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मच्छर

सूची मच्छर

मच्छर मच्छर एक हानिकारक कीट है। यह संसार के प्राय सभी भागो में पाया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के रोंगो के जीवाणुओं को वहन करता है। मच्छर गड्ढ़े, तालाबों, नहरों तथा स्थिर जल के जलाशयों के निकट अंधेरी और नम जगहों पर रहता है। मच्छर एकलिंगी जन्तु हैं यानी नर और मादा मच्छर का शरीर अलग-अलग होते हैं। सिर्फ मादा मच्छर ही मनुष्य या अन्य जन्तुओं के रक्त चूसती है, जबकि नर मच्छर पेड़-पौधों का रस चूसते हैं। .

29 संबंधों: चिकनगुनिया, एडीज, एनोफ़िलीज़, डिप्टेरा, डेंगू बुख़ार, डीडीटी, पशुजन्यरोग, पीत विषाणु, पीतज्वर, मलेरिया, मस्तिष्क ज्वर, यूयू तु, राष्ट्र संघ, रिफ्ट वैली ज्वर, रॉस रिवर बुखार, रोनाल्ड रॉस, सन्धिपाद, जाल, जिका विषाणु, जुमांजी, जुरासिक पार्क (फिल्म), वाल्टर रीड, विष प्रतिकारक, गुलदाउदी, कार्लोस फिनले, क्यूलेक्स, कीट, कीटनाशक प्रतिरोधी मच्छर, अमूर्तन

चिकनगुनिया

चिकनगुनिया लम्बें समय तक चलने वाला जोडों का रोग है जिसमें जोडों मे भारी दर्द होता है। इस रोग का उग्र चरण तो मात्र २ से ५ दिन के लिये चलता है किंतु जोडों का दर्द महीनों या हफ्तों तक तो बना ही रहता है। चिकनगुनिया विषाणु एक अर्बोविषाणु है जिसे अल्फाविषाणु परिवार का माना जाता है। यह मानव में एडिस मच्छर के काटने से प्रवेश करता है। यह विषाणु ठीक उसी लक्षण वाली बीमारी पैदा करता है जिस प्रकार की स्थिति डेंगू रोग मे होती है। .

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एडीज

एडीज मच्छर एडीज, मच्छरो का एक वंश हैं। सभी मच्छरों की तरह ही इसके जीवन चक्र की चार अवस्थाएं हैं: अण्डा, लारवा, प्यूपा एंव व्यस्क.

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एनोफ़िलीज़

एनोफ़िलीज़, मच्छरों का एक वंश हैं। इसमें लगभग 400 जातियां हैं। जिनमें से 30 से 40 जितियां मलेरिया रोग का वहन करती हैं। सभी मच्छरों की तरह ही इसके जीवन चक्र की चार अवस्थाएं हैं: अण्डा, लारवा,प्यूपा एंव व्यस्क.

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डिप्टेरा

सोलह प्रकार की मक्खियों वाला पोस्टर द्विपंखी गण या डिप्टेरा (Diptera) गण के अंतर्गत वे कीट संमिलित हैं जो द्विपक्षीय (दो पंख वाले) हैं। कीट का यह सबसे बृहत् गण है। इसमें लगभग ८० हजार कीट जातियाँ हैं। इसमें मक्खी, पतिंगा, कुटकी (एक छोटा कीड़ा), मच्छर तथा इसी प्रकार के अन्य कीट भी संमिलित हैं। इस समुदाय के अंतर्गत एक ही प्रकार के सूक्ष्म तथा साधारण आकार के कीट होते हैं। ये कीट दिन तथा रात्रि दोनों में उड़ते हैं तथा जल और स्थल दोनों ही स्थान इनके वासस्थान हैं। साधारणत: ये समस्त विश्व में विस्तृत हैं, परंतु गरम देशों में तो इनका ऐसा आधिपत्य है कि प्रति वर्ष सैकड़ों मनुष्यों, तथा अन्य जंतुओं की इनके कारण मृत्यु हो जाती है। .

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डेंगू बुख़ार

डेंगू बुख़ार एक संक्रमण है जो डेंगू वायरस के कारण होता है। समय पर करना बहुत जरुरी होता हैं. मच्छर डेंगू वायरस को संचरित करते (या फैलाते) हैं। डेंगू बुख़ार को "हड्डीतोड़ बुख़ार" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को इतना अधिक दर्द हो सकता है कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों। डेंगू बुख़ार के कुछ लक्षणों में बुखार; सिरदर्द; त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते तथा मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। कुछ लोगों में, डेंगू बुख़ार एक या दो ऐसे रूपों में हो सकता है जो जीवन के लिये खतरा हो सकते हैं। पहला, डेंगू रक्तस्रावी बुख़ार है, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं (रक्त ले जाने वाली नलिकाएं), में रक्तस्राव या रिसाव होता है तथा रक्त प्लेटलेट्स  (जिनके कारण रक्त जमता है) का स्तर कम होता है। दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम है, जिससे खतरनाक रूप से निम्न रक्तचाप होता है। डेंगू वायरस चार भिन्न-भिन्न प्रकारों के होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाये तो आमतौर पर उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है। हलांकि बाकी के तीन प्रकारों से वह कुछ समय के लिये ही सुरक्षित रहता है। यदि उसको इन तीन में से किसी एक प्रकार के वायरस से संक्रमण हो तो उसे गंभीर समस्याएं होने की संभावना काफी अधिक होती है।  लोगों को डेंगू वायरस से बचाने के लिये कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। डेंगू बुख़ार से लोगों को बचाने के लिये कुछ उपाय हैं, जो किये जाने चाहिये। लोग अपने को मच्छरों से बचा सकते हैं तथा उनसे काटे जाने की संख्या को सीमित कर सकते हैं। वैज्ञानिक मच्छरों के पनपने की जगहों को छोटा तथा कम करने को कहते हैं। यदि किसी को डेंगू बुख़ार हो जाय तो वह आमतौर पर अपनी बीमारी के कम या सीमित होने तक पर्याप्त तरल पीकर ठीक हो सकता है। यदि व्यक्ति की स्थिति अधिक गंभीर है तो, उसे अंतः शिरा द्रव्य (सुई या नलिका का उपयोग करते हुये शिराओं में दिया जाने वाला द्रव्य) या रक्त आधान (किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रक्त देना) की जरूरत हो सकती है। 1960 से, काफी लोग डेंगू बुख़ार से पीड़ित हो रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यह बीमारी एक विश्वव्यापी समस्या हो गयी है। यह 110 देशों में आम है। प्रत्येक वर्ष लगभग 50-100 मिलियन लोग डेंगू बुख़ार से पीड़ित होते हैं। वायरस का प्रत्यक्ष उपचार करने के लिये लोग वैक्सीन तथा दवाओं पर काम कर रहे हैं। मच्छरों से मुक्ति पाने के लिये लोग, कई सारे अलग-अलग उपाय भी करते हैं।  डेंगू बुख़ार का पहला वर्णन 1779 में लिखा गया था। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने यह जाना कि बीमारी डेंगू वायरस के कारण होती है तथा यह मच्छरों के माध्यम से संचरित होती (या फैलती) है। .

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डीडीटी

डीडीटी (Dichloro-Diphenyl-Trichloroethane) पहला आधुनिक कीटनाशक था जो मलेरिया के विरूद्ध प्रयोग किया गया था, किंतु बाद में यानि 1950 के बाद इसे कृषि कीटनाशी रूप में प्रयोग करने लगे थे। खेतों में इसके भारी प्रयोग से अनेक क्षेत्रों में मच्छर इसके प्रति प्रतिरोधी हो गए। इसका मुख्य उपयोग मच्छरों, खटमलों,आदि को नियंत्रित करने में किया जाता है। कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिको को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH4) सबसे छोटे अणुसूत्र का हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C2H6), प्रोपेन (C3H8) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात्‌ इनमें हाइड्रोजन की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (.

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पशुजन्यरोग

ज़ूनोसिस या ज़ूनोस कोई भी ऐसा संक्रामक रोग है जो (कुछ उदाहरणों में, एक निश्चित परिमाण द्वारा) गैर मानुषिक जानवरों, घरेलू और जंगली दोनों ही, से मनुष्यों में या मनुष्यों से गैर मानुषिक जानवरों में संक्रमित हो सकता है (मनुष्यों से जानवरों में संक्रमित होने पर इसे रिवर्स ज़ुनिसिस या एन्थ्रोपोनोसिस कहते हैं).

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पीत विषाणु

पीत विषाणु (Flavivirus) फ़्लैविविरिडेई विषाणु परिवार Flaviviridae के विषाणुओं की एक जाति है। इस प्राजाति में पश्चिमी नील विषाणु (''West Nile virus''), डेंगी विषाणु, टिक-बॉर्न मेनिनगो इंसेफ़लाइटिस विषाणु (''tick-borne encephalitis virus''), पीत जवर विषाणु, ज़ीका विषाणु और कई अन्य विषाणु होते हैं जो इंसेफ़लाईटिस, दिमागी बुखार जैसी खतरनाक बीमारियों का कारण बनते हैं। पीत विषाणु का नाम पीलिया या पीत ज्वर के विषाणू के नाम से पडा है जो कि इसी विषाणू परिवार का सदस्य है। पीत का संस्कृत में अर्थ पीला होता है। लैटिन भाषा में फ़्लैवी का अर्थ पीला होता है। इसी नाम से इसका जैविक नाम फ़्लैविवायरस पडा। इसका नाम पीले रंग से इसलिये जुडा हुआ है क्योंकि इसके शिकार पीली जान्डिस से पीडित होते हैं। फ़्लैवीवायरस में कई प्रकार की समानताएँ होती हैं: समान आकार (40–65 नैमी), समरूपता (घिरे हुए, विंशतिफलक न्युक्लियोकैप्सिड), न्यूक्लीक एसिड (पॉजिटिव सेन्स, एकल फँसा हुआ आरएनए लगभग 10,000–11,000 क्षार), और माइक्रोस्कोप में दृष्यता। इनमें से अधिकांश विषाणु संक्रमित संधिपादों (arthropod) जैसे मच्छर इत्यादि के काटने से फैलती हैं। संधिपादों से फ़ैलने के कारण इन विषाणुओं को संधिविषाणु (arboviruses) भी कहते हैं। अर्थ्रोपॉड यूनानी भाषा का शब्द है जो अर्थ्रो (अर्थात संधि या जोड़) और पॉड यानि पैर से मिलकर बना है। अर्बोवायरस का अर्थ है अर्थ्रोपॉड जनित विषाणु जो कि इस परिभाषा के शब्दों के प्रथम अक्षरों से मिलकर बना है। (arthro borne viruses) इस विषाणु से संक्रमण का एक और जरिया है संक्रमित जानवरों व उनकी लाशों को छूना, संक्रमित खून से संपर्क, संक्रमित माँ से नवजात बच्चे को, संक्रमित जानवर के दूध पीने से इत्यादि। हालांकि ये विषाणु मानवों में सबसे ज्यादा संधिपादों के काटने से फैलते हैं। .

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पीतज्वर

पीतज्वर या 'यलो फीवर' (Yellow fever) एक संक्रामक तथा तीव्र रोग हैं, जो सहसा आरंभ होता है। इसमें ज्वर, वमन, मंद नाड़ी, मूत्र में ऐल्वुमेन की उपस्थिति, रक्तस्राव तथा पीलिया के लक्षण होते हैं। इस रोग का कारक एक सूक्ष्म विषाणु होता है, जिसका संवहन ईडीस ईजिप्टिआई (स्टीगोमिया फेसियाटा) जाति के मच्छरों द्वारा होता है। यह रोग कर्क तथा मकर रेखाओं के बीच स्थित अफ्रीका तथा अमरीका के भूभागों में अधिक होता है। .

