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राम नवमी

सूची राम नवमी

रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी मनाया जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था। .

41 संबंधों: तारकरली, तुलसीदास, नरंगा, बिहार, बनगाँव (बिहार ), बिहारशरीफ, भारत में सार्वजनिक अवकाश, राम, राम लीला, रामभद्राचार्य, लोकगीत, श्रीभार्गवराघवीयम्, श्रीरामचरितमानस, श्रीसीतारामकेलिकौमुदी, शीतला सहाय, सत्यानन्द सरस्वती (केरल), समर्थ रामदास, सारस्वथ ब्राह्मण के त्योहार, स्वामिनारायण, सोहर, सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी), हिन्दू पर्वों की सूची, हिन्दू पंचांग, हिन्दू युवा वाहिनी, हिन्दू सांस्कृतिक केन्द्र, हिन्दू उत्सव, हिलसा, बिहार, जन्माष्टमी व्रत कथा, जानकी मन्दिर, नेपाल, विराट् रामायण मंदिर, गुड़ी पड़वा, गोविन्दपुर झखराहा, गीतरामायण, गीतरामायणम्, आन्ध्र प्रदेश, कन्काई धाम कोटीहोम, कामदगिरि, अलबर्टा हिंदी परिषद, उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य, २०१० हरिद्वार महाकुम्भ, २०१२, 1991 में भद्रक फसाद

तारकरली

तारकरली (मराठी: तारकर्ली), महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के मालवन तालुका, का एक गांव है। आकर्षक समुद्र तट वाला यह स्थल तटीय महाराष्ट्र का एक लोकप्रिय पर्यटक गंतव्य है। यहाँ से, शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित प्रसिद्ध नौसेनिक किले सिंधुदुर्ग को देख सकते हैं। यह गांव अपने रामनवमी उत्सव के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हर साल महापुरुष मंदिर में रामनवमी के उत्सव की व्यवस्था की जाती है। इस अवसर पर विभिन्न नाटकों (मराठी नाटक) का मंचन किया जाता हैं। यहाँ का समुद्र तट एक लंबी पर संकीर्ण पट्टी के रूप में स्थित है, जहां का पानी बहुत साफ है। किसी खुले दिन में 20 फीट की गहराई तक का सागर तल साफ दिखाई देता है। पृष्ठभूमि में 'शुरु' के पेड़ एक अनोखी छटा प्रस्तुत करते हैं। विस्तृत नदी, सुंदर पालनौकायें और नदी तट पर बनी सुन्दर द्वीपीय झोंपड़ियां तारकरली की सुरम्य सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। अक्सर यहां अठखेलियां करती डॉल्फ़िनें देखी जा सकती हैं। यहाँ साल भर मछलियों पकड़ी जाती हैं, गर्मी और सर्दियों के दौरान समुद्र से और मानसून के दौरान प्रतीप जल से, मानसून में ऐसा सुरक्षा कारणों की वजह से भी किया जाता है। .

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तुलसीदास

गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इनका जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में हुआ था। कुछ विद्वान् आपका जन्म राजापुर जिला बाँदा(वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ मानते हैं। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

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नरंगा, बिहार

नरंगा भारत के बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल के सीतामढ़ी जिले के परिहार प्रखंड का एक गाँव है। .

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बनगाँव (बिहार )

