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रेखांश

सूची रेखांश

अक्षांश विषुवत वृत्त से उत्तर या दक्षिण दिशा में स्थित किसी स्थान की कोणीय दूरी को अक्षांश कहते हैं यह कौण पृथ्वी के केंद्र पर बनता है। इसे भूमध्य रेखा के दोनों और अंशों में मापा जाता है.

55 संबंधों: चुम्बकीय दिक्पात, टाइम बॉल, डिएगो गार्सिया, तिब्बत, दक्षिण अमेरिका, ध्रुवीय कक्षा, नुआपड़ा जिला, न्येनचेन थंगल्हा पर्वतमाला, पर्यटन भूगोल, पहाड़ी मैना, प्रधान मध्याह्न रेखा, बिहार का भूगोल, बख्शाली, बग़दाद, बेलिंग्सहाउज़ेन सागर, भारतीय सर्वेक्षण विभाग, भूगोल का इतिहास, भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली, मध्याह्न रेखा, मानचित्र प्रक्षेप, मोदीनगर, यूटीसी-१२:००, यूटीसी−०९:००, यूकॉन, रानी मौड धरती, राजकुमारी एलिज़ाबेथ धरती, राॅबर्ट वाॅशोप (ब्रिटिश नौसेना अधिकारी), रॉस अधीनक्षेत्र, लेब्राडोर धारा, शैकलटन हिमचट्टान, सायन पर्वत शृंखला, संचार उपग्रह, स्ट्रूव जिओडेटिक आर्क, जापान मानक समय, जाखम नदी, ज्योतिष पक्ष, जीसैट-2, वानूआतू, वक्रता त्रिज्या, व्यास (ज्यामिति), व्हाइटहॉर्स, युकॉन, वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली, ख़ोलोदिलनिक पर्वत, ख़ोजा, गाशरब्रुम, गुना, ग्रीनलैण्ड हिमचादर, गोलीय निर्देशांक पद्धति, गोविन्दपुर झखराहा, आर्डिनेंस सर्वेक्षण राष्ट्रीय ग्रिड, ..., कैंटर (गड्ढा), केम्प धरती, अफ़्रीका, अमेरिगो वेस्पूची, उपग्रह नौवहन प्रणाली सूचकांक विस्तार (5 अधिक) »

चुम्बकीय दिक्पात

चित्र में किसी स्थान का दिक्पात कोण दिखाया गया है। यह उस स्थान पर उन दो रेखाओं के बीच के कोण के बराबर है। किसी स्थान का चुम्बकीय दिक्पात (Magnetic declination या variation), उस स्थान पर स्थित क्षैतिज समतल पर चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव तथा भौगोलिक उत्तरी ध्रुव के बीच के कोण को कहते हैं। किसी स्थान का चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव वह दिशा है जिस दिशा में उस स्थान पर रखी चुम्बकीय सूई का उत्तरी सिरा स्थित होता है। अर्थात उस स्थान पर धरती का चुम्बकीय क्षेत्र इसी दिशा में (चुम्बकीय उत्तर में) होता है। इसी प्रकार, किसी स्थान पर भौगोलिक उत्तर दिशा उस स्थान पर उत्तरी ध्रुव को मिलाने वाली देशान्तर रेखा की दिशा में होता है। पृथ्वी के प्रत्येक स्थान पर दिक्पात कोण अलग-अलग होता है। यह समय के साथ भी बदलता है। .

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टाइम बॉल

टिइम बाॅल या कालगेंद एक, अब नाकारा हो चुके समय-संकेतक युक्ती का नाम था, जिसे पहले अपतटीय जहाज़ों एवं नाविकों को सटीक समय का संकेत कराने के लिये इस्तमाल किया जाता था ताकी बंदर्गाह या सफ़र पर जा रहे अन्य जहाज़ अपने समुद्री कालमापियों को सफ़र पर जाने से पहले सटीक रूप से निर्धारित कर सकें। १९वीं सदी में इसका इस्तमाल चरम पर था। इलेक्ट्रानिक समय संकेतों का आविश्कार एवं प्रचनल के साथ ही इस गतकालीन युक्ती का उपयोग धीरे-धीरे खनम हो गया, परन्तु कुछ जगहों पर कसे अभी भी ऐतिहासिक पर्यटक आकर्शणों के तौर पर रखा गया है। इस्का आविश्कार सन १८२९ में राॅबर्ट वाॅशोप नामक एक अंग्रेज़ ऐडमिरल द्वारा किया गया था। .

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डिएगो गार्सिया

डिएगो गार्सिया एक उष्णकटिबंधीय, पदचिह्न-आकार का मूंगे का प्रवालद्वीप (एटोल) है जो भूमध्य रेखा के दक्षिण में मध्य हिंद महासागर में सात डिग्री, छब्बीस मिनट दक्षिण अक्षांश (भूमध्य रेखा के दक्षिण में) पर स्थित है। यह ब्रिटिश हिंद महासागरीय क्षेत्र का हिस्सा है और इसकी अवस्थिति 72°23' पूर्व देशांतर में है। यह एटोल अफ्रीकी तट के लगभग पूर्व में और भारत के दक्षिण सिरे से दक्षिण में है (चित्र 2.3).

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तिब्बत

तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .

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दक्षिण अमेरिका

दक्षिण अमेरिका (स्पेनी: América del Sur; पुर्तगाली: América do Sul) उत्तर अमेरिका के दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिमी गोलार्द्ध का एक महाद्वीप है। दक्षिणी अमेरिका उत्तर में १३० उत्तरी अक्षांश (गैलिनस अन्तरीप) से दक्षिण में ५६० दक्षिणी अक्षांश (हार्न अन्तरीप) तक एवं पूर्व में ३५० पश्चिमी देशान्तर (रेशिको अन्तरीप) से पश्चिम में ८१० पश्चिमी देशान्तर (पारिना अन्तरीप) तक विस्तृत है। इसके उत्तर में कैरीबियन सागर तथा पनामा नहर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व में अन्ध महासागर, पश्चिम में प्रशान्त महासागर तथा दक्षिण में अण्टार्कटिक महासागर स्थित हैं। भूमध्य रेखा इस महाद्वीप के उत्तरी भाग से एवं मकर रेखा मध्य से गुजरती है जिसके कारण इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबन्ध में पड़ता है। दक्षिणी अमेरिका की उत्तर से दक्षिण लम्बाई लगभग ७,२०० किलोमीटर तथा पश्चिम से पूर्व चौड़ाई ५,१२० किलोमीटर है। विश्व का यह चौथा बड़ा महाद्वीप है, जो आकार में भारत से लगभग ६ गुना बड़ा है। पनामा नहर इसे पनामा भूडमरुमध्य पर उत्तरी अमरीका महाद्वीप से अलग करती है। किंतु पनामा देश उत्तरी अमरीका में आता है। ३२,००० किलोमीटर लम्बे समुद्रतट वाले इस महाद्वीप का समुद्री किनारा सीधा एवं सपाट है, तट पर द्वीप, प्रायद्वीप तथा खाड़ियाँ कम हैं जिससे अच्छे बन्दरगाहों का अभाव है। खनिज तथा प्राकृतिक सम्पदा में धनी यह महाद्वीप गर्म एवं नम जलवायु, पर्वतों, पठारों घने जंगलों तथा मरुस्थलों की उपस्थिति के कारण विकसित नहीं हो सका है। यहाँ विश्व की सबसे लम्बी पर्वत-श्रेणी एण्डीज पर्वतमाला एवं सबसे ऊँची टीटीकाका झील हैं। भूमध्यरेखा के समीप पेरू देश में चिम्बोरेजो तथा कोटोपैक्सी नामक विश्व के सबसे ऊँचे ज्वालामुखी पर्वत हैं जो लगभग ६,०९६ मीटर ऊँचे हैं। अमेजन, ओरीनिको, रियो डि ला प्लाटा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। दक्षिण अमेरिका की अन्य नदियाँ ब्राज़ील की साओ फ्रांसिस्को, कोलम्बिया की मैगडालेना तथा अर्जेण्टाइना की रायो कोलोरेडो हैं। इस महाद्वीप में ब्राज़ील, अर्जेंटीना, चिली, उरुग्वे, पैराग्वे, बोलिविया, पेरू, ईक्वाडोर, कोलोंबिया, वेनेज़ुएला, गुयाना (ब्रिटिश, डच, फ्रेंच) और फ़ाकलैंड द्वीप-समूह आदि देश हैं। .

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ध्रुवीय कक्षा

ध्रुवीय कक्षा एक ध्रुवीय कक्षा (polar orbit), वह कक्षा है जिसमें एक कृत्रिम उपग्रह किसी पिंड की प्रत्येक परिक्रमा पर एक पूरे चक्कर में उसके दोनों ध्रुवों के ऊपर या लगभग ऊपर से गुजरता है | इस कारण भूमध्यरेखा से इसका झुकाव ९० डिग्री (या इससे बहुत करीब) होता है | सामान्यतः यह पिंड पृथ्वी जैसा या संभवतः सूर्य के जैसा होता है | ध्रुवीय भू-समकालिक कक्षा (geosynchronous orbit) के विशेष मामले को छोड़कर, ध्रुवीय कक्षा में उपग्रह अपने प्रत्येक चक्कर में भूमध्यरेखा के ऊपर एक भिन्न देशांतर पर से गुजरता है | ध्रुवीय कक्षाओं का उपयोग अक्सर पृथ्वी के मानचित्रण, पृथ्वी प्रेक्षण और टोही उपग्रहों के साथ ही साथ कुछ मौसम उपग्रहों के लिए भी लिए किया जाता है | इरिडियम उपग्रह समूह भी दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए एक ध्रुवीय कक्षा का उपयोग करता है | इस कक्षा के लिए नुकसान यह है कि पृथ्वी की सतह पर कोई एक स्थान ऐसा नहीं है जहां से इस ध्रुवीय कक्षा के उपग्रह से लगातार संपर्क किया जा सकता हो | निकट-ध्रुवीय कक्षा उपग्रहों के लिए एक सूर्य-समकालिक कक्षा का चयन करना महज सामान्य बात है: जिसका अर्थ है कि एक के बाद एक कक्षीय गुजारें के दिन पर एक ही स्थानीय समय होता है | वायुमंडलीय तापमान के सुदूर संवेदन जैसे अनुप्रयोगों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है | परिक्रमा करते हुए उपग्रह द्वारा स्थानीय समय के साथ सामंजस्य आवश्यक है जिसमें समय के साथ परिवर्तन हो सकता है | किसी दिए गए गुजारें पर एक ही स्थानीय समय रखने के लिए, कक्षा के लिए यह वांछनीय है कि वह जितनी संभव हो छोटी से छोटी हो, कहने का तात्पर्य है जितनी संभव हो सके निम्न हो | हालांकि, कुछ सौ किलोमीटर की बहुत निम्न कक्षाओं में तेजी से वायुमंडल से अवरोध के कारण क्षय होगा | प्रयोग में लाइ जाने वाली सामान्य उंचाई लगभग १००० कि॰मी॰ है, यह लगभग १०० मिनटों की एक कक्षीय अवधि निर्मित करती है |सूर्य के तरफ की आधी कक्षा में तो केवल 50 मिनट लगते हैं, इस दौरान दिन के स्थानीय समय में बहुत भिन्नता नहीं होती है | जैसे जैसे पृथ्वी वर्ष के दौरान सूर्य के चारों ओर घूमती जाती है वैसे वैसे सूर्य-समकालिक कक्षा बनाए रखने के लिए, उपग्रह की कक्षा को ठीक उसी समान दर पर अयन करना चाहिए | सीधे ध्रुवों के ऊपर से गुजरने वाले उपग्रहों के लिए, यह नहीं होगा | लेकिन पृथ्वी के भूमध्यरेखीय उभार के कारण, एक मामूली कोण पर झुकी कक्षा बलाघूर्ण के अधीन अयनांश का कारण बनती है, यह पता चला है कि ध्रुव से लगभग ८ डिग्री का एक कोण एक १०० मिनट की कक्षा में वांछित अयनांश निर्मित करता है | .

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नुआपड़ा जिला

नुआपाड़ा भारतीय राज्य ओड़िशा का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नुआपाड़ा में स्थित है। पश्चिमी उड़ीसा का नौपाडा जिला मध्य प्रदेश के रायपुर और उड़ीसा के बारगढ़, बालंगीर व कालाहांडी जिलों से घिरा हुआ है। 3407.05 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जिला 1993 तक कालाहांडी का हिस्सा था, लेकिन प्रशासनिक सुविधा के लिहाज से इसे कालाहांडी से अलग एक नए जिले के रूप में गठित कर दिया गया। इस जिले का विस्तार 20° 0' उ० एवं 21° 5' उ० रेखांश तथा 82° 20' पू० एवं 82° 40' पू० अक्षांश के बीच है। पटोरा जोगेश्वर मंदिर, राजीव उद्यान, पातालगंगा, योगीमठ, बूढ़ीकोमना, खरियर, गोधू जलप्रताप आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। .

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न्येनचेन थंगल्हा पर्वतमाला

न्येनचेन थंगल्हा पर्वतमाला (तिब्बती: གཉན་ཆེན་ཐང་ལྷ་, चीनी: 念青唐古拉山, अंग्रेज़ी: Nyenchen Tanglha Mountain Range) दक्षिणी तिब्बत में स्थित ७०० किमी तक चलने वाली एक पर्वत श्रेणी है। अपने से पश्चिम में स्थित कैलाश पर्वतमाला के साथ मिलाकर यह पारहिमालय शृंखला बनाती है। इसका नाम न्येनचेन थंगल्हा पर्वत पर पड़ा है जो इसका सबसे ऊँचा पहाड़ भी है। न्येनचेन थंगल्हा की क़तार यरलुंग त्संगपो नदी (यानि ब्रह्मपुत्र नदी) से उत्तर में लगभग 30°30' उत्तर के अक्षांश (लैटीट्यूड) पर 90° पूर्व से लेकर 97° पूर्व के रेखांश (लॉगीट्यूड) तक चलती है। इसके साथ-साथ यरलुंग त्संगपो की दूसरी तरफ़ हिमालय हैं। .

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पर्यटन भूगोल

वास्को डि गामा कालीकट, भारत के तट पर 20 मई 1498। पर्यटन भूगोल या भू-पर्यटन, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इस शाखा में पर्यटन एवं यात्राओं से सम्बन्धित तत्वों का अध्ययन, भौगोलिक पहलुओं को ध्यान में रखकर किया जाता है। नेशनल जियोग्रेफ़िक की एक परिभाषा के अनुसार किसी स्थान और उसके निवासियों की संस्कृति, सुरुचि, परंपरा, जलवायु, पर्यावरण और विकास के स्वरूप का विस्तृत ज्ञान प्राप्त करने और उसके विकास में सहयोग करने वाले पर्यटन को "पर्यटन भूगोल" कहा जाता है। भू पर्यटन के अनेक लाभ हैं। किसी स्थल का साक्षात्कार होने के कारण तथा उससे संबंधित जानकारी अनुभव द्वारा प्राप्त होने के कारण पर्यटक और निवासी दोनों का अनेक प्रकार से विकास होता हैं। पर्यटन स्थल पर अनेक प्रकार के सामाजिक तथा व्यापारिक समूह मिलकर काम करते हैं जिससे पर्यटक और निवासी दोनों के अनुभव अधिक प्रामाणिक और महत्त्वपूर्ण बन जाते है। भू पर्यटन परस्पर एक दूसरे को सूचना, ज्ञान, संस्कार और परंपराओं के आदान-प्रदान में सहायक होता है, इससे दोनों को ही व्यापार और आर्थिक विकास के अवसर मिलते हैं, स्थानीय वस्तुओं कलाओं और उत्पाद को नए बाज़ार मिलते हैं और मानवता के विकास की दिशाएँ खुलती हैं साथ ही बच्चों और परिजनों के लिए सच्ची कहानियाँ, चित्र और फिल्में भी मिलती हैं जो पर्यटक अपनी यात्रा के दौरान बनाते हैं। पर्यटन भूगोल के विकास या क्षय में पर्यटन स्थल के राजनैतिक, सामाजिक और प्राकृतिक कारणों का बहुत महत्त्व होता है और इसके विषय में जानकारी के मानचित्र आदि कुछ उपकरणों की आवश्यकता होती है। .

