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मन्दाकिनी

सूची मन्दाकिनी

समान नाम के अन्य लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी (बहुविकल्पी) जहाँ तक ज्ञात है, गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं। एनजीसी ४४१४ एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष व्यास की गैलेक्सी है मन्दाकिनी या गैलेक्सी, असंख्य तारों का समूह है जो स्वच्छ और अँधेरी रात में, आकाश के बीच से जाते हुए अर्धचक्र के रूप में और झिलमिलाती सी मेखला के समान दिखाई पड़ता है। यह मेखला वस्तुत: एक पूर्ण चक्र का अंग हैं जिसका क्षितिज के नीचे का भाग नहीं दिखाई पड़ता। भारत में इसे मंदाकिनी, स्वर्णगंगा, स्वर्नदी, सुरनदी, आकाशनदी, देवनदी, नागवीथी, हरिताली आदि भी कहते हैं। हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी गैलेक्सी के ताराओं को देख पाते हैं। अब तक ब्रह्मांड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग ऐसी ही १९ अरब गैलेक्सीएँ होने का अनुमान है। ब्रह्मांड के विस्फोट सिद्धांत (बिग बंग थ्योरी ऑफ युनिवर्स) के अनुसार सभी गैलेक्सीएँ एक दूसरे से बड़ी तेजी से दूर हटती जा रही हैं। ब्रह्माण्ड में सौ अरब गैलेक्सी अस्तित्व में है। जो बड़ी मात्रा में तारे, गैस और खगोलीय धूल को समेटे हुए है। गैलेक्सियों ने अपना जीवन लाखो वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया और धीरे धीरे अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किया। प्रत्येक गैलेक्सियाँ अरबों तारों को को समेटे हुए है। गुरुत्वाकर्षण तारों को एक साथ बाँध कर रखता है और इसी तरह अनेक गैलेक्सी एक साथ मिलकर तारा गुच्छ में रहती है। प्रारंभ में खगोलशास्त्रियों की धारणा थी कि ब्रह्मांड में नई गैलेक्सियों और क्वासरों का जन्म संभवत: पुरानी गैलेक्सियों के विस्फोट के फलस्वरूप होता है। लेकिन यार्क विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्रियों-डॉ॰सी.आर.

121 संबंधों: ऊर्जा के परिमाण की कोटि, ऍडविन हबल, ऍनजीसी ६८२२, ऍस२ तारा, एबेल एस४०७० गैलेक्सी समुह, एई ऐन्ड्रौमिडे तारा, ऐन्तलिया तारामंडल, डांस डांस (1987 फ़िल्म), तारा गुच्छ, त्रिकोण तारामंडल, तेजस्विता, तेज़ाब (फ़िल्म), दुश्मन (1990 फ़िल्म), द्वादश ज्योतिर्लिंग, देश के दुश्मन (1989 फ़िल्म), धनु ए, धनु ए*, धनु तारामंडल, नया खून (1990 फ़िल्म), नरतुरंग तारामंडल, नासा/आईपैक ग़ैर-गैलेक्सीय कोष, नाइंसाफ़ी (1989 फ़िल्म), निहारिका, परगैलेक्सीय खगोलिकी, पाल तारामंडल, प्यार मोहब्बत (1988 फ़िल्म), प्यार करके देखो (1987 फ़िल्म), प्यार के नाम कुर्बान (1990 फ़िल्म), बड़ा मॅजलॅनिक बादल, बर्नार्ड-तारा, बहिर्ग्रह, ब्रह्माण्ड, बौनी गैलेक्सी, बौनी अंडाकार गैलेक्सी, बेढंगी गैलेक्सी, भट्टी तारामंडल, भारत की नदियों की सूची, भारतीय अभिनेत्रियों की सूची, भास्कर तारामंडल, भौतिक विज्ञानी, भौतिकी के मूलभूत सिद्धान्तों के खोज का इतिहास, मन्दाकिनी (बहुविकल्पी), मन्दाकिनी (अभिनेत्री), मन्दाकिनी झरना, मन्दाकिनी नदी, मध्य प्रदेश, मन्दाकिनी नदी, उत्तराखण्ड, महापृथ्वी, मालामाल (1988 फ़िल्म), मेरा साथी (1985 फ़िल्म), मॅसिये 87, ..., मॅसिये ७४, मॅजलॅनिक बादल, मोर तारामंडल, युग (बुनियादी तिथि), रिक्ति (खगोलशास्त्र), रुद्रप्रयाग, रेडियो खगोलशास्त्र, लड़ाई (1989 फ़िल्म), लेंसनुमा गैलेक्सी, लोहा (1987 फ़िल्म), शानदार (1990 फ़िल्म), शिशुमार तारामंडल, शिकारी-हन्स भुजा, शकट चक्र गैलेक्सी, सफ़ेद बौना, सर्पिल गैलेक्सी, सिंहासन (1986 फ़िल्म), सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक, स्थानीय समूह, सौर द्रव्यमान, सेयफ़र्ट गैलेक्सी, सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा, सीटस तारामंडल, सीता, हबल अनुक्रम, हिन्दी पुस्तकों की सूची/य, हिसाब खून का, हिंदी चलचित्र, १९८० दशक, जलसर्प तारामंडल, ज़ेटा पपिस तारा, ज़ोरदार (1996 फ़िल्म), जाल (1986 फ़िल्म), जंगबाज़ (1989 फ़िल्म), जीवा (1986 फ़िल्म), विशालकाय ब्लैक होल, वॄश्चिक तारामंडल, वेदी तारामंडल, खगोल शास्त्र, खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण, खगोलीय वस्तु, खुला तारागुच्छ, गढ़वाल में धर्म, गंगा नदी, गंगा के पौराणिक प्रसंग, ग्रहीय नीहारिका, गौरीकुण्ड, गैलेक्सियों के रेशे, गैलेक्सीय सेहरा, गोल तारागुच्छ, गोलीय खगोलशास्त्र, गीतरामायणम्, आखिरी बाज़ी (1989 फ़िल्म), आग और शोला (1986 फ़िल्म), आकरनार तारा, आकाशगंगा, कमांडो (1988 फ़िल्म), कराइना तारामंडल, काला बौना, केदारनाथ मन्दिर, केन नदी, अपसौरिका, अश्वशाव तारामंडल, अग्नि (1988 फ़िल्म), अंडाकार गैलेक्सी, अंतरिक्ष विज्ञान, उत्तराखण्ड, उत्तरकिरीट तारामंडल, उपग्रह, छेनी तारामंडल, छोटा मॅजलॅनिक बादल, G श्रेणी का मुख्य-अनुक्रम तारा सूचकांक विस्तार (71 अधिक) »

ऊर्जा के परिमाण की कोटि

इस सूची में विभिन्न प्रणालियों में निहित ऊर्जा (जूल में) को परिमाण की कोटि के क्रम में व्यवस्थित किया गया है। .

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ऍडविन हबल

ऍडविन पावल हबल (अंग्रेज़ी: Edwin Powell Hubble, जन्म: २० नवम्बर १८८९, देहांत: २८ सितम्बर १९५३) एक अमेरिकी खगोलशास्त्री थे जिन्होनें हमारी गैलेक्सी (आकाशगंगा या मिल्की वे) के अलावा अन्य गैलेक्सियाँ खोज कर हमेशा के लिए मानवजाती की ब्रह्माण्ड के बारे में अवधारणा बदल डाली। उन्होंने यह भी खोज निकाला के कोई गैलेक्सी पृथ्वी से जितनी दूर होती है उस से आने वाले प्रकाश का डॉप्लर प्रभाव उतना ही अधिक होता है, यानि उसमे लालिमा अधिक प्रतीत होती है। इस सच्चाई का नाम "हबल सिद्धांत" रखा गया और इसका सीधा अर्थ यह निकला के हमारा ब्रह्माण्ड निरंतर बढ़ती हुई गति से फैल रहा है। .

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ऍनजीसी ६८२२

ऍनजीसी ६८२२ (NGC 6822), जिसे बरनार्ड की गैलेक्सी (Barnard's Galaxy) और आईसी ४८९५ (IC 4895) भी कहा जाता है, एक डन्डीय सर्पिल गैलेक्सी है जिसका आकार थोड़ा बेढंगा है। यह गैलेक्सियों के स्थानीय समूह की सदस्य है और आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) के पास स्थित है। अपने ढाँचे और तारों के हिसाब से यह छोटे मॅजलॅनिक बादल नामक गैलेक्सी से काफ़ी मिलती-जुलती है। आकाश में यह धनु तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है और हमसे क़रीब १६ लाख प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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ऍस२ तारा

सोर्स २ (Source 2) या ऍस२ (S2) या ऍस०–२ (S0–2) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, के केन्द्र में स्थित खगोलीय रेडियो स्रोत धनु ए* के समीप स्थित एक तारा है। खगोलशास्त्री धनु ए* को एक विशालकाय कालाछिद्र मानते हैं और यह तारा उसकी 15.56 ± 0.35 वर्षों की कक्षीय अवधि से परिक्रमा कर रहा है। इसकी कक्षा का अर्ध दीर्घ अक्ष लगभग 970 ख॰इ॰ है और कालेछिद्र से अपकेन्द्र लगभग 17 प्रकाश घंटे है। इसका द्रव्यमान (यानि सौर द्रव्यमान का 14 गुना) अनुमानित करा गया है। परिक्रमा करते हुए इसका चरम वेग ५,००० किमी/सैकंड है, जो प्रकाशगति का १/६० है।। .

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एबेल एस४०७० गैलेक्सी समुह

हब्बल द्वारा ली गई तस्वीर) एबेल एस४०७० एक अदभुत गैलेक्सियों का एक समुह है। यह पृथ्वी से ४५ करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है और आकाश में नरतुरंग तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आता है।, अंतरिक्ष हब्बल द्वारा ली गयी तस्वीर के मध्य मे अंडाकार गैलेक्सी ईएसओ ३२५-जी००४ है। इस में गैलेक्सियों के अलावा कुछ तारे भी बिखरे-बिखरे से नजर आते रहे हैं। महाकाय अंडाकार गैलेक्सी लगभग १००,००० प्रकाश वर्ष चौड़ी है और इसमे १०० अरब तारे है, लगभग हमारी अपनी गैलेक्सी आकाशगंगा के समान है। .

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एई ऐन्ड्रौमिडे तारा

एई ऐन्ड्रौमिडे (AE Andromedae) या एई ऐन्ड (AE And) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग से बाहर एण्ड्रोमेडा गैलेक्सी में स्थित एक तेजस्वी नीला परिवर्ती तारा है। यह उस गैलेक्सी के सबसे तेजस्वी तारों में से एक है। .

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ऐन्तलिया तारामंडल

ऐन्तलिया तारामंडल ऐन्तलिया (अंग्रेज़ी: Antlia) दक्षिणी आकाश में स्थित एक तारामंडल है। इसके तारे काफ़ी धुंधले हैं और इस तारामंडल को 18वी सदी में एक फ़्रांसिसी खगोलशास्त्री ने घोषित किया था। यूनानी भाषा में "ऐन्तलिया" (ἀντλία) शब्द का अर्थ पम्प (pump) होता है और इसके नामकरण के समय के आसपास ही यूरोप में हवाई पम्प का आविष्कार हुआ था। ऐन्तलिया तारामंडल अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई 88 तारामंडलों की सूची में शामिल है। .

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डांस डांस (1987 फ़िल्म)

फ़िल्म "'डांस-डांस"' (अंग्रेजी; Dance-Dance) वर्ष 1987 की रिलीज निर्देशक एवं निर्माता बब्बर सुभाष की संगीतमय-ड्रामा आधारित हिंदी भाषा की फ़िल्म है। फ़िल्म की मुख्य भूमिकाओं में मिथुन चक्रवर्ती, स्मिता पाटिल तथा मंदाकिनी ने अदायगी की है तो सह-अभिनय में अमरीश पुरी, शक्ति कपूर एवं ओम पुरी सम्मिलित है। फ़िल्म की कहानी दो भाई-बहन की सफलता पाने की कोशिश और उसके एक नामी गायक बनने के सपने के बारे में है। फ़िल्म के अधिकांश दृश्य एवं कहानी अमेरिकी फ़िल्म निर्देशक सिडनी पाॅइटिर की फार्स्ट फाॅरवर्ड से प्रेरित बताई जाती है। .

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तारा गुच्छ

पहलवान तारामंडल में स्थित मॅसिये ९२ नाम का गोल तारागुच्छा तारागुच्छ (star cluster, स्टार क्लस्टर) या तारामेघ तारों के विशाल समूह को कहते हैं। विशेष रूप से दो तरह के तारागुच्छ पायें जाते है -.

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त्रिकोण तारामंडल

त्रिकोण तारामंडल त्रिकोण या ट्राऐंगुलम (अंग्रेज़ी: Triangulum) खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसका नाम इसके तीन सबसे रोशन तारों से आता है जिनको कालपनिक लकीरों से जोड़ने से एक पतला सा समद्विबाहु (आसोसिलीज़) त्रिकोण बनता है। .

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तेजस्विता

खगोलशास्त्र में तेजस्विता (luminosity) किसी तारे, गैलेक्सी या अन्य खगोलीय वस्तु द्वारा किसी समय की ईकाई में प्रसारित होने वाली ऊर्जा की मात्रा होती है। यह चमक (brightness) से सम्बन्धित है जो वस्तु की वर्णक्रम के किसी भाग में मापी गई तेजस्विता को कहते हैं। अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली में तेजस्विता को जूल प्रति सकैंड या वॉट में मापा जाता है। अक्सर इसे हमारे सूरज की तेजस्विता की तुलना में मापा जाता है, जिसका कुल ऊर्जा उत्पादन है। सौर ज्योति (सौर तेजस्विता) का चिन्ह L⊙ है। .

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तेज़ाब (फ़िल्म)

तेज़ाब 1988 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। एक्शन रूमानी इस फिल्म में अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित मुख्य भूमिका में है। फिल्म ने चार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते थे। गीत "एक दो तीन" से माधुरी बहुत लोकप्रिय हुई। फिल्म 1988 की सबसे सफल हिन्दी फिल्म भी थी। .

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दुश्मन (1990 फ़िल्म)

दुश्मन 1990 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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द्वादश ज्योतिर्लिंग

हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में १२ है। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ॐकारेश्वर अथवा अमलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघुश्मेश्वर। हिंदुओं में मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है। .

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देश के दुश्मन (1989 फ़िल्म)

देश के दुश्मन 1989 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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धनु ए

धनु ए या सैजीटेरियस ए (Sagittarius A या Sgr A) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, के केन्द्र में स्थित एक खगोलीय रेडियो स्रोत है। यह खगोलीय धूल के विशाल बादलों द्वारा प्रत्यक्ष वर्णक्रम में दृष्टि से छुपा हुआ है। इसके पश्चिमी भाग के बीच में धनु ए* (Sagittarius A*) नामक एक बहुत ही प्रचंड और संकुचित रेडियो स्रोत है, जिसे वैज्ञानिक एक विशालकाय काला छिद्र मानते हैं। धनु ए आकाश में धनु तारामंडल के क्षेत्र में स्थित है। .

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धनु ए*

धनु ए* (Sagittarius A, Sgr A) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग के केन्द्र में स्थित एक संकुचित और शक्तिशाली रेडियो स्रोत है। यह धनु ए नामक एक बड़े क्षेत्र का भाग है और आकाश के खगोलीय गोले में धनु तारामंडल में वॄश्चिक तारामंडल की सीमा के पास स्थित है। बहुत से खगोलशास्त्रियों के अनुसार यह एक विशालकाय काला छिद्र है। माना जाता है कि अधिकांश सर्पिल और अंडाकार गैलेक्सियों के केन्द्र में ऐसा एक भीमकाय कालाछिद्र स्थित होता है। धनु ए* और पृथ्वी के बीच खगोलीय धूल के कई बादल हैं जिस कारणवश घनु ए* को प्रत्यक्ष वर्णक्रम में नहीं देखा जा सका है। फिर भी धनु ए* की तेज़ी से परिक्रमा कर रहे ऍस२ (S2) तारे के अध्ययन से धनु ए* के बारे में जानकारी मिल सकी है और उसके आधार पर धनु ए* का विशालकाय कालाछिद्र होने का भरोसा बहुत बढ़ गया है। धनु ए* हमारे सौर मंडल से २६,००० प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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धनु तारामंडल

धनु तारामंडल अँधेरे आसमान में धनु तारामंडल का दृश्य धनु या सैजीटेरियस (अंग्रेज़ी: Sagittarius) तारामंडल राशिचक्र का एक तारामंडल है जिसमें हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, का केंद्रीय हिस्सा आता है।, Bojan Kambič, pp.

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नया खून (1990 फ़िल्म)

नया खून 1990 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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नरतुरंग तारामंडल

नरतुरंग तारामंडल नरतुरंग (संस्कृत अर्थ: नर और घोड़े का मिश्रण) या सॅन्टौरस खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। पुराने यूनानी ग्रंथों में इसे एक आधे आदमी और आधे घोड़े के शरीर वाले प्राणी के रूप में दर्शाया जाता था। पृथ्वी से सूरज के बाद सबसे नज़दीकी तारा, मित्रक (अल्फ़ा सॅन्टौरी) इसी तारामंडल में स्थित है। .

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नासा/आईपैक ग़ैर-गैलेक्सीय कोष

नासा/आईपैक ग़ैर-गैलेक्सीय कोष (NASA/IPAC Extragalactic Database) इंटरनेट पर उपलब्ध एक खगोलशास्त्रीय कोष है जिसमें हमारी गैलेक्सी आकाशगंगा से बाहर स्थित खगोलीय वस्तुओं की जानकारी संचय की गई है। इन वस्तुओं में गैलेक्सियाँ, क्वेज़ार, एक्स-किरणों और अवरक्त-किरणों (इन्फ़्रारेड) के स्रोत, इत्यादि शामिल हैं। इसे १९८० के दशक में कैलिफ़ोर्निया के दो खगोलशास्त्रियों - जॉर्ज हेलू और बैरी मैडोर - ने स्थापित किया था और इसे चलाने का ख़र्च अमेरिकी अन्तरिक्ष अनुसन्धान प्राधिकरण नासा से आता है। जून २०१२ तक इस कोष में १७ करोड़ खगोलीय वस्तुओं पर जानकारी एकत्रित की गई जा चुकी थी, जिसमें भिन्न स्रोतों और प्रणालियों से मिली जानकारी और माप में तालमेल किया गया था। इसमें कई तरंगदैर्घ्य (वेवलेंथ) के प्रयोग से १८.२ करोड़ कड़ियाँ जोड़ी जा चुकी थीं। .

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नाइंसाफ़ी (1989 फ़िल्म)

नाइंसाफी 1989 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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निहारिका

चील नॅब्युला का वह भाग जिसे "सृजन के स्तम्भ" कहा जाता है क्योंकि यहाँ बहुत से तारे जन्म ले रहे हैं। त्रिकोणीय उत्सर्जन गैरेन नीहारिका (द ट्रेंगुलम एमीशन गैरन नॅब्युला) ''NGC 604'' नासा द्वारा जारी क्रैब नॅब्युला (कर्कट नीहारिका) वीडियो निहारिका या नॅब्युला अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर स्पेस) में स्थित ऐसे अंतरतारकीय बादल को कहते हैं जिसमें धूल, हाइड्रोजन गैस, हीलियम गैस और अन्य आयनीकृत (आयोनाइज़्ड) प्लाज़्मा गैसे उपस्थित हों। पुराने जमाने में "निहारिका" खगोल में दिखने वाली किसी भी विस्तृत वस्तु को कहते थे। आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) से परे कि किसी भी गैलेक्सी को नीहारिका ही कहा जाता था। बाद में जब एडविन हबल के अनुसन्धान से यह ज्ञात हुआ कि यह गैलेक्सियाँ हैं, तो नाम बदल दिए गए। उदाहरण के लिए एंड्रोमेडा गैलेक्सी (देवयानी मन्दाकिनी) को पहले एण्ड्रोमेडा नॅब्युला के नाम से जाना जाता था। नीहारिकाओं में अक्सर तारे और ग्रहीय मण्डल जन्म लेते हैं, जैसे कि चील नीहारिका में देखा गया है। यह नीहारिका नासा द्वारा खींचे गए "पिलर्स ऑफ़ क्रियेशन" अर्थात् "सृष्टि के स्तम्भ" नामक अति-प्रसिद्ध चित्र में दर्शाई गई है। इन क्षेत्रों में गैस, धूल और अन्य सामग्री की संरचनाएं परस्पर "एक साथ जुड़कर" बड़े ढेरों की रचना करती हैं, जो अन्य पदार्थों को आकर्षित करता है एवं क्रमशः सितारों का गठन करने योग्य पर्याप्त बड़ा आकार ले लेता हैं। माना जाता है कि शेष सामग्री ग्रहों एवं ग्रह प्रणाली की अन्य वस्तुओं का गठन करती है। .

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परगैलेक्सीय खगोलिकी

परगैलेक्सीय खगोलिकी (Extragalactic astronomy) खगोलशास्त्र की वह शाखा है जिसमें हमारी आकाशगंगा नामक गैलेक्सी से बाहर स्थित खगोलीय वस्तुओं का अध्ययन करा जाता है। .

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पाल तारामंडल

पाल (वीला) तारामंडल पाल महानोवा अवशेष की नीहारिका के अन्दर स्थित पल्सर अपने तेज़ घूर्णन में पृथ्वी की ओर गामा किरणों का प्रकाश बार-बार फेंकता है पाल या वीला (अंग्रेज़ी: Vela) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक नौका के पाल की आकृति बनाई जा सकती है। पाल हवा पकड़कर नौका धकेलने वाली चादर होती है, जिसे अंग्रेज़ी में "सेल" (sail) कहते हैं। "वीला" लातिनी भाषा में "पाल" के लिए शब्द है। .

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प्यार मोहब्बत (1988 फ़िल्म)

प्यार मोहब्बत 1988 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। .

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प्यार करके देखो (1987 फ़िल्म)

प्यार करके देखो 1987 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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प्यार के नाम कुर्बान (1990 फ़िल्म)

प्यार के नाम कुर्बान 1990 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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बड़ा मॅजलॅनिक बादल

बड़ा मॅजलॅनिक बादल (ब॰मॅ॰बा॰) एक बेढंगी गैलेक्सी है जो हमारी अपनी गैलेक्सी, आकाशगंगा, की उपग्रह है। यह पृथ्वी से क़रीब १६०,००० प्रकाश-वर्ष दूर है और आकाशगंगा से तीसरी सब से समीप वाली गैलेक्सी है। इसका कुल द्रव्यमान (मास) हमारे सूरज से लगभग १० अरब गुना है और इसका व्यास (डायामीटर) १४,००० प्रकाश-वर्ष है। तुलना के लिए आकाशगंगा का द्रव्यमान बड़े मॅजलॅनिक बादल से सौ गुना अधिक है और उसका व्यास १००,००० प्रकाश-वर्ष है। आसपास की ३० गैलेक्सियों के स्थानीय समूह में ब॰मॅ॰बा॰ एण्ड्रोमेडा, आकाशगंगा और ट्राऐन्गुलम के बाद चौथी सब से बड़ी गैलेक्सी है। .

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बर्नार्ड-तारा

बारनर्ड का तारा अपना आकाश में स्थान बदलता रहता है - यह तस्वीर उसका हर पाँचवे साल का स्थान दर्शा रहा है बारनर्ड का तारा सर्पधारी तारामंडल में नज़र आने वाला एक बहुत ही कम द्रव्यमान (मास) वाला लाल बौना तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 6 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। मित्र तारे के मंडल के तीन तारों के बाद बारनर्ड का तारा ही पृथ्वी का सब से समीपी तारा है। यह एक M4 श्रेणी का तारा है और पृथ्वी से इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) को 9। 54 मैग्नीट्यूड पर मापा गया है। आकाश में यह अपना स्थान बदलता रहता है इसलिए इसे "बारनर्ड का भागता तारा" भी कहते हैं। .

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बहिर्ग्रह

धूल के बादल में फ़ुमलहौत बी ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया (हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) बहिर्ग्रह (exoplanet) या ग़ैर-सौरीय ग्रह (extrasolar planet, ऍक्स्ट्रासोलर प्लैनॅट) ऐसे ग्रह को कहा जाता है जो हमारे सौर मण्डल से बाहर स्थित हो। सन् १९९२ तक खगोलशास्त्रियों को एक भी ग़ैर-सौरीय ग्रह के अस्तित्व का ज्ञान नहीं था, लेकिन उसके बाद बहुत से ऐसे ग्रह मिल चुके हैं। २४ मई २०११ तक ५५२ ग़ैर-सौरीय ग्रह ज्ञात हो चुके थे। क्योंकि इनमें से अधिकतर को सीधा देखने के लिए तकनीकें अभी विकसित नहीं हुई हैं, इसलिए सौ प्रतिशत भरोसे से नहीं कहा जा सकता के वास्तव में यह सारे ग्रह मौजूद हैं, लेकिन इनके तारों पर पड़ रहे गुरुत्वाकर्षक प्रभाव और अन्य लक्षणों से वैज्ञानिक इनके अस्तित्व के बारे में विश्वस्त हैं। अनुमान लगाया जाता है के सूरज की श्रेणी के लगभग १०% तारों के इर्द-गिर्द ग्रह परिक्रमा कर रहे हैं, हालांकि यह संख्या उस से भी अधिक हो सकती है। कॅप्लर अंतरिक्ष क्षोध यान द्वारा एकत्रित जानकारी के बूते पर कुछ वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है के आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) में कम-से-कम ५० अरब ग्रहों के होने की सम्भावना है। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने जनवरी २०१३ में अनुमान लगाया कि आकाशगंगा में इस अनुमान से भी दुगने, यानि १०० अरब, ग्रह हो सकते हैं। .

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ब्रह्माण्ड

ब्रह्माण्ड सम्पूर्ण समय और अंतरिक्ष और उसकी अंतर्वस्तु को कहते हैं। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, गैलेक्सिया, गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण, और सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा शामिल है। अवलोकन योग्य ब्रह्माण्ड का व्यास वर्तमान में लगभग 28 अरब पारसैक (91 अरब प्रकाश-वर्ष) है। पूरे ब्रह्माण्ड का व्यास अज्ञात है, और ये अनंत हो सकता है। .

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बौनी गैलेक्सी

यु॰जी॰सी॰ ९१२८ एक बेढंगी बौनी गैलेक्सी है जिसमें सिर्फ़ लगभग १० करोड़ तारे हैं बौनी गैलेक्सी (ड्वॉर्फ़ गैलॅक्सी) ऐसी गैलेक्सी को कहते हैं जिसमें चंद अरब तारे ही हों, जो की हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा के २-४ खरब तारों की तुलना में काफ़ी कम हैं। आकाशगंगा की परिक्रमा कर रहा छोटा मॅजलॅनिक बादल एक ऐसी बौनी गैलेक्सी है। हमारे स्थानीय समूह में बहुत सी बौनी गैलेक्सियाँ हैं और यह अक्सर बड़ी गैलेक्सियों के उपग्रहों के रूप में पाई जाती हैं। .

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बौनी अंडाकार गैलेक्सी

ऍनजीसी १४७ एक बौनी अंडाकार गैलेक्सी है ऍम ३२ एक बौनी अंडाकार गैलेक्सी है और एण्ड्रोमेडा गैलेक्सी की एक उपग्रहीय गैलेक्सी भी है बौनी अंडाकार गैलेक्सी ऐसी बौने आकार की अंडाकार गैलेक्सी को कहते हैं जो अन्य अंडाकार गैलेक्सियों की तुलना में काफ़ी छोटी हो। इन्हें हबल अनुक्रम की चिह्नावली में dE की श्रेणी दी जाती है। बौनी अंडाकार गैलेक्सियाँ आम तौर पर अन्य गैलेक्सियों की उपग्रहीय गैलेक्सियों के रूप में मिलती हैं या फिर गैलेक्सियों के झुंडों में पाई जाती हैं। .

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बेढंगी गैलेक्सी

ऍन॰जी॰सी॰ १४२७ए पृथ्वी से ५.२ करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक बेढंगी आकाशगंगा है बेढंगी गैलेक्सी या इर्रेग्युलर गैलेक्सी ऐसी गैलेक्सी को कहते जिसका कोई व्यवस्थित आकार न हो, यानि यह हबल अनुक्रम की सर्पिल, लेंसनुमा और अंडाकार की किसी श्रेणी में ना आये। इनका आकार टेढ़ा-मेढ़ा होता है और इनमें न तो साफ़ भुजाएं होती हैं न ही केंद्रीय गोला जो की व्यवस्थित गैलेक्सियों में नज़र आते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है के हमारे ब्रह्माण्ड में लगभग २५% गैलेक्सियाँ ऐसी बेढंगी होती हैं। माना जाता है के इनमें से अधिकतर कभी सर्पिल या अंडाकार रही होती हैं लेकिन गुरुत्वाकर्षण के अस्त-व्यस्त प्रभावों से इनका आकार बिगड़ जाता है। देखा गया है के बेढंगी गैलेक्सियों में गैस और धूल की बहुत तादाद होती है। हमारी अपनी गैलेक्सी आकाशगंगा के इर्द-गिर्द घूमती कुछ उपग्रही गैलेक्सियाँ, जैसे की बड़ा और छोटा मॅजलॅनिक बादल बेढंगी गैलेक्सियाँ हैं। .

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भट्टी तारामंडल

भट्टी (फ़ॉरनैक्स) तारामंडल भट्टी तारामंडल में दिखने वाला ग़ैर-सौरीय ग्रह हिप १३०४४ बी क्षीरमार्ग (हमारी आकाशगंगा) में नहीं जन्मा था (काल्पनिक चित्र) बिग बैंग महाविस्फोट में हुए ब्रह्माण्ड के जन्म के ५० करोड़ वर्षों के अन्दर-अन्दर दिखती होगी भट्टी या फ़ॉरनैक्स खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वीं सदी में की गई थी और अब यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। .

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भारत की नदियों की सूची

भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, उत्तरी-मध्य भारत में गंगा, और उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा, कावेरी, महानदी, आदि नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। यहाँ भारत की नदियों की एक सूची दी जा रही है: .

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भारतीय अभिनेत्रियों की सूची

स्मिता पाटिल सुष्मिता सेन.

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भास्कर तारामंडल

भास्कर (स्कल्प्टर) तारामंडल भास्कर या स्कल्प्टर (अंग्रेज़ी: Sculptor) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वीं सदी में निकोलास लुइ द लाकाई (Nicolas Louis de Lacaille) नमक फ़्रांसिसी खगोलशास्त्री ने की थी। 'भास्कर' का अर्थ संस्कृत में मूर्तिकार होता है। भास्कर तारामंडल में १८ तारें हैं जिन्हें बायर नाम दिए जा चुके हैं, जिनमें से ६ के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए पाए जा चुके हैं। इस तारामंडल में बहुत सी गैलेक्सियाँ भी मिली हैं। .

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भौतिक विज्ञानी

अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होने सामान्य आपेक्षिकता का सिद्धान्त दिया भौतिक विज्ञानी अथवा भौतिक शास्त्री अथवा भौतिकीविद् वो वैज्ञानिक कहलाते हैं जो अपना शोध कार्य भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में करते हैं। उप-परवमाणविक कणों (कण भौतिकी) से लेकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तक सभी परिघटनाओं का अध्ययन करने वाले लोग इस श्रेणी में माने जाते हैं। .

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भौतिकी के मूलभूत सिद्धान्तों के खोज का इतिहास

प्रकाश वैद्युत प्रभाव, आइंस्टाइन ब्राउनी गति, आइंस्टाइन नाभिक की खोज अतिचालकता द्रव्य तरंगें (Matter waves) मंदाकिनी Galaxies फोटॉनों के कण-प्रकृति की पुष्टि न्यूट्रॉन की खोज तारों में ऊर्जा-उत्पादन की प्रक्रिया समझी गई म्यूआन न्यूट्रिनो पाया गया सौर न्यूट्रिनो प्रश्न (problem) मिला पल्सर (Pulsars या neutron stars) की खोज चार्म्ड क्वार्क (Charmed quark) का पता चला श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:इतिहास ru:Хронология открытий человечества.

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मन्दाकिनी (बहुविकल्पी)

कोई विवरण नहीं।

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मन्दाकिनी (अभिनेत्री)

यह लेख मन्दाकिनी नाम की अभिनेत्री पर है। अन्य मन्दाकिनी लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी मन्दाकिनी (जन्म ३० जुलाई १९६३) एक भूतपूर्व भारतीय अभिनेत्री हैं। .

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मन्दाकिनी झरना

यह लेख मन्दाकिनी नामक झरने पर है। अन्य मन्दाकिनी लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी मन्दाकिनी झरना उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले के हरसिल में स्थित एक झरने का नाम है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के झरने श्रेणी:उत्तरकाशी जिला.

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मन्दाकिनी नदी, मध्य प्रदेश

यह लेख मध्य प्रदेश की मन्दाकिनी नामक नदी पर है। अन्य मन्दाकिनी लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी का एक दृश्य मन्दाकिनी नदी, मध्य प्रदेश के सतना जिले में बहने वाली एक नदी है। इस नदी के तट पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल चित्रकूट स्थित है। रामचरित मानस मे इस नदी का उल्लेख इस दोहे में होता है। यहाँ भरतु सब सहित सुहाए, मंदाकिनी पुनीत नहाए, सरित समीप राखि सब लोगा, मागि मातु गुर सचिव नियोगा। श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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मन्दाकिनी नदी, उत्तराखण्ड

यह लेख उत्तराखण्ड की मन्दाकिनी नामक नदी पर है। अन्य मन्दाकिनी लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी मन्दाकिनी नदी अलकनन्दा नदी की एक सहायक नदी है। इस नदी का उद्दगम स्थान उत्तराखण्ड में केदारनाथ के निकट है। मन्दाकिनी का स्रोत केदारनाथ के निकट चाराबाड़ी हिमनद है। सोनप्रयाग में यह नदी वासुकिगंगा नदी द्वारा जलपोषित होती है। रुद्रप्रयाग में मन्दाकिनी नदी अलकनन्दा नदी में मिल जाती है। उसके बाद अलकनन्दा नदी वहाँ से बहती हुई देवप्रयाग की ओर बढ़ती है, जहाँ बह भागीरथी नदी से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती है। .

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महापृथ्वी

पृथ्वी और "कॅप्लर-१०बी" नामक महापृथ्वी ग्रह के आकारों की तुलना व्यास (r) और द्रव्यमान (m) एक सीमा में संतुलन में होने से कोई ग्रह महापृथ्वी बनता है - नीली लकीर पर स्थित ग्रह पूरे बानी और बर्फ़ के होंगे और लाल लकीर वाले ग्रह लगभग पूरे लोहे के होंगे - इन दोनों के बीच में महापृथ्वियाँ मिलती हैं वरुण के आकारों की तुलना महापृथ्वी ऐसे ग़ैर-सौरीय ग्रह को कहा जाता है जो पृथ्वी से अधिक द्रव्यमान (मास) रखता हो लेकिन सौर मंडल के बृहस्पति और शनि जैसे गैस दानव ग्रहों से काफ़ी कम द्रव्यमान रखे।Valencia et al., Radius and structure models of the first super-Earth planet, September 2006, published in The Astrophysical Journal, February 2007 .

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मालामाल (1988 फ़िल्म)

मालामाल 1988 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। .

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मेरा साथी (1985 फ़िल्म)

मेरा साथी 1985 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। .

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मॅसिये 87

मॅसिये 87 (Messier 87), जिसे वर्गो ए (Virgo A), ऍनजीसी 4486 (NGC 4486) और ऍम87 (M87) भी कहा जाता है एक भीमकाय अंडाकार गैलेक्सी है। यह आकाश में कन्या तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है और पृथ्वी से लगभग 5.35 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है। यह हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, के समीप स्थित सबसे विशाल गैलेक्सियों में से एक है। इसमें गोल तारागुच्छ की संख्या असाधारण है - जहाँ क्षीरमार्ग की केवल 150–200 गोल तारागुच्छ परिक्रमा कर रहें हैं, वहाँ ऍम87 में 12,000 हैं। ऍम87 अपने केन्द्र से उभरते हुए विशाल खगोलभौतिक फौवारे के लिए भी प्रसिद्ध है जो 4,900 प्रकाशवर्ष लम्बा है और जिसमें पदार्थ आपेक्षिक गतियों से यात्रा कर रहा है। In "Source List", click "Row no.

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मॅसिये ७४

मॅसिये 74 मॅसिये 74 मीन तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आने वाली एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है। यह पृथ्वी से लगभग 3.2 करोड़ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसकी चमक पृथ्वी से कम प्रतीत होती है और सारी मॅसिये वस्तुओं में यह ग़ैर-पेशेवर खगोलशास्त्रियों द्वारा देखने में सब से मुश्किल मानी जाती है। इसकी दो साफ़ सर्पिल भुजाएँ हैं और माना जाता है के इस पूरी गैलेक्सी में क़रीब 100 अरब तारे हैं। .

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मॅजलॅनिक बादल

बड़ा और छोटा मॅजलॅनिक बादल मॅजलॅनिक बादल (Magellanic Clouds), हमारी मंदाकिनी से लगी हुई अनियमित आकार की दो पडोसी बौनी आकाशगंगाएं है। बड़ा मॅजलॅनिक बादल (LMC) हमसे 1,60,000 प्रकाश वर्ष दूर है और छोटा मॅजलॅनिक बादल (SMC) हमसे 1,80,000 प्रकाश वर्ष दूर है। दोनों को ही दक्षिणी अर्धगोलार्ध मे नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इनकी उपस्थिति को पहली बार 1519 मे पुर्तगाली अन्वेषक फर्डीनैंड मॅजलॅन (Ferdinand Magellan) द्वारा दर्ज किया गया था। बाद मे वें उन्हीं पर नामित हो गये। मॅजलॅनिक बादल दो बेढंगी बौनी गैलेक्सियाँ हैं जो हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा, की उपग्रह हैं और हमारी समीपी गैलेक्सियों के स्थानीय समूह के सदस्य हैं। इन्हें पृथ्वी के आकाश में सिर्फ़ दक्षिणी गोलार्ध (हॅमिस्फ्येर) से देखा जा सकता है। इन दो गैलेक्सियों के नाम हैं -.

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मोर तारामंडल

मोर (पेवो) तारामंडल पेवो तारामंडल के क्षेत्र में तीन "भिड़ती" गैलेक्सियाँ है मोर या पेवो तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक मोर (पक्षी) की आकृति बनाई जा सकती है। "पेवो" (Pavo) लातिनी भाषा में "मोर" के लिए शब्द है। इसकी परिभाषा औपचारिक रूप से सन् १६१२ या १६१३ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी हालांकि इसके नाम का प्रयोग १५९७-१५९८ से ही शुरू हो चूका था। .

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युग (बुनियादी तिथि)

इस जापानी रेल पास में 'जापानी वर्ष' के ख़ाने में हेईसेई युग का वर्ष १८ लिखा गया है जो सन् २००७ के बराबर है कालक्रम विज्ञान में युग (epoch, ऍपक) समय के किसी ऐसे क्षण को कहते हैं जिस से किसी काल-निर्धारण करने वाली विधि का आरम्भ किया जाए। उदाहरण के लिए विक्रम संवत कैलेण्डर को ५६ ईसापूर्व में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने शकों पर विजय पाने के अवसर पर शुरू किया, यानि विक्रम संवत के लिए ५६ ईपू ही 'युग' है जिसे शून्य मानकर समय मापा जाता है। .

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रिक्ति (खगोलशास्त्र)

रेशे, महागुच्छे और रिक्तियाँ देखे जा सकते हैं खगोलशास्त्र में रिक्तियाँ गैलेक्सियों के रेशों के बीच के ख़ाली स्थान होते हैं जिनमें या तो गैलेक्सियाँ होती ही नहीं या बहुत कम घनत्व में मिलती हैं। इनकी खोज सब से पहले सन् १९७८ में की गयी थी। रिक्तियाँ आम तौर से ३ से ५० करोड़ प्रकाश-वर्ष का व्यास (डायामीटर) रखती हैं। किसी बहुत बड़ी अकार की रिक्ति को महारिक्ति कहा जाता है। .

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रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग की एक पेंटिंग रुद्रप्रयाग भारत के उत्तरांचल राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में एक शहर तथा नगर पंचायत है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल है। यहाँ से अलकनंदा देवप्रयाग में जाकर भागीरथी से मिलती है तथा गंगा नदी का निर्माण करती है। प्रसिद्ध धर्मस्थल केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग से ८६ किलोमीटर दूर है। भगवान शिव के नाम पर रूद्रप्रयाग का नाम रखा गया है। रूद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी पर स्थित है। रूद्रप्रयाग श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदाकिनी और अलखनंदा नदियों का संगम अपने आप में एक अनोखी खूबसूरती है। इन्‍हें देखकर ऐसा लगता है मानो दो बहनें आपस में एक दूसरे को गले लगा रहीं हो। ऐसा माना जाता है कि यहां संगीत उस्‍ताद नारद मुनि ने भगवान शिव की उपासना की थी और नारद जी को आर्शीवाद देने के लिए ही भगवान शिव ने रौद्र रूप में अवतार लिया था। यहां स्थित शिव और जगदम्‍बा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्‍थानों में से है। रुद्रप्रयाग नगर पंचायत का गठन वर्ष २००२ में किया गया था, और २००६ में इसे नगरपालिका का दर्जा प्राप्त हुआ। .

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रेडियो खगोलशास्त्र

अमेरिका के न्यू मेक्सिको राज्य के रेगिस्तान में लगी रेडियो दूरबीनों की एक शृंखला रेडियो खगोलशास्त्र (Radio astronomy) खगोलशास्त्र की वह शाखा है जिसमें खगोलीय वस्तुओं का अध्ययन रेडियो आवृत्ति (फ़्रीक्वॅन्सी) पर आ रही रेडियो तरंगों के ज़रिये किया जाता है। इसका सबसे पहला प्रयोग १९३० के दशक में कार्ल जैन्सकी (Karl Jansky) नामक अमेरिकी खगोलशास्त्री ने किया था जब उन्होंने आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) से विकिरण (रेडियेशन) आते हुए देखा। उसके बाद तारों, गैलेक्सियों, पल्सरों, क्वेज़ारों और अन्य खगोलीय वस्तुओं का रेडियो खगोलशास्त्र में अध्ययन किया जा चुका है। बिग बैंग सिद्धांत की पुष्ठी भी खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण (कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडियेशन) का अध्ययन करने से की गई है।, Hephaestus Books, Hephaestus Books, 2011, ISBN 978-1-244-89478-5, Sir Francis Graham-Smith, CUP Archive, 1952 रेडियो खगोलशास्त्र में भीमकाय रेडियो एन्टेना के ज़रिये रेडियो तरंगों को पकड़ा जाता है और फिर उनपर अनुसन्धान किया जाता है। इन रेडियो एन्टेनाओं को रेडियो दूरबीन (रेडियो टेलिस्कोप) कहा जाता है। कभी-कभी रेडियो खगोलशास्त्र किसी अकेले एन्टेना से किया जाता है और कभी एक पूरे रेडियो दूरबीनों के गुट का प्रयोग किया जाता है जिसमें इन सबसे मिले रेडियो संकेतों को मिलकर एक ज़्यादा विस्तृत तस्वीर मिल सकती है। क्योंकि रेडियो दूरबीनों का आकार बड़ा होता है इसलिए अक्सर ऐसी दूरबीनों की शृंखलाएँ शहर से दूर रेगिस्तानों और पहाड़ों जैसे बीहड़ इलाकों में मिलती हैं।, Jeff Lashley, Springer, 2010, ISBN 978-1-4419-0882-7 .

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लड़ाई (1989 फ़िल्म)

लड़ाई 1989 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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लेंसनुमा गैलेक्सी

स्पिंडल गैलेक्सी (जिसे ऍन॰जी॰सी॰ ५८६६ भी कहते हैं) एक लेंसनुमा गैलेक्सी है - हालांकि बहुत सी लेंसनुमा गैलेक्सियों में अंतरतारकीय माध्यम में धूल बहुत कम होती है, इस वाली में बहुत है और इस चित्र में साफ़ देखी जा सकती है लेंसनुमा गैलेक्सी या लॅन्टिक्युलर गैलेक्सी किसी लेंस के आकार वाली गैलेक्सी को कहते हैं और यह हबल अनुक्रम में सर्पिल गैलेक्सी और अन्डेनुमा गैलेक्सी की दो श्रेणियों के बीच की एक श्रेणी है। सर्पिल गैलेक्सियों की तरह यह भी एक चक्र के आकार में होती हैं लेकिन इनके अंतरतारकीय माध्यम में अक्सर बहुत कम घनत्व होता है क्योंकि यह वहाँ की अधिकाँश धूल, गैस और प्लाज़्मा खो चुकी होती हैं। इस वजह से इनमें नए तारे बहुत कम बनते हैं और इनके अधिकतर तारे बूढ़े हो रहे होते हैं। जहाँ सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाएं एक मुख्य आकृति होती हैं, वहाँ लेंसनुमा गैलेक्सियों में यह भुजाएं साफ़ नहीं बनी होतीं और अगर पृथ्वी से इन्हें ऊपर से न देखा जा सके तो इनमें और अन्डेनुमा गैलेक्सियों में अंतर बताना मुश्किल होता है। .

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लोहा (1987 फ़िल्म)

लोहा 1987 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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शानदार (1990 फ़िल्म)

शानदार 1990 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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शिशुमार तारामंडल

शिशुमार (ड्रेको) तारामंडल हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा खींची गई शिशुमार तारामंडल में स्थित पी॰जी॰सी॰ ३९०५८ नामक बौनी गैलेक्सी की तस्वीर शिशुमार या ड्रेको तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है, जिसके तारे पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़्येअर) में रहने वाले बहुत से स्थानों पर परिध्रुवीय हैं (यानि हर रात को पूरी रात के लिए नज़र आते हैं)। यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है और दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी उनमें भी शामिल था। .

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शिकारी-हन्स भुजा

शिकारी शाख (ओरायन स्पर) में सूरज और अन्य खगोलीय वस्तुओं का स्थान शिकारी-हन्स भुजा हमारी गैलेक्सी (आकाशगंगा) की एक सर्पिल (स्पाइरल) भुजा है। यह लगभग ३,५०० प्रकाश वर्ष चौड़ी और १०,००० प्रकाश वर्ष लम्बी है, लेकिन आकाशगंगा के महान आकार के हिसाब से एक छोटी बाज़ू समझी जाती है। पृथ्वी, हमारा सूरज और हमारा पूरा सौर मंडल इसमें स्थित है, इसलिए इस भुजा को "स्थानीय भुजा" (अंग्रेज़ी में "लोकल आर्म") भी कहा जाता है। कभी-कभी इसे "शिकारी शाख" (ओरायन स्पर) भी कहते हैं। इस बाज़ू का औपचारिक नाम शिकारी-हन्स भुजा इसलिए पड़ा क्योंकि आसमान में देखने पर इसके तारे अधिकतर शिकारी तारामंडल और हंस तारामंडल के क्षेत्रों में नज़र आते हैं। शिकारी-हंस भुजा आकाशगंगा की दो अन्य बाज़ुओं के बीच स्थित है: कराइना-धनु भुजा (Carina–Sagittarius Arm, कराइना-सैजीटेरियस आर्म) और ययाति भुजा (पर्सियस आर्म, Perseus Arm)। हमारा सौर मंडल शिकारी-हंस भुजा के बीच में है और क्षीरमार्ग के केंद्र से लगभग २६,००० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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शकट चक्र गैलेक्सी

शकट चक्र गैलेक्सी (Cartwheel Galaxy), जो ईऍसओ 350-40 (ESO 350-40) भी कहलाती है, हमारे सौर मण्डल से लगभग 50 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर स्थित एक लेंसनुमा गैलेक्सी है। पृथ्वी की सतह से देखें जाने पर यह आकाश के भास्कर तारामंडल क्षेत्र में दिखती है। इस गैलेक्सी का व्यास लगभग 1,50,000 प्रकाशवर्ष है (यानि हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग से ज़रा बड़ा) और इसका अनुमानित द्रव्यमान 2.9 – 4.8 × 109सौर द्रव्यमान है। यह 217 किमी/सैकंड की गति से घूर्णन कर रही है। खगोलज्ञों का मानना है कि इसका टकराव एक छोटी गैलेक्सी से हुआ था, जिसके कारण इसके केन्द्रीय भाग से बाहर एक चक्र बन गया, ठीक उसी तरह जैसे पानी में पत्थर फेंकने से पानी में लहर से चक्र बन जाते हैं। .

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सफ़ेद बौना

तुलनात्मक तस्वीर: हमारा सूरज (दाएँ तरफ़) और पर्णिन अश्व तारामंडल में स्थित द्वितारा "आई॰के॰ पॅगासाई" के दो तारे - "आई॰के॰ पॅगासाई ए" (बाएँ तरफ़) और सफ़ेद बौना "आई॰के॰ पॅगासाई बी" (नीचे का छोटा-सा बिंदु)। इस सफ़ेद बौने का सतही तापमान ३,५०० कैल्विन है। खगोलशास्त्र में सफ़ेद बौना या व्हाइट ड्वार्फ़ एक छोटे तारे को बोला जाता है जो "अपकृष्ट इलेक्ट्रॉन पदार्थ" का बना हो। "अपकृष्ट इलेक्ट्रॉन पदार्थ" या "ऍलॅक्ट्रॉन डिजॅनरेट मैटर" में इलेक्ट्रॉन अपने परमाणुओं से अलग होकर एक गैस की तरह फैल जाते हैं और नाभिक (न्युक्लिअस, परमाणुओं के घना केंद्रीय हिस्से) उसमें तैरते हैं। सफ़ेद बौने बहुत घने होते हैं - वे पृथ्वी के जितने छोटे आकार में सूरज के जितना द्रव्यमान (मास) रख सकते हैं। माना जाता है के जिन तारों में इतना द्रव्यमान नहीं होता के वे आगे चलकर अपना इंधन ख़त्म हो जाने पर न्यूट्रॉन तारा बन सकें, वे सारे सफ़ेद बौने बन जाते हैं। इस नज़रिए से आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) के ९७% तारों के भाग्य में सफ़ेद बौना बन जाना ही लिखा है। सफ़ेद बौनों की रौशनी बड़ी मध्यम होती है। वक़्त के साथ-साथ सफ़ेद बौने ठन्डे पड़ते जाते हैं और वैज्ञानिकों की सोच है के अरबों साल में अंत में जाकर वे बिना किसी रौशनी और गरमी वाले काले बौने बन जाते हैं। क्योंकि हमारा ब्रह्माण्ड केवल १३.७ अरब साल पुराना है इसलिए अभी इतना समय ही नहीं गुज़रा के कोई भी सफ़ेद बौना पूरी तरह ठंडा पड़कर काला बौना बन सके। इस वजह से आज तक खगोलशास्त्रियों को कभी भी कोई काला बौना नहीं मिला है। .

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सर्पिल गैलेक्सी

मॅसिये १०१ और एन॰जी॰सी॰ ५४५७ के नाम से भी जानी जाती है) एक सर्पिल गैलेक्सी है सर्पिल गैलेक्सी किसी सर्पिल (स्पाइरल) आकार वाली गैलेक्सी को कहते हैं, जैसे की हमारी अपनी गैलेक्सी, आकाशगंगा है। इनमें एक चपटा घूर्णन करता (यानि घूमता हुआ) भुजाओं वाला चक्र होता है जिसमें तारे, गैस और धूल होती है और जिसके बीच में एक मोटा उभरा हुआ तारों से घना गोला होता है। इसके इर्द-गिर्द एक कम घना गैलेक्सीय सेहरा होता है जिसमें तारे अक्सर गोल तारागुच्छों में पाए जाते हैं। सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाओं में नवजात तारे और केंद्र में पुराने तारों की बहुतायत होती है। क्योंकि नए तारे अधिक गरम होते हैं इसलिए भुजाएं केंद्र से ज़्यादा चमकती हैं। दो-तिहाई सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाएं केंद्र से शुरू नहीं होती, बल्कि केंद्र का रूप एक खिचे मोटे डंडे सा होता है जिसके बीच में केन्द्रीय गोला होता है। भुजाएं फिर इस डंडे से निकलती हैं। क्योंकि मनुष्य पृथ्वी पर आकाशगंगा के अन्दर स्थित है, इसलिए हम पूरी आकाशगंगा के चक्र और उसकी भुजाओं को देख नहीं सकते। २००८ तक माना जाता था के आकाशगंगा का एक गोल केंद्र है जिस से भुजाएँ निकलती हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों का यह सोचना है के हमारी आकाशगंगा भी ऐसी डन्डीय सर्पिल गैलेक्सियों की श्रेणी में आती है। .

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सिंहासन (1986 फ़िल्म)

सिंहासन 1986 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक

सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक (active galactic nucleus) या स॰गै॰ना॰ (AGN) किसी गैलेक्सी के केन्द्र में ऐसा एक संकुचित क्षेत्र होता है जिसमें असाधारण तेजस्विता हो। यह विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के पूर्ण या ऐसे भाग में हो सकता है जिस से स्पष्ट हो जाए कि इस तेजस्विता का स्रोत केवल तारे नहीं हो सकते। इस प्रकार का विकिरण रेडियो, सूक्ष्मतरंग (माइक्रोवेव), अवरक्त (इन्फ़्रारेड), प्रत्यक्ष (ओप्टीकल), पराबैंगनी (अल्ट्रावायोलेट), ऍक्स किरण और गामा किरण के तरंगदैर्घ्य में पाया गया है। सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक रखने वाली गैलेक्सी को सक्रीय गैलेक्सी (active galaxy) कहा जाता है। खगोलशास्त्रियों का मानना है कि सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक से उत्पन्न होने वाला विकिरण ऐसी गैलेक्सियों के केन्द्र में उपस्थित विशालकाय ब्लैक होल के इर्द-गिर्द एकत्रित होने वाले पदार्थ से पैदा होता है। अक्सर ऐसे सक्रीय गैलेक्सीय नाभिकों से मलबे के विशालकाय खगोलभौतिक फौवारे निकलते हुए दिखते हैं, मसलन ऍम87 नामक सक्रीय गैलेक्सी के नाभिक से एक 5000 प्रकाशवर्ष लम्बा फौवारा निकलता हुआ देखा जा सकता है। बहुत ही भयंकर तेजस्विता रखने वाले सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक को क्वेसार (quasar) कहते हैं। .

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स्थानीय समूह

सॅक्सटॅन्स गैलेक्सी हमसे ४३ लाख प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक बेढंगी गैलेक्सी है जो हमारे स्थानीय समूह की सदस्य है स्थानीय समूह या लोकल ग्रुप गैलेक्सियों का एक समूह है जिसमें हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा, भी शामिल है। इस समूह में ३० से ज़्यादा गैलेक्सियाँ शामिल हैं जिनमें से बहुत सी बौनी गैलेक्सियाँ हैं। स्थानीय समूह का द्रव्यमान केंद्र आकाशगंगा और एण्ड्रोमेडा गैलेक्सी के बीच में कही स्थित है और यह दोनों ही समूह की सब से बड़ी गैलेक्सियाँ हैं। कुल मिलाकर स्थानीय समूह का व्यास (डायामीटर) एक करोड़ प्रकाश-वर्ष तक फैला हुआ है। इसमें तीन सर्पिल गैलेक्सियाँ हैं - क्षीरमार्ग, एण्ड्रोमेडा और ट्राऐन्गुलम गैलेक्सी। .

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सौर द्रव्यमान

वी॰वाए॰ कैनिस मेजौरिस का द्रव्यमान ३०-४० \beginsmallmatrixM_\odot\endsmallmatrix है, यानि सूरज के द्रव्यमान का ३०-४० गुना है खगोलविज्ञान में सौर द्रव्यमान (solar mass) (\beginM_\odot\end) द्रव्यमान की मानक इकाई है, जिसका मान १.९८८९२ X १०३० कि.ग्रा.

