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मरुस्थल

सूची मरुस्थल

अटाकामा मरुस्थल मरुस्थल या रेगिस्तान ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों को कहा जाता है जहां जलपात (वर्षा तथा हिमपात का योग) अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कम होती है। प्रायः (गलती से) रेतीले रेगिस्तानी मैदानों को मरुस्थल कहा जाता है जोकि गलत है। यह बात और है कि भारत में सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र (थार) एक रेतीला मैदान है। मरूस्थल (कम वर्षा वाला क्षेत्र) का रेतीला होना आवश्यक नहीं। मरुस्थल का गर्म होना भी आवश्यक नहीं है। अंटार्कटिक, जोकि बर्फ से ढका प्रदेश है, विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है ! विश्व के अन्य देशों में कई ऐसे मरुस्थल हैं जो रेतीले नहीं है। .

97 संबंधों: ऊँट, चोलिस्तान, टिड्डी, टकलामकान, ड्यून (उपन्यास), तुर्कमेनिस्तान, तुर्काना झील, तूफ़ान, द गान, दश्त-ए-मारगो, दाशोग़ुज़ प्रान्त, नबाती, नेगेव रेगिस्तान, प्रतापगढ़, राजस्थान, पॉइज़न आइवी, पीने का पानी, फ़ाहियान, फ़्रैंक हर्बर्ट, बदू लोग, बलोच लोग, बाड़मेर जिला, बायोम, बैंकसिया, भारत में सांस्कृतिक विविधता, भू-आकृति विज्ञान, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, मरुस्थल और शुष्क क्षुपभूमियाँ, मरूद्यान, मरी प्रान्त, मान्गीस्तऊ प्रांत, मारिब प्रान्त, मालवा (पंजाब), मिस्री रेत समुद्र, मोनेग्रोस रेगिस्तान, राजस्थान का इतिहास, राजस्थान के पशु मेले, राजस्थान की झीलें, राजस्थान की जलवायु, रुब अल-ख़ाली, लास वेगास, लूणी नदी, लोथल, शिजियाझुआंग, शुष्कपसंदी, शेखावाटी, सरस्वती नदी, सरीसृप, सिमूम, सिरदरिया प्रान्त, स्वसंगठन, ..., सीरियाई मरुस्थल, हाइल प्रान्त, हजर पहाड़, हेलमंद प्रान्त, होहोबा, ज़रफ़शान नदी, जिम मॉरिसन, जोधपुर, वर्षा जल संचयन, वादी रम, विश्व धरोहर, विश्व के मरुस्थल, ख़ुज़दार ज़िला, खुतन राज्य, खींप, गिरगिट, गिलहरी, गूमा ज़िला, गोबी मरुस्थल, गोलोदनाया स्तेपी, आताकामा मरुस्थल, आल्मेरिया प्रान्त, इन्सेलबर्ग, कमलेश्वर, कलात ज़िला, काराकुम रेगिस्तान, कालाहारी मरुस्थल, किज़िल कुम रेगिस्तान, क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, भोपाल, क्वेटा ज़िला, कृषि का इतिहास, कैक्टस, कोलायत झील, कोहरा रेगिस्तान, अद-दहना रेगिस्तान, अन-नफ़ूद रेगिस्तान, अनबार प्रान्त, अफ़ार द्रोणी, अफ़्रीका, अरबी रेगिस्तान, अरबी संस्कृति, अर्ग, अल-महराह प्रान्त, अकतोबे प्रांत, अक्साई चिन, उत्तरी सीमाएँ प्रान्त, उदयसिंह प्रथम सूचकांक विस्तार (47 अधिक) »

ऊँट

ऊँट कैमुलस जीनस के अंतर्गत आने वाला एक खुरधारी जीव है। अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते हैं। अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों के जबकि बैकट्रियन ऊँट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं। इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहते हैं। यह रेतीले तपते मैदानों में इक्कीस इक्कीस दिन तक बिना पानी पिये चल सकता है। इसका उपयोग सवारी और सामान ढोने के काम आता है। यह 7 दिन बिना पानी पिए रह सकता है ऊँट शब्द का प्रयोग मोटे तौर पर ऊँट परिवार के छह ऊँट जैसे प्राणियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, इनमे दो वास्तविक ऊँट और चार दक्षिण अमेरिकी ऊँट जैसे जीव है जो हैं लामा, अलपाका, गुआनाको और विकुना। एक ऊँट की औसत जीवन प्रत्याशा चालीस से पचास वर्ष होती है। एक पूरी तरह से विकसित खड़े वयस्क ऊंट की ऊँचाई कंधे तक 1.85 मी और कूबड़ तक 2.15 मी होती है। कूबड़ शरीर से लगभग तीस इंच ऊपर तक बढ़ता है। ऊँट की अधिकतम भागने की गति 65 किमी/घंटा के आसपास होती है तथा लम्बी दूरी की यात्रा के दौरान यह अपनी गति 40 किमी/घंटा तक बनाए रख सकता है। जीवाश्म साक्ष्यों से पता चलता है कि आधुनिक ऊँट के पूर्वजों का विकास उत्तरी अमेरिका में हुआ था जो बाद में एशिया में फैल गये। लगभग 2000 ई.पू.

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चोलिस्तान

चोलिस्तान, जिसे स्थानीय भाषा में रोही भी कहते हैं, पाकिस्तानी पंजाब और भारत व सिंध के कुछ पड़ोसी भागों में फैला हुआ एक रेगिस्तान व अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र है। यह थर रेगिस्तान से जुड़ा हुआ है। यहाँ हकरा नदी का सुखा हुआ प्राचीन मार्ग है जिसके किनारे सिन्धु घाटी सभ्यता के बहुत से खंडहर मिलते हैं। ९वीं सदी में राय जज्जा भट्टी द्वारा बनाया गया देरावड़ क़िला भी चोलिस्तान के बहावलपुर क्षेत्र में खड़ा है। .

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टिड्डी

मरुस्थलीय टिड्डियाँ टिड्डी (Locust) ऐक्रिडाइइडी (Acridiide) परिवार के ऑर्थाप्टेरा (Orthoptera) गण का कीट है। हेमिप्टेरा (Hemiptera) गण के सिकेडा (Cicada) वंश का कीट भी टिड्डी या फसल डिड्डी (Harvest Locust) कहलाता है। इसे लधुश्रृंगीय टिड्डा (Short Horned Grasshopper) भी कहते हैं। संपूर्ण संसार में इसकी केवल छह जातियाँ पाई जाती हैं। यह प्रवासी कीट है और इसकी उड़ान दो हजार मील तक पाई गई है। .

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टकलामकान

अंतरिक्ष से ली गई टकलामकान की एक तस्वीर टकलामकान रेगिस्तान का एक दृश्य नक़्शे में टकलामकान टकलामकान मरुस्थल (उइग़ुर:, तेकलीमाकान क़ुम्लुक़ी) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। इसका अधिकाँश भाग चीन द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग प्रांत में पड़ता है। यह दक्षिण से कुनलुन पर्वत शृंखला, पश्चिम से पामीर पर्वतमाला और उत्तर से तियन शान की पहाड़ियों द्वारा घिरा हुआ है। .

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ड्यून (उपन्यास)

फ़्रैंक हर्बर्ट द्वारा बनाया गया काल्पनिक रेगिस्तानी ग्रह अर्राकिस का एक चित्र ड्यून अमेरिकी लेखक फ़्रैंक हर्बर्ट द्वारा सन् १९६५ में प्रकाशित विज्ञान कथा उपन्यास है। १९६६ में इसने ह्यूगो पुरस्कार जीता और १९६६ में नॅब्युला पुरस्कार जीता: यह दोनों ही हर साल छपने वाली सर्वश्रेष्ठ विज्ञान कथा को दिए जाते हैं। ड्यून की १.२ करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं और इसे विश्व का सब से ज़्यादा बिकने वाला विज्ञान कथा उपन्यास माना जाता है। इसके प्रकाशन के बाद फ़्रैंक हर्बर्ट ने इसकी कथा को पाँच और ड्यून उपन्यासों में आगे बढ़ाया। .

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तुर्कमेनिस्तान

तुर्कमेनिस्तान (तुर्कमेनिया के नाम से भी जाना जाता है) मध्य एशिया में स्थित एक तुर्किक देश है। १९९१ तक तुर्कमेन सोवियत समाजवादी गणराज्य (तुर्कमेन SSR) के रूप में यह सोवियत संघ का एक घटक गणतंत्र था। इसकी सीमा दक्षिण पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान, दक्षिण पश्चिम में ईरान, उत्तर पूर्व में उज़्बेकिस्तान, उत्तर पश्चिम में कज़ाख़िस्तान और पश्चिम में कैस्पियन सागर से मिलती है। 'तुर्कमेनिस्तान' नाम फारसी से आया है, जिसका अर्थ है, 'तुर्कों की भूमि'। देश की राजधानी अश्गाबात (अश्क़ाबाद) है। इसका हल्के तौर पर "प्यार का शहर" या "शहर जिसको मोहब्बत ने बनाया" के रूप में अनुवाद होता है। यह अरबी के शब्द 'इश्क़' और फारसी प्रत्यय 'आबाद' से मिलकर बना है।, Bradley Mayhew, Lonely Planet, 2007, ISBN 978-1-74104-614-4,...

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तुर्काना झील

तुर्काना झील (अंग्रेज़ी: Lake Turkana), जिसे पहले रुडोल्फ़ झील (अंग्रेज़ी: Lake Rudolf) बुलाया जाता था, महान अफ़्रीकी झीलों में से एक है। यह कुछ-कुछ खारे पानी की झील घनफल (वोल्यूम) के हिसाब से कैस्पियन सागर, इसिक-कुल और वान झील के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी खारी झील है। अरल सागर इस से कभी बड़ा हुआ करता था लेकिन अधिकतर सूख जाने के कारण अब इस से छोटा है। तुर्काना एक रेगिस्तान-जैसे क्षेत्र में स्थित है और विश्व की सबसे बड़ी स्थाई रेगिस्तानी झील भी है। इसका अधिकतर भाग कीनिया में है लेकिन सुदूर उत्तरी छोर इथियोपिया में पड़ता है। .

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तूफ़ान

तूफ़ान या आँधी पृथ्वी या किसी अन्य ग्रह के वायुमंडल में उत्तेजना की स्थिति को कहते हैं जो अक्सर सख़्त मौसम के साथ आती है। इसमें तेज़ हवाएँ, ओले गिरना, भारी बारिश, भारी बर्फ़बारी, बादलों का चमकना और बिजली का चमकना जैसे मौसमी गतिविधियाँ दिखती हैं। आमतौर पर तूफ़ान आने से साधारण जीवन पर बुरा असर पड़ता है। यातायात और अन्य दैनिक क्रियाओं के अलावा, बाढ़ आने, बिजली गिरने और हिमपात से जान व माल की हानि भी हो सकती है। रेगिस्तान जैसे शुष्क क्षेत्रों में रेतीले तूफ़ान और समुद्रों में ऊँची लहरों जैसी ख़तरनाक स्थितियाँ भी पैदा हो सकती हैं। इसके विपरीत बारिश व हिमपात से कुछ इलाक़ों में सूखे की समस्या में मदद भी मिल सकती है। मौसम-वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि हर साल पृथ्वी पर लगभग १.६ करोड़ गरज-चमक वाले तूफ़ान आते हैं।, Seymour Simon, pp.

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द गान

द गान (The Ghan) ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड, ऐलिस स्प्रिंग्स और डार्विन के बीच चलने वाली एक यात्री रेल सेवा है। यह ५४ घंटों में २,९७९ किलोमीटर का रास्ता तय करती है। इसका नाम १९वीं शताब्दी के अंत में ऑस्ट्रेलिया लाए गए कुछ अफ़्गान ऊंट-सवारों पर रखा गया है जिनकी मदद से ऑस्ट्रेलिया के भीतरी रेगिस्तानी भाग की खोज व जाँच करी गई थी। .

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दश्त-ए-मारगो

सीस्तान द्रोणी क्षेत्र में दश्त-ए-मारगो दश्त-ए-मारगो (फ़ारसी) दक्षिण-पश्चिमी अफ़्ग़ानिस्तान के हेलमंद और नीमरूज़ प्रान्तों में स्थित एक रेगिस्तान है। इस मरुस्थल का कुल क्षेत्रफल १,५०,००० वर्ग किमी है और इसकी ऊंचाई ५०० से ७०० मीटर के बीच है। .

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दाशोग़ुज़ प्रान्त

तुर्कमेनिस्तान में दाशोग़ुज़ प्रान्त (हरे रंग में) उरगेंच में गुत्लुक तेमिर मीनार दाशोग़ुज़ प्रान्त (तुर्कमेनी: Daşoguz welaýaty, अंग्रेज़ी: Daşoguz Province, रूसी: Дашогуз) तुर्कमेनिस्तान की एक विलायत (यानि प्रान्त) है। यह उस देश के उत्तर में स्थित है और इसकी सरहदें उज़बेकिस्तान से लगती हैं। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ७३,४३० किमी२ है और सन् २००५ की जनगणना में इसकी आबादी १३,७०,४०० अनुमानित की गई थी। दाशोग़ुज़ प्रान्त की राजधानी का नाम भी दाशोग़ुज़ शहर है, जिसे पहले दाशख़ोवुज़ (Дашховуз, Daşhowuz) बुलाया जाता था। .

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नबाती

सीरिया के बुसरा अल शाम क़स्बे में आज तक खड़े नबाती स्तम्भ नबाती या नबाताई (अरबी:, अल-अनबात; अंग्रेजी: Nabatean, नैबटीयन) प्राचीन काल में दक्षिणी जोर्डन, सीरिया और लेबनान और अरबी प्रायद्वीप के उत्तरी भाग में बसने वाली एक जाति थी। उन्होंने इस क्षेत्र में व्यापार पर आधारित संस्कृति विकसित की, जिसके केंद्र रेगिस्तान में जगह-जगह पर स्थित नख़लिस्तान (ओएसिस) थे। रोमन साम्राज्य के सम्राट त्राजान (Trajan, ५३ ईसवी - ११७ ईसवी) ने नबाती इलाकों पर आक्रमण करके इन्हें पराजित कर दिया और इनका विलय अपने साम्राज्य में कर लिया। समय के साथ-साथ नबाती पहचान हमेशा के लिए लुप्त हो गई। उनके द्वारा लिखित शिलालेख और निर्मित इमारतों के खंडर कई जगह मिलते हैं, जिनमें सब से मशहूर जोर्डन में स्थित पेत्रा का ऐतिहासिक नगर है। .

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नेगेव रेगिस्तान

नेगेव रेगिस्तान (अंग्रेज़ी: Negev, इब्रानी: הַנֶּגֶב), जिसे अरबी भाषा में अन-नक़ब (النقب‎) कहा जाता है, दक्षिणी इज़राइल में स्थित एक रेगिस्तान व अर्ध-रेगिस्तान है। इस क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर बियरशीबा है जो इस रेगिस्तान के उत्तरी छोर पर स्थित है, जबकि इस मरुभूमि के दक्षिण में अक़ाबा की खाड़ी और एइलात का शहर है। .

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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पॉइज़न आइवी

टॉक्सिकोडेंड्रोन रेडिकंस (पॉइज़न आइवी; पुराने समानार्थक शब्द रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन, रुस रेडिकंसUSDA अग्नि प्रभाव सूचना व्यवस्था), ऐनाकार्डियासी परिवार का एक पौधा है। यह एक जंगली लता है जो युरुशियोल नामक एक त्वचा प्रदाहक उत्पन्न करने की अपनी क्षमता के लिए काफी मशहूर है जो अधिकांश लोगों में होने वाली एक खुजली वाली फुंसी का कारण है जिसे तकनीकी तौर पर युरुशियोल-प्रेरित संपर्क त्वचादाह के रूप में जाना जाता है लेकिन यह एक वास्तविक आइवी (हेडेरा) नहीं है। .

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पीने का पानी

नल का पानी पीने का पानी या पीने योग्य पानी, समुचित रूप से उच्च गुणवत्ता वाला पानी होता है जिसका तत्काल या दीर्घकालिक नुकसान के न्यूनतम खतरे के साथ सेवन या उपयोग किया जा सकता है। अधिकांश विकसित देशों में घरों, व्यवसायों और उद्योगों में जिस पानी की आपूर्ति की जाती है वह पूरी तरह से पीने के पानी के स्तर का होता है, लेकिन वास्तविकता में इसके एक बहुत ही छोटे अनुपात का उपयोग सेवन या खाद्य सामग्री तैयार करने में किया जाता है। दुनिया के ज्यादातर बड़े हिस्सों में पीने योग्य पानी तक लोगों की पहुंच अपर्याप्त होती है और वे बीमारी के कारकों, रोगाणुओं या विषैले तत्वों के अस्वीकार्य स्तर या मिले हुए ठोस पदार्थों से संदूषित स्रोतों का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह का पानी पीने योग्य नहीं होता है और पीने या भोजन तैयार करने में इस तरह के पानी का उपयोग बड़े पैमाने पर त्वरित और दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बनता है, साथ ही कई देशों में यह मौत और विपत्ति का एक प्रमुख कारण है। विकासशील देशों में जलजनित रोगों को कम करना सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक प्रमुख लक्ष्य है। सामान्य जल आपूर्ति नेटवर्क पीने योग्य पानी नल से उपलब्ध कराते हैं, चाहे इसका उपयोग पीने के लिए या कपड़े धोने के लिए या जमीन की सिंचाई के लिए किया जाना हो.

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फ़ाहियान

फ़ाहियान के यात्रा-वृत्तान्त का पहला पन्ना फ़ाहियान या फ़ाशियान (चीनी: 法顯 या 法显, अंग्रेज़ी: Faxian या Fa Hien; जन्म: ३३७ ई; मृत्यु: ४२२ ई अनुमानित) एक चीनी बौद्ध भिक्षु, यात्री, लेखक एवं अनुवादक थे जो ३९९ ईसवी से लेकर ४१२ ईसवी तक भारत, श्रीलंका और आधुनिक नेपाल में स्थित गौतम बुद्ध के जन्मस्थल कपिलवस्तु धर्मयात्रा पर आए। उनका ध्येय यहाँ से बौद्ध ग्रन्थ एकत्रित करके उन्हें वापस चीन ले जाना था। उन्होंने अपनी यात्रा का वर्णन अपने वृत्तांत में लिखा जिसका नाम बौद्ध राज्यों का एक अभिलेख: चीनी भिक्षु फ़ा-शियान की बौद्ध अभ्यास-पुस्तकों की खोज में भारत और सीलोन की यात्रा था। उनकी यात्रा के समय भारत में गुप्त राजवंश के चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य का काल था और चीन में जिन राजवंश काल चल रहा था। फा सिएन पिंगगयांग का निवासी था जो वर्तमान शांसी प्रदेश में है। उसने छोटी उम्र में ही सन्यास ले लिया था। उसने बौद्ध धर्म के सद्विचारों के अनुपालन और संवर्धन में अपना जीवन बिताया। उसे प्रतीत हुआ कि विनयपिटक का प्राप्य अंश अपूर्ण है, इसलिए उसने भारत जाकर अन्य धार्मिक ग्रंथों की खोज करने का निश्चय किया। लगभग ६५ वर्ष की उम्र में कुछ अन्य बंधुओं के साथ, फाहिएन ने सन् ३९९ ई. में चीन से प्रस्थान किया। मध्य एशिया होते हुए सन् ४०२ में वह उत्तर भारत में पहुँचा। यात्रा के समय उसने उद्दियान, गांधार, तक्षशिला, उच्छ, मथुरा, वाराणसी, गया आदि का परिदर्शन किया। पाटलिपुत्र में तीन वर्ष तक अध्ययन करने के बाद दो वर्ष उसने ताम्रलिप्ति में भी बिताए। यहाँ वह धर्मसिद्धांतों की तथा चित्रों की प्रतिलिपि तैयार करता रहा। यहाँ से उसने सिंहल की यात्रा की और दो वर्ष वहाँ भी बिताए। फिर वह यवद्वीप (जावा) होते हुए ४१२ में शांतुंग प्रायद्वीप के चिंगचाऊ स्थान में उतरा। अत्यंत वृत्र हो जाने पर भी वह अपने पवित्र लक्ष्य की ओर अग्रसर होता रहा। चिएन कांग (नैनकिंग) पहुँचकर वह बौद्ध धर्मग्रंथों के अनुवाद के कार्य में संलग्न हो गा। अन्य विद्वानों के साथ मिलकर उसने कई ग्रंथों का अनुवाद किया, जिनमें से मुख्य हैं-परिनिर्वाणसूत्र और महासंगिका विनय के चीनी अनुवाद। 'फौ-कुओ थी' अर्थात् 'बौद्ध देशों का वृत्तांत' शीर्षक जो आत्मचरित् उसने लिखा है वह एशियाई देशों के इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। विश्व की अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद किया जा चुका है। .

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फ़्रैंक हर्बर्ट

सन् १९७८ में ली गई फ्रैंक हर्बर्ट की तस्वीर फ़्रैंक्लिन पैट्रिक हर्बर्ट, जूनियर (अंग्रेज़ी: Franklin Patrick Herbert, Jr, जन्म: ८ अक्टूबर १९२०, मृत्यु: ११ फ़रवरी १९८६) एक अमेरिकी विज्ञान कथा लेखक थे। उन्होंने बहुत सी छोटी कहानियाँ और उपन्यास लिखें। उनकी सब से प्रसिद्ध रचनाएँ "ड्यून" (Dune) और उसकी कहानी को जारी रखने वाले पाँच और उपन्यास थे। ड्यून की गाथा हज़ारों साल लम्बी एक कहानी है जिसमें विज्ञान, धर्म, राजनीति और पार्यावरण के तत्वों से बनी एक पृष्ठभूमि पर बड़े पैमाने पर जूझते हुए गुटों का सिलसिला दिखाया गया है। ड्यून विश्व का सब से ज़्यादा बिकने वाला विज्ञान कथा उपन्यास है और इस शैली में चोटी का उपन्यास माना जाता है। .

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बदू लोग

ओमान का एक बदू परिवार सीरिया में खाना पकाती दो बदू स्त्रियाँ मिस्र के सीनाई प्रायद्वीप में रोटीयाँ बनते बदू पुरुष बदू (अरबी) या बदूईन (Bedouin) एक अरब मानव जाति है जो पारम्परिक रूप से ख़ानाबदोश जीवन व्यतीत करते हैं और 'अशाइर​' नामक क़बीलों में बंटे हुए हैं। यह अधिकतर जोर्डन, इराक़, अरबी प्रायद्वीप और उत्तर अफ़्रीका के रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहते हैं।, Elizabeth Losleben, pp.

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बलोच लोग

बलोच लोगों का भौगोलिक फैलाव (गुलाबी रंग में) पारम्परिक बलोच पोशाक में ओमान की एक बलोच लड़की पारम्परिक बलोच स्त्रियों के ज़ेवर बलोच, बलौच या बलूच दक्षिणपश्चिमी पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त और ईरान के सिस्तान व बलूचेस्तान प्रान्त में बसने वाली एक जाति है। यह बलोच भाषा बोलते हैं, जो ईरानी भाषा परिवार की एक सदस्य है और जिसमें अति-प्राचीन अवस्ताई भाषा की झलक मिलती है (जो स्वयं वैदिक संस्कृत की बड़ी क़रीबी भाषा मानी जाती है। बलोच लोग क़बीलों में संगठित हैं। वे पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहते हैं और आसपास के समुदायों से बिलकुल भिन्न पहचान बनाए हुए हैं। एक ब्राहुई नामक समुदाय भी बलोच माना जाता है, हालांकि यह एक द्रविड़ भाषा परिवार की ब्राहुई नाम की भाषा बोलते हैं। सन् २००९ में बलोच लोगों की कुल जनसंख्या ९० लाख पर अनुमानित की गई थी।, Ethnologue.com., Ethnologue.com. Retrieved June 7, 2006., Library of Congress, Country Profile. Retrieved December 5, 2009. इसमें से लगभग ६०% पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त में और २५% ईरान के सिस्तान व बलूचेस्तान प्रान्त में रहते हैं। पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रान्त के दक्षिणी भाग में भी बहुत से बलोच रहते हैं। अफ़्ग़ानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ओमान, बहरीन, कुवैत और अफ़्रीका के कुछ भागों में भी बलोच मिलते हैं। बलोच लोग अधिकतर सुन्नी इस्लाम के अनुयायी होते हैं। ईरान में शियाओं की बहुतायत है, इसलिए वहाँ इनकी एक अलग धार्मिक पहचान है। .

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बाड़मेर जिला

बाड़मेर जिला भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। जिले का मुख्यालय बाड़मेर नगर है, जबकि अन्य मुख्य कस्बे बालोतरा,गुड़ामलानी, बायतु,सिवाना,जसोल,चौहटन,धोरीमन्ना और उत्तरलाई हैं। बाड़मेर में एक रिफ़ाइनरी भी प्रस्तावित है। .

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बायोम

दुनिया के मुख्य प्रकार के बायोम बायोम (biome) या जीवोम धरती या समुद्र के किसी ऐसे बड़े क्षेत्र को बोलते हैं जिसके सभी भागों में मौसम, भूगोल और निवासी जीवों (विशेषकर पौधों और प्राणी) की समानता हो।, David Sadava, H. Craig Heller, David M. Hillis, May Berenbaum, Macmillan, 2009, ISBN 978-1-4292-1962-4,...

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बैंकसिया

बैंकसिया (Banksia) लगभग १७० जातियों वाला बनफूलों और उद्यानों में लगाने के लिये लोकप्रिय फूलदार पौधों का एक वंश है जिसकी जातियाँ ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती हैं। यह वंश प्रोटियेसीए नामक कुल का सदस्य है। यह अपने विशेष तिनकेदार फूलों और शंकुओं से आसानी से पहचाना जा सकता है। इसकी जातियाँ छोटी झाड़ों से लेकर ३० मीटर लम्बें वृक्षों तक के रूप में मिलती हैं। वे ऑस्ट्रेलिया के वर्षावनों से लेकर अर्ध-शुष्क इलाक़ों तक में पाई जाती हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तानों में पनप नहीं पाती।, Don Burke, pp.

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भारत में सांस्कृतिक विविधता

अंगूठाकार .

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भू-आकृति विज्ञान

धरती की सतह भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) (ग्रीक: γῆ, ge, "पृथ्वी"; μορφή, morfé, "आकृति"; और λόγος, लोगोस, "अध्ययन") भू-आकृतियों और उनको आकार देने वाली प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है; तथा अधिक व्यापक रूप में, उन प्रक्रियाओं का अध्ययन है जो किसी भी ग्रह के उच्चावच और स्थलरूपों को नियंत्रित करती हैं। भू-आकृति वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश करते हैं कि भू-दृश्य जैसे दिखते हैं वैसा दिखने के पीछे कारण क्या है, वे भू-आकृतियों के इतिहास और उनकी गतिकी को जानने का प्रयास करते हैं और भूमि अवलोकन, भौतिक परीक्षण और संख्यात्मक मॉडलिंग के एक संयोजन के माध्यम से भविष्य के बदलावों का पूर्वानुमान करते हैं। भू-आकृति विज्ञान का अध्ययन भूगोल, भूविज्ञान, भूगणित, इंजीनियरिंग भूविज्ञान, पुरातत्व और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में किया जाता है और रूचि का यह व्यापक आधार इस विषय के तहत अनुसंधान शैली और रुचियों की व्यापक विविधता को उत्पन्न करता है। पृथ्वी की सतह, प्राकृतिक और मानवोद्भव विज्ञान सम्बन्धी प्रक्रियाओं के संयोजन की प्रतिक्रिया स्वरूप विकास करती है और सामग्री जोड़ने वाली और उसे हटाने वाली प्रक्रियाओं के बीच संतुलन के साथ जवाब देती है। ऐसी प्रक्रियाएं स्थान और समय के विभिन्न पैमानों पर कार्य कर सकती हैं। सर्वाधिक व्यापक पैमाने पर, भू-दृश्य का निर्माण विवर्तनिक उत्थान और ज्वालामुखी के माध्यम से होता है। अनाच्छादन, कटाव और व्यापक बर्बादी से होता है, जो ऐसे तलछट का निर्माण करता है जिसका परिवहन और जमाव भू-दृश्य के भीतर या तट से दूर कहीं अन्य स्थान पर हो जाता है। उत्तरोत्तर छोटे पैमाने पर, इसी तरह की अवधारणा लागू होती है, जहां इकाई भू-आकृतियां योगशील (विवर्तनिक या तलछटी) और घटाव प्रक्रियाओं (कटाव) के संतुलन के जवाब में विकसित होती हैं। आधुनिक भू-आकृति विज्ञान, किसी ग्रह के सतह पर सामग्री के प्रवाह के अपसरण का अध्ययन है और इसलिए तलछट विज्ञान के साथ निकट रूप से संबद्ध है, जिसे समान रूप से उस प्रवाह के अभिसरण के रूप में देखा जा सकता है। भू-आकृतिक प्रक्रियाएं विवर्तनिकी, जलवायु, पारिस्थितिकी, और मानव गतिविधियों से प्रभावित होती हैं और समान रूप से इनमें से कई कारक धरती की सतह पर चल रहे विकास से प्रभावित हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, आइसोस्टेसी या पर्वतीय वर्षण के माध्यम से। कई भू-आकृति विज्ञानी, भू-आकृतिक प्रक्रियाओं की मध्यस्थता वाले जलवायु और विवर्तनिकी के बीच प्रतिपुष्टि की संभावना में विशेष रुचि लेते हैं। भू-आकृति विज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोग में शामिल है संकट आकलन जिसमें शामिल है भूस्खलन पूर्वानुमान और शमन, नदी नियंत्रण और पुनर्स्थापना और तटीय संरक्षण। .

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव

extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .

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मरुस्थल और शुष्क क्षुपभूमियाँ

मरुस्थल और शुष्क क्षुपभूमियाँ (Deserts and xeric shrublands) ऐसे बायोम होते हैं जिनपर बहुत कम मात्रा में नमी पड़ती है। पारिभाषिक रूप से इन स्थनों पर हर साल २५० मिलीमीटर से कम वर्षा और बर्फ़ गिरती है। यह भूमि पर सबसे विस्तृत बायोम है और पृथ्वी के भूमीय इलाक़ों का लगभग १९% भाग इस श्रेणी में आता है। .

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मरूद्यान

ईनकेल्ट, यहूदिया मरूस्थल, इस्राइल में एक नखलिस्तान भौगोलिक संदर्भों में मरूद्यान, शाद्वल, मरूद्वीप अथवा नख़लिस्तान, किसी मरूस्थल में किसी झरने, चश्मा या जल-स्रोत के आसपास स्थित एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां किसी वनस्पति के उगने के लिए पर्याप्त अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध होती हैं। यदि यह क्षेत्र पर्याप्त रूप से बड़ा हो, तो यह पशुओं और मनुष्यों को भी प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराता है। मरूस्थलीय इलाकों में मरूद्यानों का हमेशा से व्यापार तथा परिवहन मार्गों के लिए विशेष महत्व का रहा है। पानी एवं खाद्य सामग्री की आपूर्ति के लिए काफिलों का मरूद्यानों से होकर गुज़रना आवश्यक है इसीलिए अधिकतर मामलों में किसी मरूद्यान पर राजनीतिक अथवा सैन्य नियंत्रण का तात्पर्य उस मार्ग पर होने वाले व्यापार पर नियंत्रण से भी है। उदहारण के तौर पर आधुनिक लीबिया में स्थित औजिला, घडामेस एवं कुफ्रा के मरूद्यान कई अवसरों पर सहारा के उत्तर-दक्षिणी एवं पूर्व-पश्चिमी व्यापार के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। इका, पेरू में हुआकाचीना नखलिस्तान मरूद्यान किसी जलस्रोत जैसे कि भूमिगत नदी अथवा आर्टीसियन कूप आदि से निर्मित होते हैं, जहां जल दबाव द्वारा प्राकृतिक रूप से अथवा मानव निर्मित कुओं द्वारा सतह तक पहुंच सकता है। समय समय पर होने वाली वृष्टि भी किसी मरूद्यान के भूमिगत स्रोत को प्राकृतिक को जल उपलब्ध कराती है, जैसे कि टुयात.

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मरी प्रान्त

तुर्कमेनिस्तान में मरी प्रान्त (हरे रंग में) मरी शहर में एक मस्जिद मरी प्रान्त (तुर्कमेनी: Mary welaýaty, Мары велаяты; अंग्रेज़ी: Mary Province; फ़ारसी:, मर्व) तुर्कमेनिस्तान की एक विलायत (यानि प्रान्त) है जो उस देश के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसकी सरहद अफ़्ग़ानिस्तान से लगती हैं। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ८७,१५० किमी२ है और सन् २००५ की जनगणना में इसकी आबादी १४,८०,४०० अनुमानित की गई थी।Statistical Yearbook of Turkmenistan 2000-2004, National Institute of State Statistics and Information of Turkmenistan, Ashgabat, 2005.

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मान्गीस्तऊ प्रांत

मान्गीस्त​ऊ प्रांत (कज़ाख़: Маңғыстау облысы, अंग्रेज़ी: Mangystau Province) मध्य एशिया के क़ाज़ाख़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी कैस्पियन सागर के किनारे स्थित अकतऊ शहर है, जो क़ाज़ाख़स्तान की सबसे बड़ी बंदरगाह भी है। इस प्रांत की दक्षिणी सीमा तुर्कमेनिस्तान के बलक़ान प्रान्त से और पूर्वी सीमा उज़बेकिस्तान के क़ाराक़ालपाक़स्तान प्रान्त से लगती हैं। .

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मारिब प्रान्त

मारिब​ प्रान्त (अरबी:, अंग्रेज़ी: Ma'rib) यमन का एक प्रान्त है। मारिब एक कम आबादी वाला रेगिस्तानी इलाक़ा हुआ करता था लेकिन १९८० के दशक में मध्य में यहाँ तेल मिलने से इसकी राजधानी मारिब शहर में तेज़ी से बढ़ौतरी होने लगी। माना जाता है कि यहाँ पर अतिप्राचीन काल में एक बाँध हुआ करता था जिसके फट जाने से यमन से क़हतानी क़बीले निकलकर पूरे अरबी प्रायद्वीप में जा बसे।, Robert D. Burrowes, pp.

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मालवा (पंजाब)

पंजाब में मालवा, सतलुज के दक्षिण वाले क्षेत्र को कहते हैं। इसके अन्तर्गत हरियाणा के कुछ भाग भी सम्मिलित हैं। इसके दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान का मरुस्थल है। मालवा का वातावरण शुष्क, मिट्टी रेतीली है। इस क्षेत्र में पानी की कमी है किन्तु नहरों का जाल बिछा हुआ है। मध्यकाल में यह क्षेत्र मुख्य रूप से राजपूतों के प्रभाव वाला क्षेत्र था। आज भी मालवा क्षेत्र के बहुत से गोत्र राजपूतों के गोत्र से मिलते-जुलते हैं। मालवा क्षेत्र के लोग पंजाबी की उपबोली 'मलवई' बोलते हैं। .

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मिस्री रेत समुद्र

मिस्री रेत समुद्र का एक दृश्य मिस्री रेत समुद्र उत्तर अफ़्रीका के सहारा रेगिस्तान के लीबयाई रेगिस्तान उपभाग में स्थित है। यहाँ रेत ही रेत है और उसके अनंत लहरें और टीले ऐसे लगते हैं जैसे समुद्र में लहरें, जिस से इस का नाम पड़ा है। इसमें कुछ रेत के टीले 100 मीटर तक की ऊंचाई रखते हैं (तुलना के लिए दिल्ली का क़ुतुब मीनार केवल 72.5 मीटर ऊंचा है)। मिस्री रेत समुद्र लीबयाई रेगिस्तान का 25% हिस्सा है। .

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मोनेग्रोस रेगिस्तान

मोनेग्रोस रेगिस्तान (स्पेनी: Desierto de los Monegros, अंग्रेज़ी: Monegros Desert) पूर्वोत्तरी स्पेन के क्षेत्र में स्थित एक अर्ध-मरुभूमि है। यह यूरोप के बहुत कम रेगिस्तानों में से एक है। प्रशासनिक रूप से यह स्पेन के ज़ारागोज़ा (Zaragoza) व उएस्का (Huesca) प्रान्तों में फैला हुआ है। .

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राजस्थान का इतिहास

पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार राजस्थान का इतिहास पूर्व पाषाणकाल से प्रारंभ होता है। आज से करीब एक लाख वर्ष पहले मनुष्य मुख्यतः बनास नदी के किनारे या अरावली के उस पार की नदियों के किनारे निवास करता था। आदिम मनुष्य अपने पत्थर के औजारों की मदद से भोजन की तलाश में हमेशा एक स्थान से दूसरे स्थान को जाते रहते थे, इन औजारों के कुछ नमूने बैराठ, रैध और भानगढ़ के आसपास पाए गए हैं। अतिप्राचीनकाल में उत्तर-पश्चिमी राजस्थान वैसा बीहड़ मरुस्थल नहीं था जैसा वह आज है। इस क्षेत्र से होकर सरस्वती और दृशद्वती जैसी विशाल नदियां बहा करती थीं। इन नदी घाटियों में हड़प्पा, ‘ग्रे-वैयर’ और रंगमहल जैसी संस्कृतियां फली-फूलीं। यहां की गई खुदाइयों से खासकरकालीबंग के पास, पांच हजार साल पुरानी एक विकसित नगर सभ्यता का पता चला है। हड़प्पा, ‘ग्रे-वेयर’ और रंगमहल संस्कृतियां सैकडों किलोमीटर दक्षिण तक राजस्थान के एक बहुत बड़े इलाके में फैली हुई थीं। इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि ईसा पूर्व चौथी सदी और उसके पहले यह क्षेत्र कई छोटे-छोटे गणराज्यों में बंटा हुआ था। इनमें से दो गणराज्य मालवा और सिवि इतने शक्तिशाली थे कि उन्होंने सिकंदर महान को पंजाब से सिंध की ओर लौटने के लिए बाध्य कर दिया था। उस समय उत्तरी बीकानेर पर एक गणराज्यीय योद्धा कबीले यौधेयत का अधिकार था। महाभारत में उल्लिखित मत्स्य पूर्वी राजस्थान और जयपुर के एक बड़े हिस्से पर शासन करते थे। जयपुर से 80 कि॰मी॰ उत्तर में बैराठ, जो तब 'विराटनगर' कहलाता था, उनकी राजधानी थी। इस क्षेत्र की प्राचीनता का पता अशोक के दो शिलालेखों और चौथी पांचवी सदी के बौद्ध मठ के भग्नावशेषों से भी चलता है। भरतपुर, धौलपुर और करौली उस समय सूरसेन जनपद के अंश थे जिसकी राजधानी मथुरा थी। भरतपुर के नोह नामक स्थान में अनेक उत्तर-मौर्यकालीन मूर्तियां और बर्तन खुदाई में मिले हैं। शिलालेखों से ज्ञात होता है कि कुषाणकाल तथा कुषाणोत्तर तृतीय सदी में उत्तरी एवं मध्यवर्ती राजस्थान काफी समृद्ध इलाका था। राजस्थान के प्राचीन गणराज्यों ने अपने को पुनर्स्थापित किया और वे मालवा गणराज्य के हिस्से बन गए। मालवा गणराज्य हूणों के आक्रमण के पहले काफी स्वायत्त् और समृद्ध था। अंततः छठी सदी में तोरामण के नेतृत्तव में हूणों ने इस क्षेत्र में काफी लूट-पाट मचाई और मालवा पर अधिकार जमा लिया। लेकिन फिर यशोधर्मन ने हूणों को परास्त कर दिया और दक्षिण पूर्वी राजस्थान में गुप्तवंश का प्रभाव फिर कायम हो गया। सातवीं सदी में पुराने गणराज्य धीरे-धीरे अपने को स्वतंत्र राज्यों के रूप में स्थापित करने लगे। इनमें से मौर्यों के समय में चित्तौड़ गुबिलाओं के द्वारा मेवाड़ और गुर्जरों के अधीन पश्चिमी राजस्थान का गुर्जरात्र प्रमुख राज्य थे। लगातार होने वाले विदेशी आक्रमणों के कारण यहां एक मिली-जुली संस्कृति का विकास हो रहा था। रूढ़िवादी हिंदुओं की नजर में इस अपवित्रता को रोकने के लिए कुछ करने की आवश्यकता थी। सन् 647 में हर्ष की मृत्यु के बाद किसी मजबूत केंद्रीय शक्ति के अभाव में स्थानीय स्तर पर ही अनेक तरह की परिस्थितियों से निबटा जाता रहा। इन्हीं मजबूरियों के तहत पनपे नए स्थानीय नेतृत्व में जाति-व्यवस्था और भी कठोर हो गई। .

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राजस्थान के पशु मेले

भारतीय राज्य राजस्थान में सभी जिलों और ग्रामीण स्तर पर लगभग 250 से अधिक पशु मेला का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं। राज्य स्तरीय पशु मेलों के आयोजनों में नगरपालिका और ग्राम पंचायतों की ओर से पशुपालकों को पानी, बिजली पशु चिकित्सा व टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से इन मेलों में समय-समय पर प्रदर्शनी और अन्य ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। राजस्थान राज्य स्तरीय पशु मेला में अधिकांश मेले लोक देवी देवताओं एवं महान पुरुषों के नाम से जुड़े हुए हैं पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेले कुछ इस प्रकार है। .

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राजस्थान की झीलें

प्राचीन काल से ही राजस्थान में अनेक प्राकृतिक झीलें विद्यमान है। मध्य काल तथा आधुनिक काल में रियासतों के राजाओं ने भी अनेक झीलों का निर्माण करवाया। राजस्थान में मीठे और खारे पानी की झीलें हैं जिनमें सर्वाधिक झीलें मीठे पानी की है। .

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राजस्थान की जलवायु

उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान का जलवायु आम तौर पर शुष्क या अर्ध-शुष्क है और वर्ष भर में काफी गर्म तापमान पेश करता है, साथ ही गर्मी और सर्दियों दोनों में चरम तापमान होते हैं। भारत का यह राज्य राजस्थान उत्तरी अक्षांश एवं पूर्वी देशांतर पर स्थित है। उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली रेखाएं देशांतर रेखाएं तथा देशांतर रेखाओं के अक्षीय कोण अथवा पृथ्वी के मानचित्र में पश्चिम से पूर्व अथवा भूमध्य रेखा के समानांतर रेखाएं खींची जाती हैं उन्हें अक्षांश रेखाएं कहा जाता है। राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार २३°३ उत्तरी अक्षांश से ३०°१२ उत्तरी अक्षांश तक है तथा देशांतरीय विस्तार ६०°३० पूर्वी देशांतर से ७८°१७ पूर्वी देशांतर तक है। कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिण अर्थात बांसवाड़ा जिले के मध्य (कुशलगढ़) से होकर गुजरती है इसलिए हर साल २१ जून को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले पर सूर्य सीधा चमकता है। राज्य का सबसे गर्म जिला चुरु जबकि राज्य का सबसे गर्म स्थल जोधपुर जिले में स्थित फलोदी है। इसी प्रकार राज्य में गर्मियों में सबसे ठंडा स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है इसलिए माउंट आबू को राजस्थान का शिमला कहा जाता है। पृथ्वी के धरातल से क्षोभ मंडल में जैसे-जैसे ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं तापमान कम होता है तथा प्रति १६५ मीटर की ऊंचाई पर तापमान १ डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। राजस्थान का गर्मियों में सर्वाधिक दैनिक तापांतर वाला जिला जैसलमेर है जबकि राज्य में गर्मियों में सबसे ज्यादा धूल भरी आंधियां श्रीगंगानगर जिले में चलती है राज्य में विशेषकर पश्चिमी रेगिस्तान में चलने वाली गर्म हवाओं को लू कहा जाता है। राजस्थान में गर्मियों में स्थानीय चक्रवात के कारण जो धूल भरे बवंडर बनते हैं उन्हें भभुल्या कहा जाता है गर्मियों में राज्य के दक्षिण पश्चिम तथा दक्षिणी भागों में अरब सागर में चक्रवात के कारण तेज हवाओं के साथ चक्रवाती वर्षा भी होती है राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान में गर्मियों में निम्न वायुदाब की स्थिति उत्पन्न होती है फलस्वरूप महासागरीय उच्च वायुदाब की मानसूनी पवने आकर्षित होती है तथा भारतीय उपमहाद्वीप के ऋतु चक्र को नियमित करने में योगदान देती है। राजस्थान में मानसून की सर्वप्रथम दक्षिण पश्चिम शाखा का प्रवेश करती है अरावली पर्वतमाला के मानसून की समानांतर होने के कारण राजस्थान में कम तथा अनियमित वर्षा होती है। राज्य का सबसे आर्द्र जिला झालावाड़ है जबकि राज्य का सबसे आर्द्र स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है जबकि सबसे शुष्क जिला जैसलमेर है। राज्य का दक्षिण पश्चिम दक्षिण तथा दक्षिणी पूर्वी भाग सामान्यतया आर्द्र कहलाता है। जबकि पूर्वी भाग सामान्यतया उप आर्द्र कहलाता है जबकि पश्चिमी भाग शुष्क प्रदेश में आता है इसके अलावा राजस्थान का उत्तर तथा उत्तर पूर्वी भाग सामान्यतया अर्ध अर्ध शुष्क प्रदेश में आता है। .

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रुब अल-ख़ाली

अंतरिक्ष से ली गई रुब अल-ख़ाली में रेत के टीलों की तस्वीर रुब अल-ख़ाली में डूबता सूरज रुब अल-ख़ाली (अरबी:, अंग्रेज़ी: Rub' al-Khali), जिसका मतलब 'ख़ाली क्षेत्र' होता है, दुनिया का सबसे बड़ा रेत का रेगिस्तान है (अधिकतर रेगिस्तानों में रेत, पत्थरों और पहाड़ों का मिश्रण होता है)। अरबी प्रायद्वीप का दक्षिणी एक-तिहाई इलाक़ा इसमें आता है, जिसमें सउदी अरब का अधिकार क्षेत्रफल तथा ओमान, संयुक्त अरब अमीरात व यमन के कुछ भाग शामिल हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग ६,५०,००० वर्ग किमी है, यानि राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों को मिलाकर जितना बनता है। .

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लास वेगास

लास वेगास; नेवादा का सबसे ज्‍़यादा आबादी वाला शहर है। क्‍लार्क काउंटी का स्थान है और जुआ, खरीदारी तथा शानदार खान-पान के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जाना जाने वाला एक प्रमुख रिसोर्ट शहर है। स्‍वयं को दुनिया की मनोरंजन राजधानी के रूप में प्रचारित करने वाला लास वेगास, कसीनो रिसोर्ट्स की बड़ी संख्‍या और उनसे संबंधित मनोरंजन के लिए मशहूर है। अब यहां ज्‍़यादा-से-ज्‍़यादा लोग सेवानिवृत्ति के बाद और अपने परिवारों के साथ बस रहे हैं और यह संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका का 28वां सबसे ज्‍़यादा आबादी वाला शहर बन गया है। संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के जनगणना ब्‍यूरो के अनुसार 2008 तक की इसकी जनसंख्‍या 558,383 थी। 2008 तक लास वेगास के महानगरीय क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्‍या 1,865,746 थी। 1905 में स्‍थापित लास वेगास को 1911 में आधिकारिक रूप से शहर का दर्जा दिया गया। उसके बाद इतनी प्रगति हुई कि 20वीं शताब्‍दी में स्थापित किया गया यह शहर सदी के अंत तक अमेरिका का सबसे ज्‍़यादा आबादी वाला शहर बन गया (19 वीं शताब्‍दी में यह दर्जा शिकागो को हासिल था).

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लूणी नदी

लूनी नदी भारत की एकमात्र अन्तर्वाही नदी हैं। यह नदी अरावली पर्वत के निकट आनासागर से उत्पन्न होकर दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए कच्छ के रन में जाकर मिलती है। .

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लोथल

लोथल लोथल (गुजराती: લોથલ), प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर है। लगभग 2400 ईसापूर्व पुराना यह शहर भारत के राज्य गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित है और इसकी खोज सन 1954 में हुई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस शहर की खुदाई 13 फ़रवरी 1955 से लेकर 19 मई 1956 के मध्य की थी। लोथल, अहमदाबाद जिले के धोलका तालुका के गाँव सरागवाला के निकट स्थित है। अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन के स्टेशन लोथल भुरखी से यह दक्षिण पूर्व दिशा में 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोथल अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर और धोलका शहरों से पक्की सड़क द्वारा जुड़ा है जिनमें से सबसे करीबी शहर धोलका और बगोदरा हैं। लोथल गोदी जो कि विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गोदी है, सिंध में स्थित हड़प्पा के शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच बहने वाली साबरमती नदी की प्राचीन धारा के द्वारा शहर से जुड़ी थी, जो इन स्थानों के मध्य एक व्यापार मार्ग था। उस समय इसके आसपास का कच्छ का मरुस्थल, अरब सागर का एक हिस्सा था। प्राचीन समय में यह एक महत्वपूर्ण और संपन्न व्यापार केंद्र था जहाँ से मोती, जवाहरात और कीमती गहने पश्चिम एशिया और अफ्रीका के सुदूर कोनों तक भेजे जाते थे। मनकों को बनाने की तकनीक और उपकरणों का समुचित विकास हो चुका था और यहाँ का धातु विज्ञान पिछले 4000 साल से भी अधिक से समय की कसौटी पर खरा उतरा था। 1961 में भारतीय पुराततव सर्वेक्षण ने खुदाई का कार्य फिर से शुरु किया और टीले के पूर्वी और पश्चिमी पक्षों की खुदाई के दौरान उन वाहिकाओं और नालों को खोद निकाला जो नदी के द्वारा गोदी से जुड़े थे। प्रमुख खोजों में एक टीला, एक नगर, एक बाज़ार स्थल और एक गोदी शामिल है। उत्खनन स्थल के पास ही एक पुरात्तत्व संग्रहालय स्थित हैं जिसमें सिंधु घाटी से प्राप्त वस्तुएं प्रदर्शित की गयी हैं। .

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शिजियाझुआंग

शिजियाझुआंग के कुछ नज़ारे शिजियाझुआंग (石家庄, Shijiazhuang) जनवादी गणराज्य चीन के उत्तरी भाग में स्थित हेबेई प्रांत की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह चीन की प्रशासन प्रणाली के अनुसार एक उपप्रांतीय शहर (प्रीफ़ेक्चर, दिजी) का दर्जा रखता है और चीन की राजधानी बीजिंग से २८० किमी दक्षिण पर स्थित है। सन् २०१० की जनगणना में इसकी आबादी १,०१,६३,७८८ अनुमानित की गई थी, जिमें से २६,०४,९३० शहरी इलाक़ों में, ३८,३३,६०६ नगर पालिका के क्षेत्र में और अन्य आसपास के देहाती इलाक़ों में रहते थे। शिजियाझुआंग में नया औद्योगीकरण बहुत हुआ है और इसके अलावा इस शहर का कोई ख़ास सांस्कृतिक महत्व नहीं है। बीजिंग से नज़दीकी की वजह से यहाँ चीनी फ़ौज की बड़ी छावनी है जो ज़रुरत पड़ने पर राष्ट्रीय राजधानी की रक्षा करने के लिए तैयार है। यहाँ कुछ सैन्य विश्वविद्यालय और कॉलेज भी हैं। भारत से द्वितीय चीन-जापान युद्ध के दौरान चीन भेजे गए डॉक्टर द्वारकानाथ कोटणीस की समाधि शिजियाझुआंग शहर में स्थित है। कुछ स्रोतों के अनुसार यह शहर कुछ रेलवे मार्गों के पास होने की वजह से ही १०० साल में एक गाँव से एक शहर बन गया है वरना इसमें कोई विशेषता नहीं है।, Simon Foster, Jen Lin-Liu, Sharon Owyang, Sherisse Pham, Beth Reiber, Lee Wing-sze, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-0-470-52658-3,...

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शुष्कपसंदी

शुष्कपसंदी (Xerophile, ज़ेरोफ़ाइल) ऐसे चरमपसंदी जीव होते हैं जो अति-शुष्क वतावरणों में पनप सकते हैं और प्रजनन कर सकते हैं। यह जीव मरुभूमियों की रेत में पाए जाते हैं जहाँ बहुत कम जल उपलब्ध होता है। खाद्य परिरक्षण में भी शुष्कपसंदियों का अध्ययन महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह जीव केवल खाना सुखा देने से नहीं रोके जा सकते हैं और यदि बड़ी संख्या में मौजूद हों तो उसे ख़राब कर देते हैं। .

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शेखावाटी

शेखावाटी उत्तर-पूर्वी राजस्थान का एक अर्ध-शुष्क ऐतिहासिक क्षेत्र है। राजस्थान के वर्तमान सीकर और झुंझुनू जिले शेखावाटी के नाम से जाने जाते हैं इस क्षेत्र पर आजादी से पहले शेखावत क्षत्रियों का शासन होने के कारण इस क्षेत्र का नाम शेखावाटी प्रचलन में आया। देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर-शाहपुरा, खंडेला, सीकर, खेतडी, बिसाऊ, सुरजगढ, नवलगढ़,मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता, खुड, * कंकङेऊ कलां खाचरियाबास, अलसीसर,यासर,मलसीसर,लक्ष्मणगढ,बीदसर आदि बड़े-बड़े प्रभावशाली संस्थान शेखा जी के वंशधरों के अधिकार में थे। वर्तमान शेखावाटी क्षेत्र पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व मानचित्र में तेजी से उभर रहा है, यहाँ पिलानी और लक्ष्मणगढ के भारत प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र है। वही नवलगढ़, फतेहपुर, गंगियासर,अलसीसर, मलसीसर, लक्ष्मणगढ, मंडावा आदि जगहों पर बनी प्राचीन बड़ी-बड़ी हवेलियाँ अपनी विशालता और भित्ति चित्रकारी के लिए विश्व प्रसिद्ध है जिन्हें देखने देशी-विदेशी पर्यटकों का ताँता लगा रहता है। पहाडों में सुरम्य जगहों बने जीण माता मंदिर, शाकम्बरीदेवी का मन्दिर, लोहार्ल्गल के अलावा खाटू में बाबा खाटूश्यामजी का (बर्बरीक) का मन्दिर,सालासर में हनुमान जी का मन्दिर * कंकङेऊ कलां में बाबा माननाथ की मेङी आदि स्थान धार्मिक आस्था के ऐसे केंद्र है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं। इस शेखावाटी प्रदेश ने जहाँ देश के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने वाले देशप्रेमी दिए वहीँ उद्योगों व व्यापार को बढ़ाने वाले सैकडो उद्योगपति व व्यापारी दिए जिन्होंने अपने उद्योगों से लाखों लोगों को रोजगार देकर देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दिया। भारतीय सेना को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला झुंझुनू जिला शेखावाटी का ही भाग है। .

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सरस्वती नदी

सरस्वती एक पौराणिक नदी जिसकी चर्चा वेदों में भी है। ऋग्वेद (२ ४१ १६-१८) में सरस्वती का अन्नवती तथा उदकवती के रूप में वर्णन आया है। यह नदी सर्वदा जल से भरी रहती थी और इसके किनारे अन्न की प्रचुर उत्पत्ति होती थी। कहते हैं, यह नदी पंजाब में सिरमूरराज्य के पर्वतीय भाग से निकलकर अंबाला तथा कुरुक्षेत्र होती हुई कर्नाल जिला और पटियाला राज्य में प्रविष्ट होकर सिरसा जिले की दृशद्वती (कांगार) नदी में मिल गई थी। प्राचीन काल में इस सम्मिलित नदी ने राजपूताना के अनेक स्थलों को जलसिक्त कर दिया था। यह भी कहा जाता है कि प्रयाग के निकट तक आकार यह गंगा तथा यमुना में मिलकर त्रिवेणी बन गई थी। कालांतर में यह इन सब स्थानों से तिरोहित हो गई, फिर भी लोगों की धारणा है कि प्रयाग में वह अब भी अंत:सलिला होकर बहती है। मनुसंहिता से स्पष्ट है कि सरस्वती और दृषद्वती के बीच का भूभाग ही ब्रह्मावर्त कहलाता था। .

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सरीसृप

सरीसृप (Reptiles) प्राणी-जगत का एक समूह है जो कि पृथ्वी पर सरक कर चलते हैं। इसके अन्तर्गत साँप, छिपकली,मेंढक, मगरमच्छ आदि आते हैं। .

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सिमूम

यह अरब के मरुस्थल में चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवा हैं। श्रेणी:स्थानीय पवन.

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सिरदरिया प्रान्त

उज़बेकिस्तान के नक़्शे में सिरदरिया प्रान्त (लाल रंग में) सिरदरिया प्रान्त (उज़बेक: Сирдарё вилояти, सिरदरयो विलोयती; अंग्रेज़ी: Sirdaryo Province) मध्य एशिया में स्थित उज़बेकिस्तान देश का एक विलायात (प्रान्त) है जो उस देश के मध्य भाग में प्रसिद्ध सिर दरिया के बाएँ किनारे पर स्थित है। प्रान्त का कुल क्षेत्रफल ५,१०० वर्ग किमी है और २००५ में इसकी अनुमानित आबादी ६,४८,१०० थी। इस सूबे का अधिकतर हिस्सा रेगिस्तान है। सिरदरिया प्रान्त की राजधानी गुलिस्तोन शहर है, जो उज़बेक भाषा में 'गुलिस्तान' उच्चारित करने का लहजा है।, Нурислам Тухлиев, Алла Кременцова, Ozbekiston milliy ensiklopediasi, 2007 .

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स्वसंगठन

स्वसंगठन (self-organization), जो स्वप्रसूत व्यवस्था (spontaneous order) भी कहलाता है, ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें किसी अव्यवस्थित तंत्र (सिस्टम) के भाग अपनी-अपनी गतिविधियों द्वारा एक-दूसरे को प्रभावित कर के उस तंत्र में (बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के) स्वयं ही व्यवस्थित कर लेते हैं। यह उभरने वाला संगठन उस तंत्र के सभी भागों को अपने-आप में सम्मिलित कर लेता है। स्वसंगठन जटिल तंत्रों में उदगमता (ऍमेर्जेन्स) से उत्पन्न होता है। अक्सर यह उदगम व्यवस्था मज़बूत होती है और, यदी तंत्र को छेड़कर इस संगठन को भंग करा जाये तो तंत्र कुछ हद तक इसकी स्वयं ही मरम्म्त कर के उसे पुनःस्थापित करने में सक्षम होता है। .

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सीरियाई मरुस्थल

सीरियाई मरुस्थल (Syrian Desert, अरबी: بادية الشام, बादियत अस-शाम) मध्यपूर्व में स्थित एक 500,000 वर्ग किमी पर फैला हुआ घासभूमि और रेगिस्तान का एक विस्तार है। यह दक्षिणपूर्वी सीरिया, पूर्वोत्तरी जॉर्डन, उत्तरी साउदी अरब और पश्चिमी इराक़ में फैला हुआ है। दक्षिण में यह अरबी रेगिस्तान से जाकर मिल जाता है। इसका अधिकतर भाग एक शुष्क कंकड़-बजरी वाला मैदान है जिसमें जहाँ-तहाँ वादियाँ मिलती हैं। .

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हाइल प्रान्त

हाइल प्रान्त, जिसे अरबी में मिन्तक़ाह​ हाइल कहते हैं, सउदी अरब के उत्तरी भाग में स्थित एक प्रान्त है। यह सउदी अरब के नज्द क्षेत्र में आता है और इसके उत्तर में अन-नफ़ूद का महान रेगिस्तान है। .

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हजर पहाड़

अल बातिनाह क्षेत्र में नख़ल​ क़िले के पीछे दिखते हजर पहाड़ हजर पहाड़ (अरबी:, जबाल अल-हजर, अंग्रेज़ी: Hajar Mountains) पूर्वोत्तरी ओमान और पूर्वी संयुक्त अरब अमीरात में स्थित पहाड़ों की एक शृंखला है जो पूर्वी अरब प्रायद्वीप की सबसे ऊँची शृंखला भी है। यह पहाड़ियाँ ओमान के तटवर्ती मैदान को अन्दर के रेगिस्तानी पठार से अलग करती हैं। हजर पहाड़ शृंखला ओमान की खाड़ी के समुद्र से लगभग ५०-१०० किमी दूर खड़े हैं।, Federal Research Division, pp.

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हेलमंद प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का हेलमंद प्रान्त (लाल रंग में) हेलमंद प्रान्त में कुछ बच्चे हेलमंद (पश्तो:, अंग्रेजी: Helmand) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ५८,५८४ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००६ में लगभग १४.४ लाख अनुमानित की गई थी। हेलमंद के लगभग ९०% लोग पश्तून समुदाय के हैं।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी लश्कर गाह शहर है। वैसे तो यह इलाक़ा रेगिस्तानी है लेकिन हेलमंद नदी यहाँ से निकलती है और उसका पानी फ़सलों के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह ग़ैर-क़ानूनी अफ़ीम की पैदावार का भी बहुत बड़ा केंद्र है और विश्व की ७५% अफ़ीम यहीं पैदा होती है। .

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होहोबा

होहोबा एक रेगिस्तानी पौधा है इसका अंग्रेजी नाम जोजोबा (Jojoba) है तथा वानस्पतिक नाम साइमन्डेसिया चायनेंसिमइसे होहोबा के नाम से जाना जाता है। यह मूलतः रेगिस्तानी पौधा है जो मैक्सिको, High temperatures are tolerated by jojoba, but frost can damage or kill plants.

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ज़रफ़शान नदी

ताजिकिस्तान के अइनी ज़िले में ज़रफ़शान नदी का एक नज़ारा ज़रफ़शान नदी के मार्ग का नक़्शा ज़रफ़शान नदी (ताजिकी: Дарёи Зарафшон, दरिया-ए-ज़रफ़शान; अंग्रेज़ी: Zeravshan River, ज़ेरवशान रिवर) मध्य एशिया की एक नदी है। यह ताजिकिस्तान में पामीर पर्वतमाला में शुरू होती है और ३०० किमी पश्चिम की और ताजिकिस्तान के अन्दर ही बहती है। ताजिकिस्तान के पंजाकॅन्त (Панҷакент) शहर से गुज़रती हुई फिर यह उज़बेकिस्तान में दाख़िल होती है और उत्तर-पश्चिम की तरफ़ बहती है। फिर यह समरक़न्द की प्रसिद्ध नगरी के पास से निकलती है, जो पूरी तरह इस नदी द्वारा बनाए गए नख़लिस्तान (ओएसिस) पर निर्भर है (बिना इस नदी के यह एक मरूभूमी होता)। समरक़न्द से आगे चलकर उज़बेकिस्तान के नवोइ (Навоий) और बुख़ारा के शहरों से गुज़रकर क़ाराकुल शहर पहुँचती है और फिर आगे के रेगिस्तान की रेतों में ओझल हो जाती है। किसी ज़माने में यह और भी आगे चलकर अपने पानी को आमू दरिया में मिला देती थी, लेकिन वर्तमान में उस तक पहुँचने से पहले ही रेगिस्तान इसे सोख लेता है। इस बदलाव का मुख्य कारण यह है कि ज़रफ़शान का बहुत सा पानी अब सिंचाई के लिए खींच लिया जाता है जिस से इसके आगे के हिस्से में पानी का बहाव बहुत ही कम हो चुका है। .

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जिम मॉरिसन

जेम्स डगलस "जिम" मॉरिसन (8 दिसम्बर 1943 - 3 जुलाई 1971) एक अमेरिकी गायक, गीतकार, कवि, लेखक और फिल्म निर्माता थे। वे द डोर्स के प्रमुख गायक और गीतकार के रूप में सबसे अधिक जाने जाते हैं और उन्हें व्यापक रूप से रॉक संगीत के इतिहास में सबसे करिश्माई अगुआ व्यक्तियों में से एक माना जाता है।"देखे उदाहरण., मॉरिसन पोएम बैक्स क्लाइमेट प्ले", BBC न्यूज़, 31 जनवरी 2007.

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जोधपुर

जोधपुर भारत के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। इसकी जनसंख्या १० लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा "महानगर " घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े मारवाड़ की इसी नाम की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे "सूर्य नगरी" भी कहा जाता है। यहां स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे "नीली नगरी" के नाम से भी जाना जाता था। यहां के पुराने शहर का अधिकांश भाग इस दुर्ग को घेरे हुए बसा है, जिसकी प्रहरी दीवार में कई द्वार बने हुए हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस दीवार के बाहर भी नगर का वृहत प्रसार हुआ है। जोधपुर की भौगोलिक स्थिति राजस्थान के भौगोलिक केन्द्र के निकट ही है, जिसके कारण ये नगर पर्यटकों के लिये राज्य भर में भ्रमण के लिये उपयुक्त आधार केन्द्र का कार्य करता है। वर्ष २०१४ के विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाया था। एक तमिल फ़िल्म, आई, जो कि अब तक की भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फ़िल्मशोगी, की शूटिंग भी यहां हुई थी। .

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वर्षा जल संचयन

ठाठवाड़, राजस्थान के एक गांव में जोहड़ में संचयन पहेली में भी दिखाया गया था वर्षा जल संचयन (अंग्रेज़ी: वाटर हार्वेस्टिंग) वर्षा के जल को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है। इसका कारण पृथ्वी के जलस्तर का लगातार नीचे जाना भी है। इसके लिये अधिशेष मानसून अपवाह जो बहकर सागर में मिल जाता है, उसका संचयन और पुनर्भरण किया जाना आवश्यक है, ताकि भूजल संसाधनों का संवर्धन हो पाये। अकेले भारत में ही व्यवहार्य भूजल भण्डारण का आकलन २१४ बिलियन घन मी.

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वादी रम

वादी रम (अरबी: وادي رم) जिसे चंद्रमा की घाटी के नाम से भी जाना जाता है (अरबी: وادي القمر) दक्षिणी जॉर्डन में अकाबा के पूर्व में 60 किमी (37 मील) की दूरी पर स्थित, बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट पत्थर के प्राकृतिक क्षरण से निर्मित एक घाटी है। यह जॉर्डन की सबसे बड़ी वादी है। रम नाम संभवत: अरामी भाषा से आया है जिसका अर्थ 'उच्च' या 'बुलंद' होता है। .

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विश्व धरोहर

यूनेस्को की विश्व विरासत समिति का लोगो युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वाधान में करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है। अब तक (2006 तक) पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले और 138 अन्य स्थल हैं। प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो; परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें। बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है। .

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विश्व के मरुस्थल

विश्व के मरूस्थलो की सूची महाद्वीप के क्रम में इस प्रकार हैं- .

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ख़ुज़दार ज़िला

ख़ुज़दार (उर्दू व बलोच: خضدار, अंग्रेज़ी: Khuzdar) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त का एक ज़िला है। यह पारम्परिक रूप से झालावान क्षेत्र का भाग है और कलात ख़ानत का हिस्सा था। ज़िले की राजधानी ख़ुज़दार शहर है, जो बलोचिस्तान प्रान्त का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। .

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खुतन राज्य

खुतन से प्राप्त कनिष्क काल का कांसे का सिक्का खुतन राज्य (The Kingdom of Khotan) रेशम पथ पर स्थित प्राचीन बौद्ध राज्य था। ख़ुतन (ख़ोतन, ख़ोतान) मध्य एशिया में चीनी तुर्किस्तान (सिंकियांग) की मरुभूमि (तकलामकान) के दक्षिणी सिरे पर स्थित नखलिस्तान के एक नगर (स्थिति: ३७० १८’ उ., ८०० २’ पूर्व)। जिस नखलिस्तान में यह स्थित है, वह यारकंद से २०० मील दक्षिण पूर्व है और अति प्राचीन काल से ही तारिम उपत्यका के दक्षिणी किनारे वाले नखलिस्तान में सबसे बड़ा है। खुतन जिले को स्थानीय लोग 'इल्वी' कहते हैं तथा इस नखलिस्तान के दो अन्य नगर युरुंगकाश और काराकाश तीनों एक ४० मील हरियाली लंबी पट्टी के रूप में कुन-लुन पर्वत के उत्तरी पेटे में हैं। इसकी हरियाली के साधन भुरुंगकाश और काराकाश नदियाँ हैं जो मिलकर खुतन नदी का रूप ले लेती है। खुतन नाम के संबंध में कहा जाता है कि वह कुस्तन (भूमि है स्तन जिसका) के नाम पर पड़ा है जिसे मातृभूमि से निर्वासित हो कर धरती माता के सहारे जीवनयापन करना पड़ा था। खुतन पूर्ववर्ती हनवंश के काल में एक सामान्य सा राज्य था। किंतु प्रथम शती ई. के उत्तरार्ध में, जिस समय चीन तारिम उपत्यका पर अधिकर करने के लिए जोर लगा रहा था, अपनी भौगोलिक स्थिति-अर्थात्‌ सबसे बड़ा नखलिस्तान होने तथा पश्चिम जाने वाले दो मार्गों में अधिक दक्षिणी मार्ग पर स्थित होने के कारण मध्य एशिया और भारत के बीच एक जोड़नेवाली कड़ी के रूप में इसे विशेष महत्व प्राप्त हुआ। भारत के साथ इसका अत्यंत घनिष्ठ संबंध बहुत दिनों तक बना रहा। खुतन के मार्ग से ही बौद्ध धर्म चीन पहुँचा। एक समय खुतन बौद्ध धर्म की शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था। वहाँ भारतीय लिपि तथा प्राकृत भाषा प्रचलित थी। वहाँ गुप्तकालीन अनेक बौद्ध विहार मिले हैं जिनकी भित्ति पर अजंता शैली से मिलती जुलती शैली के चित्र पाए गए हैं। काशगर से चीन तथा चीन से भारत आनेवाले सार्थवाह, व्यापारी खुतन होकर ही आते जाते थे। फाह्यान, सुंगयुन, युवानच्वांग और मार्कोपालो ने इसी मार्ग का अनुसरण किया था। यह सुप्रसिद्ध बौद्ध विद्वान्‌ बुद्धसेना का निवासस्थान था। अपनी समृद्धि और अनेक व्यापार मार्गों का केंद्र होने के कारण इस नगर को अनेक प्रकार के उत्थान पतन का सामना करना पड़ा। ७० ई. में सेनापति पानचाउ ने इसे विजित किया। और उत्तरवर्ती हनवंश के अधीन रहा। उसके बाद पुन: सातवीं शती में टांग वंश का इसपर अधिकार था। आठवीं शती में पश्चिमी तुर्किस्तान से आनेवाले अरबों ने और दसवीं शती में काशगरवासियों ने इसपर अधिकार किया। १३वीं शती में चंगेज खाँ ने उसपर कब्जा किया। पश्चात्‌ वह मध्य एशिया में मंगोलों के अधीन हुआ। इसी काल में मार्कोपोलो इस मार्ग से गुजरा था और उसने यहाँ की खेती, विशेष रूप से कपास की खेती तथा इसके व्यापारिक महत्व और निवासियों के वीर चरित्र की चर्चा की है। हाल की शताब्दियों में यह चीनी मध्य एशिया में मुस्लिम सक्रियता का केंद्र रहा और १८६४-६५ में चीन के विरुद्ध हुए डंगन विद्रोह में इस नगर की प्रमुख भूमिका थी। १८७८ में काशगर और खुतन ने प्रख्यात कृषि सेना को आत्मसमर्पण किया। फलस्वरूप वह पुन: चीन के अधिकार में चला गया। आजकल सिंकियांग प्रांत के अंतर्गत हैं। यह क्षेत्र आज भी कृषि की दृष्टि से अपना महत्व रखता है। गेहूँ, चावल, जई, बाजरा और मक्का की यहाँ खेती होती है। कपास भी काफी मात्रा में उपजता है। फलों, में जैतुन, लूकाट, नाशपाती और सेब होते हैं। मेवे का भी काफी मात्रा में निर्यात होता है। रेशम के उद्योग के आनुषंगिक साधन के रूप में शहतूत की भी खेती की जाती है। इसके अतिरिक्त यहाँ कालीन और नमदे का भी उद्योग है। नदियों से लोग सोना छानते हैं। बहुत दिनों तक खुतन के यशद भी बहुत प्रसिद्ध थे। .

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खींप

खींप जिसका वानस्पतिक नाम (लेप्टाडेनिया पाइरोटेकनिका/Leptadenia pyrotechnica) होता है यह एक रेगिस्तानी आयुर्वेदिक अर्थात एक प्रकार की घास होती है जो विशेष रूप से राजस्थान के रेगिस्तानी हिस्सों में ही पाई जाती है इसे पंजाबी में खीप कहते हैं खींप का कूटने से में जो पानी निकलता है वो पानी अर्थात इसका रस शरीर के लिए काफी नुकसानदेह होता है इससे शरीर पर खुजली हो जाती है राजस्थान में खींप के सूखने के पश्चात झोंपड़ा बनाने में तथा झाड़ू बनाने में काफी हद तक प्रयोग किया जाता है। .

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गिरगिट

गिरगिट (Chameleons, कैमीलियन) एक प्रकार का पूर्वजगत छिपकली का क्लेड है जिसकी जून २०१५ तक २०२ जीववैज्ञानिक जातियाँ ज्ञात थी। गिरगिटें कई रंगों की होती हैं और उनमें से कई में रंग बदलने की क्षमता होती है। .

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गिलहरी

गिलहरी की कई प्रजातियों में कालेपन की प्रावस्था पाई जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बड़े हिस्से में शहरी क्षेत्रों में सर्वाधिक आसानी से देखी जा सकने वाली गिलहरियाँ पूर्वी ग्रे गिलहरियों का कालापन लिया हुआ एक रूप है। गिलहरियाँ छोटे व मध्यम आकार के कृन्तक प्राणियों की विशाल परिवार की सदस्य है जिन्हें स्कियुरिडे कहा जाता है। इस परिवार में वृक्षारोही गिलहरियाँ, भू गिलहरियाँ, चिम्पुंक, मार्मोट (जिसमे वुड्चक भी शामिल हैं), उड़न गिलहरी और प्रेइरी श्वान भी शामिल हैं। यह अमेरिका, यूरेशिया और अफ्रीका की मूल निवासी है और आस्ट्रेलिया में इन्हें दूसरी जगहों से लाया गया है। लगभग चालीस मिलियन साल पहले गिलहरियों को पहली बार, इयोसीन में साक्ष्यांकित किया गया था और यह जीवित प्रजातियों में से पर्वतीय ऊदबिलाव और डोरमाइस से निकट रूप से सम्बद्ध हैं। .

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गूमा ज़िला

गूमा ज़िला (अंग्रेज़ी: Guma County, उइग़ुर) या पीशान ज़िला (अंग्रेज़ी: Pishan County, चीनी: 皮山县) चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के काश्गर विभाग का एक ज़िला है। यह एक रेगिस्तानी इलाक़ा है जिसमें ५३ नख़लिस्तानी (ओएसिस) क्षेत्र गिने गए हैं।, Longjun Ci, pp.

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गोबी मरुस्थल

गोबी मरुस्थल, चीन और मंगोलिया में स्थित है। यह विश्व के सबसे बड़े मरुस्थलों में से एक है। गोबी दुनिया के ठंडे रेगिस्तानों में एक है, जहां तापमान शून्य से चालीस डिग्री नीचे तक चला जाता है। गोबी मरुस्थल एशिया महाद्वीप में मंगोलिया के अधिकांश भाग पर फैला हुआ है। यह मरुस्थल संसार के सबसे मरुस्थलों में से एक है। 'गोबी' एक मंगोलियन शब्द है, जिसका अर्थ होता है- 'जलरहित स्थान'। आजकल गोबी मरूस्थल एक रेगिस्तान है, लेकिन प्राचीनकाल में यह ऐसा नहीं था। इस क्षेत्र के बीच-बीच में समृद्धशाली भारतीय बस्तियाँ बसी हुई थीं। गोबी मरुस्थल पश्चिम में पामीर की पूर्वी पहाड़ियों से लेकर पूर्व में खिंगन पर्वतमालाओं तक तथा उत्तर में अल्ताई, खंगाई तथा याब्लोनोई पर्वतमालाओं से लेकर दक्षिण में अल्ताइन तथा नानशान पहाड़ियों तक फैला है। इस मरुस्थल का पश्चिमी भाग तारिम बेसिन का ही एक हिस्सा है। यह संसार का पांचवां बड़ा और एशिया का सबसे विशाल रेगिस्तान है। सहारा रेगिस्तान की भांति ही इस रेगिस्तान को भी तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है- 1.

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गोलोदनाया स्तेपी

किरगिज़ परिवार गोलोदनाया स्तेपी में रोमानोव्सकी नहर का स्रोत बाँध (१९१३ की तस्वीर) गोलोदनाया स्तेपी (अंग्रेज़ी: Golodnaya Steppe, रूसी: Голодная степь), जिसे उज़बेक भाषा में मिर्ज़ाचोल (Mirzachol) या मिर्ज़ाचोल सहरा कहते हैं, उज़बेकिस्तान में सिर दरिया के बाहिने किनारे पर लगा हुआ १०,००० वर्ग किमी का एक लोयस मैदान है। यह एक शुष्क स्तेपी क्षेत्र है जो १९वीं सदी तक रेगिस्तानी इलाक़ा हुआ करता था लेकिन १९५० और १९६० के दशकों में सोवियत संघ की सरकार द्वारा नहर सिंचाई विकसित करने से उज़बेकिस्तान में कपास और अन्न का एक मुख्य स्रोत बन चुका है। सिरदरिया प्रान्त के गुलिस्तोन और यांगियेर शहर गोलोदनाया स्तेपी के मुख्य आबादी के केंद्र हैं। .

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आताकामा मरुस्थल

आताकामा नासा वर्ल्ड विंड के द्वारा आताकामा मरुस्थल के किनारे स्थित पैन दे एजुकार राष्ट्रीय उद्यान में एक चिल्ला आताकामा मरुस्थल, दक्षिण अमेरिका में स्थित एक लगभग शुष्क पठार है और इसका विस्तार एण्डीज़ पर्वतमाला के पश्चिम में महाद्वीप के प्रशांत तट पर लगभग 1000 किमी (600 मील) की दूरी तक है। नासा, नेशनल ज्योग्राफिक तथा अन्य कई प्रकाशनों के अनुसार यह दुनिया का सबसे शुष्क मरुस्थल है।चिली की तट शृंखला और एण्डीज़, के अनुवात पक्ष का वृष्टिछाया प्रदेश और शीतल अपतटीय हम्बोल्ट धारा द्वारा निर्मित तटीय प्रतिलोम परत, इस 20 करोड़ साल से ज्यादा पुराने मरुस्थल को कैलिफोर्निया स्थित मौत की घाटी से 50 गुणा अधिक शुष्क बनाते हैं। उत्तरी चिली में स्थित अटाकामा मरुस्थल का कुल क्षेत्रफल है और इसका अधिकांश नमक बेसिनों (सलारेस), रेत, और बहते लावा से बना है। .