बनगाँव भारत के बिहार राज्य के सहरसा जिले के पश्चिम मे अवस्थित एक गाँव है जिसकी पहचान सदियों से रही है। जनसँख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से ये गाँव ना सिर्फ राज्य के बल्कि देश के सबसे बड़े गांवों मे एक हैं। २००१ की जनगणना के मुताबिक़ इस गाँव की आबादी ६०००० है हालांकि पिछले दशक जनसख्या मे बढोत्तरी को ध्यान मे रखते हुए ये संख्या वर्तमान मे ७००००-७५००० के मध्य मे हो सकती है। यह गाँव कोसी प्रमंडल के कहरा प्रखंड के अंतर्गत आता है। इस गाँव से तीन किलोमीटर पूर्व मे बरियाही बाजार, आठ किलोमीटर पश्चिम मे माँ उग्रतारा की पावन भूमि महिषी और उत्तर मे बिहरा गाँव अवस्थित है। इस गाँव मे तीन पंचायतें हैं। हर पंचायत के एक मुखिया हैं। सरकार द्वारा समय समय पर पंचायती चुनाव कराये जातें है। इन्ही चुनावों से हर पंचायत के सदस्यों का चुनाव किया जाता है। वक्त के हर पड़ाव पर इस गाँव का योगदान अपनी आंचलिक सीमा के पार राज्य, देश और दुनिया को मिलता रहा है। इन योगदानों मे लोक शासन, समाज सेवा, साहित्य, पत्रकारिता, राजनीति, देशसेवा और भक्ति मे योगदान प्रमुख हैं। भक्ति और समाजसेवा के ऐसे की एक स्तंभ, संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं, जिन्होंने इस गाँव को अपनी कर्मभूमि बनाई, को लोग भगवान की तरह पूजते है। उनका मंदिर गाँव के प्रमुख दार्शनिक स्थलों मे से एक है। गाँव के बोलचाल की भाषा मैथिली है और यहाँ हिंदू तथा इस्लाम धर्मों को माननेवाले सदियों से आपसी सामंजस्य और धार्मिक सहिष्णुता से साथ रहते हैं। .

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बिहारशरीफ

बिहारशरीफ बिहार के नालंदा जिले का मुख्यालय है। .

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भारत में सार्वजनिक अवकाश

भारत अनेकता में एकता वाला देश है जहाँ विविध और उत्कट संस्कृतियों वाले समाज के लोग रहते हैं। यहाँ पर स्‍वतंत्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस और गांधी जयंती के रूप में तीन राष्ट्रीय अवकाश दिवश हैं। राज्य और क्षेत्र प्रचलित धार्मिक और भाषाई जनसांख्यिकी के आधार पर क्षेत्रिय त्यौंहार भी होते हैं। हिन्दू धर्म के दीपावली, गणेश चतुर्थी, होली एवं नवरात्रि, इस्लाम में ईद उल-फ़ित्र एवं ईद-उल-अज़हा, बौद्ध धर्म में बुद्ध जयंती एवं आंबेडकर जयंती, इसाई धर्म में क्रिसमिस एवं गुड फ़्राइडे जैसे त्यौंहार देशभर में लोकप्रिय हैं। .

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राम

राम (रामचन्द्र) प्राचीन भारत में अवतार रूपी भगवान के रूप में मान्य हैं। हिन्दू धर्म में राम विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में वर्णित हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य श्री रामचरितमानस की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अनेक भारतीय भाषाओं में अनेक रामायणों की रचना हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय हैं और हिन्दुओं के आदर्श पुरुष हैं। राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं) और इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान, भगवान राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने राक्षस जाति के लंका के राजा रावण का वध किया। राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहाँ तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा प्रान जाहुँ बरु बचनु न जाई की थी। श्रीराम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने दासी मन्थरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदहारण देते हुए पति के साथ वन जाना उचित समझा। सौतेले भाई लक्ष्मण ने भी भाई के साथ चौदह वर्ष वन में बिताये। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊँ) ले आये। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। राम की पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया। राम ने उस समय की एक जनजाति वानर के लोगों की मदद से सीता को ढूँढ़ा। समुद्र में पुल बना कर रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता को वापस लाये। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। इनके पुत्र कुश व लव ने इन राज्यों को सँभाला। हिन्दू धर्म के कई त्योहार, जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली, राम की जीवन-कथा से जुड़े हुए हैं। .

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राम लीला

रामलीला का एक दृश्य। रामलीला उत्तरी भारत में परम्परागत रूप से खेला जाने वाला राम के चरित पर आधारित नाटक है। यह प्रायः विजयादशमी के अवसर पर खेला जाता है। .

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रामभद्राचार्य

जगद्गुरु रामभद्राचार्य (जगद्गुरुरामभद्राचार्यः) (१९५०–), पूर्वाश्रम नाम गिरिधर मिश्र चित्रकूट (उत्तर प्रदेश, भारत) में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर १९८८ ई से प्रतिष्ठित हैं।अग्रवाल २०१०, पृष्ठ ११०८-१११०।दिनकर २००८, पृष्ठ ३२। वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं। अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया है। वे बहुभाषाविद् हैं और २२ भाषाएँ बोलते हैं। वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। उन्होंने ८० से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं।दिनकर २००८, पृष्ठ ४०–४३। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है, और वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है। स्वामी रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं – भारत के भिन्न-भिन्न नगरों में और विदेशों में भी नियमित रूप से उनकी कथा आयोजित होती रहती है और कथा के कार्यक्रम संस्कार टीवी, सनातन टीवी इत्यादि चैनलों पर प्रसारित भी होते हैं। २०१५ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया। .

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लोकगीत

लोकनृत्य के साथ लोकगीत लोकगीत लोक के गीत हैं। जिन्हें कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा लोक समाज अपनाता है। सामान्यतः लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोकगीत कहा जा सकता है। लोकगीतों का रचनाकार अपने व्यक्तित्व को लोक समर्पित कर देता है। शास्त्रीय नियमों की विशेष परवाह न करके सामान्य लोकव्यवहार के उपयोग में लाने के लिए मानव अपने आनन्द की तरंग में जो छन्दोबद्ध वाणी सहज उद्भूत करता हॅ, वही लोकगीत है। इस प्रकार लोकगीत शब्द का अर्थ हॅ- १- लोक में प्रचलित गीत २- लोक-रचित गीत ३- लोक-विषयक गीत कजरी, सोहर, चैती, लंगुरिया आदि लोकगीतों की प्रसिद्ध शैलियाँ हैं। .

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श्रीभार्गवराघवीयम्

श्रीभार्गवराघवीयम् (२००२), शब्दार्थ परशुराम और राम का, जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००२ ई में रचित एक संस्कृत महाकाव्य है। इसकी रचना ४० संस्कृत और प्राकृत छन्दों में रचित २१२१ श्लोकों में हुई है और यह २१ सर्गों (प्रत्येक १०१ श्लोक) में विभक्त है।महाकाव्य में परब्रह्म भगवान श्रीराम के दो अवतारों परशुराम और राम की कथाएँ वर्णित हैं, जो रामायण और अन्य हिंदू ग्रंथों में उपलब्ध हैं। भार्गव शब्द परशुराम को संदर्भित करता है, क्योंकि वह भृगु ऋषि के वंश में अवतीर्ण हुए थे, जबकि राघव शब्द राम को संदर्भित करता है क्योंकि वह राजा रघु के राजवंश में अवतीर्ण हुए थे। इस रचना के लिए, कवि को संस्कृत साहित्य अकादमी पुरस्कार (२००५) तथा अनेक अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। महाकाव्य की एक प्रति, कवि की स्वयं की हिन्दी टीका के साथ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा ३० अक्टूबर २००२ को किया गया था। .

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श्रीरामचरितमानस

गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीरामचरितमानस का आवरण श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। इस ग्रन्थ को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। श्री रामचरित मानस के नायक राम हैं जिनको एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। त्रेता युग में हुए ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित और हिन्दी की ही एक लोकप्रिय भाषा अवधी में रचित रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

