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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

सूची रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (अंग्रेज़ी:DRDO, डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में काम करता है। इस संस्थान की स्थापना १९५८ में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी। वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में रत हैं। पाँच हजार से अधिक वैज्ञानिक और पच्चीस हजार से भी अधिक तकनीकी कर्मचारी इस संस्था के संसाधन हैं। यहां राडार, प्रक्षेपास्त्र इत्यादि से संबंधित कई बड़ी परियोजनाएँ चल रही हैं। I love my India .

74 संबंधों: टैंक ईएक्स, एचएएल तेजस, एचएएल रुद्र, एचएएल उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान, एडवांस एयर डिफेंस, एनएएल सारस, एम-46 कटपुलट, एक्सकैलिबर राइफल, एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम, ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम, डीआरडीओ 155 मिलिमीटर तोप, डीआरडीओ एंटी रेडिएशन मिसाइल, डीआरडीओ दक्ष, डीआरडीओ निशान्त, डीआरडीओ नेत्र (सॉफ्टवेयर), डीआरडीओ नेत्रा, डीआरडीओ रुस्तम, डीआरडीओ लक्ष्य, डीआरडीओ स्मार्ट एंटी एयरफील्ड हथियार, डीआरडीओ ग्लाइड बम, डीआरडीओ इंपीरियल ईगल, डीआरडीओ कपोथका, त्रिशूल (मिसाइल), नाग प्रक्षेपास्त्र, निर्भय क्रूज मिसाइल, नोवैटोर के १०० प्रक्षेपास्त्र, पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, प्रहार (प्रक्षेपास्त्र), पृथ्वी एयर डिफेंस, पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र, बराक 8, ब्रह्मोस 2, ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र, भारत में सामूहिक विनाश के हथियार, भारत २०१०, भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम, भारतीय मिसाइलों की सूची, भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ, भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास, मल्टी कैलिबर व्यक्तिगत हथियार प्रणाली, महात्मा गाँधी मार्ग, दिल्ली, मानुषी छिल्लर, राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, त्रिची, रक्षा शरीरक्रिया एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान, शौर्य प्रक्षेपास्त्र, सागरिका प्रक्षेपास्त्र, संचार-केंद्रित इंटेलिजेंस सैटेलाइट, सुदर्शन लेजर निर्देशित बम, स्वायत्त मानव रहित विमान अनुसंधान, ..., सैन्य अभियान्त्रिकी, सूर्या प्रक्षेपास्त्र, हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन, हिंदुस्तान अर्ध्रा, वरुणास्त्र (टारपीडो), विध्वंसक, विजय कुमार सारस्वत, आकाश प्रक्षेपास्त्र, इंसास राइफल, के-5 एसएलबीएम, के-४ एसएलबीएम, अभय आईएफवी, अर्जुन टैंक, अस्त्र प्रक्षेपास्त्र, अवतार (अंतरिक्षयान), अग्नि पंचम, अग्नि-4, अग्नि-6, अग्नि-१, अग्नि-२, अग्नि-३, उच्च उर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला, उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान, उन्नत हल्के टारपीडो श्येन सूचकांक विस्तार (24 अधिक) »

टैंक ईएक्स

टैंक ईएक्स या एमबीटी ईएक्स (Tank Ex या MBT Ex) भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन दवारा 2002 में विकसित किये जा रहे मुख्य युद्धक टैंक का कोड नाम है। यह अफवाह थी कि टैंक कर्ण (भारतीय महाकाव्य महाभारत के नायकों में से एक) के नाम से जाना जाएगा। इसके छह महीने के परीक्षण के बाद भारतीय सेना ने इसे ठुकरा दिया। कम से कम दो टैंक ईएक्स प्रोटोटाइप बनाए गए थे। .

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एचएएल तेजस

तेजस भारत द्वारा विकसित किया जा रहा एक हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। यह हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित एक सीट और एक जेट इंजन वाला, अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का युद्धक विमान है। यह बिना पूँछ का, कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला विमान है। इसका विकास 'हल्का युद्धक विमान' या (एलसीए) नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत हुआ है जो 1980 के दशक में शुरू हुआ था। विमान का आधिकारिक नाम तेजस 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था। यह विमान पुराने पड़ रहे मिग-21 का स्थान लेगा। तेजस की सीमित श्रृंखला का उत्पादन 2007 में शुरू हुआ। दो सीटों वाला एक ट्रेनर संस्करण विकसित किया जा रहा है (नवम्बर 2008 तक उत्पादन के क्रम में था।), क्योंकि इसका नौसेना संस्करण भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोतों से उड़ान भरने में सक्षम है। बताया जाता है कि भारतीय वायु सेना को एकल सीट वाले 200 और दो सीटों वाले 20 रूपांतरण प्रशिक्षक विमानों की जरूरत है, जबकि भारतीय नौसेना अपने सी हैरियर की जगह एकल सीटों वाले 40 विमानों का आदेश दे सकती है।जैक्सन, पॉल, मूनसौन, केनेथ; & पीकॉक, लिंडसे (एड्स.) (2005).

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एचएएल रुद्र

एचएएल रुद्र (HAL Rudra) एचएएल ध्रुव का एक सशस्त्र संस्करण है। रुद्र आधुनिक इन्फ्रारेड, थर्मल इमेजिंग जगह इंटरफ़ेस, 20 मिमी बुर्ज बंदूक, 70 मिमी रॉकेट पॉड, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से सुसज्जित है। .

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एचएएल उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान

एचएएल उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (HAL Advanced Medium Combat Aircraft या HAL AMCA) एक पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का भारतीय कार्यक्रम है। इसे वैमानिकी विकास संस्था द्वारा विकसित तथा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा उत्पादित किया जायेगा। यह एक एकल सीट, जुड़वां इंजन, गुप्तता, सुपर पैंतरेबाज़ी, सभी मौसम में काम करने वाला मल्टी रोल लड़ाकू विमान है।.

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एडवांस एयर डिफेंस

एडवांस एयर डिफेंस या अश्विन बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर (Advanced Air Defence या Ashwin Ballistic Missile Interceptor) 30 किमी (19 मील) की ऊंचाई पर इंडो-वायुमंडल में आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों अवरोधन करने के लिए बनायीं गयी एक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल है। एएडी एकल-चरण, ठोस-इंधन वाला मिसाइल है। इसकी मार्गदर्शन प्रणाली पृथ्वी एयर डिफेंस के समान है: इसमें जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली, जमीन के आधार पर रडार से मिडस्केस अद्यतन और टर्मिनल चरण में सक्रिय रडार आदि है। यह मिसाइल 7.5 मीटर (25 फीट) लंबा है, इसका वजन लगभग 1.2 टन और 0.5 मीटर (1 फीट 8 इंच) से कम का व्यास है। 6 दिसंबर 2007 को, एएडी ने सफलतापूर्वक एक संशोधित पृथ्वी-2 मिसाइल को अवरुद्ध कर दिया, जो दुश्मन देश की आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल के लक्ष्य के रूप में अभिनय कर रही थी। एंडो-वायुमंडलीय अवरोध 15 किमी (9.3 मील) की ऊंचाई पर किया गया था। इंटरसेप्टर और सभी इसमे खरे उतरे। यह प्रक्षेपण दिल्ली में डीआरडीओ भवन के नियंत्रण कक्ष में एक वीडियो लिंक के माध्यम से दिखाया गया था। परीक्षण की घटनाओं का क्रम इस प्रकार था: सुबह 11 बजे पृथ्वी (मिसाइल) को चंडीपुर ओडिशा में एकीकृत टेस्ट रेंज (आईटीआर) के लांच कॉम्प्लेक्स 3 से लॉन्च किया गया था। कोनार्क,पारादीप में रडार ने मिसाइल का पता लगाया और लगातार इसे ट्रैक किया। आगे की प्रक्रिया के लिए लक्ष्य सूचना को मिशन नियंत्रण केंद्र पर भेजा गया था। मिशन नियंत्रण केंद्र ने लक्ष्य को वर्गीकृत किया, मिसाइल के प्रक्षेपवक्र की गणना की और चांदीपुर से 70 किमी (43 मील) समुद्र के पार अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) पर स्थित एएडी बैटरी को लक्ष्य सौंपा। एएडी लॉन्च किया गया। जब पृथ्वी मिसाइल 110 किमी (68 मील) के एक दूरतम बिन्दु पर पहुंच गया। एडवांस एयर डिफेंस ने 15 किमी (9.3 मील) की ऊंचाई पर और 4 मेक की गति से पृथ्वी (मिसाइल) को प्रत्यक्ष हिट किया। रडार ने बड़ी संख्या में पटरियों का गठन किया, जिससे पता चलता है कि लक्ष्य कई टुकड़ों में टूट गया था। अर्थात एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल ने पृथ्वी (मिसाइल) के टुकडे-टुकडे कर दिए थे। व्हीलर द्वीप पर स्थित थर्मल कैमरों ने थर्मल इमेजेस के माध्यम से सीधे हिट करने की चित्र दिखाए। भारत द्वारा किए गए दो सफल इंटरसेप्टर मिसाइल परीक्षणों के चलते। वैज्ञानिकों ने कहा है कि एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल को एक नई विस्तारित सीमा (150 किमी (9 3 मील)) तक सतह से हवा वाली मिसाइल में संशोधित किया जा सकता है जिसका संभवतः 'अश्विन' नाम रखा जा सकता है। 15 मार्च 2010: सोमवार को ओडिशा तट से एडी इंटरसेप्टर मिसाइल परीक्षण निरस्त कर दिया गया था। चूंकि लक्ष्य मिसाइल अपने रास्ते से हट गई और समुद्र में गिर गई थी। एडी मिसाइल को समुद्र पर 15 से 20 किमी की ऊंचाई पर लक्ष्य को अवरुद्ध करना था। लक्ष्य पृथ्वी मिसाइल, सुबह 10:02 बजे चंडीपुर सागर में एकीकृत टेस्ट रेंज के लांच कॉम्प्लेक्स-3 के मोबाइल लांचर से लॉन्च किया गया था।11 किलोमीटर की यात्रा के बाद मिसाइल अपनी गति से विचलित हो गया और समुद्र में जा गिरा। इसे 15 किलोमीटर की यात्रा करनी थी। 26 जुलाई 2010: ओडिशा के पूर्वी तट से व्हीलर द्वीप पर एकीकृत टेस्ट रेंज (आईटीआर) से सफलतापूर्वक एएडी का परीक्षण किया गया। 6 मार्च 2011 को, भारत ने ओडिशा तट से अपनी स्वदेशी विकसित इंटरसेप्टर मिसाइल का लॉन्च किया। भारत ने अपने इंटरसेप्टर मिसाइल से सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसने बंगाल की खाड़ी पर 16 किमी की ऊंचाई पर एक 'प्रतिकूल' लक्ष्य बैलिस्टिक मिसाइल, संशोधित पृथ्वी मिसाइल को नष्ट कर दिया। .

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एनएएल सारस

एनएएल सारस (NAL Saras) राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (एनएएल) द्वारा डिजाइन किए गए हल्का परिवहन विमान श्रेणी में पहला भारतीय बहुउद्देशीय नागरिक विमान है। जनवरी 2016 में, यह रिपोर्ट दी गई कि परियोजना रद्द कर दी गई है। लेकिन फरवरी 2017 में, इस परियोजना को पुनर्जीवित किया गया। .

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एम-46 कटपुलट

एम-46 कटपुलट (M-46 Catapult) भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान में विकसित स्वचालित बंदूक है। .

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एक्सकैलिबर राइफल

एक्सकैलिबर राइफल (Excalibur rifle) एक आक्रमण राइफल है जो भारतीय सेना के मानक राइफल इंसास राइफल पर आधारित है। इस राइफल में इंसास राइफल के कई सुधार हुए हैं और भारतीय सेना के मानक आक्रमण राइफल इंसास राइफल को एक्सकैलिबर राइफल से बदलने की उम्मीद है। हालांकि, भारतीय सेना ने सितंबर 2016 में प्रतिस्थापन के लिए टेंडर डालवाये। एक्सकैलिबर राइफल ऑर्डनेंस फॅक्टरी तिरुचिरापल्ली, छोटे हथियार फैक्टरी, कानपुर और इचलपुर शस्त्रागार में आयुध कारखाने बोर्ड द्वारा निर्मित किया जाएगा। .

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एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम

एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (अंग्रेज़ी: Integrated Guided Missile Develoment Program-IGMDP; इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम) घोषित परमाणु राज्यों (चीन, ब्रिटेन, फ़्रांस, रूस, और संयुक्त राज्य अमेरिका) के बाद के मिसाइल कार्यक्रमों में से एक है। भारत अपने परिष्कृत मिसाइल और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ, देश में ही लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलों के विकास में तकनीकी रूप से सक्षम है। बैलिस्टिक मिसाइलों में भारत का अनुसंधान 1960 के दशक में शुरू हुआ। जुलाई 1983 में भारत ने स्वदेशी मिसाइल के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के उद्देश्य के साथ समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम-IGMDP) की शुरुआत की। आईजीएमडीपी द्वारा देश में ही विकसित सबसे पहली मिसाइल पृथ्वी थी। भारत की दूसरी बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली अग्नि मिसाइलों की श्रृंखला है जिसकी मारक क्षमता पृथ्वी मिसाइलों से ज्यादा है। .

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ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम

अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam), (15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा। इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई। कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये। .

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डीआरडीओ 155 मिलिमीटर तोप

डीआरडीओ 155 मिलिमीटर तोप (DRDO 155 mm/52 calibre artillery gun) एक होवित्जर है जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा भारतीय सेना के लिए विकसित किया जा रहा है। .

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डीआरडीओ एंटी रेडिएशन मिसाइल

डीआरडीओ एंटी रेडिएशन मिसाइल (DRDO Anti-Radiation Missile) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित की जा रही एंटी रेडिएशन मिसाइल है। यह भारत की पहली एंटी रेडिएशन मिसाइल है। यह मिसाइल दुश्मन के राडार व ट्रांसिमट सिग्नलों को खराब कर देती है। जिससे दुसमन अपनी राडार व ट्रांसिमट सिग्नलों की क्षमता खो देता है। वर्तमान में यह टेक्नोलॉजी सिर्फ अमेरिका, रूस और जर्मनी के पास है। .

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डीआरडीओ दक्ष

दक्ष (Daksh) एक विद्युत चालित और दूर से नियंत्रित रोबोट है। इसका इस्तेमाल खतरनाक वस्तुओं को ढूंढने निपटने और सुरक्षित रूप से नष्ट करने के लिए किया जाता है। .

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डीआरडीओ निशान्त

डीआरडीओ निशान्त एक मानवरहित यान (यूएवी) जिसे भारत के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान जो डीआरडीओ की एक शाखा है, ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए विकसित किया है। निशान्त यूएवी मुख्य रूप से शत्रु के क्षेत्र से खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी, लक्ष्य पद, तोपखाने का मारक सुधार करने, क्षति आकलन इत्यादि के लिए बनाया गया है। इस यूएवी की एकबारगी उड़ान क्षमता ४ घंटे और ३० मिनट है। निशान्त ने विकास चरण और प्रयोक्ता परीक्षण को पूरा कर लिया है। ३८० किलो के निशान्त यूएवी को पन-वायवीय लांचर से रेल-प्रक्षेपण की आवश्यकता होती है और इसे रिकवर करने के लिए पैराशूट प्रणाली चाहिए होती है। .

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डीआरडीओ नेत्र (सॉफ्टवेयर)

नेत्र या नेटवर्क यातायात विश्लेषण (NETRA या NEtwork TRaffic Analysis) भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रयोगशाला द्वारा विकसित एक सॉफ्टवेयर नेटवर्क है। यह भारत की घरेलू खुफिया एजेंसी और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) द्वारा प्रयोग किया जाता है। यह पूर्वनिर्धारित फिल्टर का उपयोग कर इंटरनेट यातायात का विश्लेषण करता है। यह कार्यक्रम विभिन्न राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा छोटे पैमाने पर परीक्षण किया गया था। और जल्द ही राष्ट्रव्यापी तैनात किया जाना है। (जनवरी 2014 के अनुसार) .

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डीआरडीओ नेत्रा

डीआरडीओ नेत्रा (DRDO Netra) एक भारतीय, हल्के वजन, निगरानी और टोही अभियानों के लिए स्वायत्त मानव रहित हवाई वाहन है। यह संयुक्त रूप से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान और मुंबई की एक निजी फर्म आइडियाफोर्ज द्वारा विकसित किया गया है। .

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डीआरडीओ रुस्तम

तापस २०१ या डीआरडीओ रुस्तम (DRDO Rustom) एक मध्यम ऊंचाई वाला मानवरहित लड़ाकू हवाई वाहन है जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह भारत की तीनों सेनाओं द्वारा प्रयोग किया जायेगा। नवम्बर २०१६ में इसका सफल परीक्षण किया गया। परीक्षण बंगलुरू से करीब 250 किलोमीटर दूर चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में किया गया जो मानवरहित यानों एवं मानवविमानों के परीक्षण के लिए नवविकसित उड़ान परीक्षण स्थल है। तापस 201 का डिजाइन और विकास डीआरडीओ की बंगलुरू की प्रयोगशाला एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट और एचएएल-बीईएल ने मिलकर किया है। यह 24 घंटे तक उड़ान भर सकता है और देश के सशस्त्र बलों के लिए टोही मिशन का काम कर सकता है। इस मानवरहित यान को अमेरिका के प्रिडेटर ड्रोन की भांति मानवरहित लड़ाकू यान के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। इसका वजन दो टन है। .

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डीआरडीओ लक्ष्य

डीआरडीओ लक्ष्य (DRDO Lakshya) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित एक बिना पायलट वाला लक्ष्य विमान है। .

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डीआरडीओ स्मार्ट एंटी एयरफील्ड हथियार

डीआरडीओ स्मार्ट विरोधी एयरफील्ड हथियार (DRDO Smart Anti-Airfield Weapon or SAAW) एक लंबी दूरी की परिशुद्धता निर्देशित एंटी एयरफील्ड हथियार है। जो वर्तमान में भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित की जा रही है इसे 100 किलोमीटर (62 मील) की सीमा तक उच्च परिशुद्धता के साथ जमीन के लक्ष्य को मारने के लिए तैयार किया गया है। .

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डीआरडीओ ग्लाइड बम

डीआरडीओ ग्लाइड बम (DRDO Glide Bombs) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन का उत्पाद है, जो एक मानकीकृत मध्यम रेंज सटीक निर्देशित हथियार के लिए प्रोयोग किया जाएगा। यह बम भारतीय वायुसेना के लिए बहुत उपयोगी है यह लड़ाकू विमानो को सहूलित देगा की वह खतरे वाले क्षेत्र में जाए वैगैर उस लक्ष्य को खत्म कर सके। जिससे लड़ाकू विमानो की उम्र बढ़ जाएगी। क्यूकी विमान को नुकसान की कम संभावना होगी। और लक्ष्य पर सटीक वार से आस-पास के नुकसान को भी कम किया जा सकता है। प्रख्यात मिसाइल वैज्ञानिक, डॉ जी.

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डीआरडीओ इंपीरियल ईगल

डीआरडीओ इंपीरियल ईगल (DRDO Imperial Eagle UAV) एक भारतीय हल्के वजन वाला मिनी मानव रहित हवाई वाहन है। इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान ने किया है। इसका प्रयोग राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड द्वारा किया जाता है। .

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डीआरडीओ कपोथका

कपोथका (Kapothaka) टोह लेने के लिए एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक मिनी यूएवी था। .

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त्रिशूल (मिसाइल)

त्रिशूल (मिसाइल) कम दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला यह समन्वित मार्गदर्शित मिसाइल विकास कार्यक्रम में (DRDO) रक्षा अनुसंधान विकास संगठन ओर(BDL) भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया था। इसका उपयोग कम उड़ान पर हमला करने वाली मिसाइलों के खिलाफ जहाज से एक विरोधी समुद्र तलवार के रूप में भी किया जा सकता है। भारत के पूर्वी तट पर भुवनेश्वर से 180 किलोमीटर दूर स्थित चांदीपुर अंतरिम परीक्षण रेंज से इस मिसाइल का परीक्षण एक मोबाइल लॉंचर के ज़रिए किया गया। मोबाइल मिसाइल लॉंचर से चलाई गई इस मिसाइल से एक माइक्रो-लाइट विमान को निशाना बनाया गया। महत्वपूर्ण ये है कि इस मिसाइल का इस्तेमाल थल सेना, नौसेना और वायुसेना, सभी कर सकते हैं। .

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नाग प्रक्षेपास्त्र

नाग प्रक्षेपास्त्र (संस्कृत: नाग) एक तीसरी पीढ़ी का भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र है। यह उन पाँच (प्रक्षेपास्त्र) मिसाइल प्रणालियों में से एक है जो भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित की गई है। इस प्रक्षेपास्त्र का विकास की लागत से किया गया है। .

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निर्भय क्रूज मिसाइल

निर्भय (अर्थात बिना भय) एक लंबी दूरी की सबसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे भारत में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है। .

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नोवैटोर के १०० प्रक्षेपास्त्र

नोवैटोर के-१०० एक रूसी हवा से हवा प्रक्षेपास्त्र है जो 300-400 किमी (160-210 मील) तक की सीमा मे अवाक्स घातक भूमिका के लिये तैयार किया गया है। मिसाइल अपने विकास के दौरान विभिन्न नामों से जाना गया है 172 Izdeliye (172 अनुच्छेद), ए ए एम - एल (RVV-L), के एस-172, के एस-1, 172S-1 और आर 172। इसका ढांचा 9K37 Buk सतह से हवा (एसएएम) मिसाइल से प्राप्त किया गया है लेकिन विकास कोष की कमी की वजह से 1990 के दशक मे विकास कार्य रुक गया। यह 2004 में भारत के साथ एक समझौते के बाद पुनः शुरू किया गया है, जो अपने सुखोई ३० लड़ाकू विमानों के लिए भारत में मिसाइल का उत्पादन करना चाहता है। .

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पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर

पिनाक (Pinaka multi barrel rocket launcher) भारत में उत्पादित एक बहुखंडीय रॉकेट लांचर है। और भारतीय सेना के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है। इस प्रणाली में मार्क-1 के लिए 40 किलोमीटर और मार्क-2 के लिए 65 किलोमीटर की अधिकतम सीमा है। और 44 सेकंड में 12 उच्च विस्फोटक रॉकेट के उपलक्ष्य फायर कर सकता है। प्रणाली गतिशीलता के लिए यह टाट्रा ट्रक पर आरोहित है। पिनाका कारगिल युद्ध के दौरान सेवा में रही थी। जहां यह पर्वत चोटियों पर दुश्मन पदों को निष्क्रिय करने में सफल रही थी। इसके बाद इसे बड़ी संख्या में भारतीय सेना में शामिल कर दिया गया है। 2014 तक, हर वर्ष लगभग 5000 मिसाइल का उत्पादन किया जा रहा है, जबकि एक उन्नत संस्करण उन्नत श्रेणी और सटीकता के साथ विकास के अंतर्गत है। .

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प्रहार (प्रक्षेपास्त्र)

प्रहार (संस्कृत: प्रहार) एक ठोस इंधन की, सतह-से-सतह तक मार करने में सक्षम कम दुरी की सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल है। यह मिसाइल (प्रक्षेपास्त्र) भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित की गई है। प्रहार मिसाइल का प्रयोग किसी भी सामरिक और रणनीतिक लक्ष्यों को भेदने के लिए किया जा सकता है। .

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पृथ्वी एयर डिफेंस

पृथ्वी एयर डिफेंस या प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर (Prithvi Air Defence या Pradyumna Ballistic Missile Interceptor) वायुमंडल के बाहर आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को अवरोधन करने के लिए विकसित एक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल है। यह पृथ्वी मिसाइल के आधार पर बनायीं गयी है। .

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पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र

पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है। श्रेणी:हथियार श्रेणी:भारत के प्रक्षेपास्त्र.

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बराक 8

बराक 8 (Barak 8) एक भारतीय-इजरायली लंबी दूरी वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। बराक 8 को विमान, हेलीकाप्टर, एंटी शिप मिसाइल और यूएवी के साथ-साथ क्रूज़ मिसाइलों और लड़ाकू जेट विमानों के किसी भी प्रकार के हवाई खतरा से बचाव के लिए डिज़ाइन किया गया। इस प्रणाली के दोनों समुद्री और भूमि आधारित संस्करण मौजूद हैं। बराक 8 संयुक्त रूप से इजरायल की इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) और भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया था। हथियारों और तकनीकी अवसंरचना, एल्टा सिस्टम्स और अन्य चीजो के विकास के लिए इजरायल का प्रशासन जिम्मेदार होगा। जबकि भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) मिसाइलों का उत्पादन करेगी। .

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ब्रह्मोस 2

ब्रह्मोस 2 (BrahMos-2) रूस की एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया और भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा वर्तमान में संयुक्त रूप से विकासाधीन एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। जो एक साथ ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा गठित है। यह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल श्रृंखला की दूसरी क्रूज मिसाइल है। ब्रह्मोस-2 की रेंज 290 किलोमीटर और मेक 7 की गति होने की संभावना है। उड़ान के क्रूज चरण के दौरान मिसाइल एक स्क्रैमजेट एयरब्रेस्टिंग जेट इंजन का प्रयोग करेगी। मिसाइल की उत्पादन लागत और भौतिक आयाम सहित अन्य विवरण, अभी तक प्रकाशित नहीं किए गए हैं। इस मिसाइल की 2020 तक परीक्षण के लिए तैयार होने की उम्मीद है। ब्रह्मोस-2 की योजनाबद्ध परिचालन सीमा 290 किलोमीटर तक सीमित कर दी गई है क्योंकि रूस मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का एक हस्ताक्षरकर्ता सदस्य देश है, जो रूस को 300 किलोमीटर (190 मील। 160 एनएमआई) के ऊपर सीमाओं वाली मिसाइलों को विकसित करने में अन्य देशों की मदद से रोकता है। हालांकि, अब भारत एक मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था हस्ताक्षरकर्ता सदस्य देश बन गया है। इसकी शीर्ष गति वर्तमान ब्रह्मोस 1 की दोगुनी होगी। और यह दुनिया में सबसे तेज क्रूज मिसाइल होगी। ब्रह्मोस 2 को मेक 5 की गाति से पार करने के लिए रूस एक विशेष और गुप्त ईंधन सूत्र विकसित कर रहा है। अक्टूबर 2011 तक मिसाइल के कई रूपों का डिजाइन पूरा किया गया था। और 2012 में परीक्षण शुरू होने वाले थे। चौथी पीढ़ी के बहुउद्देश्यीय रूसी नौसेना विध्वंसक (प्रोजेक्ट 21956) को भी ब्रह्मोस 2 से लैस करने की संभावना है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति ऐ॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम के सम्मान में मिसाइल को ब्रह्मोस-2 (के) का नाम दिया है। .

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ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र

'''ब्रह्मोस''' विश्व की सबसे तीव्रगामी मिसाइल है। ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO Mashinostroeyenia) तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है। .

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भारत में सामूहिक विनाश के हथियार

भारत के पास परमाणु हथियार के रूप में सामूहिक विनाश के हथियार हैं और अतीत में, रासायनिक हथियार भी थे। हालांकि भारत ने अपने परमाणु शस्त्रागार के आकार के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है पर हाल के अनुमान के मुताबिक भारत के पास लगभग 150-160 परमाणु हथियार हैं। 1999 में भारत के पास 800 किलो रिएक्टर ग्रेड और कुल 8300 किलो असैनिक प्लूटोनियम था जो लगभग 1,000 परमाणु हथियारों के लिए पर्याप्त है। भारत ने 1968 की परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं, भारत का तर्क है कि यह संधि केवल कुछ देशों तक ही परमाणु तकनीक को सीमित करती है और सामान्य परमाणु निरशास्त्रिकारण भी को रोकती है। भारत ने जैविक हथियारों सम्मेलन और रासायनिक हथियार कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये हैं व पुष्टि भी की है। भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) का एक सदस्य है और द हेग आचार संहिता (The Hague Code of Conduct) की सदस्यता लेने वाला देश है। .

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भारत २०१०

इन्हें भी देखें 2014 भारत 2014 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2014 साहित्य संगीत कला 2014 खेल जगत 2014 .

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भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम

एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी) मिसाइल लांच करते हुए भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम (Indian Ballistic Missile Defence Programme) बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से बचाने के लिए भारत द्वारा एक बहुस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात करने की एक पहल है। मुख्य रूप से पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को देखते हुए इसे शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत दो मिसाइल का निर्माण किया गया। ऊचाई की मिसाइल को मार गिराने के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस तथा कम ऊचाई की मिसाइल को मार गिराने के लिए एडवांस एयर डिफेंस को विकसित किया गया है। यह दोनों मिसाइल 5000 किलोमीटर दूर से आ रही मिसाइल को मार गिरा सकती है। पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल को नवंबर 2006 तथा एडवांस एयर डिफेंस को दिसंबर 2007 में टेस्ट किया गया था। पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल के टेस्ट के साथ भारत एंटी बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट करने वाला अमेरिका, रूस तथा इजराइल के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया। इस प्रणाली के टेस्ट अभी भी चल रहे और है आधिकारिक तौर पर इसे सेना में शामिल नहीं किया गया है। .

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भारतीय मिसाइलों की सूची

ब्रह्मोस मिसाइल भारत द्वारा विकसित मिसाइलों की एक सूची। .

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भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ

भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ भारत की तथा इसके प्रत्‍येक भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी हैं। भारतीय शस्‍त्र सेनाओं की सर्वोच्‍च कमान भारत के राष्‍ट्रपति के पास है। राष्‍ट्र की रक्षा का दायित्‍व मंत्रिमंडल के पास होता है। इसका निर्वहन रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है, जो सशस्‍त्र बलों को देश की रक्षा के संदर्भ में उनके दायित्‍व के निर्वहन के लिए नीतिगत रूपरेखा और जानकारियां प्रदान करता है। भारतीय शस्‍त्र सेना में तीन प्रभाग हैं भारतीय थलसेना, भारतीय जलसेना, भारतीय वायुसेना और इसके अतिरिक्त, भारतीय सशस्त्र बलों भारतीय तटरक्षक बल और अर्धसैनिक संगठनों (असम राइफल्स, और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स) और विभिन्न अंतर-सेवा आदेशों और संस्थानों में इस तरह के सामरिक बल कमान अंडमान निकोबार कमान और समन्वित रूप से समर्थन कर रहे हैं डिफेंस स्टाफ। भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर है। भारतीय सशस्त्र बलों भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय (रक्षा मंत्रालय) के प्रबंधन के तहत कर रहे हैं। 14 लाख से अधिक सक्रिय कर्मियों की ताकत के साथ,यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य बल है। अन्य कई स्वतंत्र और आनुषांगिक इकाइयाँ जैसे: भारतीय सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, राष्ट्रीय राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, भारत तिब्बत सीमा पुलिस इत्यादि। भारतीय सेना के प्रमुख कमांडर भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द हैं। यह दुनिया के सबसे बड़ी और प्रमुख सेनाओं में से एक है। सँख्या की दृष्टि से भारतीय थलसेना के जवानों की सँख्या दुनिया में चीन के बाद सबसे अधिक है। जबसे भारतीय सेना का गठन हुआ है, भारत ने दोनों विश्वयुद्ध में भाग लिया है। भारत की आजादी के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ तीन युद्ध 1948, 1965, तथा 1971 में लड़े हैं जबकि एक बार चीन से 1962 में भी युद्ध हुआ है। इसके अलावा 1999 में एक छोटा युद्ध कारगिल युद्ध पाकिस्तान के साथ दुबारा लड़ा गया। भारतीय सेना परमाणु हथियार, उन्नत अस्त्र-शस्त्र से लैस है और उनके पास उचित मिसाइल तकनीक भी उपलब्ध है। हलांकि भारत ने पहले परमाणु हमले न करने का संकल्प लिया हुआ है। भारतीय सेना की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र है। .

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भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास

भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास-यात्रा प्रागैतिहासिक काल से आरम्भ होती है। भारत का अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और भारतीय संसार का नेतृत्व करते थे। सबसे प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानवीय क्रियाकलाप मेहरगढ़ में पाये गये हैं जो अब पाकिस्तान में है। सिन्धु घाटी की सभ्यता से होते हुए यह यात्रा राज्यों एवं साम्राज्यों तक आती है। यह यात्रा मध्यकालीन भारत में भी आगे बढ़ती रही; ब्रिटिश राज में भी भारत में विज्ञान एवं तकनीकी की पर्याप्त प्रगति हुई तथा स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। सन् २००९ में चन्द्रमा पर यान भेजकर एवं वहाँ पानी की प्राप्ति का नया खोज करके इस क्षेत्र में भारत ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। चार शताब्दियों पूर्व प्रारंभ हुई पश्चिमी विज्ञान व प्रौद्योगिकी संबंधी क्रांति में भारत क्यों शामिल नहीं हो पाया ? इसके अनेक कारणों में मौखिक शिक्षा पद्धति, लिखित पांडुलिपियों का अभाव आदि हैं। .

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मल्टी कैलिबर व्यक्तिगत हथियार प्रणाली

मल्टी कैलिबर व्यक्तिगत हथियार प्रणाली (Multi Calibre Individual Weapon System या MCIWS) एक आक्रमण राइफल है जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की एक प्रयोगशाला, आर्ममेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट द्वारा विकसित किया गया है। इसे पहली बार DEFEXPO 2014 प्रदर्शनी में देखा गया था और इसके ऑर्डनेंस फैक्टरी तिरुचिरापल्ली द्वारा निर्मित होने की संभावना है। 2015 तक, राइफल को एडवांस्ड ऑटोमेटिक राइफल (एएआर) के रूप में भी जाना जाता था। इसका खाली वजन है। इसका 2014 से उत्पादन किया जा रहा है। यह 600-650 राउंड प्रति मिनट फायर कर सकती है। .

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महात्मा गाँधी मार्ग, दिल्ली

रिंग मार्ग का प्रतीक चिह्न - सामान्यतः दिल्ली में प्रयुक्त दिल्ली का मानचित्र जिसपर लाल रेखांकित महात्मा गांधी मार्ग देखा जा सकता है। महात्मा गांधी मार्ग या मुद्रिका मार्ग या रिंग रोड दिल्ली के दो रिंग मार्गों में से एक है। दूसरा है डॉ हेडगेवार मार्ग या बाहरी रिंग मार्ग (अंग्रेजी: Outer Ring Road, आउटर रिंग रोड)। दोनों की लम्बाई मिलाकर 87 कि॰मी॰ है। 40 कि.

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मानुषी छिल्लर

मानुषी छिल्लर (जन्म; १४ मई १९९७) एक भारतीय मॉडल व सौन्दर्य प्रतियोगिता की विजेता हैं जिन्हें विश्व सुन्दरी २०१७ के ताज से नवाज़ा गया हैं। इससे पहले २५ जून २०१७ को उन्हें फेमिना मिस इंडिया सम्मान से भी नवाजा गया था।इस प्रतियोगिता में उन्होंने दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों की 30 प्रतियोगियों के बीच हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया। फेमिना मिस इंडिया २०१७ के फाइनल में मानुषी से अंतिम सवाल पूछा गया कि " ३० प्रतिभागियों के साथ एक महीने का वक्त बिताने के बाद वो क्या सबक लेकर वापस जाएंगी?" इसके जवाब में उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता के दौरान उनके पास एक दृष्टिकोण था जिससे उन्हें ये विश्वास हासिल हुआ कि वो दुनिया में बदलाव ला सकती हैं। उनके इस जवाब ने निर्णायकों का दिल जीत लिया और इसी के साथ फेमिना मिस इंडिया 2017 के ताज पर उनका अधिकार हो गया। फेमिना मिस इंडिया होने के नाते इन्होंने नवम्बर २०१७ में चीन के सायना सिटी एरेना में सम्पन्न हुई "मिस वर्ल्ड २०१७" की प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया और विजेता बनीं। .

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राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला

एन ए एल सारस - भारत में निर्मित प्रथम नागरिक बहुउद्देश्यीय विमान राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला एन ए एल भारत की दूसरी सबसे बड़ी एयरोस्पेस कंपनी है। यह वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा १९५९ मे दिल्ली में स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय १९६० में बंगलौर ले जाया गया। यह फर्म एचएएल, डीआरडीओ और इसरो के साथ मिलकर काम करती है और असैनिक विमानों के विकास के लिये जिम्मेदार है। एनएएल एक उच्च प्रौद्योगिकी उन्मुख संस्था है जो एयरोस्पेस और संबंधित उन्नत विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है। यह मूल रूप से राष्ट्रीय वैमानिकी प्रयोगशाला के रूप में शुरू किया था और बाद मे नाम बदलकर राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला कर दिया गया जो इसकी भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में भागीदारी, अपने बहुविधा गतिविधियों और ग्लोबल पोजीशनिंग क्षेत्र मे अनुसंधान को प्रतिबिंबित करती है। यह भारत की अकेली असैनिक एयरोस्पेस प्रयोगशाला है जिसकी उच्च स्तरीय क्षमता और उसके वैज्ञानिकों की विशेषज्ञता को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। एनएएल मे १३०० कर्मचारी है जिसमे ३५० पूर्ण रूप से अनुसंधान और विकास के लिये है। एनएएल नीलकंठन पवन सुरंग केन्द्र और एक कम्प्यूटरीकृत थकान परीक्षण जैसी सुविधाओ से सुसज्जित है। एनएएल मे एयरोस्पेस विफलताओं और दुर्घटनाओं की जांच के लिए सुविधाएं हैं। .

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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, त्रिची

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तिरुचिरापल्ली (एनआईटीटी), जो पहले रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, तिरुचिरापल्ली था, भारत के तिरुचिरापल्ली शहर में स्थित एक सार्वजनिक इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय है। इस संस्थान की स्थापना 1964 में देश की तकनीकी जनशक्ति की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए की गयी थी। आज यह भारत के 18 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक है और इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता दी जाती है। संस्थान में लगभग 3,400 छात्र विभिन्न पूर्वस्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में नामांकित हैं। एनआईटीटी को नियमित रूप से देश के शीर्ष 15 इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्थान दिया जाता रहा है। यह संस्थान तिरुचिरापल्ली के बाहरी इलाके में एक परिसर पर स्थित है। अधिकांश छात्र परिसर के आवासीय हॉस्टलों में रहते हैं। यहाँ 35 से अधिक ऐसे छात्र समूह हैं जो विभिन्न गतिविधियों और रुचियों को पूरा करने में जुटे हुए हैं। संस्थान वार्षिक सांस्कृतिक और तकनीकी समारोहों का भी आयोजन करता है जो देश और विदेश के प्रतिभागियों को आकर्षित करता है। .

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रक्षा शरीरक्रिया एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान

रक्षा शरीरक्रिया एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (Defence Institute of Physiology & Allied Sciences (DIPAS)) भारत की एक रक्षा प्रयोगशाला है और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अन्तर्गत है। यह दिल्ली में स्थित है। इसमें चरम परिस्थितियों में तथा युद्ध की अवस्था में मानव के कार्य करने की क्षमता बढ़ाने के लिये शरीरक्रिया और जैवचिकित्सीय अनुसंधान किये जाते हैं। 'दिपास' डीआरडीओ के जीवन विज्ञान निदेशालय के अन्तर्गत आता है। .

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शौर्य प्रक्षेपास्त्र

शौर्य प्रक्षेपास्त्र एक कनस्तर से प्रक्षेपित सतह से सतह पर मार करने वाला सामरिक प्रक्षेपास्त्र है जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग के लिए विकसित किया है। इसकी मारक सीमा ७५०-१९०० किमी हैhttp://www.indiaresearch.org/Shourya_Missile.pdf तथा ये एक टन परंपरागत या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। यह किसी भी विरोधी के खिलाफ कम - मध्यवर्ती श्रेणी में प्रहार की क्षमता देता है। शौर्य प्रक्षेपास्त्र भारत को द्वितिय प्रहार की महत्वपूर्ण क्षमता देता है। .

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सागरिका प्रक्षेपास्त्र

सागारिका भारतीय सेना में शामिल एक परमाणु हथियारों का वहन करने में सक्षम प्रक्षेपास्त्र है जिसे पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसकी सीमा ७०० किमी (४३५ मील) है। .

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संचार-केंद्रित इंटेलिजेंस सैटेलाइट

संचार केंद्रित इंटेलिजेंस उपग्रह एक भारतीय उन्नत टोह उपग्रह है, जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। यह भारत का पहला आधिकारिक तौर पर समर्पित जासूसी सैटेलाइट है। यह उपग्रह भारतीय खुफिया एजेंसियों को पड़ोसी देशों में आतंकवादी शिविरों की निगरानी में काफी मदद करेगा। .

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सुदर्शन लेजर निर्देशित बम

सुदर्शन लेजर निर्देशित बम (Sudarshan laser-guided bomb) भारतीय वायु सेना के लिए द्वारा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन विकसित एक लेजर निर्देशित बम है।, .

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स्वायत्त मानव रहित विमान अनुसंधान

ओरा या स्वायत्त मानव रहित विमान अनुसंधान (AURA या Autonomous Unmanned Research Aircraft) एक स्वायत्त मानवरहित लड़ाकू हवाई वाहन है। जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा भारतीय वायु सेना तथा भारतीय नौसेना के लिए विकसित किया जा रहा है। मानवरहित लड़ाकू हवाई वाहन पर डिजाइन का काम वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना का विवरण गोपनीय रखा गया है। .

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सैन्य अभियान्त्रिकी

सैन्य अभियान्त्रिकी (मिलिटरी इंजीनियरिंग) सैन्य विज्ञान के अन्तर्गत आने वाले सैनिक कार्यों के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव को कहते हैं। इसमें अन्य कार्यों के अतिरिक्त आक्रामक, सुरक्षात्मक और लॉजिस्टिक संरचनाएँ - सभी आ जाती हैं। किन्तु अधिकांशतः इसमें किलेबन्दी और भूमिकार्य, पुलों का निर्माण और विध्वंस, बारूदी सुरंगें बिछाना और उन्हें नष्ट करना आदि आता है। .

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सूर्या प्रक्षेपास्त्र

अप्रसार समीक्षा (द नॉन प्रोलिफरेशन रिव्यू) में छपे एक प्रतिवेदन के अनुसार, १९९५ की सर्दियों में, सूर्य भारत का विकसित किया जा रहा प्रथम अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र का कूटनाम है।, अभिगमित १४ जून २००७ माना जाता है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ) ने १९९४ में इस परियोजना को आरम्भ कर दिया है। इस प्रतिवेदन की २००९ तक किसी अन्य स्रोत से पुष्टि नहीं की गई है। भारत सरकार के अधिकारियों ने बार-बार इस परियोजना के अस्तित्व का खण्डन किया है। प्रतिवेदन के अनुसार, सूर्य एक अन्तरमहाद्वीपीय-दूरी का, सतह पर आधारित, ठोस और तरल प्रणोदक (प्रोपेलेंट) प्रक्षेपास्त्र है। प्रतिवेदन में आगे कहा गया है कि सूर्य भारत की सबसे महत्वाकांक्षी एकीकृत नियन्त्रित प्रक्षेपास्त्र विकास परियोजना है। सूर्य की मारक क्षमता ८,००० से १२,००० किलोमीटर तक अनुमानित है। .

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हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन

हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle या HSTDV) एक मानव रहित इस्क्रेमजेट प्रदर्शन विमान है। इसे हाइपरसोनिक गति उड़ान के लिए विकसित किया जा रहा है। इसका विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा किया जा रहे हैं। .

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हिंदुस्तान अर्ध्रा

हिंदुस्तान अर्ध्रा (Hindustan Ardhra) 1970 के दशक के अंत में एटीएस-1 अर्ध्रा के रूप में भारत के नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा पायलट को प्रशिक्षण देने के लिए तैयार किया गया था। यह परंपरागत विन्यास और लकड़ीसे निर्मित दो सीट वाला विमान था। भारतीय वायु सेना द्वारा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को 1980 के दशक के आरंभ में पचास विमानो का आदेश दिया था। .

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वरुणास्त्र (टारपीडो)

वरुणास्त्र (Varunastra) एक भारतीय उन्नत दिग्गज पनडुब्बी रोधी टारपीडो है। इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के नौसेना विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशाला द्वारा किया गया है। वरुणास्त्र टारपीडो का जहाज लॉन्च संस्करण औपचारिक रूप से 26 जून 2016 को माननीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।अपने भाषण में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि सरकार वियतनाम सहित मित्र देशों के लिए टारपीडो के निर्यात के पक्ष में है।कुछ मामूली संशोधनों के साथ टारपीडो का पनडुब्बी संस्करण का परीक्षण शीघ्र किया जायेगा।भारतीय नौसेना अपने प्रयोग के लिए 73 तारपीडो का उत्पादन करने की योजना है। .

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विध्वंसक

विध्वंसक (Vidhwansak) एक भारतीय बहु-कैलिबर एन्टी मटेरियल राइफल (एएमआर) या बड़े कैलिबर स्नाइपर राइफल है। इसे आयुध निर्माणी तिरुचिरापल्ली द्वारा निर्मित इसे किया गया है। यह दुश्मन बंकरों, हल्के बख्तरबंद वाहनों, रडार प्रणाली, संचार उपकरण, खडे विमान, ईंधन भंडारण सुविधाओं आदि को नष्ट करने के लिए एन्टी मटेरियल भूमिका में इस्तेमाल किया जा सकता है। .

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विजय कुमार सारस्वत

विजय कुमार सारस्वत भारतीय वैज्ञानिक है। सारस्वत ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में महाप्रबंधक के रूप में और रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार के सेवा की और वर्ष 2013 में सेवा निवृत्त हो गए। वर्तमान में नीति आयोग के सदस्य हैं।http://niti.gov.in/team-niti/shri-vk-saraswat .

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आकाश प्रक्षेपास्त्र

आकाश प्रक्षेपास्त्र भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, माध्यम दूर की सतह से हवा में मार करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है। मिसाइल प्रणाली विमान को 30 किमी दूर व 18,000 मीटर ऊंचाई तक टारगेट कर सकती है। इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है। यह भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ परिचालन सेवा में है। आकाश की एक बैटरी में एक एकल राजेंद्र 3डी निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैन सरणी (ऐरे) रडार और तीन-तीन मिसाइलों के साथ चार लांचर हैं, जो सभी एक दूसरे से जुड़े हैं। प्रत्येक बैटरी 64 लक्ष्यों तक को ट्रैक कर सकती है और उनमें से 12 तक पर हमला कर सकती है। मिसाइल में एक 60 किग्रा उच्च विस्फोटक, पूर्व-खंडित हथियार है जो निकटता (प्रोक्सिमिटी) फ्यूज के साथ है। आकाश प्रणाली पूरी तरह से गतिशील है और वाहनों के चलते काफिले की रक्षा करने में सक्षम है। लांच प्लेटफार्म को दोनों पहियों और ट्रैक वाहनों के साथ एकीकृत किया गया है जबकि आकाश सिस्टम को मुख्य रूप से एक हवाई रक्षा (सतह से हवा) के रूप में बनाया गया है। इसे मिसाइल रक्षा भूमिका में भी टेस्ट किया गया है। प्रणाली 2,000 किमी² के क्षेत्र के लिए हवाई रक्षा मिसाइल कवरेज प्रदान करती है। रडार सिस्टम (डब्ल्यूएलआर और निगरानी) सहित आकाश मिसाइल के लिए भारतीय सेना का संयुक्त ऑडर कुल 23,300 करोड़ (यूएस$4 बिलियन) के मूल्य का है। .

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इंसास राइफल

आईएनएसएएस या इंसास (INSAS rifle) एक राइफल और एक लाइट मशीनगन (एलएमजी) से मिलकर बना पैदल सेना हथियारों का एक परिवार है। यह आयुध निर्माणी तिरुचिरापल्ली में आयुध कारखानों बोर्ड द्वारा निर्मित किया जाता है। इंसास राइफल भारतीय सशस्त्र बलों के मानक पैदल सेना के लिए हथियार है। अप्रैल 2015 में भारत सरकार ने सीआरपीएफ के कुछ इंसास राइफलों की जगह एके-47 तैनात की है। 2017 के आरंभ में, यह घोषणा की गई कि इंसास राइफल्स को लंबी रेंज में अप्रभावी होने के कारण चरणबद्ध तरीके से रिटायर किया जायेगा और आयत किये गए हथियारों से प्रतिस्थापित किया जायेगा। .

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के-5 एसएलबीएम

के-5 (K-5) मिसाइल कथित तौर पर भारतीय सामरिक बलों के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकासाधीन पानी के नीचे प्लेटफार्मों से लांच होने वाली मिसाइल है। इसे भारतीय नौसेना के अरिहंत वर्ग पनडुब्बियों के भविष्य के वेरिएंट में लेस किया जायेगा। यह 6,000 किलोमीटर की अधिकतम सीमा के साथ एक ठोस ईंधन मिसाइल होगी। .

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के-४ एसएलबीएम

के-४ एक परमाणु क्षमता सम्पन्न मध्यम दूरी का पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया जाने वाला प्रक्षेपास्त्र है जिसे भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा बनाया जा रहा है। यह प्रक्षेपास्त्र मुख्यत: अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों का हथियार होगा। इस प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता ३५०० किमी है। .

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अभय आईएफवी

अभय (Abhay IFV) भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया जा रहा इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन है। इसे रूस के बीएमपी-2 लड़ाकू वाहन से बदलने के लिए बनाया जा रहा है। वर्तमान में, इस वाहन की विभिन्न प्रणालियों का विकास उन्नत चरणों में हैं।18 नवंबर 2013 को भारत ने रूस को अवगत करा दिया है कि वे रूसी बीएमपी-3 लड़ाकू वाहनों के पक्ष में उनके देसी $10 अरब फ्यूचरिस्टिक इंफेंट्री लड़ाकू वाहन कार्यक्रम टांड़ नहीं होगा। .

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अर्जुन टैंक

अर्जुन (संस्कृत में "अर्जुनः") एक तीसरी पीढ़ी का मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) है। इसे भारतीय सेना के लिए भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है। अर्जुन टैंक का नाम महाभारत के पात्र अर्जुन के नाम पर ही रखा गया है। अर्जुन टैंक में 120 मिमी में एक मेन राइफल्ड गन है जिसमें भारत में बने आर्मर-पेअरसिंग फिन-स्टेबलाइज़्ड डिस्कार्डिंग-सेबट एमुनीशन का प्रयोग किया जाता है। इसमें PKT 7.62 मिमी कोएक्सिल मशीन गन और NSVT 12.7 मिमी मशीन गन भी है। यह 1,400 हार्सपावर के एक एमटीयू बहु ईंधन डीजल इंजन द्वारा संचालित है। इसकी अधिकतम गति 67 किमी / घंटा (42 मील प्रति घंटा) और क्रॉस-कंट्री में 40 किमी / घंटा (25 मील प्रति घंटा) है। कमांडर, गनर, लोडर और चालक का एक चार सदस्यीय चालक दल इसे चलाता है। ऑटोमैटिक फायर डिटेक्शन और सप्रेशन और NBC प्रोटेक्शन सिस्टम्स इसमें शामिल किये गए हैं। नए कंचन आर्मर द्वारा ऑल-राउंड एंटी-टैंक वॉरहेड प्रोटेक्शन को और अधिक बढ़ाया गया है। इस आर्मर का थर्ड जनरेशन टैंक्स के आर्मर से अधिक प्रभावशाली होने का दावा भी किया गया है। बाद में, देरी और 1990 के दशक से 2000 के दशक तक इसके विकास में अन्य समस्याओं के कारण आर्मी ने रूस से टी -90 टैंकों को खरीदने का आदेश दिया ताकि उन आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके जिनकी अर्जुन से पूरा करने के लिए उम्मीद की गई थी। मार्च 2010 में, अर्जुन के तुलनात्मक परीक्षणों के लिए इसे टी -90 के खिलाफ खड़ा किया और इसने अच्छी तरह से प्रदर्शन किया। सेना ने 17 मई 2010 को 124 अर्जुन एमके 1 टैंक और 10 अगस्त 2010 को अतिरिक्त 124 अर्जुन एमके 2 टैंकों का ऑर्डर दिया। अर्जुन द्वारा 2004 में भारतीय सेना के साथ सेवा में प्रवेश किया गया। टैंक को पहले भारतीय सेना के आर्मर्ड कोर्स के 43 आर्मर्ड रेजीमेंट में शामिल किया गया, जबकि 12 मार्च 2011 को 75 आर्मर्ड रेजिमेंट में भी इसे शामिल किया गया। .

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अस्त्र प्रक्षेपास्त्र

अस्त्र दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), भारत ने विकसित किया है। यह हवा से हवा में मार करने वाला भारत द्वारा विकसित पहला प्रक्षेपास्त्र है। यह उन्नत प्रक्षेपास्त्र लड़ाकू विमानचालको को ८० किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के विमानों पर निशाना लगाने और मार गिराने की क्षमता देता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने प्रक्षेपास्त्र को मिराज २००० एच, मिग २९, सी हैरियर, मिग २१, एच ए एल तेजस और सुखोई एसयू-३० एमकेआई विमानो में लगाने के लिए विकसित किया है। अस्त्र एक लम्बी मैट्रा ५३० सुपर जैसी दिखती है। यह ठोस ईंधन प्रणोदक इस्तेमाल करती है हालांकि डीआरडीओ इसके लिये आकाश प्रक्षेपास्त्र जैसी प्रणोदन प्रणाली विकसित करना चाहती है। प्रक्षेपास्त्र पराध्वनि गति से लक्ष्य विमान अवरोधन करने में सक्षम है। .

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अवतार (अंतरिक्षयान)

अवतार ("Aerobic Vehicle for Transatmospheric Hypersonic Aerospace TrAnspoRtation" का संक्षिप्त रूप) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की मानवरहित एकचरणीय पुनर्प्रयोज्य अंतरिक्षयान के कान्सेप्ट अध्ययन का नाम है। इसका उड़ान भरना और उतरना दोनों ही क्षैतिज (हॉरिजॉन्टल) दिशा में होगा। इसका उद्देश्य कम लागत के सैन्य एवं वाणिज्यिक उपग्रह विमोचन (कमरशल सैटेलाइट लॉन्च) की क्षमता प्राप्त करना है। 2001 के बाद इसमें आगे कोई अध्ययन या विकास नहीं हुए हैं। .

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अग्नि पंचम

अग्नि पंचम (अग्नि-५) भारत की अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 17 मीटर लंबी और दो मीटर चौड़ी अग्नि-५ मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। 5 हजार किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है। इसे हैदराबाद की प्रगत (उन्नत) प्रणाली प्रयोगशाला (Advanced Systems Laboratory) ने तैयार किया है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत है MIRV तकनीक यानी एकाधिक स्वतंत्र रूप से लक्षित करने योग्य पुनः प्रवेश वाहन (Multiple Independently targetable Re -entry Vehicle), इस तकनीक की मदद से इस मिसाइल से एक साथ कई जगहों पर वार किया जा सकता है, एक साथ कई जगहों पर गोले दागे जा सकते हैं, यहां तक कि अलग-अलग देशों के ठिकानों पर एक साथ हमले किए जा सकते हैं। अग्नि 5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे रेल सड़क हो या हवा, कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं। यही नहीं अग्नि पांच के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस की वजह से इस मिसाइल को कहीं भी बड़ी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है, जिससे हम अपने दुश्मन के करीब पहुंच सकते हैं। अग्नि 5 मिसाइल की कामयाबी से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी क्योंकि न सिर्फ इसकी मारक क्षमता 5 हजार किलोमीटर है, बल्कि ये परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है। अग्नि-5 भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय यानी इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल है। अग्नी-5 के बाद भारत की गिनती उन 5 देशों में हो गई है जिनके पास है इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम है। भारत से पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल की ताकत हासिल की है. ये करीब 10 साल का फासला है जब भारत की ताकत अग्नि-1 मिसाइल से अब अग्नि 5 मिसाइल तक पहुंची है। 2002 में सफल परीक्षण की रेखा पार करने वाली अग्नि-1 मिसाइल- मध्यम रेंज की बालिस्टिक मिसाइल थी। इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और इससे 1000 किलो तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे। फिर आई अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइलें. ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज बालिस्टिक मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 2000 से 3500 किलोमीटर है। और अब भारत का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ परीक्षण करने जा रहा है अग्नि-5 मिसाइल का। 3 जून 2018 को प्रातः 9 बजकर 48 मिनट पर किया गया। जहां तक भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय बालिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की खूबियों का सवाल है। तो ये करीब एक टन का पे-लोड ले जाने में सक्षम होगा। खुद अग्नि-5 मिसाइल का वजन करीब 50 टन है। अग्नि-5 की लंबाई 17 मीटर और चौड़ाई 2 मीटर है। अग्नि-5 सॉलिड फ्यूल की 3 चरणों वाली मिसाइल है। आज जब ओडिशा तट के व्हीलर आईलैंड से भारत की पहली इंटर कॉन्टिनेन्टल बालिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा तो डीआरडीओ के प्रमुख डॉ॰ वी. के. सारस्वत समेत तमाम आला मिसाइल वैज्ञानिक मौजूद रहेंगे. अग्नि-5 में RING LASER GYROSCOPE यानि RLG तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। भारत में ही बनी इस तकनीक की खासियत ये हैं कि ये निशाना बेहद सटीक लगाती है। अगर सबकुछ ठीक से हुआ तो अग्नि-5 को 2014 से भारतीय सेना में शामिल कर दिया जाएगा। यही नहीं चीनी मिसाइल डोंगफेंग 31A को अग्नि-5 से कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि अग्नि-5 की रेंज में चीन का सबसे उत्तरी शहर हार्बिन भी आता है जो चीन के डर की सबसे बड़ी वजह है। .

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अग्नि-4

अग्नि-4 (Agni-IV) एक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है। अग्नि-4 अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों में चौथा मिसाइल है जिसे पहले अग्नि 2 प्राइम मिसाइल कहा जाता था। जिसे भारतीय सशस्त्र बलों के इस्तेमाल के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने इस मिसाइल प्रौद्योगिकी में कई नई प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण सुधार को प्रदर्शित किया है। मिसाइल हल्के वजन वाली है और इसमें ठोस प्रणोदन के दो चरण और पुन: प्रवेश गर्मी कवच के साथ एक पेलोड मॉड्यूल है। यह मिसाइल अपने प्रकारों में एक अलग ही मिसाइल है, यह पहली बार कई नई प्रौद्योगिकियों को साबित करती है और मिसाइल प्रौद्योगिकी के मामले में एक क्वांटम छलांग दर्शाती है। मिसाइल वजन में हल्का है और इसमें ठोस प्रणोदन के दो चरण और पुन: प्रवेश गर्मी कवच के साथ एक पेलोड है। मिश्रित रॉकेट मोटर, जिसे पहली बार इस्तेमाल किया गया है, ने उत्कृष्ट प्रदर्शन दिया है। उच्च स्तर की विश्वसनीयता प्रदान करने के लिए मिसाइल प्रणाली आधुनिक और कॉम्पैक्ट उड्डयनकी से सुसज्जित है। स्वदेशी रिंग लेजर जाइरोस्कोप आधारित उच्च सटीकता वाला जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (एमआईजीआईएस) को एक-दूसरे के साथ पहली बार सफलतापूर्वक मार्गदर्शन मोड में चलाया गया है। वितरित उड्डयनकी आर्किटेक्चर, हाई स्पीड विश्वसनीय संचार बस और एक पूर्ण डिजिटल कंट्रोल सिस्टम के साथ उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटर मिसाइल को लक्ष्य पर नियंत्रित और निर्देशित करता है। मिसाइल उच्च स्तर की बहुत सटीकता से लक्ष्य तक पहुंचता है। लॉन्च रेज के साथ रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल प्रणालियों ने मिसाइल के सभी मापदंडों को ट्रैक और मॉनिटर किया है। डॉ विजय कुमार सारस्वत, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार, डीआरडीओ के महानिदेशक, जिन्होंने इस प्रक्षेपण को देखा, ने अग्नि-4 के सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ और सशस्त्र बलों के सभी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को बधाई दी। लॉन्च के बाद वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए, श्री अविनाश चंदर, चीफ कंट्रोलर (मिसाइल एंड स्ट्रैटेजिक सिस्टम), डीआरडीओ और अग्नि प्रोग्राम के डायरेक्टर ने इसे भारत में आधुनिक लांग रेंज नेविगेशन सिस्टम में एक नए युग के रूप में बुलाया। उन्होंने कहा, "इस परीक्षा ने अग्नि-5 मिशन की सफलता के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जो शीघ्र ही शुरू होगा।" श्रीमती टेस्सी थॉमस, अग्नि-4 परियोजना की निदेशक और उनकी टीम ने मिसाइल प्रणाली को तैयार और एकीकृत किया तथा मिसाइल को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। एक उत्साही स्वर में उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने मिश्रित रॉकेट मोटर्स जैसे मिसाइल प्रणाली में कई कला प्रौद्योगिकियां साबित कर दी हैं जिसमे बहुत उच्च सटीकता वाली स्वदेशी रिंग लेजर जाइरोस्कोप आधारित जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम, माइक्रो नेविगेशन सिस्टम, डिजिटल कंट्रोलर सिस्टम और बहुत शक्तिशाली जहाज पर कंप्यूटर सिस्टम आदि शामिल है। सेना के लिए सामरिक हथियार को ले जाने की क्षमता वाली मिसाइल ने देश के लिए एक शानदार प्रतिरोध प्रदान किया है और इसे बडी संख्या में उत्पादन कर जितनी जल्दी ही सशस्त्र बलों को दिया जाएगा। श्री एस.के.

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अग्नि-6

अग्नि-6 (Agni-VI) एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है। जिसे भारतीय सशस्त्र बलों के इस्तेमाल के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित की जा रही है। .

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अग्नि-१

अग्नि-1 मिसाइल स्वदेशी तकनीक से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता सात सौ किलोमीटर है। मिसाइल का परीक्षण ओड़िशा के बालासोर से करीब 100 किलोमीटर दूर व्हीलर द्वीप स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से किया गया। 15 मीटर लंबी व 12 टन वजन की यह मिसाइल एक क्विंटल भार के पारंपरिक तथा परमाणु आयुध ले जाने में समक्ष है। मिसाइल को रेल व सड़क दोनों प्रकार के मोबाइल लांचरों से छोड़ा जा सकता है। अग्नि-१ में विशेष नौवहन प्रणाली लगी है जो सुनिश्चत करती है कि मिसाइल अत्यंत सटीक निशाने के साथ अपने लक्ष्य पर पहुंचे। इस मिसाइल का पहला परीक्षण 25 जनवरी 2002 को किया गया था। अग्नि-१ को डीआरडीओ की प्रमुख मिसाइल विकास प्रयोगशाला "एडवास्ड सिस्टम्स लैबोरैटरी" (एएसएल) द्वारा रक्षा अनुसंधान विकास प्रयोगशाला और अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) के सहयोग से विकसित और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) हैदराबाद द्वारा एकीकृत किया गया था। .

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अग्नि-२

अग्नि द्वितीय (अग्नि-२) भारत की मध्यवर्ती दुरी बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 21 मीटर लंबी और 1.3 मीटर चौड़ी अग्नि-२ मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। 3 हजार किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है। इसे हैदराबाद की प्रगत (उन्नत) प्रणाली प्रयोगशाला (Advanced Systems Laboratory) ने तैयार किया है। .

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अग्नि-३

अग्नि-३ (अग्नि तृतीय), अग्नि-२ के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत द्वारा विकसित मध्यवर्ती दुरी बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। जिसकी मारक क्षमता ३५०० किमी से ५००० किमी तक है। .

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उच्च उर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला

उच्च उर्जा पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला (एच.ई.एम.आर.एल.) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) की एक प्रयोगशाला है। यह पुणे में स्थित है। इसका मुख्य कार्य उच्च ऊर्जा पदार्थ और विस्फोटक पदार्थ के क्षेत्र में अनुसंधान, प्रौद्योगिकियों और उत्पादों के विकास है। एचईएमआरएल में लगभग 1200 कर्मी है, जिसमें भौतिकविद, गणितज्ञ, रासायन, यांत्रिक और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर शामिल है। यह एक आईएसओ 9001: 2000 प्रमाणित प्रयोगशाला है। .

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उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान

उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान (अंग्रेजी: Defence Institute of Advanced Technology) भारत में रक्षा संबंधी प्रौद्योगिकी शिक्षा में अग्रणी सम-विद्यापीठ है। इस संस्थान का प्रबंधन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन है। यह संस्थान पुणे, महाराष्ट्र के खडकवासला बाँध के पास "गिरीनगर" इलाके में स्थित है। श्रेणी:भारत सरकार के संस्थान.

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उन्नत हल्के टारपीडो श्येन

उन्नत हल्के टारपीडो श्येन (Advanced Light Torpedo Shyena) भारत के पहले स्वदेशी हल्के उन्नत पनडुब्बी रोधी टारपीडो है। इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के नौसेना विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशाला द्वारा किया गया है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन, डी आर डी ओ, डीआरडीओ, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन

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