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रोशन सिंह

सूची रोशन सिंह

रोशन सिंह (जन्म:१८९२-मृत्यु:१९२७) ठाकुर रोशन सिंह (१८९२ - १९२७) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के एक क्रान्तिकारी थे। असहयोग आन्दोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में हुए गोली-काण्ड में सजा काटकर जैसे ही शान्तिपूर्ण जीवन बिताने घर वापस आये कि हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन में शामिल हो गये। यद्यपि ठाकुर साहब ने काकोरी काण्ड में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया था फिर भी आपके आकर्षक व रौबीले व्यक्तित्व को देखकर काकोरी काण्ड के सूत्रधार पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व उनके सहकारी अशफाक उल्ला खाँ के साथ १९ दिसम्बर १९२७ को फाँसी दे दी गयी। ये तीनों ही क्रान्तिकारी उत्तर प्रदेश के शहीदगढ़ कहे जाने वाले जनपद शाहजहाँपुर के रहने वाले थे। इनमें ठाकुर साहब आयु के लिहाज से सबसे बडे, अनुभवी, दक्ष व अचूक निशानेबाज थे। .

12 संबंधों: चन्द्रशेखर आजाद, प्रताप (पत्र), माउज़र पिस्तौल, रामदुलारे त्रिवेदी, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, शाहजहाँपुर जिला, सुशीला दीदी, हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, काकोरी (मंगल ग्रह), काकोरी काण्ड, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, १९ दिसम्बर

चन्द्रशेखर आजाद

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया। .

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प्रताप (पत्र)

प्रताप हिन्दी का समाचार-पत्र था जिसेने भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभायी। प्रताप के जरिये जहाँ न जाने कितने क्रान्तिकारी स्वाधीनता आन्दोलन से रूबरू हुए, वहीं समय-समय पर यह अखबार क्रान्तिकारियों हेतु सुरक्षा की ढाल भी बना। इसे गणेश शंकर 'विद्यार्थी' ने सन् १९१३ से कानपुर से निकालना आरम्भ किया। .

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माउज़र पिस्तौल

माउज़र पिस्तौल (अंग्रेजी: Mauser C96) मूल रूप से जर्मनी में बनी एक अर्द्ध स्वचालित पिस्तौल है। इस पिस्तौल का डिजाइन जर्मनी निवासी दो माउज़र बन्धुओं ने सन् 1895 में तैयार किया था। बाद में 1896 में जर्मनी की ही एक शस्त्र निर्माता कम्पनी माउज़र ने इसे माउज़र सी-96 के नाम से बनाना शुरू किया। 1896 से 1937 तक इसका निर्माण जर्मनी में हुआ। 20वीं शताब्दी में इसकी नकल करके स्पेन और चीन में भी माउज़र पिस्तौलें बनीं। इसकी मैगज़ीन ट्रिगर के आगे लगती थी जबकि सामान्यतया सभी पिस्तौलों में मैगज़ीन ट्रिगर के पीछे और बट के अन्दर होती है। इस पिस्तौल का एक अन्य मॉडल लकड़ी के कुन्दे के साथ सन 1916 में बनाया गया। इसमें बट के साथ लकड़ी का बड़ा कुन्दा अलग से जोड़ कर किसी रायफल या बन्दूक की तरह भी प्रयोग किया जा सकता था। विंस्टन चर्चिल को यह पिस्तौल बहुत पसन्द थी। भारतीय क्रान्तिकारी रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने महज़ 4 माउज़र पिस्तौलों के दम पर 9 अगस्त 1925 को काकोरी के पास ट्रेन रोक कर सरकारी खजाना लूट लिया था। स्पेन ने सन् 1927 में इसी की नक़ल करते हुए अस्त्र मॉडल बनाया। रेलवे गार्डों की सुरक्षा हेतु सन् 1929 में चीन ने इसकी नकल करके.45 कैलिबर का माउज़र बनाया। .

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रामदुलारे त्रिवेदी

रामदुलारे त्रिवेदी (जन्म: 1902, मृत्यु: 1975) संयुक्त राज्य आगरा व अवध (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया था जिसके कारण उन्हें छ: महीने के कठोर कारावास की सज़ा काटनी पड़ी। जेल से छूटकर आये तो राम प्रसाद 'बिस्मिल' द्वारा गठित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये। वे एक सच्चे स्वतन्त्रता सेनानी थे। उन्हें काकोरी काण्ड में केवल पाँच वर्ष के सश्रम कारावास का दण्ड मिला था। स्वतन्त्र भारत में उनका देहान्त 11 मई 1975 को कानपुर में हुआ। 1921 से 1945 तक कई बार जेल गये किन्तु स्वर नहीं बदला। प्रताप और टंकार जैसे दो दो साप्ताहिक समाचार पत्रों का सम्पादन किया। त्रिवेदी जी ने कुछ पुस्तकें भी लिखी थीं जिनमें उल्लेखनीय थी-काकोरी के दिलजले जो 1939 में छपते ही ज़ब्त हो गयी। उनकी यह पुस्तक इतिहास का एक दुर्लभ दस्तावेज़ है। .

