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लश्कर-ए-झंगवी

सूची लश्कर-ए-झंगवी

लश्कर-ए-झंगवी (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Lashkar-e-Jhangvi) एक पाकिस्तानी उग्रवादी संगठन है। इसकी स्थापना १९९६ में हुई जब सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान के एक कार्यकर्ता, रियाज़ बसरा, की उस संगठन के नेतृत्व से अनबन हो गई और उसने अलग होकर अपना अलग संगठन चला लिया। लश्कर-ए-झंगवी एक सुन्नी चरमपंथी गुट है जो पाकिस्तान और अमेरिका द्वारा एक आतंकवादी संगठन क़रार दिया जा चुका है। इसे कई बार शिया लोगों पर जानलेवा हमलों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा चुका है, जिन्हें यह मुस्लिम नहीं मानते और इस्लाम का शत्रु समझते हैं। इसके अधिकतर सदस्य पंजाबी हैं।, pp.

2 संबंधों: सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान, 2016 क्वेटा पुलिस ट्रेनिंग सेंटर हमला

सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान

सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Sipah-e-Sahaba Pakistan), जिसे कभी-कभी सिर्फ़ ऍस-ऍस-पी (SSP) भी कहते हैं, पाकिस्तान का एक सुन्नी देवबन्दी संगठन है जो पहले एक राजनैतिक पार्टी भी रहा है। इसकी स्थापना हक़ नवाज़ झंगवी ने १९८० के दशक में पाकिस्तानी पंजाब के झंग शहर में की थी। यह एक शिया-विरोधी संगठन है और इसने अपना ध्येय पाकिस्तान में १९७९ में हुई ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद शियाओं के प्रभाव को कम करना बताया था। ईरान एक शिया-प्रमुख देश है। २००२ में भूतपूर्व पाकिस्तानी तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ़ ने इसपर पाबंदी लगा दी थी और इसे एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था। इसके बाद इस संगठन ने अपना नाम बदलकर 'अह्ल-ए-सुन्नत वल जमात' रख लिया हालांकि इसे अभी भी अधिकतर 'सिपाह-ए-सहाबा' ही बुलाया जाता है। मार्च २०१२ में पाकिस्तानी सरकार ने अह्ल-ए-सुन्नत वल जमात पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया। कुछ विद्वानों के अनुसार पाकिस्तान के एक और भूतपूर्व तानाशाह ज़िया-उल-हक़ ने ही शुरू में इस संगठन को प्रोत्साहित किया था।, Andrew Tian Huat Tan, pp.

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2016 क्वेटा पुलिस ट्रेनिंग सेंटर हमला

क्वेटा पुलिस ट्रेनिंग सेंटर हमला, 24 अक्टूबर 2016 को क्वेटा के शरयब रोड स्थित पुलिस ट्रेेनिंग सेंटर में रात को हुए एक आत्मघाती हमला था। इस दौरान तीन आत्मघाती हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंंग की। आतंकी हमले में 60 कैडेट्स की मौत हो गई और 100 से ज्यादा कैडेट्स घायल हो गए। तीनों आत्मघाती हमलावरों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। पुलिस के अनुसार पांच से छह बंदूकधारियों ने इस हमले को अंजाम दिया जिसमें विस्फोटक सामग्री का भी इस्तेमाल किया गया था। हमले के समय मौजूद चश्मदीदों के अनुसार वे आतंकी आपस में अफगानी में बात कर रहे थे।पाकिस्तान पर इस साल का यह तीसरा सबसे बड़ा आतंकी हमला है। इससे पहले 27 मार्च को गुलशन-ए-इकबाल पार्क पर हुए फिदायीन हमले में कम से कम 74 लोगों की मौत हुई थी। 338 घायल हुए थे तथा इसी साल अगस्त में क्वेटा के सिविल हॉस्पिटल पर फिदायीन हमला हुआ था, जिसमें 73 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें ज्यादातर वकील थे। .

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लश्कर-ए-झांगवी

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