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लद्दाख़

सूची लद्दाख़

नेपाल में लद्दाख़ का स्थान |- style.

113 संबंधों: चांगथंग, चांगपा, चिल्का झील, चंद्रताल, चुमार, चुशूल, चौदहवीं लोकसभा, चोग्याल, टागलांग ला, झ़ंगझ़ुंग, डोडा नदी, तपीश्वर नारायण रैना, तिब्बत, तिब्बत का पठार, तिब्बत का इतिहास, तिब्बताई भाषाएँ, तिब्बती बौद्ध धर्म, तिब्बती लोग, तकथोक मठ, त्सराप नदी, दार्द लोग, दार्दी भाषाएँ, द्रास, द्रांग द्रुंग हिमानी, दौलत बेग ओल्दी, देपसंग मैदान, देमचोक, निम्मो, नुब्रा घाटी, परमवीर चक्र, पर्माफ़्रोस्ट, पांगोंग त्सो, पाक अधिकृत कश्मीर, पेन्सी ला, फीया, बर्फ स्तूप, बलती भाषा, बादल फटना, बैटमैन बिगिन्स (फ़िल्म), भारत में धर्म, भारत में पर्यटन, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार, भारत में इस्लाम, भारत के ध्वजों की सूची, भारत के क्षेत्र, भारत-चीन युद्ध, भारतीय ताराभौतिकी संस्थान, भारतीय थलसेना, भारतीय सिनेमा, भारतीय खगोलीय वेधशाला, ..., भारतीय इतिहास की समयरेखा, मध्य एशिया, मनाली, हिमाचल प्रदेश, महाराज गुलाब सिंह, मामोस्तोंग कांगरी, मंगोलिया, मैकेनाइज़्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट, यारकन्द ज़िला, याक, राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन), रिमो मुज़ताग़, रुपशू, रेज़ांग ला, लद्दाख़ी भाषा, लाहौल और स्पीति जिला, लेह, शायदुल्ला, श्योक नदी, शीना भाषा, सनम रे, सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम, ससेर मुज़ताग़, ससेर कांगरी, सिन्धु नदी, सियाचिन हिमनद, सिख धर्म का इतिहास, सक्ती, लेह, सुम्गल, सुहागा, स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास, स्कर्दू ज़िला, सेरिंग लैंडौल, सो मोरिरी संरक्षित आर्द्रभूमि, सोनमर्ग, सोवा रिग्पा, हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची, हिन्दू धर्म, हिन्दूताश दर्रा, हिमाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश का भूगोल, हिस्पर हिमनद, जम्मू, जम्मू (बहुविकल्पी), जम्मू और कश्मीर, जम्मू और कश्मीर का ध्वज, जम्मू कश्मीर के लोकसभा सदस्य, ज़ंस्कार, ज़ंस्कार नदी, वारंट ऑफीसर चाको जोसफ, खपलू, ख़ोतान, गान्चे ज़िला, गोम्पा, करज़ोक, कश्मीर, क़ाराक़ोरम दर्रा, काराकोरम, काश्गर, कोंगका दर्रा, अक्साई चिन, अक्साई चिन झील, १९वें कुशक बकुला रिनपोछे, २०वें कुशक बकुला रिनपोछे सूचकांक विस्तार (63 अधिक) »

चांगथंग

चांगथंग (तिब्बती: བྱང་ཐང་།, चीनी: 羌塘, अंग्रेज़ी: Changtang या Changthang) पश्चिमी और उत्तरी तिब्बत में स्थित एक ऊँचा पठार है जो कुछ हद तक भारत के लद्दाख़ क्षेत्र के दक्षिणपूर्वी हिस्से में भी विस्तृत है।, Janet Rizvi, Oxford University Press, 2001, ISBN 9780195658170,...

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चांगपा

चांगपा (Changpa) या चाम्पा तिब्बती मूल का एक बंजारा मानव समुदाय है जो भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के चांगथंग इलाके में बसते हैं। इनकी कुछ संख्या तिब्बत में आने वाले चांगथंग के भाग में भी रहती है जिनमें से कुछ को चीन की सरकार ने चांगथंग प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र की स्थापना पर ज़बरदस्ती अन्य इलाको में बसाया था। तिब्बती व लद्दाख़ी भाषाओं में "चांगपा" का अर्थ "चांग(थंग) के लोग" है। अनुमान है कि सन् १९८९ में चांगथंग में लगभग ५ लाख चांगपा रह रहे थे। .

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चिल्का झील

चिल्का झील चिल्का झील उड़ीसा प्रदेश के समुद्री अप्रवाही जल में बनी एक झील है। यह भारत की सबसे बड़ी एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है। इसको चिलिका झील के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अनूप है एवं उड़ीसा के तटीय भाग में नाशपाती की आकृति में पुरी जिले में स्थित है। यह 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। यह समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग होकर एक छीछली झील के रूप में हो गया है। दिसम्बर से जून तक इस झील का जल खारा रहता है किन्तु वर्षा ऋतु में इसका जल मीठा हो जाता है। इसकी औसत गहराई 3 मीटर है। इस झील के पारिस्थितिक तंत्र में बेहद जैव विविधताएँ हैं। यह एक विशाल मछली पकड़ने की जगह है। यह झील 132 गाँवों में रह रहे 150,000 मछुआरों को आजीविका का साधन उपलब्ध कराती है। इस खाड़ी में लगभग 160 प्रजातियों के पछी पाए जाते हैं। कैस्पियन सागर, बैकाल झील, अरल सागर और रूस, मंगोलिया, लद्दाख, मध्य एशिया आदि विभिन्न दूर दराज़ के क्षेत्रों से यहाँ पछी उड़ कर आते हैं। ये पछी विशाल दूरियाँ तय करते हैं। प्रवासी पछी तो लगभग १२००० किमी से भी ज्यादा की दूरियाँ तय करके चिल्का झील पंहुचते हैं। 1981 में, चिल्का झील को रामसर घोषणापत्र के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्र भूमि के रूप में चुना गया। यह इस मह्त्व वाली पहली पहली भारतीय झील थी। एक सर्वेक्षण के मुताबिक यहाँ 45% पछी भूमि, 32% जलपक्षी और 23% बगुले हैं। यह झील 14 प्रकार के रैपटरों का भी निवास स्थान है। लगभग 152 संकटग्रस्त व रेयर इरावती डॉल्फ़िनों का भी ये घर है। इसके साथ ही यह झील 37 प्रकार के सरीसृपों और उभयचरों का भी निवास स्थान है। उच्च उत्पादकता वाली मत्स्य प्रणाली वाली चिल्का झील की पारिस्थिकी आसपास के लोगों व मछुआरों के लिये आजीविका उपलब्ध कराती है। मॉनसून व गर्मियों में झील में पानी का क्षेत्र क्रमश: 1165 से 906 किमी2 तक हो जाता है। एक 32 किमी लंबी, संकरी, बाहरी नहर इसे बंगाल की खाड़ी से जोड़ती है। सीडीए द्वारा हाल ही में एक नई नहर भी बनाई गयी है जिससे झील को एक और जीवनदान मिला है। लघु शैवाल, समुद्री घास, समुद्री बीज, मछलियाँ, झींगे, केकणे आदि चिल्का झील के खारे जल में फलते फूलते हैं। .

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चंद्रताल

चंद्रताल, या चंद्र ताल, हिमालय पर लगभग की ऊंचाई पर स्थित एक झील है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। उत्तर भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में, लाहौल व स्पीति घाटियों की सीमा पर कुंजम पास के निकट स्थित चंद्र ताल से चंद्र नदी का उद्गम होता है जो आगे चलकर भागा नदी से मिलकर चंद्रभागा और जम्मू-कश्मीर में जाकर चेनाब कहलाने लगती है। कॉपेन जलवायु वर्गीकरण मानकों के अनुसार अतिशीत जलवायु वाला यह स्थान रामसर आर्द्रभूमि के रूप में वर्गीकृत है। .

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चुमार

चुमार भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के दक्षिणी लद्दाख क्षेत्र में स्थित सीमा चौकसी चौकी है। भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आदान-प्रदान के मामले में यह चौकी सबसे संवेदनशील एवं सक्रिय चौकियों में से एक रही है। यह लेह से १९० किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। .

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चुशूल

चुशूल (Chushul) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लेह ज़िलेमें स्थित एक गाँव है। यह चुशूल घाटी में स्थित है। .

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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चोग्याल

चोग्याल (संस्कृत: धर्मराज) पूर्व के सिक्किम अधिराज्य और लद्दाख जो अभी भारत में हैं के राजा हुआ करते थें, जो नामग्याल राजवंश के अलग अलग शाखाओं में शासन करते थें। चोग्याल 1642 से 1975 के बीच सिक्किम का पूर्ण महाराजा हुआ करते थें। 1975 में उनका राज-पाठ निरस्त कर दिया गया जब वहां के लोगों ने जनमत-संग्रह में सिक्किम को भारत का 22वां राज्य बनाने के लिए मत दिया। .

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टागलांग ला

टागलांग ला (Taglang La) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लेह ज़िले में लेह-मनाली राजमार्ग पर हिमालय में एक पहाड़ी दर्रा है। यह 5,328 मीटर (17,480 फ़ुट) की ऊँचाई पर उपशी से दक्षिण में स्थित है। .

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झ़ंगझ़ुंग

झ़ंगझ़ुंग (तिब्बती: ཞང་ཞུང་, Zhang Zhung), जिसे शंगशुंग (Shang Shung) भी उच्चारित किया जाता है, तिब्बत के पश्चिमी व पश्चिमोत्तरी इलाक़ों में एक प्राचीन संस्कृति और राज्य था। 'झ़ंगझ़ुंग' में बिन्दुयुक्त 'झ़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह 'झ' और 'ज़' दोनों से काफ़ी भिन्न है और 'टेलिविझ़न' और 'अझ़दहा' में आने वाले स्वर जैसा है। झ़ंगझ़ुंग संस्कृति कैलाश पर्वत के क्षेत्र पर केन्द्रित थी और इसका बोन धर्म से सम्बन्ध था।, Gary McCue, pp.

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डोडा नदी

डोडा नदी (Doda River) या स्तोद नदी (Stod River) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के पूर्वी लद्दाख़ खण्ड के ज़ंस्कार क्षेत्र में बहने वाली एक 79 किमी लम्बी नदी है। .

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तपीश्वर नारायण रैना

जनरल तापेश्वर नारायण रैना 'पद्म भूषण, महावीर चक्र (1 9 21 और 1 9 मई 1 9 80)भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुख,भारत के थलसेनाध्यक्ष, उनका कार्यकाल 1 9 75 और 1 9 78 के बीच रहा। बाद में, उन्होंने कनाडा के उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया। वह भारत के तीसरे उच्चतम नागरिक सम्मान, पद्म भूषण के प्राप्तकर्ता थे। .

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तिब्बत

तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .

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तिब्बत का पठार

तिब्बत का पठार हिमालय पर्वत शृंखला से लेकर उत्तर में टकलामकान रेगिस्तान तक फैला हुआ है तिब्बत का बहुत सा इलाक़ा शुष्क है तिब्बत का पठार (तिब्बती: བོད་ས་མཐོ།, बोड सा म्थो) मध्य एशिया में स्थित एक ऊँचाई वाला विशाल पठार है। यह दक्षिण में हिमालय पर्वत शृंखला से लेकर उत्तर में टकलामकान रेगिस्तान तक विस्तृत है। इसमें चीन द्वारा नियंत्रित बोड स्वायत्त क्षेत्र, चिंग हई, पश्चिमी सीश्वान, दक्षिण-पश्चिमी गांसू और उत्तरी यून्नान क्षेत्रों के साथ-साथ भारत का लद्दाख़ इलाक़ा आता है। उत्तर-से-दक्षिण तक यह पठार १,००० किलोमीटर लम्बा और पूर्व-से-पश्चिम तक २,५०० किलोमीटर चौड़ा है। यहाँ की औसत ऊँचाई समुद्र से ४,५०० मीटर (यानी १४,८०० फ़ुट) है और विशव के ८,००० मीटर (२६,००० फ़ुट) से ऊँचे सभी १४ पर्वत इसी क्षेत्र में या इसे इर्द-गिर्द पाए जाते हैं। इस इलाक़े को कभी-कभी "दुनिया की छत" कहा जाता है। तिब्बत के पठार का कुल क्षेत्रफल २५ लाख वर्ग किमी है, यानी भारत के क्षेत्रफल का ७५% और फ़्रांस के समूचे देश का चौगुना। .

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तिब्बत का इतिहास

तिब्बत का ऐतिहासिक मानचित्र 300px मध्य एशिया की उच्च पर्वत श्रेणियों, कुनलुन एवं हिमालय के मध्य स्थित 16000 फुट की ऊँचाई पर स्थित तिब्बत का ऐतिहासिक वृतांत लगभग 7वीं शताब्दी से मिलता है। 8वीं शताब्दी से ही यहाँ बौद्ध धर्म का प्रचार प्रांरभ हुआ। 1013 ई0 में नेपाल से धर्मपाल तथा अन्य बौद्ध विद्वान् तिब्बत गए। 1042 ई0 में दीपंकर श्रीज्ञान अतिशा तिब्बत पहुँचे और बौद्ध धर्म का प्रचार किया। शाक्यवंशियों का शासनकाल 1207 ई0 में प्रांरभ हुआ। मंगोलों का अंत 1720 ई0 में चीन के माँछु प्रशासन द्वारा हुआ। तत्कालीन साम्राज्यवादी अंग्रेंजों ने, जो दक्षिण पूर्व एशिया में अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सफलता प्राप्त करते जा रहे थे, यहाँ भी अपनी सत्ता स्थापित करनी चाही, पर 1788-1792 ई0 के गुरखों के युद्ध के कारण उनके पैर यहाँ नहीं जम सके। परिणामस्वरूप 19वीं शताब्दी तक तिब्बत ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थिर रखी यद्यपि इसी बीच लद्दाख़ पर कश्मीर के शासक ने तथा सिक्किम पर अंग्रेंजों ने आधिपत्य जमा लिया। अंग्रेंजों ने अपनी व्यापारिक चौकियों की स्थापना के लिये कई असफल प्रयत्न किया। इतिहास के अनुसार तिब्बत ने दक्षिण में नेपाल से भी कई बार युद्ध करना पड़ा और नेपाल ने इसको हराया। नेपाल और तिब्बत की सन्धि के मुताबिक तिब्बत ने हर साल नेपाल को ५००० नेपाली रुपये हरज़ाना भरना पड़ा। इससे आजित होकर नेपाल से युद्ध करने के लिये चीन से सहायता माँगी। चीन के सहायता से उसने नेपाल से छुटकारा तो पाया लेकिन इसके बाद 1906-7 ई0 में तिब्बत पर चीन ने अपना अधिकार बनाया और याटुंग ग्याड्से एवं गरटोक में अपनी चौकियाँ स्थापित की। 1912 ई0 में चीन से मांछु शासन अंत होने के साथ तिब्बत ने अपने को पुन: स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया। सन् 1913-14 में चीन, भारत एवं तिब्बत के प्रतिनिधियों की बैठक शिमला में हुई जिसमें इस विशाल पठारी राज्य को भी दो भागों में विभाजित कर दिया गया.

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तिब्बताई भाषाएँ

तिब्बताई भाषाएँ (तिब्बती: བོད་སྐད།, अंग्रेज़ी: Tibetic languages) तिब्बती-बर्मी भाषाओं का एक समूह है जो पूर्वी मध्य एशिया के तिब्बत के पठार और भारतीय उपमहाद्वीप के कई उत्तरी क्षेत्रों में तिब्बती लोगों द्वारा बोली जाती हैं। यह चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत, चिंगहई, गान्सू और युन्नान प्रान्तों में, भारत के लद्दाख़, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम व उत्तरी अरुणाचल प्रदेश क्षेत्रों में, पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र में तथा भूटान देश में बोली जाती हैं। .

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तिब्बती बौद्ध धर्म

तिब्बती बौद्ध धर्म बौद्ध धर्म की महायान शाखा की एक उपशाखा है जो तिब्बत, मंगोलिया, भूटान, उत्तर नेपाल, उत्तर भारत के लद्दाख़, अरुणाचल प्रदेश, लाहौल व स्पीति ज़िले और सिक्किम क्षेत्रों, रूस के कालमिकिया, तूवा और बुर्यातिया क्षेत्रों और पूर्वोत्तरी चीन में प्रचलित है।An alternative term, "lamaism", and was used to distinguish Tibetan Buddhism from other buddhism.

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तिब्बती लोग

तिब्बती लोग, जो तिब्बती भाषा में बोड पा (བོད་པ་) कहलाते हैं, तिब्बत और उसके आसपास के क्षेत्रों में मूल रूप से बसने वाले लोगों की मानव जाति है। यह तिब्बती भाषा और उस से सम्बन्धित अन्य तिब्बताई भाषाएँ बोलते हैं और अधिकतर तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। तिब्बत के अलावा इनके समुदाय चीन, भारत, भूटान व नेपाल के पड़ोसी इलाकों में भी रहते हैं। .

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तकथोक मठ

तकथोक मठ (Takthok Monastery) या थगथोग मठ (Thag Thog) भारत के लद्दाख़ क्षेत्र के लेह ज़िले की लेह तहसील के सक्ती गाँव में स्थित एक तिब्बती बौद्ध मठ है। यह लेह से ४६ किमी पूर्व में है। इसके नाम का अर्थ "पत्थर की छत" है क्योंकि इसकी दीवारें और छत दोनों पत्थर के बने हैं। यह लद्दाख़ का इकलौता न्यिंगमा सम्प्रदाय का मठ है। यहाँ ५५ लामा रहते हैं। .

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त्सराप नदी

त्सराप नदी, जिसे लद्दाख़ी भाषा में त्सराप चु कहा जाता है, भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ खण्ड के ज़ंस्कार क्षेत्र में बहने वाली एक १८२ किमी लम्बी नदी का नाम है। यह ज़ंस्कार नदी की एक उपनदी है, जो स्वयं सिन्धु नदी की एक उपनदी है। .

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दार्द लोग

दार्द या दारद उन समुदायों को कहा जाता है जो दार्दी भाषाएँ बोलते हैं। यह हिन्द-आर्य लोगों की एक उपशाखा है। दार्द लोग मुख्य रूप से उत्तर भारत के कश्मीर व लद्दाख़ क्षेत्र, पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र, पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त और पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भागों में बसते हैं। अलग-अलग स्थनों के दार्द लोगों को 'ब्रोकपा', 'द्रोकपा' व 'शीन' जैसे नामों से भी जाना जाता है। .

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दार्दी भाषाएँ

दार्दी या दार्दिक भाषाएँ (ज़बान दार्दी) हिन्द-आर्य भाषाओं की एक उपशाखा है जिसकी सबसे जानी-मानी भाषा कश्मीरी है। दार्दी भाषाएँ उत्तरी पाकिस्तान, उत्तर-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान और भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में बोली जातीं हैं।, Peter K. Austin, University of California Press, ISBN 0-520-25560-7,...

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द्रास

द्रास भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के करगिल ज़िले में स्थित एक बस्ती है। ३,२३० मीटर (१०,९९० फ़ुट) पर बसा हुआ यह क़स्बा १६,००० से २१,००० फ़ुट के पहाड़ों से घिरा हुआ है। द्रास वादी ज़ोजिला दर्रे के चरणों में है और कश्मीर से लद्दाख़ जाने के लिये यहाँ से गुज़रना पड़ता है, जिस कारणवश इसे 'लद्दाख़ का द्वार' भी कहा जाता है। .

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द्रांग द्रुंग हिमानी

द्रांग द्रुंग हिमानी (Drang-Drung Glacier) या दुरुंग द्रुंग हिमानी (Durung Drung Glacier) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के कर्गिल ज़िले में स्थित एक हिमानी है। यह हिमालय की ज़ंस्कार पर्वतमाला में कर्गिल-ज़ंस्कार राजमार्ग पर स्थित पेन्सी ला नामक पहाड़ी दर्रे के पास उत्पन्न होती है और डोडा नदी (स्तोद नदी) का स्रोत है। डोडा नदी आगे चलकर ज़ंस्कार नदी की एक मुख्य उपनदी बनती है, जो स्वयं सिन्धु नदी की एक उपनदी है। लद्दाख़ में काराकोरम से बाहर यह सियाचिन हिमानी के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिमानी है। .

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दौलत बेग ओल्दी

दौलत बेग ओल्दी भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के लद्दाख़ प्रदेश में स्थित एक स्थान है। यहाँ भारत की एक सैनिक चौकी है और यह ऐतिहासिक रूप से भारत और पूर्वी तुर्किस्तान के बीच के व्यापारिक मार्ग पर एक पड़ाव हुआ करता था। इस से ठीक दक्षिण में पूर्व से पश्चिम बहने वाली चिपचप नदी गुज़रती है। दौलत बेग ओल्दी के नाम का परिवर्णी (ऐक्रोनिम) बनाकर इसे कभी-कभी डी॰बी॰ओ॰ भी कहा जाता है। .

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देपसंग मैदान

देपसंग मैदान (Depsang Plains) भारत के जम्मू व कश्मीर के पूर्वी भाग में लद्दाख़ क्षेत्र और चीन-अधिकृत अक्साई चिन क्षेत्र की सीमा पर स्थित एक ऊँचा मैदानी इलाक़ा है। १९६२ के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन ने इसपर कुछ दिनों के लिये क़ब्ज़ा कर लिया था लेकिन फिर अपनी सेना हटा ली। वर्तमान में यह चीन और भारत के बीच विवादित है। चीन ने पूर्वी भाग पर क़ब्ज़ा किया हुआ है और उसे अपना हिस्सा बताता है, जबकि भारत ने पश्चिमी भाग पर नियंत्रण किया हुआ है और पूरे देपसंग मैदान को अपना हिस्सा बताता है। .

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देमचोक

देमचोक (लद्दाख़ी: ཌེམ་ཆོཀ་, Demchok) या देमजोक (Demjok) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लेह ज़िलेमें स्थित एक गाँव व सैनिक खेमा है। यह अक्साई चिन क्षेत्र से दक्षिण में स्थित है, जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा इस ग्राम के दक्षिणपूर्वी भाग से निकलती है और पास से गुज़रने वाली सिन्धु नदी से जुड़ी एक घाटी में स्थित है। इस रेखा के पार लगभग १ किमी की दूरी पर चीन-अधिकृत क्षेत्र में देमचोग (पिनयिन शैली: Dêmqog) नामक बस्ती है जो कभी देमचोक ग्राम का हिस्सा थी। देमचोक गाँव लद्दाख़ को तिब्बत से जोड़ने वाले एक पुराने मार्ग पर है, जो फ़िलहाल बंद है। गाँव उकदुंग्ले नामक भारतीय सैनिक खेमे से ३६.५ किमी पूर्व में है। चीन इसका तिब्बत का भाग होने का दावा करता है, जिसका भारत खंडन करता है। यहाँ से तिब्बत में स्थित कैलाश-मानसरोवर तीर्थ लगभग ३०० किमी दूर है हालांकि देमचोक से वहाँ का मार्ग अधिकतर मैदानी है और इन दोनों स्थानों को सड़क से जोड़ने की मांग है। .

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निम्मो

निम्मो (Nimmoo) या निम्मू (Nimmu) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के लेह तहसील में स्थित एक बस्ती है। यहाँ ज़ंस्कार नदी का सिन्धु नदी में विलय होता है। निम्मू में सर्दी और गर्मी के मौसम में भारी तापमान परिवर्तन होता है: ग्रीष्म ऋतु में +40 °सेंटीग्रेड और शीत ऋतु में −29 °सेंटीग्रेड। इस कठोर वातावरण और स्थानीय शुष्कता के कारण यहाँ वनस्पति न के बराबर होते हैं। .

