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रक्त सीरम

सूची रक्त सीरम

रक्त में सीरम वह घटक है जिसमें रक्त कोशिकाओं और थक्का जमाने वाले कारकों का पूर्ण रूप से अभाव होता है, दूसरे शब्दों मे यह फाइब्रिनोजेन विहीन प्लाविका (रक्त प्लाज्मा) है। सीरम मे वह सभी रक्त प्रोटीन जो थक्का जमाने की प्रक्रिया मे निष्क्रिय रहते है, सभी विद्युत-अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट्स), प्रतिपिंड, प्रतिजन, हार्मोन और बहिर्जात पदार्थ (जैसे, दवाइयां और सूक्ष्मजीव आदि) शामिल होते हैं। सीरम के अध्ययन को सीरम विज्ञान कहते है। सीरम का इस्तेमाल कई नैदानिक परीक्षण के अलावा रक्त टाइपिंग में भी होता है।.

3 संबंधों: प्लाविका, रक्त समूह, रक्त के प्रकार

प्लाविका

प्लाविका या रक्त प्लाज्मा, रक्त का पीले रंग का तरल घटक है, जिसमें पूर्ण रक्त की रक्त कोशिकायें सामान्य रूप से निलंबित रहती हैं। यह कुल रक्त की मात्रा का लगभग 55% तक होता है। इसका अधिकतर अंश जल (90% आयतन अनुसार) होता है और इसमें प्रोटीन, शर्करा, थक्का जमाने वाले कारक, खनिज आयन, हार्मोन और कार्बन डाइऑक्साइड (प्लाविका उत्सर्जित उत्पादों के निष्कासन का प्रमुख माध्यम है) घुले रहते हैं। प्लाविका को रक्त से पृथक करने के लिए एक परखनली मे ताजा रक्त लेकर उसे सेंट्रीफ्यूज़ (अपकेंद्रिक) में तब तक घुमाना चाहिए जब तक रक्त कोशिकायें नली के तल मे बैठ न जायें, इसके बाद ऊपर बचे प्लाविका को उड़ेल कर अलग या तैयार कर लें। प्लाविका का घनत्व लगभग 1025 kg/m3, या 1.025 kg/l.

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रक्त समूह

रक्त प्रकार (या रक्त समूह) भाग में, निर्धारित होता है, ABO रक्त समूह प्रतिजानो से जो लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद होता है। रक्त समूह या रक्त प्रकार, रक्त का एक वर्गीकरण है जो रक्त की लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पर पाये जाने वाले पदार्थ मे वंशानुगत प्रतिजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर आधारित होता है। रक्त प्रणाली के अनुसार यह प्रतिजन प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोप्रोटीन, या ग्लाइकोलिपिड हो सकते हैं और इनमे से कुछ प्रतिजन अन्य प्रकारों जैसे कि ऊतकों और कोशिकाओं की सतह पर भी उपस्थित हो सकते हैं। अनेक लाल रक्त कोशिका सतह प्रतिजन, जो कि एक ही एलील या बहुत नजदीकी रूप से जुड़े जीन से उत्पन्न हुए हैं, सामूहिक रूप से रक्त समूह प्रणाली की रचना करते हैं। रक्त प्रकार वंशानुगत रूप से प्राप्त होते हैं और माता व पिता दोनों के योगदान का प्रतिनिधित्व करते हैं। अंतरराष्ट्रीय रक्ताधान संस्था(ISBT).

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रक्त के प्रकार

रक्त प्रकार (जो रक्त समूह भी कहलाता है), लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) की सतह पर उपस्थित आनुवंशिक प्रतिजनी पदार्थों की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर आधारित रक्त का वर्गीकरण है। ये प्रतिजन रक्त समूह तंत्र के आधार पर प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोप्रोटीन, या ग्लाइकोलिपिड होते हैं और कुछ प्रतिजन अन्य प्रकार के ऊतक की कोशिकाओं पर भी मौजूद हो सकते हैं इनमें से अनेक लाल रक्त कोशिकाओं की सतह के प्रतिजन, जो एक एलील (या बहुत नजदीकी से जुड़े हुआ जीन) से व्युत्पन्न होते हैं, सामूहिक रूप से एक रक्त समूह तंत्र बनाते हैं। रक्त के प्रकार वंशागत रूप से प्राप्त होते हैं और माता व पिता दोनों के योगदान का प्रतिनिधित्व करते हैं।अंतर्राष्ट्रीय रक्ताधन सोसाइटी (ISBT) के द्वारा अब कुल 30 मानव रक्त समूह तंत्रों की पहचान की जा चुकी है। बहुत गर्भवती महिलाओं में उपस्थित भ्रूण का रक्त समूह उनके अपने रक्त समूह से अलग होता है और मां भ्रूणीय लाल रक्त कोशिकाओं के विरुद्ध प्रतिरक्षियों का निर्माण कर सकती है। कभी कभी यह मातृ प्रतिरक्षी IgG होते हैं। यह एक छोटा इम्यूनोग्लोब्युलिन है, जो अपरा (प्लासेन्टा) को पार करके भ्रूण में चला जाता है और भ्रूणीय लाल रक्त कोशिकाओं के रक्त विघटन (हीमोलाइसिस) का कारण बन सकता है। जिसके कारण नवजात शिशु को रक्त अपघटन रोग हो जाता है, यहभ्रूणीय रक्ताल्पता की एक बीमारी है जो सौम्य से गंभीर हो सकती है। .

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