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महुआ माझी

सूची महुआ माझी

२००७ में अपने उपन्यास मैं बोरिशाइल्ला के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित हिन्दी लेखिका.

4 संबंधों: मैं बोरिशाइल्ला, समस्त रचनाकार, हिन्दी गद्यकार, इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान

मैं बोरिशाइल्ला

महुआ माझी का उपन्यास मैं बोरिशाइल्ला बांग्लादेश की मुक्ति-गाथा पर केंद्रित है। यह उपन्यास बहुत ही कम समय में खासा चर्चित हुआ है और इस कृति को सम्मानित भी किया गया है। इस उपन्यास के असामान्य शीर्षक के बारे में स्पष्टीकरण देती हुई वे, उपन्यास के प्राक्कथन में कहती हैं - “...जिस तरह बिहार के लोगों को बिहारी तथा भारत के लोगों को भारतीय कहा जाता है, उसी प्रकार बोरिशाल के लोगों को यहाँ की आंचलिक भाषा में बोरिशाइल्ला कहा जाता है। उपन्यास का मुख्य पात्र केष्टो, बोरिशाल का है। इसीलिए वह कह सकता है - मैं बोरिशाइल्ला।” इस उपन्यास में १९४८ से १९७१ तक के बांग्ला देश के ऐतिहासिक तथ्यों, पाकिस्तानी हुकूमत द्वारा बांग्लादेशी जनता पर किए अत्याचारों की घटनाओं तथा मुक्तिवाहिनी के संघर्ष गाथाओं को कथा सूत्र में पिरोया गया है। इस उपन्यास की रचना प्रक्रिया के विषय में वे कहती हैं कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम को अपने पहले ही उपन्यास का विषय बनाने का कारण था कि मैं नई पीढ़ी के लिए उसे एक दृष्टांत के रूप में पेश करना चाहती थी कि आज बेशक पूरी दुनिया में सारी लड़ाइयाँ धर्म के नाम पर ही लड़ी जा रही हैं, लेकिन सच तो ये हैं कि सारा खेल सत्ता का है। ये लड़ाइयाँ अब बंद होनी चाहिये। भाषा और शैली की दृष्टि से इस उपन्यास के अति साधारण व नीरस होने बात कही जाती है। आलोचकों का मानना है कि उपन्यास की भाषा अत्यंत साधारण है और समूचे उपन्यास में कहीं भी कोई भाषाई शिल्प दिखाई नहीं देता। कथन में प्रवाह नहीं है और उपन्यास घटना-प्रधान होते हुए भी आमतौर पर बोझिल-सा बना रहता है। जिसके कारण इसके कई खण्ड घोर अपठनीय ही बने रहते हैं। लेखिका ने शायद पाकिस्तानी सैनिकों तथा उर्दूभाषी नागरिकों द्वारा बांग्लाभाषियों पर किए गए अत्याचारों तथा मुक्तिवाहिनी के कार्यों के बहुत प्रामाणिक विवरण देने के लोभ में उपन्यास को बिखरा सा दिया है। घटना प्रधान कथानक में रहस्य का सर्वथा अभाव भी आगे पढ़ने की जिज्ञासा बनाए रखने में सहायक नहीं होता। .

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समस्त रचनाकार

अकारादि क्रम से रचनाकारों की सूची अ.

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हिन्दी गद्यकार

कोई विवरण नहीं।

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इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान

यू॰के॰कथा सम्मान का प्रतीक चिह्नयू के कथा सम्मान इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा दिया जाने वाला साहित्य सम्मान है। यह सम्मान १९९५ से प्रतिवर्ष कहानी संग्रह या उपन्यास की एक उत्कृष्ट कृति को दिया जाता है। उत्कृष्ट कृति का निर्णय एक निर्णायक मंडल करता है। इस सम्मान के निर्णय की प्रक्रिया में संस्था के भारतीय प्रतिनिधि सूरज प्रकाश करीब २५० साहित्य प्रेमियों, संपादकों एवं लेखकों को पत्र लिख कर उनसे संस्तुतियाँ मँगवाते हैं, एक सर्वसामान्य सूची बनती है, पुस्तकें ख़रीदी जाती हैं, उनकी छटनी होती है और अंत में १० से १२ किताबें रह जाती हैं जो निर्णायक मंडल को पढ़ने के लिये भेजी जाती हैं। निर्णायक मंडल के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं। इस पुरस्कार के अंतर्गत दिल्ली - लंदन - दिल्ली आने जाने का हवाई टिकट (एअर इंडिया द्वारा प्रायोजित) इंगलैंड के लिये वीसा शुल्क, एक स्मृति चिह्न, लंदन में एक सप्ताह तक रहने की सुविधा तथा लंदन के प्रमुख दर्शनीय स्थलों का भ्रमण आदि शामिल होता है। यह पुरस्कार साहित्यकार को लंदन में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाता है। .

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