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राग भूपाली

सूची राग भूपाली

राग परिचय-- थाट- कल्याण वर्जित स्वर- म, नि जाति- औडव-औडव वादी- ग संवादी-ध गायन समय- रात्रि का प्रथम प्रहर इस राग का चलन मुख्यत: मन्द्र और मध्य सप्तक के प्रतह्म हिस्से में होती है (पूर्वांग प्रधान राग)। इस राग में ठुमरी नहीं गायी जाती मगर, बड़ा खयाल, छोटा खयाल, तराना आदि गाया जाता है। कर्नाटक संगीत में इसे मोहन राग कहते हैं। आरोह- सा, रे, ग, प, ध, सा। अवरोह- सां, ध, प, ग, रे, सा। पकड़- पडडग ध प ग, ग रे सा ध़, सा रे ग, प ग, ध प, ग रे सा Filmi songs on This Raga; Sehra; Pankh Hoti To Udd Aati Re, Love In Tokyo; Sayonara,Sayonara, Chori Chori; Rasik Blma, Ahh; Yeh Sham Ki Tanhaiyan, श्रेणी:राग.

4 संबंधों: भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों की सूची, रागों की सूची, शास्त्रीय संगीत, गीतरामायण

भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों की सूची

श्रेणी:भारतीय संगीत.

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रागों की सूची

करुणामय गोस्वामी के 'संगीतकोष' नामक ग्रन्थ में ३७८ रागों का परिचय मिलता है। यहाँ उसी से एक तालिका दी जा रही है-.

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शास्त्रीय संगीत

भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग, भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है। शास्त्रीय संगीत को ही ‘क्लासिकल म्जूजिक’ भी कहते हैं। शास्त्रीय गायन ध्वनि-प्रधान होता है, शब्द-प्रधान नहीं। इसमें महत्व ध्वनि का होता है (उसके चढ़ाव-उतार का, शब्द और अर्थ का नहीं)। इसको जहाँ शास्त्रीय संगीत-ध्वनि विषयक साधना के अभ्यस्त कान ही समझ सकते हैं, अनभ्यस्त कान भी शब्दों का अर्थ जानने मात्र से देशी गानों या लोकगीत का सुख ले सकते हैं। इससे अनेक लोग स्वाभाविक ही ऊब भी जाते हैं पर इसके ऊबने का कारण उस संगीतज्ञ की कमजोरी नहीं, लोगों में जानकारी की कमी है। .

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गीतरामायण

गीतरामायण रामायण के प्रसंगों पर आधारित ५६ मराठी गीतों का संग्रह है। यह आकाशवाणी पुणे से सन् १९५५-५६ में प्रसारित किया गया था। इसके लेखक प्रसिद्ध साहित्यकार गजानन दिगंबर माडगूलकर थे तथा इसे सुधीर फड़के ने संगीतबद्ध किया था। यह अत्यन्त प्रसिद्ध हुआ था और बाद में इसके पाँच हिन्दी अनुवाद एवं एक-एक बंगला, अंग्रेजी, गुजराती, कन्नड, कोंकणी, संस्कृत, सिन्धी तथा तेलुगू अनुवाद भी आए। यह ब्रेल लिपि में भी लिप्यन्तरित किया गया है। .

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