28 संबंधों: तुलनात्मक लोक-प्रशासन, तृतीयक क्षेत्र, निर्णयन, प्रबन्धन, प्रशासन, प्रशासनिक सुधार आयोग, पोस्डकॉर्ब, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, मानव संसाधन प्रबंधन, राजनीति विज्ञान, राजस्थान विश्वविद्यालय, लुथर गुलिक, लोक प्रशासन का इतिहास, लोक प्रशासन के सिद्धान्त, लोक प्रशासन की प्रकृति, लोक सेवा गारंटी अधिनियम २०१० (म प्र), लोकनीति, शासन, शैक्षणिक विषयों की सूची, समाजशास्त्र, सामाजिक विज्ञान, सैयद नसीम अहमद ज़ैदी, विकास प्रशासन, विकेंद्रीकरण, वुडरो विल्सन, व्यवसाय प्रबंध में स्नातकोत्तर, ऑयल इंडिया, अफसरशाही।
तुलनात्मक लोक-प्रशासन
सामान्य शब्दों में तुलनात्मक लोक-प्रशासन (Comparative Public Administration) का अर्थ है, दो या दो से अधिक प्रशासनिक इकाइयों की संरचना एवं कार्यात्मकता की तुलना की जाए। इसमें दो या दो से अधिक देशों, प्रान्तों तथा स्थानों की प्रशासनिक व्यवस्थाओं के मध्य तुलना की जाती है। तुलनात्मक लोक-प्रशासन का दृष्टिकोण सर्वप्रथम वुडरो विल्सन के नवीन लेख 'द स्टडी ऑफ ऐडमिनिस्ट्रेशन' (१८८७) में आया। इस लेख में विल्सन ने लोक-प्रशासन के तुलनात्मक अध्ययन पर बल दिया। तुलनात्मक लोक प्रशासन, लोक प्रशासन के अध्ययन के क्षेत्र में एक नवीन अवधारणा है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात सामाजिक विज्ञानों ने अध्ययन के लिए तुलनात्मक आधार पर विशेष बल दिया। इसी दौरान सामाजिक शास्त्रों को विज्ञान की श्रेणी में रखने के लिए विद्वान प्रयत्न करने में लगे थे। लोक प्रशासन में सन् 1952 में प्रिन्सटन में आयोजित ‘तुलनात्मक प्रशासन सम्मेलन‘ द्वारा तुलनात्मक दृष्टिकोण का प्रथम प्रयास किया गया था। लेकिन राबर्ट ए. डहाल ने कहा कि जब तक लोक प्रशासन का अध्ययन तुलनात्मक नही होता तब तक विज्ञान होने का इसका दावा खोखला है। तुलनात्मक लोक प्रशासन के विकास में फैरल हैडी, ड्वाइड वाल्डो, रिचर्ड गैबल, फ्रेड रिग्स, जॉन मॉन्टगुमरी आदि विद्वानों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। लोक प्रशासन के विद्वानों ने तुलनात्मक विश्लेषण पर बल देना प्रारम्भ किया। प्रशासन का तुलनात्मक अध्ययन उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा आर्थिक पर्यावरण के सन्दर्भ में किया जाना चाहिए। तुलनात्मक लोक प्रशासन एक नवीन अवधारणा है जिसमें विभिन्न प्रशासनिक व्यवस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन करके प्रशासन को अधिकाधिक वैज्ञानिक बनाने का प्रयास किया जाता है। तीसरी दुनिया के देशों के प्रशासनों का अध्ययन व्यापक पैमाने पर करने पर यह ज्ञात हुआ कि इन देशों की विकास प्रक्रिया स्वदेशी न होकर विदेशों की नकल-मात्र है यह देखा गया है कि विकासशील देशों की नौकरशाही औपचारिकताओं (Formalities) एवं लाल फीताशाही (Red Tapism) को अनावश्यक महत्व देती है। साथ ही इन देशों के प्रशासकों का जनता के प्रति व्यवहार सेवक जैसा नहीं वरन् मालिकों के समान है। इन देशों की नौकरशाही में विकास कार्यक्रमों को पूरा करने के लिये दक्ष एवं योग्य प्रशासकों का भी अभाव है। इन देशों में राजनीतिज्ञों का व्यवहार प्रशासकों के समान होता है, जबकि प्रशासक राजनीति के चक्र में फँसे रहते हैं। रिग्स (Riggs) ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि पारिस्थितिकी प्रशासन को प्रभावित करती है तथा इन देशों में विकास प्रशासन की स्थापना एक कारगर कदम सिद्ध हो सकता है। लोक प्रशासन के क्षेत्र में परम्परागत दृष्टिकोण की अपर्याप्तता, अनुसंधान के नए उपकरणों और नवीन सामाजिक संदर्भ, अन्तर्राष्ट्रीय निर्भरता आदि ने तुलनात्मक लोक-प्रशासन को जन्म दिया और उसे आगे बढ़ाया। लोक-प्रशासन के तुलनात्मक अध्ययन के परिणामों और प्रविधियों का समग्र लोक-प्रशासन के स्वरूप पर गंभीर प्रभाव पड़ा। .
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तृतीयक क्षेत्र
अर्थव्यवस्था के तृतीयक क्षेत्र (tertiary sector of economy) को 'सेवा क्षेत्र' (service sector) भी कहते हैं। अर्थव्यवस्था के अन्य दो क्षेत्र 'प्राथमिक क्षेत्र' (कृषि, पशुपालन, मछली पालन आदि) तथा 'द्वितीयक क्षेत्र (विनिर्माण) हैं। तृतीयक क्षेत्र का विकास २०वीं शताब्दी के आरम्भ में शुरू हुआ। इसके अन्तर्गत व्यापार, यातायात, संप्रेषण (कमुनिकेशन्स), वित्त, पर्यटन, सत्कार (हॉस्पितैलिटी), संस्कृति, मनोरंजन, लोक प्रशासन एवं लोक सेवा, सूचना, न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि आते हैं। .
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निर्णयन
किसी प्रबन्धक का महत्वपूर्ण कार्य निर्णय लेना है। पीटर ड्रकर का इस सम्बन्ध में यह विचार है कि प्रबन्धक जो कुछ भी करता है, निर्णयों के द्वारा ही करता है। हम जानते हैं कि प्रशासकों को दिन–प्रतिदिन अनेक कार्य करने पड़ते हैं और इन कार्यों को करने के लिए उनके पास अनेक विकल्प होते हैं, इन विकल्पों में से सर्वोंत्तम विकल्प कौन सा है, इसका निर्धारण करना 'निर्णय' लेना है। टेरी ने इस सम्बन्ध में कहा है कि 'प्रशासकों का जीवन ही निर्णय लेना है। टेरी के शब्दों में यदि प्रशासक की कोई सार्वभौमिक पहचान है, तो वह है उसका निर्णय लेना। प्रशासक को अपने निर्णय प्रबन्ध के कार्यों–नियोजित संगठन, निर्देशन, नियन्त्रण आदि के अन्तर्गत ही लेने पड़ते हैं। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि निर्णयन प्रबन्ध प्रक्रिया में सर्वव्यापक है। साइमन का यह विचार कि निर्णय लेना ही प्रशासन है, बहु त उचित प्रतीत होता है। साइमन के शब्दों में हम सहमत हो या न हो परन्तु यह निर्विवाद सत्य है कि निर्णय ही प्रशासन का हृदय है। प्रशासन में निर्णय निश्चित प्रक्रिया के परिणाम होते हैं। निर्णय प्रक्रिया की तीन विशेषताएं होती हैं –.
