो पूंजीवाद और लोकतन्त्र के वर्तमान रूपों से पूरी तरह अलग हो; जबकि, व्यवहारवादी सुधार उन प्रयासों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मौलिक और संरचनात्मक बदलावों के ख़िलाफ़ यथास्थिति की रक्षा करते हैं। .

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स्पेन

स्पेन (स्पानी: España, एस्पाञा), आधिकारिक तौर पर स्पेन की राजशाही (स्पानी: Reino de España), एक यूरोपीय देश और यूरोपीय संघ का एक सदस्य राष्ट्र है। यह यूरोप के दक्षिणपश्चिम में इबेरियन प्रायद्वीप पर स्थित है, इसके दक्षिण और पूर्व में भूमध्य सागर सिवाय ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्र, जिब्राल्टर की एक छोटी से सीमा के, उत्तर में फ्रांस, अण्डोरा और बिस्के की खाड़ी (Gulf of Biscay) तथा और पश्चिमोत्तर और पश्चिम में क्रमश: अटलांटिक महासागर और पुर्तगाल स्थित हैं। 674 किमी लंबे पिरेनीज़ (Pyrenees) पर्वत स्पेन को फ्रांस से अलग करते हैं। यहाँ की भाषा स्पानी (Spanish) है। स्पेनिश अधिकार क्षेत्र में भूमध्य सागर में स्थित बेलियरिक द्वीप समूह, अटलांटिक महासागर में अफ्रीका के तट पर कैनरी द्वीप समूह और उत्तरी अफ्रीका में स्थित दो स्वायत्त शहर सेउटा और मेलिला जो कि मोरक्को सीमा पर स्थित है, शामिल है। इसके अलावा लिविया नामक शहर जो कि फ्रांसीसी क्षेत्र के अंदर स्थित है स्पेन का एक ''बहि:क्षेत्र'' है। स्पेन का कुल क्षेत्रफल 504,030 किमी² का है जो पश्चिमी यूरोप में इसे यूरोपीय संघ में फ्रांस के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश बनाता है। स्पेन एक संवैधानिक राजशाही के तहत एक संसदीय सरकार के रूप में गठित एक लोकतंत्र है। स्पेन एक विकसित देश है जिसका सांकेतिक सकल घरेलू उत्पाद इसे दुनिया में बारहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाता है, यहां जीवन स्तर बहुत ऊँचा है (20 वां उच्चतम मानव विकास सूचकांक), 2005 तक जीवन की गुणवत्ता सूचकांक की वरीयता के अनुसार इसका स्थान दसवां था। यह संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, नाटो, ओईसीडी और विश्व व्यापार संगठन का एक सदस्य है। .

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स्पेनी गृहयुद्ध

स्पेन का गृहयुद्ध (स्पेनी भाषा: Guerra Civil Española), 1936 से 1939 तक चला। यह युद्ध स्पेन के रिपब्लिकनों और राष्ट्रवादियों के बीच हुआ। इसे प्रायः लोकतन्त्र तथा फासीवाद के बीच युद्ध माना जाता है किन्तु अनेक इतिहासकार मानते हैं कि यह युद्ध वस्तुतः वामपंथी क्रांतिकारियों एवं दक्षिणपन्थी प्रतिक्रान्तिकारियों के बीच हुआ था। इस युद्ध में अन्ततः राष्ट्रवादियों की विजय हुई और उसके पश्चात फ्रैकों अगले ३६ वर्षों तक (१९७५ में अपनी मृत्यु तक) स्पेन का शासक बना रहा। पापुलर फ्रंट के सत्तासीन होने के साथ एवं उनकी दक्षिणपंथी एवं मध्यमार्गियों के विरूद्ध अपनायी गयी नीतियों के कारण स्पेन गृहयुद्ध के कगार पर खड़ा हो गया। दक्षिणपंथी जनलर सांजुर्जो ने हिटलर से भेंटकर सहायता का आश्वासन प्राप्त किया। 12 जुलाई, 1936 ई. को दक्षिणपंथियों ने पुलिस अधिकारी केस्टिलो की हत्या कर दी। 13 जुलाई को इस घटना से उत्तेजित हो वामपंथियों ने एक दक्षिणपंथी सेनाधिकारी काल्वो सोटेलो की हत्या कर दी। इस प्रकार स्पेन में गृह युद्ध छिड़ गया। 17 जुलाई को मोरक्को में स्थित स्पेनी सेनाओं ने जनरल फ्रांकों के नेतृत्व में विद्रोह का बिगुल फूँक दिया। दक्षिणपंथी सैन्य अधिकारियों ने भी सशस्त्र संघर्ष छेड़ दिया। बाद में दक्षिणपंथियों का नेतृत्व भी जनरल फ्रांकों द्वारा संभाल लिया गया। इन विद्रोहियों को सैन्य अधिकारियों के साथ-साथ राजतंत्रवादियों, फासिस्ट एवं चर्च का भी समर्थन प्राप्त था। इटली एवं जर्मनी से भी इन्हें मदद मिल रही थी। गृह युद्ध के दौरान ही सितंबर, 1936 ई. में वामपंथी फ्रांसिस्को लार्गा केवेलरो ने नवीन मंत्रिमण्डल का गठन कर उसमें समाजवादियों एवं साम्यवादियों को भी सम्मिलित किया। केवेलरों ने मजदूरों एवं कृषकों का भी सहयोग प्राप्त किया, परंतु नवंबर, 1936 ई.

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स्विट्ज़रलैण्ड

स्विट्जरलैंड (जर्मन: (die) Schweiz (डी) श्वाइत्स, फ़्रांसिसी: (la) Suisse (ला) सुईस, लातिनी: Helvetia हेल्वेतिया) मध्य यूरोप का एक देश है। इसकी 60 % सरज़मीन ऐल्प्स पहाड़ों से ढकी हुई है, सो इस देश में बहुत ही ख़ूबसूरत पर्वत, गाँव, सरोवर (झील) और चारागाह हैं। स्विस लोगों का जीवनस्तर दुनिया में सबसे ऊँचे जीवनस्तरों में से एक है। स्विस घड़ियाँ, चीज़, चॉकलेट, बहुत मशहूर हैं। इस देश की तीन राजभाषाएँ हैं: जर्मन (उत्तरी और मध्य भाग की मुख्य भाषा), फ़्रांसिसी (पश्चिमी भाग) और इतालवी (दक्षिणी भाग) और एक सह-राजभाषा है: रोमांश (पूर्वी भाग)। इसके प्रान्त कैण्टन कहे जाते हैं। स्विट्स़रलैण्ड एक लोकतन्त्र है जहाँ आज भी प्रत्यक्ष लोकतन्त्र देखने को मिल सकता है। यहाँ कई बॉलीवुड फ़िल्म के गानों की शूटिंग होती है। लगभग 20 % स्विस लोग विदेशी मूल के हैं। इसके मुख्य शहर और पर्यटक स्थल हैं: ज़्यूरिख, जनीवा, बर्न (राजधानी), बासल, इंटरलाकेन, लोज़ान, लूत्सर्न, इत्यादि। यहाँ एक तरफ बर्फ के सुंदर ग्लेशियर हैं। ये ग्लेशियर साल में आठ महीने बर्फ की सुंदर चादर से ठके रहते हैं। तो वहीँ दूसरी तरफ सुंदर वादियाँ हैं जो सुंदर फूलों और रंगीन पत्तियों वाले पेड़ों से ढकीं रहती हैं। भारतीय निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्मों में इस खूबसूरत देश के कई नयनाभिराम दृश्य देखने को मिलते हैं। .

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हाउस ऑफ़ कॉमन्स, कनाडा

१८६७ में ब्रिटिश नॉर्थ अमेरिका कानून के तहत स्थापित कनाडा का हाउस ऑफ कॉमन्स सीनेट और गवर्नर जनरल के साथ-साथ कनाडा की संसद का एक अभिन्न हिस्सा है। यह ओटावा के पार्लियामेंट हिल पर स्थित संसद भवन के केंद्रीय भवन समूह में है। इसके सदस्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुन कर आते है और इन्हें सांसद कहा जाता है। २०११ में चुने गये सदस्यों को मिलाकर पिछली सांसद संख्या ३०८ थी जो कि इस बार के चुनावों के बाद बढकर ३८८ हो गयी है। इसकी सीटें जनसंख्या और क्षेत्रफल के आधार पर देश भर में विभाजित हैं। इसे ग्रीन रूम भी कहा जाता है। .

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हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, जिसे संक्षेप में एच॰आर॰ए॰ भी कहा जाता था, भारत की स्वतंत्रता से पहले उत्तर भारत की एक प्रमुख क्रान्तिकारी पार्टी थी जिसका गठन हिन्दुस्तान को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश तथा बंगाल के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा सन् १९२४ में कानपुर में किया गया था। इसकी स्थापना में लाला हरदयाल की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। काकोरी काण्ड के पश्चात् जब चार क्रान्तिकारियों को फाँसी दी गई और एच०आर०ए० के सोलह प्रमुख क्रान्तिकारियों को चार वर्ष से लेकर उम्रकैद की सज़ा दी गई तो यह संगठन छिन्न-भिन्न हो गया। बाद में इसे चन्द्रशेखर आजाद ने भगत सिंह के साथ मिलकर पुनर्जीवित किया और एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। सन् १९२४ से लेकर १९३१ तक लगभग आठ वर्ष इस संगठन का पूरे भारतवर्ष में दबदबा रहा जिसके परिणामस्वरूप न केवल ब्रिटिश सरकार अपितु अंग्रेजों की साँठ-गाँठ से १८८५ में स्थापित छियालिस साल पुरानी कांग्रेस पार्टी भी अपनी मूलभूत नीतियों में परिवर्तन करने पर विवश हो गयी। .

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जन लोकपाल विधेयक आंदोलन २०११

जन लोकपाल विधेयक (नागरिक लोकपाल विधेयक) के निर्माण के लिए जारी यह आंदोलन अपने अखिल भारतीय स्वरूप में ५ अप्रैल २०११ को समाजसेवी अन्ना हजारे एवं उनके साथियों के जंतर-मंतर पर शुरु किए गए अनशन के साथ आरंभ हुआ, जिनमें मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अरविंद केजरीवाल, भारत की पहली महिला प्रशासनिक अधिकारी किरण बेदी, प्रसिद्ध लोकधर्मी वकील प्रशांत भूषण, पतंजलि योगपीठ के संस्थापक बाबा रामदेव आदि शामिल थे। संचार साधनों के प्रभाव के कारण इस अनशन का प्रभाव समूचे भारत में फैल गया और इसके समर्थन में लोग सड़कों पर भी उतरने लगे। इन्होंने भारत सरकार से एक मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल विधेयक बनाने की माँग की थी और अपनी माँग के अनुरूप सरकार को लोकपाल बिल का एक मसौदा भी दिया था। किंतु मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने इसके प्रति नकारात्मक रवैया दिखाया और इसकी उपेक्षा की। इसके परिणामस्वरूप शुरु हुए अनशन के प्रति भी उनका रवैया उपेक्षा पूर्ण ही रहा। किंतु इस अनशन के आंदोलन का रूप लेने पर भारत सरकार ने आनन-फानन में एक समिति बनाकर संभावित खतरे को टाला और १६ अगस्त तक संसद में लोकपाल विधेयक पास कराने की बात स्वीकार कर ली। अगस्त से शुरु हुए मानसून सत्र में सरकार ने जो विधेयक प्रस्तुत किया वह कमजोर और जन लोकपाल के सर्वथा विपरीत था। अन्ना हजारे ने इसके खिलाफ अपने पूर्व घोषित तिथि १६ अगस्त से पुनः अनशन पर जाने की बात दुहराई। सरकार ने इसकी राह में कई रोड़े अटकाए एवं १६ अगस्त को अन्ना हजारे एवं उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। किंतु इससे आंदोलन पुरे देश में भड़क उठा। देश भर में अगले १२ दिलों तक लगातार बड़ी संख्या में धरना, प्रदर्शन और अनशन आयोजित किए गए। अंततः संसद द्वारा अन्ना की तीन शर्तों पर सहमती का प्रस्ताव पास करने के बाद २८ अगस्त को अन्ना ने अपना अनशन स्थगित करने की घोषणा की। .

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जनसंचार

लोकसम्पर्क या जनसम्पर्क या जनसंचार (Mass communication) से तात्पर्य उन सभी साधनों के अध्ययन एवं विश्लेषण से है जो एक साथ बहुत बड़ी जनसंख्या के साथ संचार सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होते हैं। प्रायः इसका अर्थ सम्मिलित रूप से समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, दूरदर्शन, चलचित्र से लिया जाता है जो समाचार एवं विज्ञापन दोनो के प्रसारण के लिये प्रयुक्त होते हैं। जनसंचार माध्यम में संचार शब्द की उत्पति संस्कृत के 'चर' धातु से हुई है जिसका अर्थ है चलना। .

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जॉन लॉक

जॉन लॉक जॉन लॉक (1632-1704) आंग्ल दार्शनिक एवं राजनैतिक विचारक थे। .

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ईदी अमीन

ईदी अमीन दादा (1925 - 16 अगस्त 2003) 1971 से 1979 तक युगांडा का सैन्य नेता एवं राष्ट्रपति था। 1946 में अमीन ब्रिटिश औपनिवेशिक रेजिमेंट किंग्स अफ़्रीकां राइफल्स में शामिल हो गया और 25 जनवरी 1971 के सैन्य तख्तापलट द्वारा मिल्टन ओबोटे को पद से हटाने से पूर्व युगांडा की सेना में अंततः मेजर जनरल और कमांडर का ओहदा हासिल किया। बाद में देश के प्रमुख पद पर आसीन रहते हुए उसने स्वयं को फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नत कर लिया। अमीन के शासन को मानव अधिकारों के दुरूपयोग, राजनीतिक दमन, जातीय उत्पीड़न, गैर कानूनी हत्याओं, पक्षपात, भ्रष्टाचार और सकल आर्थिक कुप्रबंधन के लिए जाना जाता था। अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षकों और मानव अधिकार समूहों का अनुमान है कि उसके शासन में 1,00,000 से 5,00,000 लोग मार डाले गए। अपने शासन काल में, अमीन को लीबिया के मुअम्मर अल-गद्दाफी के अतिरिक्त सोवियत संघ तथा पूर्वी जर्मनी का भी समर्थन हासिल था।गैरेथ एम.

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वाद-विवाद

वाद-विवाद या बहस, संवादात्मक और प्रतिनिधित्ववादी तर्क की एक औपचारिक विधि है। वाद-विवाद, तार्किक तर्क की तुलना में तर्क का एक व्यापक रूप है, जो केवल स्वयंसिद्ध और तथ्यात्मक तर्क से स्थिरता की परख करता है, जो सिर्फ यह जांचता है कि मामला या वाक्पटुता, जो अनुनय की एक तकनीक है क्या है या क्या नहीं है। यद्यपि, तार्किक स्थिरता, तथ्यात्मक सटीकता और दर्शकों के साथ कुछ हद तक भा ghanta वनात्मक अपील अनुनय की कला के महत्वपूर्ण तत्व हैं; वाद-विवाद में अक्सर एक पक्ष मुद्दे का बेहतर "संदर्भ" और/या ढांचा प्रस्तुत करके दूसरे पक्ष पर छाया रहता है, जो कहीं अधिक सूक्ष्म और सामरिक है। एक औपचारिक वाद-विवाद प्रतियोगिता में, मतभेदों पर चर्चा और फैसला करने लिए लोगों के लिए नियम होते हैं, एक ढांचे के भीतर जो यह परिभाषित करता है कि वे कैसे बातचीत करेंगे। अनौपचारिक वाद-विवाद एक आम घटना है, एक वाद-विवाद की गुणवत्ता और गहराई उसमें हिस्सा ले रहे विवादकर्ताओं के ज्ञान और कौशल के साथ बढ़ जाती है। विमर्शी निकाय जैसे, संसद, विधान सभाएं और सभी प्रकार की बैठकें वाद-विवाद में संलग्न होती हैं। एक वाद-विवाद के नतीजे को दर्शकों के मतदान या निर्णायकों या फिर इन दोनों के संयोजन द्वारा निर्णित किया जा सकता है। हालांकि इसका यह मतलब है कि तथ्य, आम सहमति पर आधारित होते हैं, जो तथ्यात्मक नहीं है। निर्वाचित कार्यालय के लिए उम्मीदवारों के बीच औपचारिक वाद-विवाद, जैसे नेताओं का वाद-विवाद और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव वाद-विवाद, लोकतंत्र में आम हैं। एक विधि या कला के रूप में वाद-विवाद के अध्ययन का प्रमुख लक्ष्य है किसी भी पक्ष से समान सहजता के साथ शिरकत करने में एक व्यक्ति की क्षमता का विकास.

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विदेश मंत्री

जनतंत्र या प्रजातंत्र में किसी भी देश में जनता के द्वारा चुने गये सामाजिक कार्यकर्ता को मंत्रिमंडल के द्वारा अलग अलग विभाग सौंपे जाते हैं, उनकी योग्यता के अनुसार सौंपे गये कार्य उन सामाजिक कार्यकर्ताओं को करने पडते हैं। इन्ही कार्यों मे विदेश से जुडे कार्य भी करने पडते हैं, और जो विधेश से जुडे कार्यों को करता है, वही विदेश मंत्री कहलाता है। श्रेणी:राजनीति.

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विधान परिषद

विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। विधान परिषद विधानमंडल का अंग है। आंध्र प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के रूप में, (उन्तीस में से) सात राज्यों में विधान परिषद है। इसके अलावा, राजस्थान और असम को भारत की संसद ने अपने स्वयं के विधान परिषद बनाने की मंजूरी दे दी है। .

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विश्व शांति

विश्व शांति सभी देशों और/या लोगों के बीच और उनके भीतर स्वतंत्रता, शांति और खुशी का एक आदर्श है। विश्व शांति पूरी पृथ्वी में अहिंसा स्थापित करने का एक माध्यम है, जिसके तहत देश या तो स्वेच्छा से या शासन की एक प्रणाली के जरिये इच्छा से सहयोग करते हैं, ताकि युद्ध को रोका जा सके। हालांकि कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग विश्व शांति के लिए सभी व्यक्तियों के बीच सभी तरह की दुश्मनी के खात्मे के सन्दर्भ में किया जाता है। .

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वंशवाद

वंशवाद या परिवारवाद शासन की वह पद्धति है जिसमें एक ही परिवार, वंश या समूह से एक के बाद एक कई शासक बनते जाते हैं। वंशवाद, भाईभतीजावाद का जनक और इसका एक रूप है। ऐसा माना जाता है कि लोकतन्त्र में वंशवाद के लिये कोई स्थान नहीं है किन्तु फिर भी अनेक देशों में अब भी वंशवाद हाबी है। वंशवाद, निकृष्टतम कोटि का आरक्षण है। यह राजतन्त्र का एक सुधरा हुआ रूप कहा जा सकता है। वंशवाद, आधुनिक राजनैतिक सिद्धान्तों एवं प्रगतिशीलता के विरुद्ध है। .

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वैश्वीकरण

Puxi) शंघाई के बगल में, चीन. टाटा समूहहै। वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है।वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात, व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण.

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वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली

वेस्टमिंस्टर महल, ब्रिटिश संसद का सभास्थल वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली, (सामान्य वर्तनी:वेस्टमिंस्टर प्रणाली) शासन की एक लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली है, जोकि सैकड़ों वर्षों के काल में, संयुक्त अधिराज्य में विकसित हुई थी। इस व्यवस्था का नाम, लंदन के पैलेस ऑफ़ वेस्टमिन्स्टर से आता है, जोकि ब्रिटिश संसद का सभास्थल है। वर्तमान समय में, विश्व के अन्य कई देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ स्थापित हैं। ब्रिटेन और राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों के अलावा, ऐसी व्यवस्थाओं को विशेषतः पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों के शासन-व्यवस्था में देखा जा सकता है। वेस्टमिंस्टर प्रणाली की सरकारें, विशेष तौर पर राष्ट्रमंडल देशों में देखा जा सकता है। इसकी शुरुआत, सबसे पहले कनाडा (Canada) प्रान्त में हुई थी, और तत्पश्चात ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी सरकार को इस ही प्रणाली के आधार पर स्थापित किया। आज के समय, विश्व भर में कुल ३३ देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ हैं। एक समय ऐसा भी था जब तमाम राष्ट्रमंडल या पूर्व-राष्ट्रमण्डल देश और उसके उपराष्ट्रीय इकाइयों में वेस्टमिन्स्टर प्रणाली की सरकारें थीं। बाद में, अन्य कई देशों ने अपनी शासन प्रणाली को बदल लिया। .

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गणराज्य

एक गणराज्य या गणतंत्र (रेस पब्लिका) सरकार का एक रूप है जिसमें देश को एक "सार्वजनिक मामला" माना जाता है, न कि शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति। एक गणराज्य के भीतर सत्ता के प्राथमिक पद विरासत में नहीं मिलते हैं। यह सरकार का एक रूप है जिसके अंतर्गत राज्य का प्रमुख राजा नहीं होता। गणराज्य की परिभाषा का विशेष रूप से सन्दर्भ सरकार के एक ऐसे रूप से है जिसमें व्यक्ति नागरिक निकाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी संविधान के तहत विधि के नियम के अनुसार शक्ति का प्रयोग करते हैं, और जिसमें निर्वाचित राज्य के प्रमुख के साथ शक्तियों का पृथक्करण शामिल होता हैं, व जिस राज्य का सन्दर्भ संवैधानिक गणराज्य या प्रतिनिधि लोकतंत्र से हैं। 2017 तक, दुनिया के 206 सम्प्रभु राज्यों में से 159 अपने आधिकारिक नाम के हिस्से में "रिपब्लिक" शब्द का उपयोग करते हैं - निर्वाचित सरकारों के अर्थ से ये सभी गणराज्य नहीं हैं, ना ही निर्वाचित सरकार वाले सभी राष्ट्रों के नामों में "गणराज्य" शब्द का उपयोग किया गया हैं। भले राज्यप्रमुख अक्सर यह दावा करते हैं कि वे "शासितों की सहमति" से ही शासन करते हैं, नागरिकों को अपने स्वयं के नेताओं को चुनने की वास्तविक क्षमता को उपलब्ध कराने के असली उद्देश्य के बदले कुछ देशों में चुनाव "शो" के उद्देश्य से अधिक पाया गया है। गणराज्य (संस्कृत से; "गण": जनता, "राज्य": रियासत/देश) एक ऐसा देश होता है जहां के शासनतन्त्र में सैद्धान्तिक रूप से देश का सर्वोच्च पद पर आम जनता में से कोई भी व्यक्ति पदासीन हो सकता है। इस तरह के शासनतन्त्र को गणतन्त्र(संस्कृत; गण:पूरी जनता, तंत्र:प्रणाली; जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली) कहा जाता है। "लोकतंत्र" या "प्रजातंत्र" इससे अलग होता है। लोकतन्त्र वो शासनतन्त्र होता है जहाँ वास्तव में सामान्य जनता या उसके बहुमत की इच्छा से शासन चलता है। आज विश्व के अधिकान्श देश गणराज्य हैं और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी। भारत स्वयः एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। .

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ग़ुलाम इशाक़ ख़ान

गुलाम इशाक खान (غلام اسحاق خان; 20 जनवरी १९१५ – २७ अक्टूबर २००६), कभी-कभी संक्षिप्त रूप में जीआईके, पाकिस्तान के ७वें राष्ट्रपति थे। वो १९८८ से अपने १९९३ में अपना त्यागपत्र देने तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। पाकिस्तानी प्रशासनिक सेवा से राष्ट्रपति पद तक पहुँचने वाले वो प्रथम एवं एकमात्र राष्ट्रपति हैं। उन्होंने राजनीति में आने से पहले बहुत सरकारी पदों पर सेवा की। जिला बनूँ के एक गांव इस्माइल ख़ैल में एक पख़्तून घराने में पैदा हुए। उनका संबंध पख्तूनों के बनगश जनजाति था प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने पेशावर से रसायन और बांटने के लेख के साथ स्नातक की। ानीस सौ चालीस में इंडियन सिविल सर्विस में शामिल हो गए। .

