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रोहिणी (उपग्रह)

सूची रोहिणी (उपग्रह)

रोहिणी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा शुरू की गई उपग्रहों की एक श्रृंखला है। रोहिणी श्रृंखला में चार उपग्रह थे, जो सभी भारतीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन द्वारा प्रक्षेपित किए गये थे और जिसमे से तीन सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित हो गये। श्रृंखला ज्यादातर प्रयोगात्मक उपग्रहों को प्रायोगिक प्रक्षेपण वाहन एसएलवी द्वारा लाँच करने पर आधारित थी। .

4 संबंधों: भारतीय उपग्रहों की सूची, संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान, स्ट्रेच्ड रोहिणी उपग्रह श्रंखला, उपग्रह प्रक्षेपण यान

भारतीय उपग्रहों की सूची

भारत ने 1975 से अब (३० अगस्त २०१३) तक ७१ कृत्रिम उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है। ये उपग्रह विभिन्न प्रक्षेपण यानों द्वारा प्रक्षेपित किये गये हैं जैसे अमेरिकी, रूसी, यूरोपीय तथा स्वदेशी यान। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारतीय उपग्रहों के डिजाइन एवं निर्माण का कार्य करती है। .

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संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान

संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (Augmented Satellite Launch Vehicle) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक पांच चरण ठोस ईंधन रॉकेट था। यह पृथ्वी की निचली कक्ष में 150 किलो के उपग्रहों स्थापित करने में सक्षम था। इस परियोजना को भू-स्थिर कक्षा में पेलोड के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए 1980 के दशक के दौरान भारत द्वारा शुरू किया गया था। इसका डिजाइन उपग्रह प्रक्षेपण यान पर आधारित था http://www.astronautix.com/lvs/aslv.htm .

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स्ट्रेच्ड रोहिणी उपग्रह श्रंखला

स्ट्रेच्ड रोहिणी उपग्रह श्रंखला (Stretched Rohini Satellite Series या SROSS) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित उपग्रहों की एक श्रृंखला हैं। जिसे रोहिणी उपग्रहों के बाद विकसित किया गया था। इन उपग्रहों को संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान की विकासात्मक उड़ानों के लिए पेलोड के रूप में विकसित किया गया था। .

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उपग्रह प्रक्षेपण यान

उपग्रह प्रक्षेपण यान या एसएलवी (SLV) परियोजना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 1970 के दशक में शुरू हुई परियोजना है जो उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए की गयी थी। उपग्रह प्रक्षेपण यान परियोजना एपीजे अब्दुल कलाम की अध्यक्षता में की गयी थी। उपग्रह प्रक्षेपण यान का उद्देश्य 400 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचना और 40 किलो के पेलोड को कक्षा में स्थापित करना था। अगस्त 1979 में एसएलवी-3 की पहली प्रायोगिक उड़ान हुई, परन्तु यह विफल रही। यह चार चरण वाला ठोस प्रणोदक रॉकेट था। उपग्रह प्रक्षेपण यान का पहला प्रक्षेपण 10 अगस्त 1979 को श्रीहरिकोटा से हुआ। उपग्रह प्रक्षेपण यान का चौथे और अंतिम प्रक्षेपण 17 अप्रैल 1983 को हुआ। .

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