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मेदक जिला

सूची मेदक जिला

मेदक जिला मेदक भारतीय राज्य तेलंगाना का एक जिला है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

8 संबंधों: तेलंगाना के जिले, बीदर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद, मेडक जिला, मेंडक, रंगारेड्डी जिला, हैदराबाद, के॰ चंद्रशेखर राव

तेलंगाना के जिले

तेलंगाना के जिले: दक्षिण भारत में तेलंगाना राज्य 31 जिलों में विभाजित है। तेलंगाना राज्य में एक 'जिला' एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई है, जिसका नेतृत्व जिला कलेक्टर, भारतीय प्रशासनिक सेवा से संबंधित अधिकारी है। .

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बीदर

बीदर दुर्ग के प्रवेशद्वार के पास बीदर कर्नाटक प्रान्त का एक शहर एवं जिला है। इसके उत्तर में नांदेड़ तथा उस्मानाबाद, पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिय में उस्मानाबाद, दक्षिण में गुलबर्गा तथा पूर्व में मेदक जिले स्थित हैं। इसके मध्य में २,३५० फुट ऊँचा पठार है। यहाँ का जलवायु शुष्क तथा स्वास्थ्यप्रद है। वर्षा का वार्षिक औसत ३७ इंच है। कृषि में ज्वार, गेहूँ, धान, बाजरा, कपास तथा तिलहन उगाए जाते हैं। .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्थान है। संस्थान का पहला सत्र सन २००८ में शरू हुआ। संस्थान तेलंगाना के मेदक जिले में स्थित है। संस्थान अभी अस्थाई कैम्पस में चल रहा है। सन २०१२ तक संस्थान अपने स्थाई कैम्पस में स्थानांतरित हो जाएगा। .

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मेडक जिला

कोई विवरण नहीं।

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मेंडक

मेदक जिला का मुख्यालय। .

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रंगारेड्डी जिला

रंगारेड्डी जिला रंगारेड्डी भारतीय राज्य तेलंगाना का एक जिला है। क्षेत्रफल - 7,493 वर्ग कि.मी.

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हैदराबाद

हैदराबाद (तेलुगु: హైదరాబాదు,उर्दू: حیدر آباد) भारत के राज्य तेलंगाना तथा आन्ध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी है, जो दक्कन के पठार पर मूसी नदी के किनारे स्थित है। प्राचीन काल के दस्तावेजों के अनुसार इसे भाग्यनगर के नाम से जाना जाता था। आज भी यह प्राचीन नाम अत्यन्त ही लोकप्रिय है। कहा जाता है कि किसी समय में इस ख़ूबसूरत शहर को क़ुतुबशाही परम्परा के पाँचवें शासक मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने अपनी प्रेमिका भागमती को उपहार स्वरूप भेंट किया था, उस समय यह शहर भागनगर के नाम से जाना जाता था। भागनगर समय के साथ हैदराबाद के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसे 'निज़ामों का शहर' तथा 'मोतियों का शहर' भी कहा जाता है। यह भारत के सर्वाधिक विकसित नगरों में से एक है और भारत में सूचना प्रौधोगिकी एवं जैव प्रौद्यौगिकी का केन्द्र बनता जा रहा है। हुसैन सागर से विभाजित, हैदराबाद और सिकंदराबाद जुड़वां शहर हैं। हुसैन सागर का निर्माण सन १५६२ में इब्राहीम कुतुब शाह के शासन काल में हुआ था और यह एक मानव निर्मित झील है। चारमीनार, इस क्षेत्र में प्लेग महामारी के अंत की यादगार के तौर पर मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने १५९१ में, शहर के बीचों बीच बनवाया था। गोलकुंडा के क़ुतुबशाही सुल्तानों द्वारा बसाया गया यह शहर ख़ूबसूरत इमारतों, निज़ामी शानो-शौक़त और लजीज खाने के कारण मशहूर है और भारत के मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में अपनी अलग अहमियत रखता है। निज़ामों के इस शहर में आज भी हिन्दू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द्र से एक-दूसरे के साथ रहकर उनकी खुशियों में शरीक होते हैं। अपने उन्नत इतिहास, संस्कृति, उत्तर तथा दक्षिण भारत के स्थापत्य के मौलिक संगम, तथा अपनी बहुभाषी संस्कृति के लिये भौगोलिक तथा सांस्कृतिक दोनों रूपों में जाना जाता है। यह वह स्थान रहा है जहां हिन्दू और मुसलमान शांतिपूर्वक शताब्दियों से साथ साथ रह रहे हैं। निजामी ठाठ-बाट के इस शहर का मुख्य आकर्षण चारमीनार, हुसैन सागर झील, बिड़ला मंदिर, सालारजंग संग्रहालय आदि है, जो देश-विदेश इस शहर को एक अलग पहचान देते हैं। यह भारतीय महानगर बंगलौर से 574 किलोमीटर दक्षिण में, मुंबई से 750 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में तथा चेन्नई से 700 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। किसी समय नवाबी परम्परा के इस शहर में शाही हवेलियाँ और निज़ामों की संस्कृति के बीच हीरे जवाहरात का रंग उभर कर सामने आया तो कभी स्वादिष्ट नवाबी भोजन का स्वाद। इस शहर के ऐतिहासिक गोलकुंडा दुर्ग की प्रसिद्धि पार-द्वार तक पहुँची और इसे उत्तर भारत और दक्षिणांचल के बीच संवाद का अवसर सालाजार संग्रहालय तथा चारमीनार ने प्रदान किया है। वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार इस महानगर की जनसंख्या ६८ लाख से अधिक है। .

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के॰ चंद्रशेखर राव

कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव, संक्षेप में केसीआर, जन्म 17 फरवरी, 1954) तेलंगाना के वर्तमान मुख्यमंत्री, तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख, तथा अलग तेलंगाना राष्ट्र आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता हैं। वे तेलंगाना के मेदक जिले के गजवेल विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उन्होने ०२ जून २०१४ को तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके पूर्व वे सिद्धिपेट से विधायक तथा महबूबनगर और करीमनगर से सांसद रह चुके हैं। वे केंद्र में श्रम और नियोजन मंत्री रह चुके हैं। तेलंगाना राष्ट्र समिति के गठन से पहले वे तेलुगु देशम पार्टी के सदस्य थे। उन्होंने अलग तेलंगाना राज्य के निर्माण की मांग करते हुए तेलगू देशम पार्टी छोड़ी। तेलंगाना राष्ट्र समिति 2004 कांग्रेस के साथ 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ी थी और उसे पांच सीटें मिली। जून 2009 तक वे संप्रग सरकार में थे, लेकिन अलग तेलंगाना राष्ट्र पर संप्रग के नकारात्मक रवैये के कारण उन्हें संप्रग से बाहर आ गए। .

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