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मलेरिया

मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह ५१.५ करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा १० से ३० लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लास्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को 'मलेरिया परजीवी' कहते हैं। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि)। इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं, तो कीटनाशक दवा के छिडकाव तथा स्थिर जल (जिस पर मच्छर अण्डे देते हैं) की निकासी से मच्छरों का नियंत्रण किया जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम के लिये यद्यपि टीके/वैक्सीन पर शोध जारी है, लेकिन अभी तक कोई उपलब्ध नहीं हो सका है। मलेरिया से बचने के लिए निरोधक दवाएं लम्बे समय तक लेनी पडती हैं और इतनी महंगी होती हैं कि मलेरिया प्रभावित लोगों की पहुँच से अक्सर बाहर होती है। मलेरिया प्रभावी इलाके के ज्यादातर वयस्क लोगों मे बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है साथ ही उनमें इस के विरूद्ध आंशिक प्रतिरोधक क्षमता भी आ जाती है, किंतु यह प्रतिरोधक क्षमता उस समय कम हो जाती है जब वे ऐसे क्षेत्र मे चले जाते है जो मलेरिया से प्रभावित नहीं हो। यदि वे प्रभावित क्षेत्र मे वापस लौटते हैं तो उन्हे फिर से पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन या आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है यद्यपि दवा प्रतिरोधकता के मामले तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं। .

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मस्तिष्क ज्वर

HSV मस्तिष्कशोथ से ग्रसित किसी रोगी के मस्तिष्क का MRI स्कैन। इसमें टेम्पोरल लोब्स में तथा दाहिने-निचले-सामने-के गाइरस में उच्च सिगनल दिख रहे हैं। मस्तिष्कशोथ या मस्तिष्क ज्वर या इन्सेफ्लाइटिस रोग (Encephalitis) विषाणु के प्रकोप से होता है। इसमें मस्तिष्क में अत्यधिक सूजन आ जाती है। .

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यूयू तु

यूयू तु (जन्म 30 दिसम्बर 1930) एक चीनी चिकित्सा वैज्ञानिक, औषधि रसायनज्ञ और शिक्षक हैं। उन्हें मुख्यतः आर्टिमीसिनिन और डाईहाइड्रोआर्टमिसिनीन (जिसे मलेरिया के इलाज के काम में लिया जाता है) की खोज के लिए जाना जाता है। यह चाइना एकेडेमी ऑफ़ ट्रेडिशनल चाइनीज़ मेडिसिन में प्रोफेसर हैं। इन्हें वर्ष २०१५ का चिकित्सा नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ है।,http://timesofindia.indiatimes.com/world/europe/Nobel-Prize-for-medicine-awarded-to-three-scientists-for-discoveries-that-helped-doctors-fight-malaria-and-infections-caused-by-parasites/articleshow/49227973.cms? .

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राष्ट्र संघ

राष्ट्र संघ (लंदन) पेरिस शांति सम्मेलन के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्ववर्ती के रूप में गठित एक अंतर्शासकीय संगठन था। 28 सितम्बर 1934 से 23 फ़रवरी 1935 तक अपने सबसे बड़े प्रसार के समय इसके सदस्यों की संख्या 58 थी। इसके प्रतिज्ञा-पत्र में जैसा कहा गया है, इसके प्राथमिक लक्ष्यों में सामूहिक सुरक्षा द्वारा युद्ध को रोकना, निःशस्त्रीकरण, तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों का बातचीत एवं मध्यस्थता द्वारा समाधान करना शामिल थे। इस तथा अन्य संबंधित संधियों में शामिल अन्य लक्ष्यों में श्रम दशाएं, मूल निवासियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार, मानव एवं दवाओं का अवैध व्यापार, शस्त्र व्यपार, वैश्विक स्वास्थ्य, युद्धबंदी तथा यूरोप में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा थे। संघ के पीछे कूटनीतिक दर्शन ने पूर्ववर्ती सौ साल के विचारों में एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व किया। चूंकि संघ के पास अपना कोई बल नहीं था, इसलिए इसे अपने किसी संकल्प का प्रवर्तन करने, संघ द्वारा आदेशित आर्थिक प्रतिबंध लगाने या आवश्यकता पड़ने पर संघ के उपयोग के लिए सेना प्रदान करने के लिए महाशक्तियों पर निर्भर रहना पड़ता था। हालांकि, वे अक्सर ऐसा करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। प्रतिबंधों से संघ के सदस्यों को हानि हो सकती थी, अतः वे उनका पालन करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। जब द्वित्तीय इटली-अबीसीनिया युद्ध के दौरान संघ ने इटली के सैनिकों पर रेडक्रॉस के मेडिकल तंबू को लक्ष्य बनाने का आरोप लगाया था, तो बेनिटो मुसोलिनी ने पलट कर जवाब दिया था कि “संघ तभी तक अच्छा है जब गोरैया चिल्लाती हैं, लेकिन जब चीलें झगड़ती हैं तो संघ बिलकुल भी अच्छा नहीं है”.

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रिफ्ट वैली ज्वर

रिफ्ट वैली ज्वर (RVF) एक विषाणुजनित रोग रोग है जो हल्के से लेकर गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है। --> हल्के लक्षणों में शामिल हैं: बुखार, मांसपेशियों में दर्द, और सिरदर्द जो एक हफ्ते तक बने रह सकते हैं। लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: संक्रमण के होने के तीन हफ्तो के बाद देखने की क्षमता में कमी,मस्तिष्क का संक्रमण गंभीर सिरदर्द और भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है, पहले कुछ दिनों में लीवर की समस्याओं के साथ रक्तस्राव हो सकता है। --> जिनमें रक्तस्राव होता है उनमें मृत्यु की संभावनाएं 50% तक हो सकती हैं। .

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रॉस रिवर बुखार

रॉस रिवर बुखार (आर आर ऍफ़) वायरस है जो एक मच्छर जनित रिवर रॉस के साथ संक्रामक रोग के संक्रमण के कारण होता है। पोलीआर्थ्रआटीस बीमारी है और एक इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी आम तौर पर विशेषता के द्वारा जानी जाती है। स्थानिक रूपसे यह वायरस ऑस्ट्रेलिया पापुआ न्यू गिनी, फिजी, समोआ, कुक द्वीपसमूह, न्यू कैलेडोनिया और दक्षिण प्रशांत में कई अन्य द्वीपों में पाया जाता है .

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रोनाल्ड रॉस

रोनाल्ड रॉस (13 मई 1857 - 16 सितंबर 1932) एक ब्रिटिश नोबेल पुरस्कार विजेता थे। उनका जन्म भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमांऊँ के अल्मोड़ा जिले के एक गॉंव में हुआ था। उन्हें चिकित्सा तथा मलेरिया के परजीवी प्लास्मोडियम के जीवन चक्र के अन्वेषण के लिये सन् 1902 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। .

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सन्धिपाद

आर्थ्रोपोडा संघ के प्राणी सन्धिपाद (अर्थोपोडा) प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। पृथ्वी पर सन्धिपाद की लगभग दो तिहाई जातियाँ हैं, इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। इनका शरीर सिर, वक्ष और उदर में बँटा रहता है। शरीर के चारों ओर एक खोल जैसी रचना मिलती है। प्रायः सभी खंडों के पार्श्व की ओर एक संधियुक्त शाखांग होते हैं। सिर पर दो संयुक्त नेत्र होते हैं। ये जन्तु एकलिंगी होते हैं और जल तथा स्थल दोनों स्थानों पर मिलते हैं। तिलचट्टा, मच्छर, मक्खी, गोजर, झिंगा, केकड़ा आदि इस संघ के प्रमुख जन्तु हैं। .

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जाल

The fisherfolks at Chinese Fishing Nets अधिक विकल्पों के लिए यहां जाएं - जाल (बहुविकल्पी) जाल या ताना रस्सियों सूतो या रेशों का व्यूह होता है जिसके पार मछली, मच्छर इत्यादि नहीं जा सकते हैं। श्रेणी:उपादान en:Net.

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जिका विषाणु

जिका विषाणु फ्लाविविरिडए विषाणु परिवार से है। जो दिन के समय सक्रिय रहते हैं। इन्सानों में यह मामूली बीमारी के रूप में जाना जाता है, जिसे जिका बुखार, जिका या जिका बीमारी कहते हैं। 1947 के दशक से इस बीमारी का पता चला। यह अफ्रीका से एशिया तक फैला हुआ है। यह 2014 में प्रशांत महासागर से फ्रेंच पॉलीनेशिया तक और उसके बाद 2015 में यह मेक्सिको, मध्य अमेरिका तक भी पहुँच गया। .

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जुमांजी

जुमांजी (अंग्रेज़ी: Jumanji) १९९५ में जारी की गई अमेरिकी फंतासी फ़िल्म है जिसमें साहसिक कार्य प्रदर्शित किये गये हैं। यह फ़िल्म एक अलौकिक बोर्ड खेल के बारे है जिसमें जंगली जानवर बनते हैं और खिलाड़ी को अन्य जंगली खतरों से सावधान रहना होता है। इसका निर्देशन जौ जॉनसन ने किया है और यह फ़िल्म इसी नाम से १९८१ में क्रिस वैन ऑल्सबर्ग द्वारा प्रकाशित चित्र पुस्तक पर आधारित है। फ़िल्म में विशेष प्रभाव इंड्रस्ट्रियल लाइट एंड मैज़िक के संगणकीय ग्राफीक्स और एनिमेट्रॉनिक्स द्वारा सम्मलित गतिशीलता से बनाये गये हैं। .

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जुरासिक पार्क (फिल्म)

जुरासिक पार्क स्‍टीवेन स्‍पीलबर्ग द्वारा 1993 में निर्देशित अमेरीका की विज्ञान-फंतासी, रोमांचक फिल्‍म है और यह माइकल क्रिस्‍टन द्वारा लिखित इसी नाम के उपन्‍यास पर आधारित है। इसमें सैम नील, लॉरा डेर्न, जेफ गोल्‍डब्‍लम और रिचर्ड एटनबर्ग जैसे सितारे हैं। यह फिल्‍म मध्‍य अमेरिकी प्रशांत तट में कोस्‍टा रिका के निकट परिकल्‍पनात्‍मक इस्‍ला न्‍युबुलर पर केंद्रित है, जहां एक एक अरबपति परोपकारी व्‍यक्ति और आनुवंशिकी संबंधी वैज्ञानिकों की एक लघु टीम ने क्‍लोन किए गए डायनासोरों के मनोरंजन उद्यान को निर्मित किया है। क्रिस्‍टन की किताब के प्रकाशित होने के पूर्व, वार्नर ब्रदर्स, कोलंबिया ट्रिस्‍टार, 20 सेंचुरी फॉक्‍स और यूनिवर्सल जैसे स्‍टूडियो ने पहले से ही फिल्‍म के अधिकारों को प्राप्‍त करने के लिए बोली लगाना प्रारंभ कर दिया था। यूनिवर्सल स्‍टूडियोज के समर्थन के साथ, स्‍पिलबर्ग ने 1990 में प्रकाशन से पहले अधिकारों को ग्रहण किया और क्रिस्‍टन को अतिरिक्‍त 500,000 डॉलर पर उपन्‍यास को फिल्‍मांकन के लिए रूपांतरित करने हेतु बहाल किया गया। डेविड कोप ने अंतिम प्रारूप लिखा जिसने उपन्‍यास के अधिकांश विवरण और हिंसा को छोड़ दिया गया था और पात्रों के सम्बन्ध में भी काफी बदलाव किये गए थे। जुरासिक पार्क को कंप्‍यूटर-उत्‍पादित काल्पनिक चित्रों के उपयोग में मील के पत्‍थर के रूप में माना जाता है और इसने आलोचकों से अत्‍यंत सकारात्मक समीक्षाओ को प्राप्‍त किया। फिल्‍म के रिलीज होने के दौरान, इसने विश्‍व स्‍तर पर $914 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की और उस समय तक रिलीज की गई फिल्मों की में सर्वाधिक सफल फिल्‍म बन गई (इसने ई.टी. द एक्‍सट्रा – टेरेस्‍ट्रियल को पीछे छोड़ दिया और 4 साल बाद टाइटेनिक ने इसे पछाड़ दिया) और यह वर्तमान में 16 वीं सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्म (मुद्रास्‍फीति को ध्‍यान में रखते हुए, यह उत्तरी अमेरिका में 18वीं सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्‍म है) फीचर फिल्‍म है। यह एनबीसीयूनिवर्सल और स्‍टीवन स्‍पीलबर्ग के लिए यह आर्थिक रूप से सर्वाधिक सफल फिल्‍म रही है। इसने सर्वश्रेष्‍ठ ध्‍वनि मिश्रण, सर्वश्रेष्‍ठ ध्‍वनि संपादन और सर्वश्रेष्‍ठ विजुअल प्रभावों के लिए एकेडमी पुरस्‍कारों को जीता। .

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वाल्टर रीड

वाल्टर रीड वाल्टर रीड (3 सितम्बर 1851 - 23 नवम्बर 1902), संयुक्त राज्य अमेरिका के सेना में एक चिकित्सक थें। इन्होने 1900 में गठित किये गये उस प्रसिद्ध सदस्य दल का नेतृत्व किया था जिसने क्युबाई चिकित्सक कार्लोस फिनले के दावे की जांच की थी। क्युबाई चिकित्सक कार्लोस फिनले ने पीत ज्वर का इलाज करते हुए पहली बार यह दावा किया कि मच्छर पीतज्वर को एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य तक फैलाते हैं। श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन श्रेणी:चिकित्सक श्रेणी:वैज्ञानिक.

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विष प्रतिकारक

विष कष्टकारक और घातक होते हैं। इनके प्रभाव के निराकरण के लिए कुछ औषधियाँ और उपचार प्रयुक्त होते हैं। इन्हें विषप्रतिकारक (Antidote) कहते हैं। विष के खाने के अनेक कारण हो सकते हैं। कुछ लोग आत्महत्या के लिए विष खाते हैं। कुछ लोग दूसरे का धनमाल हड़पने के लिए विष खिलाकर बेहोश कर, धनमाल लेकर चंपत हो जाना चाहते हैं। ऐसी बातें रेलयात्रियों के संबंध में बहुधा सुनी जाती हैं। कुछ लोग अनजान में विष खा लेते हैं और उसके अहितकर प्रभाव का शिकार बनते हैं। विषों के लाभकारी उपयोग भी हैं। कष्टकारक कीड़ों मकोड़ों, जैसे मच्छर और खटमल और रोगोत्पादक जंतुओं, जैसे चूहों आदि, के नाश करने में विषों का प्रयोग होता है। .

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गुलदाउदी

गुलदाउदी (Chrysanthemum) एक बारहमासी सजावटी फूलों का पौधा है। इसकी लगभग 30 प्रजातियों पाई जाती हैं। मुख्यतः यह एशिया और पूर्वोत्तर यूरोप मे पाया जाता है। ग्रीक भाषा के (Anemone) अनुसार क्राइसैंथिमम शब्द का अर्थ स्वर्णपुष्प है। इस जाति का पुष्प छोटा तथा सम्मित एनीमोन सदृश होता है। बेंथैम तथा हूकर (Bentham and Hooker, 1862-93) के वनस्पति-विभाजन-क्रम के आधार पर गुलदाऊउदी का स्थान नीचे दिए हुए क्रम के अनुसार निर्धारित होता है: वर्ग द्विदलीय (Dicotyledon) गैमोपेटैली (Gamopetalae) श्रेणी इनफेरी (Inferae) आर्डर ऐस्टरेलीज़ (Asterales) कुल कॉम्पॉज़िटी (Compositae) जीनस क्राइसैंथिमम .

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कार्लोस फिनले

कार्लोस फिनले कार्लोस फिनले (3 दिसम्बर 1833 - 20 अगस्त 1915), क्यूबा के एक चिकित्सक तथा वैज्ञानिक थे। इन्होंने मच्छर को पीतज्वर के वाहक के रूप में चिन्हित किया, जिसके कारण इन्होंने ख्याति प्राप्त किया। 1902 से 1909 तक ये क्यूबा के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी रहें। .

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क्यूलेक्स

क्यूलेक्स क्यूलेक्स, मच्छरो का एक वंश हैं। सभी मच्छरों की तरह ही इसके जीवन चक्र की चार अवस्थाएं हैं: अण्डा, लारवा, प्यूपा एंव व्यस्क.

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कीट

एक टिड्डा कीट अर्थोपोडा संघ का एक प्रमुख वर्ग है। इसके 10 लाख से अधिक जातियों का नामकरण हो चुका है। पृथ्वी पर पाये जाने वाले सजीवों में आधे से अधिक कीट हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि कीट वर्ग के 3 करोड़ प्राणी ऐसे हैं जिनको चिन्हित ही नहीं किया गया है अतः इस ग्रह पर जीवन के विभिन्न रूपों में कीट वर्ग का योगदान 90% है। ये पृथ्वी पर सभी वातावरणों में पाए जाते हैं। सिर्फ समुद्रों में इनकी संख्या कुछ कम है। आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण कीट हैं: एपिस (मधुमक्खी) व बांबिक्स (रेशम कीट), लैसिफर (लाख कीट); रोग वाहक कीट, एनाफलीज, क्यूलेक्स तथा एडीज (मच्छर); यूथपीड़क टिड्डी (लोकस्टा); तथा जीवीत जीवाश्म लिमूलस (राज कर्कट किंग क्रेब) आदि। .

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कीटनाशक प्रतिरोधी मच्छर

कोई विवरण नहीं।

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अमूर्तन

अमूर्तन (abstraction) अवधारणाओं की वह प्रक्रिया होती है इसमें कुछ उदाहरणों के प्रयोग और श्रेणीकरण, प्राथमिक ज्ञान के व्याख्यान और अन्य प्रणालियों से कोई सामान्य नियम या अवधारणा की परिभाषा हो। अमूर्तन के बाद, सभी उदाहरण उस अमूर्त नियम या अवधारणा द्वारा स्थापित करी गई परिभाषा के अधीन आते हैं। मसलन बैलगाड़ी, बस, साइकिल और मोटर-गाड़ी एक-दूसरे से बहुत भिन्न हैं, लेकिन इनसे एक "वाहन" नामक अमूर्त अवधारणा निकाली जा सकती है और फिर यह सभी वाहन के अलग-अलग उदाहरण समझे जा सकते हैं। इसी तरह चींटी, मच्छर और झींगुर तीन बहुत भिन्न प्राणी हैं लेकिन अपने आकार, टांगो की संख्या और अन्य सामानताओं के आधार पर यह सभी "कीट" नामक अमूर्त श्रेणी में डाले जा सकते हैं। एक अन्य मिसाल चोरी, हत्या और अपहरण की है - यह तीन बहुत भिन्न चीज़ें हैं लेकिन न्याय-व्यवस्था में अमूर्तन द्वारा इन्हें "अपराध" नामक अवधारणा में डाला जाता है।Suzanne K. Langer (1953), Feeling and Form: a theory of art developed from Philosophy in a New Key p. 90: "Sculptural form is a powerful abstraction from actual objects and the three-dimensional space which we construe...

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