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लाला लाजपत राय

सूची लाला लाजपत राय

लालाजी (१९०८ में) लाला लाजपत राय (पंजाबी: ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ, जन्म: 28 जनवरी 1865 - मृत्यु: 17 नवम्बर 1928) भारत के जैन धर्म के अग्रवंश मे जन्मे एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्तत: १७ नवम्बर सन् १९२८ को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी। .

56 संबंधों: चन्द्रशेखर आजाद, डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर (फ़िल्म), दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय, द्वारका प्रसाद मिश्र, देशबंधु गुप्ता, पंडित सुन्दर लाल, पुरुषोत्तम दास टंडन, बाबा कांशीराम, बाल गंगाधर तिलक, ब्रिटिश राज, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्षों की सूची, भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन, भाई परमानन्द, भगत सिंह, भगवती चरण वोहरा, मैं नास्तिक क्यों हूँ?, मोहनदास नैमिशराय, मोहम्मद अली जिन्नाह, राधाचरण गोस्‍वामी, राम प्रसाद 'बिस्मिल', राम प्रसाद नौटियाल, लाल-बाल-पाल, लाला लाजपतराय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय, लाला हरदयाल, लाला हंसराज, लाला जगत नारायण, लाजपत नगर, दिल्ली, लॉर्ड इर्विन, शहीद (1965 फ़िल्म), शिव प्रसाद गुप्त, सरदार अजीत सिंह, सांचा:विशेष तिथियाँ, साइमन कमीशन, सुखदेव, स्वदेशी, स्वदेशी आन्दोलन, स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी सोमदेव, सोहन सिंह भकना, सोहनलाल पाठक, हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन, हिसार, जैनेन्द्र कुमार, वन्दे मातरम्, विपिनचंद्र पाल, वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै, गरम दल, गुरुदत्त विद्यार्थी, गोपाल कृष्ण गोखले, ..., आर्य समाज, कृष्णकान्त मालवीय, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, १७ नवम्बर, १८६५, २८ जनवरी सूचकांक विस्तार (6 अधिक) »

चन्द्रशेखर आजाद

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया। .

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डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर (फ़िल्म)

डॉ.

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दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय

दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालय अविभाजित भारत के कुछ भागों (मुख्यत: पंजाब) में आरम्भ किये गये विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की एक शृंखला का नाम है। इसे आर्य समाज के महान सदस्य एवं शिक्षाविद महात्मा हंसराज ने आरम्भ किया था। ये विद्यालय भारतीय चिंतन और भारतीय संस्कृति के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी के संगम हैं। .

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द्वारका प्रसाद मिश्र

---- द्वारका प्रसाद मिश्र द्वारका प्रसाद मिश्र (1901 - 1988) भारत के एक स्वतंत्रतासंग्राम सेनानी, राजनेता, पत्रकार एवं साहित्यकार थे। वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। .

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देशबंधु गुप्ता

लाला देशबंधु गुप्ता भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं पत्रकार थे। उन्होंने लाला लाजपत राय के समाचार पत्र वंदेमातरम में संपादक के रूप में सहयोग दिया। गुप्ता ने बाल गंगाधर तिलक के लेखों से प्रभावित होकर अपना जीवन स्वतंत्रता आंदोलन के लिए समर्पित किया। साइमन कमीशन के दिल्ली पहुंचने पर उसका विरोध किया। वे अनेक बार जेल भी गए। लालाजी संविधान सभा के विशिष्ट सदस्य थे। उनका जन्म पानीपत में हुआ था, लेकिन उनकी कर्मभूमि दिल्ली रही। देश के विभाजन के समय लाला जी ने दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में साम्प्रदायिक सदभाव बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दुर्भाग्य से 1951 में कलकत्ता जाते समय विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया। श्रेणी:भारतीय पत्रकार श्रेणी:स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी.

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पंडित सुन्दर लाल

सत्याग्रह छत्तीसगढ़ के कवि एवं समाजसुधारक पंडित सुन्दर लाल शर्मा के लिये संबन्धित लेख देखें। ----- पंडित सुन्दर लाल (२६ सितम्बर सन १८८५ - 9 मई १९८१) भारत के पत्रकार, इतिहासकार तथा स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी थे। वे 'कर्मयोगी' नामक हिन्दी साप्ताहिक पत्र के सम्पादक थे। उनकी महान कृति 'भारत में अंग्रेज़ी राज' है। .

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पुरुषोत्तम दास टंडन

पुरूषोत्तम दास टंडन (१ अगस्त १८८२ - १ जुलाई, १९६२) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी थे। हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करवाने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे ही, समर्पित राजनयिक, हिन्दी के अनन्य सेवक, कर्मठ पत्रकार, तेजस्वी वक्ता और समाज सुधारक भी थे। हिन्दी को भारत की राजभाषा का स्थान दिलवाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान किया। १९५० में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्हें भारत के राजनैतिक और सामाजिक जीवन में नयी चेतना, नयी लहर, नयी क्रान्ति पैदा करने वाला कर्मयोगी कहा गया। वे जन सामान्य में राजर्षि (संधि विच्छेदः राजा+ऋषि.

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बाबा कांशीराम

बाबा कांशीराम (11 जुलाई 1882 – 15 अक्टूबर 1943)) भारत के स्वतंत्रता सेनानी तथा क्रांतिकारी साहित्यकार थे। उन्होंने काव्य से सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्हें 'पहाड़ी गांधी' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने जनसाधारण की भाषा में चेतना का संदेश दिया। बाबा कांशी राम की रचनाओं में जनजागरण की प्रमुख धाराओं के अतिरिक्त छुआछूत उन्मूलन, हरिजन प्रेम, धर्म के प्रति आस्था, विश्वबंधुत्व व मानव धर्म के दर्शन होते हैं। बाबा कांशी राम ने अंग्रेज शासकों के विरुद्ध विद्रोह के गीतों के साथ आम जनता के दुख दर्द को भी कविताओं में व्यक्त किया गया। .

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बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक (अथवा लोकमान्य तिलक,; २३ जुलाई १८५६ - १ अगस्त १९२०), जन्म से केशव गंगाधर तिलक, एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुएँ; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे। उन्हें, "लोकमान्य" का आदरणीय शीर्षक भी प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत (उनके नायक के रूप में)। इन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। तिलक ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच" (स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष, वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै और मुहम्मद अली जिन्नाह शामिल थे। .

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ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अधिकतर कांग्रेस के नाम से प्रख्यात, भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं, जिन में अन्य भारतीय जनता पार्टी हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में २८ दिसंबर १८८५ में हुई थी; इसके संस्थापकों में ए ओ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे। १९वी सदी के आखिर में और शुरूआती से लेकर मध्य २०वी सदी में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने १.५ करोड़ से अधिक सदस्यों और ७ करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केन्द्रीय भागीदार बनी। १९४७ में आजादी के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आज़ादी से लेकर २०१६ तक, १६ आम चुनावों में से, कांग्रेस ने ६ में पूर्ण बहुमत जीता हैं और ४ में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल ४९ वर्षों तक वह केन्द्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं; पहले जवाहरलाल नेहरू (१९४७-१९६५) थे और हाल ही में मनमोहन सिंह (२००४-२०१४) थे। २०१४ के आम चुनाव में, कांग्रेस ने आज़ादी से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और ५४३ सदस्यीय लोक सभा में केवल ४४ सीट जीती। तब से लेकर अब तक कोंग्रेस कई विवादों में घिरी हुई है, कोंग्रेस द्वारा भारतीय आर्मी का मनोबल गिराने का देश में विरोध किया जा रहा है । http://www.allianceofdemocrats.org/index.php?option.

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्षों की सूची

१९३८ के हरिपुरा सम्मेलन में (बाएं से दाएं) महात्मा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, सुभाष चन्द्र बोस और वल्लभ भाई पटेल। गले में फीता पहने बोस इस सम्मेलन के अध्यक्ष थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्वतंत्र भारत का प्रमुख राजनीतिक दल है और इस की स्थापना स्वतंत्रता से पूर्व १८८५ में हुई थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष दल के चुने हुए प्रमुख होते है जो आम जनता के साथ दल के रिश्ते को प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार होते है। .

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भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन

* भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था। इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .

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भाई परमानन्द

भाई परमानन्द का एक दुर्लभ चित्र भाई परमानन्द (जन्म: ४ नवम्बर १८७६ - मृत्यु: ८ दिसम्बर १९४७) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। भाई जी बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे। वे जहाँ आर्यसमाज और वैदिक धर्म के अनन्य प्रचारक थे, वहीं इतिहासकार, साहित्यमनीषी और शिक्षाविद् के रूप में भी उन्होंने ख्याति अर्जित की थी। सरदार भगत सिंह, सुखदेव, पं॰ राम प्रसाद 'बिस्मिल', करतार सिंह सराबा जैसे असंख्य राष्ट्रभक्त युवक उनसे प्रेरणा प्राप्त कर बलि-पथ के राही बने थे। देशभक्ति, राजनीतिक दृढ़ता तथा स्वतन्त्र विचारक के रूप में भाई जी का नाम सदैव स्मरणीय रहेगा। आपने कठिन तथा संकटपूर्ण स्थितियों का डटकर सामना किया और कभी विचलित नहीं हुए। आपने हिंदी में भारत का इतिहास लिखा है। इतिहास-लेखन में आप राजाओं, युद्धों तथा महापुरुषों के जीवनवृत्तों को ही प्रधानता देने के पक्ष में न थे। आपका स्पष्ट मत था कि इतिहास में जाति की भावनाओं, इच्छाओं, आकांक्षाओं, संस्कृति एवं सभ्यता को भी महत्व दिया जाना चाहिए। आपने अपने जीवन के संस्मरण भी लिखे हैं जो युवकों के लिये आज भी प्रेरणा देने में सक्षम हैं। .

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भगत सिंह

भगत सिंह (जन्म: २८ सितम्बर या १९ अक्टूबर, १९०७, मृत्यु: २३ मार्च १९३१) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में साण्डर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें २३ मार्च १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया। भगत सिंह को समाजवादी,वामपंथी और मार्क्सवादी विचारधारा में रुचि थी। सुखदेव, राजगुरु तथा भगत सिंह के लटकाये जाने की ख़बर - लाहौर से प्रकाशित ''द ट्रिब्युन'' के मुख्य पृष्ठ --> .

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भगवती चरण वोहरा

महान क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा भगवती चरण वोहरा (4 जुलाई 1904 - 28 मई 1930)) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वे हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य और भगत सिंह के साथ ही एक प्रमुख सिद्धांतकार होते हुए भी गिरफ्तार नहीं किए जा सके और न ही वे फांसी पर चढ़े। उनकी मृत्यु बम परिक्षण के दौरान दुर्घटना में हुई। .

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मैं नास्तिक क्यों हूँ?

मैं नास्तिक क्यों हूँ (Why I am an Atheist) भगत सिंह द्वारा लिखा एक लेख है जो उन्होंने लाहौर सेंट्रल जेल में क़ैद के दौरान लिखा था और इसका प्रथम प्रकाशन लाहौर से ही छपने वाले अख़बार दि पीपल में 27 सितम्बर 1931 को हुआ। यह लेख भगत सिंह के द्वारा लिखित साहित्य के सर्वाधिक चर्चित और प्रभावशाली हिस्सों में गिना जाता है और बाद में इसका कई बार प्रकाशन हुआ। इतिहासकार बिपिन चन्द्र के अनुसार भगत सिंह ने जेल में कई किताबे और पर्चे लिखे थे, लेकिन इनका अधिकांश हिस्सा नष्ट हो गया। यह पर्चा (लेख) किसी प्रकार उनके पिता के हाथों, जेल से बाहर आया और लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित अखबार दि पीपल में प्रकाशित हुआ। .

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मोहनदास नैमिशराय

मोहनदास नैमिषराय विचारात्मक लेखन के लिए सृजन गाथा द्वारा प्रदत्त महेश तिवारी सम्मान ग्रहण करते हुए। मोहनदास नैमिशराय ख्यातनाम दलित साहित्यकार एवं बयान के संपादक हैं। झलकारी बाई के जीवन पर वीरांगना झलकारी बाई नामक एक पुस्तक सहित उनकी ३५ से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें उपन्यास, कथा संग्रह, आत्म कथा तथा आलेख इत्यादि शामिल हैं। वे सामाजिक न्यास संदेश के संपादक भी हैं। उनका बचपन गरीबी में बीता। वे मेरठ में रहते थे। मिट्टी का कच्चा घर था। विशेष कपड़े भी उस समय पहनने के लिए नहीं थे। बिना चप्पल या जूते के भी आना-जाना पड़ता था। उनकी शिक्षा मेरठ में कुमार आश्रम में हुई। यह आश्रम लाला लाजपत राय ने दलितों की शिक्षा के लिए बनवाया था। उनके पिता आरंभ में सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे डिप्रेस्ड लीग के चेयरमेन रहे और जब उन्होंने हायस्कूल किया तो वे पूरे जिले में हायस्कूल करने वाले दूसरे व्यक्ति थे। पिताजी नाटकों में भूमिका भी करते थे। .

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मोहम्मद अली जिन्नाह

मोहम्मद अली जिन्ना (उर्दू:, जन्म: 25 दिसम्बर 1876 मृत्यु: 11 सितम्बर 1948) बीसवीं सदी के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे जिन्हें पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। वे मुस्लिम लीग के नेता थे जो आगे चलकर पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने। पाकिस्तान में, उन्हें आधिकारिक रूप से क़ायदे-आज़म यानी महान नेता और बाबा-ए-क़ौम यानी राष्ट्र पिता के नाम से नवाजा जाता है। उनके जन्म दिन पर पाकिस्तान में अवकाश रहता है। भारतीय राजनीति में जिन्ना का उदय 1916 में कांग्रेस के एक नेता के रूप में हुआ था, जिन्होने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता करवाया था। वे अखिल भारतीय होम रूल लीग के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। काकोरी काण्ड के चारो मृत्यु-दण्ड प्राप्त कैदियों की सजायें कम करके आजीवन कारावास (उम्र-कैद) में बदलने हेतु सेण्ट्रल कौन्सिल के ७८ सदस्यों ने तत्कालीन वायसराय व गवर्नर जनरल एडवर्ड फ्रेडरिक लिण्डले वुड को शिमला जाकर हस्ताक्षर युक्त मेमोरियल दिया था जिस पर प्रमुख रूप से पं॰ मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना, एन॰ सी॰ केलकर, लाला लाजपत राय व गोविन्द वल्लभ पन्त आदि ने हस्ताक्षर किये थे। भारतीय मुसलमानों के प्रति कांग्रेस के उदासीन रवैये को देखते हुए जिन्ना ने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने देश में मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा और स्वशासन के लिए चौदह सूत्रीय संवैधानिक सुधार का प्रस्ताव रखा। लाहौर प्रस्ताव के तहत उन्होंने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र का लक्ष्य निर्धारित किया। 1946 में ज्यादातर मुस्लिम सीटों पर मुस्लिम लीग की जीत हुई और जिन्ना ने पाकिस्तान की आजादी के लिए त्वरित कार्रवाई का अभियान शुरू किया। कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण भारत में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई। मुस्लिम लीग और कांग्रेस पार्टी, गठबन्धन की सरकार बनाने में असफल रहे, इसलिए अंग्रेजों ने भारत विभाजन को मंजूरी दे दी। पाकिस्तान के गवर्नर जनरल के रूप में जिन्ना ने लाखों शरणार्थियो के पुनर्वास के लिए प्रयास किया। साथ ही, उन्होंने अपने देश की विदेश नीति, सुरक्षा नीति और आर्थिक नीति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गौरतलब है कि पाकिस्तान और भारत का बटवारा जिन्ना और नेहरू के राजनीतिक लालच की वजह से हुआ है ! .

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राधाचरण गोस्‍वामी

राधाचरण गोस्‍वामी (२५ फरवरी १८५९ - १२ दिसम्बर १९२५) हिन्दी के भारतेन्दु मण्डल के साहित्यकार जिन्होने ब्रजभाषा-समर्थक कवि, निबन्धकार, नाटकरकार, पत्रकार, समाजसुधारक, देशप्रेमी आदि भूमिकाओं में भाषा, समाज और देश को अपना महत्वपूर्ण अवदान दिया। आपने अच्छे प्रहसन लिखे हैं। .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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राम प्रसाद नौटियाल

लैंसडौन विधान सभा' क्षेत्र से विधायक के रूप में: प्रथम कार्यकाल:- 1951 to 1957, द्वितीय कार्यकाल - 1957 to 1962 राम प्रसाद नौटियाल (1 अगस्त, 1905 - 24 दिसम्बर, 1980) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी तथा राजनेता। .

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लाल-बाल-पाल

तीन नेता जिन्होंने भारतीय स्वाधीनता संग्राम की दिशा ही बदल दी। लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल को सम्मिलित रूप से लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था। भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में १९०५ से १९१८ तक की अवधि में वे गरम राष्ट्रवादी विचारों के पक्षधर और प्रतीक बने रहे। वे स्वदेशी के पक्षधर थे और सभी आयातित वस्तुओं के बहिष्कार के समर्थक थे। १९०५ के बंग भंग आन्दोलन में उन्होने जमकर भाग लिया। लाल-बाल-पाल की त्रिमूर्ति ने पूरे भारत में बंगाल के विभाजन के विरुद्ध लोगों को आन्दोलित किया। बंगाल में शुरू हुआ धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार देश के अन्य भागों में भी फैल गया। १९०७ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गयी। १९०८ में तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसके कारण उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) स्थित मांडले की जेल भेज दिया गया। बाल गंगाधर तिलक की गिरफ्तारी, विपिन चन्द्र पाल तथा अरविन्द घोष की सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने के कारण भारतीय स्वतंत्रता का यह का उग्र राष्ट्रवादी आन्दोलन कमजोर पड़ गया। अन्ततः १९२८ में लाला लाजपत राय की भी अंग्रेजों के लाठीचार्ज के कारण मृत्यु हो गयी। श्रेणी:भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम.

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लाला लाजपतराय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय

लाला लाजपतराय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय हिसार में स्थित हरियाणा सरकार का विश्वविद्यालय है। इसका नामकरण भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लाला लाजपत राय के नाम पर किया गया है। .

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लाला हरदयाल

लाला हरदयाल (१४ अक्टूबर १८८४, दिल्ली -४ मार्च १९३९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् १९२७ में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् १९३८ में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही ४ मार्च १९३९ को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी। उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया। .

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लाला हंसराज

महात्मा हंसराज लाला हंसराज (महात्मा हंसराज) (१९ अप्रैल १८६४ - १५ नवम्बर १९३८) अविभाजित भारत के पंजाब के आर्यसमाज के एक प्रमुख नेता एवं शिक्षाविद थे। पंजाब भर में दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों की स्थापना करने के कारण उनकी कीर्ति अमर है। .

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लाला जगत नारायण

लाला जगत नारायण (31 मई 1899 − 9 सितम्बर 1981) भारत के प्रसिद्ध पत्रकार तथा हिन्द समाचार समूह के संस्थापक थे। अस्सी के दशक में जब पूरा पंजाब आतंकी माहौल से सुलग रहा था, उस दौर में भी कलम के सिपाही एवं देश भावना से प्रेरित लाला जी ने अपने बिंदास लेखन से आतंकियों के मंसूबों को उजागर किया और राज्य में शांति कायम करने के भरसक प्रयास किए परन्तु 9 सितम्बर सन् 1981 को इन्हीं आतंकियों ने सच्चे देशभक्त एवं निडर पत्रकार लाला जी की हत्या कर दी। .

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लाजपत नगर, दिल्ली

लाजपत नगर दक्षिण दिल्ली का एक प्रमुख क्षेत्र है। यहां एक बडी निजि आवासीय कालोनी, सरकारी आवासीय कालोनी के साथ- साथ ही एक बड व प्रसिद्ध बाजार भी है, जो कि सेन्ट्रल मार्किट के नाम से प्रसिद्ध है। यह प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी श्री लाला लाजपत राय के सम्मान में नामित है। लाजपतनगर, दिल्ली दिल्ली के रिंग मार्ग पर आने वाला एक बस स्टॉप भी है। .

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लॉर्ड इर्विन

लॉर्ड इर्विन (16 अप्रैल, 1881 - 23 दिसम्बर 1959) भारत में १९२६-१९३१ ई. तक गवर्नर जनरल तथा सम्राट् के प्रतिनिधि के रूप में वायसराय थे। भारत में बढ़ रही स्वराज्य तथा संवैधानिक सुधारों की माँग के संबंध में इनकी संस्तुति से १९२७ ई. में लार्ड साइमन की अध्यक्षता में ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन की नियुक्ति की, जिसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे। फलस्वरूप सारे देश में कमीशन का बाहिष्कार हुआ, 'साइमन, वापस जाओ' के नारे लगाए गए, ओर काले झंडों के प्रदर्शन के साथ आंदोलन हुआ। सांडर्स के नेतृत्व में पुलिस की लाठियों की चोट से लाला लाजपतराय की मृत्यु हो गई। भगत सिंह के दल ने एक वर्ष के भीतर ही बदले के लिए सांडर्स की भी हत्या कर दी। प्रारंभ में भारत औपानिवेशिक स्वराज्य की ही माँग करता रहा, किंतु २६ जनवरी, १९२९ को अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में 'पूर्ण स्वराज्य' की घोषणा की गई तथा शपथ ली गई कि प्रत्येक वर्ष २६ जनवरी गणतंत्र के रूप में मनाई जाएगी। साइमन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार १९३० ई. में लार्ड इरविन की संस्तुति से संवैधानिक सुधारों की समस्या के समाधान के लिए लंदन में एक गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसका गांधी जी ने विरोध किया। साथ ही गांधी जी ने सरकार पर दबाव डालने के लिए ६ अप्रैल, १९३० से नमक सत्याग्रह छेड़ दिया। सारे देश में नमक कानून तोड़ा गया। गांधी जी के साथ हजारों व्यक्ति गिरफ्तार हुए। सर तेजबहादुर सप्रु की मध्यस्थता से गांधी-इरविन-समझौता हुआ। यह समझौता भारतीय इतिहास का एक प्रमुख मोड़ है। इसमें २१ धाराएँ थीं जिनके अनुसार गोलमेज कानफ्ररेंस में भाग लेने के लिए गांधी जी तैयार हुए तथा यह तय हुआ कि कानून तोड़ने की कार्रवाई बंद होगी, ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार बंद होगा, पुलिस के कारनामों की जाँच नहीं होगी, आंदोलन के समय बने अध्यादेश वापस होंगे, सभी राजनीतिक कैदी छोड़ दिए जाएँगे, जुर्माने वसूल नहीं होंगे, जब्त अचल संपत्ति वापस हो जाएगी, अन्यायपूर्ण वसूली की क्षतिपूर्ति होगी, असहयोग करनेवाले सरकारी कर्मचारियों के साथ उदारता बरती जाएगी, नमक कानून में ढील दी जाएगी, इत्यादि। इस समझौते के फलस्वरूप १९३१ ई. की द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में गांधी जी ने मदनमोहन मालवीय एवं श्रीमती सरोजनी नायडू के साथ भाग लिया। यद्यपि लार्ड इरविन ने एक साम्राज्यवादी शासक के रूप में स्वदेशी आंदोलन का पूरा दमन किया, तथापि वैयक्तिक मनुष्य के रूप में वे उदार विचारों के थे। यही कारण है कि राष्ट्रवादी नेताओं को इन्होंने काफी महत्व प्रदान किया। इनके जीवित स्मारक के रूप में नई दिल्ली में विशाल 'इरविन अस्पताल' का निर्माण कराया गया। श्रेणी:भारत के गवर्नर जनरल.

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शहीद (1965 फ़िल्म)

शहीद (1965 फ़िल्म) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर हिन्दी भाषा की फिल्म है। भगत सिंह के जीवन पर 1965 में बनी यह देशभक्ति की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है। जिसकी कहानी स्वयं भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त ने लिखी थी। इस फ़िल्म में अमर शहीद राम प्रसाद 'बिस्मिल' के गीत थे। मनोज कुमार ने इस फिल्म में शहीद भगत सिंह का जीवन्त अभिनय किया था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर आधारित यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ प्रामाणिक फ़िल्म है। 13वें राष्ट्रीय फ़िल्म अवार्ड की सूची में इस फ़िल्म ने हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के पुरस्कार के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के लिये नर्गिस दत्त पुरस्कार भी अपने नाम किया। बटुकेश्वर दत्त की कहानी पर आधारित सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखन के लिये दीनदयाल शर्मा को पुरस्कृत किया गया था। यह भी महज़ एक संयोग ही है कि जिस साल यह फ़िल्म रिलीज़ हुई थी उसी साल बटुकेश्वर दत्त का निधन भी हुआ। .

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शिव प्रसाद गुप्त

बाबू शिव प्रसाद गुप्ता (28 जून 1883 – 24 अप्रैल 1944) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, परोपकारी, राष्ट्रवादी कार्यकर्ता तथा महान द्रष्टा थे। उन्होने काशी विद्यापीठ की स्थापना की। शिव प्रसाद ने 'आज' नाम से एक राष्ट्रवादी दैनिक पत्र निकाला। उन्होंने बनारस में 'भारत माता मन्दिर' का भी निर्माण करवाया। .

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सरदार अजीत सिंह

सरदार अजीत सिंह (1881–1947) भारत के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं क्रांतिकारी थे। वे भगत सिंह के चाचा थे। उन्होने भारत में ब्रितानी शासन को चुनौती दी तथा भारत के औपनिवेशिक शासन की आलोचना की और खुलकर विरोध भी किया। उन्हें राजनीतिक 'विद्रोही' घोषित कर दिया गया था। उनका अधिकांश जीवन जेल में बीता। १९०६ ई. में लाला लाजपत राय जी के साथ ही साथ उन्हें भी देश निकाले का दण्ड दिया गया था। इनके बारे में कभी श्री बाल गंगाधर तिलक ने कहा था ये स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बनने योग्य हैं । जब तिलक ने ये कहा था तब सरदार अजीत सिंह की उम्र केवल २५ साल थी। १९०९ में सरदार अपना घर बार छोड़ कर देश सेवा के लिए विदेश यात्रा पर निकल चुके थे, उस समय उनकी उम्र २८ वर्ष की थी। इरान के रास्ते तुर्की, जर्मनी, ब्राजील, स्विट्जरलैंड, इटली, जापान आदि देशों में रहकर उन्होंने क्रांति का बीज बोया और आजाद हिन्द फौज की स्थापना की। नेताजी को हिटलर और मुसोलिनी से मिलाया। मुसोलिनी तो उनके व्यक्तित्व के मुरीद थे। इन दिनों में उन्होंने ४० भाषाओं पर अधिकार प्राप्त कर ली थी। रोम रेडियो को तो उन्होंने नया नाम दे दिया था, 'आजाद हिन्द रेडियो' तथा इसके मध्यम से क्रांति का प्रचार प्रसार किया। मार्च १९४७ में वे भारत वापस लौटे। भारत लौटने पर पत्नी ने पहचान के लिए कई सवाल पूछे, जिनका सही जवाब मिलने के बाद भी उनकी पत्नी को विश्वास नही। इतनी भाषाओं के ज्ञानी हो चुके थे सरदार, कि पहचानना बहुत ही मुश्किल था। ४० साल तक एकाकी और तपस्वी जीवन बिताने वाली श्रीमती हरनाम कौर भी वैसे ही जीवत व्यक्तित्व वाली महिला थीं। भारत के विभाजन से वे इतने व्यथित थे कि १५ अगस्त १९४७ के सुबह ४ बजे उन्होंने आपने पूरे परिवार को जगाया, ओर जय हिन्द कह कर दुनिया से विदा ले ली। .

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सांचा:विशेष तिथियाँ

श्रेणी:साहित्यकार श्रेणी:हिन्दी साहित्य.

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साइमन कमीशन

साइमन आयोग सात ब्रिटिश सांसदो का समूह था, जिसका गठन 1927 में भारत में संविधान सुधारों के अध्ययन के लिये किया गया था। इसे साइमन आयोग (कमीशन) इसके अध्यक्ष सर जोन साइमन के नाम पर कहा जाता है। .

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सुखदेव

सुखदेव (पंजाबी: ਸੁਖਦੇਵ ਥਾਪਰ, जन्म: 15 मई 1907 मृत्यु: 23 मार्च 1931) का पूरा नाम सुखदेव थापर था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्हें भगत सिंह और राजगुरु के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दिया गया था। इनकी शहादत को आज भी सम्पूर्ण भारत में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। सुखदेव भगत सिंह की तरह बचपन से ही आज़ादी का सपना पाले हुए थे। ये दोनों 'लाहौर नेशनल कॉलेज' के छात्र थे। दोनों एक ही सन में लायलपुर में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हो गए। .

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स्वदेशी

स्वदेशी का अर्थ है- 'अपने देश का' अथवा 'अपने देश में निर्मित'। वृहद अर्थ में किसी भौगोलिक क्षेत्र में जन्मी, निर्मित या कल्पित वस्तुओं, नीतियों, विचारों को स्वदेशी कहते हैं। वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला, यह 1911 तक चला और गाँधी जी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल अन्दोलनों में से एक था। अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे। आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया। उन्होंने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा। .

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स्वदेशी आन्दोलन

१९३० के दशक का पोस्टर जिसमें गाँधीजी को जेल के अन्दर चरखा कातते हुए दिखाया गया है, और लिखा है- ''चरखा और स्वदेशी पर ध्यान दो।'' स्वदेशी आन्दोलन भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण आन्दोलन, सफल रणनीति व दर्शन था। स्वदेशी का अर्थ है - 'अपने देश का'। इस रणनीति के लक्ष्य ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोजगार सृजन करना था। यह ब्रितानी शासन को उखाड़ फेंकने और भारत की समग्र आर्थिक व्यवस्था के विकास के लिए अपनाया गया साधन था। वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला। यह 1911 तक चला और गान्धीजी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल अन्दोलनों में से एक था। अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे। आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया। उन्होने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा। .

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स्वामी दयानन्द सरस्वती

स्वामी दयानन्द सरस्वती महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (१८२४-१८८३) आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त थे। उनका बचपन का नाम 'मूलशंकर' था। उन्होंने ने 1874 में एक महान आर्य सुधारक संगठन - आर्य समाज की स्थापना की। वे एक संन्यासी तथा एक महान चिंतक थे। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। स्वामीजी ने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाया। उन्होने ही सबसे पहले १८७६ में 'स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। स्वामी दयानन्द के विचारों से प्रभावित महापुरुषों की संख्या असंख्य है, इनमें प्रमुख नाम हैं- मादाम भिकाजी कामा, पण्डित लेखराम आर्य, स्वामी श्रद्धानन्द, पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी, श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर, लाला हरदयाल, मदनलाल ढींगरा, राम प्रसाद 'बिस्मिल', महादेव गोविंद रानडे, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय इत्यादि। स्वामी दयानन्द के प्रमुख अनुयायियों में लाला हंसराज ने १८८६ में लाहौर में 'दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज' की स्थापना की तथा स्वामी श्रद्धानन्द ने १९०१ में हरिद्वार के निकट कांगड़ी में गुरुकुल की स्थापना की। .

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स्वामी सोमदेव

स्वामी सोमदेव आर्य समाज के एक विद्वान धर्मोपदेशक थे। ब्रिटिश राज के दौरान पंजाब प्रान्त के लाहौर शहर में जन्मे सोमदेव का वास्तविक नाम ब्रजलाल चोपड़ा था। सन १९१५ में जिन दिनों वे स्वास्थ्य लाभ के लिये आर्य समाज शाहजहाँपुर आये थे उन्हीं दिनों समाज की ओर से राम प्रसाद 'बिस्मिल' को उनकी सेवा-सुश्रूषा में नियुक्त किया गया था। किशोरावस्था में स्वामी सोमदेव की सत्संगति पाकर बालक रामप्रसाद आगे चलकर 'बिस्मिल' जैसा बेजोड़ क्रान्तिकारी बन सका। रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में मेरे गुरुदेव शीर्षक से उनकी संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित जीवनी लिखी है। सोमदेव जी उच्चकोटि के वक्‍ता तो थे ही, बहुत अच्छे लेखक भी थे। उनके लिखे हुए कुछ लेख तथा पुस्तकें उनके ही एक भक्‍त के पास थीं जो उसकी लापरवाही से नष्‍ट हो गयीं। उनके कुछ लेख प्रकाशित भी हुए थे। लगभग 57 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। .

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सोहन सिंह भकना

बाबा सोहन सिंह भाकना बाबा सोहन सिंह भकना (जनवरी, १८७०, अमृतसर -- २० दिसम्बर, १९६८)) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे। वे गदर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष थे तथा सन् १९१५ के गदर आन्दोलन के प्रमुख सूत्रधार थे। लाहौर षडयंत्र केस में बाबा को आजीवन कारावास हुआ और सोलह वर्ष तक जेल में रहने के बाद सन् १९३० में रिहा हुए। बाद में वे भारतीय मजदूर आन्दोलन से जुड़े तथा किसान सभा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को अपना अधिकांश समय दिया। .

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सोहनलाल पाठक

सोहनलाल पाठक (१८८३-) भारतीय स्वतंत्रतता के लिये शहीद होने वाले क्रांतिकारी थे। .

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हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन

हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन भारतीय स्वतन्त्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ब्रिटिश राज को समाप्त करने के उद्देश्य को लेकर गठित एक क्रान्तिकारी संगठन था।। 1928 तक इसे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के रूप में जाना जाता था।। .

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हिसार

हिसार भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित हरियाणा प्रान्त के हिसार जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली के १६४ किमी पश्चिम में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक १० एवं राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक ६५ पर पड़ता है। यह भारत का सबसे बड़ा जस्ती लोहा उत्पादक है। इसीलिए इसे इस्पात का शहर के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी यमुना नहर पर स्थित हिसार राजकीय पशु फार्म के लिए विशेष विख्यात है। अनिश्चित रूप से जल आपूर्ति करनेवाली घाघर एकमात्र नदी है। यमुना नहर हिसार जिला से होकर जाती है। जलवायु शुष्क है। कपास पर आधारित उद्योग हैं। भिवानी, हिसार, हाँसी तथा सिरसा मुख्य व्यापारिक केंद्र है। अच्छी नस्ल के साँड़ों के लिए हिसार विख्यात है। हिसार की स्थापना सन १३५४ ई. में तुगलक वंश के शासक फ़िरोज़ शाह तुग़लक ने की थी। घग्गर एवं दृषद्वती नदियां एक समय हिसार से गुजरती थी। हिसार में महाद्वीपीय जलवायु देखने को मिलती है जिसमें ग्रीष्म ऋतु में बहुत गर्मी होती है तथा शीत ऋतु में बहुत ठंड होती है। यहाँ हिन्दी एवं अंग्रेज़ी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाएँ हैं। यहाँ की औसत साक्षरता दर ८१.०४ प्रतिशत है। १९६० के दशक में हिसार की प्रति व्यक्ति आय भारत में सर्वाधिक थी। .

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जैनेन्द्र कुमार

प्रेमचंदोत्तर उपन्यासकारों में जैनेंद्रकुमार (२ जनवरी, १९०५- २४ दिसंबर, १९८८) का विशिष्ट स्थान है। वह हिंदी उपन्यास के इतिहास में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक के रूप में मान्य हैं। जैनेंद्र अपने पात्रों की सामान्यगति में सूक्ष्म संकेतों की निहिति की खोज करके उन्हें बड़े कौशल से प्रस्तुत करते हैं। उनके पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ इसी कारण से संयुक्त होकर उभरती हैं। जैनेंद्र के उपन्यासों में घटनाओं की संघटनात्मकता पर बहुत कम बल दिया गया मिलता है। चरित्रों की प्रतिक्रियात्मक संभावनाओं के निर्देशक सूत्र ही मनोविज्ञान और दर्शन का आश्रय लेकर विकास को प्राप्त होते हैं। .

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वन्दे मातरम्

'''वन्दे मातरम्''' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय वन्दे मातरम् (बाँग्ला: বন্দে মাতরম) अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया भारतमाता का चित्र बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सन् १८८२ में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के संन्यासी द्वारा गाया गया है। इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनायी थी। सन् २००३ में, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में, जिसमें उस समय तक के सबसे मशहूर दस गीतों का चयन करने के लिये दुनिया भर से लगभग ७,००० गीतों को चुना गया था और बी०बी०सी० के अनुसार १५५ देशों/द्वीप के लोगों ने इसमें मतदान किया था उसमें वन्दे मातरम् शीर्ष के १० गीतों में दूसरे स्थान पर था। .

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विपिनचंद्र पाल

बिपिन चंद्र पाल (बांग्ला:বিপিন চন্দ্র পাল) (७ नवंबर, १८५८ - २० मई १९३२) एक भारतीय क्रांतिकारी थे। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व वक्ता भी थे और उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है। लाला लाजपत राय, बालगंगाधर तिलक एवं विपिनचन्द्र पाल (लाल-बाल-पाल) की इस तिकड़ी ने १९०५ में बंगाल विभाजन के विरोध में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आंदोलन किया जिसे बड़े स्तर पर जनता का समर्थन मिला। 'गरम' विचारों के लिए प्रसिद्ध इन नेताओं ने अपनी बात तत्कालीन विदेशी शासक तक पहुँचाने के लिए कई ऐसे तरीके अपनाए जो एकदम नए थे। इन तरीकों में ब्रिटेन में तैयार उत्पादों का बहिष्कार, मैनचेस्टर की मिलों में बने कपड़ों से परहेज, औद्योगिक तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में हड़ताल आदि शामिल हैं। उनके अनुसार विदेशी उत्पादों के कारण देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो रही थी और यहाँ के लोगों का काम भी छिन रहा था। उन्होंने अपने आंदोलन में इस विचार को भी सामने रखा। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गरम धड़े के अभ्युदय को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे आंदोलन को एक नई दिशा मिली और इससे लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान जागरुकता पैदा करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। उनका विश्वास था कि केवल प्रेयर पीटिशन से स्वराज नहीं मिलने वाला है। .

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वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै

'''वी ओ चिदम्बरम पिल्लै''' वल्लियप्पन उलगनाथन चिदम्बरम पिल्लै (1872–1936) तमिलनाडु के एक राजनेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे बालगंगाधर तिलक के शिष्य थे। वे 'वी.

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गरम दल

गरम दल भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अन्दर ही सदस्यों के मतभेद के कारण उपजा एक धड़ा था जिसके नेता लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिनचंद्र पाल थे। बंगाल विभाजन के बाद काँग्रेस के नरम दल के लोगों के साथ इस दल के स्पष्ट विरोध सामने आये।स्वदेशी आंदोलन की शुरूआत बंगाल विभाजन के पिणामस्वरूप (1905ई) हुई जिसमें ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया गया और स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित किया गया। गरम दल (उग्रवाद) के नेता अरविंद घोष, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, विपिन चंद्र पाल तथा लाल लाजपत राय स्वदेशी आंदोलन को पूरे देश में लागू करना चाहतें थे जबकि नरमपंथ सिर्फ इसे बंगाल तक सीमित रखना चाहतें थे। मतभेद बढ़तें गये तथा 1907 के कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस ’नरमदल’ व गरमदल’ में विभाजित हो गई। .

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गुरुदत्त विद्यार्थी

पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी (२६ अप्रैल १८६४ - १८९०), महर्षि दयानन्द सरस्वती के अनन्य शिष्य एवं कालान्तर में आर्यसमाज के प्रमुख नेता थे। उनकी गिनती आर्य समाज के पाँच प्रमुख नेताओं में होती है। २६ वर्ष की अल्पायु में ही उनका देहान्त हो गया किन्तु उतने ही समय में उन्होने अपनी विद्वता की छाप छोड़ी और अनेकानेक विद्वतापूर्ण ग्रन्थों की रचना की। .

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गोपाल कृष्ण गोखले

गोपाल कृष्ण गोखले गोपाल कृष्ण गोखले (9 मई 1866 - फरवरी 19, 1915) भारत एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे। महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे। चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णत: सहमत होकर उन्होंने 1905 में सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। स्व-सरकार व्यक्ति की औसत चारित्रिक दृढ़ता और व्यक्तियों की क्षमता पर निर्भर करती है। महात्मा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। .

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आर्य समाज

आर्य समाज एक हिन्दू सुधार आंदोलन है जिसकी स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने १८७५ में बंबई में मथुरा के स्वामी विरजानंद की प्रेरणा से की थी। यह आंदोलन पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू धर्म में सुधार के लिए प्रारंभ हुआ था। आर्य समाज में शुद्ध वैदिक परम्परा में विश्वास करते थे तथा मूर्ति पूजा, अवतारवाद, बलि, झूठे कर्मकाण्ड व अंधविश्वासों को अस्वीकार करते थे। इसमें छुआछूत व जातिगत भेदभाव का विरोध किया तथा स्त्रियों व शूद्रों को भी यज्ञोपवीत धारण करने व वेद पढ़ने का अधिकार दिया था। स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रन्थ आर्य समाज का मूल ग्रन्थ है। आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य बनाते चलो। प्रसिद्ध आर्य समाजी जनों में स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी श्रद्धानन्द, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय, भाई परमानन्द, पंडित गुरुदत्त, स्वामी आनन्दबोध सरस्वती, स्वामी अछूतानन्द, चौधरी चरण सिंह, पंडित वन्देमातरम रामचन्द्र राव, बाबा रामदेव आदि आते हैं। .

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कृष्णकान्त मालवीय

कृष्णकान्त मालवीय (१८८३ ई० -- ३ जनवरी, १९४१ ई० दिल्ली) हिन्दी पत्रकार थे। वे महामना मदनमोहन मालवीय के बड़े भाई जयकृष्ण मालवीय के द्वितीय पुत्र थे। १९०४ ई० में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी०ए० किया। १९१० ई० में 'अभ्युदय' के संपादक हुए और १९११ ई० में मासिक 'मर्यादा' का भी संपादन शुरू किया जिसमें साहित्यक, राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर विचारपूर्ण लेख प्रकाशित होते थे। सन १९१६-१८ वर्ष की अवधि मे अभ्युदय के संपादक पद से अलग रहे पर १९१८ से १९३० ई० तक फिर 'अभ्युदय' के संपादक रहे। मर्यादा का संपादन १९२२ तक किया। सत्याग्रह आंदोलनों के संबंध में तीन बार जेल गए। लगभग १२ वर्ष तक केंद्रीय एसेंबली के सदस्य रहे। आपके विचारों पर लाला लाजपत राय और महात्मा गांधी का प्रभाव अधिक था। फलत: विधवा विवाह, अछूतोद्वार औरश् पैत्रिक संपति में लड़कियों को भी हिस्सा मिलने का समर्थन किया। पहले विश्व महायुद्ध के समय 'संसार संकट' स्तंभ के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय राजनीति का विश्लेषण हिंदी पत्रकारिता को आपकी विशेष देन थी। उर्दू शायरी के बड़े प्रेमी थे और स्वयं उर्दू कविता करते थे। भाषा सरल, स्पष्ट और उर्दू की पुट लिए रहती थी। लगभग आधे दर्जन बँगला और मराठी उपन्यासों के अनुवाद के अतिरिक्त चार मौलिक पुस्तकों की रचना की- श्रेणी:हिन्दी पत्रकार.

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अखिल भारतीय हिन्दू महासभा

अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का ध्वज अखिल भारत हिन्दू महासभा भारत का एक राजनीतिक दल है। यह एक भारतीय राष्ट्रवादी संगठन है। इसकी स्थापना सन १९१५ में हुई थी। विनायक दामोदर सावरकर इसके अध्यक्ष रहे। केशव बलराम हेडगेवार इसके उपसभापति रहे तथा इसे छोड़कर सन १९२५ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। भारत के स्वतन्त्रता के उपरान्त जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तब इसके बहुत से कार्यकर्ता इसे छोड़कर भारतीय जनसंघ में भर्ती हो गये। .

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१७ नवम्बर

१७ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२१वॉ (लीप वर्ष मे ३२२ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ४४ दिन बाकी है। .

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१८६५

1865 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२८ जनवरी

28 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 28वाँ दिन है। साल में अभी और 337 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 338)। .

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लाला लाजपतराय

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