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महाकाली

सूची महाकाली

जब सम्पूर्ण जगत् जलमग्न था और भगवान विष्णु शेषनाग की शय्या बिछाकर योगनिद्रा का आश्रय ले सो रहे थे, उस समय उनके कानों के मैल से मधु और कैटभ दो भयंकर असुर उत्पन्न हुए। वे दोनों ब्रह्माजी का वध करने को तैयार हो गये। भगवान विष्णु के नाभिकमल में विराजमान प्रजापति ब्रह्माजी ने जब उन दोनों भयानक असुरों को अपने पास आया और भगवान को सोया हुआ देखा, तब एकाग्रचित्त होकर उन्होंने भगवान विष्णु को जगाने के लिये उनके नेत्रों में निवास करनेवाली योगनिद्रा का स्तवन आरम्भ किया। जो इस विश्व की अधीश्वरी, जगत् को धारण करनेवाली, संसार का पालन और संहार करने वाली तथा तेज:स्वरूप भगवान विष्णु की अनुपम शक्ति हैं, उन्हीं भगवती निद्रादेवी की भगवान ब्रह्मा स्तुति करने लगे। ब्रह्माजी ने कहा- देवि! तुम्हीं इस जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और संहार करनेवाली हो। तुम्हीं जीवनदायिनी सुधा हो। देवि! तुम्हीं संध्या, सावित्री तथा परम जननी हो। तुम्हीं इस विश्व-ब्रह्माण्ड को धारण करती हो। तुमसे ही इस जगत् की सृष्टि होती है। तुम्हीं से इसका पालन होता है और सदा तुम्हीं कल्प के अन्त में सबको अपना ग्रास बना लेती हो। जगन्मयी देवि! इस जगत् की उत्पत्ति के समय तुम सृष्टिरूपा हो, पालन-काल में स्थितिरूपा हो तथा कल्पान्त के समय संहाररूप धारण करनेवाली हो। तुम्हीं महाविद्या, महामाया, महामेधा, महास्मृति, महामोहरूपा, महादेवी और महासुरी हो। तुम्हीं तीनों गुणों को उत्पन्न करनेवाली सबकी प्रकृति हो। भयंकर कालरात्रि, महारात्रि और मोहरात्रि भी तुम्हीं हो। तुम्हीं श्री, तुम्हीं ईश्वरी, तुम्हीं ह्री और तुम्हीं बोधस्वरूपा बुद्धि हो। लज्जा, पुष्टि, तुष्टि, शान्ति और क्षमा भी तुम्हीं हो। तुम खड्गधारिणी, शूलधारिणी, घोररूपा तथा गदा, चक्र, शंख और धनुष धारण करनेवाली हो। बाण, भुशुण्डी और परिघ- ये भी तुम्हारे अस्त्र हैं। तुम सौम्य और सौम्यतर हो-इतना ही नहीं, जितने भी सौम्य एवं सुन्दर पदार्थ हैं, उन सबकी अपेक्षा तुम अत्यधिक सुन्दरी हो। पर और अपर-सबके परे रहनेवाली परमेश्वरी तुम्हीं हो। सर्वस्वरूपे देवि! कहीं भी सत्-असत्रूप जो कुछ वस्तुएँ हैं और उन सबकी जो शक्ति है, वह तुम्हीं हो। ऐसी अवस्था में तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? जो इस जगत् की सृष्टि, पालन और संहार करते हैं, उन भगवान को भी जब तुमने निद्रा के अधीन कर दिया है, तब तुम्हारी स्तुति करने में यहाँ कौन समर्थ हो सकता है? मुझको, भगवान शंकर को तथा भगवान विष्णु को भी तुमने ही शरीर धारण कराया है; अत: तुम्हारी स्तुति करने की शक्ति किसमें है? देवि! ये जो दोनों दुर्धर्ष असुर मधु और कैटभ हैं, इनको मोह में डाल दो और जगदीश्वर भगवान विष्णु को शीघ्र ही जगा दो। साथ ही इनके भीतर इन दोनों महान असुरों को मार डालने की बुद्धि उत्पन्न कर दो। इस प्रकार स्तुति करने पर तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी योगनिद्रा भगवान के नेत्र, मुख, नासिका, बाहु, हृदय और वक्ष:स्थल से निकलकर ब्रह्माजी के समक्ष उपस्थित हो गयीं। योगनिद्रा से मुक्त होने पर भगवान जनार्दन उस एकार्णव के जल में शेषनाग की शय्या से जाग उठे। उन्होंने दोनों पराक्रमी असुरों को देखा जो लाल आँखें किये ब्रह्माजी को खा जाने का उद्योग कर रहे थे। तब भगवान श्रीहरि ने दोनों के साथ पाँच हजार वर्षो तक केवल बाहुयुद्ध किया। इसके बाद महामाया ने जब दोनों असुरों को मोह में डाल दिया तो वे बलोन्मत्त होकर भगवान से ही वर माँगने को कहा। भगवान ने कहा कि यदि मुझ पर प्रसन्न हो तो मेरे हाथों मारे जाओ। असुरों ने कहा जहाँ पृथ्वी जल में डूबी न हो, वहीं हमारा वध करो। तब भगवान ने तथास्तु कहकर दोनों के मस्तकों को अपनी जाँघ पर रख लिया तथा चक्र से काट डाला। इस प्रकार देवी महामाया (महाकाली) ब्रह्माजी की स्तुति करने पर प्रकट हुई। कमलजन्मा ब्रह्माजी द्वारा स्तवित महाकाली अपने दस हाथों में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, शूल, भुशुण्डि, मस्तक और शंख धारण करती हैं। त्रिनेत्रा भगवती के समस्त अंग दिव्य आभूषणों से विभूषित हैं। श्रेणी:हिन्दू देवियाँ gu:મહાકાળી.

23 संबंधों: चैती देवी मन्दिर, काशीपुर, एयारकोत, ढुंगाड, दिल्सैनी, दुर्गा भवानी, दुर्गास्थान, धिकरिम, धिकासिन्ताद, धुलिगाडा, धौलाकोत, महारुद्र, महेन्द्रनगर, महेन्द्रनगर नगरपालिका, रुद्रावतार, श्री नीलकंठेश्वर महादेव, मथुरा, जम्मू, ज्वालामुखी मंदिर, गंगा नदी, आन्ध्र प्रदेश, कालपुरुष, काली, काशीपुर का चैती मेला, उत्तर भारत बाढ़ २०१३

चैती देवी मन्दिर, काशीपुर

चैती देवी मन्दिर (जिसे माता बालासुन्दरी मन्दिर भी कहा जाता है) उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में काशीपुर कस्बेे में कुँडेश्वरी मार्ग पर स्थित है। यह स्थान महाभारत से भी सम्बन्धित रहा है और इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष चैत्र मास की नवरात्रि में चैती मेला (जिसे चैती का मेला भी कहा जाता है) का आयोजन किया जाता है। यह धार्मिक एवं पौराणिक रूप से ऐतिहासिक स्थान है और पौराणिक काल में इसे गोविषाण नाम से जाना जाता था। मेले के अवसर पर दूर-दूर से यहाँ श्रद्धालु आते हैं। .

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एयारकोत

एयारकोत नेपाल के महाकाली अंचल का दार्चुला जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ३२३ घर है। .

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ढुंगाड

ढुंगाड नेपाल के महाकाली अंचल का बैतडी जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ४०५ घर है। .

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दिल्सैनी

दिल्सैनी नेपाल के महाकाली अंचल का बैतडी जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मै ९०९ घर है। .

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दुर्गा भवानी

दुर्गा भवानी नेपाल के महाकाली अंचल का बैतडी जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मै ४३३ घर है। .

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दुर्गास्थान

दुर्गास्थान नेपाल के महाकाली अंचल का बैतडी जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मै ६५९ घर है। .

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धिकरिम

धिकरिम नेपाल के महाकाली अंचल का बैतडी जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मै ६७८ घर है। .

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धिकासिन्ताद

धिकासिन्ताद नेपाल के महाकाली अंचल का बैतडी जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ६७३ घर है। .

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धुलिगाडा

धुलिगाडा नेपाल के महाकाली अंचल का दार्चुला जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मै ६३४ घर है। .

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धौलाकोत

धौलाकोत नेपाल के महाकाली अंचल का दार्चुला जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मै ४११ घर है। .

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महारुद्र

महारुद्र (अंग्रेजी:Maharudra), नेपाल के महाकाली अंचल का बैतडी जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ६५६ घर है। .

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महेन्द्रनगर

परिचय भिम् डत्ता नगरपालिका (महेन्द्रनगर), नेपाल के महाकाली अंचल का कंचनपुर जिला की एक नगरपालिका है। इसके अन्दर लगभग १४४५० घर है। यह पश्चिम नेपाल से उतरांचल राज्य (भारत) प्रवेश का मुख्य नाका है। भिम् डत्ता माहाकाली अंचल का अंचल मुकाम होनेके साथ-साथ कंचनपुर जिलेका भी मुकाम है। .

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महेन्द्रनगर नगरपालिका

महेन्द्रनगर नगरपालिका (अंग्रेजी:Mahendranagar), नेपाल के महाकाली अंचल का कंचनपुर जिला का एक नगरपालिका है। यह जगह मै १३७३८ घर है। .

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रुद्रावतार

रुद्रावतार भगवान् शिव (रूद्र) के अवतारों को कहा जाता है। शास्त्र अनुसार महादेव के २८ अवतार हुए थे उनमें भी १० प्रमुख है । .

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श्री नीलकंठेश्वर महादेव, मथुरा

श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत मथुरा नगर में मथुरा-वृंदावन मार्ग पर मोक्ष धाम के निकट स्थित है। इस मंदिर का उल्लेख वराह पुराण के अंतर्गत गोकर्ण सरस्वती माहात्म्य शुक्र वृत्तांत, मथुरा पुरागमन मोक्ष प्राप्ति वृत्तांत में है। कालांतर में यहाँ नागा संतों ने महामृत्युंजय यंत्र के आधार पर मुख्य मंदिर में कसौटी पत्थर से निर्मित विशाल अनुपम अलौकिक शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कर लगभग 400 वर्षों तक तप साधना की। लंबे समय तक यह मंदिर सुनसान और विस्मृत रहा। सन् 1850 में लखनऊ निवासी अयोध्या प्रसाद ने नागा संतों द्वारा स्थापित पुराने मूल मंदिर का विस्तार कर परिसर को भव्यता प्रदान की। मुख्य मंदिर के एक ओर महालक्ष्मी, महाकाली और महा सरस्वती के मंदिर हैं तथा दूसरी तरफ गंगा और गरुड के मंदिर है। मुख्य मंदिर के बगल में हनुमान का मंदिर है। मान्यता है कि श्री नीलकंठेश्वर के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। पुरातात्विक महत्व के इस पौराणिक सिद्धपीठ के विभिन्न मंदिर, प्रवेशद्वार, परकोटे आदि समय और प्रकृति के थपेड़ों से अत्यंत जीर्णशीर्ण हालत में हैं। लंबे समय से लोगों की उपेक्षा और अतिक्रमण ने इसे नष्ट-भ्रष्ट कर गिरासू हालत में पहुँचा दिया है। वर्तमान में इस मंदिर के पुरातन पौराणिक स्वरूप को बचाने के लिए कुछ भक्तजन और संस्कृतिप्रेमी लोगों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। श्रेणी:उत्तर प्रदेश के मंदिर श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:मथुरा श्रेणी:उत्तर प्रदेश श्रेणी:शिव मंदिर.

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जम्मू

जम्मू (جموں, पंजाबी: ਜੰਮੂ), भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू एवं कश्मीर में तीन में से एक प्रशासनिक खण्ड है। यह क्षेत्र अपने आप में एक राज्य नहीं वरन जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक भाग है। क्षेत्र के प्रमुख जिलों में डोडा, कठुआ, उधमपुर, राजौरी, रामबन, रियासी, सांबा, किश्तवार एवं पुंछ आते हैं। क्षेत्र की अधिकांश भूमि पहाड़ी या पथरीली है। इसमें ही पीर पंजाल रेंज भी आता है जो कश्मीर घाटी को वृहत हिमालय से पूर्वी जिलों डोडा और किश्तवार में पृथक करता है। यहाम की प्रधान नदी चेनाब (चंद्रभागा) है। जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को "मन्दिरों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है। .

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ज्वालामुखी मंदिर

ज्वालामुखी मंदिर, कांगडा घाटी से 30 कि॰मी॰ दक्षिण में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में शामिल है। ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवो को जाता है। उन्हीं के द्वारा इस पवित्र धार्मिक स्थल की खोज हुई थी। इस स्थाल पर माता सती की जीभ गिरी थी। इस मंदिर में माता के दर्शन ज्योति रूप में होते है। ज्वालामुखी मंदिर के समीप में ही बाबा गोरा नाथ का मंदिर है। जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का प्राथमिक निमार्ण राजा भूमि चंद के करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का पूर्ण निमार्ण कराया। मंदिर के अंदर माता की नौ ज्योतियां है जिन्हें, महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है। .

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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आन्ध्र प्रदेश

आन्ध्र प्रदेश ఆంధ్ర ప్రదేశ్(अनुवाद: आन्ध्र का प्रांत), संक्षिप्त आं.प्र., भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य है। क्षेत्र के अनुसार यह भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में (1600 कि॰मी॰) होते हुए, दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट (972 कि॰मी॰) है। हैदराबाद केवल दस साल के लिये राजधानी रहेगी, तब तक अमरावती शहर को राजधानी का रूप दे दिया जायेगा। आन्ध्र प्रदेश 12°41' तथा 22°उ॰ अक्षांश और 77° तथा 84°40'पू॰ देशांतर रेखांश के बीच है और उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिल नाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आन्ध्र प्रदेश को "भारत का धान का कटोरा" कहा जाता है। यहाँ की फसल का 77% से ज़्यादा हिस्सा चावल है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा बहती हैं। पुदु्चेरी (पांडीचेरी) राज्य के यानम जिले का छोटा अंतःक्षेत्र (12 वर्ग मील (30 वर्ग कि॰मी॰)) इस राज्य के उत्तरी-पूर्व में स्थित गोदावरी डेल्टा में है। ऐतिहासिक दृष्टि से राज्य में शामिल क्षेत्र आन्ध्रपथ, आन्ध्रदेस, आन्ध्रवाणी और आन्ध्र विषय के रूप में जाना जाता था। आन्ध्र राज्य से आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया। फरवरी 2014 को भारतीय संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा शेष आन्ध्र प्रदेश (सीमांन्ध्र) में 13 जिले होंगे। दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। नया राज्य सीमांन्ध्र दो-तीन महीने में अस्तित्व में आजाएगा अब लोकसभा/राज्यसभा का 25/12सिट आन्ध्र में और लोकसभा/राज्यसभा17/8 सिट तेलंगाना में होगा। इसी माह आन्ध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया जो कि राज्य के बटवारे तक लागू रहेगा। .

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कालपुरुष

कालपुरुष की परिकल्पना भारतीय ज्योतिष में मिलती है जिसमें समस्त राशिचक्र को मनुष्य के शरीर के समतुल्य वर्णित किया जाता है। सारावली ग्रंथ में कहा गया है कि: १२ राशियां के रूप में कालपुरुष के शरीर के अवयव इस प्रकार से हैं.

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काली

काली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। यह सुन्दरी रूप वाली भगवती दुर्गा का काला और भयप्रद रूप है, जिसकी उत्पत्ति राक्षसों को मारने के लिये हुई थी। उनको ख़ासतौर पर बंगाल और असम में पूजा जाता है। काली की व्युत्पत्ति काल अथवा समय से हुई है जो सबको अपना ग्रास बना लेता है। माँ का यह रूप है जो नाश करने वाला है पर यह रूप सिर्फ उनके लिए हैं जो दानवीय प्रकृति के हैं जिनमे कोई दयाभाव नहीं है। यह रूप बुराई से अच्छाई को जीत दिलवाने वाला है अत: माँ काली अच्छे मनुष्यों की शुभेच्छु है और पूजनीय है।इनको महाकाली भी कहते हैं। .

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काशीपुर का चैती मेला

चैती मेला (जिसे चैती का मेला भी कहा जाता है) क्षेत्र का प्रसिद्ध मेला है। इसका आयोजन नैनीताल जिले में काशीपुर में प्रतिवर्ष चैत्र मास की नवरात्रि में आयोजित किया जाता है। यह धार्मिक एवं पौराणिक रूप से ऐतिहासिक स्थान है। काशीपुर में कुँडेश्वरी मार्ग पर स्थित यह स्थान महाभारत से भी सम्बन्धित रहा है और यहीं बालासुन्दरी देवी का मन्दिर है जो इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। मेले के अवसर पर दूर-दूर से यहाँ श्रद्धालु आते हैं। .

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उत्तर भारत बाढ़ २०१३

जून 2013 में, उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गयी। इससे प्रभावित अन्य राज्य हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश हैं। बाढ़ के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ और बहुत से लोग बाढ़ में बह गए और हजारों लोग बेघर हो गये। इस भयानक आपदा में 5000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, .

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निवर्तमानआने वाली
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