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आल्मेरिया प्रान्त

आल्मेरिया (स्पेनी: Almería) दक्षिणी स्पेन में स्थित एक प्रान्त है। ग्रानडा, मूर्सिया इसके सीमा प्रान्त हैं और भूमध्य सागर इसका सीमान्त सागर। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ८,७६९ किमी२ है जो तुलना के लिए भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ ज़िले का लगभग साढ़े-तीन गुना है। कुल जनसंख्या है ५,४६,४९९ (सन् २००२) और घनत्व है ६२.३२/किमी२। इसके भीतर १०१ नगरनिगम इकाइयाँ हैं। एल्मीरिया, दक्षिणी स्पेन के आंदालुसिया स्वायत्त समुदाय का भाग है। इसकी राजधानी भी "आल्मेरिया" नाम का एक शहर ही है। .

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इन्सेलबर्ग

संयुक्त राज्य अमेरिका का एक इन्सेलबर्ग इन्सेलबर्ग जर्मन भाषा का शब्द हैं जिसका अर्थ पर्वत, द्वीप या द्विपीय पर्वत होता हैं। विस्तृत रेगिस्तान में कठोर चट्टाने (जिनका अपरदन नहीं हो पाता) के सामान्य सतह से ऊचे टीले इस तरह लगते हैं मानो सागर में द्विप खडे हों। इन्सेलबर्ग के किनारे तिरछे ढालों वाले होते हैं। बोनहार्ट नामक विद्वान ने इस प्रकार के इन्सेलबर्ग के निर्माण की स्थलाकृतिक क्रिया का पता लगाया था। श्रेणी:भू-आकृति विज्ञान.

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कमलेश्वर

कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। उन्होंने मुंबई में जो टीवी पत्रकारिता की, वो बेहद मायने रखती है। 'कामगार विश्व’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने ग़रीबों, मज़दूरों की पीड़ा-उनकी दुनिया को अपनी आवाज़ दी। कमलेश्वर का जन्म ६ जनवरी १९३२ को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उन्होंने १९५४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. किया। उन्होंने फिल्मों के लिए पटकथाएँ तो लिखी ही, उनके उपन्यासों पर फिल्में भी बनी। `आंधी', 'मौसम (फिल्म)', 'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'छोटी सी बात', 'मिस्टर नटवरलाल', 'सौतन', 'लैला', 'रामबलराम' की पटकथाएँ उनकी कलम से ही लिखी गईं थीं। लोकप्रिय टीवी सीरियल 'चन्द्रकांता' के अलावा 'दर्पण' और 'एक कहानी' जैसे धारावाहिकों की पटकथा लिखने वाले भी कमलेश्वर ही थे। उन्होंने कई वृतचित्रों और कार्यक्रमों का निर्देशन भी किया। १९९५ में कमलेश्वर को 'पद्मभूषण' से नवाज़ा गया और २००३ में उन्हें 'कितने पाकिस्तान'(उपन्यास) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे 'सारिका' 'धर्मयुग', 'जागरण' और 'दैनिक भास्कर' जैसे प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं के संपादक भी रहे। उन्होंने दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक जैसा महत्वपूर्ण दायित्व भी निभाया। कमलेश्वर ने अपने ७५ साल के जीवन में १२ उपन्यास, १७ कहानी संग्रह और क़रीब १०० फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखीं। कमलेश्वर की अंतिम अधूरी रचना अंतिम सफर उपन्यास है, जिसे कमलेश्वर की पत्नी गायत्री कमलेश्वर के अनुरोध पर तेजपाल सिंह धामा ने पूरा किया और हिन्द पाकेट बुक्स ने उसे प्रकाशित किया और बेस्ट सेलर रहा। २७ जनवरी २००७ को उनका निधन हो गया। .

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कलात ज़िला

कलात (उर्दू व बलोच: قلات, अंग्रेज़ी: Kalat) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त का एक ज़िला है। यह पारम्परिक रूप से कलात ख़ानत का केन्द्र था। ज़िले की राजधानी कलात शहर है। .

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काराकुम रेगिस्तान

अंतरिक्ष से काराकुम रेगिस्तान - दाएँ में कैस्पियन सागर नज़र आ रहा है और चित्र के बाएँ ऊपर में आमू दरिया की रेखा तुर्कमेनिस्तान में काराकुम का एक नज़ारा पीला रंग हुआ इलाक़ा काराकुम है काराकुम रेगिस्तान (तुर्कमेन: Garagum; रूसी: Каракумы; अंग्रेज़ी: Karakum) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। तुर्कमेनिस्तान देश का ७०% इलाक़ा इसी रेगिस्तान के क्षेत्र में आता है। 'काराकुम' शब्द का अर्थ 'काली रेत' होता है। यहाँ आबादी बहुत कम घनी है और औसतन हर ६.५ वर्ग किमी में एक व्यक्ति मिलता है। यहाँ बारिश औसत रूप से १० वर्षों में एक दफ़ा गिरती है। यह विश्व के सब से बड़े रेतीले रेगिस्तानों में से एक है।, R. Lal, Psychology Press, 2007, ISBN 978-0-415-42235-2,...

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कालाहारी मरुस्थल

कालाहारी मरुस्थल तथा इसको आवृत करने वाली कालाहारी घाटी का क्षेत्र कालाहारी विश्व का एक विशाल मरूस्‍थल है। कालाहारी मरुस्थल का क्षेत्र दक्षिणवर्ती अफ़्रीका के बोत्सवाना, नामीबिया तथा दक्षिण अफ़्रीका देशों की सीमा में लगभग 9 लाख वर्गकिलोमीटर में विस्तृत है। इसको आवृत करने वाली कालाहारी घाटी कोई 25 लाख वर्ग किलोमीटर में फैली है। मरुस्थल में सालाना 8-19 सेमी वर्षा होती है। इसके कुछ हिस्सों में साल में तीन महीने वर्षा होती है जिसकी वजह से यहाँ पशुओं की आबादी भी देखने को मिलती है। यहाँ रहने वाली जनजातियों को बुशमैन कहा जाता है। 1980 के दशक में यहाँ के वन्य जीव संरक्षण के कई उपाय हुए। यह एक उष्ण कटिबंधीय मरुस्थल है। इसके पश्चिम में नामीब मरुस्थल है। कालाहारी में दो बड़े नमक के मैदान भी है। इसके उत्तर पश्चिम में ओकावंगो नदी डेल्टा बनाती है जो वन्यजीवन से भरपूर है। इस रेगिस्तान में पाई जाने वाली रेत भी स्थान-स्थान पर भिन्न रंग की होती है। कुछ लोग कालाहारी को रेगिस्तान नहीं मानते, क्योंकि यहाँ पर वर्षा का स्तर काफ़ी अच्छा है। जाड़े के दिनों में यहाँ का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे चला जाता है। इस रेगिस्तान में जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं।यह रेगिस्तान अपने खनिजों के लिए बहुत प्रसिद्ध है, यहाँ हीरा,निकल तथा यूरेनियम आदि के पर्याप्त भण्डार मौजूद हैं।यह रेगिस्तान दक्षिण में 'ओरेंज नदी तथा उत्तर में जाम्बेजी नदी के बीच स्थित है।'कालाहारी' शब्द संभवतः 'कीर' से बना है, जिसका अर्थ होता है-'बेहद प्यास'। यह भी कहा जाता है कि कालाहारी एक विशेष जनजातीय शब्द है,जो 'कालागारी' अथवा 'कालागारे' से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ होता है-'जलविहीन स्थान'। अन्य रेगिस्तानों की भांति इस स्थान पर भी रेत के टीले व बजरी के समतल क्षेत्र हैं। यहाँ के टीले लगभग स्थिर रहते हैं। कालाहारी रेगिस्तान में अधिकतर रेत बहुत महीन तथा कहीं-कहीं पर लाल रंग तो कहीं पर स्लेटी रंग की होती है। यह विवाद का विषय है कि क्या कालाहारी वास्तविक रूप में एक रेगिस्तान हैं? कुछ लोगों का यह मानना है कि कालाहारी को रेगिस्तान की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।इसका कारण यह है,क्योंकि यहाँ पर वर्षा का स्तर 250 से.मी.

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किज़िल कुम रेगिस्तान

उज़बेकिस्तान में किज़िल कुम में एक बस्ती से निकलती सड़क अंतरिक्ष से किज़िल कुम - तस्वीर में मध्य में नीचे की तरफ - दाएँ में कैस्पियन सागर है और उस से ज़रा बाएँ में अधिकतर सूखा हुआ अरल सागर, किज़िल कुम दो नदियों की रेखाओं (आमू दरिया और सिर दरिया) के बीच का इलाक़ा है किज़िल कुम में रेत का टीला किज़िल कुम या क़िज़िल क़ुम (उज़बेक: Qizilqum; कज़ाख़: Қызылқұм; अंग्रेज़ी: Kyzyl Kum) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। इसका क्षेत्रफल २,९८,००० वर्ग किमी (१,१५,००० वर्ग मील) है और यह दुनिया का ११वाँ सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह आमू दरिया और सिर दरिया के बीच के दोआब में स्थित है। इसका अधिकाँश हिस्सा कज़ाख़स्तान और उज़बेकिस्तान में आता है, हालांकि एक छोटा भाग तुर्कमेनिस्तान में भी पड़ता है। तुर्की भाषाओँ में 'किज़िल कुम' का मतलब 'लाल रेत' है और इस रेगिस्तान की रेतों में मिश्रित पदार्थ बहुत से स्थानों में इसे एक लालिमा देते हैं। इस से दक्षिण-पश्चिम में आमू दरिया के पार काराकुम रेगिस्तान पड़ता है जिसके नाम का अर्थ 'काली रेत' है।, R. Lal, Psychology Press, 2007, ISBN 978-0-415-42235-2,...

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क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, भोपाल

क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, भोपाल राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय की एक शाखा है। यह पर्यावरण शिक्षा का एक अनौपचारिक केंद्र है, जिसका मुख्य उद्देश्य दीर्घाओं, विभिन्न आंतरिक एवं बाह्य गतिविधियों के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। यह भोपाल में पर्यावरण परिसर में स्थित है। इस संग्रहालय का उद्घाटन वर्ष 29 सितंबर सन 1997 में हुआ था, जिसे भारत सरकार के तत्कालीन पर्यावरण एवं वन मंत्री सैफुद्दीन सोज द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने की थी। यह संग्रहालय मध्य प्रदेश की ही नहीं वरन मध्य भारत की जैव विविधता एवं आसपास उपस्थित जटिल प्राकृतिक ताने-बाने को समझने का अवसर प्रदान करता है। यहां स्थित दीर्घाओं में प्रदर्शो को -प्रतिरूपों, ट्रांसलेट एवं दृश्य श्राव्य माध्यमों के सहयोग से प्रदर्शित किया गया हैं। डायरोमां एवं प्रादर्श, चयनित विषय वस्तुओं के क्रम में प्रस्तुत किए गए हैं। संग्रहालय में जीव विज्ञान संगणक (Computer) कक्ष एवं एक खोज कक्ष भी है जहां बच्चे मनोरंजक तरीके से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त यहां एक अस्थाई प्रदर्शनी स्थल भी है जिसमें समय-समय पर विभिन्न विषयों पर आधारित प्रदर्शनी या आयोजित होती रहती हैं। संग्रहालय प्रतिदिन प्रातः 10.00 से अपराह्न 6.00 तक खुला रहता है (सोमवार तथा राष्ट्रीय अवकाशों को छोड़कर)। संग्रहालय में प्रवेश करते ही ट्राइसेराटोप्स (Triceratops) नामक डायनासोर के परिवार का प्रदर्श दृष्टिगोचर होता है। .

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क्वेटा ज़िला

क्वेटा (उर्दू: کوئٹہ‎, पश्तो: کوټه‎, अंग्रेज़ी: Quetta) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त का एक ज़िला है। प्रान्तीय राजधानी क्वेटा इसी ज़िले में स्थित है। .

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कृषि का इतिहास

कृषि का विकास कम से कम १०,००० वर्ष पूर्व हो चुका था। तब से अब तक बहुत से महत्वपूर्ण परिवर्तन हो चुके हैं। कृषि भूमि को खोदकर अथवा जोतकर और बीज बोकर व्यवस्थित रूप से अनाज उत्पन्न करने की प्रक्रिया को कृषि अथवा खेती कहते हैं। मनुष्य ने पहले-पहल कब, कहाँ और कैसे खेती करना आरंभ किया, इसका उत्तर सहज नहीं है। सभी देशों के इतिहास में खेती के विषय में कुछ न कुछ कहा गया है। कुछ भूमि अब भी ऐसी है जहाँ पर खेती नहीं होती। यथा - अफ्रीका और अरब के रेगिस्तान, तिब्बत एवं मंगोलिया के ऊँचे पठार तथा मध्य आस्ट्रेलिया। कांगो के बौने और अंदमान के बनवासी खेती नहीं करते। .

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कैक्टस

कैक्टस (cactus) सपुष्पक वनस्पतियों का एक जीववैज्ञानिक कुल है जो अपने मोटे, फूले हुए तनों में पानी बटोरकर शुष्क व रेगिस्तानी परिस्थितियों में जीवित रहने और अपने कांटों से भरे हुए रूप के लिए जाना जाता है। इसकी लगभग १२७ वंशों में संगठित १७५० जातियाँ ज्ञात हैं और वह सभी-की-सभी नवजगत (उत्तर व दक्षिण अमेरिका) की मूल निवासी हैं। इनमें से केवल एक जाति ही पूर्वजगत में अफ़्रीका और श्रीलंका में बिना मानवीय हस्तक्षेप के पहुँची थी और माना जाता है इसे पक्षियों द्वारा फैलाया गया था। कैक्टस लगभग सभी गूदेदार पौधे होते हैं जिनके तनों-टहनियों में विशेषीकरण से पानी बचाया जाता है। इनके पत्तों ने भी विशेषीकरण से कांटो का रूप धारण करा होता है। .

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कोलायत झील

कोलायत झील जो कि भारतीय राज्य राजस्थान के बीकानेर ज़िले में स्थित एक झील है। इस झील.

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कोहरा रेगिस्तान

दक्षिण अमेरिका में पेरू के लीमा और त्रुहिलो के बीच का कोहरा रेगिस्तान। पीछे कोहरे से आधे ढके ऐन्डीयाई पर्वत​ कोहरा रेगिस्तान या कोहरा मरुभूमि (fog desert) ऐसे रेगिस्तान को कहते हैं जहाँ पड़ने वाला अधिकतर जल कोहरे द्वारा पहुँची नमी से आता है। ऐसे क्षेत्रों में कोहरे से ही वनस्पतियों और जानवरों को जल मिलता है।, Federico Norte, University of Oklahoma Press, Page 224, 1999, ISBN 978-0-8061-3146-7 दक्षिणी अमेरिका में पेरू और चिली के तट पर स्थित आताकामा रेगिस्तान, अफ़्रीका में नामीबिया का नामीब रेगिस्तान, उत्तरी अमेरिका में मेक्सिको का बाहा कैलिफ़ोरनिया रेगिस्तान और अरबी प्रायद्वीप का तटीय कोहरा रेगिस्तान इसके कुछ उदाहरण हैं।, WildWorld Ecoregion Profiles, National Geographic Society, Accessed 2011-07-02 इन रेगिस्तानों में कोहरा आकर धरती, पेड़-पौधों, कीटों और जानवरों पर पड़ता है और इसी से वे जल ग्रहण करते हैं। नामीब रेगिस्तान में देखा गया है कि वहाँ वाहनों के चलने से स्थानीय लाइकेन को हानि पहुँची है। गाड़ियों के पहियों के निशानों में तापमान अन्य स्थानों से लगभग २ °सेंटीग्रेड ज़्यादा गर्म पाया गया। इस से वहाँ कोहरा जमने की रफ़्तार कम हुई और वनस्पति को हानि पहुँची। अध्ययन से पता चला है कि कोहरा रेगिस्तानों में ऐसे छोटे बदलावों का बड़ा प्रभाव दिखता है।Do vehicle track disturbances affect the productivity of soil-growing lichens in a fog desert?, J.S. Lalley, Wiley, Page 548–556, volume 20, issue 3, doi 10.1111/j.1365-2435.2006.01111.x, Accessed 2008-11-04 .

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अद-दहना रेगिस्तान

अद-दहना (अरबी:, सहरा अद-दहना; अंग्रेज़ी: Ad-Dahna) अरबी रेगिस्तान का मध्य हिस्सा है। इसका अकार एक गलियारे के रूप का है - यह केवल २५-५० किमी की चौड़ाई रखता है (जो कहीं भी ८० किमी से अधिक नहीं होती) और अरबी प्रायद्वीप के उत्तर के अन-नफ़ूद रेगिस्तान को १,२०० किमी दक्षिण में स्थित रुब अल-ख़ाली मरुस्थल से जोड़ता है। यह तुवइक़​ पहाड़ियों के पूर्व में उनके साथ-साथ चलता है और नज्द क्षेत्र व अल-अहसा प्रान्त के बीच की सीमा माना जाता है। अद-दहना में तेज़ रेगिस्तानी हवाओं से बने रेत के चौड़े और ऊँचे टीले हैं और भौगोलिक रूप से यह एक अर्ग है। यहाँ की रेत लोहे की ऑक्साइड की मौजूदगी की वजह से थोड़ी लाल रंग की है।, James R. Underwood, Peter L. Guth, pp.

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अन-नफ़ूद रेगिस्तान

अन-नफ़ूद (अरबी:, सहरा अन-नफ़ूद; अंग्रेज़ी: An-Nafud) या अल-नफ़ूद या नफ़ूद अरबी प्रायद्वीप में स्थित एक बड़ा रेगिस्तान है। इसका क्षेत्रफल १,०३,००० वर्ग किमी है, यानि लगभग भारत के बिहार राज्य से ज़रा बड़ा।The New York Times Almanac, Editors and reporters of The New York Times, John W. (ed.) Wright, Penguin Books, Page 67, 2006, ISBN 0-14-303820-6 नफ़ूद एक अर्ग है, जिसमें ज़बरदस्त हवाएँ अचानक चल पड़ती हैं। इस वजह से यह क्षेत्र अर्धचन्द्र अकार के टीलों से भरा हुआ है। यहाँ की रेत का रंग थोड़ा लाल है। .

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अनबार प्रान्त

अनबार प्रान्त के ७ ज़िले अनबार प्रान्त, जिसे अरबी में मुहाफ़ज़ात​ अल-अनबार कहते हैं इराक़ का एक प्रान्त है। सन् १९७६ से पहले इस प्रान्त का नाम 'रमादी प्रान्त' था और १९६२ से पहले 'दुलैम प्रान्त' था। .

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अफ़ार द्रोणी

अफ़ार द्रोणी का नक़्शा डनाकील रेगिस्तान का एक दृश्य अफ़ार द्रोणी, डनाकील द्रोणी या अफ़ार त्रिकोण अफ़्रीका के सींग के पास स्थित एक धंसा हुआ इलाक़ा है जो तीन देशों (इरीट्रिया, इथियोपिया और जिबूटी) में फैली हुई है। यह एक बंद जलसम्भर है जिसमें सिर्फ़ एक नदी (अवाश नदी) दाख़िल होती है जिसका पानी कुछ खारी झीलों में रुक जाता है। अफ़र द्रोणी महान दरार घाटी का सुदूर उत्तर-पूर्वी हिस्सा है। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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अरबी रेगिस्तान

अरबी रेगिस्तान (अंग्रेज़ी: Arabian Desert; अरबी:, अस-सहरा अल-अरबीया) पश्चिमी एशिया में स्थित एक विशाल रेगिस्तान है जो दक्षिण में यमन से लेकर उत्तर में फ़ारस की खाड़ी तक और पूर्व में ओमान से लेकर पश्चिम में जोर्डन और इराक़ तक फैला हुआ है। अरबी प्रायद्वीप का अधिकाँश भाग इस रेगिस्तान में आता है और इस मरुस्थल का कुल क्षेत्रफल २३.३ लाख किमी२ है, यानि पूरे भारत के क्षेत्रफल का लगभग ७०%। इसके बीच में रुब अल-ख़ाली नाम का इलाक़ा है जो विश्व का सबसे विस्तृत रेतीला क्षेत्र है।, Professor Julie J Laity, pp.

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अरबी संस्कृति

अरबी संस्कृति वे संस्कृतियाँ हैं जो अरबी राष्ट्रों में लगती हैं। अरब लीग में २२ विभीन्न देश हैं जो अधिकतर मध्य पूर्व व उत्तर अफ़्रीका में मौजूद हैं, इसलिए अरबी संस्कृतियाँ सामान्यत: उन क्षेत्रों की हैं; परंतु कई अरबी संस्कृतियाँ उन क्षेत्रों से बाहर पाई जा सकती हैं, उदाहरण के लिए सूडान अथवा कोमोरोस की संस्कृतियाँ। वहाँ के निवासियों को अरब कहते हैं जिनका संबंध सामी वंश से है। इसी वंश से संबंधित अन्य सभ्य जातियाँ जैसे बाबुली (बाबिलोनियन) असुरी (असीनियन), अमूरी, कनानी, फिनीकी तथा यहूदी हैं। देश के अधिकतर भाग मरुस्थल तथा पर्वतीय हैं, केवल कहीं-कहीं छोटे-छोटे स्रोत तथा खजूर के झुरमुट दीख जाते हैं। दक्षिणी पश्चिमी भाग तथा समुद्रवर्ती भूखंड उपजाऊ है जहाँ अन्नादि वस्तुओं की खेती होती है। क्षेत्रफल की तुलना में अरब की जनसंख्या न्यूनतम है। अरब निवासियों की संस्कृति को दो कालों में विभाजित किया जाता है: प्राक् इस्लाम काल तथा इस्लामोत्तर काल। पहले को ऐतिहासिक परिभाषा में जहालत या अज्ञान का काल और दूसरे को इस्लामी काल भी कहते हैं। प्रथम काल 610 ई. के पूर्व का है तथा द्वितीय उसके पश्चात् का। 610 ई. वह शुभ वर्ष है जिसमें मुहम्मद साहब को, जिनका जन्म 575 ई. में मक्का में हुआ था, ईशदौत्य (नुबुव्वत) मिला। इसी वर्ष से उनके जीवन में परिवर्तन प्रारंभ हुआ और वे नबी के नाम से पुकारे जाने लगे। इसी वर्ष से अरबों के जीवन के प्रत्येक भाग में प्रभावशाली क्रांति आई और जाहिली सभ्यता इस्लामी संस्कृति में परिवर्तित हो गई। .

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अर्ग

अल्जीरिया के इसाऊवान अर्ग की अंतरिक्ष से खींची गई तस्वीर अर्ग (अंग्रेज़ी: Erg, अरबी) ऐसे चौड़े और चपटे रेगिस्तानी क्षेत्र को कहते हैं जो हवा से उड़ाई जाने वाली रेत से ढका हुआ हो और जहाँ वृक्ष-पौधे बहुत कम हों या बिलकुल ही न हों।, NASA Earth Observatory, Accessed 2006-05-18 भूगोल में अर्ग की कड़ी परिभाषा है कि यह १२५ वर्ग किमी से बड़ा क्षेत्र होना चाहिए जिसमें २०% से अधिक धरती रेत से ढकी हो और हवा से रेत बड़ी मात्रा में उड़ती हो।, Judith Totman Parrish, Columbia University Press, Page 166, 2001, ISBN 978-0-231-10207-0 विश्व के सबसे बड़े रेगिस्तान सहारा मरूस्थल में कई सारे अर्ग हैं, जिनमें से चेच अर्ग (Chech Erg) और अल्जीरिया का इसाऊवान अर्ग (Issaouane Erg) दो जाने-माने अर्ग हैं। पृथ्वी की लगभग ८५% हिलने वाले रेत ३२,००० वर्ग किमी से बड़े क्षेत्रफल की अर्गों में सम्मिलित है।, Andrew Warren, Ronald U. Cooke, University of California Press, Page 322, 1973, ISBN 978-0-520-02280-5 पृथ्वी के अलावा अर्ग हमारे सौर मंडल के और भी ग्रहों-उपग्रहों पर मिले हैं, जिनमें शुक्र, मंगल और शनि का चन्द्रमा टाइटन शामिल हैं। .

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अल-महराह प्रान्त

अल-महराह प्रान्त (अरबी:, अंग्रेज़ी: Al Mahrah) यमन का एक प्रान्त है। यह क्षेत्र कभी 'महराह सल्तनत' (१८वीं सदी से १९६७ तक) का हिस्सा हुआ करता था। यहाँ दक्षिणी अरबी भाषा की 'महरी' उपभाषा बोली जाती है। .

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अकतोबे प्रांत

अकतोबे प्रांत (कज़ाख़: Ақтөбе облысы, अंग्रेज़ी: Aktobe Province) मध्य एशिया के क़ाज़ाख़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी भी अकतोबे नाम का शहर ही है। इस प्रांत से इलेक नदी (Ilek river) निकलती है जो यूराल नदी की एक महत्त्वपूर्ण उपनदी है। इस प्रान्त में तेल की खाने हैं और उनसे प्रांत को अच्छी आमदनी हो जाती है। सोवियत संघ के ज़माने में यहाँ की आलिया मोल्दागुलोवा (Али́я Молдагу́лова, Aliya Moldagulova) नामक स्त्री सोवियत लाल सेना में एक मशहूर निशानेबाज़ थी और प्रांत में जगह-जगह उसके नाम के स्मारक हैं।, Paul Brummell, Bradt Travel Guides, 2012, ISBN 978-1-84162-369-6,...

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अक्साई चिन

अक्साई चिन या अक्सेचिन (उईग़ुर:, सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 १९५० के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है। .

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उत्तरी सीमाएँ प्रान्त

उत्तरी सीमाएँ प्रान्त, जिसे औपचारिक अरबी में मिन्तक़ाह​ अल-हुदूद अल-शमालीया कहते हैं, सउदी अरब का पश्चिमोत्तरी प्रान्त है। इसकी सीमाएँ इराक़ के साथ लगती हैं। यह सउदी अरब का सबसे कम आबादी वाला प्रान्त है। .

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उदयसिंह प्रथम

उदयसिंह प्रथम (? -१४७३) इन्हें कभी-कभी उदयकरण या उदाह या ऊदा के नाम से भी जाने जाते थे और ये एक मेवाड़ साम्राज्य के महाराणा (१४६८ से १४७३) थे । ये महाराणा कुम्भा के पुत्र थे। जब राणा कुंभ एकलिंगजी (भगवान शिव) की प्रार्थना कर रहे थे, उदय सिंह प्रथम ने उनकी हत्या कर दी और खुद को शासक घोषित कर दिया था। वह एक क्रूर शासक थे, इसलिए १४७३ में उनके भाई राणा रायमल द्वारा हत्या कर दी गई थी और उसके बाद वो राणा बने थे। .

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