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मापन

सूची मापन

मापन के चार उपकरण किसी भौतिक राशि का परिमाण संख्याओं में व्यक्त करने को मापन कहा जाता है। मापन मूलतः तुलना करने की एक प्रक्रिया है। इसमें किसी भौतिक राशि की मात्रा की तुलना एक पूर्वनिर्धारित मात्रा से की जाती है। इस पूर्वनिर्धारित मात्रा को उस राशि-विशेष के लिये मात्रक कहा जाता है। उदाहरण के लिये जब हम कहते हैं कि किसी पेड़ की उँचाई १० मीटर है तो हम उस पेड़ की उचाई की तुलना एक मीटर से कर रहे होते हैं। यहाँ मीटर एक मानक मात्रक है जो भौतिक राशि लम्बाई या दूरी के लिये प्रयुक्त होता है। इसी प्रकार समय का मात्रक सेकण्ड, द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम आदि हैं। .

46 संबंधों: ट्रान्सड्यूसर, तुला, दशमलव पद्धति, दंतोद्गम विश्लेषण, नक्षा, परखनली, प्रयोगशाला, प्रेक्षणीय चर, फोटोग्राममिति, बख्शाली पाण्डुलिपि, भारतीय नाप एवं तौल, भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास, भौतिक नियतांक, भौतिकी की शब्दावली, भूवैज्ञानिक समय-मान, भूगणित, मात्रण (विज्ञान), मानस शास्त्र, मानक विचलन, मापन के मात्रक, मापन के स्तर, मापन उपकरण, मापयंत्रण, मापिकी, यथार्थता एवं परिशुद्धता, यांत्रिक इंजीनियरी, रेडियोमिति, लीग (इकाई), शांतिदूत एडगर, श्रव्य प्रवर्धक, शैक्षिक मनोविज्ञान, साक्षात्कार, संबद्ध विपणन, स्पेक्ट्रोस्कोपी, सेतु परिपथ, हिन्दू मापन प्रणाली, वास्तविकता, विद्युत अभियान्त्रिकी, विद्युतदर्शी, विमीय विश्लेषण, व्हीटस्टोन सेतु, गतिक परिसर, क्षेत्रमिति, क्वाण्टम यान्त्रिकीय मापन, अन्तरिक्ष, अल्पतमांक

ट्रान्सड्यूसर

मापन में ट्रांसड्यूसर (transducer) उन युक्तियों (devices) को कहते हैं जो एक प्रकार की उर्जा को दूसरे प्रकार की उर्जा में बदलती हैं; अथवा एक प्रकार की भौतिक राशि के संगत दूसरे प्रकार की भौतिक राशि प्रदान करते हैं। इनका उपयोग विभिन्न भौतिक राशियों को मापना, उन्हे प्रदर्शित करना (display) या उनको स्वतः नियंत्रित (automatic control) करना होता है। परिवर्तक विद्युतीय, एलेक्ट्रानिक, विद्युत-यांत्रिक, विद्युतचुम्बकीय, प्रकाशीय (फोटॉनिक) या प्रकाश-विद्युतीय आदि होते हैं। उदाहरण के लिये एक दाब परिवर्तक किसी स्थान पर मौजूद दाब के अनुसार एक विद्युत-विभव प्रदान कर सकता है। इलेक्ट्रानिक संचार प्रणाली में ट्रांसड्यूसर का का प्रयोग विभिन्न प्रकार के भौतिक संकेतों को विद्युत संकेत में बदलने के लिये, या विद्युत संकेतों को विभिन्न प्रकार के भौतिक संकेतों में बदलने के लिये, किया जाता है। उदाहरण के लिये इस चित्र में दो ट्रांसड्यूसर प्रयुक्त हुए हैं - (१) '''माइक्रोफोन''': जो ध्वनि संकेतों को विद्युत संकेत में बदलता है तथा (२) '''स्पीकर''' - जो विद्युत संकेतों को ध्वनि संकेत में बदल देता है। .

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तुला

पारम्परिक तराजू तुला या तराजू (balance), द्रव्यमान मापने का उपकरण है। भार की सदृशता का ज्ञान करानेवाले उपकरण को तुला कहते हैं। महत्वपूर्ण व्यापारिक उपकरण के रूप में इसका व्यवहार प्रागैतिहासिक सिंध में ईo पूo तीन सहस्राब्दी के पहले से ही प्रचलित था। प्राचीन तुला के जो भी उदाहरण यहाँ से मिलते हैं उनसे यही ज्ञात होता है कि उस समय तुला का उपयोग कीमती वस्तुओं के तौलने ही में होता था। पलड़े प्राय: दो होते थे, जिनमें तीन छेद बनाकर आज ही की तरह डोरियाँ निकाल कर डंडी से बाध दिए जाते थे। जिस डंडी में पलड़े झुलाए जाते थे वह काँसे की होती थी तथा पलड़े प्राय: ताँबे के होते थे। .

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दशमलव पद्धति

दशमलव पद्धति या दाशमिक संख्या पद्धति या दशाधारी संख्या पद्धति (decimal system, "base ten" or "denary") वह संख्या पद्धति है जिसमें गिनती/गणना के लिये कुल दस संख्याओं (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9) का सहारा लिया जाता है। यह मानव द्वारा सर्वाधिक प्रयुक्त संख्यापद्धति है। उदाहरण के लिये 645.7 दशमलव पद्धति में लिखी एक संख्या है। (गलतफहमी से बचने के लिये यहाँ दशमलव बिन्दु के स्थान पर 'कॉमा' का प्रयोग किया गया है।) इस पद्धति की सफलता के बहुत से कारण हैं-.

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दंतोद्गम विश्लेषण

दंतोद्गम विश्लेषण (Dentition analyses), दांत और जबड़े के मापन की प्रणाली है जिसका उपयोग विकलदन्तविज्ञान (orthodontics .

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नक्षा

नक्शा किसी भी क्षेत्र का एक दृश्य प्रतिनिधित्व है- एक प्रतीकात्मक चित्रण जो कि उस जगह के तत्वों के बीच संबंधों पर प्रकाश डालता है, जैसे की वस्तुएँ, क्षेत्र और विषय.

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परखनली

रासायनिक तत्व रखे दो परखनली परखनली प्रयोगशाला में तत्वों के मुख्यतः तरल अवस्था में परख ने हेतु उपयोग किया जाता है। यह सीसे अथवा साफ प्लास्टिक का बना होता है। इसके ऊपर का भाग खुला होता है और नीचे का भाग लैटिन लिपि के "U" आकार का होता है। इसे किसी भी प्रकार के तत्व के परीक्षण के लिए बनाया जाता है। चूँकि काँच अथवा साफ प्लास्टिक में अवलोकन करना सरल होता है और साथ ही कई प्रकार के अम्ल का प्रभाव भी नहीं पड़ता है। .

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प्रयोगशाला

उन्नीसवीं शताब्दी के भौतिकशास्त्री एवं रसायनज्ञ माइकल फैराडे अपनी प्रयोगशाला में जैव रसायन प्रयोगशाला प्रयोगशाला एक ऐसी सुविधा (कक्ष, भवन या स्थान) को कहते हैं, जो वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रयोग एवं मापन के लिए आवश्यक माहौल प्रदान करता है। .

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प्रेक्षणीय चर

सांख्यिकी में, प्रेक्षणीय चर या प्रेक्षणीय मात्रा (जिसे प्रकट चर भी कहते है) एक चर है जिसे प्रेक्षित किया जा सकता है और प्रत्यक्ष रूप से मापा जा सकता है। इसी का विपरीत है अप्रकट चर। .

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फोटोग्राममिति

फोटोग्राफ लेकर उसकी सहायता से मापन करना फोटोग्राममिति (Photogrammetry) कहलाता है। इसकी सहायता से सतह पर स्थित बिन्दुओं की स्थिति (निर्देशांक) की गणना की जा सकती है। फोटोग्राममिति उतना ही पुराना है जितना आधुनिक फोटोग्राफी, अर्थात १९वीं शताब्दी का मध्यकल। एक सरल उदाहरण के तौर पर, फोटोग्राफिक छबि के समतल (photographic image plane) के समान्तर स्थित किसी समतल पर स्थित दो बिन्दुओं का फोटो लेकर और फोटो में उनके बीच की दूरी मापकर उन बिन्दुओं के बीच की दूरी की गणना की जा सकती है। इसके लिये फोटो का पैमाना (स्केल) ज्ञात होना चाहिये। .

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बख्शाली पाण्डुलिपि

बख्शाली पाण्डुलिपि में प्रयोग किये गये अंक बक्षाली पाण्डुलिपि या बख्शाली पाण्डुलिपि (Bakhshali Manuscript) प्राचीन भारत की गणित से सम्बन्धित पाण्डुलिपि है। यह भोजपत्र पर लिखी है। यह सन् १८८१ में बख्शाली गाँव (तत्कालीन पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त; अब पाकिस्तान में, तक्षशिला से लगभग ७० किमी दूर) में मिली थी। यह शारदा लिपि में है एवं गाथा बोली (संस्कृत एवं प्राकृत का मिलाजुला रूप) में है। यह पाण्डुलिपि अपूर्ण है। इसमें केवल ७० 'पन्ने' (या पत्तियाँ) ही हैं जिनमें से बहुत ही बेकार हो चुकी हैं। बहुत से पन्ने अप्राप्य हैं। .

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भारतीय नाप एवं तौल

भारत में मापन का इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान में भारत में मापन की अन्तरराष्ट्रीय प्रणाली (SI) प्रचलित है। इसके पहले अंग्रेजों ने ब्रिटिश प्रणाली लागू की थी। उसके पूर्व अकबर के समय में एक अन्य प्रणाली लागू की गयी थी। किन्तु अकबर के पहले एक अन्य प्रणाली ही थी। .

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भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास

भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास-यात्रा प्रागैतिहासिक काल से आरम्भ होती है। भारत का अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और भारतीय संसार का नेतृत्व करते थे। सबसे प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानवीय क्रियाकलाप मेहरगढ़ में पाये गये हैं जो अब पाकिस्तान में है। सिन्धु घाटी की सभ्यता से होते हुए यह यात्रा राज्यों एवं साम्राज्यों तक आती है। यह यात्रा मध्यकालीन भारत में भी आगे बढ़ती रही; ब्रिटिश राज में भी भारत में विज्ञान एवं तकनीकी की पर्याप्त प्रगति हुई तथा स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। सन् २००९ में चन्द्रमा पर यान भेजकर एवं वहाँ पानी की प्राप्ति का नया खोज करके इस क्षेत्र में भारत ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। चार शताब्दियों पूर्व प्रारंभ हुई पश्चिमी विज्ञान व प्रौद्योगिकी संबंधी क्रांति में भारत क्यों शामिल नहीं हो पाया ? इसके अनेक कारणों में मौखिक शिक्षा पद्धति, लिखित पांडुलिपियों का अभाव आदि हैं। .

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भौतिक नियतांक

भौतिक नियतांक (physical constant) उस भौतिक राशि (physical quantity) को कहते हैं जिसके बारे में ऐसा विश्वास किया जाता है कि वह राशि प्रकृति में सार्वत्रिक (universal) है तथा समय के साथ अपरिवर्तनशील या नियत है। भौतिक नियतांक, गणितीय नियतांक से इस मामले में भिन्न हैं कि गणितीय नियतांक संख्यात्मक दृष्टि से तो नियत होते हैं किन्तु उनका किसी मापन से सम्बन्ध नहीं होता। विज्ञान में बहुत से भौतिक नियतांक हैं जिनमें से प्रमुख हैं - शून्य में प्रकाश का वेग c, गुरुत्वाकर्षण नियतांक G, प्लांक नियतांक h, निर्वात का विद्युत नियतांक ε0, तथा एलेक्ट्रान का आवेश e. .