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श्रीसीतारामकेलिकौमुदी

श्रीसीतारामकेलिकौमुदी (२००८), शब्दार्थ: सीता और राम की (बाल) लीलाओं की चन्द्रिका, हिन्दी साहित्य की रीतिकाव्य परम्परा में ब्रजभाषा (कुछ पद मैथिली में भी) में रचित एक मुक्तक काव्य है। इसकी रचना जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००७ एवं २००८ में की गई थी।रामभद्राचार्य २००८, पृष्ठ "क"–"ड़"काव्यकृति वाल्मीकि रामायण एवं तुलसीदास की श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड की पृष्ठभूमि पर आधारित है और सीता तथा राम के बाल्यकाल की मधुर केलिओं (लीलाओं) एवं मुख्य प्रसंगों का वर्णन करने वाले मुक्तक पदों से युक्त है। श्रीसीतारामकेलिकौमुदी में ३२४ पद हैं, जो १०८ पदों वाले तीन भागों में विभक्त हैं। पदों की रचना अमात्रिका, कवित्त, गीत, घनाक्षरी, चौपैया, द्रुमिल एवं मत्तगयन्द नामक सात प्राकृत छन्दों में हुई है। ग्रन्थ की एक प्रति हिन्दी टीका के साथ जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन ३० अक्टूबर २००८ को किया गया था। .

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शीतला सहाय

शीतला सहाय (1932- 2011) भारत के मध्य प्रदेश के एक राजनेता थे। वे मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री भी रहे। .

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सत्यानन्द सरस्वती (केरल)

सत्यानन्द सरस्वती (22 सितम्बर 1935 – 23 नवम्बर 2006) भारत के हिन्दू आध्यात्मिक नेता, प्रखर वक्ता, इतिहासकार एवं धार्मिक विद्वान थे। उन्होने हिन्दू ऐक्य वेदी की स्थापना की तथा आजीवन इसके अध्यक्ष रहे। उन्होने श्री राम दास मिशन की भी स्थापना की। वे ज्ञान योग, भक्ति योग, राज योग, तथा कर्म योग - इन सभी आध्यात्मिक मार्गों के समर्थक थे। .

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समर्थ रामदास

समर्थ रामदास (१६०६ - १६८२) महाराष्ट्र के एक प्रसिद्ध सन्त थे। वे छत्रपति शिवाजी के गुरु थे। उन्होने दासबोध नामक एक ग्रन्थ की रचना की जो मराठी में है। .

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सारस्वथ ब्राह्मण के त्योहार

कोई विवरण नहीं।

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स्वामिनारायण

घनश्याम पाण्डे या स्वामिनारायण या सहजानन्द स्वामी (२ अप्रैल १७८१ - १ जून १८३०), हिंदू धर्म के स्वामिनारायण संप्रदाय के संस्थापक थे। स्वामिनारायण संप्रदाय को मानने वाले उन्हे भगवान मानते हैं। भागवत पुराण और स्कंद पुराण स्वामिनारायण के अवतार का संकेत है। | स्वामिनारायण की शिक्षापत्री स्वामिनारायण सम्प्रदाय का मूल ग्रन्थ है। .

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सोहर

सोहर घर में संतान होने पर गाया जाने वाला मंगल गीत है। इसको संतान के जन्म और उससे संबंधित अवसरों जैसे सतमासा, इत्यादि अवसरों पर गाया जाता है। इन गीतों में संतान के जन्म, उससे संबंधित कहानियों और उत्सवों के सुंदर वर्णन मिलते हैं। राम जन्म और कृष्ण जन्म की सुंदर कथाएँ भी सोहरों में हैं। राम के जन्मदिन रामनवमी और कृष्ण के जन्मदिन कृष्णाष्टमी के अवसर पर भी भजन के साथ सोहर गाने की परंपरा है।; एक सोहर छापक पेड़ छिउलिया त पतवन धनवन हो तेहि तर ठाढ़ हिरिनिया त मन अति अनमन हो।। चरतहिं चरत हरिनवा त हरिनी से पूछेले हो हरिनी ! की तौर चरहा झुरान कि पानी बिनु मुरझेलु हो।। नाहीं मोर चरहा झुरान ना पानी बिनु मुरझींले हो हरिना ! आजु राजा के छठिहार तोहे मारि डरिहें हो।। मचियहिं बइठल कोसिला रानी, हरिनी अरज करे हो रानी ! मसुआ त सींझेला रसोइया खलरिया हमें दिहितू नू हो।। पेड़वा से टाँगबो खलरिया त मनवा समुझाइबि हो रानी ! हिरी-फिरी देखबि खलरिया जनुक हरिना जियतहिं हो जाहु हरिनी घर अपना, खलरिया ना देइब हो हरिनी ! खलरी के खँजड़ी मढ़ाइबि राम मोरा खेलिहेनू हो।। जब-जब बाजेला खँजड़िया सबद सुनि अहँकेली हो हरिनी ठाढि ढेकुलिया के नीचे हरिन के बिजूरेली हो।। .

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सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी)

सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी) मंदिर संत रविदास नगर जिला में स्थित है। यह मंदिर इलाहबाद और वाराणसी के मध्य स्थित जंगीगंज बाज़ार से ११ किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यता है कि इस स्थान पर माँ सीता से अपने आप को धरती में समाहित कर लिया था। यहाँ पर हनुमानजी की ११० फीट ऊँची मूर्ति है जिसे विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति होने का गौरव प्राप्त है। स्वामी जितेंद्रानंद जी के असीम प्रयास से और श्री प्रकाश नारायण पुंज की मदद से ये स्थान पर्यटक स्थल के रूप में उभर कर आया है। .

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हिन्दू पर्वों की सूची

यहाँ हिन्दू त्यौहारों की सूची दी गयी है। हिन्दू लोग बहुत से पर्व मनाते हैं जैसे दीपावली, विजया दशमी, होली आदि। .

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हिन्दू पंचांग

हिन्दू पञ्चाङ्ग से आशय उन सभी प्रकार के पञ्चाङ्गों से है जो परम्परागत रूप प्राचीन काल से भारत में प्रयुक्त होते आ रहे हैं। ये चान्द्रसौर प्रकृति के होते हैं। सभी हिन्दू पञ्चाङ्ग, कालगणना की समान संकल्पनाओं और विधियों पर आधारित होते हैं किन्तु मासों के नाम, वर्ष का आरम्भ (वर्षप्रतिपदा) आदि की दृष्टि से अलग होते हैं। भारत में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख क्षेत्रीय पञ्चाङ्ग ये हैं-.

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हिन्दू युवा वाहिनी

हिन्दू युवा वाहिनी एक हिंदूवादी संगठन हैं, जिसके संस्थापक गोरक्षपीठाधीश्वर गोरक्षपीठ गोरखपुर मा0 मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ जी हैं। वर्ष २००२ के अप्रैल माह में श्री राम नवमी के पर्व पर योगी आदित्यनाथ ने महानगर से कुछ राष्ट्रवादी नवयुवकों को संगठित कर हिन्दु युवा वाहिनी की आधारशिला रखी। ९ वर्षों में इसका विस्तार उत्तर प्रदेश के सभी ७२ जनपदों के ८६ इकाईयों में हुआ है। .

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हिन्दू सांस्कृतिक केन्द्र

हिन्दू सांस्कृतिक केन्द्र एक हिंदू मंदिर और हिन्दू सांस्कृतिक का केंद्र है जो mississauga canada में पड़ता है।  25 000 वर्ग फुट मंदिर कनाडा का एक प्रसिध मंदिर माना जाता है.

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हिन्दू उत्सव

कोई विवरण नहीं।

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हिलसा, बिहार

हिलसा (Hilsa, ہِلسا) भारत के बिहार राज्य स्थित नालंदा जिले के अंतर्गत एक अनुमंडल है। यह बिहार की राजधानी पटना के लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह अनेक स्वाधीनता सेनानीयों की जन्मभूमि और भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष के दौर में एक प्रमुख केंद्र रहा है। .

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जन्माष्टमी व्रत कथा

अष्टमी दो प्रकार की है- पहली जन्माष्टमी और दूसरी जयंती। इसमें केवल पहली अष्टमी है। स्कन्दपुराण के मतानुसार जो भी व्यक्ति जानकर भी कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को नहीं करता, वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है। ब्रह्मपुराण का कथन है कि कलियुग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में अट्ठाइसवें युग में देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण उत्पन्न हुए थे। यदि दिन या रात में कलामात्र भी रोहिणी न हो तो विशेषकर चंद्रमा से मिली हुई रात्रि में इस व्रत को करें। भविष्यपुराण का वचन है- श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को जो मनुष्य नहीं करता, वह क्रूर राक्षस होता है। केवल अष्टमी तिथि में ही उपवास करना कहा गया है। यदि वही तिथि रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो तो 'जयंती' नाम से संबोधित की जाएगी। वह्निपुराण का वचन है कि कृष्णपक्ष की जन्माष्टमी में यदि एक कला भी रोहिणी नक्षत्र हो तो उसको जयंती नाम से ही संबोधित किया जाएगा। अतः उसमें प्रयत्न से उपवास करना चाहिए। .

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जानकी मन्दिर, नेपाल

जानकी मन्दिर (जानकी मन्दिर) नेपाल के जनकपुर के केन्द्र में स्थित एक हिन्दू मन्दिर एवं ऐतिहासिक स्थल है। यह हिन्दू देवी सीता को समर्पित है। मन्दिर की वास्तु हिन्दू-राजपूत वास्तुकला है। यह नेपाल में सबसे महत्त्वपूर्ण राजपूत स्थापत्यशैली का उदाहरण है और जनकपुरधाम भी कहलाता है। यह मन्दिर ४८६० वर्ग फ़ीट क्षेत्र में निर्मित विस्तृत है और इसका निर्माण १८९५ में आरंभ होकर १९११ में पूर्ण हुआ था। मन्दिर परिसर एवं आसपास ११५ सरोवर एवं कुण्ड हैं, जिनमें गंगासागर, परशुराम कुण्ड एवं धनुष-सागर अत्याधिक पवित्र कहे जाते हैं। .

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विराट् रामायण मंदिर

विराट् रामायण मंदिर, बिहार के पूर्वी चम्पारण के चकिया - केसरिया नगर के निकट जानकीपुर में बन रहा एक आगामी मंदिर है जिसे पटना की महावीर स्थल न्यास समिति (महावीर मंदिर न्यास) नामक संस्था द्वारा बनाया जा रहा है। कम्पूचिया के अंकोरवाट की रचना की तर्ज पर आधारित इस मंदिर को अंकोरवाट की दुगनी ऊंचाई एवं आकार का बनाए जाने की योजना है। इस मंदिर-समूह में कुल १८ देवताओं के मंदिर होंगे जिनमें मुख्य आराध्य भगवान राम होंगे। आकार में इस मंदिर का प्रमुख शिखर अंकोरवाट (जो २१५ फ़ुट ऊंचा है) से करीब दुगना, ४०५ फ़ुट ऊंचा होगा। साथ ही, यह २०० एकड़ के क्षेत्र पर फैला होगा। इस आकार के साथ, पूर्ण होने पर यह विश्व की सबसे बड़ा धार्मिक संरचना होगी। इस निर्माणकार्य की कुल लागत ₹५०० करोड़ होगी। .

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गुड़ी पड़वा

गुड़ी पड़वा (मराठी-पाडवा) के दिन हिन्दू नव संवत्सरारम्भ माना जाता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है। इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। 'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है। कहते हैं शालिवाहन नामक एक कुम्हार-पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं का पराभव किया। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। ‘युग‘ और ‘आदि‘ शब्दों की संधि से बना है ‘युगादि‘। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि‘ और महाराष्ट्र में यह पर्व 'ग़ुड़ी पड़वा' के रूप में मनाया जाता है।इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है। .

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गोविन्दपुर झखराहा

गोविन्दपुर झखराहा भारत में बिहार राज्य के ऐतिहासिक वैशाली जिलान्तर्गत एक छोटा गाँव है। निकटस्थ शहर एवं जिला मुख्यालय हाजीपुर से यह गाँव १३ किलोमीटर पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवस्थित है। सघन आबादी वाले इस कृषिप्रधान गाँव में बज्जिका बोली जाती है लेकिन शिक्षा का माध्यम हिंदी और उर्दू है। लगभग १ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले इस छोटे से गाँव की वर्तमान जनसंख्या लगभग 1800 है। .

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गीतरामायण

गीतरामायण रामायण के प्रसंगों पर आधारित ५६ मराठी गीतों का संग्रह है। यह आकाशवाणी पुणे से सन् १९५५-५६ में प्रसारित किया गया था। इसके लेखक प्रसिद्ध साहित्यकार गजानन दिगंबर माडगूलकर थे तथा इसे सुधीर फड़के ने संगीतबद्ध किया था। यह अत्यन्त प्रसिद्ध हुआ था और बाद में इसके पाँच हिन्दी अनुवाद एवं एक-एक बंगला, अंग्रेजी, गुजराती, कन्नड, कोंकणी, संस्कृत, सिन्धी तथा तेलुगू अनुवाद भी आए। यह ब्रेल लिपि में भी लिप्यन्तरित किया गया है। .

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गीतरामायणम्

गीतरामायणम् (२०११), शब्दार्थ: गीतों में रामायण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००९ और २०१० ई में रचित गीतकाव्य शैली का एक संस्कृत महाकाव्य है। इसमें संस्कृत के १००८ गीत हैं जो कि सात कांडों में विभाजित हैं - प्रत्येक कांड एक अथवा अधिक सर्गों में पुनः विभाजित है। कुल मिलाकर काव्य में २८ सर्ग हैं और प्रत्येक सर्ग में ३६-३६ गीत हैं। इस महाकाव्य के गीत भारतीय लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत के विभिन्न गीतों की ढाल, लय, धुन अथवा राग पर आधारित हैं। प्रत्येक गीत रामायण के एक या एकाधिक पात्र अथवा कवि द्वारा गाया गया है। गीत एकालाप और संवादों के माध्यम से क्रमानुसार रामायण की कथा सुनाते हैं। गीतों के बीच में कुछ संस्कृत छंद हैं, जो कथा को आगे ले जाते हैं। काव्य की एक प्रतिलिपि कवि की हिन्दी टीका के साथ जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन संस्कृत कवि अभिराज राजेंद्र मिश्र द्वारा जनवरी १४, २०११ को मकर संक्रांति के दिन किया गया था। .

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आन्ध्र प्रदेश

आन्ध्र प्रदेश ఆంధ్ర ప్రదేశ్(अनुवाद: आन्ध्र का प्रांत), संक्षिप्त आं.प्र., भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य है। क्षेत्र के अनुसार यह भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में (1600 कि॰मी॰) होते हुए, दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट (972 कि॰मी॰) है। हैदराबाद केवल दस साल के लिये राजधानी रहेगी, तब तक अमरावती शहर को राजधानी का रूप दे दिया जायेगा। आन्ध्र प्रदेश 12°41' तथा 22°उ॰ अक्षांश और 77° तथा 84°40'पू॰ देशांतर रेखांश के बीच है और उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिल नाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आन्ध्र प्रदेश को "भारत का धान का कटोरा" कहा जाता है। यहाँ की फसल का 77% से ज़्यादा हिस्सा चावल है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा बहती हैं। पुदु्चेरी (पांडीचेरी) राज्य के यानम जिले का छोटा अंतःक्षेत्र (12 वर्ग मील (30 वर्ग कि॰मी॰)) इस राज्य के उत्तरी-पूर्व में स्थित गोदावरी डेल्टा में है। ऐतिहासिक दृष्टि से राज्य में शामिल क्षेत्र आन्ध्रपथ, आन्ध्रदेस, आन्ध्रवाणी और आन्ध्र विषय के रूप में जाना जाता था। आन्ध्र राज्य से आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया। फरवरी 2014 को भारतीय संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा शेष आन्ध्र प्रदेश (सीमांन्ध्र) में 13 जिले होंगे। दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। नया राज्य सीमांन्ध्र दो-तीन महीने में अस्तित्व में आजाएगा अब लोकसभा/राज्यसभा का 25/12सिट आन्ध्र में और लोकसभा/राज्यसभा17/8 सिट तेलंगाना में होगा। इसी माह आन्ध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया जो कि राज्य के बटवारे तक लागू रहेगा। .

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कन्काई धाम कोटीहोम

कनकाई धाम (कोटीहोम) के मूल मन्दिर (कोटियज्ञेश्वर शिव पांचायन मन्दिर) कनकाई धाम (कोटीहोम) नेपाल के पूर्वांचल का एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन क्षेत्र है। ये धाम नेपाल के झापा जिला के करिब मध्य भाग में कनकाई नगरपालिका के वार्ड नं ४ में तथा प्रसिद्ध कन्काई नदी के पूर्वीय तटीय क्षेत्र में अवस्थित है। कन्काई धामको कनकाई धाम, कोटीहोम, माइधाम, माई, जैसे अनेक नामों से भि जाना जाता है। कन्काईमाई का मेला .

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कामदगिरि

कामदगिरि, चित्रकूट तीर्थ स्थल का सबसे प्रमुख अंग है और सभी श्रद्धालु-यात्री कामदगिरि की परिक्रमा अवश्य करते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा इसकी परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कामदगिरि के मुख्य देव भगवान कामता नाथ हैं। .

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अलबर्टा हिंदी परिषद

कोई विवरण नहीं।

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उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य

लोकनृत्य में उत्तर प्रदेश के प्रत्येक अंचल की अपनी विशिष्ट पहचान है। समृद्ध विरासत की विविधता को संजोये हुए ये आंगिक कलारूप लोक संस्कृति के प्रमुख वाहक हैं। .

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२०१० हरिद्वार महाकुम्भ

हरिद्वार महाकुंभ २०१० का प्रतीक-चिह्न महाकुम्भ भारत का एक प्रमुख उत्सव है जो ज्योतिषियों के अनुसार तब आयोजित किया जाता है जब बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करता है। कुम्भ का अर्थ है घड़ा। यह एक पवित्र हिन्दू उत्सव है। यह भारत में चार स्थानो पर आयोजित किया जाता है: प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। २०१० का कुम्भ मेला हरिद्वार में आयोजित किया जा रहा है। पिछली बार १९९९ में महाकुम्भ का आयोजन यहाँ किया गया था। मकर संक्राति के दिन अर्थात १४ जनवरी, २०१० को इस मेले का शुभारम्भ हो गया है। हरिद्वार में जारी इस मेले में इस बार ७ करोड़ से भी अधिक लोगों के आने का अनुमान है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार समुद्रमंथन के दौरान निकला अमृतकलश १२ स्थानों पर रखा गया था जहां अमृत की बूंदें छलक गई थीं। इन १२ स्थानों में से आठ ब्रह्मांड में माने जाते हैं और चार धरती पर जहां कुंभ लगता है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि इस मेले में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। .

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२०१२

२०१२ (MMXII) ग्रेगोरियन कैलेंडर के रविवार को शुरू होने वाला एक अधिवर्ष अथवा लीप ईयर होगा। इस वर्ष को गणितज्ञ ट्यूरिंग, कंप्यूटर के अग्र-दूत और कोड -भंजक, की याद में उनकी सौवीं वर्षगांठ पर एलन ट्यूरिंग वर्ष नामित किया गया है। .

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1991 में भद्रक फसाद

1991 की भद्रक सांप्रदायिक हिंसा एक सांप्रदायिक घटना थी जो 20 मार्च 1991 को राम नवमी के दिन भद्रक, ओडिशा में घटित हुई। एक हिंदू जुलूस भद्रक टाउन के मुस्लिम बहुल क्षेत्र से गुजर रहा था, जब जुलूस में एक हिंदू जनूनी ने हिंदी में एक विवादास्पद टिप्पणी "जब भारत में रहना होगा राम नाम कहना होगा" पारित कर दिया। इस से मुसलमानों और हिंदुओं.के बीच एक सांप्रदायिक दंगा हो गया। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

रामनवमी, श्रीराम नवमी

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