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नुब्रा घाटी

नुब्रा घाटी एक तीन भुजाओं वाली घाटी है जो लद्दाख घाटी के उत्तर-पूर्व में स्थित है। यह श्योक और नुब्रा नदियों के संगम से बनी है। श्योक नदी उत्तर पश्चिम की ओर बहती है और नुब्रा नदी एक न्यूनकोण बनाते हुए इसमें उत्तर-उत्तर पश्चिम से आ कर मिलती है। श्योक नदी आगे जाकर सिन्धु नदी में मिलती है। नुब्रा की केन्द्रीय बस्ती दिस्कित की दूरी लेह से १५० कि॰मी॰ है। इस घाटी की औसत ऊँचाई ३,०३८ मी॰ यानी १०,००० फीट है। यहाँ के स्थानीय लोगों के अनुसार इसका प्राचीन नाम डुमरा (फूलों की घाटी) था। यहाँ पहुँचने के लिये लेह से खर्दुंग ला दर्रे से होकर जाया जाता है। .

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परमवीर चक्र

परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था। लेफ्टीनेंट या उससे कमतर पदों के सैन्य कर्मचारी को यह पुरस्कार मिलने पर उन्हें (या उनके आश्रितों को) नकद राशि या पेंशन देने का भी प्रावधान है। हालांकि पेंशन की न्यून राशि जो सैन्य विधवाओं को उनके पुनर्विवाह या मरने से पहले तक दी जाती है अभी तक विवादास्पद रही है। मार्च 1999 में यह राशि बढ़ाकर 1500 रुपये प्रतिमाह कर दी गयी थी। जबकि कई प्रांतीय सरकारों ने परमवीर चक्र से सम्मानित सैन्य अधिकारी के आश्रितों को इससे कहीं अधिक राशि की पेंशन मुहैय्या करवाती है। परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे। सूबेदार सिंह जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री की आठवीं रेजीमेंट में कार्यरत थे। .

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पर्माफ़्रोस्ट

साइबेरिया में पर्माफ़्रोस्ट पर खड़ा यह घर उसके कुछ हद तक पिघलने से टेढ़ा हो गया है उत्तरी कनाडा में पर्माफ़्रोस्ट से धरती पर बनी लकीरें पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में पर्माफ़्रोस्ट का विस्तार भूविज्ञान में स्थायीतुषार या पर्माफ़्रोस्ट (permafrost) ऐसी धरती को बोलते हैं जिसमें मिट्टी लगातार कम-से-कम दो वर्षों तक पानी जमने के तापमान (यानि शुन्य सेंटीग्रेड) से कम तापमान पर रही हो। इस प्रकार की धरती में मौजूद पानी अक्सर मिटटी के साथ मिलकर उसे इतनी सख़्ती से जमा देता है कि मिटटी भी सीमेंट या पत्थर जैसी कठोर हो जाती है। पर्माफ़्रोस्ट वाले स्थान अधिकतर पृथ्वी के ध्रुवों के पास ही होते हैं (जैसे कि साइबेरिया, ग्रीनलैंड व अलास्का), हालांकि कुछ ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों (जैसे कि तिब्बत व लद्दाख़) में भी जहाँ-तहाँ पर्माफ़्रोस्ट मिलता है।, Ahmad N, Sarwar Rais, pp.

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पांगोंग त्सो

पांगोंग त्सो पांगोंग त्सो (या पांगोंग झील; त्सो: लद्दाख़ी में झील) हिमालय में एक झील है जिस्की उचाई लगभग 4500 मीटर है। यह 134 कीमी लंबी है और भारत के लद्दाख़ से तिब्बत पहूँचती है। जनवादी गणराज्य चीन में झील की दो तिहाई है। इसकी सबसे चौड़ी नोक में सिर्फ़ 8 कीमी चौड़ी है। शीतकाल में, नमक पानी होने के बावजूद, झील संपूर्ण जमती है। लेह (भारत) से पांगोंग त्सो एक पाँच घंटे के गाड़ी का भ्रमण है, जिसका सबसे अधिक एक खुरदरा और नाटकीय पहाड़ी रस्ता में है। .

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पाक अधिकृत कश्मीर

भारतीय कश्मीर है और अकसाई चिन चीन के अधिकार में है। इस क्षेत्र का अधिकार चीन को पाकिस्तान द्वारा सौंपा गया था। पाक अधिकृत कश्मीर मूल कश्मीर का वह भाग है, जिस पर पाकिस्तान ने १९४७ में हमला कर अधिकार कर लिया था। यह भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित क्षेत्र है। इसकी सीमाएं पाकिस्तानी पंजाब एवं उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत से पश्चिम में, उत्तर पश्चिम में अफ़गानिस्तान के वाखान गलियारे से, चीन के ज़िन्जियांग उयघूर स्वायत्त क्षेत्र से उत्तर और भारतीय कश्मीर से पूर्व में लगती हैं। इस क्षेत्र के पूर्व कश्मीर राज्य के कुछ भाग, ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट को पाकिस्तान द्वारा चीन को दे दिया गया था व शेष क्षेत्र को दो भागों में विलय किया गया था: उत्तरी क्षेत्र एवं आजाद कश्मीर। इस विषय पर पाकिस्तान और भारत के बीच १९४७ में युद्ध भी हुआ था। भारत द्वारा इस क्षेत्र को पाक अधिकृत कश्मीर (पी.ओ.के) कहा जाता है।रीडिफ, २३ मई २००६ संयुक्त राष्ट्र सहित अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं एम.एस.एफ़, एवं रेड क्रॉस द्वारा इस क्षेत्र को पाक-अधिकृत कश्मीर ही कहा जाता है। .

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पेन्सी ला

पेन्सी ला (Pensi La) हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत में स्थित है। यह जम्मू और कश्मीर राज्यके लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित है और "ज़ंस्कार का द्वार" कहलाता है। यह दर्रा लद्दाख़ की सुरु घाटी को ज़ंस्कार घाटी से जोड़ता है। 4,400 मीटर (14,436 फ़ुट) की ऊँचाई वाला यह दर्रा रंगदुम मठ नामक प्रसिद्ध बौद्ध गोम्पा से लगभग 25 किमी दूर है। .

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फीया

फीया या मारमोट (marmot) एक प्रकार की बड़ी गिलहरी होती है। इसकी १५ जातियाँ ज्ञात हैं जो सभी मारमोटा (marmota) जीववैज्ञानिक गण में आती हैं। कुछ जातियाँ पहाड़ी क्षेत्रों में रहती हैं, जैसे कि भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय, लद्दाख़ और देओसाई पठार; तिब्बत; यूरोप के ऐल्प्स पर्वत, कारपैथी पर्वत, पिरिनी पर्वत और अन्य क्षेत्र; उत्तर अमेरिका के रॉकी पर्वत, कास्केड पर्वत और अन्य क्षेत्र, इत्यादि। कुछ जातियाँ घासभूमि पसंद करती हैं और उत्तर अमेरिका की प्रेरी घासभूमि और एशिया व यूरोप की स्तेपी घासभूमि में निवास करती हैं। ध्यान दें कि उत्तर अमेरिका में मिलने वाला प्रेरी डॉग (prairie dog) देखने में इस से मिलता जुलता है लेकिन वह मारमोटा गण में शामिल नहीं और जीववैज्ञानिक दृष्टि से फीया नहीं माना जाता। .

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बर्फ स्तूप

बर्फ स्तूप, ग्लेशियर ग्राफ्टिंग तकनीक का एक रूप है जिसके द्वारा कृत्रिम हिमनदों (ग्लेशियरों) का निर्माण किया जाता है। शंकु आकार के इन बर्फ के ढेरों को सर्दियों में पानी (जो अन्यथा व्यर्थ हो जाता) को संग्रहीत करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गर्मियों के दौरान, जब पानी कम होता है, तो बर्फ स्तूपों से पिघली बर्फ फसलों के लिए पानी की आपूर्ति करती है। क्योंकि इनका आकार बौद्ध स्तूपों के समान होता है इसीलिए इन्हें बर्फ स्तूप कहा जाता है। भारत के क्षेत्र लद्दाख में सोनम वांगचुक द्वारा बर्फ स्तूप का अविष्कार किया गया और इस परियोजना को 'स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख ' द्वारा संचालित किया जाता है। यह परियोजना अक्टूबर 2013 में शुरू की गई और जनवरी 2014 में द आईस स्तूपा प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक परीक्षण परियोजना की शुरूवात हुई। 15 नवंबर 2016 को, सोनम वांगचुक को बर्फ स्तूप पर उनके काम के लिए रोलेक्स पुरस्कार फॉर एंटरप्राइज़ से सम्मानित किया गया। .

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बलती भाषा

बालती एक तिब्बताई भाषा है जो पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र और भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के करगिल क्षेत्र में बोली जाती है। यह आधुनिक तिब्बती भाषा से काफ़ी भिन्न है। पुरानी तिब्बती की कई ध्वनियाँ जो आधुनिक तिब्बती में खोई जा चुकी हैं, आज भी बलती में प्रयोग होती हैं। .

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बादल फटना

बादल फटना, (अन्य नामः मेघस्फोट, मूसलाधार वृष्टि) बारिश का एक चरम रूप है। इस घटना में बारिश के साथ कभी कभी गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं। सामान्यत: बादल फटने के कारण सिर्फ कुछ मिनट तक मूसलाधार बारिश होती है लेकिन इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बादल फटने की घटना अमूमन पृथ्वी से १५ किलोमीटर की ऊंचाई पर घटती है। इसके कारण होने वाली वर्षा लगभग १०० मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है। कुछ ही मिनट में २ सेंटी मीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, जिस कारण भारी तबाही होती है। .

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बैटमैन बिगिन्स (फ़िल्म)

बैटमैन बिगेन्स (Batman Begins) वर्ष 2005 की एपिक सुपरहीरो फ़िल्म है जो डीसी काॅमिक्स के काल्पनिक पात्र बैटमैन पर आधारित है, जिसे क्रिस्टोफ़र नोलान ने निर्देशन और पटकथा सह लेखन की कमान संभाली है और अदाकारों में क्रिश्चियन बेल, माइकल केन, लियाम निसन, कैटी हाॅम्स, गैरी ऑल्डमैन, किलेन मर्फी, टाॅम विल्किन्सन, रुटगेर हेयुर के साथ केन वातानाबे और माॅर्गन फ्रीमैन शामिल है। यह 'बैटमैन' फिल्म सीरिज का नया संस्करण हैं, जिसमें शीर्षक किरदार (बेल) के प्रारंभिक उद्गम के साथ उसके वास्तविक रूप, ब्रुस वेयन के बचपन में चमगादड़ो के प्रति भय, माता-पिता की मृत्य, अपनी एकांत सफर बैटमैन बनने की प्रेरणा से लेकर, लीग ऑफ शैडो के मास्टर राश'अल गुल (वातानाबे) के साथ भिड़न्त और दहशतगर्द स्केयरक्रो (मर्फी) द्वारा गाॅथम शहर की जल-आपुर्ति लाइन के जरिए एक डर पैदा करने वाली ड्रग को वाष्पीकृत कर लोगों में जबरदस्त डर और हिस्टेरिया (मृगि का दौरा) की परिस्थिति खड़ी कर शहर में विनाशकारी हिंसक फैलाने पर उल्लेख किया गया है। फिल्म की पटकथा का अधिकांश भाग, बैटमैन की क्लासिक काॅमिक्स से ही प्रेरित बताया गया, जिनमें 'द मैन हु फाॅल्स', 'बैटमैन: ईयर वन और 'बैटमैन: द लाॅन्ग हेलाॅवीन' आदि का समावेश है। हाँलाकि 'बैटमैन' सिरिज की फिल्मों की असफलता की तरह गत 'बैटमैन एण्ड राॅबिन' (1997) भी व्यावसायिक एवं समीकाक्षात्मक रूप से निराशाजनक प्रर्दशन कल चुकी थी, सो इस बार नोलान और डेविड एस.

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भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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भारत के ध्वजों की सूची

यह सूची भारत में प्रयोग हुए सभी ध्वजों की है.

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भारत के क्षेत्र

भारत में सास्कृतिक, भौगोलिक तथा प्रशासनिक आधार कई प्रदेश हैं जिनकी अन्य क्षेत्रों से अलग पहचान है। इनमें से कई क्षेत्र भारत की प्रशासनिक सीमाओं के बाहर भी है - जैसे कश्मीर, पंजाब तथा बंगाल। .

