46 संबंधों: चौदहवीं लोकसभा, चौहान, चौहान वंश, एटा, एफ.एस. ग्राउस, तारकसी, तेजप्रताप सिंह यादव, दया प्रकाश सिन्हा, दामोदर स्वरूप 'विद्रोही', दिबियापुर, फाटक, बढ़ई, बघिरुआ, ब्रज, ब्रजभाषा, ब्रजभाषा साहित्य, भरतपुर, भारत के मेलों की सूची, भारत के शहरों की सूची, मुनि प्रणम्यसागर, मुलायम सिंह यादव, मैनपुरी षड्यन्त्र, मैनपुरी ज़िला, राम प्रसाद 'बिस्मिल', रामेश्वर दयाल दुबे, शहीद मेला, शिवपाल सिंह यादव, श्याम बहादुर वर्मा, स्वामी अछूतानन्द, सैफ़ई, सैयद अहमद ख़ान, सीएनआई ब्यॉज इण्टरमीडिएट कॉलेज, सीएनआई कन्या इंटर कॉलेज, जिगर मुरादाबादी, गेंदालाल दीक्षित, आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग, इटावा, कन्नौजी भाषा, कस्बा, कुरावली, उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश पुलिस, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2017, उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची, उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची, उदय प्रताप सिंह।
चौदहवीं लोकसभा
भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .
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चौहान
चौहान या चव्हाण एक वंश है। चौहान गुर्जर तथा राजपूतों में आता है।विद्वानो का कहना है कि चौहान मुल से राजपूत थे तथा १० वी शदी तक गुर्जर प्रतिहारो के अधीन थे। चौहान साम्भर झील और पुष्कर, आमेर और वर्तमान जयपुर, राजस्थान में भी होते थे, जो अब सारे उत्तर भारत में फैले हुए हैं। इसके अलावा मैनपुरी उत्तर प्रदेश एवं नीमराना, राजस्थान के अलवर जिले में भी पाये जाते हैं। .
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चौहान वंश
शाकम्भरी के चाहमान या चौहान वंश (संस्कृत: चौहानवंशः; आंग्ल: Chauhan dynasty) गुर्जर व राजपूतों के प्रसिद्ध वंशों में से अन्यतम है। 'चौहान' ये उत्तरभारत के आर्यों का कोई वंश है। चौहान गोत्र गुर्जर और राजपूतों में अन्तर्भूत होता है। शाकम्भरी में चौहान वंश के संस्थापक वासुदेव चौहान थे इतिहासविदों का मत है कि, चौहानवंशीय जयपुर के साम्भर तालाब के समीप में, पुष्कर-प्रदेश में और आमेर-नगर में निवास करते थे। सद्य वे उत्तरभारत में विस्तृत रूप से फैले हैं। उत्तरप्रदेशराज्य के मैनपुरी बिजनौर जिले में अथवा नीमराणा राजस्थान में बहुधा निवास करते हैं। श्रेणी:चौहान वंश श्रेणी:राजस्थान का इतिहास.
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एटा
एटा भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। यह एटा जिला का मुख्यालय है। यहाँ के प्रमुख स्थलों में पटना पक्षी विहार, कैलाश मंदिर, छ्छैना गाँव की पानी से चलने वाली आटा चक्की आदि हैं। इसे पृथ्वीराज चौहान के सरदार राजा संग्राम सिंह ने बसाया था। इसने एटा में एक सुदृढ़ मिट्टी का दुर्ग बनवाया था जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं। .
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एफ.एस. ग्राउस
एफ.एस.
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तारकसी
तारकसी कला का मात्र केंद्र भरत के मैनपुर राज्य में है। तारकसी एक काष्ठकला है। पूरी दुनिया में तारकसी कला का मैनपुरी ही एक मात्र केंद्र है। तारकसी लकड़ी पर की जाने वाली एक तरह की नक्काशी है जो धातु के तारों से की जाती है। इसके लिए लकड़ी को खास तरह से तैयार किया जाता है जो एक जटिल और लम्बी प्रक्रिया है। शीशम की लकड़ी अधिक मजबूत होती है इसलिए इस लकड़ी का हमारे दैनिक कार्यों में सबसे अधिक प्रयोग है। .
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तेजप्रताप सिंह यादव
तेज प्रताप सिँह यादव भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र से 2014 के लोकसभा सांसद है। वे समाजवादी पार्टी के राजनेता है। .
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दया प्रकाश सिन्हा
दया प्रकाश सिन्हा (जन्म: २ मई १९३५, कासगंज, जिला एटा, उत्तर प्रदेश) एक अवकाशप्राप्त आई०ए०एस० अधिकारी होने के साथ-साथ हिन्दी भाषा के प्रतिष्ठित लेखक, नाटककार, नाट्यकर्मी, निर्देशक व चर्चित इतिहासकार हैं। प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति में एम० ए० की डिग्री तथा लोक प्रशासन में मास्टर्स डिप्लोमा प्राप्त सिन्हा जी विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं में रहे। साहित्य कला परिषद, दिल्ली प्रशासन के सचिव, भारतीय उच्चायुक्त, फिजी के प्रथम सांस्कृतिक सचिव, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी व ललित कला अकादमी के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निदेशक जैसे अनेकानेक उच्च पदों पर रहने के पश्चात सन् १९९३ में भारत भवन, भोपाल के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। नाट्य-लेखन के साथ-साथ रंगमंच पर अभिनय एवं नाट्य-निर्देशन के क्षेत्र में लगभग ५० वर्षों तक सक्रिय रहे सिन्हा जी की नाट्य कृतियाँ निरन्तर प्रकाशित, प्रसारित व मंचित होती रही हैं। अनेक देशों में भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में भ्रमण कर चुके श्री सिन्हा को कई पुरस्कार व सम्मान भी मिल चुके हैं। .
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दामोदर स्वरूप 'विद्रोही'
दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' (जन्म:2 अक्टूबर 1928 - मृत्यु: 11 मई 2008) अमर शहीदों की धरती के लिये विख्यात शाहजहाँपुर जनपद के चहेते कवियों में थे। यहाँ के बच्चे-बच्चे की जुबान पर विद्रोही जी का नाम आज भी उतना ही है जितना कि तब था जब वे जीवित थे। विद्रोही की अग्निधर्मा कविताओं ने उन्हें कवि सम्मेलन के अखिल भारतीय मंचों पर स्थापित ही नहीं किया अपितु अपार लोकप्रियता भी प्रदान की। उनका एक मुक्तक तो सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ: सम्पूर्ण हिन्दुस्तान में उनकी पहचान वीर रस के सिद्धहस्त कवि के रूप में भले ही हुई हो परन्तु यह भी एक सच्चाई है कि उनके हृदय में एक सुमधुर गीतकार भी छुपा हुआ था। गीत, गजल, मुक्तक और छन्द के विधान पर उनकी जबर्दस्त पकड़ थी। भ्रष्टाचार, शोषण, अत्याचार, छल और प्रवचन के समूल नाश के लिये वे ओजस्वी कविताओं का निरन्तर शंखनाद करते रहे। उन्होंने चीन व पाकिस्तान युद्ध और आपातकाल के दिनों में अपनी आग्नेय कविताओं की मेघ गर्जना से देशवासियों में अदम्य साहस का संचार किया। हिन्दी साहित्य के आकाश में स्वयं को सूर्य-पुत्र घोषित करने वाले यशस्वी वाणी के धनी विद्रोही जी भौतिक रूप से भले ही इस नश्वर संसार को छोड़ गये हों परन्तु अपनी कालजयी कविताओं के लिये उन्हें सदैव याद किया जायेगा। .
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दिबियापुर
दिबियापुर भारत में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में औरैया ज़िले का एक नगर और एक नगर पंचायत है। यह नगर राज्य राजमार्ग 21 पर स्थित है। यह हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन के कानपुर-दिल्ली खण्ड पर फफूँद रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है जो उत्तर मध्य रेलवे द्वारा संचालित है। नगर का प्रशासनिक मुख्यालय औरैया है। .
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फाटक
फाटक, कृषक चरवाहा जाति अहीर का एक वंश या उपजाति है, जो कि राजपूतों के काफी समरूप होते है व स्वयं को चित्तौड़ के एक सिसोदिया राज कुमार का वंशज मानते हैं। इस सिसोदिया राजकुमार का विवाह महाबन के अहीर राजा दिग्पाल की पुत्री से हुआ था। अतः यह अहीर कहे जाते हैं। .
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बढ़ई
बढ़ई काष्ठकारी से सम्बन्धित औजार लकड़ी का काम करने वाले लोगों को बढ़ई या 'काष्ठकार' (Carpenter) कहते हैं। ये प्राचीन काल से समाज के प्रमुख अंग रहे हैं। घर की आवश्यक काष्ठ की वस्तुएँ बढ़ई द्वारा बनाई जाती हैं। इन वस्तुओं में चारपाई, तख्त, पीढ़ा, कुर्सी, मचिया, आलमारी, हल, चौकठ, बाजू, खिड़की, दरवाजे तथा घर में लगनेवाली कड़ियाँ इत्यादि सम्मिलित हैं। .
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बघिरुआ
बाघिरुआ, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में भोगांव तहसील में स्थित एक बड़ा गाँव है, जिसमें 437 परिवार निवास करते हैं। यह गाँव मैनपुरी लोकसभा व किशनी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। .
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ब्रज
शेठ लक्ष्मीचन्द मन्दिर का द्वार (१८६० के दशक का फोटो) वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के मथुरा नगर सहित वह भू-भाग, जो श्रीकृष्ण के जन्म और उनकी विविध लीलाओं से सम्बधित है, ब्रज कहलाता है। इस प्रकार ब्रज वर्तमान मथुरा मंडल और प्राचीन शूरसेन प्रदेश का अपर नाम और उसका एक छोटा रूप है। इसमें मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, महाबन, वलदेव, नन्दगाँव, वरसाना, डीग और कामबन आदि भगवान श्रीकृष्ण के सभी लीला-स्थल सम्मिलित हैं। उक्त ब्रज की सीमा को चौरासी कोस माना गया है। सूरदास तथा अन्य व्रजभाषा के भक्त कवियों और वार्ताकारों ने भागवत पुराण के अनुकरण पर मथुरा के निकटवर्ती वन्य प्रदेश की गोप-बस्ती को ब्रज कहा है और उसे सर्वत्र 'मथुरा', 'मधुपुरी' या 'मधुवन' से पृथक वतलाया है। ब्रज क्षेत्र में आने वाले प्रमुख नगर ये हैं- मथुरा, जलेसर, भरतपुर, आगरा, हाथरस, धौलपुर, अलीगढ़, इटावा, मैनपुरी, एटा, कासगंज, और फिरोजाबाद। ब्रज शब्द संस्कृत धातु 'व्रज' से बना है, जिसका अर्थ गतिशीलता से है। जहां गाय चरती हैं और विचरण करती हैं वह स्थान भी ब्रज कहा गया है। अमरकोश के लेखक ने ब्रज के तीन अर्थ प्रस्तुत किये हैं- गोष्ठ (गायों का बाड़ा), मार्ग और वृंद (झुण्ड)। संस्कृत के व्रज शब्द से ही हिन्दी का ब्रज शब्द बना है। वैदिक संहिताओं तथा रामायण, महाभारत आदि संस्कृत के प्राचीन धर्मग्रंथों में ब्रज शब्द गोशाला, गो-स्थान, गोचर भूमि के अर्थों में भी प्रयुक्त हुआ है। ऋग्वेद में यह शब्द गोशाला अथवा गायों के खिरक के रूप में वर्णित है। यजुर्वेद में गायों के चरने के स्थान को ब्रज और गोशाला को गोष्ठ कहा गया है। शुक्लयजुर्वेद में सुन्दर सींगों वाली गायों के विचरण स्थान से ब्रज का संकेत मिलता है। अथर्ववेद में गोशलाओं से सम्बधित पूरा सूक्त ही प्रस्तुत है। हरिवंश तथा भागवतपुराणों में यह शब्द गोप बस्त के रूप में प्रयुक्त हुआ है। स्कंदपुराण में महर्षि शांण्डिल्य ने ब्रज शब्द का अर्थ व्थापित वतलाते हुए इसे व्यापक ब्रह्म का रूप कहा है। अतः यह शब्द ब्रज की आध्यात्मिकता से सम्बधित है। वेदों से लेकर पुराणों तक में ब्रज का सम्बध गायों से वर्णित किया गया है। चाहे वह गायों को बांधने का बाडा हो, चाहे गोशाला हो, चाहे गोचर भूमि हो और चाहे गोप-बस्ती हो। भागवतकार की दृष्टि में गोष्ठ, गोकुल और ब्रज समानार्थक हैं। भागवत के आधार पर सूरदास की रचनाओं में भी ब्रज इसी अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। मथुरा और उसका निकटवर्ती भू-भाग प्राचीन काल से ही अपने सघन वनों, विस्तृत चारागाहों, गोष्ठों और सुन्दर गायों के लिये प्रसिद्ध रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म यद्यपि मथुरा नगर में हुआ था, तथापि राजनैतिक कारणों से उन्हें जन्म लेते ही यमुना पार की गोप-वस्ती में भेज दिया गया था, उनकी वाल्यावस्था एक बड़े गोपालक के घर में गोप, गोपी और गो-वृंद के साथ बीती थी। उस काल में उनके पालक नंदादि गोप गण अपनी सुरक्षा और गोचर-भूमि की सुविधा के लिये अपने गोकुल के साथ मथुरा निकटवर्ती विस्तृत वन-खण्डों में घूमा करते थे। श्रीकृष्ण के कारण उन गोप-गोपियों, गायों और गोचर-भूमियों का महत्व बड़ गया था। पौराणिक काल से लेकर वैष्णव सम्प्रदायों के आविर्भाव काल तक जैसे-जैसे कृश्णोपासना का विस्तार होता गया, वैसे-वैसे श्रीकृष्ण के उक्त परिकरों तथा उनके लीला स्थलों के गौरव की भी वृद्धि होती गई। इस काल में यहां गो-पालन की प्रचुरता थी, जिसके कारण व्रजखण्डों की भी प्रचुरता हो गई थी। इसलिये श्री कृष्ण के जन्म स्थान मथुरा और उनकी लीलाओं से सम्वधित मथुरा के आस-पास का समस्त प्रदेश ही ब्रज अथवा ब्रजमण्डल कहा जाने लगा था। इस प्रकार ब्रज शब्द का काल-क्रमानुसार अर्थ विकास हुआ है। वेदों और रामायण-महाभारत के काल में जहाँ इसका प्रयोग 'गोष्ठ'-'गो-स्थान' जैसे लघु स्थल के लिये होता था। वहां पौराणिक काल में 'गोप-बस्ती' जैसे कुछ बड़े स्थान के लिये किया जाने लगा। उस समय तक यह शब्द प्रदेशवायी न होकर क्षेत्रवायी ही था। भागवत में 'ब्रज' क्षेत्रवायी अर्थ में ही प्रयुक्त हुआ है। वहां इसे एक छोटे ग्राम की संज्ञा दी गई है। उसमें 'पुर' से छोटा 'ग्राम' और उससे भी छोटी बस्ती को 'ब्रज' कहा गया है। १६वीं शताब्दी में 'ब्रज' प्रदेशवायी होकर 'ब्रजमंडल' हो गया और तव उसका आकार ८४ कोस का माना जाने लगा था। उस समय मथुरा नगर 'ब्रज' में सम्मिलित नहीं माना जाता था। सूरदास तथा अन्य ब्रज-भाषा कवियों ने 'ब्रज' और मथुरा का पृथक् रूप में ही कथन किया है, जैसे पहिले अंकित किया जा चुका है। कृष्ण उपासक सम्प्रदायों और ब्रजभाषा कवियों के कारण जब ब्रज संस्कृति और ब्रजभाषा का क्षेत्र विस्तृत हुआ तब ब्रज का आकार भी सुविस्तृत हो गया था। उस समय मथुरा नगर ही नहीं, बल्कि उससे दूर-दूर के भू-भाग, जो ब्रज संस्कृति और ब्रज-भाषा से प्रभावित थे, व्रज अन्तर्गत मान लिये गये थे। वर्तमान काल में मथुरा नगर सहित मथुरा जिले का अधिकांश भाग तथा राजस्थान के डीग और कामबन का कुछ भाग, जहाँ से ब्रजयात्रा गुजरती है, ब्रज कहा जाता है। ब्रज संस्कृति और ब्रज भाषा का क्षेत्र और भी विस्तृत है। उक्त समस्त भू-भाग रे प्राचीन नाम, मधुबन, शुरसेन, मधुरा, मधुपुरी, मथुरा और मथुरामंडल थे तथा आधुनिक नाम ब्रज या ब्रजमंडल हैं। यद्यपि इनके अर्थ-बोध और आकार-प्रकार में समय-समय पर अन्तर होता रहा है। इस भू-भाग की धार्मिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक और संस्कृतिक परंपरा अत्यन्त गौरवपूर्ण रही है। .
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ब्रजभाषा
ब्रजभाषा मूलत: ब्रज क्षेत्र की बोली है। (श्रीमद्भागवत के रचनाकाल में "व्रज" शब्द क्षेत्रवाची हो गया था। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत के मध्य देश की साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने उत्थान एवं विकास के साथ आदरार्थ "भाषा" नाम प्राप्त किया और "ब्रजबोली" नाम से नहीं, अपितु "ब्रजभाषा" नाम से विख्यात हुई। अपने विशुद्ध रूप में यह आज भी आगरा, हिण्डौन सिटी,धौलपुर, मथुरा, मैनपुरी, एटा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम "केंद्रीय ब्रजभाषा" भी कह सकते हैं। ब्रजभाषा में ही प्रारम्भ में काव्य की रचना हुई। सभी भक्त कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, रहीम, रसखान, केशव, घनानंद, बिहारी, इत्यादि। फिल्मों के गीतों में भी ब्रजभाषा के शब्दों का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। .
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ब्रजभाषा साहित्य
ब्रजभाषा विक्रम की १३वीं शताब्दी से लेकर २०वीं शताब्दी तक भारत के मध्यदेश की मुख्य साहित्यिक भाषा एवं साथ ही साथ समस्त भारत की साहित्यिक भाषा थी। विभिन्न स्थानीय भाषाई समन्वय के साथ समस्त भारत में विस्तृत रूप से प्रयुक्त होने वाली हिन्दी का पूर्व रूप यह ‘ब्रजभाषा‘ अपने विशुद्ध रूप में यह आज भी आगरा, धौलपुर, मथुरा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है जिसे हम 'केंद्रीय ब्रजभाषा' के नाम से भी पुकार सकते हैं। ब्रजभाषा में ही प्रारम्भ में हिन्दी-काव्य की रचना हुई। सभी भक्त कवियों, रीतिकालीन कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, रहीम, रसखान, केशव, घनानन्द, बिहारी, इत्यादि। हिन्दी फिल्मों के गीतों में भी बृज के शब्दों का प्रमुखता से प्रयोग किया गया है। वस्तुतः उस काल में हिन्दी का अर्थ ही ब्रजभाषा से लिया जाता था | .
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भरतपुर
भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है। 29 वर्ग कि॰मी॰ में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। विश्व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना जाट शासक राजा सूरजमल ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व किले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है। लक्ष्मण इस राज परिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगडिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली .
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भारत के मेलों की सूची
कोई विवरण नहीं।
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भारत के शहरों की सूची
कोई विवरण नहीं।
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मुनि प्रणम्यसागर
मुनि प्रणम्यसागर, आचार्य विद्यासागर जी से दीक्षित एक दिगम्बर साधु है। अप्रैल २०१८ में इनका मुनि चंद्रसागर जी के साथ विहार दिल्ली के वैशाली क्षेत्र में हुआ। १४ मई २०१८ को महावीर वाटिका में इन दोनों मुनियों के सानिध्य में वर्धमान स्त्रोत विधान का आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ो लोगो ने भाग लिया। .
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मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव (जन्म:22 नवम्बर, 1939) एक भारतीय राजनेता हैं जो उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री व केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षा मन्त्री रह चुके है। वर्तमान में यह भारत की समाजवादी पार्टी के मार्गदर्शक हैं। .
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मैनपुरी षड्यन्त्र
पं० गेंदालाल दीक्षित (मैनपुरी काण्ड के नेता) का चित्र परतन्त्र भारत में स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिये उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी में सन् १९१५-१६ में एक क्रान्तिकारी संस्था की स्थापना हुई थी जिसका प्रमुख केन्द्र मैनपुरी ही रहा। मुकुन्दी लाल, दम्मीलाल, करोरीलाल गुप्ता, सिद्ध गोपाल चतुर्वेदी, गोपीनाथ, प्रभाकर पाण्डे, चन्द्रधर जौहरी और शिव किशन आदि ने औरैया जिला इटावा निवासी पण्डित गेंदालाल दीक्षित के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध काम करने के लिये उनकी संस्था शिवाजी समिति से हाथ मिलाया और एक नयी संस्था मातृवेदी की स्थापना की। इस संस्था के छिप कर कार्य करने की सूचना अंग्रेज अधिकारियों को लग गयी और प्रमुख नेताओं को पकड़कर उनके विरुद्ध मैनपुरी में मुकदमा चला। इसे ही बाद में अंग्रेजों ने मैनपुरी षडयन्त्र कहा। इन क्रान्तिकारियों को अलग-अलग समय के लिये कारावास की सजा हुई। मैनपुरी षडयन्त्र की विशेषता यह थी कि इसकी योजना प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश के निवासियों ने ही बनायी थी। यदि इस संस्था में शामिल मैनपुरी के ही देशद्रोही गद्दार दलपतसिंह ने अंग्रेजी सरकार को इसकी मुखबिरी न की होती तो यह दल समय से पूर्व इतनी जल्दी टूटने या बिखरने वाला नहीं था। मैनपुरी काण्ड में शामिल दो लोग - मुकुन्दीलाल और राम प्रसाद 'बिस्मिल' आगे चलकर सन् १९२५ के विश्वप्रसिद्ध काकोरी काण्ड में भी शामिल हुए। मुकुन्दीलाल को आजीवन कारावास की सजा हुई जबकि राम प्रसाद 'बिस्मिल' को तो फाँसी ही दे दी गयी क्योंकि वे भी मैनपुरी काण्ड में गेंदालाल दीक्षित को आगरा के किले से छुडाने की योजना बनाने वाले मातृवेदी दल के नेता थे। यदि कहीं ये लोग अपने अभियान में कामयाब हो जाते तो न तो सन् १९२७ में राजेन्द्र लाहिडी व अशफाक उल्ला खाँ सरीखे होनहार नवयुवक फाँसी चढते और न ही चन्द्रशेखर आजाद जैसे नर नाहर तथा गणेशशंकर विद्यार्थी सरीखे प्रखर पत्रकार की सन् १९३१ में जघन्य हत्याएँ हुई होतीं। .
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मैनपुरी ज़िला
मैनपुरी ज़िला (Mainpuri district, میںپوری ضلع) भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय मैनपुरी है। प्रशासनिक दृष्टि से यह ज़िला आगरा मण्डल के अन्तर्गत आता है। मैनपुरी ज़िले का केन्द्र आगरा के उत्तर-पूर्व में स्थित है। कई साल तक यह चौहान साम्राज्य का महत्वपूर्ण भाग रहा। सोलहवीं शताब्दी मैं इस पर मुगल साम्राज्य का आधिपत्य हो चुका था। अठारहवीं शताब्दी में यहाँ ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना हुई। कृषि आधारित उत्पादों के लिये मैनपुरी का प्रदेश में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। .
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राम प्रसाद 'बिस्मिल'
राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .
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रामेश्वर दयाल दुबे
रामेश्वर दयाल दुबे (२१ जून १९०८ - २४ जनवरी २०११) गांधीवादी चिन्तक, विचारक, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति से आजीवन जुड़े हुए हिन्दी-सेवा के लिए समर्पित, समृद्ध बाल साहित्यकार थे। .
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शहीद मेला
"शहीद मेला" देश में शहीदों की याद में लगने वाला सबसे लंबी अवधि का मेला है जो कि 19 दिनों तक मैनपुरी जनपद के बेवर नामक स्थान पर लगता है|इस मेले में शहीद देशभक्तों को याद किया जाता है| .
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शिवपाल सिंह यादव
शिवपाल सिंह यादव (जन्म: 6 अप्रैल 1955, सैफई, इटावा जिला) भारत के एक राजनेता हैं। सन् 1955 को बसंत पंचमी के पावन दिन में पिता सुघर सिंह तथा माता मूर्ति देवी के कनिष्ठ पुत्र के रूप में जन्मे शिवपाल सिंह यादव को मानवता के प्रति उदात्त भाव विरासत में मिला। उन्होंने जनसंघर्षों में भाग लेना और नेतृत्व करना अपने नेता व अग्रज मुलायम सिंह यादव जी से सीखा। इनके पिता स्वर्गीय सुधर सिंह अत्यंत सरल हृदय एवं कर्मठ किसान थे एवं माता स्वर्गीय श्रीमती मूर्ती देवी एक कुशल गृहणी थी। वे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं। मार्च 2017 में सम्पन्न हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में वे इटावा जिले के जसवन्तनगर विधान सभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये। ये मायावती सरकार के कार्यकाल में 5 मार्च 2012 तक प्रतिपक्ष के नेता भी रहे। शिक्षा: शिवपाल सिंह यादव ने गांव की प्राथमिक पाठशाला से पूर्व माध्यमिक शिक्षा उत्तम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके पश्चात् हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की शिक्षा के लिए जैन इण्टर काॅलेज, करहल, मैनपुरी में प्रवेश लिया। जहाँ से उन्होंने सन् 1972 में हाईस्कूल तथा सन् 1974 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई सन् 1976 में के०के०डिग्री कालेज इटावा (कानपुर विश्वविद्यालय) तथा सन् 1977 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी०पी०एड० शिक्षा प्राप्त की। परिवार: शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23-मई-1981 को हुआ। इनकी पत्नी का नाम सरला यादव है। शिवपाल सिंह यादव की एक पुत्री डाॅ० अनुभा यादव तथा एक पुत्र आदित्य यादव है। जीवन: सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में वे बाल्यकाल से ही सक्रिय रहे। क्षेत्र में घूम-घूमकर मरीजों को अस्पताल पहुँचाना, थाना-कचहरी में गरीबों को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करना व सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेना उनका प्रिय शगल था। वे नेताजी के चुनावों में पर्चें बाँटने से लेकर बूथ-समन्वयक तक की जिम्मेदारी उठाते रहे। मधु लिमये, बाबू कपिलदेव, चौधरी चरण सिंह, जनेश्वर मिश्र जी जैसे बड़े नेताओं के आगमन पर उनकी सभा करवाने की भी जिम्मेदारी भी शिवपाल जी के ही कंधे पर होती थी। वे 1988 से 1991 और पुनः 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गये। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला। तेरहवीं विधानसभा में वे जसवन्तनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। इसी वर्ष वे समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव बनाये गये। उन्होंने संगठन को मजबूत बनाने के लिए अनिर्वचनीय मेहनत की। पूरे उत्तर प्रदेश को कदमों से नाप दिया। उनकी लोकप्रियता और स्वीकारिता बढ़ती चली गयी। प्रमुख महासचिव के रूप में उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को नया आयाम दिया। प्रदेश अध्यक्ष रामशरण दास जी की अस्वस्थता को देखते हुए 01 नवम्बर, 2007 को मेरठ अधिवेशन में शिवपाल जी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। रामशरण दास जी के महाप्रयाण के पश्चात् 6 जनवरी, 2009 को वे पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बने। शिवपाल जी ने सपा को और अधिक प्रखर बनाया। नेताजी और जनेश्वर जी के मार्गदर्शन और उनकी अगुवाई में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित हुई। वे मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विरोधी दल की भूमिका दी गई। बसपा की बहुमत की सरकार के समक्ष नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी तलवार की धार पर चलने जैसा था। उन्होंने इस दायित्व को संभाला और विपक्ष तथा आम जनता के प्रतिकार के स्वर को ऊँचा रखा। वरिष्ठ नेता आजम खान की वापसी के दिन उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने में एक पल का भी विलम्ब नहीं किया, जो दर्शाता है कि उन्हें पद से अधिक सिद्धान्त और दलहित प्रिय है। बाढ़-सूखा, भूकम्प जैसी आपदाओं में जाकर मदद करने वालों में शिवपाल आगे खड़े रहते हैं। उन्होंने कई बार गिरफ्तारी दी, पुलिसिया उत्पीड़न को झेला, आम कार्यकर्ताओं के रक्षा कवच बने। यही कारण है कि सोलहवीं विधानसभा में समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान पर साठ फीसदी से अधिक मतों से जीतने वाले एक मात्र विधायक हैं। उन्होंने समय-समय पर कभी डा0 लोहिया, कभी अशफाक उल्ला खान, कभी चन्द्रशेखर आजाद तो कभी मधु लिमये की जयन्ती और अन्य अवसरों पर लेख लिखकर, छोटी-छोटी पुस्तकें प्रकाशित कर बँटवाकर नई पीढ़ी को गौरवमयी इतिहास से अवगत कराने का कार्य किया है। उनके अब तक दर्जनों लेख दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, जनाग्रह (बंगलुरू), डेली न्यूज एक्टिविस्ट, जन संदेश, कैनविज टाइम्स समेत कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने डा0 लोहिया के कई ऐतिहासिक उद्बोधनों यथा ’’द्रौपदी व सावित्री’’ दो कटघरे आदि को प्रकाशित कर बँटवाया और समाजवादी पार्टी में पढ़ने-लिखने की परम्परा को प्रोत्साहन दिया। वे साहित्यकारों का काफी सम्मान करते हैं। गोपालदास ’’नीरज’’ उदय प्रताप सिंह जैसे साहित्यकार व कवि उन्हें काफी स्नेह करते हैं, जिससे उनकी साहित्यिक अभिरूचि का पता चलता है। विपक्ष के दौरान उन्होंने जन संघर्षों व सामूहिक प्रतिकार के प्रत्येक रण में सेनानी की भूमिका निभाई। कई बार जेल गये, आन्दोलनों में चोटिल हुए पर जब भी आन्दोलन की घोषणा होती, शिवपाल सिंह यादव प्रथम पंक्ति में खड़े दिखते। समाजवादी पार्टी की 2012 में पुनः सरकार बनने के बाद उन्हें लोक निर्माण, सिंचाई, सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी, इन विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कई बड़े अधिकारियों व अभियन्ताओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की, एक अखबार ने उन्हें ’’कार्यवाही मिनिस्टर’’ तक की संज्ञा दे दी। उनका इतिहास समाजवादी पार्टी का इतिहास है, जन-संघर्षों व सक्रिय करूणा का जीवन-दर्शन है। .
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श्याम बहादुर वर्मा
श्याम बहादुर वर्मा (जन्म: 10 अप्रैल 1932 बरेली मृत्यु: 20 नवम्बर 2009 दिल्ली) हिन्दी के उद्भट विद्वान थे। उन्होंने विवाह नहीं किया। पुस्तकें ही उनकी जीवन संगिनी थीं। तीन कमरों वाले फ्लैट में श्याम बहादुर अकेले रहते थे। उनके प्रत्येक कमरे में फर्श से लेकर छत तक पुस्तकें ही पुस्तकें नज़र आती थीं। उन्होंने हिन्दी साहित्य को कई शब्द कोश प्रदान किये। दिल्ली विश्वविद्यालय से विजयेन्द्र स्नातक के मार्गदर्शन में उन्होंने हिन्दी काव्य में शक्तितत्व विषय पर शोध करके पीएच॰डी॰ की और डी॰ए॰वी॰ कॉलेज में प्राध्यापक हो गये। परन्तु अध्ययन का क्रम फिर भी न टूटा। गणित में एम॰एससी॰ से लेकर अंग्रेजी, संस्कृत, हिन्दी और प्राचीन भारतीय इतिहास जैसे अनेकानेक विषयों में उन्होंने एम॰ए॰ की परीक्षाएँ न केवल उत्तीर्ण कीं अपितु प्रथम श्रेणी के अंक भी अर्जित किये। बौद्धिक साधना के साक्षात् स्वरूप थे। उनकी सम्पूर्ण साहित्यिक सेवाओं के लिये हिन्दी अकादमी, दिल्ली ने वर्ष 1997-98 में साहित्यकार सम्मान प्रदान किया। 20 नवम्बर 2009 को नई दिल्ली में उनका निधन हुआ। .
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स्वामी अछूतानन्द
स्वामी अछूतानन्द(1879 - 1933) दलित चेतना प्रसारक साहित्यकार तथा समाजसुधारक थे। उनका मूल नाम 'हीरालाल' था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ था। उन्होने 'आदि-हिन्दू' आन्दोलन चलाया। .
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सैफ़ई
सैफ़ई (अंग्रेजी: Saifai), उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित एक कस्बा है। यह इटावा जिले की एक तहसील और विकास खंड भी है। यह मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष, निवर्तमान रक्षा मंत्री और निवर्तमान मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश का जन्मस्थान भी है। .
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सैयद अहमद ख़ान
सर सैयद अहमद ख़ान (उर्दू:, 17 अक्टूबर 1817 - 27 मार्च 1898) हिन्दुस्तानी शिक्षक और नेता थे जिन्होंने भारत के मुसलमानों के लिए आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की। उन्होने मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएण्टल कालेज की स्थापना की जो बाद में विकसित होकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। उनके प्रयासों से अलीगढ़ क्रांति की शुरुआत हुई, जिसमें शामिल मुस्लिम बुद्धिजीवियों और नेताओं ने भारतीय मुसलमानों को हिन्दुओं से अलग करने का काम किया और पाकिस्तान की नींव डाली। सय्यद अहमद खान ईस्ट इण्डिया कम्पनी में काम करते हुए काफ़ी प्रसिद्ध हुए। सय्यद अहमद १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय ब्रिटिश साम्राज्य के वफादार बने रहे और उन्होने बहुत से यूरोपियों की जान बचायी। बाद में उस संग्राम के विषय में उन्होने एक किताब लिखी: असबाब-ए-बग़ावत-ए-हिन्द, जिसमें उन्होने ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना की। ये अपने समय के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम नेता थे। उनका विचार था कि भारत के मुसलमानों को ब्रिटिश सरकार के प्रति वफ़ादार नहीं रहना चाहिये। उन्होने उर्दू को भारतीय मुसलमानों की सामूहिक भाषा बनाने पर ज़ोर दिया। .
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सीएनआई ब्यॉज इण्टरमीडिएट कॉलेज
सीएनआई ब्यॉज इण्टरमीडिएट कॉलेज सीएनाआई द्वारा देहरादून में संचालित बाल विद्यालय है। सीएनाआई द्वारा संचालित विद्यालय अन्य कई नगरों में भी हैं, जैसे आगरा, मैनपुरी, इटाह, मेरठ, कानपुर इत्यादि। देहरादून में संचालित विद्यालय में लगभग २,००० विद्यार्थी हैं। विद्यालय के बारे में सामान्य जानकारी इस प्रकार है:-.
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सीएनआई कन्या इंटर कॉलेज
सीएनआई कन्या इंटर कॉलेज सीएनाआई द्वारा देहरादून में संचालित कन्या विद्यालय है। सीएनाआई द्वारा संचालित विद्यालय अन्य कई नगरों में भी हैं, जैसे आगरा, मैनपुरी, इटाह, मेरठ, कानपुर इत्यादि। देहरादून में संचालित विद्यालय में लगभग ६५० विद्यार्थी हैं। विद्यालय के बारे में सामान्य जानकारी इस प्रकार है:-.
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जिगर मुरादाबादी
जिगर मुरादाबादी (उर्दू: جِگر مُرادآبادی), एक और नाम: अली सिकंदर (1890–1960), 20 वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध उर्दू कवि और उर्दू गजल के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक। उनकी अत्यधिक प्रशंसित कविता संग्रह "आतिश-ए-गुल" के लिए उन्हें 1958 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। .
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गेंदालाल दीक्षित
गेंदालाल दीक्षित (१८८८-१९२०) पं॰ गेंदालाल दीक्षित (अंग्रेजी:Pt. Genda Lal Dixit जन्म:१८८८, मृत्यु:१९२०) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा, महान क्रान्तिकारी व उत्कट राष्ट्रभक्त थे जिन्होंने आम आदमी की बात तो दूर, डाकुओं तक को संगठित करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खडा करने का दुस्साहस किया। दीक्षित जी उत्तर भारत के क्रान्तिकारियों के द्रोणाचार्य कहे जाते थे। उन्हें मैनपुरी षड्यन्त्र का सूत्रधार समझ कर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया किन्तु वे अपनी सूझबूझ और प्रत्युत्पन्न मति से जेल से निकल भागे। साथ में एक सरकारी गवाह को भी ले उड़े। सबसे मजे की बात यह कि पुलिस ने सारे हथकण्डे अपना लिये परन्तु उन्हें अन्त तक खोज नहीं पायी। आखिर में कोर्ट को उन्हें फरार घोषित करके मुकदमे का फैसला सुनाना पड़ा। .
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आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग
आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग एक ३०२ किलोमीटर लम्बा नियंत्रित-पहुंच द्रुतमार्ग या एक्सप्रेसवे है, जो भीड़ग्रस्त सड़कों पर यातायात के साथ साथ ही प्रदूषण और कार्बन पदचिह्नों को भी कम करने के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित है। यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है। इस द्रुतमार्ग ने आगरा और लखनऊ के बीच की दूरी को काफी कम कर दिया है। यह ६-लेन चौड़ा है, और भविष्य में ८-लेन तक विस्तरित हो सकता है। २१ नवंबर २०१६ को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री, अखिलेश यादव द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। .
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इटावा
इटावा भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह दिल्ली-कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग २ पर स्थित है। इटावा शहर, पश्चिमी मध्य उत्तर-प्रदेश राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। इटावा आगरा के दक्षिण-पूर्व में यमुना (जमुना) नदी के तट पर स्थित है। इस शहर में कई खड्ड हैं। जिनमें से एक पुराने शहर (दक्षिण) को शहर (उत्तर) से अलग करता है। पुल और तटबंध, दोनों हिस्सों को जोड़ते हैं। .
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कन्नौजी भाषा
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कस्बा
कस्बा से आपका अभिप्राय निम्नलिखित में से किसी एक से हो सकता है - .
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कुरावली
कुरावली भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मैनपुरी जिले में जीटी रोड पर स्थित एक कस्बा है।http://www.indiapost.gov.in/PincodeSearch.aspx?Pin_On.
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उत्तर प्रदेश
आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .
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उत्तर प्रदेश पुलिस
उत्तर प्रदेश पुलिस भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में २३६,२८६वर्ग.कि.मी के क्षेत्र में २० करोड़ जनसंख्या (वर्ष 2011 के अनुसार) में न्याय एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु उत्तरदायी पुलिस सेवा है। ये पुलिस सेवा न केवल भारत वरन विश्व की सबसे बड़ी पुलिस सेवा है। सेवा के महानिदेशक-पुलिस की कमान की शक्ति १.७० लाख के लगभग है जो 75 जिलों में ३१ सशस्त्र बटालियनों एवं अन्य विशिष्ट स्कंधों में बंटी व्यवस्था का नियामन करती है। इन स्कंधों में प्रमुख हैं: इंटेलिजेंस, इन्वेस्टिगेशन, एंटी-करप्शन, तकनीकी, प्रशिक्षण एवं अपराध-विज्ञान, आदि। .
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2017
उत्तर प्रदेश की सत्तरहवीं विधानसभा के लिए आम चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक सात चरणों में आयोजित हुए। इन चुनावों में मतदान प्रतिशत लगभग 61% रहा। भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया जबकि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी गठबन्धन को 54 सीटें और बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों से संतोष करना पड़ा। पिछले चुनावों में समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनायीं थी। 18 मार्च 2017 को भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य एवं दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। .
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उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची
उत्तर प्रदेश राज्य में कुल ३५ राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ४०६३५ किमी है; और ८३ राज्य राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ८४३२ किमी है। .
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उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची
उत्तर प्रदेश एक भारतीय राज्य है, जिसकी सीमाऐं नेपाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ मिलती हैं। राज्य के उत्तर में हिमालय है और दक्षिण में दक्कन का पठार स्थित है। इन दोनों के बीच में, गंगा, यमुना, घाघरा समेत कई नदियां पूरब की तरफ बहती हैं। उत्तर प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल है। 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 199,581,477 है। उत्तर प्रदेश को 18 मण्डलों के अंतर्गत 75 जिलों में विभाजित किया गया है। 2011 में 199,581,477 की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का 6.88 प्रतिशत मात्र है, लेकिन भारत की 16.49 प्रतिशत आबादी यहां निवास करती है। 2011 तक राज्य में 64 ऐसे नगर हैं, जिनकी जनसंख्या 100,000 से अधिक है। 1,640 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 4,542,184 की जनसंख्या के साथ कानपुर राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। .
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उदय प्रताप सिंह
उदय प्रताप सिंह (अंग्रेजी: Uday Pratap Singh, जन्म: 1932, मैनपुरी) एक कवि, साहित्यकार तथा राजनेता हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश से वर्ष 2002-2008 के लिये समाजवादी पार्टी की ओर से राज्य सभा का प्रतिनिधित्व किया। राज्य सभा में यद्यपि उनका कार्यकाल 2008 में समाप्त हो गया तथापि पूर्णत: स्वस्थ एवं सजग होने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने उन्हें दुबारा राज्य सभा के लिये नामित नहीं किया। जबकि वे पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के गुरू रह चुके हैं और जाति से यादव भी हैं। उदय प्रताप सिंह को उनकी बेवाक कविता के लिये आज भी कवि सम्मेलन के मंचों पर आदर के साथ बुलाया जाता है। साम्प्रदायिक सद्भाव पर उनका यह शेर श्रोता बार-बार सुनना पसन्द करते हैं: न तेरा है न मेरा है ये हिन्दुस्तान सबका है। नहीं समझी गयी ये बात तो नुकसान सबका है॥ इसी प्रकार सत्तासीनों द्वारा शहीदों के प्रति बरती जा रही उदासीनता पर उनका यह आक्रोश उनके चेले भी बर्दाश्त नहीं कर पाते किन्तु उदय प्रताप सिंह उनके मुँह पर भी अपनी बात कहने से कभी नहीं चूकते: कभी-कभी सोचा करता हूँ वे वेचारे छले गये हैं। जो फूलों का मौसम लाने की कोशिश में चले गये हैं॥ उदय प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं। .
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