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यूरेनियम

सूची यूरेनियम

यूरेनियम आवर्त सारणी की एक अंतर्वर्ती श्रेणी, ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series), का तृतीय तत्व है। इस श्रेणी में आंतरिक इलेक्ट्रॉनीय परिकक्षा (5 परिकक्षा) के इलेक्ट्रॉन स्थान लेते हैं। प्रकृति में पाए गए तत्वों में यह सबसे भारी तत्व है। कुछ समय पहले तक इस तत्व को छठे अंतर्वर्ती समूह का अंतिम तत्व माना जाता था। .

64 संबंधों: ट्रांसयूरेनिक, टोनी एबॉट, ऐक्टिनाइड, झारखण्ड, तत्वों की सूची (नाम अनुसार), त्वरक-चालित उपक्रांतिक रिएक्टर, थोरियम, दक्षिण कोरिया, नाभिकीय ऊर्जा, नाभिकीय पुनर्सन्साधन, नाभिकीय ईन्धन, नाभिकीय गलाव, नोवियाल, परमाणु बम, परमाण्वीय खनिज, पर्यावरण में यूरेनियम, प्लूटोनियम, फ़्रांस का भूगोल, फुफ्फुस कैन्सर, ब्राहुई भाषा, ब्रेल पद्धति, भारत का त्रिचरण नाभिकीय कार्यक्रम, भारत के वैदेशिक सम्बन्ध, भौतिकी के मूलभूत सिद्धान्तों के खोज का इतिहास, भूतापीय प्रवणता, माली, मेघालय, मोनाज़ाइट, यूरेनियम खनन, यूरेनियम अयस्क, रसायन विज्ञान का इतिहास, रसायन विज्ञान की समयरेखा, रासायनिक तत्व, रासायनिक तत्वों की सूची, रासायनिक प्रतीक, रेडियोसक्रियता, समस्थानिक, संवर्धित यूरेनियम, स्कैण्डियम, सूरजमुखी, हिमाचल प्रदेश, हेनरी बैकेरल, जादूगोड़ा, जादूगोड़ा यूरेनियम खान, ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर अंतरिम समझौता, वियतनामी लिपि, विशिष्ट ऊष्मा धारिता, विकिरण, ग्राहम का विसरण का नियम, ग्रैन्ड कैन्यन, ..., ऑपरेशन ओपेरा, आधुनिक भौतिकी, आइंस्टीनियम, कातांगा प्रान्त, कार्बन फुटप्रिंट, किज़िल कुम रेगिस्तान, अधातु, अनुप्रयुक्त भूभौतिकी, अफ़्रीका, अयस्क, अंतरराष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र, अंग्रेजी वर्णमाला, उचकुदुक, २०१० सूचकांक विस्तार (14 अधिक) »

ट्रांसयूरेनिक

आवर्त सारणी में अत्यंत भारी (ट्रांस-यूरेनिक तत्त्वों का स्थान अत्यंत रेडियोधर्मी तत्त्व। इनके बारे में बहुत कम ज्ञात है, इनकी अत्यंत अस्थिरता और रेडियोधर्मिता के कारण यूरेनियमोत्तर तत्व या परायूरेनियम तत्व या ट्रांसयूरेनिक तत्त्व (Transuranic elements) वे रासायनिक तत्त्व हैं, जिनका परमाणु भार ९२ से अधिक होता है। ९२, यूरेनियम का परमाणु भार है। अतः ये सभी आवर्त सारणी में यूरेनियम के बाद आते हैं। इनमें से कोई भी तत्त्व स्थिर नहीं होता है, व रेडियोधर्मी क्षय के उपरांत अन्य छोटे तत्त्वों में बदल जाते हैं। आवर्त सारणी (Periodic table) को देखने से ज्ञात होगा कि प्रकृति में पाए जानेवाले तत्वों में यूरेनियम सबसे भारी है और इसकी परमाणु संख्या 92 है, परंतु कुछ ऐसे मनुष्यनिर्मित तत्व भी हैं जिनकी परमाणु संख्या 92 से अधिक है। इन तत्वों को हम यूरेनियमोत्तर तत्व, या परायूरेनियम तत्व, कहते हैं। ये सारे तत्व अस्थिर तथा रेडियोऐक्टिव गुण के हैं। इनकी खोज तत्वांतरण (transmutation) क्रियाओं द्वारा हुई और ये यूरेनियम तत्व से निर्मित किए गए। रासायनिक गुणों में इनमें बहुत समानता है, जिससे इन्हें एक्टिनाइड (actinide) श्रेणी में रखा जाता है। यूरेनियमोत्तर तत्वों में प्लूटोनियम का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका आरंभ में ही उपयोग परमाणु बम में हो चुका था और 1950 ई0 से पूर्व ही इसका उत्पादन भी अधिक मात्रा में हो चुका था। इससे उच्च परमाणु संख्या वाले तत्व अधिक अस्थिर होते तत्वों के समस्थानिक इतने अस्थिर हैं कि उनके रासायनिक प्रयोग रासायनिक गुण विरल मृदाओं (rare earths), या लैंथेनाइड (Lanthhanide) तत्वों से मिलते-जुलते हैं। यदि भविष्य में 104, या इससे अधिक परमाणु संख्या के तत्वों का निर्माण संभव हो सका, तो उनके गुण इनसे भिन्न होंगे। वे क्रमश: चौथे, पाँचवें, छठे आदि समूहों के तत्वों के समान होंगे। .

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टोनी एबॉट

एंथनी जॉन टोनी एबॉट (अंग्रेज़ी- Anthony John "Tony" Abbott, जन्म: 4 नवम्बर, 1957) ऑस्ट्रेलिया के 28वें प्रधानमंत्री रह चुके हैं। 15 सितंबर, 2015 को पार्टी नेतृत्व में परिवर्तन के फलस्वरूप उन्हें हटना पड़ा औेर उनके स्थान पर मैल्कम टर्नबुल प्रधानमंत्री बने। .

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ऐक्टिनाइड

एक्टिनॉएड ((आईयूपीएसी नामकरण) या एक्टिनाइड (परंपरागत वृहत प्रयोगनीय नामकरण) एक १५ रासायनिक तत्त्वओं की श्रेणी होती है, जो एक्टिनियम से लेकर लॉरेन्शियम तक आवर्त सारणी में पाये जाते हैं। इनके परमाणु संख्या ८९ - १०३ तक होते हैं। इस श्रेणी का नाम इसके प्रथम सदस्य एक्टीनियम के नाम पर रखा गया है। .

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झारखण्ड

झारखण्ड यानी 'झार' या 'झाड़' जो स्थानीय रूप में वन का पर्याय है और 'खण्ड' यानी टुकड़े से मिलकर बना है। अपने नाम के अनुरुप यह मूलतः एक वन प्रदेश है जो झारखंड आंदोलन के फलस्वरूप सृजित हुआ। प्रचुर मात्रा में खनिज की उपलबध्ता के कारण इसे भारत का 'रूर' भी कहा जाता है जो जर्मनी में खनिज-प्रदेश के नाम से विख्यात है। 1930 के आसपास गठित आदिवासी महासभा ने जयपाल सिंह मुंडा की अगुआई में अलग ‘झारखंड’ का सपना देखा.

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तत्वों की सूची (नाम अनुसार)

नीचे प्रत्येक तत्व के सबसे स्थिर समस्थानिक का तत्व प्रतीक, परमाणु क्रमांक और परमाणु भार का विवरण दिया गया है। साथ ही उनका समूह और आवर्त सारणी मे उनकी स्थिति भी प्रदर्शित है। |-style.

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त्वरक-चालित उपक्रांतिक रिएक्टर

त्वरक-चालित उपक्रांतिक रिएक्टर (accelerator-driven subcritical reactor) नाभिकीय भट्ठियों को कहते हैं जिनमें उपयोग आने वाले कुल न्यूट्रानों की एक अच्छी-खासी मात्रा (लगभग ५%) किसी उच्च ऊर्जा वाले प्रोटॉन त्वरक से आती है। ऐसे रिएक्टर, थोरियम को नाभिकीय ईंधन के रूप में प्रयोग करेंगे जो यूरेनियम और प्लूटोनियम की अपेक्षा अधिक मात्रा में उपलब्ध है। .

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थोरियम

'''मोनाजाइट''' नामक खनिज थोरियम का प्रमुख स्रोत है। यह एक विरल मृदा एवं थोरियम फॉस्फेट है। थोरियम (Thorium) आवर्त सारणी के ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series) का प्रथम तत्व है। पहले यह चतुर्थ अंतर्वर्ती समूह (fourth transition group) का अंतिम तत्व माना जाता था, परंतु अब यह ज्ञात है कि जिस प्रकार लैथेनम (La) तत्व के पश्चात् 14 तत्वों की लैथेनाइड शृंखला (lanthanide series) प्रांरभ होती है, उसी प्रकार ऐक्टिनियम (Ac) के पश्चात् 14 तत्वों की दूसरी शृंखला आरंभ होती है, जिसे एक्टिनाइड शृंखला कहते हैं। थोरियम के अयस्क में केवल एक समस्थानिक(द्रव्यमान संख्या 232) पाया जाता है, जो इसका सबसे स्थिर समस्थानिक (अर्ध जीवन अवधि 1.4 x 1010 वर्ष) है। परंतु यूरेनियम, रेडियम तथा ऐक्टिनियम अयस्कों में इसके कुछ समस्थानिक सदैव वर्तमान रहते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ 227, 228, 230, 231 तथा 234 हैं। इनके अतिरिक्त 224, 225, 226, 229 एवं 233 द्रव्यमान वाले समस्थानिक कृत्रिम उपायों द्वारा निर्मित हुए हैं। थोरियम धातु की खोज 1828 ई में बर्ज़ीलियस ने थोराइट अयस्क में की थी। यद्यपि इसके अनेक अयस्क ज्ञात हैं, परंतु मोनेज़ाइट (monazite) इसका सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जिसमें थोरियम तथा अन्य विरल मृदाओं के फॉस्फेट रहते हैं। संसार में मोनेज़ाइट का सबसे बड़ा भंडार भारत के केरल राज्य में हैं। बिहार प्रदेश में भी थोरियम अयस्क की उपस्थिति ज्ञात हुई है। इनके अतिरिक्त मोनेज़ाइट अमरीका, आस्ट्रलिया, ब्राज़िल और मलाया में भी प्राप्त है। मौनेज़ाइट को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की प्रक्रिया कर आंशिक क्षारीय विलयन मिलाने से थोरियम फॉस्फेट का अवक्षेप बनता है। इसको सल्फ्यूरिक या हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में घुला कर फिर फॉस्फेट अवक्षिप्त करते हैं। इस क्रिया को दोहराने पर थोरियम का शुद्ध फॉस्फेट मिलता है। थोरियम क्लोराइड को सोडियम के साथ निर्वात में गरम करने से थोरियम धातु मिलती है। थोरियम आयोडाइड (Th I4) के वाष्प को गरम टंग्स्टन तंतु (filament) पर प्रवाहित करने से, या थोरियम ऑक्साइड (ThO2) पर कैल्सियम की प्रक्रिया द्वारा भी, थोरियम धातु प्राप्त हो सकती है। थोरियम का निष्कर्षण .

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दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया (कोरियाई: 대한민국 (देहान् मिन्गुक), 大韩民国 (हंजा)), पूर्वी एशिया में स्थित एक देश है जो कोरियाई प्रायद्वीप के दक्षिणी अर्धभाग को घेरे हुए है। 'शान्त सुबह की भूमि' के रूप में ख्यात इस देश के पश्चिम में चीन, पूर्व में जापान और उत्तर में उत्तर कोरिया स्थित है। देश की राजधानी सियोल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र और एक प्रमुख वैश्विक नगर है। यहां की आधिकारिक भाषा कोरियाई है जो हंगुल और हंजा दोनो लिपियों में लिखी जाती है। राष्ट्रीय मुद्रा वॉन है। उत्तर कोरिया, इस देश की सीमा से लगता एकमात्र देश है, जिसकी दक्षिण कोरिया के साथ २३८ किलिमीटर लम्बी सीमा है। दोनो कोरियाओं की सीमा विश्व की सबसे अधिक सैन्य जमावड़े वाली सीमा है। साथ ही दोनों देशों के बीच एक असैन्य क्षेत्र भी है। कोरियाई युद्ध की विभीषिका झेल चुका दक्षिण कोरिया वर्तमान में एक विकसित देश है और सकल घरेलू उत्पाद (क्रय शक्ति) के आधार पर विश्व की तेरहवीं और सकल घरेलू उत्पाद (संज्ञात्मक) के आधार पर पन्द्रहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।कोरिया मे १५ अंतराष्ट्रीय बिमानस्थल है और करीब ५०० विश्वविद्यालय है लोग बिदेशो यहा अध्ययन करने आते है। यहा औद्योगिक विकास बहुत हुऐ है और कोरिया मे चीन सहित १५ देशो के लोग रोजगार अनुमति प्रणाली(EPS) के माध्यम से यहा काम करते है। जिसमे दक्षिण एशिया के ४ देशो नेपाल बांग्लादेश श्रीलंका पाकिस्तान है। .

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नाभिकीय ऊर्जा

इकाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, एक दबावयुक्त जल रिएक्टर जो समुद्र के साथ माध्यमिक शीतलक विनिमय द्वारा ठंडा करता है। सुसक्युहाना वाष्प विद्युत् केंद्र, एक उबलता जल रिएक्टर. रिएक्टर, शीतलक टावरों के सामने की ओर आयताकार रोकथाम इमारतों के अंदर स्थित हैं। परमाणु ऊर्जा चालित तीन जहाज, (ऊपर से नीचे) परमाणु क्रूजर USS बेनब्रिज और USS लोंग ब्रिज, USS इंटरप्राइज़ के साथ जो 1964 में पहला परमाणु संचालित विमान वाहक. चालक दल के सदस्य, उड़ान डेक पर आइंस्टीन के द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता सूत्र को लिख रहे हैं E.

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नाभिकीय पुनर्सन्साधन

नाभिकीय पुनर्सन्साधन (nuclear reprocessing) एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा विखण्ड-योग्य (fissionable) प्लूटोनियम और यूरेनियम को पहले से ही प्रयोग किये गये नाभिकीय ईन्धन से अलग किया जाता है। यह एक ख़तरनाक और कठिन प्रक्रिया है। नाभिकीय पुनर्सन्साधन द्वारा मिले प्लूटोनियम व यूरेनियम को फिर से नाभिकीय ईन्धन की तरह प्रयोग किया जा सकता है लेकिन इस से परमाणु हथियार भी बनाये जा सकते हैं। .

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नाभिकीय ईन्धन

नाभिकीय ईधन (nuclear fuel) या परमाणु ईधन (atomic fuel) उस सामग्री को कहते हैं जिसे विखण्डन (फिज़न) या नाभिकीय संलयन (फ़्युज़न) की प्रक्रियाओं द्वारा नाभिकीय ऊर्जा बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है। यूरेनियम-२३५ और प्लूटोनियम-२३९ सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले नाभिकीय ईधन हैं। .

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नाभिकीय गलाव

नाभिकीय गलाव परमाणु भट्ठी के विफल होने की भयंकर घटना है, जिससे परमाणु विद्युत उत्पादन यंत्र पूरी तरह विफल हो जाता है। नाभिकीय गलाव की स्थिति में परमाणु रिक्टरों में प्रयुक्त शीतलक जैसे बोरॉन काम करना बंद कर देते हैं। शीतलक के निष्क्रिय होने पर यूरेनियम और प्लूटोनियम जैसे विखंडनकारी पदार्थ परमाणु भट्टी को अत्यंत गर्म गला देते हैं। ऐसा होने से रेडियोसक्रिय किरणें वायुमंडल और वातावरण में फैलकर जीव-जंतुओं तथा पादपों को घातक हानि पहुंचा सकते हैं। यह वजह है कि परमाणु भट्टी या परमाणु भवन को इस्पात, कंक्रीट से पूरी तरह वायुबंद बनायी जाती है, जिसकी दीवार डेढ़ से ढाई मीटर मोटी होती है। अभियांत्रिकी की भाषा में, परमाणु गलाव या विगलन गंभीरतम घटना है, जिससे रिएक्टर को गंभीर हानि पहुंचती है। श्रेणी:परमाणु भट्ठी श्रेणी:परमाणु दुर्घटना श्रेणी:परमाणु सुरक्षा श्रेणी:असैन्य परमाणु शक्ति दुर्घटनायें.

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नोवियाल

नोवियाल का ध्वज नोवियाल (Novial) एक कृत्रिम भाषा है, जिसे १९२८ में ओटो येस्पर्सन नामक एक डैनिश भाषाविद् ने निर्मित किया था। यह शब्द "nov" (नया) और "ial" (अन्तर्राष्ट्रीय सहायक भाषा) से बना है। .

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परमाणु बम

सन् १९४५ में जापान के नागासाकी पर गिराये बम से उत्पन्न कुकुरमुता के सदृश बादल - ये बादल बम के गिरने के स्थान से लगभग १८ किमी उपर तक उठे थे। नाभिकीय अस्त्र या परमाणु बम एक विस्फोटक युक्ति है जिसकी विध्वंसक शक्ति का आधार नाभिकीय अभिक्रिया होती है। यह नाभिकीय संलयन (Nuclear fusion) या नाभिकीय विखण्डन (nuclear fission) या इन दोनो प्रकार की नाभिकीय अभिक्रियों के सम्मिलन से बनाये जा सकते हैं। दोनो ही प्रकार की अभिक्रिया के परिणामस्वरूप थोड़े ही सामग्री से भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। आज का एक हजार किलो से थोड़ा बड़ा नाभिकीय हथियार इतनी ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है जितनी कई अरब किलो के परम्परागत विस्फोटकों से ही उत्पन्न हो सकती है। नाभिकीय हथियार महाविनाशकारी हथियार (weapons of mass destruction) कहे जाते हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध में सबसे अधिक शक्तिशाली विस्फोटक, जो प्रयुक्त हुआ था, उसका नाम 'ब्लॉकबस्टर' (blockbuster) था। इसके निर्माण में तब तक ज्ञात प्रबलतम विस्फोटक ट्राईनाइट्रोटोलुईन (TNT) का 11 टन प्रयुक्त हुआ था। इस विस्फोटक से 2000 गुना अधिक शक्तिशाली प्रथम परमाणु बम था जिसका विस्फोट टी.

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परमाण्वीय खनिज

परमाण्वीय खनिज उन खनिजों को परमाणु-ऊर्जा खनिज, अथवा ऐटोमिक एनर्जी मिनरल्स कहते हैं, जिनसे परमाण्विक ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। भारत जैंसे विकासशील देशों के लिये शक्ति उत्पादन एक समस्या है। भारत के कोयले तथा अन्य ईंधनों के भंडार सीमित है और यदि औद्योगिकरण की वर्तमान गति इसी प्रकार वृद्धि पर रही तो वे भंडार अधिक समय तक न चल सकेंगे। अत: परमाणुशक्ति का उत्पादन ही संतुलित औद्योगिकरण में सहायक हो सकेगा। सौभाग्य से भारत में यूरेनियम तथा थोरियम दोनों ही खनिजों के भंडार संतोषजनक हैं। .

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पर्यावरण में यूरेनियम

यूरेनियम अयस्क पर्यावरण में यूरेनियम का अर्थ पर्यावरण और जीव जन्तुओं पर यूरेनियम के प्रभाव से है। यूरेनियम एक कमजोर रेडियोधर्मी पदार्थ है। इसकी अर्ध-आयु 44.68 करोड़ वर्ष होती है, जिसके बाद यह यूरेनियम-238 बन जाता है। यह एक प्रकार का विषैला तत्व होता है। यह मानव शरीर में गुर्दे, मस्तिष्क, जिगर और हृदय को प्रभावित करता है। .

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प्लूटोनियम

प्लूटोनियम एक दुर्लभ ट्रांसयूरेनिक रेडियोधर्मी तत्त्व है। इसका रासायनिक प्रतीक Pu और परमाणु भार ९४ होता है। प्लूटोनियम के छः अपरूप होते हैं। यह एक ऐक्टिनाइड तत्त्व है जो दिखने में रुपहले श्वेत (सिल्वर व्हाइट) रंग का होता है। प्लूटोनियम-२३८ का अर्धायु काल ८७.७४ वर्ष होता है।। हिन्दुस्तान लाइव। १० दिसम्बर २००९ प्लूटोनियम-२३९, प्लूटोनियम का एक महत्वपूर्ण समस्थानिक है जिसकी अर्धायु काल २४,१०० वर्ष होता है। प्लूटोनियम-२४४, प्लूटोनियम का सर्वाधिक स्थाई समस्थानिक होता है। इसका अर्धायु काल ८ करोड़ वर्ष होता है। .

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फ़्रांस का भूगोल

कोई विवरण नहीं।

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फुफ्फुस कैन्सर

फुफ्फुस के दुर्दम अर्बुद (malignant tumor) को फुफ्फुस कैन्सर या 'फेफड़ों का कैन्सर' (Lung cancer या lung carcinoma) कहते हैं। इस रोग में फेफड़ों के ऊतकों में अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाय तो यह वृद्धि विक्षेप कही जाने वाली प्रक्रिया से, फेफड़े से आगे नज़दीकी कोशिकाओं या शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। अधिकांश कैंसर जो फेफड़े में शुरु होते हैं और जिनको फेफड़े का प्राथमिक कैंसर कहा जाता है कार्सिनोमस होते हैं जो उपकलीय कोशिकाओं से निकलते हैं। मुख्य प्रकार के फेफड़े के कैंसर छोटी-कोशिका फेफड़ा कार्सिनोमा (एससीएलसी) हैं, जिनको ओट कोशिका कैंसर तथा गैर-छोटी-कोशिका फेफड़ा कार्सिनोमा भी कहा जाता है। सबसे आम लक्षणों में खांसी (खूनी खांसी शामिल), वज़न में कमी तथा सांस का फूंलना शामिल हैं। फेफड़े के कैंसर का सबसे आम कारण तंबाकू के धुंए से अनावरण है, जिसके कारण 80–90% फेफड़े के कैंसर होता है। धूम्रपान न करने वाले 10–15% फेफड़े के कैंसर के शिकार होते हैं, और ये मामले अक्सर आनुवांशिक कारक, रैडॉन गैस, ऐसबेस्टस, और वायु प्रदूषण के संयोजन तथा अप्रत्यक्ष धूम्रपान से होते हैं। सीने के रेडियोग्राफ तथा अभिकलन टोमोग्राफी (सीटी स्कैन) द्वारा फेफड़े के कैंसर को देखा जा सकता है। निदान की पुष्टि बायप्सी से होती है जिसे ब्रांकोस्कोपी द्वारा किया जाता है या सीटी- मार्गदर्शन में किया जाता है। उपचार तथा दीर्घ अवधि परिणाम कैंसर के प्रकार, चरण (फैलाव के स्तर) तथा प्रदर्शन स्थितिसे मापे गए, व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। आम उपचारों में शल्यक्रिया, कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी शामिल है। एनएससीएलसी का उपचार कभी-कभार शल्यक्रिया से किया जाता है जबकि एससीएलसी का उपचार कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी से किया जाता है। समग्र रूप से, अमरीका के लगभग 15 प्रतिशत लोग फेफड़े के कैंसर के निदान के बाद 5 वर्ष तक बचते हैं। पूरी दुनिया में पुरुषों व महिलाओं में फेफड़े का कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे आम कारण है और यह 2008 में वार्षिक रूप से 1.38 मिलियन मौतों का कारण था। .

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ब्राहुई भाषा

ब्राहुई (Urdu: براہوی) या ब्राहवी (براوی) एक द्रविड़ भाषा है। यह भाषा पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के ब्राहुई लोगों द्वारा तथा क़तर, संयुक्त अरब अमीरात, इराक़ व ईरान के आप्रवासी समुदायों द्वारा बोली जाती है। यह अपनी निकटतम द्राविड़-भाषी जनसंख्या से १५०० किमी से भी अधिक की दूरी से विलग है। .

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ब्रेल पद्धति

ब्रेल पद्धति में देवनागरी लिपि फ्रेंच शब्द ''प्रिमिअर'' (प्रथम) का ब्रेल पद्धति में रूप ब्रेल पद्धति एक तरह की लिपि है, जिसको विश्व भर में नेत्रहीनों को पढ़ने और लिखने में छूकर व्यवहार में लाया जाता है। इस पद्धति का आविष्कार १८२१ में एक नेत्रहीन फ्रांसीसी लेखक लुई ब्रेल ने किया था। यह अलग-अलग अक्षरों, संख्याओं और विराम चिन्हों को दर्शाते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। १ फ़रवरी २०१०। सौरभ सुमन ब्रेल के नेत्रहीन होने पर उनके पिता ने उन्हें पेरिस के रॉयल नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड चिल्डे्रन में भर्ती करवा दिया। उस स्कूल में "वेलन्टीन होउ" द्वारा बनाई गई लिपि से पढ़ाई होती थी, पर यह लिपि अधूरी थी। इस विद्यालय में एक बार फ्रांस की सेना के एक अधिकारी कैप्टन चार्ल्स बार्बियर एक प्रशिक्षण के लिये आए और उन्होंने सैनिकों द्वारा अँधेरे में पढ़ी जाने वाली "नाइट राइटिंग" या "सोनोग्राफी" लिपि के बारे में व्याख्यान दिया। यह लिपि कागज पर अक्षरों को उभारकर बनाई जाती थी और इसमें १२ बिंदुओं को ६-६ की दो पंक्तियों को रखा जाता था, पर इसमें विराम चिह्न, संख्‍या, गणितीय चिह्न आदि नहीं होते थे। ब्रेल को वहीम से यह विचार आया। लुई ने इसी लिपि पर आधारित किन्तु १२ के स्थाण पर ६ बिंदुओं के उपयोग से ६४ अक्षर और चिह्न वाली लिपि बनायी। उसमें न केवल विराम चिह्न बल्कि गणितीय चिह्न और संगीत के नोटेशन भी लिखे जा सकते थे। यही लिपि आज सर्वमान्य है।। वेबदुनिया। अलकनंदा साने लुई ने जब यह लिपि बनाई तब वे मात्र १५ वर्ष के थे। सन् १८२४ में पूर्ण हुई यह लिपि दुनिया के लगभग सभी देशों में उपयोग में लाई जाती है। इसमें प्रत्येक आयताकार सेल में ६ बिन्दु यानि डॉट्स होते हैं, जो थोड़े-थोड़े उभरे होते हैं। यह दो पंक्तियों में बनी होती हैं। इस आकार में अलग-अलग ६४ अक्षरों को बनाया जा सकता है। सेल की बांई पंक्ति में उपर से नीचे १,२,३ बने होते हैं। इसी तरह दांईं ओर ४,५,६ बनी होती हैं। एक डॉट की औसतन ऊंचाई ०.०२ इंच होती है। इसको पढ़ने की विशेष तकनीक होती है। ब्रेल लिपि को पढ़ने के लिए अंधे बच्चों में इतना ज्ञान होना आवश्यक है कि वो अपनी उंगली को विभिन्न दिशाओं में सेल पर घुमा सकें। वैसे विश्व भर में इसको पढ़ने का कोई मानक तरीका निश्चित नहीं हैं। ब्रेल लिपि को स्लेट पर भी प्रयोग में लाया जा सकता है। इसके अलावा इसे ब्रेल टाइपराइटर पर भी प्रस्तुत किया जा सकता है। आधुनिक ब्रेल स्क्रिप्ट को ८ डॉट्स के सेल में विकसित कर दिया गया है, ताकि अंधे लोगों को अधिक से अधिक शब्दों को पढ़ने की सुविधा उपलब्ध हो सके। आठ डॉट्स वाले ब्रेल लिपि सेल में अब ६४ की बजाय २५६ अक्षर, संख्या और विराम चिह्नें के पढ़ सकने की सुविधा उपलब्ध है। ब्रेल पद्धति को वर्णमाला के वर्णों को कूट रूप में निरूपित करने वाली सबसे प्रथम प्रचलित प्रणाली कह सकते हैं, किन्तु ब्रेल लिपि नेत्रहीनों के पढ़ने और लिख सकने के उपाय का प्रथम प्रयास अध्याय नहीं है। इससे पहले भी १७वीं शताब्दी में इटली के जेसूट फ्रांसिस्को लाना ने नेत्रहीनों के लिखने-पढ़ने को लेकर काफी कोशिशें की थीं। .

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भारत का त्रिचरण नाभिकीय कार्यक्रम

मोनाजाइट पाउडर । यही विश्व के थोरियम का मुख्य स्रोत है। भारत में इसके विशाल भण्डार हैं (केरल के समुद्रतटीय रेत में)। भारतीय नाभिकीय विद्युत उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत एक तीन चरणीय कार्यक्रम (चरण 1, चरण 2, चरण 3) का समावेश है। यह योजना होमी जहांगीर भाभा द्वारा १९५० के दशक में बनायी गयी थी। इसका उद्देश्य दक्षिण भारत के समुद्रतटीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले मोनाजाइट रेत में पाये जाने वाले यूरेनियम तथा थोरियम का उपयोग करते हुए दीर्घ अवधि में भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलम्बी बनाना था। ध्यात्व्य है कि भारत के पास थोरियम के भारी भण्डार हैं। भारत के नाभिकीय कार्यक्रम के तीन चरण ये हैं-.

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भारत के वैदेशिक सम्बन्ध

किसी भी देश की विदेश नीति इतिहास से गहरा सम्बन्ध रखती है। भारत की विदेश नीति भी इतिहास और स्वतन्त्रता आन्दोलन से सम्बन्ध रखती है। ऐतिहासिक विरासत के रूप में भारत की विदेश नीति आज उन अनेक तथ्यों को समेटे हुए है जो कभी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन से उपजे थे। शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व व विश्वशान्ति का विचार हजारों वर्ष पुराने उस चिन्तन का परिणाम है जिसे महात्मा बुद्ध व महात्मा गांधी जैसे विचारकों ने प्रस्तुत किया था। इसी तरह भारत की विदेश नीति में उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद व रंगभेद की नीति का विरोध महान राष्ट्रीय आन्दोलन की उपज है। भारत के अधिकतर देशों के साथ औपचारिक राजनयिक सम्बन्ध हैं। जनसंख्या की दृष्टि से यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक व्यवस्था वाला देश भी है और इसकी अर्थव्यवस्था विश्व की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ रूसी राष्ट्रपति, 34वाँ जी-8 शिखर सम्मेलन प्राचीन काल में भी भारत के समस्त विश्व से व्यापारिक, सांस्कृतिक व धार्मिक सम्बन्ध रहे हैं। समय के साथ साथ भारत के कई भागों में कई अलग अलग राजा रहे, भारत का स्वरूप भी बदलता रहा किंतु वैश्विक तौर पर भारत के सम्बन्ध सदा बने रहे। सामरिक सम्बन्धों की बात की जाए तो भारत की विशेषता यही है कि वह कभी भी आक्रामक नहीं रहा। 1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने अधिकांश देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है। वैश्विक मंचों पर भारत सदा सक्रिय रहा है। 1990 के बाद आर्थिक तौर पर भी भारत ने विश्व को प्रभावित किया है। सामरिक तौर पर भारत ने अपनी शक्ति को बनाए रखा है और विश्व शान्ति में यथासंभव योगदान करता रहा है। पाकिस्तान व चीन के साथ भारत के संबंध कुछ तनावपूर्ण अवश्य हैं किन्तु रूस के साथ सामरिक संबंधों के अलावा, भारत का इजरायल और फ्रांस के साथ विस्तृत रक्षा संबंध है। भारत की विदेश नीति के निर्माण की अवस्था को निम्न प्रकार से समझा जा सकता हैः- .

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भौतिकी के मूलभूत सिद्धान्तों के खोज का इतिहास

प्रकाश वैद्युत प्रभाव, आइंस्टाइन ब्राउनी गति, आइंस्टाइन नाभिक की खोज अतिचालकता द्रव्य तरंगें (Matter waves) मंदाकिनी Galaxies फोटॉनों के कण-प्रकृति की पुष्टि न्यूट्रॉन की खोज तारों में ऊर्जा-उत्पादन की प्रक्रिया समझी गई म्यूआन न्यूट्रिनो पाया गया सौर न्यूट्रिनो प्रश्न (problem) मिला पल्सर (Pulsars या neutron stars) की खोज चार्म्ड क्वार्क (Charmed quark) का पता चला श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:इतिहास ru:Хронология открытий человечества.

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भूतापीय प्रवणता

भूतापीय प्रवणता (Geothermal gradient) पृथ्वी में बढ़ती गहराई के साथ बढ़ते तापमान की प्रवणता (rate) को कहते हैं। भौगोलिक तख़्तों की सीमाओं से दूर और पृथ्वी की सतह के पास, हर किमी गहराई के साथ तापमान लगभग २५° सेंटीग्रेड बढ़ता है। .

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माली

माली, आधिकारिक तौर पर माली गणराज्य (फ्रांसीसी: République du Mali), पश्चिमी अफ़्रीका में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है। अफ़्रीका का सातवां सबसे बड़े देश माली की सीमा उत्तर में अल्जीरिया, पूर्व में नाइजर, दक्षिण में बुर्किना फ़ासो और कोड द आइवोर, दक्षिण-पश्चिम में गिनी और पश्चिम में सेनेगल और मारितुआना से मिलती है। 12,40,000 वर्ग किमी से कुछ बड़े इस देश की जनसंख्या करीबन 1,30,00,000 है। इसकी राजधानी बमाको है। आठ क्षेत्रों में बंटे माली की उत्तरी सीमा सहारा के मध्य तक जाती है, वहीं देश की दक्षिणी क्षेत्र, जहां अधिकांश आबादी निवास करती है, की विशेषता नाइजर और सेनेगल नदी है। देश की अर्थव्यवस्था खेती और मत्स्य पालन पर निर्भर है। माली के कुछ प्राकृतिक संसाधनों में सोना, यूरेनियम और नमक शामिल है। माली दुनिया के सबसे निर्धनतम देशों में शुमार किया जाता है। आज का माली कभी ट्रांस-सहारा व्यापार पर नियंत्रण रखने वाले तीन साम्राज्यों, घाना साम्राज्य, माली साम्राज्य (जिससे माली नाम लिया गया है) और सोनघाई साम्राज्य का एक हिस्सा था। 1800 के अंत में यह फ्रांसीसी नियंत्रण में आ गया और फ्रांसीसी सूडान का एक हिस्सा बन गया। 1959 में माली से सेनेगल से माली संघ के नाम से स्वतंत्र हो गया। एक साल बाद माली संघ स्वतंत्र राष्ट्र माली बन गया। एक दलीय शासन के लंबे दौर के बाद 1991 में हुए तख्तापलट के बाद गणतंत्र और बहु-दलीय राज्य के रूप में नए संविधान और सत्ता का गठन किया गया। देश की करीबन आधी आबादी अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा, 1.25 अमेरिकी डालर से प्रतिदिन कम आमदनी, पर गुजर-बसर करती है। श्रेणी:अफ़्रीका के देश श्रेणी:देश श्रेणी:पश्चिम अफ्रीका के देश श्रेणी:स्थलरुद्ध देश.

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मेघालय

मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.