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भारत-चीन युद्ध

भारत-चीन युद्ध जो भारत चीन सीमा विवाद के रूप में भी जाना जाता है, चीन और भारत के बीच 1962 में हुआ एक युद्ध था। विवादित हिमालय सीमा युद्ध के लिए एक मुख्य बहाना था, लेकिन अन्य मुद्दों ने भी भूमिका निभाई। चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी तो भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गयी। भारत ने फॉरवर्ड नीति के तहत मैकमोहन रेखा से लगी सीमा पर अपनी सैनिक चौकियाँ रखी जो 1959 में चीनी प्रीमियर झोउ एनलाई के द्वारा घोषित वास्तविक नियंत्रण रेखा के पूर्वी भाग के उत्तर में थी। चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये। चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारतीय बलों पर उन्नत साबित हुई और पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला एवं पूर्व में तवांग पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी और साथ ही विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की, हलाकिं अक्साई चिन से भारतीय पोस्ट और गश्ती दल हटा दिए गए थे, जो संघर्ष के अंत के बाद प्रत्यक्ष रूप से चीनी नियंत्रण में चला गया। भारत-चीन युद्ध कठोर परिस्थितियों में हुई लड़ाई के लिए उल्लेखनीय है। इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फीट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गयी। इस प्रकार की परिस्थिति ने दोनों पक्षों के लिए रसद और अन्य लोजिस्टिक समस्याएँ प्रस्तुत की। इस युद्ध में चीनी और भारतीय दोनों पक्ष द्वारा नौसेना या वायु सेना का उपयोग नहीं किया गया था। .

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भारतीय ताराभौतिकी संस्थान

भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (आईआईए, Indian Institute of Astrophysics) भारत का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है, जो खगोल शास्त्र, ताराभौतिकी एवं संबंधित भौतिकी में शोधकार्य को समर्पित है। इसका मुख्यालय बेंगलूर में है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अवलंब से संचालित यह संस्थान आज देश में खगोल एवं भौतिकी में शोध एवं शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र बन गया है। संस्थान की प्रमुख प्रेक्षण सुविधायें कोडैकनाल, कावलूर, गौरीबिदनूर एवं हान्ले में स्थापित हैं। .

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भारतीय थलसेना

भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये। भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं। भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।.

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भारतीय सिनेमा

भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। भारतीय सिनेमा ने २०वीं सदी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।। भारतीय फिल्मों का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ में भी होता है। भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमरीका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं में मिलाकर प्रति वर्ष 1,600 तक फिल्में बनी हैं। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाते हैं। दादा साहब फाल्के के भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरुप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और वांछित पुरस्कार हो गया है। २०वीं सदी में भारतीय सिनेमा, संयुक्त राज्य अमरीका का सिनेमा हॉलीवुड तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया।Khanna, 155 2013 में भारत वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फ़िल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $1.86 अरब (₹ 93 अरब) की रही। जिसके वर्ष 2016 तक $3 अरब (₹ 150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। अब सुपर हीरो तथा विज्ञानं कल्प जैसी फ़िल्में न केवल बन रही हैं बल्कि ऐसी कई फिल्में एंथीरन, रा.वन, ईगा और कृष 3 ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रूप में सफल हुई है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज़्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फिल्मे प्रदर्शित होती हैं। Khanna, 158 सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, अडूर गोपालकृष्णन, बुद्धदेव दासगुप्ता, जी अरविंदन, अपर्णा सेन, शाजी एन करुण, और गिरीश कासरावल्ली जैसे निर्देशकों ने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वैश्विक प्रशंसा जीती है। शेखर कपूर, मीरा नायर और दीपा मेहता सरीखे फिल्म निर्माताओं ने विदेशों में भी सफलता पाई है। 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान से 20वीं सेंचुरी फॉक्स, सोनी पिक्चर्स, वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स और वार्नर ब्रदर्स आदि विदेशी उद्यमों के लिए भारतीय फिल्म बाजार को आकर्षक बना दिया है। Khanna, 156 एवीएम प्रोडक्शंस, प्रसाद समूह, सन पिक्चर्स, पीवीपी सिनेमा,जी, यूटीवी, सुरेश प्रोडक्शंस, इरोज फिल्म्स, अयनगर्न इंटरनेशनल, पिरामिड साइमिरा, आस्कार फिल्म्स पीवीआर सिनेमा यशराज फिल्म्स धर्मा प्रोडक्शन्स और एडलैब्स आदि भारतीय उद्यमों ने भी फिल्म उत्पादन और वितरण में सफलता पाई। मल्टीप्लेक्स के लिए कर में छूट से भारत में मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ी है और फिल्म दर्शकों के लिए सुविधा भी। 2003 तक फिल्म निर्माण / वितरण / प्रदर्शन से सम्बंधित 30 से ज़्यादा कम्पनियां भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध की गयी थी जो फिल्म माध्यम के बढ़ते वाणिज्यिक प्रभाव और व्यसायिकरण का सबूत हैं। दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की चार फिल्म संस्कृतियों को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है। ये कन्नड़ सिनेमा, मलयालम सिनेमा, तेलुगू सिनेमा और तमिल सिनेमा हैं। हालाँकि ये स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं लेकिन इनमे फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों के आदान-प्रदान और वैष्वीकरण ने इस नई पहचान के जन्म में मदद की। भारत से बाहर निवास कर रहे प्रवासी भारतीय जिनकी संख्या आज लाखों में हैं, उनके लिए भारतीय फिल्में डीवीडी या व्यावसायिक रूप से संभव जगहों में स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। Potts, 74 इस विदेशी बाजार का भारतीय फिल्मों की आय में 12% तक का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा में संगीत भी राजस्व का एक साधन है। फिल्मों के संगीत अधिकार एक फिल्म की 4 -5 % शुद्ध आय का साधन हो सकते हैं। .

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भारतीय खगोलीय वेधशाला

भारतीय खगोलीय वेधशाला (Indian Astronomical Observatory (IAO)) दक्षिण पूर्व लद्दाख में लेह के निकट हान्ले में स्थित है। प्रकाशीय तथा अवरक्त खगोल-भौतिकी हेतु यह विश्व की सबसे ऊँची वेधशला है। इसका संचालन भारतीय ताराभौतिकी संस्थान द्वारा होता हे। इस वेधशाला की स्थापना से संस्थान की रात्रिकालीन खगोल संबंधी सुविधाओं में वृद्धि की है। यहां वर्ष 2001 से 2 मीटर व्यास का हिमालययी चंद्र दूरदर्शी कार्यरत है। सात इकाइयों वाला एक उत्तुंग गामा किरण दूरदर्शी भी हान्ले में हाल ही में स्थापित किया गया है।.

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भारतीय इतिहास की समयरेखा

पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं भारत एक साझा इतिहास के भागीदार हैं इसलिए भारतीय इतिहास की इस समय रेखा में सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास की झलक है। .

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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मनाली, हिमाचल प्रदेश

मनाली (ऊंचाई 1,950 मीटर या 6,398 फीट) कुल्लू घाटी के उत्तरी छोर के निकट व्यास नदी की घाटी में स्थित, भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य की पहाड़ियों का एक महत्वपूर्ण पर्वतीय स्थल (हिल स्टेशन) है। प्रशासकीय तौर पर मनाली कुल्लू जिले का एक हिस्सा है, जिसकी जनसंख्या लगभग 30,000 है। यह छोटा सा शहर लद्दाख और वहां से होते हुए काराकोरम मार्ग के आगे तारीम बेसिन में यारकंद और ख़ोतान तक के एक अतिप्राचीन व्यापार मार्ग का शुरुआत था। मनाली और उसके आस-पास के क्षेत्र भारतीय संस्कृति और विरासत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसे सप्तर्षि या सात ऋषियों का घर बताया गया है। .

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महाराज गुलाब सिंह

महाराज गुलाब सिंह(शाहमुखी: ﮔﻼﺏ ﺳﻨﮕﮫ ﮈﻭﮔﺮﺍ; गुरुमुखी: ਮਹਾਰਾਜਾ ਗੁਲਾਬ ਸਿੰਘ) (१७९२-१८५७) डोगरा राजवंश एवं जम्मू और कश्मीर राजघराने के संस्थापक और जम्मू और कश्मीर रियासत के पहले महाराज थे। उनका जन्म सन् १७९२ में जामवल कुल के एक डोगरा राजपूत परिवार में हुआ था, जो जम्मू के राजपरिवार से ताल्लुख़ रखता था। उन्हों ने अपनी क्षत्रिय जीवन की शुरुआत जम्मू रियासल के अधीपति, महाराज रणजीत सिंह की सेना में एक पैदल सैनिक के रूप में की थी पर आगे चल कर वे स्वतंत्र जम्मू और कश्मीर रियासत के पहले स्वतंत्र नरेश बन कर उबरे थे। उन्हें,सिख साम्राज्य के अधिपत्य, "जम्मू के राजा" का पद राजा जीत सिंह से उत्तराधिकृत किया था और प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध में, जिसमें उन्होंने अंग्रेज़ों के साथ संधी कर ली थी, सिख साम्राज्य की पराजय के बाद स्वतंत्र जम्मू और कश्मीर रियासत की स्थापना की और महाराज के पद पर ख़ुद को विराजमान किया था। १८४६ की अमृतसर संधि के आधार पर आधिकारिक तौर पर महाराज ने ७५,००,००० नानकशाही रुपययों के भुकतान के बाद कश्मीर का पूरा भूखंड अंग्रेज़ों से खरीद लिया था जिसे अंग्रेज़ों ने लाहौर संधि द्वारा हासिल की थी। इसके अलावा भी महाराज गुलाब सिंह ने अपनी जीवनकाल के दौरान कई प्रदेशों और रियासतों पर फ़तह हासिल किया था। .

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मामोस्तोंग कांगरी

मामोस्तोंग कांगरी (Mamostong Kangri) काराकोरम पर्वतमाला की रिमो मुज़ताग़ उपश्रेणी में स्थित एक ऊँचा पर्वत है जो विश्व का 48वाँ सर्वोच्च पर्वत भी है। यह सियाचिन हिमानी से 30 किमी पूर्व-दक्षिणपूर्व में स्थित है और प्रशासनिक रूप से भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में आता है। .

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मंगोलिया

मंगोलिया (मंगोलियन: Монгол улс) पूर्व और मध्य एशिया में एक भूमि से घिरा (लेंडलॉक) देश है। इसकी सीमाएं उत्तर में रूस, दक्षिण, पूर्वी और पश्चिमी में चीन से मिलती हैं। हालांकि, मंगोलिया की सीमा कज़ाख़िस्तान से नहीं मिलती, लेकिन इसकी सबसे पश्चिमी छोर कज़ाख़िस्तान के पूर्वी सिरे से केवल 24 मील (38 किमी) दूर है। देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर उलान बाटोर है, जहां देश की लगभग 38% जनसंख्या निवास करती है। मंगोलिया में संसदीय गणतंत्र है। .

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मैकेनाइज़्ड इन्फेंट्री रेजिमेंट

मैकेनाइज्ड इन्फैन्ट्री रेजिमेंट भारतीय सेना की एक पैदल सेना रेजिमेंट है हालाँकि यह 26 बटालियनों में बंटी हुई है दो देश भर में फैली हुई हैं। यह सेना में सबसे कम उम्र रेजिमेंटों में से एक है, हालाँकि इसका गठन 1965 के भारत-पाक युद्ध में सीखने के बाद किया गया ताकि पैदल सेना बटालियनों को अधिक से अधिक गतिशीलता दी जा सके। यह बटालियन एक आधुनिक सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए जनरल के॰ सुंदरजी की दूरदर्शिता का नतीजा थी। प्रारंभ में, विभिन्न रेजिमेंटों के पुराने पैदल सेना बटालियनों को कुछ बीएमपी -1 बख़्तरबंद कर्मियों वाहक से लैस किया गया। परन्तु और अधिक ठोस और व्यावहारिक रणनीति के संबंध के साथ एक आम दर्शन विकसित करने की आवश्यकता को महसूस किया गया। परिणाम स्वरुप 1979 में भारतीय सेना में सभी मैकेनाइज्ड रेजिमेंटों को मिलाकार एक पूरी तरह से नए एवं विभिन्न यंत्रीकृत बटालियन का निर्माण किया गया। मैकेनाइज्ड इन्फैन्ट्री रेजिमेंट ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन विजय में भाग लिया है। यह सोमालिया, कांगो, अंगोला और सियरा लियोन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भी शामिल हुई। रेजिमेंट की भारतीय नौसेना के आईएनएस घड़ियाल के साथ अपनी संबद्धता है। भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री रेजीमेंट को लद्दाख और सिक्किम के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में भी संचालन के लिए विशेष गौरव प्राप्त है। जनरल सुंदरजी यंत्रीकृत पैदल सेना रेजिमेंट के पहले कर्नल थे, उन्हें सेवानिवृत्ति तक इस पद पर नियुक्त किया गया। .

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यारकन्द ज़िला

चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग (पीला रंग) के अन्दर स्थित यारकन्द ज़िला (गुलाबी रंग) यारकन्द शहर में एक सड़क यारकन्द ज़िला (उइग़ुर:, चीनी: 莎车县, अंग्रेज़ी: Yarkand) चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग में स्थित एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल ८,९६९ वर्ग किमी है और सन् २००३ की जनगणना में इसकी आबादी ३,७३,४९२ अनुमानित की गई थी। इसकी राजधानी यारकंद नाम का ही एक ऐतिहासिक शहर है जिसका भारतीय उपमहाद्वीप के साथ गहरा सांस्कृतिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहा है। यारकन्द तारिम द्रोणी और टकलामकान रेगिस्तान के दक्षिणी छोर पर स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) क्षेत्र है जो अपना जल कुनलुन पर्वतों से उत्तर की ओर उतरने वाली यारकन्द नदी से प्राप्त करता है। इसके मरूद्यान (ओएसिस) का क्षेत्रफल लगभग ३,२१० वर्ग किमी है लेकिन कभी इस से ज़्यादा हुआ करता था। तीसरी सदी ईस्वी में यहाँ रेगिस्तान के फैलने से यह उपजाऊ इलाक़ा थोड़ा घट गया। यारकन्द में अधिकतर उइग़ुर लोग बसते हैं। यहाँ कपास, गेंहू, मक्की, अनार, ख़ुबानी, अख़रोट और नाशपाती उगाए जाते हैं। इस ज़िले के ऊँचे इलाक़ों में याक और भेड़ पाले जाते हैं। यहाँ की धरती के नीचे बहुत से मूल्यवान खनिज मौजूद हैं, जैसे की पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, सोना, ताम्बा, सीसा और कोयला। .

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याक

याक याक (वैज्ञानिक नाम: Bos Grunniens) एक पशु है जो तिब्बत के ठण्डे तथा वीरान पठार, नेपाल और भारत के उत्तरी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह काला, भूरा, सफेद या धब्बेदार रंग का होता है। इसका शरीर घने, लम्बे और खुरदरे बालों से ढँका हुआ होता है। इसे कुछ लोग तिब्बत का बैल भी कहते हैं। इसे 'चमरी' या 'चँवरी' या 'सुरागाय' भी कहते हैं। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन)

तिब्बत के रुतोग ज़िले में तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग पर लगी एक शिला राजमार्ग २१९ अक्साई चिन (गुलाबी रंग वाला क्षेत्र) से निकलता हुआ शिंजियांग और तिब्बत को जोड़ता है राष्ट्रीय राजमार्ग २१९, जिसे तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग भी कहा जाता है, चीन द्वारा निर्मित एक राजमार्ग है जो भारत की सीमा के नज़दीक शिंजियांग प्रान्त के कारगिलिक शहर से लेकर तिब्बत के शिगात्से विभाग के ल्हात्से शहर तक जाता है। इसकी कुल लम्बाई २,७४३ किलोमीटर है। इसका निर्माण सन् १९५१ में शुरू किया गया था और यह सड़क १९५७ तक पूरी हो गई। यह राजमार्ग भारत के अक्साई चिन इलाक़े से निकलता है जिसपर चीन ने १९५० के दशक में क़ब्ज़ा कर लिया था और जिसको लेकर १९६२ का भारत-चीन युद्ध भी भड़क गया। .

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रिमो मुज़ताग़

रिमो मुज़ताग़ (Rimo Muztagh) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित एक पर्वतमाला है, जो महान काराकोरम पर्वतमाला की एक उपश्रेणी है। .

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रुपशू

रुपशू (Rupshu) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित एक ऊँचा पठार व घाटियों का एक भूखण्ड है। यह त्सो मोरीरी (झील) से 20 किमी से लेकर 50 किमी पश्चिमोत्तर में विस्तृत है। रुपशू की ऊँचाई 4,500 से 5,500 मीटर के बीच है। यहाँ के अधिकतर निवासी चांगपा हैं। त्सो कार नामक खारी झील भी इसी क्षेत्र में है। अगल-अलग स्रोत रुपशू की भौगोलिक परिभाषा पृथक देते हैं। कुछ के अनुसार यह पश्चिम में लेह-मनाली राजमार्ग से लेकर पूर्व में त्सो मोरीरी तक है, जिसमें चांगथंग पठारी क्षेत्र का लद्दाख़ में आने वाला इलाका भी शामिल है। त्सो मोरीरी के किनारे बसा हुआ करज़ोक रुपशू क्षेत्र की मुख्य बस्ती है। .

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रेज़ांग ला

रेज़ांग ला (Rezang La) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में चुशूल घाटी के दक्षिणपूर्व में उस घाटी में प्रवेश करने वाला एक पहाड़ी दर्रा है। यह २.७ किमी लम्बा और १.८ किमी चौड़ा है और इसकी औसत ऊँचाई १६,००० फ़ुट है। .

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लद्दाख़ी भाषा

लद्दाख़ी (तिब्बती भाषा: ལ་དྭགས་སྐད་, Wylie: La-dwags skad) भारत के लद्दाख क्षेत्र के लेह जिले की प्रमुख भाषा है। इसे भोटी भी कहते हैं। यह तिब्बती परिवार की भाषा है किन्तु मानक तिब्बती तथा लद्दाखी जानने वाले एक दूसरे को नहीं समझ सकते। लद्दाख़ के गान्चे क्षेत्र में तिब्बती मूल के बलती व लद्दाख़ी लोग रहते हैं। सांस्कृतिक रूप से यह भारत के लद्दाख़ क्षेत्र का भाग है, हालांकि यहाँ के अधिकतर लोग धार्मिक दृष्टि से मुस्लिम हैं। यहाँ अधिकतर बलती भाषा बोली जाती है जो लद्दाख़ी भाषा के क़रीब है और अक्सर तिब्बती भाषा की उपभाषा समझी जाती है। .

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लाहौल और स्पीति जिला

लाहौल और स्पीति भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय केलांग है। हिमाचल प्रदेश के दो पूर्व जिलों लाहौल और स्पीति के विलयोपरांत, अब लाहौल और स्पीति एक जिला है। विलय के पूर्व लाहौल का मुख्यालय करदंग और स्पीति का मुख्यालय दनकर था। क्षेत्रफल - 12210 वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या - 33224 (2001 जनगणना) साक्षरता - 73.1% एस.टी.डी (STD) कोड - 91-01900 जिलाधिकारी - (सितम्बर 2006 में) समुद्र तल से ऊंचाई - 10050 फुट अक्षांश - उत्तर देशांतर - पूर्व .

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लेह

लेह जम्मू कश्मीर राज्य का के लद्दाख जिले का मुख्यालय एवं प्रमुख नगर है। यह समुद्र तल से 11,500 फुट की ऊँचाई पर, श्रीनगर से 160 मील पूर्व तथा यारकंद से लगभग 300 मील दक्षिण, लद्दाख पर्वत श्रेणी के आँचल में, ऊपरी सिंध के दाहिने तट से 4 मील दूर स्थित है। यहाँ एशिया की सर्वाधिक ऊँची मौसमी वेधशाला (meteorological observatory) है। नगर तिब्बत, सिकीयांग तथा भारत के मध्य का महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है। लेह में, 19वीं एवं 20वीं शताब्दी के डोगरावंशी राजाओं के पूर्व के राजाओं का एक राजप्रासाद भी है। यूरोपवासियों में से एक ने 1715 ई. में, सर्वप्रथम लेह की यात्रा की थी। लेह से, श्रीनगर एवं कुल्लू घाटी होती हुई, सड़कें भारत के आंतरिक भाग में आती हैं तथा एक मार्ग कराकोरम दर्रे की ओर जाता है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या १ द इसे उत्तर पश्चिम में श्रीनगर से जोडता है। शान्ति स्तूप श्रेणी:जम्मू कश्मीर के शहर श्रेणी:मध्य एशिया के शहर श्रेणी:लद्दाख़.

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शायदुल्ला

शायदुल्ला या शाहीदुल्लाह (उइग़ुर:; अंग्रेज़ी: Xaidulla या Shahidulla) काराकाश नदी के किनारे स्थित एक स्थान है। यहाँ भारत के लद्दाख़ क्षेत्र से काराकोरम दर्रा पार करके पूर्व तुर्किस्तान में तारिम द्रोणी के शहरों को आने वाले व्यापारिक कारवान ठहरकर खेमे लगाया करते थे। वर्तमान काल में राजनैतिक दृष्टि से यह जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग राज्य के दक्षिणपश्चिमी भाग में पड़ता है और काश्गर से तिब्बत जाने वाली सड़क के किनारे स्थित है। यह मज़ार नामक बस्ती से २५ किमी पूर्व, बाज़ार दारा से १३९ किमी पश्चिम और काराकोरम दर्रे से ११० किमी उत्तर में है।, P. L. Bhola, R.B.S.A. Publishers, 1986,...

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श्योक नदी

श्योक नदी (स्थानीय भाषा में अर्थ - मृतकों की नदी) जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में बहने वाली नदी है। यह सिन्धु नदी की सहायक है और सियाचिन हिमनद की एक उपशाखा रिमो हिमनद से निकलती है। काफ़ी दूरी तक यह लद्दाख पर्वत श्रेणी के उत्तर में सिन्धु नदी के समानांतर बहती है (सिन्धु नदी इस पर्वत श्रेणी के दक्षिण में बहती है)। नुब्रा नदी श्योक की सहायक नदी है जो नुब्रा घाटी में इससे मिलती है। श्रेणी:भारत की नदियाँ.

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शीना भाषा

शीना एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान-नियंत्रित गिलगित-बल्तिस्तान और भारत के लद्दाख़ और कश्मीर क्षेत्रों में बोली जाती है। जिन पाकिस्तान-नियंत्रित वादियों में यह बोली जाती है उनमें अस्तोर, चिलास, दरेल, तंगीर, गिलगित, ग़िज़र और बल्तिस्तान और कोहिस्तान के कुछ हिस्से शामिल हैं। जिन भारत-नियंत्रित वादियों में यह बोली जाती हैं उनमें गुरेज़, द्रास, करगिल और लद्दाख़ के कुछ पश्चिमी हिस्से शामिल हैं। अंदाजा लगाया जाता है के १९८१ में इसे कुल मिलकर क़रीब ३,२१,००० लोग बोलते थे। शीना एक सुरभेदी भाषा है जिसमे दो सुर हैं - उठता हुआ और समतल (यानि बिना किसी बदलाव वाला)। .

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सनम रे

"सनम रे" एक हिन्दी भाषी बोलीउड फिल्म हो। यो फिल्म मा पुलकित सम्राट यामी गौतम र् उर्वशी रौटेला मुख्य किरदार मा छन्। .

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सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम

सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम भारतीय संसद द्वारा 11 सितंबर 1958 में पारित किया गया था। अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड के ‘अशांत इलाकों’ में तैनात सैन्‍य बलों को शुरू में इस कानून के तहत विशेष अधिकार हासिल थे। कश्मीर घाटी में आतंकवादी घटनाओं में बढोतरी होने के बाद जुलाई 1990 में यह कानून सशस्त्र बल (जम्मू एवं कश्मीर) विशेष शक्तियां अधिनियम, 1990 के रूप में जम्मू कश्मीर में भी लागू किया गया। हालांकि राज्‍य के लदाख इलाके को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया। .

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ससेर मुज़ताग़

ससेर मुज़ताग़ (Saser Muztagh) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित एक पर्वतमाला है, जो महान काराकोरम पर्वतमाला की पूर्वतम उपश्रेणी है। दक्षिण, पूर्व और पूर्वोत्तर में इसे श्योक नदी घेरती है जो श्रेणी के दक्षिणपूर्व कोने में मोड़ लेती है। पश्चिम में नुब्रा नदी इसे कैलाश श्रेणी से अलग करती है। ससेर ला नामक पहाड़ी दर्रा इसे उत्तर के रिमो मुज़ताग़ नामक श्रेणी से अलग करता है। .

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ससेर कांगरी

ससेर कांगरी (Saser Kangri) काराकोरम पर्वतमाला की ससेर मुज़ताग़ नामक उपश्रेणी के एक पुंजक का नाम है। इसमें कई पर्वत आते हैं जिनमें से ससेर कांगरी १ सबसे ऊँचा है। यह सब भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित हैं। .

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सिन्धु नदी

पाकिस्तान में बहती सिन्घु सिन्धु नदी (Indus River) एशिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है। यह पाकिस्तान, भारत (जम्मू और कश्मीर) और चीन (पश्चिमी तिब्बत) के माध्यम से बहती है। सिन्धु नदी का उद्गम स्थल, तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब नामक जलधारा माना जाता है। इस नदी की लंबाई प्रायः 2880 किलोमीटर है। यहां से यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है। नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूम कर यह दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है और फिर जाकर अरब सागर में मिलती है। इस नदी का ज्यादातर अंश पाकिस्तान में प्रवाहित होता है। यह पाकिस्तान की सबसे लंबी नदी और राष्ट्रीय नदी है। सिंधु की पांच उपनदियां हैं। इनके नाम हैं: वितस्ता, चन्द्रभागा, ईरावती, विपासा एंव शतद्रु.

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सियाचिन हिमनद

सियाचिन हिमानी या सियाचिन ग्लेशियर हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग स्थित एक हिमानी (ग्लेशियर) है। यह काराकोरम की पांच बड़े हिमानियों में सबसे बड़ा और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर (ताजिकिस्तान की फ़ेदचेन्को हिमानी के बाद) विश्व की दूसरी सबसे बड़ा हिमानी है। समुद्रतल से इसकी ऊँचाई इसके स्रोत इंदिरा कोल पर लगभग 5,753 मीटर और अंतिम छोर पर 3,620 मीटर है। सियाचिन हिमानी पर 1984 से भारत का नियंत्रण रहा है और भारत इसे अपने जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ खण्ड के लेह ज़िले के अधीन प्रशासित करता है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र से भारत का नियंत्रण अन्त करने के कई विफल प्रयत्न करे हैं और वर्तमानकाल में भी सियाचिन विवाद जारी रहा है। .

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सिख धर्म का इतिहास

सिख धर्म का इतिहास प्रथम सिख गुरु, गुरु नानक के द्वारा पन्द्रहवीं सदी में दक्षिण एशिया के पंजाब क्षेत्र में आग़ाज़ हुआ। इसकी धार्मिक परम्पराओं को गुरु गोबिन्द सिंह ने 30 मार्च 1699 के दिन अंतिम रूप दिया। विभिन्न जातियों के लोग ने सिख गुरुओं से दीक्षा ग्रहणकर ख़ालसा पन्थ को सजाया। पाँच प्यारों ने फिर गुरु गोबिन्द सिंह को अमृत देकर ख़ालसे में शामिल कर लिया। इस ऐतिहासिक घटना ने सिख धर्म के तक़रीबन 300 साल इतिहास को तरतीब किया। सिख धर्म का इतिहास, पंजाब का इतिहास और दक्षिण एशिया (मौजूदा पाकिस्तान और भारत) के 16वीं सदी के सामाजिक-राजनैतिक महौल से बहुत मिलता-जुलता है। दक्षिण एशिया पर मुग़लिया सल्तनत के दौरान (1556-1707), लोगों के मानवाधिकार की हिफ़ाज़ात हेतु सिखों के संघर्ष उस समय की हकूमत से थी, इस कारण से सिख गुरुओं ने मुस्लिम मुगलों के हाथो बलिदान दिया। इस क्रम के दौरान, मुग़लों के ख़िलाफ़ सिखों का फ़ौजीकरण हुआ। सिख मिसलों के अधीन 'सिख राज' स्थापित हुआ और महाराजा रणजीत सिंह के हकूमत के अधीन सिख साम्राज्य, जो एक ताक़तवर साम्राज्य होने के बावजूद इसाइयों, मुसलमानों और हिन्दुओं के लिए धार्मिक तौर पर सहनशील और धर्म निरपेक्ष था। आम तौर पर सिख साम्राज्य की स्थापना सिख धर्म के राजनैतिक तल का शिखर माना जाता है, इस समय पर ही सिख साम्राज्य में कश्मीर, लद्दाख़ और पेशावर शामिल हुए थे। हरी सिंह नलवा, ख़ालसा फ़ौज का मुख्य जनरल था जिसने ख़ालसा पन्थ का नेतृत्व करते हुए ख़ैबर पख़्तूनख़्वा से पार दर्र-ए-ख़ैबर पर फ़तह हासिल करके सिख साम्राज्य की सरहद का विस्तार किया। धर्म निरपेक्ष सिख साम्राज्य के प्रबन्ध के दौरान फ़ौजी, आर्थिक और सरकारी सुधार हुए थे। 1947 में पंजाब का बँटवारा की तरफ़ बढ़ रहे महीनों के दौरान, पंजाब में सिखों और मुसलमानों के दरम्यान तनाव वाला माहौल था, जिसने पश्चिम पंजाब के सिखों और हिन्दुओं और दूसरी ओर पूर्व पंजाब के मुसलमानों का प्रवास संघर्षमय बनाया। .

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सक्ती, लेह

सक्ती (Sakti) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के लेह ज़िले की लेह तहसील में स्थित एक गाँव है। लद्दाख़ में तिब्बती बौद्ध धर्म के न्यिंगमा सम्प्रदाय का इकलौता मठ, तकथोक मठ, यहीं स्थित है। .

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सुम्गल

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में लद्दाख़ का सुम्गल बस्ती, ख़ोतान क्षेत्र की पूषा बस्ती और उन्हें जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा (लाल रंग में) देखा जा सकता है सन् १९११ में बनाए भारतीय भौगोलिक निरीक्षण में ओरल स्टाइन द्वारा बनाये गए इस नक़्शे में सुम्गल और हिन्दूताश दवान देखे जा सकते हैं सुम्गल लद्दाख़ के अक्साई चीन क्षेत्र में काराकाश नदी की वादी में स्थित एक उजड़ी हुई बस्ती है। यह उस क्षेत्र में पड़ता है जिसे भारत अपना अंग मानता है लेकिन जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है। चीन ने इसे शिनजियांग प्रान्त का हिस्सा घोषित कर दिया है। लद्दाख़ क्षेत्र के सुम्गल से लगभग उत्तर में हिन्दूताश दर्रा है जिस से कुनलुन पर्वत शृंखला पार करके ऐतिहासिक ख़ोतान क्षेत्र पहुँचा जा सकता है, इसलिए सुम्गल भारत की मुख्यभूमि को ख़ोतान राज्य से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मार्ग पर एक अहम पड़ाव हुआ करता था। .

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सुहागा

बोरेक्स का क्रिस्टल सुहागा (Na2B4O7·10H2O; संस्कृत: सुभग; अंग्रेजी: Borax) टांकण (बोरॉन) का एक यौगिक, खनिज तथा बोरिक अम्ल का लवण है। इसे 'क्षारातु बोरेट', 'सोडियम टेट्राबोरेट', या 'डाईसोडियम टेट्राबोरेट' भी कहते हैं। प्राय: यह मुलायम सफेद पाउडर के रूप में मिलता है जो पानी में आसानी से घुल जाता है। सुहागा तिब्बत, लद्दाख और कश्मीर में बहुत मिलता है। .

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स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास

कोई विवरण नहीं।

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स्कर्दू ज़िला

स्कर्दू ज़िला​ पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र का एक ज़िला है। इसकी राजधानी स्कर्दू नामक शहर ही है, जो बलतिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। दक्षिण में इस ज़िले की सीमाएँ भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के करगिल ज़िले से लगती हैं। उत्तर में इसकी सरहद शक्सगाम वादी से लगती हैं जिसे भारत अपना भाग मानता है लेकिन जिसे पाकिस्तान ने चीन के नियंत्रण में दे दिया है - चीन इस शिनजियांग प्रान्त का भाग मानकर प्रशासित करता है। .

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सेरिंग लैंडौल

सेरिंग लैंडौल एक भारतीय स्त्री रोग विशेषज्ञ और उत्तरी भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर लद्दाख क्षेत्र में महिलाओं के स्वास्थ्य के अग्रदूतों में से एक हैं। वह सोनम नोरबू मेमोरियल सरकारी अस्पताल, लेह में कार्य करता हैं और अन्य शैक्षिक संस्थानों के साथ भी जुडी हैं। भारत सरकार ने उन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से वर्ष 2006 में चिकित्सा  में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। वह यह पुरस्कार पाने वाली जम्मू और कश्मीर की कुछ महिला प्राप्तकर्ताओं में से एक हैं और लद्दाख से यह सम्मान पाने वाली पहली महिला चिकित्सक हैं।  .

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सो मोरिरी संरक्षित आर्द्रभूमि

सो मोरिरी अथवा मोरिरी झील, भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में, लद्दाख क्षेत्र में चांगथंग पठार पर स्थित एक प्राकृतिक झील है। यह झील की ऊंचाई पर स्थित है। यह भारत की अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित झीलों में सबसे बड़ी है और अपनी जैवभूगोलिक विशेषताओं के कारण वर्तमान में रामसर स्थल के रूप में संरक्षित क्षेत्र है।http://www.wwfindia.org/about_wwf/what_we_do/freshwater_wetlands/our_work/ramsar_sites/tsomoriri.cfm Tso Moriri झील से पानी का निकास न होने के कारण यह एक खारे पानी की झील है और इसके जलागम का मुख्य स्रोत पहाड़ों पर कि पिघलने वाली बर्फ़ है। कुछ लोग इसे अवशिष्ट झील (remnant lake) भी मानते हैं और इसके खारे जल को पुरा कालीन टीथीज सागर का अवशेष बतलाते हैं Report of the Task Force On the Mountain Ecosystems, Environment and Forest Sector, for Eleventh Five Year Plan 2007–2012 (From web archive) .

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सोनमर्ग

सोनमर्ग या सोनामर्ग भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के गान्दरबल ज़िले में ३,००० मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक पर्वतीय पर्यटक स्थल है। यह सिन्द नाले (सिन्धु नदी से भिन्न) नामक नदी की घाटी में है। सोनमर्ग से आगे ऊँचे पर्वत हैं और कई प्रसिद्ध हिमानियाँ (ग्लेशियर) स्थित हैं और यहाँ से पूर्व लद्दाख़ का रास्ता निकलता है।, S.A. Qazi, pp.

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सोवा रिग्पा

सोवा रिग्पा (तिब्बती: བོད་ཀྱི་གསོ་བ་རིག་པ་, Wylie: Ggso ba rig pa) तिब्बत सहित हिमालयी क्षेत्रों में प्रचलित प्राचीन उपचार पद्धति है। भारत के हिमालयी क्षेत्र में 'तिब्बती' या 'आमचि' के नाम से जानी जाने वाली सोवा-रिग्पा विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। भारत में इस पद्धति का प्रयोग जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र, लाहौल-स्पीति (हिमाचल प्रदेश), सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश तथा दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) में किया जाता है। सोवा-रिग्पा के सिद्धांत और प्रयोग आयुर्वेद की तरह ही हैं और इसमें पारंपरिक चीनी चिकित्साविज्ञान के कुछ सिद्धांत भी शामिल हैं। सोवा रिग्पा के चिकित्सक देख कर, छू कर एवं प्रश्न पूछकर इलाज करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह पद्धति भगवान बुद्ध द्वारा 2500 वर्ष पहले प्रारंभ की गई थी। बाद में प्रसिद्ध भारतीय विद्वानों जैसे जीवक, नागार्जुन, वाग्भट्ट एवं चंद्रानंदन ने इसे आगे बढ़ाया। इसका इति‍हास 2500 वर्षों से अधि‍क का रहा है। सोवा-रि‍गपा प्रणाली यद्यपि बहुत प्राचीन है किन्तु हाल ही में मान्‍यता प्रदान की गई है। यह प्रणाली अस्‍थमा, ब्रोंकि‍टि‍स, अर्थराइटि‍स जैसी पुराने रोगों के लि‍ए प्रभावशाली मानी गई है। सोवा-रि‍गपा का मूल सि‍द्धांत निम्नलिखित है.

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हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची

हिन्द-आर्य भाषाओं में लगभग २१० (एसआईएल अनुमान) भाषाएँ और बोलियाँ आती हैं जो एशिया में बहुत से लोगों द्वारा बोली जाती हैं; यह भाषा परिवार हिंद-इरानी भाषा परिवार का भाग है। .

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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हिन्दूताश दर्रा

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में कंगशेवार​ बस्ती को पूषा बस्ती से जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा दर्शाया गया है सन् १८७३ के इस नक्शे में हिन्दूताग़ दर्रा दिखाया गया है हिन्दूताश दर्रा (अंग्रेजी: Hindutash Pass) या हिन्दूताग़​ दर्रा मध्य एशिया में चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग क्षेत्र में स्थित कुनलुन पर्वतों का एक ऐतिहासिक पहाड़ी दर्रा है। यह काराकाश नदी की घाटी में स्थित कंगशेवार​ नामक एक उजड़ी हुई बस्ती को योरुंगकाश नदी की घाटी में स्थित पूषा नामक शहर से जोड़ता है और आगे चलकर यही सड़क महत्वपूर्ण ख़ोतान तक जाती है।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, B. Blom, 1968,...

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हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश (अंग्रेज़ी: Himachal Pradesh, उच्चारण) उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। यह 21,629 मील² (56019 किमी²) से अधिक क्षेत्र में फ़ैला है तथा उत्तर में जम्मू कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में पंजाब (भारत), दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखण्ड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है। हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ "बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत" है। हिमाचल प्रदेश को "देव भूमि" भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में आर्यों का प्रभाव ऋग्वेद से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ में आ गया। सन 1857 तक यह महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य (पंजाब हिल्स के सीबा राज्य को छोड़कर) का हिस्सा था। सन 1950 मे इसे केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन 1971 मे इसे, हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971 के अन्तर्गत इसे 25 january 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया। हिमाचल प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक है । बारहमासी नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को पनबिजली बेचता है जिनमे प्रमुख हैं दिल्ली, पंजाब (भारत) और राजस्थान। राज्य की अर्थव्यवस्था तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करती है जो हैं, पनबिजली, पर्यटन और कृषि। हिंदु राज्य की जनसंख्या का 95% हैं और प्रमुख समुदायों मे ब्राह्मण, राजपूत, घिर्थ (चौधरी), गद्दी, कन्नेत, राठी और कोली शामिल हैं। ट्रान्सपरेन्सी इंटरनैशनल के 2005 के सर्वेक्षण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश देश में केरल के बाद दूसरी सबसे कम भ्रष्ट राज्य है। .

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हिमाचल प्रदेश का भूगोल

हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी का हिस्सा है। शिवालिक पर्वत श्रेणी से ही घग्गर नदी निकलती है। राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में सतलुज और व्यास शामिल है। हिमाचल हिमालय का सुदूर उत्तरी भाग लद्दाख के ठंडे मरुस्थल का विस्तार है और लाहौल एवं स्पिति जिले के स्पिति उपमंडल में है। हिमालय की तीनों मुख्य पर्वत श्रंखलाएँ, बृहत हिमालय, लघु हिमालय; जिन्हें हिमाचल में धौलाधार और उत्तरांचल में नागतीभा कहा जाता है और उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली शिवालिक श्रेणी, इस हिमालय खंड में स्थित हैं। लघु हिमालय में 1000 से 2000 मीटर ऊँचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रहे हैं। हिमाचल का शब्दिक अर्थ है ‘बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच स्थित भूमि’ पश्चिमी हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल प्रदेश में प्रवेश के लिए विभिन्न रास्ते अपनाए जाते हैं, जिनमें या तो हम प्रवेश कर सकते हैं पंजाब के मैदानों से, या शिवालिक पहाडि़यों से, या शिमला की पहाडि़यों से, जो ढकी हुई हैं। लहलहाते हरे-भरे चील के वनों से। यह अदभुत भूमि प्रत्येक आगन्तुक को अपनी ओर आकर्षित करती है। हिमाचल प्रेदश की भौगोलिक स्थिति है 330, 22 से 330 12 उत्तरी अक्षांश तथा 750, 47 से 790, 4 पूर्वी देशांतर। इसकी पूर्वी दिशा में स्थित है तिब्बत देश, उत्तर में जम्मू तथा कश्मीर, दक्षिण पूर्व में उत्तराचंल, दक्षिण में हरियाणा एवं पश्चिम में पंजाब प्रदेश। हिमाचल प्रदेश की सारी भूमि पहाडि़यों एवं ऊंची चाटियों से भरी हुई है। इन चोटियों की समुद्र तल से ऊंचाई 350 मीटर से सात हजार के बीच में पाई जाती है। प्राकृतिक संरचना के अनुसार हिमाचल के भू-क्षेत्र को चार भागों में बांटा जा सकता है।.

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हिस्पर हिमनद

हिस्पर हिमनद हिमालय पर्वत तंत्र के काराकोरम श्रेणी में स्थित 61 कि॰मी॰ लम्बा हिमनद है। वर्तमान में यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का हिस्सा है और लद्दाख के बालिस्तान क्षेत्र में आता है। वस्तुतः ये इलाका एक शीत मरुस्थल है। इसके सहायक के रूप में उत्तरी ढालों से उतरने वाले घाटी हिमनद हारामोश मैसिफ से आते हैं और दक्षिणी ढालों से उतरने वाले कान्जुत सर मैसिफ से। यह बियाफो हिमनद से हिस्पर ला दर्रे के समीप ५,१२८ मी॰ की ऊँचाई पर मिलता है और दोनों संयुक्त रूप से विश्व का सबसे बड़ा (गैर-ध्रुवीय) हिमनद तंत्र बनाते हैं। यह हिमनद दो प्राचीन पर्वतीय राज्यों नागर और बालिस्तान को जोड़ता है। हिस्पर हिमनद के अगल-बगल पर्वतीय ढालों की तीव्रता और इसके पार्श्व मोरेनों के गोलाश्मों की प्रकृति ऐसी है जो यहाँ ट्रेकिंग को ख़ासा मुश्किल बनाती है। इसके चार सहायक हिमनदों को पार करना सबसे मुश्किल और खतरनाक काम होता है। हिस्पर नदी जो हुंजा नदी की सहायक है इसी हिमनद के पिघलने से उत्पन्न जल से निकलती है। हिस्पर तक लद्दाख के स्कार्डू से होकर पहुँचा जा सकता है। .

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जम्मू

जम्मू (جموں, पंजाबी: ਜੰਮੂ), भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू एवं कश्मीर में तीन में से एक प्रशासनिक खण्ड है। यह क्षेत्र अपने आप में एक राज्य नहीं वरन जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक भाग है। क्षेत्र के प्रमुख जिलों में डोडा, कठुआ, उधमपुर, राजौरी, रामबन, रियासी, सांबा, किश्तवार एवं पुंछ आते हैं। क्षेत्र की अधिकांश भूमि पहाड़ी या पथरीली है। इसमें ही पीर पंजाल रेंज भी आता है जो कश्मीर घाटी को वृहत हिमालय से पूर्वी जिलों डोडा और किश्तवार में पृथक करता है। यहाम की प्रधान नदी चेनाब (चंद्रभागा) है। जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को "मन्दिरों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है। .

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जम्मू (बहुविकल्पी)

कोई विवरण नहीं।

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जम्मू और कश्मीर

जम्मू और कश्मीर भारत के सबसे उत्तर में स्थित राज्य है। पाकिस्तान इसके उत्तरी इलाके ("पाक अधिकृत कश्मीर") या तथाकथित "आज़ाद कश्मीर" के हिस्सों पर क़ाबिज़ है, जबकि चीन ने अक्साई चिन पर कब्ज़ा किया हुआ है। भारत इन कब्ज़ों को अवैध मानता है जबकि पाकिस्तान भारतीय जम्मू और कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मानता है। राज्य की आधिकारिक भाषा उर्दू है। जम्मू नगर जम्मू प्रांत का सबसे बड़ा नगर तथा जम्मू-कश्मीर राज्य की जाड़े की राजधानी है। वहीं कश्मीर में स्थित श्रीनगर गर्मी के मौसम में राज्य की राजधानी रहती है। जम्मू और कश्मीर में जम्मू (पूंछ सहित), कश्मीर, लद्दाख, बल्तिस्तान एवं गिलगित के क्षेत्र सम्मिलित हैं। इस राज्य का पाकिस्तान अधिकृत भाग को लेकर क्षेत्रफल 2,22,236 वर्ग कि॰मी॰ एवं उसे 1,38,124 वर्ग कि॰मी॰ है। यहाँ के निवासियों अधिकांश मुसलमान हैं, किंतु उनकी रहन-सहन, रीति-रिवाज एवं संस्कृति पर हिंदू धर्म की पर्याप्त छाप है। कश्मीर के सीमांत क्षेत्र पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सिंक्यांग तथा तिब्बत से मिले हुए हैं। कश्मीर भारत का महत्वपूर्ण राज्य है। .

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जम्मू और कश्मीर का ध्वज

जम्मू और कश्मीर के ध्वज की गहरी लाल पृष्ठभूमि श्रम की परिचायक है, जिसके ऊपर बना हल कृषि को दर्शाता है। ध्वज पर बनी तीन ऊर्ध्वाधर धारियाँ, राज्य के तीन भूभागों, जम्मू, कश्मीर घाटी तथा लद्दाख का प्रतिनिधित्व करती हैं। जम्मू और कश्मीर भारत का एकमात्र राज्य है, जिसे अपना ध्वज फहराने का अधिकार प्राप्त है, क्यूँकि इस राज्य को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 अंतर्गत विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। .

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जम्मू कश्मीर के लोकसभा सदस्य

क्षेत्रचयनित सांसददल 1.

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ज़ंस्कार

ज़ंस्कार (लद्दाख़ी व तिब्बती: ཟངས་དཀར་) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के पूर्वी भाग में कर्गिल ज़िले में स्थित एक भौगोलिक व सांस्कृतिक क्षेत्र है। प्रशासनिक दृष्टि से यह एक तहसील का दर्जा रखता है और पदुम इसकी राजधानी है। यह क्षेत्र ज़ंस्कार नदी की दो शाखाओं के साथ-साथ बसा हुआ है। ज़ंस्कार क्षेत्र समीप के लद्दाख़ क्षेत्र से ज़ंस्कार पर्वतमाला द्वारा विभाजित है। यह पर्वतमाला ६००० मीटर (१९,७०० फ़ुट) की औसत ऊँचाई रखती है और इसका पूर्वी भाग एक पठार के लक्षणों वाला इलाका है जो कि रुपशु कहलाता है। ज़ंस्कार पर्वतमाला हिमाचल प्रदेश में भी जारी रहती है जहाँ यह किन्नौर क्षेत्र को स्पीति घाटी से अलग करती है। .

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ज़ंस्कार नदी

ज़ंस्कार नदी भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ खण्ड के ज़ंस्कार क्षेत्र में बहने वाली सिन्धु नदी की एक उपनदी है। .

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वारंट ऑफीसर चाको जोसफ

वारंट ऑफीसर चाको जोसफ, भारतीय वायु सेना में भारी यातायात स्क्वाड्रन, जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र में १९६१ से फ्लाइट गनर के पद पर कार्यरत रहे। वे ४४वीं स्क्वाड्रन के संग संलग्न थे। अब तक उन्होंने कुल ३५०० घंटे की उड़ान भरीं, जिनमें से लगभग १६०० घंटे लद्दाख क्षेत्र की उड़ानें रहीं। गनरी लीडर के पद के सामान्य कार्यभार के अलावा, उन्होंने कनिष्ठ गनर्स को भी प्रशिक्षण दिया, साथ ही उन्हें इकाई की प्रचालन भूमिका से भी अवगत कराया। .

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खपलू

खपलू (बलती: ཁལུ, अंग्रेज़ी: Khaplu), जिसे कभी-कभी खपालू भी कहते हैं, पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के गान्चे ज़िले की प्रशासनिक राजधानी और सबसे महत्वपूर्ण वादी है। यह स्कर्दू शहर से १०३ किमी पूर्व में २५६० मीटर की ऊँचाई पर श्योक नदी के किनारे बसा हुआ है। पुराने ज़माने में यहाँ से व्यापारी मार्ग दक्षिण में लद्दाख़ को जाता था और यह ऐतिहासिक बल्तिस्तान क्षेत्र का दूसरी सबसे बड़ी रियासत हुआ करती थी।, Shridhar Kaul, H. N. Kaul, pp.

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ख़ोतान

ख़ोतान मस्जिद के सामने का नज़ारा ख़ोतान या होतान (उईग़ुर:, ख़ोतेन; चीनी: 和田, हेतियान; अंग्रेजी: Hotan या Khotan) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित एक शहर है जो ख़ोतान विभाग की राजधानी भी है। इसकी आबादी सन् २००६ में १,१४,००० अनुमानित की गई थी। ख़ोतान तारिम द्रोणी में कुनलुन पर्वतों से ठीक उत्तर में स्थित है। कुनलुन शृंखला में ख़ोतान पहुँचने के लिए तीन प्रमुख पहाड़ी दर्रे हैं - संजु दर्रा, हिन्दु-ताग़ दर्रा और इल्ची दर्रा - जिनके ज़रिये ख़ोतान हज़ारों सालों से भारत के लद्दाख़ क्षेत्र से व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध बनाए हुए था।, James Bell, A. Fullarton and co., 1831,...

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गान्चे ज़िला

गान्चे ज़िला​, जिसे घान्चे ज़िला और घान्छे ज़िला भी उच्चारित किया जाता है, पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र का एक ज़िला है। इसकी राजधानी खपलू है। गान्चे ज़िला गिलगित-बालतिस्तान का पूर्वतम ज़िला है और इसकी पूर्वी सीमा सियाचिन हिमानी से लगती है। .

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गोम्पा

लकिर दगोन पा (लद्दाख) गोम्पा या गोम्बा या गोन्पा (तिब्बती: དགོན་པ། / दगोन पा; अर्थ- 'एकान्त स्थान') तिब्बती शैली में बने एक प्रकार के बौद्ध-मठ के भवन या भवनों को कहते हैं। तिब्बत, भूटान, नेपाल और उत्तर भारत के लद्दाख़, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश क्षेत्रों में यह कई स्थानों में मिलते हैं। भिक्षुओं की सुरक्षा के लिए मज़बूत दिवारों और द्वारों से घिरे यह भवन साधना, पूजा, धार्मिक शिक्षा और भिक्षुओं के निवास के स्थान होते हैं। इनका निर्माण अक्सर एक ज्यामीतीय धार्मिक मण्डल के आधार पर होता है जिसके केन्द्र में बुद्ध की मूर्ति या उन्हें दर्शाने वाली थांका चित्रकला होती है।, Shridhar Kaul, Hriday Nath Kaul, pp.

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करज़ोक

करज़ोक या कोरज़ोक (Korzok) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के लेह ज़िले की लेह तहसील में स्थित एक गाँव है। यह रुपशू पठार पर त्सो मोरीरी (झील) के किनारे बसा हुआ है। इसकी ऊँचाई अलग स्रोतों में समुद्रतल से 15,075 फ़ुट (4,595 मीटर) से लेकर 14,995 फ़ुट (4,570 मीटर) ऊपर बताई जाती है, लेकिन किसी भी माप के अनुसार यह विश्व की उच्चतम मानव बस्तियों में से एक है। यहाँ करज़ोक मठ भी स्थित है जो द्रुकपा बौद्ध समुदाय से सम्बन्धित है। .

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कश्मीर

ये लेख कश्मीर की वादी के बारे में है। इस राज्य का लेख देखने के लिये यहाँ जायें: जम्मू और कश्मीर। एडवर्ड मॉलीनक्स द्वारा बनाया श्रीनगर का दृश्य कश्मीर (कश्मीरी: (नस्तालीक़), कॅशीर) भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र है। कश्मीर एक मुस्लिमबहुल प्रदेश है। आज ये आतंकवाद से जूझ रहा है। इसकी मुख्य भाषा कश्मीरी है। जम्मू और कश्मीर के बाक़ी दो खण्ड हैं जम्मू और लद्दाख़। .

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क़ाराक़ोरम दर्रा

क़ाराक़ोरम दर्रा काराकोरम पर्वतमाला में भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य और जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रदेश के बीच ४,६९३ मीटर (१५,३९७ फ़ुट) की ऊँचाई पर स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह लद्दाख़ के लेह शहर और तारिम द्रोणी के यारकन्द क्षेत्र के बीच के प्राचीन व्यापिरिक मार्ग का सबसे ऊँचा स्थान है। .

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काराकोरम

काराकोरम एक विशाल पर्वत श्रृंखला है जिसका विस्तार पाकिस्तान, भारत और चीन के क्रमश: गिलगित-बल्तिस्तान, लद्दाख़ और शिन्जियांग क्षेत्रों तक है। यह एशिया की विशाल पर्वतमालाओं में से एक है और हिमालय पर्वतमाला का एक हिस्सा है। काराकोरम किर्गिज़ भाषा का शब्द है जिस का मतलब है 'काली भुरभुरी मिट्टी'। विश्व के किसी भी स्थान की अपेक्षा, काराकोरम पर्वतमाला में पाँच मील से भी ऊँची सबसे अधिक चोटियों स्थित हैं (60 से ज़्यादा), जिनमें दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी के2, (8611 मी / 28251 फुट) भी शामिल है। के2 की ऊँचाई विश्व के सर्वोच्च शिखर एवरेस्ट पर्वत (8848 मी / 29029 फुट) से सिर्फ 237 मीटर (778 फीट) कम है। काराकोरम श्रृंखला का विस्तार 500 किमी (311 मील) तक है और ध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर दुनिया के सबसे अधिक हिमनद इसी इलाके में हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों से बाहर सियाचिन ग्लेशियर 70 किमी और बिआफो ग्लेशियर 63 किमी की लंबाई के साथ दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे लंबे हिमनद हैं। काराकोरम, पूर्वोत्तर में तिब्बती पठार के किनारे और उत्तर में पामीर पर्वतों से घिरा है। काराकोरम की दक्षिणी सीमा, पश्चिम से पूर्व, गिलगित, सिंधु और श्योक नदियों से बनती है, जो इसे पश्चिमोत्तर हिमालय श्रृंखला के अंतिम किनारे से अलग कर दक्षिणपश्चिम दिशा में पाकिस्तान के मैदानी इलाकों की ओर बहती हैं। काराकोरम श्रृंखला का सब से ऊंचा पहाड़ के टू .

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काश्गर

ईद गाह मस्जिद, काशगर काश्गर, कशगार, काशगुर या काशी (उईगुर:, चीनी: 喀什, फारसी) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग ३,५०,००० है। काश्गर शहर काश्गर विभाग का प्रशासनिक केंद्र है जिसका क्षेत्रफल १,६२,००० किमी² और जनसंख्या लगभग ३५ लाख है। काश्गर शहर का क्षेत्रफल १५ किमी² है और यह समुद्र तल से १,२८९.५ मीटर (४,२८२ फ़ुट) की औसत ऊँचाई पर स्थित है। यह शहर चीन के पश्चिमतम क्षेत्र में स्थित है और तरीम बेसिन और तकलामकान रेगिस्तान दोनों का भाग है, जिस वजह से इसकी जलवायु चरम शुष्क है।, S. Frederick Starr, M.E. Sharpe, 2004, ISBN 978-0-7656-1318-9 पुराकाल से ही काश्गर व्यापार तथा राजनीति का केंद्र रहा है और इसके भारत से गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं। भारत से शिनजियांग का व्यापार मार्ग लद्दाख़ के रस्ते से काश्गर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 ऐतिहासिक रेशम मार्ग की एक शाखा भी, जिसके ज़रिये मध्य पूर्व, यूरोप और पूर्वी एशिया के बीच व्यापार चलता था, काश्गर से होकर जाती थी। काश्गर अमू दरिया वादी से खोकंद, समरकंद, अलमाटी, अक्सू, और खोतान मार्गो के बीच स्थित है। .

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कोंगका दर्रा

कोंगका दर्रा या कोंगका ला भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है। यह हिमालय की छंग-चेम्नो शृंखला में स्थित है। भारत के अनुसार यह पूर्णत: भारत की भूमि पर है लेकिन चीन-द्वारा नियंत्रित अक्साई चिन क्षेत्र और लद्दाख़ के अन्य भाग के बीच में चीन-भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर होने के नाते यह इन दो देशों के नियंत्रित क्षेत्रों के बीच आता है। प्रशासनिक रूप से दर्रे-पार का क्षेत्र चीनी सरकार ने शिंजियांग प्रान्त के ख़ोतान विभाग मे विलय किया हुआ है। .

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अक्साई चिन

अक्साई चिन या अक्सेचिन (उईग़ुर:, सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 १९५० के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है। .

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अक्साई चिन झील

अक्साई चिन झील (अंग्रेज़ी: Aksai Chin Lake; चीनी: 阿克赛钦湖, Akesaiqin Hu, अकेसाईचिन हू) लद्दाख़ के अक्साई चिन क्षेत्र में स्थित एक बन्द जलसम्भर झील है। इस इलाक़े को भारत अपने जम्मू व कश्मीर राज्य का अभिन्न अंग मानता है, लेकिन इसपर चीन का नियंत्रण है जो इसे शिंजियांग प्रान्त के ख़ोतान विभाग के भाग के रूप में प्रशासित करता है। झील १५ किमी लम्बी और ६-८ किमी चौड़ी है और कुनलुन पर्वत शृंखला से दक्षिण में स्थित है। कारगिलिक (शिंजियांग) से ल्हात्से (तिब्बत) जाने वाला चीनी राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ झील से लगभग २० किमी दक्षिण से गुज़रता है। .

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१९वें कुशक बकुला रिनपोछे

१९वें कुशक बकुला रिनपोछे (19th Kushok Bakula Rinpoche; 21 मई, 1917 - 4 नवम्बर, 2003) कुशक बकुला रिनपोछे के अवतार माने जाते हैं। वे लद्दाख के सर्वाधिक प्रसिद्ध लामाओं में से एक थे। वे भारत के अन्तरराष्ट्रीय राजनयिक भी थे। उन्होने मंगोलिया एवं रूस में बौद्ध धर्म के पुनरुत्थान के लिये उल्लेखनीय योगदान दिया तथा भारत में निवास कर रहे तिब्बती शरणार्थियों से उनका सम्बन्ध स्थापित किया। १९८८ में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। २००५ में लेह विमानपत्तन का नाम उनके नाम पर बकुला रिनपोछे विमानपत्तन रखा गया। .

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२०वें कुशक बकुला रिनपोछे

२०वें कुशक बकुला रिनपोछे or Stanzin Nawang Jigmed Wangchuk, (जन्म: २३ जनवरी २००५) का जन्म लद्दाख के नुब्रा घाटी के क्यागर गाँव में हुआ था। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

लदाख, लद्दाख, लद्दाख़ ज़िला, लद्दाख़ी

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