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राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी

राजेन्द्र लाहिडी की दुर्लभ फोटो राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी (अंग्रेजी:Rajendra Nath Lahiri, बाँग्ला:রাজেন্দ্র নাথ লাহিড়ী, जन्म:१९०१-मृत्यु:१९२७) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे। युवा क्रान्तिकारी लाहिड़ी की प्रसिद्धि काकोरी काण्ड के एक प्रमुख अभियुक्त के रूप में हैं। .

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शाहजहाँपुर जिला

शाहजहाँपुर जिला (अंग्रेजी: Shahjahanpur district) भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है जिसका मुख्यालय शाहजहाँपुर है। यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जिसकी पुष्टि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा यहाँ के कुछ उत्साही व प्रमुख व्यक्तियों के माध्यन से कराये गये उत्खनन में मिले सिक्कों, बर्तनों व अन्य बस्तुओं के सर्वेक्षण से हुई है। उत्तर वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय की वस्तुस्थितियों तक इस जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सदैव ही चर्चा में रही है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सन् १८५७ के प्रथम स्वातन्त्र्य समर से लेकर १९२५ के काकोरी काण्ड तथा १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन तक इस जिले की प्रमुख भूमिका रही है। इसे शहीद गढ़ या शहीदों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। शाहजहांपुर को 2018 में उत्तर प्रदेश का 17 वां नगर निगम का दर्जा मिला है । .

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सुशीला दीदी

सुशीला दीदी (५ मार्च १९०५ - १३ जनवरी १९६३) भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक क्रांतिकारी महिला थीं। .

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हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, जिसे संक्षेप में एच॰आर॰ए॰ भी कहा जाता था, भारत की स्वतंत्रता से पहले उत्तर भारत की एक प्रमुख क्रान्तिकारी पार्टी थी जिसका गठन हिन्दुस्तान को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश तथा बंगाल के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा सन् १९२४ में कानपुर में किया गया था। इसकी स्थापना में लाला हरदयाल की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। काकोरी काण्ड के पश्चात् जब चार क्रान्तिकारियों को फाँसी दी गई और एच०आर०ए० के सोलह प्रमुख क्रान्तिकारियों को चार वर्ष से लेकर उम्रकैद की सज़ा दी गई तो यह संगठन छिन्न-भिन्न हो गया। बाद में इसे चन्द्रशेखर आजाद ने भगत सिंह के साथ मिलकर पुनर्जीवित किया और एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। सन् १९२४ से लेकर १९३१ तक लगभग आठ वर्ष इस संगठन का पूरे भारतवर्ष में दबदबा रहा जिसके परिणामस्वरूप न केवल ब्रिटिश सरकार अपितु अंग्रेजों की साँठ-गाँठ से १८८५ में स्थापित छियालिस साल पुरानी कांग्रेस पार्टी भी अपनी मूलभूत नीतियों में परिवर्तन करने पर विवश हो गयी। .

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काकोरी (मंगल ग्रह)

काकोरी (मंगल ग्रह) पृथ्वी से करोड़ों मील दूर मंगल ग्रह पर स्थित एक क्रेटर का नाम है। इसका व्यास 29.7 किलोमीटर है और यह मंगल ग्रह के अक्षांश 41.8 व देशांतर 29.9 पर स्थित है। सन् 1976 में इसका नामकरण भारत के एक ऐतिहासिक शहर काकोरी के नाम पर किया गया था। .

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काकोरी काण्ड

काकोरी-काण्ड के क्रान्तिकारी सबसे ऊपर या प्रमुख बिस्मिल थे राम प्रसाद 'बिस्मिल' एवं अशफाक उल्ला खाँ नीचे ग्रुप फोटो में क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशानसिंह, 10.पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल', 11.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 12.गोविन्दचरण कार, 13.रामदुलारे त्रिवेदी, 14.रामनाथ पाण्डेय, 15.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 16.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 17.प्रणवेशकुमार चटर्जी काकोरी काण्ड (अंग्रेजी: Kakori conspiracy) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो ९ अगस्त १९२५ को घटी। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे। इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९ अगस्त १९२५ को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी। इस मुकदमें में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था। .

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अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, (उर्दू: اشفاق اُللہ خان, अंग्रेजी:Ashfaq Ulla Khan, जन्म:22 अक्तूबर १९००, मृत्यु:१९२७) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और १९ दिसम्बर सन् १९२७ को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है। .

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१९ दिसम्बर

19 दिसम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 353वॉ (लीप वर्ष में 354 वॉ) दिन है। साल में अभी और 12 दिन बाकी हैं। .

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