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मुर्गी

सूची मुर्गी

मुर्गा मुर्गी मुर्गी (पुलिंग: मुर्गा) एक पक्षी श्रेणी का मेरूदंडी प्राणी है। .

31 संबंधों: चिड़ियाघर, झाड़मुर्गी, झारखण्ड के आदिवासी त्योहार, तंदूरी पाककला, पशु बीमा, पेंगुइन, फ्रेंच फ्राइज़, बजड़ी, भारतीय अर्थव्यवस्था, महापद पक्षी, मैरीलैंड, मैकडॉनल्ड्स, मोरशिखा, सरीसृप, सलाद, साँप, सूप, हॉट डॉग, जाति (जीवविज्ञान), वसाबी, वात दिग्दर्शक, गारो, गैलीफ़ॉर्मेस, आहारीय लौह, किसान, कुक्कुट, कुक्कुट पालन, कृषि, केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली, अण्डा (खाद्य), अम्प्य्लोबक्तेरिओसिस

चिड़ियाघर

कैलिफोर्निया के सैन डिएगो चिड़ियाघर का प्रवेश द्वार, मई 2007. चिड़ियाघर या प्राणिउपवन (Zoological garden) वह संस्थान है जहाँ जीवित पशु पक्षियों को बहुत बड़ी संख्या में संग्रहीत कर रखा जाता है। लोग इन संग्रहित पशु पक्षियों को सुविधा और सुरक्षापूर्वक देख सकें इसकी भी व्यवस्था की जाती है। यहाँ उनके प्रजनन और चिकित्सा आदि की भी व्यवस्था होती है। दुनिया भर में आम जनता के लिए खोले गए प्रमुख पशु संग्रहालयों की संख्या अब 1,000 से भी अधिक है और उनमें से लगभग 80 प्रतिशत शहरों में हैं। जीवित पशु पक्षियों के संग्रह को रखने की परिपाटी बहुत प्राचीन है। ऐसे उपवनों के होने का सबसे पुराना उल्लेख चीन में ईसा के 1200 वर्ष पूर्व में मिलता है। चीन के चाऊ वंश के प्रथम शासक के पास उस समय ऐसा एक पशु पक्षियों का संग्रहालय था। ईसा के 2000 वर्ष पूर्व के मिस्रवासियों की कब्रों के आसपास पशुओं की हड्डियाँ पाई गई हैं, जिससे पता लगता है कि वे लोग आमोद प्रमोद के लिए अपने आसपास पशुओं को रखा करते थे। पीछे रोमन लोग भी पशुओं को पकड़कर अपने पास रखते थे। प्राचीन रोमनों और यूनानियों के पास ऐसे संग्रह थे जिनमें सिंह, बाघ, चीता, तेंदुए आदि रहते थे। ऐसा पता लगता है कि ईसा के 29 वर्ष पूर्व ऑगस्टस ऑक्टेवियस (Augustus Octavious) के पास 410 बाघ, 260 चीते और 600 अफ्रीकी जंतुओं का संग्रह था, जिसमें बाघ राइनोसिरस, हिपोपॉटैमस (दरियाई घोड़ा), भालू, हाथी, मकर, साँप, सील (seal), ईगल (उकाब) इत्यादि थे। पीछे जंतुओं के संग्रह की दिशा में उत्तरोत्तर वृद्धि हेती रही है और आज संसार के प्रत्येक देश और प्रत्येक बड़े-बड़े नगर में प्राणिउपवन विद्यमान हैं। .

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झाड़मुर्गी

झाड़मुर्गी (scrubfowl) मेगापोडिअस‎ जीववैज्ञानिक वंश के पक्षियों को कहते हैं। यह मुर्गी-जैसे मोटे, मध्यमाकार के मेगापोडिडाए जीववैज्ञानिक कुल के पक्षी होते हैं। इनका विस्तार दक्षिणपूर्व एशिया से ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम प्रशांत महासागर के द्वीपों तक है। झाड़मुर्गियाँ अपने अण्डों पर बैठकर उन्हें गरम रखने की बजाए सड़ते हुए पत्तों व अन्य वनस्पतियों की ढेरी बना लेते हैं जिनमें गरमी पैदा होती है और अण्डों को गरम रखती है। झाड़मुर्गी नर समय-समय पर ढेरी का निरीक्षण करता है और तापमान नियंत्रित रखने के लिये उसमें सामग्री डालता-हटाता है। .

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झारखण्ड के आदिवासी त्योहार

झारखंड में कुल ३२ जनजातिया मिलकर रह्ती है। एक विशाल सांस्कृतिक प्रभाव होने के साथ साथ, झारखंड यहाँ के मनाये जाने वाले त्योहारों की मेजबानी के लिए जाना जाता है। इसके उत्सव प्रकृति के कारण यह भारत की ज्वलंत आध्यात्मिक कैनवास पर भी कुछ अधिक रंग डालता है। यह राज्य प्राचीन काल के संदर्भ में बहुत मायने रखता है। झारखंड में पूरे मज़ा और उल्लास के साथ सभी त्योहारो को मनाया जाता है। देशभर में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों को भी झारखंड में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस राज्य में मनाये जाने वाले त्योहारों से झारखंड का भारत में सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत उपस्थिति का पता चलता है। हालाकि झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी त्योहारों के उत्सव में होता है। यहाँ की सबसे प्रमुख, उल्लास के साथ मनायी जाने वाली त्योहारो में से एक है सरहुल। .

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तंदूरी पाककला

तंदूरी पाककला तंदूरी पाककला मिट्टी की बेलनाकार भट्टी या तंदूर में लकड़ी के कोयले की आंच पर भोजन पकाने की एक पद्धति है। .

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पशु बीमा

परवरिश पशुओ और बेचने के लिए पोल्ट्री अप्रत्याशित और जोखिम भरा हो सकता है। यही कारण है कि एक ठोस और पशुधन या मुर्गी बीमा पॅलिसी एक आवश्यकता है वह है। यह बीमा उन अप्रत्याशित घटनाओं और दुर्घटनाओं कि अपने जानवरों और अपनी आजीविका तबाह कर सकते हैं से अपने निवेश की सुरक्षा करता है। फ़ार्म पशु बीमा अपने विशेष पशु समूह को कवर के लिए अनुकूलित किया जा सकता है, तो पशु, सूअर, भेड, एमु, बकरी, मुर्गी या अपने खेत पर इनमें से किसी भी संयोजन है या नहीं। भारतीय कृषि उद्योग, एक और हरित क्रांति कि इसे और अधिक आकर्षक और लाभदायक बनाता के कगार पर भारत में कुल कृषि उत्पादन के रूप में अगले दस साल में दोगुना होने की संभावना है और वह भी एक जैविक तरीके से| पशु बीमा पॉलिसी अपने मवेशियों है, जो एक ग्रामीण समुदाय की सबसे मूल्यवान संपत्ति है कि मृत्यु के कारण वित्तीय नुकसान से भारतीय ग्रामीन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रदान की जाती है। नीति होने गाय, बैल या तो सेक्स एक पशु चिकित्सक/ सर्जन द्वारा ध्वनि और उत्तम स्वास्थ्य और चोट या रोग से मुक्त होने के रूप में प्रमाणित की भैंस और जो माइक्रो फ़ाइनेंस संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों के सदस्य कर रहे हैं व्यक्तियों को शामिल किया, सरकार प्रायोजित संगठनों और इस तरह के संबंध समूहों/ ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र में संस्थानों| पशु बीमा .

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पेंगुइन

पेंगुइन (पीढ़ी स्फेनिस्कीफोर्मेस, प्रजाति स्फेनिस्कीडाई) जलीय समूह के उड़ने में असमर्थ पक्षी हैं जो केवल दक्षिणी गोलार्द्ध, विशेष रूप से अंटार्कटिक में पाए जाते हैं। पानी में जीवन के लिए अत्याधिक अनुकूलित, पेंगुइन विपरीत रंगों, काले और सफ़ेद रंग के बालों वाला पक्षी है और उनके पंख हाथ (फ्लिपर) बन गये हैं। पानी के नीचे तैराकी करते हुए अधिकांश पेंगुइन पकड़ी गयी छोटी मछलियों, मछलियों, स्क्विड और अन्य जलीय जंतुओं को भोजन बनाते हैं। वे अपना लगभग आधा जीवन धरती पर और आधा जीवन महासागरों में बिताते हैं। हालांकि सभी पेंगुइन प्रजातियां दक्षिणी गोलार्द्ध की मूल निवासी हैं, लेकिन ये केवल अंटार्कटिक जैसे ठंडे मौसम में ही नहीं पाई जातीं. वास्तव में, पेंगुइन की कुछ प्रजातियों में अब केवल कुछ ही दक्षिण में रहती हैं। कई प्रजातियां शीतोष्ण क्षेत्र में पाई जाती हैं और एक प्रजाति गैलापागोस पेंगुइन भूमध्य रेखा के पास रहती है। सबसे बड़ी जीवित प्रजाति एम्परर पेंगुइन (एप्टेनोडाईट्स फ़ोर्सटेरी): है - वयस्क की उंचाई औसतन 1.1 मी (3 फुट 7 इंच) लंबा और वजन 35 किलोग्राम (75 पौंड) होता है। सबसे छोटी प्रजाति लिटिल ब्लू पेंगुइन (यूडिपटुला माइनर), फेयरी पेंगुइन के नाम से भी जानी जाती है, की उंचाई लगभग 40 सेमी (16 इंच) और वजन 1 किलोग्राम (2.2 पौंड) होता है। वर्तमान में पाए जाने वाले पेंगुइनों में, बड़े पेंगुइन ठंडे क्षेत्रों में निवास करते हैं, जबकि छोटे पेंगुइन आम तौर पर शीतोष्ण या उष्णकटिबंधीय जलवायु में भी पाए जाते हैं (इसे भी देखें बर्गमैन'ज़ रूल). कुछ प्रागैतिहासिक प्रजातियां आकार में व्यस्क मानव जितनी उंची तथा वजनी थीं (अधिक जानकारी के लिए नीचे देखें). ये प्रजाति अंटार्कटिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं थी; बल्कि इसके विपरीत, अंटार्कटिक उपमहाद्वीप के क्षेत्रों में ज्यादा विविधता मिलती थी और कम से कम एक विशाल पेंगुइन उस क्षेत्र में मिला है जो भूमध्य रेखा के 35 से 2000 किमी दक्षिण से ज्यादा दूर नहीं था तथा जहां का वातावरण आज के अपेक्षाकृत ज्यादा गरम था। .

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फ्रेंच फ्राइज़

चिप्स या फ्रेंच फ्राइज़ (अमेरिकी अंग्रेज़ी में, या चिप्स कभी-कभी बड़े अक्षरों में लिखा गया), फ्राइज़, या फ्रेंच फ्राइड पोटैटोज़ पूर्ण रूप से तले हुए आलू के पतले व लम्बे टुकड़े होते हैं। अमेरिकी प्रायः तले हुए आलू के किसी भी लम्बे टुकड़े को फ्राइज़ कहते हैं, जबकि विश्व के अन्य भागों में, विशेषकर युनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और न्यू जीलैंड में तले हुए आलूओं के पतले, लम्बे टुकड़े फ्राइज़ कहे जाते हैं जिससे कि उनमें और आलू के मोटे टुकड़ों से बने चिप्स में विभेद किया जा सके। फ़्रांस में फ्रेंच फ्राइज़ को फ्राइट्स या पोमेज़ फ्राइट्स कहते हैं, यह एक ऐसा नाम है जिसका प्रयोग अनेक फ़्रांसिसी न बोलने वाले देशों में भी किया जाता है, अन्य भाषाओं में इनके नामों का अर्थ "फ्राइड पोटैटोज़" या "फ्रेंच पोटैटोज़" है। .

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बजड़ी

बाजरा फसल फल रूप में लगे बाजरे के दाने अथवा सीटे (''Pennisetum glaucum'') बाजरा एक प्रमुख फसल है। एक प्रकार की बड़ी घास जिसकी बालियों में हरे रंग के छोटे छोटे दाने लगते हैं। इन दानों की गिनती मोटे अन्नों में होती है। प्रायाः सारे उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में लोग इसे खाते हैं। बाजरा मोटे अन्नों में सबसे अधिक उगाया जाने वाला अनाज है। इसे अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप में प्रागेतिहासिक काल से उगाया जाता रहा है, यद्यपि इसका मूल अफ्रीका में माना गया है। भारत में इसे बाद में प्रस्तुत किया गया था। भारत में इसे इसा पूर्व २००० वर्ष से उगाये जाने के प्रमाण मिलते है। इसका मतलब है कि यह अफ्रीका में इससे पहले ही उगाया जाने लगा था। यह पश्चिमी अफ्रीका के सहल क्षेत्र से निकल कर फैला है। बाजरे की विशेषता है सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उग जाना, तथा ऊँचा तापक्रम झेल जाना। यह अम्लीयता को भी झेल जाता है। यही कारण है कि यह उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां मक्का या गेहूँ नही उगाये जा सकते। आज विश्व भर में बाजरा २६०,००० वर्ग किलोमीटर में उगाया जाता है। मोटे अन्न उत्पादन का आधा भाग बाजरा होता है। इस अनाज की खेती बहुत सी बातों में ज्वार की खेती से मिलती जुलती होती है। यह खरीफ की फसल है और प्रायः ज्वार के कुछ पीछे वर्षा ऋतु में बोई और उससे कुछ पहले अर्थात् जाड़े के आरंभ में काटी जाती हैं। इसके खेतों में खाद देने या सिंचाई करने की विशेष आवश्यकता नहीं होती। इसके लिये पहले तीन चार बार जमीन जोत दी जाती है और तब बीज बो दिए जाते हैं। एकाध बार निराई करना अवश्य आवश्यक होता है। इसके लिये किसी बहुत अच्छी जमीन की आवश्यकता नहीं होती और यह साधारण से साधारण जमीन में भी प्रायः अच्छी तरह होता है। यहाँ तक कि राजस्थान की बलुई भूमि में भी यह अधिकता से होता है। गुजरात आदि देशों में तो अच्छी करारी रूई बोने से पहले जमीन तयार करने के लिय इसे बोते हैं। बाजरे के दानों का आटा पीसकर और उसकी रोटी बनाकर खाई जाती है। इसकी रोटी बहुत ही बलवर्धक और पुष्टिकारक मानी जाती है। कुछ लोग दानों को यों ही उबालकर और उसमें नमक मिर्च आदि डालकर खाते हैं। इस रूप में इसे 'खिचड़ी' कहते हैं। कहीं कहीं लोग इसे पशुओं के चारे के लिये ही वोते हैं। वैद्यक में यह वादि, गरम, रूखा, अग्निदीपक पित्त को कुपित करनेवाला, देर में पचनेवाला, कांतिजनक, बलवर्धक और स्त्रियों के काम को बढा़नेवाला माना गया है। .

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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है और केवल २.४% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के १७% भाग को शरण प्रदान करता है। १९९१ से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है। सुधारों से पूर्व मुख्य रूप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियंत्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परंतु आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है। हंलाकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुये हैं। .

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महापद पक्षी

महापद (megapode) मोटे और मध्यमाकार के मुर्गी-जैसे, छोटे सिर और बड़े पंजों वाले पक्षियों का एक जीववैज्ञानिक कुल है। इनका नाम "महा" (यूनानी सजातीय शब्द: मेगा, μέγα) और "पद" (यूनानी सजातीय शब्द: पॉड, अर्थ: पैर) के मिश्रण से बना है। यह अधिकतर भूरे और काले रंग के होते हैं। इनकी विशेषता है कि इनके शिषु अण्डे से निकलते ही विकसित-रूप से चलने-फिरने व छोटे ग्रास को पकड़ने में सक्षम होते हैं। .

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मैरीलैंड

मैरीलैंड राज्य एक अमेरिकी राज्य है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य अटलांटिक क्षेत्र में स्थि‍त है, यह वर्जीनिया, पश्चिम वर्जीनिया की सीमा से लगा है और इसके दक्षिण और पश्चिम में कोलंबिया जिला, इसके उत्तर में पेंसिल्वेनिया और पूर्व में डेलावेयर है। कुल क्षेत्र के मामले में मैरीलैंड यूरोप के बेल्जियम देश के समकक्ष है। अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के अनुसार अन्य राज्यों की तुलना में मैरीलैंड की घरेलू औसत आय सबसे अधिक है, 2006 में इसने नई जर्सी को पीछे छोड़ दिया; मैरीलैंड की औसत घरेलू आय 2007 में 68,080 डॉलर थी। 2009 में, मैरीलैंड ने 2008 के अपने 70,545 डॉलर की सबसे अधिक औसत आय के कारण अमेरिकी राज्यों में तीसरी बार लगातार प्रथम स्थान प्राप्त किया। मैरीलैंड ऐसा सातवां राज्य है जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान को अंगीकार किया और इसके तीन उपनाम पड़े, ओल्ड लाइन स्टेट, फ्री स्टेट और चेसापिक बे स्टेट नाम का भी कभी-कभी इस्तेमाल होता है। मैरीलैंड जीवन विज्ञान अनुसंधान और विकास का एक गठजोड़ है, जहां 350 से अधिक जैव प्रौद्योगिकी कंपनियां स्थित हैं, जो संयुक्त राज्य में इस क्षेत्र में मैरीलैंड को तीसरा सबसे बड़ा गठजोड़ बनाती हैं। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, जॉन्स हॉपकिन्स एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी, यूनिवर्सिटी सिस्टम ऑफ मैरीलैंड एक से अधिक परिसर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी(NIST), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (NIMH), फेडरल फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA), हावर्ड हजेज मेडिकल इंस्टीट्यूट, केलेरा जीनोमिक्स कंपनी, ह्यूमन जीनोम साइंसेस (HGS), जे. क्रेग वेंटर इंस्टीट्यूट और हाल ही में अस्ट्रज़ेनेका द्वारा खरीदी गयी मेडीम्यून सहित अनुसंधान और विकास में दिलचस्पी रखने वाले संस्थान और एजेंसियां मैरीलैंड में स्थित हैं। .

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मैकडॉनल्ड्स

मैकडॉनल्ड्स कार्पोरेशन (McDonald's Corporation), हैमबर्गर फास्ट फ़ूड रेस्तरां की विश्व की सबसे बड़ी श्रृंखला है, जो प्रतिदिन 58 मिलियन से ज्यादा ग्राहकों की सेवा करती है। खुद की प्रमुख रेस्तरां श्रृंखला के अतिरिक्त, मैकडॉनल्ड्स कार्पोरेशन के पास 2008 तक प्रेट ए मैनेजर में अल्पसंख्यक हिस्सेदारी थी, यह 2006 तक चिपोटल मेक्सिकन ग्रिल में प्रमुख निवेशक रही थी, और 2007 तक बोस्टन मार्केट रेस्तरां श्रृंखला का स्वामित्व भी इसके अधीन था। एक मैकडॉनल्ड्स रेस्तरां को फ्रेंचाइजी, सहबद्ध या स्वयं कार्पोरेशन द्वारा संचालित किया जाता है। कार्पोरेशन की आय किराये, रॉयल्टी और फ्रेंचाइजी द्वारा दी गयी फीस, साथ ही कंपनी द्वारा संचालित रेस्तरां में होने वाली बिक्री से भी होती है।२०१५ में, कंपनी के एक ब्रांड के ८१ बिलियन यू.एस.डॉलर के एक से अधिक अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, स्टारबक्स दोगुना से अधिक मूल्य था। मैकडॉनल्ड्स इतनी भूमंडलीकृत कि बिग मैक सूचकांक के पैमाने है कि एक बिग मैक बर्गर की कीमत का उपयोग कर दोनों देशों के बीच क्रय शक्ति अब एक समानता के उपाय का वैश्विक सूचक है।कीमत के बावजूद, बिग एमएसीएस दुनिया भर में २०१५ में मैकडॉनल्ड्स २५.४१ बिलियन यू.एस.

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मोरशिखा

मोरशिखा मोरशिका (वानस्पतिक नाम: Celosia cristata) एक पौधा है जिसका फूल मोर (या मुर्गे) के शिखा जैसा दिखता है। इसलिए हिन्दी में इसे 'मुर्गे का फूल' या 'लाल मुर्गा' भी कहते हैं। यह पौधा घर के अन्दर और बाहर समान रूप से उगाया जा सकता है। इस पौधे का उपयोग प्रायः सजाने के लिए किया जाता है। इसकी पत्तियाँ और फूल सब्जी के रूप में भी प्रयुक्त होते हैं। भारत, पश्चिमी अफ्रीका, दक्षिणी अफ्रीका में सब्जी के रूप में इनकी खेती होती है। .

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सरीसृप

सरीसृप (Reptiles) प्राणी-जगत का एक समूह है जो कि पृथ्वी पर सरक कर चलते हैं। इसके अन्तर्गत साँप, छिपकली,मेंढक, मगरमच्छ आदि आते हैं। .

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सलाद

एक सलाद की थाली. व्यंजनों के व्यापक विविध प्रकार में से एक है सलाद जिसमें शामिल है वेजीटेबल सलाद; पास्ता सलाद, फलियां, अंडा, या अनाज सलाद; मिश्रित सलाद जिसमें मांस, अंडा, या सीफ़ूड होता है; और फ्रुट सलाद.

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साँप

साँप साँप या सर्प, पृष्ठवंशी सरीसृप वर्ग का प्राणी है। यह जल तथा थल दोनों जगह पाया जाता है। इसका शरीर लम्बी रस्सी के समान होता है जो पूरा का पूरा स्केल्स से ढँका रहता है। साँप के पैर नहीं होते हैं। यह निचले भाग में उपस्थित घड़ारियों की सहायता से चलता फिरता है। इसकी आँखों में पलकें नहीं होती, ये हमेशा खुली रहती हैं। साँप विषैले तथा विषहीन दोनों प्रकार के होते हैं। इसके ऊपरी और निचले जबड़े की हड्डियाँ इस प्रकार की सन्धि बनाती है जिसके कारण इसका मुँह बड़े आकार में खुलता है। इसके मुँह में विष की थैली होती है जिससे जुडे़ दाँत तेज तथा खोखले होते हैं अतः इसके काटते ही विष शरीर में प्रवेश कर जाता है। दुनिया में साँपों की कोई २५००-३००० प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसकी कुछ प्रजातियों का आकार १० सेण्टीमीटर होता है जबकि अजगर नामक साँप २५ फिट तक लम्बा होता है। साँप मेढक, छिपकली, पक्षी, चूहे तथा दूसरे साँपों को खाता है। यह कभी-कभी बड़े जन्तुओं को भी निगल जाता है। सरीसृप वर्ग के अन्य सभी सदस्यों की तरह ही सर्प शीतरक्त का प्राणी है अर्थात् यह अपने शरीर का तापमान स्वंय नियंत्रित नहीं कर सकता है। इसके शरीर का तापमान वातावरण के ताप के अनुसार घटता या बढ़ता रहता है। यह अपने शरीर के तापमान को बढ़ाने के लिए भोजन पर निर्भर नहीं है इसलिए अत्यन्त कम भोजन मिलने पर भी यह जीवीत रहता है। कुछ साँपों को महीनों बाद-बाद भोजन मिलता है तथा कुछ सर्प वर्ष में मात्र एक बार या दो बार ढेड़ सारा खाना खाकर जीवीत रहते हैं। खाते समय साँप भोजन को चबाकर नहीं खाता है बल्कि पूरा का पूरा निकल जाता है। अधिकांश सर्पों के जबड़े इनके सिर से भी बड़े शिकार को निगल सकने के लिए अनुकुलित होते हैं। अफ्रीका का अजगर तो छोटी गाय आदि को भी नगल जाता है। विश्व का सबसे छोटा साँप थ्रेड स्नेक होता है। जो कैरेबियन सागर के सेट लुसिया माटिनिक तथा वारवडोस आदि द्वीपों में पाया जाता है वह केवल १०-१२ सेंटीमीटर लंबा होता है। विश्व का सबसे लंबा साँप रैटिकुलेटेड पेथोन (जालीदार अजगर) है, जो प्राय: १० मीटर से भी अधिक लंबा तथा १२० किलोग्राम वजन तक का पाया जाता है। यह दक्षिण -पूर्वी एशिया तथा फिलीपींस में मिलता है। .

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सूप

फ़्रांसिसी प्याज सूप का एक कटोरा रोटी के साथ घर में बना हुआ चिकन नूडल सूप सूप या शोरबा एक प्रकार का खाद्य पदार्थ है जो मीट और सब्जियों जैसी सामग्रियों को, स्टॉक, जूस, पानी या किसी अन्य तरल पदार्थ में मिलाकर बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त गर्म सूप की अन्य विशेषता यह है कि इनमें एक पात्र में तरल पदार्थ में ठोस सामग्रियों को तब तक उबाला जाता है जब तक कि स्वाद उनसे निकलर तरल पदार्थ में न समा जाए और वह एक शोरबे जैसा हो जाये.

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हॉट डॉग

हॉट डॉग (फ्रैंकफर्टर, वीनर) अक्सर समान बनावट तथा विशिष्ट गंध युक्त मुलायम मांस के घोल से बनाया जाने वाला एक नम सॉसेज है जिसमे विशेष रूप से गौमांस या सूअर के मांस का प्रयोग किया जाता है, हालांकि हाल ही में कुछ किस्मों में इनके स्थान पर चिकन या टर्की के मांस का भी प्रयोग किया गया है। अधिकांश किस्मों को पूरी तरह पकाया जाता है, उपचारित किया जाता है या धुएं में सुखाया जाता है। हॉट डॉग को अक्सर गर्म कर के हॉट डॉग बन के भीतर डाल कर परोसा जाता है, जो कि विशिष्ट मुलायम, कटे हुए बेलनाकार टुकड़े होते हैं। इन्हें सरसों, केचप, प्याज़, मेयोनीज़, स्वादानुसार कटी हुई सब्जियों, पनीर, बेकन (सूअर की पीठ तथा पुट्ठों का मांस), मिर्च या बंद गोभी के कटे हुए टुकड़ों से सजाया जा सकता है। कुछ हॉट डॉग मुलायम होते हैं जबकि कुछ ज्यादा पकाए गए (अपेक्षाकृत सख्त) होते हैं। .

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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वसाबी

ब्रस्सिकासाए परिवार का एक सदस्य है, जिसमें बन्दगोभी, सहिजन, सरसों, शामिल है। यह "जापानी हॉर्सरैडिश" के नाम से जाना जाता है, इसके जड़ का उपयोग एक मसाले के रूप में किया जाता है जिसका स्वाद बेहद तीखा होता है। इसका तीखापन सरसों के समान काली मिर्च में काप्सैसिन से अधिक होता है, जिसका विषाद जीभ के बजाय नासिका को अधिक उत्तेजित करता है। इसका पौधा जापान में पर्वतीय नदी की घाटी में जलधाराओं के किनारे की समतल भूमि पर स्वाभाविक रूप से पनपता है। वहां अन्य प्रजातियां भी हैं जैसे डब्ल्यू कोराना और डब्ल्यू तेत्सुइगी जो इस्तेमाल में लायी जाती हैं। बाजार में दो मुख्य प्रजातियां हैं डब्ल्यू जापोनिका सीवी. 'दारूमा' और सीवी.

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वात दिग्दर्शक

कैथेड्रल सेंट एटिएन्ने ऑफ बोर्जेस (फ्रांस) की छत पर वात दिग्दर्शक और बेल वात दिग्दर्शक हवा की दिशा दिखाने वाला एक यंत्र है। इन्हें आम तौर पर एक इमारत के उच्चतम बिंदु पर एक वास्तु सज्जा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि आंशिक रूप से कार्यात्मक, वात दिग्दर्शक आम तौर पर सजावटी होते हैं जिसमें अक्सर एक पारम्परिक मुर्गे की डिजाइन दिखती है जिसके साथ कम्पास के बिंदुओं को सूचित करने वाले वर्ण लिखे होते हैं। अन्य आम रूपांकनों में जहाज, तीर और घोड़े शामिल हैं। सभी वात दिग्दर्शक में सूचक नहीं होते हैं। अंग्रेज़ी का शब्द 'वेन' (vane) एंग्लो-सेक्सन शब्द फेन (fane) से लिया गया है जिसका अर्थ ध्वज होता है। .

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गारो

पारम्परिक वेशभूषा में एक गारो दम्पत्ति गारो, भारत की एक प्रमुख जनजाति है। गारो लोग भारत के मेघालय राज्य के गारो पर्वत तथा बांग्लादेश के मयमनसिंह जिला के निवासी आदिवासी हैं। इसके अलावा भारत में असम के कामरूप, गोयालपाड़ा और कारबि आंलं जिला में तथा बांग्लादेश में टांगाइल, सिलेट, शेरपुर, नेत्रकोना, सुनामगंज, ढाका और गाजीपुर जिलों में भी गारो लोग रहते हैं। .

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गैलीफ़ॉर्मेस

गैलीफ़ॉर्मेस पक्षियों का वह वर्ग है जिसमें टर्की, ग्राउज़, मुर्गियाँ और फ़ीसण्ट आते हैं। इनकी विश्वभर में २५० से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। *.

