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लहरों के राजहंस

सूची लहरों के राजहंस

मोहन राकेश का नाटक - लहरों के राजहंस। .

3 संबंधों: मोहन राकेश, श्यामानन्द जालान, अरविन्द गौड़

मोहन राकेश

मोहन राकेश(८ जनवरी १९२५ - ३ जनवरी, १९७२) नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर थे। पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए किया। जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन। कुछ वर्षो तक 'सारिका' के संपादक। 'आषाढ़ का एक दिन','आधे अधूरे' और लहरों के राजहंस के रचनाकार। 'संगीत नाटक अकादमी' से सम्मानित। ३ जनवरी १९७२ को नयी दिल्ली में आकस्मिक निधन। मोहन राकेश हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार हैं। समाज के संवेदनशील व्यक्ति और समय के प्रवाह से एक अनुभूति क्षण चुनकर उन दोनों के सार्थक सम्बन्ध को खोज निकालना, राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु है। मोहन राकेश की डायरी हिंदी में इस विधा की सबसे सुंदर कृतियों में एक मानी जाती है। .

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श्यामानन्द जालान

श्यामानन्द जालान ((13 जनवरी 1934 – 24 मई 2010)) भारतीय रंगमंच अभिनेता व निदेशक थे। मोहन राकेश के नाटक - लहरों के राजहंस और आधे अधूरे में अभिनय व नि‍देशन के लिये जाने जाते हैं। श्रेणी:भारतीय रंगमंच.

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अरविन्द गौड़

अरविन्द गौड़, भारतीय रंगमंच निदेशक, सामाजिक और राजनीतिक प्रासंगिक रंगमंच में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। अरविंद गौड़ के नाटक समकालीन हैं। व्यापक सामाजिक राजनीतिक मुद्दों - सांप्रदायिकता, जातिवाद, सामंतवाद, घरेलू हिंसा, राज्य के अपराध, सत्ता की राजनीति, हिंसा, अन्याय, सामाजिक- भेदभाव और नस्लवाद उनके रंगमंच के प्रमुख विषय हैं। गौड़ एक अभिनेता प्रशिक्षक (ट्रेनर), सामाजिक कार्यकर्ता और एक अच्छे कथा -वाचक (स्टोरी टेलर) हैं। अरविन्द गौड़ ने भारत और विदेश के प्रमुख नाट्य महोत्सवो मैं भाग लिया है। ऊन्होने नाटक कार्यशालाओं का विभिन्न कॉलेजों, संस्थानों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों में आयोजन किया है। वह बच्चों के लिए भी नाटक (थिएटर) कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं। अरविन्द ने विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर नुक्कड़ नाटकॉ के साथ- साथ दो दशकों में 60 से अधिक मंच नाटकों का निर्देशन किया है। अरविन्द गौड़ ने विदेशों में अमेरिका, रुस, फ्रांस, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, एडिनबर्ग फेस्टिवल (ब्रिटेन), आर्मेनिया और संयुक्त अरब इमारात (यू ए ई) के साथ नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) महोत्सव (भारत रंग महोत्सव),संगीत नाटक अकादमी, साहित्य कला परिषद, दर्पणा अकादमी ऑफ आर्टस् (अहमदाबाद), नान्दिकार (कोलकाता), विवेचेना थिएटर महोत्सव (जबलपुर), ओल्ड वल्ड् थिएटर महोत्सव, टाइम्स महोत्सव, गजानन माधव 'मुक्तिबोध' नाट्य महोत्सव, वर्ल्ड सोशल फोरम और नेहरू सेंटर महोत्सव (मुम्बई) मे भी भाग लिया है। पद्मश्री हबीब तनवीर के नया थिएटर के प्रमुख नाटको के लिए अरविन्द ने प्रकाश व्यवस्था भी डिजाइन की। आजकल अरविन्द गौड़ अस्मिता थियेटर ग्रुप के निदेशक के रूप मैं कार्यरत है। कुछ प्रमुख सिनेमा अभिनेताओं - कंगना राणावत, दीपक डोबरियाल, शिल्पा शुक्ला(चक दे इंडिया (2007 फ़िल्म)), पीयूष मिश्र, लुशिन दुबे, बबल्रस सबरवाल, ऐशवरया निधि (सिडनी), तिलोत्त्त्त्मा शोम (मानसून वेडिंग), राशि बनि, रुथ शेअर्द् (ब्रिटिश अभिनेत्री),मनु ऋषि, सीमा आज़मी (चक दे इंडिया), सुसान बरार (फिल्म-समर 2007), चन्दन आनंद, जैमिनि कुमार, शक्ति आनंद आदि ने उसके साथ काम किया है। .

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