लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

लखनऊ

सूची लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

591 संबंधों: ऊदल, ऊदा देवी, चारबाग रेलवे स्टेशन, चित्रकूट, चिन्हट, चिकन की कढ़ाई, चौदहवीं लोकसभा, चौक घंटाघर, इलाहाबाद, चौक, लखनऊ, टनकपुर, टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टिया बाजपेई, ट्रेंट (वेस्टसाइड), एमिटी विश्वविद्यालय, एम्मा थॉम्पसन स्कूल, एशियाई बैडमिंटन प्रतियोगिता, एक घर बनाऊंगा, ऐशबाग़ रेलवे स्टेशन, झलकारी बाई, ठुमरी, डेरापुर, कानपुर देहात, डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, डॉ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, डॉ॰ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, डॉ॰ सुभाष राय, डी. बी. सेठ, तनु वेड्स मनु रिटर्न्स, तलत महमूद, तंदूरी पाककला, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, द हिन्दू, दम पुख्त, दया प्रकाश सिन्हा, दर्शन परिषद, दशहरी (आम), दसलाखी नगर, दिनेश शर्मा, दिबियापुर, दिलीप ट्रॉफी 2017, दक्षिण एशिया, दक्षिण भारतीय व्यंजन, दुर्गा शक्ति नागपाल, दैनिक जागरण, देहरादून जिला, देवरिया, देवा शरीफ, देवेन्द्र स्वरूप, देवी अहिल्याबाई होल्कर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, दीपशील भारत, ..., धीरेन्द्र वर्मा, नदियों पर बसे भारतीय शहर, नन्दराम, नरेन्द्र सिंह नेगी, नाना साहेब, नानाजी देशमुख, नाभिकीय चिकित्सा, नारायण साईं, नित्य प्रकाश, नित्यानन्द स्वामी (परमहंस), निरुपमा राव, निशान सिंह, निहारी, नौचन्दी मेला, नैनीताल, नैमिषारण्य, नूतन ठाकुर, नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र, नेशनल हेराल्ड, नीबू पार्क, पतंग, परिकल्पना सम्मान, पाञ्चजन्य (पत्र), पाली चंद्रा, पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1952-53, पिंगली वेंकैया, पिक्चर गैलरी, लखनऊ, पं. शेखर दीक्षित, पंकज भदौरिया, पुरुषोत्तम दास टंडन, पुष्पक एक्सप्रेस 12533, पुस्तकालय का इतिहास, पुखरायाँ, प्रताप सहगल, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, प्रतीक भारद्वाज, प्रधान डाकघर, लखनऊ, प्रबंधन एवं शोध संस्थान, प्रबंधन विज्ञान संस्थान, लखनऊ, प्रसारण, प्रारम्‍भ शैक्षिक संवाद, प्रेमचंद, प्रेमकृष्ण खन्ना, प्रेरणा देशपांडे, प्रीति सिंह, फतेहपुर जिला, फ़िरंगी महल, फ़ैज़ाबाद, फिल्मी परियां, फ्रेडरिक पिन्काट, बढ़ई, बदरीनाथ भट्ट, बनारस घराना, बनारसी बाग, लखनऊ, बनवारी लाल, बलदेव, बहराइच, बहुजन समाज पार्टी, बादशाहनगर रेलवे स्टेशन, बादाम हलवा, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, बाबू बनारसी दास नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, बाबू गुलाब सिंह, बाबूराव विष्णु पराडकर, बावड़ी, बिरयानी, बिरजू महाराज, बिली अर्जन सिंह, बिसौरी, बिहार में यातायात, बख्शी का तलाब, बछेंद्री पाल, बुद्ध पार्क, ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था, ब्लॉगोत्सव, बृज नारायण चकबस्त, बूँद और समुद्र, बेनी प्रवीन(रीतिग्रंथकार कवि), बेगम हजरत महल पार्क, बेगम हज़रत महल, बीमा लोकपाल, बीरबल साहनी, बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान, भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय, भारत, भारत में दशलक्ष-अधिक शहरी संकुलनों की सूची, भारत में धर्म, भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार, भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची, भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले महानगरों की सूची, भारत में संचार, भारत में स्मार्ट नगर, भारत में सैन्य अकादमियाँ, भारत में विश्वविद्यालयों की सूची, भारत में इस्लाम, भारत में कार्यरत बैंकों की सूची, भारत में कॉफी उत्पादन, भारत रत्‍न, भारत का भूगोल, भारत के दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर, भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची, भारत के प्रमुख अस्पताल, भारत के प्रवेशद्वार, भारत के महानगरों की सूची, भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार, भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश, भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की राजधानियाँ, भारत के शहरों की सूची, भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची, भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, भारत के स्वायत्त विधि विद्यालय, भारत के हवाई अड्डे, भारत के उच्च न्यायालयों की सूची, भारतेन्दु नाट्य अकादमी, भारतीय थलसेना, भारतीय पुनर्नामकरण विवाद, भारतीय प्रबन्धन संस्थान, भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ, भारतीय मनीषा, भारतीय मीडिया, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्षों की सूची, भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय रेल, भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी, भारतीय सिनेमा, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, भारतीय इतिहास तिथिक्रम, भारतीय कंपनियों की सूची, भारतीय क्रिकेट टीम, भगवती चरण वोहरा, भुवन वाणी ट्रस्ट, भूलभुलैया, मचेत्तिरा राजू पूवम्मा, मदनलाल पाहवा, मनकामेश्वर मंदिर, लखनऊ, मनोज भार्गव, मलाई गिलौरी, मलूकदास, महात्मा गांधी की हत्या, महानगर बॉयज़, महाराजा बिजली, माधव शुक्ल, माधव सिंह 'छितिपाल', माधुरी पत्रिका, माउज़र पिस्तौल, मिताली राज, मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी सौदा, मिर्ज़ा सलामत अली दबीर, मिल्कीपुर, मिश्र बंधु, मजाज़, मंजरी चतुर्वेदी, मंजू बिष्ट, मंजू शर्मा, मंगलेश डबराल, मुनव्वर राना, मुलायम सिंह यादव, मुहम्मद हिदायतुल्लाह, मुजफ्फरपुर, मुंशी नवल किशोर, मुकुंदराव आनंदराव जयकर, मुक्काबाज़ (२०१८ फ़िल्म), मैरीन ड्राइव, लखनऊ, मेरठ, मेरठ का प्रकाशन उद्योग, मेहदी ख्वाजा पीरी, मोती महल, लखनऊ, मोना चंद्रवती गुप्ता, मोम की पर्त, मोहनलालगंज, मोहसिन काकोरवी, मीना शाह (बैडमिंटन), मीर तक़ी "मीर", मीर बाबर अली अनीस, यशवंत सिंह परमार, यह प्यार न होगा कम, योगी आदित्यनाथ, रणजी ट्रॉफी 2016-17 ग्रुप सी, रणजी ट्रॉफी ग्रुप ए 2017-18, रमेशचन्द्र दत्त, रशीद जहाँ, राना लियाक़त अली ख़ान, राम नरेश यादव, राम प्रसाद 'बिस्मिल', राम प्रसाद नौटियाल, राम सहाय, राम जन्मभूमि, राम जेठमलानी, रामदुलारे त्रिवेदी, रामपुर जिला, रामभद्राचार्य, राममनोहर लोहिया, राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, रामगोविन्द चौधरी, रामकृष्ण खत्री, राय देवीप्रसाद 'पूर्ण', रायबरेली, राष्ट्रीय राजमार्ग २४, राष्ट्रीय राजमार्ग २५, राष्ट्रीय राजमार्ग २८, राष्ट्रीय सहारा, राष्ट्रीय सिख संगत, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सदस्यों की सूची, राष्ट्रीय जीन बैंक, नई दिल्ली, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्‍ट्रधर्म, राजपाल यादव, राजभवन (उत्तर प्रदेश), राजाजीपुरम, राजकुमार शुक्ल, राजकुमारी अमृत कौर, राजेन्द्र कुमार पचौरी, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, राजेश कुमार, राजीव जैन, राखालदास बनर्जी, रजनी पनिक्कर, रज़िया सज्जाद ज़हीर, रघुवीर सहाय, रवि शंकर प्रसाद, रविन्द्र कौशिक, रवीन्द्र प्रभात, रंजीत भार्गव, रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक, लखनऊ, रुना बनर्जी, रुहेलखंड व कुमाऊँ रेलवे, रैंकोजी मन्दिर, रूमी दरवाजा, रेडियो सिटी, रेलवे सुरक्षा आयोग, रेजिडेन्सी, लखनऊ, रोमिला थापर, रीटा भादुड़ी, रीता बहुगुणा जोशी, लच्छू महाराज, ललित नारायण मिश्र, ललितकिशोरी तथा ललितमाधुरी, लाल पुल, लखनऊ, लाल प्रताप सिंह, लालजी टंडन, लाइव इंडिया, लखनऊ, लखनऊ मेट्रो, लखनऊ समझौता, लखनऊ सिटी रेलवे स्टेशन, लखनऊ जिला, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, लखनऊ का रोटी बाजार, लखनऊ का इतिहास, लखनऊ के दर्शनीय स्थल, लखनऊ के बाजार, लखनऊ की शिक्षण संस्थाएं, लखनऊ की संस्कृति, लखनऊ की अर्थ व्यवस्था, लक्ष्मण टीला मस्जिद, लीला सेठ, लीलावती सिंह, शचीन्द्रनाथ बख्शी, शतरंज के खिलाड़ी (कहानी), शताब्दी एक्स्प्रेस, शरद जोशी सम्मान, शरद आलोक, शहीद बलभद्र सिंह, शादी में ज़रूर आना, शारदा नहर, शास्त्रीय नृत्य, शिवपाल सिंह यादव, शिवराम कश्यप, शंभु महाराज, श्यामसुन्दर दास, श्रृंग्वेरपुर, श्री नीलकंठेश्वर महादेव, मथुरा, श्रीधर पाठक, श्रीलाल शुक्ल, श्रीलंका क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1993-94, सण्डीला, सत्यजित राय, सफ़ेद बारादरी, सफ़ी लखनवी, सबसे सघन आबादी वाले शहर, समस्तीपुर, समकालीन सरोकार, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, साइमन कमीशन, सिटी मॉण्टेसरी स्कूल, सिन्धु-गंगा के मैदान, सिकन्दर बाग़, सज्जाद ज़हीर, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा, संस्कार भारती, संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, संजीवनी, सआदत अली खान द्वितीय, सआदत अली का मकबरा, सुब्रत रॉय, सुमिता मिश्रा, सुमित्रा कुमारी सिन्हा, सुरेन्द्र पाल, सुल्तानपुर जिला, सुकेश साहनी, स्वतंत्र भारत, सैफ़ई, सूती साड़ी, सूरसागर, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला', सेठ एम आर जयपुरिया स्कूल, सेलिना जेटली, सेवा मंदिर, सेवॉय होटल (मसूरी), सेंट फ्रांसिस स्कूल, सोनिया नित्यानंद, सोनिया सिंह, सोहन लाल द्विवेदी, सीतापुर जिला, सीआईडी (धारावाहिक), हनुमान मंदिर, अलीगंज लखनऊ, हनुमान सेतु मंदिर, हमीदा हबीबुल्ला, हरदोई, हरदोई जिला, हरी उड़द, हल्द्वानी, हल्द्वानी में यातायात, हल्द्वानी का इतिहास, हल्दीराम, हसन कमाल, हसरत मोहानी, हाल की घटनाएँ नवंबर २००७, हिण्डौन, हिन्दुस्तान (समाचार पत्र), हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड, हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, हिन्दू मेला, हिन्दी पत्रिकाएँ, हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें, हिंदी साहित्य में प्रगतिवाद, हुरूहुरी, हुसैनाबाद इमामबाड़ा, हॉकी, होम रूल आन्दोलन, जयपुरिया प्रबंधन संस्थान, जलालाबाद (शाहजहाँपुर), ज़रदोज़ी, ज़ोया अफ़रोज़, जानकीपुरम, जामी मस्जिद, लखनऊ, जाजमऊ, जवाहर नवोदय विद्यालय, जगत नारायण मुल्ला, जङ्गबहादुर राणा, जौनपुर, जेट कनेक्ट, जेम्स जॉर्ज स्मिथ नील, जोधपुर, जोश मलिहाबादी, ई आर ए लखनऊ आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, घंटाघर, लखनऊ, वायु प्रदूषण, वाराणसी, वाराणसी में शिक्षण संस्थाओं की सूची, वासुदेव शरण अग्रवाल, वाजिद अली शाह, विधान सभा, विनय कटियार, विमानक्षेत्रों की सूची ICAO कोड अनुसार: V, विश्व भारती पुरस्कार, विश्व संवाद केन्द्र, विश्व हास्य दिवस, विश्वविद्यालय, विष्णु नारायण भातखंडे, वक़ार अहमद शाह, व्यपगत का सिद्धान्त, वैशाली, वैशाली जिला, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, वीणा टंडन, खड़ीबोली, खड्गविलास प्रेस, ख़ान मोहम्मद आतिफ़, ग़रारा, गुरू गोविन्द सिंह स्पोर्टस कालेज, लखनऊ, गुलाब सिंह लोधी, ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त, गौतम तिवारी, गोएयर, गोपाल चतुर्वेदी, गोपाल बाबू गोस्वामी, गोमती एक्स्प्रेस, गोमती नदी (उत्तर प्रदेश), गोमती नगर, गोरखपुर, गोसांईगंज, आँवला (नगर), आधिकारिक आवास, आलमनगर रेलवे स्टेशन, आल्ह-खण्ड, आल्हा, आल्हा (गायन), आल्हा-ऊदल, आलोक अग्रवाल, आशुतोष टंडन, आसफ़ुद्दौला, आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग, आगाहसन ‘अमानत’ लखनवी, इण्डियन एयरलाइंस फ्लाइट ८१४, इन्दौर, इरफ़ान ख़ान (कार्टूनिस्ट), इलाहाबाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, इशिता शर्मा, इश्मीत सिंह, इस प्यार को क्या नाम दूं?, इंटीग्रल विश्वविद्यालय, इंदिरा नगर, लखनऊ, इंदिरा गाँधी तारामंडल, इंदिरानगर, लखनऊ, इंशा अल्ला खाँ, इकाना इन्टरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, कटघर रेलवे स्टेशन, कथाक्रम, कनिका कपूर, कमलापुरी, काँट (शाहजहाँपुर), काठगोदाम, कानपुर, कामतानाथ, कालिंजर दुर्ग, काशीनाथ नारायण दीक्षित, काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन, काशीपुर, उत्तराखण्ड, कासगंज, काकोरी, काकोरी (मंगल ग्रह), काकोरी काण्ड, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, कवि मृगेश, कुँवर महाराजसिंह, कुँवर सिंह, कुर्अतुल ऐन हैदर, कुल्चा, कुशाल टंडन, कुशीनगर, कुकरैल संरक्षित वन, क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र), कृष्ण कुमार यादव, कृष्णकुमार माथुर, कैथेड्रल चर्च, लखनऊ, कैसरबाग, के डी सिंह बाबू स्टेडियम, लखनऊ, के पी सक्सेना, केडी सिंह बाबू, केन्द्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन, केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान, केराकत, केशव बलिराम हेडगेवार, कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज, कॉल्विन ताल्लुकेदार स्कूल, अचला नागर, अच्छन महाराज, अतुल कुमार, अदा जाफ़री, अदिति शर्मा, अनिल शास्त्री, अनुपम श्याम, अनुसंधान अभिकल्प तथा मानक संगठन, अन्नपूर्णानन्द, अनूप शुक्ला, अभिषेक तिवारी, अमिताभ बच्चन, अमिताभ भट्टाचार्य, अमौसी, अमौसी रेलवे स्टेशन, अमौसी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, अमृतलाल नागर, अमेठी, अमीनाबाद, अयान मुखर्जी, अरिशफा खान, अरूणिमा सिन्हा, अल्ताफ़ फ़ातिमा, अल्मोड़ा जिला, अलीगंज, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, अशोक चक्रधर, अज्ञेय, अजीत प्रताप सिंह, अवध, अवध रियासत, अवध के नवाब, अवधी, अवधी में कहावतें, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन, अंबेडकर उद्यान, लखनऊ, अंजुम आरा, अंग्रेजी और विदेशी भाषाओ का केन्द्रीय संस्थान, अकबरपुर, अक्टूबर २०१५ हिन्दू कुश भूकंप, अक्षांश पर शहर, उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश पुलिस, उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश में पर्यटन, उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग २५, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम, उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधान सभा, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2017, उत्तर प्रदेश का इतिहास, उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची, उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची, उत्तर प्रदेश के ज़िले, उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, उत्तर भारत, उत्तर-पश्चिमी प्रान्त, उन्नाव, उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना, उमेश चौहान, उस्ताद अली अकबर खां, ऋतु क्रिधल, छतर मंज़िल, छत्रपति साहूजी महाराज मेडिकल कॉलेज, १३ मई २००८ जयपुर बम विस्फोट, १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, २००९, २५ नवंबर, २६ नवम्बर सूचकांक विस्तार (541 अधिक) »

ऊदल

ऊदल बुन्देलखण्ड (महोबा) के एक वीर योद्धा थे जिनकी वीरता की कहानी आज भी उत्तर-भारत के गाँव-गाँव में गायी जाती है। जगनिक ने आल्ह-खण्ड नामक एक काव्य रचा था उसमें इन वीरों की गाथा वर्णित है। कालिंजर तथा महोबा के चन्द्रवंशी शासक परमर्दिदेव थे। आल्ह-खण्ड के रचयिता जगनिक इन्हीं के दरबारी कवि थे। इन्हें राजा परमाल भी कहा जाता है। आल्हा लोकगाथा के प्रसिद्ध वीर नायक आल्हा और ऊदल इन्हीं के दरबार के दो वीर सामन्त थे जिन्होंने बहादुरी के साथ बावन लड़ाइयों में भाग लिया था। ऊदल आल्हा का सगा छोटा भाई था परन्तु आल्हा से अधिक बहादुर था। बावन लड़ाइयों में से तेइस का नेतृत्व अकेले ऊदल ने ही किया था। महोबा में ऊदल की प्रतिमा स्थापित है जिसका चित्र यहाँ दिया जा रहा है। पं० ललिता प्रसाद मिश्र ने अपने ग्रन्थ आल्हखण्ड की भूमिका में आल्हा को युधिष्ठिर और ऊदल को भीम का साक्षात अवतार बताते हुए लिखा है - "यह दोनों वीर अवतारी होने के कारण अतुल पराक्रमी थे। ये प्राय: १२वीं विक्रमीय शताब्दी में पैदा हुए और १३वीं शताब्दी के पुर्वार्द्ध तक अमानुषी पराक्रम दिखाते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये। वह शताब्दी वीरों की सदी कही जा सकती है और उस समय की अलौकिक वीरगाथाओं को तब से गाते हम लोग चले आते हैं। आज भी कायर तक उन्हें (आल्हा) सुनकर जोश में भर अनेकों साहस के काम कर डालते हैं। यूरोपीय महायुद्ध में सैनिकों को रणमत्त करने के लिये ब्रिटिश गवर्नमेण्ट को भी इस (आल्हखण्ड) का सहारा लेना पड़ा था।" आल्हा छन्द में लिखी आल्हखण्ड की ये पंक्तियाँ तो आज भी नौजवानों में जोश भर देती हैं: "बारह बरस लौ कूकर जीवै, अरु सोरह लौ जियै सियार। बरस अठारह क्षत्री जीवै, आगे जीवै को धिक्कार॥" .

नई!!: लखनऊ और ऊदल · और देखें »

ऊदा देवी

ऊदा देवी पासी एक भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी थीं जिन्होने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय सिपाहियों की ओर से युद्ध में भाग लिया था। ये अवध के छठे नवाब वाजिद अली शाह के महिला दस्ते की सदस्य थीं।। बिग अड्डा। २४ अक्टूबर २००९। शकील सिद्दीकी इस विद्रोह के समय हुई लखनऊ की घेराबंदी के समय लगभग 2000 भारतीय सिपाहियों के शरणस्थल सिकन्दर बाग़ पर ब्रिटिश फौजों द्वारा चढ़ाई की गयी थी और 16 नवंबर 1857 को बाग़ में शरण लिये इन 2000 भारतीय सिपाहियों का ब्रिटिश फौजों द्वारा संहार कर दिया गया था।। स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम।। याहू जागरण। १६ नवम्बर २००९ इस लड़ाई के दौरान ऊदा देवी bhar ने पुरुषों के वस्त्र धारण कर स्वयं को एक पुरुष के रूप में तैयार किया था। लड़ाई के समय वो अपने साथ एक बंदूक और कुछ गोला बारूद लेकर एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गयी थीं। उन्होने हमलावर ब्रिटिश सैनिकों को सिकंदर बाग़ में तब तक प्रवेश नहीं करने दिया था जब तक कि उनका गोला बारूद खत्म नहीं हो गया। .

नई!!: लखनऊ और ऊदा देवी · और देखें »

चारबाग रेलवे स्टेशन

लखनऊ रेलवे स्टेशन (उर्दू: چارباغ ریلوے سٹیشن) लखनऊ का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। चारबाग में स्थित होने के कारण इसे चारबाग स्टेशन भी कहते हैं। यह १९१४ में बनकर तैयार हुआ था और इसके स्थापत्य में राजस्थानी भवन निर्माण शैली की झलक देखी जा सकती है। चारबाग स्टेशन के अतिरिक्त लखनऊ जिले में कई अन्य स्टेशन भी हैं:-.

नई!!: लखनऊ और चारबाग रेलवे स्टेशन · और देखें »

चित्रकूट

चित्रकूट धाम मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में एक है। उत्तर प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला शांत और सुन्दर चित्रकूट प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है। चारों ओर से विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्यो की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनार बने अनेक घाट और मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था। .

नई!!: लखनऊ और चित्रकूट · और देखें »

चिन्हट

चिन्हट लखनऊ जिले का ब्लॉक है। श्रेणी:लखनऊ जिले की तहसीलें.

नई!!: लखनऊ और चिन्हट · और देखें »

चिकन की कढ़ाई

सूती कुर्ते के उपर चिकन का काम चिकन लखनऊ की प्रसिद्ध शैली है कढाई और कशीदा कारी की। यह लखनऊ की कशीदाकारी का उत्कृष्ट नमूना है और लखनवी ज़रदोज़ी यहाँ का लघु उद्योग है जो कुर्ते और साड़ियों जैसे कपड़ों पर अपनी कलाकारी की छाप चढाते हैं। इस उद्योग का ज़्यादातर हिस्सा पुराने लखनऊ के चौक इलाके में फैला हुआ है। यहां के बाज़ार चिकन कशीदाकारी के दुकानों से भरे हुए हैं। मुर्रे, जाली, बखिया, टेप्ची, टप्पा आदि ३६ प्रकार के चिकन की शैलियां होती हैं। इसके माहिर एवं प्रसिद्ध कारीगरों में उस्ताद फ़याज़ खां और हसन मिर्ज़ा साहिब थे। इस हस्तशिल्प उद्योग का एक खास पहलू यह भी है कि उसमें 95 फीसदी महिलाएं हैं। ज्यादातर महिलाएं लखनऊ में गोमती नदी के पार के पुराने इलाकों में बसी हुई हैं। चिकन की कला, अब लखनऊ शहर तक ही सीमित नहीं है अपितु लखनऊ तथा आसपास के अंचलों के गांव-गांव तक फैल गई है। मुगलकाल से शुरू हुआ चिकनकारी का शानदार सफर सैंकड़ों देशों से होता हुआ आज भी बदस्तूर जारी है। चिकनकारी का एक खूबसूरत आर्ट पीस लंदन के रायल अल्बर्ट म्यूजियम में भी विश्वभर के पर्यटकों को अपनी गाथा सुना रहा है। .

नई!!: लखनऊ और चिकन की कढ़ाई · और देखें »

चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

नई!!: लखनऊ और चौदहवीं लोकसभा · और देखें »

चौक घंटाघर, इलाहाबाद

चौक घंटाघर उत्तर प्रदेश में स्थित एक घड़ी का टॉवर है। यह चौक, इलाहाबाद में स्थित है, जो भारत के सबसे पुराने बाजारों में से एक है और मुगलों की कलात्मक और संरचनात्मक कौशल का एक उदाहरण है। यह 1913 में बनाया गया थालखनऊ के घंटाघर बाद यह उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे पुराना घड़ी का टावर है। इसके खम्भोँ पर बहुत ही सुन्दर रोमन नक्कासी हैं। .

नई!!: लखनऊ और चौक घंटाघर, इलाहाबाद · और देखें »

चौक, लखनऊ

चौक पुराने लखनऊ का एक क्षेत्र है। लखनऊ के अधिकांश पर्यटन स्थल, जैसे बड़ा और छोटा ईमामबाड़ा इत्यादि लखनऊ के इसी क्षेत्र में स्थित हैं। श्रेणी:लखनऊ.

नई!!: लखनऊ और चौक, लखनऊ · और देखें »

टनकपुर

टनकपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख नगर है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है। टनकपुर, हिमालय पर्वत की तलहटी में फैले भाभर क्षेत्र में स्थित है। शारदा नदी टनकपुर से होकर बहती है। इस नगर का निर्माण १८९८ में नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के विकल्प के रूप में किया गया था, जो शारदा नदी की बाढ़ में बह गई थी। कुछ समय तक यह चम्पावत तहसील के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट का शीतकालीन कार्यालय भी रहा। १९०१ में इसकी जनसंख्या ६९२ थी। सुनियोजित ढंग से निर्मित बाजार, चौड़ी खुली सड़कें, फैले हुए फुटपाथ, खुली हवादार कालोनियां इस नगर की विशेषताएं हैं। पूर्णागिरि मन्दिर के मुख्य द्वार के रूप में शारदा नदी के तट पर बसा हुआ यह नगर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है। .

नई!!: लखनऊ और टनकपुर · और देखें »

टाटा मोटर्स

टाटा मोटर्स भारत में व्यावसायिक वाहन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। इसका पुराना नाम टेल्को (टाटा इंजिनीयरिंग ऐंड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड) था। यह टाटा समूह की प्रमुख कंपनियों में से एक है। इसकी उत्पादन इकाइयाँ भारत में जमशेदपुर (झारखंड), पुणे (महाराष्ट्र) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) सहित अन्य कई देशों में हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट है टाटा घराने द्वा्रा इस कारखाने की शुरुआत अभियांत्रिकी और रेल इंजन के लिये हुआ था। किन्तु अब यह कम्पनी मुख्य रूप से भारी एवं हल्के वाहनों का निर्माण करती है। इसने ब्रिटेन के प्रसिद्ध ब्रांडों जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया है। .

नई!!: लखनऊ और टाटा मोटर्स · और देखें »

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस लिमिटेड (टीसीएस) एक भारतीयबहुराष्ट्रीय कम्पनी सॉफ्टवेर सर्विसेस एवं कंसल्टिंग कंपनी है। यह दुनिया की सबसे बड़ी सूचना तकनीकी तथा बिज़नस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सेवा प्रदाता कंपनियों में से है। साल २००७ में, इसे एशिया की सबसे बड़ी सूचना प्रोद्योगिकी कंपनी आँका गया। भारतीय आई टी कंपनियों की तुलना में टीसीएस के पास सबसे अधिक कर्मचारी हैं। टीसीएस के ४४ देशों में २,५४,००० कर्मचारी हैं। ३१ मार्च २०१२ को ख़त्म होने वाले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने १०.१७ अरब अमेरिकी डॉलर का समेकित राजस्व हासिल किया। टीसीएस भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज तथा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी है। टीसीएस एशिया की सबसे बड़ी कंपनी समूह में से एक टाटा समूह का एक हिस्सा है। टाटा समूह ऊर्जा, दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं, निर्माण, रसायन, इंजीनियरिंग एवं कई तरह के उत्पाद बनाता है। वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी का मुनाफा 33.19% बढ़कर 7,000.64 करोड़ रुपये हो गया। इस दौरान कंपनी की आमदनी करीब 8% बढ़कर 30,028.92 करोड़ रुपये हो गयी। अप्रैल 2018 में, टीसीएस बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में अपनी एम-कैप 6,79,332.81 करोड़ रुपये (102.6 अरब डॉलर) के बाद 100 अरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण करने वाली पहली भारतीय आईटी कंपनी बन गई, और दूसरी भारतीय कंपनी (रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2007 में इसे हासिल करने के बाद)। .

नई!!: लखनऊ और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज · और देखें »

टिया बाजपेई

टिया बाजपेई एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री होने के साथ साथ उत्तम गायिका भी हैं। टिया का जन्म लखनऊ शहर में हुआ था। वे 2005 के संगीत टीवी शो सा रे गा मा पा की फाइनलिस्ट रह चुंकि हैं। .

नई!!: लखनऊ और टिया बाजपेई · और देखें »

ट्रेंट (वेस्टसाइड)

ट्रेंट, टाटा समूह की खुदरा कारोबार शाखा है। 1998 में आरंभ ट्रेंट, वेस्टसाइड नामक खुदरा श्रृंखला का संचालन करती है जो भारत में बढ़ रही कई खुदरा श्रृंखलाओं में से एक है। ट्रेंट का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है। .

नई!!: लखनऊ और ट्रेंट (वेस्टसाइड) · और देखें »

एमिटी विश्वविद्यालय

एमिटी विश्वविद्यालय भारत का सबसे बड़ा निजी विश्वविद्यालय है। यहां ९०,००० से अधिक विद्यार्थी हैं। इसकी स्थापना २००३ में हुई थी। इसके परिसर नोएडा, जयपुर एवं लखनऊ में हैं। इसकी स्थापना अशोक चौहान ने किया जिन्होने 'ऋतनन्द बालवेद शिक्षा फाउन्डेशन' की भी स्थापना की है। चित्र:Amity Univ NOIDA1.jpg चित्र:Amity Univ NOIDA2.jpg चित्र:Amity Univ NOIDA3.jpg चित्र:Amity Univ NOIDA4.jpg श्रेणी:दिल्ली के विश्वविद्यालय श्रेणी:उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय श्रेणी:निजी विश्वविद्यालय.

नई!!: लखनऊ और एमिटी विश्वविद्यालय · और देखें »

एम्मा थॉम्पसन स्कूल

एम्मा थॉम्पसन स्कूल लखनऊ का एक विद्यालय है। श्रेणी:लखनऊ के विद्यालय.

नई!!: लखनऊ और एम्मा थॉम्पसन स्कूल · और देखें »

एशियाई बैडमिंटन प्रतियोगिता

बैडमिंटन एशिया प्रतियोगिता (2007 के संस्करण के बाद से यह नया नाम है, पहले इसे एशियाई बैडमिंटन प्रतियोगिताएँ के नाम से जान जाता था) बैडमिंटन एशिया परिसंघ द्वारा आयोजित एक बैडमिंटन प्रतियोगिता है जिसका लक्ष्य एशिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को पहचानना व पुरस्कृत करना है। प्रतियोगिता की शुरुवात १९६२ से हुई और १९९१ से यह हर वर्ष आयोजित की जाती रही है। इसमें व्यक्तिगत और टीम स्तरीय प्रतिस्पर्धाएँ होती रहे और १९९४ के बाद से टीम प्रतिस्पर्धाओं को बंद कर दिया गया। हालांकि २००३ के आयोजन में कुछ समस्या आ गयी जब चीन ने अंतिम समय में भाग लेने से इंकार कर दिया। शीर्ष प्रशिक्षक ली योंग्बो ने कहा कि यह प्रतियोगिता खिलाड़ियों को २००४ में होने वाले ओलम्पिक के लिये कोई वरीयता अंक नहीं दे रही है और इसलिए खिलाड़ियों को आराम का और समय मिलना चाहिए। प्रतिद्वंदिता कम होने की वजह से कुछ शीर्ष खिलाड़ी भी इसमें हिस्सा नहीं लेना चाहते थे। .

नई!!: लखनऊ और एशियाई बैडमिंटन प्रतियोगिता · और देखें »

एक घर बनाऊंगा

एक घर बनाऊंगा एक भारतीय हिन्दी धारावाहिक है। जिसका प्रसारण स्टार प्लस में 29 अप्रैल 2013 से शुरू हुआ। इसकी कहानी शादी में होने वाली समस्याओं पर आधारित है। अंतिम एपिसोड 7 जून 2014 को दिखाया गया। इसके बाद इस धारावाहिक के स्थान पर सुहानी सी एक लड़की को दिखाया जाने लगा। .

नई!!: लखनऊ और एक घर बनाऊंगा · और देखें »

ऐशबाग़ रेलवे स्टेशन

ऐशबाग़ रेलवे स्टेशन भारतीय रेल का एक रेलवे स्टेशन है। यह लखनऊ शहर में स्थित है। इसकी ऊंचाई मी.

नई!!: लखनऊ और ऐशबाग़ रेलवे स्टेशन · और देखें »

झलकारी बाई

झलकारी बाई (२२ नवंबर १८३० - ४ अप्रैल १८५७) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थीं। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं। अपने अंतिम समय में भी वे रानी के वेश में युद्ध करते हुए वे अंग्रेज़ों के हाथों पकड़ी गयीं और रानी को किले से भाग निकलने का अवसर मिल गया। उन्होंने प्रथम स्वाधीनता संग्राम में झाँसी की रानी के साथ ब्रिटिश सेना के विरुद्ध अद्भुत वीरता से लड़ते हुए ब्रिटिश सेना के कई हमलों को विफल किया था। यदि लक्ष्मीबाई के सेनानायकों में से एक ने उनके साथ विश्वासघात न किया होता तो झांसी का किला ब्रिटिश सेना के लिए प्राय: अभेद्य था। झलकारी बाई की गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोकगाथाओं और लोकगीतों में सुनी जा सकती है। भारत सरकार ने २२ जुलाई २००१ में झलकारी बाई के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया है, उनकी प्रतिमा और एक स्मारक अजमेर, राजस्थान में निर्माणाधीन है, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उनकी एक प्रतिमा आगरा में स्थापित की गयी है, साथ ही उनके नाम से लखनऊ में एक धर्मार्थ चिकित्सालय भी शुरु किया गया है। .

नई!!: लखनऊ और झलकारी बाई · और देखें »

ठुमरी

ठुमरी भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक गायन शैली है। इसमें रस, रंग और भाव की प्रधानता होती है। अर्थात जिसमें राग की शुद्धता की तुलना में भाव सौंदर्य को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विविध भावों को प्रकट करने वाली शैली है जिसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है साथ ही यह रागों के मिश्रण की शैली भी है जिसमें एक राग से दूसरे राग में गमन की भी छूट होती है और रंजकता तथा भावाभिव्यक्ति इसका मूल मंतव्य होता है। इसी वज़ह से इसे अर्ध-शास्त्रीय गायन के अंतर्गत रखा जाता है। .

नई!!: लखनऊ और ठुमरी · और देखें »

डेरापुर, कानपुर देहात

डेरापुर उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर देहात जिले का एक नगर एवं सब- डिवीज़न/ तहसील मुख्यालय है जो वर्ष २००५ में ग्राम पंचायत से नगर पंचायत के अस्तित्व में परिवर्तित हुआ। डेरापुर के नाम के सम्बन्ध में जनश्रुति है कि जब श्रीकृष्ण और वाणासुर के बीच संग्राम हुआ था तब श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर डेरा डाला था। .

नई!!: लखनऊ और डेरापुर, कानपुर देहात · और देखें »

डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय

डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (RMLNLU), भारत के लखनऊ में स्थित एक विधि विश्वविद्यालय है। पहले इसका नाम 'डॉ राम मनोहर लोहिया विधि संस्थान' था। यह भारत के बहुत से राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में से एक है। यह विश्वविद्यालय २००५ से पूर्व-स्नातक तथा स्नातक स्तर की विधि शिक्षा प्रदान कर रहा है। यह विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित है। .

नई!!: लखनऊ और डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय · और देखें »

डॉ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय

डॉ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय(अंग्रेजी: Dr. A.P.J. Abdul Kalam Technical University) (पूर्व मे उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय) उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ८ मई, २००० स्थापित हुआ एक विश्वविद्यालय है। यह एशिया में सबसे बड़ा तकनीकी विश्वविद्यालय है। इसके अंतर्गत ५०० महाविद्यालय आते हैं। यह लखनऊ में आई ई टी परिसर, सीतापुर मार्ग पर स्थित था जो अब जानकीपूरम extension योजना shift हो गया है.

नई!!: लखनऊ और डॉ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय · और देखें »

डॉ॰ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान

डॉ॰ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (DrRMLIMS) उत्तर प्रदेश मे एक आयुर्विज्ञान संस्थान/ मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल है। यह लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसकी स्थापना 2006 में हुई थी। .

नई!!: लखनऊ और डॉ॰ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान · और देखें »

डॉ॰ सुभाष राय

डॉ सुभाष राय एक हिन्दी साहित्यकार और पत्रकार हैं। इनका जन्म जनवरी 1957 में उत्तर प्रदेश में स्थित मऊ जिला के गांव बड़ागांव में हुआ। शिक्षा काशी, प्रयाग और आगरा में हुई। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय के ख्यातिप्राप्त संस्थान के.

नई!!: लखनऊ और डॉ॰ सुभाष राय · और देखें »

डी. बी. सेठ

डी.

नई!!: लखनऊ और डी. बी. सेठ · और देखें »

तनु वेड्स मनु रिटर्न्स

तनु वेड्स मनु: रिटर्न्स एक हिंदी रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्म है जिसका निर्देशन आनंद एल• राय ने किया है। यह फ़िल्म 2011 में आई तनु वेड्स मनु का सीक्वल है। इसका संगीत व बैकग्राउंड स्कोर कर्षणा सोलो के द्वारा व बोल राज शेखर के द्वारा लिखे गए हैं। इस फ़िल्म को आलोचकों से काफी अच्छे रिव्यु मिले। इस फ़िल्म में कंगना ने डबल रोल किया है।ये कड़ी इसकी पिछली से ज्यादा अच्छी मानी जा रही है। महिला प्रधान प्रेम कहानी होने के साथ साथ कंगना और माधवन सहित तमाम अन्य किरदारों के द्वारा किये गए शानदार अभिनय की वजह से यह फिल्म २०१५ की बेहद सफल पारिवारिक मनोरंजक फिल्मों में गिनी जा रही है। .

नई!!: लखनऊ और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स · और देखें »

तलत महमूद

तलत महमूद (२४ फरवरी, १९२४-९ मई, १९९८) एक भारतीय गायक तथा अभिनेता थे। अपनी थरथराती आवाज़ से मशहूर उनको गजल की दुनिया का राजा भी कहा जाता है। .

नई!!: लखनऊ और तलत महमूद · और देखें »

तंदूरी पाककला

तंदूरी पाककला तंदूरी पाककला मिट्टी की बेलनाकार भट्टी या तंदूर में लकड़ी के कोयले की आंच पर भोजन पकाने की एक पद्धति है। .

नई!!: लखनऊ और तंदूरी पाककला · और देखें »

द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया

द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया (The Times of India, TOI के रूप में संक्षेपाक्षरित) भारत में प्रकाशित एक अंग्रेज़ी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है। इसका प्रबन्धन और स्वामित्व बेनेट कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा किया जाता है। दुनिया में सभी अंग्रेजी भाषा के व्यापक पत्रों में इस अखबार की प्रसार संख्या सर्वाधिक है। 2005 में, अखबार ने रिपोर्ट दी कि (24 लाख से अधिक प्रसार के साथ) इसे ऑडिट बुरो ऑफ़ सर्क्युलेशन के द्वारा दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले अंग्रेजी भाषा के सामान्य समाचार पत्र के रूप में प्रमाणित किया गया है। इसके वावजूद भारत के भाषायी समाचार पत्रों (विशेषत: हिन्दी के अखबारों) की तुलना में इसका प्रसार बहुत कम है। टाइम्स ऑफ इंडिया को मीडिया समूह बेनेट, कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा प्रकाशित किया जाता है, इसे टाइम्स समूह के रूप में जाना जाता है, यह समूह इकॉनॉमिक टाइम्स, मुंबई मिरर, नवभारत टाइम्स (एक हिंदी भाषा का दैनिक), दी महाराष्ट्र टाइम्स (एक मराठी भाषा का दैनिक) का भी प्रकाशन करता है। .

नई!!: लखनऊ और द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया · और देखें »

द हिन्दू

द हिन्दू (द हिन्दू) भारत में प्रकाशित होने वाला एक दैनिक अंग्रेज़ी समाचार पत्र है। इसका मुख्यालय चेन्नई में है और इसका साप्ताहिक पत्रिका के रूप में प्रकाशन वर्ष 1878 में आरम्भ हुआ। यह दैनिक के रूप में वर्ष 1889 में आरम्भ हुआ। यह भारत के शीर्ष दैनिक अंग्रेज़ी समाचार पत्रों में से एक है। भारतीय पाठक सर्वेक्षण के 2014 के अनुसार यह भारत में पढ़े जाने वाले अंग्रेज़ी समाचार पत्रों में तीसरे स्थान पर है। पहले दो स्थानों पर द टाइम्स ऑफ़ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स पाये गये। द हिन्दू मुख्य रूप से दक्षिण भारत में पढ़ा जाता है और केरल एवं तमिलनाडु में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अंग्रेज़ी दैनिक समाचार पत्र है। वर्ष २०१० के आँकड़ों के अनुसार इस उद्यम में 1,600 से अधिक लोगों को काम दिया गया है और इसकी वार्षिक आय $200 मिलियन से अधिक है। इसकी आय के मुख्य स्रोतों में अंशदान और विज्ञापन प्रमुख हैं। वर्ष 1995 में अपना ऑनलाइन संस्करण उपलब्ध करवाने वाला, द हिन्दू प्रथम भारतीय समाचार पत्र है। नवम्बर 2015 के अनुसार, यह भारत के नौ राज्यों में 18 स्थानों से प्रकाशित होता है: बंगलौर, चेन्नई, हैदराबाद, तिरुवनन्तपुरम, विजयवाड़ा, कोलकाता, मुम्बई, कोयंबतूर, मदुरै, नोएडा, विशाखपट्नम, कोच्चि, मैंगलूर, तिरुचिरापल्ली, हुबली, मोहाली, लखनऊ, इलाहाबाद और मलप्पुरम। .

नई!!: लखनऊ और द हिन्दू · और देखें »

दम पुख्त

दम पुख्त एक लखनवी व्यंजन पकाने की विधि है। मूलतः इसके द्वारा मांसाहारी व्यंजन पकाये जाते हैं। 'दमपुख़्त' का कायदा है कि गोश्त को मसालों के साथ 4-5 घंटे तक हल्की आँच पर दम दिया जाता है (सारे मसालो जैसे तले हुए प्याज, हरी मिर्च, अदरख-लहसुन और खड़े मसालों को एक साथ पीस कर बरतन में गोश्त के साथ ढक दिया जाता है और ढक्कन के किनारों को गीले आटे से सील कर उसकी भाप (दम) में पकने दिया जाता है)। अगर लकड़ी के कोयले पर इसे पकाया जाए तो इसका असली ज़ायका पता चलता है, पकने के बाद इसे सूखे मेवे, धनिया-पुदीना से सजा रूमाली रोटियों के साथ पेश किया जाता है। श्रेणी:लखनऊ का खाना श्रेणी:भारतीय व्यंजन श्रेणी:अवधी खाना.

नई!!: लखनऊ और दम पुख्त · और देखें »

दया प्रकाश सिन्हा

दया प्रकाश सिन्हा (जन्म: २ मई १९३५, कासगंज, जिला एटा, उत्तर प्रदेश) एक अवकाशप्राप्त आई०ए०एस० अधिकारी होने के साथ-साथ हिन्दी भाषा के प्रतिष्ठित लेखक, नाटककार, नाट्यकर्मी, निर्देशक व चर्चित इतिहासकार हैं। प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति में एम० ए० की डिग्री तथा लोक प्रशासन में मास्टर्स डिप्लोमा प्राप्त सिन्हा जी विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं में रहे। साहित्य कला परिषद, दिल्ली प्रशासन के सचिव, भारतीय उच्चायुक्त, फिजी के प्रथम सांस्कृतिक सचिव, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी व ललित कला अकादमी के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निदेशक जैसे अनेकानेक उच्च पदों पर रहने के पश्चात सन् १९९३ में भारत भवन, भोपाल के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। नाट्य-लेखन के साथ-साथ रंगमंच पर अभिनय एवं नाट्य-निर्देशन के क्षेत्र में लगभग ५० वर्षों तक सक्रिय रहे सिन्हा जी की नाट्य कृतियाँ निरन्तर प्रकाशित, प्रसारित व मंचित होती रही हैं। अनेक देशों में भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में भ्रमण कर चुके श्री सिन्हा को कई पुरस्कार व सम्मान भी मिल चुके हैं। .

नई!!: लखनऊ और दया प्रकाश सिन्हा · और देखें »

दर्शन परिषद

दर्शन परिषद् भारत हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से मौलिक चिन्तन को बढ़ावा देने वाली एक संस्था है। इसका आरम्भ १९५४ में हुआ। इसका पूर्व नाम 'अखिल भारतीय दर्शन परिषद्' था। साहित्य के अतिरिक्त किसी अन्य विधा या विज्ञान के क्षेत्र में, हिन्दी या किसी अन्य भारतीय भाषा को माध्यम बनाने वाली यह अप्रतिम संस्था है। यह 'दार्शनिक' नामक एक त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन भी करती है। परिषद् का पंजीयन 23 अगस्त 1956 को लखनऊ में स्टॉक कंपनीज़ के संयुक्त-पंजीयक ने किया। इसका पंजीयन क्रमांक हैः 1194/17304/ 211/1956। कालक्रम में उसका नवीनीकरण नहीं हो सका। अतः पंजीयन की नई नियमावली के अनुसार परिषद् का पंजीयन जबलपुर में दिनांक 12.07.2010 को ‘‘दर्शन-परिषद्’’ के नाम से सम्पन्न हुआ। इसका पंजीयनक्रमांक 04/14/01/12087/10 है। अद्यावधि परिषद् में 1500 से अधिक आजीवन सदस्य हैं तथा वर्तमान में यह देश में दर्शनशास्त्र के सर्वाधिक आजीवन सदस्यों की संस्था है। परिषद् को प्रारंभिक दिनों में प्रेरणा तथा सहयोग देने वालों में आचार्य नरेन्द्र देव, सुप्रसिद्ध साहित्यकार तथा तत्कालीन साहित्य अकादमी के उपसचिव श्री प्रभाकर माचवे तथा राजनयिक मनीषी डॉ॰ संपूर्णानन्द के नाम उल्लेखनीय हैं। परिषद् प्रारंभ से ही जनाधार एवं राष्ट्रभाषा में दार्शनिक चिंतन के उत्कर्ष को महत्वपूर्ण मानती रही है तथा शासकीय या अर्धशासकीय आलंबनों को अनावश्यक महत्व नहीं दिया गया। आज परिषद् को आर्थिक दृष्टि से सर्वाधिक सहयोग भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् प्रदान करती है। परिषद् आज विश्व स्तर पर दर्शनशास्त्र के अंतर्राष्ट्रिय संगठन फिस्प (Federation of International Societies of Philosophy) से नवंबर, 1993 से संबद्ध है। इसके पंचवार्षिक अंतर्राष्ट्रिय अधिवेशनों में परिषद् की भागीदारी होती है। परिषद् से क्षेत्रीय दर्शनशास्त्र की कुछ संस्थायें भी सम्बद्ध हैं, यथा- बिहार दर्शन-परिषद्, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ दर्शन-परिषद् तथा झारखण्ड दर्शन-परिषद्। .

नई!!: लखनऊ और दर्शन परिषद · और देखें »

दशहरी (आम)

दशहरी आम आम की एक किस्म है जो अपनी भीनी खुशबू और स्वाद के लिए विदेशों में भी मशहूर है। इसे दक्षिण भारत में दसहरी भी कहा जाता है। यह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ व कई गाँवो जैसे नन्दी फिरोजपुर, व काकोरीइलाके आदि में पैदा होता है। मीडियाःFile.ogg size .

नई!!: लखनऊ और दशहरी (आम) · और देखें »

दसलाखी नगर

जो शहर मोटे अक्षरों में लिखे हैं वो अपने राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की राजधानी भी हैं .

नई!!: लखनऊ और दसलाखी नगर · और देखें »

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा एक भारतीय राजनेता हैं जो दो बार लखनऊ के महापौर (मेयर) रह चुके हैं। सम्प्रति वे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमन्त्री हैं। .

नई!!: लखनऊ और दिनेश शर्मा · और देखें »

दिबियापुर

दिबियापुर भारत में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में औरैया ज़िले का एक नगर और एक नगर पंचायत है। यह नगर राज्य राजमार्ग 21 पर स्थित है। यह हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन के कानपुर-दिल्ली खण्ड पर फफूँद रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है जो उत्तर मध्य रेलवे द्वारा संचालित है। नगर का प्रशासनिक मुख्यालय औरैया है। .

नई!!: लखनऊ और दिबियापुर · और देखें »

दिलीप ट्रॉफी 2017

2017-18 दुलीप ट्रॉफी भारत में प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट, दुलिप ट्रॉफी के 56 वें सत्र के लिए निर्धारित है। यह 7 से 29 सितंबर 2017 के बीच होगा, जिसमें सभी मैचों को दिन/रात के जुड़नार के रूप में खेला जाएगा। भारत के क्रिकेट बोर्ड ऑफ कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने शुरुआत में भारत के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कैलेंडर दोनों में जमकर टूर्नामेंट रद्द कर दिया था, लेकिन घोषणा के कुछ ही समय बाद इसे बहाल किया गया था। भारत ब्लू डिफेंडिंग चैंपियन हैं। .

नई!!: लखनऊ और दिलीप ट्रॉफी 2017 · और देखें »

दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

नई!!: लखनऊ और दक्षिण एशिया · और देखें »

दक्षिण भारतीय व्यंजन

दक्षिण भारतीय व्यंजन शब्द का प्रयोग भारत के चार दक्षिणी राज्यों आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में पाए जाने वाले व्यंजन के लिए होता है। .

नई!!: लखनऊ और दक्षिण भारतीय व्यंजन · और देखें »

दुर्गा शक्ति नागपाल

दुर्गा शक्ति नागपाल (जन्म: 25 जून 1985) 2009 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं जो अपनी ईमानदारी के लिये जानी जाती हैं। उन्हें अवैध खनन के खिलाफ मोर्चा खोलने के कारण निलम्बित कर दिया गया। उन पर आरोप यह लगाया गया कि उन्होंने अवैध रूप से बनाई जा रही एक मस्जिद की दीवार को गिरा दिया था जिससे इलाके में साम्प्रदायिक तनाव फैल जाने की आशंका थी। बाद में जनता के विरोध के मद्देनज़र उन्हें राजस्व विभाग से सम्बद्ध कर दिया गया। मूल रूप से पंजाब कैडर की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने 2011 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी अभिषेक सिंह से शादी करके अपना स्थानान्तरण उत्तर प्रदेश में करा लिया था। उनकी पहली तैनाती सितम्बर 2012 के दौरान गौतम बुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में हुई जहाँ उन्हें उ०प्र० सरकार द्वारा सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एस०डी०एम०) के पद पर तैनात किया गया। 28 वर्षीय युवा व स्वभाव से ही तेजतर्रार इस महिला प्रशासनिक अधिकारी ने यमुना नदी के खादर में रेत से भरी 300 ट्रॉलियों को अपने कब्जे में ले लिया था। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यमुना और हिंडन नदियों में खनन माफियाओं पर नजर रखने के लिये विशेष उड़न दस्तों का गठन किया और उनका नेतृत्व भी स्वयं सम्भाला। जिसके चलते वे राजनीतिक हस्तक्षेप की शिकार हो गयीं। उत्तर प्रदेश आई०ए०एस० ऐसोसिएशन ने दुर्गा शक्ति नागपाल के निलम्बन पर विरोध दर्ज कराया और इसे रद्द करने की माँग की। इसके परिणाम स्वरूप नागपाल के निलम्बन पर विचार करने को यू०पी० सरकार तैयार हुई। उ०प्र० सरकार के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने ऐसोसिएशन को बताया कि मुख्य मन्त्री अखिलेश यादव ने दुर्गा शक्ति नागपाल के निलम्बन पर नियमानुसार पुनर्विचार करने का आदेश उन्हें दे दिया है जिसके चलते प्रशासनिक कार्रवाई की जायेगी। मुख्यमन्त्री से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उन्होंने अपना पक्ष प्रस्तुत किया जिससे सन्तुष्ट होकर अखिलेश यादव ने उन्हें चन्द घण्टों बाद ही बहाल कर दिया। .

नई!!: लखनऊ और दुर्गा शक्ति नागपाल · और देखें »

दैनिक जागरण

दैनिक जागरण उत्तर भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय समाचारपत्र है। पिछले कई वर्षोँ से यह भारत में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार-पत्र बन गया है। यह समाचारपत्र विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला दैनिक है। इस बात की पुष्टि विश्व समाचारपत्र संघ (वैन) द्वारा की गई है। वर्ष 2008 में बीबीसी और रॉयटर्स की नामावली के अनुसार यह प्रतिवेदित किया गया कि यह भारत में समाचारों का सबसे विश्वसनीय स्रोत दैनिक जागरण है। .

नई!!: लखनऊ और दैनिक जागरण · और देखें »

देहरादून जिला

यह लेख देहरादून जिले के विषय में है। नगर हेतु देखें देहरादून। देहरादून, भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी है इसका मुख्यालय देहरादून नगर में है। इस जिले में ६ तहसीलें, ६ सामुदायिक विकास खंड, १७ शहर और ७६४ आबाद गाँव हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ १८ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ कोई नहीं रहता। देश की राजधानी से २३० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह नगर अनेक प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। यहाँ तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आदि जैसे कई राष्ट्रीय संस्थान स्थित हैं। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज और इंडियन मिलिटरी एकेडमी जैसे कई शिक्षण संस्थान हैं। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली के कारण देहरादून पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और विभिन्न क्षेत्र के उत्साही व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशिष्ट बासमती चावल, चाय और लीची के बाग इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ाते हैं तथा शहर को सुंदरता प्रदान करते हैं। देहरादून दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है। इसमें देहरा शब्द को डेरा का अपभ्रंश माना गया है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र रामराय इस क्षेत्र में आए तो अपने तथा अनुयायियों के रहने के लिए उन्होंने यहाँ अपना डेरा स्थापित किया। www.sikhiwiki.org.

नई!!: लखनऊ और देहरादून जिला · और देखें »

देवरिया

देवरिया (Deoria) भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर और इसी नाम के जिले का मुख्यालय है। देवरिया गोरखपुर से क़रीब 50 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। देवरिया के पास ही कुशीनगर स्थित है जो महात्मा बुद्ध के निर्वाणस्थल के रूप में एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थल है। .

नई!!: लखनऊ और देवरिया · और देखें »

देवा शरीफ

देवा शरीफ बाराबंकी जिले के देवा नामक कस्बे में स्थित एक प्रसिद्ध एतिहासिक हिन्दू / मुस्लिम धार्मिक स्थल है। यहाँ पर कौमी एकता के प्रतीक हाजी वारिस अली शाह की दरगाह है। यहाँ उत्तर प्रदेश सरकार की देख-रेख में प्रतिवर्ष मेले का आयोजन होता है जिसमें अनेक श्रद्धालु आते हैं। इस मेले में अनेक धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों को स्थान मिलता है। देवा शरीफ लखनऊ से 22 किमी व बाराबंकी से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। श्रेणी:उत्तर प्रदेश के नगर.

नई!!: लखनऊ और देवा शरीफ · और देखें »

देवेन्द्र स्वरूप

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देवेन्द्र स्वरूप (जन्म: 30 मार्च 1926 काँठ (मुरादाबाद जिला) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक, पाञ्चजन्य (पत्र) के पूर्व सम्पादक, भारतीय इतिहास तथा संस्कृति के गहन अध्येता है। 88 वर्ष की आयु में वे आज भी पूर्ण रूप से सक्रिय रहते हुए राष्ट्रवादी पत्रकारिता के लिये समर्पित हैं। जीवन में सादगी और विचारधारा से क्रान्तिकारी सोच के कारण उन्हें मीडिया में विशेष रूप से जाना जाता है। पाञ्चजन्य, मंथन और नवभारत टाइम्स में समय-समय पर विभिन्न विषयों पर लिखे गये लेखों की पुस्तक माला का लोकार्पण भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। .

नई!!: लखनऊ और देवेन्द्र स्वरूप · और देखें »

देवी अहिल्याबाई होल्कर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

इंदौर विमानक्षेत्र इंदौर में स्थित है। इसका ICAO कोडहै VAID और IATA कोड है IDR। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक हाँ है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 7500 फी.

नई!!: लखनऊ और देवी अहिल्याबाई होल्कर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र · और देखें »

दीपशील भारत

दीपशील भारत हिन्दी का एक प्रमुख दैनिक समाचारपत्र है। इसकी स्थापना पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शहर आगरा में 30 जून सन् 1996 को की गयी थी। .

नई!!: लखनऊ और दीपशील भारत · और देखें »

धीरेन्द्र वर्मा

डॉ धीरेन्द्र वर्मा (१८९७ - १९७३), हिन्दी तथा ब्रजभाषा के कवि एवं इतिहासकार थे। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रथम हिन्दी विभागाध्यक्ष थे। धर्मवीर भारती ने उनके ही मार्गदर्शन में अपना शोधकार्य किया। जो कार्य हिन्दी समीक्षा के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किया, वही कार्य हिन्दी शोध के क्षेत्र में डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा ने किया था। धीरेन्द्र वर्मा जहाँ एक तरफ़ हिन्दी विभाग के उत्कृष्ट व्यवस्थापक रहे, वहीं दूसरी ओर एक आदर्श प्राध्यापक भी थे। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध समस्त शोध कार्य के आधार पर उन्होंने 1933 ई. में हिन्दी भाषा का प्रथम वैज्ञानिक इतिहास लिखा था। फ्रेंच भाषा में उनका ब्रजभाषा पर शोध प्रबन्ध है, जिसका अब हिन्दी अनुवाद हो चुका है। मार्च, सन् 1959 में डॉ॰ धीरेंद्र वर्मा हिंदी विश्वकोश के प्रधान संपादक नियुक्त हुए। विश्वकोश का प्रथम खंड लगभग डेढ़ वर्षों की अल्पावधि में ही सन् 1960 में प्रकाशित हुआ। .

नई!!: लखनऊ और धीरेन्द्र वर्मा · और देखें »

नदियों पर बसे भारतीय शहर

नदियों के तट पर बसे भारतीय शहरों की सूची श्रेणी:भारत के नगर.

नई!!: लखनऊ और नदियों पर बसे भारतीय शहर · और देखें »

नन्दराम

नंदराम (लग. सं. 1894 - सं. 1944) हिन्दी कवि थे। नन्दराम जीवनकाल के विषय में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता। वे सालेहनगर ग्राम (लखनऊ) के निवासी कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। इन्हें "शिवसिंहसरोज" में उल्लिखित नंदराम से भिन्न माना जाता है। इनका सर्वप्रसिद्ध रसग्रंथ "शृंगारदर्पण" है जो पद्माकरकृत "जगद्विनोद" की पद्धति पर लिखा गया है। यह ग्रंथ भारतजीवन यंत्रालय से प्रकाशित हुआ था। इसमें दोहा, सवैया, घनाक्षरी और कभी-कभी छप्पय आदि छंदों का प्रयोग किया गया है। भाव और भाषा दोनों की सहज, स्वाभाविक और सुकुमार अभिव्यक्ति ही कवि के काव्य की बड़ी विशेषता है, यद्यपि रीतिकाव्य में पाई जानेवाली अलंकारिकता, चमत्कार और कलात्मक आग्रह के प्रति मोह भी उसमें कम नहीं है। कवि ने प्राय: मधुर और निर्दोष भाषा का प्रयोग किया है। श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार.

नई!!: लखनऊ और नन्दराम · और देखें »

नरेन्द्र सिंह नेगी

नरेन्द्र सिंह नेगी जी (English:Narendra Singh Negi) उत्तराखण्ड के गढवाल हिस्से के मशहूर लोक गीतकारों में से एक है। कहा जाता है कि अगर आप उत्तराखण्ड और वहाँ के लोग, समाज, जीवनशैली, संस्कृति, राजनीति, आदि के बारे में जानना चाहते हो तो, या तो आप किसी महान-विद्वान की पुस्तक पढ लो या फिर नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गाने/गीत सुन लो। उनकी श्री नेगी नामक संस्था उत्तराखण्ड कलाकारो के लिए एक लोकप्रिय संस्थाओं मे से एक है। नेगी जी सिर्फ एक मनोरंजन-कार ही नहीं बल्कि एक कलाकार, संगीतकार और कवि है जो कि अपने परिवेश को लेकर काफी भावुक व संवेदनशील है। .

नई!!: लखनऊ और नरेन्द्र सिंह नेगी · और देखें »

नाना साहेब

अपने रक्षकों के साथ '''नाना साहेब''' नाना साहेब (जन्म १८२४ - १८५७ के पश्चात से गायब) सन १८५७ के भारतीय स्वतन्त्रता के प्रथम संग्राम के शिल्पकार थे। उनका मूल नाम 'धोंडूपंत' था। स्वतंत्रता संग्राम में नाना साहेब ने कानपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोहियों का नेतृत्व किया। .

नई!!: लखनऊ और नाना साहेब · और देखें »

नानाजी देशमुख

नानाजी देशमुख (जन्म: ११ अक्टूबर १९१६, चंडिकादास अमृतराव देशमुख - मृत्यु: २७ फ़रवरी २०१०) एक भारतीय समाजसेवी थे। वे पूर्व में भारतीय जनसंघ के नेता थे। १९७७ में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया परन्तु उन्होंने यह कहकर कि ६० वर्ष से अधिक आयु के लोग सरकार से बाहर रहकर समाज सेवा का कार्य करें, मन्त्री-पद ठुकरा दिया। वे जीवन पर्यन्त दीनदयाल शोध संस्थान के अन्तर्गत चलने वाले विविध प्रकल्पों के विस्तार हेतु कार्य करते रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया। अटलजी के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये पद्म विभूषण भी प्रदान किया। .

नई!!: लखनऊ और नानाजी देशमुख · और देखें »

नाभिकीय चिकित्सा

सामान्य पूर्ण शरीर स्कैन, कैंसरhttp://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/2641976.cms कैंसर के खिलाफ जंग में नई मशीन कारगर।हिन्दी चिह्न।नवभारत टाइम्स।२१ दिसंबर, २००७।लखनऊ आदि में उपयोगी नाभिकीय चिकित्सा (अंग्रेज़ी:न्यूक्लियर मेडिसिन) एक प्रकार की चिकित्सकीय जाँच तकनीक होती है। इसमें रोग चाहे आरंभिक अवस्था में हों या गंभीर अवस्था में, उनकी गहन जाँच और उपचार संभव है।। याहू जागरण।१४ मई, २००८ कोशिका की संरचना और जैविक रचना में हो रहे परिवर्तनों पर आधारित इस तकनीक से चिकित्सा की जाती है। इस पद्धति को न्यूक्लियर मेडिसिन भी कहा जाता है। वर्तमान प्रचलित चिकित्सा पद्धति में रोगों का मात्र अंदाजा या अनुमान ही लगाते हैं और उपचार करते हैं, जबकि नाभिकीय चिकित्सा में न केवल रोग को बहुत आरंभिक अवस्था में पकड़ा जाता है, वरन यह प्रभावशाली ईलाज और दवाइयों के बारे में भी स्पष्टता से बहुत कुछ बता पाने में सक्षम है। इससे किसी भी बीमारी की विस्तृत जानकारी, उसके प्रभाव और उसके उपचार निपटने के प्रभावशाली उपायों आदि के बारे में पता चलता है। इतना ही नहीं, इससे बीमारी के आगे बढ़ने के बारे में यानी भविष्य में इसके फैलने की गति, दिशा और तरीके का भी ज्ञान हो जाता है।।। हिन्दी मिलाप।६ अप्रैल, २००८ यह तकनीक सुरक्षित, कम खर्चीली और दर्द रहित चिकित्सा तकनीक है।।। याहू जागरण।१२ मार्च, २००८। डॉ॰मुकेश जैन:डी.एन.बी, न्यूक्लियर मेडिसिन) सामान्यतः किसी प्रकार का रोग होने के बाद ही सी. टी. स्कैन, एम.आर.आई और एक्स-रे आदि से परीक्षण करने से प्रभावित अंगो की स्थिति का पता चल पाता है। इस पद्धति में रोगी को एक रेडियोधर्मी समस्थानिक को दवाई के रूप में इंजेक्शन के रास्ते शरीर में दिया जाता है। फिर उसके रास्ते को स्कैनिंग के जरिये देख्कर पता लगाय़ा जाता है, कि शरीर के किस भाग में कौन सा रोग हो रहा है। इसके साथ ही इनकी स्कैनिंग के कुछ दुष्प्रभाव (साइड इफैक्ट) की भी संभावना होती है। हाइपरथायरॉएडिज़्म आकलन हेतु आयोडीन-१२३ स्कैन नाभिकीय चिकित्सा में रोगी के शरीर में इंजेक्शन द्वारा बहुत ही कम मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व प्रविष्ट करा दिये जाते हैं, जिसे शरीर में संक्रमित या प्रभावित कोशिका इसे अवशोषित कर लेती है। इससे होने वाले विकिरण को एक विशेष प्रकार के गामा कैमरे में उतार कर रोग की सटीक और विस्तृत जाँच की जाती है। न्यूक्लियर मेडिसिन स्कैनिंग से मिले अलग फिल्म में प्रभावित अंग की विस्तृत जानकारी मिलती है। नाभिकीय चिकित्सा तकनीक में रेडियो धर्मी तत्व का प्रयोग इतनी कम मात्र में किया जाता है कि इससे होने वाले विकिरण का प्रभाव कोशिकाओं पर नहीं पड़ता है। नाभिकीय चिकित्सा द्वारा कैंसर।। छत्तीसगढ़ न्यूज़।, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़ा, थायरॉइड अपटेक स्कैन और बोन स्कैन किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य रोगों का ईलाज भी नाभिकीय चिकित्सा द्वारा किया जाता है। अवटु ग्रंथि में आई खराबी और हड्डी में लगातार हो रहे दर्द का इलाज इसी तकनीक से होता है। .

नई!!: लखनऊ और नाभिकीय चिकित्सा · और देखें »

नारायण साईं

नारायण साईं (जन्म: 29 जनवरी 1972, नारायण सिरुमलानी/हरपलानी) एक भारतीय अध्यात्मिक प्रवचनकर्ता हैं। वे वर्तमान में सूरत के लाजपोर जेल में एक साधिका का बलात्कार के विचाराधीन मामले में बंद हैं। वे आसाराम बापू के इकलौते पुत्र है। .

नई!!: लखनऊ और नारायण साईं · और देखें »

नित्य प्रकाश

नित्य प्रकाश (जन्म १९ फरवरी, १९८८) एक प्रसिद्ध भारतीय उपन्यासकार, लेखक एवं ट्रेनर हैं। इनकी अब तक कुल ७ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और दो फिल्में । इन्हे २०१६ में करम वीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। .

नई!!: लखनऊ और नित्य प्रकाश · और देखें »

नित्यानन्द स्वामी (परमहंस)

यह लेख नित्यानन्द स्वामी (परमहंस) पर है, अन्य नित्यानन्द स्वामी लेखों के लिए देखें नित्यानन्द स्वामी नित्यानन्द स्वामी नित्यानन्द स्वामी, स्वामीनारायण संप्रदाय के संत और स्वामीनारायण परमहंस थे। पृष्ठ २६५ .

नई!!: लखनऊ और नित्यानन्द स्वामी (परमहंस) · और देखें »

निरुपमा राव

निरुपमा मेनन राव (जन्म 6 दिसम्बर 1950) भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) की एक अधिकारी हैं, जिन्होने 31 जुलाई 2009 से 31 जुलाई 2011 तक विदेश मंत्रालय में भारतीय विदेश सचिव के रूप में कार्य कर चुकी हैं। भारतीय विदेश सेवा का इस सर्वोच्च पद पर पहुँचने वाली चोकिला अय्यर के बाद वे दूसरी महिला हैं। वे 1 अगस्त 2011 से 5 नवम्बर 2013 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत की राजदूत रह चुकी हैं। अपने करियर में वे कई पदों पर कार्य कर चुकी हैं जिनमे शामिल हैं - वॉशिंगटन में प्रेस मामलों की मंत्री, मास्को में मिशन की उप प्रमुख, विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया), (बाहरी प्रचार) जिसने उन्हें विदेश मंत्रालय की पहली महिला प्रवक्ता बनाया, कार्मिक प्रमुख, पेरू और चीन की राजदूत और श्रीलंका की उच्चायुक्त.

नई!!: लखनऊ और निरुपमा राव · और देखें »

निशान सिंह

निशान सिंह। निशान सिंह भारत के लिए कुर्बान होने वाले वीर सपूत थे जिन्होने सन् १८५७ से स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम में अपनी वीरता का परिचय दिया था। निशान सिंह की स्मृति में गांव में एक विद्यालय व एक पुस्तकालय संचालित हो रहा है। .

नई!!: लखनऊ और निशान सिंह · और देखें »

निहारी

निहारी (نهاری) पाकिस्तान, भारत, But if there is one dish that migrated from Delhi to Karachi and became a roaring success then it is none other than nihari, a curry with lots of red meat, a sprinkling of bheja (brain) and garnished with thin slices of ginger.

नई!!: लखनऊ और निहारी · और देखें »

नौचन्दी मेला

नौचन्दी मेला उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मेलों मे से एक है। नौचन्दी मेला मेरठ में प्रति वर्ष लगता है। यह मेला मेरठ की शान है।यहां का ऐतिहासिक नौचंदी मेला हिन्दू – मुस्लिम एकता का प्रतीक है। हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नवचण्डी देवी (नौचन्दी देवी) का मंदिर एक दूसरे के निकट ही स्थित हैं। जहाँ मंदिर में भजन कीर्तन होते रहते हैं वहीं दरगाह पर कव्वाली आदि होती रहती है। मेले के दौरान मंदिर के घण्टों के साथ अज़ान की आवाज़ एक सांप्रदायिक अध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है। नौचन्दी मेला प्रत्येक वर्ष नौचन्दी मैदान में लगता है। इसकी खासियत है कि नौचन्दी मेला केवल रात में लगता है। दिन में मैदान बिलकुल खाली होता है। यह मेला चैत्र मास के नवरात्रि त्यौहार से एक सप्ताह पहले से लग जाता है। लगभग होली के एक सप्ताह बाद। और एक माह तक चलता है। नौचन्दी मेले के नाम से यहां एक ट्रेन भी चलती है नौचन्दी एक्सप्रेस। यह मेरठ को राजधानी लखनऊ से जोड़ने वाली एकमात्र ट्रेन है। श्रेणी:मेरठ श्रेणी:भारत के मेले श्रेणी:उत्तर प्रदेश के दर्शनीय स्थल श्रेणी:उत्तर प्रदेश के मेले.

नई!!: लखनऊ और नौचन्दी मेला · और देखें »

नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। .

नई!!: लखनऊ और नैनीताल · और देखें »

नैमिषारण्य

नैमिषारण्य लखनऊ से ८० किमी दूर लखनऊ क्षेत्र के अर्न्तगत सीतापुर जिला में गोमती नदी के बाएँ तट पर स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ है। मार्कण्डेय पुराण में अनेक बार इसका उल्लेख ८८००० ऋषियों की तपःस्थली के रूप में आया है। वायु पुराणान्तर्गत माघ माहात्म्य तथा बृहद्धर्मपुराण, पूर्व-भाग के अनुसार इसके किसी गुप्त स्थल में आज भी ऋषियों का स्वाध्यायानुष्ठान चलता है। लोमहर्षण के पुत्र सौति उग्रश्रवा ने यहीं ऋषियों को पौराणिक कथाएं सुनायी थीं। वाराह पुराण के अनुसार यहां भगवान द्वारा निमिष मात्र में दानवों का संहार होने से यह 'नैमिषारण्य' कहलाया। वायु, कूर्म आदि पुराणों के अनुसार भगवान के मनोमय चक्र की नेमि (हाल) यहीं विशीर्ण हुई (गिरी) थी, अतएव यह नैमिषारण्य कहलाया। .

नई!!: लखनऊ और नैमिषारण्य · और देखें »

नूतन ठाकुर

डॉ॰ नूतन ठाकुर (जन्म: ११ जुलाई १९७३) एक सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, व लेखिका हैं। वें आई.पी.एस. अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी हैं। .

नई!!: लखनऊ और नूतन ठाकुर · और देखें »

नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र

नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र, इस्लामिक गणराज्य ईरान नई दिल्ली, के कल्चर हाउस में स्थित है। नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र पुरानी पाण्डुलिपि की मरम्मत, उनकी माइक्रोफिल्म व तस्वीर तैयार करना व मुद्रित पृष्ठों को प्रकाशित करना, जैसे कार्यो में लिप्त रहा है। मेहदी ख्वाजा पीरी द्वारा किये गए प्रयासों के परिणाम स्वरूप 1985 में इस सेंटर को स्थापित किया गया था। केन्द्र की शैक्षिक व सांस्कृतिक गतिविधियों की शुरुआत अल्लामा क़ाज़ी नूरुल्लाह शुस्तरी की पुण्यतिथि (बरसी) के साथ हुई। वह अपने समय के विधिवेत्ता होने के साथ-साथ एक विद्वान, मोहद्दिस, धर्मशास्त्री, कवि व साहित्यिक व्यक्ति भी थे। उन्हें शहीद-ए-सालिस से भी जाना जाता है। इस महान व्यक्ति की याद में नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र का नाम रखा गया। .

नई!!: लखनऊ और नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र · और देखें »

नेशनल हेराल्ड

नेशनल हेराल्ड दिल्ली एवं लखनऊ से प्रकाशित होने वाला अंग्रेज़ी समाचार-पत्र था। इसकी शुरुआत लखनऊ में जवाहर लाल नेहरू ने की थी। सन २००८ में इसका प्रकाशन बन्द हो गया था। लेकिन १/०७/२०१७ को दोबारा शुरू किया गया है | .

नई!!: लखनऊ और नेशनल हेराल्ड · और देखें »

नीबू पार्क

नीबू पार्क लखनऊ का एक प्रसिद्ध पार्क है। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और नीबू पार्क · और देखें »

पतंग

योकाइची विशाल पतंग महोत्सव्स, जो हर वर्ष मई के चौथे रविवार को जापान के हिगाशियोमी में मनाया जाता है। पतंग एक धागे के सहारे उड़ने वाली वस्तु है जो धागे पर पडने वाले तनाव पर निर्भर करती है। पतंग तब हवा में उठती है जब हवा (या कुछ मामलों में पानी) का प्रवाह पतंग के ऊपर और नीचे से होता है, जिससे पतंग के ऊपर कम दबाव और पतंग के नीचे अधिक दबाव बनता है। यह विक्षेपन हवा की दिशा के साथ क्षैतिज खींच भी उत्पन्न करता है। पतंग का लंगर बिंदु स्थिर या चलित हो सकता है। पतंग आमतौर पर हवा से भारी होती है, लेकिन हवा से हल्की पतंग भी होती है जिसे हैलिकाइट कहते है। ये पतंगें हवा में या हवा के बिना भी उड़ सकती हैं। हैलिकाइट पतंगे अन्य पतंगों की तुलना में एक अन्य स्थिरता सिद्धांत पर काम करती हैं क्योंकि हैलिकाइट हीलियम-स्थिर और हवा-स्थिर होती हैं। .

नई!!: लखनऊ और पतंग · और देखें »

परिकल्पना सम्मान

परिकल्पना सम्मान हिन्दी ब्लॉगिंग का एक ऐसा वृहद सम्मान है, जिसे बहुचर्चित तकनीकी ब्लॉगर रवि रतलामी ने हिन्दी ब्लॉगिंग का ऑस्कर कहा है। यह सम्मान प्रत्येक वर्ष आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन में देशविदेश से आए हिन्दी के चिरपरिचित ब्लॉगर्स की उपस्थिति में प्रदान किया जाता है। .

नई!!: लखनऊ और परिकल्पना सम्मान · और देखें »

पाञ्चजन्य (पत्र)

पाञ्चजन्य भारतीय राष्ट्रवादी विचारधारा का प्रणयन करने वाला हिन्दी का साप्ताहित समाचार पत्र है। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है। .

नई!!: लखनऊ और पाञ्चजन्य (पत्र) · और देखें »

पाली चंद्रा

पाली चंद्रा एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित कथक नृतकी, कोरियोग्राफर, शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और दुबई के गुरुकुल की कलात्मक निदेशक हैं। जिनका जन्म १९ नवंबर, १९६७ को लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी माँ मां की इच्छा के बाद छह साल की उम्र में नृत्य करना शुरू कर दिया। उनकी माँ खुद एक नृतकी बनना चाहती थी परन्तु उस समय इजाजत न मिलने के कारण वह शास्त्रीय गायक बन गई। पाली ने शास्त्रीय कथक गुरु विक्रम सिंह, पंडित राम मोहन महाराज, और लखनऊ घराने की श्रीमती कपिला राज द्वारा सिखा था। और ८ वर्ष की आयु में ही उन्होंने गुरु विक्रम सिंग के प्रशिक्षण के बाद संगीत नाटक अकादमी, कथक केंद्र लखनऊ में अपनी क्षमता दिखाई। शास्त्रीय और समकालीन कथक की एक प्रदर्शनकारी कलाकार के रूप में, उन्हें उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मान्यता प्राप्त थी और वह लाछु महाराज पुरस्कार से सम्मानित भी थी। यह पुरुस्कार उन कलाकारों को मिलता है जिन्हें अभिनय कला अभिव्यक्ति की कला और कौशल हासिल होती है। वह इंपीरियल सोसाइटी ऑफ डांसिंग की एक कमेटी सदस्य और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की सदस्य हैं। पाली ने १९८७ में अवध गर्ल्स डीग्री कॉलेज, लखनऊ से अर्थशास्त्र और नृविज्ञान में प्रथम श्रेणी की सम्मानित डिग्री से स्नातक किया। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से नृविज्ञान में मास्टर्स की डिग्री भी प्राप्त की और उन्हें ट्राईबल म्यूजिक एंड डांस ऑफ़ द गद्दी जनजाति पर उनके शोध के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित भी किया गया। .

नई!!: लखनऊ और पाली चंद्रा · और देखें »

पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1952-53

पाकिस्तान क्रिकेट टीम 1952-53 सत्र में भारत का दौरा किया था, पांच टेस्ट खेल रहे थे। पहला टेस्ट मैच पाकिस्तान के लिए पहला टेस्ट था। भारत दो टेस्ट ड्रॉ किया जा रहा के साथ श्रृंखला 2-1 से जीत ली। .

नई!!: लखनऊ और पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1952-53 · और देखें »

पिंगली वेंकैया

पिंगली वैंकैया पिंगली वैंकैया (तेलुगु: పింగళి వెంకయ్య) भारत के राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक हैं। वे भारत के सच्चे देशभक्त एवं कृषि वैज्ञानिक भी थे। .

नई!!: लखनऊ और पिंगली वेंकैया · और देखें »

पिक्चर गैलरी, लखनऊ

लखनऊ में हुसैनाबाद इमामबाड़े के घंटाघर के समीप 19वीं शताब्दी में बनी यह पिक्चर गैलरी है। यहां लखनऊ के लगभग सभी नवाबों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं। यह गैलरी लखनऊ के उस अतीत की याद दिलाती है जब यहां नवाबों का डंका बजता था। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और पिक्चर गैलरी, लखनऊ · और देखें »

पं. शेखर दीक्षित

(अंग्रेजी: Pt. Shekhar Dixit) एक किसान नेता हैं। ये एक समाजसेवी होने के साथ ही मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। राष्ट्रीय किसान मंच ग्रामीण क्षेत्रों और किसानों की उन्नति एवं कल्याण के लिए काम करने वाला संगठन हैं। के लिए किसान हित सर्वोपरि है। देश का किसान सम्पन्न और खुशहाल हो यह इनका सपना है और पं.

नई!!: लखनऊ और पं. शेखर दीक्षित · और देखें »

पंकज भदौरिया

पंकज भदौरिया खाना बनाने के एक शो की विजेता है  जिसका नाम मास्टरशेफ इंडिया सीजन १ (२०१०) है। वह एक स्कूल में अध्यापिका थी जिन्होने अपने १६ वर्ष पुरानी नौकरी को मास्टरशेफ इंडिया के पहले सत्र में भाग लेने के लिए छोड़ दिया। उन्होंने टीवी शो जैसे 30em श्रेणी:1972 में जन्मे लोग श्रेणी:जीवित लोग श्रेणी:बावर्ची श्रेणी:पाककला श्रेणी:लखनऊ.

नई!!: लखनऊ और पंकज भदौरिया · और देखें »

पुरुषोत्तम दास टंडन

पुरूषोत्तम दास टंडन (१ अगस्त १८८२ - १ जुलाई, १९६२) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी थे। हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करवाने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे ही, समर्पित राजनयिक, हिन्दी के अनन्य सेवक, कर्मठ पत्रकार, तेजस्वी वक्ता और समाज सुधारक भी थे। हिन्दी को भारत की राजभाषा का स्थान दिलवाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान किया। १९५० में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्हें भारत के राजनैतिक और सामाजिक जीवन में नयी चेतना, नयी लहर, नयी क्रान्ति पैदा करने वाला कर्मयोगी कहा गया। वे जन सामान्य में राजर्षि (संधि विच्छेदः राजा+ऋषि.

नई!!: लखनऊ और पुरुषोत्तम दास टंडन · और देखें »

पुष्पक एक्सप्रेस 12533

पुष्पक एक्स्प्रेस 2533 भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन लखनऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:LJN) से 07:45PM बजे छूटती है और मुंबई छ. शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:CSTM) पर 08:05PM बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है 24 घंटे 20 मिनट। कानपुर सेंट्रल जंक्शन पर पुष्पक एक्सप्रेस कानपुर सेंट्रल जंक्शन पर पुष्पक एक्सप्रेस लखनऊ जंक्शन से मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस नोट: कृपया भारतीय रेल की आधिकारिक वेबसाइट से समय सारणी देखे, यह सारणी आधिकारिक नहीं है | .

नई!!: लखनऊ और पुष्पक एक्सप्रेस 12533 · और देखें »

पुस्तकालय का इतिहास

आधुनिक भारत में पुस्तकालयों का विकास बड़ी धीमी गति से हुआ है। हमारा देश परतंत्र था और विदेशी शासन के कारण शिक्षा एवं पुस्तकालयों की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। इसी से पुस्तकालय आंदोलन का स्वरूप राष्ट्रीय नहीं था और न इस आंदोलन को कोई कानूनी सहायता ही प्राप्त थीं। बड़ौदा राज्य का योगदान इस दिशा में प्रशंसनीय रहा है। यहाँ पर 1910 ई. में पुस्तकालय आंदोलन प्रारंभ किया गया। राज्य में एक पुस्तकालय विभाग खोला गया और पुस्तकालयों चार श्रेणियों में विभक्त किया गया- जिला पुस्तकालय, तहसील पुस्तकालय, नगर पुस्तकालय, एवं ग्राम पुस्तकालय आदि। पूरे राज्य में इनका जाल बिछा दिया गया था। भारत में सर्वप्रथम चल पुस्तकालय की स्थापना भी बड़ौदा राज्य में ही हुई। श्री डब्ल्यू.

नई!!: लखनऊ और पुस्तकालय का इतिहास · और देखें »

पुखरायाँ

पुखरायाँ, उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में नगरपालिका है। यह उत्तर मध्य रेलवे के कानपुर-झाँसी सेक्शन में कानपुर देहात जिले का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है जहां तीव्रगामी और अतितीव्रगामी रेलगाडियां ठहरती हैं। यह कानपुर देहात जिले के मुख्यालय से २२ किलोमीटर दक्षिण में लखनऊ-झाँसी मार्ग पर स्थित है। इसके दक्षिण में यमुना नदी एवं कालपी नगर है। भोगनीपुर से इसकी दूरी ४ किमी है। .

नई!!: लखनऊ और पुखरायाँ · और देखें »

प्रताप सहगल

प्रताप सहगल हिन्दी के कवि, नाटककार, कहानीकार और आलोचक हैं। .

नई!!: लखनऊ और प्रताप सहगल · और देखें »

प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

प्रतापगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है, इसे लोग बेल्हा भी कहते हैं, क्योंकि यहां बेल्हा देवी मंदिर है जो कि सई नदी के किनारे बना है। इस जिले को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जाता है। यहां के विधानसभा क्षेत्र पट्टी से ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं॰ जवाहर लाल नेहरू ने पदयात्रा के माध्यम से अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था। इस धरती को रीतिकाल के श्रेष्ठ कवि आचार्य भिखारीदास और राष्ट्रीय कवि हरिवंश राय बच्चन की जन्मस्थली के नाम से भी जाना जाता है। यह जिला धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी कि जन्मभूमि और महात्मा बुद्ध की तपोस्थली है। .

नई!!: लखनऊ और प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश · और देखें »

प्रतीक भारद्वाज

प्रतीक भारद्वाज (जन्म: १५ जनवरी, १९८९) एक भारतीय उद्यमी हैं। वह संयुक्त रोजगार परीक्षा के पूर्व निदेशक एवं सचिव और लीडर्सप्रो लर्निंग नामक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। .

नई!!: लखनऊ और प्रतीक भारद्वाज · और देखें »

प्रधान डाकघर, लखनऊ

उत्तर प्रदेश का प्रधान डाकघर, लखनऊ में हजरतगंज में स्थित है। श्रेणी:लखनऊ.

नई!!: लखनऊ और प्रधान डाकघर, लखनऊ · और देखें »

प्रबंधन एवं शोध संस्थान

प्रबंधन एवं शोध संस्थान अथवा प्रबंधन और अनुसंधान संस्थान (Institute of Management and Research) गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक शैक्षिक संस्थान है। यह संस्थान एनपी गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा १९९७ में स्थापित किया गया था। यह डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से संबद्ध है। यह संस्थान प्रबंधन और सूचना प्रौद्योगिकी के पाठ्यक्रम प्रदान करता है। इसका परिसर ५ एकड़ (२०,००० मी2) है। मुख्य प्रशासनिक भवन .

नई!!: लखनऊ और प्रबंधन एवं शोध संस्थान · और देखें »

प्रबंधन विज्ञान संस्थान, लखनऊ

प्रबंधन विज्ञान संस्थान, लखनऊ का एक प्रबंधन संस्थान है। श्रेणी:लखनऊ में शिक्षा.

नई!!: लखनऊ और प्रबंधन विज्ञान संस्थान, लखनऊ · और देखें »

प्रसारण

श्रब्य और/अथवा विडियो संकेतों को एक स्थान से सभी दिशाओं में, या किसी एक दिशा में फैलाना प्रसारण (Broadcasting) कहलाता है। दूरस्थ स्थानों पर इन संकेतों को उपयुक्त विधि से ग्रहण किया जाता है एवं आवश्यक परिवर्तनों (प्रवर्धन, डीमोडुलेशन आदि) के बाद कोई श्रब्य या विडियो आदि प्राप्त होता है। .

नई!!: लखनऊ और प्रसारण · और देखें »

प्रारम्‍भ शैक्षिक संवाद

प्रारम्‍भ शैक्षिक संवाद हिन्दी की एक त्रैमासिक पत्रिका है। यह पत्रिका लखनऊ से नालंदा-गैर सरकारी संस्था के द्वारा वर्ष 2003 से प्रभात झा के सम्पादन में नियमित रूप से प्रकाशि‍त हो रही है तथा उत्तर प्रदेश से इस विषय पर निकलने वाली इकलौती पत्रिका है। इसमें प्राथमिक शि‍क्षा में विकल्पों की तलाश करते हुए लेख, प्राथमिक शि‍क्षा में भाषा, गणि‍त, पर्यावरण अध्ययन, कला आदि पर विचारात्मक आलेख, शि‍क्षक प्रशि‍क्षण सम्बंधी सामग्री, शि‍क्षकों के अनुभव, शि‍क्षा के सामाजिक संदर्भ को रेखांकित करते हुए आलेख तथा बाल मनोविज्ञान के व्यवहारिक पक्ष एवं उससे जुडी कहानियां व कविताएं आदि प्रकाशि‍त होती हैं। .

नई!!: लखनऊ और प्रारम्‍भ शैक्षिक संवाद · और देखें »

प्रेमचंद

प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं। .

नई!!: लखनऊ और प्रेमचंद · और देखें »

प्रेमकृष्ण खन्ना

प्रेमकृष्ण खन्ना (अंग्रेजी: Prem Krishna Khanna, जन्म: २ फ़रवरी १८९४ मृत्यु:३ अगस्त १९९३) हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के एक प्रमुख सदस्य थे। शाहजहाँपुर के रेल विभाग में ठेकेदार (काण्ट्रेक्टर) थे। इन्हें ब्रिटिश सरकार ने माउजर पिस्तौल का लाइसेन्स दे रखा था। सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल' से इनकी घनिष्ठ मित्रता थी। क्रान्तिकारी कार्यों के लिये वे इनका माउजर प्राय: माँग कर ले जाया करते थे। यही नहीं, आवश्यकता पडने पर कभी कभी इनके लाइसेन्स पर कारतूस भी खरीद लिया करते थे। काकोरी काण्ड में प्रयुक्त माउजर पिस्तौल के कारतूस इन्हीं के शस्त्र-लाइसेन्स पर खरीदे गये थे जिसके पर्याप्त साक्ष्य मिल जाने के कारण इन्हें ५ वर्ष की कठोर कैद की सजाभुगतनी पडी थी। २ वर्ष तक काकोरी-काण्ड का मुकदमा चला अत: कुल मिलाकर सन १९२५ से १९३२ तक ७ वर्ष कारागार में बिताये। छूटकर आये तो आजीवन अविवाहित रहकर देश-सेवा का व्रत ले लिया। ४० वर्षाँ तक कांग्रेस की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। कांग्रेस के टिकट पर कई वर्ष (१९६२ से १९७१ तक) लोकसभा के सांसद भी रहे। ३ अगस्त १९९३ को शाहजहाँपुर के जिला अस्पताल में उस समय प्राणान्त हुआ जब जीवन का शतक पूर्ण करने में मात्र ६ महीने शेष रह गये थे। बडे ही जीवट के व्यक्ति थे। .

नई!!: लखनऊ और प्रेमकृष्ण खन्ना · और देखें »

प्रेरणा देशपांडे

प्रेरणा देशपांडे कथक नृत्य की एक मान्यता प्राप्त भारतीय प्रतिपादक है, जिन्होंने सात साल की उम्र से ही शरदनी गोले से कथक का अध्ययन शुरू कर दिया था। जब वह पंद्रह वर्ष की थी तब उन्होंने अपना पहला प्रदर्शन किया था। उसके बाद फिर उन्होंने बीस साल से अधिक समय तक लखनऊ और जयपुर घरानों के रोहिणी भाटे से गुरु-शिष्य परंपरा की परंपरा के तहत कथक का अध्ययन किया। वह अपनी सुंदर आंदोलनों और कथक के विभिन्न पहलुओं, जैसे अभ्यनया (अभिव्यक्ति) और लेआ (लय) पर कमांड के लिए निपुणता के लिए जानी जाती है। प्रेरणा देशपांडे ने अपनी औपचारिक शिक्षा पुणे विश्वविद्यालय (ललित कला केंद्र) से भारत के प्रदर्शन कला केंद्र में की थी और उन्होंने कथक में अपनी मास्टर की डिग्री पूरी की। उन्होंने गणित में स्नातक की डिग्री हासिल की, और अपने इस औपचारिक गणितीय ज्ञान को उसके नृत्य पर लागू किया। प्रेरणा का विवाह विख्यात तबला कलाकार श्री सुप्रीत देशपांडे के साथ हुआ। उनकी एक बेटी ईश्वरी देशपांडे है, जो नृत्यितम में उनकी एक उन्नत छात्रा भी हैं। इश्वरी ने १९९९ के आसपास तीन वर्ष की उम्र में नृत्य करना शुरू किया,और वह कम से कम १२ वर्ष की उम्र से एक कथक नर्तक के रूप में नृत्य कर रही है। २००७ में उन्होंने कथक-ओडिसी सहयोग में प्रसिद्ध ओडिसी नर्तक सुजाता महापात्र के साथ मिलकर विश्व विरासत स्थल अजंता और एलोरा में कत्थक नृत्य को पेश किया। .

नई!!: लखनऊ और प्रेरणा देशपांडे · और देखें »

प्रीति सिंह

प्रीति सिंह (जन्म: २६ अक्टूबर १९७१) चंडीगढ़ में स्थित एक लेखिका, उपन्यासकार हैं। प्रीति पिछले १५ सालो से एक पेशेवर लेखक के रूप में काम कर रही है। २०१२ में महावीर पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित इनका पहला उपन्यास "फ्लर्टिंग विथ फेट" बेस्ट सेलिंग उपन्यास रहा और वे अपनी दूसरी किताब "क्रॉसरोड्स" के साथ एक अवॉर्ड विजेता लेखिका बन चुकी हैं। १७ दिसंबर, २०१५ साहित्यकार प्रीति सिंह को अनुपमा फाउंडेशन द्वारा स्वयंसिद्धा सम्मान से पुरस्कृत किया गया। साल २०१६ में इनकी तीसरी पुस्तक वॉच्ड, जो एक क्राइम थ्रिलर उपन्यास हैं, का प्रकाशन ओमजी पब्लिशिंग हाउस द्वारा किया गया। .

नई!!: लखनऊ और प्रीति सिंह · और देखें »

फतेहपुर जिला

फतेहपुर जिला उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है जो कि पवित्र गंगा एवं यमुना नदी के बीच बसा हुआ है। फतेहपुर जिले में स्थित कई स्थानों का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है जिनमें भिटौरा, असोथर अश्वस्थामा की नगरी) और असनि के घाट प्रमुख हैं। भिटौरा, भृगु ऋषि की तपोस्थली के रूप में मानी जाती है। फतेहपुर जिला इलाहाबाद मंडल का एक हिस्सा है और इसका मुख्यालय फतेहपुर शहर है। .

नई!!: लखनऊ और फतेहपुर जिला · और देखें »

फ़िरंगी महल

फ़िरंगी महल लखनऊ में विक्टोरिया रोड और चौक के बीच स्थित है। इस भव्य स्मारक का नाम फ़िरंगी नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इसके प्रथम मालिक यूरोप से संबंध रखते थे। यह एक स्त्य है कि मुगल सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल में अन्य फ्रांसीसी व्यापारियों के साथ यहाँ रहने वाले नील (Niel) नामक एक फ्रांसीसी इमारत का पहला मालिक था। यह एक शानदार निवास था, परन्तु यह एक विदेशी स्वामित्व में था और इसी कारण से एक शाही फ़रमान के तहत सरकार द्वारा इसे ज़ब्त किया गया था। इस इमारत की क़ुरक़ी के बाद इस्लामी मामलों पर औरंगज़ेब के सलाहकार मुल्ला असद बन क़ुतुब शहीद और उनके भाई मुल्ला असद बन क़ुतुबुद्दीन शहीद के क़ब्ज़े में दे दी गई थी। इन दो भाइयों ने इस आवासीय केंद्र को एक भव्य इस्लामी संस्था में बदल दिया था जिसकी तुलना आम तौर से इंग्लैंड के कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से की जाती थी। महात्मा गांधी ने भी फिरंगी महल में कुछ दिन बिताए और वह कमरा जहाँ वे रुके थे उनकी याद में समर्पित किया गया है। फ़िरंगी महल इस्लामी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण और वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। .

नई!!: लखनऊ और फ़िरंगी महल · और देखें »

फ़ैज़ाबाद

फ़ैज़ाबाद भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश का एक नगर है।भगवान राम, राममनोहर लोहिया, कुंवर नारायण, राम प्रकाश द्विवेदी आदि की यह जन्मभूमि है। .

नई!!: लखनऊ और फ़ैज़ाबाद · और देखें »

फिल्मी परियां

फिल्मी परियां हिन्दी की एक फिल्मी साप्ताहिक पत्रिका है। यह वर्ष 1970 से लखनऊ से प्रकाशित हो रही है। .

नई!!: लखनऊ और फिल्मी परियां · और देखें »

फ्रेडरिक पिन्काट

फ्रेडरिक पिन्काट (1836 - 7 फ़रवरी 1896) इंग्लैण्ड के निवासी एवं किन्तु हिन्दी के परम् हितैषी थे। स्वयं हिन्दी में लेख लिखने तथा हिन्दी पत्रिकाएँ सम्पादित करने के अलावा उन्होने तत्कालीन् हिन्दी लेखकों को भी प्रोत्साहित किया। इंग्लैण्ड में बैठे-बैठे ही उन्होने हिन्दी पर अच्छा अधिकार प्राप्त कर लिया था। भारतीय सिविल सेवा में हिन्दी के प्रतिष्ठापन का श्रेय भी इनको ही है। .

नई!!: लखनऊ और फ्रेडरिक पिन्काट · और देखें »

बढ़ई

बढ़ई काष्ठकारी से सम्बन्धित औजार लकड़ी का काम करने वाले लोगों को बढ़ई या 'काष्ठकार' (Carpenter) कहते हैं। ये प्राचीन काल से समाज के प्रमुख अंग रहे हैं। घर की आवश्यक काष्ठ की वस्तुएँ बढ़ई द्वारा बनाई जाती हैं। इन वस्तुओं में चारपाई, तख्त, पीढ़ा, कुर्सी, मचिया, आलमारी, हल, चौकठ, बाजू, खिड़की, दरवाजे तथा घर में लगनेवाली कड़ियाँ इत्यादि सम्मिलित हैं। .

नई!!: लखनऊ और बढ़ई · और देखें »

बदरीनाथ भट्ट

Badrinath Temple, Uttarakhand.jpg बदरीनाथ बदरीनाथ भट्ट (संवत् 1948 वि. की चैत्र शुक्ल तृतीया - 1 मई सन् 1934) हिन्दी के साहित्यकार, पत्रकार एवं भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। .

नई!!: लखनऊ और बदरीनाथ भट्ट · और देखें »

बनारस घराना

शाहिद परवेज़ खान बनारस घराने के तबले के जादूगर पंडित समता प्रसाद के संग एक संगीत सभा में। बनारस घराना भारतीय तबला वादन के छः प्रसिद्ध घरानों में से एक है। ये घराना २०० वर्षों से कुछ पहले ख्यातिप्राप्त पंडित राम सहाय (१७८०-१८२६) के प्रयासों से विकसित हुआ था। पंडित राम सहाय ने अपने पिता के संग पांच वर्ष की आयु से ही तबला वादन आरंभ किया था। ९ वर्ष की आयु में ये लखनऊ आ गये एवं लखनऊ घराने के मोधु खान के शिष्य बन गये। जब राम सहाय मात्र १७ वर्ष के ही थे, तब लखनऊ के नये नवाब ने मोधु खान से पूछा कि क्या राम सहाय उनके लिये एक प्रदर्शन कर सकते हैं? कहते हैं, कि राम सहाय ने ७ रातों तक लगातार तबला-वादन किया जिसकी प्रशंसा पूरे समाज ने की एवं उन पर भेटों की बरसात हो गयी। अपनी इस प्रतिभा प्रदर्शन के बाद राम सहाय बनारस वापस आ गये। शाहिद परवेज़ खां, बनारस घराने के अन्य बड़े महारथी पंडित किशन महाराज के साथ एक सभा में। कुछ समय उपरांत राम सहाय ने पारंपरिक तबला वादन में कुछ बदलाव की आवश्यकता महसूस की। अगले छः माह तक ये एकांतवासी हो गये और इस एकांतवास का परिणाम सामने आया, जिसे आज बनारस-बाज कहते हैं। ये बनारस घराने की विशिष्ट तबला वादन शैली है। इस नयी वादन शैली के पीछे प्रमुख उद्देश्य था कि ये एकल वादन के लिये भी उपयुक्त थी और किसी अन्य संगीत वाद्य या नृत्य के लिये संगत भी दे सकती थी। इसमें तबले को नाज़ुक भी वादन कर सकते हैं, जैसा कि खयाल के लिये चाहिये होता है और पखावज की तरह ध्रुपद या कथक नृत्य शैली की संगत के लिये द्रुत गति से भी बजाया जा सकता है। राम सहाय ने तबला वादन में अंगुली की थाप का नया तरीका खोजा, जो विशेषकर ना की ताल के लिये महत्त्वपूर्ण था। इसमें अंगुली को मोड़कर दाहिने में अधिकतम अनुनाद कंपन उत्पन्न कर सकते हैं। इन्होंने तत्कालीन संयोजन प्रारूपों जैसे जैसे गट, टुकड़ा, परान, आदि से भी विभिन्न संयोजन किये, जिनमें उठान, बनारसी ठेका और फ़र्द प्रमुख हैं। आज बनारसी तबला घराना अपने शक्तिशाली रूप के लिये प्रसिद्ध है, हालांकि बनारस घराने के वादक हल्के और कोमल स्वरों के वादन में भी सक्षम हैं। घराने को पूर्वी बाज मे वर्गीकृत किया गया है, जिसमें लखनऊ, फर्रुखाबाद और बनारस घराने आते हैं। बनारस शैली तबले के अधिक अनुनादिक थापों का प्रयोग करती है, जैसे कि ना और धिन। बनारस वादक अधिमान्य रूप से पूरे हाथ से थई-थई थाप देते हैं, बजाय एक अंगुली से देने के; जैसे कि दिल्ली शैली में देते हैं। वैसे बनारस बाज शैली में दोनों ही थाप एकीकृत की गई हैं। बनारस घराने के तबला वादक तबला वादन की सभी शैलियों में, जैसे एकल, संगत, गायन एवं नृत्य संगत आदि में पारंगत होते हैं। बनारस घराने में एकल वादन बहुत इकसित हुआ है और कई वादक जैसे पंडित शारदा सहाय, पंडित किशन महाराज और पंडित समता प्रसाद, एकल तबला वादन में महारत और प्रसिद्धि प्राप्त हैं। घराने के नये युग के तबला वादकों में पं॰ कुमार बोस, पं.समर साहा, पं.बालकृष्ण अईयर, पं.शशांक बख्शी, संदीप दास, पार्थसारथी मुखर्जी, सुखविंदर सिंह नामधारी, विनीत व्यास और कई अन्य हैं। बनारसी बाज में २० विभिन्न संयोजन शैलियों और अनेक प्रकार के मिश्रण प्रयुक्त होते हैं। .

नई!!: लखनऊ और बनारस घराना · और देखें »

बनारसी बाग, लखनऊ

बनारसी बाग लखनऊ में स्थित है। वास्तव में यह एक चिड़ियाघर है। इसका पूर्व नाम प्रिंस ऑफ वेल्स ज़ूलॉजिकल गार्डन है। स्थानीय लोग इस चिड़ियाघर को बनारसी बाग कहते हैं। यहां के हरे भरे वातावरण में जानवरों की कुछ प्रजातियों को छोटे पिंजरों में रखा गया है। चिड़ियाघर में ही एक सरकारी संग्रहालय है जहां बहुत-सी ऐतिहासिक वस्तुएं देखी जा सकती हैं। मथुरा से लाई गई पत्थरों की मूर्तियों का संग्रह और रानी विक्टोरिया की मूर्ति देखने में बेहद आकर्षक है। संग्रहालय में मिस्र की एक ममी भी रखी हुई है जो पर्यटकों के बीच आकर्षक का केन्द्र रहती है। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और बनारसी बाग, लखनऊ · और देखें »

बनवारी लाल

बनवारी लाल (अंग्रेजी: Banwari Lal, जन्म: ग्राम तिलोकपुर जिला शाहजहाँपुर) ब्रिटिश काल के दौरान उत्तर प्रदेश में गठित क्रान्तिकारी संगठन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन का सक्रिय सदस्य ही नहीं अपितु रायबरेली का जिला संगठनकर्ता भी था। ९ अगस्त १९२५ को काकोरी के समीप हुई ऐतिहासिक डकैती में समूचे हिन्दुस्तान से ४० व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। बनवारी लाल की गिरफ्तारी रायबरेली से हुई थी। काकोरी काण्ड के मुकदमे के दौरान जब उस पर पुलिस ने दबाव डाला तो वह टूट गया और वायदा माफ गवाह (अंगेजी में अप्रूवर) बन गया। बनवारी लाल शाहजहाँपुर सदर तहसील के तिलोकपुर गाँव का रहने वाला था। अप्रूवर बन जाने के कारण काकोरी काण्ड में उसे एक अन्य अभियुक्त रामनाथ पाण्डेय से भी कम सजा हुई थी। जेल से छूटने के बाद वह अपने बाल-बच्चों के साथ अपने गाँव में रहने लगा। कुछ समय बाद जब उसे अपने गाँव के ब्राह्मणों से जान का खतरा महसूस हुआ तो उसने वह गाँव छोड़ दिया और पास के ही दूसरे गाँव केशवपुर में रहने लगा जहाँ उसकी कायस्थ बिरादरी के काफी लोग रहते थे। सन् २००० के आसपास उसकी मृत्यु हो गयी।.

नई!!: लखनऊ और बनवारी लाल · और देखें »

बलदेव

बलदेव (कार्तिक बदी १२, संवत् १८९७ विक्रमी --) हिन्दी के साहित्यकार और कवि थे। इनका उपनाम 'द्विज बलदेव' था। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के मानूपुर ग्राम में हुआ था। पिता ब्रजलाल अवस्थी कृषिकर्मी कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। 'द्विज बलदेव' ने प्रांरभ में ज्योतिष, कर्मकांड और व्याकरण की शिक्षा ली किन्तु काव्यरचना में प्रवृत्त होने के कारण काशी के स्वामी निजानंद सरस्वती से ३२ वर्ष की उम्र में काव्यशास्त्र की शिक्षा ग्रहण की। रामपुर, मथुरा (जि. सीतापुर) तथा इटौजा (जि. लखनऊ) के राजा इनके आश्रयदाता थे जिनके नाम पर इन्होंने ग्रंथों की रचनाएँ कीं। इन राजाओं से इन्हें पर्याप्त भूमि, धन और वाहन की प्राप्ति हुई। कविता ही इनकी जीवनवृत्ति थी। इनके पुत्र गंगाधर, 'द्विजगंग' भी अच्छी कविता करते थे। 'द्विज बलदेव' में प्रखर कवित्वप्रतिभा थी। अपने समृद्ध आशुकवित्व के बल पर समस्यापूर्तियाँ बड़ी जल्दी और अच्छी करते थे। इसीलिए समस्यापूर्ति के सबंध में 'द्विज बलदेव' की गर्वोक्ति थी - .

नई!!: लखनऊ और बलदेव · और देखें »

बहराइच

बहराइच नगर और ज़िला उत्तरी भारत के पूर्व-मध्य उत्तर प्रदेश राज्य और नेपाल के नेपालगंज व लखनऊ के बीच रेलमार्ग पर स्थित है। .

नई!!: लखनऊ और बहराइच · और देखें »

बहुजन समाज पार्टी

बहुजन समाज पार्टी (अंग्रेजी: Bahujan Samaj Party) सार्वभौमिक न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के सर्वोच्च सिद्धांतों की सोच वाला, भारत का एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल है। इसका गठन मुख्यत: एक क्रांतिकारी सामाजिक और आर्थिक आंदोलन के रूप में काम करने के लिए किया गया है जो भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता दिलाने, उनमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढाने के लिए कार्य करती है जैसा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में वर्णित है। इसका गठन मुख्यत: भारतीय जाति व्यवस्था के अन्तर्गत सबसे नीचे माने जाने वाले बहुजन, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक शामिल हैं, ऐसे समाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया गया था, जिनकी जनसंख्या भारत देश में 85% है। दल का दर्शन बाबा साहेब अम्बेडकर के मानवतावादी बौद्ध दर्शन से प्रेरित है। .

नई!!: लखनऊ और बहुजन समाज पार्टी · और देखें »

बादशाहनगर रेलवे स्टेशन

बादशाहनगर रेलवे स्टेशन लखनऊ शहर का एक रेलवे स्टेशन है। .

नई!!: लखनऊ और बादशाहनगर रेलवे स्टेशन · और देखें »

बादाम हलवा

बादाम हलवा लखनऊ की एक मिठाई है। श्रेणी:मिठाई.

नई!!: लखनऊ और बादाम हलवा · और देखें »

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह रायबरेली मार्ग पर चारबाग रेलवे स्टेशन से से १० कि.मी दक्षिण में विद्या विहार में स्थित है। .

नई!!: लखनऊ और बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय · और देखें »

बाबू बनारसी दास नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट

बाबू बनारसी दास नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित एक इंजीनियरी महाविद्यालय है। यह बाबू बनारसी दास शिक्षा समिति द्वारा सम्चालित है। इसकी स्थापना सन् १९९८ में हुई थी। .

नई!!: लखनऊ और बाबू बनारसी दास नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट · और देखें »

बाबू गुलाब सिंह

320px। सवंत्रता सेनानी। अमर शहीद क्रांतिकारी बाबू गुलाब सिंह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जनपद के तरौल (तारागढ़) गाँव में हुआ था। पेशे से वें तालुकेदार थे।अवध क्षेत्र प्रतापगढ़ और प्रयाग में सन १८५७ की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इनकी भूमिका अहम् रही। .

नई!!: लखनऊ और बाबू गुलाब सिंह · और देखें »

बाबूराव विष्णु पराडकर

बाबूराव विष्णु पराड़कर (16 नवम्बर 1883 - 12 जनवरी 1955) हिन्दी के जाने-माने पत्रकार, साहित्यकार एवं हिन्दीसेवी थे। उन्होने हिन्दी दैनिक 'आज' का सम्पादन किया। भारत की आजादी के आंदोलन में अखबार को बाबूराव विष्णु पराड़कर ने एक तलवार की तरह उपयोग किया। उनकी पत्रकारिता ही क्रांतिकारिता थी। उनके युग में पत्रकारिता एक मिशन हुआ करता था। एक जेब में पिस्तौल, दूसरी में गुप्त पत्र 'रणभेरी' और हाथों में 'आज', 'संसार' जैसे पत्रों को संवारने, जुझारू तेवर देने वाली लेखनी के धनी पराडकरजी ने जेल जाने, अखबार की बंदी, अर्थदंड जैसे दमन की परवाह किए बगैर पत्रकारिता का वरण किया। मुफलिसी में सारा जीवन न्यौछावर करने वाले पराडकर जी ने आजादी के बाद देश की आर्थिक गुलामी के खिलाफ धारदार लेखनी चलाई। मराठीभाषी होते हुए भी हिंदी के इस सेवक की जीवनयात्रा अविस्मरणीय है। .

नई!!: लखनऊ और बाबूराव विष्णु पराडकर · और देखें »

बावड़ी

बावड़ी श्रेणी:सिंचाई श्रेणी:भारतीय वास्तुशास्त्र श्रेणी:भारत में जल प्रबंधन श्रेणी:भारतीय स्थापत्य कला श्रेणी:बावड़ी.

नई!!: लखनऊ और बावड़ी · और देखें »

बिरयानी

Indian dishes. Iranian Biryani's (Isfahan) Iranian Biryani Chef Chicken Dum Biryani बिरयानी भारतीय उपमहाद्वीप का चावल के साथ सब्जियों और माँस के मिश्रण से बना एक प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय व्यंजन है.

नई!!: लखनऊ और बिरयानी · और देखें »

बिरजू महाराज

पंडित बृजमोहन मिश्र (जिन्हें बिरजू महाराज भी कहा जाता है)(जन्म: ४ फ़रवरी १९३८) प्रसिद्ध भारतीय कथक नर्तक एवं शास्त्रीय गायक हैं। ये शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ कालिका-बिन्दादिन घराने के अग्रणी नर्तक हैं। पंडित जी कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज हैं जिसमें अन्य प्रमुख विभूतियों में इनके दो चाचा व ताऊ, शंभु महाराज एवं लच्छू महाराज; तथा इनके स्वयं के पिता एवं गुरु अच्छन महाराज भी आते हैं। हालांकि इनका प्रथम जुड़ाव नृत्य से ही है, फिर भी इनकी हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन पर भी अच्छी पकड़ है, तथा ये एक अच्छे शास्त्रीय गायक भी हैं। इन्होंने कत्थक नृत्य में नये आयाम नृत्य-नाटिकाओं को जोड़कर उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।।बीबीसी हिंदी। प्रीति मान, फ़ोटो पत्रकार।21 नवंबर 2015 इन्होंने कत्थक हेतु '''कलाश्रम''' की स्थापना भी की है। इसके अलावा इन्होंने विश्व पर्यन्त भ्रमण कर सहस्रों नृत्य कार्यक्रम करने के साथ-साथ कत्थक शिक्षार्थियों हेतु सैंकड़ों कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं। अपने चाचा, शम्भू महाराज के साथ नई दिल्ली स्थित भारतीय कला केन्द्र, जिसे बाद में कत्थक केन्द्र कहा जाने लगा; उसमें काम करने के बाद इस केन्द्र के अध्यक्ष पर भी कई वर्षों तक आसीन रहे। तत्पश्चात १९९८ में वहां से सेवानिवृत्त होने पर अपना नृत्य विद्यालय कलाश्रम भी दिल्ली में ही खोला। .

नई!!: लखनऊ और बिरजू महाराज · और देखें »

बिली अर्जन सिंह

कुँवर बिली अर्जन सिंह (१५ अगस्त १९१७ – १ जनवरी २०१०) विश्वप्रसिद्ध बाघ सरंक्षक एंव पर्यावरणविद् थे। दुधवा नेशनल पार्क के संस्थापक, बाघ एंव तेन्दुओं के पुनर्वासन कार्यक्रम के जनक बिली जीवन पर्यन्त खीरी जनपद के जंगलों के सरंक्षण व सवंर्धन में संघर्षरत रहे। ब्रिटिश-इंडिया में उत्तर-खीरी वन-प्रभाग के समीप सुहेली नदी पर निवास बनाकर वन्य जीवों की सुरक्षा में शिकारियों एंव भ्रष्ट सरकारी तन्त्र से लड़ाइया लड़ते रहे। वन्य जीवन के क्षेत्र में पूरी दुनिया में इनके प्रयोगों की चर्चा रही और आज के बाघ सरंक्षक इनके कार्यों से प्रेरणा लेते आ रहे हैं। .

नई!!: लखनऊ और बिली अर्जन सिंह · और देखें »

बिसौरी

बिसौरी उत्तरी भारत में जौनपुर जिला का एक गांव है जिसकी आबादी लगभग 1000 है। बिसौरी वाराणसी डिवीजन और जौनपुर जिला प्रशासन के अंतर्गत आता है। यह जौनपुर शहर से 49 किमी पूर्व, और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 306 किमी की दूर पर स्थित है। बिसौरी का पोस्टल इंडेक्स नंबर है और पोस्ट ऑफिस पतरहीं है और प्रधान डाक कार्यालय शहर में स्थित है। बिसौरी एक ग्राम पंचायत है, इस पंचायत में दो गांव हैं जिसमे पहला गांव बिसौरी तथा दूसरा गांव तिवारीपुर है। .

नई!!: लखनऊ और बिसौरी · और देखें »

बिहार में यातायात

यह लेख बिहार राज्य की सार्वजनिक और निजी परिवहन प्रणाली के बारे में है। .

नई!!: लखनऊ और बिहार में यातायात · और देखें »

बख्शी का तलाब

'बख्शी का तलाब लखनऊ जिले का ब्लॉक है। श्रेणी:लखनऊ जिले की तहसीलें.

नई!!: लखनऊ और बख्शी का तलाब · और देखें »

बछेंद्री पाल

बछेंद्री पाल (जन्म: 24 मई 1954) माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं। .

नई!!: लखनऊ और बछेंद्री पाल · और देखें »

बुद्ध पार्क

बुद्ध पार्क लखनऊ का एक प्रसिद्ध पार्क है। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और बुद्ध पार्क · और देखें »

ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था

१८९० में मुम्बई के कल्बादेवी रोड का एक दृष्य १९०९ में भारतीय रेलवे का मानचित्र १९४५ में हुगली का दृष्य बहुत प्राचीन काल से भारतवर्ष का विदेशों से व्यापार हुआ करता था। यह व्यापार स्थल मार्ग और जल मार्ग दोनों से होता था। इन मार्गों पर एकाधिकार प्राप्त करने के लिए विविध राष्ट्रों में समय-समय पर संघर्ष हुआ करता था। जब इस्लाम का उदय हुआ और अरब, फारस मिस्र और मध्य एशिया के विविध देशों में इस्लाम का प्रसार हुआ, तब धीरे-धीरे इन मार्गों पर मुसलमानों का अधिकार हो गया और भारत का व्यापार अरब निवासियों के हाथ में चला गया। अफ्रीका के पूर्वी किनारे से लेकर चीन समुद्र तक समुद्र तट पर अरब व्यापारियों की कोठियां स्थापित हो गईं। यूरोप में भारत का जो माल जाता था वह इटली के दो नगर जिनोआ और वेनिस से जाता था। ये नगर भारतीय व्यापार से मालामाल हो गए। वे भारत का माल कुस्तुन्तुनिया की मंडी में खरीदते थे। इन नगरों की धन समृद्धि को देखकर यूरोप के अन्य राष्ट्रों को भारतीय व्यापार से लाभ उठाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न इस इच्छा की पूर्ति में सफल न हो सके। बहुत प्राचीन काल से यूरोप के लोगों का अनुमान था कि अफ्रीका होकर भारतवर्ष तक समुद्र द्वारा पहुंचने का कोई न कोई मार्ग अवश्य है। चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में एक नए युग का प्रारंभ हुआ। नए-नए भौगोलिक प्रदेशों की खोज आरंभ हुई। कोलम्बस ने सन् 1492 ईस्वी में अमेरिका का पता लगाया और यह प्रमाणित कर दिया कि अटलांटिक के उस पार भी भूमि है। पुर्तगाल की ओर से बहुत दिनों से भारतवर्ष के आने के मार्ग का पता लगाया जा रहा था। अंत में, अनेक वर्षों के प्रयास के अनंतर सन् 1498 ई. में वास्कोडिगामा शुभाशा अंतरीप (cape of good hope) को पार कर अफ्रीका के पूर्वी किनारे पर आया; और वहाँ से एक गुजराती नियामक को लेकर मालाबार में कालीकट पहुंचा। पुर्तगालवासियों ने धीरे-धीरे पूर्वी व्यापार को अरब के व्यापारियों से छीन लिया। इस व्यापार से पुर्तगाल की बहुत श्री-वृद्धि हुई। देखा -देखी, डच अंग्रेज और फ्रांसीसियों ने भी भारत से व्यापार करना शुरू किया। इन विदेशी व्यापारियों में भारत के लिए आपस में प्रतिद्वंद्विता चलती थी और इनमें से हर एक का यह इरादा था कि दूसरों को हटाकर अपना अक्षुण्य अधिकार स्थापित करें। व्यापार की रक्षा तथा वृद्धि के लिए इनको यह आवश्यक प्रतीत हुआ कि अपनी राजनीतिक सत्ता कायम करें। यह संघर्ष बहुत दिनों तक चलता रहा और अंग्रेजों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर विजय प्राप्त की और सन् 1763 के बाद से उनका कोई प्रबल प्रतिद्वंदी नहीं रह गया। इस बीच में अंग्रेजों ने कुछ प्रदेश भी हस्तगत कर लिए थे और बंगाल, बिहार उड़ीसा और कर्नाटक में जो नवाब राज्य करते थे वे अंग्रेजों के हाथ की कठपुतली थे। उन पर यह बात अच्छी तरह जाहिर हो गई थी कि अंग्रेजों ने कुछ प्रदेश भी हस्तगत कर लिए थे और बंगाल, बिहार उड़ीसा और कर्नाटक में जो नवाब राज्य करते थे वे अंग्रेजों के हाथ की कठपुतली थे। उन पर यह बात अच्छी तरह जाहिर हो गई थी कि अंग्रेजों का विरोध करने से पदच्युत कर दिए जाएंगे। यह विदेशी व्यापारी भारत से मसाला, मोती, जवाहरात, हाथी दांत की बनी चीजें, ढाके की मलमल और आबेरवां, मुर्शीदाबाद का रेशम, लखनऊ की छींट, अहमदाबाद के दुपट्टे, नील आदि पदार्थ ले जाया करते थे और वहां से शीशे का सामान, मखमल साटन और लोहे के औजार भारतवर्ष में बेचने के लिए लाते थे। हमें इस ऐतिहासिक तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि भारत में ब्रिटिश सत्ता का आरंभ एक व्यापारिक कंपनी की स्थापना से हुआ। अंग्रेजों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा तथा चेष्टा भी इसी व्यापार की रक्षा और वृद्धि के लिए हुई थी। उन्नीसवीं शताब्दी के पहले इंग्लैंड का भारत पर बहुत कम अधिकार था और पश्चिमी सभ्यता तथा संस्थाओं का प्रभाव यहां नहीं के बराबर था। सन् 1750 से पूर्व इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति भी नहीं आरंभ हुई थी। उसके पहले भारत वर्ष की तरह इंग्लैंड भी एक कृषिप्रधान देश था। उस समय इंग्लैंड को आज की तरह अपने माल के लिए विदेशों में बाजार की खोज नहीं करनी पड़ती थी। उस समय गमनागमन की सुविधाएं न होने के कारण सिर्फ हल्की-हल्की चीजें ही बाहर भेजी जा सकती थीं। भारतवर्ष से जो व्यापार उस समय विदेशों से होता था, उससे भारत को कोई आर्थिक क्षति भी नहीं थी। सन् 1765 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी को मुगल बादशाह शाह आलम से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई, तब से वह इन प्रांतों में जमीन का बंदोबस्त और मालगुजारी वसूल करने लगी। इस प्रकार सबसे पहले अंग्रेजों ने यहां की मालगुजारी की प्रथा में हेर-फेर किया। इसको उस समय पत्र व्यवहार की भाषा फारसी थी। कंपनी के नौकर देशी राजाओं से फारसी में ही पत्र व्यवहार करते थे। फौजदारी अदालतों में काजी और मौलवी मुसलमानी कानून के अनुसार अपने निर्णय देते थे। दीवानी की अदालतों में धर्म शास्त्र और शहर अनुसार पंडितों और मौलवियों की सलाह से अंग्रेज कलेक्टर मुकदमों का फैसला करते थे। जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने शिक्षा पर कुछ व्यय करने का निश्चय किया, तो उनका पहला निर्णय अरबी, फारसी और संस्कृत शिक्षा के पक्ष में ही हुआ। बनारस में संस्कृत कालेज और कलकत्ते में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की गई। पंडितों और मौलवियों को पुरस्कार देकर प्राचीन पुस्तकों के मुद्रित कराने और नवीन पुस्तकों के लिखने का आयोजन किया गया। उस समय ईसाइयों को कंपनी के राज में अपने धर्म के प्रचार करने किया गया। उस समय ईसाइयों को कंपनी के राज में अपने धर्म के प्रचार करने की स्वतंत्रता नहीं प्राप्त थी। बिना कंपनी से लाइसेंस प्राप्त किए कोई अंग्रेज न भारतवर्ष में आकर बस सकता था और न जायदाद खरीद सकता था। कंपनी के अफसरों का कहना था कि यदि यहां अंग्रेजों को बसने की आम इजाजत दे दी जाएगी तो उससे विद्रोह की आशंका है; क्योंकि विदेशियों के भारतीय धर्म और रस्म-रिवाज से भली -भांति परिचित न होने के कारण इस बात का बहुत भय है कि वे भारतीयों के भावों का उचित आदर न करेंगे। देशकी पुरानी प्रथा के अनुसार कंपनी अपने राज्य के हिंदू और मुसलमान धर्म स्थानों का प्रबंध और निरीक्षण करती थी। मंदिर, मस्जिद, इमामबाड़े और खानकाह के आय-व्यय का हिसाब रखना, इमारतों की मरम्मत कराना और पूजा का प्रबंध, यह सब कंपनी के जिम्मे था। अठारहवीं शताब्दी के अंत से इंग्लैंड के पादरियों ने इस व्यवस्था का विरोध करना शुरू किया। उनका कहना था कि ईसाई होने के नाते कंपनी विधर्मियों के धर्म स्थानों का प्रबंध अपने हाथ में नहीं ले सकती। वे इस बात की भी कोशिश कर रहे थे कि ईसाई धर्म के प्रचार में कंपनी की ओर से कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। उस समय देशी ईसाइयों की अवस्था बहुत शोचनीय थी। यदि कोई हिंदू या मुसलमान ईसाई हो जाता था तो उसका अपनी जायदाद और बीवी एवं बच्चों पर कोई हक नहीं रह जाता था। मद्रास के अहाते में देशी ईसाइयों को बड़ी-बड़ी नौकरियां नहीं मिल सकती थीं। इनको भी हिंदुओं के धार्मिक कृत्यों के लिए टैक्स देना पड़ता था। जगन्नाथ जी का रथ खींचने के लिए रथ यात्रा के अवसर पर जो लोग बेगार में पकड़े जाते थे उनमें कभी-कभी ईसाई भी होते थे। यदि वे इस बेगार से इनकार करते थे तो उनको बेंत लगाए जाते थे। इंग्लैंड के पादरियों का कहना था कि ईसाइयों को उनके धार्मिक विश्वास के प्रतिकूल किसी काम के करने के लिए विवश नहीं करना चाहिए और यदि उनके साथ कोई रियायत नहीं की जा सकती तो कम से कम उनके साथ वहीं व्यवहार होना चाहिए जो अन्य धर्माबलंबियों के साथ होता है। धीरे-धीरे इस दल का प्रभाव बढ़ने लगा और अंत में ईसाई पादरियों की मांग को बहुत कुछ अंश में पूरा करना पड़ा। उसके फलस्वरूप अपनी जायदाद से हाथ नहीं धोना पड़ेगा। ईसाइयों को धर्म प्रचार की भी स्वतंत्रता मिल गई। अब राज दरबार की भाषा अंग्रेजी हो गई और अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन देने का निश्चय हुआ। धर्म-शास्त्र और शरह का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया और एक ‘ला कमीश’ नियुक्त कर एक नया दंड़ विधान और अन्य नए कानून तैयार किए गए। सन् 1853 ई. में धर्म स्थानों का प्रबंध स्थानीय समितियां बनाकर उनके सुपुर्द कर दिया गया। सन् 1854 में अदालतों में जो थोड़े बहुत पंडित और मौलवी बच गए थे वे भी हटा दिए गए। इस प्रकार देश की पुरानी संस्थाएं नष्ट हो गईं और हिंदू और मुसलमानों की यह धारणा होने लगी कि अंग्रेज उन्हें ईसाई बनाना चाहते हैं। इन्हीं परिवर्तनों का और डलहौजी की हड़पने की नीति का यह फल हुआ कि सन् 1857 में एक बड़ी क्रांति हुई जिसे सिपाही विद्रोह कहते हैं। सन् 1857 के पहले ही यूरोप में औद्योगिक क्रांति हो चुकी थी। इस क्रांति में इंग्लैंड सबका अगुआ था; क्योंकि उसको बहुत-सी ऐसी सुविधाएं थीं जो अन्य देशों को प्राप्त नहीं थी। इंग्लैंड ने ही वाष्प यंत्र का आविष्कार किया। भारत के व्यापार से इंग्लैंड की पूंजी बहुत बढ़ गई थी। उसके पास लोहे और कोयले की इफरात थी। कुशल कारीगरों की भी कमी न थी। इस नानाविध कारणों से इंग्लैंड इस क्रांति में अग्रणी बना। इंग्लैंड के उत्तरी हिस्से में जहां लोहा तथा कोयला निकलता था वहां कल कारखाने स्थापित होने लगे। कारखानों के पास शहर बसने लगे। इंग्लैंड के घरेलू उद्योग-धंधे नष्ट हो गए। मशीनों से बड़े पैमाने पर माल तैयार होने लगा। इस माल की खपत यूरोप के अन्य देशों में होने लगी। देखा-देखी यूरोप के अन्य देशों में भी मशीन के युग का आरंभ हुआ। ज्यों-ज्यों यूरोप के अन्य देशों में नई प्रथा के अनुसार उद्योग व्यवसाय की वृद्धि होने लगी, त्यों-त्यों इंग्लैंड को अपने माल के लिए यूरोप के बाहर बाजार तलाश करने की आवश्यकता प्रतीत होने लगी। भारतवर्ष इंग्लैंड के अधीन था, इसलिए राजनीतिक शक्ति के सहारे भारतवर्ष को सुगमता के साथ अंग्रेजी माल का एक अच्छा-खासा बाजार बना दिया गया। अंग्रेजी शिक्षा के कारण धीरे-धीरे लोगों की अभिरुचि बदल रही थी। यूरोपीय वेशभूषा और यूरोपीय रहन-सहन अंग्रेजी शिक्षित वर्ग को प्रलोभित करने लगा। भारत एक सभ्य देश था, इसलिए यहां अंग्रेजी माल की खपत में वह कठिनाई नहीं प्रतीत हुई जो अफ्रीका के असभ्य या अर्द्धसभ्य प्रदेशों में अनुभूत हुई थी। सबसे पहले इस नवीन नीति का प्रभाव भारत के वस्त्र व्यापार पर पड़ा। मशीन से तैयार किए हुए माल का मुकाबला करना करघों पर तैयार किए हुए माल के लिए असंभव था। धीरे-धीरे भारत की विविध कलाएं और उद्योग नष्ट होने लगे। भारत के भीतरी प्रदेशों में दूर-दूर माल पहुंचाने के लिए जगह-जगह रेल की सड़कें निकाली गईं। भारत के प्रधान बंदरगाह कलकत्ता, बंबई और मद्रास भारत के बड़े-बड़े नगरों से संबद्ध कर दिए गए विदेशी व्यापार की सुविधा की दृष्टि से डलहौजी के समय में पहली रेल की सड़कें बनी थीं। इंगलैंड को भारत के कच्चे माल की आवश्यकता थी। जो कच्चा माल इन बंदरगाहों को रवाना किया जाता था, उस पर रेल का महसूल रियायती था। आंतरिक व्यापार की वृद्धि की सर्वथा उपेक्षा की जाती थी। इस नीति के अनुसार इंग्लैंड को यह अभीष्ट न था कि नए-नए आविष्कारों से लाभ उठाकर भारतवर्ष के उद्योग व्यवसाय का नवीन पद्धति से पुनः संगठन किया जाए। वह भारत को कृषि प्रधान देश ही बनाए रखना चाहता था, जिसमें भारत से उसे हर तरह का कच्चा माल मिले और उसका तैयार किया माल भारत खरीदे। जब कभी भारतीय सरकार ने देशी व्यवसाय को प्रोत्साहन देने का निश्चय किया, तब तब इंग्लैंड की सरकार ने उसके इस निश्चय का विरोध किया और उसको हर प्रकार से निरुत्साहित किया। जब भारत में कपड़े की मिलें खुलने लगीं और भारतीय सरकार को इंग्लैंड से आनेवाले कपड़े पर चुंगी लगाने की आवश्यकता हुई, तब इस चुंगी का लंकाशायर ने घोर विरोध किया और जब उन्होंने यह देखा कि हमारी वह बात मानी न जाएगी तो उन्होंने भारत सरकार को इस बात पर विवश किया कि भारतीय मिल में तैयार हुए कपड़े पर भी चुंगी लगाई जाए, जिसमें देशी मिलों के लिए प्रतिस्पर्द्धा करना संभव न हो। पब्लिक वर्क्स विभाग खोलकर बहुत-सी सड़के भी बनाई गईं जिसका फल यह हुआ कि विदेशी माल छोटे-छोटे कस्बों तथा गांवों के बाजारों में भी पहुंचने लगा। रेल और सड़कों के निर्माण से भारत के कच्चे माल के निर्यात में वृद्धि हो गई और चीजों की कीमत में जो अंतर पाया जाता था। वह कम होने लगा। खेती पर भी इसका प्रभाव पड़ा और लोग ज्यादातर ऐसी ही फसल बोने लगे जिनका विदेश में निर्यात था। यूरोपीय व्यापारी हिंदुस्तानी मजदूरों की सहायता से हिंदुस्तान में चाय, कहवा, जूट और नील की काश्त करने लगे। बीसवीं शताब्दी के पाँचवे दशक में भारतवर्ष में अग्रेजों की बहुत बड़ी पूँजी लगी हुई थी। पिछले पचास-साठ वर्षों में इस पूँजी में बहुत तेजी के साथ वृद्धि हुई। 634 विदेशी कंपनियां भारत में इस समय कारोबार कर रही थीं। इनकी वसूल हुई पूंजी लगभग साढ़े सात खरब रुपया थी और 5194 कंपनियां ऐसी थीं जिनकी रजिस्ट्री भारत में हुई थी और जिनकी पूंजी 3 खरब रुपया थी। इनमें से अधिकतर अंग्रेजी कंपनियां थीं। इंग्लैंड से जो विदेशों को जाता था उसका दशमांश प्रतिवर्ष भारत में आता था। वस्त्र और लोहे के व्यवसाय ही इंग्लैंड के प्रधान व्यवसाय थे और ब्रिटिश राजनीति में इनका प्रभाव सबसे अधिक था। भारत पर इंग्लैंड का अधिकार बनाए रखने में इन व्यवसायों का सबसे बड़ा स्वार्थ था; क्योंकि जो माल ये बाहर रवाना करते थे उसके लगभग पंचमांश की खपत भारतवर्ष में होती थी। भारत का जो माल विलायत जाता था उसकी कीमत भी कुछ कम नहीं थी। इंग्लैंड प्रतिवर्ष चाय, जूट, रुई, तिलहन, ऊन और चमड़ा भारत से खरीदता था। यदि केवल चाय का विचार किया जाए तो 36 करोड़ रुपया होगा। इन बातों पर विचार करने से यह स्पष्ट है कि ज्यों-ज्यों इंग्लैंड का भारत में आर्थिक लाभ बढ़ता गया त्यों-त्यों उसका राजनीतिक स्वार्थ भी बढ़ता गया। .

नई!!: लखनऊ और ब्रिटिश काल में भारत की अर्थव्यवस्था · और देखें »

ब्लॉगोत्सव

ब्लॉगोत्सव अंतर्जाल पर हुई साहित्योत्सव की परिकल्पना का मूर्तरूप है। परिकल्पना डॉट कॉम के संचालक-समन्वयक और हिंदी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक लखनऊ निवासी रवीन्द्र प्रभात ने अपने छ: सहयोगियों क्रमश: अविनाश वाचस्‍पति, रश्मि प्रभा, ज़ाक़िर अली रजनीश, रणधीर सिंह सुमन, इं.

नई!!: लखनऊ और ब्लॉगोत्सव · और देखें »

बृज नारायण चकबस्त

ब्रजनारायण चकबस्त (1882–1926) उर्दू कवि थे। वे प्रसिद्ध तथा सम्मानित कश्मीरी परिवार के थे। यद्यपि इनके पूर्वज लखनऊ के निवासी थे तथापि इनका जन्म फैजाबाद में सन्‌ 1882 ई. में हुआ था। इनके पिता पं॰ उदित नारायण जी इनकी अल्पावस्था ही में गत हो गए। इनकी माता तथा बड़े भाई महाराजनारायण ने इन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई, जिससे ये सन्‌ 1907 ई. में वकालत परीक्षा में उत्तीर्ण होकर सफल वकील हुए। ये समाजसुधारक थे और सेवाकार्यो में सदा संनद्ध रहा करते थे। उर्दू कविता भी करने लगे थे और शीघ्र ही इसमें ऐसी योग्यता प्राप्त कर ली कि उर्दू के कवियों की प्रथम पंक्ति में इन्हें स्थान मिल गया। एक मुकदमे से रायबरेली से लौटते समय 12 फ़रवरी सन्‌ 1926 ई. को स्टेशन पर ही फालिज का ऐसा आक्रमण हुआ कि कुछ ही घंटों में इनकी मृत्यु हो गई। इनकी मृत्यु से उर्दू भाषा तथा कविता को विशेष क्षति पहुँची। चकबस्त लखनऊ के व्यवहार आदि के अच्छे आदर्श थे। इनके स्वभाव में ऐसी विनम्रता, मिलनसारी, सज्जनता तथा सुव्यवहारशीलता थी कि ये सर्वजन प्रिय हो गए थे। धार्मिक कट्टरता इनमें नाम को भी नहीं थी। इन्होंने पूर्ववर्ती कवियों की उर्दू कविताएँ बहुत पढ़ी थी और इनपर अनीस, आतिश तथा गालिब का प्रभाव अच्छा पड़ा था। उर्दू में प्राय: कविगण गजलों से ही कविता करना आरंभ करते हैं परंतु इन्होंने नज्म द्वारा आपनी कविता आरंभ की और फिर गज़लें भी ऐसी लिखीं जो उर्दू काव्यक्षेत्र में अपना जोड़ नहीं रखती। इनकी कविता में बौद्धिक कौशल अधिक है अर्थात्‌ केवल सुनकर आनंद लेने योग्य नहीं है प्रत्युत्‌ पढ़कर मनन करने योग्य है। इन्होंने अपने समय के नेताओं के जो मर्सिए लिखे हैं उन्हें पढ़ने से पाठकों के हृदय में देशभक्ति जाग्रत होती है। दृश्यवर्णन भी इनका उच्च कोटि का हुआ है और इसके लिये भाषा भी साफ सुथरी रखी है। इनकी वर्णनशैली में लखनऊ की रंगीनी तथा दिल्ली की सादगी और प्रभावोत्पादकता का सुंदर मेल है। उपदेश तथा ज्ञान की बातें भी ऐसे अच्छे ढंग से कहीं गई हैं कि सुननेवाले ऊबते नहीं। पद्य के सिवा गद्य भी इन्होंने बहुत लिखा है, जो मुजामीने चकबस्त में संगृहीत हैं। इनमें आलोचनात्मक तथा राष्ट्रोन्नति संबंधी लेख हैं जो ध्यानपूर्वक पढ़ने योग्य है। गंभीर, विद्वत्तापूर्ण्‌ तथा विशिष्ट गद्य लिखने का इन्होंने नया मार्ग निकाला और देश की भिन्न भिन्न जातियों में तथा व्यवहार का संबंध दृढ़ किया। सुबहे वतन में इनकी कविताओं का संग्रह है। इन्होंने कमला नामक एक नाटक लिखा है। .

नई!!: लखनऊ और बृज नारायण चकबस्त · और देखें »

बूँद और समुद्र

बूँद और समुद्र (1956) साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध हिन्दी उपन्यासकार अमृतलाल नागर का सर्वोत्कृष्ट उपन्यास माना जाता है। इस उपन्यास में लखनऊ को केंद्र में रखकर अपने देश के मध्यवर्गीय नागरिक और उनके गुण-दोष भरे जीवन का कलात्मक चित्रण किया गया है। पात्रों का सजीव चरित्रांकन इस उपन्यास में विशेषतया दृष्टिगोचर होता है। .

नई!!: लखनऊ और बूँद और समुद्र · और देखें »

बेनी प्रवीन(रीतिग्रंथकार कवि)

बेनी प्रवीन हिन्दी के रीतिग्रंथकार कवि हैं। बेनी प्रवीन का वास्तविक नाम बेनीदीन वाजपेयी था। ये संभवत: लखनऊ के निवासी थे। इनकी सुख्यात रचना 'नवरसतरंग' है। इसमें दिए गए विवरण से ज्ञात होता है कि इसकी रचना सन् १८१७ ई. में नवलकृष्ण की प्रशंसा में की गई थी। नवलकृष्ण अवध के नवाब गाजीउद्दीन हैदर के दीवान राजा दयाकृष्ण के आत्मज थे। इनका एक अन्य ग्रंथ 'नानारावप्रकाश' है। यह अलंकार ग्रंथ है जिसकी रचना उस समय की गई थी जब उन्हें कुछ समय तक बिठूर निवासी नानाराव पेशवा के आश्रम में रहना पड़ा था। इनकी गणना रीतिकालीन सरस कवियों में की जा सकती है। श्रेणी:रीतिकाल के कवि श्रेणी:हिन्दी साहित्य.

नई!!: लखनऊ और बेनी प्रवीन(रीतिग्रंथकार कवि) · और देखें »

बेगम हजरत महल पार्क

बेगम हजरत महल पार्क लखनऊ के हृदय हज़रत गंज में गोमती नदी के हनुमान-सेतु पुल के ठीक सामने परिवर्तन चौक के बाद बना हुआ एक उद्यान है। इसमें खुर्शीद जैदी और सआदत अली का मकबरा बना हुआ है, जिसके आस-पास उद्यान विकसित क्या हुआ है। इस उद्यान का नाम बदल कर उर्मिला वाटिका कर दिय़ा गया था। श्रेणी:लखनऊ.

नई!!: लखनऊ और बेगम हजरत महल पार्क · और देखें »

बेगम हज़रत महल

बेगम हज़रत महल (नस्तालीक़:, 1820 - 7 अप्रैल 1879), जो अवध (अउध) की बेगम के नाम से भी प्रसिद्ध थीं, अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थीं। अंग्रेज़ों द्वारा कलकत्ते में अपने शौहर के निर्वासन के बाद उन्होंने लखनऊ पर क़ब्ज़ा कर लिया और अपनी अवध रियासत की हकूमत को बरक़रार रखा। अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े से अपनी रियासत बचाने के लिए उन्होंने अपने बेटे नवाबज़ादे बिरजिस क़द्र को अवध के वली (शासक) नियुक्त करने की कोशिश की थी; मगर उनके शासन जल्द ही ख़त्म होने की वजह से उनकी ये कोशिश असफल रह गई। उन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। अंततः उन्होंने नेपाल में शरण मिली जहाँ उनकी मृत्यु 1879 में हुई थी। .

नई!!: लखनऊ और बेगम हज़रत महल · और देखें »

बीमा लोकपाल

बीमा अनुबंध भारत सरकार .

नई!!: लखनऊ और बीमा लोकपाल · और देखें »

बीरबल साहनी

बीरबल साहनी (नवंबर, 1891 - 10 अप्रैल, 1949) अंतरराष्ट्रीय ख्याति के पुरावनस्पति वैज्ञानिक थे। .

नई!!: लखनऊ और बीरबल साहनी · और देखें »

बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान

बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान लखनऊ का एक पुरावनस्पतिविज्ञान पर अनुसंधान संस्थान है। यह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है। से बीरबल साहनी: संस्थापक एवं प्रथम मानित निदेशक यह ५३, विश्वविद्यालय मार्ग, लखनऊ पर स्थित है। इसका नाम इसके संस्थापक श्री बीरबल साहनी, प्रसिद्ध परावनस्पति वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है। सितंबर, १९३९ में इनको अध्यक्ष बनाकर एक पुरावनस्पतिज्ञों की समिति अनुसंधान हेतु गठित हुई थी। इसकी प्रथम रिपोर्ट १९४० एवं अंतिम रिपोर्ट १९५० में प्रकाशित हुई। ३ जून, १९५३ को आठ वैज्ञानिकों के नाम से एक न्यास की स्थापना भारतीय सोसायटी पंजीकरण धारा-२१ (१८६०) के अंतर्गत हुई। इसका उद्देश्य पुरावनस्पति विज्ञान पर प्रो॰ बीरबल साहनी एवं सावित्री साहनी के मूल शोध में एकत्रित किए गये जीवाश्म संग्रह एवं एक सन्दर्भ पुस्त्तकालय के गठन हेतु फंड जुटाना था। और अंततः इस संस्थान की स्थापना १० सितंबर, १९४६ को हुई। इसके प्रथम मानित निदेशक बीरबल साहनी को बनाया गया। सरकार ने इसके लिए ३.५ एकड़ भूमि भी आवंटित की। संस्थान की इमारत ३ अप्रैल, १९४९ को इसकी नींव प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी। हालाँकि दुर्भाग्य से बीरबल साहनी की मृत्यु १० अप्रैल, १९४९ को ही हो गयी। किंतु १९५२ के अंत तक इसकी इमारत भी बनकर तैयार हो गयी। १९५१ में यूनेस्को ने इसे अपने तकनीकी सहयोग कार्यक्रम में भी सम्मिलित कर लिया। इतिहास .

नई!!: लखनऊ और बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान · और देखें »

भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय

भातखण्डे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय लखनऊ में स्थित भारत का एक बड़ा ललित-कला (नृत्य-संगीत) समविश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय का नाम यहां के महान संगीतकार पंडित विष्णु नारायण भातखण्डे के नाम पर रखा हुआ है। इस महाविद्यालय की स्थापना १९२६ में राय उमानाथ बली एवं राजराजेश्वर बली, संयुक्त प्रान्त के तत्कालीन शिक्षा मंत्री के प्रयासों से पंडित भातखंडे द्वारा की गई थी। पूर्व नाम मैरिस कॉलेज ऑव म्यूज़िक हुआ करता था। यह संगीत का पवित्र मंदिर है। श्रीलंका, नेपाल आदि बहुत से एशियाई देशों एवं विश्व भर से साधक यहाँ नृत्य-संगीत की साधना करने आते हैं। लखनऊ ने कई विख्यात गायक दिये हैं, जिनमें से नौशाद अली, तलत महमूद, अनूप जलोटा और बाबा सहगल कुछ हैं। .

नई!!: लखनऊ और भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय · और देखें »

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

नई!!: लखनऊ और भारत · और देखें »

भारत में दशलक्ष-अधिक शहरी संकुलनों की सूची

भारत दक्षिण एशिया में एक देश है। भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार, वह सातवाँ सबसे बड़ा देश है, और १.२ अरब से अधिक लोगों के साथ, वह दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत में उनतीस राज्य और सात संघ राज्यक्षेत्र हैं। वह विश्व की जनसंख्या के १७.५ प्रतिशत का घर हैं। .

नई!!: लखनऊ और भारत में दशलक्ष-अधिक शहरी संकुलनों की सूची · और देखें »

भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

नई!!: लखनऊ और भारत में धर्म · और देखें »

भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची

भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची। भारत ने सर्वाधिक हिंदी भाषा के समाचार पत्र सर्कुलेट होते हैं उसके बाद इंग्लिश और उर्दू समाचारपत्रों का स्थान है। .

नई!!: लखनऊ और भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची · और देखें »

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

नई!!: लखनऊ और भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार · और देखें »

भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची

शिकोहाबाद तहसील के ग्राम नगला भाट में श्री मुकुट सिंह यादव जो ग्राम पंचायत रूपसपुर से प्रधान भी रहे हैं उनके तीन पुत्र हैं गजेंद्र यादव नगेन्द्र यादव पुष्पेंद्र यादव प्रधान जी का जन्म सन १९५० में हुआ था उन्होंने अपना सारा जीवन ग़रीबों के लिए क़ुर्बान कर दिया था और वो ५ भाईओ में सबसे छोटे थे और अपने परिवार को बाँधे रखा ११ मार्च २०१५ को उनका देहावसान हो गया ! वो आज भी हमारे दिलों में ज़िंदा हैं इस लेख में भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची है। भारत में रेलवे स्टेशनों की कुल संख्या 7,000 और 8,500 के बीच अनुमानित है। भारतीय रेलवे एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने के साथ दुनिया में चौथा सबसे बड़ा नियोक्ता है। सूची तस्वीर गैलरी निम्नानुसार है। .

नई!!: लखनऊ और भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची · और देखें »

भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले महानगरों की सूची

इस लेख में भारत के सर्वोच्च सौ महानगरीय क्षेत्रों की सूची (२००८ अनुसार) है। इन सौ महानगरों की संयुक्त जनसंख्या राष्ट्र की कुल जनसंख्या का सातवां भाग बनाती है। .

नई!!: लखनऊ और भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले महानगरों की सूची · और देखें »

भारत में संचार

भारतीय दूरसंचार उद्योग दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता दूरसंचार उद्योग है, जिसके पास अगस्त 2010http://www.trai.gov.in/WriteReadData/trai/upload/PressReleases/767/August_Press_release.pdf तक 706.37 मिलियन टेलीफोन (लैंडलाइन्स और मोबाइल) ग्राहक तथा 670.60 मिलियन मोबाइल फोन कनेक्शन्स हैं। वायरलेस कनेक्शन्स की संख्या के आधार पर यह दूरसंचार नेटवर्क मुहैया करने वाले देशों में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारतीय मोबाइल ग्राहक आधार आकार में कारक के रूप में एक सौ से अधिक बढ़ी है, 2001 में देश में ग्राहकों की संख्या लगभग 5 मिलियन थी, जो अगस्त 2010 में बढ़कर 670.60 मिलियन हो गयी है। चूंकि दूरसंचार उद्योग दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2013 तक भारत में 1.159 बिलियन मोबाइल उपभोक्ता हो जायेंगे.

नई!!: लखनऊ और भारत में संचार · और देखें »

भारत में स्मार्ट नगर

भारत में स्मार्ट नगर की कल्पना प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की है जिन्होंने देश के १०० नगरों को स्मार्ट नगरों के रूप में विकसित करने का संकल्प किया है। सरकार ने २७ अगस्त २०१५ को ९८ प्रस्तावित स्मार्ट नगरों की सूची जारी कर दी। .

नई!!: लखनऊ और भारत में स्मार्ट नगर · और देखें »

भारत में सैन्य अकादमियाँ

भारतीय सैन्य सेवा ने पेशेवर सैनिकों को नई पीढ़ी के सैन्य विज्ञान, युद्ध कमान तथा रणनीति और सम्बंधित प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से भारत के विभिन्न हिस्सों में कई प्रतिष्ठित अकादमियों और स्टाफ कॉलेजों की स्थापना की है। .

नई!!: लखनऊ और भारत में सैन्य अकादमियाँ · और देखें »

भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

नई!!: लखनऊ और भारत में विश्वविद्यालयों की सूची · और देखें »

भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

नई!!: लखनऊ और भारत में इस्लाम · और देखें »

भारत में कार्यरत बैंकों की सूची

यहाँ सहकारी बैंको को छोड़कर भारत में कार्यरत अन्य बैंकों की सूची दी गयी है। .

नई!!: लखनऊ और भारत में कार्यरत बैंकों की सूची · और देखें »

भारत में कॉफी उत्पादन

भारत में कॉफी वन भारत में कॉफी बागान भारत में कॉफ़ी का उत्पादन मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों में होता है। यहां कुल 8200 टन कॉफ़ी का उत्पादन होता है जिसमें से कर्नाटक राज्य में अधिकतम 53 प्रतिशत, केरल में 28 प्रतिशत और तमिलनाडु में 11 प्रतिशत उत्पादन होता है। भारतीय कॉफी दुनिया भर की सबसे अच्छी गुणवत्ता की कॉफ़ी मानी जाती है, क्योंकि इसे छाया में उगाया जाता है, इसके बजाय दुनिया भर के अन्य स्थानों में कॉफ़ी को सीधे सूर्य के प्रकाश में उगाया जाता है। भारत में लगभग 250000 लोग कॉफ़ी उगाते हैं; इनमें से 98 प्रतिशत छोटे उत्पादक हैं। 2009 में, भारत का कॉफ़ी उत्पादन दुनिया के कुल उत्पादन का केवल 4.5% था। भारत में उत्पादन की जाने वाली कॉफ़ी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा निर्यात कर दिया जाता है। निर्यात किये जाने वाले हिस्से का 70 प्रतिशत हिस्सा जर्मनी, रूस संघ, स्पेन, बेल्जियम, स्लोवेनिया, संयुक्त राज्य, जापान, ग्रीस, नीदरलैंड्स और फ्रांस को भेजा जाता है। इटली को कुल निर्यात का 29 प्रतिशत हिस्सा भेजा जाता है। अधिकांश निर्यात स्वेज़ नहर के माध्यम से किया जाता है। कॉफी भारत के तीन क्षेत्रों में उगाई जाती है। कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु दक्षिणी भारत के पारम्परिक कॉफ़ी उत्पादक क्षेत्र हैं। इसके बाद देश के पूर्वी तट में उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के गैर पारम्परिक क्षेत्रों में नए कॉफ़ी उत्पादक क्षेत्रों का विकास हुआ है। तीसरे क्षेत्र में उत्तर पूर्वी भारत के अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर और आसाम के राज्य शामिल हैं, इन्हें भारत के "सात बन्धु राज्यों" के रूप में जाना जाता है। भारतीय कॉफी, जिसे अधिकतर दक्षिणी भारत में मानसूनी वर्षा में उगाया जाता है, को "भारतीय मानसून कॉफ़ी" भी कहा जाता है। इसके स्वाद "सर्वश्रेष्ठ भारतीय कॉफ़ी के रूप में परिभाषित किया जाता है, पेसिफिक हाउस का फ्लेवर इसकी विशेषता है, लेकिन यह एक साधारण और नीरस ब्रांड है।" कॉफ़ी की चार ज्ञात किस्में हैं अरेबिका, रोबस्टा, पहली किस्म जिसे 17 वीं शताब्दी में कर्नाटक के बाबा बुदान पहाड़ी क्षेत्र में शुरू किया गया, का विपणन कई सालों से केंट और S.795 ब्रांड नामों के तहत किया जाता है। .

नई!!: लखनऊ और भारत में कॉफी उत्पादन · और देखें »

भारत रत्‍न

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .

नई!!: लखनऊ और भारत रत्‍न · और देखें »

भारत का भूगोल

भारत का भूगोल या भारत का भौगोलिक स्वरूप से आशय भारत में भौगोलिक तत्वों के वितरण और इसके प्रतिरूप से है जो लगभग हर दृष्टि से काफ़ी विविधतापूर्ण है। दक्षिण एशिया के तीन प्रायद्वीपों में से मध्यवर्ती प्रायद्वीप पर स्थित यह देश अपने ३२,८७,२६३ वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है। साथ ही लगभग १.३ अरब जनसंख्या के साथ यह पूरे विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भी है। भारत की भौगोलिक संरचना में लगभग सभी प्रकार के स्थलरूप पाए जाते हैं। एक ओर इसके उत्तर में विशाल हिमालय की पर्वतमालायें हैं तो दूसरी ओर और दक्षिण में विस्तृत हिंद महासागर, एक ओर ऊँचा-नीचा और कटा-फटा दक्कन का पठार है तो वहीं विशाल और समतल सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी, थार के विस्तृत मरुस्थल में जहाँ विविध मरुस्थलीय स्थलरुप पाए जाते हैं तो दूसरी ओर समुद्र तटीय भाग भी हैं। कर्क रेखा इसके लगभग बीच से गुजरती है और यहाँ लगभग हर प्रकार की जलवायु भी पायी जाती है। मिट्टी, वनस्पति और प्राकृतिक संसाधनो की दृष्टि से भी भारत में काफ़ी भौगोलिक विविधता है। प्राकृतिक विविधता ने यहाँ की नृजातीय विविधता और जनसंख्या के असमान वितरण के साथ मिलकर इसे आर्थिक, सामजिक और सांस्कृतिक विविधता प्रदान की है। इन सबके बावजूद यहाँ की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक एकता इसे एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करती है। हिमालय द्वारा उत्तर में सुरक्षित और लगभग ७ हज़ार किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा के साथ हिन्द महासागर के उत्तरी शीर्ष पर स्थित भारत का भू-राजनैतिक महत्व भी बहुत बढ़ जाता है और इसे एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करता है। .

नई!!: लखनऊ और भारत का भूगोल · और देखें »

भारत के दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर

* अमृतसर.

नई!!: लखनऊ और भारत के दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर · और देखें »

भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची

भारत के प्रधानमंत्री भारत गणराज्य की सरकार के मुखिया हैं। भारत के प्रधानमंत्री, का पद, भारत के शासनप्रमुख (शासनाध्यक्ष) का पद है। संविधान के अनुसार, वह भारत सरकार के मुखिया, भारत के राष्ट्रपति, का मुख्य सलाहकार, मंत्रिपरिषद का मुखिया, तथा लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का नेतृत्व करता है। भारत की राजनैतिक प्रणाली में, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल में का वरिष्ठ सदस्य होता है। .

नई!!: लखनऊ और भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची · और देखें »

भारत के प्रमुख अस्पताल

भारत के प्रत्येक मुख्य नगर में सरकार तथा दानी सज्जनों द्वारा स्थापित अनेक अस्पताल हैं। नीचे केवल कुछ प्रमुख तथा विशिष्ट रोगों से पीड़ितों के लिए अस्पतालों के नाम दिए जाते हैं:-- अमृतसर (पंजाब) - पंजाव मेंटल हास्पिटल (केवल मानसिक रोगों की चिकित्सा के लिए); पंजाब डेंटल हास्पिटल (केवल दंतरोग का चिकित्सा स्थान)। इंदौर (मध्यप्रदेश): इन्फ़ेक्शस डिज़ीज़ेज़ हास्पिटल (संक्रामक रोगों की चिकित्सा के लिए); कल्याणमल नर्सिग होम (रोगियों की देखभाल और उपचार के लिए विशिष्ट संस्था); लेपर असाइलम (कुष्ठरोगियों के लिए); मेंटल हास्पिटल (मानसिक रोगों का चिकित्सालय); टी.बी.

नई!!: लखनऊ और भारत के प्रमुख अस्पताल · और देखें »

भारत के प्रवेशद्वार

प्रवेशद्वार:भारत के सभि राज्य व केन्द्र शासित प्रदेश १. प्रवेशद्वार:अरुणाचल प्रदेश (इटानगर) २. प्रवेशद्वार:असम (दिसपुर) ३. प्रवेशद्वार:उत्तर प्रदेश (लखनऊ) ४. प्रवेशद्वार:उत्तरांचल (देहरादून) ५. प्रवेशद्वार:उड़ीसा (भुवनेश्वर) ६. प्रवेशद्वार:अंडमान और निकोबार द्वीप* (पोर्टब्लेयर) ७. प्रवेशद्वार:आंध्र प्रदेश (हैदराबाद) ८. प्रवेशद्वार:कर्नाटक (बंगलोर) ९. प्रवेशद्वार:केरल (तिरुवनंतपुरम) १०.

नई!!: लखनऊ और भारत के प्रवेशद्वार · और देखें »

भारत के महानगरों की सूची

भारत के महानगरों की सूची.

नई!!: लखनऊ और भारत के महानगरों की सूची · और देखें »

भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार

भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची (संख्या के क्रम में) भारत के राजमार्गो की एक सूची है। .

नई!!: लखनऊ और भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार · और देखें »

भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

नई!!: लखनऊ और भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश · और देखें »

भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की राजधानियाँ

यह सूची भारत के राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों की राजधानियों की है। भारत में कुल 29 राज्य और 7 केन्द्र-शासित प्रदेश हैं। सभी राज्यों और दो केन्द्र-शासित प्रदेशों, दिल्ली और पौण्डिचेरी, में चुनी हुई सरकारें और विधानसभाएँ होती हैं, जो वॅस्टमिन्स्टर प्रतिमान पर आधारित हैं। अन्य पाँच केन्द्र-शासित प्रदेशों पर देश की केन्द्र सरकार का शासन होता है। 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अन्तर्गत राज्यों का निर्माण भाषाई आधार पर किया गया था, और तबसे यह व्यवस्था लगभग अपरिवर्तित रही है। प्रत्येक राज्य और केन्द्र-शासित प्रदेश प्रशासनिक इकाईयों में बँटा होता है। नीचे दी गई सूची में राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों की विभिन्न प्रकार की राजधानियाँ सूचीबद्ध हैं। प्रशासनिक राजधानी वह होती है जहाँ कार्यकारी सरकार के कार्यालय स्थित होते हैं, वैधानिक राजधानी वह है जहाँ से राज्य विधानसभा संचालित होती है, और न्यायपालिका राजधानी वह है जहाँ उस राज्य या राज्यक्षेत्र का उच्च न्यायालय स्थित होता है। .

नई!!: लखनऊ और भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की राजधानियाँ · और देखें »

भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

नई!!: लखनऊ और भारत के शहरों की सूची · और देखें »

भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

यह सूचियों भारत के सबसे बड़े शहरों पर है। .

नई!!: लखनऊ और भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची · और देखें »

भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

कोई विवरण नहीं।

नई!!: लखनऊ और भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम · और देखें »

भारत के स्वायत्त विधि विद्यालय

भारत में गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा के बढ़ते महत्व के साथ विभिन्न राष्ट्रीय कानून विद्यालयों को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है। इस क्रम में छात्रों की आंकक्षाओं का पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार ने पहल करते हुए राज्यों के साथ राष्ट्रीय महत्व के विधि विद्यालय / विश्वविद्यालय को स्थापित किया है। वर्तमान में 16 राष्ट्रीय स्तर विधि विद्यालय/विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा के रुप में समेकित स्नातक और स्नात्तकोत्तर पाठ्यक्रम की पेशकश देशभर के छात्रों को दे रहे हैं। ये विधि संस्थान इन पाठ्यक्रमों के अलावा एनजीओ, सरकारी अधिकारियों प्रशासकों, स्थानीय सरकारी प्रतिनिधियों और पेशेवरों कानूनज्ञ के साथ बॉर कौंसिल के प्रतिनिधियों, अन्य प्रशासकों और पेशेवरों के लिए भी विभिन्न पाठ्यक्रम आयोजित करते हैं। .

नई!!: लखनऊ और भारत के स्वायत्त विधि विद्यालय · और देखें »

भारत के हवाई अड्डे

यह सूची भारत के हवाई यातायात है। .

नई!!: लखनऊ और भारत के हवाई अड्डे · और देखें »

भारत के उच्च न्यायालयों की सूची

भारतीय उच्च न्यायालय भारत के उच्च न्यायालय हैं। भारत में कुल २४ उच्च न्यायालय है जिनका अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक समूह होता हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता हैं। उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २१४, अध्याय ५ भाग ६ के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं। न्यायिक प्रणाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधायिकाओं और अधिकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं .

नई!!: लखनऊ और भारत के उच्च न्यायालयों की सूची · और देखें »

भारतेन्दु नाट्य अकादमी

भारतेन्दु नाट्य अकादमी (Bharatendu Academy of Dramatic Arts) उत्तर प्रदेश का एक स्वायत्तशासी संस्थान है जिसे संस्कृति विभाग से वित्तीय सहायता प्राप्त होती है। यह लखनऊ में स्थित है। .

नई!!: लखनऊ और भारतेन्दु नाट्य अकादमी · और देखें »

भारतीय थलसेना

भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये। भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं। भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।.

नई!!: लखनऊ और भारतीय थलसेना · और देखें »

भारतीय पुनर्नामकरण विवाद

भारत के शहरों का पुनर्नामकरण, स्न 1947 में, अंग्रेज़ोंके भारत छोड़ कर जाने के बाद आरंभ हुआ था, जो आज तक जारी है। कई पुनर्नामकरणों में राजनैतिक विवाद भी हुए हैं। सभी प्रस्ताव लागू भी नहीं हुए हैं। प्रत्येक शहर पुनर्नामकरण को केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुमोदित होना चाहिये। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पुनर्नामांकित हुए, मुख्य शहरों में हैं: तिरुवनंतपुरम (पूर्व त्रिवेंद्रम), मुंबई (पूर्व बंबई, या बॉम्बे), चेन्नई (पूर्व मद्रास), कोलकाता (पूर्व कलकत्ता), पुणे (पूर्व पूना) एवं बेंगलुरु (पूर्व बंगलौर)। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय पुनर्नामकरण विवाद · और देखें »

भारतीय प्रबन्धन संस्थान

भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आई आई एम) भारत के सर्वोत्तम प्रबंधन संस्थान हैं। प्रबन्धन की शिक्षा के अतिरिक्त ये अनुसंधान व सलाह (कांसल्टेंसी) का कार्य भी करते हैं। वर्तमान में ६ भारतीय प्रबन्धन संस्थान हैं जो बंगलुरू, अहमदाबाद, कोलकाता, लखनऊ, इन्दौर तथा कोझीकोड में स्थित हैं। ये प्रबन्धन में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा की उपाधि प्रदान करते हैं जो एम बी ए के समतुल्य है। इन संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली प्रवेश परीक्षा कामन ऐडमिशन टेस्ट (सी ए टी) के आधार पर होता है। यह परीक्षा दुनिया की सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी परिक्षाओं में से है। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय प्रबन्धन संस्थान · और देखें »

भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ

भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम-एल) लखनऊ का एक प्रबंधन संस्थान है। इसे वर्ष 1984 में भारत सरकार द्वारा, लखनऊ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जीवंत शहर के बाहरी इलाके में स्थापित किया गया था। संस्थान की स्थापना प्रबंधन विज्ञान में उत्कृष्टता का एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था बनाये जाने के उद्देश्य से किया गया था। यह संस्थान सृजन, प्रसार और प्रबंधन ज्ञान और प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक गतिविधियों और उपायों के विस्तृत आवेदन आयोजित करता है। समय समय पर, यह प्रमुख व्यापार स्कूलों और भारत, कनाडा, यूरोप, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अनुसंधान केन्द्रों के साथ सहयोगात्मक व्यवस्था में प्रवेश करता रहा है। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ · और देखें »

भारतीय मनीषा

भारतीय मनीषा हिन्दी की एक पत्रिका है। यह लखनऊ,उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होती है। श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:हिन्दी पत्रिकाएँ श्रेणी:सामाजिक पत्रिकाएँ श्रेणी:साहित्यिक पत्रिकाएँ.

नई!!: लखनऊ और भारतीय मनीषा · और देखें »

भारतीय मीडिया

भारत के संचार माध्यम (मीडिया) के अन्तर्गत टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, तथा अन्तरजालीय पृष्ट आदि हैं। अधिकांश मीडिया निजी हाथों में है और बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा नियंत्रित है। भारत में 70,000 से अधिक समाचार पत्र हैं, 690 उपग्रह चैनेल हैं (जिनमें से 80 समाचार चैनेल हैं)। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा समाचार पत्र का बाजार है। प्रतिदिन १० करोड़ प्रतियाँ बिकतीं हैं। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय मीडिया · और देखें »

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्षों की सूची

१९३८ के हरिपुरा सम्मेलन में (बाएं से दाएं) महात्मा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, सुभाष चन्द्र बोस और वल्लभ भाई पटेल। गले में फीता पहने बोस इस सम्मेलन के अध्यक्ष थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्वतंत्र भारत का प्रमुख राजनीतिक दल है और इस की स्थापना स्वतंत्रता से पूर्व १८८५ में हुई थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष दल के चुने हुए प्रमुख होते है जो आम जनता के साथ दल के रिश्ते को प्रबंधित करने के लिए जिम्मेदार होते है। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्षों की सूची · और देखें »

भारतीय रिज़र्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिजर्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इसकी स्थापना १ अप्रैल सन १९३५ को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ऐक्ट १९३४ के अनुसार हुई। बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाई हैं, उनके द्वारा प्रदान किये गए दिशा-निर्देशों या निर्देशक सिद्धांत के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक बनाई गई थी। बैंक कि कार्यपद्धती या काम करने शैली और उसका दृष्टिकोण बाबासाहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था, जब 1926 में ये कमीशन भारत में रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फिनांस के नाम से आया था तब इसके सभी सदस्यों ने बाबासाहेब ने लिखे हुए ग्रंथ दी प्राब्लम ऑफ दी रुपी - इट्स ओरीजन एंड इट्स सोल्यूशन (रुपया की समस्या - इसके मूल और इसके समाधान) की जोरदार वकालात की, उसकी पृष्टि की। ब्रिटिशों की वैधानिक सभा (लेसिजलेटिव असेम्बली) ने इसे कानून का स्वरूप देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 का नाम दिया गया। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन १९३७ में मुम्बई आ गया। पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन १९४९ से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है। उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं, जिन्होंने ४ सितम्बर २०१६ को पदभार ग्रहण किया। पूरे भारत में रिज़र्व बैंक के कुल 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। मुद्रा परिचालन एवं काले धन की दोषपूर्ण अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करने के लिये रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया ने ३१ मार्च २०१४ तक सन् २००५ से पूर्व जारी किये गये सभी सरकारी नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय रिज़र्व बैंक · और देखें »

भारतीय रेल

यार्ड में खड़ी एक जनशताब्दी रेल। भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह १६० वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसके १३ लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्‍ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। यह देश की जीवनधारा है और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्‍थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय रेल · और देखें »

भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी

भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी (पुराना नाम: रेलवे स्टाफ कालेज), रेल अधिकारियों को भारतीय रेल संगठन में अपना मूल्यांकन करने के लिए मित्र, दार्शनिक एवं मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है ताकि वे बदलते हुए वातावरण के अनुरुप इसमें सुधार लाने हेतु सकारात्मक भूमिका निभा सकें। भारतीय रेल वास्तव में राष्ट्र की जीवन रेखा है, जो बहुत बड़ी परिवहन व्यवस्था के रूप में माल-सामान तथा लोगों को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने में तथा सामाजिक, प्रौद्योगिकी, आर्थिक तथा राजनीतिक विकास के लिए दिए जाने वाला इसका सहयोग है। रेलवे स्टाफ कालेज 1930 में देहरादून में स्थापित किया गया तथा इसके पश्चात 1952 में वडोदरा में स्थानांतरित किया गया। यह हरे-भरे लॉन से घिरे तथा सी.एफ.

नई!!: लखनऊ और भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी · और देखें »

भारतीय सिनेमा

भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। भारतीय सिनेमा ने २०वीं सदी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।। भारतीय फिल्मों का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ में भी होता है। भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमरीका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं में मिलाकर प्रति वर्ष 1,600 तक फिल्में बनी हैं। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाते हैं। दादा साहब फाल्के के भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरुप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और वांछित पुरस्कार हो गया है। २०वीं सदी में भारतीय सिनेमा, संयुक्त राज्य अमरीका का सिनेमा हॉलीवुड तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया।Khanna, 155 2013 में भारत वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फ़िल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $1.86 अरब (₹ 93 अरब) की रही। जिसके वर्ष 2016 तक $3 अरब (₹ 150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। अब सुपर हीरो तथा विज्ञानं कल्प जैसी फ़िल्में न केवल बन रही हैं बल्कि ऐसी कई फिल्में एंथीरन, रा.वन, ईगा और कृष 3 ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रूप में सफल हुई है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज़्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फिल्मे प्रदर्शित होती हैं। Khanna, 158 सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, अडूर गोपालकृष्णन, बुद्धदेव दासगुप्ता, जी अरविंदन, अपर्णा सेन, शाजी एन करुण, और गिरीश कासरावल्ली जैसे निर्देशकों ने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वैश्विक प्रशंसा जीती है। शेखर कपूर, मीरा नायर और दीपा मेहता सरीखे फिल्म निर्माताओं ने विदेशों में भी सफलता पाई है। 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान से 20वीं सेंचुरी फॉक्स, सोनी पिक्चर्स, वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स और वार्नर ब्रदर्स आदि विदेशी उद्यमों के लिए भारतीय फिल्म बाजार को आकर्षक बना दिया है। Khanna, 156 एवीएम प्रोडक्शंस, प्रसाद समूह, सन पिक्चर्स, पीवीपी सिनेमा,जी, यूटीवी, सुरेश प्रोडक्शंस, इरोज फिल्म्स, अयनगर्न इंटरनेशनल, पिरामिड साइमिरा, आस्कार फिल्म्स पीवीआर सिनेमा यशराज फिल्म्स धर्मा प्रोडक्शन्स और एडलैब्स आदि भारतीय उद्यमों ने भी फिल्म उत्पादन और वितरण में सफलता पाई। मल्टीप्लेक्स के लिए कर में छूट से भारत में मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ी है और फिल्म दर्शकों के लिए सुविधा भी। 2003 तक फिल्म निर्माण / वितरण / प्रदर्शन से सम्बंधित 30 से ज़्यादा कम्पनियां भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध की गयी थी जो फिल्म माध्यम के बढ़ते वाणिज्यिक प्रभाव और व्यसायिकरण का सबूत हैं। दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की चार फिल्म संस्कृतियों को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है। ये कन्नड़ सिनेमा, मलयालम सिनेमा, तेलुगू सिनेमा और तमिल सिनेमा हैं। हालाँकि ये स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं लेकिन इनमे फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों के आदान-प्रदान और वैष्वीकरण ने इस नई पहचान के जन्म में मदद की। भारत से बाहर निवास कर रहे प्रवासी भारतीय जिनकी संख्या आज लाखों में हैं, उनके लिए भारतीय फिल्में डीवीडी या व्यावसायिक रूप से संभव जगहों में स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। Potts, 74 इस विदेशी बाजार का भारतीय फिल्मों की आय में 12% तक का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा में संगीत भी राजस्व का एक साधन है। फिल्मों के संगीत अधिकार एक फिल्म की 4 -5 % शुद्ध आय का साधन हो सकते हैं। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय सिनेमा · और देखें »

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण

भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India) सन २००९ में गठित भारत सरकार का एक प्राधिकरण है जिसका गठन भारत के प्रत्येक नागरिक को एक बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय पहचान पत्र उपलब्ध करवाने की भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना के अन्तर्गत किया गया। भारत के प्रत्येक निवासियों को प्रारंभिक चरण में पहचान प्रदान करने एवं प्राथमिक तौर पर प्रभावशाली जनहित सेवाऐं उपलब्ध कराना इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य था। इस बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय पहचान पत्र (Multipurpose National Identity Card) का नाम "आधार" रखा गया। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण · और देखें »

भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान

लखनऊ संम्स्थान् भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईटीआरसी या आईआईटीआर) लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थित विष विज्ञान से संबंधित अनुसंधान संस्थान है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की संघटक प्रयोगशाला है। यह पर घेरु गांव के निकट महात्मा गांधी मार्ग पर स्थित है। इसकी स्थापना १९६५ में हुई थी। इसके संस्थापक-निदेशक प्रो॰सिब्ते हुसैन ज़ैदी (१९६५-१९७४) मृत्यु-पर्यन्त थे। ये पद्मश्री एवं सर शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के धारक थे। संसथान विषविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शोध संचालित करता है। इसमें औद्योगिक और पर्यावरण संबंधी रसायनों के मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव एवं वायु, जल एवं मिट्टी में प्रदूषकों के पर्यावरण संबंधी अनुवीक्षण सम्मिलित हैं। संस्थान नियामक निकायों को रसायनों/उत्पादों के सुरक्षित उपयोग हेतु दिशा-निर्देश बनाने/संशोधित करने में भी सहायता प्रदान करता है एवं यह सुनिश्चित करता है कि जनसामान्य को इसका लाभ मिले। आई.आई.टी.आर.

नई!!: लखनऊ और भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान · और देखें »

भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ

भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आई.आई.टी.आर.), लखनऊ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की संघटक प्रयोगशाला है। इसकी स्थापना 1965 में हुई। इसका "शहर परिसर" महात्मा गाँधी मार्ग और "घेरू परिसर" लखनऊ-कानपुर राजमार्ग पर 17-18 वें किलोमीटर के मध्य स्थित है। आई.आई.टी.आर.

नई!!: लखनऊ और भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ · और देखें »

भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास

भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास-यात्रा प्रागैतिहासिक काल से आरम्भ होती है। भारत का अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और भारतीय संसार का नेतृत्व करते थे। सबसे प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानवीय क्रियाकलाप मेहरगढ़ में पाये गये हैं जो अब पाकिस्तान में है। सिन्धु घाटी की सभ्यता से होते हुए यह यात्रा राज्यों एवं साम्राज्यों तक आती है। यह यात्रा मध्यकालीन भारत में भी आगे बढ़ती रही; ब्रिटिश राज में भी भारत में विज्ञान एवं तकनीकी की पर्याप्त प्रगति हुई तथा स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। सन् २००९ में चन्द्रमा पर यान भेजकर एवं वहाँ पानी की प्राप्ति का नया खोज करके इस क्षेत्र में भारत ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। चार शताब्दियों पूर्व प्रारंभ हुई पश्चिमी विज्ञान व प्रौद्योगिकी संबंधी क्रांति में भारत क्यों शामिल नहीं हो पाया ? इसके अनेक कारणों में मौखिक शिक्षा पद्धति, लिखित पांडुलिपियों का अभाव आदि हैं। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास · और देखें »

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आई आई एस आर), लखनऊ में स्थित उच्च शिक्षा का एक स्वायत्तशासी संस्थान है। इसकी स्थापना गन्ना के विषय में उन्नत अनुसंधान करने के लिये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्त्वावधान में कृषि मंत्रालय द्वारा की गयी है। इसकी स्थापना 1952 में तत्कालीन भारतीय केन्द्रीय गन्ना समिति द्वारा गन्ने की खेती के मौलिक और अनुप्रयुक्त पहलुओं पर शोध करने के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों में इस फसल पर किए जाने वाले अनुसंधान कार्य को समन्वित करने के लिए स्थापित किया गया था। संस्थान, लखनऊ रेलवे स्टेशन (चारबाग) से 4.8 किमी, आलमबाग बस स्टेशन से 8 किमी, चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा, लखनऊ से 12 किमी तथा नई दिल्ली से 500 किमी दूर रायबरेली रोड पर स्थित है। यह 26.56oN, 80.52oE तथा समुद्र तल से 111 मीटर ऊंचाई पर अवस्थित है। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान · और देखें »

भारतीय इतिहास तिथिक्रम

भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं तिथिक्रम में।;भारत के इतिहास के कुछ कालखण्ड.

नई!!: लखनऊ और भारतीय इतिहास तिथिक्रम · और देखें »

भारतीय कंपनियों की सूची

यह सूची भारत में स्थित बड़ी कंपनियों की सूची है। ध्यात्व्य है की यह सूची अपूर्ण है और इसमें हर आकार-प्रकार की कंपनियों का समावेश नहीं हुआ है। कंपनियों के बारे में जानकारी दिये गये कड़ियों (जालस्थल के पता) से ली जा सकती है। राजस्व अर्जित करने की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी कंपनियाँ: .

नई!!: लखनऊ और भारतीय कंपनियों की सूची · और देखें »

भारतीय क्रिकेट टीम

भारतीय क्रिकेट टीम भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा संचालित भारतीय क्रिकेट टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की पूर्णकालिक सदस्य है। भारतीय टीम दो बार क्रिकेट विश्वकप (१९८३ और २०११) अपने नाम कर चुकी है। वर्तमान में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री हैं। .

नई!!: लखनऊ और भारतीय क्रिकेट टीम · और देखें »

भगवती चरण वोहरा

महान क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा भगवती चरण वोहरा (4 जुलाई 1904 - 28 मई 1930)) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वे हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य और भगत सिंह के साथ ही एक प्रमुख सिद्धांतकार होते हुए भी गिरफ्तार नहीं किए जा सके और न ही वे फांसी पर चढ़े। उनकी मृत्यु बम परिक्षण के दौरान दुर्घटना में हुई। .

नई!!: लखनऊ और भगवती चरण वोहरा · और देखें »

भुवन वाणी ट्रस्ट

भुवन वाणी ट्रस्ट हिन्दी पुस्तकों के एक प्रमुख प्रकाशक हैं। इसकी स्थापना १९६९ में नन्द कुमार अवस्थी ने की थी। इसका मुख्यालय लखनऊ में है। हिन्दी, उर्दू (अ़रबी-फ़ारसी सहित), संस्कृत, बँगला, असमी, ओड़िया, कश्मीरी, मराठी, गुरुमुखी, गुजराती, तमिळ, तेलुगु, कन्नड़ मलयाळम, सिन्धी, नेपाली, राजस्थानी आदि भाषाओं तथा अनेक बोलियों के सत्साहित्य को, देवनागरी लिपि में धारावाहिक सानुवाद लिप्यन्तरण द्वारा, भारत के जन-जन तक पहुँचाना, अधिकाधिक भाषाओं का शिक्षण, प्रसारण और ज्ञान प्राप्त कराते हुए इनको एक सूत्र में पिरोहना- यही ‘भुवन वाणी ट्रस्ट’ संस्था का उद्देश्य है। इस संस्था ने 'भाषा मंदिर' का निर्माण किया है जिसके देवता विश्व की सभी लिपियों के वर्ण हैं किन्तु 'प्रमुख देवता' विश्व की वैज्ञानिक लिपि देवनागरी है। .

नई!!: लखनऊ और भुवन वाणी ट्रस्ट · और देखें »

भूलभुलैया

भूलभुलैया प्रकोष्ठों ओर मार्गों का ऐसा जाल है जो भ्रम में डाल देता है तथा जिसके कारण निकासमार्ग का ज्ञान होना कठिन होता है। इसका आधुनिक रूप व्यूह है। प्रतिध्वनि के माध्यम से आप सैकड़ो फीट दुर किसी के फुस्फुसाने की ध्वनि सुन सकते है,,जो इसके स्थापत्य का एक विशिष्ट गुण है। मनोरंजन के लिये बगीचों में दोनों ओर पौधे अथवा बाढ़ इस प्रकार लगाई जाती है कि निकास मार्ग तथा बगीचे का केंद्र ज्ञात करना कठिन होता है इंग्लैंड के हैंपटन कोर्ट राजमहल में बगीचे की भूलकुलैयाँ का सर्वोत्कृष्ट नमूना वर्तमान है। अब तो बहुत से खेल भी इस आधार पर बनाए गए हैं। इनसे खिलाड़ी की कुशाग्र बुद्धि की परीक्षा होती है। .

नई!!: लखनऊ और भूलभुलैया · और देखें »

मचेत्तिरा राजू पूवम्मा

मचेत्तिरा राजू पूवम्मा एक भारतीय धावक हैं, जो 400 मीटर स्पर्धा में भाग लेते हैं। .

नई!!: लखनऊ और मचेत्तिरा राजू पूवम्मा · और देखें »

मदनलाल पाहवा

गान्धी वध के अभियुक्तों का एक समूह चित्र'' खड़े हुए '': शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा, दिगम्बर बड़गे. ''बैठे हुए'': नारायण आप्टे, वीर सावरकर, नाथूराम गोडसे, विष्णु करकरे मदनलाल पाहवा (अंग्रेजी: Madan Lal Pahwa, पंजाबी: ਮਦਨ ਲਾਲ ਪਾਹਵਾ, तमिल: மதன்லால் பக்வா) हिन्दू महासभा के एक कार्यकर्ता थे जिन्होंने नई दिल्ली स्थित बिरला हाउस में गान्धी-वध की तिथि से दस दिन पूर्व २० जनवरी १९४८ को उनकी प्रार्थना सभा में हथगोला फेंका था। उपस्थित जन समुदाय ने उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया था। उस घटना के ठीक १० दिन बाद जब नाथूराम गोडसे ने ३० जनवरी १९४८ को गोली मारकर गान्धी को मौत की नींद सुला दिया तो भारत सरकार ने फटाफट मुकद्दमा चलाकर गोडसे को फाँसी के साथ मदनलाल को भी गान्धी-वध के षड्यन्त्र में शामिल होने व हत्या के प्रयास के आरोप में आजीवन कारावास का दण्ड देकर मामला रफादफा कर दिया। .

नई!!: लखनऊ और मदनलाल पाहवा · और देखें »

मनकामेश्वर मंदिर, लखनऊ

मनकामेश्वर मंदिर, लखनऊ में डालीगंज में गोमती नदी के निकट स्थित शिव-पार्वती का एक मंदिर है। यह मंदिर बहुत पुराना है एवं इसकी बहुत मान्यता है। मंदिर में फर्श पर चांदी के सिक्के जड़े हुए हैं। श्रेणी:लखनऊ.

नई!!: लखनऊ और मनकामेश्वर मंदिर, लखनऊ · और देखें »

मनोज भार्गव

मनोज भार्गव एक भारतीय अमरीकी व्यवसायी और समाज सेवक है। भार्गव भारत में जन्में थे और 14 साल की उम्र में अमेरिका के लिए चले गयें थे। एक युवा वयस्क के रूप में उन्होंने भारत और उत्तरी अमेरिका के बीच कई बार ले जाया गया। 1990 के दशक में वह संयुक्त राज्य अमेरिका में बस गए और दो सफल प्लास्टिक कंपनियों के मालिक हो गए। उन व्यवसायों को बेचने के बाद उन्होंने 5-ऑवर एनर्जी नामक एक नई कंपनी और उत्पाद बनाया। .

नई!!: लखनऊ और मनोज भार्गव · और देखें »

मलाई गिलौरी

मलाई गिलौरी लखनऊ की एक मिठाई है। श्रेणी:मिठाई.

नई!!: लखनऊ और मलाई गिलौरी · और देखें »

मलूकदास

मलूकदास (संo १६३१ की वैशाख बदी ५ - सं. १७३९ वैशाख बदी १४) एक सन्त कवि थे। उनका जन्म, संo १६३१ की वैशाख बदी ५ को, कड़ा (जिo इलाहाबाद) के कक्कड़ खत्री सुंदरदास के घर हुआ था। इनका पूर्वनाम 'मल्लु' था और इनके तीन भाइयों के नाम क्रमश: हरिश्चंद्र, शृंगार तथा रामचंद्र थे। इनकी 'परिचई' के लेखक तथा इनके भांजे एवं शिष्य मथुरादास के अनुसार इनके पितामह जहरमल थे और इनके प्रपितामह का नाम वेणीराम था। उनका कहना है कि मल्लू अपने बचपन से ही अत्यंत उदार एवं कोमल हृदय के थे तथा इनमें भक्तों के लक्षण पाए जाने लगे थे। यह बात इनके माता पिता पसंद नहीं करते थे और जीविकोपार्जन की ओर प्रवृत्त करने के उद्देश्य से, उन्होंने इन्हें केवल बेचने का काम सौंपा था परंतु इसमें उन्हें सफलता नहीं मिल सकी और बहुधा मंगतों को दिए जानेवाले कंबल आदि का हाल सुनकर उन्हें और भी क्लेश होने लगा। बालक मल्लू को दी गई किसी शिक्षा का विवरण हमें उपलब्ध नहीं है और ऐसा अनुमान किया जाता है कि ये अधिक शिक्षित न रहे होंगे। कहते हैं, इनके प्रथम गुरु कोई पुरुषोत्तम थे जो देवनाथ के पुत्र थे और पीछे इन्होंने मुरारिस्वामी से दीक्षा ग्रहण की जिनके विषय में इन्होंने स्वयं भी कहा है, मुझे मुरारि जी सतगुरु मिल गए जिन्होंने मेरे ऊपर विश्वास की छाप लगा दी, (सुखसागर पृo १९२)। अभी तक पाए गए संकेतों के आधार पर कहा जा सकता है कि इनका विवाह संभवत: १२ वर्ष की अवस्था के अनंतर ही हुआ होगा। इनकी पत्नी का नाम ज्ञात नहीं। इनके देशभ्रमण की चर्चा करते समय केवल पुरी, दिल्ली एवं कालपी जैसे स्थानों के ही नाम विशेष रूप से लिए जाते हैं और अनुमान किया जाता है कि यह पर्यटन कार्य भी इन्होंने अधिकतर उस समय किया होगा जब ये वृद्ध हो चले थे तथा जब ये अपने मत का उपदेश भी देने लगे थे। सं.

नई!!: लखनऊ और मलूकदास · और देखें »

महात्मा गांधी की हत्या

मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी। वे रोज शाम को प्रार्थना किया करते थे। 30 जनवरी 1948 की शाम को जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियाँ दाग दीं। उस समय गान्धी अपने अनुचरों से घिरे हुए थे। इस मुकदमे में नाथूराम गोडसे सहित आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया था। इन आठ लोगों में से तीन आरोपियों शंकर किस्तैया, दिगम्बर बड़गे, वीर सावरकर, में से दिगम्बर बड़गे को सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया। शंकर किस्तैया को उच्च न्यायालय में अपील करने पर माफ कर दिया गया। वीर सावरकर के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं मिलने की वजह से अदालत ने जुर्म से मुक्त कर दिया। बाद में सावरकर के निधन पर भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।सावरकर पर सरकार द्वारा जारी डाक टिकट और अन्त में बचे पाँच अभियुक्तों में से तीन - गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ तथा दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फाँसी दे दी गयी। .

नई!!: लखनऊ और महात्मा गांधी की हत्या · और देखें »

महानगर बॉयज़

महानगर बॉयज़ लखनऊ का एक विद्यालय है। श्रेणी:लखनऊ के विद्यालय.

नई!!: लखनऊ और महानगर बॉयज़ · और देखें »

महाराजा बिजली

महाराजा बिजली पासी मध्यकाल में पासी जाति के एक राजा हुए। वर्तमान उत्तर प्रदेश राज्य के कुछ हिस्सों तक उनका शासन था। वे पृथ्वीराज चौहान के समकालीन थे। कहा जाता है कि उन्होंने अपने शासनकाल में कुल १२ किले बनवाये। इसके अतिरिक्त बिजनौर नगर की स्थापना का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। उनके नाम पर १९९९ में एक महाविद्यालय की स्थापना की गयी; लखनऊ में स्थित इस कॉलेज का नाम "महाराजा बिजली पासी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय" है। १६ नवंबर २००० को भारत सरकार द्वारा उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था। उनके किले के खँडहर आज भी लखनऊ में स्थित हैं। .

नई!!: लखनऊ और महाराजा बिजली · और देखें »

माधव शुक्ल

माधव शुक्ल (1881 - 1943) हिन्दी साहित्यकार थे। वे प्रयाग के निवासी और मालवीय ब्राह्मण थे। इनका कंठ बड़ा मधुर था और ये अभिनय कला में पूर्ण दक्ष थे। ये सफल नाटककार होने के साथ ही साथ अच्छे अभिनेता भी थे। इनकी राष्ट्रीय कविताओं के दो संग्रह 'भारत गीतंजलि' और 'राष्ट्रीय गान' जब प्रकाशित हुए तो हिंदी पाठकवर्ग ने उनका सोत्साह स्वागत किया। बहुत इधर आकर भारत और चीन में युद्ध छिड़ने पर इनकी राष्ट्रीय कविताओं का संकलन 'उठो हिंद संतान' नाम से प्रकाशित हुआ था। कविताओं की विशेषता यह है कि आज की स्थिति में भी वे उतनी ही उपयोगी एवं उत्साहवर्धक हैं जितनी अपनी रचना के समय थीं। सन् १८९८ ई० में इन्होंने 'सीय स्वयंबर', सन् १९१६ ई० में 'महाभारत पूर्वाध' और 'भामाशाह की राजभक्ति' नामक नाटकों की रचना की। इनमें केवल एक ही नाटक 'महाभारत पूवार्ध' प्रकाशित हुआ। ये सभी नाटक इनके समय में ही सफलता के साथ खेले गए थे और इन्होंने अभिनय में भाग भी लिया था। प्रयाग के अतिरिक्त ये नाटक कलकत्ता में भी खेले गए थे और उससे शुक्ल जी को काफी ख्याति मिली थी। इन्होंने जौनपुर और लखनऊ में नाटक मंडलियाँ स्थापित की थीं अैर कलकत्ते में हिंदी-नाट्य-परिषद् की प्रतिष्ठा की थी। इनके मन में देश की पराधीनता से मुक्ति की और सामाजिक सुधार की प्रबल आकांक्षा थी। तत्कालीन राष्ट्रीय आंदोलनों में सक्रिय भाग लेने के कारण इन्हें ब्रिटिश शासन का कोपभाजन बनकर कई बार करागार का दंड भी भुगतना पड़ा था। नाटक के प्रति उस समय हिंदी भाषी जनता की सुप्त रुचि को जगाने का बहुत बड़ा श्रेय शुक्ल जी को है। श्रेणी:हिन्दी नाटककार.

नई!!: लखनऊ और माधव शुक्ल · और देखें »

माधव सिंह 'छितिपाल'

माधवसिंह 'छितिपाल' अमेठीनरेश एवं हिन्दी कवि थे। कविवर 'छितिपाल' की गणना उन भारतीय नरेशों में होती है। जो कुशल शासक होने के साथ सहृदय कवि भी थे। इन्होंने अमेठी राज्य तथा हिंदी साहित्य की श्रीवृद्धि में पूरा योगदान दिया। इन्होंने प्रयाग, काशी, विंध्याचल, लखनऊ और अमेठी में कई मंदिरों तथा महलों का निर्माण करवाया। इनका कार्यकाल संवत्‌ 1901 से 1948 तक था। .

नई!!: लखनऊ और माधव सिंह 'छितिपाल' · और देखें »

माधुरी पत्रिका

माधुरी पत्रिका का प्रकाशन अगस्त १९२१ ई० में लखनऊ से हुआ। इसके संपादक विष्णुनारायण भार्गव थे। प्रारम्भ में कई वर्ष तक इसके संपादक दुलारेलाल भार्गव और रूपनारायण पाण्डेय थे। बाद में प्रेमचन्द और कृष्णबिहारी मिश्र ने इसका संपादन किया। इसके अतिरिक्त कुछ समय तक इसका संपादन जगन्नाथदास रत्नाकर और ब्रजरत्नदास भी करते रहे। १९२५ में कुछ समय तक आचार्य शिवपूजन सहाय ने भी इसका संपादन किया। हिन्दी की प्रारम्भिक पत्रिकाओं में "सरस्वती" के साथ ही "माधुरी" की गणना होती है। अमृतलाल नागर ने भी मेरी प्रिय कहानियाँ में लिखा है कि उनकी पहली कहानी १९३४ में माधुरी में छपी थी। .

नई!!: लखनऊ और माधुरी पत्रिका · और देखें »

माउज़र पिस्तौल

माउज़र पिस्तौल (अंग्रेजी: Mauser C96) मूल रूप से जर्मनी में बनी एक अर्द्ध स्वचालित पिस्तौल है। इस पिस्तौल का डिजाइन जर्मनी निवासी दो माउज़र बन्धुओं ने सन् 1895 में तैयार किया था। बाद में 1896 में जर्मनी की ही एक शस्त्र निर्माता कम्पनी माउज़र ने इसे माउज़र सी-96 के नाम से बनाना शुरू किया। 1896 से 1937 तक इसका निर्माण जर्मनी में हुआ। 20वीं शताब्दी में इसकी नकल करके स्पेन और चीन में भी माउज़र पिस्तौलें बनीं। इसकी मैगज़ीन ट्रिगर के आगे लगती थी जबकि सामान्यतया सभी पिस्तौलों में मैगज़ीन ट्रिगर के पीछे और बट के अन्दर होती है। इस पिस्तौल का एक अन्य मॉडल लकड़ी के कुन्दे के साथ सन 1916 में बनाया गया। इसमें बट के साथ लकड़ी का बड़ा कुन्दा अलग से जोड़ कर किसी रायफल या बन्दूक की तरह भी प्रयोग किया जा सकता था। विंस्टन चर्चिल को यह पिस्तौल बहुत पसन्द थी। भारतीय क्रान्तिकारी रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने महज़ 4 माउज़र पिस्तौलों के दम पर 9 अगस्त 1925 को काकोरी के पास ट्रेन रोक कर सरकारी खजाना लूट लिया था। स्पेन ने सन् 1927 में इसी की नक़ल करते हुए अस्त्र मॉडल बनाया। रेलवे गार्डों की सुरक्षा हेतु सन् 1929 में चीन ने इसकी नकल करके.45 कैलिबर का माउज़र बनाया। .

नई!!: लखनऊ और माउज़र पिस्तौल · और देखें »

मिताली राज

मिताली राज (जन्म: 3 दिसम्बर 1982) भारतीय महिला क्रिकेट की मौजूदा कप्तान हैं। वे टेस्ट क्रिकेट मैच में दोहरा शतक बनाने वाली पहली महिला है। जून 2018 में, मिताली राज ट्वेन्टी-२० अंतर्राष्ट्रीय में 2000 रन बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बने। मिताली राज भारत की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी है जिन्होंने टी२० अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में २ हजार या इससे ज्यादा रन बनाये। .

नई!!: लखनऊ और मिताली राज · और देखें »

मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी सौदा

सन् १८७२ में छपा सौदा की कुल्लियात का अंग्रेज़ी अनुवाद मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी 'सौदा' (उर्दू:, १७१३–१७८१) देहली के एक प्रसिद्ध शायर थे। वे अपनी ग़ज़लों और क़सीदों के लिए जाने जाते हैं। ये मीर के समकालीन थे इसलिए इनकी तुलना भी अक्सर मीर से होती है। मीर जहाँ ग़ज़लों के लिए आधुनिक उर्दू के उस्ताद माने गए हैं (ख़ासकर दिल्ली-लखनऊ के इलाक़े में), सौदा को ग़ज़लों में वो स्थान नहीं मिल पाया । हाँलांकि सौदा ने मसनवी, क़सीदे, मर्सिया तर्जीहबन्द, मुख़म्मस, रुबाई, क़ता और हिजो तक लिखा है। .

नई!!: लखनऊ और मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी सौदा · और देखें »

मिर्ज़ा सलामत अली दबीर

मिर्ज़ा सलामत अली दबीर उर्दू के एक कवि थे। उन्होंने मरसिया लिखने की कला को एक नया मुकाम दिया। उन्हें मीर अनीस के साथ मरसिया निगारी का प्रमुख प्रवक्ता माना जाता है। मिर्जा सलामत अली का जन्म 1803 में मिर्जा गुलाम हुसैन के घर दिल्ली में हुआ था। उनमें बचपन से ही मरसिया गाने की लगन थी। इसलिए वे प्रसिध मरसिया गो मुजफ्फर हुसैन के शिष्य बन गए। जब मीर अनीस फैज़ाबाद से लखनऊ आए तो उनकी आपस में दोस्ती हो गयी। .

नई!!: लखनऊ और मिर्ज़ा सलामत अली दबीर · और देखें »

मिल्कीपुर

मिल्कीपुर भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद जिले का एक कस्बा, विधानसभा क्षेत्र तथा तहसील है। तथा फ़ैज़ाबाद से रायबरेली राजमार्ग पर स्थित है। २००१ में इसकी जनसंख्या १,७६४ तथा साक्षरता दर ५२% थी। मिल्कीपुर थाना और तहसील मुख्यालय मिल्कीपुर केंद्र से ५ किलोमीटर उत्तर में इनायतनगर नामक स्थान पर स्थित है। मिल्कीपुर तहसील में स्थित नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मिल्कीपुर केंद्र से लगभग १० किलोमीटर दक्षिण में कुमारगंज नामक कस्बे में स्थित है। जिसके वर्तमान M.L.A बाबा गोरखनाथ है सन (2017-2022 .

नई!!: लखनऊ और मिल्कीपुर · और देखें »

मिश्र बंधु

मिश्रबंधुओ का बाल्यस्थल। मिश्रबंधु नाम के तीन सहोदर भाई थे, गणेशबिहारी, श्यामबिहारी और शुकदेवबिहारी। ग्रंथ ही नहीं एक छंद तक की रचना भी तीनों जुटकर करते थे। इसलिये प्रत्येक की रचनाओं का पार्थक्य करना कठिन है। .

नई!!: लखनऊ और मिश्र बंधु · और देखें »

मजाज़

मजाज़ लखनऊ से उर्दु के प्रख्यात शायर रहे हैं। कुछ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूं के आसार और कुछ लोग दीवाना बना देते हैं श्रेणी:शायर श्रेणी:उर्दू शायर 🐍🐍🐍 मजाज़ की एक ग़ज़ल: ख़ुद दिल में रह के आंख से पर्दा करे कोई हां लुत्फ़ जब है पाके भी ढूंढा करे कोई तुम ने तो हुक्म-ए-तर्क-ए-तमन्ना सुना दिया, किस दिल से आह तर्क-ए-तमन्ना करे कोई दुनिया लरज़ गई दिल-ए-हिरमांनसीब की, इस तरह साज़-ए-ऐश न छेड़ा करे कोई मुझ को ये आरज़ू वो उठायें नक़ाब ख़ुद, उन को ये इन्तज़ार तक़ाज़ा करे कोई रंगीनी-ए-नक़ाब में ग़ुम हो गई नज़र, क्या बे-हिजाबियों का तक़ाज़ा करे कोई या तो किसी को जुर्रत-ए-दीदारही न हो, या फिर मेरी निगाह से देखा करे कोई होती है इस में हुस्न की तौहीन ऐ ‘मज़ाज़’, इतना न अहल-ए-इश्क़ को रुसवा करे कोई.

नई!!: लखनऊ और मजाज़ · और देखें »

मंजरी चतुर्वेदी

मंजरी चतुर्वेदी (जन्म ९ दिसंबर, १९७४) भारत के एक लोकप्रिय सूफी कथक नर्तक है। वह लखनऊ घराना से संबंधित रखती है। वह भारतीय शास्त्रीय नृत्य का एक नया कला बनाने के लिए जानी जाती है जो सूफी कथक हैं। .

नई!!: लखनऊ और मंजरी चतुर्वेदी · और देखें »

मंजू बिष्ट

यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते रम्न्ते तत्र देवता: का उधगोश करने वाली हमारी भारतीय संस्कृतित मे प्राचीन काल से ही स्त्रियो को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। गार्मी, लोपामुद्रा, जीजाबाई, लक्ष्मीबाई, सरोजनी नायडू, इंद्रा गाँधी जैसे स्वानामन्ध्य विभूतियो को आज कौन नही जानता है। बात चाहे शिक्षा की हो, राजनीति, कला या फिर खेलो की हो आज भारतीय नारी हर क्षेत्र मे पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास मे अपनी महत्वपूर्ण बुमिका निभा रही है। आज पी॰टी॰ उषा, साईनी विलसन, करणम मलेश्वरी जेसे अनगिनत खेल प्रतिभाओ ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने महाकाव्य प्रदर्शन से हर भारतीय का माथा गर्व से उँचा कर रखा है। देवभूमि उत्तराखंड की पुण्य धरती ने भी ऐसी ही अनेक खेल प्रतिभाओ को जनम दिया है, जीनो ने देश तथा विदेश मे भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा अर्जित कर अपनी माटी के नाम देवभूमि को ध्न्य किया है। ऐसी ही एक खेल प्रहतिभा है मंजू बिष्ट। .

नई!!: लखनऊ और मंजू बिष्ट · और देखें »

मंजू शर्मा

मंजू शर्मा (जन्म १३ फरवरी १९४०) एक भारतीय जैव प्रौद्योगिकीविद् है और भारत में कई वैज्ञानिक अनुसंधान और नीति बनाने वाली संस्थाओं के व्यवस्थापक है। वह हाल ही में गांधीनगर, गुजरात में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड रिसर्च के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक है। वह भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव, बायोटेक्नोलॉजी विभाग में थे और और २००७ में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने देश में कई संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च, लखनऊ और मदुरै में बायोमास रिसर्च सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्लांट आण्विक जीवविज्ञान इकाई और डीएनए फिंगरप्रिंटिंग और डायग्नोस्टिक्स के लिए केंद्र शामिल है। .

नई!!: लखनऊ और मंजू शर्मा · और देखें »

मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित नाम हैं। इनका जन्म १६ मई १९४८ को टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड के काफलपानी गाँव में हुआ था, इनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में हुई। दिल्ली आकर हिन्दी पैट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद वे भोपाल में मध्यप्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे। इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की। सन् १९८३ में जनसत्ता में साहित्य संपादक का पद सँभाला। कुछ समय सहारा समय में संपादन कार्य करने के बाद आजकल वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हैं। मंगलेश डबराल के पाँच काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं।- पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु। इसके अतिरिक्त इनके दो गद्य संग्रह लेखक की रोटी और कवि का अकेलापन के साथ ही एक यात्रावृत्त एक बार आयोवा भी प्रकाशित हो चुके हैं। दिल्ली हिन्दी अकादमी के साहित्यकार सम्मान, कुमार विकल स्मृति पुरस्कार और अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना हम जो देखते हैं के लिए साहित्य अकादमी द्वारा सन् २००० में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल की ख्याति अनुवादक के रूप में भी है। मंगलेश की कविताओं के भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, डच, स्पेनिश, पुर्तगाली, इतालवी, फ़्राँसीसी, पोलिश और बुल्गारियाई भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। कविता के अतिरिक्त वे साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति के विषयों पर नियमित लेखन भी करते हैं। मंगलेश की कविताओं में सामंती बोध एवं पूँजीवादी छल-छद्म दोनों का प्रतिकार है। वे यह प्रतिकार किसी शोर-शराबे के साथ नहीं अपितु प्रतिपक्ष में एक सुन्दर स्वप्न रचकर करते हैं। उनका सौंदर्यबोध सूक्ष्म है और भाषा पारदर्शी। .

नई!!: लखनऊ और मंगलेश डबराल · और देखें »

मुनव्वर राना

मुनव्वर राना (जन्म: 26 नवंबर 1952, रायबरेली, उत्तर प्रदेश) उर्दू भाषा के साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता शाहदाबा के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे लखनऊ में रहते हैं। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उनके बहुत से नजदीकी रिश्तेदार और पारिवारिक सदस्य देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए। लेकिन साम्प्रदायिक तनाव के बावजूद मुनव्वर राना के पिता ने अपने देश में रहने को ही अपना कर्तव्य माना। मुनव्वर राना की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता (नया नाम कोलकाता) में हुई। राना ने ग़ज़लों के अलावा संस्मरण भी लिखे हैं। उनके लेखन की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी रचनाओं का ऊर्दू के अलावा अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है। .

नई!!: लखनऊ और मुनव्वर राना · और देखें »

मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव (जन्म:22 नवम्बर, 1939) एक भारतीय राजनेता हैं जो उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री व केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षा मन्त्री रह चुके है। वर्तमान में यह भारत की समाजवादी पार्टी के मार्गदर्शक हैं। .

नई!!: लखनऊ और मुलायम सिंह यादव · और देखें »

मुहम्मद हिदायतुल्लाह

मुहम्मद हिदायतुल्लाह, (17 दिसम्बर 1905 - 18 सितंबर 1992) भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने दो अवसरों पर भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्यभार संभाला था। इसके साथ ही वो एक पूरे कार्यकाल के लिए भारत के छठे उपराष्ट्रपति भी रहे। नया रायपुर में स्थित हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया है। .

नई!!: लखनऊ और मुहम्मद हिदायतुल्लाह · और देखें »

मुजफ्फरपुर

मुज़फ्फरपुर उत्तरी बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल का मुख्यालय तथा मुज़फ्फरपुर ज़िले का प्रमुख शहर एवं मुख्यालय है। अपने सूती वस्त्र उद्योग, लोहे की चूड़ियों, शहद तथा आम और लीची जैसे फलों के उम्दा उत्पादन के लिये यह जिला पूरे विश्व में जाना जाता है, खासकर यहाँ की शाही लीची का कोई जोड़ नहीं है। यहाँ तक कि भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी यहाँ से लीची भेजी जाती है। 2017 मे मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी के लिये चयनित हुआ है। अपने उर्वरक भूमि और स्वादिष्ट फलों के स्वाद के लिये मुजफ्फरपुर देश विदेश मे "स्वीटसिटी" के नाम से जाना जाता है। मुजफ्फरपुर थर्मल पावर प्लांट देशभर के सबसे महत्वपूर्ण बिजली उत्पादन केंद्रो मे से एक है। .

नई!!: लखनऊ और मुजफ्फरपुर · और देखें »

मुंशी नवल किशोर

मुंशी नवल किशोर अंग्रेजी शासन के समय के भारत के उद्यमी, पत्रकार एवं साहित्यकार थे। इनकी जिन्दगी का सफर कामयाबियों की दास्तान हैं। शिक्षा, साहित्य से लेकर उद्योग के क्षेत्र में उन्होंने सफलता पायी और जो बात सबसे उल्लेखनीय थी वह यह कि उन्होंने हमेशा मानव मूल्यों का सम्मान किया। .

नई!!: लखनऊ और मुंशी नवल किशोर · और देखें »

मुकुंदराव आनंदराव जयकर

मुकुंदराव आनंदराव जयकर मुकुंदराव आनंदराव जयकर (13 नवम्बर 1873 - 10 मार्च 1959, मुम्बई)) प्रख्यात विधि विशारद्, संविधानशास्त्रज्ञ, न्यायाधीश, प्रसिद्ध वक्ता, शिक्षाशास्त्री एवं समाजसेवक थे। 1917 के बाद हिंदुस्तान का ऐसा कोई भी आंदोलन नहीं जिससे आपका संबंध न रहा हो। 1948 से पूना के कुलपति के रूप में रहे। आपका व्यक्तित्व अत्यंत व्यापक रहा है। आपके सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी कार्यों का मूल्यांकन किए बिना भारत का आधुनिक इतिहास अधूरा रहेगा। इस दृष्टि से आपके भाषणों, पत्रों तथा लेखों का अध्ययन आवश्यक है। .

नई!!: लखनऊ और मुकुंदराव आनंदराव जयकर · और देखें »

मुक्काबाज़ (२०१८ फ़िल्म)

मुक्काबाज़ २०१८ की एक हिंदी सोपर्ट्स-ड्रामा फिल्म है, जिसके निर्देशक अनुराग कश्यप हैं। विनीत कुमार सिंह, ज़ोया हुसैन, जिमी शेरगिल तथा रवि किशन फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म की कहानी स्वयं अनुराग कश्यप ने विनीत कुमार सिंह, मुक्ति सिंह श्रीनेत, के डी सत्यम, रंजन चंदेल तथा प्रसून मिश्रा के साथ मिलकर लिखी है। फैंटम फिल्म्स, रिलायंस इंटरटेनमेंट तथा कलर येलो प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता आनंद एल राय, विक्रमादित्य मोटवाने, मधु मंतेना तथा अनुराग कश्यप है। फिल्म की कहानी श्रवण सिंह (विनीत कुमार सिंह द्वारा अभिनीत) के इर्द गिर्द घूमती है, जो एक निचली जाति का मुक्केबाज है, और मुक्केबाजी की दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए निरन्तर संघर्षरत है। फ़िल्म की कहानी विनीत कुमार सिंह ने २०१३ में मुक्ति सिंह श्रीनेत के साथ मिलकर लिखी थी। इसके बाद वह अपनी कहानी लेकर कई निर्माताओं के पास गए, परंतु उन सब ने इस पर काम करने से मना कर दिया। जुलाई २०१७ में घोषणा हुई थी कि अनुराग कश्यप आनंद एल राय के साथ मिलकर मुक्काबाज़ नामक एक फिल्म पर काम करेंगे। अनुराग ने फ़िल्म की कहानी फिर दोबारा लिखी। फ़िल्म की शूटिंग बरेली, लखनऊ तथा वाराणसी में २०१७ में हुई। फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में सेट है। ७ जुलाई २०१७ को फिल्म का २१ सेकंड लम्बा ऑडियो टीज़र जारी किया गया, और फिर ७ दिसम्बर २०१७ को फिल्म का आधिकारिक पोस्टर तथा ट्रेलर जारी किया गया। इस फिल्म को सर्वप्रथम २०१७ के टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मुंबई फिल्म महोत्सव के विशेष प्रस्तुति अनुभाग में दिखाया गया था। इस फिल्म को समीक्षकों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई, और समीक्षकों ने विशेषकर कश्यप के निर्देशन और विनीत कुमार सिंह के अभिनय की प्रशंशा करी। उसके बाद १२ जनवरी २०१८ को इसे विश्व भर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया। ८.६ करोड़ के बजट पर बनी यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर केवल १० करोड़ रूपये ही कमा पायी, और इसे फ्लॉप घोषित कर दिया गया। .

नई!!: लखनऊ और मुक्काबाज़ (२०१८ फ़िल्म) · और देखें »

मैरीन ड्राइव, लखनऊ

मैरीन ड्राइव लखनऊ में गोमती नदी के किनारे विकसित एक पर्यटन स्थल है। इसे मुंबई के मैरीन ड्राइव की तरह ही बनाया गया है। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और मैरीन ड्राइव, लखनऊ · और देखें »

मेरठ

मेरठ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। यहाँ नगर निगम कार्यरत है। यह प्राचीन नगर दिल्ली से ७२ कि॰मी॰ (४४ मील) उत्तर पूर्व में स्थित है। मेरठ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (ऍन.सी.आर) का हिस्सा है। यहाँ भारतीय सेना की एक छावनी भी है। यह उत्तर प्रदेश के सबसे तेजी से विकसित और शिक्षित होते जिलों में से एक है। मेरठ जिले में 12 ब्लॉक,34 जिला पंचायत सदस्य,80 नगर निगम पार्षद है। मेरठ जिले में 4 लोक सभा क्षेत्र सम्मिलित हैं, सरधना विधानसभा, मुजफ्फरनगर लोकसभा में हस्तिनापुर विधानसभा, बिजनौर लोकसभा में,सिवाल खास बागपत लोकसभा क्षेत्र में और मेरठ कैंट,मेरठ दक्षिण,मेरठ शहर,किठौर मेरठ लोकसभा क्षेत्र में है .

नई!!: लखनऊ और मेरठ · और देखें »

मेरठ का प्रकाशन उद्योग

मौजूदा समय में मेरठ का प्रकाशन उद्योग पूरी तरह से शैक्षिक प्रकाशनों का केन्‍द्र बन गया है। हालांकि 20वीं शताब्‍दी में ही मेरठ में इस तरह की पुस्‍तकों के प्रकाशन की शुरुआत हुई लेकिन 19वीं शताब्‍दी के अंतिम चरण में विषय संबंधी ज्ञान देने वाले कई पत्र प‍त्रिकाएं प्रकाशित हुईं। सर विलियम म्‍योर (भूतपूर्व लैफिटनेंट गर्वनर उप्र) के संरक्षण में साप्‍ताहिक उर्दू पत्र का प्रकाशन मेरठ से होता था। यह सुल्‍तान उल मुद्रणालय में छपता था। इस पत्र में प्रकाशित सामग्री विद्यार्थियों के उपयोग की थी। लगभग दौ सौ साल पहले शुरू मेरठ का प्रकाशन उद्योग अब प्रमुखतया शैक्षिक पुस्‍तकों के प्रकाशन तक केन्द्रित होकर रह गया है। आजादी के पहले तक मेरठ शैक्षिक पुस्‍तकों के विक्रय का प्रमुख केन्‍द्र था। उस समय मेरठ में कई बड़े पुस्‍तक विक्रेता थे, जिनका मुख्‍य व्‍यवसाय पुस्‍तक विक्रय था। साथ ही ये कुछ पुस्‍तकें भी प्रकाशित करते थे। इनमें रामनाथ केदारनाथ, जयप्रकाश नाथ एंड कंपनी, खैराती लाल, रस्‍तोगी एंड कंपनी, राजहंस प्रकाशन आदि प्रमुख थे। उस समय शैक्षिक पुस्‍तकों का प्रकाशन प्रमुख रूप से सरकारी प्रकाशन हाउस ही करते थे। उत्‍तर भारत के कई शहरों में मेरठ से ही पाठय पुस्‍तकें जाती थीं। आजादी के बाद स्थिति में बदलाव हुआ। मेरठ कालेज के एमए अर्थशास्‍त्र के छात्र राजेन्‍द्र अग्रवाल की पहल से मेरठ के प्रकाशन उद्योग के स्‍वरूप में बदलाव हुआ। राजेन्‍द्र अग्रवाल ने सर्वप्रथम मेरठ कालेज के हास्‍टल मदन मोहन से 1950 में भारत भारती के नाम से प्रकाशन व्‍यवसाय शुरू किया। बाद में कालेज प्रशासन की आपत्ति के बाद कचहरी रोड पर किराए पर आफिस लिया। उस दौर में मेरठ में पुस्‍तक विक्रय और प्रकाशन के सभी केन्‍द्र सुभाष बाजार में ही थे। सुभाष बाजार से बाहर उस समय प्रकाशन हाउस खोलने की बात भी नहीं सोची जा सकती थी। शुरू में तब के कई प्रकाशकों ने राजेन्‍द्र अग्रवाल को समझाने का प्रयास किया। लेकिन बाद में धीरे-धीरे कमोबेश सभी बड़े प्रकाशक कचहरी रोड पर ही आ गए। अब तो कचहरी रोड को प्रकाशन मार्ग भी कहा जाता है। इस समय कचहरी रोड पर चित्रा प्रकाशन, नगीन प्रकाशन, प्रगति प्रकाशन, जीआर बाटला एंड संस, भारत भारती प्रकाशन आदि मेरठ के बड़े प्रकाशनों के आफिस बने हैं। आज मेरठ में शैक्षिक प्रकाशनों के कई बड़े नाम हैं। मात्र दस साल पहले शुरू अरिहंत प्रकाशन प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रकाशन में पूरे देश में अग्रणी है। अभी हालात यह हैं कि शायद ही पूरे देश में कोई ऐसी दुकान होगी जहां मेरठ से प्रकाशित पुस्‍तकें न हों। मेरठ को प्रकाशनों का शहर भी कहा जा सकता है। मेरठ के प्रकाशनों की कोई आधिकारिक गिनती तो नहीं की गई है लेकिन मेरठ के प्रकाशन उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि मेरठ में छोटे बड़े तकरीबन 75 प्रकाशन हैं। उद्योग से जुड़े लोग इसका सालाना टर्नओवर तकरीबन दो सौ करोड़ मानते हैं। इस व्‍यवसाय में प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रूप से तकरीबन एक लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। व्‍यवसाय को इस स्थिति में पहुंचाने के लिए मेरठ के प्रकाशकों ने जी तोड़ मेहनत की है। श्रेणी:प्रकाशन श्रेणी:मेरठ.

नई!!: लखनऊ और मेरठ का प्रकाशन उद्योग · और देखें »

मेहदी ख्वाजा पीरी

मेहदी ख्वाजा पीरी (फ़ारसी), नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र, नई दिल्ली के संस्थापक है। इनका जन्म (1955) में तेहरान में स्थित याहिया मज़ार (इमाम जादा) के पास एक धार्मिक परिवार में हुआ। मरम्मत, पेस्टिंग और एक ही पाण्डुलिपि (हस्तलिपि) की दूसरी प्रतिलिपियों के प्रिंट के नए तरीको का अविष्कार किया जो प्राचीन ग्रंथो के संरक्षण में एक अभिनव कदम है। उन्होंने भारत में पुस्तको के पुनरुद्धार (पुनर्जीवन) में अपने जीवन के 35 वर्ष बिताये। इस अवधि के दौरान वह भारत की विविध संस्कृतियों से परिचित हुए। और इसके अलावा हिंदी, अंग्रेजी, और अरबी में भी महारत हासिल की। .

नई!!: लखनऊ और मेहदी ख्वाजा पीरी · और देखें »

मोती महल, लखनऊ

लखनऊ में गोमती नदी की सीमा पर बनी तीन इमारतों में मोती महल प्रमुख है। इसे सआदत अली खां ने बनवाया था। मुबारक मंजिल और शाह मंजिल अन्य दो इमारतें हैं। बालकनी से जानवरों की लड़ाई और उड़ते पक्षियों को देखने हेतु नवाबों के लिए इन इमारतों को बनवाया गया था। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और मोती महल, लखनऊ · और देखें »

मोना चंद्रवती गुप्ता

मोना चंद्रवती गुप्ता (१८९६-१९८४) एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और नारी सेवा समिति की संस्थापक, एक गैर-सरकारी संगठन जो महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए काम कर रहा हैं। गुप्ता का जन्म २० अक्टूबर १८९६ को, रंगून में हुआ था, जो आज यांगून है और म्यांमार की राजधानी है। उन्होंने कोलकाता के डायकेशान कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने सरकारी गर्ल्स कॉलेज, लखनऊ के उप प्रधान के रूप में काम किया और महिलाओं की शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय की समीक्षा समिति के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। १९३० के दशक में गुप्ता ने दो महिला संगठन शुरू किए.

नई!!: लखनऊ और मोना चंद्रवती गुप्ता · और देखें »

मोम की पर्त

वैक्स कोटिंग वाले फल चमकदार होने से मन लुभाते हैं मोम की पर्त (अंग्रेज़ी:वैक्स कोटिंग) फलों और सब्जियों को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने का आधुनिक तरीका है, किंतु इसे प्रेज़र्वेशन से भिन्न समझें।।हिन्दुस्तान लाइव।।३ अक्टूबर,२००९। सौरभ सुमन इसका प्रयोग विशेषकर परिवहन के समय फलों और सब्जियों को सड़ने और गलने से बचाने के लिए किया जाता है। इसमें एक प्रकार का खाद्य मोम (एडीबल वैक्स) का प्रयोग होता है। इस खाद्य मोम की एक महीन पर्त फलों और सब्जियों के छिलके के ऊपर चढ़ाई जाती है। इससे ये फल, इत्यादि आठ से बारह दिनों तक मौसम के प्रभाव से बचे रहते हैं व सड़ते या गलते नहीं हैं।।। बिज़नेस भास्कर।२१ सितंबर, २००९। डॉ॰ एस मुखर्जी, कृषि अनुसंधान केंद्र दुर्गापुरा, जयपुर यह मोम स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है, यदि खाद्य मोम ही प्रयोग किया गया है। एक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि उत्पादों का लगभग ६५ प्रतिशत ही बाजारों तक पहुंच पाता है, बाकी परिवहन के दौरान खराब होकर बेकार हो जाता है। इस प्रकार किसानों के लाभ में भी फर्क पड़ता है, व दूसरी ओर ये फलों के मूल्व की वृद्धि करता है। इस प्रक्रिया के लिए प्रयोग होने वाला के खाद्य श्रेणी का मोम सेंपरफ्रेश है, जिससे फलों और सब्जियों पर कोटिंग करने से इनकी ताजगी कई दिनों तक बनी रहती है। फलों और सब्जियों पर पर्त चढ़ाने का यह बहुत सस्ता तरीका है। साधारण मोम की पर्त मात्र उन फलों व सब्जियों पर चढ़ायी जाती थीं, जिनके छिलके मोटे होते थे, जैसे लौकी, तुरई आदि, किंतु बाजारों में उपलब्ध नये मोम सेंपरफ्रेश को किसी भी तरह के छिलके (मोटे हों या पतले) वाले फलों और सब्जियों पर चढ़ाई जा सकती है। सेंपरफ्रेश से पर्त चढ़ाने के लिए उसमें ओलिक एसिड और ट्राईइथेलॉल एमाइन का मिश्रण बनाते हैं। फिर इस घोल से फलों और सब्जियों पर छिड़काव किया जाता है। अन्य खाद्य मोम की पर्त चढ़ाने के लिए सब्जियों को मोम के पिछले घोल में डुबाकर निकाल लिया जाता है और इसे छाया में सूखा लिया जाता है। इस प्रक्रिया से सब्जियों पर जल्दी फफूंद नहीं लगती। यहां ये ध्यानयोग्य है, कि सेंपरफ्रेश की पर्त चढ़ाने के बाद भी फलों और सब्जियों को छाया में सुखाना उतना ही आवश्यक होता है। इस प्रकार रखरखाव व परिवहन की असुविधा के कारण किसानों को होने वाले भारी नुकसान से बचने का यह बेहतर तरीका है। सेंपरफ्रेश एवं अन्य खाद्य मोम आसानी से बाजार में उपलब्ध होते हैं। फलों और सब्जियों पर इस मोम की पर्त चढ़ाने का खर्च लगभग १५-१५ पैसे प्रति किलो आता है। इसके अलावा इस पर्त को चढ़ाने के बाद फलों में चमक भी आ जाती है, जो ग्राहकों को लुभाती हैं। कृषि अनुसंधानों में यह पाया गया है कि कानरेवा वैक्स की पर्त चढ़ाने से सब्जियों की चमक तो बढ़ती ही है, साथ ही नमी बरकरार रहने से लंबी अवधि तक इनको भंडारगृह में रख कर किसान इनको ओने-पौने दामों पर बेचने की मजबूरी से बच सकते हैं। मानक मोम की पर्त के अलावा अन्य सस्ते उपलब्ध मोम स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं। इनमें खासकर विदेशों से आने वाले फलों आदि से सावधाण रहना चाहिये। छत्रपति शाहूजी महराज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के औषधि विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो॰ सी.जी.

नई!!: लखनऊ और मोम की पर्त · और देखें »

मोहनलालगंज

मोहनलालगंज लखनऊ जिले की एक तहसील और उसका ब्लॉक है। श्रेणी:लखनऊ जिले की तहसीलें.

नई!!: लखनऊ और मोहनलालगंज · और देखें »

मोहसिन काकोरवी

मोहसिन काकोरवी लखनऊ से उर्दू के प्रख्यात शायर रहे हैं। श्रेणी:शायर श्रेणी:उर्दू शायर श्रेणी:लखनऊ के लोग.

नई!!: लखनऊ और मोहसिन काकोरवी · और देखें »

मीना शाह (बैडमिंटन)

मीना शाह भारत की राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन थी। लखनऊ के सहारा अस्पताल में 10 मार्च 2015 को उनकी मृत्यु हो गई। शाह ने सात साल (1959 से 1965) तक सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती और उन्होंने महिला युगल का खिताब तीन बार और मिश्रित युगल का खिताब दो बार जीता। वह पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार की प्राप्तकर्ता हैं। .

नई!!: लखनऊ और मीना शाह (बैडमिंटन) · और देखें »

मीर तक़ी "मीर"

ख़ुदा-ए-सुखन मोहम्मद तकी उर्फ मीर तकी "मीर" (1723 - 20 सितम्बर 1810) उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर थे। मीर को उर्दू के उस प्रचलन के लिए याद किया जाता है जिसमें फ़ारसी और हिन्दुस्तानी के शब्दों का अच्छा मिश्रण और सामंजस्य हो। अहमद शाह अब्दाली और नादिरशाह के हमलों से कटी-फटी दिल्ली को मीर तक़ी मीर ने अपनी आँखों से देखा था। इस त्रासदी की व्यथा उनकी रचनाओं मे दिखती है। अपनी ग़ज़लों के बारे में एक जगह उन्होने कहा था- हमको शायर न कहो मीर कि साहिब हमने दर्दो ग़म कितने किए जमा तो दीवान किया .

नई!!: लखनऊ और मीर तक़ी "मीर" · और देखें »

मीर बाबर अली अनीस

मीर बबर अली अनीस (उर्दू:میر ببر علی انیس) वर्ष १९०३ में उत्तर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद, अवध में जन्मे एक उर्दू शायर थे जिनका वर्ष १८७४ में लखनऊ, उत्तर पश्चिमी प्रान्त में निधन हो गया। अनीस ने फ़ारसी, हिन्दी, अरबी और संस्कृत शब्दों को अपनी शायरी में काम में लिया। अनीस ने दीर्घ मर्सियाँ लिखी जो उस समय में प्रचलित थी लेकिन वर्तमान में धार्मिक समारोहों में भी उनके चयनित भागों का ही उच्चारण किया जाता है। उनका हिज़री सवंत् के १२९१ वें वर्ष में निधन हुआ जो ईसवी संवत् के १८७४ के तुल्य है। डॉ फ़रहत नादिर रिज़वी अपनी पुस्तक "मीर अनीस और क़िस्सागोई का फ़न" में लिखती हैं कि कर्बला के सच्चे ऐतिहासिक घटनाक्रम के वाचक होने के कारण मीर अनीस अपनी कल्पना के भरपूर प्रयोग में पूरे तौर पर स्वतंत्र ना होने के बावजूद अपने मरसियों में एक कुशल कथा वाचक की तरह कथा के सभी आवश्यक तत्वों का भरपूर इस्तेमाल करते हैं और कभी-कभी तो वह एक कुशल कथावाचक की हैसियत से अपने मरसियों को दास्तान व मसनवी से भी उच्च स्तर तक पहुंचाते प्रतीत होते हैं। .

नई!!: लखनऊ और मीर बाबर अली अनीस · और देखें »

यशवंत सिंह परमार

डॉ॰ यशवंत सिंह परमार (०४ अगस्त १९०६ - ०२ मई १९८१) भारत के राजनेता एवं स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी थे। वह हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। उनका हिमाचल प्रदेश को अस्तित्व में लाने और विकास की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लगभग 3 दशकों तक कुशल प्रशासक के रूप में जन-जन की भावनाओं संवेदनाओं को समझते हुए उन्होने प्रगति पथ पर अग्रसर होते हुए हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए नई दिशाएं प्रस्तुत की। उनका सारा जीवन प्रदेश की जनता के लिए समर्पित रहा वे उम्र भर गरीबों और जरुरतमंदों की सहायता करते रहे। .

नई!!: लखनऊ और यशवंत सिंह परमार · और देखें »

यह प्यार न होगा कम

ये प्यार न होगा कम एक भारतीय हिन्दी धारावाहिक है, यह कलर्स का एक नाट्य कार्यक्रम है। यह रुमानी सफर नवाबों के शहर लखनऊ के दो युवाओं की प्रेम कहानी से शुरू हो रहा है। यह धारावाहिक जाति की राजनीति और वर्ग भेद के विरुद्ध प्रेम की परीक्षा और मुसीबतों से साम्ना कराता है। इस नाटक में अबीर और लहर की प्रेम कहानी है, जो जाति की राजनीति की पृष्ठभूमि में फिल्मायी गयी है। यह धारावाहिक परिवारों तथा समाज के साथ जंग की ऐसी प्रेम कहानी दिखाता है, जो पहले कभी नहीं देखी गयी। यह धारावाहिक पुरानी कहावत प्यार अंधा होता है पर आगे बढ़ता है, लेकिन जाति और वर्ग भेद के प्रति हमारे देश के लोगों की सनक की भी आलोचना करता है। सत्तर के दशक की हिन्दी फिल्मों के अभिनेता धीरज कुमार की कंपनी क्रिएटिव आई द्वारा निर्मित इस धारावाहिक में अबीर की भूमिका गौरव खन्ना और लहर की भूमिका यमी गौतम कर रही हैं। इनके अलावा इस धारावाहिक में ऐश्वर्य नारकर, तुषार दलवी और प्राची शाह आदि भी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं में दिखाई देंगे। .

नई!!: लखनऊ और यह प्यार न होगा कम · और देखें »

योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ (मूल नाम: अजय सिंह बिष्ट; जन्म 5 जून 1972) गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त तथा राजनेता हैं एवं वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं। इन्होंने 19 मार्च 2017 को प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद यहाँ के 21वें मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली। - एनडीटीवी - 18 मार्च 2017 वे 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे। आदित्यनाथ गोरखनाथ मन्दिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। ये हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, तथा इनकी छवि कथित तौर पर एक देशभक्त की है। .

नई!!: लखनऊ और योगी आदित्यनाथ · और देखें »

रणजी ट्रॉफी 2016-17 ग्रुप सी

रणजी ट्रॉफी 2016-17 की रणजी ट्रॉफी, भारत में प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट के 83 वें मौसम है। यह तीन समूहों में विभाजित 28 टीमों ने चुनाव लड़ा जा रहा है। ग्रुप ए और बी नौ टीमों का समावेश है और ग्रुप सी दस टीमों के शामिल हैं। .

नई!!: लखनऊ और रणजी ट्रॉफी 2016-17 ग्रुप सी · और देखें »

रणजी ट्रॉफी ग्रुप ए 2017-18

रणजी ट्रॉफी 2017-18 भारत की प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का 84 वां सत्र है। यह 28 टीमों द्वारा चार समूहों में विभाजित किया जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक में सात टीम हैं। .

नई!!: लखनऊ और रणजी ट्रॉफी ग्रुप ए 2017-18 · और देखें »

रमेशचन्द्र दत्त

रमेशचन्द्र दत्त रमेशचंद्र दत्त (13 अगस्त 1848 -- 30 नवम्बर 1909) भारत के प्रसिद्ध प्रशासक, आर्थिक इतिहासज्ञ तथा लेखक तथा रामायण व महाभारत के अनुवादक थे। भारतीय राष्ट्रवाद के पुरोधाओं में से एक रमेश चंद्र दत्त का आर्थिक विचारों के इतिहास में प्रमुख स्थान है। दादाभाई नौरोज़ी और मेजर बी. डी. बसु के साथ दत्त तीसरे आर्थिक चिंतक थे जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के प्रामाणिक विवरण पेश किये और विख्यात ‘ड्रेन थियरी’ का प्रतिपादन किया। इसका मतलब यह था कि अंग्रेज अपने लाभ के लिए निरंतर निर्यात थोपने और अनावश्यक अधिभार वसूलने के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को निचोड़ रहे हैं। .

नई!!: लखनऊ और रमेशचन्द्र दत्त · और देखें »

रशीद जहाँ

रशीद जहाँ (5 अगस्त 1905 – 29 जुलाई 1952, उर्दू:ڈاکٹر رشید جہاں), भारत से उर्दू की एक प्रगतिशील लेखिका, कथाकार और उपन्यासकार थीं, जिन्होंने महिलाओं द्वारा लिखित उर्दू साहित्य के एक नए युग की शुरुआत की। वे पेशे से एक चिकित्सक थीं। .

नई!!: लखनऊ और रशीद जहाँ · और देखें »

राना लियाक़त अली ख़ान

बेगम रआना की एक तस्वीर, 1961 बेगम र'आना लियाक़त अली ख़ान (जन्म का नाम: शीला आइरीन पंत), पाकिस्तान की प्रथम महिला, पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान की बेगम, पाकिस्तान आंदोलन के सदस्य और सिंध की पहली महिला राज्यपाल थीं। .

नई!!: लखनऊ और राना लियाक़त अली ख़ान · और देखें »

राम नरेश यादव

राम नरेश यादव (01 जुलाई 1927 - 22 नवंबर 2016) भारतीय राजनेता और उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। वे मूलतः जनता पार्टी के एक नेता थे। १९७७ के जनता पार्टी की सरकार के आने पर वह उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बनाये गए। बाद में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। .

नई!!: लखनऊ और राम नरेश यादव · और देखें »

राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

नई!!: लखनऊ और राम प्रसाद 'बिस्मिल' · और देखें »

राम प्रसाद नौटियाल

लैंसडौन विधान सभा' क्षेत्र से विधायक के रूप में: प्रथम कार्यकाल:- 1951 to 1957, द्वितीय कार्यकाल - 1957 to 1962 राम प्रसाद नौटियाल (1 अगस्त, 1905 - 24 दिसम्बर, 1980) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी तथा राजनेता। .

नई!!: लखनऊ और राम प्रसाद नौटियाल · और देखें »

राम सहाय

पंडित राम सहाय (१७८०-१८२६) बनारस घराने के संस्थापकों में से एक रहे हैं। आज प्रचलित बनारस बाज लगभग २०० वर्ष पूर्व इन्होंने ही विकसित की थी। ये बनारस शहर के रहने वाले थे। इनके संगीत गुरु दिल्ली के सिधार खान जी के शिष्य उस्ताद मोढू खान थे। उस्ताद जी लखनऊ के नवाब आसफुद्दौला के दरबार में शाही संगीतज्ञ थे। जब राम सहाय मात्र १७ वर्ष के ही थे, तब लखनऊ के नये नवाब ने मोधु खान से पूछा कि क्या राम सहाय उनके लिये एक प्रदर्शन कर सकते हैं? कहते हैं, कि राम सहाय ने ७ रातों तक लगातार तबला-वादन किया जिसकी प्रशंसा पूरे समाज ने की एवं उन पर भेटों की बरसात हो गयी। अपनी इस प्रतिभा प्रदर्शन के बाद राम सहाय बनारस वापस आ गये। .

नई!!: लखनऊ और राम सहाय · और देखें »

राम जन्मभूमि

हिन्दुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मसजिद बना दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में इस स्थान को मुक्त करने एवं वहाँ एक नया मन्दिर बनाने के लिये एक लम्बा आन्दोलन चला। ६ दिसम्बर सन् १९९२ को यह विवादित ढ़ांचा गिरा दिया गया और वहाँ श्री राम का एक अस्थायी मन्दिर निर्मित कर दिया गया। .

नई!!: लखनऊ और राम जन्मभूमि · और देखें »

राम जेठमलानी

राम जेठमलानी (पूरा नाम: राम भूलचन्द जेठमलानी, رام جيٺملاڻي, जन्म: 14 सितम्बर 1923, सिंध, ब्रिटिश भारत के शिकारपुर शहर में) एक सुप्रसिद्ध भारतीय वकील और राजनीतिज्ञ हैं। 6ठी व 7वीं लोक सभा में वे भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मुंबई से दो बार चुनाव जीते। बाद में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में केन्द्रीय कानून मन्त्री व शहरी विकास मन्त्री रहे। किसी विवादास्पद बयान के चलते उन्हें जब भाजपा से निकाल दिया तो उन्होंने वाजपेयी के ही खिलाफ लखनऊ लोकसभा सीट से 2004 का चुनाव लड़ा किन्तु हार गये। 7 मई 2010 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया। 2010 में उन्हें फिर से भाजपा ने पार्टी में शामिल कर लिया और राजस्थान से राज्य सभा का सांसद बनाया। राम जेठमलानी उच्च प्रोफाइल से सम्बन्धित मामलों के मुकदमे की पैरवी करने के कारण विवादास्पद रहे और उसके लिए उन्हें कई बार कड़ी आलोचना का सामना भी करना पड़ा। यद्यपि वे उच्चतम न्यायालय के सबसे महँगे वकील हैं इसके बावजूद उन्होंने कई मामलों में नि:शुल्क पैरवी की। .

नई!!: लखनऊ और राम जेठमलानी · और देखें »

रामदुलारे त्रिवेदी

रामदुलारे त्रिवेदी (जन्म: 1902, मृत्यु: 1975) संयुक्त राज्य आगरा व अवध (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया था जिसके कारण उन्हें छ: महीने के कठोर कारावास की सज़ा काटनी पड़ी। जेल से छूटकर आये तो राम प्रसाद 'बिस्मिल' द्वारा गठित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये। वे एक सच्चे स्वतन्त्रता सेनानी थे। उन्हें काकोरी काण्ड में केवल पाँच वर्ष के सश्रम कारावास का दण्ड मिला था। स्वतन्त्र भारत में उनका देहान्त 11 मई 1975 को कानपुर में हुआ। 1921 से 1945 तक कई बार जेल गये किन्तु स्वर नहीं बदला। प्रताप और टंकार जैसे दो दो साप्ताहिक समाचार पत्रों का सम्पादन किया। त्रिवेदी जी ने कुछ पुस्तकें भी लिखी थीं जिनमें उल्लेखनीय थी-काकोरी के दिलजले जो 1939 में छपते ही ज़ब्त हो गयी। उनकी यह पुस्तक इतिहास का एक दुर्लभ दस्तावेज़ है। .

नई!!: लखनऊ और रामदुलारे त्रिवेदी · और देखें »

रामपुर जिला

रामपुर ज़िला भारत के उत्तरप्रदेश राज्य का मुरादाबाद विभाग का एक जिला है। .

नई!!: लखनऊ और रामपुर जिला · और देखें »

रामभद्राचार्य

जगद्गुरु रामभद्राचार्य (जगद्गुरुरामभद्राचार्यः) (१९५०–), पूर्वाश्रम नाम गिरिधर मिश्र चित्रकूट (उत्तर प्रदेश, भारत) में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर १९८८ ई से प्रतिष्ठित हैं।अग्रवाल २०१०, पृष्ठ ११०८-१११०।दिनकर २००८, पृष्ठ ३२। वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं। अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया है। वे बहुभाषाविद् हैं और २२ भाषाएँ बोलते हैं। वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। उन्होंने ८० से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं।दिनकर २००८, पृष्ठ ४०–४३। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है, और वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है। स्वामी रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं – भारत के भिन्न-भिन्न नगरों में और विदेशों में भी नियमित रूप से उनकी कथा आयोजित होती रहती है और कथा के कार्यक्रम संस्कार टीवी, सनातन टीवी इत्यादि चैनलों पर प्रसारित भी होते हैं। २०१५ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया। .

नई!!: लखनऊ और रामभद्राचार्य · और देखें »

राममनोहर लोहिया

डॉ॰ राममनोहर लोहिया डॉ॰ राममनोहर लोहिया (जन्म - मार्च २३, इ.स. १९१० - मृत्यु - १२ अक्टूबर, इ.स. १९६७) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक तथा समाजवादी राजनेता थे। .

नई!!: लखनऊ और राममनोहर लोहिया · और देखें »

राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय

डॉ॰राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय भारत के ग्यारह विधि विश्वविद्यालयों में से एक है। इसकी स्थापना २००६ में लखनऊ में हुई थी। यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्ण वित्तीय सहायता प्राप्त संस्थान है। इसका परिसर भूमि में बना है। १७ अगस्त २००६ से इसका प्रथम सत्र आरंभ हुआ था\ तब यहां ८० विद्यार्थी एवं ७ संकाय सदस्य थे। .

नई!!: लखनऊ और राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय · और देखें »

रामगोविन्द चौधरी

राम गोविन्द चौधरी उत्तर प्रदेश के प्रख्यात समाजवादी नेता व २०१७ से उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। वह उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में पिछली समाजवादी पार्टी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री तथा बाल विकास व पोषण मंत्री रह चुके हैं। वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा के बांसडीह निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। उनका जन्म बलिया में हुआ था तथा वे जयप्रकाश नारायण तथा पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के साथ कार्य कर चुके हैं। वह समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव के करीबी भी हैं। .

नई!!: लखनऊ और रामगोविन्द चौधरी · और देखें »

रामकृष्ण खत्री

रामकृष्ण खत्री (जन्म: ३ मार्च १९०२ महाराष्ट्र, मृत्यु: १८ अक्टूबर १९९६ लखनऊ) भारत के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ का विस्तार मध्य भारत और महाराष्ट्र में किया था। उन्हें काकोरी काण्ड में १० वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी गयी। हिन्दी, मराठी, गुरुमुखी तथा अंग्रेजी के अच्छे जानकार खत्री ने शहीदों की छाया में शीर्षक से एक पुस्तक भी लिखी थी जो नागपुर से प्रकाशित हुई थी। स्वतन्त्र भारत में उन्होंने भारत सरकार से मिलकर स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों की सहायता के लिये कई योजनायें भी बनवायीं। काकोरी काण्ड की अर्द्धशती पूर्ण होने पर उन्होंने काकोरी शहीद स्मृति के नाम से एक ग्रन्थ भी प्रकाशित किया था। लखनऊ से बीस मील दूर स्थित काकोरी शहीद स्मारक के निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। १८ अक्टूबर १९९६ को ९४ वर्ष की आयु में उनका देहान्त हुआ। .

नई!!: लखनऊ और रामकृष्ण खत्री · और देखें »

राय देवीप्रसाद 'पूर्ण'

राय देवीप्रसाद 'पूर्ण' (मार्गशीर्ष कृष्ण १३, संवत् १९२५ वि. - संवत् १९७२) हिन्दी के कवि थे। .

नई!!: लखनऊ और राय देवीप्रसाद 'पूर्ण' · और देखें »

रायबरेली

रायबरेली भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का लखनऊ डिवीजन का एक शहर है। यह लखनऊ से 80 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। रायबरेली उत्तर प्रदेश राज्य का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है। यहाँ पर अनेक प्राचीन इमारतें हैं। जिनमें क़िला, महल और कुछ सुन्दर मस्ज़िदें हैं। यह श्रीमती इंदिरा गांधी का निर्वाचन क्षेत्र रहा है। यहाँ कई उद्योगों की स्थापना की गई है जिनमें केन्द्र सरकार की इंण्डियन टेलीफ़ोन इण्डस्ट्रीज मुख्य है। .

नई!!: लखनऊ और रायबरेली · और देखें »

राष्ट्रीय राजमार्ग २४

४३८ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग दिल्ली से निकलकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक जाता है। इसका रूट दिल्ली - बरेली - लखनऊ है। यह राजमार्ग गुर्जर प्रतिहार राजवंश के महान गुर्जर सम्राट मिहिर भोज मार्ग के नाम से भी जाना जाता है। उतर प्रदेश द्वार से डासना तक यह गुर्जर सम्राट मिहिर भोज मार्ग है .

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय राजमार्ग २४ · और देखें »

राष्ट्रीय राजमार्ग २५

३५२ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग लखनऊ से निकलकर शिवपुरी तक जाता है। इसका रूट लखनऊ - कानपुर - झाँसी - शिवपुरी है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय राजमार्ग २५ · और देखें »

राष्ट्रीय राजमार्ग २८

५७० किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग बरौनी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से निकलकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक जाता है। इसका रूट बरौनी - मुजफ्फरपुर - पिपरा - कोठी - गोरखपुर - लखनऊ है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय राजमार्ग २८ · और देखें »

राष्ट्रीय सहारा

राष्ट्रीय सहारा हिन्दी का एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र है। इसके प्रकाशन का आरम्भ 16 फरवरी, 1992 को लखनऊ (उत्तर-प्रदेश) से हुआ था। इस अखबार का मुख्यालय नई दिल्ली में है। वर्तमान समय में इस समाचार पत्र के लखनऊ के अलावा दिल्ली, पटना, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर और देहरादून संस्करण भी प्रकाशित होते है। राष्ट्रीय सहारा का प्रबंधन सहारा इंडिया मास कम्यूनिकेशन (एसआईएमसी) द्वारा होता। सहारा इंडिया मास कम्यूनिकेशन द्वारा रोजनामा सहारा नाम के एक उर्दू अखबार का भी प्रकाशन किया जाता है। .

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय सहारा · और देखें »

राष्ट्रीय सिख संगत

राष्ट्रीय सिख संगत एक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था है जो गुरू ग्रन्थ साहब के सन्देशों को पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसारित करने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। संगत का मानना है कि गुरू ग्रन्थ साहब केवल सिखों का ही नहीं वरन सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का पवित्र धर्मग्रन्थ है। राष्ट्रीय सिख संगत पूरी तरह सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच है, न कि पांथिक। इसका मुख्य उद्देश्य है सामाजिक समरसता पैदा करना और सिख परम्परा, सिख इतिहास को जन-जन तक पहुंचाना। उल्लेखनीय है कि सिखों का बड़ा तेजस्वी इतिहास रहा है। देश और धर्म के लिए मर मिटने की परम्परा इनकी रही है। बड़े तो बड़े, बच्चे भी देश-पंथ के लिए शहीद हुए हैं। गुरु गोविन्द सिंह जी के दो पुत्रों जोरावर सिंह (9) तथा फतेह सिंह (7) को मुगलों ने दीवार में चुनवा दिया था। अपने अन्य दो पुत्रों-अजीत सिंह और जुझार सिंह को गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने हाथों से युद्ध के लिए सजाया था और मुगलों की भारी-भरकम सेना के खिलाफ उन्हें मैदान में उतारा था। वे दोनों साहिबजादे भी बड़े वीर थे। युद्ध के मैदान में वीरता दिखाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। सच कहा जाए जो ऐसे ही वीरों और शहीदों के कारण मुगलों के अत्याचारों से उत्तर भारत में हिन्दुओं की रक्षा हो पाई। नहीं तो क्या होता, इसको अलकाधर खान योगी ने कहा है- सिखों के इसी इतिहास को घर-घर तक पहुंचाने का कार्य राष्ट्रीय सिख संगत पिछले 25 साल से कर रही है। इस निमित्त पूरे देश में संगोष्ठियां एवं अन्य कार्यक्रम होते रहते हैं। .

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय सिख संगत · और देखें »

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सदस्यों की सूची

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) एक केंद्र-दक्षिणपंथी राजनीतिक गठबंधन है। इसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) करती है। २०१५ के अनुसार, यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय संसद का सत्तारूढ़ गठबंधन है, और १३ राज्यों पर राज करता है। राजग का निर्माण १९९८ के आम चुनावों में भाजपा द्वारा किया गया था; इसमें भाजपा के तत्कालीन सहयोगी दलों (जैसे समता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना) के अलावा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और बीजू जनता दल शामिल थे। इन क्षेत्रीय दलों में केवल एक शिवसेना ही थी, जिसकी विचारधारा भाजपा की विचारधारा के समान थी। गठबंधन पहली बार केन्द्र में सत्ता पर १९९८ के आम चुनाव के बाद आया, और २००४ तक शासन किया। सितंबर २०१५ की स्थिति के अनुसार, राजग में पैंतीस सदस्य दल है (उनमें से दो राजनीतिक मोर्चे हैं और एक संगठन है), जिसमें से भाजपा एकमात्र राष्ट्रीय दल है। तेरह राजग सदस्यों (शिवसेना, तेलुगु देशम पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, ऑल इंडिया एन॰आर॰ कांग्रेस, नागा पीपुल्स फ्रंट, लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन, नेशनल पीपुल्स पार्टी, और पाट्टाली मक्कल कॉची) को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा "राज्यीय दल" का दर्जा दिया गया है। सितंबर २०१५ की स्थिति के अनुसार, राजग के पास लोकसभा और राज्यसभा में क्रमानुसार ३३७ और ६४ सदस्य हैं। .

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सदस्यों की सूची · और देखें »

राष्ट्रीय जीन बैंक, नई दिल्ली

राष्ट्रीय जीन बैंक केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान लखनऊ द्वारा नई दिल्ली में १९९६ से स्थापित स्थापित एवं अनुरक्षित है। इसमें औषधीय एवं सगंध पौधों हेतु (एनजीबीमैप) वनस्पति हर्बेरियम, संरक्षणशाला, जीन बैंकिंग, पौध सत्व एवं रसायनों का संग्रह सम्मिलित है, यह सुविधा वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा पोषित है। .

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय जीन बैंक, नई दिल्ली · और देखें »

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ में स्थित एक संस्थान है। यह सीएसआईआर के अंतर्गत है, एवं आधुनिक जीवविज्ञान एवं टैक्सोनॉमी के क्षेत्रों से जुड़ा है। इसके निदेशक डॉ॰ राकेश तूली हैं। संस्थान के वैज्ञानिकों ने बोगनवेलिया की एक नयी प्रजाति विकसित की है, जिसका नाम लोस बानोस वैरियेगाता- जयंती रखा है। यह संस्थान भारत की अग्रणी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक है जो कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, के अन्तर्गत लखनऊ में कार्यरत है। यह संस्थान 'राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान' के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत कार्यरत था, जिसे 13 अप्रैल, 1953 को वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् ने अधिग्रहीत कर लिया। उस समय से यह संस्थान वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में परम्परागत अनुसंधान करता आ रहा है। समय के साथ इसमें नये-नये विषयों पर अनुसंधान कार्य किये गये, जिनमें पर्यावरण संबंधित व आनुवांशिक अध्ययन प्रमुख थे। अनुसंधान के बढ़ते महत्व व बदलते स्वरूप को ध्यान में रखकर 25 अक्टूबर, 1978 को इसका नाम बदलकर 'राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान' किया गया। वर्तमान में संस्थान के पास लगभग 63 एकड़ भूमि पर वनस्पति उद्यान है जिसमें संस्थान की प्रयोगशालायें स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त बंथरा में लगभग 260 एकड़ भूमि अनुसंधान हेतु उपलब्ध है जहाँ पर अनेक प्रयोग किये जा रहे हैं। संस्थान की छवि वर्तमान में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान के रूप में है जिसके द्वारा प्रतिवर्ष अनेक उत्पाद विकसित किये जा रहे हैं तथा इनको विभिन्न उद्योग घरानों द्वारा व्यावसायिक स्तर पर बनाया जा रहा है। संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न पुष्प प्रजातियाँ व गुलाल आज घर-घर में लोकप्रिय हैं। .

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान · और देखें »

राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली

राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय की दिल्ली में इंडिया गेट के निकट स्थित इमारत। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, या नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थित है। इसकी आवश्यकता सन 1949 में कोलकाता के कला-सम्मेलन में महसूस की गई, जिसके परिणामस्वरूप 29 मार्च,1954 में इसकी स्थापना जयपुर हाउस में, की गई। यह कला दीर्घा भारत में अपने आप में ऐसा अद्भुत संग्रहालय है, जिसमें सोलह हज़ार से भि अधिक कलाकृतियों का संग्रह है, तथा इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। यह संग्रहालय संस्कृति मंत्रालय द्वारा अधीनस्थ संस्था रूप में प्रशासित एवं संचालित है। इस संग्रहालय की दो और शाखाएं हैं: -एक मुंबई में व –एक बंगलौर में। देश का यह संग्रहालय पिछले 150 वर्षों की सांस्कृतिक व समकालीन ललितकला का भंडार समेटे हुए है। इसमें सन 1857 से आरंभ करते हुए दृश्य एवं शिल्पकला को समय के साथ बदलते हुए स्वरूपों में दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। .

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली · और देखें »

राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान

राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (रा.इ.सू.प्रौ.सं./) (पूर्वतन डीओईएसीसी सोसाइटी), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डी ई आई टी वाई), संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत एक स्वायत्त वैज्ञानिक संस्था है। इसकी स्थापना सूचना, इलेक्ट्रॉनिकी एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईइसीटी) के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास तथा संबंधित कार्यकलाप करने के लिए की गई थी। रा.इ.सू.प्रौ.सं.

नई!!: लखनऊ और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान · और देखें »

राष्‍ट्रधर्म

राष्‍ट्रधर्म हिन्दी की एक पत्रिका है। यह संस्कृति भवन लखनऊ से प्रकाशित होती है। .

नई!!: लखनऊ और राष्‍ट्रधर्म · और देखें »

राजपाल यादव

राजपाल यादव हिन्दी फिल्मों के एक हास्य अभिनेता हैं। .

नई!!: लखनऊ और राजपाल यादव · और देखें »

राजभवन (उत्तर प्रदेश)

राजभवन लखनऊ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक आवास है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ में स्थित है। राम नाईक उत्तर प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल हैं। उत्तर प्रदेश का लखनऊ स्थित राजभवन लगभग २०० वर्ष पुराना है। .

नई!!: लखनऊ और राजभवन (उत्तर प्रदेश) · और देखें »

राजाजीपुरम

राजाजीपुरम लखनऊ का एक आवासीय क्षेत्र है। श्रेणी:लखनऊ के आवासीय क्षेत्र.

नई!!: लखनऊ और राजाजीपुरम · और देखें »

राजकुमार शुक्ल

राजकुमार शुक्ल (१८७५ -) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बिहार के चंपारण के निवासी और स्वतंत्रता सेनानी थे। दिसंबर 1916 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में बिहार के किसानों के प्रतिनिधि बनकर वह लखनऊ गए और चंपारण के किसानों की दुर्दशा को शीर्ष नेताओं के समक्ष रखा। नील की खेती करनेवाले रैयत राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर महात्मा गाँधी चंपारण आने को तैयार हुए। राजकुमार शुक्ल के साथ बापू १० अप्रैल १९१७ को कोलकाता से पटना और मुजफ्फरपुर होते हुए मोतिहारी गए। नील की फसल के लागू तीनकठिया खेती के विरोध में गाँधीजी ने चंपारण में सत्याग्रह का पहला सफल प्रयोग किया। अंग्रेजों की तत्कालीन तीन कठिया व्यवस्था के तहत हर बीघे में 3 कट्ठे जमीन पर नील की खेती करने की किसानों के लिए विवशता उत्पन्न करने का विरोध करते हुए पंडित राजकुमार शुक्ल ने वहां किसान आंदोलन की शुरुआत की, जिसके एवज में दंड स्वरूप उन्हें कई बार अंग्रेजों के कोड़े और प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। क्षेत्र के किसानों की बदहाल स्थिति को देखते हुए पंडित शुक्ल ने महात्मा गांधी को बार-बार वहां आने का आग्रह किया तो गांधीजी इनकार नहीं कर सके। वे चंपारण पहुंचे और फिर वहां के किसानों के आंदोलन को जो धार मिली, उन्होंने देश को आजादी के मुकाम तक पहुंचा दिया। दरअसल, चंपारण किसान आंदोलन ही देश की आजादी का असली संवाहक बने था। वहां के किसानों के त्याग, बलिदान और संघर्ष की वजह से आज हम आजाद भारत में सांसें लेने के लिए स्वतंत्र हैं। .

नई!!: लखनऊ और राजकुमार शुक्ल · और देखें »

राजकुमारी अमृत कौर

राजकुमारी अमृत कौर (२ फ़रवरी १८८९ - २ अक्टूबर १९६४) स्वतंत्र भारत की दस वर्षों तक स्वास्थ्य मंत्री थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा सामाजिक कार्यकर्ता थीं। वे महात्मा गांधी की अनुयायी तथा १६ वर्ष तक उनकी सचिव रहीं। .

नई!!: लखनऊ और राजकुमारी अमृत कौर · और देखें »

राजेन्द्र कुमार पचौरी

भारतीय पर्यावरणविद राजेन्द्र कुमार पचौरी (जन्म- २० अगस्त १९४० --) की अध्यक्षता वाले आईपीसीसी (इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज) को इस साल नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार आईपीसीसी को अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर के साथ संयुक्त रूप से मिला है। आर.के. पचौरी का जन्म 20 अगस्त 1940 को नैनीताल में हुआ था। 1981 में वह टेरी (द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट) के डाइरेक्टर बने। 2001 में पचौरी ने इस संस्थान के डाइरेक्टर जनरल का पद संभाला। अब तक विविध सब्जेक्ट्स पर 21 किताबें लिख चुके पचौरी 20 अप्रैल 2002 को आईपीसीसी के अध्यक्ष चुने गए। तबसे वह इस पद पर कार्य कर रहे हैं। अब तक जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़े तमाम संस्थानों और फोरम में पचौरी ने एक्टिव भूमिका निभाई है। पर्यावरण के क्षेत्र में उनके महत्वूपर्ण योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया। डीएलडब्ल्यू वाराणसी से अपने करियर की शुरुआत करनेवाले राजेन्द्र कुमार पचौरी ने अमेरिका के करोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी, रेलिग से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और इकोनॉमिक्स में डॉक्ट्रेट की डिग्री हासिल की है। 1974 से 1975 तक को वह इसी यूनिवर्सिटी में इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रफेसर रहे। अमेरिका से भारत लौटने के बाद पचौरी ने कई महत्वूपर्ण सरकारी पदों पर काम किया। जनवरी 1999 में वह इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के अध्यक्ष बने और तीन साल तक इस पद पर रहे। पर्यावरण से जुड़े तमाम मुद्दो पर इनके बहुत सारे आर्टिकल देश-विदेश के महत्वपूर्ण न्यूजपेपर्स और साइंस मैगजीन में छप चुके हैं। .

नई!!: लखनऊ और राजेन्द्र कुमार पचौरी · और देखें »

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी

राजेन्द्र लाहिडी की दुर्लभ फोटो राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी (अंग्रेजी:Rajendra Nath Lahiri, बाँग्ला:রাজেন্দ্র নাথ লাহিড়ী, जन्म:१९०१-मृत्यु:१९२७) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे। युवा क्रान्तिकारी लाहिड़ी की प्रसिद्धि काकोरी काण्ड के एक प्रमुख अभियुक्त के रूप में हैं। .

नई!!: लखनऊ और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी · और देखें »

राजेश कुमार

राजेश कुमार - जनवादी नाटककार। जन्म -११ जनवरी १९५८ पटना, बिहार। राजेश कुमार नुक्कड़ नाटक आंदोलन के शुरुआती दौर १९७६ से सक्रिय है। अब तक दर्जनों नाटक एवं नुक्कड़ नाट्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। आरा की नाट्य संस्था युवानीति, भागलपुर की दिशा और शाहजहाँपुर की नाट्य संस्था अभिव्यक्ति के संस्थापक सदस्य। पेशे से ईन्जीनियर है। इन दिनो लखनऊ में कार्यरत। .

नई!!: लखनऊ और राजेश कुमार · और देखें »

राजीव जैन

राजीव जैन (जन्म 29 नवंबर, 1964) एक भारतीय छायाकार है। .

नई!!: लखनऊ और राजीव जैन · और देखें »

राखालदास बनर्जी

राखालदास वंद्योपाध्याय (बंगला: রাখালদাস বন্দোপাধ্যায় / आर. डी. बनर्जी, 1885-1930) प्रसिद्ध पुरातत्वज्ञ एवं इतिहासकार थे। आप भारतीय पुराविदों के उस समूह में से थे जिसमें से अधिकांश ने 20वीं शती के प्रथम चरण में तत्कालीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जॉन मार्शल के सहयोगी के रूप में पुरातात्विक उत्खनन, शोध तथा स्मारकों के संरक्षण में यथेष्ट ख्याति अर्जित की थी। .

नई!!: लखनऊ और राखालदास बनर्जी · और देखें »

रजनी पनिक्कर

रजनी पनिक्कर (११ सितंबर १९२४- १८ नवम्बर १९७४) का जन्म लाहौर में हुआ था। वहीं से उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी में एम० ए० किया। बचपन से ही उनकी रूचि लेखने में थी। उन्होंने बंबई में प्रकाशित होने वाली कहानी की एक पत्रिका का संपादन किया। भारत विभाजन के बाद वे पंजाब सरकार के सूचना विभाग के पाक्षिक हिंदी पत्र 'प्रदीप' की संपादिका बनीं और आकाशवाणी के लखनऊ, कलकत्ता, दिल्ली, जयपुर आदि विभिन्न केंद्रों पर अनेक वर्ष तक अधिकारी के रूप में रहीं। उन्होंने दिल्ली स्थित महत्त्वपूर्ण सस्था लेखिका संघ की स्थापना की तथा उसकी प्रथम अध्यक्षा भी रहीं। विवाह पूर्व उनका नाम रजनी नैयर था। फौजी अफसर ट्रावनकोर के श्रीधर पनिक्कर से विवाह हो जाने के बाद वे नैयर से रजनी पनिक्कर बन गईं। वे अपने निर्भीक और ओजपूर्ण लेखन के कारण जानी जाती हैं। उन्होंने उपन्यास और कहानी के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। उन्होंने लगभग एक दर्जन उपन्यासों की रचना की है, जो हिंदी संसार में बहुचर्चित रहे। (१९४९) में 'ठोकर' नाम से अपना पहला उपन्यास रजनी नैयर नाम से ही लिखा था। इसमें शिक्षित मध्यमवर्गीय परिवार की स्वछंदता का सफल चित्रण देखा जा सकता है। उनके उपन्यास 'पानी की दीवार' (१९५४) की कथा प्रेम के स्वस्थ और शालीन दृष्टिकोण को उभारती है। यह उपन्यास मनोवैज्ञानिक पर आधारित है। 'मोम के मोती' (१९५४) में रजनी पनिक्कर ने पुरूषों की उद्दंड कामुकता और इससे उत्पन्न सामाजिक वातावरण में नौकरीपेशा नारी की समस्याओं को उजागर किया है। 'प्यासे बादल' (१९५५) में उन्होंने सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार का महत्व प्रदर्शित किया है और बताया है कि इससे समाज का कोढ़ समझा जानेवाला आदमी भी सुधर सकता है। 'जाड़े की धूप' (१९५८) नौकरीपेशा नारी और उसके बदलते प्रेम संबंधों की कहानी है जिसमें दांपत्य से विचलन और निस्सरता की बात की गई है। 'काली लड़की' (१९५८) साँवली सूरत वाली लड़की की सामाजिक कठिनाइयों की कहानी है। 'महानगर की मीता' (१९५६) में मीता अपनी शर्त पर जीवन जीने की चाह रखती है और जीकर दिखाती है। इसके अतिरिक्त रजनी पनिक्कर के 'एक लड़कीः दो रूप', 'दूरियाँ', 'अपने-अपने दायरे', 'सिगरेट के टुकड़े' (१९५६), 'सोनाली दी', 'प्रेम चुनरिया बहुरंगी' आदि उपन्यास भी महत्वपूर्ण हैं। उनकी कई रचनाएं उत्तरप्रदेश सरकार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और यूनेस्को द्वारा पुरस्कृत हुई हैं। पचास वर्ष की छोटी सी जीवन अवधि में ही उन्होंने हिंदी कथा लेखन में अपने अनुभवों को जो विस्तार दिया वह हिन्दी साहित्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। श्रेणी:हिन्दी उपन्यासकार श्रेणी:हिन्दी कथाकार श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: लखनऊ और रजनी पनिक्कर · और देखें »

रज़िया सज्जाद ज़हीर

रजिया सज्जाद जहीर उर्दू की कहानी लेखिका हैं। इनका जन्म १५ फरवरी, सन् १९१७ को राजस्थान के अजमेर शहर में हुआ था। रजिया ने आरम्भिक शिक्षा से लेकर कला स्नातक तक की शिक्षा घर पर रहकर ही प्राप्त की। इसके बाद उनका विवाह सज्जाद ज़हीर नामक साम्यवादी (कम्यूनिस्ट) से हुआ। विवाह के बाद उन्होंने इलाहाबाद से उर्दू में स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन १९४७ में वे अजमेर से लखनऊ आईं और वहाँ करामत हुसैन गर्ल्स कॉलेज में पढाने लगीं। सन् १९६५ में उनकी नियुक्ति सोवियत सूचना विभाग में हुई। उनका निधन १८ दिसबर, १९७९ को हुआ। .

नई!!: लखनऊ और रज़िया सज्जाद ज़हीर · और देखें »

रघुवीर सहाय

रघुवीर सहाय रघुवीर सहाय (९ दिसम्बर १९२९ - ३० दिसम्बर १९९०) हिन्दी के साहित्यकार व पत्रकार थे। रघुवीर सहाय का जन्म लखनऊ में हुआ था। अंग्रेज़ी साहित्य में एम ए (१९५१) लखनऊ विश्वविद्यालय। साहित्य सृजन १९४६ से। पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक नवजीवन (लखनऊ) से १९४९ में। १९५१ के आरंभ तक उपसंपादक और सांस्कृतिक संवाददाता। इसी वर्ष दिल्ली आए। यहाँ प्रतीक के सहायक संपादक (१९५१-५२), आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपसंपादक (१९५३-५७)। १९५५ में विमलेश्वरी सहाय से विवाह। दूसरा सप्तक, सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो हँसो जल्दी हँसो (कविता संग्रह), रास्ता इधर से है (कहानी संग्रह), दिल्ली मेरा परदेश और लिखने का कारण (निबंध संग्रह) उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। इसके अलावा 'बारह हंगरी कहानियाँ', विवेकानंद (रोमां रोला), 'जेको', (युगोस्लावी उपन्यास, ले० येर्ज़ी आन्द्र्ज़ेएव्स्की, 'राख़ और हीरे'(पोलिश उपन्यास,ले० येर्ज़ी आन्द्र्ज़ेएव्स्की) तथा 'वरनम वन'(मैकबेथ, शेक्सपियर) शीर्षक से हिन्दी भाषांतर भी समय-समय पर प्रकाशित हुए हैं। रघुवीर सहाय समकालीन हिन्दी कविता के महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं। उनके साहित्य में पत्रकारिता का और उनकी पत्रकारिता पर साहित्य का गहरा असर रहा है। उनकी कविताएँ आज़ादी के बाद विशेष रूप से सन् ’60 के बाद के भारत की तस्वीर को समग्रता में पेश करती हैं। उनकी कविताएँ नए मानव संबंधों की खोज करना चाहती हैं जिसमें गैर बराबरी, अन्याय और गुलामी न हो। उनकी समूची काव्य-यात्रा का केंद्रीय लक्ष्य ऐसी जनतांत्रिक व्यवस्था की निर्मिति है जिसमें शोषण, अन्याय, हत्या, आत्महत्या, विषमता, दासता, राजनीतिक संप्रभुता, जाति-धर्म में बँटे समाज के लिए कोई जगह न हो। जिन आशाओं और सपनों से आज़ादी की लड़ाई लड़ी गई थी उन्हें साकार करने में जो बाधाएँ आ रही हों, उनका निरंतर विरोध करना उनका रचनात्मक लक्ष्य रहा है। वे जीवन के अंतिम पायदान पर खड़े होकर अपनी जिजीविषा का कारण ‘अपनी संतानों को कुत्ते की मौत मरने से बचाने’ की बात कहकर अपनी प्रतिबद्धता को मरते दम तक बनाए रखते हैं। .

नई!!: लखनऊ और रघुवीर सहाय · और देखें »

रवि शंकर प्रसाद

रवि शंकर प्रसाद (जन्म: ३० अगस्त, १९५४) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वर्तमान में वे भारतीय संसद के ऊपरी सदन में बिहार राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में भारत के कोयला एवं खान मंत्रालय, न्याय एवं विधि मन्त्रालय तथा सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय में राज्य मन्त्री रह चुके हैं। प्रसाद भारत के मुख्य राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अग्रणी सदस्यों में से एक हैं। .

नई!!: लखनऊ और रवि शंकर प्रसाद · और देखें »

रविन्द्र कौशिक

रविन्द्र कौशिक रॉ जासूस थे उन्हें वहाँ पकड़ लिया गया था और पाकिस्तान की जैल में डाल दिया गया अंत में वहाँ ही उनकी मौत हो गई। .

नई!!: लखनऊ और रविन्द्र कौशिक · और देखें »

रवीन्द्र प्रभात

रवीन्द्र प्रभात (जन्म: ५ अप्रैल १९६९) भारत के हिन्दी कवि, कथाकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, स्तंभकार, सम्पादक और ब्लॉग विश्लेषक हैं। उन्होंने लगभग सभी साहित्यिक विधाओं में लेखन किया है परंतु व्यंग्य और गज़ल में उनकी प्रमुख उपलब्धियाँ हैं। १९९१ में प्रकाशित अपने पहले गज़ल संग्रह "हमसफर" से पहली बार वे चर्चा में आये। लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी दैनिक 'जनसंदेश टाईम्स' और 'डेली न्यूज एक्टिविस्ट' के वे नियमित स्तंभकार रह चुके हैं। .

नई!!: लखनऊ और रवीन्द्र प्रभात · और देखें »

रंजीत भार्गव

रणजीत भार्गव (Ranjit Bhargava) एक भारतीय पर्यावरणविद् हैं जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने प्रयासों के लिए जाना जाता है। और वह ऊपरी गंगा क्षेत्र के लिए यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल का दर्जा प्राप्त करने के प्रयासों के लिए भी जाना जाता है। भारत सरकार ने उन्हें 2010 में देश के उच्चतम नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया था। वह नीदरलैंड के राजकुमार बर्नार्ड और जर्मनी की सरकार के मेरिट का ऑर्डर प्राप्तकर्ता भी हैं। .

नई!!: लखनऊ और रंजीत भार्गव · और देखें »

रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक, लखनऊ

रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक, लखनऊ (Principal Controller of Defence Accounts, Lucknow) भारत के रक्षा लेखा विभाग के लखनऊ क्षेत्र का नेतृत्व रक्षा लेखा महानियंत्रक के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करते हैं। रक्षा लेखा विभाग के प्रमुख कार्य भारतीय सशस्त्र बलों से संबंधित सभी प्रकार के भुगतानों पर निगरानी करना, खातों का लेखा जोखा रखना और जांच करना है। इनमें आपूर्ति और सेवाओं के बिल और निर्माण / मरम्मत कार्यों, वेतन और भत्तों के विविध शुल्क, पेंशन, आदि के बिल शामिल हैं। .

नई!!: लखनऊ और रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक, लखनऊ · और देखें »

रुना बनर्जी

रुना बनर्जी एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता है। स्वयं कार्यरत महिला संघ (एसईयूयूए), लखनऊ, गैर सरकारी संगठन की सह-संस्थापक भी है। यह संगठन भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के गरीब कार्य करने वाली महिलाओं के हितों को बढ़ावा देता है। वे २००५ में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सामूहिक रूप से मनोनीत हुए ग्लोब के शांतिविमैन में से एक थे, जो अंततः मोहम्मद अलबारादी द्वारा जीता गया था। भारतीय समाज में उनके योगदान के लिए उन्होंने भारत सरकार से पद्म श्री का चौथा उच्चतम नागरिक सम्मान २००७ में दिया था। रुना बनर्जी का जन्म १९५० में लखनऊ के मॉडल हाउस क्षेत्र में, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी शहर में, एक हिंदू परिवार में हुआ था। .

नई!!: लखनऊ और रुना बनर्जी · और देखें »

रुहेलखंड व कुमाऊँ रेलवे

रुहेलखंड व कुमाऊँ रेलवे (R&KR) भारत में मीटरगेज की रेलवे कंपनी थी, जिसका नेटवर्क 953 किलोमीटर था।; Retrieved 8 Dec 2016 1 जनवरी 1943 को इसे भारत सरकार को हस्तांतरित कर दिया गया और इसका विलय अवध व तिरहुत रेलवे में हो गया। .

नई!!: लखनऊ और रुहेलखंड व कुमाऊँ रेलवे · और देखें »

रैंकोजी मन्दिर

रैंकोजी मन्दिर (जा: 蓮光寺 (杉並区), अं: Renkōji Temple) जापान के टोकियो में स्थित एक बौद्ध मन्दिर है। 1594 में स्थापित यह मन्दिर बौद्ध स्थापत्य कला का दर्शनीय स्थल है। एक मान्यता के अनुसार भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रिम सेनानी सुभाष चन्द्र बोस की अस्थियाँ यहाँ आज भी सुरक्षित रखी हुई हैं। दरअसल 18 सितम्बर 1945 को उनकी अस्थियाँ इस मन्दिर में रखी गयीं थीं। परन्तु प्राप्त दस्तावेज़ों के अनुसार नेताजी की मृत्यु एक माह पूर्व 18 अगस्त 1945 को ही ताइहोकू के सैनिक अस्पताल में रात्रि 21.00 बजे हो गयी थी। जापान के लोग यहाँ प्रति वर्ष 18 अगस्त को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का बलिदान दिवस मनाते हैं। .

नई!!: लखनऊ और रैंकोजी मन्दिर · और देखें »

रूमी दरवाजा

right लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा की तर्ज पर ही रूमी दरवाजे का निर्माण भी अकाल राहत प्रोजेक्ट के अन्तर्गत किया गया है। नवाब आसफउद्दौला ने यह दरवाजा 1783 ई. में अकाल के दौरान बनवाया था ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। अवध वास्तुकला के प्रतीक इस दरवाजे को तुर्किश गेटवे कहा जाता है। रूमी दरवाजा कांस्टेनटिनोपल के दरवाजों के समान दिखाई देता है। यह इमारत 60 फीट ऊंची है। .

नई!!: लखनऊ और रूमी दरवाजा · और देखें »

रेडियो सिटी

150px रेडियो सिटी भारत का एक गैर शासकीय रेडियो स्टेशन है। इसका प्रसारण ९१.१ मेगाहर्ट्ज़ पर होता है। इस रेडियो स्टेशन कि शुरुआत सबसे पहले मुंबई से २००४ में हुई। अब यह भारत के कई शहरों और महानगरों में एक प्रचलित रेडियो स्टेशन है। इसकीं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिस.

नई!!: लखनऊ और रेडियो सिटी · और देखें »

रेलवे सुरक्षा आयोग

रेलवे सुरक्षा आयोग भारत की एक सरकारी एजेंसी है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीनस्थ, यह कमीशन के रूप में 1989 रेल अधिनियम द्वारा निर्देशित, भारत में एक रेल सुरक्षा प्राधिकरण है। एजेंसी रेल दुर्घटनाओं की जांच करती है। इसका प्रधान कार्यालय पूर्वोत्तर रेलवे कंपाउंड लखनऊ में है। 2010 के अनुसार प्रशांत कुमार रेलवे सुरक्षा मुख्य आयुक्त (CCR) हैं। .

नई!!: लखनऊ और रेलवे सुरक्षा आयोग · और देखें »

रेजिडेन्सी, लखनऊ

लखनऊ रेजिडेन्सी के अवशेष ब्रिटिश शासन की स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं। सिपाही विद्रोह के समय यह रेजिडेन्सी ईस्ट इंडिया कम्पनी के एजेन्ट का भवन था। यह ऐतिहासिक इमारत शहर के केन्द्र में स्थित हजरतगंज क्षेत्र के समीप है। यह रेजिडेन्सी अवध के नवाब सआदत अली खां द्वारा 1800 ई. में बनवाई गई थी। रेसिडेंसी वर्तमान में एक राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है और लखनऊ वालों के लिये सुबह की सैर का स्थान। रेसिडेंसी का निर्माण लखनऊ के समकालीन नवाब आसफ़ुद्दौला ने सन 1780 में प्रारम्भ करवाया था जिसे बाद में नवाब सआदत अली द्वारा सन 1800 में पूरा करावाया। रेसिडेंसी अवध प्रांत की राजधानी लखनऊ में रह रहे, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंम्पनी के अधिकारियों का निवास स्थान हुआ करता थी। सम्पूर्ण परिसर मे प्रमुखतया पाँच-छह भवन थे, जिनमें मुख्य भवन, बेंक्वेट हाल, डाक्टर फेयरर का घर, बेगम कोठी, बेगम कोठी के पास एक मस्जिद, ट्रेज़री आदि प्रमुख थे। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और रेजिडेन्सी, लखनऊ · और देखें »

रोमिला थापर

रोमिला थापर रोमिला थापर भारतीय इतिहासकार है, तथा इनके अध्ययन का मुख्य विषय "प्राचीन भारतीय इतिहास" रहा है। इनका जन्म ३० नवम्बर १९३१ में हुआ था। .

नई!!: लखनऊ और रोमिला थापर · और देखें »

रीटा भादुड़ी

रीटा भादुड़ी हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। रीता भादुरी धारावाहिक निमकी मुखिया में दादी की भूमिका निभाती हैं। .

नई!!: लखनऊ और रीटा भादुड़ी · और देखें »

रीता बहुगुणा जोशी

रीता बहुगुणा जोशी,भारत के उत्तर प्रदेश की उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधान सभा में विधायक रहीं। २०१२ उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की लखनऊ कैण्‍टोमेंट विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तर प्रदेश (निर्वाचन संख्या-१७५) से चुनाव जीता। रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एच.

नई!!: लखनऊ और रीता बहुगुणा जोशी · और देखें »

लच्छू महाराज

लच्छू महाराज (१९०१-१९७८) लखनऊ से महान कथक नर्तक थे। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:कथक श्रेणी:नर्तक श्रेणी:1901 में जन्मे लोग.

नई!!: लखनऊ और लच्छू महाराज · और देखें »

ललित नारायण मिश्र

ललित नारायण मिश्र 1973 से 1975 तक भारत के रेलमंत्री थे। 3 जनवरी 1975 को समस्तीपुर बम-विस्फोट कांड में उनकी मृत्यु हो गयी थी। वह पिछड़े बिहार को राष्ट्रीय मुख्यधारा के समकक्ष लाने के लिए सदा कटिबद्ध रहे। उन्होंने अपनी कर्मभूमि मिथिलांचल की राष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए पूरी तन्मयता से प्रयास किया। विदेश व्यापार मंत्री के रूप में उन्होंने बाढ़ नियंत्रण एवं कोशी योजना में पश्चिमी नहर के निर्माण के लिए नेपाल-भारत समझौता कराया। उन्होंने मिथिला चित्रकला को देश-विदेश में प्रचारित कर उसकी अलग पहचान बनाई। मिथिलांचल के विकास की कड़ी में ही ललित बाबू ने लखनऊ से असम तक लेटरल रोड की मंजूरी कराई थी, जो मुजफ्फरपुर और दरभंगा होते हुए फारबिसगंज तक की दूरी के लिए स्वीकृत हुई थी। रेल मंत्री के रूप में मिथिलांचल के पिछड़े क्षेत्रों में झंझारपुर-लौकहा रेललाइन, भपटियाही से फारबिसगंज रेललाइन जैसी 36 रेल योजनाओं के सर्वेक्षण की स्वीकृति उनकी कार्य क्षमता, दूरदर्शिता तथा विकासशीलता के ज्वलंत उदाहरण है। ललित बाबू को अपनी मातृभाषा मैथिली से अगाध प्रेम था। मैथिली की साहित्यिक संपन्नता और विशिष्टता को देखते हुए 1963-64 में ललित बाबू की पहल पर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उसे 'साहित्य अकादमी' में भारतीय भाषाओं की सूची में सम्मिलित किया। अब मैथिली संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में चयनित विषयों की सूची में सम्मिलित है। .

नई!!: लखनऊ और ललित नारायण मिश्र · और देखें »

ललितकिशोरी तथा ललितमाधुरी

शाहवंश के गोविंदचंद्र के दो पुत्र कुंदनलाल तथा फुंदनलाल का उपनाम क्रमश: ललितकिशोरी तथा ललितमाधुरी था और ये दोनों सन् 1857 ई. में सिपाही विद्रोह के कारण लखनऊ त्यागकर वृंदावन जा बसे थे। ये दोनों श्री राधारमणी संप्रदाय के परम कृष्णभक्त वैष्णव थे। इन्होंने सन् 1860-68 ई. में श्वेत मर्मर प्रस्तर का श्री बिहारीलाल का विशाल मंदिर बनवाया, जो अत्यंत भव्य तथा दर्शनीय है। प्रथम निस्संतान रहे पर द्वितीय का वंश चला। प्रथम की मृत्यु सन् 1873 ई. में हुई और द्वितीय की दस बारह वर्ष बाद। ये दोनों ही भक्त सुकवि थे और द्वितीय की दस बारह वर्ष बाद। ये दोनों ही भक्त सुकवि थे और इनकी सारी रचनाएँ अभिलाषमाधुरी तथा लघुरसकलिका में संगृहीत हैं, जो सन् 1881 ई. में लीयो में प्रकाशित हुई थीं। श्रेणी:हिन्दी कवि श्रेणी:भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम.

नई!!: लखनऊ और ललितकिशोरी तथा ललितमाधुरी · और देखें »

लाल पुल, लखनऊ

लाल पुल, लखनऊ शहर में गोमती नदी पर एक पुल है। श्रेणी:लखनऊ.

नई!!: लखनऊ और लाल पुल, लखनऊ · और देखें »

लाल प्रताप सिंह

युवराज लाल प्रताप सिंह (१८३१-१८५८) कालाकांकर राजघराने से एक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी व क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में अवध की सेना का नेतृत्व करते हुए वर्ष १८५८ ईस्वी में चांदा में वीरगति को प्राप्त हुए थे। १९ फ़रवरी २००९ को भारतीय डाक विभाग ने लाल प्रताप सिंह पर एक डाक टिकट और प्रथम दिवस आवरण जारी किया। .

नई!!: लखनऊ और लाल प्रताप सिंह · और देखें »

लालजी टंडन

लालजी टंडन (जन्म: १२ अप्रैल १९३५) भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ राजनेता हैं। वें लखनऊ से १५वी लोक सभा (२००९-२०१५) के सदस्य रह चुके हैं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने वाले टंडन प्रदेश की भाजपा सरकारों में मंत्री भी रहे हैं। लोक सभा वेबसाइट.

नई!!: लखनऊ और लालजी टंडन · और देखें »

लाइव इंडिया

लाइव इंडिया, जिसे पहले जनमत नाम से जाना जाता था, एक भारतीय हिन्दी समाचार चैनल है। जिसके प्रधान संपादक सतीश के सिंह है। लाइव इंडिया ग्रुप डेली अखबार औऱ मैगजीन का भी संचालन करता है। इसने अगस्त 2007 में अहमदाबाद, लखनऊ, श्रीनगर, चंडीगढ़, भोपाल, हैदराबाद, बैंगलोर, चेन्नई, भुवनेश्वर, कोलकाता और गुवाहाटी में अपने विभाग खोले। इससे पहले इनका कार्यालय मुंबई और दिल्ली में था। .

नई!!: लखनऊ और लाइव इंडिया · और देखें »

लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ · और देखें »

लखनऊ मेट्रो

लखनऊ शहर के लिए उच्च क्षमता मास ट्रांज़िट प्रणाली यानि लखनऊ मेट्रो की योजना अंतिम रूप ले चुकी है। इसके लिए दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन ही योजनाएं बना रहा है। डीएमआरसी ने यह काम श्रेई इंटरनेशनल को दिया है। इनकी रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ में जमीन पर एक कि॰मी॰ मेट्रो पर १५ करोड़ रु का व्यय आयेगा, वहीं भूमिगत लाइन में यह बढ़कर २७ करोड़ हो जायेगा। | याहू जागरण|३ फरवरी, २००९) मेट्रो रेल के संचालन को मूर्त रूप देने और उस पर आने वाले खर्च को पूरा करने की व्यवस्था के लिए राज्य सरकार ने वित्त, नगर विकास, आवास, ऊर्जा, लोक निर्माण, परिवहन ओर पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिवों और लखनऊ के मंडलायुक्त की एक समिति बना दी है। लखनऊ और कानपुर में मेट्रो रेल शुरु होने के बाद सड़कों पर यातायात काफी कम हो सकेगा। वर्तमान में इन दोनों शहरों में हर महीने लगभग १००० नए चौपहिया वाहनों का पंजीकरण कराया जाता रहा है। लखनऊ में सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर बाइपास बना दिए जाने के बावजूद सड़कों पर गाड़ियों का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। इस कारण से यहां मेट्रो का त्वरित निर्माण अत्यावश्यक हो गया है। लखनऊ शहर में आरंभ में चार गलियारे निश्चित किये गए हैं.

नई!!: लखनऊ और लखनऊ मेट्रो · और देखें »

लखनऊ समझौता

लखनऊ समझौता (لکھنؤ کا معاہده —) दिसंबर 1916 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा किया गया समझौता है, जो 29 दिसम्बर 1916 को लखनऊ अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा और 31 दिसम्बर 1916 को अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा पारित किया गया। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ समझौता · और देखें »

लखनऊ सिटी रेलवे स्टेशन

लखनऊ सिटी रेलवे स्टेशन लखनऊ शहर का एक रेलवे स्टेशन है। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ सिटी रेलवे स्टेशन · और देखें »

लखनऊ जिला

लखनऊ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय लखनऊ है जो राज्य की राजधानी भी है। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ जिला · और देखें »

लखनऊ विश्वविद्यालय

लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख शैक्षिक-संस्थानों में से एक है। यह लखनऊ के समृद्ध इतिहास को तो प्रकट करता ही है नगर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से भी एक है। इसका प्राचीन भवन मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है। इसमें पढ़ने और पढाने वाले अनेक शिक्षक और विद्यार्थी देश और विदेश में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ विश्वविद्यालय · और देखें »

लखनऊ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी

लखनऊ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, लखनऊ का एक प्रबंधन संस्थान है। श्रेणी:लखनऊ में शिक्षा.

नई!!: लखनऊ और लखनऊ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी · और देखें »

लखनऊ का रोटी बाजार

लखनऊ के अवधी व्यंजन जगप्रसिद्ध हैं। यहां के नवाबों ने खानपान के बहुत से व्यंजन चलाये हैं। इनमें बहुत प्रकार की रोटियां भी होती हैं। ऐसी ही रोटियां यहां के एक पुराने बाज़ार में आज भी मिलती हैं, बल्कि ये बाजार रोटियों का बाजार ही है। अकबरी गेट से नक्खास चौकी के पीछे तक यह बाजार है, जहां फुटकर व सैकड़े के हिसाब से शीरमाल, नान, खमीरी रोटी, रूमाली रोटी, कुल्चा जैसी कई अन्य तरह की रोटियां मिल जाएंगी। पुराने लखनऊ के इस रोटी बाजार में विभिन्न प्रकार की रोटियों की लगभग १५ दुकानें हैं, जहां सुबह नौ से रात नौ बजे तक गर्म रोटी खरीदी जा सकती है। कई पुराने नामी होटल भी इस गली के पास हैं, जहां अपनी मनपसंद रोटी के साथ मांसाहारी व्यंजन भी मिलते हैं।, राष्ट्रीय सहारा हिंदी दैनिक, प्रस्तुतकर्ता:अविनाश वाचस्पति, अभिगमन तिथि: २४ अगस्त, २००९ रोटियों में शीरमाल, कुल्चा, रूमाली की मांग सबसे ज्यादा होती है, अन्य तरह की रोटियों की मांग मोहर्रम व रमजान में बढ़ जाती है। आर्डर तैयार करने में कारीगरों को 12 घंटों के बजाय 18 घंटे या उससे अधिक काम करना पड़ता है। क्योंकि रमजान के महीने में बिक्री का समय दिन में न होकर देर शाम से पूरी रात चलता है यानी शाम चार बजे से सुबह चार बजे तक। इस इलाके में बनने वाली तमाम रोटियों में से सर्वाधिक बिक्री शीरमाल की ही होती है। केसरी रंग वाली शीरमाल मैदे, दूध व घी से बनती है, जो बहुत ही खास्ता और सुस्वादु होती है। तंदूर में पकाने के बाद इन पर खुशबू के लिए घी लगाया जाता है। शीरमाल ‘कबाब’ और कोरमे की लज्जत बढ़ाती है। शीरमाल का वजन के हासिब से रेट तय होता है यानी 110 ग्राम से 200 ग्राम की शीरमाल 4 से 7 रूपये प्रति पीस बिकती है। इस गली के बाहर ही कई नामी होटल है। जहां स्पेशल शीरमाल तैयार की जाती है, जिनका दाम 16 व 20 रूपये है। इन्हें देशी घी व केसर में तैयार किया जाता है। विशेषज्ञ के अनुसार शाही खाने में गिनी जाने वाली बाकरखानी रोटी अमीरों के दस्तरखान की बहुत ही विशष्टि रोटी थी। इसमें मेवे और मलाई का मिश्रण होता है। ये नाश्ते में चाय का आनन्द बढ़ा देती है। कारीगर बताते हैं कि बाकरखानी व ताफतान की मांग अब कम ही हो चली है। नान की मांग आम दिनों में कम रहती है। लोग शादी-ब्याह या खास अवसर पर आर्डर देकर नान बनवाते है। नान को नर्म व स्वादष्टि बनाने के लिए मैदे में दूध, दही, घी और रवा मिलाया जाता है। एक उक्ति के अनुसार लखनऊ के व्यंजन विशेषज्ञों ने ही परतदार पराठे की खोज की है, जिसको तंदूरी परांठा भी कहा जाता है। इन पराठों को तंदूर में तैयार किया जाता है। पराठे नर्म रहे इसलिए इन्हें पानी की छीटें दे कर उस पर घी से तर किया जाता है। ईरान से आई रोटी यानी कुलचा पर स्थानीय प्रभाव रहता है। इसी तरह लखनऊवालों ने भी कुलचे में विशेष प्रयोग किये। कुलचा नाहरी के विशेषज्ञ कारीगर हाजी जुबैर अहमद के अनुसार कुलचा अवधी व्यंजनों में शामिल खास रोटी है, जिसका साथ नाहरी बिना अधूरा है। लखनऊ के गिलामी कुलचे यानी दो भाग वाले कुलचे उनके परदादा ने तैयार किये। कुलचे रिच डाइट में आते हैं और जुबैर साहब के अनुसार अच्छी खुराक वाला आदमी भी तीन से अधिक नहीं खा सकता है। ये पांच रूपये प्रति पीस मिलते हैं। कुलचे गर्म खाने में ही मजा है यानी तंदूर से निकले और परोसा जाये। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ का रोटी बाजार · और देखें »

लखनऊ का इतिहास

लखनऊ को प्राचीन काल में लक्ष्मणपुर और लखनपुर के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि अयोध्या के राम ने लक्ष्मण को लखनऊ भेंट किया था। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफउद्दौला ने 1775 ई.में की थी। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। लेकिन बाद के नवाब विलासी और निकम्मे साबित हुए। आगे चलकर लॉर्ड डलहौली ने अवध का अधिग्रहण कर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। 1850 में अवध के अन्तिम नवाब वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ का इतिहास · और देखें »

लखनऊ के दर्शनीय स्थल

लखनऊ में कई दर्शनीय स्थल हैं। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ के दर्शनीय स्थल · और देखें »

लखनऊ के बाजार

लखनऊ के बाजारों में ये आते हैं:-.

नई!!: लखनऊ और लखनऊ के बाजार · और देखें »

लखनऊ की शिक्षण संस्थाएं

लखनऊ के शिक्षण संस्थान- .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ की शिक्षण संस्थाएं · और देखें »

लखनऊ की संस्कृति

लखनऊ अपनी विरासत में मिली संस्कृति को आधुनिक जीवनशैली के संग बड़ी सुंदरता के साथ संजोये हुए है। भारत के उत्कृष्टतम शहरों में गिने जाने वाले लखनऊ की संस्कृति में भावनाओं की गर्माहट के साथ उच्च श्रेणी का सौजन्य एवं प्रेम भी है। लखनऊ के समाज में नवाबों के समय से ही पहले आप वाली शैली समायी हुई है। हालांकि स्वार्थी आधुनिक शैली की पदचाप सुनायी देती है, किंतु फिर भी शहर की जनसंख्या का एक भाग इस तहजीब को संभाले हुए है। यह तहजीब यहां दो विशाल धर्मों के लोगों को एक समान संस्कृति से बांधती है। ये संस्कृति यहां के नवाबों के समय से चली आ रही है। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ की संस्कृति · और देखें »

लखनऊ की अर्थ व्यवस्था

लखनऊ उत्तरी भारत का एक प्रमुख बाजार एवं वाणिज्यिक नगर ही नहीं, बल्कि उत्पाद एवं सेवाओं का उभरता हुआ केन्द्र भी बनता जा रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी होने के कारण यहां सरकारी विभाग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ही यहां मध्यम-वर्गीय वेतनभोगियों के नियोक्ता हैं। सरकार की उदारीकरण नीति के चलते यहां व्यवसाय एवं नौकरियों तथा स्व-रोजगारियों के लिए बहुत से अवसर खोल दिये हैं। इस कारण यहां नौकरी पेशे वालों की संख्या निरंतर बढ़ती रहती है। लखनऊ निकटवर्ती नोएडा एवं गुड़गांव के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं बीपीओ कंपनियों के लिए श्रमशक्ति भी जुटाता है। यहां के सू.प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लोग बंगलुरु एवं हैदराबाद में भी बहुतायत में मिलते हैं। शहर में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई) तथा प्रादेशिक औद्योगिक एवं इन्वेस्टमेंट निगम, उत्तर प्रदेश (पिकप) के मुख्यालय भी स्थित हैं। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम का क्षेत्रीय कार्यालय भी यहीं स्थित है। यहां अन्य व्यावसायिक विकास में उन्मत्त संस्थानों में कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) एवं एन्टरप्रेन्योर डवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (ईडीआईआई) हैं। .

नई!!: लखनऊ और लखनऊ की अर्थ व्यवस्था · और देखें »

लक्ष्मण टीला मस्जिद

लक्ष्मण टीला मस्जिद लखनऊ में एक टीले पर बनी एक बड़ी मस्जिद है। यह सफ़ेद रंग में पुती हुई हैम एवं टीले पर बनी होने के कारण दूर-दूर से दिखाई देती है। श्रेणी:लखनऊ.

नई!!: लखनऊ और लक्ष्मण टीला मस्जिद · और देखें »

लीला सेठ

लीला सेठ (20 अक्टूबर 1930 – 5 मई 2017) भारत में उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला थीं। दिल्ली उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनने का श्रेय भी उन्ही को ही जाता है। वे देश की पहली ऐसी महिला भी थीं, जिन्होंने लंदन बार परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। .

नई!!: लखनऊ और लीला सेठ · और देखें »

लीलावती सिंह

लीलावती सिंह लखनऊ में इसाबेला थोबर्न महाविद्यालय में एक भारतीय शिक्षक, साहित्य और दर्शन के प्रोफेसर थे। लीलावती सिंह का जन्म गोरखपुर में हुआ था, ईसाई परिवार मे। १८९५ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री प्राप्त करने वाली दूसरी महिला थी। १९०२ में, वह स्कूल के उपाध्यक्ष बन गये थे। सिंह ने संयुक्त राज्य अमेरिका में १८९९ और १९०० में एक दौरे पर गाया और बोला, महिला विदेशी मिशनरी सोसायटी के तत्वावधान में। सिंह की मृत्यु संयुक्त राज्य अमेरिका के १९०९ के व्याख्यान दौरे पर हुए थी। .

नई!!: लखनऊ और लीलावती सिंह · और देखें »

शचीन्द्रनाथ बख्शी

शचीन्द्रनाथ बख्शी (जन्म: 25 दिसम्बर 1904, मृत्यु: 23 नवम्बर 1984) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध सशस्त्र क्रान्ति के लिये गठित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य होने के अलावा इन्होंने रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी काण्ड में भाग लिया था और फरार हो गये। बख्शी को भागलपुर से पुलिस ने उस समय गिरफ्तार किया जब काकोरी-काण्ड के मुख्य मुकदमे का फैसला सुनाया जा चुका था। स्पेशल जज जे॰आर॰डब्लू॰ बैनेट की अदालत में काकोरी षड्यन्त्र का पूरक मुकदमा दर्ज़ हुआ और 13 जुलाई 1927 को उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गयी। 1937 में जेल से छूटकर आये तो काँग्रेस पार्टी के लिये जी-जान से काम किया। स्वतन्त्र भारत में काँग्रेस से उनका मोहभंग हुआ और वे जनसंघ में शामिल हो गये। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव जीता और लखनऊ जाकर रहने लगे। अपने जीवन काल में उन्होंने दो पुस्तकें भी लिखीं। सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) में 80 वर्ष का आयु में 23 नवम्बर 1984 को उनका निधन हुआ। .

नई!!: लखनऊ और शचीन्द्रनाथ बख्शी · और देखें »

शतरंज के खिलाड़ी (कहानी)

शतरंज के खिलाड़ी मुंशी प्रेमचंद की हिन्दी कहानी है। इसकी रचना उन्होने अक्टूबर १९२४ में की थी और यह 'माधुरी' पत्रिका में छपी थी। 1977 में सत्यजीत राय ने इसी नाम से इस कहानी पर आधारित एक हिन्दी फिल्म बनायी। .

नई!!: लखनऊ और शतरंज के खिलाड़ी (कहानी) · और देखें »

शताब्दी एक्स्प्रेस

सवारी यान (पैसेंजर कार) के अंदर का एक दृश्य शताब्दी एक्सप्रेस रेलगाड़ियाँ तेज चलने वाली सवारी गाड़ियों की एक शृंखला है जिसका परिचालन भारतीय रेल करती है जो भारत के बड़े, महत्वपूर्ण एवं व्यवसायिक शहरों को आपस में जोड़ती है। शताब्दी एक्सप्रेस का परिचालन दिन के समय होता है एवं ये अपने मूलस्थान एवं गंत्व्य की यात्रा एक दिन में ही पूरी कर लेती हैं। .

नई!!: लखनऊ और शताब्दी एक्स्प्रेस · और देखें »

शरद जोशी सम्मान

शरद जोशी सम्मान,उत्कृष्ट सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश शासन ने हिन्दी व्यंग्य, ललित निबन्ध, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, पत्र इत्यादि विधाओं में रचनात्मक लेखन के लिए स्थापित किया है। यह गौरव की बात है कि शरद जोशी मध्यप्रदेश के निवासी थे, जिन्हें उनकी सशक्त और विपुल व्यंग्य रचनाओं ने साहित्य के राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रतिष्ठित किया। शरद जोशी ने व्यंग्य को नया तेवर और वैविध्य दिया तथा समय की विसंगति और विडम्बना को अपनी प्रखर लेखनी से उजागर करते हुए समाज को दृष्टि और दिशा प्रदान करने का उत्तारदायी रचनाकर्म किया। उनकी व्यंग्य रचनाओं ने हिन्दी साहित्य की समृद्धि में अपना सुनिश्चित योगदान दिया है। .

नई!!: लखनऊ और शरद जोशी सम्मान · और देखें »

शरद आलोक

शरद आलोक हिन्दी के आधुनिक कवि हैं। इनका मूल नाम सुरेशचन्द्र शुक्ल है और इनका जन्म 10 फरवरी 1954, को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। ये हिन्दी के उपन्यास, कहानी, नाटक, कविता आदि लिखते हैं। .

नई!!: लखनऊ और शरद आलोक · और देखें »

शहीद बलभद्र सिंह

बलभद्र सिंह रैकवार 1857 की क्रांति में अवध, उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि चरित्र हैं। मूर्धन्य साहित्यकार अमृतलाल नागर ने अपनी पुस्तक 'गदर के फूल' शहीद बलभद्र सिंह एवं उनके छह सौ साथियों को समर्पित की है। .

नई!!: लखनऊ और शहीद बलभद्र सिंह · और देखें »

शादी में ज़रूर आना

शादी में ज़रूर आना फ़िल्म एक ड्रामेटिक रोमांटिक ड्रामा है। फिल्म की डायरेक्टर रत्ना सिन्हा हैं। फ़िल्म में राजकुमार राव एक्‍ट्रेस कृति खरबंदा के साथ नजर आने वाले हैं। शादी में ज़रूर आना" की शूटिंग लखनऊ के बलरामपुर गार्डन में हो रही थी। .

नई!!: लखनऊ और शादी में ज़रूर आना · और देखें »

शारदा नहर

शारदा नहर उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक लम्बी नहर है। शाखा-प्रशाखाओं सहित शारदा नहर की कुल लम्बाई 12,368 किलोमीटर है। यह उत्तर प्रदेश और नेपाल सीमा के समीप गोमती नदी के किनारे "वनबासा" नामक स्थान से निकाली गई है। नहर का निर्माण कार्य सन् 1920 में प्रारम्भ हुआ और 1928 में पूर्ण हुआ था। इस नहर द्वारा पीलीभीत, बरेली, शाहजहाँपुर, लखीमपुर, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद आदि जिलों की लगभग 8 लाख हैक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। नहर की मुख्य शाखाएँ खीरी, शारदा-देवा, बीसलपुर, निगोही, सीतापुर, लखनऊ और हरदोई आदि जिलों में हैं। इस नहर पर "खातिमा शक्ति केन्द्र" भी स्थापित किया गया है। .

नई!!: लखनऊ और शारदा नहर · और देखें »

शास्त्रीय नृत्य

भारत में नृत्‍य की जड़ें प्राचीन परंपराओं में है। इस विशाल उपमहाद्वीप में नृत्‍यों की विभिन्‍न विधाओं ने जन्‍म लिया है। प्रत्‍येक विधा ने विशिष्‍ट समय व वातावरण के प्रभाव से आकार लिया है। राष्‍ट्र शास्‍त्रीय नृत्‍य की कई विधाओं को पेश करता है, जिनमें से प्रत्‍येक का संबंध देश के विभिन्‍न भागों से है। प्रत्‍येक विधा किसी विशिष्‍ट क्षेत्र अथवा व्‍यक्तियों के समूह के लोकाचार का प्रतिनिधित्‍व करती है। भारत के कुछ प्रसिद्ध शास्‍त्रीय नृत्‍य हैं - .

नई!!: लखनऊ और शास्त्रीय नृत्य · और देखें »

शिवपाल सिंह यादव

शिवपाल सिंह यादव (जन्म: 6 अप्रैल 1955, सैफई, इटावा जिला) भारत के एक राजनेता हैं। सन् 1955 को बसंत पंचमी के पावन दिन में पिता सुघर सिंह तथा माता मूर्ति देवी के कनिष्ठ पुत्र के रूप में जन्मे शिवपाल सिंह यादव को मानवता के प्रति उदात्त भाव विरासत में मिला। उन्होंने जनसंघर्षों में भाग लेना और नेतृत्व करना अपने नेता व अग्रज मुलायम सिंह यादव जी से सीखा। इनके पिता स्वर्गीय सुधर सिंह अत्यंत सरल हृदय एवं कर्मठ किसान थे एवं माता स्वर्गीय श्रीमती मूर्ती देवी एक कुशल गृहणी थी। वे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं। मार्च 2017 में सम्पन्न हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में वे इटावा जिले के जसवन्तनगर विधान सभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये। ये मायावती सरकार के कार्यकाल में 5 मार्च 2012 तक प्रतिपक्ष के नेता भी रहे। शिक्षा: शिवपाल सिंह यादव ने गांव की प्राथमिक पाठशाला से पूर्व माध्यमिक शिक्षा उत्तम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके पश्चात् हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की शिक्षा के लिए जैन इण्टर काॅलेज, करहल, मैनपुरी में प्रवेश लिया। जहाँ से उन्होंने सन् 1972 में हाईस्कूल तथा सन् 1974 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई सन् 1976 में के०के०डिग्री कालेज इटावा (कानपुर विश्वविद्यालय) तथा सन् 1977 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी०पी०एड० शिक्षा प्राप्त की। परिवार: शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23-मई-1981 को हुआ। इनकी पत्नी का नाम सरला यादव है। शिवपाल सिंह यादव की एक पुत्री डाॅ० अनुभा यादव तथा एक पुत्र आदित्य यादव है। जीवन: सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में वे बाल्यकाल से ही सक्रिय रहे। क्षेत्र में घूम-घूमकर मरीजों को अस्पताल पहुँचाना, थाना-कचहरी में गरीबों को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करना व सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेना उनका प्रिय शगल था। वे नेताजी के चुनावों में पर्चें बाँटने से लेकर बूथ-समन्वयक तक की जिम्मेदारी उठाते रहे। मधु लिमये, बाबू कपिलदेव, चौधरी चरण सिंह, जनेश्वर मिश्र जी जैसे बड़े नेताओं के आगमन पर उनकी सभा करवाने की भी जिम्मेदारी भी शिवपाल जी के ही कंधे पर होती थी। वे 1988 से 1991 और पुनः 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गये। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला। तेरहवीं विधानसभा में वे जसवन्तनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। इसी वर्ष वे समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव बनाये गये। उन्होंने संगठन को मजबूत बनाने के लिए अनिर्वचनीय मेहनत की। पूरे उत्तर प्रदेश को कदमों से नाप दिया। उनकी लोकप्रियता और स्वीकारिता बढ़ती चली गयी। प्रमुख महासचिव के रूप में उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को नया आयाम दिया। प्रदेश अध्यक्ष रामशरण दास जी की अस्वस्थता को देखते हुए 01 नवम्बर, 2007 को मेरठ अधिवेशन में शिवपाल जी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। रामशरण दास जी के महाप्रयाण के पश्चात् 6 जनवरी, 2009 को वे पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बने। शिवपाल जी ने सपा को और अधिक प्रखर बनाया। नेताजी और जनेश्वर जी के मार्गदर्शन और उनकी अगुवाई में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित हुई। वे मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विरोधी दल की भूमिका दी गई। बसपा की बहुमत की सरकार के समक्ष नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी तलवार की धार पर चलने जैसा था। उन्होंने इस दायित्व को संभाला और विपक्ष तथा आम जनता के प्रतिकार के स्वर को ऊँचा रखा। वरिष्ठ नेता आजम खान की वापसी के दिन उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने में एक पल का भी विलम्ब नहीं किया, जो दर्शाता है कि उन्हें पद से अधिक सिद्धान्त और दलहित प्रिय है। बाढ़-सूखा, भूकम्प जैसी आपदाओं में जाकर मदद करने वालों में शिवपाल आगे खड़े रहते हैं। उन्होंने कई बार गिरफ्तारी दी, पुलिसिया उत्पीड़न को झेला, आम कार्यकर्ताओं के रक्षा कवच बने। यही कारण है कि सोलहवीं विधानसभा में समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान पर साठ फीसदी से अधिक मतों से जीतने वाले एक मात्र विधायक हैं। उन्होंने समय-समय पर कभी डा0 लोहिया, कभी अशफाक उल्ला खान, कभी चन्द्रशेखर आजाद तो कभी मधु लिमये की जयन्ती और अन्य अवसरों पर लेख लिखकर, छोटी-छोटी पुस्तकें प्रकाशित कर बँटवाकर नई पीढ़ी को गौरवमयी इतिहास से अवगत कराने का कार्य किया है। उनके अब तक दर्जनों लेख दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, जनाग्रह (बंगलुरू), डेली न्यूज एक्टिविस्ट, जन संदेश, कैनविज टाइम्स समेत कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने डा0 लोहिया के कई ऐतिहासिक उद्बोधनों यथा ’’द्रौपदी व सावित्री’’ दो कटघरे आदि को प्रकाशित कर बँटवाया और समाजवादी पार्टी में पढ़ने-लिखने की परम्परा को प्रोत्साहन दिया। वे साहित्यकारों का काफी सम्मान करते हैं। गोपालदास ’’नीरज’’ उदय प्रताप सिंह जैसे साहित्यकार व कवि उन्हें काफी स्नेह करते हैं, जिससे उनकी साहित्यिक अभिरूचि का पता चलता है। विपक्ष के दौरान उन्होंने जन संघर्षों व सामूहिक प्रतिकार के प्रत्येक रण में सेनानी की भूमिका निभाई। कई बार जेल गये, आन्दोलनों में चोटिल हुए पर जब भी आन्दोलन की घोषणा होती, शिवपाल सिंह यादव प्रथम पंक्ति में खड़े दिखते। समाजवादी पार्टी की 2012 में पुनः सरकार बनने के बाद उन्हें लोक निर्माण, सिंचाई, सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी, इन विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कई बड़े अधिकारियों व अभियन्ताओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की, एक अखबार ने उन्हें ’’कार्यवाही मिनिस्टर’’ तक की संज्ञा दे दी। उनका इतिहास समाजवादी पार्टी का इतिहास है, जन-संघर्षों व सक्रिय करूणा का जीवन-दर्शन है। .

नई!!: लखनऊ और शिवपाल सिंह यादव · और देखें »

शिवराम कश्यप

शिवराम कश्यप (सन् १८८२ - १९३४), भारतीय वनस्पतिविज्ञानी थे। अभिनेत्री कामिनी कौशल इनकी पुत्री थीं। .

नई!!: लखनऊ और शिवराम कश्यप · और देखें »

शंभु महाराज

शंभु महाराज (१९१०– ४ नवंबर, १९७०) लखनऊ घराने के महान कथक नर्तक थे। इनका जन्म लखनऊ में ही हुआ था। इनका मूल नाम शंभूनाथ मिश्र था। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:कथक श्रेणी:नर्तक श्रेणी:1910 में जन्मे लोग.

नई!!: लखनऊ और शंभु महाराज · और देखें »

श्यामसुन्दर दास

हिन्दी के महान सेवक: बाबू श्यामसुन्दर दास डॉ॰ श्यामसुंदर दास (सन् 1875 - 1945 ई.) हिंदी के अनन्य साधक, विद्वान्, आलोचक और शिक्षाविद् थे। हिंदी साहित्य और बौद्धिकता के पथ-प्रदर्शकों में उनका नाम अविस्मरणीय है। हिंदी-क्षेत्र के साहित्यिक-सांस्कृतिक नवजागरण में उनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने और उनके साथियों ने मिलकर काशी नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की। विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई के लिए अगर बाबू साहब के नाम से मशहूर श्याम सुंदर दास ने पुस्तकें तैयार न की होतीं तो शायद हिंदी का अध्ययन-अध्यापन आज सबके लिए इस तरह सुलभ न होता। उनके द्वारा की गयी हिंदी साहित्य की पचास वर्षों तक निरंतर सेवा के कारण कोश, इतिहास, भाषा-विज्ञान, साहित्यालोचन, सम्पादित ग्रंथ, पाठ्य-सामग्री निर्माण आदि से हिंदी-जगत समृद्ध हुआ। उन्हीं के अविस्मरणीय कामों ने हिंदी को उच्चस्तर पर प्रतिष्ठित करते हुए विश्वविद्यालयों में गौरवपूर्वक स्थापित किया। बाबू श्याम सुंदर दास ने अपने जीवन के पचास वर्ष हिंदी की सेवा करते हुए व्यतीत किए उनकी इस हिंदी सेवा को ध्यान में रखते हुए ही राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त ने निम्न पंक्तियाँ लिखी हैं- डॉ॰ राधा कृष्णन के शब्दों में, बाबू श्याम सुंदर अपनी विद्वत्ता का वह आदर्श छोड़ गए हैं जो हिंदी के विद्वानों की वर्तमान पीढ़ी को उन्नति करने की प्रेरणा देता रहेगा। .

नई!!: लखनऊ और श्यामसुन्दर दास · और देखें »

श्रृंग्वेरपुर

लखनऊ रोड पर इलाहाबाद से 45 किलोमीटर दूर श्रृंग्वेरपुर एक धार्मिक स्थान है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, यह वही स्थान है जहॉ राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ निर्वासन के रास्ते पर गंगा नदी को पार कर दिया। श्रृंग्वेरपुर इलाहाबाद के आस-पास के प्रमुख भ्रमण स्थलों में से एक है। यह जगह इलाहाबाद से 40 किलोमीटर दूर स्थित है। श्रृंग्वेरपुर अन्यथा नींद से भरा गांव है जो धीरे-धीरे और लगातार तेजी से बढ़ रहा है यद्यपि, रामायण महाकाव्य में इस स्थान की लंबाई का उल्लेख किया गया है। श्रृंग्वेरपुर निशादराज के प्रसिद्ध राज्य की राजधानी या 'मछुआरों का राजा' के रूप में उल्लेख किया गया है। रामायण में राम, सीता और उनके भाई लक्ष्मन का श्रृंग्वेरपुर आने का अंश पाया गया है। श्रृंग्वेरपुर में किए गए उत्खनन कार्यों ने श्रृंगी ऋषि के मंदिर का पता चला है। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि गॉंव का नाम उस ऋषि से ही मिला है। फिर भी, गांव निशादराज की राजधानी के रूप में अधिक प्रसिद्ध है। रामायण का उल्लेख है कि भगवान राम, उनके भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता, निर्वासन पर जंगल जाने से पहले गांव में एक रात तक रहे। ऐसा कहा जाता है कि नावकों ने उन्हें गंगा नदी पार करने से इनकार कर दिया था तब निशादराज ने खुद उस स्थल का दौरा किया जहां भगवान राम इस मुद्दे को सुलझाने में लगे थे। उन्होंने उन्हें रास्ता देने की पेशकश की अगर भगवान राम उन्हें अपना पैर धोने दें, राम ने अनुमति दी और इसका भी उल्लेख है कि निशादराज ने गंगा जल से राम के पैरों को धोया और उसके प्रति अपना श्रद्धा दिखाने के लिए जल पिया। जिस स्थान पर निशादराज ने राम के पैरों को धोया था, वह एक मंच द्वारा चिह्नित किया गया है। इस घटना को पर्याप्त करने के लिए इसका नाम 'रामचुरा' रखा गया है। इस स्थान पर एक छोटा मंदिर भी बनाया गया है। हालांकि इस मंदिर का कोई ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व नहीं है, यह जगह बहुत शांत है। गांव में एक बड़ी हाइड्रोलिक प्रणाली भी है यह अच्छी तरह से डिजाइन, वास्तुशिल्प रूप से सुंदर और सच्ची भावना है कि कैसे भारतीय प्राचीन कला और वास्तुकला में अच्छी तरह से अग्रिम थे। ग्रामीणों द्वारा गांव में कई बर्बाद हुई दीवारें और संरचना मिलती है। यह भी कहा गया है कि इंदिरा गांधी सरकार के समय में खुदाई करते समय सरकार द्वारा बहुत सारे खज़ाने मिलते हैं। गंगा नदी के तट पर स्थित यह एक अद्भुत गांव है हरे-भरे 4 छोटे पहाड़ी और सामाजिक और मज़ेदार ग्रामीणों की जगह है, यहॉ हमेशा यात्रा करने के लिए माहौल बना रहता है। नदी के किनारे पर एक अंतिम संस्कार केंद्र है और यह कहा गया है कि जो भी यहां अंतिम संस्कार करते हैं वह धार्मिक रूप से शुद्ध होते हैं। उत्तर प्रदेश पूर्व में सभी लोग अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार के लिए यहां आते हैं। निषाद कोर कमेटी यह उत्तर प्रदेश में एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनने के लिए काम कर रही है। मुख्य सदस्य बृजेश कश्यप, शिव सहानी, सुरेश साहनी, डॉ अशोक निषाद और एनसीसी (निषाद कोर कमेटी) के अन्य सदस्य हैं। .

नई!!: लखनऊ और श्रृंग्वेरपुर · और देखें »

श्री नीलकंठेश्वर महादेव, मथुरा

श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत मथुरा नगर में मथुरा-वृंदावन मार्ग पर मोक्ष धाम के निकट स्थित है। इस मंदिर का उल्लेख वराह पुराण के अंतर्गत गोकर्ण सरस्वती माहात्म्य शुक्र वृत्तांत, मथुरा पुरागमन मोक्ष प्राप्ति वृत्तांत में है। कालांतर में यहाँ नागा संतों ने महामृत्युंजय यंत्र के आधार पर मुख्य मंदिर में कसौटी पत्थर से निर्मित विशाल अनुपम अलौकिक शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कर लगभग 400 वर्षों तक तप साधना की। लंबे समय तक यह मंदिर सुनसान और विस्मृत रहा। सन् 1850 में लखनऊ निवासी अयोध्या प्रसाद ने नागा संतों द्वारा स्थापित पुराने मूल मंदिर का विस्तार कर परिसर को भव्यता प्रदान की। मुख्य मंदिर के एक ओर महालक्ष्मी, महाकाली और महा सरस्वती के मंदिर हैं तथा दूसरी तरफ गंगा और गरुड के मंदिर है। मुख्य मंदिर के बगल में हनुमान का मंदिर है। मान्यता है कि श्री नीलकंठेश्वर के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। पुरातात्विक महत्व के इस पौराणिक सिद्धपीठ के विभिन्न मंदिर, प्रवेशद्वार, परकोटे आदि समय और प्रकृति के थपेड़ों से अत्यंत जीर्णशीर्ण हालत में हैं। लंबे समय से लोगों की उपेक्षा और अतिक्रमण ने इसे नष्ट-भ्रष्ट कर गिरासू हालत में पहुँचा दिया है। वर्तमान में इस मंदिर के पुरातन पौराणिक स्वरूप को बचाने के लिए कुछ भक्तजन और संस्कृतिप्रेमी लोगों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। श्रेणी:उत्तर प्रदेश के मंदिर श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:मथुरा श्रेणी:उत्तर प्रदेश श्रेणी:शिव मंदिर.

नई!!: लखनऊ और श्री नीलकंठेश्वर महादेव, मथुरा · और देखें »

श्रीधर पाठक

उत्तर प्रदेश-जन्म स्थान श्रीधर पाठक (११ जनवरी १८५८ - १३ सितंबर १९२८) प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाजसुधार की भावनाओ के हिन्दी कवि थे। वे प्रकृतिप्रेमी, सरल, उदार, नम्र, सहृदय, स्वच्छंद तथा विनोदी थे। वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के पाँचवें अधिवेशन (1915, लखनऊ) के सभापति हुए और 'कविभूषण' की उपाधि से विभूषित भी। हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी पर उनका समान अधिकार था। .

नई!!: लखनऊ और श्रीधर पाठक · और देखें »

श्रीलाल शुक्ल

श्रीलाल शुक्ल (31 दिसम्बर 1925 - 28 अक्टूबर 2011) हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार थे। वह समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात थे। श्रीलाल शुक्ल (जन्म-31 दिसम्बर 1925 - निधन- 28 अक्टूबर 2011) को लखनऊ जनपद के समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार माने जाते थे। उन्होंने 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। 1949 में राज्य सिविल सेवासे नौकरी शुरू की। 1983 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से निवृत्त हुए। उनका विधिवत लेखन 1954 से शुरू होता है और इसी के साथ हिंदी गद्य का एक गौरवशाली अध्याय आकार लेने लगता है। उनका पहला प्रकाशित उपन्यास 'सूनी घाटी का सूरज' (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग 'अंगद का पाँव' (1958) है। स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास 'राग दरबारी' (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ। श्री शुक्ल को भारत सरकार ने 2008 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है। .

नई!!: लखनऊ और श्रीलाल शुक्ल · और देखें »

श्रीलंका क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1993-94

श्रीलंका की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को तीन टेस्ट मैचेस और तीन वन-डे अंतरराष्ट्रीय (वनडे) खेलने के लिए जनवरी और फरवरी 1994 में भारत का दौरा किया गया। यह दौरा 1993 में हीरो कप में श्रीलंका की भागीदारी के बाद हुआ, जहां वे सेमीफाइनल तक पहुंचे और विवाद से घिरे हुए थे। पाकिस्तान की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए श्रीलंका से केवल भारत का दौरा किया। श्रीलंका के टीम मैनेजर, बंडुला वर्णापरा, जैसा कुछ ही महीने पहले हीरो कप में हुआ था, ने खराब अंपायरिंग फैसले पर पहले दो टेस्ट मैचों की बल्लेबाजी विफलताओं को दोषी ठहराया। श्रृंखला को स्पिन-मैत्रीपूर्ण पिचों पर खेला गया जिस पर भारत ने एक शानदार रिकॉर्ड बनाया है। 1990-91 में श्रीलंका की हार के बाद भारत ने अपना आठवें सीधे जीत हासिल किया और 1992-93 में इंग्लैंड को हराकर उनकी लगातार दूसरी श्रृंखला का सफाया किया। उस समय के लोकप्रिय मान्यताओं के विपरीत जो भारत में टेस्ट मैचों में उबाऊ ड्रॉ का उत्पादन करता है, इस श्रृंखला का मतलब है कि 1987-88 में मद्रास से पिछले 12 टेस्ट के परिणामस्वरूप भारत के लिए 11 जीत हासिल हुई थी। अजहरुद्दीन ने मंसूर अली खान पतौडी और सुनील गावस्कर को भारत के सबसे सफल कप्तान के रूप में शामिल किया, जिसमें से प्रत्येक ने 9 जीत दर्ज की। भारत के लिए उत्सव के लिए आगे आने के बाद कपिल देव ने टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी रिचर्ड हैडली के 431 के स्कोर को पार कर, जो साढ़े तीन साल तक खड़ा था। .

नई!!: लखनऊ और श्रीलंका क्रिकेट टीम का भारत दौरा 1993-94 · और देखें »

सण्डीला

सण्डीला उत्तर प्रदेश के हरदोईजनपद की सबसे बड़ी तहसील है। यह काफी समय पूर्व नैमिषारण्य तीर्थ का हिस्सा थी और यहीं पर शाण्डिल्य ऋषि ने तपस्या की थी। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से पश्चिम 54 किमी0 दूर शाण्डिल्य ऋषि की तपोभूमि सण्डीला स्थित है। .

नई!!: लखनऊ और सण्डीला · और देखें »

सत्यजित राय

सत्यजित राय (बंगाली: शॉत्तोजित् राय्) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जीवन में ३७ फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फ़िल्में, वृत्त चित्र और लघु फ़िल्में शामिल हैं। इनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फ़िल्म अपराजितो (অপরাজিত) और अपुर संसार (অপুর সংসার, अपु का संसार) के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। राय फ़िल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे — पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। राय को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न शामिल हैं। .

नई!!: लखनऊ और सत्यजित राय · और देखें »

सफ़ेद बारादरी

सफ़ेद बारादरी (سفید بارادری) (जिसका अर्थ है, 'श्वेत वर्ण का बारह द्वारों वाला महल') उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कैसरबाग मोहल्ले में स्थित एक श्वेत संगमर्मर निर्मित महल है जिसका निर्माण वाजिद अली शाह ने करवाया था। सफ़ेद बारादरी का निर्माण अवध के तत्कालीन नवाब वाजिद अली शाह ने मातमपुर्सी के महल के रूप में १८४५ में करवाया था और इसका नाम कस्र-उल-अज़ा रखा था। इसको इमाम हुसैन के लिये अज़ादारी अर्थात् मातमपुर्सी हेतु इमामबाड़ा रूप में करवाय़ा था। कुछ अन्य सूत्रों के अनुसार नवाब ने इसका निर्माण १८४८ में आरम्भ करवाया था जो १८५० में पूरा हुआ। इनके अनुसार इसको मुख्यतः नवाब वाजिद अली शाह के हरम में रहने वाली महिलाओं के लिए करवाया गया था। .

नई!!: लखनऊ और सफ़ेद बारादरी · और देखें »

सफ़ी लखनवी

सफ़ी लखनवी (उर्दू: صفی لکھنوی, अंग्रेजी: Safi Lakhnavi), (जनवरी 2, 1862–1950), एक भारतीय उर्दू शायर थे, जिन्होंने उर्दू शायरी तथा लखनवी भाषा को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।उनका जन्म लखनऊ में हुआ था। उनका मूल नाम सैयद अली नक़ी जैदी था। .

नई!!: लखनऊ और सफ़ी लखनवी · और देखें »

सबसे सघन आबादी वाले शहर

FE-India-Map-2014.jpg भारत के घनी आबादी वाले शहरों भारत के सबसे घनी आबादी वाले शहरों की सूची .

नई!!: लखनऊ और सबसे सघन आबादी वाले शहर · और देखें »

समस्तीपुर

समस्तीपुर भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में दरभंगा प्रमंडल स्थित एक शहर एवं जिला है। समस्तीपुर के उत्तर में दरभंगा, दक्षिण में गंगा नदी और पटना जिला, पश्चिम में मुजफ्फरपुर एवं वैशाली, तथा पूर्व में बेगूसराय एवं खगड़िया जिले है। यहाँ शिक्षा का माध्यम हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी है लेकिन बोल-चाल में बज्जिका और मैथिली बोली जाती है। मिथिला क्षेत्र के परिधि पर स्थित यह जिला उपजाऊ कृषि प्रदेश है। समस्तीपुर पूर्व मध्य रेलवे का मंडल भी है। समस्तीपुर को मिथिला का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। .

नई!!: लखनऊ और समस्तीपुर · और देखें »

समकालीन सरोकार

समकालीन सरोकार हिन्दी की एक पत्रिका है। यह लखनऊ से प्रकाशित होती है। .

नई!!: लखनऊ और समकालीन सरोकार · और देखें »

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

thumb सर्वेश्वर दयाल सक्सेना मूलतः कवि एवं साहित्यकार थे, पर जब उन्होंने दिनमान का कार्यभार संभाला तब समकालीन पत्रकारिता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को समझा और सामाजिक चेतना जगाने में अपना अनुकरणीय योगदान दिया। सर्वेश्वर मानते थे कि जिस देश के पास समृद्ध बाल साहित्य नहीं है, उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता। सर्वेश्वर की यह अग्रगामी सोच उन्हें एक बाल पत्रिका के सम्पादक के नाते प्रतिष्ठित और सम्मानित करती है। .

नई!!: लखनऊ और सर्वेश्वर दयाल सक्सेना · और देखें »

साइमन कमीशन

साइमन आयोग सात ब्रिटिश सांसदो का समूह था, जिसका गठन 1927 में भारत में संविधान सुधारों के अध्ययन के लिये किया गया था। इसे साइमन आयोग (कमीशन) इसके अध्यक्ष सर जोन साइमन के नाम पर कहा जाता है। .

नई!!: लखनऊ और साइमन कमीशन · और देखें »

सिटी मॉण्टेसरी स्कूल

सिटी मॉण्टेसरी स्कूल लखनऊ का एक विद्यालय है। श्रेणी:लखनऊ के विद्यालय.

नई!!: लखनऊ और सिटी मॉण्टेसरी स्कूल · और देखें »

सिन्धु-गंगा के मैदान

सिन्धु-गंगा मैदान का योजनामूलक मानचित्र सिन्धु-गंगा का मैदान, जिसे उत्तरी मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है, एक विशाल एवं उपजाऊ मैदानी इलाका है। इसमें उत्तरी तथा पूर्वी भारत का अधिकांश भाग, पाकिस्तान के सर्वाधिक आबादी वाले भू-भाग, दक्षिणी नेपाल के कुछ भू-भाग तथा लगभग पूरा बांग्लादेश शामिल है। इस क्षेत्र का यह नाम इसे सींचने वाली सिन्धु तथा गंगा नामक दो नदियों के नाम पर पड़ा है। खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी होने के कारण इस इलाके में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है। 7,00,000 वर्ग किमी (2,70,000 वर्ग मील) जगह पर लगभग 1 अरब लोगों (या लगभग पूरी दुनिया की आबादी का 1/7वां हिस्सा) का घर होने के कारण यह मैदानी इलाका धरती की सर्वाधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है। सिन्धु-गंगा के मैदानों पर स्थित बड़े शहरों में अहमदाबाद, लुधियाना, अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता, ढाका, लाहौर, फैसलाबाद, रावलपिंडी, इस्लामाबाद, मुल्तान, हैदराबाद और कराची शामिल है। इस क्षेत्र में, यह परिभाषित करना कठिन है कि एक महानगर कहां शुरू होता है और कहां समाप्त होता है। सिन्धु-गंगा के मैदान के उत्तरी छोर पर अचानक उठने वाले हिमालय के पर्वत हैं, जो इसकी कई नदियों को जल प्रदान करते हैं तथा दो नदियों के मिलन के कारण पूरे क्षेत्र में इकट्ठी होने वाली उपजाऊ जलोढ़ मिटटी के स्रोत हैं। इस मैदानी इलाके के दक्षिणी छोर पर विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं तथा छोटा नागपुर का पठार स्थित है। पश्चिम में ईरानी पठार स्थित है। .

नई!!: लखनऊ और सिन्धु-गंगा के मैदान · और देखें »

सिकन्दर बाग़

सिकंदर बाग़ का बाहरी हिस्सा, (1858)। फेलिस बीटो की अल्बुमेन रजत छवि. सिकंदर बाग़ (अंग्रेजी: Sikandar Bagh, उर्दू: سکندر باغ), भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सीमा पर स्थित एक बाग या उद्यान है जिसमे ऐतिहासिक महत्व की एक हवेली समाहित है। इसे अवध के नवाब वाजिद अली शाह (1822-1887) के ग्रीष्मावास के तौर पर बनाया गया था। नवाब ने इसका नाम अपनी पसंदीदा बेग़म, सिकंदर महल बेगम के नाम पर सिकंदर बाग़ रखा था। आजकल यहाँ भारतीय राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान का कार्यालय है। .

नई!!: लखनऊ और सिकन्दर बाग़ · और देखें »

सज्जाद ज़हीर

सज्जाद ज़हीर (5 नवंबर 1905 – 13 सतंबर 1973) उर्दू के एक प्रसिद्ध लेखक और मार्क्सवादी चिंतक थे। इन्होंने मुल्कराज आनंद और ज्योतिर्मय घोष के साथ मिलकर १९३५ में प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन (Progressive writer's association) की स्थापना इंग्लैंड में की। उर्दू की प्रसिद्ध लेखिका रज़िया सज्जाद ज़हीर इनकी पत्नी थीं। .

नई!!: लखनऊ और सज्जाद ज़हीर · और देखें »

संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध

संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध (अंग्रेजी: United Provinces of Agra and Oudh; उच्चारण: यूनाईटेड प्राॅविन्सेज़ ऑफ ऐग्रा ऐण्ड औध) ब्रिटिश भारत में स्वाधीनता से पूर्व एकीकृत प्रान्त का नाम था जो 22 मार्च 1902 को आगरा व अवध नाम की दो प्रेसीडेंसी को मिलाकर बनाया गया था। उस समय सामान्यतः इसे संयुक्त प्रान्त (अंग्रेजी में यू॰पी॰) के नाम से भी जानते थे। यह संयुक्त प्रान्त लगभग एक शताब्दी 1856 से 1947 तक अस्तित्व में बना रहा। इसका कुल क्षेत्रफल वर्तमान भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के संयुक्त क्षेत्रफल के बराबर था। जिसे आजकल उत्तर प्रदेश या अंग्रेजी में यू॰पी॰ कहते हैं उसमें ब्रिटिश काल के दौरान रामपुर व टिहरी गढ़वाल जैसी स्वतन्त्र रियासतें भी शामिल थीं। 25 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान की घोषणा से एक दिन पूर्व सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इन सभी रियासतों को मिलाकर इसे उत्तर प्रदेश नाम दिया था। 3 जनवरी 1921 को जो राज्य पूर्णत: ब्रिटिश भारत का अंग बन गया था उसे स्वतन्त्र भारत में 20वीं सदी के जाते-जाते सन् 2000 में पुन: विभाजित कर उत्तरांचल (और बाद में उत्तराखण्ड) राज्य को स्थापित किया गया। .

नई!!: लखनऊ और संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध · और देखें »

संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा

संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा (CLAT / क्लेट) राष्ट्रीय विधि विद्यालयों तथा विधि विश्वविद्यालयो के विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों (एल.एल.बी एवं एल.एल.एम) में प्रवेश के लिए भारत भर में स्थापित किये गये 15 स्कूल/विश्वविद्यालयों द्वारा बारी–बारी से आयोजित की जाती है। प्रथम संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा के समय गठित की गई 7 राष्ट्रीय लॉ विश्वविद्यालयों के उपकुलाधिपति की मुख्य समिति ने निर्णय लिया था कि सभी विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के क्रम में बारी-बारी से इस परीक्षा को आयोजित करेंगे। इसके अनुसार प्रथम संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा का आयोजन 2008 में राष्ट्रीय लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बंगलुरु द्वारा किया गया था। आगामी सत्र के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा किया जाना है। .

नई!!: लखनऊ और संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा · और देखें »

संस्कार भारती

संस्कार भारती, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक अनुसांगिक संस्था है संस्कार भारती, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक अनुसांगिक संस्था है संस्कार भारती, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक अनुसांगिक संस्था है। इसकी स्थापना ललित कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय चेतना लाने का उद्देश्य सामने रखकर की गयी थी। इसकी पृष्ठभूमि में भाऊराव देवरस, हरिभाऊ वाकणकर, नानाजी देशमुख, माधवराव देवले और योगेन्द्र जी जैसे मनीषियों का चिन्तन तथा अथक परिश्रम था। १९५४ से संस्कार भारती की परिकल्पना विकसित होती गयी और १९८१ में लखनऊ में इसकी बिधिवत स्थापना हुई। १९८८ में फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी (रंगभरी एकादशी) को मीरजापुर इकाई का गठन किया गया। सा कला या विमुक्तये अर्थात् "कला वह है जो बुराइयों के बन्धन काटकर मुक्ति प्रदान करती है" के घोष-वाक्य के साथ आज देशभर में संस्कार भारती की १२०० से अधिक इकाइयाँ कार्य कर रही हैं। समाज के विभिन्न वर्गों में कला के द्वारा राष्ट्रभक्ति एवं योग्य संस्कार जगाने, विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण व नवोदित कलाकारों को प्रोत्साहन देकर इनके माध्यम से सांस्कृतिक प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से संस्कार भारती कार्य कर रही है। १९९० से संस्कार भारती के वार्षिक अधिवेशन कला साधक संगम के रूप में आयोजित किये जाते हैं जिनमें संगीत, नाटक, चित्रकला, काव्य, साहित्य और नृत्य विधाओं से जुड़े देशभर के स्थापित व नवोदित कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। भारतीय संस्कृति के उत्कृष्ट मूल्यों की प्रतिष्ठा करने की दृष्टि से राष्ट्रीय गीत प्रतियोगिता, कृष्ण रूप-सज्जा प्रतियोगिता, राष्ट्रभावना जगाने वाले नुक्कड़ नाटक, नृत्य, रंगोली, मेंहदी, चित्रकला, काव्य-यात्रा, स्थान-स्थान पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आदि बहुविध कार्यक्रमों का आयोजन संस्कार भारती द्वारा किया जाता है। संस्कार भारती प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा मनाये जाने वाले छह उत्सवों को भी मनाती है। .

नई!!: लखनऊ और संस्कार भारती · और देखें »

संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़

संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (एसजीपीजीआईएमएस) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित भारत का एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान है। इसकी स्थापना १९९३ में हुई थी। .

नई!!: लखनऊ और संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ · और देखें »

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGIMS) भारत का एक उत्कृष्ट आयुर्विज्ञान संस्थान है। यह लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसकी स्थापना १९८३ में हुई थी। यह संस्थान रायबरेली मार्ग पर मुख्य शहर से १५ किमी की दूरी पर स्थित है। यह संस्थान तथा इसका आवासीय प्रांगण ५५० एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह संस्थान तृतियक चिकित्सा सुविधा प्रदान करता है तथा अति-विशेषज्ञता शिक्षण, प्रशिशण और अनुसंधान सुविधा प्रदान करता है। यह DM, MCh, MD, Ph.D., पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप (PDF) तथा पोस्टडॉक्टोरल सर्टिफिकेट कोर्स (PDCC) और सीनियर रेजिडेंसी प्रदान करता है। .

नई!!: लखनऊ और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान · और देखें »

संजीवनी

संजीवनी पौधे के वंश की एक प्रजाति का चित्रसंजीवनी एक वनस्पति का नाम है जिसका उपयोग चिकित्सा कार्य के लिये किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेला ब्राहपटेर्सिस है और इसकी उत्पत्ति लगभग तीस अरब वर्ष पहले कार्बोनिफेरस युग से मानी जाती हैं। लखनऊ स्थित वनस्पति अनुसंधान संस्थान में संजीवनी बूटी के जीन की पहचान पर कार्य कर रहे पाँच वनस्पति वैज्ञानिको में से एक डॉ॰ पी.एन.

नई!!: लखनऊ और संजीवनी · और देखें »

सआदत अली खान द्वितीय

"क्लॉड मार्टिन का घर जिसे सआदत अली खान ने ५० हज़ार रुपए में खरीदा था यामीन उद् दौला नवाब सआदत अली खान (१७५२-१८१४) अवध के शासक (शासनकाल १७९८-१८१४) नवाब शुजाउद्दौला के दूसरे बेटे थे। सआदत अली खान अपने सौतेले भाई, आसफ़ुद्दौला, के बाद अवध के तख्त पर १७९८ पर बैठे। सआदत अली खान की ताजपोशी २१ जनवरी १७९८ को बिबियापुर महल, लखनऊ में सर जॉन शोर द्वारा की गई। उन्होंने १८०१ में अंग्रेज़ों को आधा अवध दे दिया। उनका १८०५ में सर गोर औसेली द्वारा निर्मित दिलकुशा कोठी नामक एक महल भी था। १० सितंबर २००७ को पठित नवाब सआदत अली खान १८१४ में मरे और उन्हें अपनी पत्नी 'खुरशीद ज़ादी' के साथ जुड़वाँ क़ैसरबाग़ के मकबरे में दफ़नाया गया। .

नई!!: लखनऊ और सआदत अली खान द्वितीय · और देखें »

सआदत अली का मकबरा

सआदत अली का मकबरा लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क के समीप सआदत अली खां और खुर्शीद ज़ादी का मकबरा है। यह मकबरा अवध वास्तुकला का शानदार उदाहरण हैं। मकबरे की शानदार छत और गुम्बद इसकी खासियत हैं। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और सआदत अली का मकबरा · और देखें »

सुब्रत रॉय

सुब्रत राय सहारा (जन्म 10 जून 1948) भारत के एक व्यवसायी तथा सहारा इण्डिया परिवार के संस्थापक, प्रबंध निदेशक एवं अध्यक्ष हैं। वे 'सहाराश्री' के नाम से भी जाने जाते हैं। इण्डिया टुडे ने उनका नाम भारत के दस सर्वाधिक शक्तिसम्पन्न लोगों में शामिल किया था। उन्होने सन् 1978 में सहारा इण्डिया परिवार की स्थापना की। सन् 2004 में टाइम पत्रिका ने सहारा समूह को भारतीय रेल के बाद दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बताया था। वे पुणे वॉरियर्स इंडिया, ग्रॉसवेनर हाउस, एमबी वैली सिटी, प्लाजा होटल, ड्रीम डाउनटाउन होटल के मालिक हैं। .

नई!!: लखनऊ और सुब्रत रॉय · और देखें »

सुमिता मिश्रा

सुमिता मिश्रा (जन्म: ३० जनवरी, १९६७; चंडीगढ, हरियाणा) एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी, साहित्यकार एवं प्रसिद्द कवियित्री हैं। इनकी तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। .

नई!!: लखनऊ और सुमिता मिश्रा · और देखें »

सुमित्रा कुमारी सिन्हा

सुमित्रा कुमारी सिन्हा (१९१३-३० सितंबर १९९४) हिन्दी की लोकप्रिय कवयित्री तथा लेखिका थीं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद जिले में हुआ। स्वाधीनता आंदोलन में उनका सक्रिय योगदान रहा। कवि-सम्मेलनों में मधुर कंठ से कविता पाठ करने वाली सुमित्रा कुमारी सिन्हा आकाशवाणी लखनऊ से सम्बद्ध रही। उन्होंने बाल साहित्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण काम किया है। उनके पुत्र अजीत कुमार सिन्हा एक प्रतिभा संपन्न लेखक हैं। उनकी पुत्री कीर्ति चौधरी ने तार सप्तक की प्रसिद्ध कवियित्री के रूप में अपनी पहचान बनाई। प्रमुख रचनाएँ- कविता संकलन - विहाग - १९४०, आशापर्व - १९४२, बोलों के देवता - १९५४। कहानी संग्रह - अचल सुहाग - १९३९, वर्ष गाँठ - १९४२। अन्य रचनाएँ - पंथिनी, प्रसारिका, वैज्ञानिक बोधमाला, कथा कुंज, आँगन के फूल, फूलों के गहने, आंचल के फूल, दादी का मटका। श्रेणी:हिन्दी कवि श्रेणी:हिन्दी गद्यकार.

नई!!: लखनऊ और सुमित्रा कुमारी सिन्हा · और देखें »

सुरेन्द्र पाल

सुरेन्द्र पाल (अंग्रेजी:Surendra Pal) (जन्म:1953 लखनउ,उत्तर प्रदेश) में हुआ था। ये एक भारतीय फ़िल्म तथा टेलिविज़न अभिनेता है। सुरेन्द्र पाल ने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरूआत 1984 में की थी। ये जोधा अकबर खुदा गवाह तथा शहर जैसी फ़िल्मों में कार्य कर चूके है। इनके अलावा ये टीवी धारावाहिक "रहने वाली महलों की", "लेफ्ट राइट",विष्णु पुराण (धारावाहिक) तथा महाभारत (टीवी धारावाहिक) जैसे कार्यक्रमों में काम कर चूके है। .

नई!!: लखनऊ और सुरेन्द्र पाल · और देखें »

सुल्तानपुर जिला

उत्तर प्रदेश भारत देश का सर्वाधिक जिलों वाला राज्य है, जिसमें कुल 75 जिले हैं। आदिगंगा गोमती नदी के तट पर बसा सुल्तानपुर इसी राज्य का एक प्रमुख जिला है। यहाँ के लोग सामान्यत: वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और लखनऊ जिलों में पढ़ाई करने जाते हैं। सुल्तानपुर जिले की स्थानीय बोलचाल की भाषा अवधी और खड़ी बोली है। .

नई!!: लखनऊ और सुल्तानपुर जिला · और देखें »

सुकेश साहनी

सुकेश साहनी (जन्म: 5सितंबर 1956, लखनऊ, उ.प्र.), हिंदी के लघुकथा लेखक हैं, जिनका लघुकथा की विकास यात्रा में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके दो लघुकथा संग्रह 'डरे हुए लोग' तथा 'ठंडी रज़ाई'प्रकाशित हैं। उनकी दोनों पुस्तकें क्रमश: 'डरे हुए लोग' का पंजाबी, गुजराती, मराठी व अंग्रेज़ी में तथा 'ठंडी रज़ाई' का अंग्रेज़ी व पंजाबी भाषा में अनुवाद हुआ है। इसके अतिरिक्त एक कहानी संग्रह 'मैग्मा और अन्य कहानियाँ' तथा बालकथा संग्रह 'अक्ल बड़ी या भैंस' प्रकाशित हुए हैं। साथ हीं उनकी कुछ लघुकथाएँ जर्मन भाषा में भी अनूदित हुईं हैं। 'रोशनी' कहानी पर दूरदर्शन के लिए उन्होने टेलीफिल्म का निर्माण किया है। उनकी एक और पुस्तक "लघु अपराध कथाएं " प्रकाशित हुई हैं और उन्होने लघुकथाओं के आधे दर्जन से अधिक संकलनों का संपादन भी किया है। उन्हें 1994 में डॉ॰परमेश्वर गोयल लघुकथा सम्मान, 1996 में माता शरबती देवी पुरस्कार,1998 में डॉ॰ मुरली मनोहर हिन्दी साहित्यिक सम्मान तथा 2008 में माधवराव सप्रे सम्मान प्राप्त हुए हैं। .

नई!!: लखनऊ और सुकेश साहनी · और देखें »

स्वतंत्र भारत

स्वतंत्र भारत लखनऊ एवं कानपुर से प्रकाशित हिंदी का एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र है। १५ अगस्त १९४७ को लखनऊ से 'स्वतन्त्र भारत' का प्रकाशन अशोक जी के सम्पादन में हुआ। प्रारम्भ में ही इसने अवध की संस्कृति, लोग जीवन और इतिहास पर बहुत ध्यान दिया। दैनिक व्यंग्य विनोद का स्तम्भ काँव-काँव इसकी विशेषता थी। अशोक जी और बलदेव प्रसाद मिश्र इस स्तम्भ के मुख्य लेखक रहे। सन् १९५३ में अशोक जी के केन्द्रीय सूचना विभाग में चले जाने पर सहकारी योगेन्द्र पति त्रिपाठी ने इसका सम्पादन सम्भाला और ३१ अगस्त १९७१ ई॰ को अपनी असामयिक मृत्यु तक इसे बड़ी योग्यता से चलाया। उत्तरप्रदेश की राजनीति में इस पत्र का अच्छा प्रभाव है। काँव-काँव, अग्रलेख टिप्पणी, व्यंग्य-चित्र, देश चक्र, देश-देशान्तर, विदेश-चर्चा, आपके विचार, सुझाव-शिकायत, राज्यों की चिठ्ठियां आदि इसके स्थायी स्तम्भ हैं। .

नई!!: लखनऊ और स्वतंत्र भारत · और देखें »

सैफ़ई

सैफ़ई (अंग्रेजी: Saifai), उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित एक कस्बा है। यह इटावा जिले की एक तहसील और विकास खंड भी है। यह मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष, निवर्तमान रक्षा मंत्री और निवर्तमान मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश का जन्मस्थान भी है। .

नई!!: लखनऊ और सैफ़ई · और देखें »

सूती साड़ी

सूती साड़ी पतले सूती यार्न से बुनाई गई एक कपड़े का टुकड़ा है जिस्की लंबाई साडे-चार से आठ मीटर और चौड़ाई में एक मीटर तक होती है। यह कपड़ा भारतीय महिलाऍ अलग अलग तरीकों से शरीर के चारों ओर लपेटती है। साड़ी शरीर के एक ओर से लेकर कमर के चारों ओर लपेट कर, दूसरे ढीले ओर को कंधे पर आराम से छोड दिया जाता है या फिर कमरे के एक तरफ घुसाया जाता है। सूती साड़ी दुनिया भर में महिलाऍ इश्टता से उन्हें पहनती है क्योंकि ये उन्के खूबसूरती को बढाती हैं। .

नई!!: लखनऊ और सूती साड़ी · और देखें »

सूरसागर

सूरसागर, ब्रजभाषा में महाकवि सूरदास द्वारा रचे गए कीर्तनों-पदों का एक सुंदर संकलन है जो शब्दार्थ की दृष्टि से उपयुक्त और आदरणीय है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें भक्ति की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग "कृष्ण की बाल-लीला' और "भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं। सूरसागर में लगभग एक लाख पद होने की बात कही जाती है। किन्तु वर्तमान संस्करणों में लगभग पाँच हजार पद ही मिलते हैं। विभिन्न स्थानों पर इसकी सौ से भी अधिक प्रतिलिपियाँ प्राप्त हुई हैं, जिनका प्रतिलिपि काल संवत् १६५८ वि० से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी तक है इनमें प्राचीनतम प्रतिलिपि नाथद्वारा (मेवाड़) के सरस्वती भण्डार में सुरक्षित पायी गई हैं। दार्शनिक विचारों की दृष्टि से "भागवत' और "सूरसागर' में पर्याप्त अन्तर है। सूरसागर की सराहना करते हुए डॉक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है - .

नई!!: लखनऊ और सूरसागर · और देखें »

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी, १८९९ - १५ अक्टूबर, १९६१) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है। .

नई!!: लखनऊ और सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' · और देखें »

सेठ एम आर जयपुरिया स्कूल

सेठ एम आर जयपुरिया विद्यालय, लखनऊ स्थित एक प्रसिद्ध विद्यालय है। यह साधारनतः 'जयपुरिया स्कूल लखनऊ' के नाम से जाना जाता है। इस विद्यालय का शिक्षा माध्यम अंग्रेजी है। इस विद्यालय को 2007 में भारत में "सबसे सम्मानित माध्यमिक विद्यालयों" में 9 वां स्थान दिया गया था। .

नई!!: लखनऊ और सेठ एम आर जयपुरिया स्कूल · और देखें »

सेलिना जेटली

सेलिना जेटली (जन्म २४ नवम्बर १९८१), एक भारतीय अभिनेत्री और पूर्व सुंदरी है। उन्हें २००१ में फेमिना मिस इंडिया का ताज पहनाया गया था। .

नई!!: लखनऊ और सेलिना जेटली · और देखें »

सेवा मंदिर

सेवा मंदिर उदयपुर में १९६९ में डॉ॰ मोहन सिंह मेहता द्वारा स्थापित एक स्वैच्छिक संस्था (ट्रस्ट) है, जो ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, बाल-विकास, प्रौढ़-साक्षरता, पेयजल, रोज़गार-विकास, पर्यावरण-संरक्षण, ग्राम्य-स्वच्छता आदि कई क्षेत्रों में उदयपुर और राजसमन्द जिलों में स्वयंसेवकों के माध्यम से समाज-कार्य गतिविधियों का संचालन कर रहा है| .

नई!!: लखनऊ और सेवा मंदिर · और देखें »

सेवॉय होटल (मसूरी)

द सेवॉय, भारत के उत्तराखंड राज्य के मसूरी नाम के हिल स्टेशन का एक जाना-माना लक्जरी होटेल है.

नई!!: लखनऊ और सेवॉय होटल (मसूरी) · और देखें »

सेंट फ्रांसिस स्कूल

सेंट फ्रांसिस स्कूल लखनऊ का एक विद्यालय है। श्रेणी:लखनऊ के विद्यालय.

नई!!: लखनऊ और सेंट फ्रांसिस स्कूल · और देखें »

सोनिया नित्यानंद

सोनिया नित्यानंद एक भारतीय इम्यूनोलॉजिस्ट हैं, हेमटोलॉजी उनकी विशेषज्ञता है। बाद में उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से की। बाद में वह 1996 में स्वीडन में करोलिंस्का संस्थान, स्टॉकहोम, से इम्यूनोलॉजी में पीएचडी के लिए चली गयीँ। .

नई!!: लखनऊ और सोनिया नित्यानंद · और देखें »

सोनिया सिंह

सोनिया सिंह (जन्म 4 नवम्बर 1985) एक भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री है। वह   स्टार वन' के  सबसे लोकप्रिय शो दिल मिल गए में डॉ॰ कीर्ति मेहरा के रोल के लिए जानी जाती हैं। .

नई!!: लखनऊ और सोनिया सिंह · और देखें »

सोहन लाल द्विवेदी

सोहन लाल द्विवेदी (22 फरवरी 1906 - 1 मार्च 1988) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। ऊर्जा और चेतना से भरपूर रचनाओं के इस रचयिता को राष्ट्रकवि की उपाधि से अलंकृत किया गया। महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावित, द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं। 1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया था। .

नई!!: लखनऊ और सोहन लाल द्विवेदी · और देखें »

सीतापुर जिला

सीतापुर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय सीतापुर है। यह जिला नैमिषारण्य तीर्थ के कारण प्रसिद्ध है। प्रारंभिक मुस्लिम काल के लक्षण केवल भग्न हिंदू मंदिरों और मूर्तियों के रूप में ही उपलब्ध हैं। इस युग के ऐतिहासिक प्रमाण शेरशाह द्वारा निर्मित कुओं और सड़कों के रूप में दिखाई देते हैं। उस युग की मुख्य घटनाओं में से एक तो खैराबाद के निकट हुमायूँ और शेरशाह के बीच और दूसरी श्रावस्ती नरेस सुहेलदेव राजभर और सैयद सालार के बीच बिसवाँ और तंबौर के युद्ध हैं।जिले के ब्लॉक गोंदलामऊ में चित्रांशों का प्राकृतिक छठा बिखेरता खूबसूरत व ऐतिहासिक गांव असुवामऊ है।इस धार्मिक गांव में शारदीय नवरात्रि के मौके पर सप्तमी की रात भद्रकाली की पूजा पूरी आस्था से मनाई जाती है। .

नई!!: लखनऊ और सीतापुर जिला · और देखें »

सीआईडी (धारावाहिक)

सीआईडी सोनी चैनल पर प्रसारित होने वाला हिन्दी भाषा का एक धारावाहिक है, जिसे भारत का सबसे लंबा चलने वाला धारावाहिक होने का श्रेय प्राप्त है। अपराध व जासूसी शैली पर आधारित इस धारावाहिक में शिवाजी साटम, दयानन्द शेट्टी और आदित्य श्रीवास्तव मुख्य किरदार निभा रहे हैं। इसके सर्जक, निर्देशक और लेखक बृजेन्द्र पाल सिंह हैं। इसका निर्माण फायरवर्क्स नामक कंपनी ने किया है जिसके संस्थापक बृजेन्द्र पाल सिंह और प्रदीप उपूर हैं। २१ जनवरी १९९८ से शुरु होकर यह धारावाहिक अब तक लगातार चल रहा है। इसका प्रसारण प्रत्येक शनिवार और रविवार को रात १० बजे होता है। इसका पुनः प्रसारण सोनी पल चैनल पर रात ९ बजे होता है जिसमें इसके पुराने प्रकरण दिखाये जाते हैं। इस धारावाहिक ने २१ जनवरी २०१८ को अपने प्रसारण के २० वर्ष पूर्ण किये और २१वें वर्ष में प्रवेश किया। इससे पहले, २७ सितम्बर २०१३ को इस धारावाहिक ने अपनी १०००वीं कड़ी पूरी की। इस धारावाहिक को कई अन्य भाषाओं में भी भाषांतरित किया गया है। .

नई!!: लखनऊ और सीआईडी (धारावाहिक) · और देखें »

हनुमान मंदिर, अलीगंज लखनऊ

अलीगंज का महावीर मंदिर, लखनऊ अलीगंज में स्थित एक प्राचीन हनुमान जी का एक मंदिर है। यह मंदिर बहुत पुराना है एवं इसकी बहुत मान्यता है। मंदिर में ज्येष्ठ मास में बड़े मंगल को मेला लगता है। इसके अलावा हनुमान जयंती पर भी मेला लगता है। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:हनुमान मंदिर.

नई!!: लखनऊ और हनुमान मंदिर, अलीगंज लखनऊ · और देखें »

हनुमान सेतु मंदिर

मंदिर में स्थापित हनुमानजी की मूर्ति हनुमान सेतु मंदिर, लखनऊ में गोमती नदी के किनारे एक हनुमान मंदिर है। यह मंदिर नदी पर बने एक पुल के किनारे बना है। इस कारण यह पुल हनुमान सेतु एवं मंदिर हनुमान सेतु मंदिर कहलाता है। यह मंदिर नीम करौरी बाबा ने बनवाया है। इस मंदिर से लगा बाबा का भी एक मंदिर बना है। यह सेतु लखनऊ विश्वविद्यालय से हज़रतगंज को जोड़ता है। पहले इस स्थान पर मंकी ब्रिज हुआ करता था, जो १९७२ में आई गोमती नदी की बाढ़ में बह गया था। उस ही स्थान पर नया सेतु बना है। सेतु के किनारे ही लखनऊ विश्वविद्यालय का यूनियन भवन एवं केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआराई) की आवासीय कालोनी है। दूसरी ओर सेतु से उतरते ही परिवर्तन चौक है, जिसके दायीं ओर होटाल क्लार्क्स अवध एवं छतर मंजिल है। .

नई!!: लखनऊ और हनुमान सेतु मंदिर · और देखें »

हमीदा हबीबुल्ला

हमीदा हबीबुल्ला (20 नवंबर 1916 – 13 मार्च 2018) पूर्व राज्य सभा सदस्य, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। वे भारत के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह की मां थीं। वे वर्ष 1969 से 1974 तक बाराबंकी (उ.प्र.) जिले की हैदरगढ़ सीट से विधानसभा सदस्य रहीं और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहीं। वर्ष 1976-1982 तक वे राज्यसभा सदस्य भी रहीं। .

नई!!: लखनऊ और हमीदा हबीबुल्ला · और देखें »

हरदोई

हरदोई भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की नगरपालिका और नगर है। यह हरदोई जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। .

नई!!: लखनऊ और हरदोई · और देखें »

हरदोई जिला

हरदोई ज़िला भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है जिसका ज़िला मुख्यालय हरदोई नगर है। हरदोई ज़िला लखनऊ सम्भाग में है। .

नई!!: लखनऊ और हरदोई जिला · और देखें »

हरी उड़द

उड़द एक दलहन होता है। इसकी तासीर ठंडी होती है, अतः इसका सेवन करते समय शुद्धघी में हींग का बघार लगा लेना चाहिए। इसमें भी कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, केल्शियम व प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। बवासीर, गठिया, दमा एवं लकवा के रोगियों को इसका सेवन कम करना चाहिए। हरे रंग की उड़द को हरी उड़द कहते हैं। यह लखनऊ और निकटवर्ती क्षेत्रों में बहुत मिलती है। .

नई!!: लखनऊ और हरी उड़द · और देखें »

हल्द्वानी

हल्द्वानी, उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित एक नगर है जो काठगोदाम के साथ मिलकर हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम बनाता है। हल्द्वानी उत्तराखण्ड के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है और इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। कुमाऊँनी भाषा में इसे "हल्द्वेणी" भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ "हल्दू" (कदम्ब) प्रचुर मात्रा में मिलता था। सन् १८१६ में गोरखाओं को परास्त करने के बाद गार्डनर को कुमाऊँ का आयुक्त नियुक्त किया गया। बाद में जॉर्ज विलियम ट्रेल ने आयुक्त का पदभार संभाला और १८३४ में "हल्दु वनी" का नाम हल्द्वानी रखा। ब्रिटिश अभिलेखों से हमें ये ज्ञात होता है कि इस स्थान को १८३४ में एक मण्डी के रूप में उन लोगों के लिए बसाया गया था जो शीत ऋतु में भाभर आया करते थे। .

नई!!: लखनऊ और हल्द्वानी · और देखें »

हल्द्वानी में यातायात

कुमाऊँ का प्रवेश द्वार, हल्द्वानी उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित हल्द्वानी राज्य के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है। इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। नगर के यातायात साधनों में २ रेलवे स्टेशन, २ बस स्टेशन तथा एक अधिकृत टैक्सी स्टैंड है। इनके अतिरिक्त नगर से २८ किमी की दूरी पर एक घरेलू हवाई अड्डा स्थित है, और नगर में एक अंतर्राज्यीय बस अड्डा निर्माणाधीन है। .

नई!!: लखनऊ और हल्द्वानी में यातायात · और देखें »

हल्द्वानी का इतिहास

कुमाऊँ का प्रवेश द्वार, हल्द्वानी उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित हल्द्वानी राज्य के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है। इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। .

नई!!: लखनऊ और हल्द्वानी का इतिहास · और देखें »

हल्दीराम

हल्दीराम भारत का प्रमुख मिठाई एवं अल्पाहार (स्नैक्स) निर्माता कम्पनी है। यह मूलतः नागपुर (महाराष्ट्र) से आरम्भ हुई और वर्तमान में नागपुर्म कोलकाता, नई दिल्ली तथा बीकानेर में इसकी निर्माण इकाइयाँ हैं। हल्दीराम की अपनी स्वयं की रिटेल चेन स्टोर के अलावा नागपुर, कोलकाता, पटना, लखनऊ, नोएडा और दिल्ली में रेस्तारेन्त हैं। वर्तमान समय में हल्दीराम के उत्पाद विश्व के अनेक देशों में निर्यात किए जाते हैं। .

नई!!: लखनऊ और हल्दीराम · और देखें »

हसन कमाल

हसन कमाल एक मशहूर भारतीय कवि और गीतकार है। 1985 में इनहों ने अपने गीत के लिये फिल्मफ़ेर पुरसकार प्राप्त किया। यह गीत फिल्म "आज की आवाज़" के लिये लिखा गया था (1984).

नई!!: लखनऊ और हसन कमाल · और देखें »

हसरत मोहानी

मौलाना हसरत मोहानी (1 जनवरी 1875 - 1 मई 1951) साहित्यकार, शायर, पत्रकार, इस्लामी विद्वान, समाजसेवक और "इंक़लाब ज़िन्दाबाद" का नारा देने वाले आज़ादी के सिपाही थे। .

नई!!: लखनऊ और हसरत मोहानी · और देखें »

हाल की घटनाएँ नवंबर २००७

* गुरुवार, 21 फरवरी, 2008: छत्तीसगढ़ के प्रयागराज राजिम के त्रिवेणी संगम पर कल 21 फ़रवरी माघ पूर्णिमा से पन्द्रह दिवसीय राजिम कुंभ मेला शुरू हो रहा है। छत्तीसगढ़ विधान सभा अध्यक्ष श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय कल शाम 6 बजे राजिम में राजिम कुंभ मेला का शुभारंभ करेंगे। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता करेंगे।.

नई!!: लखनऊ और हाल की घटनाएँ नवंबर २००७ · और देखें »

हिण्डौन

हिण्डौन राजस्थान राज्य का ऐतिहासिक व पौराणिक शहर है। यह शहर अरावली पहाड़ी के समीप स्थित है। प्राचीनकाल में हिण्डौन शहर मत्स्य के अंतर्गत आता था। मत्स्य शासन के दौरान बनाए गई प्राचीन इमारतें आज भी मौजूद हैं। भागवतपुराण के अनुसार हिण्डौन, भक्त प्रहलाद व हिरण्यकश्यप की कर्म भूमि रही है। महाभारतकाल की राक्षसी हिडिम्बा भी इसी शहर में रहा करती थी। हिण्डौन, ऐतिहासिक मंदिरों व इमारतों का गढ़ माना जाता है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर राजस्थान के पूर्व में हिण्डौन उपखण्ड में बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से 156 किलोमीटर पूर्व स्थित है। यह नगर देश में लाल पत्थरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के बहुत मंदिर यहाँ स्थित है। यह शहर राजस्थान के करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र(राजस्थान) लगता है। यहाँ का नक्कश की देवी - गोमती धाम का मंदिर तथा महावीर जी का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! हिण्डौन शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ क्षेत्र है !यहाँ की आबादी लगभग 1.35 लाख है। अमृत योजना में 151 करोड़ राजस्थान सरकार द्वारा स्वीक्रत किये गये हैं। .

नई!!: लखनऊ और हिण्डौन · और देखें »

हिन्दुस्तान (समाचार पत्र)

दैनिक हिन्दुस्तान हिन्दी का दैनिक समाचार पत्र है। यह १९३२ में शुरु हुआ था। इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था। १९४२ का भारत छोड़ो आन्दोलन छिड़ने पर `हिन्दुस्तान' लगभग ६ माह तक बन्द रहा। यह सेंसरशिप के विरोध में था। एक अग्रलेख पर ६ हजार रुपये की जमानत माँगी गई। देश के स्वाधीन होने तक `हिन्दुस्तान का मुख्य राष्ट्रीय आन्दोलन को बढ़ावा देना था। इसे महात्मा गाँधी व काँग्रेस का अनुयायी पत्र माना जाता था। गाँधी-सुभाष पत्र व्यवहार को हिन्दुस्तान' से अविकल रूप से प्रकाशित किया। हिन्दुस्तान' में क्रांतिकारी यशपाल की कहानी कई सप्ताह तक रोचक दर से प्रकाशित हुई। राजस्थान में राजशाही के विरुद्ध आंदोलनों के समाचार इस पत्र में प्रमुखता से प्रकाशित होते रहे। हैदराबाद सत्याग्रह का पूर्ण `हिन्दुस्तान' ने समर्थन किया। देवदास गाँधी के मार्गदर्शन में इस पत्र ने उच्च आदर्शों को अपने साथ रखा और पत्रकारिता की स्वस्थ परम्पराएँ स्थापितकी। गाँधीजी के प्रार्थना प्रवचन पं जवाहरलाल नेहरू व सरदार वल्लभ भाई पटेल के भाषण अविकल रूप से `हिन्दुस्तान' में छपते रहे। दैनिक `हिन्दुस्तान' का पटना (बिहार) से भी संस्करण प्रकाशित हो रहा है। .

नई!!: लखनऊ और हिन्दुस्तान (समाचार पत्र) · और देखें »

हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड

हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत का एक सार्वजनिक प्रतिष्ठान है, जो हवाई संयन्त्र निर्माण करता है। इसका मुख्यालय बंगलुरु में है। दिसम्बर, १९४० में भूतपूर्व मैसूर राजसी राज्य एवं असाधारण दूरद्रष्टा उद्यमी श्री सेठ वालचन्द हीराचन्द के सहयोग से बेंगलूर में शुरु हुआ। एच ए एल की आपूर्तियाँ / सेवाएँ प्रमुख रूप से भारतीय रक्षा सेनाओं, तटरक्षक तथा सीमा सुरक्षा बल के लिए हैं। भारतीय विमान - वाहकों तथा राज्य सरकारों को भी परिवहन विमानों तथा हेलिकाप्टरों की पूर्ति की गयी है। कंपनी ने गुणवत्ता एवं किफायती दरों के माध्यम से ३० से अधिक देशों में निर्यात क्षेत्र में पदार्पण किया है। आज भारत भर में एच ए एल की १६ उत्पादन इकाइयाँ एवं ९ अनुसंधान व विकास केन्द्र हैं। इसके उत्पाद-क्रम में देशीय अनुसंधान व विकास के अधीन १२ प्रकार के विमान एवं लाइसेंस के अधीन १३ प्रकार के विमान हैं। एच ए एल द्वारा अब तक ३३०० से भी अधिक विमानों, ३४०० से अधिक विमान-इंजनों का उत्पादन तथा ७७०० से अधिक विमानों एवं २६,००० से अधिक इंजनों का ओवरहाल किया गया है। एच ए एल को अनुसंधान व विकास, प्रौद्योगिकी, प्रबंधकीय निष्पादन, निर्यात, ऊर्जा की बचत, गुणवत्ता एवं सामाजिक दायित्वों के निर्वहण में अनेक अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। गुणवत्ता एवं दक्षता में कारपोरेट उपलब्धि के लिए अंतर्राष्ट्रीय सूचना एवं विपणन केन्द्र (आई आई एम सी) ने मेसर्स ग्लोबल रेटिंग, युनाइटेड किंगडम के संयोजन से मेसर्स हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड को अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन (वैश्विक मूल्यांकन नेता २००३), लंदन, यू.के.

नई!!: लखनऊ और हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड · और देखें »

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, जिसे संक्षेप में एच॰आर॰ए॰ भी कहा जाता था, भारत की स्वतंत्रता से पहले उत्तर भारत की एक प्रमुख क्रान्तिकारी पार्टी थी जिसका गठन हिन्दुस्तान को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश तथा बंगाल के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा सन् १९२४ में कानपुर में किया गया था। इसकी स्थापना में लाला हरदयाल की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। काकोरी काण्ड के पश्चात् जब चार क्रान्तिकारियों को फाँसी दी गई और एच०आर०ए० के सोलह प्रमुख क्रान्तिकारियों को चार वर्ष से लेकर उम्रकैद की सज़ा दी गई तो यह संगठन छिन्न-भिन्न हो गया। बाद में इसे चन्द्रशेखर आजाद ने भगत सिंह के साथ मिलकर पुनर्जीवित किया और एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। सन् १९२४ से लेकर १९३१ तक लगभग आठ वर्ष इस संगठन का पूरे भारतवर्ष में दबदबा रहा जिसके परिणामस्वरूप न केवल ब्रिटिश सरकार अपितु अंग्रेजों की साँठ-गाँठ से १८८५ में स्थापित छियालिस साल पुरानी कांग्रेस पार्टी भी अपनी मूलभूत नीतियों में परिवर्तन करने पर विवश हो गयी। .

नई!!: लखनऊ और हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन · और देखें »

हिन्दू मेला

हिन्दु मेला एक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था थी जिसकी स्थापना 1867 में गणेन्द्रनाथ ठाकुर ने द्विजेन्द्र नाथ ठाकुर, राजनारायण बसु और नवगोपाल मित्र के साथ मिलकर की थी। इसे 'चैत्र मेला' भी कहते थे क्योंकि इसकी स्थापना चैत्र संक्रान्ति (बंगाली वर्ष का अन्तिम दिन) के दिन हुई थी। गगेन्द्रनाथ ठाकुर इसके संस्थापक सचिव थे। हिन्दु मेला ने बंगाल के पढे लिखे वर्ग में देश के लिये सोचने, उसके प्रति देशवासियों को तैयार करने की कोशिश की। यह किसी धार्मिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए नहीं बनी थी। यह देशभक्ति का विकास और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने का कार्य करती थी। इसका उद्देश्य भारत की सभ्यता की कीर्ति को पुनर्जीवित करना, देशवासियों को जागृत करना, राष्ट्रभाषा का विकास करना, उनके विचारों को उन्नत बनाना था ताकि अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे सांस्कृतिक उपनिवेशीकरण का प्रतिकार किया जा सके। यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र संक्रान्ति को आयोजित किया जाता था। इसमें देशभक्ति के गीत, कविताएँ और व्याख्यान होते थे। इसमें भारत के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक दशा की विस्तृत समीक्षा की जाती थी। स्वदेशी कला, स्वदेशी हस्तशिल्प, स्वदेशी व्यायाम और पहलवानी की प्रदर्शनी लगती थी। इसमें अखिल भारतीयता का भी ध्यान रखा जाता था तथा बनारस, जयपुर, लखनऊ, पटना और कश्मीर आदि की कलात्मक वस्तुएं, हस्तशिल्प आदि का प्रदर्शन न्ही किया जाता था। 'लज्जय भारत-यश गाइबो की कोरे?' नामक गाना इसमें कई बार गाया गया। इसके रचयिता गगेन्द्रनाथ थे। १८९० के दशक में इस संस्था का प्रभाव कम हो गया किन्तु इसने स्वदेशी आन्दोलन के लिए जमीन तैयार कर दी थी। .

नई!!: लखनऊ और हिन्दू मेला · और देखें »

हिन्दी पत्रिकाएँ

हिन्दी पत्रिकाएँ सामाजिक व्‍यवस्‍था के लिए चतुर्थ स्‍तम्‍भ का कार्य करती हैं और अपनी बात को मनवाने के लिए एवं अपने पक्ष में साफ-सूथरा वातावरण तैयार करने में सदैव अमोघ अस्‍त्र का कार्य करती है। हिन्दी के विविध आन्‍दोलन और साहित्‍यिक प्रवृत्तियाँ एवं अन्‍य सामाजिक गतिविधियों को सक्रिय करने में हिन्दी पत्रिकाओं की अग्रणी भूमिका रही है।; प्रमुख हिन्दी पत्रिकाएँ- .

नई!!: लखनऊ और हिन्दी पत्रिकाएँ · और देखें »

हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें

हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाएँ, हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं के विकास और संवर्द्धन में उल्लेखनीय भूमिका निभाती रहीं हैं। कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, नाटक, आलोचना, यात्रावृत्तांत, जीवनी, आत्मकथा तथा शोध से संबंधित आलेखों का नियमित तौर पर प्रकाशन इनका मूल उद्देश्य है। अधिकांश पत्रिकाओं का संपादन कार्य अवैतनिक होता है। भाषा, साहित्य तथा संस्कृति अध्ययन के क्षेत्र में साहित्यिक पत्रिकाओं का उल्लेखनीय योगदान रहा है। वर्तमान में प्रकाशित कुछ प्रमुख पत्रिकाओं की सूची निम्नवत है: .

नई!!: लखनऊ और हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें · और देखें »

हिंदी साहित्य में प्रगतिवाद

मार्क्सवादी विचारधारा का साहित्य में प्रगतिवाद के रूप में उदय हुआ। यह समाज को शोषक और शोषित के रूप में देखता है। प्रगतिवादी शोषक वर्ग के खिलाफ शोषित वर्ग में चेतना लाने तथा उसे संगठित कर शोषण मुक्त समाज की स्थापना की कोशिशों का समर्थन करता है। यह पूँजीवाद, सामंतवाद, धार्मिक संस्थाओं को शोषक के रूप में चिन्हित कर उन्हें उखाड़ फेंकने की बात करता है। हिंदी साहित्य में प्रगतिवाद का आरंभ १९३६ से माना जा सकता है। इसी वर्ष लखनउ में प्रगतिशील लेखक संघ का पहला सम्मेलन हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रेमचंद ने की। इसके बाद साहित्य की विभिन्न विधाओं में मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित रचनाएँ हुई। प्रगतिवादी धारा के साहित्यकारों में नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल, रामविलास शर्मा, नामवर सिंह, आदि प्रमुख हैं। श्रेणी:हिन्दी साहित्य.

नई!!: लखनऊ और हिंदी साहित्य में प्रगतिवाद · और देखें »

हुरूहुरी

हुरुहुरी उत्तरी भारत में जौनपुर जिला का एक गांव है जिसकी आबादी लगभग 2000 है। हुरुहुरी वाराणसी मंडल और जौनपुर जिला प्रशासन के अंतर्गत आता है। यह जौनपुर शहर से 25 किमी पूर्व, और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 274 किमी की दूर पर स्थित है। हुरुहुरी का पोस्टल इंडेक्स नंबर २२२१४२ है शाखा डाकघर जयगोपालगंज तथा उपडाकघर केराकत हैं| यह गांव गोमती नदी से लगभग 2 कम उत्तर दिशा में केराकत तहसील में स्थित है|यह गांव राजमार्ग संख्या ३६ (सैदपुर-खजुरहट सड़क)से लगा हुआ है| .

नई!!: लखनऊ और हुरूहुरी · और देखें »

हुसैनाबाद इमामबाड़ा

हुसैनाबाद इमामबाड़ा, लखनऊलखनऊ में स्थित यह इमामबाड़ा मोहम्मद अली शाह की रचना है जिसका निर्माण १८३७ ई. में किया गया था। इसे छोटा इमामबाड़ा भी कहा जाता है। माना जाता है कि मोहम्मद अली शाह को यहीं दफनाया गया था। इस इमामबाड़े में मोहम्मद अली शाह की बेटी और उसके पति का मकबरा भी बना हुआ है। मुख्य इमामबाड़े की चोटी पर सुनहरा गुम्बद है जिसे अली शाह और उसकी मां का मकबरा समझा जाता है। मकबरे के विपरीत दिशा में सतखंड नामक अधूरा घंटाघर है। १८४० ई० में अली शाह की मृत्यु के बाद इसका निर्माण रोक दिया गया था। उस समय ६७ मीटर ऊँचे इस घंटाघर की चार मंजिल ही बनी थी। मोहर्रम के अवसर पर इस इमामबाड़े की आकर्षक सजावट की जाती है। .

नई!!: लखनऊ और हुसैनाबाद इमामबाड़ा · और देखें »

हॉकी

मेलबर्न विश्वविद्यालय में फील्ड हॉकी का खेल हॉकी एक ऐसा खेल है जिसमें दो टीमें लकड़ी या कठोर धातु या फाईबर से बनी विशेष लाठी (स्टिक) की सहायता से रबर या कठोर प्लास्टिक की गेंद को अपनी विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने की कोशिश करती हैं। हॉकी का प्रारम्भ वर्ष 2010 से 4,000 वर्ष पूर्व मिस्र में हुआ था। इसके बाद बहुत से देशों में इसका आगमन हुआ पर उचित स्थान न मिल सका। भारत में इसका आरम्भ 150 वर्षों से पहले हुआ था। 11 खिलाड़ियों के दो विरोधी दलों के बीच मैदान में खेले जाने वाले इस खेल में प्रत्येक खिलाड़ी मारक बिंदु पर मुड़ी हुई एक छड़ी (स्टिक) का इस्तेमाल एक छोटी व कठोर गेंद को विरोधी दल के गोल में मारने के लिए करता है। बर्फ़ में खेले जाने वाले इसी तरह के एक खेल आईस हॉकी से भिन्नता दर्शाने के लिए इसे मैदानी हॉकी कहते हैं। चारदीवारी में खेली जाने वाली हॉकी, जिसमें एक दल में छह खिलाड़ी होते हैं और छह खिलाड़ी परिवर्तन के लिए रखे जाते हैं। हॉकी के विस्तार का श्रेय, विशेषकर भारत और सुदूर पूर्व में, ब्रिटेन की सेना को है। अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आह्वान के फलस्वरूप 1971 में विश्व कप की शुरुआत हुई। हॉकी की अन्य मुख्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हैं- ओलम्पिक, एशियन कप, एशियाई खेल, यूरोपियन कप और पैन-अमेरिकी खेल। दुनिया में हॉकी निम्न प्रकार से खेली जाती है।.

नई!!: लखनऊ और हॉकी · और देखें »

होम रूल आन्दोलन

अखिल भारतीय होम रूल लीग का ध्वज होम रूल आन्दोलन अखिल भारतीय होम रूल लीग, एक राष्ट्रीय राजनीतिक संगठन था जिसकी स्थापना 1916 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा भारत में स्वशासन के लिए राष्ट्रीय मांग का नेतृत्व करने के लिए "होम रूल" के नाम के साथ की गई थी। भारत को ब्रिटिश राज में एक डोमिनियन का दर्जा प्राप्त करने के लिए ऐसा किया गया था। उस समय ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और न्यूफ़ाउंडलैंड डोमिनियन के रूप में स्थापित थे। प्रथम विश्वयुद्ध की आरम्भ होने पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरमपंथियों ने ब्रिटेन की सहायता करने का निश्चय किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इस निर्णय के पीछे संभवतः ये कारण था कि यदि भारत ब्रिटेन की सहायता करेगा तो युद्ध के पश्चात ब्रिटेन भारत को स्वतंत्र कर देगा। परन्तु शीघ्र ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ये अनुमान हो गया कि ब्रिटेन ऐसा कदापि नहीं करेगा और इसलिए भारतीय नेता असंतुष्ट होकर कोई दूसरा मार्ग खोजने लगे। यही असंतुष्टता ही होम रूल आन्दोलन के जन्म का कारण बनी। 1915 ई. से 1916 ई. के मध्य दो होम रूल लीगों की स्थापना हुई। 'पुणे होम रूल लीग' की स्थापना बाल गंगाधर तिलक ने और 'मद्रास होम रूल लीग' की स्थापना एनी बेसेंट ने की। होम रूल लीग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सहायक संस्था की भांति कार्यरत हो गयी। इस आन्दोलन का उद्देश्य स्व-राज्य की प्राप्ति था परन्तु इस आन्दोलन में शस्त्रों के प्रयोग की अनुमति नहीं थी। होम रूल आन्दोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने 1917 में एक ध्वज बनाया। इस ध्वज पर पांच लाल और चार हरी तिरक्षी पट्टियाँ बनीं थी। सात तारों को भी इस पर अंकित किया गया था, किन्तु यह ध्वज लोगों के बीच ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हुआ। 1920 में, अखिल भारतीय होम रूल लीग ने महात्मा गांधी को इसके अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया। एक वर्ष में ये संगठन एक संयुक्त भारतीय राजनीतिक मोर्चे के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हो गया और इसका स्वयं का अस्तित्व खत्म हो गया। .

नई!!: लखनऊ और होम रूल आन्दोलन · और देखें »

जयपुरिया प्रबंधन संस्थान

जयपुरिया प्रबंधन संस्थान, लखनऊ का एक प्रबंधन संस्थान है। श्रेणी:लखनऊ में शिक्षा.

नई!!: लखनऊ और जयपुरिया प्रबंधन संस्थान · और देखें »

जलालाबाद (शाहजहाँपुर)

जलालाबाद (शाहजहाँपुर) (अंग्रेजी: Jalalabad (Shahjahanpur), उर्दू: جلال آباد (Jalālābād) शाहजहाँपुर जिले का एक प्रमुख ऐतिहासिक नगर है जिसकी देखरेख यहाँ की नगरपालिका करती है। यह नगर भारतवर्ष के राज्य उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत आता है। जलालाबाद सिर्फ़ एक नगर ही नहीं बल्कि शाहजहाँपुर जिले की तहसील भी है। .

नई!!: लखनऊ और जलालाबाद (शाहजहाँपुर) · और देखें »

ज़रदोज़ी

ज़रदोज़ी का काम रेशम पर ज़रदोज़ी फारसी एवं उर्दु: زردوزی) का काम एक प्रकार की कढ़ाई होती ह ऐ, जो भारत एवं पाकिस्तान में प्रचलित है। यह काम भारत में ऋगवेद के समय से प्रचलित है। यह मुगल बादशाह अकबर के समय में और समृद्ध हुई, किंतु बाद में राजसी संरक्षण के अभाव और औद्योगिकरण के दौर में इसका पतन होने लगा। वर्तमान में यह फिर उभरी है। अब यह भारत के लखनऊ, भोपाल और चेन्नई आदि कई शहरों में हो रही है। ज़रदोज़ी का नाम फासरी से आया है, जिसका अर्थ है: सोने की कढ़ाई। .

नई!!: लखनऊ और ज़रदोज़ी · और देखें »

ज़ोया अफ़रोज़

ज़ोया अफ़रोज़ (जन्म: १० जनवरी १९९४) एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं। हम साथ-साथ हैं और 'कुछ ना कहो' जैसी फिल्मों में काम करने वाली जोया ने नौ साल की उम्र में अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। उन्होंने टीवी शो 'सोन परी' में भी काम किया है। .

नई!!: लखनऊ और ज़ोया अफ़रोज़ · और देखें »

जानकीपुरम

जानकीपुरम (उर्दु: گومتی نگر) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का एक आवासीय एवं वाणिज्यिक, संस्थानीय परिसर है। यह लखनऊ के बड़े क्षेत्रों में से एक है। यह तीन भागों में विभाजित है:-.

नई!!: लखनऊ और जानकीपुरम · और देखें »

जामी मस्जिद, लखनऊ

लखनऊ के हुसैनाबाद इमामबाड़े के पश्चिम दिशा में जामी मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण मोहम्मद शाह ने शुरू किया था लेकिन 1840 ई. में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने इसे पूरा करवाया। जामी मस्जिद लखनऊ की सबसे बड़ी मस्जिद है। मस्जिद की छत के अंदरुनी हिस्‍से में खूबसूरत चित्रकारी देखी जा सकती है। प्रार्थना के लिए गैर मुस्लिमों का मस्जिद में प्रवेश वर्जित है। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और जामी मस्जिद, लखनऊ · और देखें »

जाजमऊ

जाजमऊ कानपुर के निकट एक उप-महानगर है। यह गंगा नदी तट पर स्थित है। जाजमऊ एक औद्योगिक उपनगर है। यह सबसे पुराना क्षेत्र में बसे जगह के रूप में माना जाता है। मुख्य उद्योग चमड़ा उद्योग है। यह सबसे बड़ा चमड़ा उत्पादक नगर है। इस कारण इसे कानपुर का चमड़ा नगर कहा जाता है। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा की गयी खुदाई में १२००-१३०० शताब्दी के बर्तन, कलाकृतिया भी मिली है। इन्हें वर्तमान में कानपुर संग्रहालय में रखा गया है। .

नई!!: लखनऊ और जाजमऊ · और देखें »

जवाहर नवोदय विद्यालय

जवाहर नवोदय विद्यालय जवाहर नवोदय विद्यालय अथवा नवोदय विद्यालय भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जाने वाली पूरी तरह से आवासीय, सह शिक्षा, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली से संबद्ध शिक्षण परियोजना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति - १९८६ के अन्तर्गत ऐसे आवासीय विद्यालयों की कल्पना की गई जिन्हें जवाहर नवोदय विद्यालय का नाम दिया गया, जो सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे लाने का उत्तम प्रयास है। इस परीयोजना का प्रमुख लक्ष्य गांव-गांव तक उत्तम शिक्षा पहुचाना है। ये विद्यालय पूर्णतः आवासीय एवं निःशुल्क विद्यालय होते हैं जहाँ विद्यार्थियों को नि:शुल्क आवास, भोजन, शिक्षा एवं खेलकूद सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। हर जिले में एक नवोदय विद्यालय होता है। .

नई!!: लखनऊ और जवाहर नवोदय विद्यालय · और देखें »

जगत नारायण मुल्ला

सरकारी वकील जगतनारायण 'मुल्ला' पंडित जगत नारायण मुल्ला (जन्म- 14 दिसम्बर 1864 ई., कश्मीर; मृत्यु- 11 दिसम्बर 1938 ई.) अपने समय में उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध वकील और सरकारी अभियोजक थे। 'मुल्ला' उनका उपनाम था। वें 3 वर्ष तक लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे। रिश्ते में जगत नारायण मुल्ला पंडित जवाहर लाल नेहरु के साले थे। .

नई!!: लखनऊ और जगत नारायण मुल्ला · और देखें »

जङ्गबहादुर राणा

महाराजा जंगबहादुर कुंवर राणाजी (1816-1877; जङ्गबहादुर राणा) जो जंगबहादुर राणा के नाम से प्रसिद्ध हैं, नेपाल के पहले राणा प्रधानमन्त्री तथा राणा राजवंश के संस्थापक थे। उनका वास्तविक नाम वीर नरसिंह कुँवर था। इनके शासनकाल में नेपाल ने अंग्रजो से लड़ाई में खोया हुआ जमीन का कुछ हिस्सा (बांके, बर्दिया, कैलाली, कंचनपुर) वापस हासिल किया। जंगबहादुर राणा के जन्म क्षत्रिय कुंवर भारदार परिवार के काजी बालनरसिंह कुँवर और थापा वंशके गणेश कुमारी के पुत्र के रूपमें हुआ । वे नेपाल के प्रसिद्ध मुख्तियार (प्रधानमंत्री) भीमसेन थापा के सहोदर भाइ काजी नैनसिंह थापा के भ्रातृपौत्र थे। उनकी नानी रणकुमारी पांडे नेपालके प्रसिद्ध भारदार पाँडे वंश के काजी रणजीत पांडे के पुत्री हैं । ये अपने पूर्वजों की अपेक्षा स्थायी शासन की स्थापना करने में सफल रहे। इन्हें अपने मामा माथवरसिंह थापा के मंत्रित्वकाल में सेनाध्यक्ष तथा प्रधानमंत्री का पद सौंपा गया किंतु शीघ्र ही उन्होंने रानी राज्य लक्ष्मी के आदेश में मामा माथवरसिंहकी छलपूर्वक हत्या कर दी और चौतारिया फत्तेजंग शाह ने नया मंत्रिमंडल बनाया । इस नए मंत्रिमंडल में इन्हें सैन्य विभाग सौंपा गया। दूसरे वर्ष 1846 ई. में शासन में एक संघर्ष छिड़ा। फलस्वरूप फतेहजंग और उनके साथ के 32 अन्य प्रधान व्यक्तियों की कुटिलतापूर्वक हत्या कर दी गई। महारानी द्वारा राणा की नियुक्ति सीधे प्रधान मंत्री पद पर की गई। शीघ्र ही महारानी का विचार परिवर्तित हुआ और उनकी हत्या के षड्यंत्र भी रचे गए। परंतु रानी की योजना असफल रही। फलत: राजा और रानी दोनों को ही भारत में शरण लेनी पड़ी। अब राणा के मार्ग से सारी बाधाएँ परे हट चुकी थीं। शासन को व्यवस्थित और नियंत्रित करने में इन्हें पूर्ण सफलता मिली। यहाँ तक कि जनवरी, 1850 में वे निश्चिंत होकर इंग्लैंड गए और 6 फ़रवरी 1851 तक वहीं रहे। लौटने पर इन्होंने अपने विरुद्ध रची गई हत्या की कुटिल योजनाओं को पूर्णत: विफल कर दिया। इसके बाद आप दंडसंहिता के सुधार कार्यों में तथा तिब्बत के साथ होनेवाले छिटपुट संघर्षों में उलझे रहे। इसी बीच उन्हें भारतीय सिपाही विद्रोह की सूचना मिली। राणा ने विद्रोहियों से किसी प्रकार की बातचीत का विरोध किया और जुलाई, 1857 को सेना की एक टुकड़ी गोरखपुर भेजी। यही नहीं, दिसंबर में इन्होंने 14,000 गोरखा सिपाहियों की एक सेना लखनऊ की ओर भी भेजी थी जिसने 11 मार्च 1858 को लखनऊ की घेरेबंदी में सहयोग दिया। जंगबहादुर राणा को इस कार्य के लिए जी.बी.सी.

नई!!: लखनऊ और जङ्गबहादुर राणा · और देखें »

जौनपुर

जौनपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर है। मध्यकालीन भारत में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर वाराणसी से 58 किलोमीटर और इलाहाबाद से 100 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में गोमती नदी के तट पर बसा है। मध्यकालीन भारत में जौनपुर सल्तनत (1394 और 1479 के बीच) उत्तरी भारत का एक स्वतंत्र राज्य था I वर्तमान राज्य उत्तर प्रदेश जौनपुर सल्तनत के अंतर्गत आता था, जिसपर शर्की शासक जौनपुर से शासन करते थे I .

नई!!: लखनऊ और जौनपुर · और देखें »

जेट कनेक्ट

जेट कनेक्ट के रूप में संचालित जेटलाइट (पूर्व नाम: एयर सहारा) मुंबई, भारत में आधारित एक वायुसेवा थी। रीडिफ.कॉम, 16 अप्रैल 2007 इसे पहले जेट एयर वेज़ कनेक्ट के नाम से जाना जाता था, जेट लाईट इंडिया लिमिटेड का एक व्यावसायिक नाम है। यह मुंबई में स्थित एक विमानन सेवा है जिस पर की जेट एयरवेज का मालिकाना हक़ है। यह विमान सेवा भारत के सभी मेट्रोपोल शहरों को जोड़ने के लिए नियमित उड़ान सेवाएँ प्रदान करती है। .

नई!!: लखनऊ और जेट कनेक्ट · और देखें »

जेम्स जॉर्ज स्मिथ नील

जेम्स जॉर्ज स्मिथ नील (अंग्रेजी:James George Smith Neill) (२७ मई १८१० – २५ सितम्बर १८५७)Dictionary of Indian Biography p314 स्कॉटलैंड के मूल निवासी व ब्रिटिश भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के सैन्य अधिकारी थे। इन्होंने १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कार्य किया था।. .

नई!!: लखनऊ और जेम्स जॉर्ज स्मिथ नील · और देखें »

जोधपुर

जोधपुर भारत के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। इसकी जनसंख्या १० लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा "महानगर " घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े मारवाड़ की इसी नाम की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे "सूर्य नगरी" भी कहा जाता है। यहां स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे "नीली नगरी" के नाम से भी जाना जाता था। यहां के पुराने शहर का अधिकांश भाग इस दुर्ग को घेरे हुए बसा है, जिसकी प्रहरी दीवार में कई द्वार बने हुए हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस दीवार के बाहर भी नगर का वृहत प्रसार हुआ है। जोधपुर की भौगोलिक स्थिति राजस्थान के भौगोलिक केन्द्र के निकट ही है, जिसके कारण ये नगर पर्यटकों के लिये राज्य भर में भ्रमण के लिये उपयुक्त आधार केन्द्र का कार्य करता है। वर्ष २०१४ के विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाया था। एक तमिल फ़िल्म, आई, जो कि अब तक की भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फ़िल्मशोगी, की शूटिंग भी यहां हुई थी। .

नई!!: लखनऊ और जोधपुर · और देखें »

जोश मलिहाबादी

जोश मलिह्बादी (جوش ملیح آبادی) (जन्म नाम शब्बीर हसन खां) (५ दिसंबर, १८९८ – २२ फरवरी, १९८२)लखनऊ से उर्दु के प्रख्यात शायर रहे हैं। उनको साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण से १९५४ में सम्मानित किया गया। श्रेणी:शायर श्रेणी:लखनऊ के लोग श्रेणी:१९५४ पद्म भूषण.

नई!!: लखनऊ और जोश मलिहाबादी · और देखें »

ई आर ए लखनऊ आयुर्विज्ञान महाविद्यालय

ई आर ए लखनऊ आयुर्विज्ञान महाविद्यालय लखनऊ का एक आयुर्विज्ञान संस्थान है। श्रेणी:चिकित्सा श्रेणी:लखनऊ के शिक्षण संस्थान.

नई!!: लखनऊ और ई आर ए लखनऊ आयुर्विज्ञान महाविद्यालय · और देखें »

घंटाघर, लखनऊ

लखनऊ का घंटाघर भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है। यह घंटाघर १८८७ ई. में बनवाया गया था। इसे ब्रिटिश वास्तुकला के सबसे बेहतरीन नमूनों में माना जाता है। २२१ फीट ऊंचे इस घंटाघर का निर्माण नवाब नसीरूद्दीन हैदर ने सर जार्ज कूपर के आगमन पर करवाया था। वे संयुक्त अवध प्रान्त के प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल श्रेणी:घंटाघर.

नई!!: लखनऊ और घंटाघर, लखनऊ · और देखें »

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ, या जैविक पदार्थ के वातावरण में, मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग.

नई!!: लखनऊ और वायु प्रदूषण · और देखें »

वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

नई!!: लखनऊ और वाराणसी · और देखें »

वाराणसी में शिक्षण संस्थाओं की सूची

निम्नलिखित वाराणसी में शिक्षण संस्थाओं की एक सूची है। वाराणसी उत्तर प्रदेश, राज्य की राजधानी लखनऊ के 320 किलोमीटर (199 मील) दक्षिण पूर्व के भारतीय राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक शहर है। .

नई!!: लखनऊ और वाराणसी में शिक्षण संस्थाओं की सूची · और देखें »

वासुदेव शरण अग्रवाल

वासुदेव शरण अग्रवाल (1904 - 1966) भारत के इतिहास, संस्कृति, कला एवं साहित्य के विद्वान थे। वे साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी गद्यकार हैं। .

नई!!: लखनऊ और वासुदेव शरण अग्रवाल · और देखें »

वाजिद अली शाह

वाजिद अली शाह लखनऊ और अवध के नवाब रहे। ये अमजद अली शाह के पुत्र थे। इनके बेटे बिरजिस क़द्र अवध के अंतिम नवाब थे। संगीत की दुनिया में नवाब वाजिद अली शाह का नाम अविस्मरणीय है। ये 'ठुमरी' इस संगीत विधा के जन्मदाता के रूप में जाने जाते हैं। इनके दरबार में हर दिन संगीत का जलसा हुआ करता था। इनके समय में ठुमरी को कत्थक नृत्य के साथ गाया जाता था। इन्होने कई बेहतरीन ठुमरियां रची। कहा जाता है कि जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया और नवाब वाजिद अली शाह को देश निकाला दे दिया, तब उन्होने 'बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय्' यह प्रसिध्ह ठुमरी गाते हुए अपनी रैयत से अलविदा कहा। .

नई!!: लखनऊ और वाजिद अली शाह · और देखें »

विधान सभा

विधान सभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन(द्विसदनीय राज्यों में) या सोल हाउस (एक सदनीय राज्यों में) भी कहा जाता है। दिल्ली व पुडुचेरी नामक दो केंद्र शासित राज्यों में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है। 7 द्विसदनीय राज्यों में ऊपरी सदन को विधान परिषद कहा जाता है। विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है। इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते। हालाँकि विधान सभा का आकार 60 सदस्यों से कम हो सकता है संसद के एक अधिनियम के द्वारा: जैसे गोवा, सिक्किम, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी। कुछ राज्यों में राज्यपाल 1 सदस्य को अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कर सकता है, उदा० ऐंग्लो इंडियन समुदाय अगर उसे लगता है कि सदन में अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राज्यपाल के द्वारा चुने गए या नियुक्त को विधान सभा सदस्य या MLA कहा जाता है। प्रत्येक विधान सभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है जिसके बाद पुनः चुनाव होता है। आपातकाल के दौरान, इसके सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है। विधान सभा का एक सत्र वैसे तो पाँच वर्षों का होता है पर लेकिन मुख्यमंत्री के अनुरोध पर राज्यपाल द्वारा इसे पाँच साल से पहले भी भंग किया जा सकता है। विधानसभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है लेकिन एक समय में केवल छः महीनों के लिए। विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है। .

नई!!: लखनऊ और विधान सभा · और देखें »

विनय कटियार

विनय कटियार (जन्म: ११ नवम्बर १९५४, कानपुर) भारतीय राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के एक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है। .

नई!!: लखनऊ और विनय कटियार · और देखें »

विमानक्षेत्रों की सूची ICAO कोड अनुसार: V

प्रविष्टियों का प्रारूप है.

नई!!: लखनऊ और विमानक्षेत्रों की सूची ICAO कोड अनुसार: V · और देखें »

विश्व भारती पुरस्कार

विश्व भारती पुरस्कार उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान,लखनऊ,भारत के द्वारा दिया जाने वाला सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार है। यह पुरस्कार संस्कृत,पाली एवम प्राकृत भाषाओं में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। .

नई!!: लखनऊ और विश्व भारती पुरस्कार · और देखें »

विश्व संवाद केन्द्र

विश्व संवाद केन्द्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, (आरएसएस) का आधिकारिक मीडिया केंद्र है। इसका प्रधान कार्यालय बेंगलूर में है। विश्व संचार केंद्र मीडिया के क्षेत्र में काम कर रहा एक माध्यम है जो दोनों प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक शामिल-संबंधित बहुआयामी गतिविधियों के क्षेत्र में काम करता है। समेकित घटनाओं का विश्लेषण, सामाजिक नेताओं और विचारकों की साक्षात्कार, प्रतिष्ठित स्तंभ लेखकों द्वारा लेख प्रस्तुत करने, युवा पत्रकारों के लिए पुनर्रचना कार्यक्रम आयोजित करने, संगोष्ठियों का आयोजन करने और समाचारों को प्रसारित करने के अलावा, संपादक की मेल के लिए पत्र लिखने की कला में दिलचस्पी रखने वालों और टीवी दर्शकों के मंच बनाने में आपकी जानकारी के लिए कुछ गतिविधियों का उल्लेख करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना है । .

नई!!: लखनऊ और विश्व संवाद केन्द्र · और देखें »

विश्व हास्य दिवस

विश्व हास्य दिवस का चिह्न विश्व हास्य दिवस विश्व भर में मई महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है। इसका विश्व दिवस के रूप में प्रथम आयोजन ११ जनवरी, १९९८ को मुंबई में किया गया था। विश्व हास्य योग आंदोलन की स्थापना का श्रेय डॉ मदन कटारिया को जाता है।, अभिगमन तिथि:११ अगस्त, २००९ १ मई याहू जागरण हास्य योग के अनुसार, हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपर्ण बनाने के सभी तत्व उपस्थित रहते हैं। विश्व हास्य दिवस का आरंभ संसार में शांति की स्थापना और मानवमात्र में भाईचारे और सदभाव के उद्देश्य से हुई। विश्व हास्य दिवस की लोकप्रियता हास्य योग आंदोलन के माध्यम से पूरी दुनिया में फैल गई। आज पूरे विश्व में छह हजार से भी अधिक हास्य क्लब हैं। --> इस मौके पर विश्व के बहुत से शहरों में रैलियां, गोष्ठियां एवं सम्मेलन आयोजित किये जाते हैं। .

नई!!: लखनऊ और विश्व हास्य दिवस · और देखें »

विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान, भवन, प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं। .

नई!!: लखनऊ और विश्वविद्यालय · और देखें »

विष्णु नारायण भातखंडे

पंडित विष्णु नारायण भातखंडे (१० अगस्त, 1860 – १९ सितंबर, १९३६) हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विद्वान थे। आधुनिक भारत में शास्त्रीय संगीत के पुनर्जागरण के अग्रदूत हैं जिन्होंने शास्त्रिए संगीत के विकास के लिए भातखंडे संगीत-शास्त्र की रचना की तथा कई संस्थाएँ तथा शिक्षा केन्द्र स्थापित किए। इन्होंने इस संगीत पर प्रथम आधुनिक टीका लिखी थी। उन्होने संगीतशास्त्र पर "हिंदुस्तानी संगीत पद्धति" नामक चार भागों में प्रकाशित किया और ध्रुपद, धमार, तथा ख्यात का संग्रह करके "हिंदुस्तानी संगीत क्रमीक" नामक ग्रंथ के छह भाग .

नई!!: लखनऊ और विष्णु नारायण भातखंडे · और देखें »

वक़ार अहमद शाह

वक़ार अहमद शाह,भारत के उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे। 2012 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की बहराइच विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-286)से चुनाव जीता। डॉक्टर वक़ार अहमद शाह का जन्म 06 जुलाई 1943 में मुहल्ला क़ाज़ीपुरा शहर बहराइच में शहर के एक प्रसिद्ध परिवार में हुई थी । आपके पिता का नाम ख़्वाजा क़मरउद्दीन था। .

नई!!: लखनऊ और वक़ार अहमद शाह · और देखें »

व्यपगत का सिद्धान्त

व्यपगत का सिद्धान्त या हड़प नीति (अँग्रेजी: The Doctrine of Lapse, 1848-1856) भारतीय इतिहास में हिन्दू भारतीय राज्यों के उत्तराधिकार संबंधी प्रश्नों से निपटने के लिए ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी द्वारा 1848 में तैयार किया गया नुस्खा था। यह परमसत्ता के सिद्धान्त का उपसिद्धांत था, जिसके द्वारा ग्रेट ब्रिटेन ने भारतीय उपमहाद्वीप के शासक के रूप में अधीनस्थ भारतीय राज्यों के संचालन तथा उनकी उत्तराधिकार के व्यवस्थापन का दावा किया।John Keay,India: A History.

नई!!: लखनऊ और व्यपगत का सिद्धान्त · और देखें »

वैशाली

वैशाली बिहार प्रान्त के वैशाली जिला में स्थित एक गाँव है। ऐतिहासिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध यह गाँव मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली के जिला बनने पर इसका मुख्यालय हाजीपुर बनाया गया। वज्जिका यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए वैशाली एक पवित्र स्थल है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ, यह उनकी कर्म भूमि भी थी। महात्मा बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। अतिमहत्त्वपूर्ण बौद्ध एवं जैन स्थल होने के अलावा यह जगह पौराणिक हिन्दू तीर्थ एवं पाटलीपुत्र जैसे ऐतिहासिक स्थल के निकट है। मशहूर राजनर्तकी और नगरवधू आम्रपाली भी यहीं की थी| आज वैशाली पर्यटकों के लिए भी बहुत ही लोकप्रिय स्थान है। वैशाली में आज दूसरे देशों के कई मंदिर भी बने हुए हैं। .

नई!!: लखनऊ और वैशाली · और देखें »

वैशाली जिला

वैशाली (Vaishali) बिहार प्रान्त के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली एक अलग जिला बना। वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर में है। बज्जिका तथा हिन्दी यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। वैशाली जिला भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र नगरी है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ। भगवान बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। ऐतिहासिक महत्त्व के होने के अलावे आज यह जिला राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। .

नई!!: लखनऊ और वैशाली जिला · और देखें »

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद भारत का सबसे बड़ा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान एवं विकास संबंधी संस्थान है। इसकी स्थापना १९४२ में हुई थी। इसकी ३९ प्रयोगशालाएं एवं ५० फील्ड स्टेशन भारत पर्यन्त फैले हुए हैं। इसमें १७,००० से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। आधिकारिक जालस्थल हालांकि इसकी वित्त प्रबंध भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा होता है, फिर भी ये एक स्वायत्त संस्था है। इसका पंजीकरण भारतीय सोसायटी पंजीकरण धारा १८६० के अंतर्गत हुआ है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं/संस्थानों का एक बहुस्थानिक नेटवर्क है जिसका मैंडेट विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयुक्त अनुसंधान तथा उसके परिणामों के उपयोग पर बल देते हुए अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं प्रारंभ करना है। वतर्मान में ३९ अनुसंधान संस्थान हैं जिनमें पाँच क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाएं शामिल हैं। इनमें से कुछेक संस्थानों ने अपने अनुसंधान क्रियाकलापों को और गति प्रदान करने के लिए प्रायोगिक, सर्वेक्षण क्षेत्रीय केन्द्रों की भी स्थापना की है तथा वतर्मान में 16 प्रयोगशालाओं से सम्बद्ध ऐसे 39 केन्द्र कायर्रत हैं। सीएसआईआर की गिनती विश्‍व में इस प्रकार के 2740 संस्‍थानों में 81वें स्‍थान पर होती है।(सितंबर २०१४) .

नई!!: लखनऊ और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद · और देखें »

वीणा टंडन

वीणा टंडन एक भारतीय परजीव विज्ञानी,शैक्षिक एवं बायोटेक पार्क,लखनऊ में एक नासी वरिष्ठ वैज्ञानिक है। वह नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी में जूलॉजी की भूतपूर्व प्रोफेसर है एवं पूर्व भारत में पेट के परजीवी से जुड़ी जानकारी का डेटाबेस जुटाने में मुख्य रूप से कार्यरत है।  उन्हें उनके कीड़ा संक्रमण पर शोध के लिए जाना है जोकि भोजन के लिए मुल्यवान जानवरों को प्रभावित करते हैं। वह दो पुस्तकों की लेखिका हैं और परजीवी विज्ञान पर उनके काफी लेख है। भारत सरकार ने विज्ञान में योगदान के लिए उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री, से २०१६ में सम्मानित किया। .

नई!!: लखनऊ और वीणा टंडन · और देखें »

खड़ीबोली

खड़ी बोली वह बोली है जिसपर ब्रजभाषा या अवधी आदि की छाप न हो। ठेंठ हिंदी। आज की राष्ट्रभाषा हिंदी का पूर्व रूप। इसका इतिहास शताब्दियों से चला आ रहा है। यह परिनिष्ठित पश्चिमी हिंदी का एक रूप है। .

नई!!: लखनऊ और खड़ीबोली · और देखें »

खड्गविलास प्रेस

खड्गविलास छापाखाना, पटना का प्रसिद्ध प्रेस था। उन्नीसवीं सदी के उतरार्ध में पटना का वह प्रेस बिहार का गौरव था। उस प्रेस और प्रकाशन संस्था पर शोध करके डाक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाले डॉ॰ धीरेंद्र नाथ सिंह लिखते हैं, ‘आधुनिक हिंदी साहित्य को उजागर करने में इस प्रेस के योगदान का ऐतिहासिक मूल्य है।’ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा विरचित नाटक सत्य हरिश्चन्द्र इसी प्रेस से छपा था। इसी नाटक को पढ़कर गांधीजी के जीवन में निर्णायक मोड़ आया था। अब वह प्रेस तो नहीं है, पर आधुनिक हिंदी को उस प्रेस का योगदान अद्भुत है। उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी महाराजकुमार राम दीन सिंह ने सन् 1880 में पटना के बांकीपुर में खड्ग विलास प्रेस की स्थापना की थी। उन्होंने अपना जीवन शिक्षक के रूप में आरम्भ किया था तथा पाठ्य पुस्तकों और हिंदी पुस्तकों के अभाव ने उन्हें प्रकाशन व्यवसाय के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने स्वयं पाठ्य पुस्तकें तैयार कीं और अन्य लोगों से पुस्तकें लिखवाईं। इन कृतियों का प्रकाशन खड्ग विलास प्रेस ने किया। भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र और उनके युग के लेखक यदि आधुनिक हिंदी साहित्य के निर्माता हैं तो निश्चय ही खड्ग विलास प्रेस और उसके संस्थापक को उनका एकमात्र प्रकाशक माना जाना उचित होगा। यदि महाराज कुमार राम दीन सिंह का सद्भाव और सहयोग न मिला होता तो भारतेंदु हरिश्चंद्र और उनके समकालीन साहित्यकारों को अपनी रचनाओं के व्यवस्थित प्रकाशन का इतना अच्छा सुयोग नहीं मिला होता।’ ‘इस प्रकाशन संस्थान ने भारतेंदु हरिश्चंद्र, पंडित प्रताप नारायण मिश्र, पंडित अम्बिका दत्त व्यास, पंडित शीतला प्रसाद त्रिपाठी, भारतीय सिविल सेवा में हिंदी के प्रतिष्ठापक फ्रेडरिक पिंकाट, आधुनिक हिंदी खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्य प्रियप्रवास के प्रणेता पंडित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔंध’, पंडित दामोदर शास्त्री सप्रे, लाल खड्ग बहादुर मल्ल, शिव नंदन सहाय प्रभृति साहित्यकारों को प्रकाशकीय संरक्षण प्रदान किया और उनकी कृतियों के प्रकाशन पर मुक्तहस्त से व्यय किया।’ ‘हिंदी भाषी प्रदेशों में सबसे पहले बिहार प्रदेश में सन् 1835 में हिंदी आंदोलन शुरू हुआ था। इस अनवरत प्रयास के फलस्वरूप सन् 1875 में बिहार में कचहरियों और स्कूलों में हिंदी प्रतिष्ठित हुई, किंतु पाठ्य पुस्तकों का सर्वथा अभाव था। खड्ग विलास प्रेस ने विभिन्न विषयों में पाठ्य पुस्तकें तैयार करा कर इनका प्रकाशन किया। साहब प्रसाद सिंह, उमानाथ मिश्र, चण्डी प्रसाद सिंह, काली प्रसाद मिश्र, प्रेमन पांडेय प्रभृति लेखकों ने इस दिशा में सक्रिय रूप से सहयोग किया था। साहब प्रसाद सिंह की ‘भाषा सार’ नामक पुस्तक सन् 1884 से 1936 तक बिहार के स्कूलों और कालेजों में पढाई जाती रही। राम दीन सिंह का बचपन पटना जिले के तारणपुर गांव में बीता जहां उनके मामा का घर था। राम दीन सिंह के पुत्र सारंगधर सिंह भी एक बुद्धिजीवी राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे सन् 1937 में डॉ॰ श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में बने मंत्रिमंडल में संसदीय सचिव थे। बाद में वे बिहार से संविधान सभा के सदस्य बने। उन्होंने 1952 से 1962 तक पटना को लोक सभा में प्रतिनिधित्व किया। .

नई!!: लखनऊ और खड्गविलास प्रेस · और देखें »

ख़ान मोहम्मद आतिफ़

ख़ान मोहम्मद आतिफ़ उत्तर प्रदेश की  विधानसभा में सभा रहे। 1977 उत्तर प्रदेश सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला के बहराइच (विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र) से जनता पार्टी से चुनाव में हिस्सा लिया था। .

नई!!: लखनऊ और ख़ान मोहम्मद आतिफ़ · और देखें »

ग़रारा

लखनवी शादी ग़रारा उत्तरी भारत के हिन्दी बोलने वाले क्षेत्रों की मुसलमान औरतों द्वारा पहना जाने वाला एक रिवायती लखनवी लिबास है। यह लिबास कुर्ती, दुपट्टा और चौड़े पैंटों से बना हुआ है। घुटने के क्षेत्र, जिसे गोटा कहा जाता है, अक्सर ज़री और ज़रदोज़ी की कढ़ाई से सजाया जाता है। रिवायती ग़राराओं का प्रत्येक चरण 12 मीटर से अधिक कपड़ों, अक्सर रेशम ब्रोकैड, से बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के नवाबों के ज़माने में ग़रारों की व्युत्पत्ति हुई। 19वीं सदी के उत्तरार्ध और 20वीं सदी की शुरुआत में, ग़रारा लिबास हिन्दी-उर्दू बोलने वाले क्षेत्रों की मुसलमान औरतों के दरम्यान रोज़मर्रा का लिबास था। हालांकि अब ये रोज़मर्रा पहनावे के रूप में नहीं पहने जाते हैं, फिर भी ये हिन्दी-उर्दू बोलने वाले क्षेत्रों की मुसलमान औरतों और पाकिस्तान और बांग्लादेश में उर्दू-भाषी आप्रवासियों के दरम्यान शादी के लिबास के रूप में लोकप्रिय हैं। .

नई!!: लखनऊ और ग़रारा · और देखें »

गुरू गोविन्द सिंह स्पोर्टस कालेज, लखनऊ

गुरू गोविन्द सिंह स्पोर्टस कालेज, लखनऊ की स्थापना उत्तर प्रदेश शासन द्वारा लखनऊ में प्रदेश के पहले स्पोर्ट्स कॉलेज के रूप में की गयी थी। आवासीय संस्था होने के कारण इसका समस्त भार शासन द्वारा वहन किया जाता है। इस कालेज में फुटबाल, हाकी, कुश्ती, एथलेटिक्स, बैडमिन्टन, तैराकी, एवं कबड्डी खेलों में प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम में कक्षा 6 से 12 तक शिक्षण की व्यवस्था की गयी है। स्पोर्टस कालेज में कुल 345 प्रशिक्षार्थियों की संख्या निर्धारित है। श्रेणी:भारत के खेल महाविद्यालय.

नई!!: लखनऊ और गुरू गोविन्द सिंह स्पोर्टस कालेज, लखनऊ · और देखें »

गुलाब सिंह लोधी

गुलाब सिंह लोधी (1903 - 23 अगस्त, 1935) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम भारत के स्वतन्त्रता सेनानी थे जिन्होने अपने प्राणों की बाजी अपनी भारत माँ को आजादी दिलाने के लिए लगा दी। लखनऊ के अमीनाबाद पार्क में झण्डा सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान झण्डा फहराने के दौरान अंग्रेजी पुलिस ने उन पर गोली चला दी और वे शहीद हो गये। गुलाब सिंह लोधी का जन्म एक किसान परिवार में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के ग्राम चन्दीकाखेड़ा (फतेहपुर चैरासी) के लोधी परिवार में सन् 1903 में श्रीराम रतनसिंह लोधी के यहां हुआ था। झण्डा सत्याग्रह आन्दोलन में भाग लेने उन्नाव जिले के कई सत्याग्रही जत्थे गये थे, परन्तु सिपाहियों ने उन्हें खदेड दिया और ये जत्थे तिरंगा झंडा फहराने में कामयाब नहीं हो सके। इन्हीं सत्याग्रही जत्थों में शामिल वीर गुलाब सिंह लोधी किसी तरह फौजी सिपाहियों की टुकडि़यों के घेरे की नजर से बचकर अमीनाबाद पार्क में घुस गये और चुपचाप वहां खड़े एक पेड़ पर चढ़ने में सफल हो गये। क्रांतिवीर गुलाब सिंह लोधी के हाथ में डंडा जैसा बैलों को हांकने वाला पैना था। उसी पैना में तिरंगा झंडा लगा लिया, जिसे उन्होंने अपने कपड़ों में छिपाकर रख लिया था। जैसे ही क्रांतिवीर गुलाब सिंह फहरा दिया और जोर-जोर से नारे लगाने लगे तिरंगे झंडे की जय महात्मा गांधी की जय, भारत माता की जय। अमीनाबाद पार्क के अन्दर पर तिरंगे झंडे को फहरते देखकर पार्क के चारों ओर एकत्र हजारों लोग एक साथ गरज उठे और तिरंगे झंडे की जय, महात्मा गांधी की जय, भारत माता की जय और इन गगनभेदी नारों से पार्क गूंज उठा। झंडा सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान भारत की हर गली और गांव शहर में सत्याग्रहियों के जत्थे आजादी का अलख जगाते धूम रहे थे। झंडा गीत गाकर, झंडा ऊंचा रहे हमारा, विजय विश्व तिरंगा प्यारा, इसकी शान न जाने पावे, चाहे जान भले ही जाये, देश के कोटि कोटि लोग तिरंगे झंडे की शान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए दीवाने हो उठे थे। समय का चक्र देखिए कि क्रांतिवीर गुलाब सिंह लोधी के झंडा फहराते ही सिपाहियों की आंख फिरी और अंग्रेजी साहब का हुकुम हुआ, गोली चलाओ, कई बन्दूकें एक साथ ऊपर उठी और धांय-धांय कर फायर होने लगे, गोलियां क्रांतिवीर सत्याग्रही गुलाब सिंह लोधी को जा लगी। जिसके फलस्वरूप वह घायल होकर पेड़ से जमीन पर गिर पड़े। रक्त रंजित वह वीर धरती पर ऐसे पड़े थे, मानो वह भारत माता की गोद में सो गये हों। इस प्रकार वह आजादी की बलिवेदी पर अपने प्राणों को न्यौछावर कर 23 अगस्त 1935 को शहीद हो गये। क्रांतिवीर गुलाब सिंह लोधी के तिरंगा फहराने की इस क्रांतिकारी घटना के बाद ही अमीनाबाद पार्क को लोग झंडा वाला पार्क के नाम से पुकारने लगे और वह आजादी के आन्दोलन के दौरान राष्ट्रीय नेताओं की सभाओं का प्रमुख केन्द्र बन गया, जो आज शहीद गुलाब सिंह लोधी के बलिदान के स्मारक के रूप में हमारे सामने है। मानो वह आजादी के आन्दोलन की रोमांचकारी कहानी कह रहा है। क्रांतिवीर गुलाब सिंह लोधी ने जिस प्रकार अदम्य साहस का परिचय दिया और अंग्रेज सिपाहियों की आँख में धूल झोंककर बड़ी चतुराई तथा दूरदर्शिता के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। ऐसे उदाहरण इतिहास में बिरले ही मिलते है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय अग्रणी भूमिका निभाने के लिए उनकी याद में केंद्र सरकार द्वारा जनपद उन्नाव जनपद में 23 दिसंबर 2013 को डाक टिकट जारी किया गया। .

नई!!: लखनऊ और गुलाब सिंह लोधी · और देखें »

ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त

ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त लखनऊ के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाला एक बैंक है। इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा १ अप्रैल २०१३ को हुई जब 'आर्यावर्त क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक' तथा 'श्रेयस ग्रामीण बैंक' का विलय करने इस बैंक का निर्माण किया गया। सम्प्रति इस बैंक की 704 शाखाएँ तथा ११ क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो लखनौउ के आसपास हैं। यह बैंक बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा प्रायोजित है तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम १९७६ के अधीन कार्य करता है। .

नई!!: लखनऊ और ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त · और देखें »

गौतम तिवारी

गौतम तिवारी (अंग्रेजी: Gautam Tewari) भारतीय चित्रकला शैली के प्रसिद्द चित्रकार, लेखक, समीक्षक तथा टीकाकार है। इनका जन्म १ जून १९४२ को कानपुर में हुआ। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, पुरातत्त्व तथा हिन्दी भाषा में बी ए की डिग्री प्राप्त की तथा फाइन आर्ट्स में शासकीय कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ से डिप्लोमा किया। श्रेणी:लखनऊ के लोग श्रेणी:भारतीय चित्रकार.