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भौतिकी की शब्दावली

* ढाँचा (Framework).

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भूवैज्ञानिक समय-मान

यह घड़ी भूवैज्ञानिक काल के प्रमुख ईकाइयों के के साथ-साथ पृथ्वी के जन्म से लेकर आज तक की प्रमुख घटनाओं को भी दिखा रही है। भूवैज्ञानिक समय-मान (geologic time scale) कालानुक्रमिक मापन की एक प्रणाली है जो स्तरिकी (stratigraphy) को समय के साथ जोड़ती है। यह एक स्तरिक सारणी (stratigraphic table) है। भूवैज्ञानिक, जीवाश्मवैज्ञानिक तथा पृथ्वी का अध्ययन करने वाले अन्य वैज्ञानिक इसका प्रयोग धरती के सम्पूर्ण इतिहास में हुई सभी घटनाओं का समय अनुमान करने के लिये करते हैं। जिस प्रकार चट्टानो के अधिक पुराने स्तर नीचे होते हैं तथा अपेक्षाकृत नये स्तर उपर होते हैं, उसी प्रकार इस सारणी में पुराने काल और घटनाएँ नीचे हैं जबकि नवीन घटनाएँ उपर (पहले) दी गई हैं। विकिरणमितीय प्रमाणों (radiomeric evidence) से पता चलता है पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 अरब वर्ष है। .

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भूगणित

बेल्जियम के ओस्टेन्ड नामक स्थान पर स्थित एक पुराना भूगणितीय स्तम्भ (1855) भूगणित (Geodesy or Geodetics) भूभौतिकी एवं गणित की वह शाखा है जो उपयुक्त मापन एवं प्रेक्षण के आधार पर पृथ्वी के पृष्ठ पर स्थित बिन्दुओं की सही-सही त्रिबिम-स्थिति (three-dimensional postion) निर्धारित करती है। इन्ही मापनों एवं प्रेक्षणों के आधार पर पृथ्वी का आकार एवं आकृति, गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र तथा भूपृष्ट के बहुत बड़े क्षेत्रों का क्षेत्रफल आदि निर्धारित किये जाते हैं। इसके साथ ही भूगणित के अन्दर भूगतिकीय (geodynamical) घटनाओं (जैसे ज्वार-भाटा, ध्रुवीय गति तथा क्रस्टल-गति आदि) का भी अध्ययन किया जाता है। पृथ्वी के आकार तथा परिमाण का और भूपृष्ठ पर संदर्भ बिंदुओं की स्थिति का यथार्थ निर्धारण हेतु खगोलीय प्रेक्षणों की आवश्यकता होती है। इस कार्य में इतनी यथार्थता अपेक्षित है कि ध्रुवों (poles) के भ्रमण से उत्पन्न देशांतरों में सूक्ष्म परिवर्तनों पर और समीपवर्ती पहाड़ों के गुरुत्वाकर्षण से उत्पन्न ऊर्ध्वाधर रेखा की त्रुटियों पर ध्यान देना पड़ता है। पृथ्वी पर सूर्य और चंद्रमा के ज्वारीय (tidal) प्रभाओं का भी ज्ञान आवश्यक है और चूँकि सभी थल सर्वेक्षणों में माध्य समुद्रतल (mean sea level) आधार सामग्री होता है, इसलिये माहासागरों के प्रमुख ज्वारों का भी अघ्ययन आवश्यक है। भूगणितीय सर्वेक्षण के इन विभिन्न पहलुओं के कारण भूगणित के विस्तृत अध्ययन क्षेत्र में अब पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र का, भूमंडल पृष्ठ समाकृति पर इसके प्रभाव का और पृथ्वी पर सूर्य तथा चंद्रमा के गुरुत्वीय क्षेत्रों के प्रभाव का अध्ययन समाविष्ट है। .

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मात्रण (विज्ञान)

गणित और अनुभवजन्य विज्ञान में, मात्रण गिनने और मापने की क्रिया हैं जो मानव समझ प्रेक्षणों और अनुभवों को मात्राओं में नक्शाबद्ध करती हैं। इस अर्थ में, मात्रण वैज्ञानिक विधि के लिए मौलिक है।.

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मानस शास्त्र

साइकोलोजी या मनोविज्ञान (ग्रीक: Ψυχολογία, लिट."मस्तिष्क का अध्ययन",ψυχήसाइके"शवसन, आत्मा, जीव" और -λογία-लोजिया (-logia) "का अध्ययन ") एक अकादमिक (academic) और प्रयुक्त अनुशासन है जिसमें मानव के मानसिक कार्यों और व्यवहार (mental function) का वैज्ञानिक अध्ययन (behavior) शामिल है कभी कभी यह प्रतीकात्मक (symbol) व्याख्या (interpretation) और जटिल विश्लेषण (critical analysis) पर भी निर्भर करता है, हालाँकि ये परम्पराएँ अन्य सामाजिक विज्ञान (social science) जैसे समाजशास्त्र (sociology) की तुलना में कम स्पष्ट हैं। मनोवैज्ञानिक ऐसी घटनाओं को धारणा (perception), अनुभूति (cognition), भावना (emotion), व्यक्तित्व (personality), व्यवहार (behavior) और पारस्परिक संबंध (interpersonal relationships) के रूप में अध्ययन करते हैं। कुछ विशेष रूप से गहरे मनोवैज्ञानिक (depth psychologists) अचेत मस्तिष्क (unconscious mind) का भी अध्ययन करते हैं। मनोवैज्ञानिक ज्ञान मानव क्रिया (human activity) के भिन्न क्षेत्रों पर लागू होता है, जिसमें दैनिक जीवन के मुद्दे शामिल हैं और -; जैसे परिवार, शिक्षा (education) और रोजगार और - और मानसिक स्वास्थ्य (treatment) समस्याओं का उपचार (mental health).

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मानक विचलन

एक डाटा सेट जिसका मध्यमान 50 (नीले रंग में प्रदर्शित) और मानक विचलन (σ) 20 है। एक सामान्य वितरण (या घंटी वक्र) का एक भूखंडप्रत्येक रंग की पट्टी की चौड़ाई एक मानक विचलन है। प्रायिकता सिद्धांत और सांख्यिकी में, किसी सांख्यिकीय जनसंख्या, डाटा सेट या प्रायिकता वितरण के प्रसरण के वर्गमूल को मानक विचलन (स्टैण्डर्ड देविएशन) कहते हैं। मानक विचलन, व्यापक रूप से प्रयोग होने वाला एक मापदंड है प्रकीर्णन की माप करता है कि आंकड़े कितने 'फैले हुए' हैं। मानक विचलन बीजगणित की दृष्टि से अधिक सुविधाजनक है यद्यपि व्यावहारिक रूप से प्रत्याशित विचलन या औसत निरपेक्ष विचलन की तुलना में यह कम सुदृढ़ होता है। इससे पता चलता है कि यहां "औसत" (मध्यमान) से कितनी भिन्नता है। इसे वितरण के मध्यमान से अंकों के औसत अंतर के रूप में माना जा सकता है कि वे मध्यमान से कितनी दूर हैं। एक निम्न मानक विचलन इंगित करता है कि डाटा के अंक मध्यमान के बहुत समीप होते हैं जबकि उच्च मानक विचलन इंगित करता है कि डाटा, मानों की एक बहुत बड़ी श्रेणी पर फैला हुआ है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में वयस्क पुरुषों की औसत ऊंचाई है और इसके साथ ही साथ इनका मानक विचलन लगभग है। इसका मतलब है कि अधिकांश पुरुषों (एक सामान्य वितरण की कल्पना के आधार पर लगभग 68 प्रतिशत) की ऊंचाई मध्यमान के के भीतर – एक मानक विचलन है जबकि लगभग सभी पुरुषों (लगभग 95%) की ऊंचाई मध्यमान के के भीतर – 2 मानक विचलन है। यदि मानक विचलन शून्य होता, तो सभी पुरुष वास्तव में ऊंचे होते.

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मापन के मात्रक

चार मापन युक्तियाँ मापन के सन्दर्भ में मात्रक या इकाई (unit) किसी भौतिक राशि की एक निश्चित मात्रा को कहते हैं जो परिपाटी या/और नियम द्वारा पारिभाषिक एवं स्वीकृत की गई हो तथा जो उस भौतिक राशि के मापन के लिए मानक के रूप में प्रयुक्त होती हो। उस भौतिक राशि की कोई भी अन्य मात्रा इस 'इकाई' के एक गुणक के रूप में व्यक्त की जाती है। उदाहरण के लिए लम्बाई एक भौतिक राशि है। 'मीटर' लम्बाई का मात्रक है जो एक निश्चित पूर्वनिर्धारित दूरी के बराबर होता है। जब हम कहते हैं कि अमुक दूरी '४७ मीटर' है तो इसका अर्थ है कि उक्त दूरी १ मीटर के ४७ गुना है। प्राचीन काल से ही मात्रकों की परिभाषा करना, उन पर सहमति करना, उनका व्यावहारिक उपयोग करना आदि की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विभिन्न स्थानों एवं कालों में मात्रकों की विभिन्न प्रणालियाँ होना एक सामान्य बात थी। किन्तु अब एक वैश्विक मानक प्रणाली अस्तित्व में है जिसे 'अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली' (International System of Units (SI)) कहते हैं। .

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मापन के स्तर

मापन के स्तर (levels of measurement) की अवधारणा मनोवैज्ञानिक स्टैनले स्मिथ स्टेवेंस (Stanley Smith Stevens) ने दी थी। सन् १९४६ में आन द थिअरी ऑफ स्केल्स ऑफ मेजरमेंट (On the theory of scales of measurement) नामक एक विज्ञान लेख में उन्होने दावा किया कि विज्ञान में किये जाने वाले सभी मापन चार श्रेणियों में विभक्त किये जा सकते हैं। उन्होने इनके नाम दिये - "nominal", "ordinal", "interval" and "ratio".

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मापन उपकरण

विशिष्ट उपकरणों के लिये 'मापक उपकरणों की सूची' देखें। ---- जलतल (वाटर लेवेल) भौतिक विज्ञानों, इंजीनियरी, नियंत्रण, स्वचालन (आटोमेशन) तथा गुणवत्ता सुनिश्चित करने आदि के लिये उपयुक्त भौतिक राशियों के मापन की आवश्यकता होती है जो मापन उपकरणों के द्वारा किया जाता है। बिना मापन उपकरणों के आधुनिक सभ्यता का अस्तित्व ही नहीं होता। दूसरे शब्दों में मापन एवं मापन उपकरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मूल हैं। वर्नियर कैलीपर्स इलेक्ट्रॉनिक रक्तदाबमापी एनालॉग वोल्टमीतर .

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मापयंत्रण

वाष्प टरबाइन का नियंत्रण पटल (कंट्रोल पैनेल) मापयंत्रण (Instrumentation) इंजीनियरी की एक शाखा है जो मापन एवं नियंत्रण से सम्बन्धित है। इन युक्तियों को मापकयंत्र (instrument) कहते हैं जो किसी प्रक्रम (process) के प्रवाह (flow), ताप, दाब, स्तर आदि चरों (variables) को मापने या नियंत्रित करने के काम आते हैं। मापकयंत्र के अन्तर्गत वाल्व, प्रेषित्र (transmitters) आदि अत्यन्त सरल युक्तियों से लेकर विश्लेषक (analyzers) जैसे जटिल युक्तियां सम्मिलित हैं। प्रक्रमों का नियंत्रण अनुप्रयुक्त मापयंत्रण की प्रमुख शाखा है। आधुनिक नियंत्रण कक्ष .

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मापिकी

मापविद्या या मापविज्ञान (Metrology) में मापन के सभी सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। यह मापन एवं उसके अनुप्रयोगों का विज्ञान है। मापविज्ञान (Metrology) भौतिकी की वह शाखा है जिसमें शुद्ध माप के बारे में हमें ज्ञान होता है। मापविज्ञान में मूल रूप से हम तीन रशियों, अर्थात्‌ द्रव्यमान, लंबाई एवं समय के बारे में चर्चा करते हैं और इन्हीं तीन राशियों के ज्ञान से हम अन्य राशियों, जैसे घनत्व, आयतन, बल तथा शक्ति आदि को मापते हैं। मापविज्ञान द्वारा अपरिवर्तनीय मानकों (standards) का निर्देश ही नहीं मिलता, वरन्‌ इन्हें कायम भी रखा जाता है। इन्हीं मानकों द्वारा हम वस्तुओं के गुणों की माप तथा तुलना भी करते हैं। दूसरा पक्ष यह है कि किसी कार्यविशेष को दृष्टि में रखकर मापविज्ञान से ऐसे तरीके प्राप्त होते हैं जिनसे तुलनाएँ काफी उच्च स्तर की शुद्धता तक की जा सकें। आधुनिक विज्ञान तथा उद्योगों में उपर्युक्त मौलिक तुलनाओं (fundamental comparisons) का अत्यंत शुद्ध होना आवश्यक है। माप पूर्णतया ठीक नहीं होती और निश्चित रूप से उसमें कुछ न कुछ प्रायोगिक गलती सदा ही रहती है। आजकल मापविज्ञान की अधिक मौलिक क्रियाओं में यथार्थता की निम्नलिखित सन्निकटताएँ प्राप्त है: अंतरराष्ट्रीय आदिरूप (prototype) किलोग्राम के दो प्लैटिनम इरीडियम नमूनों की तुलना में: 10,00,00,000 में एक भाग। साधारण रासायनिक बाटों की तुलना में: 10,00,000 में एक भाग। सूक्ष्ममापी तुला द्वारा छोटे छोटे भारों की तुलना में: 10,00,00,000 में एक भाग। दो गजों या मानक मीटरों की तुलना में: 1,00,00,000 में एक भाग। अंत्य मानक (End standard) की रेखामानक (Line standard) से तुलना में: 10,00,000 में एक भाग। साधारण आयतन तथा घनत्व के निर्धारण में: 10,000 में एक भाग। अंत्य मानक के कुलक के अंशांकन (calibration), 1 इंच की लंबाई से कम नहीं में 10,00,000 में एक भाग। चिह्नांकित गज या धातु पैमानों के उपविभागों के अंशाकन की पूरी लंबाई के पदों (terms) में 0.000005 इंच, या 0.0001 मिलीमीटर। .

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यथार्थता एवं परिशुद्धता

अधिक यथार्थता किन्तु कम परिशुद्धता का उदाहरण (लक्ष्य, हर बार केन्द्र में मारना है। इंजीनियरी, उद्योग एवं सांख्यिकी में किसी मापन की यथार्थता (accuracy) का अर्थ यह है कि माप से प्राप्त मान वास्तविक या सत्य मान के कितना निकट है। दूसरी तरफ, किसी मापन प्रणाली की परिशुद्धता (precision) का अर्थ यह है कि कई बार, अपरिवर्तित स्थियों में, उसी राशि का मापन करने पर प्राप्त मान एक निश्चित मान के कितना आस-पास बने रहते हैं। अत: परिशुद्धता को पुनरुत्पादकता (reproducibility or repeatability) भी कह सकते हैं। यद्यपि सामान्य उपयोग में ये दोनो शब्द आपस में अदला-बदली किये जा सकते हैं किन्तु वैज्ञानिविधि में जानबूझकर इनमें अन्तर माना जाता है। कोई मापन निम्नलिखित चार प्रकार का हो सकता है-.

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यांत्रिक इंजीनियरी

सिलाई मशीन (सन् 1900 के आसपास); मशीन के कार्य आज भी लगभग वही है जो पहले था। एक आधुनिक मशीन: फिलिंग और डोसिंग मशीन यांत्रिक इंजीनियर इंजन, शक्ति-संयंत्र आदि की डिजाइन करते हैं। Two involute gears, the left driving the right: Blue arrows show the contact forces between them. The force line (or Line of Action) runs along a tangent common to both base circles. यान्त्रिक अभियांत्रिकी (Mechanical engineering) तरह-तरह की मशीनों की बनावट, निर्माण, चालन आदि का सैद्धान्तिक और व्यावहारिक ज्ञान है। यान्त्रिक अभियांत्रिकी, अभियांत्रिकी की सबसे पुरानी और विस्तृत शाखाओं में से एक है। यान्त्रिक अभियांत्रिकी १८वीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगिक क्रांति के दौरान एक क्षेत्र के रूप में उभरी है, लेकिन, इसका विकास दुनिया भर में कई हजार साल में हुआ है। १९वीं सदी में भौतिकी के क्षेत्र में विकास के एक परिणाम के रूप में यांत्रिक अभियांत्रिकी विज्ञान सामने आया। इसके आधआरभूत विषय हैं.

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रेडियोमिति

रेडियोमिति (Radiometry) विद्युतचुंबकीय विकिरण को मापने की तकनीकों और तकनीकी अध्ययन को कहते हैं। इसमें प्रकाश का मापन भी शामिल है। .

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लीग (इकाई)

लीग लम्बाई के मापन की एक इकाई है जो काफी समय तक यूरोप और दक्षिण अमेरिका मे प्रचलित रही। आज यह किसी भी देश में आधिकारिक प्रयोग में नहीं लाई जाती। लीग से तात्पर्य उस दूरी से था जो कोई व्यक्ति या घोड़ा एक घंटे मे तय कर सकता था। लेकिन देशों के अनुसार लीग के विभिन्न मूल्य प्रचलन मे थे। श्रेणी:इकाई.

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शांतिदूत एडगर

एडगर प्रथम (Ēadgār; 943 – 8 जुलाई 975), जिसे शांतिदूत एडगर (Edgar the Peaceful or the Peaceable), के नाम से भी जाना जाता है, सन ९५९ से ९७५ ई.पू.

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श्रव्य प्रवर्धक

एकीकृत परिपथ (आईसी) से बना एक श्रव्य शक्ति प्रवर्धक आईसी के रूप में एक श्रव्य-आवृत्ति प्रवर्धक (Lm3886tf) ऐसे एलेक्ट्रानिक प्रवर्धक को श्रव्य प्रवर्धक या आडियो एम्प्लिफायर (audio amplifier) कहते हैं जो कम शक्ति के श्रव्य संकेतों का प्रवर्धन कर सकें। श्रव्य-आवृत्‍ति शक्ति प्रवर्धक (audio power amplifier) वह एलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक है जो कम शक्ति के श्रव्य आवृत्ति वाले विद्युत संकेतों को प्रवर्धित करके उनको इतना शक्तिशाली बना दे कि वे लाउडस्पीकर को चला सकें। उन संकेतों को श्रव्य संकेत (आडियो सिगनल) कहते हैं जिनकी आवृत्ति २० हर्ट्ज से लेकर २० हजार हर्ट्ज के बीच होती है। इस सीमा के भीतर की आवृत्तियों वाले संकेत ही मानव कर्ण को सुनाई पड़ते हैं, इससे कम या अधिक के नहीं। श्रव्य प्रवर्धकों का निवेश संकेत (इनपुट सिगनल) कुछ सौ माइक्रोवाट के स्तर का होता है जबकि आउटपुट दस, सौ या हजार वाट के स्तर का हो सकता है। श्रव्य प्रवर्धक, रेडियो, टीवी, टेलीफोन, सेलफोन आदि के आवश्यक अंग है। .

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शैक्षिक मनोविज्ञान

गिनतारा, अमूर्त वस्तुओं वस्तुओं को मूर्त बनाकर गणित की मूलभूत बातें सिखाने की युक्ति है। शैक्षिक मनोविज्ञान (Educational psychology), मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें इस बात का अध्ययन किया जाता है कि मानव शैक्षिक वातावरण में सीखता कैसे है तथा शैक्षणिक क्रियाकलाप अधिक प्रभावी कैसे बनाये जा सकते हैं। 'शिक्षा मनोविज्ञान' दो शब्दों के योग से बना है - ‘शिक्षा’ और ‘मनोविज्ञान’। अतः इसका शाब्दिक अर्थ है - शिक्षा संबंधी मनोविज्ञान। दूसरे शब्दों में, यह मनोविज्ञान का व्यावहारिक रूप है और शिक्षा की प्रक्रिया में मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। शिक्षा के सभी पहलुओं जैसे शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधि, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, अनुशासन आदि को मनोविज्ञान ने प्रभावित किया है। बिना मनोविज्ञान की सहायता के शिक्षा प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल सकती। शिक्षा मनोविज्ञान से तात्पर्य शिक्षण एवं सीखने की प्रक्रिया को सुधारने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग करने से है। शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करता है। इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के व्यवहार, मानसिक प्रक्रियाओं एवं अनुभवों का अध्ययन शैक्षिक परिस्थितियों में किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसका ध्येय शिक्षण की प्रभावशाली तकनीकों को विकसित करना तथा अधिगमकर्ता की योग्यताओं एवं अभिरूचियों का आंकलन करना है। यह व्यवहारिक मनोविज्ञान की शाखा है जो शिक्षण एवं सीखने की प्रक्रिया को सुधारने में प्रयासरत है। .

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साक्षात्कार

दूरदर्शन के लिये साक्षात्कार का एक दृष्य दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच बातचीत एवं विचारों का आदान-प्रदान साक्षात्कार (Interview) कहलाता है। इसमें एक या कई व्यक्ति किसी एक व्यक्ति से प्रश्न पूछते हैं और वह व्यक्ति इन प्रश्नों के जवाब देता है या इन पर अपनी राय व्यक्त करता है। साक्षात्कार, साहित्य की एक विधा भी है। .

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संबद्ध विपणन

संबद्ध विपणन एक ऐसा विपणन (मार्केटिंग) तरीका है जिसमें व्यापार द्वारा, एक या एकाधिक संबद्ध सहयोगियों के विपणन प्रयासों के परिणाम स्वरुप आये आंगतुक या ग्राहक हेतु उसे पुरस्कृत किया जाता है। इसके उदाहरण में पुरस्कार स्थान या क्षेत्र शामिल है, जहाँ किसी प्रस्ताव की समाप्ति पर या क्षेत्र में अन्य व्यक्तियों को भेजने हेतु प्रयोक्ताओं को नकद या उपहार द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। इस उद्योग में चार प्रमुख खिलाड़ी होते हैं: व्यापारी (जिसे 'रीटेलर' या "ब्रांड" के नाम से भी जाना जाता है), नेटवर्क, प्रकाशक (जिसे 'संबद्ध' के नाम से भी जाना जाता है), एवं ग्राहक.

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स्पेक्ट्रोस्कोपी

स्पेक्ट्रमिकी का सबसे सरल उदाहरण: श्वेत प्रकाश को प्रिज्म होकर ले जाने पर वह सात रंगों में बंट जाती है। स्पेक्ट्रमिकी, भौतिकी विज्ञान की एक शाखा है जिसमें पदार्थों द्वारा उत्सर्जित या अवशोषित विद्युत चुंबकीय विकिरणों के स्पेक्ट्रमों का अध्ययन किया जाता है और इस अध्ययन से पदार्थों की आंतरिक रचना का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। इस शाखा में मुख्य रूप से वर्णक्रम का ही अध्ययन होता है अत: इसे स्पेक्ट्रमिकी या स्पेक्ट्रमविज्ञान (Spectroscopy) कहते हैं। मूलत: विकिरण एवं पदार्थ के बीच अन्तरक्रिया (interaction) के अध्ययन को स्पेक्ट्रमिकी या स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy) कहा जाता था। वस्तुत: ऐतिहासिक रूप से दृष्य प्रकाश का किसी प्रिज्म से गुजरने पर अलग-अलग आवृत्तियों का अलग-अलग रास्ते पर जाना ही स्पेक्ट्रोस्कोपी कहलाता था। बाद में 'स्पेक्ट्रोस्कोपी' शबद के अर्थ का विस्तार हुआ। अब तरंगदैर्ध्य (या आवृत्ति) के फलन के रूप में किसी भी राशि का मापन स्पेक्ट्रोस्कोपी कहलाती है। इसकी परिभाषा का और विस्तार तब मिला जब उर्जा (E) को चर राशि के रूप में सम्मिलित कर लिया गया (क्योंकि पता चला कि उर्जा और आवृत्ति में सीधा सम्बन्ध है: E .

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सेतु परिपथ

सेतु परिपथ (bridge circuit) या एच-परिपथ एक ऐसा विद्युत परिपथ है जिसमें दो शाखाएँ (जो प्रायः समान्तर होतीं हैं), तथा एक तीसरी शाखा इन दो शाखाओं के बीच 'सेतु' बनाती है। सेतु परिपथ बहुत उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इनके कुछ उपयोग ये हैं- मापन, फिल्टरन तथा शक्ति-परिवर्तन (power conversion) आदि। .

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हिन्दू मापन प्रणाली

हिन्दू समय मापन (लघुगणकीय पैमाने पर) गणित और मापन के बीच घनिष्ट सम्बन्ध है। इसलिये आश्चर्य नहीं कि भारत में अति प्राचीन काल से दोनो का साथ-साथ विकास हुआ। लगभग सभी प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने अपने ग्रन्थों में मापन, मापन की इकाइयों एवं मापनयन्त्रों का वर्णन किया है। ब्रह्मगुप्त के ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त के २२वें अध्याय का नाम 'यन्त्राध्याय' है। संस्कृत कें शुल्ब शब्द का अर्थ नापने की रस्सी या डोरी होता है। अपने नाम के अनुसार शुल्ब सूत्रों में यज्ञ-वेदियों को नापना, उनके लिए स्थान का चुनना तथा उनके निर्माण आदि विषयों का विस्तृत वर्णन है। .

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वास्तविकता

वास्तविकता 'जो है' उसका दूसरा नाम है। इसे यथार्थता भी कहते हैं। .

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विद्युत अभियान्त्रिकी

विद्युत अभियन्ता, वैद्युत-शक्ति-तन्त्र का डिजाइन करते हैं; और … … जटिल एलेक्ट्रानिक तन्त्रों का डिजाइन भी करते हैं। नियंत्रण तंत्र आधुनिक सभ्यता का अभिन्न अंग है। यह विद्युत अभियान्त्रिकी का भी प्रमुख विषय है। विद्युत अभियान्त्रिकी विद्युत और विद्युतीय तरंग, उनके उपयोग और उनसे जुड़ी तमाम तकनीकी और विज्ञान का अध्ययन और कार्य है। प्रायः इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स भी शामिल रहता है। इसमे मुख्य रूप से विद्युत मशीनों की कार्य विधि एवं डिजाइन; विद्युत उर्जा का उत्पादन, संचरण, वितरण, उपयोग; पावर एलेक्ट्रानिक्स; नियन्त्रण तन्त्र; तथा एलेक्ट्रानिक्स का अध्ययन किया जाता है। एक अलग व्यवसाय के रूप में वैद्युत अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में हुआ जब विद्युत शक्ति का व्यावसायिक उपयोग होना आरम्भ हुआ। आजकल वैद्युत अभियांत्रिकी के अनेकों उपक्षेत्र हो गये हैं। .

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विद्युतदर्शी

विद्युत्दर्शी (Electroscopoe) का प्रयोग विद्युत आवेश के संसूचन और मापन में होता है। विद्युत्दर्शी सबसे प्राचीन विद्युत उपकरण है। सन् १७८७ के पहले कई प्रकार के विद्युत्दर्शी बने जो मुख्यत: आवेशित पिथ गुट का (सरकंडे के गूदे की गोली) के प्रतिकर्षण का उपयोग करते थे। .

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विमीय विश्लेषण

विमीय विश्लेषण (Dimensional analysis) एक संकाल्पनिक औजार (कांसेप्चुअल टूल) है जो भौतिकी, रसायन, प्रौद्योगिकी, गणित एवं सांख्यिकी में प्रयुक्त होता है। यह वहाँ उपयोगी होता है जहाँ कई तरह की भौतिक राशियाँ किसी घटना के परिणाम के लिये जिम्मेदार हों। भौतिकविद अक्सर इसका उपयोग किसी समीकरण आदि कि वैधता (plausibility) की जाँच के लिये करते रहते हैं। दूसरी तरफ इसका उपयोग जटिल भौतिक स्थितियों से सम्बंधित चरों को आपस में समीकरण द्वारा जोड़ने के लिये किया जाता है। विमीय विश्लेषण की विधि से प्राप्त इन सम्भावित समीकरणों को प्रयोग द्वारा जाँचा जाता है, या अन्य सिद्धान्तों के प्रकाश में देखा जाता है। बकिंघम का पाई प्रमेय (Buckingham π theorem), विमीय विश्लेषण का आधार है। .

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व्हीटस्टोन सेतु

ह्वीटस्टोन सेतु की मूल संरचना व्हीटस्टोन सेतु (Wheatstone bridge) एक छोटा सा परिपथ है जो मापन में उपयोगी है। इसका आविष्कार सैमुएल हण्टर क्रिस्टी (Samuel Hunter Christie) ने सन् १८३३ में किया था किन्तु चार्ल्स ह्वीटस्टोन ने इसको उन्नत और लोकप्रिय बनाया। अन्य कामों के अतिरिक्त यह किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिये प्रयुक्त होता है। .

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गतिक परिसर

उच्च गतिक परिसर वाला एक दृष्य गतिक परिसर (Dynamic range, संक्षिप्त रूप: DR या DNR) किसी चर राशि के अधिकतम एवं न्यूनतम मानों के अनुपात को कहते हैं जो किसी युक्ति, उपकरण, यंत्र या अंग द्वारा ग्रहण किये जा सकते हैं। इसे या तो अनुपात के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है या अनुपात के लघुगणक (डेसीबेल और डबुलिंग्स) द्वारा अभिव्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिये मानव के कान एवं नेत्र की गतिक परिसर बहुत अधिक होती है (लगभग १०० डीबी और ९० डीबी क्रमशः)। 'गतिक परिसर' का उपयोग ध्वनि, संगीत, इलेक्ट्रॉनिकी, मापन, फोटोग्राफी आदि में होता है। अधिक गतिक परिसर वाले यंत्र, उपकरण और युक्तियाँ अच्छी मानी जातीं है। यदि कोई बहुमापी (मल्टीमीटर) कम से कम १ मिलीवोल्ट और अधिक से अधिक १००० वोल्ट का मापन कर सकता है तो कहेंगे कि इसकी गतिक परास १०००००० या १२० डीबी है। यदि कोई इलेक्ट्रानिक तुला कम से कम १ ग्राम तथा अधिक से अधिक १० किलो तौल सकती है तो उसका गतिक परिसर (१० किग्रा / १ ग्राम) .

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क्षेत्रमिति

क्षेत्रमिति (mensuration) गणित की एक शाखा है जो मापन से सम्बन्धित है। मापन में भी विशेष रूप से यह ज्यामितीय आकृतियों के क्षेत्रफल एवं आयतन के सूत्रों की निष्पत्ति (derivation) एवं उनके प्रयोग से सम्बन्ध रखती है। .

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क्वाण्टम यान्त्रिकीय मापन

प्रमात्रा यान्त्रिकी के सन्दर्भ में मापन को सावधानी पूर्वक परिभाषित करने की आवश्यकता पड़ती है। प्रमात्रा यान्त्रिकीय मापन पारम्परिक मापन (क्लासिकल मेजरमेण्ट) से इस अर्थ में भिन्न है कि पारम्परिक मापन में वस्तुओं के गुणों का मापन पर प्रभाव नगण्य होता है जबकि प्रमात्रा यान्त्रिकी में सूक्ष्म वस्तुओं के गुणों का भी मापन पर प्रभाव पड़ता है। श्रेणी:प्रमात्रा मापन श्रेणी:प्रमात्रा यान्त्रिकी श्रेणी:भौतिकी का दर्शन fr:Problème de la mesure quantique.

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अन्तरिक्ष

अन्तरिक्ष (स्पेस) असीम, तीन-आयामी विस्तार है जिसमें वस्तुएं और घटनाएं होती है और उनकी सापेक्ष स्थिति और दिशा होती है। भौतिक अन्तरिक्ष अक्सर तीन रैखिक आयाम की तरह समझा जाता है, हालांकि आधुनिक भौतिकविद आमतौर पर इसे, समय के साथ, असीम चार-आयामी सातत्यक जिसे स्पेस टाइम कहते है, का एक भाग समझते हैं। गणित में 'अन्तरिक्ष' को विभिन्न आधारभूत संरचनाओं और आयामों की विभिन्न संख्या के साथ समझा जाता है। भौतिक ब्रह्मांड को समझने के लिए अन्तरिक्ष की अवधारणा को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है हालांकि दार्शनिकों के मध्य इस तथ्य को लेकर असहमति जारी है कि यह स्वयं एक इकाई है, या इकाइयों के मध्य एक सम्बन्ध है, या वैचारिक ढांचे का एक हिस्सा है। पारम्परिक यांत्रिकी के प्रारंभिक विकास के दौरान, 17 वीं शताब्दी में कई दार्शनिक प्रश्न उजागर हुए थे। इसाक न्यूटन के अनुसार, अन्तरिक्ष निरपेक्ष था - अर्थात् यह स्थायी रूप से अस्तित्व में है और इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि क्या अन्तरिक्ष में कोई विषयवस्तु थी या नहीं। अन्य प्राकृतिक दार्शनिक, विशेष रूप से गोटफ्राइड लेबनिज़, ने इसके बजाय सोचा कि अन्तरिक्ष वस्तुओं के बीच संबंधों का एक संग्रह था, जो एक दूसरे से उनकी दूरी और दिशा के द्वारा दिया जाता है। 18वीं सदी में, इम्मानुएल काण्ट ने अन्तरिक्ष और समय को संरचनात्मक ढांचे के तत्वों के रूप में वर्णित किया है जिसको मनुष्य अपने अनुभव के निर्माण हेतु उपयोग करते है। 19वीं और 20वीं सदी में गणितज्ञों ने गैर इयूक्लिडियन रेखागणित का परीक्षण करना शुरू कर दिया था जिसमें अन्तरिक्ष को समतल के बजाय वक्रित कह सकते है। अल्बर्ट आइंस्टाइन का सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के आसपास का अन्तरिक्ष इयूक्लिडियन अन्तरिक्ष से विसामान्य होता है। सामान्य सापेक्षता के प्रायोगिक परीक्षण ने यह पुष्टि की है कि गैर इयूक्लिडियन अन्तरिक्ष प्रकाशिकी और यांत्रिकी के और मौजूदा सिद्धांतो की व्याख्या हेतु एक बेहतर मॉडल उपलब्ध कराता है। .

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अल्पतमांक

किसी मापन यंत्र द्वारा जिस अधिकतम शुद्धता से मापन किया जा सकता है उसे उस यंत्र का अल्पतमांक (.

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