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मोनाज़ाइट

माडागास्कर में मिले सीरियम-युक्त मोनाज़ाइट के डले मोनाज़ाइट (Monazite) एक लाल-ख़ाकी रंग का फास्फेट खनिज है जिसमें दुर्लभ मृदा तत्व (रेर अर्थ एलिमेन्ट) पाये जाते हैं। यह अक्सर छोटे क्रिस्टलों में पाया जाता है जो किसी रेत, मिट्टी या अन्य पत्थरों के बीछ बिखरे हुये होते हैं। मोनाज़ाइट थोरियम, लैन्थनम और सीरियम तत्वों को उपलब्ध करने के लिये महत्वपूर्ण खनिज हैं। इसमें कुछ मात्रा में युरेनियम भी मौजूद होता है। थोरियम और युरेनियम बहुत रेडियोधर्मी (रेडियोऐक्टिव) हैं और उनके अल्फा क्षय से मोनाज़ाइट में हीलियम गैस भी पैदा हो जाती है जो मोनाज़ाइट को गरम कर के निकाली जा सकती है। मोनाज़ाइट-युक्त रेत भारत, माडागास्कर व दक्षिण अफ़्रीका में बहुत मात्रा में पाई जाती है। .

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यूरेनियम खनन

विश्व में यूरेनियम भंडार यूरेनियम खनन जमीन से यूरेनियम अयस्क की निकासी की प्रक्रिया है। 2015 में दुनिया भर में यूरेनियम का उत्पादन 60,496 टन हुआ था। पूरे दुनिया में 70 फीसदी उत्पादन मात्र तीन देशों कजाकिस्तान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में होता है। इन तीन देशों के अलावा एक हजार टन उत्पादन करने वाले देशों में निगेर, रूस, नामीबिया, उज्बेकिस्तान, चीन, संयुक्त राष्ट्र और यूक्रेन हैं। खनन से प्राप्त यूरेनियम का लगभग पूरी तरह से परमाणु संयंत्रों में ईंधन के रूप में प्रयोग होता है। यूरेनियम अयस्क प्राप्त करने हेतु अयस्क सामग्री को पिसा जाता है, जिससे सभी कण समान आकार के हो और उसके पश्चात रासायनिक अभिक्रिया द्वारा यूरेनियम को निकाला जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा एक पीले रंग का शुष्क चूर्ण प्राप्त होता है। इसे यूरेनियम के बाजार में U3O8 के रूप में बेच दिया जाता है। .

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यूरेनियम अयस्क

औटूनाइट, द्वितीय यूरेनियम खनिज है, जिसका नाम फ्रांस के औटून से लिया गया। यूरेनियम अयस्क भंडार पृथ्वी के गर्भ में स्थित सांद्र यूरेनियम है, जो आर्थिक रूप से उन्नति के लिए निकाला जाता है। यूरेनियम धरती के गर्भ में पाया जाने वाला बहुत आम तत्व है, जो चाँदी से 40 गुणा और सोने से पाँच सौ गुणा अधिक पाया जाता है। यह लगभग हर पहाड़, मिट्टी, नदियों और महासागरों में पाया जा सकता है। लेकिन कठिनाई केवल उन इलाकों को ज्ञात करने की है, जहाँ यह सांद्र अवस्था में पाया जाता है। .

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रसायन विज्ञान का इतिहास

रसायन विज्ञान का इतिहास बहुत पुराना है। १००० ईसापूर्व में प्राचीन सभ्यताओं के लोग ऐसी प्राविधियों काo.

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रसायन विज्ञान की समयरेखा

जॉन डाल्टन के "अ न्यू सिस्टम ऑफ केमिकल फिलॉसफी" ले लिया गया चित्र - यह परमाणु सिद्धान्त की प्रथम आधुनिक व्याख्या थी इस समयरेखा में उन महत्वपूर्ण कृतियों, खोजों, विचारों एवं प्रयोगों को सूचीबद्ध किया गया है जिनके कारण पदार्थों की संरचना एवं उनके परस्पर क्रियाओं से सम्बन्धित मानव के ज्ञान में पर्याप्त वृद्धि हुई तथा जिसे आधुनिक विज्ञान में "रसायन विज्ञान" के नाम से जाना जाता है। यद्यपि रसायन विज्ञान की जड़ें ज्ञात इतिहास के आरम्भ काल तक पहुँची हुई हैं तथापि प्राय: आधुनिक रसायन के इतिहास का आरम्भ आयरलैण्ड के रसायनशास्त्री रॉबर्ट बॉयल से माना जाता है। .

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रासायनिक तत्व

रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी रासायनिक तत्व (या केवल तत्व) ऐसे उन शुद्ध पदार्थों को कहते हैं जो केवल एक ही तरह के परमाणुओं से बने होते हैं। या जो ऐसे परमाणुओं से बने होते हैं जिनके नाभिक में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं। सभी रासायनिक पदार्थ तत्वों से ही मिलकर बने होते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन, तथा सिलिकॉन आदि कुछ तत्व हैं। सन २००७ तक कुल ११७ तत्व खोजे या पाये जा चुके हैं जिसमें से ९४ तत्व धरती पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। कृत्रिम नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप उच्च परमाणु क्रमांक वाले तत्व समय-समय पर खोजे जाते रहे हैं। .

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रासायनिक तत्वों की सूची

नीचे परमाणु क्रमांक के बढते हुए क्रम में रासायनिक तत्वों की सूची दी गयी है। अलग-अलग प्रकार के तत्वों को अलग-अलग रंगों से चिन्हित किया गया है। इस सूची में प्रत्येक तत्व का नाम, उसका रासायनिक प्रतीक, आवर्त सारणी में उसका समूह एवं पिरियड, रासायनिक श्रेणी, तथा परमाणु द्रब्यमान (सबसे स्थायी समस्थानिक का) दिये गये हैं। .

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रासायनिक प्रतीक

रासायनिक तत्वों के नामों के संक्षिप्त रूपों को रासायनिक प्रतीक कहते हैं। उदाहरण के लिये, नीचे एक रासायनिक अभिक्रिया को प्रतीकात्मक रूप में अभिव्यक्त किया गया है। इसमें उ (H) उदजन (हाइड्रोजन) के लिये एवं जा (O) जारक (आक्सीजन) के लिये प्रयुक्त हुई है। तत्वों के विशिष्ट समस्थानिक दिखाने, उनके परमाणु भार दिखाने एवं उनके आयनन की अवस्था या आक्सीकरण अवस्था आदि दिखाने के लिये रासायनिक संकेतों के साथ 'उपलिपि' (सबस्क्रिप्ट) एवं 'अधिकलिपि' (सुपरस्क्रिप्ट) भी जोड़े जाते हैं। .

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रेडियोसक्रियता

अल्फा, बीटा और गामा विकिरण की भेदन क्षमता अलग-अलग होती है। रेडियोसक्रियता (रेडियोऐक्टिविटी / radioactivity) या रेडियोधर्मिता वह प्रकिया होती है जिसमें एक अस्थिर परमाणु अपने नाभिक (न्यूक्लियस) से आयनकारी विकिरण (ionizing radiation) के रूप में ऊर्जा फेंकता है। ऐसे पदार्थ जो स्वयं ही ऐसी ऊर्जा निकालते हों विकिरणशील या रेडियोधर्मी कहलाते हैं। यह विकिरण अल्फा कण (alpha particles), बीटा कण (beta particle), गामा किरण (gamma rays) और इलेक्ट्रॉनों के रूप में होती है। ऐसे पदार्थ जिनकी परमाण्विक नाभी स्थिर नहीं होती और जो निश्चित मात्रा में आवेशित कणों को छोड़ते हैं, रेडियोधर्मी (रेडियोऐक्टिव) कहलाते हैं। .

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समस्थानिक

समस्थानिक (फ्रेंच, अंग्रेज़ी: Isotope, जर्मन: Isotop, पुर्तगाली, स्पेनिश: Isótopo) एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती हैं, परन्तु भार अलग-अलग होता है, उन्हें समस्थानिक कहा जाता है। इनमें प्रत्येक परमाणु में समान प्रोटोन होते हैं। जबकि न्यूट्रॉन की संख्या अलग अलग रहती है। इस कारण परमाणु संख्या तो समान रहती है, लेकिन परमाणु का द्रव्यमान अलग अलग हो जाता है। समस्थानिक का अर्थ "समान स्थान" से है। आवर्त सारणी में तत्वों को परमाणु संख्या के आधार पर अलग अलग रखा जाता है, जबकि समस्थानिक में परमाणु संख्या के समान रहने के कारण उन्हें अलग नहीं किया गया है, इस कारण इन्हें समस्थानिक कहा जाता है। परमाणु के नाभिक के भीतर प्रोटोन की संख्या को परमाणु संख्या कहा जाता है, जो बिना आयन वाले परमाणु के इलेक्ट्रॉन के बराबर होते हैं। प्रत्येक परमाणु संख्या किसी विशिष्ट तत्व की पहचान बताता है, लेकिन ऐसा समस्थानिक में नहीं होता है। इसमें किसी तत्व के परमाणु में न्यूट्रॉन की संख्या विस्तृत हो सकती है। प्रोटोन और न्यूट्रॉन की संख्या उस परमाणु का द्रव्यमान संख्या होता है और प्रत्येक समस्थानिक में द्रव्यमान संख्या अलग अलग होता है। उदाहरण के लिए, कार्बन के तीन समस्थानिक कार्बन-12, कार्बन-13 और कार्बन-14 हैं। इनमें सभी का द्रव्यमान संख्या क्रमशः 12, 13 और 14 है। कार्बन में 6 परमाणु होता है, जिसका मतलब है कि कार्बन के सभी परमाणु में 6 प्रोटोन होते हैं और न्यूट्रॉन की संख्या क्रमशः 6, 7 और आठ है। .