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प्रबन्धन
व्यवसाय एवं संगठन के सन्दर्भ में प्रबन्धन (Management) का अर्थ है - उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रबन्धन के अन्तर्गत आयोजन (planning), संगठन-निर्माण (organizing), स्टाफिंग (staffing), नेतृत्व करना (leading या directing), तथा संगठन अथवा पहल का नियंत्रण करना आदि आते हैं। संगठन भले ही बड़ा हो या छोटा, लाभ के लिए हो अथवा गैर-लाभ वाला, सेवा प्रदान करता हो अथवा विनिर्माणकर्ता, प्रबंध सभी के लिए आवश्यक है। प्रबंध इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति में अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सकें। प्रबंध में पारस्परिक रूप से संबंधित वह कार्य सम्मिलित हैं जिन्हें सभी प्रबंधक करते हैं। प्रबंधक अलग-अलग कार्यों पर भिन्न समय लगाते हैं। संगठन के उच्चस्तर पर बैठे प्रबंधक नियोजन एवं संगठन पर नीचे स्तर के प्रबंधकों की तुलना में अधिक समय लगाते हैं। kisi bhi business ko start krne se phle prabandh yaani ke managements ki jaroort hoti h .
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प्रशासन
किसी क्षेत्र में विशिष्ट शासन या किन्ही मानव प्रबंधन गतिविधियों को प्रशासन (administration) कहा जा सकता है। प्रशासन से निम्नलिखित का बोध हो सकता है-.
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प्रशासनिक सुधार आयोग
प्रशासनिक सुधार आयोग (Administrative Reforms Commission या ARC) एक समिति है जो भारत के लोक प्रशासन को और अधिक कारगर बनाने के लिये सुझाव देने हेतु भारत सरकार द्वारा नियुक्त की गयी है। प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग ५ जनवरी १९६६ को नियुक्त किया गया था। दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग ३१ अगस्त २००५ को बनाया गया था। इसके अध्यक्ष वीरप्पा मोइली थे। आज का राज्य प्रशासनिक राज्य है। आज प्रशासन मानव जीवन के हरेक पहलू से संबंध रखता है। नागरिक प्रशासन को एक ऐसे नैतिक एजेंट के रूप में देखता है जो उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए है एवं उसकी आकांक्षाओं और लक्ष्यों तक पहुँचने में उसकी सहायता करता है। किंतु लोगों की आवश्यकताएं तो निरंतर बदलती रहती है और प्रशासन अचल बना हुआ नहीं रह सकता है। इसे आवश्यक रूप से परिवेश के अनुसार बदलना ही है। प्रशासन में या तो स्वतः परिवर्तन हो सकता है या फिर कृत्रिम रूप से परिवर्तन लाया जा सकता है। कृत्रिम रूप से लाए गए परिवर्तनों को प्रायः 'प्रशासनिक सुधार' कहते हैं।;परिभाषाएँ हैराल्ड ई. कैडेन- प्रशासनिक सुधार प्रतिरोध के विरूद्ध प्रशासनिक परिवर्तन का कृत्रिम अभिप्रेरण है। आर्नी एफ.
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पोस्डकॉर्ब
पोस्डकॉर्ब (POSDCORB) एक संक्षेपीकृत शब्द (acronym) है जो प्रबन्धन और लोक प्रशासन के क्षेत्र में बहुत प्रयोग किया जाता है। POSDCORB का विस्तारित रूप है: Planning, Organizing, Staffing, Directing, Coordinating, Reporting and Budgeting (नियोजन, संगठन, कर्मचारी, निर्देशन, समन्वय, प्रतिवेदन, तथा बजट)। यह सिद्धान्त लूथर गुलिक द्वारा प्रतिपादित है। ये सभी प्रशासन के लिये आवश्यक प्रमुख चरण हैं। .
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भारतीय लोक प्रशासन संस्थान
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, लोक प्रशासन की प्रकृति सम्बन्धित विषयों में प्रशिक्षण, अनुसंधान और सूचना प्रसार हेतु एक स्वायत्त शैक्षणिक संस्थान है। सुविख्यात अमरीकी विशेषज्ञ पौल एच.
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मानव संसाधन प्रबंधन
मानव संसाधन प्रबंधन (HRM) किसी प्रतिष्ठान की सबसे मूल्यवान उन आस्तियों के प्रबंधन का कौशलगत और सुसंगत दृष्टिकोण है- जो वहां काम कर रहे हैं तथा व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से व्यापार के उद्देश्यों की प्राप्ति में योगदान दे रहे हैं। "मानव संसाधन प्रबंधन" और "मानव संसाधन" (HR) शब्दों का स्थान मुख्यतः "कार्मिक प्रबंधन" शब्द ने ले लिया है, जो प्रतिष्ठान में लोगों के प्रबंधन में शामिल प्रक्रियाओं की व्याख्या करता है। सामान्य अर्थ में HRM का मतलब लोगों को रोजगार देना, उनके संसाधनों का विकास करना, उपयोग करना, उनकी सेवाओं को काम और प्रतिष्टान की आवश्यकता के अनुरूप बनाये रखना और बदले में (भरण-पोषण) मुआवजा देते रहना है। .
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राजनीति विज्ञान
राजनीति विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो सरकार और राजनीति के अध्ययन से सम्बन्धित है। राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिंतन, राजनीतिक सिद्धान्त, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढांचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संगठन आदि। .
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राजस्थान विश्वविद्यालय
राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, वाणिज्य, एवं विधि अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में से है। .
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लुथर गुलिक
प्रबन्ध-सैद्धान्तकार '''लुथर गुलिक''' लूथर गुलिक (Luther Halsey Gulick; 1892–1993) लोक प्रशासन के एक विशेषज्ञ एवं सिद्धान्तकार थे। .
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लोक प्रशासन का इतिहास
एक व्यवस्थित अध्ययन के रूप में लोक-प्रशासन का विकास अभी नया ही है। लोक-प्रशासन के शैक्षिक अध्ययन का प्रारम्भ करने का श्रेय वुडरो विल्सन को जाता है जिसने १८८७ में प्रकाशित अपने लेख ‘द स्टडी ऑफ ऐडमिनिस्ट्रेशन' में इस शास्त्र के वैज्ञानिक आधार को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस लेख में राजनीति तथा प्रशासन के बीच स्पष्ट भिन्नता दिखाई गई और घोषित किया गया कि प्रशासन की राजनीति से दूर रहना चाहिए। इसी को तथाकथित ‘राजनीति-प्रशासन-द्विभाजन’ कहते हैं। लोक प्रशासन का इतिहास निम्नलिखित 5 चरणों में विभाज्य है- .
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लोक प्रशासन के सिद्धान्त
लोक प्रशासन के सिद्धान्त इतिहास, संगठन के सिद्धान्त, सामाजिक सिद्धान्त एवं आम जनता से जुड़े अन्य विषयों के सम्मिश्रण से बने हैं। .
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लोक प्रशासन की प्रकृति
जिस प्रकार लोक प्रशासन की परिभाषा में कई दृष्टिकोण दिखाई देते हैं, उसी प्रकार इसकी प्रकृति के विषय में भी दो तरह के दृष्टिकोण हैं। प्रथम, व्यापक दृष्टिकोण जिसे 'पूर्ण विचार' अथवा 'एकीकृत विचार' कहा जाता है और दूसरा संकुचित दृष्टिकोण जिसे 'प्रबन्धकीय विचार' कहा जाता है। .
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लोक सेवा गारंटी अधिनियम २०१० (म प्र)
लोक सेवा गारंटी अधिनियम २०१० भारत के मध्य प्रदेश राज्य द्वारा पारित एक विधेयक है। इसके अनुसार लोक सेवकों को तय समयसीमा में काम को पूरा करना होगा और ऐसा न होने पर जवाबदेही तय कर उन पर 500 से 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। नागरिकों को विद्युत, जल के कनेक्शन, बच्चों को स्कूल में प्रवश, जन्म, मृत्यु, निवास और विवाह के प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। एफ.आई.आर.
