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मेइतेइ लोग

सूची मेइतेइ लोग

मेइतेइ या मीतेइ पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य का बहुसंख्यक समुदाय है। वे मणिपुर के मूल निवासी हैं इसलिए उन्हें कभी-कभी 'मणिपुरी' भी कहा जाता है। धर्मिक दृष्टि से अधिकतर मेइतेइ हिन्दू हैं।, N. Lokendra, pp.

6 संबंधों: पाखंगबा, भाग्यचन्द्र, मणिपुर, मणिपुरी नृत्य, मेइतेइ मायेक लिपि, कंगला महल

पाखंगबा

पाखंगबा या इबुधोऊ पाखंगबा या पाइखोम्बा एक दिव्य प्राणी हैं जिनके प्रति भारत के मणिपुर क्षेत्र में लोग भारी आस्था रखते हैं। इन्हें अधिकतर सर्प-शरीर और मृग-सींगो रखने वाले एक अझ़दहा (ड्रैगन) के रूप में दर्शाया जाता है। गणतंत्र की स्थापना से पहले जब मणिपुर एक रियासत था तो इन्हें कई राजकीय चिन्हों में दर्शाया जाता था। माना जाता है कि इनका वास तालाबों, पर्वतों, गुफ़ाओं, वनों व अन्य पवित्र स्थानों पर रहता है। मणिपुर के मेइतेइ समुदाय के एक महत्वपूर्ण पूर्वज के बारे में मान्यता है कि वे पाखंगबा के रूप में प्रकट हुए थे। .

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भाग्यचन्द्र

राजर्षि भाग्यचन्द्र (या, जय सिंह महाराज या, चिंग-थांग खोम्बा 1748–1799), एक मीतई राजा थे जिन्होने १८वीं शताब्दी में शासन किया। उन्होने रासलीला नृत्य का आविष्कार किया। राजा के रूप में उनके सभी कार्य मिथकीय रूप ले चुके हैं। उन्होने ही मणिपुर में वैष्णव सम्प्रदाय का प्रसार किया। उन्हे दादा पामहीबा ने हिन्दू धर्म को राजकीय धर्म बनया था। श्रेणी:मणिपुर का इतिहास.

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मणिपुर

मणिपुर भारत का एक राज्य है। इसकी राजधानी है इंफाल। मणिपुर के पड़ोसी राज्य हैं: उत्तर में नागालैंड और दक्षिण में मिज़ोरम, पश्चिम में असम; और पूर्व में इसकी सीमा म्यांमार से मिलती है। इसका क्षेत्रफल 22,347 वर्ग कि.मी (8,628 वर्ग मील) है। यहां के मूल निवासी मेइती जनजाति के लोग हैं, जो यहां के घाटी क्षेत्र में रहते हैं। इनकी भाषा मेइतिलोन है, जिसे मणिपुरी भाषा भी कहते हैं। यह भाषा १९९२ में भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ी गई है और इस प्रकार इसे एक राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त हो गया है। यहां के पर्वतीय क्षेत्रों में नागा व कुकी जनजाति के लोग रहते हैं। मणिपुरी को एक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य माना जाता है। .

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मणिपुरी नृत्य

मणिपुरी नृत्य के रूप में रासलीला की प्रस्तुति मणिपुरी नृत्य में प्रायः राधा और कृष्ण के प्रेम का मंचन किया जाता है। मणिपुरी नृत्य भारत का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है। इसका नाम इसकी उत्पत्तिस्थल (मणिपुर) के नाम पर पड़ा है। यह नृत्य मुख्यतः हिन्दू वैष्णव प्रसंगों पर आधारित होता है जिसमें राधा और कृष्ण के प्रेम प्रसंग प्रमुख है। मणिपुरी नृत्‍य भारत के अन्‍य नृत्‍य रूपों से भिन्‍न है। इसमें शरीर धीमी गति से चलता है, सांकेतिक भव्‍यता और मनमोहक गति से भुजाएँ अंगुलियों तक प्रवाहित होती हैं। यह नृत्‍य रूप 18वीं शताब्‍दी में वैष्‍णव सम्‍प्रदाय के साथ विकसित हुआ जो इसके शुरूआती रीति रिवाज और जादुई नृत्‍य रूपों में से बना है। विष्‍णु पुराण, भागवत पुराण तथा गीतगोविन्द की रचनाओं से आई विषयवस्तुएँ इसमें प्रमुख रूप से उपयोग की जाती हैं। मणिपुर की मीतई जनजाति की दंतकथाओं के अनुसार जब ईश्‍वर ने पृथ्‍वी का सृजन किया तब यह एक पिंड के समान थी। सात लैनूराह ने इस नव निर्मित गोलार्ध पर नृत्‍य किया, अपने पैरों से इसे मजबूत और चिकना बनाने के लिए इसे कोमलता से दबाया। यह मीतई जागोई का उद्भव है। आज के समय तक जब मणिपुरी लोग नृत्‍य करते हैं वे कदम तेजी से नहीं रखते बल्कि अपने पैरों को भूमि पर कोमलता और मृदुता के साथ रखते हैं। मूल भ्रांति और कहानियाँ अभी भी मीतई के पुजारियों या माइबिस द्वारा माइबी के रूप में सुनाई जाती हैं जो मणिपुरी की जड़ हैं। महिला "रास" नृत्‍य राधा-कृष्‍ण की विषयवस्‍तु पर आधारित है जो बेले तथा एकल नृत्‍य का रूप है। पुरुष "संकीर्तन" नृत्‍य मणिपुरी ढोलक की ताल पर पूरी शक्ति के साथ किया जाता है। .

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मेइतेइ मायेक लिपि

मेइतेइ लिपि या मेइतेइ मायेक १८वीं सदी तक मणिपुरी भाषा के लिये इस्तेमाल होने वाली एक लिपि थी। धीरे-धीरे मणिपुरी लिखने के लिये इसका स्थान बंगाली लिपि ने ले लिया। २०वीं सदी के अन्त में इसे फिर से प्रयोग में लाने के लिये कुछ प्रयास किए जा रहे थे।, Pauthang Haokip, pp.

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कंगला महल

कंगला महल (Kangla Palace) मणिपुर की राजधानी इम्फाल में स्थित एक पुराना महल है। यह इम्फाल नदी के दोनों (पूर्वी और पश्चिमी) किनारों पर विस्तृत है लेकिन अब इसके अधिकतर भाग के खंडहर ही बचे हैं। मणिपुरी भाषा में 'कंगला' का अर्थ 'सूखी भूमि' होता है और यह महल प्राचीनकाल में मणिपुर के मेइतेइ राजाओं का निवास हुआ करता था। मणिपुर के प्राचीन इतिहास-ग्रंथ 'चेइथारोल कुम्माबा' के अनुसार इस स्थान पर महल ३३ ईसवी काल से खड़ा था हालांकि यहाँ समय के साथ-साथ नए निर्माण होते रहे। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

मेइतेइ समुदाय, मीतई, मीतई जनजाति

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