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सेयफ़र्ट गैलेक्सी

खगोलशास्त्र में सेयफ़र्ट गैलेक्सी (Seyfert galaxy) सक्रीय गैलेक्सियों के दो प्रमुख प्रकारों में से एक है। क्वेसार दूसरा प्रमुख प्रकार होता है। दोनों में सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक बहुत तेजस्विता से चमकता है, लेकिन जहाँ क्वेसार में गैलेक्सी का अन्य भाग इस केन्द्रीय तेजस्विता के सामने दिखता नहीं है, वहाँ सेयफ़र्ट गैलेक्सियों में गैलेक्सी के अन्य भाग को स्पष्टता से देखा जा सकता है। पूरे ब्रह्माण्ड में देखी गई गैलेक्सियों में से लगभग १०% सेयफ़र्ट गैलेक्सियाँ हैं। सेयफ़र्ट गैलेक्सियों के केन्द्र में विशालकाय काले छिद्र होते हैं और उनके इर्द-गिर्द उनमें गिर रहे मलबे के अभिवृद्धि चक्र होते हैं। इनमें देखा गया पराबैंगनी विकिरण इन्हीं चक्रों से उत्पन्न होता है और इस विकिरण के वर्णक्रम को परखकर मलबे में सम्मिलित पदार्थ की पहचान की जा सकती है। इन गैलेक्सियों का नाम कार्ल सेयफ़र्ट नामक खगोलशास्त्री पर रखा गया था जिन्होंने सन् १९४३ में इस श्रेणी का विवरण दिया था। .

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सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा

सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा एक विशेष प्रकार के परिवर्ती तारे को कहा जाता है जिसकी (निरपेक्ष कान्तिमान) चमक बहुत अधिक हो। इन तारो की चमक के तीखेपन और उसमें आने वाले बदलावों के काल में सीधा सम्बन्ध होता है, जिस वजह से इन्हें हमारी गैलेक्सी के लम्बे फ़ासले और गैलेक्सियों के बीच की दूरियों को मापने के लिए मानक समझा जाता है। इस श्रेणी का नाम वृषपर्वा तारामंडल में स्थित डॅल्टा सॅफ़ॅ​ई तारे पर पड़ा है जिसकी पृथ्वी से देखी जाने वाली चमक (सापेक्ष कान्तिमान) ५.३६६३४१ दिनों के काल +३.४८ से +४.३७ मैग्निट्यूड के बीच बदलती रहती है। इस तारे के अध्ययन से सन् १७८४ में यह परिवर्ती ज्ञात हुआ था और अपनी श्रेणी का यह पहला ज्ञात तारा था।de Zeeuw, P. T.; Hoogerwerf, R.; de Bruijne, J. H. J.; Brown, A. G. A.; Blaauw, A. (1999).

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सीटस तारामंडल

सीटस तारामंडल हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा खींची गयी माएरा तारे की तस्वीर सीटस (अंग्रेज़ी: Cetus) एक तारामंडल है। सीटस का अर्थ व्हेल मछली होता है। .

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सीता

सीता रामायण और रामकथा पर आधारित अन्य रामायण ग्रंथ, जैसे रामचरितमानस, की मुख्य पात्र है। सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थी। इनका विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम से स्वयंवर में शिवधनुष को भंग करने के उपरांत हुआ था। इनकी स्त्री व पतिव्रता धर्म के कारण इनका नाम आदर से लिया जाता है। त्रेतायुग में इन्हे सौभाग्य की देवी लक्ष्मी का अवतार मानते हैं। .

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हबल अनुक्रम

हबल अनुक्रम ("हबल ट्यूनिन्ग फ़ोर्क") का एक चित्रण हबल अनुक्रम गैलेक्सियों को उनकी आकृतियों के आधार पर श्रेणियों में डालने का एक तरीक़ा है जिसका आविष्कार खगोलशास्त्री ऍडविन हबल ने १९२६ में किया था। इसमें गैलेक्सियों को तीन बड़ी श्रेणियों में डाला जाता है - अंडाकार (ऍलिप्टीकल, अंडे-जैसी), लेंसनुमा (लॅन्टिक्युलर, लेंस जैसी) और सर्पिल (स्पाइरल, सर्पिल आकार)। एक चौथी श्रेणी भी होती है जिसमें वे बेढंगी गैलेक्सियाँ डाली जाती हैं जो हबल अनुक्रम की तीन व्यवस्थित श्रेणियों में से किसी में नहीं डाली जा सकतीं। हबल अनुक्रम गैलेक्सियों के लिए दुनिया की सब से अधिक प्रयोग होने वाली श्रेणीकरण विधि है। .

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/य

कोई विवरण नहीं।

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हिसाब खून का

हिसाब खून का 1989 में बनी सुरेन्द्र मोहन द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसमें मिथुन चक्रवर्ती, राज बब्बर, मंदाकिनी, पूनम ढिल्लों, सतीश शाह, सईद जाफ़री और अमरीश पुरी हैं। .

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हिंदी चलचित्र, १९८० दशक

1980 के दशक के हिंदी चलचित्र: .

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जलसर्प तारामंडल

जलसर्प तारामंडल जलसर्प तारामंडल में ऍम८३ नामक डन्डीय सर्पिल आकाशगंगा है जलसर्प या हाइड्रा एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है और उस सूची का खगोलीय गोले में सब से बड़े क्षेत्र वाला तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। .

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ज़ेटा पपिस तारा

ज़ेटा पपिस का एक काल्पनिक चित्रण ज़ेटा पपिस, जिसका बायर नाम भी यही (ζ Puppis या ζ Pup) है, पपिस तारामंडल का सब से रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६२वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२१ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग १,०९० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक O श्रेणी का अत्यंत गरम नीला महादानव तारा है। .

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ज़ोरदार (1996 फ़िल्म)

ज़ोरदार 1996 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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जाल (1986 फ़िल्म)

जाल 1986 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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जंगबाज़ (1989 फ़िल्म)

जंगबाज़ 1989 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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जीवा (1986 फ़िल्म)

जीवा 1986 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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विशालकाय ब्लैक होल

विशालकाय ब्लैक होल (Supermassive black hole (SMBH)), ब्लैक होल का सबसे बड़ा प्रकार है | यह हजारों सैकड़ों अरबों सौर द्रव्यमान के क्रम का ब्लैक होल है | अधिकांश - या संभवतः सभी - आकाशगंगाएँ अपने केन्द्रों पर एक विशालकाय ब्लैक होल रखती है ऐसा अनुमान लगाया गया है। हमारी आकाशगंगा के मामले में यह ब्लैक होल धनु A*En की स्थिति के अनुरूप माना गया है। .

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वॄश्चिक तारामंडल

वॄश्चिक तारामंडल बिना दूरबीन के रात में वॄश्चिक तारामंडल की एक तस्वीर (जिसमें काल्पनिक लक़ीरें डाली गयी हैं) वॄश्चिक या स्कोर्पियो (अंग्रेज़ी: Scorpio या Scorpius) तारामंडल राशिचक्र का एक तारामंडल है। पुरानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक बिच्छु के रूप में दर्शाया जाता था। आकाश में इसके पश्चिम में तुला तारामंडल होता है और इसके पूर्व में धनु तारामंडल। यह एक बड़ा तारामंडल है जो खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) के बीच में स्थित है। .

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वेदी तारामंडल

वेदी तारामंडल वेदी या ऍअरा (अंग्रेज़ी: Ara) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में वॄश्चिक और दक्षिण त्रिकोण तारामंडल के बीच स्थित एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसके कुछ मुख्य रोशन तारों को कालपनिक लकीरों से जोड़ने पर एक पूजा की वेदी का चित्र बनता है जिसपर इसका नाम पड़ा है। .

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खगोल शास्त्र

चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस। १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था। यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है। खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गई है। बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है। खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है। ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान (Pseudoscience) है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ बिंदु एक है फिर भी वे काफ़ी अलग है। खगोल शास्त्री जहाँ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषी केवल अनुमान आधारित गणनाओं का सहारा लेते हैं। .

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खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण

बिग बैंग के धमाके का सबूत माना जाता है खगोलशास्त्र में खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण (ख॰पा॰सू॰वि॰, अंग्रेज़ी: cosmic microwave background radiation, कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडियेशन) उस विकिरण (रेडियेशन) को बोलते हैं जो पृथ्वी से देखे जा सकने वाले ब्रह्माण्ड में बराबर स्तर से हर और फैली हुई है। आम प्रकाश देखने वाली दूरबीन से आकाश में कुछ जगह वस्तुएँ (जैसे ग्रह, गैलेक्सियाँ, वग़ैराह) दिखाई देती हैं और अन्य जगहों पर अँधेरा। लेकिन सूक्ष्मतरंग (माइक्रोवेव) माप सकने वाले रेडिओ दूरबीन (रेडीओ टेलिस्कोप) से देखा जाए तो हर दिशा में एक हलकी सूक्ष्म्तरंगी लालिमा फैली हुई है। वैज्ञानिक मानते हैं के यह ख॰पा॰सू॰वि॰ बिग बैंग सिद्धांत का सबूत देता है। अरबों साल पहले, जब ब्रह्माण्ड पैदा हुआ था उसके फ़ौरन बाद उसका अकार आज के मुक़ाबले में बहुत छोटा था और उसमें खौलती हुई हाइड्रोजन की प्लाज़्मा गैस फैली हुई थी। उस गैस की उर्जा से जो फ़ोटोन (प्रकाश या सूक्ष्मतरंग के कण) पैदा हुए थे वे तब से ब्रह्माण्ड में इधर-उधर घूम रहे हैं और वही हम आज ख॰पा॰सू॰वि॰ के रूप में देखते हैं। .

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खगोलीय वस्तु

आकाशगंगा सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं - एन॰जी॰सी॰ ४४१४ हमारे सौर मण्डल से ६ करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष के व्यास की आकाशगंगा है खगोलीय वस्तु ऐसी वस्तु को कहा जाता है जो ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक रूप से पायी जाती है, यानि जिसकी रचना मनुष्यों ने नहीं की होती है। इसमें तारे, ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, गैलेक्सी आदि शामिल हैं। .

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खुला तारागुच्छ

वृष तारामंडल में स्थित कृत्तिका तारागुच्छ (अंग्रेज़ी में "प्लीअडीज़") एक मशहूर खुला तारागुच्छ है खुला तारागुच्छ NGC 2244 खुले तारागुच्छे ("ओपन क्लस्टर") १०-३० प्रकाश वर्ष के चपटे क्षेत्र में फैले चंद सौ तारों के तारागुच्छे होते हैं। इनमे से अधिकतर तारे छोटी आयु वाले (कुछ करोड़ वर्षों पुराने) नवजात सितारे होते हैं। सर्पिल गैलेक्सियों (जैसे की हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा) में यह अक्सर भुजाओं में मिलते हैं। क्योंकि इनमें आपसी गुरुत्वाकर्षक बंधन उतना मज़बूत नहीं होता जितना के गोल तारागुच्छों के सितारों में होता है, इसलिए अक्सर इनके तारे आसपास के विशाल आणविक बादलों और अन्य वस्तुओं के प्रभाव में आकर भटक जाते हैं और तारागुच्छा छोड़ देते हैं। कृत्तिका तारागुच्छ (अंग्रेज़ी में "प्लीअडीज़") इस श्रेणी के तारागुच्छों का एक मशहूर उदहारण है। .

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गढ़वाल में धर्म

गढ़वाल में निवास करने वाले व्यक्तियों में से अधिकांश हिन्दू हैं। यहाँ निवास करने वाले अन्य व्यक्तियों में मुस्लिम, सिख, ईसाई एवं बौद्ध धर्म के लोग सम्मिलित हैं। गढ़वाल का अधिकांश भाग पवित्र भू-दृश्यों एवं प्रतिवेशों से परिपूर्ण है। उनकी पवित्रता देवताओं/पौराणिक व्यक्ति तत्वों, साधुओं एवं पौराणिक एतिहासिक घटनाओं से सम्बद्ध है। गढ़वाल के वातावरण एवं प्राकृतिक परिवेश का धर्म पर अत्याधिक प्रभाव पडा है। विष्णु एवं शिव के विभिन्न स्वरुपों की पूजा सम्पूर्ण क्षेत्र में किये जाने के साथ-2 इस पर्वतीय क्षेत्र में स्थानीय देवी एवं देवताओं की भी बहुत अधिक पूजा-अर्चना की जाती है। कठिन भू-भाग एवं जलवायु स्थितयों के कारण पहाडों पर जीवन कठिनाइयों एवं आपदाओं से परिपूर्ण है। भय को दूर करने के लिए यहाँ स्थानीय देवी देवताओं की पूजा लोकप्रिय है। यहां सभी हिन्दू मत हैं: वैष्णव, शैव एवं शाक्त। गढ़वाल में निवास करने वाले व्यक्तियों में से अधिकांश हिन्दू हैं। यहाँ निवास करने वाले अन्य व्यक्तियों में मुस्लिम, सिख, ईसाई एवं बौद्ध धर्म के लोग सम्मिलित हैं। धर्म के आधार पर गढ़वाल के निवासियों की जनसंख्या विभाजन निम्न है।.

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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गंगा के पौराणिक प्रसंग

गंगा और शांतनु- राजा रवि वर्मा की कलाकृति गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। इनमें राजा सगर की कथा और मिथकों के अनुसार ब्रह्मा ने विष्णु के पैर के पसीनों की बूँदों से गंगा के जन्म की कथाओं के अतिरिक्त अन्य कथाएँ भी काफ़ी रोचक हैं। .

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ग्रहीय नीहारिका

श्रेणी के तारे के इर्द-गिर्द बनी एक ग्रहीय नीहारिका है ग्रहीय नीहारिका ऐसी नीहारिका को कहते हैं जो किसी बड़ी आयु के तारे के इर्द-गिर्द आयोनिकृत (आयोनाइज़्द) गैस के फैलते हुए खोल से बनी हुई होती है। इनका किसी ग्रह से कोई सम्बन्ध नहीं है लेकिन इनका नाम "ग्रहीय नीहारिका" १८वी सदी के खगोलशास्त्रियों ने यह रख दिया क्योंकि अपनी कमज़ोर दूरबीनों से उन्हें ऐसी नीहरिकाएँ भीमकाय ग्रहों की तरह लगीं। ग्रहीय नीहरिकाएँ केवल कुछ दसियों हज़ार सालों तक ही रहती हैं और फिर व्योम में तितर-बितर हो जाती हैं, जबकि तारों की उम्र अरबों वर्षों की होती है। ऐसी नीहरिकाएँ तारों से उत्पन्न तारकीय आंधी से बन जाती हैं। किसी भी गैलेक्सी में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह तारे में बने कार्बन, आक्सीजन, नाइट्रोजन और कैल्शियम जैसे भारी रासायनिक तत्वों को अंतरतारकीय माध्यम में फैला देती हैं। .

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गौरीकुण्ड

गौरीकुंड में वासुकी गंगा केदारनाथ से वासुकी ताल होते हुए मंदाकिनी में मिलती है, यह कस्बा केदारनाथ के लिए मोटर वाहन शीर्ष है। गौरीकुंड १९८१ मी.

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गैलेक्सियों के रेशे

पृथ्वी के ५० करोड़ प्रकाश-वर्ष के अन्दर के ब्रह्माण्ड में रेशे, महागुच्छे और रिक्तियाँ खगोलशास्त्र में गैलेक्सियों के रेशे या महान दीवारें ब्रह्माण्ड की सारी वस्तुओं में सब से बड़े ज्ञात ढाँचे होते हैं। यह बहुत ही बड़े रेशेदार ढाँचे होते हैं जिनमें हर रेशे की लम्बाई आम तौर पर १५ से २५ करोड़ प्रकाश वर्ष होती है। इन रेशों में गैलेक्सियाँ होती हैं जो एक-दूसरे से गुरुत्वाकर्षण से बंधी होती हैं। इन रेशों के बीच में ख़ाली स्थान होता है, जिन्हें रिक्तियाँ कहते हैं। रेशों के अन्दर वह जगहे जहाँ गैलेक्सियों का घना जमावड़ा होता है "महागुच्छे" कहलाते हैं। .

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गैलेक्सीय सेहरा

गैलेक्सीय सेहरा या गलैक्टिक हेलो किसी गैलेक्सी के इर्द-गिर्द फैले हुए गोले को बोलते हैं जो गैलेक्सी के मुख्य भाग से अलग होता है। गैलेक्सीय सेहरे में तारों और गैस का घनत्व गैलेक्सी के मुख्य भाग से कहीं कम होता है और इसमें तीन प्रकार की चीज़ें हो सकती हैं -.

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गोल तारागुच्छ

धनु तारामंडल में स्थित मॅसिये ६९ नाम का गोल तारागुच्छा गोल तारागुच्छे ("ग्लोब्युलर क्लस्टर") १०-३० प्रकाश वर्ष के गोलाकार क्षेत्र में एकत्रित दस हज़ार से दसियों लाख तारों के तारागुच्छे होते हैं। इनमे से अधिकतर तारे ठन्डे (लाल और पीले रंगों में सुलगते हुए) और छोटे आकार के (ज़्यादा-से-ज़्यादा सूरज से दुगने बड़े) और काफी बूढ़े होते हैं। बहुत से तो पूरी ब्रह्माण्ड की आयु (जो १३.६ अरब वर्ष अनुमानित की गयी है) से चंद करोड़ साल कम के ही होते हैं। इनसे बड़े या अधिक गरम तारे या तो महानोवा (सुपरनोवा) बनकर ध्वस्त हो चुके होते हैं या सफ़ेद बौने बन चुके होते हैं। फिर भी कभी-कभार इन गुच्छों में अधिक बड़े और गरम नीले तारे भी मिल जाते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है के ऐसे नीले तारे इन गुच्छों के घने केन्द्रों में पैदा हो जाते हैं जब दो या उसे से अधिक तारों का आपस में टकराव और फिर विलय हो जाता है। आकाशगंगा (मिल्की वे, हमारी गैलेक्सी) में गोल तारागुच्छे आकाशगंगा के केंद्र के इर्द-गिर्द फैले हुए गैलेक्सीय सेहरे में मिलते हैं। .

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गोलीय खगोलशास्त्र

गोलीय खगोलशास्त्र (spherical astronomy) या स्थितीय खगोलशास्त्र (positional astronomy) खगोलशास्त्र की वह शाखा है जिसमें खगोलीय वस्तुओं का किसी विशेष समय, तिथि या पृथ्वी पर स्थित स्थान पर खगोलीय गोले में स्थान अनुमानित करा जाता है। यह अध्ययन की शाखा गोलीय ज्यामिति के सिद्धांतों व विधियों और खगोलमिति की मापन-कलाओं पर निर्भर है। ऐतिहासिक दृष्टि से गोलीय खगोलशास्त्र को पूरे खगोलशास्त्र की प्राचीनतम शाखा माना जा सकता है क्योंकि धार्मिक, ज्योतिष, समयानुमान और दिक्चालन (नैविगेशन) कार्यों के लिये मानव आकाश में तारों, तारामंडलों, ग्रहों, सूर्य व चंद्रमा की स्थिति को ग़ौर से जाँचता-समझता रहा है। अकाश में खगोलीय वस्तुओं के स्थानों को गणितीय रूप से समझने के विज्ञान को खगोलमिति (astronomy) कहते हैं। .

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गीतरामायणम्

गीतरामायणम् (२०११), शब्दार्थ: गीतों में रामायण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००९ और २०१० ई में रचित गीतकाव्य शैली का एक संस्कृत महाकाव्य है। इसमें संस्कृत के १००८ गीत हैं जो कि सात कांडों में विभाजित हैं - प्रत्येक कांड एक अथवा अधिक सर्गों में पुनः विभाजित है। कुल मिलाकर काव्य में २८ सर्ग हैं और प्रत्येक सर्ग में ३६-३६ गीत हैं। इस महाकाव्य के गीत भारतीय लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत के विभिन्न गीतों की ढाल, लय, धुन अथवा राग पर आधारित हैं। प्रत्येक गीत रामायण के एक या एकाधिक पात्र अथवा कवि द्वारा गाया गया है। गीत एकालाप और संवादों के माध्यम से क्रमानुसार रामायण की कथा सुनाते हैं। गीतों के बीच में कुछ संस्कृत छंद हैं, जो कथा को आगे ले जाते हैं। काव्य की एक प्रतिलिपि कवि की हिन्दी टीका के साथ जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन संस्कृत कवि अभिराज राजेंद्र मिश्र द्वारा जनवरी १४, २०११ को मकर संक्रांति के दिन किया गया था। .

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आखिरी बाज़ी (1989 फ़िल्म)

आखिरी बाज़ी 1989 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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आग और शोला (1986 फ़िल्म)

आग और शोला 1986 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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आकरनार तारा

बहुत तेज़ी से घूर्णन करने की वजह से आकरनार का आकार पिचका हुआ है आकरनार स्रोतास्विनी तारामंडल के आख़िर में स्थित है - "स्रोतास्विनी" का अर्थ "नहर" होता है और "आकरनार" नाम "आख़िर अन-नहर" का बिगड़ा रूप है आकरनार, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा ऍरिडानी" (α Eridani या α Eri) है, स्रोतास्विनी तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से नौवा सब से रोशन तारा भी है। आकरनार बहुत गरम है और इसलिए इसका रंग नीला है। हालाँकि यह सूरज की ही तरह का एक मुख्य अनुक्रम तारा है, फिर भी इसकी चमक सूरज की 3,000 गुना है। तारों के श्रेणीकरण के हिसाब से इसे B3 की श्रेणी दी जाती है। यह पृथ्वी से 144 प्रकाश-वर्षों की दूरी पर है। आकरनार की एक सिफ़्त यह है की यह तारा बहुत तेज़ी से घूर्णन कर रहा है (यानि अपने अक्ष पर घूम रहा है) के इसका गोल अकार पिचक गया है और इसके मध्यरेखा की चौड़ाई इसके अक्ष की लम्बाई से 56% ज़्यादा है। पूरी आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) में जितने तारों का अध्ययन हुआ है यह उन सारों में से सब से पिचका हुआ तारा है। .

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आकाशगंगा

स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरबीन से ली गयी आकाशगंगा के केन्द्रीय भाग की इन्फ़्रारेड प्रकाश की तस्वीर। अलग रंगों में आकाशगंगा की विभिन्न भुजाएँ। आकाशगंगा के केंद्र की तस्वीर। ऍन॰जी॰सी॰ १३६५ (एक सर्पिल गैलेक्सी) - अगर आकाशगंगा की दो मुख्य भुजाएँ हैं जो उसका आकार इस जैसा होगा। आकाशगंगा, मिल्की वे, क्षीरमार्ग या मन्दाकिनी हमारी गैलेक्सी को कहते हैं, जिसमें पृथ्वी और हमारा सौर मण्डल स्थित है। आकाशगंगा आकृति में एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है, जिसका एक बड़ा केंद्र है और उस से निकलती हुई कई वक्र भुजाएँ। हमारा सौर मण्डल इसकी शिकारी-हन्स भुजा (ओरायन-सिग्नस भुजा) पर स्थित है। आकाशगंगा में १०० अरब से ४०० अरब के बीच तारे हैं और अनुमान लगाया जाता है कि लगभग ५० अरब ग्रह होंगे, जिनमें से ५० करोड़ अपने तारों से जीवन-योग्य तापमान रखने की दूरी पर हैं। सन् २०११ में होने वाले एक सर्वेक्षण में यह संभावना पायी गई कि इस अनुमान से अधिक ग्रह हों - इस अध्ययन के अनुसार आकाशगंगा में तारों की संख्या से दुगने ग्रह हो सकते हैं। हमारा सौर मण्डल आकाशगंगा के बाहरी इलाक़े में स्थित है और आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक पूरी परिक्रमा करने में लगभग २२.५ से २५ करोड़ वर्ष लग जाते हैं। .

