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लखनऊ विश्वविद्यालय

सूची लखनऊ विश्वविद्यालय

लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख शैक्षिक-संस्थानों में से एक है। यह लखनऊ के समृद्ध इतिहास को तो प्रकट करता ही है नगर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से भी एक है। इसका प्राचीन भवन मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है। इसमें पढ़ने और पढाने वाले अनेक शिक्षक और विद्यार्थी देश और विदेश में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं। .

53 संबंधों: चन्द्र भानु गुप्ता, चन्द्रकुंवर बर्त्वाल, डिम्पल यादव, दिनेश शर्मा, देवेन्द्र स्वरूप, धीरेन्द्रनाथ मजूमदार, नाहीद आबिदी, नित्य प्रकाश, पंकज भदौरिया, पूरनचंद जोशी, पी. सी. शर्मा, बदरीनाथ भट्ट, बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान, भारत में विश्वविद्यालयों की सूची, भगवतशरण अग्रवाल, मंजू शर्मा, मुरलीधर दत्तात्रेय देवरस, राधा कमल मुखर्जी, रामविलास शर्मा, रामगोविन्द चौधरी, रामगोविन्‍द चौधरी, रघुराज प्रताप सिंह, रघुवीर सहाय, रवि त्रिपाठी, लखनऊ, लखनऊ की शिक्षण संस्थाएं, लक्ष्मीशंकर मिश्र, शिवपाल सिंह यादव, शंकरदयाल शर्मा, श्याम चरण गुप्ता, सुप्रिया साहू, सुमन राजे, सुमिता मिश्रा, सुरेश कुमार खन्ना, स्वाति सिंह, स्वामी चिन्मयानंद, सैयद सिब्ते रज़ी, सूर्यकुमार पाण्डेय, हनुमान सेतु मंदिर, हजारी प्रसाद द्विवेदी, जगत नारायण मुल्ला, वासुदेव शरण अग्रवाल, विनोद जौहरी, ख़ान मोहम्मद आतिफ़, गिरिजाकुमार माथुर, गुलाल, आचार्य राममूर्ति, कमर रहमान, कुँवर नारायण, अजीत सिंह (राजनीतिज्ञ), ..., अंजू शर्मा, उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश का इतिहास सूचकांक विस्तार (3 अधिक) »

चन्द्र भानु गुप्ता

चन्द्र भानु गुप्त (14 जुलाई 1902 – 11 March 1980)) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा राजनेता थे। वे 7 दिसम्बर 1960 को पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद दो बार और मुख्यमंत्री रहे। .

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चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

चन्द्र कुंवर बर्त्वाल (20 अगस्त 1919 - १९४७) हिन्दी के कवि थे। उन्होंने मात्र 28 साल की उम्र में हिंदी साहित्य को अनमोल कविताओं का समृद्ध खजाना दे दिया था। समीक्षक चंद्र कुंवर बर्त्वाल को हिंदी का 'कालिदास' मानते हैं। उनकी कविताओं में प्रकृतिप्रेम झलकता है। .

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डिम्पल यादव

डिम्पल यादव समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, विधान मण्डल दल के नेता व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव की धर्मपत्नी हैं जो कि कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गई हैं। उनके तीन बच्चे हैं-अदिति, टीना और अर्जुन। राजनीति में आने से पूर्व डिम्पल अपने परिवार के सदस्यों सहित आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामले में शामिल थीं। राजनीतिक क्षेत्र में पहला चुनाव वे हार गयीं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अन्तत: उनके पति अखिलेश यादव ने अपने द्वारा जीती गयी कन्नौज लोक सभा सीट उनके लिये खाली कर दी। डिम्पल ने इस सीट के लिये अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। मुकाबले में कांग्रेस, भाजपा और बहुजन समाज पार्टी ने उनके खिलाफ अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारा जबकि दो अन्य, दशरथ सिंह शंकवार (संयुक्त समाजवादी दल) और संजू कटियार (स्वतन्त्र उम्मीदवार) ने अपना नामांकन वापस ले लिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि 2012 का लोक सभा उप-चुनाव उन्होंने निर्विरोध जीतकर उत्तर प्रदेश में एक कीर्तिमान स्थपित किया। डिम्पल से पूर्व पुरुषोत्तम दास टंडन ने उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद पश्चिमी लोकसभा सीट सन् 1952 में एक पुरुष प्रत्याशी में रूप में निर्विरोध जीती थी। राजनीति में अपने पति का हाथ बटाने के लिये वे मुख्य मन्त्री अखिलेश यादव का ट्वीटर व फेसबुक अकाउण्ट स्वयं देखती हैं। सेलेब्रिटी सांसद बनीं डिंपल डिंपल यादव उत्तर प्रदेश में सेलेब्रिटी सांसद के रूप में भी जानी जाती हैं। हर बड़े बिजनेस घराने और संस्थान अपने कार्यक्रमों में श्रीमती यादव को आमंत्रित करने की होड़ में रहती हैं। .

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दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा एक भारतीय राजनेता हैं जो दो बार लखनऊ के महापौर (मेयर) रह चुके हैं। सम्प्रति वे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमन्त्री हैं। .

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देवेन्द्र स्वरूप

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देवेन्द्र स्वरूप (जन्म: 30 मार्च 1926 काँठ (मुरादाबाद जिला) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक, पाञ्चजन्य (पत्र) के पूर्व सम्पादक, भारतीय इतिहास तथा संस्कृति के गहन अध्येता है। 88 वर्ष की आयु में वे आज भी पूर्ण रूप से सक्रिय रहते हुए राष्ट्रवादी पत्रकारिता के लिये समर्पित हैं। जीवन में सादगी और विचारधारा से क्रान्तिकारी सोच के कारण उन्हें मीडिया में विशेष रूप से जाना जाता है। पाञ्चजन्य, मंथन और नवभारत टाइम्स में समय-समय पर विभिन्न विषयों पर लिखे गये लेखों की पुस्तक माला का लोकार्पण भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। .

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धीरेन्द्रनाथ मजूमदार

धीरेंद्रनाथ मजूमदार (1903 - 31 मई 1960) भारत के अग्रणी नृतत्ववेत्ता (Anthropologist) थे। .

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नाहीद आबिदी

नाहीद आबिदी संस्कृत भाषा की एक भारतीय विदुषी और लेखिका हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2014 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया जो कि चौथा उच्च-स्तरीय नागरिक सम्मान है। यह पुरस्कार उन्हें साहित्य के क्षेत्र में प्रदान किया था। .

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नित्य प्रकाश

नित्य प्रकाश (जन्म १९ फरवरी, १९८८) एक प्रसिद्ध भारतीय उपन्यासकार, लेखक एवं ट्रेनर हैं। इनकी अब तक कुल ७ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और दो फिल्में । इन्हे २०१६ में करम वीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। .

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पंकज भदौरिया

पंकज भदौरिया खाना बनाने के एक शो की विजेता है  जिसका नाम मास्टरशेफ इंडिया सीजन १ (२०१०) है। वह एक स्कूल में अध्यापिका थी जिन्होने अपने १६ वर्ष पुरानी नौकरी को मास्टरशेफ इंडिया के पहले सत्र में भाग लेने के लिए छोड़ दिया। उन्होंने टीवी शो जैसे 30em श्रेणी:1972 में जन्मे लोग श्रेणी:जीवित लोग श्रेणी:बावर्ची श्रेणी:पाककला श्रेणी:लखनऊ.

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पूरनचंद जोशी

पूरनचंद जोशी (जन्म: १ मार्च १९२८) भारत के एक जाने-माने समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री और हिन्दी साहित्यकार हैं। उन्होंने भारतीय समाज की समस्याओं, उसके चरित्र एवं उसकी गतिविधियों का आर्थिक दृष्टिकोण से गहन अध्ययन किया है, भारतीय समाज एवं भारतीय अर्थ-व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर प्रस्तुत किए गए उनके निष्कर्ष अत्यंत विचारपूर्ण हैं। जोशी जी की गणना हम उन गिने-चुने समाज वैज्ञानिकों में कर सकते हैं जो समाज की समस्याओं पर विचार करते समय केवल सैद्धान्तिक ज्ञान को ही आधार नहीं बनाते, वरन् व्यावहारिक अनुभव से सम्पृक्त करके अपने अध्ययनों के निष्कर्ष प्रस्तावित करते हैं। .

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पी. सी. शर्मा

डॉ० प्रकाश चन्द शर्मा (जन्म: १ जुलाई, १९६२) एक प्रशासनिक अधिकारी, लेखक एवं चिकित्सक हैं। वें स्वास्थ्य मंत्रालय के आयुष विभाग के डिप्टी डायरेक्टर हैं। आयुर्विज्ञान पर इनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। सन २००८ में धन्वंतरि सम्मान और सन २०१६ में सिंहस्थ सेवा सम्मान द्वारा सम्मानित हैं। .

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बदरीनाथ भट्ट

Badrinath Temple, Uttarakhand.jpg बदरीनाथ बदरीनाथ भट्ट (संवत् 1948 वि. की चैत्र शुक्ल तृतीया - 1 मई सन् 1934) हिन्दी के साहित्यकार, पत्रकार एवं भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। .

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बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान

बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान लखनऊ का एक पुरावनस्पतिविज्ञान पर अनुसंधान संस्थान है। यह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है। से बीरबल साहनी: संस्थापक एवं प्रथम मानित निदेशक यह ५३, विश्वविद्यालय मार्ग, लखनऊ पर स्थित है। इसका नाम इसके संस्थापक श्री बीरबल साहनी, प्रसिद्ध परावनस्पति वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है। सितंबर, १९३९ में इनको अध्यक्ष बनाकर एक पुरावनस्पतिज्ञों की समिति अनुसंधान हेतु गठित हुई थी। इसकी प्रथम रिपोर्ट १९४० एवं अंतिम रिपोर्ट १९५० में प्रकाशित हुई। ३ जून, १९५३ को आठ वैज्ञानिकों के नाम से एक न्यास की स्थापना भारतीय सोसायटी पंजीकरण धारा-२१ (१८६०) के अंतर्गत हुई। इसका उद्देश्य पुरावनस्पति विज्ञान पर प्रो॰ बीरबल साहनी एवं सावित्री साहनी के मूल शोध में एकत्रित किए गये जीवाश्म संग्रह एवं एक सन्दर्भ पुस्त्तकालय के गठन हेतु फंड जुटाना था। और अंततः इस संस्थान की स्थापना १० सितंबर, १९४६ को हुई। इसके प्रथम मानित निदेशक बीरबल साहनी को बनाया गया। सरकार ने इसके लिए ३.५ एकड़ भूमि भी आवंटित की। संस्थान की इमारत ३ अप्रैल, १९४९ को इसकी नींव प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी। हालाँकि दुर्भाग्य से बीरबल साहनी की मृत्यु १० अप्रैल, १९४९ को ही हो गयी। किंतु १९५२ के अंत तक इसकी इमारत भी बनकर तैयार हो गयी। १९५१ में यूनेस्को ने इसे अपने तकनीकी सहयोग कार्यक्रम में भी सम्मिलित कर लिया। इतिहास .

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भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

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भगवतशरण अग्रवाल

डॉ॰ भगवत शरण अग्रवाल (जन्म: २३ फ़रवरी १९३०) हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं। वे हाइकु लिखने में सिद्धहस्त हैं। वे 'हाइकु–भारती' के सम्पादक हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद के फतेहगंज पूर्वी में हुआ था। उन्होने लखनऊ विश्वविद्यालय से बी.ए., पी–एच.डी.

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मंजू शर्मा

मंजू शर्मा (जन्म १३ फरवरी १९४०) एक भारतीय जैव प्रौद्योगिकीविद् है और भारत में कई वैज्ञानिक अनुसंधान और नीति बनाने वाली संस्थाओं के व्यवस्थापक है। वह हाल ही में गांधीनगर, गुजरात में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड रिसर्च के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक है। वह भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव, बायोटेक्नोलॉजी विभाग में थे और और २००७ में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने देश में कई संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च, लखनऊ और मदुरै में बायोमास रिसर्च सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्लांट आण्विक जीवविज्ञान इकाई और डीएनए फिंगरप्रिंटिंग और डायग्नोस्टिक्स के लिए केंद्र शामिल है। .

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मुरलीधर दत्तात्रेय देवरस

मुरलीधर दत्तात्रेय देवरस उपाख्य भाऊराव देवरस (19 नवम्बर, 1917 नागपुर -- 13 मई, 1992,दिल्ली में) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेता थे। वे मधुकर दत्तात्रेय देवरस के छोटे भाई थे। 1937 में भाऊराव ने स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। अब डा. हेडगेवार ने उन्हें उत्तर प्रदेश में जाने को कहा। अतः भाऊराव ने लखनऊ वि.वि. में बी.काॅम तथा एल.एल.बी.

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राधा कमल मुखर्जी

राधा कमल मुखर्जी (7 दिसम्बर 1889 - 24 अगस्त 1968) आधुनिक भारत के प्रसिद्ध चिन्तक एवं समाजविज्ञानी थे। वे लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं समाजशास्त्र के प्राध्यापक तथा उपकुलपति रहे। उन्होने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। प्रोफेसर मुकर्जी के ही नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में सर्वप्रथम लखनऊ विश्वविद्यालय में 1921 में समाजशास्त्र का अध्ययन प्रारम्भ हुआ इसलिए वे उत्तर प्रदेश में समाजशास्त्र के प्रणेता के रूप में भी विख्यात हैं। प्रोफेसर मुकर्जी वे इतिहास के अत्यन्त मौलिक दार्शनिक थे। वे 20वीं सदी के कतिपय बहुविज्ञानी सामाजिक वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने विभिन्न विषयों- अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, परिस्थितिविज्ञान, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, साहित्य, समाजकार्य, संस्कृति, सभ्यता, कला, रहस्यवाद, संगीत, धर्मशास्त्र, अध्यात्म, आचारशास्त्र, मूल्य आदि विभिन्न अनुशासनों को अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया है। इन समस्त क्षेत्रों में प्रोफेसर मुकर्जी की अद्वितीय देन उनके द्वारा प्रणयित 50 अमर कृतियों में स्पष्टतः दृष्टिगोचर होती है। भारत सरकार द्वारा उन्हें सन १९६२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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रामविलास शर्मा

डॉ॰ रामविलास शर्मा (१० अक्टूबर, १९१२- ३० मई, २०००) आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे। व्यवसाय से अंग्रेजी के प्रोफेसर, दिल से हिन्दी के प्रकांड पंडित और महान विचारक, ऋग्वेद और मार्क्स के अध्येता, कवि, आलोचक, इतिहासवेत्ता, भाषाविद, राजनीति-विशारद ये सब विशेषण उन पर समान रूप से लागू होते हैं। .

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रामगोविन्द चौधरी

राम गोविन्द चौधरी उत्तर प्रदेश के प्रख्यात समाजवादी नेता व २०१७ से उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। वह उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में पिछली समाजवादी पार्टी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री तथा बाल विकास व पोषण मंत्री रह चुके हैं। वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा के बांसडीह निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। उनका जन्म बलिया में हुआ था तथा वे जयप्रकाश नारायण तथा पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के साथ कार्य कर चुके हैं। वह समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव के करीबी भी हैं। .

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रामगोविन्‍द चौधरी

रामगोविन्‍द चौधरी,भारत के उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे। 2017 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की बांसडीह विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-362)से चुनाव जीता। जन्म- रामगोविन्द चौधरी जी का जन्म 9 जुुुलाई 1953 को उत्तर प्रदेश के बलिया मेे एक सामान्य परिवार मे हुआ शिक्षा- राम गोविंद चौधरी जी स्नातक की पढाई के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से एल एल बी की पढाई पूरी की और वकालत करने लगे। राजनीतिक जीवन- रामगोविन्द चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की  1971-72 मे बलिया के मुरली मनोहर टाउन महाविद्यालय से पढाई के दौरान महामंत्री और बाद मे अध्यक्ष चुने गये  पहली बार वह 1977 मे चिलकहर विधानसभा सीट जीतकर आये  रामगोविन्द चौधरी को उनके बागी स्वाभाव एवं ईमानदारी के लिए जाना जाता है। 2002 मे हुए साइकिल पर हुए सवार - लम्बे समय तक सियासी पारी आगे बढाने के लिए 2002 मे मुलायम सिंह यादव का दामन थामा और अब नेता प्रतिपक्ष विधानसभा है।   .

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रघुराज प्रताप सिंह

कुँवर रघुराज प्रताप सिंह (जन्मः 31 अक्टूबर 1967, पश्चिम बंगाल) एक सुप्रसिद्ध भारतीय राजनेता है, जो राजा भैया के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। सन 1993 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला के विधान सभा क्षेत्र कुंडा से निर्दलीय विधायक निर्वाचित किए जाते हैं। विधानसभा चुनाव 2012 में भी भारी मतों से जीतकर विधानसभा सदस्य हैं। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश के कैबिनेट में खाद्य आपूर्ति मंत्री हैं। .

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रघुवीर सहाय

रघुवीर सहाय रघुवीर सहाय (९ दिसम्बर १९२९ - ३० दिसम्बर १९९०) हिन्दी के साहित्यकार व पत्रकार थे। रघुवीर सहाय का जन्म लखनऊ में हुआ था। अंग्रेज़ी साहित्य में एम ए (१९५१) लखनऊ विश्वविद्यालय। साहित्य सृजन १९४६ से। पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक नवजीवन (लखनऊ) से १९४९ में। १९५१ के आरंभ तक उपसंपादक और सांस्कृतिक संवाददाता। इसी वर्ष दिल्ली आए। यहाँ प्रतीक के सहायक संपादक (१९५१-५२), आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपसंपादक (१९५३-५७)। १९५५ में विमलेश्वरी सहाय से विवाह। दूसरा सप्तक, सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो हँसो जल्दी हँसो (कविता संग्रह), रास्ता इधर से है (कहानी संग्रह), दिल्ली मेरा परदेश और लिखने का कारण (निबंध संग्रह) उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। इसके अलावा 'बारह हंगरी कहानियाँ', विवेकानंद (रोमां रोला), 'जेको', (युगोस्लावी उपन्यास, ले० येर्ज़ी आन्द्र्ज़ेएव्स्की, 'राख़ और हीरे'(पोलिश उपन्यास,ले० येर्ज़ी आन्द्र्ज़ेएव्स्की) तथा 'वरनम वन'(मैकबेथ, शेक्सपियर) शीर्षक से हिन्दी भाषांतर भी समय-समय पर प्रकाशित हुए हैं। रघुवीर सहाय समकालीन हिन्दी कविता के महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं। उनके साहित्य में पत्रकारिता का और उनकी पत्रकारिता पर साहित्य का गहरा असर रहा है। उनकी कविताएँ आज़ादी के बाद विशेष रूप से सन् ’60 के बाद के भारत की तस्वीर को समग्रता में पेश करती हैं। उनकी कविताएँ नए मानव संबंधों की खोज करना चाहती हैं जिसमें गैर बराबरी, अन्याय और गुलामी न हो। उनकी समूची काव्य-यात्रा का केंद्रीय लक्ष्य ऐसी जनतांत्रिक व्यवस्था की निर्मिति है जिसमें शोषण, अन्याय, हत्या, आत्महत्या, विषमता, दासता, राजनीतिक संप्रभुता, जाति-धर्म में बँटे समाज के लिए कोई जगह न हो। जिन आशाओं और सपनों से आज़ादी की लड़ाई लड़ी गई थी उन्हें साकार करने में जो बाधाएँ आ रही हों, उनका निरंतर विरोध करना उनका रचनात्मक लक्ष्य रहा है। वे जीवन के अंतिम पायदान पर खड़े होकर अपनी जिजीविषा का कारण ‘अपनी संतानों को कुत्ते की मौत मरने से बचाने’ की बात कहकर अपनी प्रतिबद्धता को मरते दम तक बनाए रखते हैं। .

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रवि त्रिपाठी

रवि त्रिपाठी/रवि के त्रिपाठी (जन्म ४ फरवरी, १९७८) एक प्रख्यात भारतीय पार्श्वगायक, संगीतकार, संगीत निर्देशक, अभिनेता व टेलीविजन मेज़बान हैं। इन्हें सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के रियालिटी शो इंडियन आइडल (सीजन २) से ख्याति मिली। उन्होंनें दूरदर्शन के क्लोज-अप-परफॉर्मर जैसे कार्यक्रम की मेज़बानी की हैं। .

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लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

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लखनऊ की शिक्षण संस्थाएं

लखनऊ के शिक्षण संस्थान- .

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लक्ष्मीशंकर मिश्र

डॉ लक्ष्मीशंकर मिश्र 'निशंक' (21 अक्टूबर 1918 - ३० दिसम्बर २०११) हिन्दी के साहित्यकार थे। वे 'साहित्य भूषण' के साथ ही हिन्दी संस्थान का 'भारत भारती' जैसे सर्वोच्च सम्मानों से सम्मानित थे। .

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शिवपाल सिंह यादव

शिवपाल सिंह यादव (जन्म: 6 अप्रैल 1955, सैफई, इटावा जिला) भारत के एक राजनेता हैं। सन् 1955 को बसंत पंचमी के पावन दिन में पिता सुघर सिंह तथा माता मूर्ति देवी के कनिष्ठ पुत्र के रूप में जन्मे शिवपाल सिंह यादव को मानवता के प्रति उदात्त भाव विरासत में मिला। उन्होंने जनसंघर्षों में भाग लेना और नेतृत्व करना अपने नेता व अग्रज मुलायम सिंह यादव जी से सीखा। इनके पिता स्वर्गीय सुधर सिंह अत्यंत सरल हृदय एवं कर्मठ किसान थे एवं माता स्वर्गीय श्रीमती मूर्ती देवी एक कुशल गृहणी थी। वे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं। मार्च 2017 में सम्पन्न हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में वे इटावा जिले के जसवन्तनगर विधान सभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये। ये मायावती सरकार के कार्यकाल में 5 मार्च 2012 तक प्रतिपक्ष के नेता भी रहे। शिक्षा: शिवपाल सिंह यादव ने गांव की प्राथमिक पाठशाला से पूर्व माध्यमिक शिक्षा उत्तम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके पश्चात् हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की शिक्षा के लिए जैन इण्टर काॅलेज, करहल, मैनपुरी में प्रवेश लिया। जहाँ से उन्होंने सन् 1972 में हाईस्कूल तथा सन् 1974 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई सन् 1976 में के०के०डिग्री कालेज इटावा (कानपुर विश्वविद्यालय) तथा सन् 1977 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी०पी०एड० शिक्षा प्राप्त की। परिवार: शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23-मई-1981 को हुआ। इनकी पत्नी का नाम सरला यादव है। शिवपाल सिंह यादव की एक पुत्री डाॅ० अनुभा यादव तथा एक पुत्र आदित्य यादव है। जीवन: सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में वे बाल्यकाल से ही सक्रिय रहे। क्षेत्र में घूम-घूमकर मरीजों को अस्पताल पहुँचाना, थाना-कचहरी में गरीबों को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करना व सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेना उनका प्रिय शगल था। वे नेताजी के चुनावों में पर्चें बाँटने से लेकर बूथ-समन्वयक तक की जिम्मेदारी उठाते रहे। मधु लिमये, बाबू कपिलदेव, चौधरी चरण सिंह, जनेश्वर मिश्र जी जैसे बड़े नेताओं के आगमन पर उनकी सभा करवाने की भी जिम्मेदारी भी शिवपाल जी के ही कंधे पर होती थी। वे 1988 से 1991 और पुनः 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गये। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला। तेरहवीं विधानसभा में वे जसवन्तनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। इसी वर्ष वे समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव बनाये गये। उन्होंने संगठन को मजबूत बनाने के लिए अनिर्वचनीय मेहनत की। पूरे उत्तर प्रदेश को कदमों से नाप दिया। उनकी लोकप्रियता और स्वीकारिता बढ़ती चली गयी। प्रमुख महासचिव के रूप में उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को नया आयाम दिया। प्रदेश अध्यक्ष रामशरण दास जी की अस्वस्थता को देखते हुए 01 नवम्बर, 2007 को मेरठ अधिवेशन में शिवपाल जी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। रामशरण दास जी के महाप्रयाण के पश्चात् 6 जनवरी, 2009 को वे पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बने। शिवपाल जी ने सपा को और अधिक प्रखर बनाया। नेताजी और जनेश्वर जी के मार्गदर्शन और उनकी अगुवाई में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित हुई। वे मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विरोधी दल की भूमिका दी गई। बसपा की बहुमत की सरकार के समक्ष नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी तलवार की धार पर चलने जैसा था। उन्होंने इस दायित्व को संभाला और विपक्ष तथा आम जनता के प्रतिकार के स्वर को ऊँचा रखा। वरिष्ठ नेता आजम खान की वापसी के दिन उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने में एक पल का भी विलम्ब नहीं किया, जो दर्शाता है कि उन्हें पद से अधिक सिद्धान्त और दलहित प्रिय है। बाढ़-सूखा, भूकम्प जैसी आपदाओं में जाकर मदद करने वालों में शिवपाल आगे खड़े रहते हैं। उन्होंने कई बार गिरफ्तारी दी, पुलिसिया उत्पीड़न को झेला, आम कार्यकर्ताओं के रक्षा कवच बने। यही कारण है कि सोलहवीं विधानसभा में समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान पर साठ फीसदी से अधिक मतों से जीतने वाले एक मात्र विधायक हैं। उन्होंने समय-समय पर कभी डा0 लोहिया, कभी अशफाक उल्ला खान, कभी चन्द्रशेखर आजाद तो कभी मधु लिमये की जयन्ती और अन्य अवसरों पर लेख लिखकर, छोटी-छोटी पुस्तकें प्रकाशित कर बँटवाकर नई पीढ़ी को गौरवमयी इतिहास से अवगत कराने का कार्य किया है। उनके अब तक दर्जनों लेख दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, जनाग्रह (बंगलुरू), डेली न्यूज एक्टिविस्ट, जन संदेश, कैनविज टाइम्स समेत कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने डा0 लोहिया के कई ऐतिहासिक उद्बोधनों यथा ’’द्रौपदी व सावित्री’’ दो कटघरे आदि को प्रकाशित कर बँटवाया और समाजवादी पार्टी में पढ़ने-लिखने की परम्परा को प्रोत्साहन दिया। वे साहित्यकारों का काफी सम्मान करते हैं। गोपालदास ’’नीरज’’ उदय प्रताप सिंह जैसे साहित्यकार व कवि उन्हें काफी स्नेह करते हैं, जिससे उनकी साहित्यिक अभिरूचि का पता चलता है। विपक्ष के दौरान उन्होंने जन संघर्षों व सामूहिक प्रतिकार के प्रत्येक रण में सेनानी की भूमिका निभाई। कई बार जेल गये, आन्दोलनों में चोटिल हुए पर जब भी आन्दोलन की घोषणा होती, शिवपाल सिंह यादव प्रथम पंक्ति में खड़े दिखते। समाजवादी पार्टी की 2012 में पुनः सरकार बनने के बाद उन्हें लोक निर्माण, सिंचाई, सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी, इन विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कई बड़े अधिकारियों व अभियन्ताओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की, एक अखबार ने उन्हें ’’कार्यवाही मिनिस्टर’’ तक की संज्ञा दे दी। उनका इतिहास समाजवादी पार्टी का इतिहास है, जन-संघर्षों व सक्रिय करूणा का जीवन-दर्शन है। .

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शंकरदयाल शर्मा

डॉ शंकरदयाल शर्मा (१९ अगस्त १९१८- २६ दिसंबर १९९९) भारत के नवें राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल २५ जुलाई १९९२ से २५ जुलाई १९९७ तक रहा। राष्ट्रपति बनने से पूर्व आप भारत के आठवे उपराष्ट्रपति भी थे, आप भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री (1952-1956) रहे तथा मध्यप्रदेश राज्य में कैबिनेट स्तर के मंत्री के रूप में उन्होंने शिक्षा, विधि, सार्वजनिक निर्माण कार्य, उद्योग तथा वाणिज्य मंत्रालय का कामकाज संभाला था। केंद्र सरकार में वे संचार मंत्री के रूप में (1974-1977) पदभार संभाला। इस दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष (1972-1974) भी रहे। .

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श्याम चरण गुप्ता

श्याम चरण गुप्ता (जन्म:९ फ़रवरी १९४५) एक प्रख्यात राजनीतिज्ञ एवं उद्योगपति है। श्याम चरण उत्तर प्रदेश के बाँदा लोकसभा क्षेत्र से २००४ में सांसद निर्वाचित हुए तथा १६ मई २०१४ से इलाहबाद के वर्तमान सांसद है। वे श्याम ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज के संस्थापक एवं सी.एम.डी.

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सुप्रिया साहू

सुप्रिया साहू एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी है। वे वर्ष 1991 बैच की तमिलनाडु कैडर की आईएएस अधिकारी हैं। 16 जून, 2016 को केंद्र सरकार ने उन्हें दूरदर्शन का महानिदेशक नियुक्त किया। उन्हें इस पद पर 3 वर्षों के लिए प्रतिनियुक्त के आधार पर नियुक्त किया गया है। यह पद वर्ष 2014 से रिक्त था। .

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सुमन राजे

सुमन राजे हिंदी साहित्य से जुड़ी लेखिका, कवयित्री, और इतिहासकार हैं। .

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सुमिता मिश्रा

सुमिता मिश्रा (जन्म: ३० जनवरी, १९६७; चंडीगढ, हरियाणा) एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी, साहित्यकार एवं प्रसिद्द कवियित्री हैं। इनकी तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। .

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सुरेश कुमार खन्ना

सुरेश कुमार खन्ना (अंग्रेजी: Suresh Kumar Khanna, जन्म: 1954) भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने शाहजहाँपुर शहर से उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव 1989 से 2017 तक लगातार 8 बार जीता। शहर में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा ने उन्हें सन् 2004 में शाहजहाँपुर जिले से लोक सभा का चुनाव लड़ाया जिसमें उन्हें केवल 16.34% मत प्राप्त हुए। शाहजहाँपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सन् 2004 में सांसद का चुनाव हारने के बाद उन्होंने विधायक के रूप में ही राजनीति में रहना पसन्द किया। वे सुरेश खन्ना के नाम से ही अधिक लोकप्रिय हैं। .

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स्वाति सिंह

स्वाति सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ और उत्तर प्रदेश सरकार में की एक मंत्री हैं। वे एनआरआई, बाढ़ नियंत्रण, कृषि आयात, कृषि विपणन, कृषि, विदेश व्यापार की मन्त्री तथा महिला कल्याण मंत्रालय, परिवार कल्याण, मातृत्व और बाल कल्याण मन्त्रालयों की राज्य मंत्री हैं। .

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स्वामी चिन्मयानंद

स्वामी चिन्मयानन्द स्वामी चिन्मयानन्द (8 मई 1916 - 3 अगस्त 1993) हिन्दू धर्म और संस्कृति के मूलभूत सिद्धान्त वेदान्त दर्शन के एक महान प्रवक्ता थे। उन्होंने सारे भारत में भ्रमण करते हुए देखा कि देश में धर्म संबंधी अनेक भ्रांतियां फैली हैं। उनका निवारण कर शुद्ध धर्म की स्थापना करने के लिए उन्होंने गीता ज्ञान-यज्ञ प्रारम्भ किया और 1953 ई में चिन्मय मिशन की स्थापना की। स्वामी जी के प्रवचन बड़े ही तर्कसंगत और प्रेरणादायी होते थे। उनको सुनने के लिए हजारों लोग आने लगे। उन्होंने सैकड़ों संन्यासी और ब्रह्मचारी प्रशिक्षित किये। हजारों स्वाध्याय मंडल स्थापित किये। बहुत से सामाजिक सेवा के कार्य प्रारम्भ किये, जैसे विद्यालय, अस्पताल आदि। स्वामी जी ने उपनिषद्, गीता और आदि शंकराचार्य के 35 से अधिक ग्रंथों पर व्याख्यायें लिखीं। गीता पर लिखा उनका भाष्य सर्वोत्तम माना जाता है। .

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सैयद सिब्ते रज़ी

सैयद सिब्ते रज़ी (अंग्रेजी: Syed Sibtey Razi, जन्म:7 मार्च 1939 रायबरेली, उत्तर प्रदेश) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक राजनयिक हैं। वे राज्य सभा के तीन बार सदस्य रहे। बाद में उन्हें झारखंड और असम का राज्यपाल भी बनाया गया। .

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सूर्यकुमार पाण्डेय

सूर्यकुमार पाण्डेय (जन्म 10 अक्तूबर 1954) एक हिंदी कवि, हास्य लेखक और व्यंग्यकार हैं। उनके विशिष्ट भाषा शैली के कारण वे एक प्रसिद्ध हास्य कवि के रूप में अभिज्ञात हैं। .

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हनुमान सेतु मंदिर

मंदिर में स्थापित हनुमानजी की मूर्ति हनुमान सेतु मंदिर, लखनऊ में गोमती नदी के किनारे एक हनुमान मंदिर है। यह मंदिर नदी पर बने एक पुल के किनारे बना है। इस कारण यह पुल हनुमान सेतु एवं मंदिर हनुमान सेतु मंदिर कहलाता है। यह मंदिर नीम करौरी बाबा ने बनवाया है। इस मंदिर से लगा बाबा का भी एक मंदिर बना है। यह सेतु लखनऊ विश्वविद्यालय से हज़रतगंज को जोड़ता है। पहले इस स्थान पर मंकी ब्रिज हुआ करता था, जो १९७२ में आई गोमती नदी की बाढ़ में बह गया था। उस ही स्थान पर नया सेतु बना है। सेतु के किनारे ही लखनऊ विश्वविद्यालय का यूनियन भवन एवं केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआराई) की आवासीय कालोनी है। दूसरी ओर सेतु से उतरते ही परिवर्तन चौक है, जिसके दायीं ओर होटाल क्लार्क्स अवध एवं छतर मंजिल है। .

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हजारी प्रसाद द्विवेदी

हजारी प्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी के मौलिक निबन्धकार, उत्कृष्ट समालोचक एवं सांस्कृतिक विचारधारा के प्रमुख उपन्यासकार थे। .

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जगत नारायण मुल्ला

सरकारी वकील जगतनारायण 'मुल्ला' पंडित जगत नारायण मुल्ला (जन्म- 14 दिसम्बर 1864 ई., कश्मीर; मृत्यु- 11 दिसम्बर 1938 ई.) अपने समय में उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध वकील और सरकारी अभियोजक थे। 'मुल्ला' उनका उपनाम था। वें 3 वर्ष तक लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे। रिश्ते में जगत नारायण मुल्ला पंडित जवाहर लाल नेहरु के साले थे। .

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वासुदेव शरण अग्रवाल

वासुदेव शरण अग्रवाल (1904 - 1966) भारत के इतिहास, संस्कृति, कला एवं साहित्य के विद्वान थे। वे साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी गद्यकार हैं। .

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विनोद जौहरी

विनोद जौहरी (Vinod Johri), एक भारतीय खगोल विज्ञानी है। वह एक प्रख्यात ब्रह्माण्ड विज्ञानी है, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास में खगोल भौतिकी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और 1995 के लखनऊ विश्वविद्यालय के एक अवकाश प्राप्त प्रोफेसर है। श्रेणी:खगोलशास्त्री.

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ख़ान मोहम्मद आतिफ़

ख़ान मोहम्मद आतिफ़ उत्तर प्रदेश की  विधानसभा में सभा रहे। 1977 उत्तर प्रदेश सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला के बहराइच (विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र) से जनता पार्टी से चुनाव में हिस्सा लिया था। .

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गिरिजाकुमार माथुर

गिरिजा कुमार माथुर (२२ अगस्त १९१९ - १० जनवरी १९९४) का जन्म ग्वालियर जिले के अशोक नगर कस्बे में हुआ। वे एक कवि, नाटककार और समालोचक के रूप में जाने जाते हैं। उनके पिता देवीचरण माथुर स्कूल अध्यापक थे तथा साहित्य एवं संगीत के शौकीन थे। वे कविता भी लिखा करते थे। सितार बजाने में प्रवीण थे। माता लक्ष्मीदेवी मालवा की रहने वाली थीं और शिक्षित थीं। गिरिजाकुमार की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। उनके पिता ने घर ही अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल आदि पढाया। स्थानीय कॉलेज से इण्टरमीडिएट करने के बाद १९३६ में स्नातक उपाधि के लिए ग्वालियरचले गये। १९३८ में उन्होंने बी.ए. किया, १९४१ में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में एम.ए. किया तथा वकालत की परीक्षा भी पास की। सन १९४० में उनका विवाह दिल्ली में कवयित्री शकुन्त माथुर से हुआ। गिरिजाकुमार की काव्यात्मक शुरुआत १९३४ में ब्रजभाषा के परम्परागत कवित्त-सवैया लेखन से हुई। वे विद्रोही काव्य परम्परा के रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी, बालकृष्ण शर्मा नवीन आदि की रचनाओं से अत्यधिक प्रभावित हुए और १९४१ में प्रकाशित अपने प्रथम काव्य संग्रह 'मंजीर' की भूमिका उन्होंने निराला से लिखवायी। उनकी रचना का प्रारम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध की घटनाओं से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं से युक्त है तथा भारत में चल रहे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से प्रभावित है। सन १९४३ में अज्ञेय द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित 'तारसप्तक' के सात कवियों में से एक कवि गिरिजाकुमार भी हैं। यहाँ उनकी रचनाओं में प्रयोगशीलता देखी जा सकती है। कविता के अतिरिक्त वे एकांकी नाटक, आलोचना, गीति-काव्य तथा शास्त्रीय विषयों पर भी लिखते रहे हैं। उनके द्वारा रचित मंदार, मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले आदि काव्य-संग्रह तथा खंड काव्य पृथ्वीकल्प प्रकाशित हुए हैं। भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की साहित्यिक पत्रिका 'गगनांचल' का संपादन करने के अलावा उन्होंने कहानी, नाटक तथा आलोचनाएँ भी लिखी हैं। उनका ही लिखा एक भावान्तर गीत "हम होंगे कामयाब" समूह गान के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है। १९९१ में आपको कविता-संग्रह "मै वक्त के सामने" के लिए हिंदी का साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९३ में के के बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित व्यास सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें शलाका सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। गिरिजाकुमार माथुर की समग्र काव्य-यात्रा से परिचित होने के लिए उनकी पुस्तक "मुझे और अभी कहना है" अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। .

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गुलाल

गुलाल लाल रंग का सूखा चूर्ण जो होली में गालों पर या माथे पर टीक लगाने के काम आता है। गुलाल रंगीन सूखा चूर्ण होता है, जो होली के त्यौहार में गालों पर या माथे पर टीक लगाने के काम आता है। इसके अलावा इसका प्रयोग रंगोली बनाने में भी किया जाता है। बिना गुलाल के होली के रंग फीके ही रह जाते हैं। यह कहना उचित ही होगा कि जहां गीली होली के लिये पानी के रंग होते हैं, वहीं सूखी होली भी गुलालों के संग कुछ कम नहीं जमती है। यह रसायनों द्वारा व हर्बल, दोनों ही प्रकार से बनाया जाता है। लगभग २०-२५ वर्ष पूर्व तक वनस्पतियों से प्राप्त रंगों या उत्पादों से ही इसका निर्माण हुआ करता था, किन्तु तबसे रसयनों के रंग आने लगे व उन्हें अरारोट में मिलाकर तीखे व चटक रंग के गुलाल बनने लगे। इधर कुछ वर्षों से लोग दोबारा हर्बल गुलाल की ओर आकर्षित हुए हैं, व कई तरह के हर्बल व जैविक गुलाल बाजारों में उपलब्ध होने लगे हैं। हर्बल गुलाल के कई लाभ होते हैं। इनमें रसायनों का प्रयोग नहीं होने से न तो एलर्जी होती है न आंखों में जलन होती है। ये पर्यावरण अनुकूल होते हैं। इसके अलावा ये खास मंहगे भी नहीं होते, लगभग ८० रु का एक किलोग्राम होता है। .

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आचार्य राममूर्ति

आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी और आचार्य राममूर्ति अलग-अलग व्यक्ति हैं; भ्रमित न हों। ---- आचार्य राममूर्ति (२२ जनवरी १९१३ - २० मई २०१०) गांधीवादी शिक्षाविद और समाजसेवी थे। वे जयप्रकाश नारायण के सहयोगी थे। आचार्य राममूर्ति की अगुवाई में 1990 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुधार के लिए कमेटी का गठन किया गया था। आचार्य राममूर्ति समिति ने अपनी रिपोर्ट शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की सिफारिश की थी। .

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कमर रहमान

कमर रहमान एक भारतीय वैज्ञानिक, पिछले चालीस वर्षों में जो नैनो पार्टिकल के शारीरिक प्रभाव को समझने के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय तौर पर उन्हें एस्बेस्टोसिस, स्लेट धूल के प्रभाव और अन्य घरेलू और पर्यावरण कण प्रदूषण और व्यावसायिक स्वास्थ्य में सुधार के तरीकों पर काम के लिए जाना जाता है। आजकल वे एमिटी विश्वविद्यालय में अनुसंधान विज्ञान के डीन के रूप में एक काम क्र रही हैं।  रॉस्टॉक विश्वविद्यालय, जर्मनी ने 2009 में उन्हें डॉक्टरेट के मानक पदनाम से सम्मानित किया। डॉ रहमान 600 वर्ष पुराने विश्वविद्यालय से यह सम्मान पाने वाली पहली भारतीय है। उन्होंने खास तौर पर एस्बेस्टोसिस और कई और प्रदूषण तत्वों के विषैलेपन का अध्ययन किया है। उन्होंने काम के स्थान पर महिलाओं के जहरीले रसायनों के संपर्क में आने पर एक फिल्म भी बनाई है।  गूगल स्कालर के अनुसार उनकी सबसे प्रसिद्ध शोध दस्तावेज़  का संदर्भ 350 बार दिया गया है। .

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कुँवर नारायण

कुँवर नारायण का जन्म १९ सितंबर १९२७ को हुआ। नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर कुँवर नारायण अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (१९५९) के प्रमुख कवियों में रहे हैं। कुँवर नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को देखने के लिए जाना जाता है। कुंवर नारायण का रचना संसार इतना व्यापक एवं जटिल है कि उसको कोई एक नाम देना सम्भव नहीं। यद्यपि कुंवर नारायण की मूल विधा कविता रही है पर इसके अलावा उन्होंने कहानी, लेख व समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच एवं अन्य कलाओं पर भी बखूबी लेखनी चलायी है। इसके चलते जहाँ उनके लेखन में सहज संप्रेषणीयता आई वहीं वे प्रयोगधर्मी भी बने रहे। उनकी कविताओं-कहानियों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। ‘तनाव‘ पत्रिका के लिए उन्होंने कवाफी तथा ब्रोर्खेस की कविताओं का भी अनुवाद किया है। 2009 में कुँवर नारायण को वर्ष 2005 के लिए देश के साहित्य जगत के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अजीत सिंह (राजनीतिज्ञ)

चौधरी अजीत सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ एवं भारतीय राजनीति में प्रमुख राष्ट्रीय नेता हैं। वो पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र हैं। २०११ से वो केन्द्र की यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे हैं। वो राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष भी हैं। .

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अंजू शर्मा

डॉ० अंजू शर्मा (जन्म: ५ अगस्त, १९६०) एक जानीमानी भारतीय लेखिका, शिक्षिका एवं चिकित्सिका हैं। आयुर्विज्ञान पर अब तक इनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वह चिकित्सा सेवा सम्मान २००९ से पुरस्कृत व सम्मानित हैं। .

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उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

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उत्तर प्रदेश का इतिहास

उत्तर प्रदेश का भारतीय एवं हिन्दू धर्म के इतिहास मे अहम योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश आधुनिक भारत के इतिहास और राजनीति का केन्द्र बिन्दु रहा है और यहाँ के निवासियों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभायी। उत्तर प्रदेश के इतिहास को निम्नलिखित पाँच भागों में बाटकर अध्ययन किया जा सकता है- (1) प्रागैतिहासिक एवं पूर्ववैदिक काल (६०० ईसा पूर्व तक), (2) हिन्दू-बौद्ध काल (६०० ईसा पूर्व से १२०० ई तक), (3) मध्य काल (सन् १२०० से १८५७ तक), (4) ब्रिटिश काल (१८५७ से १९४७ तक) और (5) स्वातंत्रोत्तर काल (1947 से अब तक)। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बिज़नेस एड्मिनिस्ट्रेशन विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, चन्द्र भानु गुप्त लखनऊ विश्वविद्यालय

निवर्तमानआने वाली
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