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संवर्धित यूरेनियम

प्राकृतिक एवं संवर्धित यूरेनियम में '''U-238''' (नीला) तथा '''U-235''' (लाल) के अनुपात प्राकृतिक रूप से प्राप्त यूरेनियम में यूरेनियम-२३५ की मात्रा केवल ०.०७% होती है शेष 99.284% यूरेनियम-२३८ होता है। जिस यूरेनियम में यूरेनियम-२३५ का की प्रतिशत मात्रा किसी विधि से बढ़ा दी गयी हो उसे संवर्धित यूरेनियम (Enriched uranium) कहते हैं। U-235 ही प्राकृतिक रूप से प्राप्त एकमात्र आइसोटोप (समस्थानिक) है जो उष्मीय न्यूट्रानों (thermal neutrons) द्वारा विखंडित हो सकता है। संवर्धित यूरेनियम नाभिकीय रिएक्टर बनाने अथवा सैन्य हथियार (परमाणु बम) बनाने के लिये अति आवश्यक है। अन्तरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेन्सी विश्व भर में संवर्धित यूरेनियम पर नजर रखती है। .

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स्कैण्डियम

स्कैण्डियम एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी के डी-खंड का सदस्य है और अपने शुद्ध रूप में श्वेत-चाँदी जैसा रंग रखता है। ऐतिहासिक नज़रिये से इसे लैन्थनाइड समूह और इट्रियम के साथ इसे दुर्लभ मृदा तत्व (rare earth element) समूह में शामिल किया गया है। स्कैण्डियम की खोज सन् १८७९ में स्कैण्डिनेविया में कुछ खनिजों में की गई थी और इसे क्षेत्र से इसका नाम पड़ा। ज़मीन में यह अक्सर दुर्लभ मृदा खनिजों में और यूरेनियम के साथ रासायनिक यौगिकों (कम्पाउन्डों) में मिलता है। यह इतना दुर्लभ है कि इसका कुल विश्वभर का वार्षिक व्यापार केवल ५० किलोग्राम है। .

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सूरजमुखी

पूरा बीज (दाएं) और कर्नेल बिना छिलके के (बाएं) सूरजमुखी या 'सूर्यमुखी' (वानस्पतिक नाम: हेलियनथस एनस) अमेरिका के देशज वार्षिक पौधे हैं। यह अनेक देशों के बागों में उगाया जाता है। यह कंपोजिटी (Compositae) कुल के हेलिएंथस (Helianthus) गण का एक सदस्य है। इस गण में लगभग साठ जातियाँ पाई गई हैं जिनमें हेलिएंथस ऐमूस (Helianthus annuus), हेलिएंथस डिकैपेटलेस (Helianthus decapetalus), हेलिएंथिस मल्टिफ्लोरस (Helianthus multiflorus), हे.

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हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश (अंग्रेज़ी: Himachal Pradesh, उच्चारण) उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। यह 21,629 मील² (56019 किमी²) से अधिक क्षेत्र में फ़ैला है तथा उत्तर में जम्मू कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में पंजाब (भारत), दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखण्ड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है। हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ "बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत" है। हिमाचल प्रदेश को "देव भूमि" भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में आर्यों का प्रभाव ऋग्वेद से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ में आ गया। सन 1857 तक यह महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य (पंजाब हिल्स के सीबा राज्य को छोड़कर) का हिस्सा था। सन 1950 मे इसे केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन 1971 मे इसे, हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971 के अन्तर्गत इसे 25 january 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया। हिमाचल प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक है । बारहमासी नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को पनबिजली बेचता है जिनमे प्रमुख हैं दिल्ली, पंजाब (भारत) और राजस्थान। राज्य की अर्थव्यवस्था तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करती है जो हैं, पनबिजली, पर्यटन और कृषि। हिंदु राज्य की जनसंख्या का 95% हैं और प्रमुख समुदायों मे ब्राह्मण, राजपूत, घिर्थ (चौधरी), गद्दी, कन्नेत, राठी और कोली शामिल हैं। ट्रान्सपरेन्सी इंटरनैशनल के 2005 के सर्वेक्षण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश देश में केरल के बाद दूसरी सबसे कम भ्रष्ट राज्य है। .

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हेनरी बैकेरल

अंटोइन हेनरी बैकेरल (१५ दिसम्बर १८५२ - २५ अगस्त १९०८) एक फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री, नोबेल पुरस्कार विजेता और मैरी क्यूरी तथा पियरे क्यूरी के साथ रेडियोधर्मिता के अनवेष्क थे, जिसके लिए तीनों को १९०३ में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया। .

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जादूगोड़ा

जादूगोड़ा झारखंड प्रान्त के पूर्वी सिंहभूम जिले का एक शहर है जो शहर के दक्षिण पश्चिम हिस्से में स्थित है। जादूगोड़ा अपने यूरेनियम की खानों के लिये मशहूर है। जादूगोड़ा का पुराना नाम जारागोरा हुआ करता था, जादूगोड़ा में एक छोटी सी कॉलोनी है जिसमें यूरेनियम खान को नियंत्रित करने वाली कंपनी यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में काम करने वाले लोग रहते हैं। कॉलोनी के आसपास अन्य लोग भी रहते हैं और इन छोटे छोटे गांवों के अलग अलग नाम हैं। श्रेणी:झारखंड श्रेणी:झारखंड के शहर.

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जादूगोड़ा यूरेनियम खान

जादूगोड़ा खान एक यूरेनियम की खान है जो भारत के झारखण्ड प्रदेश के पूर्वी सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा गाँव में स्थित है। यह खान १९६७ से कार्य कर रही है और भारत में यूरेनियम खनन की प्रथम खान है। .

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ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर अंतरिम समझौता

24 नवम्बर 2013 को ईरान ने पी5 +1 देशों के साथ जिनेवा में एक परमाणु समझौता हस्ताक्षरित किया। इस समझौते के तहत अपने ऊपर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में आंशिक रियायत के बदले ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर अल्पकालिक रोक लगाने के लिए तैयार हो गया। .

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वियतनामी लिपि

300px वियतनामी लिपि (वियतनामी भाषा: chữ Quốc ngữ; शाब्दिक अर्थ- राष्ट्र भाषा लिपि) वियतनामी भाषा को लिखने के लिये प्रयुक्त आधुनिक लिपि है। यह लैटिन लिपि पर आधारित है, और विशेष रूप से पुर्तगाली वर्णमाला पर। इसमें कुछ डाइग्राफ तथा ऐक्सेंत चिह्न जोड़कर यह लिपि बनी है जिसमें चार का प्रयोग अतिरिक्त ध्वनि के लिये किया जाता है जबकि अन्य पाँच का उपयोग प्रत्येक शब्द का 'टोन' (tone) बताने के लिये किया जाता है। वियतनामी वर्णमाला अपनी डायट्रिक्स की अधिकता (और प्रायः एक ही वर्ण पर दो डायट्रिक्स) के कारण आसानी से पहचानी जाती है। .

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विशिष्ट ऊष्मा धारिता

यह एक सामान्य अनुभव है कि किसी वस्तु का ताप बढ़ाने के लिये उसे उष्मा देनी पड़ती है। किन्तु अलग-अलग पदार्थों की समान मात्रा का ताप समान मात्रा से बढ़ाने के लिये अलग-अलग मात्रा में उष्मा की जरूरत होती है। किसी पदार्थ की इकाई मात्रा का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये आवश्यक उष्मा की मात्रा को उस पदार्थ का विशिष्ट उष्मा धारिता (Specific heat capacity) या केवल विशिष्ट उष्मा कहा जाता है। इससे स्पष्ट है कि जिस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा अधिक होगी उसे गर्म करने के लिये अधिक उष्मा की आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिये, शीशा (लेड) का ताप १ डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये जितनी उष्मा लगती है उससे आठ गुना उष्मा एक किलोग्राम मग्नीशियम का ताप १ डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिये आवश्यक होती है। किसी भी पदार्थ की विशिष्ट उष्मा मापी जा सकती है। .

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विकिरण

भौतिकी में प्रयुक्त विकिरण ऊर्जा का एक रूप है जो तरंगों या किसी परमाणु या अन्य निकाय द्वारा उत्सर्जित गतिशील उपपरमाणुविक कणों के रूप में उच्च से निम्न ऊर्जा अवस्था की ओर चलती है। विकिरण को परमाणु पदार्थ पर उसके प्रभाव के आधार पर या विआयनीकारक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। विकिरण जो अणु या परमाणु का आयनीकरण करने मे सक्षम होता है उसमे उर्जा का स्तर विआयनीकारक विकिरण से अधिक होता है। रेडियोधर्मी पदार्थ वो भौतिक पदार्थ है जो कि आयनीकारक विकिरण उत्सर्जित करती है। तीन भिन्न प्रकार के विकिरण और उनका भेदन .

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ग्राहम का विसरण का नियम

ग्राहम का विसरण का नियम गैस की विसरण की दर से सम्बन्धित एक नियम है जिसे स्कॉटलैण्ड के रसायन शास्त्री थॉमस ग्राहम ने प्रतिपादित किया था। थॉमस ने प्रयोगों के आधार पर पाया कि किसी गैस के विसरण (effusion) की की दर उसके कणों के द्रव्यमान के वर्गमूल के व्युत्क्रामुपाती होती है। इसे सूत्र रूप में इस प्रकार लिखा जा सकता है- जहाँ: ग्राहम के इस नियम की पूर्ण सैद्धान्तिक व्याख्या वर्षों बाद गैसों के गत्यात्मक सिद्धान्त के द्वारा हुई। यह नियम तभी शुद्धता पूर्वक लागू होता है जब केवल एक गैस के अणु ही एक समय में विसरण कर रहे हों। जब कोई गैसोंका मिश्रण का किसी छेद से होकर विसरण हो रहा हो, या एक गैस दूसरी गैस मेंविसरित हो रही हो तब यह नियम पूर्णत: सत्य न होकर लगभग सत्य होता है। .

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ग्रैन्ड कैन्यन

ग्रैंड कैन्यन और निकटवर्ती क्षेत्रों का १९०८ का एक मानचित्र। ग्रैंड कैन्यन घाटी संयुक्त राज्य अमेरिका के एरिजोना राज्य से होकर बहने वाली कोलोरेडो नदी की धारा से बनी तंग घाटी है। यह घाटी अधिकांशत: ग्रैंड कैन्यन नेशनल पार्क से घिरी है जो अमेरिका के सबसे पहले राष्ट्रीय उद्यानों में से एक था। भू-विशेषज्ञों के अनुसार कोलोरेडो नदी के बहाव से ग्रैंड कैन्यन घाटी कोई साठ लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आई थी। यह घाटी ४४६ किलोमीटर लंबी और छह हजार फीट गहरी है। २७७ कि॰मी॰ लंबी इस घाटी विभिन्न स्थानों पर इसकी चौड़ाई ६.४ से २९ कि॰मी॰ तक है और गहरायी एक मील (१.८३ कि.मी.) तक है। लगभग २० करोड़ वर्ष पूर्व कोलोराडो नदी और उसकी सहायक नदियों ने इस क्षेत्र को परत दर पर्त काटा था और कोलोराडो पठार ऊपर उठता गया था, तब पृथ्वी का भूगर्भीय इतिहास प्रकट हुआ था। ग्रैण्ड कैन्यन पश्चिम में आरंभ हुयी और दूसरी पूर्व में भी साथ ही बनी। लगभग ६० लाख वर्ष पूर्व दोनो एक साथ मिल गयीं यह संगम उस स्थान पर हुआ था, जहां आज नदी पश्चिम को मुड़ती है। यह स्थान कैबब मेहराब कहलाता है। " लेख Grand Canyon Still Grand but Older प्रकाशित: ७ मार्च, २००८, शोधकर्ता: विक्टर पोल्याक, कैरल हिल येमाने एस्मोरोम, विज्ञान, खंड ३१९, पृ.१३७७-१३८० आधुनिक अमेरिकी राज्य के १७७९ में अस्तित्व में आने से पूर्व ग्रैंड कैन्यन घाटी में अमेरिकी इंडियंस रहते थे। इस घाटी की गुफाएं उनका घर थीं और वहां पर उनके कई धार्मिक पवित्र स्थान भी थे। इस स्थान पर पहुंचने वाले पहले यूरोपीय यात्री स्पेन के गार्सिया लोपेज दि गार्सेनाज थे जो यहां १५४० में पहुंचे थे। नए परीक्षणों के बाद भू-विशेषज्ञों का कहना है कि कोलोरेडो बेसिन एक करोड़ सत्तर लाख वर्ष पूर्व बना था। वर्ष २००८ में इस नई खोज को प्रकाशित किया गया था जो घाटी से मिले कैल्साइट की यूरेनियम जांच के बाद प्रकाश में आया था। हालांकि बाद में इस खोज पर बहुत विवाद भी हुआ था। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट पिछली शताब्दी के आरंभ में ग्रैंड कैन्यन पार्क को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया था। आज यह कई प्राणियों को संरक्षण देता है। कोलोरेडो नदी में भी पर्यटक कई तरह के जल-क्रीड़ा (वाटर स्पोटर्स)का आनंद भी उठाते हैं। इस विशालकाय घाटी को देखने के लिए पर्यटकों को हवाई जहाज की सुविधा भी मिलती है। एक विशाल प्राकृतिक अजूबे के साथ ही ग्रैंड कैन्यन अमेरिका के सबसे बड़े पर्यटक केंद्रों में से एक है। Image:GRANDVIEWREVB.jpg|ग्रैंडव्यू पाइंट से ग्रैंड कैन्यन का दृश्य File:Hazy_blue_hour_in_Grand_Canyon.JPG|ब्लू आवर, ग्रैंड कैन्यन .

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ऑपरेशन ओपेरा

ऑपरेशन ओपेरा या ऑपरेशन बेबीलोन एक आकस्मिक इज़राइली हवाई हमला था जो ७ जून १९८१ को हुआ। इस हमलेमें बग़दाद के दक्षिण-पूर्व में १७ किलोमीटर पर स्थित इराक़ के परमाणु भट्ठी ओसिराक को नष्ट कर दिया गया। इस परमाणु भट्ठी के निर्माण में इराक की मदद फ्रांस ने की थी। ७०-मेगावाट की यूरेनियम संचालित भट्ठीका का निर्माण पुरा होने को था और इज़राइल के अनुसार हे जूलाई या सितम्बर में शुरू होनेवाली थी। इज़राइल के अनुसार इस परमाणु भट्ठी में परमाणु हथियार का निर्माण होनेवाला था और इन हथियारोंसे इज़राइली जनता को बचानेहेतु ये हमला किया गया था। हालांकि इराक़ और फ्रांस का दावा था कि ये हथियारोंके निर्माण के लिए नहीं थी। .

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आधुनिक भौतिकी

19वीं शताब्दी में भौतिकविज्ञानी यह विश्वास करते थे कि नवीन महत्वपूर्ण आविष्कारों का युग प्राय: समाप्त हो चुका है और सैद्धांतिक रूप से उनका ज्ञान पूर्णता की सीमा पर पहुँच गया है किंतु नवीन परमाणवीय घटनाओं की व्याख्या करने के लिये पुराने सिद्धांतों का उपयोग किया गया, तब इस धारणा को बड़ा धक्का लगा और आशा के विपरीत फलों की प्राप्ति हुई। जब मैक्स प्लांक ने तप्त कृष्ण पिंडों के विकिरण की प्रवृति की व्याख्या चिरसम्मत भौतिकी के आधार पर करनी चाही, तब वे सफल नही हुए। इस गुत्थी को सुलझाने के लिये उनको यह कल्पना करनी पड़ी कि द्रव्यकण प्रकाश-ऊर्जा का उत्सर्जन एवं अवशोषण अविभाज्य इकाइयों में करते हैं। यह इकाई क्वांटम कहलाती है। चिरसम्मत भौतिकी की एक अन्य विफलता प्रकाश-वैद्युत प्रभाव की व्याख्या करते समय सामने आई। इस प्रभाव में प्रकाश के कारण धातुओं से इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन होता है। इसकी व्याख्या करने के लिये आईंस्टाइन ने प्लांक की कल्पना का सहारा लिया और यह प्रतिपादित किया कि प्रकाश ऊर्जा कणिकाओं के रूप में संचरित होती है। इन कणिकाओं को फोटॉन कहा जाता है। यदि प्रकाश तरंग की आवृति v हो तो उससे संबद्ध फोटॉन की ऊर्जा E.

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आइंस्टीनियम

आइंस्टीनियम तत्व अमरीका के ताप न्यूक्लीय विस्फोट के रेडियमधर्मी मलबे में पाया गया था। इसका नाम विश्वविख्यात वैज्ञानिक आइंस्टाइन के नाम पर रखा गया है। आंइस्टीनियम की खोज १९५२ ई. में ही हो गई थी लेकिन काफी समय तक यह प्रचुर मात्रा में तैयार नहीं किया जा सका। यूरेनियम द्वारा न्यूट्रान अवशोषित होने से इसका निर्माण हुआ था। उस ताप न्यूक्लीय विस्फोट में भारी मात्रा में न्यूट्रानों का द्रावक उत्पन्न हुआ जिसके कारण यूरेनियम नाभिक १७ न्यूट्रानों का अवशोषण कर पाया और फलस्वरूप यह तत्व बन सका। १९५४ ई. लगभग एक ही समय, कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय, ओरेगन प्रयोगशाला (अमरीका) और स्टाकहोम प्रयोगशाला में तत्व ९९ का निर्माण किया गया। यूरेनियम-२३८ पर नाइट्रोजन नाभिक की अभिक्रिया द्वारा यह तत्व बनाया गया। १९६१ ई. में एक अधिक न्यूट्रान प्लक्स वाले रिएक्टर में प्लूटोनियम २३९ के विकिरणन द्वारा प्रचुर मात्रा में इसको तैयार किया गया। इसकी परमाणुसंख्या ९९ तथा अर्धआयु २० दिन है। यह ६.६ एम.ई. वोल्ट ऊर्जा के अल्फाकण उत्सर्जित करता है। इसका रासायनिक सूत्र Es है। अब तक इसके चार समस्थानिक पाए गए हैं। .

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कातांगा प्रान्त

कातांगा प्रान्त (फ़्रान्सीसी व अंग्रेज़ी: Katanga) अफ़्रीका के कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य के दक्षिण-पूर्व हिस्से में स्थित एक प्रान्त है।, Barry Sergeant, pp.

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कार्बन फुटप्रिंट

कार्बन फुटप्रिंट का अर्थ किसी एक संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा किया गया कुल कार्बन उत्सर्जन होता है। यह उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड या ग्रीनहाउस गैसों के रूप में होता है।। हिन्दुस्तान लाइव। २२ दिसम्बर २००९ कार्बन फुटप्रिंट का नाम इकोलॉजिकल फुटप्रिंट विमर्श से निकला है। यह इकोलॉजिकल फुटप्रिंट का ही एक अंश है। उससे भी अधिक यह लाइफ साइकिल असेसमेंट (एल.सी.ए) का हिस्सा है। किसी व्यक्ति, संस्था या वस्तु के कार्बन फुटप्रिंट का आकलन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के आधार पर किया जा सकता है। संभवत: कार्बन फुटप्रिंट का सबसे बड़ा कारण मानव की यात्रा इच्छा ही होती है। इसके साथ ही एक अन्य बड़ा कारण घर में प्रयोग होने वाली विद्युत भी है। वैज्ञानिकों के अनुसार मानव की लगभग सभी आदतें, जिनमें खानपान से लेकर पहने जाने वाले कपड़े तक शामिल हैं, उसके कार्बन फुटप्रिंट का कारण बनते हैं। ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाने के कई तरीके हैं। सौर, पवन ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल और पौधा रोपण आदि से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है। कार्बन उत्सर्जन और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का वातावरण में निकास जीवाश्म ईंधन, कच्चे तेल और कोयले के जलने से होता है। क्योटो प्रोटोकॉल में कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों पर निश्चित समय-सीमा के अंतर्गत रोक लगाने का मसौदा भी प्रतुत किया गया था। .

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किज़िल कुम रेगिस्तान

उज़बेकिस्तान में किज़िल कुम में एक बस्ती से निकलती सड़क अंतरिक्ष से किज़िल कुम - तस्वीर में मध्य में नीचे की तरफ - दाएँ में कैस्पियन सागर है और उस से ज़रा बाएँ में अधिकतर सूखा हुआ अरल सागर, किज़िल कुम दो नदियों की रेखाओं (आमू दरिया और सिर दरिया) के बीच का इलाक़ा है किज़िल कुम में रेत का टीला किज़िल कुम या क़िज़िल क़ुम (उज़बेक: Qizilqum; कज़ाख़: Қызылқұм; अंग्रेज़ी: Kyzyl Kum) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। इसका क्षेत्रफल २,९८,००० वर्ग किमी (१,१५,००० वर्ग मील) है और यह दुनिया का ११वाँ सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह आमू दरिया और सिर दरिया के बीच के दोआब में स्थित है। इसका अधिकाँश हिस्सा कज़ाख़स्तान और उज़बेकिस्तान में आता है, हालांकि एक छोटा भाग तुर्कमेनिस्तान में भी पड़ता है। तुर्की भाषाओँ में 'किज़िल कुम' का मतलब 'लाल रेत' है और इस रेगिस्तान की रेतों में मिश्रित पदार्थ बहुत से स्थानों में इसे एक लालिमा देते हैं। इस से दक्षिण-पश्चिम में आमू दरिया के पार काराकुम रेगिस्तान पड़ता है जिसके नाम का अर्थ 'काली रेत' है।, R. Lal, Psychology Press, 2007, ISBN 978-0-415-42235-2,...

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अधातु

अधातु (non-metals) रासायनिक वर्गीकरण में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। आवर्त सारणी का प्रत्येक तत्व अपने रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर धातु अथवा अधातु श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। (कुछ तत्व जिनमें दोनों के गुण पाये जाते हैं उन्हें उपधातु (metaloid) की श्रेणी में रखा जाता है।) आवर्त सारणी में ये १४वें (XIV) से लेकर १८वें (XVIII) समूह में दाहिने-ऊपरी कोने में स्थित हैं। इसके अलावा प्रथम समूह में सबसे उपर स्थित उदजन भी अधातु है। हाइड्रोजन के अलावा जारक, प्रांगार, भूयाति, गंधक, भास्वर, हैलोजन, तथा अक्रिय गैसें अधातु मानी जाती हैं। प्रायः आवर्त सारणी के केवल 18 तत्व अधातु की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि धातु की श्रेणी में 80 से भी अधिक तत्व आते हैं। फिर भी पृथ्वी के गर्भ का, वायुमण्डल और जलमण्डल का अधिकांश भाग अधातुएँ ही हैं। जीवों की संरचना में भी अधातुओं का ही अधिकांशता है। .

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अनुप्रयुक्त भूभौतिकी

अनुप्रयुक्त भूभौतिकी (Applied Geophysics), या भूभौतिक पूर्वेक्षण में पृथ्वी के पृष्ठ पर भौतिक मापों के द्वारा अधस्थल (subsurface) भूवैज्ञानिक जानकारियों का संग्रह किया जाता है। इसका उद्देश्य खनिज, पेट्रोलियम, जल, घात्विक निक्षेप, विखंडनीय पदार्थो (fissile material) का स्थान-निर्धारण और बाँध, रेलमार्ग, हवाई अड्डों, सैनिक और कृषि प्रायोजनाओं के निर्माणार्थ सतह के निकटस्थ स्तर के भूवैज्ञानिक लक्षणों से आँकड़ों का संग्रह है। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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अयस्क

लोहे का एक अयस्क उन शैलों को अयस्क (ore) कहते हैं जिनमें वे खनिज हों जिनमें कोई धातु आदि महत्वपूर्ण तत्व हों। अयस्कों को खनन करके बाहर लाया जाता है; फिर इनका शुद्धीकरण करके महत्वपूर्ण तत्व प्राप्त किये जाते हैं। .

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अंतरराष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र

आई। टी.ई.आर निर्वात वैसल के प्रतिरूप का चित्र; जिसमें डाईवर्टर कैसेट्स की अंदरूनी सतहों पर ४४० ब्लैंकेट्स जुड़े दिख रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र (अंग्रेज़ी:इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर)) ऊर्जा की कमी की समस्या से निबटने के लिए भारत सहित विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सहयोग से मिलकर बनाया जा रहा संलयन नाभिकीय प्रक्रिया पर आधारित ऐसा विशाल रिएक्टर है, जो कम ईंधन की सहायता से ही अपार ऊर्जा उत्पन्न करेगा। सस्ती, प्रदूषणविहीन और असीमित ऊर्जा पैदा करने की दिशा में हाइड्रोजन बम के सिद्धांत पर इस नाभिकीय महापरियोजना को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है। इसमें संलयन से उसी प्रकार से ऊर्जा मिलेगी जैसे पृथ्वी को सूर्य या अन्य तारों से मिलती है। .

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अंग्रेजी वर्णमाला

आधुनिक अंग्रेजी वर्णमाला एक लातिन आधारित वर्णमाला है जिसमें २६ वर्ण हैं। .

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उचकुदुक

उचकुदुक (उज़बेक: Учқудуқ, उचक़ुदुक़; अंग्रेज़ी: Uchkuduk) मध्य एशिया के उज़बेकिस्तान देश के नवोई प्रान्त का एक शहर है। भौगोलिक निर्देशांकों के हिसाब से यह नगर ४२°९'२४ उत्तर और ६३°३३'२० पूर्व में स्थित है। सन् २००७ में इसकी आबादी २७,००० से थोड़ी ज़्यादा अनुमानित की गई थी। यह शहर किज़िल कुम रेगिस्तान के बीच में पड़ता है। सोवियत संघ के ज़माने में यह एक 'बंद शहर' था (यानि बहार वालों को यहाँ आने पर पाबंदी थी) क्योंकि यहाँ से सोवियत संघ के परमाणु हथियारों के लिए युरेनियम की खाने चलाई जाती थी।, OECD Nuclear Energy Agency, OECD Publishing, 2006, ISBN 978-92-64-02806-7,...

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२०१०

वर्ष २०१० वर्तमान वर्ष है। यह शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष २०१० को अंतराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इन्हें भी देखें 2010 भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010 .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

U, युरेनियम, यूरानियम

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