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पहाड़ी मैना

आम हिल Myna (सारिका), कभी - कभी "मैना" वर्तनी और पूर्व बस"हिल Myna रूप में जाना जाता", सबसे अधिक मैना पक्षी में देखा पक्षीपालन, जहां यह अक्सर बस बाद के दो नामों से करने के लिए भेजा.

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प्रधान मध्याह्न रेखा

प्रधान मध्याह्न रेखा की स्थिति (लम्बवत) ग्रीनविच शहर में प्रधान मध्याह्न रेखा पृथ्वी पर 0° देशान्तर पर खींची गई मध्याह्न रेखा प्रधान मध्याह्न रेखा, प्रधान याम्योत्तर, या ग्रीनविच रेखा कहलाती है। दुनिया का मानक समय इसी रेखा से निर्धारित किया जाता हैं (कोरडिनेटिड युनिवर्सल टाइम -UTC)। लन्दन के एक शहर ग्रीनविच इसी रेखा पर स्थित हैं इसलिय इसे ग्रीनविच रेखा भी कहते है। प्रधान मध्याह्न रेखा के पूर्व ने स्थित 180° तक के देशान्तर, पूर्वी देशान्तर तथा पश्चिम की ओर स्थित देशान्तर, पश्चिमी देशान्तर कहलाते हैं। श्रेणी:भौगोलिक रेखाएं श्रेणी:भूगणित.

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बिहार का भूगोल

बिहार 21°58'10" ~ 27°31'15" उत्तरी अक्षांश तथा 82°19'50" ~ 88°17'40" पूर्वी देशांतर के बीच स्थित भारतीय राज्य है। मुख्यतः यह एक हिंदी भाषी राज्य है लेकिन उर्दू, मैथिली, भोजपुरी, मगही, बज्जिका, अंगिका तथा एवं संथाली भी बोली जाती है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। 2001 की जनगणना के अनुसार बिहार राज्य की जनसंख्या 8,28,78,796 है जिनमें ६ वर्ष से कम आयु का प्रतिशत 19.59% है। 2002 में झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार का भूभाग मुख्यतः नदियों के बाढमैदान एवं कृषियोग्य समतल भूमि है। गंगा तथा इसकी सहायक नदियों द्वारा लायी गयी मिट्टियों से बिहार का जलोढ मैदान बना है जिसकी औसत ऊँचाई १७३ फीट है। बिहार का उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र .

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बख्शाली

बख्शाली (Bakhshali) पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा के मर्दान जिले में स्थित एक गाँव एवं यूनियन काउन्सिल है। यह 34°17'0 उत्तरी अक्षांश तथा 72°9'0 पूर्वी देशान्तर पर समुद्र तल से 307 मीटर की उंचाई पर स्थित है। .

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बग़दाद

बगदाद एक प्रमुख नगर बग़दाद (بغداد) विश्व का एक प्रमुख नगर एवं ईराक की राजधानी है। इसका नाम ६०० ईपू के बाबिल के राजा भागदत्त पर पड़ा है। यह नगर 4,000 वर्ष पहले पश्चिमी यूरोप और सुदूर पूर्व के देशों के बीच, समुद्री मार्ग के आविष्कार के पहले कारवाँ मार्ग का प्रसिद्ध केंद्र था तथा नदी के किनारे इसकी स्थिति व्यापारिक महत्व रखती थी। मेसोपोटामिया के उपजाऊ भाग में स्थित बगदाद वास्तव में शांति और समृद्धि का केंद्र था। 9वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में यह अपने चरमोत्कर्ष पर था। उस समय यहाँ प्रबुद्ध खलीफा की छत्रछाया में धनी व्यापारी एवं विद्वान लोग फले-फूले। रेशमी वस्त्र एवं विशाल खपरैल के भवनों के लिए प्रसिद्ध बगदाद इस्लाम धर्म का केंद्र रहा है। यहाँ का औसत ताप लगभग 23 डिग्री सें.

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बेलिंग्सहाउज़ेन सागर

बेलिंग्सहाउज़ेन सागर (Bellingshausen Sea) अंटार्कटिक प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर ५७°१८' पश्चिम और १०२°२०' पश्चिम रेखांशो के बीच स्थित सागर है। यह एकेक्स्ज़ैन्डर द्वीप से पश्चिम में, थर्सटन द्वीप के फ़्लाइंग फ़िश अंतरीप (Cape Flying Fish) से पूर्व और पीटर प्रथम द्वीप से दक्षिण में स्थित है। बेलिंग्सहाउज़ेन सागर से दक्षिण में पश्चिम-से-पूर्व एट्स तट, ब्रायन तट और इंगलिश तट स्थित हैं, जो पश्चिमी अंटार्कटिका क भाग हैं। पश्चिम में यह अमंडसेन सागर से मिलता है। .

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भारतीय सर्वेक्षण विभाग

भारतीय सर्वेक्षण विभाग, भारत की नक्शे बनाने और सर्वेक्षण करने वाली केन्द्रीय एजेंसी है। इसका गठन १७६७ में ब्रिटिश इंडिया कम्पनी के क्षेत्रों को संगठित करने हेतु किया गया था। यह भारत सरकार के पुरातनतम अभियांत्रिक विभागों में से एक है। सर्वेक्षण विभाग की अद्भुत इतिहास रचना में व्याल/मैमथ महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण भी आते हैं। .

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भूगोल का इतिहास

भूगोल का इतिहास इस भूगोल नामक ज्ञान की शाखा में समय के साथ आये बदलावों का लेखा जोखा है। समय के सापेक्ष जो बदलाव भूगोल की विषय वस्तु, इसकी अध्ययन विधियों और इसकी विचारधारात्मक प्रकृति में हुए हैं उनका अध्ययन भूगोल का इतिहास करता है। भूगोल प्राचीन काल से उपयोगी विषय रहा है और आज भी यह अत्यन्त उपयोगी है। भारत, चीन और प्राचीन यूनानी-रोमन सभ्यताओं ने प्राचीन काल से ही दूसरी जगहों के वर्णन और अध्ययन में रूचि ली। मध्य युग में अरबों और ईरानी लोगों ने यात्रा विवरणों और वर्णनों से इसे समृद्ध किया। आधुनिक युग के प्रारंभ के साथ ही भौगोलिक खोजों का युग आया जिसमें पृथ्वी के ज्ञात भागों और उनके निवासियों के विषय में ज्ञान में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। भूगोल की विचारधारा या चिंतन में भी समय के साथ बदलाव हुए जिनका अध्ययन भूगोल के इतिहास में किया जाता है। उन्नीसवीं सदी में पर्यावरणीय निश्चयवाद, संभववाद और प्रदेशवाद से होते हुए बीसवीं सदी में मात्रात्मक क्रांति और व्यावहारिक भूगोल से होते हुए वर्तमान समय में भूगोल की चिंतनधारा आलोचनात्मक भूगोल तक पहुँच चुकी है। भूगोल शब्द संस्कृत के भू और गोल शब्दों से मिल कर बना है जिसका अर्थ है गोलाकार पृथ्वी। प्राचीन समय में जब भूकेंद्रित ब्रह्माण्ड (geocentric universe) की संकल्पना प्रचलित थी तब पृथ्वी और आकाश को दो गोलों के रूप में कल्पित किया गया था भूगोल और खगोल। खगोल जो आकाश का प्रतिनिधित्व करता था, बड़ा गोला था और इसके केन्द्र में पृथ्वी रुपी छोटा गोला भूगोल अवस्थित माना गया। इन दोनों के वर्णनों और प्रेक्षणों के लिये संबंधित विषय बाद में भूगोल और खगोलशास्त्र (ज्योतिष) कहलाये। भूगोल के लिये अंग्रेजी शब्द ज्याग्रफी यूनानी भाषा के γεωγραφία – geographia से बना है जो स्वयं geo (पृथ्वी) और graphia (वर्णन, चित्रण, निरूपण) से मिलकर बना है। इस शब्द 'geographia' का सर्वप्रथम प्रयोग इरैटोस्थनीज (276–194 ई॰ पू॰) ने किया था। .

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भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली

पृथ्वी के मानचित्र पर अक्षांश (क्षैतिज) व (देशांतर रेखाएं (लम्बवत), एकर्ट षष्टम प्रोजेक्शन; https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/graphics/ref_maps/pdf/political_world.pdf वृहत संस्करण (पीडीएफ़, ३.१२MB) भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली (अंग्रेज़ी:जियोग्राफिक कोआर्डिनेट सिस्टम) एक प्रकार की निर्देशांक प्रणाली होती है, जिसके द्वारा पृथ्वी पर किसी भी स्थान की स्थिति तीन (३) निर्देशांकों के माध्यम से निश्चित की जा सकती है। ये गोलाकार निर्देशांक प्रणाली द्वारा दिये जाते हैं। पृथ्वी पूर्ण रूप से गोलाकार नहीं है, बल्कि एक अनियमित आकार की है, जो लगभग एक इलिप्सॉएड आकार बनाती है। इसके लिये इस प्रकार की निर्देशांक प्रणाली बनाना, जो पृथ्वी पर उपस्थित प्रत्येक बिन्दु के लिये अंकों के अद्वितीय मेल से बनने वाला स्पष्ट निर्देशांक प्रस्तुत करे, अपने आप में एक प्रकार की चुनौती था। .

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मध्याह्न रेखा

मध्याह्न रेखा या याम्योत्तर पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव के मिलाने वाली और उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची गयी काल्पनिक रेखाओं को कहते हैं। .

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मानचित्र प्रक्षेप

विभिन्न प्रकार की भू-ग्रिड गोलाकार पृथ्वी अथवा पृथ्वी के किसी बड़े भू-भाग का समतल सतह पर मानचित्र बनाने के लिए प्रकाश अथवा ज्यामितीय विधियों के द्वारा निर्मित अक्षांस-देशान्तर रेखाओं के जाल या भू-ग्रिड को मानचित्र प्रक्षेप (map projection) कहा जाता हैं। मानचित्रकला (कार्टोग्राफी) के अंतर्गत ग्लोब की अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं को समतल धरातल (कागज) पर स्थानांतरित करने की विधि को मानचित्र प्रक्षेप कहते हैं। इस प्रकार खींची हुई अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं को "रेखाजाल" कहा जाता है। ग्लोब की अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं को किसी समतल धरातल पर विशुद्ध रूप से स्थानांतरित करना संभव नहीं, क्योंकि ग्लोब के वक्र धरातल को बिना किसी अशुद्धि के समतल नहीं किया जा सकता। .

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मोदीनगर

मोदीनगर की स्थिति यह २६.८६ उत्तर अक्षांश एवं ८०.९१ पूर्व रेखांश में है। यह शहर गाजियाबाद के उत्तर-पश्चिम में राष्ट्रीय राजमार्ग- ५८ (गाजियाबाद-देहरादून) पर मेरठ व गाजियाबाद के ठीक बीच में स्थित है। इससे लगा तीसरा शहर है हापुड़। राजमार्ग के समानांतर ही उत्तर रेलवे का दिल्ली-सहारनपुर रेल मार्ग भी जाता है। मोदीनगर से ही एक पक्की सड़क हापुड़ (२३ कि.मी) को भी जाती है। सन २०११की जनगणना अनुसार, मोदीनगर की जनसंख्या १३०३२५ है, जिसमें से ५३%पुरुष एवं ४७% स्त्रियां हैं। मोदीनगर का औसत साक्षरता दर ८८.४३% है। यहां हिंदुओं की जनसंख्या लगभग ९३.०४%है इस शहर की स्थापना १९३३ में रायबहादुर गूजर मल मोदी ने यहां मोदी चीनी मिल के आरंभ से की थी। इसका नाम अपने वंशनाम मोदी पर मोदीनगर बना कर रखा था। यहां मूलतः बेगमाबाद गाँव था, जिसका ५७१ एकड़ भाग अब इस कस्बे में आता है। बेगमाबाद की स्थापना नवाब ज़ाफर अली ने अपनी एक दिल्ली की बेगम के नाम पर की थी। इसका महत्व व मूल नाम मोदीनगर की औद्योगिक प्रगति के चलते समाप्त सा ही हो गया है। इसके साथ ही १९३९ में कोटोजेम वनस्पति और १९४० में साबुन उद्योग आरंभ किया। इस कंपनी के साबुन में खास बात यह थी, कि अबतक निर्मित साबुनों में चर्बी प्रयोग होती थी, किंतु गूजर मल जी के निर्देश पर पहली बार वनस्पति से पूर्ण हर्बल साबुन का निर्माण हुआ। उसके बाद यहां १९४१ में टिन उद्योग तथा खाद्य पदार्थ उद्योग स्थापित हुए, जिसमें से खाद्य पदार्थों की आपूर्ति भारतीय सेना के लिए की जाती थी। १९४३ में यहां बिस्कुट फैक्ट्री लगाई गई। १९४४में मोती ऑयल मिल की स्थापना हुई। मोदीनगर में मोदी के उद्योगों में मुख्यतः चीनी, खाद्य तेल, कपड़ा (रेयॉन एवं रेशम सहित), साबुन, पेण्ट-रोगन, वार्निश, लालटेन, ग्लीसरीन, सूती धागे, कार्बन डाइ ऑक्साइड एवं आटा का उत्पादन होता है। रानी बाला बाई सिंधिया द्वारा बनवाया गया एक मंदिर, जो पूर्व बेगमाबाद में आता था, अब मोदीनगर के क्षेत्र में आता है। यह मोदीनगर पुलिस स्टेशन के सामने रुक्मिणी देवी कन्या इंटर कॉलिज के निकट बना हुआ है। .

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यूटीसी-१२:००

यूटीसी-१२:०० (UTC−12:00) एक समय मंडल जो यूटीसी पर हो रहे समय से १२ घंटे घटाने पर आता है। यानि जब ग्रीनविच में दिन के १२ बज रहे होते हैं तो यहाँ उसी दिन के रात के १२ बज रहे होते हैं, यानि वो दिन शुरु हो रहा होता है जो ग्रीनविच पर १२ घंटे पहले ही शुरु हो चुका है। .

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यूटीसी−०९:००

यूटीसी−०९:०० UTC−09:00) यूटीसी से ९ घंटे पीछे का एक समय मंडल है। यानि जब ग्रीनविच में दिन के १२ बज रहे होते हैं तो इस समय मंडल में अभी रात के ३ ही बज रहे होते हैं, यानि उस दिन की सुबह नहीं हुई होती है। इस समय मंडल का इस्तेमाल निम्न जगहों पर होता है। .

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यूकॉन

यूकॉन, Yukon (अन्य नाम द युकों) कनाडा के पश्चिमी छोर पर स्थित व तीन प्रांतों में से सबसे छोटा प्रान्त है। व्हाइटहॉर्स, यूकॉन की राजधानी और यहाँ का एकमात्र शहर है। यह प्रदेश नॉर्थवेस्ट टेरीटरीज़ से 1898 में अलग कर दिया गया था और इसे यूकॉन प्रान्त ("Yukon Territory") नाम दिया गया। २७ मार्च २००२ को संघीय सरकार के यूकॉन कानून के तहत इस पश्चिमी क्षेत्र को आधिकारिक रूप से यूकॉन नाम दिया गया। हालांकि यूकॉन टेरीटरी अभी भी इसका एक प्रचलित नाम है। जिसे लघु रूप में वाईटी (YT) कहते हैं। हालांकि यहाँ कि सरकार आधिकारिक रूप से अंग्रेज़ी और फ्रांसीसी भाषा का उपयोग करती है, प्राथमिक लोग भाषाओं की भी मान्यता है। की ऊँचाई के साथ यूकॉन के क्लुआन राष्ट्रीय अभयारण्य में स्थित लोगन पर्वत कनाडा का सबसे ऊँचा और अलास्का में स्थित देनाली के बाद उत्तर अमेरिका का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। अधिकांश यूकॉन में उपआर्कटिक जलवायु होती है। जिसमें लंबी सर्दियाँ और छोटी गर्मियाँ होती हैं। यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं: यूकॉन नदी जिसके नाम पर ही इस प्रान्त का नाम भी रखा गया है। पेली, स्टीवर्ट, पील, व्हाइट और टैटशेनशिनी नदी भी यहीं बहती हैं। .

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रानी मौड धरती

रानी मौड धरती (Queen Maud Land) पूर्वी अंटार्कटिका का एक भाग है। यह कोट्स धरती से पूर्व में और एन्डर्बी धरती से पश्चिम में स्थित है। अंटार्कटिका में साधारणतया क्षेत्र दक्षिणी ध्रुव से दो रेखांशों (लोंगीट्यूडों) के बीच परिभाषित किये जाते हैं। रानी मौड धरती २०° पश्चिम और ४५° पूर्व के रेखांशों के बीच का इलाक़ा है। नॉर्वे यहाँ पर अपनी सम्प्रभुता बताता हैं, लेकिन न तो उसे विश्व के अन्य देश स्वीकारते हैं और न ही इसे अंटार्कटिक संधि में मान्यता दी गई है। रानी मौड धरती का क्षेत्रफल २७ लाख वर्ग किमी है। तुलना के लिये भारत का कुल क्षेत्रफल ३२ लाख से ज़रा अधिक है। .

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राजकुमारी एलिज़ाबेथ धरती

राजकुमारी एलिज़ाबेथ धरती (Princess Elizabeth Land) पूर्वी अंटार्कटिका का एक भूभाग है। यह रेखांश ७३° पूर्व और ८७°४३' पूर्व के बीच का क्षेत्र है। इसके पूर्वी छोर पर पेन्क अंतरीप (Cape Penck) है। ध्यान दें कि यह रानी एलिज़ाबेथ धरती से बिलकुल अलग है। .

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राॅबर्ट वाॅशोप (ब्रिटिश नौसेना अधिकारी)

राॅबर्ट वाॅशोप(Robert Wauchope) (१७८८-१८६२) एक ब्रिटिश ऐडमिरल जिस ने, कभी सुप्रचलित रह चुके, टाइम बाॅल(कालगेंद) का आविष्कार किया था। उन्होंने ने अपना पूरा जिवन ब्रिटेन की शाही नौसेना की सेवा में गुज़ार दिया जिस बीच उन्होंने कई सैन्य अभियानों में शामिल भी थे। उनके बारे में यह भी जाना जाता है कि वे काफी धारमिक व्यक्ती थे। .

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रॉस अधीनक्षेत्र

रॉस अधीनक्षेत्र (Ross Dependency) अंटार्कटिका का एक भूभाग है। यह रेखांश १६०° पूर्व और १५०° पश्चिम के बीच का क्षेत्र है। विक्टोरिया धरती का कुछ हिस्सा और रॉस हिमचट्टान का अधिकांश भाग इसमें आता है। न्यू ज़ीलैण्ड यहाँ पर अपनी सम्प्रभुता बताता है, लेकिन न तो उसे विश्व के अन्य देश स्वीकारते हैं और न ही इसे अंटार्कटिक संधि में मान्यता दी गई है। .

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लेब्राडोर धारा

लेब्राडोर धारा अन्ध महासागर में बहने वाली एक ठंडी महासागरीय धारा हैं, जो कि बैफिन की खाडी तथा डेविस जलडमरुमध्य से प्रारम्भ होकर न्यूफाउण्डलैण्ड तट से होती हुई ग्राण्ड बैंक के पूर्व से गुजरने के बाद ५० डिग्री पश्चिम देशान्तर के पूर्व में गल्फ स्ट्रीम से मिल जाती हैं। श्रेणी:महासागरीय धारायें श्रेणी:अन्ध महासागर की सागरीय धारायें.

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शैकलटन हिमचट्टान

शैकलटन हिमचट्टान (Shackleton Ice Shelf) के ३८४ किमी तट पर (रेखांश ९५° पूर्व से लेकर १०५° पूर्व) पर विस्तृत एक हिमचट्टान है। अपने पश्चिमी भाग में यह १४५ किमी तक सागर में फैली हुई है और पूर्व में सागर के ऊपर यह ६४ किमी की दूरी तक पहुँचती है। कुल मिलाकर यह ३३,८२० वर्ग किमी का क्षेत्रफल रखती है। यह मौसन सागर का भाग है और पश्चिम में रानी मेरी धरती के तट को पूर्व में विल्क्स धरती के नोक्स तट से अलग करती है। .

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सायन पर्वत शृंखला

सायन की पूर्वी और पश्चिमी शाखाओं का नक़्शा, जिसमें अल्ताई पर्वत भी देखे जा सकते हैं लटकती चट्टान, पश्चिमी सायन के ऍरगाकी इलाक़े सायन पर्वत शृंखला (रूसी: Саяны, सायनी; मंगोल: Саяаны нуруу, सायनी नुउरी) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वत शृंखला है। भौगोलिक दृष्टि से इसके दो खंड हैं - पूर्वी और पश्चिमी। पूर्वी सायन के पहाड़ येनिसेय नदी (जो रेखांश ९२°पूर्व पर स्थित है) से शुरू होकर पूर्व की ओर १,००० किमी फैला हुआ है ओर बायकल झील पर जा के रुकते हैं (जो 106°पूर्व पर है)। पश्चिमी सायन अल्ताई पर्वत श्रंखला के पूर्वी छोर (89°पूर्व) से शुरू होकर पूर्वोत्तर की तरफ़ जाते हैं और करीब ६०० किमी बाद पूर्वी सायन श्रंखला से बीच में (९६°पूर्व पर) जा मिलते हैं। तूवा के इलाक़े से ज़रा दक्षिण-पश्चिम में सायन के ऊंचे पहाड़ और ठंडी झीलों के इर्द-गिर्द के जलसंभर के झरने सारे येनिसेय नदी में मिल जाते हैं। यह नदी उत्तर की ओर ३,२०० किमी (२,००० मील) का सफ़र तय कर के उत्तरध्रुवीय महासागर में जा मिलती है। १९४४ के बाद, कई दशकों तक सोवियत संघ ने इस इलाक़े को बाहरी दुनिया से बंद किया हुआ था, जिस वजह से आज भी यहाँ का वातावरण साफ़ और सुरक्षित है। .

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संचार उपग्रह

U.स सैन्य MILSTAR संचार उपग्रह दूरसंचार के प्रयोजनों के लिए संचार उपग्रह (कभी-कभी संक्षेप में SATCOM प्रयुक्त) अंतरिक्ष में तैनात एक कृत्रिम उपग्रह है। आधुनिक संचार उपग्रह भू-स्थिर कक्ष, मोलनीय कक्ष, अन्य दीर्घवृत्ताकार कक्ष और पृथ्वी के निचले (ध्रुवीय और ग़ैर-ध्रुवीय) कक्ष सहित विभिन्न प्रकार के परिक्रमा-पथों का उपयोग करते हैं। निश्चित (बिंदु-दर-बिंदु) सेवाओं के लिए, संचार उपग्रह पनडुब्बी संचार केबल के पूरक माइक्रोवेव रेडियो प्रसारण तकनीक उपलब्ध कराते हैं। उनका इस्तेमाल मोबाइल अनुप्रयोगों, जैसे जहाज, वाहनों, विमानों और हस्तचालित टर्मिनलों तथा टी.वी.

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स्ट्रूव जिओडेटिक आर्क

स्ट्रूव जियोडेटिक आर्क (Struve Geodetic Arc) नॉर्वे के हैमरफेस्ट से काला सागर तक फैले सर्वेक्षण त्रिकोणों की एक श्रृंखला है, जो दस देशों और 2,820 किमी से अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है, इसकी सहायता से देशान्तर रेखा का पहला सटीक मापन किया गया था।Norwegian Directorate for Cultural Heritage,Dronningensg 13, P.O.Box 8196, Dep.

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जापान मानक समय

जापान मानक समय या जेएसटी (日本標準時 Nihon Hyōjunji या 中央標準時 Chūō Hyōjunji) जापान का मानक समय मंडल है जो यूटीसी से ९ घंटे आगे रहता है। यह यूटीसी समय मंडल यूटीसी+०९:०० के कूट से भी जाना जाता है क्योंकि यूटीसी के समय से ९ घंटे जोड़ने पर जापान का समय मिलता है। यहाँ पर कोई दिवालोक बचत समय नहीं है। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इसे अक्सर टोक्यो मानक समय भी कहा जाता था। जापान मानक समय कोरिया मानक समय इंडोनेशियाई पूर्वी मानक समय और याकुत्सक समय के समान है। .

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जाखम नदी

जाखम नदी राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के छोटी सदरी की पहाड़ियों के दक्षिण-पश्चिम में उदित होती है और उदयपुर जिले के पहाड़ी क्षेत्रों से होते हुए दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। बिलारा गाँव के पास ये सोम नदी में मिल जाती है। इस नदी पर जाखम परियोजना के अंतर्गत बांध निर्माण किया गया है। .

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ज्योतिष पक्ष

फलित ज्योतिष में ज्योतिष पक्ष (astrological aspect) कुण्डली में विभिन्न नक्षत्रों के एक-दूसरे से बनाए गए कोणों को कहते हैं। दो नक्षत्रों के बीच का ज्योतिष पक्ष पृथ्वी पर खड़े किसी प्रेक्षक के दृष्टिकोण से इन दो नक्षत्रों के बीच की सूर्यपथ रेखांश के आधार पर अनुमानित कोणीय दूरी होती है। भिन्न ज्योतिष परम्पराओं में ज्योतिक्ष पक्षों का प्रभाव अलग समझा जाता है। प्राचीन यूनानी परम्परा में ९०° का कोण सर्वाधिक प्रभावशाली समझा जाता है। यदि मंगल और शुक्र के बीच ९२° की कोणीय दूरी है तो वह पूर्ण पक्ष से २° कम मानी जाती है। .

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जीसैट-2

जीसैट-2 was an experimental communication satellite built by the भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित एक प्रयोगधर्मी संचार उपग्रह था जिसे पहले जीएसएलवी प्रमोचन यान से १८ मई २००३ को प्रक्षेपित किया गया था। उपग्रह को 48° पूर्व देशांतर पर भू-स्थैतिक कक्षा में भेजा गया था। u बैंड ट्रॉन्सपौंडर और एक चलित उपग्रह सेवा and a Mobile Satellite Service (MSS) payload operating in S-band forward link and C-band return link.

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वानूआतू

वानूआतू (बिस्लामा में; अंग्रेजी में या), आधिकारिक तौर पर वानूआतू गणराज्य (République de Vanuatu, बिस्लामा रिपब्लिक ब्लोंग वानूआतू), दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीप राष्ट्र है। ज्वालामुखी मूल का यह द्वीपसमूह उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के लगभग पूर्व, न्यू कैलेडोनिया के पूर्वोत्तर, फिजी के पश्चिम और न्यू गिनी के निकट सोलोमन द्वीपों के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। वानूआतू में मेलानेशियाई लोग सबसे पहले आकर बसे थे। यूरोप के लोगों ने 1605 में क्यूरॉस के नेतृत्व में स्पेनिश अभियान के एस्पिरिटू सैंटो में आने पर इन द्वीपों का पता लगाया था। 1880 के दशक में फ्रांस और युनाइटेड किंगडम ने देश के कुछ हिस्सों पर अपना दावा किया और 1906 में वे एक ब्रिटिश-फ्रांसीसी सहस्वामित्व के जरिये न्यू हेब्रिड्स के रूप में इस द्वीपसमूह के संयुक्त प्रबंधन के एक ढाँचे पर सहमत हुए.

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वक्रता त्रिज्या

किसी वक्र के किसी बिन्दु पर एक चाप की कल्पना की जाय जो उस बिन्दु पर उस वक्र के सबसे सन्निकट निरूपण करे तो इस चाप की त्रिज्या को वक्रता त्रिज्या R कहते हैं। यह वक्रता \kappa का व्युत्क्रम होता है। जहाँ s उस बिन्दु पर चाप की लम्बाई है, \phi स्पर्शरेखीय कोण है। .

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व्यास (ज्यामिति)

ज्यामिति में व्यास (diameter) किसी वृत्त में ऐसी रेखांश होती है जो वृत्त के केन्द्र से निकले और जिसके अंतबिन्दु वृत्त पर स्थित हों। इसकी लम्बाई वृत्त की अधिकतम चौड़ाई भी होती है और यह त्रिज्या (radius) से दुगनी लम्बी होती है। इसे वृत्त की सबसे लम्बी सम्भव जीवा (chord) भी कहा जा सकता है। वृत्त के अलावा गोले (sphere) में भी इसी प्रकार का व्यास होता है। .

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व्हाइटहॉर्स, युकॉन

व्हाइटहॉर्स, Whitehorse (कुल जनसंख्या 27,889 2013 में) युकॉन प्रान्त और उत्तरी कनाडा का सबसे बड़ा नगर और युकॉन की राजधानी है। यह युकॉन का एकमात्र शहर है। दक्षिणी युकॉन में अलास्का राजमार्ग पर १४२६ किलोमीटर पर स्थित इस शहर इसकी स्थापना सन १९५० में हुई थी। यहाँ ब्रिटिश कोलम्बिया से निकल कर अलास्का किनारे बेरिंग सागर में मिलने वाली युकॉन नदी बहती है और यह शहर इसके किनारे बसा हुआ है। व्हाइटहॉर्स घाटी में बसे होने की वजह से अन्य उत्तरी कनाडा के शहरों जैसे येलोनाइफ़ के मुकाबले यहाँ का तापमान ज्यादा शुष्क रहता है। माइल्स घाटी में स्थित व्हाइट हॉर्स उतार जहाँ नदी का उतरते पानी की धाराएँ दूर से दिखने में दौड़ते हुए सफेद घोड़ों के अयाल जैसे लगते हैं के नाम पर व्हाइट हॉर्स रखा गया। इस देशांतर पर सर्दियों में दिन छोटा जबकि गर्मियों में २० घंटे तक सूर्य की रोशनी बनी रहती है। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार व्हाइट हॉर्स विश्व का सबसे कम प्रदूषण वाला शहर है। .

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वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली

जी.पी.एस. खंड द्वितीय-एफ़ उपग्रह की कक्षा में स्थिति का चित्रण जी.पी.एस उपग्रह समुदाय का पृथ्वी की कक्षा में घूर्णन करते हुए एक चलित आरेख। देखें, पृथ्वी की सतह पर किसी एक बिन्दु से दिखाई देने वाले उपग्रहों की संख्या कैसे समय के साथ बदलती रहती है। यहां यह ४५°उ. पर है। जीपीएस अथवा वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली (अंग्रेज़ी:ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम), एक वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली है जिसका विकास संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग ने किया है। २७ अप्रैल, १९९५ से इस प्रणाली ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया था। वर्तमान समय में जी.पी.एस का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है।। हिन्दुस्तान लाइव। १५ दिसम्बर २००९ इस प्रणाली के प्रमुख प्रयोग नक्शा बनाने, जमीन का सर्वेक्षण करने, वाणिज्यिक कार्य, वैज्ञानिक प्रयोग, सर्विलैंस और ट्रेकिंग करने तथा जियोकैचिंग के लिये भी होते हैं। पहले पहल उपग्रह नौवहन प्रणाली ट्रांजिट का प्रयोग अमेरिकी नौसेना ने १९६० में किया था। आरंभिक चरण में जीपीएस प्रणाली का प्रयोग सेना के लिए किया जाता था, लेकिन बाद में इसका प्रयोग नागरिक कार्यो में भी होने लगा। जीपीएस रिसीवर अपनी स्थिति का आकलन, पृथ्वी से ऊपर स्थित किये गए जीपीएस उपग्रहों के समूह द्वारा भेजे जाने वाले संकेतों के आधार पर करता है। प्रत्येक उपग्रह लगातार संदेश रूपी संकेत प्रसारित करता रहता है। रिसीवर प्रत्येक संदेश का ट्रांजिट समय भी दर्ज करता है और प्रत्येक उपग्रह से दूरी की गणना करता है। शोध और अध्ययन उपरांत ज्ञात हुआ है कि रिसीवर बेहतर गणना के लिए चार उपग्रहों का प्रयोग करता है। इससे उपयोक्ता की त्रिआयामी स्थिति (अक्षांश, देशांतर रेखा और उन्नतांश) के बारे में पता चल जाता है। एक बार जीपीएस प्रणाली द्वारा स्थिति का ज्ञात होने के बाद, जीपीएस उपकरण द्वारा दूसरी जानकारियां जैसे कि गति, ट्रेक, ट्रिप, दूरी, जगह से दूरी, वहां के सूर्यास्त और सूर्योदय के समय के बारे में भी जानकारी एकत्र कर लेता है। वर्तमान में जीपीएस तीन प्रमुख क्षेत्रों से मिलकर बना हुआ है, स्पेस सेगमेंट, कंट्रोल सेगमेंट और यूजर सेगमेंट। .

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ख़ोलोदिलनिक पर्वत

ख़ोलोदिलनिक पर्वत का एक दृश्य ख़ोलोदिलनिक पर्वत (रूसी: гора́ Холоди́льник, रोपा ख़ोलोदिलनिक; अथवा со́пка Холодильник, सोपका ख़ोलोदिलनिक) रूस के सुदूर पूर्व में स्थित राज्य प्रिमोर्स्की क्राय की राजधानी व्लादिवोस्तोक का सब से ऊँचा पहाड़ है। यह २५७ मीटर (८४३ फ़ुट) की ऊँचाई रखता है और सिख़ोते-अलीन पर्वत शृंखला की एक चोटी है। .

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ख़ोजा

खोजा:(जाट गोत्र): खोजा गोत्र के जाट मुख्यत: राजस्थान में पाए जाते है।राजस्थान के मध्य भाग में खोजा अधिक जनसंख्या में पाए जाते है। खोजा नागौर में खेरवाड़, गुडा भगवानदास, आदि में मुख्यत: पाए जाते है। जैसे खेरवाड़ में नागौर के मुख्य घराने के खोजा गोत्र के जाट पाए जाते है। मुख्य तौर पर यहां धर्माराम चोधरी F/O हरकराम चौधरी आदि खोजा गोत्र के जाट मुख्य हैं। अन्य: यहां पर हम कुछ इतिहासकरों के खोजा गोत्र के जाटों का अन्य राजस्थान में वर्णन बता रहे हैं। क्योंकि नागौर का हम पहले बता चुके हैं। इस गोत्र के जाट मारवाड़, अजमेर मेरवाड़ा और झूझावाटी में पाये जाते हैं। यह नाम किस कारण पड़ा, यह तो मालूम नहीं हो सका, किन्तु ग्यारहवीं शताब्दी में इनका राज्य टोंक में था यह पता लग गया है। ‘तारीखर राजगान हिन्द’ के लेखक मौलवी हकीम नजमुलगनीखां ने टोंक राज्य के वर्णन में लिखा है - "शहर टोंक लम्बाई में उत्तर 26 अक्षांश 10 देशान्तर और चौड़ाई में पच्छिम 45 अक्षांश 57 देशान्तर पर देहली से मऊ जाने वाली सड़क से चिपटा हुआ है, देहली से दक्षिण पच्छिम में 218 मील मऊ से उत्तर में 289 मील फासले पर बनास नदी के किनारे पर अवस्थित है। यहां यह नदी प्रायः दो फीट पानी की गहराई से बहती है। शहर के चारों ओर दीवार है और उसमें कच्चा किला है। एक इतिहास में लिखा है कि खोजा रामसिंह ने किसी युद्ध के बाद देहली से आकर संवत् 1300 विक्रमी मिती माघ सुदी तेरस को इस स्थान पर नगर आबाद किया। उस नगर का नाम टोंकरा रखा था। यह आबादी अब तक कोट के नाम से मशहूर है। अर्से के बाद माह सुदी पंचमी संवत् 1337 को अलाउद्दीन खिलजी ने माधौपुर और चित्तौड़ फतह किये, तब इस गांव की दुबारा आबादी हुई। ‘वाकया राजपूताना’ में इसी भांति लिखा हुआ है। किन्तु इसमें शंका यह है कि ‘सिलसिला तालुमुल्क’ के लेखानुसार अलाउद्दीन खिलजी सन् 1295 ई. में शासक हुआ और सन् 1316 ई. में मर गया। इस हिसाब में उसका शासन-काल संवत् 1352 से 1372 के बीच में या इससे एकाध साल आगे-पीछे करार पाता है। सन् 1806 ई. में टोंक अमीरखां के कब्जे में आया। उसने शहर से एक मील दक्षिण में अपने निवास के लिये राज-भवन और दफ्तर बनाये। इससे मालूम होता है कि राजा रामसिंह के वंशजों ने टोंक पर सन् 1003 से सन् 1337 अथवा 1352 तक राज किया। खिलजी अथवा अन्य किसी भी मुसलमान सरदार ने उनका गढ़ तहस-नहस कर दिया। तब फिर से दुबारा बसाया गया। (जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृ.607) श्रेणी:धर्म श्रेणी:भारत के समुदाय.

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गाशरब्रुम

गाशरब्रुम (Gasherbrum) हिमालय की काराकोरम पर्वतश्रेणी की बाल्तोरो हिमानी के पूर्वोत्तरी छोर पर स्थित एक पर्वतों का समूह है जो उत्तरी कश्मीर में ३५ अंश ४४ मिनट उत्तरी अक्षांश तथा ७६ अंश ४२ मिनट पूर्वी देशान्तर पर स्थित हैं। यह शक्सगाम घाटी और गिलगित-बल्तिस्तान की सीमा पर स्थित है, जिनपर चीन व पाकिस्तान का नियंत्रण है हालांकि जिन्हें भारत अपना भाग बताता है। इस पुंजक में विश्व के तीन आठ हज़ारी पर्वत हैं, यानि वे जिनकी ऊँचाई 8,000 मीटर से अधिक है। .