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आहारीय लौह

आहारीय लौह की आवश्यकता लाल रक्त कोशिकाओं का हिमोग्लोबिन बनाने के लिए होती है। फ़ेफ़डों से शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाने के लियें भी यही सहायक होती है। शरीर का कुछ लौह तत्त्व यकृत में भंडार हो जाता है। विटामिन बी के चयापचय के लिए भी लौह आवश्यक होता है। लिंग और शरीर की क्रियात्मक स्थिति के अनुसार दैनिक आहार में केवल २-४ मि.ग्रा.

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किसान

किसान उन्हें कहा जाता है, जो खेती का काम करते हैं। इन्हें कृषक और खेतिहर के नाम से भी जाना जाता है। ये बाकी सभी लोगो के लिए खाद्य सामग्री का उत्पादन करते है। इसमें फसलों को उगाना, बागों में पौधे लगाना, मुर्गियों या इस तरह के अन्य पशुओं की देखभाल कर उन्हें बढ़ाना भी शामिल है। कोई भी किसान या तो खेत का मालिक हो सकता है या उस कृषि भूमि के मालिक द्वारा काम पर रखा गया मजदूर हो सकता है। अच्छी अर्थव्यवस्था वाले जगहों में किसान ही खेत का मालिक होता है और उसमें काम करने वाले उसके कर्मचारी या मजदूर होते हैं। हालांकि इससे पहले तक केवल वही किसान होता था, जो खेत में फसल उगाता था और पशुओं, मछलियों आदि की देखभाल कर उन्हें बढ़ाता था। .

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कुक्कुट

बत्तख आर्थिक महत्व के पक्षी जिनका पालन उनके अंडे या मांस के लिए होता है उन्हें पोल्ट्री पक्षी एवं इस उद्योग को पोल्ट्री उद्योग कहते हैं। मुर्गी एवं बत्तख प्रमुख पोल्ट्री पक्षी हैं जिनसे अंडा एवं मांस दोनों प्राप्त होते हैं। आधुनिक पोल्ट्री में छोटे आकार एवं कम अंडा देने वाली मुर्गीयों के स्थान पर रोड आलैंड, लाल सफेद लेग हार्न, फायोपोलिथ रौक, बाइन डाट, डोर्किग मिनोरका आदि अधिक अंडे देने वाली मुर्गियों के पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। .

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कुक्कुट पालन

एक विशाल मुर्गी पालन गृह मांस अथवा अण्डे की प्राप्ति के लिये मुर्गी, टर्की, बत्तख आदि जानवरों को पालना कुक्कुट पालन (Poultry farming) कहलाता है। .

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कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

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केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली

केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (Central Avian Research Institute of India (CARI)) उत्तर प्रदेश में बरेली के पास इज्जतनगर में स्थित है। इसमें कुक्कुट विज्ञान से सम्बन्धित विविध विषयों पर शोध होता है। इसकी स्थापना १९७९ में हुई थी। यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अन्तर्गत कार्य करती है। केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली .

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अण्डा (खाद्य)

मुर्गी के दो अण्डे: एक भूरा, दूसरा सफेद मुर्गी का कचा अण्डा तोड़ने पर अनेक जन्तु अण्डे देते हैं जिनमें प्रमुख हैं- पक्षी, सरीसृप, उभयचर, स्तनपायी (मम्मल) तथा मछलियाँ। हजारों वर्षों से मानव तथा अन्य जन्तु इन अण्डों को खाता आ रहा है। पक्षियों तथा सरीसृपों के अण्डों के ऊपर एक रक्षा-कवच होता है, उसके अन्दर श्वेतक (एल्ब्युमेन) तथा अण्ड पीतक (अंडे की जरदी) होते हैं। मुर्गी के अण्डे खाने के लिये सबसे अधिक पसन्द किये जाते हैं। इसके अलावा बतख, तीतर, आदि के अंडे भी खाये जाते हैं। .

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अम्प्य्लोबक्तेरिओसिस

अम्प्य्लोबक्तेरिओसिस सबसे अधिक होनेवाला संक्रमणहै जो काम्प्य्लोबक्टेर जीवाणु द्वारा होता है, सी.

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मुर्गा

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