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आतंकवाद

विभाग राज्य Department of State) आतंकवाद एक प्रकार के erहौल को कहा जाता है। इसे एक प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है। अगर इसी तरह की गतिविधि आपराधिक संगठन द्वारा चलाने या को बढ़ावा देने के लिए करता है तो सामान्यतः उसे आतंकवाद नहीं माना जाता है, यद्यपि इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है। गैर-इस्लामी संगठनों या व्यक्तित्वों को नजरअंदाज करते हुए प्रायः इस्लामी या जिहादी के साथ आतंकवाद की अनुचित तुलना के लिए इसकी आलोचना भी की जाती है। .

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आर्य वंश

आर्य वंश ऐतिहासिक रूप से 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के आरम्भ में पश्चिमी सभ्यता में आर्यवंशी काफी प्रभावशाली लोग हुआ करते थे। माना जाता है कि इस विचार से यह व्यूत्पन्न है कि हिंद युरोपीय भाषा के बोलने वाले मूल लोगों और उनके वंशजों ने विशिष्ट जाति या वृहद श्वेत नस्ल की स्थापना की। ऐसा माना जाता है कि कभी-कभी आर्यन जाति से ही आर्यवाद अस्तित्व में आया। आरम्भ में इसे मात्र भाषाई आधार पर जाना जाता था लेकिन नाज़ी और नव-नाज़ी में जातिवाद की उत्पत्ति के बाद सैधांतिक रूप से इसका प्रयोग जादू-टोना और श्वेत प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए किया जाने लगा। .

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आज़रबाइजान का संविधान

अज़रबाइजान का संविधान, आज़रबाइजान की सर्वोच्च वैधिक दस्तावेज़ है। इसे १२ नवम्बर १९९५ को, जनमत संग्रह द्वारा अपनाया गया था। इसके अनुच्छेद १४७ के अनुसार, यह आलेख, आज़रबाइजान की भूमि पर "सर्वोच्च न्यायिक बल" का धारक है। यह संविधान एक लोकतांत्रिक, विधि शासित, धर्मनिरपेक्ष ऐकिक गणराज्य की स्थापना करता है, जिसमें राज्य, शक्तियों के पृथक्करण (अनुच्छेद 7) के सिद्धांत पर आधारित हैं। राज्य के मौलिक कानून के रूप में, संविधान, सरकार की संरचना तथा न्यायपालिका, विधानपालिका तथा कार्यपालिका की शक्तियों को परिभाषित करता है, एवं नागरिकिओं के मौलिक अधिकार, स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों को भी अधिसूचित करता है। इस संविधान को अगस्त २००२ और मार्च २००९ में संशोधित किया गया था, तथा सबसे हाल ही में २६ सितम्बर २०१६ में संवैधानिक जनमत द्वारा एक और संशोधन को अपनाया गया था। २००२ में २२ अनुच्छेदों में ३१ संशोधन; २००९ में २९ अनुच्छेदों में ४१ संशोधन; तथा २०१६ में २३ अनुच्छेदों को संशोधित कर ६ नए अनुच्छेद जोड़े गए थे। प्रतिवर्ष १२ नवम्बर को संविधान परावर्तन के उपलक्ष में, अज़रबाइजान में संविधान दिवस मनाया जाता है, जोकि एक राष्ट्रीय पर्व है। .

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इस्कंदर मिर्ज़ा

सैयद इस्कंदर अली मिर्ज़ा, (१३ नवंबर १८९९-१३ नवंबर १९६९) पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति(१९५६-१९५८ तक) और अंतिम गवर्नर-जनरल थे। उनका गवर्नर-जनरल का कार्यकाल १९५५ से १९५६ तक था। वे मीर ज़फ़र के प्रपौत्र थे। वे पाकिस्तानी सेना में मेजर-जनरल के पद तक पहुंचे थे। पाकिस्तान की आज़ादी के बाद, वे पाकिस्तान के पहले रक्षा सचिव नियुक्त किये गए थे, जोकि एक अत्यंत महह्वपूर्ण औदा था। उनके कार्यकाल में उन्होंने बलोचिस्तान की समस्या और प्रथम भारत-पाकिस्तान युद्ध की सरपरस्ती की थी। साथ ही पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषा आंदोलन से आई समस्या की भी उन्होंने निगरानी की थी। पाकिस्तान में एक इकाई व्यवस्था लागु करने में उनका महत्वपूर्ण स्थान था, और उसके लागु होने के बाद, उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री ख़्वाजा नज़ीमुद्दीन द्वारा पूर्वी पाकिस्तान का राज्यपाल भी नियुक्त किया गया था। १९५५ में वे मालिक ग़ुलाम मुहम्मद के उत्तराधिकारी के रूप में पाकिस्तान के अगले गवर्नर-जनरल नियुक्त हुए। १९५६ के संविधान के परवर्तन के बाद, उन्हें पाकिस्तान का पहला राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। उनका राष्ट्रपतित्व अत्यंत राजनैतिक अस्थिरता का पात्र रहा, और दो वर्षों के कल में ही चार प्रधानमंत्रीयों को बदला गया। अंत्यतः उन्होंने पाकिस्तान में सैन्य शासन लागु कर दिया। इसी के साथ मिर्ज़ा ने पाकिस्तान की राजनीति में सैन्य दखलंदाज़ी का प्रारंभ किया, जब उन्होंने अपने सेना प्रमुख अयूब खान को मुख्य सैन्य शासन प्रशासक नियुक्त किया। इस सैन्य शासन के दौरान, पाकिस्तानी सेना और व्यवस्थापिका के बीच बढ़ते मुठभेड़ के कारण बिगड़े हालातों के बाद, सैन्य शासन लागु होने के 20 दिनों के बाद ही अयूब खान ने राष्ट्रपतित्व से हटा दिया और देश से निष्काषित कर दिया। देश-निष्कासन के बाद वे लंदन चले गए, जहाँ उनकी मृत्यु १९६९ को हुई। मृत्यु के बाद, उनके शव को पाकिस्तान लाने से इनकार कर दिया गया, और अन्यतः उन्हें तेहरान में दफ़नाया गया। .

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क्रान्ति

क्रान्ति (Revolution) अधिकारों या संगठनात्मक संरचना में होने वाला एक मूलभूत परिवर्तन है जो अपेक्षाकृत कम समय में ही घटित होता है। अरस्तू ने दो प्रकार की राजनीतिक क्रान्तियों का वर्णन किया है.

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कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ

कृष्ण राज वाडियार चतुर्थ (4 जून 1884 - 3 अगस्त 1940 ನಾಲ್ವಡಿ ಕೃಷ್ಣರಾಜ ಒಡೆಯರು बेंगलोर पैलेस), नलवडी कृष्ण राज वाडियार ನಾಲ್ವಡಿ ಕೃಷ್ಣರಾಜ ಒಡೆಯರು के नाम से भी लोकप्रिय थे, वे 1902 से लेकर 1940 में अपनी मृत्यु तक राजसी शहर मैसूर के सत्तारूढ़ महाराजा थे। जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था तब भी वे भारतीय राज्यों के यशस्वी शासकों में गिने जाते थे। अपनी मौत के समय, वे विश्व के सर्वाधिक धनी लोगों में गिने जाते थे, जिनके पास 1940 में $400 अरब डॉलर की व्यक्तिगत संपत्ति थी जो 2010 की कीमतों के अनुसार $56 बिलियन डॉलर के बराबर होगी.

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कॅबिनेट मैन्युअल

कॅबिनेट मैन्युअल(अन्य वर्तनी:कैबिनेट मैनुअल), ब्रिटेन की एक सरकारी दस्तावेज़ है, जोकि शासन के आचार और कार्यान्वयन से संबंधित नियमों, विधानों और सभगमों को संहिताबद्ध रूप से अंकित करती है, जो आज, यूनाइटेड किंगडम की सरकार के आचरण और कार्यप्रक्रिया के मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है। इसे उनकी शाही शान की प्रशासनिक सेवाओं द्वारा, कैबिनेट सचिव सर गस ओ'डॉनेल के नेतृत्व में लिखा गया था। इसे मंत्रिमण्डलीय कार्यालय द्वारा १४ दिसंबर २०१० को प्रकाशित किया गया था। यह मैन्युअल, ब्रिटेन की शासन व्यवस्था के संबंध में एक विहंगावलोकन प्रदान करती है, जिसमे, संसद की महत्ता तथा मंत्रिमण्डलीय सरकार और ब्रिटिश संवैधानिक व्यवस्था के लोकतांत्रिक चरित्र को कार्यपालिका, विधानपालिका, राजमुकुट, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों(विशेष कर यूरोपीय संघ), राजकीय निर्भर्ताओं, समुद्रपारिया प्रदेशों तथा विभिन्न अवक्रमित प्रशासनों की शक्तियों की व्याख्यित कर, दर्शाता किया गया है। इसे मंत्रिमण्डलीय सदस्यों, अन्य मंत्रियों तथा नौकरशाहों के लिए एक संदर्शिका के तौर पर लिखा गया था, जिसके मदद से उन्हें प्रशासनिक कार्यविधि को समझने में सरलता हो। साथ ही यह पूर्वतः अलिखित कार्यकारी-विधियों को भी अंकित करता है, जिनके मदद से सरकार कार्य करती है। इसकी लेखन शैली किसी लिखित संविधान के सामान है, क्योंकि इसे लिखे जाने के पीछे की वृहन्त योजना, ब्रिटेन के लिए एक सुलिखित संविधान स्थापित करना था। बहरहाल, २०११ में हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की संविधान समिति ने यह फरमाया की इस मैन्युअल को "एक लिखित संविधान की दिशा में पहले कदम" के रूप में नहीं लिया जाये, क्योंकि यह केवल मौजूद नियमों को संगठित कर संहिताबद्ध करती है, उन नियमों को "पत्थर पर अंकित नहीं करती", अर्थात इसका मूल उद्देश्य चल रही नियमों व तरीकों को अंकित करना है, लिखित नियमों को स्थापित करना नहीं है। इसे वैधिक रूप से संसद द्वारा स्वीकृत होने के आवश्यकता नहीं है, और कैबिनेट सचिव इस स्वेच्छा से कभीभी परिवर्तित कर सकते हैं। .

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अतिविशिष्ट व्यक्ति

अतिविशिष्‍ट व्यक्‍ति (वी. आई. पी; very important person) उन व्यक्तियों को कहते हैं जिन्हें उनकी प्रतिष्ठा (हैसियत) या उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए कुछ विशेष अधिकार या सुविधाएँ प्रदान की जातीं हों। उदाहरण के लिये, राष्ट्राध्यक्ष, अन्य राजनेता, बड़े-बड़े रोजगारप्रदाता, धनी व्यक्ति आदि। .

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अनिवार्य मतदान

अनिवार्य मतदान का अर्थ है कि कानून के अनुसार किसी चुनाव में मतदाता को अपना मत देना या मतदान केन्द्र पर उपस्थित होना अनिवार्य है। यदि कोई वैध मतदाता, मतदान केन्द्र पहुंचकर अपना मत नही देता है तो उसे पहले से घोषित कुछ दण्ड का भागी बनाया जा सकता है। .

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अंतरराष्ट्रीय संबंध सिद्धांत

---- अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत में सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्य से अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन किया जाता है। यह एक ऐसा वैचारिक ढांचा प्रदान करने का प्रयास करता है जिससे अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जा सके। ओले होल्स्ती कहता है की अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत रंगीन धूप के चश्में की एक जोड़ी के रूप में कार्य करते हैं, जो उसे पहनने वाले व्यक्ति को केवल मुख्य सिद्धांत के लिए प्रासंगिक घटनाओं को देखने की अनुमति देता है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में यथार्थवाद, उदारवाद और रचनावाद, तीन सबसे लोकप्रिय सिद्धांत हैं। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत मुख्यत: दो सिद्धांतों में विभाजित किये जा सकते हैं, "प्रत्यक्षवादी/बुद्धिवादी" जो मुख्यत: राज्य स्तर के विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करते हैं। और उत्तर-प्रत्यक्षवादी/चिंतनशील जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत में उत्तर औपनिवेशिक युग में सुरक्षा, वर्ग, लिंग आदि के विस्तारित अर्थ को शामिल करवाना चाहते हैं। आईआर (IR) सिद्धांतो में443333 विचारों के अक्सर कई विरोधाभासी तरीके मौजूद हैं, जैसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों (IR) में रचनावाद, संस्थावाद, मार्क्सवाद, नव-ग्रामस्कियनवाद (neo-Gramscianism), और अन्य। हालांकि, प्रत्यक्षवादी सिद्धांतों के स्कूलों में सबसे अधिक प्रचलित यथार्थवाद और उदारवाद हैं। यद्यपि, रचनावाद अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तेजी से मुख्यधारा होता जा रहा है। .

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उत्तर प्रदेश के राजनैतिक दलों की सूची

उत्तर प्रदेश के राजनैतिक दलों की सूची भारत प्रजातान्त्रिक गणराज्य है। यहां राष्ट्रीय और प्रन्तीय स्तर पर जनता द्वारा निर्वाचित सरकारों का गठन होता है। इन निर्वाचनों में राष्ट्रीय व् प्रान्तीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दल, पंजीकृत दल तथा निर्दलीय उम्मीदवार भाग लेते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दल को राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव चिन्ह और प्रान्तीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दल को प्रान्त स्तर पर चुनाव चिन्ह का आवंटन भारत निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। .

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उलान बतोर

उलान बतोर का विहंगम दृश्य, २००९ में उलान बतोर या उलान बातार (Ulan Bator) मंगोलिया का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है। यह शहर किसी राज्य या प्रान्त का हिस्सा ना हो कर एक स्वतंत्र नगरपालिका है। उलान बतोर उत्तरी-मध्य मंगोलिया में एक घाटी में तूल नदी के किनारे स्थित है। यह देश का आर्थिक, सांस्कृतिक और औद्योगिक केंद्र है। यह मंगोलिया के सड़क जाल का केंद्र है और पार-साइबेरियाई रेलमार्ग एवं चीनी रेल प्रणाली से भी जुड़ा है। इस शहर की स्थापना १६३९ में बौद्ध मठ केन्द्र के रूप में हुई और १७७८ में यह अपने वर्तमान स्थान पर स्थापित हो गया। .

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२०१०

वर्ष २०१० वर्तमान वर्ष है। यह शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष २०१० को अंतराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इन्हें भी देखें 2010 भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010 .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

प्रजातंत्र, लोकतन्त्र, लोकतांत्रिक

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