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गुना

गुना भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। यह शहर मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित है। ३५ किलोमीटर दूर राजस्थान सीमा है, पार्वती नदी मध्य प्रदेश और राजस्थान को अलग करती है। गुना मालवा का प्रवेश द्वार कहा जाता है और ग्वालियर संभाग में आता है। गुना शहर ७७' देशांतर तथा २५' अक्षांश तथा राष्ट्रीय राजमार्ग ३ (आगरा-मुम्बई) पर स्थित है। कोटा और बीना शहर से रेल मार्ग द्वारा भी यहाँ पहुँचा जा सकता है। शहर में मुख्यतः हिन्दू, मुस्लिम तथा जैन समुदाय के लोग निवास करते हैं।। खेती यहाँ का मुख्य कार्य है। गुना (ग्वालियर संयुक्त राष्ट्र सेना, डॉ राजीव दुआ) प्राचीन अवंती किंगडम चंद Pradyota Mahesena द्वारा स्थापित का हिस्सा था। बाद में Shishusangh अवंत का राज्य है, जो मगध के बढ़ते साम्राज्य के गुना शामिल जोड़ा। 18 वीं सदी में, गुना मराठा नेता रामोजी राव सिंधिया ने विजय प्राप्त की, और शीघ्र ही भारत की आजादी के बाद जब तक ग्वालियर के राज्य का हिस्सा बना रहा था। गुना राज्य के ईसागढ़ जिले के हिस्से के रूप में दिलाई। 1897 में भारतीय रेलवे मिडलैंड एक रेल मार्ग गुना से गुजर निर्माण किया। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति, गुना अपने 16 जिलों में से एक के रूप में 28 मई 1948 को मध्य भारत के नए राज्य का हिस्सा बन गया। 1 नवंबर, 1956 को मध्य भारत मध्य प्रदेश राज्य में विलय कर दिया गया था। गुना के पास बजरंगढ नामक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ महावीर भगवान की प्राचीन मूर्ति है। स्वतंत्रता से पहले गुना ग्वालियर राज घराने का हिस्सा था। जिस पर सिन्धिया वंश का अधिकार था। कुल क्षेत्रफल ६४८४.६३ वर्ग कि॰मी॰ तथा जनसंख्या ८३८०२६ है। .

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ग्रीनलैण्ड हिमचादर

ग्रीनलैण्ड हिमचादर (Greenland ice sheet) ग्रीनलैण्ड के ८०% भूभाग पर विस्तृत एक हिमचादर है। इसका कुल फैलाव १७,१०,००० वर्ग किमी पर है। अंटार्कटिक हिमचादर के बाद यह पृथ्वी का दूसरा सबसे बड़ा हिम का विस्तार है। यह हिमचादर उत्तर-दक्षिण दिशा में २,४०० किमी तक फैली हुई है, जबकि इसकी सर्वाधिक चौड़ाई इसकी उत्तरी हिस्से में ७७° उत्तर के रेखांश (लैटिट्यूड) पर १,१०० किमी है। बर्फ़ की औसत ऊँचाई २,१३५ मीटर (७,००५ फ़ुट) है। हिमचादर में जमा बर्फ़ की तहों की मोटाई अधिकतर स्थानों में २ किमी से अधिक है और अपने सबसे मोटे भाग में ३ किमी से भी ज़्यादा है। ग्रीनलैण्ड हिमचादर के अलावा ग्रीनलैण्ड में अन्य हिमसमूह भी हैं - अलग-थलग हिमानियाँ (ग्लेशियर) और छोटी बर्फ़ की टोपियाँ कुल मिलाकर ७६,००० अए १,००,००० वर्ग किमी के बीच के क्षेत्रफल पर इस मुख्य हिमचादर की बाहरी सीमाओं पर फैली हुई हैं। अगर इस हिमचादर में क़ैद पूरा २८,५०,००० घन किमी जल पिघलाया जाए तो पूरे विश्व के सागरों की सतह औसत ७.२ मीटर (२४ फ़ुट) बढ़ जाएगी।Climate Change 2001: The Scientific Basis.

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गोलीय निर्देशांक पद्धति

गोलीय निर्देशांक (''r'', ''θ'', ''φ'') भौतिकी में आमतौर पर प्रयोग होते हैं: त्रिज्या दूरी 'r', ध्रुवीय कोण 'θ' (थीटा) और दिगंश कोण 'φ' (फ़ाई). कभी-कभी 'r' के स्थान पर 'ρ' (रो) का चिह्न इस्तेमाल होता है अक्षांश-रेखांश (लैटिट्यूड-लॉन्गिट्यूड) प्रणाली एक गोलीय निर्देशांक पद्धति है गोलीय निर्देशांक पद्धति (अंग्रेजी: spherical coordinate system) तीन आयामों (डायमेंशनों) वाले दिक् (स्पेस) में प्रयोग होने वाली ऐसी निर्देशांक पद्धति होती है जिसमें उस दिक् में मौजूद किसी भी बिंदु का स्थान तीन अंकों से निर्धारित हो जाता है:, Ian P. Howard, Brian J. Rogers, pp.

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गोविन्दपुर झखराहा

गोविन्दपुर झखराहा भारत में बिहार राज्य के ऐतिहासिक वैशाली जिलान्तर्गत एक छोटा गाँव है। निकटस्थ शहर एवं जिला मुख्यालय हाजीपुर से यह गाँव १३ किलोमीटर पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवस्थित है। सघन आबादी वाले इस कृषिप्रधान गाँव में बज्जिका बोली जाती है लेकिन शिक्षा का माध्यम हिंदी और उर्दू है। लगभग १ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले इस छोटे से गाँव की वर्तमान जनसंख्या लगभग 1800 है। .

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आर्डिनेंस सर्वेक्षण राष्ट्रीय ग्रिड

आर्डिनेंस सर्वेक्षण नेशनल ग्रिड संदर्भ प्रणाली (Ordnance Survey National Grid reference system) भूगोल ग्रिड संदर्भ प्रणाली है जिसका उपयोग ग्रेट ब्रिटेन में किया जाता है। यह अक्षांश और रेखांश के प्रयोग से भिन्न होता है। .

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कैंटर (गड्ढा)

कैंटर (Cantor) चंद्रमा के फार साइड की ओर उत्तरी गोलार्ध में स्थित एक चंद्र इम्पैक्ट गड्ढा है। गड्ढा के बाहरी रिम में एक स्पष्ट रूप से हेक्सागोनल आकार है और उत्तर-दक्षिण दिशा में थोड़ा अधिक बड़ा है। आंतरिक दीवारें बहुत सीढ़ीदार हैं, हालांकि पश्चिमी रिम यह कम है। मंजिल के मध्य बिंदु पर एक कम केंद्रीय शिखर है। कैंटर के आस-पास के इलाके में कई छोटे खड्डों है। जिसमे काफी इम्पैक्ट है। .

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केम्प धरती

केम्प धरती (Kemp Land) पूर्वी अंटार्कटिका का एक पतला सा भूभाग है। यह केम्प तट से भीतरी भूमि क्षेत्र है जो एक फांक के रूप में दक्षिणी ध्रुव तक जाता है। रेखांश (लोंगिट्यूड) के हिसाब से यह ५६° २५' पूर्व और ५९° ३४' पूर्व के बीच का क्षेत्र है। केम्प धरती के पूर्व में मैक रॉबर्टसन धरती और पश्चिम में एन्डर्बी धरती है। अयगार्डन द्वीप समूह केम्प क्षेत्र में आता है। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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अमेरिगो वेस्पूची

अमेरिगो वेस्पूची अमेरिगो वेस्पुक्की (Vespucci, Amerigo, १४५४ - १५१२ ई.) इटली के नाविक तथा सौदागर थे। इनके पैतृक नाम 'अमेरिगो' पर अमरीका महादेश का वर्तमान नाम पड़ा, क्योंकि सर्वप्रथम इन्होंने इसे 'नई दुनिया' के रूप में पहचाना। .

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उपग्रह नौवहन प्रणाली

व्यापारिक जलयान पर लगी एक नेविगेशन प्रणाली उपग्रह संचालन का एक प्रमुख उपयोग: प्रिसिजन गाइडेड मिसाइल उपग्रह नौवहन प्रणाली (Satellite Navigation System) कृत्रिम उपग्रहों की एक प्रणाली को कहते हैं जो विश्व में सर्वत्र भू-स्पेसिअल पोजिशनिंग प्रदान करने में समर्थ हो। इस प्रणाली की सहायता से छोटे इलेक्ट्रानिक रिसीवर अपनी स्थिति (अक्षांश, देशान्तर तथा ऊँचाई) की अत्यन्त यथार्थता (precision) से गणना कर लेते हैं। ये इलेक्ट्रानिक रिसीवर वर्तमान स्थानीय समय की गणना भी कर लेते हैं। .

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