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कमांडो (1988 फ़िल्म)

कमांडो 1988 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। .

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कराइना तारामंडल

कराइना तारामंडल कराइना खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। यह कभी आरगो नौका तारामंडल में शामिल होता था लेकिन अब वह तारामंडल तीन हिस्सों में बाँट दिया गया है। रात के आसमान का दूसरा सब से रोशन तारा, अगस्ति, इसमें शामिल है। .

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काला बौना

खगोलशास्त्र में काला बौना या ब्लैक ड्वार्फ़ एक बचे-कुचे तारे को बोला जाता है जो बहुत घना हो और जिस से रौशनी और गरमी न आ रही हो या बहुत की कम मात्रा में आ रही हो। वैज्ञानिकों का मानना है के सफ़ेद बौने तारे अरबों सालों में ठन्डे पड़कर काले बौने बन जाते हैं। माना जाता है के जिन तारों में इतना द्रव्यमान नहीं होता के वे आगे चलकर अपना इंधन ख़त्म हो जाने पर न्यूट्रॉन तारा बन सकें, वे सारे सफ़ेद बौने बन जाते हैं। इस नज़रिए से आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) के ९७% तारों के भाग्य में सफ़ेद बौना बन जाना ही लिखा है। सफ़ेद बौनों की रौशनी बड़ी मध्यम होती है। वक़्त के साथ-साथ सफ़ेद बौने ठन्डे पड़ते जाते हैं और वैज्ञानिकों की सोच है के अरबों साल में अंत में जाकर वे बिना किसी रौशनी और गरमी के काले बौने बन जाते हैं। क्योंकि हमारा ब्रह्माण्ड केवल १३.७ अरब साल पुराना है इसलिए अभी इतना समय ही नहीं गुज़रा के कोई भी सफ़ेद बौना पूरी तरह ठंडा पड़कर काला बौना बन सके। इस वजह से आज तक खगोलशास्त्रियों को कभी भी कोई काला बौना नहीं मिला है। .

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केदारनाथ मन्दिर

केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया। जून २०१३ के दौरान भारत के उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। मंदिर की दीवारें गिर गई और बाढ़ में बह गयी। इस ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहे लेकिन मन्दिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का इलाका पूरी तरह तबाह हो गया। .

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केन नदी

केन यमुना की एक उपनदी या सहायक नदी है जो बुन्देलखंड क्षेत्र से गुजरती है। दरअसल मंदाकिनी तथा केन यमुना की अंतिम उपनदियाँ हैं क्योंकि इस के बाद यमुना गंगा से जा मिलती है। केन नदी जबलपुर, मध्यप्रदेश से प्रारंभ होती है, पन्ना में इससे कई धारायें आ जुड़ती हैं और फिर बाँदा, उत्तरप्रदेश में इसका यमुना से संगम होता है। इस नदी का "शजर" पत्थर मशहूर है। .

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अपसौरिका

250px अपसौरिका(अंग्रेज़ी:Perihelion पृथ्वी) के दीर्घवृत्ताकार पथ पर वह बिंदु है जहाँ इसकी आकर्षण के केंद्र (अर्थात् मोटे तौर पर सूर्य के केंद्र) से दूरी अधिकतम होती है। आकर्षण का यह केंद्र सामान्यतः निकाय का द्रव्यमान केंद्र होता है। .

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अश्वशाव तारामंडल

अश्वशाव (इक्वूलियस) तारामंडल अश्वशाव या इक्वूलियस एक छोटा-सा तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। त्रिशंकु तारामंडल के बाद यह इस सूची का दूसरा सब से छोटा तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसके सभी तारे काफ़ी धुंधले हैं और उनमें से कोई भी +३.९ मैग्नीट्यूड (चमक या सापेक्ष कान्तिमान) से अधिक रोशन नहीं है। ध्यान रहे कि मैग्नीट्यूड एक विपरीत माप होता है: यह जितना अधिक हो तारे की चमक उतनी ही कम होती है। .

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अग्नि (1988 फ़िल्म)

अग्नि 1988 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। .

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अंडाकार गैलेक्सी

इस चित्र के बीच में बड़े आकार में ई॰ऍस॰ओ॰ ३२५-जी००४ आकाशगंगा नज़र आ रही है, जो एक अंडाकार आकाशगंगा है (इस तस्वीर में और भी आकाशगंगाएँ देखी जा सकती हैं) अंडाकार आकाशगंगा किसी दीर्घवृत्ताभ (ऍलिप्सॉइड) आकार वाली आकाशगंगा को कहते हैं, जिसके हर भाग से लगभग बराबर की चमक आ रही हो। इनका आकार एक शुद्ध गोले से लेकर बहुत ही पिचके चपटे अंडे की तरह हो सकता है और इनमें दसियों करोड़ से लेकर दस खरब तारे हो सकते हैं। लेंसनुमा (लॅन्टिक्युलर, लेंस जैसी) और सर्पिल (स्पाइरल, सर्पिल आकार) आकाशगंगाओं के साथ, अंडाकार आकाशगंगाएँ हबल अनुक्रम की तीन मुख्य आकाशगंगाओं की श्रेणियां हैं। अंडाकार आकाशगंगाओं में पुराने तारे होते हैं और इनका अंतरतारकीय माध्यम ("इन्टरस्टॅलर मीडयम") कम घना होता है। इनमें नवजात तारे कम ही मिलते हैं। हमारे इर्द-गिर्द के ब्रह्माण्ड में लगभग १०-१५% आकाशगंगाएँ इस श्रेणी की होती हैं, लेकिन पूरे ब्रह्माण्ड में इनकी प्रतिशत संख्या इस से कम मानी जाती है। .

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अंतरिक्ष विज्ञान

गैलेक्सी के एक भाग को प्रदर्शित करता हुआ एक तस्वीर अंतरिक्ष विज्ञान एक व्यापक शब्द है जो ब्रह्मांड के अध्ययन से जुड़े विभिन्न विज्ञान क्षेत्रों का वर्णन करता है तथा सामान्य तौर पर इसका अर्थ "पृथ्वी के अतिरिक्त" तथा "पृथ्वी के वातावरण से बाहर" भी है। मूलतः, इन सभी क्षेत्रों को खगोल विज्ञान का हिस्सा माना गया था। हालांकि, हाल के वर्षों में खगोल के कुछ क्षेत्रों, जैसे कि खगोल भौतिकी, का इतना विस्तार हुआ है कि अब इन्हें अपनी तरह का एक अलग क्षेत्र माना जाता है। कुल मिला कर आठ श्रेणियाँ हैं, जिनका वर्णन अलग से किया जा सकता है; खगोल भौतिकी, गैलेक्सी विज्ञान, तारकीय विज्ञान, पृथ्वी से असंबंधित ग्रह विज्ञान, अन्य ग्रहों का जीव विज्ञान, एस्ट्रोनॉटिक्स/ अंतरिक्ष यात्रा, अंतरिक्ष औपनिवेशीकरण और अंतरिक्ष रक्षा.

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उत्तरकिरीट तारामंडल

उत्तरकिरीट (कोरोना बोरिऐलिस) तारामंडल आकाश में उत्तरकिरीट के तारों का एक चित्रण उत्तरकिरीट या कोरोना बोरिऐलिस खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने अपनी ४८ तारामंडलों की सूची में इसे शामिल किया था और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। .

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उपग्रह

ERS 2) अन्तरिक्ष उड़ान (spaceflight) के संदर्भ में, उपग्रह एक वस्तु है जिसे मानव (USA 193) .

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छेनी तारामंडल

छेनी तारामंडल छेनी या सीलम (अंग्रेज़ी: Caelum) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वी सदी में फ़्रांसिसी खगोलशास्त्री निकोला लूई द लाकाई (Nicolas Louis de Lacaille) ने की थी। इसका नाम एक तराशने के औज़ार पर रखा गया है जिसे हिंदी में "छेनी", लातिनी में "सीलम" और अंग्रेज़ी में चिज़ल (chisel) कहते हैं। छेनी तारामंडल में ८ तारें हैं जिन्हें बायर नाम दिए जा चुके हैं, जिनमें से अगस्त २०११ तक किसी के भी इर्द-गिर्द कोई ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ नहीं पाया गया था। इस तारामंडल में कोई भी तारा ४ खगोलीय मैग्नीट्यूड से अधिक चमक नहीं रखता। याद रहे कि मैग्नीट्यूड की संख्या जितनी ज़्यादा होती है तारे की रौशनी उतनी ही कम होती है। छेनी तारामंडल का सब से रोशन तारा अल्फ़ा सिलाइ (α Caeli) नाम का एक दोहरा तारा है। इस तारामंडल में एक अन्य तारा गामा सिलाइ (γ Caeli) नामक तारा भी है जिसको शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात होता है के यह वास्तव में एक दोहरे तारे और एक द्वितारे का जोड़ा है (यानि कुल मिलकर चार ज्ञात तारे हैं)। इस तारामंडल में कुछ आकाशगंगाएँ भी हैं लेकिन वे केवल शक्तिशाली दूरबीनों से ही नज़र आती हैं। .

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छोटा मॅजलॅनिक बादल

छोटा मॅजलॅनिक बादल छोटा मॅजलॅनिक बादल (छो॰मॅ॰बा॰) एक बौनी गैलेक्सी है जो हमारी अपनी गैलेक्सी, आकाशगंगा, की उपग्रह है। यह पृथ्वी से क़रीब २००,००० प्रकाश-वर्ष दूर है और इसका व्यास ७,००० प्रकाश-वर्ष है। छो॰मॅ॰बा॰ में कई दसियों करोड़ तारे हैं। तुलना के लिए आकाशगंगा का व्यास १००,००० प्रकाश-वर्ष है और उसमें १-४ खरब तारे हैं। छो॰मॅ॰बा॰ हमारी आसपास की ३० गैलेक्सियों के स्थानीय समूह की सदस्य है और बिना दूरबीन के आँखों से दिख सकने वाली सबसे सुदूर खगोलीय वस्तुओं में इसकी गिनती होती है। .

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G श्रेणी का मुख्य-अनुक्रम तारा

श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है G श्रेणी का मुख्य-अनुक्रम तारा (G-type main-sequence star या G.V), जिसे पीला बौना या G बौना भी कहा जाता है, ऐसे मुख्य अनुक्रम तारे को बोलते हैं जिसकी वर्णक्रम श्रेणी G हो और जिसकी (तापमान और चमक पर आधारित) यर्कीज़ श्रेणी V हो। इन तारों का द्रव्यमान (मास) सूरज के द्रव्यमान का ०.८ से १.२ गुना और इनका सतही तापमान ५,३०० कैल्विन से ६,००० कैल्विन के बीच होता है।, G. M. H. J. Habets and J. R. W. Heintze, Astronomy and Astrophysics Supplement 46 (November 1981), pp.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

Galaxy, तारकपुंज, मंदाकिनी, मंदाकिनी नदी, गैलेक्सियाँ, गैलेक्सियों, गैलेक्सी, आकाश गंगा, आकाशगंगाएँ, आकाशगंगाओं, आकाशगङ्गा

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