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राहुकाल

सूची राहुकाल

राहुकाल जिसे राहुकालम भी कहा जाता है दिन में एक मुहूर्त (२४ मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है। यह स्थान और तिथि के साथ अलग अलग होता है, अर्थात अलग अलग स्थान के लिए राहुकाल बदलता रहता है। यह अंतर समयक्षेत्र में अंतर के कारण होता है। मान्यता अनुसार किसी भी पवित्र, शुभ या अच्छे कार्य को इस समय आरंभ नहीं करना चाहिए। राहुकाल प्रायः प्रारंभ होने से दो घंटे तक रहता है। पौराणिक कथाओं और वैदिक शास्त्रों के अनुसार इस समय अवधि में शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए। .

2 संबंधों: राहु, राहुकाल

राहु

राहु (16px) हिन्दू ज्योतिष के अनुसार असुर स्वरभानु का कटा हुआ सिर है, जो ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण करता है। इसे कलात्मक रूप में बिना धड़ वाले सर्प के रूप में दिखाया जाता है, जो रथ पर आरूढ़ है और रथ आठ श्याम वर्णी घोड़ों द्वारा खींचा जा रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु को नवग्रह में एक स्थान दिया गया है। दिन में राहुकाल नामक मुहूर्त (२४ मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है। समुद्र मंथन के समय स्वरभानु नामक एक असुर ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और मोहिनी अवतार में भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट कर अलग कर दिया। परंतु तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। यही सिर राहु और धड़ केतु ग्रह बना और सूर्य- चंद्रमा से इसी कारण द्वेष रखता है। इसी द्वेष के चलते वह सूर्य और चंद्र को ग्रहण करने का प्रयास करता है। ग्रहण करने के पश्चात सूर्य राहु से और चंद्र केतु से,उसके कटे गले से निकल आते हैं और मुक्त हो जाते हैं। .

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राहुकाल

राहुकाल जिसे राहुकालम भी कहा जाता है दिन में एक मुहूर्त (२४ मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है। यह स्थान और तिथि के साथ अलग अलग होता है, अर्थात अलग अलग स्थान के लिए राहुकाल बदलता रहता है। यह अंतर समयक्षेत्र में अंतर के कारण होता है। मान्यता अनुसार किसी भी पवित्र, शुभ या अच्छे कार्य को इस समय आरंभ नहीं करना चाहिए। राहुकाल प्रायः प्रारंभ होने से दो घंटे तक रहता है। पौराणिक कथाओं और वैदिक शास्त्रों के अनुसार इस समय अवधि में शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए। .

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राहुकालम

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