माधवदास 'माधुरी' (लगभग संवत् १६५० - लगभग संवत १७१०) चैतन्य सम्प्रदाय के हिन्दी कवि थे। इनका नाम 'माधव दास' था और ये कपूर खत्री थे। कहीं अन्यत्र से आकर वृंदावन के पास माधुरीकुंड पर रहने लगे और अपना उपनाम 'माधुरी' रखा। वंशीवटमाधुरी, केलिमाधुरी, उत्कंठामाधुरी, वृंदावनमाधुरी, दानमाधुरी, मानमाधुरी, होरी माधुरी, प्रिया जी की बधाई आदि इनकी छोटी-छोटी रचनाएँ हैं, जिनका एक संग्रह 'माधुरी वाणी' नाम से प्रकाशित हो चुका है। दो रचनाओं में सं० १६८७ तथा सं० १६९९ रचनाकाल दिया है अत: इनका समय संवत् १६५०-१७१० तक निश्चित रूप से माना जा सकता है। यह चैतन्य संप्रदाय के थे, क्योंकि सभी रचनाओं में श्री चैतन्य महाप्रभु तथा रूपसनातन की वंदना की है। श्रेणी:हिन्दी कवि.