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रैंकोजी मन्दिर

सूची रैंकोजी मन्दिर

रैंकोजी मन्दिर (जा: 蓮光寺 (杉並区), अं: Renkōji Temple) जापान के टोकियो में स्थित एक बौद्ध मन्दिर है। 1594 में स्थापित यह मन्दिर बौद्ध स्थापत्य कला का दर्शनीय स्थल है। एक मान्यता के अनुसार भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रिम सेनानी सुभाष चन्द्र बोस की अस्थियाँ यहाँ आज भी सुरक्षित रखी हुई हैं। दरअसल 18 सितम्बर 1945 को उनकी अस्थियाँ इस मन्दिर में रखी गयीं थीं। परन्तु प्राप्त दस्तावेज़ों के अनुसार नेताजी की मृत्यु एक माह पूर्व 18 अगस्त 1945 को ही ताइहोकू के सैनिक अस्पताल में रात्रि 21.00 बजे हो गयी थी। जापान के लोग यहाँ प्रति वर्ष 18 अगस्त को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का बलिदान दिवस मनाते हैं। .

5 संबंधों: मुखर्जी आयोग, सुभाष चन्द्र बोस, सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु, क्रान्ति-तीर्थ, अनिता बोस फाफ

मुखर्जी आयोग

मुखर्जी आयोग (Justice Mukherjee Commission of Inquiry into the alleged disappearance of Netaji Subhas Chandra Bose) एकसदस्यीय बोर्ड था जिसे १९९९ में गठित गया। इसे १९४५ में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की रहस्यमय मृत्यु जी जाँच करने के लिये गठित किया गया था। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश न्यायमूर्ति मनोज मुखर्जी इसके अध्यक्ष थे। ७ वर्ष की जाँच बाद ०६ मई २००६ को आयोग ने अपनी रपट प्रस्तुत की। इसमें आयोग ने पाया कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया। आयोग ने मुख्यत: निम्न निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं-.

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सुभाष चन्द्र बोस

सुभाष चन्द्र बोस (बांग्ला: সুভাষ চন্দ্র বসু उच्चारण: शुभाष चॉन्द्रो बोशु, जन्म: 23 जनवरी 1897, मृत्यु: 18 अगस्त 1945) जो नेता जी के नाम से भी जाने जाते हैं, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था। नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये। सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया। 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक भयंकर युद्ध था। इस युद्ध में जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा था और यही एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ। 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं। नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है। जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से सम्बंधित दस्तावेज़ अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किये? 16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता हाई कोर्ट ने नेताजी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की माँग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये स्पेशल बेंच के गठन का आदेश दिया। .

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सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु

नेताजी की अन्तिम विमान यात्रा: पूर्ण की गयी यात्रा को नीले रंग में दर्शाया गया है। १६ अगस्त १९४५ को उन्होने सिंगापुर से बैंकाक के लिये प्रस्थान किया। १६ अगस्त को ही, या १७ अगस्त की सुबह, वे बैंकाक से सैगों (Saigon; अब हो चि मिन्ह सिटी) गये। १७ अगस्त को तीसरे पहर वे वहाँ से तौरानी (Tourane; वर्तमान समय में दा नाङ, वियतनाम) गये। १८ अगस्त को सुबह ५ बजे वे वहाँ से फॉर्मोसा के लिये रवाना हुए। 18 अगस्त को दिन में ढाई बजे उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया...। १८अगस्त १९४५ के बाद का सुभाषचन्द्र बोस का जीवन/मृत्यु आज तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। १८ अगस्त १९४५ को उनके अतिभारित जापानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। यह दुर्घटना जापान अधिकृत फोर्मोसा (वर्तमान ताइवान) में हुई थी। उसमें नेताजी मृत्यु के पाश से सुरक्षित बच गये थे या नहीं, इसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, उनके अधिकतर समर्थक, मुख्यतः बंगाल में, इस समय को तथ्यहीन और मृत्यु के कारण नहीं होना बताकर अस्वीकार करते हैं। उनके निधन के कुछ ही घण्टों में षड्यंत्रकारी सिद्धान्त प्रकट होने लगे और तत्पश्चात लम्बी अवधि तक जारी रही एवं बोस के बारे में सामरिक मिथकों को अस्तित्वमय बनाते रहे। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार जाँच के लिए तीन बार आयोग गठित किये जिनमें से दो ने विमान दुर्घटना में मौत की पुष्टि की लेकिन तीसरे के अनुसार बोस ने अपने आप को नकली मौत दी। यह रिपोर्ट को सरकार ने बिना किसी कारण के अस्वीकृत कर दी। .

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क्रान्ति-तीर्थ

हाईगेट लन्दन का इण्डिया हाउस, जिसकी अनुकृति बनाकर क्रान्ति तीर्थ में रखी गयी है। क्रान्ति-तीर्थ गुजरात का एक सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह कच्छ के माण्डवी जिले में माण्डवी नगर से 3 किलोमीटर दूर माण्डवी धारबुदी मार्ग पर स्थित है। श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा यूनाइटेड किंगडम में बीसवी शताब्दी के प्रारम्भ में स्थापित हाईगेट लन्दन के ऐतिहासिक इण्डिया हाउस की अनुकृति इस पर्यटन स्थल में विशेष रूप से दर्शनीय है। गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 13 दिसम्बर 2010 को राष्ट्र को समर्पित इस क्रान्ति-तीर्थ को देखने दूर-दूर से पर्यटक गुजरात आते हैं। गुजरात सरकार का पर्यटन विभाग इसकी देखरेख करता है। .

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अनिता बोस फाफ

अनिता बोस फाफ (अंग्रेजी: Anita Bose Pfaff, जन्म: नवम्बर 1942 वियेना) एक जर्मन अर्थशास्त्री हैं। वह ऑग्सबर्ग यूनीवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुकी हैं। इस समय वह अपने पति प्रो मार्टिन फाफ के साथ उनकी जर्मन सोशल डिमोक्रेटिक पार्टी में सक्रिय रहती हैं। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता सुभाष चन्द्र बोस और उनकी ऑस्ट्रियन पत्नी एमिली शेंकल की एकमात्र सन्तान हैं। जब उनके पिता सन् 1934 में वियेना अपना इलाज कराने गये थे उस समय उन्हें वहाँ काफी समय तक ठहरना पड़ा। उन दिनों एक किताब लिखने के लिये उन्हें अंग्रेजी जानने वाली एक महिला सचिव की जरूरत हुई। इसके लिये उन्होंने जून 1934 में एमिली शैंकल को अपना सचिव नियुक्त कर लिया। बोस और एमिली एक दूसरे के नजदीक आ गये और उन्होंने आपस में शादी कर ली। उन दोनों के संसर्ग से अनीता का जन्म हुआ।.अगस्त 1945 में जब बोस का विमान दुर्घटना में देहान्त हुआ उस समय अनीता बहुत छोटी बच्ची थी। दुर्घटना से पूर्व सुभाष अपनी पुत्री को देख आये थे। अनिता बोस नाम उन्होंने ही दिया था। परन्तु सुभाष अनिता की परवरिश न कर सके इस कारण वियेना में लोग उसे अनिता शेंकल फाफ के नाम से जानने लगे। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

रैंकोजी मन्दिर (जापान), रेनकोजी मंदिर, रेंकोजी मंदिर

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