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मिश्रित ज्वालामुखी

सूची मिश्रित ज्वालामुखी

मिश्रित ज्वालामुखी मिश्रित ज्वालामुखी की खड़ी काट फुजी पर्वत, एक सक्रिय मिश्रित ज्वालामुखी है इसका अंतिम उद्गार 1707–08 में हुआ था मिश्रित ज्वालामुखी, एक लंबा, शंक्वाकार ज्वालामुखी होता है, जिसका निर्माण जम कर ठोस हुए लावा, टेफ्रा, कुस्रन और ज्वालामुखीय राख की कई परतों (स्तर) द्वारा होता है। मिश्रित ज्वालामुखी को ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इनकी रचना ज्वालामुखीय उद्गार के समय निकले मिश्रित पदार्थों के विभिन्न स्तरों पर घनीभूत होने के फलस्वरूप होती है। ढाल ज्वालामुखी के विपरीत, तीखी ढलान और समय समय पर होने वाले विस्फोटक उद्गार इनकी विशेषतायें है। इन ज्वालामुखियों से निकला लावा, ढाल ज्वालामुखी से निकले लावे की तुलना में अधिक श्यान (गाढ़ा और चिपचिपा) होता है और आमतौर पर उद्गार के पश्चात दूर तक बहने से पहले ही ठंडा हो जाता है। इनके लावे की रचना करने वाला मैग्मा अक्सर फेल्सिक होता है जिसमें, सिलिका की मात्रा उच्च से लेकर मध्य स्तर तक की होती है और कम श्यानता वाले मैफिक मैग्मा की मात्रा कम होती है। फेल्सिक लावा का व्यापक (दूर तक) प्रवाह असामान्य है, लेकिन फिर भी इसे 15 किमी (9.3 मील) तक बहते देखा गया है। ढाल ज्वालामुखी (जो कम मिलते हैं) के विपरीत यह ज्वालामुखियों का सबसे सामान्य प्रकार हैं। दो प्रसिद्ध मिश्रित ज्वालामुखियों में से पहला क्राकाटोआ है, जिसको उसके 1883 के उद्गार के लिए जाना जाता है जबकि, दूसरा विसुवियस है जिसके उद्गार के कारण 79 ईस्वी में पॉम्पेई और हरकुलेनियम नामक दो इतालवी शहर पूरी तरह से नष्ट हो गये थे। .

8 संबंधों: एम्पुंग पर्वत, नाब्रो ज्वालामुखी, पीकू दू फोगू, मायोन ज्वालामुखी, रुआपेहू पर्वत, लोकोन पर्वत, सोमा ज्वालामुखी, ज्वालामुखी

एम्पुंग पर्वत

इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के उत्तरी भाग में दो जुड़वां ज्वालामुखी लोकोन पर्वत और एम्पुंग पर्वत स्थित हैं, जो एक दूसरे से सिर्फ 2.2 किमी दूर हैं। दोनो का उद्भव तोंदानो के मैदान से होता है और दोनो ही सुलावेसी के सक्रिय ज्वालामुखी हैं। मानदो, इनसे लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। एम्पुंग पर्वत की चोटी पर एक 400 मीटर चौड़ा और 150 मीटर गहरा ज्वालामुखीय विवर है जो, अठाहरवीं शताब्दी में फटा था। .

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नाब्रो ज्वालामुखी

नाब्रो ज्वालामुखी एक मिश्रित ज्वालामुखी है जो पूर्वी अफ़्रीका के इरीट्रिया देश में स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से यह अफ़र द्रोणी में स्थित है जो स्वयं महान दरार घाटी का एक हिस्सा है। नाब्रो ज्वालामुखी लाल सागर के काफ़ी पास पड़ता है। ठीक नाब्रो से दक्षिण में इथियोपिया में मल्लाहले नाम का एक ज्वालामुखी भी है। .

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पीकू दू फोगू

पीकू दू फोगू (पुर्तगाली: Pico do Fogo, फोगू का शिखर) वर्दे अंतरीप का सर्वोच्च शिखर है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से ऊपर 2829 मीटर (९२८१ फुट) के लगभग है। फोगो द्वीप पर यह एक सक्रिय मिश्रित ज्वालामुखी है। इसके मुख्य शंकु से पिछला उद्गार 1675 में हुआ था, जो द्वीप से बड़े पैमाने पर हुए उत्प्रवास का कारण बना, जबकि इसके एक सहायक शंकु से 1995 में लावा धधक उठा था। इसका एकमात्र घातक विस्फोट 1847 में हुआ था जिसके परिणामस्वरूप सभी द्वीप पर आये भूकंप ने कई लोगों की जान ली थी। पीकू दू फोगू की पहाड़ी ढलानों पर कॉफी की खेती होती है, जबकि इससे उद्गारित लावा को निर्माण सामग्री के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके शिखर के निकट इसका ज्वालामुख-कुण्ड और एक छोटा सा गांव, चा दास कैल्डाइरास, इस ज्वालामुख-कुण्ड के अंदर स्थित है। .

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मायोन ज्वालामुखी

मायोन ज्वालामुखी (Mayon Volcano) फ़िलिपीन्ज़ देश के लूज़ोन द्वीप पर स्थित बिकोल प्रशासनिक क्षेत्र के अल्बाय प्रान्त में एक सक्रीय मिश्रित ज्वालामुखी है। यह अपने लगभग पूरे शंकु आकार के लिए जाना जाता है। इसका समय-समय पर विस्फोट होता रहता है, जिसमें सन् 1814, 1881–1882, 1897, 1984, 1993, 2006, 2008 और 2009–2010 के विस्फोट शामिल हैं। 1938 में इसे एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया, जिसका नाम 2000 में बदलकर मायोन ज्वालामुखी प्राकृतिक उद्यान (Mayon Volcano Natural Park) रख दिया गया।.

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रुआपेहू पर्वत

रुआपेहू पर्वत (Mount Ruapehu), जिसे केवल रुआपेहू भी कहा जाता है, न्यूज़ीलैण्ड के उत्तर द्वीप के ताऊपो ज्वालामुखीय क्षेत्र के दक्षिणी छोर पर स्थित एक सक्रीय मिश्रित ज्वालामुखी (स्ट्रैटोवोल्केनो) है। यह ताऊपो झील के दक्षिणी तट से ४० किमी की दूरी पर टोंगारीरो राष्ट्रीय उद्यान (Tongariro National Park) में विराजमान है। उत्तर द्वीप कि सभी हिमानियाँ (ग्लेशियर) इसी पर्वत की ढलानो पर स्थित हैं। रुआपेहू दुनिया के सबसे सक्रीय ज्वालामुखियों में से एक है और न्यूज़ीलैण्ड का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है। यह उत्तर द्वीप का सबसे ऊँचा बिन्दु है और इसके तीन प्रमुख शिखर हैं: २७९७ मीटर ऊँचा ताहूरांगी (Tahurangi), २७५५ मीटर ऊँचा ते हेउहेउ (Te Heuheu) और २७५१ मीटर ऊँचा पारेतेतातोंगा (Paretetaitonga)। इन शिखरों के दरमियान एक गहरा ज्वालामुखीय क्रेटर है जहाँ से समय-समय पर विस्फोट होता है। विस्फोटों के बीच के शान्त काल में इसमें पानी भरने से एक ज्वालामुखीय झील बन जाती है। .

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लोकोन पर्वत

इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप के उत्तरी भाग में दो जुड़वां ज्वालामुखी लोकोन पर्वत और एम्पुंग पर्वत स्थित हैं, जो एक दूसरे से सिर्फ 2.2 किमी दूर हैं। दोनो का उद्भव तोंदानो के मैदान से होता है और दोनो ही सुलावेसी के सक्रिय ज्वालामुखी हैं। मानदो, इनसे लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है। 14 जुलाई 2011 की मध्यरात्रि को इसके फटने से करीब पांच हजार फीट की ऊंचाई तक गर्म लावा और उससे निकली राख वायुमंडल में फैल गई थी और जिसके कारण हजारों लोगों को यह स्थान छोड़ने पर बाध्य होना पड़ा। .

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सोमा ज्वालामुखी

सोमा ज्वालामुखी या सिर्फ सोमा, एक ज्वालामुख-कुण्ड होता है जिसे आंशिक रूप से एक नये केन्द्रीय ज्वालामुखी शंकु के द्वारा भरा जाता है। यह नाम सोमा पर्वत (इतालवी: मोंटे सोमा) से लिया गया है जो कि, दक्षिणी इटली में स्थित एक मिश्रित ज्वालामुखी है, जिसके शिखर पर स्थित ज्वालामुख-कुण्ड में से वेसुवियस पर्वत के शंकु का उद्भव होता है। विश्व में सोमा ज्वालामुखी के सबसे अच्छे उदाहरण, रूस के कमचट्का प्रायद्वीप और कुरील द्वीप समूह पर पाए जाते हैं, जिनका विस्तार दक्षिण में कमचट्का से होक्काइडो (जापान) तक है। .

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ज्वालामुखी

तवुर्वुर का एक सक्रिय ज्वालामुखी फटते हुए, राबाउल, पापुआ न्यू गिनिया ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं। वस्तुतः यह पृथ्वी की ऊपरी परत में एक विभंग (rupture) होता है जिसके द्वारा अन्दर के पदार्थ बाहर निकलते हैं। ज्वालामुखी द्वारा निःसृत इन पदार्थों के जमा हो जाने से निर्मित शंक्वाकार स्थलरूप को ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है। ज्वालामुखी का सम्बंध प्लेट विवर्तनिकी से है क्योंकि यह पाया गया है कि बहुधा ये प्लेटों की सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं क्योंकि प्लेट सीमाएँ पृथ्वी की ऊपरी परत में विभंग उत्पन्न होने हेतु कमजोर स्थल उपलब्ध करा देती हैं। इसके अलावा कुछ अन्य स्थलों पर भी ज्वालामुखी पाए जाते हैं जिनकी उत्पत्ति मैंटल प्लूम से मानी जाती है और ऐसे स्थलों को हॉटस्पॉट की संज्ञा दी जाती है। भू-आकृति विज्ञान में ज्वालामुखी को आकस्मिक घटना के रूप में देखा जाता है और पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन लाने वाले बलों में इसे रचनात्मक बल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इनसे कई स्थलरूपों का निर्माण होता है। वहीं, दूसरी ओर पर्यावरण भूगोल इनका अध्ययन एक प्राकृतिक आपदा के रूप में करता है क्योंकि इससे पारितंत्र और जान-माल का नुकसान होता है। .

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