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रैखिक निकाय

सूची रैखिक निकाय

रेखीय तन्त्र (Linear systems) वे तन्त्र हैं अध्यारोपण का सिद्धान्त (superposition) तथा स्केलिंग (scaling) के गुण को सन्तुष्ट करते हैं .

7 संबंधों: फूर्ये रूपान्तर, रैखिक परिपथ, लाप्लास रूपान्तर, जेड रूपान्तर, अध्यारोपण प्रमेय, अरैखिक नियंत्रण, अरेखीय तंत्र

फूर्ये रूपान्तर

फूर्ये रूपान्तर (Fourier transform) एक गणितीय रूपान्तर है जो भौतिकी एवं इंजीनियरी में अत्यन्त उपयोगी है। इसका नाम जोसेफ फूर्ये के नाम पर पड़ा है। फूर्ये रूपान्तर समय \scriptstyle f(t) के किसी फलन को एक नए फलन \scriptstyle \hat f or \scriptstyle F, में रूपन्तरित करता है जिसका अर्गुमेन्ट आवृत्ति (रेडियन प्रति सेकेण्ड) है। इस नए फलन F को फलन f का फूर्ये रूपान्तर या 'फ्रेक्वेंसी स्पेक्ट्रम' कहते हैं। .

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रैखिक परिपथ

रैखिक परिपथ (linear circuit) वह परिपथ है जिसमें f आवृत्ति का साइनवक्रीय (साइनस्वायडल) इनपुट वोल्टेज लगाने पर उसके सभी वोल्टेज तथा धाराएँ भी f आवृत्ति की साइनवक्रीय होती हैं। हाँ, यह आवश्यक नहीं है कि सभी वोल्टेज और धारायें इनपुट के फेज में ही हों।.

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लाप्लास रूपान्तर

लाप्लास रूपान्तर (Laplace transform) एक प्रकार का समाकल रूपान्तर (integral transform) है। यह भौतिकी एवं इंजीनियरी के अनेकानेक क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए परिपथ विश्लेषण में। इसको \displaystyle\mathcal \left\ से निरूपित करते हैं। यह एक रैखिक संक्रिया है जो वास्तविक अर्गुमेन्ट t (t ≥ 0) वाले फलन f(t) को समिश्र अर्गुमेन्ट वाले फलन F(s) में बदल देता है। लाप्लास रूपान्तर, प्रसिद्ध गणितज्ञ खगोलविद पिएर सिमों लाप्लास के नाम पर रखा गया है। लाप्लास रूपान्तर का उपयोग अवकल समीकरण तथा समाकल समीकरण (इंटीग्रल इक्वेशन) हल करने में किया जाता है। .

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जेड रूपान्तर

गणित एवं संकेत प्रसंस्करण में जेड रूपान्तर (Z-transform) किसी डिस्क्रीट टाइम-डोमेन संकेत को समिश्र (कम्प्लेक्स) आवृत्ति-डोमेन में बदलता है। डिस्क्रीट टाइम-डोमेन संकेत से तात्पर्य ऐसे संकेत से है जो केवल कुछ निश्चित समयों पर अशून्य मान रखता है, शेष समय वह शून्य रहता है। जेड-रूपान्तर को लाप्लास रूपान्तर का विविक्त-समय अनुरूप (discrete-time equivalent) के रूप में समझा जा सकता है। इसका उपयोग आंकिक संकेत प्रसंस्करण (डीएसपी) एवं आंकिक नियंत्रण (डिजिटल कन्ट्रोल) में किया जाता है। .

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अध्यारोपण प्रमेय

अध्यारोपण प्रमेय (superposition theorem) सभी रेखीय तन्त्रों पर लागू होता है। विद्युत परिपथों के लिये अध्यारोपण के सिद्धान्त के अनुसार किसी रेखीय परिपथ के किसी शाखा में कुल धारा का मान प्रत्येक स्रोत द्वारा, अकेले कार्य करते हुए, उस शाखा में प्रवाहित धाराओं के बीजगणितीय योग के बराबर होती है। किसी एक स्रोत का योगदान निकालने के लिये अन्य स्रोतों को निष्क्रिय करना आवश्यक है। इसके लिये -.

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अरैखिक नियंत्रण

अरैखिक नियंत्रण (Nonlinear control theory), नियंत्रण सिद्धान्त का वह क्षेत्र है जो अरैखिक तंत्रों या समय के साथ परिवर्तनशील (time-variant) तंत्रों से सम्बन्धित है। दूसरे शब्दों में, जिन नियंत्रण तन्त्रों में (प्लान्ट में, या कन्ट्रोलर में, या दोनों में) अरैखिकता की महत्वपूर्ण भूमिका हो, उसे अरैखिक नियन्त्रण तन्त्र कहते हैं। बहुत से इंजीनियरी या प्राकृतिक तन्त्र मूलतः अरैखिक ही होते हैं। .

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अरेखीय तंत्र

अरेखीय तंत्र (nonlinear system) वे तन्त्र हैं जो रेखीय नही हैं। अर्थात वे तन्त्र जो अध्यारोपण सिद्धान्त (superposition principle) के शर्तों को संतुष्ट नहीं करते, उन्हें अरेखीय कहा जाता है। भौतिकशास्त्रियों एवं इंजिनियरों को अरेखीय तन्त्रों में रुचि इसलिये है कि अधिकांश तन्त्र मूलतः अरेखीय ही होते हैं। या, अधिकांश तन्त्र केवल सीमित दायरे में ही रेखीय होते हैं, सम्पूर्ण दायरे में नहीं। इसके अलावा बहुत से कार्यों के लिये अरेखीय तन्त्र ही अधिक उपयुक्त होते हैं, न कि रेखीय। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

रैखिक तंत्र, रैखिकता, रेखीय तन्त्र, रेखीय तंत्र

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