लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

महावाक्य

सूची महावाक्य

महावाक्य से उन उपनिषद वाक्यो का निर्देश है जो स्वरूप में लघु है, परन्तु बहुत गहन विचार समाये हुए है। प्रमुख उपनिषदों में से इन वाक्यो को महावाक्य माना जाता है -.

12 संबंधों: तत्त्वमसि, नेति नेति, पुनर्गमनवाद, प्रज्ञानं ब्रह्म, भारत के चार धाम, मठ, यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे, हिन्दू दर्शन, अयमात्मा ब्रह्म, अयम् आत्मा ब्रह्म, अहम् ब्रह्मास्मि, छांदोग्य उपनिषद

तत्त्वमसि

तत्त्वमसि (तत् त्वम् असि) भारत के पुरातन हिंदू शास्त्रों व उपनिषदों में वर्णित चार महावाक्यों में से एक है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - "वह तुम ही हो"। .

नई!!: महावाक्य और तत्त्वमसि · और देखें »

नेति नेति

नेति नेति (.

नई!!: महावाक्य और नेति नेति · और देखें »

पुनर्गमनवाद

पुनर्गमनवाद एक दार्शनिक दृष्टिकोण है जिससे याथार्थ्य की विवेचना भारतीय परम्परा में होती है। पुनर्गमन का अर्थ विधान अथवा व्यवस्था के रूप का विभिन्न स्थानों पर उत्थान। इसका उत्गम वेद के महावाक्य यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे है। एक ही समय पूरे ब्रह्माण्ड को ईश्वर का रूप और ईश्वर का आत्मा से समीकरण इस मत से आनुरूप्य हैं। पर इसका प्रमाण समकालीन विज्ञान में भी मिलता है। यह विरोधाभास है और अनोखी बात है कि इसे दर्शन का नव्योत्तर विषय अथवा वैदिक विचार का प्रबन्ध माना जा सकता है। सुभाष काक ने इस दार्शनिक मत पर कई कृतियां लिखीं हैं। इस विचारधारा से एक प्राचीन वैदिक ज्योतिष का ज्ञान हुआ है, जिससे भारत की संस्कृति, विज्ञान और कालक्रम पर नया प्रकाश पड़ता है। इनमें से सबसे रोचक १०८ अंक, जो भारतीय संस्कृति में बहुत आता है, की व्याख्या है। प्रमुख देवी-देवताओं के १०८ नाम हैं, जपमाला में १०८ दाने, १०८ धाम हैं, आदि। सुभाष काक के शोध ने दिखाया है कि वैदिक काल में यह ज्ञान था कि सूर्य और चन्द्रमा पृथिवी से लगभग १०८ निजि व्यास के गुणा दूर हैं। आधुनिक ज्योतिष ने तो यह भी दिखाया है कि सूर्य का व्यास पृथिवी के व्यास से लगभग १०८ गुणा है। .

नई!!: महावाक्य और पुनर्गमनवाद · और देखें »

प्रज्ञानं ब्रह्म

प्रज्ञानं ब्रह्म भारत के पुरातन हिंदू शास्त्र 'ऋग्वेद' का 'महावाक्य' है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - "ज्ञान ही ब्रह्म है"। चार वेदों में चार महावाक्य है। इस महावाक्य का अर्थ है- 'प्रकट ज्ञान ब्रह्म है।' वह ज्ञान-स्वरूप ब्रह्म जानने योग्य है और ज्ञान गम्यता से परे भी है। वह विशुद्ध-रूप, बुद्धि-रूप, मुक्त-रूप और अविनाशी रूप है। वही सत्य, ज्ञान और सच्चिदानन्द-स्वरूप ध्यान करने योग्य है। उस महातेजस्वी देव का ध्यान करके ही हम 'मोक्ष' को प्राप्त कर सकते हैं। वह परमात्मा सभी प्राणियों में जीव-रूप में विद्यमान है। वह सर्वत्र अखण्ड विग्रह-रूप है। वह हमारे चित और अहंकार पर सदैव नियन्त्रण करने वाला है। जिसके द्वारा प्राणी देखता, सुनता, सूंघता, बोलता और स्वाद-अस्वाद का अनुभव करता है, वह प्रज्ञान है। वह सभी में समाया हुआ है। वही 'ब्रह्म' है। .

नई!!: महावाक्य और प्रज्ञानं ब्रह्म · और देखें »

भारत के चार धाम

भारतीय धर्मग्रंथों में बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम की चर्चा चार धाम के रूप में की गई है।.

नई!!: महावाक्य और भारत के चार धाम · और देखें »

मठ

मठ मठ का अर्थ ऐसे संस्थानो से है जहां इसके गुरू अपने शिष्यों को शिक्षा, उपदेश इत्यादि प्रदान करता है। ये गुरू प्रायः धर्म गुरु होते है ऐर दी गई शिक्षा मुख्यतः आध्यात्मिक होती है पर ऐसा हमेशा नही होता। एक मठ में इन कार्यो के अतिरिक्त सामाजिक सेवा, साहित्य इत्यादि से सम्बन्धित कार्य भी होते हैं। मठ एक ऐसा शब्द है जिसके बहुधार्मिक अर्थ हैं।बौद्ध मठों को विहार कहते है। ईसाई धर्म में इन्हें मॉनेट्री, प्रायरी, चार्टरहाउस, एब्बे इत्यादि नामों से जाना जाता है। .

नई!!: महावाक्य और मठ · और देखें »

यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे

यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे एक महावाक्य है जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड और शरीर की क्रिया में बन्धु हैं। श्रेणी:महावाक्य.

नई!!: महावाक्य और यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे · और देखें »

हिन्दू दर्शन

हिन्दू धर्म में दर्शन अत्यन्त प्राचीन परम्परा रही है। वैदिक दर्शनों में षड्दर्शन अधिक प्रसिद्ध और प्राचीन हैं। .

नई!!: महावाक्य और हिन्दू दर्शन · और देखें »

अयमात्मा ब्रह्म

अयमात्मा ब्रह्म भारत के पुरातन हिंदू शास्त्रों व उपनिषदों में वर्णित चार महावाक्यों में से एक है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - "यह आत्मा ब्रह्म है"। .

नई!!: महावाक्य और अयमात्मा ब्रह्म · और देखें »

अयम् आत्मा ब्रह्म

अयम् आत्मा ब्रह्म उपनिषद् के इस महावाक्य के अनुसार आत्मा और परब्रह्म का समीकरण है। अर्थात व्यक्ति विश्व का रहस्य, जो परब्रह्म को विदित है, जान सकता है। श्रेणी:उपनिषद श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: महावाक्य और अयम् आत्मा ब्रह्म · और देखें »

अहम् ब्रह्मास्मि

अहम् ब्रह्मास्मि भारत के पुरातन हिंदू शास्त्रों व उपनिषदों में वर्णित चार महावाक्यों में से एक है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - "मैं ब्रहम हूँ।" .

नई!!: महावाक्य और अहम् ब्रह्मास्मि · और देखें »

छांदोग्य उपनिषद

छांदोग्य उपनिषद् समवेदीय छान्दोग्य ब्राह्मण का औपनिषदिक भाग है जो प्राचीनतम दस उपनिषदों में नवम एवं सबसे बृहदाकार है। इसके आठ प्रपाठकों में प्रत्येक में एक अध्याय है। .

नई!!: महावाक्य और छांदोग्य उपनिषद · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

चार महावाक्य

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »