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मरूद्यान

सूची मरूद्यान

ईनकेल्ट, यहूदिया मरूस्थल, इस्राइल में एक नखलिस्तान भौगोलिक संदर्भों में मरूद्यान, शाद्वल, मरूद्वीप अथवा नख़लिस्तान, किसी मरूस्थल में किसी झरने, चश्मा या जल-स्रोत के आसपास स्थित एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां किसी वनस्पति के उगने के लिए पर्याप्त अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध होती हैं। यदि यह क्षेत्र पर्याप्त रूप से बड़ा हो, तो यह पशुओं और मनुष्यों को भी प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराता है। मरूस्थलीय इलाकों में मरूद्यानों का हमेशा से व्यापार तथा परिवहन मार्गों के लिए विशेष महत्व का रहा है। पानी एवं खाद्य सामग्री की आपूर्ति के लिए काफिलों का मरूद्यानों से होकर गुज़रना आवश्यक है इसीलिए अधिकतर मामलों में किसी मरूद्यान पर राजनीतिक अथवा सैन्य नियंत्रण का तात्पर्य उस मार्ग पर होने वाले व्यापार पर नियंत्रण से भी है। उदहारण के तौर पर आधुनिक लीबिया में स्थित औजिला, घडामेस एवं कुफ्रा के मरूद्यान कई अवसरों पर सहारा के उत्तर-दक्षिणी एवं पूर्व-पश्चिमी व्यापार के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। इका, पेरू में हुआकाचीना नखलिस्तान मरूद्यान किसी जलस्रोत जैसे कि भूमिगत नदी अथवा आर्टीसियन कूप आदि से निर्मित होते हैं, जहां जल दबाव द्वारा प्राकृतिक रूप से अथवा मानव निर्मित कुओं द्वारा सतह तक पहुंच सकता है। समय समय पर होने वाली वृष्टि भी किसी मरूद्यान के भूमिगत स्रोत को प्राकृतिक को जल उपलब्ध कराती है, जैसे कि टुयात.

42 संबंधों: टकलामकान, तिहामाह, तुरफ़ान, तुर्किस्तान शृंखला, दूनहुआंग, नबाती, नज्द, नवचन्द्र झील, पूर्वी प्रान्त, सउदी अरब, बर्बर भाषाएँ, बुख़ारा, मर्व, मरी प्रान्त, मरी, तुर्कमेनिस्तान, मुरग़ाब नदी, मोदू चानयू, मोगाओ गुफ़ाएँ, यारकन्द ज़िला, सीवा मरूद्यान, हामून, हाइल प्रान्त, हिजाज़, हिजाज़ पहाड़ियाँ, हेशी गलियारा, ज़रफ़शान नदी, जौफ़ प्रान्त, खर्ग, ख़्वारेज़्म, ख़ोतान, ख़ोरासान, खजूर, खुतन राज्य, गूमा ज़िला, काराग़ान्दी प्रांत, काश्गर, किज़िल कुम रेगिस्तान, कुनलुन पर्वत, कूचा राज्य, अन-नफ़ूद रेगिस्तान, उत्तर अफ़्रीका, उत्तरी रेशम मार्ग, उरुमची

टकलामकान

अंतरिक्ष से ली गई टकलामकान की एक तस्वीर टकलामकान रेगिस्तान का एक दृश्य नक़्शे में टकलामकान टकलामकान मरुस्थल (उइग़ुर:, तेकलीमाकान क़ुम्लुक़ी) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। इसका अधिकाँश भाग चीन द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग प्रांत में पड़ता है। यह दक्षिण से कुनलुन पर्वत शृंखला, पश्चिम से पामीर पर्वतमाला और उत्तर से तियन शान की पहाड़ियों द्वारा घिरा हुआ है। .

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तिहामाह

यमन में लाल सागर के किनारे तिहामाह का एक नज़ारा तिहामाह या तिहामा (अंग्रेज़ी: Tihamah, अरबी) अरबी प्रायद्वीप का लाल सागर के साथ लगने वाला एक बारीक़ तटवर्ती क्षेत्र है जो आधुनिक सउदी अरब और यमन के देशों में आता है। बड़े अर्थ में तिहामाह अक़ाबा की खाड़ी से लेकर बाब अल-मनदेब जलडमरू तक विस्तृत है लेकिन अक्सर यह नाम केवल उस क्षेत्र के दक्षिण आधे भाग को लगाया जाता है, जो जद्दाह से शुरू होकर दक्षिण में असीर प्रान्त और यमन के पश्चिम में आता है। .

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तुरफ़ान

१४४ फ़ुट ऊंची एमीन मीनार अंगूर की लताओं से ढकी चलने की एक सड़क तुरफ़ान (अंग्रेज़ी: Turfan) या तुरपान (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Turpan, चीनी: 吐魯番) चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के तुरफ़ान विभाग में स्थित एक ज़िले-स्तर का शहर है जो मध्य एशिया की प्रसिद्ध तुरफ़ान द्रोणी में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) भी है। सन् २००३ में इसकी आबादी २,५४,९०० गिनी गई थी। यह शहर उत्तरी रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव हुआ करता था।, Julie Hill, AuthorHouse, 2006, ISBN 978-1-4259-7280-6,...

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तुर्किस्तान शृंखला

तुर्किस्तान पर्वत शृंखला मध्य एशिया में स्थित एक पर्वत शृंखला है जो पामीर-अलाय पर्वत मंडल का एक भाग है। यह पर्वतों की कतार ज़रफ़शान पर्वत शृंखला से उत्तर में स्थित है और किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान की सरहद पर अलाय पर्वत शृंखला से शुरू होकर पश्चिम में ३४० किमी दूर उज़्बेकिस्तान में समरक़ंद के नख़्लिस्तान (ओएसिस) पर ख़त्म होती है। .

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दूनहुआंग

दूनहुआंग में एक बाज़ार चीन के गांसू प्रान्त में दूनहुआंग शहर (गुलाबी रंग में) हान राजवंश काल के दौरान बने मिट्टी के संतरी बुर्ज के खंडहर नवचंद्र झील दूनहुआंग (चीनी: 敦煌, अंग्रेज़ी: Dunhuang) पश्चिमी चीन के गांसू प्रान्त में एक शहर है जो ऐतिहासिक रूप से रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव हुआ करता था। इसकी आबादी सन् २००० में १,८७,५७८ अनुमानित की गई थी। रेत के टीलों से घिरे इस रेगिस्तानी इलाक़े में दूनहुआंग एक नख़लिस्तान (ओएसिस) है, जिसमें 'नवचन्द्र झील' (Crescent Lake) पानी का एक अहम स्रोत है। प्राचीनकाल में इसे शाझोऊ (沙州, Shazhou), यानि 'रेत का शहर', के नाम से भी जाना जाता था। यहाँ पास में मोगाओ गुफ़ाएँ भी स्थित हैं जहाँ बौद्ध धर्म से सम्बन्धी ४९२ मंदिर हैं और जिनमें इस क्षेत्र की प्राचीन संस्कृति पर भारत का गहरा प्रभाव दिखता है।, Morning Glory Publishers, 2000, ISBN 978-7-5054-0715-2,...

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नबाती

सीरिया के बुसरा अल शाम क़स्बे में आज तक खड़े नबाती स्तम्भ नबाती या नबाताई (अरबी:, अल-अनबात; अंग्रेजी: Nabatean, नैबटीयन) प्राचीन काल में दक्षिणी जोर्डन, सीरिया और लेबनान और अरबी प्रायद्वीप के उत्तरी भाग में बसने वाली एक जाति थी। उन्होंने इस क्षेत्र में व्यापार पर आधारित संस्कृति विकसित की, जिसके केंद्र रेगिस्तान में जगह-जगह पर स्थित नख़लिस्तान (ओएसिस) थे। रोमन साम्राज्य के सम्राट त्राजान (Trajan, ५३ ईसवी - ११७ ईसवी) ने नबाती इलाकों पर आक्रमण करके इन्हें पराजित कर दिया और इनका विलय अपने साम्राज्य में कर लिया। समय के साथ-साथ नबाती पहचान हमेशा के लिए लुप्त हो गई। उनके द्वारा लिखित शिलालेख और निर्मित इमारतों के खंडर कई जगह मिलते हैं, जिनमें सब से मशहूर जोर्डन में स्थित पेत्रा का ऐतिहासिक नगर है। .

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नज्द

तुवइक़​ पहाड़ियाँ - क्षितिज के पार आधुनिक साउदी अरब की राजधानी रियाध है साउदी अरब (सफ़ेद रंग) के नक़्शे में नज्द क्षेत्र (लाल रंग में) नज्दी स्त्रियों की पारम्परिक पोशाक नज्द का एक और नज़ारा नज्द (अंग्रेज़ी: Najd, अरबी) अरबी प्रायद्वीप के मध्य भाग का नाम है। यह एक पठारी इलाक़ा है। .

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नवचन्द्र झील

सन् २००९ की इस तस्वीर में आसपास के टीलों से नवचंद्र झील का नए चाँद जैसा अकार स्पष्ट है नवचंद्र झील (अंग्रेज़ी: Crescent Lake), जिसे चीनी भाषा में युएयाचुआन (月牙泉, Yueyaquan) कहते हैं, चीन के पश्चिमी गांसू प्रान्त में दूनहुआंग शहर से ६ किमी दक्षिण में रेगिस्तानी इलाक़े में एक नख़लिस्तान (ओएसिस) में एक नए चाँद की आकृति वाली एक झील है।, Fodor's, Random House Digital, Inc., 2009, ISBN 9781400008254,...

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पूर्वी प्रान्त, सउदी अरब

गर्मी के मौसम में हफ़र अल-बातिन शहर में रेत का तूफ़ान पूर्वी प्रान्त, जिसे औपचारिक अरबी में मिन्तक़ाह​ अश​-शर्क़ीयाह कहते हैं, सउदी अरब का सबसे बड़ा प्रान्त है। सउदी अरब का अधिकतर खनिज तेल इसी प्रान्त में निकाला जाता है। इस प्रान्त में सउदी राजवंश के खिलाफ़ सक्रीय भावनाएँ रहीं हैं और कुछ उपद्रव हुए हैं। इस प्रान्त में भारी शिया आबादी है जो अक्सर सउदी अरब की सख़्त वहाबी सुन्नी विचारधारा से असंतुष्ट रही है।, Pepe Escobar, 6 अप्रैल 2012, Asia Times Online, Accessed 6 अप्रैल 2012 यहाँ के कुछ क्षेत्रों में तो शियाओं की भारी बहुसंख्या है, मसलन क़तीफ़ शहर में, जहाँ ७५% लोग शिया हैं।, Mai Yamani, Contemporary Arab Affairs, Volume 2, Issue 1, 2009, Page 90-105, Accessed 11 अप्रैल 2012,...

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बर्बर भाषाएँ

अल्जीरिया के तीज़ी ऊज़ू विश्वविद्यालय में अरबी, बर्बरी और फ़्रांसिसी में लिखे त्रिभाषीय चिन्ह उत्तर अफ़्रीका के बर्बरी उपभाषाएँ बोलने वाले क्षेत्र - शिल्हा (हल्का नीला), कबाइली (लाल), मध्य तैमैज़िग़्त (गुलाबी), तरीफ़ित (पीला), शाविया (हरा), तुआरग (गाढ़ा नीला), नख़लिस्तान क्षेत्र (ओएसिस के क्षेत्र - नारंगी) अरबी और बर्बरी में लिखा एक द्विभाषीय सड़क चिन्ह - अरबी लिपि में 'कफ़' और तिफ़िनग़ लिपि में 'बॅद' लिखा है, जिनका अर्थ है 'रुको!' सहारा रेगिस्तान के उत्तरपूर्वी भाग में चट्टानों पर बर्बरी की ऐसी प्राचीन लिखईयाँ अक्सर मिल जाती हैं यूबा उर्फ़ मूसा हब्बूब एक मशहूर बर्बरीभाषीय गायक हैं - यहाँ मई 2010 में इटली में गाते हुए - उनके पीछे बर्बर लोगों का ध्वज लगा हुआ है बर्बर भाषाएँ (बर्बर नाम: ⵜⴰⵎⴰⵣⵉⵖⵜ, तैमैज़िग़्त) उत्तर अफ़्रीका के बर्बर लोगों की मूल भाषाएँ हैं। .

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बुख़ारा

बुख़ारा के अमीर के महल का दरवाज़ा, यह यूनेस्को द्वारा पंजीकृत विश्व धरोहर स्थल है बुख़ारा में पाया गया यवन-बैक्ट्रियाई सम्राट युक्राटीडीस (१७०-१४५ ईसापूर्व) द्वारा ज़र्ब सिक्का जो प्राचीनकाल का सबसे बड़ा सोने का सिक्का है। इसका वज़न १६९.२ ग्राम और व्यास (डायामीटर) ५८ मिलीमीटर है। इसे फ़्रांसिसी सम्राट नेपोलियन तृतीय ने ले लिया था और अब यह पैरिस के एक संग्राहलय में है। अलीम ख़ान (१८८०-१९४४), बुख़ारा का अंतिम अमीर, जिसे १९२० में सिंहासन से हटा दिया गया कलाँ मीनार (यानि 'बड़ी मीनार') नादिर दीवान-बेग़ी मदरसे के दरवाज़े पर अमरपक्षी (काल्पनिक फ़ीनिक्स पक्षी), यह लब-ए-हौज़ स्थल का हिस्सा है बुख़ारा (रूसी: Бухара, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Bokhara) मध्य एशिया में स्थित उज़बेकिस्तान देश के बुख़ारा प्रान्त की राजधानी है। यह उज़बेकिस्तान की पाँचवी सबसे बड़ी नगरी है। इसकी जनसंख्या २,३७,९०० है (सन् १९९९ अनुमानानुसार) और यह शहर लगभग पाँच हजार वर्षों से बसा हुआ है।, Europa Publications Limited, Taylor & Francis, 2002, ISBN 978-1-85743-137-7,...

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मर्व

मर्व के प्राचीन खँडहर सुलतान संजर का मक़बरा मर्व (अंग्रेज़ी: Merv, फ़ारसी:, रूसी: Мерв) मध्य एशिया में ऐतिहासिक रेशम मार्ग पर स्थित एक महत्वपूर्ण नख़लिस्तान (ओएसिस) में स्थित शहर था। यह तुर्कमेनिस्तान के आधुनिक मरी नगर के पास था। भौगोलिक दृष्टि से यह काराकुम रेगिस्तान में मुरग़ाब नदी के किनारे स्थित है। कुछ स्रोतों के अनुसार १२वीं शताब्दी में थोड़े से समय के लिए मर्व दुनिया का सबसे बड़ा शहर था। प्राचीन मर्व के स्थल को यूनेस्को ने एक विश्व धरोहर घोषित कर दिया है। .

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मरी प्रान्त

तुर्कमेनिस्तान में मरी प्रान्त (हरे रंग में) मरी शहर में एक मस्जिद मरी प्रान्त (तुर्कमेनी: Mary welaýaty, Мары велаяты; अंग्रेज़ी: Mary Province; फ़ारसी:, मर्व) तुर्कमेनिस्तान की एक विलायत (यानि प्रान्त) है जो उस देश के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसकी सरहद अफ़्ग़ानिस्तान से लगती हैं। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ८७,१५० किमी२ है और सन् २००५ की जनगणना में इसकी आबादी १४,८०,४०० अनुमानित की गई थी।Statistical Yearbook of Turkmenistan 2000-2004, National Institute of State Statistics and Information of Turkmenistan, Ashgabat, 2005.

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मरी, तुर्कमेनिस्तान

प्राचीन मर्व शहर के कुछ खँडहर मरी (तुर्कमेनी: Mary, Мары; अंग्रेज़ी: Mary; फ़ारसी:, मर्व) तुर्कमेनिस्तान के मरी प्रांत की राजधानी है। इसके पुराने नाम 'मर्व' (Merv), 'मेरु' और 'मारजियाना' (Margiana) हुआ करते थे। यह काराकुम रेगिस्तान में मुरग़ाब नदी के किनारे बसा हुआ एक नख़लिस्तान (ओएसिस) है। सन् २००९ में इसकी आबादी १,२३,००० थी जो १९८९ में ९२,००० से बढ़ी हुई थी। .

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मुरग़ाब नदी

मुरग़ाब नदी पर सन् १९०९ में रूसी साम्राज्य द्वारा बनाया गया हिन्दू कुश जल-विद्युत् स्टेशन (Гиндукушская ГЭС) मुरग़ाब नदी (फ़ारसी/पश्तो:, अंग्रेज़ी: Murghab, रूसी: Мургаб) मध्य एशिया में एक ८५० किमी लम्बी नदी है। यह मध्य अफ़्ग़ानिस्तान में सफ़ेद कोह पर्वत-शृंखला में उत्पन्न होकर पश्चिमोत्तर दिशा में चलती है। यहाँ यह अफ़्ग़ानिस्तान के बादग़ीस प्रान्त के मुरग़ाब ज़िले से गुज़रती है जिसका नाम इसी नदी पर पड़ा है। वहाँ से यह तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में जा पहुँचती है जहाँ मरी शहर के नख़लिस्तान (ओएसिस) में यह काराकुम नहर से जा मिलती है।, Andrew Petersen, Psychology Press, 1999, ISBN 978-0-415-21332-5,...

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मोदू चानयू

मोदू के शासनकाल के आरम्भ में शियोंगनु साम्राज्य का विस्तार मोदू चानयू (चीनी: 冒頓單于, मंगोल: Модун шаньюй, अंग्रेज़ी: Modu Chanyu) मध्य एशिया, मंगोलिया और उत्तरी चीन के कई इलाक़ों पर प्राचीनकाल में अधिकार रखने वाले शियोंगनु लोगों का एक चानयू (सम्राट) था। मोदू को शियोंगनु साम्राज्य का निर्माता भी कहा जाता है और उसका शासनकाल २०९ ईसापूर्व से १७४ ईसापूर्व तक चला। मोदू ने अपने अधीन मंगोलिया के स्तेपी क्षेत्र के ख़ानाबदोश क़बीलों को संगठित किया और चीन के चिन राजवंश के लिए ख़तरा बन गया। उसका शियोंगनु साम्राज्य पूर्व में लियाओ नदी से लेकर पश्चिम में पामीर पर्वतों तक और उत्तर में साइबेरिया की बायकल झील तक विस्तृत था। .

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मोगाओ गुफ़ाएँ

मोगाओ गुफ़ाएँ (Mogao Caves), जिन्हें हज़ार बुद्धों की गुफ़ाएँ (Caves of the Thousand Buddhas) भी कहते हैं, पश्चिमी चीन के गान्सू प्रांत के दूनहुआंग शहर से २५ किमी दक्षिणपूर्व में स्थित एक पुरातत्व स्थल है। रेशम मार्ग पर स्थित इस नख़्लिस्तान (ओएसिस) क्षेत्र में ४९२ मंदिरों का एक मंडल है। इनमें १००० वर्षों के काल में गुफ़ाएँ खोदी गई। सबसे पहली गुफ़ाएँ ३६६ ईसापूर्व में बौद्ध चिंतन और पूजा के लिए स्थान बनाने के लिए बनाई गई थी। सन् १९०० में एक गुफ़ा में बहुत से दस्तावेज़ों का एक भण्डार मिला जो ११वीं शताब्दी में चुनवा के बंद कर दिया गया था। इसे 'पुस्तकालय गुफ़ा' कहा जाने लगा और इसकी सामग्री दुनिया भर में बंट गई। मोगाओ की बहुत सी गुफ़ाएँ पर्यटकों के लिए खुली हैं और यहाँ हर वर्ष बहुत से सैलानी घूमने आते हैं।, Roderick Whitfield, Susan Whitfield, Neville Agnew, Getty Publications, 2000, ISBN 978-0-89236-585-2 .

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यारकन्द ज़िला

चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग (पीला रंग) के अन्दर स्थित यारकन्द ज़िला (गुलाबी रंग) यारकन्द शहर में एक सड़क यारकन्द ज़िला (उइग़ुर:, चीनी: 莎车县, अंग्रेज़ी: Yarkand) चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग में स्थित एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल ८,९६९ वर्ग किमी है और सन् २००३ की जनगणना में इसकी आबादी ३,७३,४९२ अनुमानित की गई थी। इसकी राजधानी यारकंद नाम का ही एक ऐतिहासिक शहर है जिसका भारतीय उपमहाद्वीप के साथ गहरा सांस्कृतिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहा है। यारकन्द तारिम द्रोणी और टकलामकान रेगिस्तान के दक्षिणी छोर पर स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) क्षेत्र है जो अपना जल कुनलुन पर्वतों से उत्तर की ओर उतरने वाली यारकन्द नदी से प्राप्त करता है। इसके मरूद्यान (ओएसिस) का क्षेत्रफल लगभग ३,२१० वर्ग किमी है लेकिन कभी इस से ज़्यादा हुआ करता था। तीसरी सदी ईस्वी में यहाँ रेगिस्तान के फैलने से यह उपजाऊ इलाक़ा थोड़ा घट गया। यारकन्द में अधिकतर उइग़ुर लोग बसते हैं। यहाँ कपास, गेंहू, मक्की, अनार, ख़ुबानी, अख़रोट और नाशपाती उगाए जाते हैं। इस ज़िले के ऊँचे इलाक़ों में याक और भेड़ पाले जाते हैं। यहाँ की धरती के नीचे बहुत से मूल्यवान खनिज मौजूद हैं, जैसे की पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, सोना, ताम्बा, सीसा और कोयला। .

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सीवा मरूद्यान

सीवा में मिटटी के घर आम हैं सीवा मरूद्यान या सीवा नख़लिस्तान (अरबी:, "सीवा वाहा" या "सीउआ उआहा") पश्चिमी मिस्र में स्थित एक मरूद्यान (ओएसिस) है। यह क़त्तारा द्रोणी और मिस्री रेत समुद्र के बीच स्थित है। सिवा मिस्र की राजधानी क़ाहिरा से 560 किमी पश्चिम पर और लीबिया की सरहद से 50 किमी पूर्व पर पड़ता है। सहारा रेगिस्तान से दूर-दूर तक घिरे हुए इस नख़लिस्तान की लम्बाई 80 किमी और चौड़ाई 20 किमी है। यहाँ 23,000 बर्बर जाती के लोग रहते हैं जो एक "सीवी" नाम की बर्बर भाषा बोलते हैं। .

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हामून

सन् १९७६ में अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में हेलमंद नदी द्वारा दश्त-ए-मारगो रेगिस्तान से गुज़रते हुए बनाए गए तीन हामून नज़र आ रहे हैं - ऊपर-दाएँ में हामून-ए-पुज़क, बाएँ में हामून-ए-सबरी, नीचे-बाएँ में हामून-ए-हेलमंद हामून (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Hamun) ईरान के पठार पर मौसमी तौर पर चाँद महीनों के लिए बन जाने वाली झीलों और दलदलों को कहा जाता है। यह ईरान और अफ़ग़ानिस्तान में और पाकिस्तान के पश्चिमी बलोचिस्तान प्रांत में बन जाते हैं। यह हामून क्षेत्रीय जानवरों, मछलियों और पक्षियों के जीवनक्रम में बहुत ही महत्वपूर्ण जगह रखते हैं। जब आम-तौर पर शुष्क रेगिस्तान में यह हामून बनते हैं तो कुछ अरसे के लिए वहाँ एक नख़लिस्तान (ओएसिस​) का वातावरण बन जाता है।, John Whitney, U.S. Geological Survey, 2006, Accessed 2010-08-31 कुछ मशहूर हामून इस प्रकार हैं -.

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हाइल प्रान्त

हाइल प्रान्त, जिसे अरबी में मिन्तक़ाह​ हाइल कहते हैं, सउदी अरब के उत्तरी भाग में स्थित एक प्रान्त है। यह सउदी अरब के नज्द क्षेत्र में आता है और इसके उत्तर में अन-नफ़ूद का महान रेगिस्तान है। .

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हिजाज़

सऊदी अरब का हिजाज़ इलाक़ा हिजाज़ या हेजाज़, जिसे अरबी विधि में अल-हिजाज़ कहते हैं (अंग्रेज़ी: Hejaz, अरबी) अरबी प्रायद्वीप के एक पश्चिमी क्षेत्र का नाम है। लाल सागर के साथ लगे एक बारीक़ पट्टी-नुमा क्षेत्र को 'तिहामाह' कहते हैं और इससे पूर्व में पहले हिजाज़ क्षेत्र आता है और उस के बाद अंदरूनी नज्द क्षेत्र आता है। उत्तर-दक्षिण दिशा में हिजाज़ का विस्तार उत्तर में अक़ाबा की खाड़ी पर बसे हक़्ल​ शहर से लेकर दक्षिण में असीर प्रान्त की सरहदों तक है। हिजाज़ का इस्लाम के इतिहास के साथ गहरा सम्बन्ध है। इस्लाम के दो सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक शहर - मक्का और मदीना दोनों हिजाज़ में पड़ते हैं। हिजाज़ का सबसे बड़ा शहर जद्दा है। अरबी भाषा में 'हिजाज़' का अर्थ 'बाधा' है, क्योंकि हिजाज़ के पूर्वी भाग में चलने वाली हिजाज़ पर्वत शृंखला को नज्द के पठार और तिहामाह के तटीय क्षेत्र के बीच की रुकावट समझा जाता है।, Ludwig W. Adamec, pp.

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हिजाज़ पहाड़ियाँ

हिजाज़ पहाड़ियाँ या हेजाज़ पहाड़ियाँ सउदी अरब के पश्चिमी हिजाज़ क्षेत्र में उस देश के पश्चिमी तट के पास स्थित पहाड़ियों की एक शृंखला है। वास्तव में इस तट की बराबरी में दो पहाड़ी शृंखलाएँ चलती हैं - उत्तर में हिजाज़ पहाड़ियाँ हैं, बीच में एक कम ऊँचाई का क्षेत्र है और दक्षिण में फिर असीर पहाड़ियाँ हैं। हिजाज़ के पहाड़ पूर्व में ढलान रखते हैं जहाँ से कभी-कभार गिरने वाली बारिश बहकर आसपास की कुछ वादियों में चश्में और कुँए में पानी भरकर वहाँ पर नख़लिस्तान (ओएसिस) बना देती है। हिजाज़ पहाड़ियों की पश्चिमी तरफ़ में ढलान की बजाए खाईयाँ हैं, जहाँ ऊँचाई बहुत जल्दी गिरती है। पहाड़ियों और लाल सागर के बीच कम जगह है, इसलिए तटीय मैदान या तो बहुत छोटा है या है ही नहीं। .

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हेशी गलियारा

इस नक़्शे में चीन का आधुनिक गांसू प्रांत लाल रंग में है; इस प्रांत के मध्य और पश्चिमी हिस्से ऐतिहासिक हेशी गलियारे के हिस्से थे हेशी गलियारा या गांसू गलियारा (चीनी: 河西走廊, हेशी ज़ोऊलांग; अंग्रेजी: Hexi Corridor) आधुनिक चीन के गांसू प्रांत में स्थित एक ऐतिहासिक मार्ग है जो उत्तरी रेशम मार्ग में उत्तरी चीन को तारिम द्रोणी और मध्य एशिया से जोड़ता था। इस मार्ग के दक्षिण में बहुत ऊँचा और वीरान तिब्बत का पठार है और इसके उत्तर में गोबी रेगिस्तान और फिर मंगोलिया के इस क्षेत्र के शुष्क पहाड़ हैं। इस गलियारे में एक के बाद एक नख़लिस्तानों (ओएसिस) की कड़ियाँ मिलती हैं जहाँ छोटे-छोटे क़स्बे हुआ करते थे। यहाँ से गुज़रते व्यापारी और अन्य यात्री इन जगहों पर अपने और अपने घोड़े-ऊँटों के लिए दाना-पानी प्राप्त करते थे और ठहर भी सकते थे।, David Leffman, Simon Lewis, Jeremy Atiyah, Mark South, Penguin, 2008, ISBN 978-1-84353-872-1,...

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ज़रफ़शान नदी

ताजिकिस्तान के अइनी ज़िले में ज़रफ़शान नदी का एक नज़ारा ज़रफ़शान नदी के मार्ग का नक़्शा ज़रफ़शान नदी (ताजिकी: Дарёи Зарафшон, दरिया-ए-ज़रफ़शान; अंग्रेज़ी: Zeravshan River, ज़ेरवशान रिवर) मध्य एशिया की एक नदी है। यह ताजिकिस्तान में पामीर पर्वतमाला में शुरू होती है और ३०० किमी पश्चिम की और ताजिकिस्तान के अन्दर ही बहती है। ताजिकिस्तान के पंजाकॅन्त (Панҷакент) शहर से गुज़रती हुई फिर यह उज़बेकिस्तान में दाख़िल होती है और उत्तर-पश्चिम की तरफ़ बहती है। फिर यह समरक़न्द की प्रसिद्ध नगरी के पास से निकलती है, जो पूरी तरह इस नदी द्वारा बनाए गए नख़लिस्तान (ओएसिस) पर निर्भर है (बिना इस नदी के यह एक मरूभूमी होता)। समरक़न्द से आगे चलकर उज़बेकिस्तान के नवोइ (Навоий) और बुख़ारा के शहरों से गुज़रकर क़ाराकुल शहर पहुँचती है और फिर आगे के रेगिस्तान की रेतों में ओझल हो जाती है। किसी ज़माने में यह और भी आगे चलकर अपने पानी को आमू दरिया में मिला देती थी, लेकिन वर्तमान में उस तक पहुँचने से पहले ही रेगिस्तान इसे सोख लेता है। इस बदलाव का मुख्य कारण यह है कि ज़रफ़शान का बहुत सा पानी अब सिंचाई के लिए खींच लिया जाता है जिस से इसके आगे के हिस्से में पानी का बहाव बहुत ही कम हो चुका है। .

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जौफ़ प्रान्त

जौफ़ प्रान्त, जिसे औपचारिक अरबी में मिन्तक़ाह​ अल-जौफ़ कहते हैं, सउदी अरब का एक उत्तरी प्रान्त है। इसकी सीमाएँ जोर्डन के साथ लगती हैं। .

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खर्ग

खर्ग नखलिस्तान की स्थिति (नीचे वाले भाग के केन्द्र में) खर्ग (Kharga Oasis; मिस्री अरबी: الخارجة el-Ḵarga उच्चारण) मिस्र के पाँच नखलिस्तानों में से सबसे दक्षिणी नखलिस्तान है। .

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ख़्वारेज़्म

ख़्वारेज़्म​ और उसके पड़ोसी क्षेत्रों की अंतरिक्ष से ली गई तस्वीर ख्वारज्म साम्राज्य, ११९० से १२२० के मध्य ख़्वारेज़्म​, ख़्वारज़्म​ या ख़्वारिज़्म​ (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Khwarezm) मध्य एशिया में आमू दरिया के नदीमुख (डेल्टा) में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) क्षेत्र है। इसके उत्तर में अरल सागर, पूर्व में किज़िल कुम रेगिस्तान, दक्षिण में काराकुम रेगिस्तान और पश्चिम में उस्तयुर्त पठार है। ख़्वारेज़्म​ प्राचीनकाल में बहुत सी ख़्वारेज़्मी संस्कृतियों का केंद्र रहा है जिनकी राजधानियाँ इस इलाक़े में कोनये-उरगेंच और ख़ीवा जैसे शहरों में रहीं हैं। आधुनिक काल में ख़्वारेज़्म का क्षेत्र उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रों के बीच बंटा हुआ है।, Rafis Abazov, Macmillan, 2008, ISBN 978-1-4039-7542-3,...

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ख़ोतान

ख़ोतान मस्जिद के सामने का नज़ारा ख़ोतान या होतान (उईग़ुर:, ख़ोतेन; चीनी: 和田, हेतियान; अंग्रेजी: Hotan या Khotan) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित एक शहर है जो ख़ोतान विभाग की राजधानी भी है। इसकी आबादी सन् २००६ में १,१४,००० अनुमानित की गई थी। ख़ोतान तारिम द्रोणी में कुनलुन पर्वतों से ठीक उत्तर में स्थित है। कुनलुन शृंखला में ख़ोतान पहुँचने के लिए तीन प्रमुख पहाड़ी दर्रे हैं - संजु दर्रा, हिन्दु-ताग़ दर्रा और इल्ची दर्रा - जिनके ज़रिये ख़ोतान हज़ारों सालों से भारत के लद्दाख़ क्षेत्र से व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध बनाए हुए था।, James Bell, A. Fullarton and co., 1831,...

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ख़ोरासान

मूल खुरासान प्रान्त अलियाबा टॉवर (Aliabad Tower) ख़ोरासान या ख़ुरासान ईरान के उत्तर पूर्व का एक क्षेत्र है। इसमें रज़वी ख़ोरासान, उत्तर ख़ोरासान और दक्षिण ख़ोरासान प्रांत आते हैं। वृहत्तर ख़ोरासान में अफ़गानिस्तान के सटे क्षेत्रों के अलावा ताज़िकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के निकटवर्ती प्रदेश सम्मिलित हैं। .

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खजूर

खजूर खजूर (फीनिक्स डेक्टाइलेफेरा) एक ताड़ प्रजाति का वृक्ष है, जिसकी कृषि बड़े पैमाने पर इसके खाद्य फल के लिए की जाती है। चूँकि इसकी खेती बहुत पहले से हो रही है इसलिए इसका सटीक मूल स्थान तलाशना लगभग असंभव है, लेकिन जलवायु के परि इसकी अनुकूलता को देखते हुये कहा जा सकता है के इसका मूल शायद उत्तरी अफ्रीका के किसी नख़लिस्तान या शायद दक्षिण पश्चिम एशिया में है। यह एक मध्यम आकार का पेड़ है और इसकी ऊँचाई 15-25 मीटर तक होती है, अक्सर कई तने एक ही मूल (जड़) प्रणाली से जुडे़ होते हैं पर यह अक्सर अकेले भी बढ़ते हैं। श्रेणी:फल श्रेणी:उद्यान विज्ञान और बाग़बानी श्रेणी:वृक्ष.

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खुतन राज्य

खुतन से प्राप्त कनिष्क काल का कांसे का सिक्का खुतन राज्य (The Kingdom of Khotan) रेशम पथ पर स्थित प्राचीन बौद्ध राज्य था। ख़ुतन (ख़ोतन, ख़ोतान) मध्य एशिया में चीनी तुर्किस्तान (सिंकियांग) की मरुभूमि (तकलामकान) के दक्षिणी सिरे पर स्थित नखलिस्तान के एक नगर (स्थिति: ३७० १८’ उ., ८०० २’ पूर्व)। जिस नखलिस्तान में यह स्थित है, वह यारकंद से २०० मील दक्षिण पूर्व है और अति प्राचीन काल से ही तारिम उपत्यका के दक्षिणी किनारे वाले नखलिस्तान में सबसे बड़ा है। खुतन जिले को स्थानीय लोग 'इल्वी' कहते हैं तथा इस नखलिस्तान के दो अन्य नगर युरुंगकाश और काराकाश तीनों एक ४० मील हरियाली लंबी पट्टी के रूप में कुन-लुन पर्वत के उत्तरी पेटे में हैं। इसकी हरियाली के साधन भुरुंगकाश और काराकाश नदियाँ हैं जो मिलकर खुतन नदी का रूप ले लेती है। खुतन नाम के संबंध में कहा जाता है कि वह कुस्तन (भूमि है स्तन जिसका) के नाम पर पड़ा है जिसे मातृभूमि से निर्वासित हो कर धरती माता के सहारे जीवनयापन करना पड़ा था। खुतन पूर्ववर्ती हनवंश के काल में एक सामान्य सा राज्य था। किंतु प्रथम शती ई. के उत्तरार्ध में, जिस समय चीन तारिम उपत्यका पर अधिकर करने के लिए जोर लगा रहा था, अपनी भौगोलिक स्थिति-अर्थात्‌ सबसे बड़ा नखलिस्तान होने तथा पश्चिम जाने वाले दो मार्गों में अधिक दक्षिणी मार्ग पर स्थित होने के कारण मध्य एशिया और भारत के बीच एक जोड़नेवाली कड़ी के रूप में इसे विशेष महत्व प्राप्त हुआ। भारत के साथ इसका अत्यंत घनिष्ठ संबंध बहुत दिनों तक बना रहा। खुतन के मार्ग से ही बौद्ध धर्म चीन पहुँचा। एक समय खुतन बौद्ध धर्म की शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था। वहाँ भारतीय लिपि तथा प्राकृत भाषा प्रचलित थी। वहाँ गुप्तकालीन अनेक बौद्ध विहार मिले हैं जिनकी भित्ति पर अजंता शैली से मिलती जुलती शैली के चित्र पाए गए हैं। काशगर से चीन तथा चीन से भारत आनेवाले सार्थवाह, व्यापारी खुतन होकर ही आते जाते थे। फाह्यान, सुंगयुन, युवानच्वांग और मार्कोपालो ने इसी मार्ग का अनुसरण किया था। यह सुप्रसिद्ध बौद्ध विद्वान्‌ बुद्धसेना का निवासस्थान था। अपनी समृद्धि और अनेक व्यापार मार्गों का केंद्र होने के कारण इस नगर को अनेक प्रकार के उत्थान पतन का सामना करना पड़ा। ७० ई. में सेनापति पानचाउ ने इसे विजित किया। और उत्तरवर्ती हनवंश के अधीन रहा। उसके बाद पुन: सातवीं शती में टांग वंश का इसपर अधिकार था। आठवीं शती में पश्चिमी तुर्किस्तान से आनेवाले अरबों ने और दसवीं शती में काशगरवासियों ने इसपर अधिकार किया। १३वीं शती में चंगेज खाँ ने उसपर कब्जा किया। पश्चात्‌ वह मध्य एशिया में मंगोलों के अधीन हुआ। इसी काल में मार्कोपोलो इस मार्ग से गुजरा था और उसने यहाँ की खेती, विशेष रूप से कपास की खेती तथा इसके व्यापारिक महत्व और निवासियों के वीर चरित्र की चर्चा की है। हाल की शताब्दियों में यह चीनी मध्य एशिया में मुस्लिम सक्रियता का केंद्र रहा और १८६४-६५ में चीन के विरुद्ध हुए डंगन विद्रोह में इस नगर की प्रमुख भूमिका थी। १८७८ में काशगर और खुतन ने प्रख्यात कृषि सेना को आत्मसमर्पण किया। फलस्वरूप वह पुन: चीन के अधिकार में चला गया। आजकल सिंकियांग प्रांत के अंतर्गत हैं। यह क्षेत्र आज भी कृषि की दृष्टि से अपना महत्व रखता है। गेहूँ, चावल, जई, बाजरा और मक्का की यहाँ खेती होती है। कपास भी काफी मात्रा में उपजता है। फलों, में जैतुन, लूकाट, नाशपाती और सेब होते हैं। मेवे का भी काफी मात्रा में निर्यात होता है। रेशम के उद्योग के आनुषंगिक साधन के रूप में शहतूत की भी खेती की जाती है। इसके अतिरिक्त यहाँ कालीन और नमदे का भी उद्योग है। नदियों से लोग सोना छानते हैं। बहुत दिनों तक खुतन के यशद भी बहुत प्रसिद्ध थे। .

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गूमा ज़िला

गूमा ज़िला (अंग्रेज़ी: Guma County, उइग़ुर) या पीशान ज़िला (अंग्रेज़ी: Pishan County, चीनी: 皮山县) चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के काश्गर विभाग का एक ज़िला है। यह एक रेगिस्तानी इलाक़ा है जिसमें ५३ नख़लिस्तानी (ओएसिस) क्षेत्र गिने गए हैं।, Longjun Ci, pp.

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काराग़ान्दी प्रांत

काराग़ान्दी प्रांत (कज़ाख़: Қарағанды облысы, अंग्रेज़ी: Karagandy Province) मध्य एशिया के क़ाज़ाख़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी भी काराग़ान्दी नाम का शहर ही है लेकिन इस नगर को आमतौर पर रूसी-लहजे में काराग़ान्दा बुलाया जाता है। काराग़ान्दी क़ाज़ाख़स्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और देश के मध्य में स्थित है। .

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काश्गर

ईद गाह मस्जिद, काशगर काश्गर, कशगार, काशगुर या काशी (उईगुर:, चीनी: 喀什, फारसी) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग ३,५०,००० है। काश्गर शहर काश्गर विभाग का प्रशासनिक केंद्र है जिसका क्षेत्रफल १,६२,००० किमी² और जनसंख्या लगभग ३५ लाख है। काश्गर शहर का क्षेत्रफल १५ किमी² है और यह समुद्र तल से १,२८९.५ मीटर (४,२८२ फ़ुट) की औसत ऊँचाई पर स्थित है। यह शहर चीन के पश्चिमतम क्षेत्र में स्थित है और तरीम बेसिन और तकलामकान रेगिस्तान दोनों का भाग है, जिस वजह से इसकी जलवायु चरम शुष्क है।, S. Frederick Starr, M.E. Sharpe, 2004, ISBN 978-0-7656-1318-9 पुराकाल से ही काश्गर व्यापार तथा राजनीति का केंद्र रहा है और इसके भारत से गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं। भारत से शिनजियांग का व्यापार मार्ग लद्दाख़ के रस्ते से काश्गर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 ऐतिहासिक रेशम मार्ग की एक शाखा भी, जिसके ज़रिये मध्य पूर्व, यूरोप और पूर्वी एशिया के बीच व्यापार चलता था, काश्गर से होकर जाती थी। काश्गर अमू दरिया वादी से खोकंद, समरकंद, अलमाटी, अक्सू, और खोतान मार्गो के बीच स्थित है। .

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किज़िल कुम रेगिस्तान

उज़बेकिस्तान में किज़िल कुम में एक बस्ती से निकलती सड़क अंतरिक्ष से किज़िल कुम - तस्वीर में मध्य में नीचे की तरफ - दाएँ में कैस्पियन सागर है और उस से ज़रा बाएँ में अधिकतर सूखा हुआ अरल सागर, किज़िल कुम दो नदियों की रेखाओं (आमू दरिया और सिर दरिया) के बीच का इलाक़ा है किज़िल कुम में रेत का टीला किज़िल कुम या क़िज़िल क़ुम (उज़बेक: Qizilqum; कज़ाख़: Қызылқұм; अंग्रेज़ी: Kyzyl Kum) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। इसका क्षेत्रफल २,९८,००० वर्ग किमी (१,१५,००० वर्ग मील) है और यह दुनिया का ११वाँ सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह आमू दरिया और सिर दरिया के बीच के दोआब में स्थित है। इसका अधिकाँश हिस्सा कज़ाख़स्तान और उज़बेकिस्तान में आता है, हालांकि एक छोटा भाग तुर्कमेनिस्तान में भी पड़ता है। तुर्की भाषाओँ में 'किज़िल कुम' का मतलब 'लाल रेत' है और इस रेगिस्तान की रेतों में मिश्रित पदार्थ बहुत से स्थानों में इसे एक लालिमा देते हैं। इस से दक्षिण-पश्चिम में आमू दरिया के पार काराकुम रेगिस्तान पड़ता है जिसके नाम का अर्थ 'काली रेत' है।, R. Lal, Psychology Press, 2007, ISBN 978-0-415-42235-2,...

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कुनलुन पर्वत

तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग से पश्चिमी कुनलुन पर्वतों में काराकाश नदी का नज़ारा चिंग हई प्रांत में दूर से कुनलुन पर्वतों का दृश्य कुनलुन पर्वत शृंखला (चीनी: 昆仑山, कुनलुन शान; मंगोलियाई: Хөндлөн Уулс, ख़ोन्दलोन ऊल्स) मध्य एशिया में स्थित एक पर्वत शृंखला है। ३,००० किलोमीटर से अधिक चलने वाली यह शृंखला एशिया की सब से लम्बी पर्वतमालाओं में से एक गिनी जाती है। कुनलुन पर्वत तिब्बत के पठार के उत्तर में स्थित हैं और उसके और तारिम द्रोणी के बीच एक दीवार बनकर खड़े हैं। पूर्व में यह उत्तर चीन के मैदानों में वेई नदी के दक्षिण-पूर्व में जाकर ख़त्म हो जाते हैं। कुनलुन पर्वत भारत के अक्साई चिन इलाक़े को भी तारिम द्रोणी से अलग करते हैं, हालांकि वर्तमान में अक्साई चिन क्षेत्र चीन के क़ब्ज़े में है। इस पर्वतमाला में कुछ ज्वालामुखी भी स्थित हैं। .

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कूचा राज्य

कूचा (Kucha या Kuqa) या कूचे या कूचार या (संस्कृत में) कूचीन मध्य एशिया की तारिम द्रोणी में तकलामकान रेगिस्तान के उत्तरी छोर पर और मुज़ात नदी से दक्षिण में स्थित एक प्राचीन राज्य का नाम था जो ९वीं शताब्दी ईसवी तक चला। यह तुषारी लोगों का राज्य था जो बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और हिन्द-यूरोपी भाषा-परिवार की तुषारी भाषाएँ बोलते थे। कूचा रेशम मार्ग की एक शाखा पर स्थित था जहाँ से इसपर भारत, सोग़्दा, बैक्ट्रिया, चीन, ईरान व अन्य क्षेत्रों का बहुत प्रभाव पड़ा। आगे चलकर यह क्षेत्र तुर्की-मूल की उईग़ुर ख़ागानत के क़ब्ज़े में आ गया और कूचा राज्य नष्ट हो गया। .

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अन-नफ़ूद रेगिस्तान

अन-नफ़ूद (अरबी:, सहरा अन-नफ़ूद; अंग्रेज़ी: An-Nafud) या अल-नफ़ूद या नफ़ूद अरबी प्रायद्वीप में स्थित एक बड़ा रेगिस्तान है। इसका क्षेत्रफल १,०३,००० वर्ग किमी है, यानि लगभग भारत के बिहार राज्य से ज़रा बड़ा।The New York Times Almanac, Editors and reporters of The New York Times, John W. (ed.) Wright, Penguin Books, Page 67, 2006, ISBN 0-14-303820-6 नफ़ूद एक अर्ग है, जिसमें ज़बरदस्त हवाएँ अचानक चल पड़ती हैं। इस वजह से यह क्षेत्र अर्धचन्द्र अकार के टीलों से भरा हुआ है। यहाँ की रेत का रंग थोड़ा लाल है। .

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उत्तर अफ़्रीका

उत्तर अफ़्रीका के देश (गहरे हरे रंग में) - हल्के हरे रंग के देश भी कभी-कभी उत्तर अफ़्रीका में माने जाते हैं तूनीशीया के सिदी बू सैद शहर की एक गली एटलस शृंखला के जबल तुबकल पहाड़ पर बर्फ़ तुनीसिया की एक बर्बर औरत (सन् 1900 के क़रीब ली गई तस्वीर) उत्तर अफ़्रीका (अरबी:, शुमाल अफ़्रीक़िया) अफ़्रीका के महाद्वीप का उत्तरी भाग है। इसके और उप-सहारा अफ़्रीका के दरमयान सहारा का विशाल रेगिस्तान आता है जो उत्तर अफ़्रीका और बाक़ी अफ़्रीका में इतना बड़ा फ़ासला बना देता है के उत्तर अफ़्रीका की जातियाँ, भाषाएँ, रीति-रिवाज, मौसम और जानवर बाक़ी अफ़्रीका के काफ़ी भिन्न हैं। संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार उत्तर अफ़्रीका में सात राष्ट्र आते हैं: मोरक्को, अल्जीरिया, तूनीशीया, लीबिया, मिस्र, सूडान और पश्चिमी सहारा। इस भूभाग में कुछ छोटे-से स्पेन-नियंत्रित उत्तर अफ़्रीकी क्षेत्र भी आते हैं। उत्तर अफ़्रीका में अरबी, बर्बरी भाषाएँ और कुछ अन्य भाषाएँ बोली जाती हैं। मोरक्को, अल्जीरिया, तूनीशीया, लीबिया और मौरितानिया के समूह को "मग़रिब" भी कहा जाता है, जिसका अर्थ अरबी में (और हिन्दी-उर्दु में भी) "पश्चिमी" है। .

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उत्तरी रेशम मार्ग

टकलामकान रेगिस्तान उत्तरी रेशम मार्ग (Northern Silk Road) वर्तमान जनवादी गणतंत्र चीन के उत्तरी क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक मार्ग है जो चीन की प्राचीन राजधानी शिआन से पश्चिम की ओर जाते हुए टकलामकान रेगिस्तान से उत्तर निकलकर मध्य एशिया के प्राचीन बैक्ट्रिया और पार्थिया राज्य और फिर और भी आगे ईरान और प्राचीन रोम पहुँचता था। यह मशहूर रेशम मार्ग की उत्तरतम शाखा है और इसपर हज़ारों सालों से चीन और मध्य एशिया के बीच व्यापारिक, फ़ौजी और सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती रहीं हैं। पहली सहस्राब्दी (यानि हज़ार साल) ईसापूर्व में चीन के हान राजवंश ने इस मार्ग को चीनी व्यापारियों और सैनिकों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए यहाँ पर सक्रीय जातियों के खिलाफ़ बहुत अभियान चलाए जिस से इस मार्ग का प्रयोग और विस्तृत हुआ। चीनी सम्राटों ने विशेषकर शियोंगनु लोगों के प्रभाव को कम करने के बहुत प्रयास किये।, Frances Wood, University of California Press, 2004, ISBN 978-0-520-24340-8,...

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उरुमची

अरोमची शहर के विभिन्न दृश्य, सब से ऊपर अरोमची के केंद्रीय व्यापारिक क्षेत्र का एक ताइरा ना दृश्य, नीचे बाईं ओर लाल पहाड़ (हाँग शान) और दायीं तरफ अरोमची का शबीना बाज़ार और नीचे अरोमची से कोह तयानि शान का एक दृश्य अरोमची (अवीग़ौर: ئۈرۈمچی‎‎, सादा चीनी: 乌鲁木齐, रवायती चीनी: 烏魯木齊, अंग्रेज़ी: Ürümqi या Ürümchi) शुमाल मग़रिबी चीन के शिंज्यांग प्रांत का दारुलहकूमत है। ये क़ाज़क़सतान की सीमा के निकट खनिज तेल से भरपूर ख़ित्ते का सनअती ओ- सक़ाफ़ती केंद्र है। 2007 के अनुमान के अनुसार शहर की जनसंख्या 15 लाख 90 हज़ार है। ये कोह तयानि शान के शुमाली क्षेत्र में समुंद्र की सतह से 3 हज़ार फुट (900 मीटर) की उँचाई पर एक मरुस्थलीय मरुद्यान में क़दीम रेशम का मार्ग पर स्थित है और वुस़्त एशिया में महत्वपूर्ण रहा है। यहां की सनअतों में लोहा, सीमेंट, ज़रई मशीनरी, कीमीयाई मादे और पारचा जात तैयार किए जाते हैं। कोइलह और ख़ाम लोहे के ज़ख़ाइर क़रीब ही पाए जाते हैं। इस की बीशुत्र आबादी हाँ नस्ल के चीनी बाशनदों पर मुशतमिल है जबकि तर्क क़बीले अवीग़ौर मुस्लमान बाशिंदे सब से बड़ी अक़लीयत हैं। अलावा अज़ीं काज़क़ और करगज़ अक़लीयत भी पाई जाती है। इस शहर की मसाजिद आज भी इस्लाम के वाज़िह असरात की गवाही देती हैं। यहां जामा सन्कियानग भी वाक़िअ है। .

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