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लोकनीति
लोकनीति अथवा 'सार्वजनिक नीति' (Public policy) वह नीति है जिसके अनुसार राज्य के प्रशासनिक कार्यपालक अपना कार्य करते हैं। बहुत से विचारकों का मत है कि लोक प्रशासन, लोकनीति को लागू करने और उसकी पूर्ति के लिये लागू की गयी गतिविधियों का योग है। सावर्जनिक नीति का अध्ययन अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में प्रमुखता से किया जाता है। सार्वजनिक नीति सामान्यतया अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, शिक्षा, तकनीकी एवं सामाजिक नीतियों जैसे सामान्य शीर्षकों में वर्गीकृत की जाती है। हम सब अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में असंख्य सार्वजनिक नीतियों से अत्यन्त प्रभावित हैं। सार्वजनिक नीति की पहुँच व्यापक है, अत्यावश्यक से नगण्य तक। सार्वजनिक नीतियाँ आज प्रतिरक्षा, पर्यावरण सरंक्षण, चिकित्सकीय देखभाल एवं स्वास्थ्य, शिक्षा, गृह निर्माण, कराधान, महँगाई, विज्ञान और तकनीकी इत्यादि मूलभूत क्षेत्रों से संबंधित है। सार्वजनिक नीतियां सूक्ष्म स्तर से वृहत स्तर तक अनेक पक्षों के साथ व्यवहार करती है। इसका संबंध चाहे आन्तरिक घरेलू पक्षों से हो या बाह्य विदेशी मामले से। घरेलू क्षेत्र में, सार्वजनिक नीतियां सूक्ष्म स्तर के किसी विशिष्ट गाँव पर ध्यान केन्द्रित कर सकती है या किसी विशिष्ट खण्ड या समुदाय से संबंधित हो सकती है। इसी तरह सार्वजनिक नीतियाँ स्थानीय, राज्य या राष्ट्रीय सरकार से संबंधित हो सकती है। सार्वजनिक नीति विदेशी मामले, शिक्षा, प्रतिरक्षा, कृषि, गृह निर्माण, शहरी विकास, सिंचाई आदि से जुड़ी हो सकती है। सार्वजनिक नीतियों का विस्तार अत्यन्त नगण्य पक्ष से लेकर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पक्ष तक हो सकता है। इसमें किसी राष्ट्रीय नेता की स्मृति में राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने और इसके तहत सैकड़ों करोड़ रूपये की मजदूरी देना भी सम्मिलित है। आधुनिक मनुष्य का जन्म सरकार द्वारा प्रदत्त वित्तय सहायता वाले चिकित्सालय में होता है। वह अपनी शिक्षा राज्य सहायता प्राप्त विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में प्राप्त करता है, अपने समय का काफी हिस्सा राज्य द्वारा निर्मित परिवहन सुविधाओं से यात्रा करते हुए गुजारता है, डाक घर या अर्द्ध राजकीय दूरभाष प्रणाली का उपयोग संचार हेतु करता है, राज्य द्वारा व्यवस्था किये पेय जल के पीता है, अपने कूड़े-कचरे का निपटान सावर्जनिक स्वच्छता प्रणाली के माध्यम से करता है, सार्वजनिक पस्तकालय से पुस्तकें पढ़ता है, सार्वजनिक पार्कों में पिकनिक मनाता है तथा सार्वजनिक पुलिस, अग्निशमन एवं स्वास्थ्य प्रणाली से लाभान्वित होता है। अन्ततोगत्वा, उसकी मृत्यु चिकित्सालय में होती है, और हो सकता है कि उसको सार्वजनिक शमशान में दफनाया जाये। मनुष्य कितना ही रूढ़िवादी क्यों न हो, वह अपना दिन प्रतिदिन का जीवन उपर्युक्त या अन्य कई सार्वजनिक सेवाओं के संबंध में सरकार के निर्णय से बंधा हुआ पाता है। लोक प्रशासन का राजनीति विज्ञान के समानान्तर अध्ययन के एक क्षेत्र के रूप में प्रादुर्भाव होने तथा एक अलग शैक्षणिक विभाग के रूप में उभरने के साथ ही, 1960 के दशक में सार्वजनिक नीति को राजनीति विज्ञान के अंतर्गत अध्ययन के एक उपक्षेत्र के नाते मान्यता मिली। ‘सार्वजनिक नीति‘ सावर्जनिक मामलों के प्रति सरकार के रूख का सैद्धान्तिक अध्ययन करती है। राजनीति विज्ञान का बल सिद्धान्त पर, तथा साजर्वनिक नीति का बल उसके अनुप्रयोग पर होता है। .
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शासन
शासन संचालन की गतिविधि को शासन कहते हैं, या दूसरे शब्दों में कहें तो, राज करने या राज चलाने को शासन कहा जाता है। इसका संबंध उन निर्णयों से है जो उम्मीदों को परिभाषित करते हैं, शक्ति देते हैं, या प्रदर्शन को प्रमाणित करते हैं। यह एक अलग प्रक्रिया भी हो सकती है या प्रबंधन अथवा नेतृत्व प्रक्रिया का एक खास हिस्सा भी हो सकती है। कभी कभी लोग इन प्रक्रियाओं और व्यवस्थाओं के संचालन के लिए सरकार की स्थापना करते हैं। किसी कारोबार अथवा गैर-लाभकारी संगठन के सन्दर्भ में, शासन का तात्पर्य अविरुद्ध प्रबंधन, एकीकृत नीतियों, मार्गदर्शन, प्रक्रियाओं और किसी दिए गए क्षेत्र के निर्णायक-अधिकारों से संबंधित है। उदाहरण के लिए, कॉर्पोरेट स्तर पर प्रबंधन के लिए गोपनीयता, आंतरिक निवेश, तथा आंकड़ों के प्रयोग संबंधी नीतियाँ बनाना शामिल हो सकता है। अगर सरकार और शासन शब्दों में अंतर किया जाए, तो जो निकलकर सामने आएगा वो यह है कि एक सरकार जो करती है वही शासन है। यह कोई भी भू-राजनीतिक सरकार (राष्ट्र-राज्य), कॉर्पोरेट सरकार (कारोबारी संस्था), सामाजिक-राजनीतिक सरकार (जाति, परिवार इत्यादि) या किसी भी अन्य प्रकार की सरकार हो सकती है। लेकिन शासन शक्ति और नीति के प्रबंधन की गतिज प्रक्रिया है, जबकि सरकार वह माध्यम (आमतौर पर सामूहिक) है जो इस प्रक्रिया को अंजाम देती है। वैसे सरकार शब्द का इस्तेमाल शासन के पर्यायवाची शब्द के तौर पर भी किया जाता है, जैसा कि कनाडाई नारे के तहत "शांति, व्यवस्था और अच्छी सरकार " है। 1947 ई. में जाकर अंग्रेजों का भारत पर शासन समाप्त हुआ। .
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शैक्षणिक विषयों की सूची
यहाँ शैक्षणिक विषय (academic discipline) से मतलब ज्ञान की किसी शाखा से है जिसका अध्ययन महाविद्यालय स्तर या विश्वविद्यालय स्तर पर किया जाता है या जिन पर शोध कार्य किया जाता है। .
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समाजशास्त्र
समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन है। यह सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है, जो मानवीय सामाजिक संरचना और गतिविधियों से संबंधित जानकारी को परिष्कृत करने और उनका विकास करने के लिए, अनुभवजन्य विवेचनगिडेंस, एंथोनी, डनेर, मिशेल, एप्पल बाम, रिचर्ड.
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सामाजिक विज्ञान
सामाजिक विज्ञान (Social science) मानव समाज का अध्ययन करने वाली शैक्षिक विधा है। प्राकृतिक विज्ञानों के अतिरिक्त अन्य विषयों का एक सामूहिक नाम है 'सामाजिक विज्ञान'। इसमें नृविज्ञान, पुरातत्व, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधि, भाषाविज्ञान, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और संचार आदि विषय सम्मिलित हैं। कभी-कभी मनोविज्ञान को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है। .
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सैयद नसीम अहमद ज़ैदी
नसीम अहमद जैदी भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त हुए हैं। डॉ.
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विकास प्रशासन
विकास प्रशासन (Development Administration) का अर्थ विकास से सम्बन्धित प्रशासन से लिया जाता है। यह सरकार द्वारा योजनाबद्ध तरीके से राष्ट्र के अर्थव्यवस्था मे परिमाणात्मक एवं गुणात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक प्रयास है। यह सरकार की उस हर एक गतिविधि का नाम है, जिसमें जन-कल्याण या राष्ट्रीय-विकास निहित है। अतः यह न केवल सामान्य/ नियामकीय प्रशासन (Regulatory Administration) से जुड़ा है अपितु मानवीय जीवन के सभी पहलू- सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक इत्यादि भी इससे जुड़े हैं। .