नई!!: लखनऊ और गौतम तिवारी · और देखें »

गोएयर

गो-एयर(GoAir) भारत की कम कीमत वाली विमान सेवा है। मई २०१३ के शेयर गणना के अनुसार यह भारत की पांचवी सबसे बड़ी विमानन सेवा है। इस सेवा का प्रारंभ नवम्बर २००५ से शुरू हुआ। यह २१ शहरों में दिन भर की १०० तथा सप्ताह की ७५० उड़ानों द्वारा घरेलू विमानन सेवा प्रदान करता है। इस पर वाडिया समूह का स्वामित्व है। .

नई!!: लखनऊ और गोएयर · और देखें »

गोपाल चतुर्वेदी

गोपाल चतुर्वेदी (१५ अगस्त १९४२) हिंदी के एक लेखक और व्यंग्यकार हैं। वे भारतीय रेल सेवा के अधिकारी भी रह चुके हैं और वर्तमान में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। चतुर्वेदी की रचनायें प्रतिष्ठित प्रकाशनों द्वारा छापी गयी हैं और उनके लेख, व्यंग्य और अन्य रचनायें कई पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही हैं। चतुर्वेदी को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "यश भारती" और केन्द्रीय हिंदी संस्थान द्वारा "सुब्रमण्यम भारती पुरस्कार" से सम्मानित किया जा चुका है। .

नई!!: लखनऊ और गोपाल चतुर्वेदी · और देखें »

गोपाल बाबू गोस्वामी

गोपाल बाबू गोस्वामी (1941 - 1996) उत्तराखण्ड राज्य के एक सुविख्यात व लोकप्रिय कुमाऊँनी लोकगायक थे। .

नई!!: लखनऊ और गोपाल बाबू गोस्वामी · और देखें »

गोमती एक्स्प्रेस

गोमती एक्स्प्रेस 2419 भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन लखनऊ रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:LKO) से 05:25AM बजे छूटती है और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:NDLS) पर 02:00PM बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है 8 घंटे 35 मिनट। 12419/20 लखनऊ नई दिल्ली गोमती एक्सप्रेस भारतीय रेल से की एक सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन है जो लखनऊ से नई दिल्ली के बीच चला करती हैं। यह रेलवे के उत्तरी जोन में पड़ता हैं। जब यह लखनऊ से नई दिल्ली के लिए चलती हैं तब इसका ट्रेन नंबर 12419 होता हैं और विपरीत दिशा में नई दिल्ली से लखनऊ के बीच चलती हैं तब इसका ट्रेन नंबर 12420 होता हैं। इसका नामकरण गोमती नदी के आधार पर किया गया है जो लखनऊ से होकर बहती है। .

नई!!: लखनऊ और गोमती एक्स्प्रेस · और देखें »

गोमती नदी (उत्तर प्रदेश)

गोमती उत्तर भारत में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। इसका उदगम पीलीभीत जिले में माधोटान्डा के पास होता है। इस नदी का बहाव उत्तर प्रदेश में ९०० कि.मी.

नई!!: लखनऊ और गोमती नदी (उत्तर प्रदेश) · और देखें »

गोमती नगर

गोमती नगर (उर्दु: گومتی نگر) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का एक आवासीय एवं वाणिज्यिक, संस्थानीय परिसर है। यह लखनऊ के सबसे बड़े विकासशील क्षेत्रों में से एक है। यह तीन भागों में विभाजित है:-.

नई!!: लखनऊ और गोमती नगर · और देखें »

गोरखपुर

300px गोरखपुर उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में नेपाल के साथ सीमा के पास स्थित भारत का एक प्रसिद्ध शहर है। यह गोरखपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह एक धार्मिक केन्द्र के रूप में मशहूर है जो बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, जैन और सिख सन्तों की साधनास्थली रहा। किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त गोरखनाथ के बाद उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। यहाँ का प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर अभी भी नाथ सम्प्रदाय की पीठ है। यह महान सन्त परमहंस योगानन्द का जन्म स्थान भी है। इस शहर में और भी कई ऐतिहासिक स्थल हैं जैसे, बौद्धों के घर, इमामबाड़ा, 18वीं सदी की दरगाह और हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों का प्रमुख प्रकाशन संस्थान गीता प्रेस। 20वीं सदी में, गोरखपुर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक केन्द्र बिन्दु था और आज यह शहर एक प्रमुख व्यापार केन्द्र बन चुका है। पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय, जो ब्रिटिश काल में 'बंगाल नागपुर रेलवे' के रूप में जाना जाता था, यहीं स्थित है। अब इसे एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिये गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा/GIDA) की स्थापना पुराने शहर से 15 किमी दूर की गयी है। .

नई!!: लखनऊ और गोरखपुर · और देखें »

गोसांईगंज

गोसांईगंज लखनऊ जिले का ब्लॉक है। श्रेणी:लखनऊ जिले की तहसीलें.

नई!!: लखनऊ और गोसांईगंज · और देखें »

आँवला (नगर)

आँवला (अंग्रेजी: Aonla, Uttar Pradesh) उत्तर प्रदेश में बरेली जिले का एक शहर है। 2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की कुल जनसंख्या 45,263 थी। इसमें पुरुषों की संख्या 52% और महिलाओं की 48% थी। इस शहर में विधिवत नगर पालिका है। यहाँ की औसत साक्षरता दर उस समय 79% थी जो राष्ट्रीय साक्षरता (59.5%) से काफी अधिक है। उस समय (2001 में) यहाँ 91% पुरुष और 69% महिलाएँ साक्षर थीं। कुल जनसंख्या का 15% उन बच्चों का था जिनकी आयु 6 वर्ष से कम थी। .

नई!!: लखनऊ और आँवला (नगर) · और देखें »

आधिकारिक आवास

सामान्य रूप में आधिकारिक आवास किसी अधिकार या पद के साथ मिलनेवाले आवास को कहते है। लेकिन सार्वभौमिक रूप से, किसी देश के राष्ट्रप्रमुख, शासनप्रमुख, राज्यपाल या अन्य वरिष्ठ पद के निवासस्थान को "आधिकारिक आवास" कहते है। निम्नलिखित दुनिया के आधिकारिक आवासों की सूची है। सूची का प्रारूप इस प्रकार है.

नई!!: लखनऊ और आधिकारिक आवास · और देखें »

आलमनगर रेलवे स्टेशन

आलमनगर रेलवे स्टेशन लखनऊ शहर का एक रेलवे स्टेशन है। .

नई!!: लखनऊ और आलमनगर रेलवे स्टेशन · और देखें »

आल्ह-खण्ड

आल्ह-खण्ड लोक कवि जगनिक द्वारा लिखित एक वीर रस प्रधान काव्य हैं जिसमें आल्हा और ऊदल की ५२ लड़ाइयों का रोमांचकारी वर्णन हैं। पं० ललिता प्रसाद मिश्र ने अपने ग्रन्थ आल्हखण्ड की भूमिका में आल्हा को युधिष्ठिर और ऊदल को भीम का साक्षात अवतार बताते हुए लिखा है - .

नई!!: लखनऊ और आल्ह-खण्ड · और देखें »

आल्हा

वीर आल्हा आल्हा मध्यभारत में स्थित एतिहासिक बुंदेलखण्ड के सेनापति थे और अपनी वीरता के लिए विख्यात थे। आल्हा के छोटे भाई का नाम ऊदल था और वह भी वीरता में अपने भाई से बढ़कर ही था। जगनिक ने आल्ह-खण्ड नामक एक काव्य रचा था उसमें इन वीरों की 52 लड़ाइयों की गाथा वर्णित है। आलहा-ऊदल ने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की। इनकी वीरता की कहानी आज भी उत्तर-भारत के गाँव-गाँव में गायी जाती है। .

नई!!: लखनऊ और आल्हा · और देखें »

आल्हा (गायन)

https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Charles_Elliot.jpg आल्हा वीरगाथाओं के लेखन और गायन की एक शैली है। इसमें रचा गया परमाल रासो का आल्ह खण्ड बहुत लोकप्रिय हुआ। आल्हा छन्द में लिखी आल्हखण्ड की ये पंक्तियाँ आज भी नौजवानों की रगों में अद्भुत जोश भर देती हैं: गाँव की चौपालों पर वर्षा ऋतु में आल्हा का आनन्द सभी युवा, बाल और बृद्ध मिलकर उठाते हैं। .

नई!!: लखनऊ और आल्हा (गायन) · और देखें »

आल्हा-ऊदल

आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। इनकी वीरता की कहानी आज भी उत्तर-भारत के गाँव-गाँव में गायी जाती है। जगनिक ने आल्ह-खण्ड नामक एक काव्य रचा था उसमें इन वीरों की गाथा वर्णित है। पं० ललिता प्रसाद मिश्र ने अपने ग्रन्थ आल्हखण्ड की भूमिका में आल्हा को युधिष्ठिर और ऊदल को भीम का साक्षात अवतार बताते हुए लिखा है - "यह दोनों वीर अवतारी होने के कारण अतुल पराक्रमी थे। ये प्राय: १२वीं विक्रमीय शताब्दी में पैदा हुए और १३वीं शताब्दी के पुर्वार्द्ध तक अमानुषी पराक्रम दिखाते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये।ऐसा प्रचलित है की ऊदल की पृथ्वीराज चौहान द्वारा हत्या के पश्चात आल्हा ने संन्यास ले लिया और जो आज तक अमर है और गुरु गोरखनाथ के आदेश से आल्हा ने पृथ्वीराज को जीवनदान दे दिया था,पृथ्वीराज चौहान के परम मित्र संजम भी महोबा की इसी लड़ाई में आल्हा उदल के सेनापति बलभद्र तिवारी जो कान्यकुब्ज और कश्यप गोत्र के थे उनके द्वारा मारा गया था l वह शताब्दी वीरों की सदी कही जा सकती है और उस समय की अलौकिक वीरगाथाओं को तब से गाते हम लोग चले आते हैं। आज भी कायर तक उन्हें (आल्हा) सुनकर जोश में भर अनेकों साहस के काम कर डालते हैं। यूरोपीय महायुद्ध में सैनिकों को रणमत्त करने के लिये ब्रिटिश गवर्नमेण्ट को भी इस (आल्हखण्ड) का सहारा लेना पड़ा था।" जन्मऊदल का जन्म 12 वी सदी में जेठ दशमी दशहरा के दिन दसपुरवा महोबा में हुुुआ था इनके पिता देशराज थे जिन्हें जम्बे भी कहा गया है (1142-1160) माडोगढ़ वर्तमान मांडू जो नर्मदा नदी के किनारे मध्य प्रदेश स्थित है के पुत्र कीर्तवर्मनके द्वारा यूुुद्व में मारे गये थे जिनकी मा का नाम देवल था जी अहीर यादव जाति के थी बड़ी बहादुर और ज्ञानी महिला थी जिनकी मृत्यु पर आल्हा ने विलाप करते हुए कहा कि"मैय्या देवे सी ना मिलिहै भैया न मिले वीर मलखान पीठ परन तो उदय सिंह है जिन जग जीत लई किरपान" राजा परिमाल की रानी मल्हना ने ऊदल का पालन पोषण पुत्र की तरह किया इनका नाम उदय सिंह रखा ऊदल बचपन से ही युद्ध के प्रति उन्मत्त रहता था इसलिए आल्हखण्ड में लिखा है "कलहा पूत देवल क्यार " अस्तु जब उदल का जन्म हुआ उस समय का वृत्तान्त आल्ह खण्ड में दिया है जब ज्योतिषों ने बताया "जौन घड़ी यहु लड़िका जन्मो दूसरो नाय रचो करतार सेतु बन्ध और रामेश्वर लै करिहै जग जाहिर तलवार किला जीत ले यह माडू का बाप का बदला लिहै चुकाय जा कोल्हू में बाबुल पेरे जम्बे को ठाडो दिहे पिराय किला किला पर परमाले की रानी दुहाई दिहे फिराय बावन गढ़ पर विजय करिके जीत का झंडा दिहे गडाय तीन बार गढ दिल्ली दाबे मारे मान पिथौरा क्यार नामकरण जाको ऊदल है भीमसेन क्यार अवतार" .

नई!!: लखनऊ और आल्हा-ऊदल · और देखें »

आलोक अग्रवाल

आलोक अग्रवाल (जन्म २५ अगस्त, १९६७) आम आदमी पार्टी के एक नेता और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता हैं. जो की आदिवासियों, किसानों, पर्यावरणविदों, और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं का एक सामाजिक आंदोलन है.

नई!!: लखनऊ और आलोक अग्रवाल · और देखें »

आशुतोष टंडन

आशुतोष टंडन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। वे "गोपाल जी" के नाम से भी लोकप्रिय हैं। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार में तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा के कैबिनेट मंत्री हैं। वे भारतीय जनता पार्टी से लखनऊ पूर्व विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक है। वे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन के बेटे हैं और 2013 में लखनऊ पूर्व सीट पर हुए उप-चुनाव में जीत हासिल करके पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 2012 के चुनाव में उन्होने लखनऊ उत्तर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा था। श्री टंडन ने 1980 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया था। .

नई!!: लखनऊ और आशुतोष टंडन · और देखें »

आसफ़ुद्दौला

आसफ़ुद्दौला (२३ सितंबर १७४८-२१ सितंबर १७९७) १७७५ से १७९७ के बीच अवध के नवाब वज़ीर और शुजाउद्दौला के बेटे थे, उनकी माँ और दादी अवध की बेग़में थी। अवध की लूट ही वारेन हेस्टिंग्स के खिलाफ़ इल्ज़ामों में से प्रमुख था। .

नई!!: लखनऊ और आसफ़ुद्दौला · और देखें »

आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग

आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग एक ३०२ किलोमीटर लम्बा नियंत्रित-पहुंच द्रुतमार्ग या एक्सप्रेसवे है, जो भीड़ग्रस्त सड़कों पर यातायात के साथ साथ ही प्रदूषण और कार्बन पदचिह्नों को भी कम करने के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित है। यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है। इस द्रुतमार्ग ने आगरा और लखनऊ के बीच की दूरी को काफी कम कर दिया है। यह ६-लेन चौड़ा है, और भविष्य में ८-लेन तक विस्तरित हो सकता है। २१ नवंबर २०१६ को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री, अखिलेश यादव द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। .

नई!!: लखनऊ और आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग · और देखें »

आगाहसन ‘अमानत’ लखनवी

आगा हसन अमानत (آغا هسن "امانت, १८१५-१८५८) भारतीय शहर लखनऊ से उन्नीसवीं शताब्दी के एक उर्दू कवि, लेखक तथा नाटककार थे। वह अवध रियासत के शासक वाजिद अली शाह की राजसभा से संबद्ध थे। उनका नाम आगा हसन अली था, जबकि "अमानत" उनका प्रदत्त नाम (या तखल्लुस) था। उन्हें अमानत लखनवी (लखनऊ की अमानत) और मिर्जा अमानत के नाम से भी जाना जाता है। अमानत के पूर्वज ईरानी प्रवासी थे, जो १८१५ में लखनऊ आये थे। उनकी रचनाऐं और कार्य उर्दू भाषा में थे। "इंद्र सभा" उनके द्वारा लिखा गया पहला नाटक था, जिसे उर्दू रंगमंच के विकास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उर्दू में गीत परंपरा की शुरुआत करने का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। .

नई!!: लखनऊ और आगाहसन ‘अमानत’ लखनवी · और देखें »

इण्डियन एयरलाइंस फ्लाइट ८१४

इंडियन एयरलाइंस फ्लाईट 814 (कॉल साइन आईसी-814) त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (काठमांडू, नेपाल) से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली, भारत) जाने वाली एक इंडियन एयरलाइंस एयरबस ए300 थी जिसका अपहरण कर लिया गया था। एक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन पर इसके अपहरण का आरोप लगाया गया था। लगभग 17:30 बजे आईएसटी (IST) पर भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश के तुरंत बाद सशस्त्र बंदूकधारियों ने विमान का अपहरण कर लिया था। अमृतसर, लाहौर और दुबई की धरती को छूने के बाद अपहरण कर्ताओं ने विमान को कंधार, अफगानिस्तान में उतरने के लिए मजबूर किया। अपहर्ताओं ने 176 यात्रियों में से 27 को दुबई में छोड़ दिया लेकिन एक को बुरी तरह चाकू से मारा और कई अन्य को घायल कर दिया। अफगानिस्तान में तालिबान-हुकूमत के बारे में भारत की कम जानकारी ने भारतीय अधिकारियों और अपहर्ताओं के बीच वार्ताओं को मुश्किल बना दिया। तालिबान ने भारतीय विशेष सैन्य बलों द्वारा विमान पर धावा बोलने से रोकने की कोशिश में अपने सशस्त्र लड़ाकों को अपहृत विमान के पास तैनात कर दिया। अपहरण का यह सिलसिला सात दिनों तक चला और भारत द्वारा तीन इस्लामी आतंकवादियों - मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख़ (जिसे बाद में डेनियल पर्ल की हत्या के लिए गिरफ्तार कर लिया गया) और मौलाना मसूद अज़हर (जिसने बाद में जैश-ए-मुहम्मद की स्थापना की) को रिहा करने के बाद समाप्त हुआ। भारतीय और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अपहर्ताओं, अल-कायदा और तालिबान के बीच प्रामाणिक संबंध होने की रिपोर्ट दी। पांच अपहरणकर्ताओं और तीन रिहा किये गए आतंकवादियों को तालिबान द्वारा एक सुरक्षित मार्ग प्रदान किया गया। तालिबान द्वारा संदिग्ध भूमिका निभाये जाने की व्यापक रूप से निंदा की गयी थी और इसके बाद यह भारत एवं तालिबान के बीच संबंधों की समाप्ति का कारण बना। .

नई!!: लखनऊ और इण्डियन एयरलाइंस फ्लाइट ८१४ · और देखें »

इन्दौर

इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म. नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन में १०० भारतीय शहरों को चयनित किया गया है जिनमें से इंदौर भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के अंतर्गत बीस शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा और इंदौर भी इस प्रथम चरण का हिस्सा है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण २०१७' के परिणामों के अनुसार इन्दौर भारत का सबसे स्वच्छ नगर है। .

नई!!: लखनऊ और इन्दौर · और देखें »

इरफ़ान ख़ान (कार्टूनिस्ट)

इरफ़ान ख़ान (पूरा नाम मोहम्मद इरफ़ान खान- जन्म ४ नवंबर १९६६) का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। स्थानीय अखबार दैनिक भास्कर और स्वदेश में सन ८२-१९८९ तक कार्टून बनाते रहे। दिल्ली की श्रीधरणी आर्ट गैलरी में अपनी प्रदर्शिनी के दौरान वे नवभारत टाइम्स लखनऊ के लिये चुन लिये गए। १९९४ में दिल्ली आकर इकोनोमिक टाइम्स, फ़ाइनेन्शिअल एक्स्प्रेस,एशियन ऐज, में स्टाफ़ कार्टूनिस्ट रहे। २००० में ज़ी न्यूज़ में वरिष्ठ कार्टूनिस्ट के पद पर काम करते हुए अपना टाक शो शख्शियत होस्ट किया, २००३ में एनडीटीवी के शो गुस्ताखी माफ़ की स्क्रिप्ट लिखी और सहारा समय पर इतनी सी बात होस्ट किया। अब तक ३ संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। एन्सीईआरटी के पाठ्यक्रम की पुस्तकों में इरफ़ान सहित देश के विभिन अन्य कार्टूनिस्टों के संपादकीय कार्टूनों को भी शामिल किया गया था। जापान फ़ाउन्डेशन ने "एशियाई कार्टून प्रदशनी" के अपने वार्षिक कार्यक्रम के तहत, २००५ में नौवी प्रदर्शिनी के लिए प्रत्येक एशियाई देश से एक कार्टूनिस्ट के चयन हेतु भारत की ओर से इरफ़ान का चयन किया। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित इरफ़ान अब तक ६ कार्टून प्रदर्शिनियाँ कर चुके हैं। जिनमें क्रिकेट, आतंकवाद, साम्प्रदायिक्ता और ग्लोबल वार्मिन्ग पर प्रदर्शिनियाँ काफ़ी चर्चित रही हैं। २००७ में मिड डे अखबार में भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश पर कार्टून बनाने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने इरफ़ान को ४ महीने की सज़ा सुनाई। यह मामला अभी उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। .

नई!!: लखनऊ और इरफ़ान ख़ान (कार्टूनिस्ट) · और देखें »

इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

नई!!: लखनऊ और इलाहाबाद · और देखें »

इलाहाबाद उच्च न्यायालय

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का उच्च न्यायालय है। भारत में स्थापित सबसे पुराने उच्च न्यायालयों में से एक है। यह १८६९ से कार्य कर रहा है। .

नई!!: लखनऊ और इलाहाबाद उच्च न्यायालय · और देखें »

इशिता शर्मा

इशिता शर्मा एक भारतीय अभिनेत्री हैं। शर्मा की कम बजट की फ़िल्म प्यार का पंचनामा (2011) बड़ी सफल फ़िल्म रही। .

नई!!: लखनऊ और इशिता शर्मा · और देखें »

इश्मीत सिंह

इश्मित सिंह भारत के सबसे प्रतिभाशाली नवोदित गायकों में से एक थे। स्टार प्लस के रियलिटी शो वॉयस ऑफ इंडिया के वर्ष 2007 के विजेता गायक लुधियाना के इश्मित सिंह 24 नवंबर 2007 को लखनऊ के हर्षित सक्सेना को हराकर हिंदुस्तान की आवाज बने थे। वे इस प्रतियोगिता में विजयी होने के बाद महज 18 साल की उम्र में अपनी दिलकश आवाज के जरिए लाखों दिलों की धड़कन बन गए थे। स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने इश्मित को स्वयं अपने हाथों से विजेता का खिताब सौंपा था। बुधवार ३० जुलाई २००८ को तरण ताल में डूब जाने के कारण मालदीव में उनका आकस्मिक निधन हो गया। इश्मित के निधन पर लता मंगेशकर, आशा भोसले, अभिजीत भट्टाचार्य और अलका यागनिक समेत संगीत जगत की कई जानी-मानी हस्तियों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। श्रेणी:गायक.

नई!!: लखनऊ और इश्मीत सिंह · और देखें »

इस प्यार को क्या नाम दूं?

इस प्यार को क्या नाम दूं? स्टार प्लस का एक अति लोकप्रिय कार्यक्रम था जो 06 जून 2011 से 30 नवम्बर 2012 तक प्रसारित हुआ था। कार्यक्रम की लोकप्रियता को देखते हुए कार्यक्रम का द्वितीय सत्र इस प्यार को क्या नाम दूं?-एक बार फिर नए पात्रों एवं कहानी के साथ स्टार प्लस पर प्रसारित किया गया। .

नई!!: लखनऊ और इस प्यार को क्या नाम दूं? · और देखें »

इंटीग्रल विश्वविद्यालय

इंटीग्रल विश्ववियालय लखनऊ में स्थित एक निजी विश्वविद्यालय है। यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा धारा-९, २००४ द्वारा २००४ में विश्वविद्यालय ब्नाया गया था। यह कुर्सी मार्ग, पर स्थित है। .

नई!!: लखनऊ और इंटीग्रल विश्वविद्यालय · और देखें »

इंदिरा नगर, लखनऊ

इंदिरा नगर भारत के लखनऊ शहर के व्यस्ततम इलाकों में गिना जाता है। यह उत्तर प्रदेश आवास बोर्ड (डेबिट विकास) द्वारा विकसित एशिया की सबसे बड़ी बस्ती है। शुरू में इंदिरा नगर चार ब्लॉक में विभाजित किया गया था, लेकिन अब कई क्षेत्रों में विस्तार होता जा रहा है। भूतनाथ बाजार इस इलाके का मुख्य बाजार है। यहीं पर प्रसिद्ध भूतनाथ मंदिर, अवस्थित हॅ। प्रमुख बाजारों में लेखराज बाजार, आम्रपाली बाजार, सहारा शॉपिंग सेंटर, मुंशी पुलिया, मीना बाजार, नगीना प्लाजा आदि उल्लेखनीय है। खाने पीने के केंद्रों के अलावा, इस इलाके में बैंक शाखाओं, अतिथि गृहों, बैंक्वेट हॉल और अस्पतालों, दवा की दुकानों, निर्माण सामग्री की दुकानों, स्कूलों और विभिन्न सरकारी कार्यालयों की एक बड़ी संख्या विद्यमान है। इंदिरा नगर में अच्छी तरह से विकसित कई जॉगिंग पार्क है। अरबिंदो पार्क और स्वर्ण जयंती आवास विकास द्वारा विकसित पार्कों को पर्याय के रूप में जाना जाता है। कुकरैल फारेस्ट एक मशहूर् पिकनिक स्थल है। यहां घड़ियालों और कछुओं का एक अभयारण्य है। यह लखनऊ रिंग मार्ग पर इंदिरा नगर के निकट स्थित है। यहीं पर मानस विहार सोसाइटी द्वारा निर्मित उत्कृष्ट कालोनियां जॅसे मयूर विहार,मयूर उद्यान, मयूर रेसिडेन्सी, मयूर एन्क्लेव भी मॉजूद हँ। इस इलाके में सभी सड़कों को दुरुस्त किया जा रहा है। सभी कॉलोनियाँ बहुत अच्छी तरह से ई रिक्शा और ऑटो रिक्शा द्वारा जुडी हुई हैं। नए शॉपिंग मॉल में यहाँ स्पेंसर्स, बिग बाजार, ईज़ी डे और सबका बाज़ार जॅसी बड़ी दुकानें भी हैं। गाजीपुर में पुलिस स्टेशन स्थित हॅ। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:लखनऊ के आवासीय क्षेत्र.

नई!!: लखनऊ और इंदिरा नगर, लखनऊ · और देखें »

इंदिरा गाँधी तारामंडल

इंदिरा गाँधी तारामंडल लखनऊ स्थित प्लैनेटेरियम है। .

नई!!: लखनऊ और इंदिरा गाँधी तारामंडल · और देखें »

इंदिरानगर, लखनऊ

इंदिरानगर लखनऊ की एक आवासीय कालोनी है। यह एशिया की सबसे बड़ी कालोनियों में से एक भी रही है। श्रेणी:लखनऊ.

नई!!: लखनऊ और इंदिरानगर, लखनऊ · और देखें »

इंशा अल्ला खाँ

इंशा अल्ला खाँ 'इंशा' (१७५६ - १८१७) हिन्दी साहित्यकार और उर्दू कवि थे। वे लखनऊ तथा दिल्ली के दरबारों में कविता करते थे। उन्होने दरया-ए-लतफत नाम से उर्दू का प्रथम व्याकरण की रचना की थी। हिन्दी में उन्होने 'रानी केतकी की कहानी' नामक कथाग्रन्थ की रचना की। यह उर्दू लिपि में लिखी गयी थी। बाबू श्यामसुन्दर दास इसे हिन्दी की पहली कहानी मानते हैं। .

नई!!: लखनऊ और इंशा अल्ला खाँ · और देखें »

इकाना इन्टरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम

इकाना इन्टरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम है। दिसंबर 2013 में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घोषणा की कि 2017 के पहली तिमाही के लखनऊ को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कला स्टेडियम मिल जाएगा। इस स्‍टेडियम को बनाने में पांच सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे। लखनऊ स्थित सुलतानपुर रोड के स्‍थित शहीद पथ पर बन रहे इस स्‍टेडियम में अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकटे मैचों के आयोजन के साथ साथ नए खिलाड़ियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। यह स्‍टेडियम सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी मॉडल पर बन रहा है। खेल परिसर 70 एकड़ में होगा। इसमें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, इंडोर स्टेडियम, आउटडोर स्टेडियम, लॉन टेनिस कोर्ट, वॉलीबॉल कोर्ट और क्रिकेट अकादमी भी शामिल होगा। यहां गर्ल्स और ब्‍वॉयज हॉस्‍टल समेत एक हेल्थ सेंटर का भी निर्माण होगा। क्रिकेट स्‍टेडियम की क्षमता 50 हजार दर्शकों की होगी। .

नई!!: लखनऊ और इकाना इन्टरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम · और देखें »

कटघर रेलवे स्टेशन

श्रेणी:उत्तर प्रदेश के रेलवे स्टेशन श्रेणी:मुरादाबाद.

नई!!: लखनऊ और कटघर रेलवे स्टेशन · और देखें »

कथाक्रम

कथाक्रम हिन्दी की एक त्रैमासिक पत्रिका है। यह लखनऊ से प्रकाशित होती है। .

नई!!: लखनऊ और कथाक्रम · और देखें »

कनिका कपूर

कणिका कपूर (कनिका कपूर के रूप में भी जानी जाती है) बॉलीवुड की एक नवीनतम गायिका हैं। इनका जन्म २३ मार्च १९७८ को लखनऊ, उत्तरप्रदेश में हुआ, वर्तमान में यह लंदन की निवासी हैं। इनका बेबी डॉल नामक गाना प्रसिद्ध हुआ। इन्होंने अपन करियर हिन्दी भाषी संगीत में २०१२ में शुरू किया। .

नई!!: लखनऊ और कनिका कपूर · और देखें »

कमलापुरी

कमलापुरी एक भारतीय उपनाम हैं। यह वैश्य समुदाय में आता हैं। कमलापुरी वैश्य मूलतः कमलापुर, कश्मीर के मूल निवासी है। इनके पूर्वज व्यापार हेतु नेपाल के तराई में आया करते थे। इनकी महारानी कमलावती थी राज्य धन संपदा से परिपूर्ण था, कमलापूरी वैश्य का गोत्र कश्यप है। कमलापुर नगर का वर्णन चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी पुस्तक में किया है किन्तु बाद में मुस्लिम आक्रमणकारियों के कारण राज्य छिन्न-भिन्न हो गया। सुरक्षा के लिए जो जहाँ व्यापार करते थे वही बस गए परिणाम स्वरूप आज उत्तर प्रदेश व बिहार के जनपद बस्ती, गोंडा, बलरामपुर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, जौनपुर, पटना, छपरा, पलामू में है। बाद में लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, मुंबई होते हुए भारत वर्ष में फ़ैल गए और साथ ही नेपाल में काठमांडू, कृष्णानगर, बहादुरगंज, चंद्रौता, दान, बुटवल आदि स्थानों में भी बस गये। ये समुदाय कमलापुरी, गुप्ता, कमल आदि उपनाम का प्रयोग करता हैं। .

नई!!: लखनऊ और कमलापुरी · और देखें »

काँट (शाहजहाँपुर)

काँट (शाहजहाँपुर) भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले की नगर पंचायत के साथ-साथ एक प्राचीन व ऐतिहासिक स्थान है जो एक समृद्ध नगर में तेजी से तब्दील हो रहा है। .

नई!!: लखनऊ और काँट (शाहजहाँपुर) · और देखें »

काठगोदाम

काठगोदाम भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित हल्द्वानी नगर के अंतर्गत स्थित एक क्षेत्र है। इसे ऐतिहासिक तौर पर कुमाऊँ का द्वार कहा जाता रहा है। यह छोटा सा नगर पहाड़ के पाद प्रदेश में बसा है। गौला नदी इसके दायें से होकर हल्द्वानी बाजार की ओर बढ़ती है। पूर्वोतर रेलवे का यह अन्तिम स्टेशन है। यहाँ से बरेली, लखनऊ तथा आगरा के लिए छोटी लाइन की रेल चलती है। काठगोदाम से नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत और पिथौरागढ़ के लिए केएमओयू की बसें जाती है। कुमाऊँ के सभी अंचलों के लिए यहाँ से बसें जाती हैं। १९०१ में काठगोदाम ३७५ की जनसंख्या वाला एक छोटा सा गाँव था। १९०९ तक इसे रानीबाग़ के साथ जोड़कर नोटिफ़िएड एरिया घोषित कर दिया गया। काठगोदाम-रानीबाग़ १९४२ तक स्वतंत्र नगर के रूप में उपस्थित रहा, जिसके बाद इसे हल्द्वानी नोटिफ़िएड एरिया के साथ जोड़कर नगर पालिका परिषद् हल्द्वानी-काठगोदाम का गठन किया गया। २१ मई २०११ को हल्द्वानी-काठगोदाम को नगर पालिका परिषद से नगर निगम घोषित किया गया, और फिर इसके विस्तार को देखते हुए इसका नाम बदलकर नगर निगम हल्द्वानी कर दिया गया। .

नई!!: लखनऊ और काठगोदाम · और देखें »

कानपुर

कानपुर भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ८० किलोमीटर पश्चिम स्थित यहाँ नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए चर्चित ब्रह्मावर्त (बिठूर) के उत्तर मध्य में स्थित ध्रुवटीला त्याग और तपस्या का संदेश दे रहा है। यहाँ की आबादी लगभग २७ लाख है। .

नई!!: लखनऊ और कानपुर · और देखें »

कामतानाथ

कामतानाथ हिन्दी के लेखक थे। 22 सितम्बर 1935 को लखनऊ में उनका जन्म हुआ। उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने साहित्य भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था। 25 मई 2015 को लगभग 80 वर्ष की आयु में उनका शरीर पूरा हुआ। उन्होंने कई लेख लिखे, उपन्यास: समुद्र तट पर खुलने वाली खिड़की, सुबह होने तक, एक और हिंदुस्तान, तुम्हारे नाम, काल-कथा (दो खंड), पिघलेगी बर्फ कहानी संग्रह: छुट्टियाँ, तीसरी साँस, सब ठीक हो जाएगा, शिकस्त, रिश्ते-नाते, आकाश से झाँकता वह चेहरा, सोवियत संघ का पतन क्यों हुआ नाटक: दिशाहीन, फूलन, कल्पतरु की छाया, दाखला डॉट काम, संक्रमण, वार्ड नं एक (एकांकी), भारत भाग्य विधाता (प्रहसन), औरतें (गाइ द मोपांसा की कहानियों पर आधारित) अनुवाद: प्रेत (घोस्ट: हेनरिक इब्सन) संपादन: कथांतर .

नई!!: लखनऊ और कामतानाथ · और देखें »

कालिंजर दुर्ग

कालिंजर, उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के बांदा जिले में कलिंजर नगरी में स्थित एक पौराणिक सन्दर्भ वाला, ऐतिहासिक दुर्ग है जो इतिहास में सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहा है। यह विश्व धरोहर स्थल प्राचीन मन्दिर नगरी-खजुराहो के निकट ही स्थित है। कलिंजर नगरी का मुख्य महत्त्व विन्ध्य पर्वतमाला के पूर्वी छोर पर इसी नाम के पर्वत पर स्थित इसी नाम के दुर्ग के कारण भी है। यहाँ का दुर्ग भारत के सबसे विशाल और अपराजेय किलों में एक माना जाता है। इस पर्वत को हिन्दू धर्म के लोग अत्यंत पवित्र मानते हैं, व भगवान शिव के भक्त यहाँ के मन्दिर में बड़ी संख्या में आते हैं। प्राचीन काल में यह जेजाकभुक्ति (जयशक्ति चन्देल) साम्राज्य के अधीन था। इसके बाद यह दुर्ग यहाँ के कई राजवंशों जैसे चन्देल राजपूतों के अधीन १०वीं शताब्दी तक, तदोपरांत रीवा के सोलंकियों के अधीन रहा। इन राजाओं के शासनकाल में कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेर शाह सूरी और हुमांयू जैसे प्रसिद्ध आक्रांताओं ने आक्रमण किए लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। अनेक प्रयासों के बाद भी आरम्भिक मुगल बादशाह भी कालिंजर के किले को जीत नहीं पाए। अन्तत: मुगल बादशाह अकबर ने इसे जीता व मुगलों से होते हुए यह राजा छत्रसाल के हाथों अन्ततः अंग्रेज़ों के अधीन आ गया। इस दुर्ग में कई प्राचीन मन्दिर हैं, जिनमें से कई तो गुप्त वंश के तृतीय -५वीं शताब्दी तक के ज्ञात हुए हैं। यहाँ शिल्पकला के बहुत से अद्भुत उदाहरण हैं। .

नई!!: लखनऊ और कालिंजर दुर्ग · और देखें »

काशीनाथ नारायण दीक्षित

काशीनाथ नारायण दीक्षित (२१ अक्टूबर १८८९ - १३ अगस्त १९४६) भारतीय पुरातत्व के विद्वान थे। आपने मोहन जोदड़ो तथा पहाड़पुर के पुराताविक उत्खनन कार्य का निर्देशन किया। वे पुरातत्व के तीनों अंगों - लिपि, अभिलेख तथा मुद्राशास्त्र के विशेषज्ञ थे। आपने भारतीय संग्रहालयों का अखिल भारतीय संघ स्थापित कराया। .

नई!!: लखनऊ और काशीनाथ नारायण दीक्षित · और देखें »

काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन

काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन उत्तराखण्ड राज्य के ऊधम सिंह नगर जनपद का एक रेलवे स्टेशन है, जो काशीपुर नगर में स्थित है। इसका स्टेशन कोड "KPV" है। काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन रेल नेटवर्क द्वारा रामनगर, काठगोदाम, मुरादाबाद, बरेली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, चंडीगढ़, आगरा, जैसलमेर, हरिद्वार और दिल्ली से जुड़ा है। यह रेलवे स्टेशन भारतीय रेल के उत्तर पूर्वी रेलवे क्षेत्र के इज्जतनगर मण्डल के प्रशासनिक नियंत्रण में है। काशीपुर शहर के लिए कई नए रेल लिंक प्रस्तावित हैं, जिनमें काशीपुर-नजीबाबाद रेलवे लाइन तथा रामनगर-चौखुटिया रेल लिंक प्रमुख हैं। .

नई!!: लखनऊ और काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन · और देखें »

काशीपुर, उत्तराखण्ड

काशीपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधम सिंह नगर जनपद का एक महत्वपूर्ण पौराणिक एवं औद्योगिक शहर है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित काशीपुर जनसंख्या के मामले में कुमाऊँ का तीसरा और उत्तराखण्ड का छठा सबसे बड़ा नगर है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार काशीपुर नगर की जनसंख्या १,२१,६२३, जबकि काशीपुर तहसील की जनसंख्या २,८३,१३६ है। यह नगर भारत की राजधानी, नई दिल्ली से लगभग २४० किलोमीटर, और उत्तराखण्ड की अंतरिम राजधानी, देहरादून से लगभग २०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काशीपुर को पुरातन काल से गोविषाण या उज्जयनी नगरी भी कहा जाता रहा है, और हर्ष के शासनकाल से पहले यह नगर कुनिन्दा, कुषाण, यादव, और गुप्त समेत कई राजवंशों के अधीन रहा है। इस जगह का नाम काशीपुर, चन्दवंशीय राजा देवी चन्द के एक पदाधिकारी काशीनाथ अधिकारी के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इसे १६-१७ वीं शताब्दी में बसाया था। १८ वीं शताब्दी तक यह नगर कुमाऊँ राज्य में रहा, और फिर यह नन्द राम द्वारा स्थापित काशीपुर राज्य की राजधानी बन गया। १८०१ में यह नगर ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आया, जिसके बाद इसने १८१४ के आंग्ल-गोरखा युद्ध में कुमाऊँ पर अंग्रेजों के कब्जे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काशीपुर को बाद में कुमाऊँ मण्डल के तराई जिले का मुख्यालय बना दिया गया। ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र की अर्थव्यस्था कृषि तथा बहुत छोटे पैमाने पर लघु औद्योगिक गतिविधियों पर आधारित रही है। काशीपुर को कपड़े और धातु के बर्तनों का ऐतिहासिक व्यापार केंद्र भी माना जाता है। आजादी से पहले काशीपुर नगर में जापान से मखमल, चीन से रेशम व इंग्लैंड के मैनचेस्टर से सूती कपड़े आते थे, जिनका तिब्बत व पर्वतीय क्षेत्रों में व्यापार होता था। बाद में प्रशासनिक प्रोत्साहन और समर्थन के साथ काशीपुर शहर के आसपास तेजी से औद्योगिक विकास हुआ। वर्तमान में नगर के एस्कॉर्ट्स फार्म क्षेत्र में छोटी और मझोली औद्योगिक इकाइयों के लिए एक इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एस्टेट निर्माणाधीन है। भौगोलिक रूप से काशीपुर कुमाऊँ के तराई क्षेत्र में स्थित है, जो पश्चिम में जसपुर तक तथा पूर्व में खटीमा तक फैला है। कोशी और रामगंगा नदियों के अपवाह क्षेत्र में स्थित काशीपुर ढेला नदी के तट पर बसा हुआ है। १८७२ में काशीपुर नगरपालिका की स्थापना हुई, और २०११ में इसे उच्चीकृत कर नगर निगम का दर्जा दिया गया। यह नगर अपने वार्षिक चैती मेले के लिए प्रसिद्ध है। महिषासुर मर्दिनी देवी, मोटेश्वर महादेव तथा मां बालासुन्दरी के मन्दिर, उज्जैन किला, द्रोण सागर, गिरिताल, तुमरिया बाँध तथा गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब काशीपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। .

नई!!: लखनऊ और काशीपुर, उत्तराखण्ड · और देखें »

कासगंज

कासगंज या कासगंज, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, एटा से लगभग ३२ किलोमीटर उत्तर, काली नदी के किनारे स्थित एक क़स्बा है। यह कासगंज ज़िले का मुख्यालय भी है, जिसे २००६ में अलीगढ़ ज़िले से विभक्त कर बनाया गया था, जो अलीगढ़ मंडल में आता है। भारत सरकार की २०११ की जनगणना के अनुसार, कासगंज की कुल आबादी १ लाख से अधिक है, और इसका नगरीय विस्तार लगभग २,२०० वर्ग किलोमीटर पर फ़ैला हुआ है। कासगंज की सबसे विशिष्ट भौगोलिक आकृति है काली नदी जो शहर के दक्षिण से गुज़रती है, तथा, निचली गंगा नहर क़स्बे के पश्चिम से गुज़रती है। .

नई!!: लखनऊ और कासगंज · और देखें »

काकोरी

काकोरी उत्तर प्रदेश में लखनऊ जिले का शहर और नगर पंचायत है। यह जगह भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान क्रान्तिकारी काकोरी काण्ड के लिए जानी जाती है। यहाँ पर काकोरी शहीदों की स्मृति में एक स्मारक भी है। इस शहर के स्मृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये मंगल ग्रह के एक प्रमुख क्रेटर का नाम भी काकोरी ही रखा गया है। .

नई!!: लखनऊ और काकोरी · और देखें »

काकोरी (मंगल ग्रह)

काकोरी (मंगल ग्रह) पृथ्वी से करोड़ों मील दूर मंगल ग्रह पर स्थित एक क्रेटर का नाम है। इसका व्यास 29.7 किलोमीटर है और यह मंगल ग्रह के अक्षांश 41.8 व देशांतर 29.9 पर स्थित है। सन् 1976 में इसका नामकरण भारत के एक ऐतिहासिक शहर काकोरी के नाम पर किया गया था। .

नई!!: लखनऊ और काकोरी (मंगल ग्रह) · और देखें »

काकोरी काण्ड

काकोरी-काण्ड के क्रान्तिकारी सबसे ऊपर या प्रमुख बिस्मिल थे राम प्रसाद 'बिस्मिल' एवं अशफाक उल्ला खाँ नीचे ग्रुप फोटो में क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशानसिंह, 10.पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल', 11.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 12.गोविन्दचरण कार, 13.रामदुलारे त्रिवेदी, 14.रामनाथ पाण्डेय, 15.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 16.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 17.प्रणवेशकुमार चटर्जी काकोरी काण्ड (अंग्रेजी: Kakori conspiracy) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो ९ अगस्त १९२५ को घटी। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे। इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९ अगस्त १९२५ को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी। इस मुकदमें में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था। .

नई!!: लखनऊ और काकोरी काण्ड · और देखें »

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय(अंग्रेजी: King George's Medical University), लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थित एक आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय है। यह किंग जॉर्ज मेडिकल कालेज को विश्वविद्यालय में अपग्रेड कर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा १६ सितंबर, २००२ को स्थापित किया गया है। मूल महाविद्यालय की स्थापना १९११ में हुई थी। यह भारत एवं उत्तर प्रदेश के अन्य उत्कृष्ट आयुर्विज्ञान संस्थानों में से एक है। इसका परिसर शाहमीना मार्ग पर गोमती नदी के निकट चौक क्षेत्र में स्थित है। परिसर १००,०००वर्ग मीटर में फैला है एवं चारबाग रेलवे स्टेशन से ५ कि॰मी॰ दूर है। .

नई!!: लखनऊ और किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय · और देखें »

कवि मृगेश

गुरु प्रसाद सिंह 'मृगेश' (1910 -1985), अवधी भाषा के कवि थे। .

नई!!: लखनऊ और कवि मृगेश · और देखें »

कुँवर महाराजसिंह

सर कुँवर महाराजसिंह (1878, कपूरथला – 6 June 1959 लखनऊ) बम्बई के प्रथम भारतीय गवर्नर थे। उनका जन्म १७ मई, १८७८ को पंजाब के कपूरथला में हुआ। उनके पिता बहुत बड़े जमींदार थे। उनकी उच्च शिक्षा अधिकतर इंग्लैंड मे हुई। हैरो स्कूल मे शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एमo एo की डिग्री प्राप्त की। भारत लौट आने पर उनकी नियुक्ति पुरी के डिप्टी कमिश्नर के पद पर हुई। कुछ ही वर्ष बाद वह कमिश्नर बनाए गए। जब वह इलाहाबाद के कमिश्नर थे, भारत सरकार ने उनको जोधपुर का मुख्य मंत्री बनाकर भेजा। अगस्त, १९३२ से जनवरी १९३५ तक वे वहाँ रहे। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने भारतीयों की दशा में विशेष सुधार करवाया। सरकार ने उनको `सर` की उपाधि दी। १९३५ में दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर वे संयुक्त प्रांत की सरकार में गृह सदस्य बनाए गए। जब १९३७ में कांग्रेस सरकार स्थापित हुई तो उसने उन्हें कई समितियों का सदस्य बनाया और उनसे कठिन समस्याओं पर बराबर परामर्श लेती रही। १९४८ में सरकार ने उन्हें बंबई का प्रथम भारतीय गवर्नर बनाया। वह भारतीय ईसाई समाज के सर्वश्रेष्ठ नेता थे। १९४७ में उन्होंने ईसाइयों के लिये अलग स्थान न माँगकर भारतीयवासियों के साथ ही रहना स्वीकार किया। उन्होंने सदैव प्रत्येक भारतीय ईसाई को देशभक्त बनने की सलाह दी। अपने जीवनकाल में उन्होंने तथा रानी महाराजसिंह ने ईसाई लड़के लड़कियों को शिक्षा और नौकरियाँ दिलवाने में बड़ी सहायता की। ६ जून, १९५९ को बंबई में उनकी मृत्यु हुई। श्रेणी:मुम्बई के गवर्नर.

नई!!: लखनऊ और कुँवर महाराजसिंह · और देखें »

कुँवर सिंह

भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम (१८५७) के रणबांकुरे '''कुंवर सिंह''' बाबू कुंवर सिंह (1777 - 1857) सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही और महानायक थे। अन्याय विरोधी व स्वतंत्रता प्रेमी बाबू कुंवर सिंह कुशल सेना नायक थे। इनको 80 वर्ष की उम्र में भी लड़ने तथा विजय हासिल करने के लिए जाना जाता है। .

नई!!: लखनऊ और कुँवर सिंह · और देखें »

कुर्अतुल ऐन हैदर

ऐनी आपा के नाम से जानी जानी वाली क़ुर्रतुल ऐन हैदर (२० जनवरी १९२७ - २१ अगस्त २००७) प्रसिद्ध उपन्यासकार और लेखिका थीं। .

नई!!: लखनऊ और कुर्अतुल ऐन हैदर · और देखें »

कुल्चा

कुल्चा (کلچه; पंजाबी ਕੁਲਚਾ) एक उत्तर भारतीय रोटी की किस्म है। भारत के साथ-साथ ये पाकिस्तान में भी लोकप्रिय हैं। प्रायः इसे छोले के संग खाया जाता है। यह मैदा को खमीर उठा कर आवे में बनाया जाता है। कुल्चा मुख्यतः एक पंजाबी व्यंजन है, जो पंजाब से उद्गम हुआ है। अमृतसर का खास कुल्चा अमृतसरी कुल्चा कहलाता हैं। मैदा को दही के साथ मल कर खमीर उठाया जाता है। उसके बाद उसमें उबले मसालेदार आलू और कटी प्याज आदि भर कर भरवां कुल्चे बनाये जाते हैं। इन्हें सुनहरे रंग का होने तक आवे या तंदूर में पकाया जाता है। उसके बाद इसके ऊपर मक्खन लगा कर छोले के साथ परोसते हैं। ये अमृतसरी कुल्चे होते हैं। बिना भरे हुए सादे कुल्चे बनते हैं। कुल्चे का उद्गम ईरान में माना जाता है। इसके लखनऊ के व्यंजन विशेषज्ञों ने प्रयोग कर अंतरण बनाये हैं। इनमें कुल्चा नाहरी भी एक है। इसके विशेषज्ञ कारीगर हाजी जुबैर अहमद के अनुसार कुलचा अवधी व्यंजनों में शामिल खास रोटी है, जिसका साथ नाहरी बिना अधूरा है। लखनऊ के गिलामी कुलचे यानी दो भाग वाले कुलचे उनके परदादा ने तैयार किये। कुलचे रिच डाइट में आते हैं और ऐसा माना जाता है, कि कि अच्छी खुराक वाला इंसान भी तीन से अधिक नहीं खा सकता है। कुलचे गर्म खाने में ही मजा है यानी तंदूर से निकले और परोसे जायें। .

नई!!: लखनऊ और कुल्चा · और देखें »

कुशाल टंडन

कुशाल टंडन एक भारतीय अभिनेता हैं, जिन्हें एक हजारों में मेरी बहना हैं नाम टीवी सीरियल के कारण जाना जाता हैं।वें रियलिटी शो बिग बॉस सीजन ७, नच बलिये सीजन ५, और फियर फैक्टर खतरों के खिलाड़ी के प्रतिभागी रह चुके हैं। ईस्टर्न ऑय यू के मैगजीन के ५० सेक्सिएस्ट एशियाई पुरुष की सून्ची २०१२ में कुशाल को ६ठा स्थान प्राप्त हुआ था। .

नई!!: लखनऊ और कुशाल टंडन · और देखें »

कुशीनगर

यह पन्ना कुशीनगर नामक स्थान और बौद्ध तीर्थ के लिये है। प्रशाशनिक जनपद के लिये देखें कुशीनगर जिला ---- कुशीनगर एवं कसिया बाजार उत्तर प्रदेश के उत्तरी-पूर्वी सीमान्त इलाके में स्थित एक क़स्बा एवं ऐतिहासिक स्थल है। "कसिया बाजार" नाम कुशीनगर में बदल गया है और उसके बाद "कसिया बाजार" आधिकारिक तौर पर "कुशीनगर" नाम के साथ नगर पालिका बन गया है। यह बौद्ध तीर्थ है जहाँ गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था। कुशीनगर, राष्ट्रीय राजमार्ग २८ पर गोरखपुर से कोई ५० किमी पूरब में स्थित है। यहाँ अनेक सुन्दर बौद्ध मन्दिर हैं। इस कारण से यह एक अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल भी है जहाँ विश्व भर के बौद्ध तीर्थयात्री भ्रमण के लिये आते हैं। कुशीनगर कस्बे के और पूरब बढ़ने पर लगभग २० किमी बाद बिहार राज्य आरम्भ हो जाता है। यहाँ बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बुद्ध इण्टरमडिएट कालेज तथा कई छोटे-छोटे विद्यालय भी हैं। अपने-आप में यह एक छोटा सा कस्बा है जिसके पूरब में एक किमी की दूरी पर कसयां नामक बड़ा कस्बा है। कुशीनगर के आस-पास का क्षेत्र मुख्यत: कृषि-प्रधान है। जन-सामन्य की बोली भोजपुरी है। यहाँ गेहूँ, धान, गन्ना आदि मुख्य फसलें पैदा होतीं हैं। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कुशीनगर में एक माह का मेला लगता है। यद्यपि यह तीर्थ महात्मा बुद्ध से संबन्धित है, किन्तु आस-पास का क्षेत्र हिन्दू बहुल है। इस मेले में आस-पास की जनता पूर्ण श्रद्धा से भाग लेती है और विभिन्न मन्दिरों में पूजा-अर्चना एवं दर्शन करती है। किसी को संदेह नहीं कि बुद्ध उनके 'भगवान' हैं। .

नई!!: लखनऊ और कुशीनगर · और देखें »

कुकरैल संरक्षित वन

कुकरैल संरक्षित वन, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित एक मगरमच्छ, घड़ियाल और कछुयों का अभयारण्य है। यह इंदिरा नगर, लखनऊ के, रिंग रोड पर स्थित है। कुकरैल संरक्षित वन की स्थापना 1978 में उत्तर प्रदेश वन विभाग और भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सहयोग से की गई थी। इस केंद्र की स्थापना के विचार 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थान प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संघ की उस रिपोर्ट के बाद आया, जिसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश की नदियों में मात्र 300 मगरमच्छ ही जीवित बचे हैं। मगरमच्छों के संरक्षण के लिए कुकरैल संरक्षित वन को विकसित किया गया है। आजकल यह एक पिकनिक स्थल के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। .

नई!!: लखनऊ और कुकरैल संरक्षित वन · और देखें »

क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र)

क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र) हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन द्वारा ब्रिटिश राज में १ जनवरी १९२५ को मूलत: अंग्रेजी में दि रिवोल्यूशनरी के नाम से प्रकाशित किया गया था। भारत की क्रान्तिकारी पार्टी का यह घोषणा पत्र काकोरी काण्ड में एक दस्तावेज़ के रूप में ख़ुफ़िया पुलिस द्वारा अदालत में पेश किया गया था। इसकी भाषा इतनी खतरनाक थी कि इसे पढ़ते ही ब्रिटिश साम्राज्य का सिंहासन की चूलें लन्दन तक में हिल उठीं थीं। इसका अविकल हिन्दी काव्यानुवाद सन् २००६ में प्रकाशित हुआ था। क्रान्तिकारी के नाम से प्रकाशित ४ पृष्ठ के इस घोषणा पत्र पर शीर्षक के दोनों ओर इसके ध्येय वाक्य इस प्रकार लिखे हुए थे - "चाहें छोटा हो या बड़ा, गरीब हो या अमीर, प्रत्येक को मुफ्त न्याय और समान अवसर मिलेगा।" घोषणा पत्र के प्रारम्भ में ही लिखा गया था- "प्रत्येक सच्चे भारतीय को चाहिये कि वह इसे पूरा पढ़े और अपने आत्मीय व इष्ट-मित्रों तक पहुँचाये।" घोषणा पत्र के अन्त में भारतीय प्रजातन्त्र संघ (हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन) के अध्यक्ष के रूप में विजयकुमार के नाम से हस्ताक्षर किये गये थे। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की ओर से १ जनवरी १९२५ को प्रकाशित चार पृष्ठ का यह घोषणा पत्र एक इश्तहार के रूप में जनवरी १९२५ के अन्तिम सप्ताह में हिन्दुस्तान के सभी प्रमुख स्थानों पर वितरित किया गया था। यह इश्तहार जानबूझ कर अंग्रेज़ी में दि रिवोल्यूशनरी के नाम से इसलिए छापा गया था ताकि सभी अंग्रेज़ इसका मतलब समझ सकें। इसमें विजय कुमार के छद्म नाम से रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने अपनी पार्टी की विचार-धारा का खुलासा करते हुए साफ़ शब्दों में बताया था कि क्रान्तिकारी इस देश की शासन व्यवस्था में किस प्रकार का बदलाव करना चाहते हैं और इसके लिये वे क्या-क्या कर सकते हैं। केवल इतना ही नहीं, इस पत्र में गान्धी जी की नीतियों का मजाक बनाते हुए यह प्रश्न भी उछाला गया था कि जो व्यक्ति स्वयं को आध्यात्मिक और महात्मा कहता है परन्तु अंग्रेज़ों से खुलकर बात करने में हमेशा ही डरता रहता है। आखिर इसका रहस्य क्या है?" घोषणा पत्र की ये पंक्तियाँ देखें- करने को वे आदर्शों का ढोंग खूब करते हैं। सत्य हमेशा कहने का खोखला दम्भ भरते हैं। पूर्ण स्वराज्य चाहिये यह सच साफ-साफ कहने में, पता नहीं क्यों वे इतना अंग्रेजों से डरते हैं? आदर्शों को जीने वाले दुःख ही दुःख सहते हैं। राष्ट्र तभी बनते हैं जब आदर्श उच्च रहते हैं। पूर्ण स्वराज्य माँगने से हरदम डरने वाले भी, जाने कैसे वे अपने को आध्यात्मिक कहते हैं? ऊपर से दिखते हों पर क्या वे सचमुच ऐसे हैं? जिसे 'महात्मा’ कहते हो क्या उसमें गुण वैसे हैं? समय आ गया है यह सच्चाई सबको बतला दो, ऊपर से जो दिखते हैं, वे अन्दर से कैसे हैं? घोषणा पत्र में हिन्दुस्तान के सभी नौजवानों को ऐसे छद्मवेषी महात्मा के बहकावे में न आने की सलाह भी दी गयी थी। इसके अतिरिक्त सभी नवयुवकों से इस गुप्त क्रान्तिकारी पार्टी में शामिल होकर अंग्रेज़ों से दो-दो हाथ करने का खुला आवाहन भी किया गया था। दि रिवोल्यूशनरी के नाम से अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस घोषणा पत्र में क्रान्तिकारियों के वैचारिक चिन्तन को भली-भाँति समझा जा सकता है। .

नई!!: लखनऊ और क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र) · और देखें »

कृष्ण कुमार यादव

कृष्ण कुमार यादव (अंग्रेज़ी: Krishna Kumar Yadav, जन्म:10 अगस्त 1977) 2001 बैच के भारतीय डाक सेवा के अधिकारी हैं। साथ हीं सामाजिक, साहित्यिक और समसामयिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन करने वाले वे साहित्यकार, विचारक और ब्लॉगर भी हैं। उनकी विभिन्न विधाओं में सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्तमान में वे राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर में निदेशक डाक सेवाएँ पद पर कार्यरत हैं। .

नई!!: लखनऊ और कृष्ण कुमार यादव · और देखें »

कृष्णकुमार माथुर

कृष्णकुमार माथुर (१८९३ - १९३६ ई०) प्रसिद्ध भारतीय भूविज्ञानी तथा विख्यात शिक्षाविशारद थे। .

नई!!: लखनऊ और कृष्णकुमार माथुर · और देखें »

कैथेड्रल चर्च, लखनऊ

कैथेड्रल चर्च, लखनऊ के हज़रतगंज क्षेत्र में बना एक ब्रिटिश-कालीन गिरिजाघर है। चर्च, कैथेड्रल, लखनऊ.

नई!!: लखनऊ और कैथेड्रल चर्च, लखनऊ · और देखें »

कैसरबाग

कैसरबाग परिसर लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत (1865-1882 के बीच ली गई तस्वीर।) कैसरबाग  (उर्दू: قيصر باغ‎,, बागों का सम्राट), भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी  लखनऊ में स्थित अवध क्षेत्र का एक मोहल्ला है। यह अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह (1847-1856), के द्वारा बनाया गया था। .

नई!!: लखनऊ और कैसरबाग · और देखें »

के डी सिंह बाबू स्टेडियम, लखनऊ

के डी सिंह बाबू स्टेडियम, लखनऊ स्थित स्टेडियम है जिसका नाम हॉकी के प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ी कुंवर दिग्विजय सिंह के नाम पर रखा गया है। .

नई!!: लखनऊ और के डी सिंह बाबू स्टेडियम, लखनऊ · और देखें »

के पी सक्सेना

के पी सक्सेना (जन्म: 1934 बरेली- मृत्यु: 31 अक्टूबर 2013 लखनऊ) भारत के एक हिन्दी व्यंग्य और फिल्म पटकथा लेखक थे। साहित्य जगत में उन्हें केपी के नाम से अधिक लोग जानते थे। उनकी गिनती वर्तमान समय के प्रमुख व्यंग्यकारों में होती है। हरिशंकर परसाई और शरद जोशी के बाद वे हिन्दी में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले व्यंग्यकार थे। उन्होंने लखनऊ के मध्यवर्गीय जीवन को लेकर अपनी रचनायें लिखीं। उनके लेखन की शुरुआत उर्दू में उपन्यास लेखन के साथ हुई थी लेकिन बाद में अपने गुरु अमृत लाल नागर की सलाह से हिन्दी व्यंग्य के क्षेत्र में आ गये। उनकी लोकप्रियता इस बात से ही आँकी जा सकती है कि आज उनकी लगभग पन्द्रह हजार प्रकाशित फुटकर व्यंग्य रचनायें हैं जो स्वयं में एक कीर्तिमान है। उनकी पाँच से अधिक फुटकर व्यंग्य की पुस्तकों के अलावा कुछ व्यंग्य उपन्यास भी छप चुके हैं। भारतीय रेलवे में नौकरी करने के अलावा हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं के लिये व्यंग्य लिखा करते थे। उन्होंने हिन्दी फिल्म लगान, हलचल और स्वदेश की पटकथायें भी लिखी थी। उन्हें 2000 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे कैंसर से पीड़ित थे। उनका निधन 31 अक्टूबर 2013 को लखनऊ में हुआ। .

नई!!: लखनऊ और के पी सक्सेना · और देखें »

केडी सिंह बाबू

केडी सिंह बाबू (2 फ़रवरी 1922 -1978) हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी थे जो ड्रिबलिंग तथा विपक्षी खिलाड़ियों को छकाने की कला में माहिर थे। इनका पूरा नाम कुँवर दिग्विजय सिंह बाबू थाम। हॉकी को भारत में लोकप्रिय बनाने और पूरी दुनिया में इसकी पहचान बनाने में मुख्य भूमिका निभाने वालों में ध्यानचंद और पद्मश्री से सम्मानित केडी भी थे। .

नई!!: लखनऊ और केडी सिंह बाबू · और देखें »

केन्द्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन

केन्द्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन (अंग्रेज़ी: Central Organisation for Railway Electrification) पूरे भारतीय रेल नेटवर्क की विद्युतीकरण करने का प्रभारी है। इसका मुख्यालय इलाहाबाद में स्थित है। यह संगठन साल 1961 से एक महाप्रबंधक के नेतृत्व में काम कर रहा है। अंबाला, भुवनेश्वर, चेन्नई, बंगलौर, सिकंदराबाद, लखनऊ, कोटा, कोलकाता, गोरखपुर और न्यू जलपाईगुड़ी में इसकी इकाइयाँ हैं। श्रेणी:भारतीय रेल श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: लखनऊ और केन्द्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन · और देखें »

केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना

केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (Central Government Health Scheme (CGHS)) भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित एक स्वास्थ्य योजना है। यह १९५४ में आरम्भ किया गया था। इसका उद्देश्य भारत के केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों, पेंशनधारियों, तथा उनके आश्रितों को सम्पूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है। यह सेवा निम्नलिखित नगरों में उपलब्ध है- .

नई!!: लखनऊ और केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना · और देखें »

केन्द्रीय हिन्दी संस्थान

केंद्रीय हिंदी संस्थान भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन एक उच्चतर शैक्षणिक एवं शोध संस्थान है। इसका मुख्यालय आगरा में है। इसके आठ केंद्र- दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, शिलांग, मैसूर, दीमापुर, भुवनेश्वर तथा अहमदाबाद हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 में निहित दिशा-निर्देशों के अनुरूप हिंदी को अपनी विविध भूमिकाएं निभाने में समर्थ और सक्रिय बनाने के उद्देश्य से और विविध शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक स्तरों पर सुनियोजित अनुसंधान द्वारा शिक्षण-प्रशिक्षण, भाषाविश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री निर्माण आदि को विकसित करने के लिए सन् १९६१ में भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में की गई। संस्थान का मुख्य कार्य हिंदी भाषा से संबंधित क्षैक्षणिक कार्यक्रम चलाना, शोध कार्य संपन्न करना एवं हिन्दी के प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है। प्रारंभ में संस्थान का प्रमुख कार्य अहिंदी भाषी क्षेत्रों के लिए योग्य, सक्षम एवं प्रभावकारी हिंदी अध्यापकों को ट्रेनिंग कॉलेज और स्कूली स्तरों पर पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करना था। परंतु बाद में हिंदी के शैक्षिक प्रचार-प्रसार और विकास को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्रों और प्रकार्यों को विस्तृत किया, जिसके अंतर्गत हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी भाषा-परक शोध, भाषाविज्ञान तथा तुलनात्मक साहित्य आदि विषयों से संबंधित मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों को संचालित करना प्रारंभ किया तथा विविध स्तरीय पाठ्यक्रमों, शैक्षिक सामग्री, अध्यापक निर्देशिकाएँ इत्यादि तैयार करने का कार्य भी प्रारंभ किया। यह संस्थान हिंदी अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। संस्थान को उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थान के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। हिंदी भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में अपनी सार्थक भूमिका निभा सके, इस उद्देश्य एवं संकल्प के साथ संस्थान निरंतर कार्यरत है। अखिल भारतीय स्तर पर हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए भी संस्थान अथक प्रयास कर रहा है। संस्थान का मूलभूत उद्देश्य है कि भारतीय भाषाएँ एक दूसरे के निकट आएँ और सामान्य बोधगम्यता की द्रष्टि से हिंदी इनके बीच सेतु का कार्य करे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चेतना, संस्कृति एवं उससे संबद्ध मूल तत्व हिंदी के माध्यम से प्रसारित ही न हों, बल्कि सुग्राह्य भी बनें। .

नई!!: लखनऊ और केन्द्रीय हिन्दी संस्थान · और देखें »

केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान

केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, सीडीआरआई या द सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट स्वतंत्रता के पश्चात देश में स्थापित सबसे बड़ी प्रयोगशालाओं में से एक है। यह संस्थान भारतीय विज्ञान एवं उद्योग अनुसंधान परिषद के संरक्षण में काम करने वाली 39 प्रयोगशालाओं में से एक है। इसका औपचारिक उद्घाटन १७ फ़रवरी १९५१ को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के हाथों हुआ था। .

नई!!: लखनऊ और केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान · और देखें »

केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान

केन्द्रीय औषधीय एव सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) एक बहुआयामी राष्ट्रीय प्रयोगशाला है जो औषधीय एवं सगंध पौधों के क्षेत्र में शोध, विकास एवं प्रचार-प्रसार का कार्य कर रही है। यह संस्थान अपने चार संसाधन केन्दों एवं ज्ञान केन्द्रों के माध्यम से भारत के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में कार्यरत है। यह लखनऊ में स्थापित है। इसका लक्ष्य है: बेहतर स्वास्थ्य एवं जीवन के लिए हरित प्रौद्योगिकियों में उत्कृष्टता॥ इसका दृष्टिकोण है: औषधीय एवं सगंध पौधों पर नवीनतम वैज्ञानिक शोध एवं व्यापार का सशक्तिकरण जिससे हरित प्रौद्योगिकी पर आधारित उत्कृष्ट जीवन शैली के क्षेत्र में भारत विश्व का अग्रतम राष्ट्र बन सके। .

नई!!: लखनऊ और केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान · और देखें »

केराकत

केराकत या किराकत उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी मण्डल के जौनपुर जिले में गोमती नदी के किनारे बसा हुआ एक शहर हैै। यह नगर पंचायत, तहसील मुख्यालय भी है तथा इसके नाम पर विधान सभा क्षेत्र का नाम भी केराकत विधानसभा क्षेत्र है। यह जौनपुर और औड़िहार से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है। यह के गाँव की जनसंख्या मुख्यतः कृषि और संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर निर्भर करता है। शहर के आसपास के गांवों के रूप में बस्तियों की बड़ी संख्या हे जो शहर पर निर्भर है। शहर की एक प्रमुख विशेषता यह है कि गोमती नदी यहाँ यू-आकार में बहती है जो यहाँ की मिट्टी को उपजाऊ बनाती है। केराकत डाकघर भी है जिसका पिन कोड २२२१४२ है। इसकी स्थिती जौनपुर से २५ कि॰मी॰ पूर्व मे तथा वाराणसी से ४५ कि॰मी॰ दक्षिण में स्थित है। .

नई!!: लखनऊ और केराकत · और देखें »

केशव बलिराम हेडगेवार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा.

नई!!: लखनऊ और केशव बलिराम हेडगेवार · और देखें »

कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज

कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज लखनऊ में स्थित एक कालेज हैं। गोमती नदी के तट पर तकरीबन 80 एकड भूमि के विस्तार में फैले इस कालेज कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज की स्थापना 11 मार्च 1891 को अवध और आगरा प्रान्त के मुख्य आयुक्त सर आक्लैन्ड काल्विन ने इसके मुख्य भवन की नींव रखी परन्तु वास्तव में यह विद्यालय वर्ष 1892 में प्रारंभ हो सका जब इसमें तत्कालीन रजवाडों और तालुकदार के पाल्यो ने दाखिला लिया। इसमें प्रवेश की एकमात्र तथा अंतिम शर्त राजघराने का पुत्र या पाल्य होना ही थी। यह संस्था विशुद्ध रूप से रजवाडों के पाल्यों को अंग्रजी माध्यम से शिक्षा दिलाने के लिये स्थापित की गयी थी अतः इसमें छात्रों की संख्या 50 से ऊपर न होती थी। जिस वर्ष इस की छात्र संख्या ने 100 का आंकडा छुआ उस दिन प्रसन्नतावश विद्यालय में एक दिन का अवकाश घोषित किया गया। .

नई!!: लखनऊ और कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज · और देखें »

कॉल्विन ताल्लुकेदार स्कूल

कॉल्विन ताल्लुकेदार स्कूल लखनऊ का एक विद्यालय है। कॉल्विन ताल्लुकेदार स्कूल ‎ श्रेणी:लखनऊ के विद्यालय.

नई!!: लखनऊ और कॉल्विन ताल्लुकेदार स्कूल · और देखें »

अचला नागर

अचला नागर (अंग्रेज़ी: Achala Nagar) भारत से साहित्यकार, कथाकार, हिन्दी फ़िल्म पटकथाकार एवं संवाद लेखिका हैं। ये साहित्यकार अमृतलाल नागर की पुत्री हैं। निकाह(1982), आखिर क्यों(1985), बागबान(2003), ईश्वर (1989,फ़िल्म पटकथा), मेरा पति सिर्फ मेरा है(1990), निगाहें(1989), नगीना(1986) आदि उनकी प्रदर्शित प्रमुख फिल्में हैं। एक साहित्यकार के रूप में उनके दो कथा संग्रह क्रमश: नायक-खलनायक और बोल मेरी मछली तथा एक संस्मरण संग्रह बाबूजी बेटाजी एंड कंपनी प्रकाशित है। उन्हें साहित्य भूषण पुरस्कार, हिन्दी उर्दू साहित्य एवार्ड कमेटी सम्मान, यशपाल अनुशंसा सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान आदि से सम्मानित किया जा चुका है। .

नई!!: लखनऊ और अचला नागर · और देखें »

अच्छन महाराज

अच्छन महाराज लखनऊ से महान कथक नर्तक थे। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:कथक श्रेणी:नर्तक श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: लखनऊ और अच्छन महाराज · और देखें »

अतुल कुमार

अतुल कुमार (ज्न्म २८ अप्रिल १९६३, लखनऊ) भारत के एक रासायन शास्त्री और औषधि खोज कर्ता हैं। .

नई!!: लखनऊ और अतुल कुमार · और देखें »

अदा जाफ़री

अदा जाफ़री एक पाकिस्तानी लेखिका और कवयित्री थीं। यह पहली मुख्य रूप से उर्दू में कविता लिखने वाली महिला बनी। इनकी कहानी के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। कवयित्री होने के साथ-साथ वे एक लेखिका भी थी और समकालीन उर्दू साहित्य मे उनका विशिष्ठ स्थान है।https://books.google.co.in/books?id.

नई!!: लखनऊ और अदा जाफ़री · और देखें »

अदिति शर्मा

अदिति शर्मा भारतीय अभिनेत्री हैं। जिन्होने मौसम, इक्कीस तोपों की सलामी आदि फिल्मों में कार्य किया हैं। .

नई!!: लखनऊ और अदिति शर्मा · और देखें »

अनिल शास्त्री

अनिल शास्त्री के पिता उनका विवाह मंजू श्रीवास्तव से 24 फ़रवरी 1973 को हुआ जिनसे उनके तीन बेटे हैं - आदर्श, लगन और मुदित। दो बेटे गुड़गाँव में सर्विस करते हैं तथा सबसे छोटा मुंबई में एक रिटेल शॉप का काम देखता है। स्वयं अनिल शास्त्री ने भी स्नातक करने के बाद पूरे सत्रह साल एक कॉरपोरेट ऑफिस में काम किया। वहाँ से त्यागपत्र देकर वे राजनीति में आ गये।.एक बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता और दो साल तक मन्त्री भी रहे। इस समय वे अपने परिवार सहित नोएडा में स्थायी रूप से रह रहे हैं। .

नई!!: लखनऊ और अनिल शास्त्री · और देखें »

अनुपम श्याम

अनुपम श्याम (जन्म: २० सितंबर १९५७, प्रतापगढ़) एक भारतीय अभिनेता है जो कि मुख्यतः बॉलीवुड की फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाते हैं। .

नई!!: लखनऊ और अनुपम श्याम · और देखें »

अनुसंधान अभिकल्प तथा मानक संगठन

अनुसंधान अभिकल्प तथा मानक संगठन (Research Design and Standard Orgnisation / RDSO) भारतीय रेल का एकमात्र अनुसंधान एवं विकास संगठन है। यह रेलवे बोर्ड, एवं क्षेत्रीय रेलों तथा उत्पादन इकाइयों के तकनीकी सलाहकार के रूप में कार्य करता है। यह रेलों से सम्बन्धित नई एवं उन्नत डिजाइनों का विकास करता है। इसका मुख्यालय लखनऊ में है। इसकी स्थापना सन् १९५२ में हुई थी और तब इसका नाम 'रेल परीक्षण एवं अनुसंधान केन्द्र' था। .

नई!!: लखनऊ और अनुसंधान अभिकल्प तथा मानक संगठन · और देखें »

अन्नपूर्णानन्द

अन्नपूर्णानंद (२१ सितंबर, १८९५ ई. - ४ दिसंबर, १९६२) हिंदी में शिष्ट और श्लील हास्य के लेखक थे। विख्यात मनीषी तथा राजनेता डा.

नई!!: लखनऊ और अन्नपूर्णानन्द · और देखें »

अनूप शुक्ला

अनूप शुक्ला एक भारतीय फिल्म अभिनेता हैं। यह कई अंग्रेज़ी फिल्मों में अपनी आवाज दे चुके हैं। यह स्पाइडरमेन, ट्रांसफोरमर, पिराना 3डी आदि फिल्मों के डबिंग में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा यह फरेब, एक दस्तक और फॉक्स में अभिनय भी किया है। .

नई!!: लखनऊ और अनूप शुक्ला · और देखें »

अभिषेक तिवारी

कार्टूनिस्ट अभिषेक तिवारी का जन्म ३० मार्च १९६८ को मध्यप्रदेश के भिंड में हुआ। ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व) अभिषेक का पहला कार्टून ग्वालियर के हिंदी दैनिक आचरण में १९८५ प्रकाशित हुआ। विभिन्न समाचारपत्रों के लिए स्वतंत्र कार्य करते हुए १९८९ में आचरण से ही अभिषेक ने स्टाफ कार्टूनिस्ट के रूप में कार्य प्रारंभ किया। १९९१ से १९९३ तक दैनिक भास्कर के ग्वालियर संस्करण और फिर १९९३ से १९९६ तक इंदौर संस्करण में स्टाफ कार्टूनिस्ट रहे। १९९६ से १९९७ तक लखनऊ में दैनिक हिंदुस्तान में और फिर १९९७-१९९८ में दैनिक भास्कर के जयपुर संस्करण में कार्टूनिस्ट रहे। १९९८ से अब तक राजस्थान पत्रिका में कार्य करते हुए अभिषेक वर्त्तमान में राजस्थान पत्रिका जयपुर में सीनियर न्यूज़ एडिटर (कार्टून) के पर पर कार्यरत हैं। तिवारी, अभिषेक तिवारी, अभिषेक श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: लखनऊ और अभिषेक तिवारी · और देखें »

अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन (जन्म-११ अक्टूबर, १९४२) बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय अभिनेता हैं। १९७० के दशक के दौरान उन्होंने बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की और तब से भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे प्रमुख व्यक्तित्व बन गए हैं। बच्चन ने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और बारह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार शामिल हैं। उनके नाम सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फ़िल्मफेयर अवार्ड का रिकार्ड है। अभिनय के अलावा बच्चन ने पार्श्वगायक, फ़िल्म निर्माता और टीवी प्रस्तोता और भारतीय संसद के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में १९८४ से १९८७ तक भूमिका की हैं। इन्होंने प्रसिद्द टी.वी.

नई!!: लखनऊ और अमिताभ बच्चन · और देखें »

अमिताभ भट्टाचार्य

अमिताभ भट्टाचार्य बॉलीवुड फ़िल्मों में कार्यरत एक भारतीय गीतकार और पार्श्व गायक हैं। उनके गीतों को "फ्रिलफ्री" और "स्मार्टली वर्डेड" के रूप में वर्णित किये गए हैं। .

नई!!: लखनऊ और अमिताभ भट्टाचार्य · और देखें »

अमौसी

अमौसी में लखनऊ का हवाई अड्डा स्थित है। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: लखनऊ और अमौसी · और देखें »

अमौसी रेलवे स्टेशन

अमौसी रेलवे स्टेशन लखनऊ शहर का एक रेलवे स्टेशन है। .

नई!!: लखनऊ और अमौसी रेलवे स्टेशन · और देखें »

अमौसी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

लखनऊ विमानक्षेत्र लखनऊ में स्थित है। इसका ICAO कोडहै VILK और IATA कोड है LKO। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहाँ कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक हाँ है। इसकी उड़ान पट्टी की लम्बाई 7200 फी.

नई!!: लखनऊ और अमौसी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र · और देखें »

अमृतलाल नागर

हिन्दी साहित्यकार '''अमृतलाल नागर''' अमृतलाल नागर (17 अगस्त, 1916 - 23 फरवरी, 1990) हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। आपको भारत सरकार द्वारा १९८१ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

नई!!: लखनऊ और अमृतलाल नागर · और देखें »

अमेठी

अमेठी भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है जिसे B.S.P. सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था। अमेठी में सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को मिला कर एक जिले का रूप दिया गया है। गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है। शुरुआत में इसका नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर था परन्तु इसे पुनः बदलकर अमेठी कर दिया गया है। अमेठी जिले का एक महत्वपूर्ण शहर व नगर निगम क्षेत्र है। इसे रायपुर-अमेठी भी कहा जाता है। यह भारत के गांधी परिवार की कर्मभूमि है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु उनके पोते संजय गाँधी, राजीव गाँधी तथा उनकी पत्नी सोनिया गाँधी ने इस जिले का प्रतिनिधित्व किया है। 2014 आम चुनाव में राहुल गाँधी यहाँ से साँसद चुने गए। कोरवा अमेठी में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की एक इकाई है जो भारतीय वायु सेना के लिए विमान बनाती है। अमेठी में इंडो गल्फ फर्टीलाइशर्स की एक खाद बनाने की इकाई भी मौजूद है।.

नई!!: लखनऊ और अमेठी · और देखें »

अमीनाबाद

अमीनाबाद लखनऊ का एक प्रसिद्ध एवं पुराना बाजार है। श्रेणी:लखनऊ श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: लखनऊ और अमीनाबाद · और देखें »

अयान मुखर्जी

अयान मुखर्जी लखनऊ, उत्तर प्रदेश में जन्में भारतीय फ़िल्म निर्देशक और अभिनेता हैं जिन्होंने अपना निर्देशकीय प्रवेश २६ वर्ष की आयु में करण जोहर के साथ 2009 की बॉलीवुड फ़िल्म वेक अप सिड में किया जो टिकट खिड़की पर दर्शकों द्वारा खुब सराही गई। .

नई!!: लखनऊ और अयान मुखर्जी · और देखें »

अरिशफा खान

अरिशफ़ा खान एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल है। उनका जन्म 3 अप्रैल, 2003 (आयु 15) में शाहजहांपुर,लखनऊ, भारत, में हुआ था। मुंबई, महाराष्ट्र, वह अपने कैरियर की शुरुआत के साथ उसके अभिनय धारावाहिक छल (टीवी धारावाहिक) पर कलर्स टीवी में 08 अगस्त 2012 में, वह अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत की | फिर इस शो एक वीर की अरदास...वीरा के रूप में गुंजन के रूप मे स्टार प्लस 2013 में दिखाई दी, बाद में वह कई अन्य टीवी शौस् जैसे जीनी और जूजू में जूनजून में 2013, उतरन में कलर्स टीवी से 16 सितंबर 2014, ये है मोहब्बतें में स्टार प्लस 2015 में, गंगा के रूप में राधिका 2017 में, मेरी दुर्गा के रूप में आरती में 2017, चक्र धरी अजय कृष्ण 2017 में, के बाद कि वह भी खेला रोल में अपराध गश्ती (टीवी श्रृंखला) में 2010 2018 के लिए, अब उसे आगामी पता चलता है Jal Pari (टीवी श्रृंखला) जल्द ही शुरू होगा पर बिग मैजिक टीवी चैनल है । अरिशफ़ा खान का पूरा नाम है अरिशफ़ा खान वह भी काम में 15+ TVCs ब्रांडों की तरह माउंट लीटर ज़ी स्कूल, मोगा जोड़ने, और कई अन्य कहते हैं इसके अलावा, .

नई!!: लखनऊ और अरिशफा खान · और देखें »

अरूणिमा सिन्हा

अरूणिमा सिन्हा (जन्म:1988) भारत से राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वालीबाल खिलाड़ी तथा माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय विकलांग हैं। .

नई!!: लखनऊ और अरूणिमा सिन्हा · और देखें »

अल्ताफ़ फ़ातिमा

अल्ताफ़ फ़ातिमा (الطاف فاطمہ का संबंध रियासत पटियाला से है। वह लखनऊ में 1929 में पैदा हुईं। इसी जगह उन्होंने होश संभाला। और लखनऊ की सांस्कृतिक परंपराओं का प्रभाव उनके व्यक्तित्व पर पड़ा। देश की तकसीम के बाद वह अपने परिवार के साथ लाहोर आ गई। यहां महिला मीकलीगन कॉलेज से बीएड किया। इसके बाद उर्दू साहित्य में एमए करने के बाद महिलाओं के लिए इस्लामिया कॉलेज लाहौर में उर्दू शिक्षक नियुक्त हुई। अल्ताफ़ फ़ातिमा के अफ़साने देश प्रसिद्ध पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। तीन नावल निशान महफ़िल, दस्तक न दो और चलता मुसाफ़िर छप गए हैं। (उर्दू में जीवनीकार) एक अच्छी आलोचना की किताब है। एक कहानी-संग्रह 'वो जिसे चाहा गया' भी प्रकाशित हो चुका है। .

नई!!: लखनऊ और अल्ताफ़ फ़ातिमा · और देखें »

अल्मोड़ा जिला

अल्मोड़ा भारत के उत्तराखण्ड नामक राज्य में कुमांऊँ मण्डल के अन्तर्गत एक जिला है। इस जिले का मुख्यालय भी अल्मोड़ा में ही है। अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत, हस्तकला, खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। .

नई!!: लखनऊ और अल्मोड़ा जिला · और देखें »

अलीगंज

(1) अलीगंज लखनऊ शहर का एक महत्वपूर्ण मुहल्ला है। यहाँ प्राचीन हनुमान जी का एक मंदिर स्थित है। यह मंदिर बहुत पुराना है एवं इसकी बहुत मान्यता है। मंदिर में ज्येष्ठ मास में बड़े मंगल को मेला लगता है। इसके अलावा हनुमान जयंती पर भी मेला लगता है। (2) अलीगंज एटा जिले का महत्वपूर्ण कस्वा भी हॅ। इसे 1747 में याकूत ख़ाँ ने बसाया था। यहाँ बहुत बड़ा मिट्टी का क़िला है। .

नई!!: लखनऊ और अलीगंज · और देखें »

अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, (उर्दू: اشفاق اُللہ خان, अंग्रेजी:Ashfaq Ulla Khan, जन्म:22 अक्तूबर १९००, मृत्यु:१९२७) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और १९ दिसम्बर सन् १९२७ को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है। .

नई!!: लखनऊ और अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ · और देखें »

अशोक चक्रधर

डॉ॰ अशोक चक्रधर (जन्म ८ फ़रवरी सन् १९५१) हिंदी के विद्वान, कवि एवं लेखक है। हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध वे कविता की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से भी एक है। टेलीफ़िल्म लेखक-निर्देशक, वृत्तचित्र लेखक निर्देशक, धारावाहिक लेखक, निर्देशक, अभिनेता, नाटककर्मी, कलाकार तथा मीडिया कर्मी के रूप में निरंतर कार्यरत अशोक चक्रधर जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंदी व पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर के पद से सेवा निवृत्त होने के बाद संप्रति केन्द्रीय हिंदी संस्थानतथा हिन्दी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। 2014 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। .

नई!!: लखनऊ और अशोक चक्रधर · और देखें »

अज्ञेय

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" (7 मार्च, 1911 - 4 अप्रैल, 1987) को कवि, शैलीकार, कथा-साहित्य को एक महत्त्वपूर्ण मोड़ देने वाले कथाकार, ललित-निबन्धकार, सम्पादक और अध्यापक के रूप में जाना जाता है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर प्रदेश के कसया, पुरातत्व-खुदाई शिविर में हुआ। बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास में बीता। बी.एससी.

नई!!: लखनऊ और अज्ञेय · और देखें »

अजीत प्रताप सिंह

राजा अजीत प्रताप सिंह (जन्म: 14 जनवरी, 1917; कुल्हीपुर, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश- मृत्यु: 6 जनवरी 2000) उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिला के शाही परिवार से राजनेता थे। .

नई!!: लखनऊ और अजीत प्रताप सिंह · और देखें »

अवध

अवध अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी अयोध्या थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रांरभ में फैजाबाद थी किंतु बाद को लखनऊ उठ आई थी। अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्राय: स्वतंत्र थे, क्योंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अत: अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। लखनऊ उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ है। भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा - लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, खलीलाबाद, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है। .

नई!!: लखनऊ और अवध · और देखें »

अवध रियासत

नवाब सआदत अली खान द्वितीय. अवध रियासत (अथवा अवध) ब्रिटिश राज में 1856 तक अवध क्षेत्र की एक रियासत होती थी। इस रियासत का नाम अयोध्या नगर से व्युत्पन्न है। अवध की राजधानी फ़ैज़ाबाद में होती थी, पर ब्रिटिश एजेंट, जिनको "निवासी" कहलाया जाता था, लखनऊ में रहते थे। अवध के नवाब ने इनके लिए लखनऊ में निवास बनवाया था नागरिक विकास करने के दौरान। 1858 में अवध ने दूसरों भारतीय रियासतें से मिलकर ब्रिटिश राज के ख़िलाफ़ विद्रोह में हिस्सा लिया, प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आख़िरी सैनिक अभियान में। इस विद्रोह को बंबई के ब्रिटिश सेना ने हरा दिया शीघ्र अभियान में। 1859 तक विद्रोहियों छापेमार लड़ाई लड़ते रहे। इस बग़ावत को "अवध अभियान" भी कहलाया जाता है। व्यपगत का सिद्धान्त के ज़रिए अवध के राज्य-हरण करने के बाद ब्रिटिश ने अवध क्षेत्र को उत्तर-पश्चिमी प्रान्त का हिस्सा बना दिया। .

नई!!: लखनऊ और अवध रियासत · और देखें »

अवध के नवाब

भारत के अवध के १८वीं तथा १९वीं सदी में शासकों को अवध के नवाब कहते हैं। अवध के नवाब, इरान के निशापुर के कारागोयुन्लु वंश के थे। नवाब सआदत खान प्रथम नवाब थे। .

नई!!: लखनऊ और अवध के नवाब · और देखें »

अवधी

अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश में "अवध क्षेत्र" (लखनऊ, रायबरेली, सुल्तानपुर, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, फैजाबाद, प्रतापगढ़), इलाहाबाद, कौशाम्बी, अम्बेडकर नगर, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती तथा फतेहपुर में भी बोली जाती है। इसके अतिरिक्त इसकी एक शाखा बघेलखंड में बघेली नाम से प्रचलित है। 'अवध' शब्द की व्युत्पत्ति "अयोध्या" से है। इस नाम का एक सूबा के राज्यकाल में था। तुलसीदास ने अपने "मानस" में अयोध्या को 'अवधपुरी' कहा है। इसी क्षेत्र का पुराना नाम 'कोसल' भी था जिसकी महत्ता प्राचीन काल से चली आ रही है। भाषा शास्त्री डॉ॰ सर "जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन" के भाषा सर्वेक्षण के अनुसार अवधी बोलने वालों की कुल आबादी 1615458 थी जो सन् 1971 की जनगणना में 28399552 हो गई। मौजूदा समय में शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 6 करोड़ से ज्यादा लोग अवधी बोलते हैं। उत्तर प्रदेश के 19 जिलों- सुल्तानपुर, अमेठी, बाराबंकी, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, कौशांबी, फतेहपुर, रायबरेली, उन्नाव, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद व अंबेडकर नगर में पूरी तरह से यह बोली जाती है। जबकि 6 जिलों- जौनपुर, मिर्जापुर, कानपुर, शाहजहांपुर, बस्ती और बांदा के कुछ क्षेत्रों में इसका प्रयोग होता है। बिहार के 2 जिलों के साथ पड़ोसी देश नेपाल के 8 जिलों में यह प्रचलित है। इसी प्रकार दुनिया के अन्य देशों- मॉरिशस, त्रिनिदाद एवं टुबैगो, फिजी, गयाना, सूरीनाम सहित आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व हॉलैंड में भी लाखों की संख्या में अवधी बोलने वाले लोग हैं। .

नई!!: लखनऊ और अवधी · और देखें »

अवधी में कहावतें

अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश मे अवधी क्षेत्र लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, फैजाबाद, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, इलाहबाद तथा फतेहपुर, मिरजापुर, जौनपुर आदि कुछ अन्य जिलों में भी बोली जाती है। अवधी भाषा की कहावते उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के ग्रामीण लोक जीवन में अत्यधिक प्रचलित हैं। कहावत आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाले उस वाक्यांश को कहते हैं, जिसका सम्बन्ध किसी न किसी कहानी या पौराणिक कथाओ से जुड़ा हुआ होता है। कहीं कहीं इसे मुहावरा अथवा लोकोक्ति के रूप में भी जानते हैं। प्रायः ये कहावते एक भाषा के कहावतों को अन्य भाषाओं के द्वारा मूल या बदले हुये रूप में अपना भी लिया जाता है। .

नई!!: लखनऊ और अवधी में कहावतें · और देखें »

अखिल भारतीय हिन्दू महासभा

अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का ध्वज अखिल भारत हिन्दू महासभा भारत का एक राजनीतिक दल है। यह एक भारतीय राष्ट्रवादी संगठन है। इसकी स्थापना सन १९१५ में हुई थी। विनायक दामोदर सावरकर इसके अध्यक्ष रहे। केशव बलराम हेडगेवार इसके उपसभापति रहे तथा इसे छोड़कर सन १९२५ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। भारत के स्वतन्त्रता के उपरान्त जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तब इसके बहुत से कार्यकर्ता इसे छोड़कर भारतीय जनसंघ में भर्ती हो गये। .

नई!!: लखनऊ और अखिल भारतीय हिन्दू महासभा · और देखें »

अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

नई!!: लखनऊ और अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन · और देखें »

अंबेडकर उद्यान, लखनऊ

अंबेडकर उद्यान, लखनऊ में स्थित भीमराव अंबेडकर स्मारक वाला एक दर्शनीय उद्यान है। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल श्रेणी:चित्र जोड़ें श्रेणी:भीमराव आंबेडकर को समर्पित स्मारक.

नई!!: लखनऊ और अंबेडकर उद्यान, लखनऊ · और देखें »

अंजुम आरा

अंजुम आरा साल 2011 बैच की आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में सोलन की आरक्षी अधीक्षक हैं। इससे पूर्व वे शिमला की एएसपी व एसपी साइबर क्राइम रही हैं। आजमगढ़ जिले के कमहरिया गाँव के रहने वाले ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग में कनिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत अयूब शेख की दूसरे नंबर की संतान अंजुम आरा की प्रारंभिक शिक्षा सहारनपुर (उप्र) के गंगोह में हुयी। यहां के आर्य कन्या इंटर कालेज से हाईस्कूल व एचआर इंटर कालेज से उन्होने इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद वे लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक की प्रथम श्रेणी में डिग्री हासिल की। उन्होंने आइपीएस के 2011 बैच की परीक्षा उत्तीर्ण की है। उनके पति, यूनुस भी एक आईएएस अधिकारी है शिमला में अपर उपायुक्त के पद पर कार्यरत हैं। .

नई!!: लखनऊ और अंजुम आरा · और देखें »

अंग्रेजी और विदेशी भाषाओ का केन्द्रीय संस्थान

अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (EFLU) (जिसे पहले CIEFL के नाम से जाना जाता था) भारत में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह उच्चतर शिक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय है। इसका मुख्य परिसर में हैदराबाद में स्थित है। हालांकि लखनऊ और शिलौंग में भी इसके परिसर हैं। ईएफएलयू (EFLU) में अंग्रेजी और विदेशी भाषाओं के साथ उनके साहित्य के बारे में भी पढ़ाया जाता है। साथ ही ये इन भाषाओं से जुड़े अनुसंधान (रिसर्च), शिक्षकों के प्रशिक्षण, प्रशिक्षण सामग्री को मुहैया कराने का भी काम करता है, एक तरह से कहा जाए तो ईएफएलयू सेवाओं का शिक्षा विस्तार है जिसका मुख्य उदेश्य भारत में अंग्रेजी और विदेशी भाषाओं की पढ़ाई के स्तर को सुधारना है। ये देश का अकेला ऐसा शिक्षण संस्थान है जो पूरी तरह से अंग्रेजी और विदेशी भाषाओं की पढ़ाई को लेकर प्रतिबद्ध है। ईन वर्षोमें ईएफएलयु (EFLU) ने विभिन्न विदेशी भाषाओं की पढाई शरू की है जिनकी काफी माग थी। यहां अंग्रेजी, अरबी, फ्रेंच, जर्मन, जापानी, रशियन, स्पैनिश, पोर्टेगीज, पर्सियन, तुर्की, इटालियन, चीनी, कोरियन और हिंदी जैसी भाषाओं की पढ़ाई होती है। ईएफएलयु (EFLU) एम.ए. (M.A) के साथ उस विषय में एक सांस्कृतिक अध्ययन पाठ्यक्रम शुरू करने वाला देश का पहला शिक्षण संस्थान भी है। ईएफएलयु (EFLU) समाजशास्त्र, फिल्म स्टूडियो, मानवशास्त्र, इतिहास और साहित्य जैसे क्षेत्र, जहां ईन शिक्षा शाखाओं को पृथक करना कठिन हो जाता है, एसे क्षत्रोमें एम.फिल.

नई!!: लखनऊ और अंग्रेजी और विदेशी भाषाओ का केन्द्रीय संस्थान · और देखें »

अकबरपुर

अकबरपुर उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। वर्तमान समय यह अम्बेडकर नगर का जिला मुख्यालय है। पावन सरयू नदी इस जनपद का मुख्य आकर्षण है। यह भूमि प्रभु श्री राम की लीला स्थली होने के कारण तीर्थ भूमि है। यहां के भव्य प्राचीन मन्दिर यवनो के आक्रमण में ध्वस्त कर दिये गये। यह स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राम मनोहर लोहिया की जन्म स्थली भी है। यह एक नगर पालिका परिषद है। तमसा नदी शहर को अकबरपुर व शहज़ाद पुर में विभाजित करती है। राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज यहाँ से 4 किलोमीटर की दूरी फैजाबाद मार्ग पर स्थित है। यही पर प्रसिद्ध शिव बाबा मंन्दिर हैं, यहाँ से 5किलोमीटर दक्षिणा दिशा में श्रावण धाम मन्दिर है रामायण के अनुसार राजा दशरथ ने शिकार करते समय यही पर श्रावण की तीर लगाने से मृत्यु हुई थी, यहाँ टांडा में मेडिकल कालेज भी है। टांडा कस्बे से 2 किलोमीटर पर NTPC थरमाल पवार कि एक इकाई भी लगी हुई हैं जो बिजली उत्पाद का कार्य करती है। यहाँ टांडा, अकबरपुर औऱ जलालपुर कई छोटे लुम के कारखाने हैं, जिस में टेरीकाट औऱ सूती कपड़े,लुन्गी(ताहबन) गमछा आदि तैयार होते हैं। यह शहर रेलवे साधन से जुड़ा हुआ है यहां से राजधानी लखनऊ की दूरी लगभग 189 किलोमीटर है। कानपुर यहां से रेलवे मार्ग से 263 किलोमीटर की दूरी पर है। सड़क मार्ग से दूरी में कुछ अन्तर है। राजेसुल्तानपुर, टान्डा, जलालपुर, बसखारी, कटेहरी अम्बेडकर नगर जिले का प्रमुख कस्बा है। श्रेणी:उत्तर प्रदेश के नगर श्रेणी:अंबेडकर नगर जिले के शहर श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: लखनऊ और अकबरपुर · और देखें »

अक्टूबर २०१५ हिन्दू कुश भूकंप

२६ अक्टूबर २०१५ को, १४:४५ पर (०९:०९ यूटीसी), हिंदू कुश के क्षेत्र में, एक 7.5 परिमाण के भूकंप ने दक्षिण एशिया को प्रभावित किया। मुख्य भूकंप के 40 मिनट बाद 4.8 परिमाण के पश्चात्वर्ती आघात ने फिर से प्रभावित किया; 4.1 परिमाण या उससे अधिक के तेरह और अधिक झटकों ने 29 अक्टूबर की सुबह को प्रभावित किया। मुख्य भूकंप 210 किलोमीटर की गहराई पर हुआ। 5 नवम्बर तक, यह अनुमान लगाया गया था कि कम से कम 398 लोगों की मौत हो गयी हैं, ज्यादातर पाकिस्तान में। http://abcnews.go.com/International/wireStory/latest-strong-afghan-earthquake-felt-south-asia-34730075 भूकंप के झटके अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, ताजिकिस्तान, और किर्गिस्तान में महसूस किए गए। भूकंप के झटके भारतीय शहरों नई दिल्ली, श्रीनगर, अमृतसर, चंडीगढ़ लखनऊ आदि और चीन के जनपदों झिंजियांग, आक़्सू, ख़ोतान तक महसूस किए गए जिनकी सूचना अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भी दिया गया। कंपन नेपालियों की राजधानी काठमांडू में भी महसूस किया गया, जहां लोगों ने शुरू में सोचा कि यह अप्रैल 2015 में आए भूकंप के कई मायनों आवर्ती झटकों में से एक था। दैनिक पाकिस्तानी "द नेशन" ने सूचित किया कि यह भूकंप पाकिस्तान में 210 किलोमीटर पर होने वाला सबसे बड़ा भूकंप है। .

नई!!: लखनऊ और अक्टूबर २०१५ हिन्दू कुश भूकंप · और देखें »

अक्षांश पर शहर

पृथ्वी के अक्षांशों पर स्थित शहरों की सूची है। .

नई!!: लखनऊ और अक्षांश पर शहर · और देखें »

उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश · और देखें »

उत्तर प्रदेश पुलिस

उत्तर प्रदेश पुलिस भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में २३६,२८६वर्ग.कि.मी के क्षेत्र में २० करोड़ जनसंख्या (वर्ष 2011 के अनुसार) में न्याय एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु उत्तरदायी पुलिस सेवा है। ये पुलिस सेवा न केवल भारत वरन विश्व की सबसे बड़ी पुलिस सेवा है। सेवा के महानिदेशक-पुलिस की कमान की शक्ति १.७० लाख के लगभग है जो 75 जिलों में ३१ सशस्त्र बटालियनों एवं अन्य विशिष्ट स्कंधों में बंटी व्यवस्था का नियामन करती है। इन स्कंधों में प्रमुख हैं: इंटेलिजेंस, इन्वेस्टिगेशन, एंटी-करप्शन, तकनीकी, प्रशिक्षण एवं अपराध-विज्ञान, आदि। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश पुलिस · और देखें »

उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा परिषद

उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा परिषद (Uttar Pradesh Board of Technical Education (UPBTE या BTEUP) उत्तर प्रदेश के क्षात्रों को डिप्लोमा स्तर की प्राविधिक शिक्षा देता है। इसका पाठ्यक्रम ३ वर्ष पूर्णकालिक या ४ वर्ष अंशकालिक होता है। BTEUP ज्यादातर सरकारी कॉलेजों, और कुछ निजी कॉलेजों के साथ संबद्ध है। वहाँ 30 से अधिक इस तरह के कंप्यूटर विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, और नागरिक की तरह के रूप में ग्रुप ए में की पेशकश की ट्रेडों, कर रहे हैं। वहाँ 80 से अधिक कॉलेजों BTEUP के साथ संबद्ध है कि प्रस्ताव समूह ए अन्य समूहों में पाठ्यक्रम वस्त्रों में पाठ्यक्रम, गृह विज्ञान, कृषि, और दूसरों को प्रदान करते हैं।बोर्ड परीक्षा अनुसूची घोषित करने, वार्षिक परीक्षा के आयोजन और उनके परिणाम घोषित करने का कार्य करता है। अन्य कार्यों, सम्बद्ध संस्थानों में शामिल भवन और उपकरण के अपने मानकों को निर्धारित करता है। तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण के राज्य बोर्ड "मई, 1958 में राज्य में स्थापित किया गया था। बोर्ड 1960 में अपनी पहली परीक्षा आयोजित की, डिप्लोमा स्तर के पाठ्यक्रमों के लिए और भी Draughtsman सर्टिफिकेट कोर्स के लिए। राज्य बोर्ड के नाम में बदल गया था" तकनीकी शिक्षा बोर्ड "1962 में एक ही वर्ष में," उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा अधिनियम - 1962 "बोर्ड वैधानिक दर्जा देने अधिनियमित किया गया था वर्ष 1962 में अपनी स्थापना के वर्ष, बोर्ड के बारे में 2500 छात्रों की परीक्षा 25 विभिन्न केन्द्रों पर आयोजित की, सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तीन प्रमुख विषयों में /। संस्थाओं। यह एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और 40 सदस्यों, राज्य सरकार द्वारा नामित.सचिव, तकनीकी शिक्षा बोर्ड, उत्तर प्रदेश अन्य संस्थानों द्वारा तैयार पाठ्यक्रम के बोर्ड पदेन सदस्य सचिव मंडल द्वारा अपनाया गया था, 1980 तक लेकिन उसके बाद के पाठ्यक्रम और पाठ्यक्रम विकसित और संशोधित किया गया था, अपने पाठ्यक्रम विकास केंद्र के माध्यम से बोर्ड स्तर पर हर पांच साल में। पाठ्यक्रम विकास कार्य IRDT कानपुर को सौंपा गया है। बोर्ड अब जांच करने और पाठ्यक्रम IRDT, कानपुर द्वारा विकसित की मंजूरी और एक साल, दो साल के निम्नलिखित 52 विभिन्न विषयों में तकनीकी शिक्षा बोर्ड से संबद्ध संस्थानों के लिए यह लिख, के बारे में 38,000 छात्रों, तीन साल और चार साल durations संस्थानों में वर्तमान में जांच की जा रही हैं, बोर्ड से संबद्ध। की बोर्ड "- 1962 यूपी Pravidhic शिक्षा अधिनियम" के तहत गठित की गई है। यह एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष और 40 memebers राज्य सरकार द्वारा नामित किया गया है। सचिव, तकनीकी शिक्षा बोर्ड बोर्ड के पदेन सदस्य सचिव है। श्रेणी:भारत की प्राविधिक परिषद श्रेणी:उत्तर प्रदेश के शिक्षा संस्थान श्रेणी:लखनऊ के संस्थान.

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा परिषद · और देखें »

उत्तर प्रदेश में पर्यटन

उत्तर प्रदेश में पर्यटन भारत भर में सुविख्यात है एवं इसकी पश्चिमी सीमायें देश की राजधानी नई दिल्ली से लगी हुई हैं। उत्तर प्रदेश भारतीय एवं विदेशी पर्यटको के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस प्रदेश में कई ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल हैं। उत्तर प्रदेश की आबादी भारत के सभी राज्योँ में सबसे अधिक है। भूगौलिक रूप से भी उत्तर प्रदेश में विविधता देखने को मिलती है- उत्तर की ओर हिमालय पर्वत हैं और दक्षिण में सिन्धु-गंगा के मैदान हैं। भारत का सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ताज महल यहां के आगरा शहर में स्थित है। वाराणसी, जो कि हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो इसी प्रदेश में है। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश में पर्यटन · और देखें »

उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग २५

उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग २५ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक राज्य राजमार्ग है। २६५.५० किलोमीटर लम्बा यह राजमार्ग पलिया से शुरू होकर लखनऊ तक जाता है। इसे पलिया-लखनऊ मार्ग भी कहा जाता है। यह लखीमपुर खेरी, शाहजहाँपुर, हरदोइ, और लखनऊ जिलों से होकर गुजरता है। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग २५ · और देखें »

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) उत्तर प्रदेश राज्य की सड़क परिवहन की सरकारी कंपनी है। यह अंतर्राज्यीय एवं उ.प्र.

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम · और देखें »

उत्तर प्रदेश सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार भारत में एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकार है जिसमें भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्य के नियुक्त संवैधानिक प्रमुख के रूप में राज्यपाल हैं। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को पांच साल की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है और मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति कराता है, जो राज्य के विधायी शक्तियों के साथ-साथ कार्यकारी शक्तियों के साथ निहित हैं। राज्यपाल राज्य का एक औपचारिक प्रमुख बना रहता है, जबकि मुख्यमंत्री और उनकी परिषद दिन-प्रतिदिन सरकारी कार्यों के लिए जिम्मेदार होती हैं। भारतीय राजनीति पर यूपी की प्रभावी सरकार है और सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय संसद के लिए सबसे अधिक संख्या में लोकसभा सीटों को भेजता है। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश सरकार · और देखें »

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ का भवन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये कार्यरत प्रमुख संस्था है। यह उत्तर प्रदेश शासन के भाषा विभाग के अधीन है। अन्य कार्यक्रमों के अलावा हिन्दी के प्रचार प्रसार हेतु विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिये साहित्यकारों को यह कई पुरस्कार भी प्रदान करती है। प्रदेश का मुख्य मन्त्री इसका पदेन अध्यक्ष होता है। वही कार्यकारी अध्यक्ष व निदेशक की नियुक्ति करता है। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ · और देखें »

उत्तर प्रदेश विधान सभा

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के द्विसदनी विधायिका के निचले सदन का नाम उत्तर प्रदेश विधान सभा है। इसमें कुछ ४०४ सदस्य होते हैं जिसमें एक आंग्ल-भारतीय (ऐंग्लो-इण्डियन) भी सम्मिलित है जो राज्यपाल द्वारा नामित होता है। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश विधान सभा · और देखें »

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2017

उत्तर प्रदेश की सत्तरहवीं विधानसभा के लिए आम चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक सात चरणों में आयोजित हुए। इन चुनावों में मतदान प्रतिशत लगभग 61% रहा। भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया जबकि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी गठबन्धन को 54 सीटें और बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों से संतोष करना पड़ा। पिछले चुनावों में समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनायीं थी। 18 मार्च 2017 को भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य एवं दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2017 · और देखें »

उत्तर प्रदेश का इतिहास

उत्तर प्रदेश का भारतीय एवं हिन्दू धर्म के इतिहास मे अहम योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश आधुनिक भारत के इतिहास और राजनीति का केन्द्र बिन्दु रहा है और यहाँ के निवासियों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभायी। उत्तर प्रदेश के इतिहास को निम्नलिखित पाँच भागों में बाटकर अध्ययन किया जा सकता है- (1) प्रागैतिहासिक एवं पूर्ववैदिक काल (६०० ईसा पूर्व तक), (2) हिन्दू-बौद्ध काल (६०० ईसा पूर्व से १२०० ई तक), (3) मध्य काल (सन् १२०० से १८५७ तक), (4) ब्रिटिश काल (१८५७ से १९४७ तक) और (5) स्वातंत्रोत्तर काल (1947 से अब तक)। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश का इतिहास · और देखें »

उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची

उत्तर प्रदेश राज्य में कुल ३५ राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ४०६३५ किमी है; और ८३ राज्य राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ८४३२ किमी है। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची · और देखें »

उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

उत्तर प्रदेश एक भारतीय राज्य है, जिसकी सीमाऐं नेपाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ मिलती हैं। राज्य के उत्तर में हिमालय है और दक्षिण में दक्कन का पठार स्थित है। इन दोनों के बीच में, गंगा, यमुना, घाघरा समेत कई नदियां पूरब की तरफ बहती हैं। उत्तर प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल है। 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 199,581,477 है। उत्तर प्रदेश को 18 मण्डलों के अंतर्गत 75 जिलों में विभाजित किया गया है। 2011 में 199,581,477 की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का 6.88 प्रतिशत मात्र है, लेकिन भारत की 16.49 प्रतिशत आबादी यहां निवास करती है। 2011 तक राज्य में 64 ऐसे नगर हैं, जिनकी जनसंख्या 100,000 से अधिक है। 1,640 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 4,542,184 की जनसंख्या के साथ कानपुर राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची · और देखें »

उत्तर प्रदेश के ज़िले

उत्तर प्रदेश भारत का एक राज्य है और प्रशासनिक रूप से कई ज़िलों में बंटा हुआ है। इन ज़िलों को 'विभाग' नामक भौगोलिक व प्रशासनिक समूहों में एकत्रित किया गया है। वर्तमान काल में उत्तर प्रदेश १८ विभागों में बांटा गया है जो आगे स्वयं ७५ ज़िलों में बंटे हैं।, Lalmani Verma, The Indian Express, 01 Dec 2011 .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश के ज़िले · और देखें »

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, भारत की दूसरी सबसे बड़ी राज्य अर्थव्यवस्था है। 2017-18 के बजट के अनुसार उत्तर प्रदेश का जीएसडीपी (राज्यों के सकल देशी उत्पाद) 14.46 लाख करोड़ (230 अरब अमेरिकी डॉलर) हैं। 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश की 22.3% आबादी शहरी है। महाराष्ट्र की शहरी आबादी 5,08,18,259 है, जबकि उत्तर प्रदेश की 4,44,95,063 है। राज्य में दस लाख से अधिक आबादी वाले 7 शहर हैं। 2000 में विभाजन के बाद, नया उत्तर प्रदेश राज्य, पुराने उत्तर प्रदेश राज्य के उत्पादन का लगभग 92% उत्पादन करता है। तेंदुलकर समिति के अनुसार 2011-12 में उत्तर प्रदेश की 29.43% जनसंख्या गरीब थी, जबकि रंगराजन समिति ने राज्य में इसी अवधि के लिए 39.8% गरीब की जानकारी दी थी। 10वीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) में राज्य का वार्षिक आर्थिक विकास दर 5.2% था। जोकि 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012) में 7% वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर को छू लिया। लेकिन उसके बाद यह 2012-13 में 5.9% और 2013-14 में 5.1% तक गिर गया, हालांकि यह भारत में सबसे कम था। राज्य का कर्ज 2005 में सकल घरेलू उत्पाद का 67 प्रतिशत था। 2012 में, भारत को विप्रेषित धन में राज्य को सबसे अधिक प्राप्त हुआ था, जोकि केरल, तमिलनाडु और पंजाब के साथ 0.1 अरब डॉलर (3,42,884.05 करोड़ रुपये) का था। राज्य सरकार ने मेट्रो रेल परियोजना के लिए पांच शहरों मेरठ, आगरा, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी का चयन किया हुआ है। लखनऊ में मेट्रो का परिचालन कुछ मार्गो कि लिये आरम्भ हो चुका है, हालांकि अभी यह अपने शुरूआती स्थिति पर है। उत्तर प्रदेश एक कृषि राज्य है, जिसका 2013-14 में देश के कुल अनाज उत्पादन में 8.89% योगदान था। .

नई!!: लखनऊ और उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था · और देखें »

उत्तर भारत

उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। यह भारत का उत्तरी क्षेत्र है। प्रधान भौगोलिक अंगों में गंगा के मैदान और हिमालय पर्वतमाला आती है। यही पर्वतमाला भारत को तिब्बत और मध्य एशिया के भागों से पृथक करती है। उत्तरी भारत मौर्य, गुप्त, मुगल एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहां बहुत से हिन्दू तीर्थ जैसे पर्वतों में गंगोत्री से लेकर मैदानों में वाराणासी तक हैं, तो मुस्लिम तीर्थ जैसे अजमेर.

नई!!: लखनऊ और उत्तर भारत · और देखें »

उत्तर-पश्चिमी प्रान्त

उत्तर-पश्चिमी प्रांत ब्रिटिश भारत का एक प्रशासनिक क्षेत्र था जो विभिन्न मिलाए गए और जीते गए प्रांतो से मिलकर बना था और किसी ना किसी रूप में १८३६ से १९०२ तक अस्तित्व में रहा, जब यह आगरा और अवध का संयुक्त प्रांत (या उ प्र) के भीतर आगरा प्रांत बना।.

नई!!: लखनऊ और उत्तर-पश्चिमी प्रान्त · और देखें »

उन्नाव

उन्नाव उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक जिला है। यह लखनऊ तथा कानपुर के बीच में स्थत है,लखनऊ लगभग ६० किलोमीटर तथा कानपुर से १८ किलोमीटर दूर है।यह दो शहरों को जोड़ता हुआ एक कस्बा है जो दोनों शहरों के रोडवेज या रेलवे मार्ग को जोड़ता है। नगर को अभी तक अनेक देशभक्त, हिंदी साहित्य के नाम से जाना जाता है। ह्वेन त्सांग ने जनपद के बांगरमऊ स्थल का जिक्र ना-फो-टु-पो-कु-लो नाम से किया है। जहाँ गौतम बुद्ध ने 16 वाँ वर्षावास व्यतीत किया था । .

नई!!: लखनऊ और उन्नाव · और देखें »

उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना

उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना अक्टूबर २०१३ में भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के संग्रामपुर (डौंडिया खेड़ा) गाँव में घटित हुई। .

नई!!: लखनऊ और उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना · और देखें »

उमेश चौहान

उमेश कुमार सिंह चौहान (जन्म: 09 अप्रैल 1959; लखनऊ) एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (१९८६ केरल कैडर) के अधिकारी और कवि, अनुवादक व लेखक हैं। .

नई!!: लखनऊ और उमेश चौहान · और देखें »

उस्ताद अली अकबर खां

उस्ताद अली अकबर खां उस्ताद अली अकबर खां (१४ अप्रैल १९२२ - १९ अप्रैल २००९) जाने-माने सरोद वादक एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के साधक थे। उस्ताद अली अकबर खान को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था और पिछले पाँच दशकों से उन्होंने दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत का झंडा बुलंद रखा था। भारतीय शास्त्रीय संगीत को पश्चिम में प्रतिष्ठित करने के क्षेत्र में उनका महान योगदान था। .

नई!!: लखनऊ और उस्ताद अली अकबर खां · और देखें »

ऋतु क्रिधल

ऋतु क्रिधल, लखनऊ में जन्मीं और इसरो में एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम करती हैं। वे इसरो की परियोजना- मार्स/मंगल ग्रह परिक्रमा मिशन में संचार निर्देशिका थीं। उनके दो भाई और दो बहिनें हैं और उनके पिता फ़ौज में काम करते थे। बचपन से hi उन्हें आकाश की तरफ देखने का शौक था और यह बात उनके ज़हन में हमेशा रहिति थी कि चाँद छोटा बड़ा कैसे होता है और इसी सोच ने उनकी रुचि अंतरिक्ष अनुसंधान में बढ़ाई।  उनके समय में इसरो देश में अकेली ऐसी जगह थी, जहां वो अपना सपना साकार कर सकती थीं और इसी के चलते उन्होंने भौतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन और फिर खूब मिहनत से गेट (GATE) परीक्षा पारित की और आईआईएससी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। फिर 1997 में उन्हें इसरो में नौकरी मिली। मंगल/ मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) में उनका काम क्राफ्ट की स्वायत्तता का संकल्प्न और उसका संचालन सुनिश्चित करना था। यह किसी भी उपग्रह प्रणाली का मस्तिष्क है जो कि एक सॉफ्टवेयर प्रणाली है जो खुद से काम करने के लिए पहले से ही कोडित है कि किसी क्षतिग्रस्त समय में मशीन ही निर्णय ले सके कि कौनसा हिस्सा कब हटाना है। .

नई!!: लखनऊ और ऋतु क्रिधल · और देखें »

छतर मंज़िल

छतर मंजिल छतर मंजिल लखनऊ का एक ऐतिहासिक भवन है। इसके निर्माण का प्रारंभ नवाब ग़ाज़ीउद्दीन हैदर ने किया और उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी नवाब नासिरुद्दीन हैदर ने इसको पूरा करवाया। इस दुमंज़िली इमारत का मुख्य कक्ष दुमंज़िली ऊँचाई का है और उसके ऊपर एक विशाल सुनहरी छतरी है जो दूर से देखी जा सकती है। इस छतरी के कारण ही इस भवन का नाम छतर मंज़िल पड़ा है। आजकल इसमें केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान का कार्यालय है। श्रेणी:लखनऊ के दर्शनीय स्थल.

नई!!: लखनऊ और छतर मंज़िल · और देखें »

छत्रपति साहूजी महाराज मेडिकल कॉलेज

छत्रपति साहूजी महाराज मेडिकल कॉलेज, उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में स्थित मेडिकल कॉलेज है। पहले इसे किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के नाम से जाना जाता था। १६ सितंबर २००२ को पारित एक अधिनियम के द्वारा लखनऊ के इस मेडिकल कॉलेज का स्तर उन्नत कर उसे विश्वविद्यालय का पद देते हुए छत्रपति साहूजी महाराज मेडिकल कॉलेज का नया नाम दिया गया। किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की स्थापना १९११ में हुई थी और यह उत्तर प्रदेश तथा भारत के सबसे पहले मेडिकल कॉलेजों में से एक था। .

नई!!: लखनऊ और छत्रपति साहूजी महाराज मेडिकल कॉलेज · और देखें »

१३ मई २००८ जयपुर बम विस्फोट

13 मई, 2008 को जयपुर में शृंखलाबद्ध सात बम विस्फोट किए गए। विस्फोट १२ मिनट की अवधि के भीतर घनी आबादी वाले स्थलों पर किए गए। आठवाँ बम निष्कृय पाया गया। प्रारंभिक सूचनाओं में मृतकों कि संख्या ६० बताई गई थी। इन विस्फोटों को हवा महल के निकट सहित विभिन्न इलाकों में साइकिलों के जरिये अंजाम दिया गया, जहाँ विदेशी पर्यटक आमतौर पर आते हैं। विस्फोटों के बाद काफी देर तक शहर की मोबाइल और टेलीफोन लाइनें जाम हो गईं, जिससे दूसरे शहरों में मौजूद लोग अपने परिजनों और रिश्तेदारों की खैरियत जानने के लिए परेशान होते रहे। ये धमाके त्रिपोलिया बाजार, जौहरी बाजार, माणक चौक, बड़ी चोपड़ और छोटी चोपड़ पर हुए। त्रिपोलिया बाजार में भी एक विस्फोट हुआ, जहाँ एक हनुमान मंदिर है और उस समय वहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। ये सभी धमाके दो किलोमीटर के दायरे में हुए। पुलिस ने कहा कि हनुमान मंदिर के निकट बम निरोधक दस्ते ने एक विस्फोटक को निष्क्रिय कर दिया है। मौके पर खून बिखरा पड़ा था। धमाके इतने शक्तिशाली थे कि कुछ लोगों के शव तो कुछ फुट ऊपर तक उड़ गए। हमले की साजिश काफी सावधानी से रची गई थी। राजस्थान के पुलिस महानिदेशक एएस गिल ने कहा कि निश्चित तौर पर यह आतंकवादी हमला था। .

नई!!: लखनऊ और १३ मई २००८ जयपुर बम विस्फोट · और देखें »

१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

१८५७ के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को समर्पित भारत का डाकटिकट। १८५७ का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति की शुरूआत '10 मई 1857' की संध्या को मेरठ मे हुई थी और इसको समस्त भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष ”क्रान्ति दिवस“ के रूप में मनाते हैं, क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध साझा मोर्चा गठित कर क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया।1 सैनिकों के विद्रोह की खबर फैलते ही मेरठ की शहरी जनता और आस-पास के गांव विशेषकर पांचली, घाट, नंगला, गगोल इत्यादि के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह कोतवाल (प्रभारी) के पद पर कार्यरत थे।2 मेरठ की पुलिस बागी हो चुकी थी। धन सिंह कोतवाल क्रान्तिकारी भीड़ (सैनिक, मेरठ के शहरी, पुलिस और किसान) में एक प्राकृतिक नेता के रूप में उभरे। उनका आकर्षक व्यक्तित्व, उनका स्थानीय होना, (वह मेरठ के निकट स्थित गांव पांचली के रहने वाले थे), पुलिस में उच्च पद पर होना और स्थानीय क्रान्तिकारियों का उनको विश्वास प्राप्त होना कुछ ऐसे कारक थे जिन्होंने धन सिंह को 10 मई 1857 के दिन मेरठ की क्रान्तिकारी जनता के नेता के रूप में उभरने में मदद की। उन्होंने क्रान्तिकारी भीड़ का नेतृत्व किया और रात दो बजे मेरठ जेल पर हमला कर दिया। जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा दी।3 जेल से छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले पुलिस फोर्स के नेतृत्व में क्रान्तिकारी भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया। मंगल पाण्डे 8 अप्रैल, 1857 को बैरकपुर, बंगाल में शहीद हो गए थे। मंगल पाण्डे ने चर्बी वाले कारतूसों के विरोध में अपने एक अफसर को 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर छावनी, बंगाल में गोली से उड़ा दिया था। जिसके पश्चात उन्हें गिरफ्तार कर बैरकपुर (बंगाल) में 8 अप्रैल को फासी दे दी गई थी। 10 मई, 1857 को मेरठ में हुए जनक्रान्ति के विस्फोट से उनका कोई सम्बन्ध नहीं है। क्रान्ति के दमन के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने 10 मई, 1857 को मेरठ मे हुई क्रान्तिकारी घटनाओं में पुलिस की भूमिका की जांच के लिए मेजर विलियम्स की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई।4 मेजर विलियम्स ने उस दिन की घटनाओं का भिन्न-भिन्न गवाहियों के आधार पर गहन विवेचन किया तथा इस सम्बन्ध में एक स्मरण-पत्र तैयार किया, जिसके अनुसार उन्होंने मेरठ में जनता की क्रान्तिकारी गतिविधियों के विस्फोट के लिए धन सिंह कोतवाल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया, उसका मानना था कि यदि धन सिंह कोतवाल ने अपने कर्तव्य का निर्वाह ठीक प्रकार से किया होता तो संभवतः मेरठ में जनता को भड़कने से रोका जा सकता था।5 धन सिंह कोतवाल को पुलिस नियंत्रण के छिन्न-भिन्न हो जाने के लिए दोषी पाया गया। क्रान्तिकारी घटनाओं से दमित लोगों ने अपनी गवाहियों में सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि धन सिंह कोतवाल क्योंकि स्वयं गूजर है इसलिए उसने क्रान्तिकारियों, जिनमें गूजर बहुसंख्या में थे, को नहीं रोका। उन्होंने धन सिंह पर क्रान्तिकारियों को खुला संरक्षण देने का आरोप भी लगाया।6 एक गवाही के अनुसार क्रान्तिकरियों ने कहा कि धन सिंह कोतवाल ने उन्हें स्वयं आस-पास के गांव से बुलाया है 7 यदि मेजर विलियम्स द्वारा ली गई गवाहियों का स्वयं विवेचन किया जाये तो पता चलता है कि 10 मई, 1857 को मेरठ में क्रांति का विस्फोट काई स्वतः विस्फोट नहीं वरन् एक पूर्व योजना के तहत एक निश्चित कार्यवाही थी, जो परिस्थितिवश समय पूर्व ही घटित हो गई। नवम्बर 1858 में मेरठ के कमिश्नर एफ0 विलियम द्वारा इसी सिलसिले से एक रिपोर्ट नोर्थ - वैस्टर्न प्रान्त (आधुनिक उत्तर प्रदेश) सरकार के सचिव को भेजी गई। रिपोर्ट के अनुसार मेरठ की सैनिक छावनी में ”चर्बी वाले कारतूस और हड्डियों के चूर्ण वाले आटे की बात“ बड़ी सावधानी पूर्वक फैलाई गई थी। रिपोर्ट में अयोध्या से आये एक साधु की संदिग्ध भूमिका की ओर भी इशारा किया गया था।8 विद्रोही सैनिक, मेरठ शहर की पुलिस, तथा जनता और आस-पास के गांव के ग्रामीण इस साधु के सम्पर्क में थे। मेरठ के आर्य समाजी, इतिहासज्ञ एवं स्वतन्त्रता सेनानी आचार्य दीपांकर के अनुसार यह साधु स्वयं दयानन्द जी थे और वही मेरठ में 10 मई, 1857 की घटनाओं के सूत्रधार थे। मेजर विलियम्स को दो गयी गवाही के अनुसार कोतवाल स्वयं इस साधु से उसके सूरजकुण्ड स्थित ठिकाने पर मिले थे।9 हो सकता है ऊपरी तौर पर यह कोतवाल की सरकारी भेंट हो, परन्तु दोनों के आपस में सम्पर्क होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता। वास्तव में कोतवाल सहित पूरी पुलिस फोर्स इस योजना में साधु (सम्भवतः स्वामी दयानन्द) के साथ देशव्यापी क्रान्तिकारी योजना में शामिल हो चुकी थी। 10 मई को जैसा कि इस रिपोर्ट में बताया गया कि सभी सैनिकों ने एक साथ मेरठ में सभी स्थानों पर विद्रोह कर दिया। ठीक उसी समय सदर बाजार की भीड़, जो पहले से ही हथियारों से लैस होकर इस घटना के लिए तैयार थी, ने भी अपनी क्रान्तिकारी गतिविधियां शुरू कर दीं। धन सिंह कोतवाल ने योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया।10 आदेश का पालन करते हुए अंग्रेजों के वफादार पिट्ठू पुलिसकर्मी क्रान्ति के दौरान कोतवाली में ही बैठे रहे। इस प्रकार अंग्रेजों के वफादारों की तरफ से क्रान्तिकारियों को रोकने का प्रयास नहीं हो सका, दूसरी तरफ उसने क्रान्तिकारी योजना से सहमत सिपाहियों को क्रान्ति में अग्रणी भूमिका निभाने का गुप्त आदेश दिया, फलस्वरूप उस दिन कई जगह पुलिस वालों को क्रान्तिकारियों की भीड़ का नेतृत्व करते देखा गया।11 धन सिंह कोतवाल अपने गांव पांचली और आस-पास के क्रान्तिकारी गूजर बाहुल्य गांव घाट, नंगला, गगोल आदि की जनता के सम्पर्क में थे, धन सिंह कोतवाल का संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में गूजर क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। मेरठ के आस-पास के गांवों में प्रचलित किवंदन्ती के अनुसार इस क्रान्तिकारी भीड़ ने धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में देर रात दो बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया12 और जेल को आग लगा दी। मेरठ शहर और कैंट में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था उसे यह क्रान्तिकारियों की भीड़ पहले ही नष्ट कर चुकी थी। उपरोक्त वर्णन और विवेचना के आधार पर हम निःसन्देह कह सकते हैं कि धन सिंह कोतवाल ने 10 मई, 1857 के दिन मेरठ में मुख्य भूमिका का निर्वाह करते हुए क्रान्तिकारियों को नेतृत्व प्रदान किया था।1857 की क्रान्ति की औपनिवेशिक व्याख्या, (ब्रिटिश साम्राज्यवादी इतिहासकारों की व्याख्या), के अनुसार 1857 का गदर मात्र एक सैनिक विद्रोह था जिसका कारण मात्र सैनिक असंतोष था। इन इतिहासकारों का मानना है कि सैनिक विद्रोहियों को कहीं भी जनप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं था। ऐसा कहकर वह यह जताना चाहते हैं कि ब्रिटिश शासन निर्दोष था और आम जनता उससे सन्तुष्ट थी। अंग्रेज इतिहासकारों, जिनमें जौन लोरेंस और सीले प्रमुख हैं ने भी 1857 के गदर को मात्र एक सैनिक विद्रोह माना है, इनका निष्कर्ष है कि 1857 के विद्रोह को कही भी जनप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं था, इसलिए इसे स्वतन्त्रता संग्राम नहीं कहा जा सकता। राष्ट्रवादी इतिहासकार वी0 डी0 सावरकर और सब-आल्टरन इतिहासकार रंजीत गुहा ने 1857 की क्रान्ति की साम्राज्यवादी व्याख्या का खंडन करते हुए उन क्रान्तिकारी घटनाओं का वर्णन किया है, जिनमें कि जनता ने क्रान्ति में व्यापक स्तर पर भाग लिया था, इन घटनाओं का वर्णन मेरठ में जनता की सहभागिता से ही शुरू हो जाता है। समस्त पश्चिम उत्तर प्रदेश के बन्जारो, रांघड़ों और गूजर किसानों ने 1857 की क्रान्ति में व्यापक स्तर पर भाग लिया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में ताल्लुकदारों ने अग्रणी भूमिका निभाई। बुनकरों और कारीगरों ने अनेक स्थानों पर क्रान्ति में भाग लिया। 1857 की क्रान्ति के व्यापक आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक कारण थे और विद्रोही जनता के हर वर्ग से आये थे, ऐसा अब आधुनिक इतिहासकार सिद्ध कर चुके हैं। अतः 1857 का गदर मात्र एक सैनिक विद्रोह नहीं वरन् जनसहभागिता से पूर्ण एक राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम था। परन्तु 1857 में जनसहभागिता की शुरूआत कहाँ और किसके नेतृत्व में हुई ? इस जनसहभागिता की शुरूआत के स्थान और इसमें सहभागिता प्रदर्शित वाले लोगों को ही 1857 की क्रान्ति का जनक कहा जा सकता है। क्योंकि 1857 की क्रान्ति में जनता की सहभागिता की शुरूआत धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में मेरठ की जनता ने की थी। अतः ये ही 1857 की क्रान्ति के जनक कहे जाते हैं। 10, मई 1857 को मेरठ में जो महत्वपूर्ण भूमिका धन सिंह और उनके अपने ग्राम पांचली के भाई बन्धुओं ने निभाई उसकी पृष्ठभूमि में अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान छुपी हुई है। ब्रिटिश साम्राज्य की औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की कृषि नीति का मुख्य उद्देश्य सिर्फ अधिक से अधिक लगान वसूलना था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अंग्रेजों ने महलवाड़ी व्यवस्था लागू की थी, जिसके तहत समस्त ग्राम से इकट्ठा लगान तय किया जाता था और मुखिया अथवा लम्बरदार लगान वसूलकर सरकार को देता था। लगान की दरें बहुत ऊंची थी, और उसे बड़ी कठोरता से वसूला जाता था। कर न दे पाने पर किसानों को तरह-तरह से बेइज्जत करना, कोड़े मारना और उन्हें जमीनों से बेदखल करना एक आम बात थी, किसानों की हालत बद से बदतर हो गई थी। धन सिंह कोतवाल भी एक किसान परिवार से सम्बन्धित थे। किसानों के इन हालातों से वे बहुत दुखी थे। धन सिंह के पिता पांचली ग्राम के मुखिया थे, अतः अंग्रेज पांचली के उन ग्रामीणों को जो किसी कारणवश लगान नहीं दे पाते थे, उन्हें धन सिंह के अहाते में कठोर सजा दिया करते थे, बचपन से ही इन घटनाओं को देखकर धन सिंह के मन में आक्रोष जन्म लेने लगा।13 ग्रामीणों के दिलो दिमाग में ब्रिटिष विरोध लावे की तरह धधक रहा था। 1857 की क्रान्ति में धन सिंह और उनके ग्राम पांचली की भूमिका का विवेचन करते हुए हम यह नहीं भूल सकते कि धन सिंह गूजर जाति में जन्में थे, उनका गांव गूजर बहुल था। 1707 ई0 में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात गूजरों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी राजनैतिक ताकत काफी बढ़ा ली थी।14 लढ़ौरा, मुण्डलाना, टिमली, परीक्षितगढ़, दादरी, समथर-लौहा गढ़, कुंजा बहादुरपुर इत्यादि रियासतें कायम कर वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक गूजर राज्य बनाने के सपने देखने लगे थे।15 1803 में अंग्रेजों द्वारा दोआबा पर अधिकार करने के वाद गूजरों की शक्ति क्षीण हो गई थी, गूजर मन ही मन अपनी राजनैतिक शक्ति को पुनः पाने के लिये आतुर थे, इस दषा में प्रयास करते हुए गूजरों ने सर्वप्रथम 1824 में कुंजा बहादुरपुर के ताल्लुकदार विजय सिंह और कल्याण सिंह उर्फ कलवा गूजर के नेतृत्व में सहारनपुर में जोरदार विद्रोह किये।16 पश्चिमी उत्तर प्रदेष के गूजरों ने इस विद्रोह में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया परन्तु यह प्रयास सफल नहीं हो सका। 1857 के सैनिक विद्रोह ने उन्हें एक और अवसर प्रदान कर दिया। समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेष में देहरादून से लेकिन दिल्ली तक, मुरादाबाद, बिजनौर, आगरा, झांसी तक। पंजाब, राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक के गूजर इस स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। हजारों की संख्या में गूजर शहीद हुए और लाखों गूजरों को ब्रिटेन के दूसरे उपनिवेषों में कृषि मजदूर के रूप में निर्वासित कर दिया। इस प्रकार धन सिंह और पांचली, घाट, नंगला और गगोल ग्रामों के गूजरों का संघर्ष गूजरों के देशव्यापी ब्रिटिष विरोध का हिस्सा था। यह तो बस एक शुरूआत थी। 1857 की क्रान्ति के कुछ समय पूर्व की एक घटना ने भी धन सिंह और ग्रामवासियों को अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया। पांचली और उसके निकट के ग्रामों में प्रचलित किंवदन्ती के अनुसार घटना इस प्रकार है, ”अप्रैल का महीना था। किसान अपनी फसलों को उठाने में लगे हुए थे। एक दिन करीब 10 11 बजे के आस-पास बजे दो अंग्रेज तथा एक मेम पांचली खुर्द के आमों के बाग में थोड़ा आराम करने के लिए रूके। इसी बाग के समीप पांचली गांव के तीन किसान जिनके नाम मंगत सिंह, नरपत सिंह और झज्जड़ सिंह (अथवा भज्जड़ सिंह) थे, कृषि कार्यो में लगे थे। अंग्रेजों ने इन किसानों से पानी पिलाने का आग्रह किया। अज्ञात कारणों से इन किसानों और अंग्रेजों में संघर्ष हो गया। इन किसानों ने अंग्रेजों का वीरतापूर्वक सामना कर एक अंग्रेज और मेम को पकड़ दिया। एक अंग्रेज भागने में सफल रहा। पकड़े गए अंग्रेज सिपाही को इन्होंने हाथ-पैर बांधकर गर्म रेत में डाल दिया और मेम से बलपूर्वक दायं हंकवाई। दो घंटे बाद भागा हुआ सिपाही एक अंग्रेज अधिकारी और 25-30 सिपाहियों के साथ वापस लौटा। तब तक किसान अंग्रेज सैनिकों से छीने हुए हथियारों, जिनमें एक सोने की मूठ वाली तलवार भी थी, को लेकर भाग चुके थे। अंग्रेजों की दण्ड नीति बहुत कठोर थी, इस घटना की जांच करने और दोषियों को गिरफ्तार कर अंग्रेजों को सौंपने की जिम्मेदारी धन सिंह के पिता, जो कि गांव के मुखिया थे, को सौंपी गई। ऐलान किया गया कि यदि मुखिया ने तीनों बागियों को पकड़कर अंग्रेजों को नहीं सौपा तो सजा गांव वालों और मुखिया को भुगतनी पड़ेगी। बहुत से ग्रामवासी भयवश गाँव से पलायन कर गए। अन्ततः नरपत सिंह और झज्जड़ सिंह ने तो समर्पण कर दिया किन्तु मंगत सिंह फरार ही रहे। दोनों किसानों को 30-30 कोड़े और जमीन से बेदखली की सजा दी गई। फरार मंगत सिंह के परिवार के तीन सदस्यों के गांव के समीप ही फांसी पर लटका दिया गया। धन सिंह के पिता को मंगत सिंह को न ढूंढ पाने के कारण छः माह के कठोर कारावास की सजा दी गई। इस घटना ने धन सिंह सहित पांचली के बच्चे-बच्चे को विद्रोही बना दिया।17 जैसे ही 10 मई को मेरठ में सैनिक बगावत हुई धन सिंह और ने क्रान्ति में सहभागिता की शुरूआत कर इतिहास रच दिया। क्रान्ति मे अग्रणी भूमिका निभाने की सजा पांचली व अन्य ग्रामों के किसानों को मिली। मेरठ गजेटियर के वर्णन के अनुसार 4 जुलाई, 1857 को प्रातः चार बजे पांचली पर एक अंग्रेज रिसाले ने तोपों से हमला किया। रिसाले में 56 घुड़सवार, 38 पैदल सिपाही और 10 तोपची थे। पूरे ग्राम को तोप से उड़ा दिया गया। सैकड़ों किसान मारे गए, जो बच गए उनमें से 46 लोग कैद कर लिए गए और इनमें से 40 को बाद में फांसी की सजा दे दी गई।18 आचार्य दीपांकर द्वारा रचित पुस्तक स्वाधीनता आन्दोलन और मेरठ के अनुसार पांचली के 80 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। पूरे गांव को लगभग नष्ट ही कर दिया गया। ग्राम गगोल के भी 9 लोगों को दशहरे के दिन फाँसी की सजा दी गई और पूरे ग्राम को नष्ट कर दिया। आज भी इस ग्राम में दश्हरा नहीं मनाया जाता। संदर्भ एवं टिप्पणी 1.

नई!!: लखनऊ और १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम · और देखें »

२००९

२००९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००९ बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को एवं आइएयू ने १६०९ में गैलीलियो गैलिली द्वारा खगोलीय प्रेक्षण आरंभ करने की घटना की ४००वीं जयंती के उपलक्ष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष घोषित किया है। .

नई!!: लखनऊ और २००९ · और देखें »

२५ नवंबर

२५ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२९वॉ (लीप वर्ष में ३३० वॉ) दिन है। साल में अभी और ३६ दिन बाकी है। .

नई!!: लखनऊ और २५ नवंबर · और देखें »

२६ नवम्बर

२६ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३३०वाँ (लीप वर्ष मे ३३१वाँ) दिन है। वर्ष मे अभी और ३५ दिन बाकी है। .

नई!!: लखनऊ और २६ नवम्बर · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

लखनऊ के क्षेत्र, लखनऊ के अनुसंधान संस्थान, लखनउ, लख्ननऊ, सिस-गोमती क्षेत्र, ट्रांस-गोमती क्षेत्र

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »