लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

योगेश चन्द्र चटर्जी

सूची योगेश चन्द्र चटर्जी

योगेश चन्द्र चटर्जी (1895 - 1969) मूलत: बंगाल के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। वे बंगाल की अनुशीलन समिति व संयुक्त प्रान्त (अब उत्तर प्रदेश) की हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे। कुल मिलाकर वे एक सच्चे स्वतन्त्रता सेनानी थे। बंगाल की अनुशीलन समिति में काम करते हुए उन्हें पुलिस द्वारा अनेक प्रकार की अमानुषिक यातनायें दी गयीं किन्तु वे टस से मस न हुए। उन्हें काकोरी काण्ड में आजीवन कारावास का दण्ड मिला था। स्वतन्त्र भारत में वे राज्य सभा के सांसद भी रहे। चिरकुँवारे योगेश दा ने कुछ पुस्तकें भी लिखी थीं जिनमें अंग्रेजी पुस्तक इन सर्च ऑफ फ्रीडम उल्लेखनीय है। .

5 संबंधों: राम प्रसाद 'बिस्मिल', रामकृष्ण खत्री, हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन, हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन, अनुशीलन समिति

राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

नई!!: योगेश चन्द्र चटर्जी और राम प्रसाद 'बिस्मिल' · और देखें »

रामकृष्ण खत्री

रामकृष्ण खत्री (जन्म: ३ मार्च १९०२ महाराष्ट्र, मृत्यु: १८ अक्टूबर १९९६ लखनऊ) भारत के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ का विस्तार मध्य भारत और महाराष्ट्र में किया था। उन्हें काकोरी काण्ड में १० वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी गयी। हिन्दी, मराठी, गुरुमुखी तथा अंग्रेजी के अच्छे जानकार खत्री ने शहीदों की छाया में शीर्षक से एक पुस्तक भी लिखी थी जो नागपुर से प्रकाशित हुई थी। स्वतन्त्र भारत में उन्होंने भारत सरकार से मिलकर स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों की सहायता के लिये कई योजनायें भी बनवायीं। काकोरी काण्ड की अर्द्धशती पूर्ण होने पर उन्होंने काकोरी शहीद स्मृति के नाम से एक ग्रन्थ भी प्रकाशित किया था। लखनऊ से बीस मील दूर स्थित काकोरी शहीद स्मारक के निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। १८ अक्टूबर १९९६ को ९४ वर्ष की आयु में उनका देहान्त हुआ। .

नई!!: योगेश चन्द्र चटर्जी और रामकृष्ण खत्री · और देखें »

हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन

हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन हावड़ा एवं कोलकाता शहर का रेलवे स्टेशन है। यह हुगली नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। इसके २३ प्लेटफार्म इसे भारत के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में एक बनाते हैं। १८५३ में भारत में पहली रेल गाड़ी मुम्बई से एवं १८५४ दूसरी हावड़ा से चली। सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी योगेश चन्द्र चटर्जी काकोरी काण्ड से पूर्व ही हावड़ा रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिये गये थे। नजरबन्दी की हालत में ही इन्हें काकोरी काण्ड के मुकदमे में शामिल किया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी। .

नई!!: योगेश चन्द्र चटर्जी और हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन · और देखें »

हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन

हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन भारतीय स्वतन्त्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ब्रिटिश राज को समाप्त करने के उद्देश्य को लेकर गठित एक क्रान्तिकारी संगठन था।। 1928 तक इसे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के रूप में जाना जाता था।। .

नई!!: योगेश चन्द्र चटर्जी और हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन · और देखें »

अनुशीलन समिति

अनुशीलन समिति का प्रतीक: अखण्ड भारत (United India) अनुशीलन समिति भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बंगाल में बनी अंग्रेज-विरोधी, गुप्त, क्रान्तिकारी, सशस्त्र संस्था थी। इसका उद्देश्य वन्दे मातरम् के प्रणेता व प्रख्यात बांग्ला उपन्यासकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के बताये गये मार्ग का 'अनुशीलन' करना था। अनुशीलन का शाब्दिक अर्थ यह होता है: इसका आरम्भ १९०२ में अखाड़ों से हुआ तथा इसके दो प्रमुख (तथा लगभग स्वतंत्र) रूप थे- ढाका अनुशीलन समिति तथा युगान्तर। यह बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में समूचे बंगाल में कार्य कर रही थी। पहले-पहल कलकत्ता और उसके कुछ बाद में ढाका इसके दो ही प्रमुख गढ़ थे। इसका आरम्भ अखाड़ों से हुआ। बाद में इसकी गतिविधियों का प्रचार प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे बंगाल में हो गया। इसके प्रभाव के कारण ही ब्रिटिश भारत की सरकार को बंग-भंग का निर्णय वापस लेना पडा था। इसकी प्रमुख गतिविधियों में स्थान स्थान पर शाखाओं के माध्यम से नवयुवकों को एकत्र करना, उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाना ताकि वे अंग्रेजों का डटकर मुकाबला कर सकें। उनकी गुप्त योजनाओं में बम बनाना, शस्त्र-प्रशिक्षण देना व दुष्ट अंग्रेज अधिकारियों वध करना आदि सम्मिलित थे। अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य उन भारतीय अधिकारियों का वध करने में भी नहीं चूकते थे जिन्हें वे 'अंग्रेजों का पिट्ठू' व हिन्दुस्तान का 'गद्दार' समझते थे। इसके प्रतीक-चिन्ह की भाषा से ही स्पष्ठ होता है कि वे इस देश को एक (अविभाजित) रखना चाहते थे। .

नई!!: योगेश चन्द्र चटर्जी और अनुशीलन समिति · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »