लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

मंगोल भाषा

सूची मंगोल भाषा

मंगोल भाषा बोलने वाले क्षेत्र मंगोल भाषा अलताइक भाषाकुल की तथा योगात्मक बनावट की भाषा है। यह मुख्यत: अनतंत्र मंगोल, भीतरी मंगोल के स्वतंत्र प्रदेश, बुरयात (Buriyad) मंगोल राज्य में बोली जाती है। इन क्षेत्रों के अरिरिक्त इसके बोलनेवाले मंचूरिया, चीन के कुछ क्षेत्र और तिब्बत तथा अफगानिस्तान आदि में भी पाए जाते हैं। अनुमान है कि इन सब क्षेत्रों में मंगोल भाषा बोलनेवालों की संख्या कोई 40 लाख होगी। इन विशाल क्षेत्रों में रहनेवाले मंगोल जाति के सब लोगों के द्वारा स्वीकृत कोई एक आदर्श भाषा नहीं है। परंतु तथाकथित मंगोलिया के अंदर जनतंत्र मंगोल की हलहा (Khalkha) बोली धीरे-धीरे आदर्श भाषा का पद ग्रहण कर रही है। स्वयं मंगोलिया के लोग भी इस हलहा बोली को परिष्कृत बोली मानते हैं और इसी बोली के निकट भविष्य में आदर्श भाषा बनने की संभावना है। प्राचीन काल में मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक मंगोल पढ़े-लिखे लोगों में आदर्श भाषा मानी जाती थी। परंतु अब यह मंगोल लिपि जनतंत्र मंगोलिया द्वारा त्याग दी गई है और इसकी जगह रूसी लिपि से बनाई गई नई मंगोल लिपि स्वीकार की गई है। इस प्रकार अब मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक भाषा कम और नव मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली हलहा बोली अधिक मान्य समझी जाने लगी है। .

123 संबंधों: चाय, चाइना रेडियो इण्टरनैशनल, चिंग राजवंश, चिंगहई, चिंगहई झील, चग़ताई ख़ान, चग़ताई ख़ानत, चंगेज़ ख़ान, चोइबल्सान (शहर), एरदेनेत, एवेंक लोग, तमग़ा, तामिर नदी, तिब्बती रामचकोर, तियाँ शान, तुमेन, तुलाबुग़ा, तुंगुसी भाषा-परिवार, तूमन, तूमन चानयू, तूमन नदी, तूल नदी, तूवा, तूवी भाषा, तेन्ग्री, तेन्ग्री धर्म, तोमान (ईरानी मुद्रा), तोलुइ ख़ान, तोव प्रांत, दरख़ान (शहर), दरख़ान-ऊल प्रांत, दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन के सदस्य राष्ट्र, दुन्दगोवी प्रांत, देशी भाषाओं में देशों और राजधानियों की सूची, दोरनोद प्रांत, दोरनोगोवी प्रांत, नम त्सो, नायमन लोग, नारीन, नोगाई ख़ान, प्रांत, बयान-ओलगी प्रांत, बयानख़ोंगोर प्रांत, बातु ख़ान, बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग, बालासगून, बुरख़ान ख़लदुन, बुल्गन प्रांत, ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ, बोरते, ..., बोगदा पर्वत शृंखला, भाषा सम्पर्क, भाषा संस्थानों की सूची, महाव्युत्पत्ति, मांचु भाषा, मंगोल भाषा-परिवार, मंगोल लिपि, मंगोल साम्राज्य, मंगोलिया, मंगोलिया का राष्ट्रगान, मंगोलिया की संस्कृति, मंगोलों का गुप्त इतिहास, मोदू चानयू, मोरोन (शहर), मोंगके ख़ान, युर्त, युआन राजवंश, रघु वीर, सायन पर्वत शृंखला, सिंह (पशु), सुनहरा उर्दू, सुम (ज़िला), सुख़बातर प्रांत, सेलेन्गा नदी, सेलेंगे प्रांत, सोरग़ोग़तानी बेकी, सीरिलिक लिपि, हलाकु ख़ान, हज़ारगी भाषा, हेइलोंगजियांग, ज़वख़ान प्रांत, ज़ुन्गार लोग, जू-जान ख़ागानत, जोची ख़ान, वज्रयान, ख़ान (उपाधि), ख़ानगई पर्वत, ख़ागान, ख़ितानी भाषा, ख़ितानी लोग, ख़ेन्ती प्रांत, ख़ोव्द (शहर), ख़ोव्द प्रांत, ख़ोव्स्गोल प्रांत, गुयुक ख़ान, गूगल खोज, गूगल अनुवाद, गोलमुद, गोवी-अल्ताई प्रांत, गोवीसुम्बेर प्रांत, ओम्नोगोवी प्रांत, ओरख़ोन नदी, ओरख़ोन प्रान्त, ओवोरख़ानगई प्रांत, ओगताई ख़ान, ओइरत भाषा, ओइरत लोग, आरिक़ बोके, इलख़ानी साम्राज्य, कारा-ख़ितान ख़ानत, कज़ाख़ लोग, कुनलुन पर्वत, कुबलई ख़ान, कोंगुर ताग़, अरख़ानगई प्रांत, अर्गुन नदी, अइमाक़ लोग, अइमग, उत्तरी युआन राजवंश, उलानगोम, उज़्बेकिस्तान के प्रांत, उईग़ुर ख़ागानत, उव्स प्रांत सूचकांक विस्तार (73 अधिक) »

चाय

चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है।भारतीय.

नई!!: मंगोल भाषा और चाय · और देखें »

चाइना रेडियो इण्टरनैशनल

चाइना रेडियो इण्टरनैशनल (सी॰आर॰आई या सीआरआई) (चीनी: 中国国际广播电台), जिसका पुराना नाम रेडियो पेकिंग है, की स्थापना ३ दिसम्बर, १९४१ को हुई थी। चीन के एक मात्र अन्तर्राष्ट्रीय रेडियो के रूप में सीआरआई की स्थापना चीन व दुनिया के अन्य देशों की जनता के बीच मैत्री व पारस्परिक समझ बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। अपनी स्थापना के आरम्भिक दिनों में सीआरआई, जापानी भाषा में प्रतिदिन १५ मिनटों का कार्यक्रम प्रसारित करता था। पर आज ७० वर्षों के बाद यह ५७ विदेशी भाषाओं व चीनी मानक भाषा व ४ बोलियों में दुनिया भर में प्रतिदिन २११ घण्टों की प्रसारण सेवा प्रदान करता है। इसके कार्यक्रमों में समाचार, सामयिक टिप्पणी के साथ साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक व तकनीकी विषय सम्मिलित हैं। १९८४ से सीआरआई की घरेलू सेवा भी प्रारम्भ हुई। तब से सीआरआई अपने एफ़एम ८८.७ चैनल पर प्रति दिन ६ बजे से रात १२ बजे तक ९ भाषाओं में संगीत कार्यक्रम प्रसारित करता रहा है। और इस दौरान इसके एफफेम ९१.५ चैनल तथा एमडब्लू १२५१ किलोहर्ट्ज़ फ़्रीक्वेंसी पर अंग्रेज़ी भाषा के कार्यक्रम भी होते हैं। विदेशों में सीआरआई के २७ ब्यूरो खुले हैं और चीन के सभी प्रान्तों तथा हांगकांग व मकाउ समेत सभी बड़े नगरों में इसके कार्यालय काम कर रहे हैं। १९८७ से अब तक सीआरआई ने दुनिया के दस से अधिक रेडियो स्टेशनों के साथ सहयोग समझौता सम्पन्न किया है। इसके अतिरिक्त सीआरआई का बहुत से रेडियो व टीवी स्टेशनों के साथ कार्यक्रमों के आदान-प्रदान या अन्य सहयोग के लिये घनिष्ट सम्बन्ध भी हैं। सीआरआई को प्रतिवर्ष विभिन्न देशों के श्रोताओं से लाखों चिट्ठियां प्राप्त होती हैं। विदेशी लोगों में सीआरआई, चीन की जानकारी पाने का सब से सुगम और सुविधाजनक माध्यम होने के कारण भी प्रसिद्ध है। १९९८ में सीआरआई का आधिकारिक जालस्थल भी खोला गया। आज वह चीन के पांच मुख्य सरकारी प्रेस जालस्थलों सम्मिलित है। सीआरआई के अपने समाचारपत्र व टीवी कार्यक्रम भी हैं। .

नई!!: मंगोल भाषा और चाइना रेडियो इण्टरनैशनल · और देखें »

चिंग राजवंश

अपने चरम पर चिंग राजवंश का साम्राज्य कांगशी सम्राट, जो चिंग राजवंश का चौथा सम्राट था चिंग राजवंश (चीनी: 大清帝國, दा चिंग दिगुओ, अर्थ: महान चिंग; अंग्रेज़ी: Qing dynasty, चिंग डायनॅस्टी) चीन का आख़री राजवंश था, जिसनें चीन पर सन् १६४४ से १९१२ तक राज किया। चिंग वंश के राजा वास्तव में चीनी नस्ल के नहीं थे, बल्कि उनसे बिलकुल भिन्न मान्छु जाति के थे जिन्होंने इस से पहले आये मिंग राजवंश को सत्ता से निकालकर चीन के सिंहासन पर क़ब्ज़ा कर लिया। चिंग चीन का आख़री राजवंश था और इसके बाद चीन गणतांत्रिक प्रणाली की ओर चला गया।, William T. Rowe, Harvard University Press, 2009, ISBN 978-0-674-03612-3 .

नई!!: मंगोल भाषा और चिंग राजवंश · और देखें »

चिंगहई

चिंगहई (चीनी: 青海; अंग्रेजी: Qinghai, मंगोल: Көкнуур, कोक नूर; तिब्बती: མཚོ་སྔོན་) जनवादी गणराज्य चीन के पश्चिमी भाग में स्थित एक प्रांत है। इसकी राजधानी शिनिंग शहर है। यह प्रांत अधिकतर तिब्बत के पठार पर स्थित है और परंपरागत रूप से तिब्बती लोग इसके अधिकतर भाग को तिब्बत का एक क्षेत्र समझते हैं जिसका तिब्बती नाम 'आमदो' है। इस प्रान्त का नाम चिंगहई झील पर पड़ा है। ऐतिहासिक रूप से यह इलाक़ा चीन का भाग नहीं था बल्कि इसपर कई जातियों में खींचातानी चलती थी, जिनमें तिबाती, हान चीनी, मंगोल और तुर्की लोग शामिल थे। चीन की एक महत्वपूर्ण नदी ह्वांग हो (उर्फ़ 'पीली नदी') इसी प्रान्त के दक्षिणी भाग में जन्म लेती है जबकि यांग्त्से नदी और मिकोंग नदी इसके दक्षिण-पश्चिमी भाग में जन्मती हैं।, Shelley Jiang, Shelley Cheung, Macmillan, 2004, ISBN 978-0-312-32005-8,...

नई!!: मंगोल भाषा और चिंगहई · और देखें »

चिंगहई झील

अंतरिक्ष से कोको नूर (उर्फ़ चिंगहई झील) झील पर एक परिंदों वाला द्वीप चिंगहई झील (चीनी भाषा: 青海湖, Qinghai), कोको नूर या कूकूनोर (मंगोल: Кукунор, Koko Nur) चीन के चिंगहई प्रान्त में स्थित एक खारे पानी की झील है जो चीन की सबसे बड़ी झील भी है। मंगोल भाषा में 'कोको नूर' का मतलब 'नीली झील' होता है और चीनी भाषा में 'चिंग हई' का अर्थ भी यही है, हालांकि इस झील का मूल नाम मंगोल-भाषा वाला ही था। चिंगहई झील चिंगहई की राजधानी शिनिंग से १०० किमी पश्चिम में तिब्बत के पठार पर ३,२०५ मीटर (१०,५१५ फ़ुट) की ऊँचाई पर एक द्रोणी में स्थित है। तिब्बती लोग इस क्षेत्र को आमदो (ཨ༌མདོ, Amdo) बुलाते हैं।, Ying Liu, China Intercontinental Press, 2007, ISBN 978-7-5085-1104-7,...

नई!!: मंगोल भाषा और चिंगहई झील · और देखें »

चग़ताई ख़ान

मंगोलिया में चग़ताई ख़ान का बुत, जो चंगेज़ ख़ान और बोरते का दूसरा पुत्र था चग़ताई ख़ान (मंगोल: Цагадай, त्सगदाई; फ़ारसी:, चग़ताई, अंग्रेजी: Chagtai;; जन्म: ११८३ ई अनुमानित; देहांत: १२४२ या १२४३ ई) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान और उसकी मुख्य पत्नी बोरते का दूसरा पुत्र था। उसने अपने पिता के मध्य एशिया को मंगोल साम्राज्य के अधीन करने के अभियान में बहुत हिस्सा लिया। उसे एक क़ाबिल और सहासी सिपहसालार माना जाता है।, Leo de Hartog, Tauris Parke Paperbacks, 2004, ISBN 978-1-86064-972-1,...

नई!!: मंगोल भाषा और चग़ताई ख़ान · और देखें »

चग़ताई ख़ानत

१३वीं सदी में चग़ताई ख़ानत और उसके पड़ोसी चग़ताई ख़ानत (मंगोल: Цагадайн улс, त्सगदाई उल्स; अंग्रेज़ी: Chagatai Khanate) एक तुर्की-मंगोल ख़ानत थी जिसमें मध्य एशिया के वे क्षेत्र शामिल थे जिनपर चंगेज़ ख़ान के दूसरे बेटे चग़ताई ख़ान का और उसके वंशजों का राज था। आरम्भ में यह ख़ानत मंगोल साम्राज्य का हिस्सा मानी जाती थी लेकिन आगे चलकर पूरी तरह स्वतन्त्र हो गई। अपने चरम पर यह अरल सागर से दक्षिण में आमू दरिया से लेकर आधुनिक चीन और मंगोलिया की सरहद पर अल्ताई पर्वतों तक विस्तृत थी। यह सन् १२२५ से लेकर किसी-न-किसी रूप में १६८७ तक चली। इस ख़ानत के चग़ताई शासक कभी तो तैमूरी राजवंश से मित्रता करते थे और कभी उनसे लड़ते थे। १७वीं सदी में जाकर उइग़ुर नेता आफ़ाक़ ख़ोजा और उनके वंशजों ने पूरे चग़ताई इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर के इस ख़ानत को समाप्त कर दिया।, Aisha Khan, The Rosen Publishing Group, 2003, ISBN 978-0-8239-3868-1,...

