लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

यूरोपीय नाट्यशालाएँ

सूची यूरोपीय नाट्यशालाएँ

यूरोप में नाट्यशाला का इतिहास प्राय: 3,200 ई.पू.

1 संबंध: भारतीय नाट्यशालाएँ

भारतीय नाट्यशालाएँ

भरत मुनि ने अपने नाट्यशास्त्र के द्वितीय अध्याय में तीन प्रकार के प्रेक्षागृहों का विधान किया है - (1) विकृष्ट (लंबा आयताकार), (2) चतुरस्त्र (वर्गाकार) और (3) त्र्यस्त्र (तिकोना)। ये तीनों भी परिणाम के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं - (1) ज्येष्ठ, (2) मध्यम और (3) अवर (कनीयस या कनिष्ठ)। इनमें से ज्येष्ठ (विकृष्ठ, चतुरस्त्र तथा त्र्यस्त्र) 108 हाथ लंबा होता है और कनिष्ठ (विकृष्ट, चतुरस्त्र तथा त्र्यस्त्र) 32 हाथ लंबा होता है। इनमें से ज्येष्ठ देवताओं का, मध्यम राजाओं का और कनीयस या छोटा साधारण लोगों का होता है। भरत ने इन तीनों प्रकार के प्रेक्षागृहों में मध्यम (विकृष्ट, चतुरस्त्र तथा त्र्यस्त्र) को ही प्रशस्त माना है क्योंकि उसमें पाठ्य और गेय सब कुछ अत्यंत सुविधा के साथ स्पष्ट सुनाई पड़ता है। हाथ की नाप का क्रम यह है - 8 अणु का रज, 8 रज का बाल, 8 बल का लिक्षा, 8 लिक्षा का यूक, 8 यूक का यव, 8 यव का अंगुल, 24 अंगुल का हाथ (लगभग डेढ़ फुट) और चार हाथ का दंड होता है। इस नाप के अनुसार तीनों प्रकार के प्रेक्षागृह इस प्रकार होंगे: विकृष्ट ज्येष्ठ प्रेक्षागृह 108व् 54 हाथ विकृष्ट मध्यम प्रेक्षागृह 64व् 32 हाथ विकृष्ट कनिष्ठ प्रेक्षागृह 32व् 16 हाथ चतुरस्त्र ज्येष्ठ प्रेक्षागृह 108व् 108 हाथ चतुरस्त्र मध्यम प्रेक्षागृह 64व् 64 हाथ चतुरस्त्र कनिष्ठ प्रेक्षागृह 32व् 32 हाथ त्र्यस्त्र ज्येष्ठ प्रेक्षागृह बीच से 108 हाथ लंबा त्र्यस्त्र मध्यम प्रेक्षागृह बीच से 64 हाथ लंबा त्र्यस्त्र कनिष्ठ प्रेक्षागृह बीच से 32 हाथ लंबा भरत के अनुसार 64 हाथ (96 फुट) लंबा और 32 हाथ (48 फुट) चौड़ा विकृष्ट मध्यम प्रेक्षागृह ही बनाना चाहिए। .

नई!!: यूरोपीय नाट्यशालाएँ और भारतीय नाट्यशालाएँ · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »