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लाओ-सू

सूची लाओ-सू

लाओ-सू को ताओ धर्म की कुछ शाखाओं में देवता की तरह पूजा जाता है लाओ-सू (चीनी: 老子, पिनयिन अंग्रेज़ीकरण: Laozi), लाओ-सी या लाओ-से प्राचीन चीन के एक प्रसिद्ध दार्शनिक थे, जो ताओ ते चिंग नाम के मशहूर उपदेश ले लेखक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी विचारधाराओं पर आधारित धर्म को ताओ धर्म कहते हैं। लाओ-सू एक सम्मान जतलाने वाली उपाधि है, जिसमें 'लाओ' का अर्थ 'आदरणीय वृद्ध' और 'सू' का अर्थ 'गुरु' है। चीनी परम्परा के अनुसार लाओ-सू छठी शताब्दी ईसापूर्व में झोऊ राजवंश के काल में जीते थे। इतिहासकारों में इनकी जीवनी को लेकर विवाद है। कुछ कहते हैं कि वे एक काल्पनिक व्यक्ति हैं, कुछ कहते हैं कि इन्हें बहुत से महान व्यक्तियों को मिलकर एक व्यक्तित्व में दर्शाया गया है और कुछ कहते हैं कि वे वास्तव में चीन के झोऊ काल के दुसरे भाग में झगड़ते राज्यों के काल में (यानि पांचवीं या चौथी सदी ईसापूर्व में) रहते थे।, Michael LaFargue, SUNY Press, 1998, ISBN 978-0-7914-3599-1,...

5 संबंधों: ताओ धर्म, ताओ-ते-चिंग, महान इतिहासकार के अभिलेख, मानवतावाद, सौ विचारधाराएँ

ताओ धर्म

ताओ धर्म (चीनी: 道教 दाओ-ज्याओ) चीन का एक मूल धर्म और दर्शन है। असल में पहले ताओ एक धर्म नहीं बल्कि एक दर्शन और जीवनशैली थी। बाद में बौद्ध धर्म के चीन पहुँचने के बाद ताओ ने बौद्धों से कई धारणाएँ उधार लीं और एक "धर्म" बन गया। बौद्ध धर्म और ताओ धर्म में आपस में समय समय पर अहिंसात्मक संघर्ष भी होता रहा है। अब कई चीनी बौद्ध तथा ताओ दोनों धर्मों को एकसात मानती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार चीन में 50% से 80% आबादी बौद्ध धर्म को मानती है। इसमें 50% बौद्ध और 30% ताओ आबादी हो सकती है। ताओ धर्म और दर्शन, दोनो का स्रोत दार्शनिक लाओ-त्सी द्वारा रचित ग्रन्थ दाओ-दे-चिंग और ज़ुआंग-ज़ी है। хуй вам! र्म है। सर्वोच्च देवी और देवता यिन और यांग हैं। देवताओं की पूजा के लिये कर्मकाण्ड किये जाते हैं और पशुओं और अन्य चीज़ों की बलि दी जाती है। चीन से निकली ज़्यादातर चीज़ें, जैसे चीनी व्यंजन, चीनी रसायनविद्या, चीनी कुंग-फ़ू, फ़ेंग-शुई, चीनी दवाएँ, आदि किसी न किसी रूप से ताओ धर्म से सम्बन्धित रही हैं। क्योंकि ताओ धर्म एक संगठित धर्म नहीं है, इसलिये इसके अनुयायियों की संख्या पता करना मुश्किल है। .

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ताओ-ते-चिंग

जापान में १७७० के दशक में प्रकाशित हुई 'ताओ ते चिंग' की एक प्रति 'ताओ' के लिए चीनी भावचित्र ताओ ते चिंग (道德經, Tao Te Ching) या दाओ दे जिंग (Dao De Jing) प्रसिद्ध चीनी दार्शनिक लाओ त्सू द्वारा रचित एक धर्म ग्रन्थ है जो ताओ धर्म का मुख्य ग्रन्थ भी माना जाता है। इसका नाम इसके दो विभागों के पहले शब्द को लेकर बनाया गया है - 'दाओ' (道, यानि 'मार्ग') और 'दे' (德, यानि 'गुण' या 'शक्ति') - जिनके अंत में 'जिंग' (經, यानि 'पुरातन' या 'शास्त्रीय') लगाया जाता है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार लाओ त्सू चीन के झोऊ राजवंश काल में सरकारी अभिलेखि (सिरिश्तेदार या रिकॉर्ड​-कीपर) थे और उन्होंने इस ग्रन्थ को छठी सदी ईसापूर्व में लिखा था, हालांकि इसकी रचना की असलियत पर विवाद जारी है। इसकी सबसे प्राचीन पांडुलिपियाँ चौथी शताब्दी ईसापूर्व से मिली हैं।, Holmes Welch, Beacon Press, 1966, ISBN 978-0-8070-5973-9,...

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महान इतिहासकार के अभिलेख

शिजी पांडुलिपि का पहला पन्ना सीमा चिआन नामक इतिहासकार ने इन अभिलेखों का निर्माण किया महान इतिहासकार के अभिलेख (चीनी: 史記, शीजि, 'ऐतिहासिक अभिलेख'; अंग्रेज़ी: Records of the Grand Historian) प्रसिद्ध चीनी इतिहासकार सीमा चिआन द्वारा लिखित एक ग्रन्थ है जिसमें उसने पीले सम्राट से लेकर अपने युग तक के चीनी इतिहास का बखान किया है। पीले सम्राट के काल को चीनी मिथ्य-कथाएँ लगभग २६०० ईसापूर्व के काल का समझती हैं, यानि क़रीब २५०० वर्षों की तारीख़ इस ग्रन्थ में उल्लेखित है। यह चीन का पहला संगठित इतिहास-ग्रन्थ था और आने वाले युगों के चीनी इतिहासकारों के लिए यह बहुत प्रभावशाली रहा।, Ch'ien Ssu-Ma, Qian Sima, Columbia University Press, 1996, ISBN 978-0-231-08169-6,...

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मानवतावाद

मानवतावाद मानव मूल्यों और चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाला अध्ययन, दर्शन या अभ्यास का एक दृष्टिकोण है। इस शब्द के कई मायने हो सकते हैं, उदाहरण के लिए.

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सौ विचारधाराएँ

कन्फ़्यूशियस ताओवादी दार्शनिक सौ विचारधाराएँ (सरल चीनी: 诸子百家, पारम्परिक चीनी: 諸子百家, झूज़ी बाईजिआ; अंग्रेज़ी: Hundred Schools of Thought) प्राचीन चीन में ७७० ईसापूर्व से २२१ ईसापूर्व के बसंत और शरद काल और झगड़ते राज्यों के काल में पनपने वाले दार्शनिकों और नई विचारधाराओं को कहते हैं। इसे युग को चीनी दर्शनशास्त्र का सुनहरा काल समझा जाता है। हालांकि इस समय में चीन में बहुत राजनैतिक अस्थिरता थी और बहुत से राज्य आपस में ख़ून-ख़राबे वाले युद्ध लड़ते रहते थे, फिर भी चीन का बुद्धिजीवी वातावरण बहुत आज़ाद था और चिंतन करने वालों को अपने विचार खुलकर प्रकट करने का बहुत अवसर मिलता था।, Lee Dian Rainey, John Wiley and Sons, 2010, ISBN 978-1-4051-8841-8,...

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लाओ त्सू, लाओ ज़ू, लाओ-त्सू, लाओ-त्सी, लाओत्से

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