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विकेंद्रीकरण
विकेन्द्रीकरण अथवा विकेंद्रीकरण कार्यों, शक्तियों, लोगों को या चीजों को केंद्रीय स्थान या प्राधिकारी से हटाकर पुनः विभाजित करने की प्रक्रिया को कहतेjhhh हैं। जबकि केन्द्रीकरण मुख्यतः सरकारी क्षेत्रों में किया जाने वाला और व्यापकर रूप से अध्ययन किया जाने वाला विषय है जिसके समान विकेन्द्रीकरण को सामान्य रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता। विकेन्द्रीकरण का अर्थ भिन्न क्षेत्रों में, इसको लागू करने के तरीकों के अनुसार भिन्न हो सकता है। विकेन्द्रीकरण की अवधारणा को निजी व्यवसायों और संगठनों में समूह गतिकी और प्रबंधन विज्ञान, राजनीति विज्ञान, विधि, लोक प्रशासन, अर्थशास्त्र और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में लागू किया जाता है। .
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वुडरो विल्सन
वुडरो विल्सन (Woodrow Wilson) (१८५६-१९२४) अमेरिका के २८ वें राष्ट्रपति थे। विल्सन को लोक प्रशासन के प्रकार्यों की व्याख्या करने वाले अकादमिक विद्वान, प्रशासक, इतिहासकार, विधिवेत्ता और राजनीतिज्ञ के रूप में जाना जाता है। .
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व्यवसाय प्रबंध में स्नातकोत्तर
व्यवसाय प्रबंध में स्नातकोत्तर (एमबीए (MBA)) व्यवसाय प्रशासन में मास्टर की डिग्री है, जो विस्तृत श्रृंखला के शैक्षिक विषयों से लोगों को आकर्षित करती है। व्यवसाय प्रबंध में स्नातकोत्तर पद संयुक्त राज्य अमेरिका में आरम्भ हुआ, अतिकाल 19 वीं सदी से उभरता हुआ जैसे देश औद्योगिक बना और कंपनियों ने प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण की तलाश की.
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ऑयल इंडिया
ऑयल इंडिया (ओआईएल (OIL)) भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन सरकारी स्वामित्व वाली भारत की एक बड़ी तेल एवं गैस कंपनी है। ओआईएल (OIL) कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस की खोज, विकास तथा उत्पादन, कच्चे तेल के परिवहन और तरल पेट्रोलियम गैस के उत्पादन के व्यवसाय में लगा हुआ है। ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल (OIL)) की कहानी भारतीय पेट्रोलियम उद्योग की पहचान और उसके विकास तथा उन्नति का प्रतीक है। 1889 में भारत के सुदूर पूर्व डिगबोई, आसाम में कच्चे तेल की खोज से लेकर इसकी पूर्णतः एकीकृत उजान पेट्रोलियम कंपनी की वर्तमान स्थिति तक, कई मील के पत्थरों को पार करता हुआ आया है ओआईएल (OIL).
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अफसरशाही
प्राचीन चीन की नौकरशाही में स्थान पाने के लिये विद्यार्थियों में स्पर्धा होती थी। किसी बड़ी संस्था या सरकार के परिचालन के लिये निर्धारित की गयी संरचनाओं एवं नियमों को समग्र रूप से अफसरशाही या ब्यूरोक्रैसी (Bureaucracy) कहते हैं। तदर्थशाही (adhocracy) के विपरीत इस तंत्र में सभी प्रक्रियाओं के लिये मानक विधियाँ निर्धारित की गयी होती हैं और उसी के अनुसार कार्यों का निष्पादन अपेक्षित होता है। शक्ति का औपचारिक रूप से विभाजन एवं पदानुक्रम (hierarchy) इसके अन्य लक्षण है। यह समाजशास्त्र का प्रमुख परिकल्पना (कांसेप्ट) है। अफरशाही की प्रमुख विशेषताएँ ये हैं-.
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