लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

माधव प्रसाद मिश्र

सूची माधव प्रसाद मिश्र

माधव प्रसाद मिश्र (१८७१ - १९०७ ई०), हिन्दी के विख्यात साहित्यकार थे। कुछ लोगों का विचार है कि हिन्दी के द्विवेदी युग का सही नाम माधव प्रसाद मिश्र युग होना चाहिये। वे सुदर्शन नामक एक हिन्दी पत्र का सम्पादन करते थे। उनका जन्म भिवानी (हरियाणा) में हुआ था। माधव प्रसाद मिश्र का जन्म भिवानी (हरियाणा) के समीप कूँगड़ नामक ग्राम में हुआ था। वे कट्टर सनातन धर्मी विचारों के थे। वे स्वभाव के बड़े जोशीले तथा भारतीय संस्कृति के संरंक्षक और राष्ट्रप्रेमी विद्वान थे। उन्होंने 'वैश्योपकारक' और 'सुदर्शन' का संपादन किया। 'वेबर का भ्रम' उनके निजी संस्कृतिप्रेम का परिचायक है। नैषध-चरित-चर्चा पर महावीरप्रसाद द्विवेदी से उनकी नोक-झोंक चलती रही। श्रीधर पाठक के काव्य विषय की भी उन्होंने खूब टीका-टिप्पणी की। लोकोपयोगी स्थायी विषयों पर इनके 'धृति' और 'क्षमा' शीर्षक दो लेख उपलब्ध हैं। आपके निबंध अधिकतर भावात्मक हैं। भाषा पांडित्यपूर्ण और मुहावरेदार है। जीवन-चरित-रचना में भी आप सिद्धहस्त थे। श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार.

2 संबंधों: देशेर कथा, आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास

देशेर कथा

देशेर कथा (हिन्दी अर्थ: 'देश की बात') महान क्रान्तिकारी विचारक एवं लेखक सखाराम गणेश देउस्कर द्वारा लिखित क्रांतिकारी बांग्ला पुस्तक है। सन् 1904 में ‘देशेर कथा’ शीर्षक से प्रकाशित यह पुस्तक ब्रिटिश साम्राज्य में गुलामी की जंजीरों में जकड़ी और शोषण की यातना में जीती-जागती भारतीय जनता के चीत्कार का दस्तावेज है। मात्र पांच वर्षों में इसके पांच संस्करण की तेरह हजार प्रतियों के प्रकाशन की सूचना से भयभीत अंग्रेज़ों ने सन् 1910 में इस पुस्तक पर पाबंदी लगा दी। भारतीय अर्थव्यवस्था को तबाह करने के लिए यहां की कृषि व्यवस्था कारीगरी और उद्योग-धंधों को तहस-नहस करने और भारतीय नागरिक के संबंध में अवमानना भरे वाक्यों का व्यवहार करने की घटनाओं का प्रमाणिक चित्र यहां उपस्थित है। सखाराम गणेश देउस्कर ने देश में स्वाधीनता की चेतना के जागरण और विकास के लिए ‘देशेर कथा’ की रचना की थी। यद्यपि उन्होंने कांग्रेस द्वारा संचालित स्वाधीनता आंदोलन का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने उस आंदोलन की रीति-नीति की आलोचना भी की है। उन्होंने देशेर कथा की भूमिका में स्पष्ट लिखा है कि ‘‘हमारे आंदोलन भिक्षुक के आवेदन मात्र है। हमलोगों को दाता की करुणा पर एकांत रूप से निर्भर रहना पड़ता है। यह बात सत्य होते हुए भी राजनीति की कर्तव्य-बुद्धि को उद्बोधित करने के लिए पुन: पुन: चीत्कार के अलावा हमारे पास दूसरे उपाय कहां है।’’1 वस्ततु: ‘देशेर कथा’ गुलामी की जंजीरों में जकड़ी और शोषण की यातना में जीती-मरती भारतीय जनता के चीत्कार की प्रामाणिक और प्रभावशाली अभिव्यक्ति है। इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद 'देश की बात' नाम से बाबूराव विष्णु पराड़कर ने लगभग शताब्दीभर पूर्व किया। पहली बार सन् 1908 में मुंबई से तथा उसका परिवर्द्धित संस्करण सन् 1910 में कलकत्ता से प्रकाशित हुआ। .

नई!!: माधव प्रसाद मिश्र और देशेर कथा · और देखें »

आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास

हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा। ईश्वर के साथ साथ मानव को समान महत्व दिया गया। भावना के साथ-साथ विचारों को पर्याप्त प्रधानता मिली। पद्य के साथ-साथ गद्य का भी विकास हुआ और छापेखाने के आते ही साहित्य के संसार में एक नई क्रांति हुई। आधुनिक हिन्दी गद्य का विकास केवल हिन्दी भाषी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहा। पूरे भारत में और हर प्रदेश में हिन्दी की लोकप्रियता फैली और अनेक अन्य भाषी लेखकों ने हिन्दी में साहित्य रचना करके इसके विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। हिन्दी गद्य के विकास को विभिन्न सोपानों में विभक्त किया जा सकता है- .

नई!!: माधव प्रसाद मिश्र और आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »