मराठी भाषी प्रदेश में राष्ट्रभाषा का प्रचार करने के हेतु गांधी जी की प्रेरणा से महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा की स्थापना हुई। आचार्य काकासाहब कालेलकर की अध्यक्षता में तादृ 22 मई 1937 को पूना में महाराष्ट्र के रचनात्मक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक और सांस्कृतिक नेताओं आदि का सम्मेलन संपन्न हुआ जिसमें 'महाराष्ट्र हिंदी प्रचार समिति' के नाम से एक संगठन बनाया गया। आठ साल तक यह समिति राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा से संबद्ध रही। भाषा विषयक सिद्धांत के मतभेद के कारण इस संगठन ने संमेलन तथा वर्धा समिति से संबंध तोड़ दिया। 12 अक्टूबर 1945 को महाराष्ट्र के प्रमुख कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई, जिसमें स्वतंत्र रूप से कार्य करने का निश्चय किया गया। संस्था अब महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा के नाम से काम करने लगी। .
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