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महासू उपत्यका

सूची महासू उपत्यका

महासू उपत्यका उत्तराखंड में तौंस और यमुना नदियों के बीच का क्षेत्र है जिसका कालसी से हर की दून में हिमालय की धवल चोटियों तक विस्तार है। जौनसार बावर के नाम से परिचित इस क्षेत्र में महासू देवता का पौराणिक कथानक अनेक रूपों में गतिशील हैं। कुछ अन्य पौराणिक कथानक तथा ऐतिहासिक तथ्य कालसी, लाखामंडल, हनोल और नैटवाड़ में उजागर होते हैं। महासू देवता का संस्थान, इन कथानकों के समन्वय से, लोगों के मानसिक एवं सामाजिक प्रबंधन, तथा व्यवहार में रौद्र रस तथा माधूर्य भाव के प्रवाह, का नियोगी है। पारिस्थितिकीय दृष्टि से समृद्ध यह क्षेत्र, स्थानीय लोगों द्वारा ब्रितानी वन नीति के विरोध लिए विख्यात रहा। .

1 संबंध: पराप्राकृतिक शिमला

पराप्राकृतिक शिमला

पराप्राकृतिक शिमला या “सिमला क्रीड” शिमला का एक विचित्र रूप है, अन्य रूप हैं ब्रितानी राज की “ग्रीष्म राजघानी” तथा मूल निवासियों की “छोटी विलायत”। सिमला या शिमला का पराप्राकृतिक रूप अंग्रेजी राज में बसते शहर के जन मानस को उजागर करता है जिसमें बाहरी लोगों के साथ आई पराप्राकृतिक सत्ताएं तथा उनसे जुड़ी आस्थाएं और अधिष्ठान इस वन आच्छादित भू-भाग पर नए पराप्राकृतिक क्षेत्र बनाते गए। सिमला की सबसे ऊँची चोटी जाखू पर पहले से ही एक हनुमान मंदिर, तथा तीन अन्य पहाड़ियों पर काली या देवियों के मंदिर थे। जैसे-जैसे यूरोप से आने वाले भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों के लोग इन पहाड़ियों पर बसते गए, नए व पुराने पराप्राकृतिक तत्वों से जुड़े कथानकों ने “सिमला क्रीड” को जन्म दिया। कोटगढ़ की “लिस्पेथ” का इसाई जगत से वापस स्थानीय देवी की शरण लेना; अलान अक्तावियन ह्यूम का पराप्राकृतिक तत्वों में रुझान; धर्मविज्ञान की राजनीति में पैठ से एनी बेसेन्ट और महात्मा गाँधी के बीच मतभेद, पराप्राकृतिक तत्वों के जन-मानस पर प्रभावों के कुछ उदाहरण हैं। इतिहासकारों का मानना है कि 1857 के ग़दर से पहले इन पराप्राकृतिक तत्वों के समूहों या क्षेत्रों में मेल-जोल होने लगा था, ग़दर के बाद इन में खाई पड़ गयी। और, परमानसिक अनुसंधान से मानवीय अनुभवों और वैज्ञानिकों के बीच आपसी सहायता बढ़ाना, विलिअम जेम्स का सपना था। .

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