नई!!: मंगोल भाषा और चग़ताई ख़ानत · और देखें »

चंगेज़ ख़ान

चंगेज़ खान १२२७ में चंगेज खान का साम्राज्य चंगेज खान का मंदिर चंगेज़ ख़ान (मंगोलियाई: Чингис Хаан, चिंगिस खान, सन् 1162 – 18 अगस्त, 1227) एक मंगोल ख़ान (शासक) था जिसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई। वह अपनी संगठन शक्ति, बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए प्रसिद्ध हुआ। इससे पहले किसी भी यायावर जाति (यायावर जाति के लोग भेड़ बकरियां पालते जिन्हें गड़रिया कहा जाता है।) के व्यक्ति ने इतनी विजय यात्रा नहीं की थी। वह पूर्वोत्तर एशिया के कई घुमंतू जनजातियों को एकजुट करके सत्ता में आया। साम्राज्य की स्थापना के बाद और "चंगेज खान" की घोषणा करने के बाद, मंगोल आक्रमणों को शुरू किया गया, जिसने अधिकांश यूरेशिया पर विजय प्राप्त की। अपने जीवनकाल में शुरू किए गए अभियान क़रा खितई, काकेशस और ख्वारज़्मियान, पश्चिमी ज़िया और जीन राजवंशों के खिलाफ, शामिल हैं। मंगोल साम्राज्य ने मध्य एशिया और चीन के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर कब्जा कर लिया। चंगेज खान की मृत्यु से पहले, उसने ओगदेई खान को अपन उत्तराधिकारी बनाया और अपने बेटों और पोते के बीच अपने साम्राज्य को खानतों में बांट दिया। पश्चिमी जिया को हराने के बाद 1227 में उसका निधन हो गया। वह मंगोलिया में किसी न किसी कब्र में दफनाया गया था।उसके वंशजो ने आधुनिक युग में चीन, कोरिया, काकेशस, मध्य एशिया, और पूर्वी यूरोप और दक्षिण पश्चिम एशिया के महत्वपूर्ण हिस्से में विजय प्राप्त करने वाले राज्यों को जीतने या बनाने के लिए अधिकांश यूरेशिया में मंगोल साम्राज्य का विस्तार किया। इन आक्रमणों में से कई स्थानों पर स्थानीय आबादी के बड़े पैमाने पर लगातार हत्यायेँ की। नतीजतन, चंगेज खान और उसके साम्राज्य का स्थानीय इतिहास में एक भयावय प्रतिष्ठा है। अपनी सैन्य उपलब्धियों से परे, चंगेज खान ने मंगोल साम्राज्य को अन्य तरीकों से भी उन्नत किया। उसने मंगोल साम्राज्य की लेखन प्रणाली के रूप में उईघुर लिपि को अपनाने की घोषणा की। उसने मंगोल साम्राज्य में धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहित किया, और पूर्वोत्तर एशिया की अन्य जनजातियों को एकजुट किया। वर्तमान मंगोलियाई लोग उसे मंगोलिया के 'संस्थापक पिता' के रूप में जानते हैं। यद्यपि अपने अभियानों की क्रूरता के लिए चंगेज़ खान को जाना जाता है और कई लोगों द्वारा एक नरसंहार शासक होने के लिए माना जाता है परंतु चंगेज खान को सिल्क रोड को एक एकत्रीय राजनीतिक वातावरण के रूप में लाने का श्रेय दिया जाता रहा है। यह रेशम मार्ग पूर्वोत्तर एशिया से मुस्लिम दक्षिण पश्चिम एशिया और ईसाई यूरोप में संचार और व्यापार लायी, इस तरह सभी तीन सांस्कृतिक क्षेत्रों के क्षितिज का विस्तार हुआ। .

नई!!: मंगोल भाषा और चंगेज़ ख़ान · और देखें »

चोइबल्सान (शहर)

चोइबल्सान (मंगोलियाई भाषा: Чойбалсан) मंगोलिया का शहर है। यह दोरनोद प्रांत की राजधानी है। .

नई!!: मंगोल भाषा और चोइबल्सान (शहर) · और देखें »

एरदेनेत

एरदेनेत (मंगोल: Эрдэнэт, अंग्रेज़ी: Erdenet) मंगोलिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और उस देश के ओरख़ोन प्रान्त की राजधानी है। प्रशासनिक दृष्टि से यह मंगोलिया में एक सुम (ज़िले) का दर्जा रखता है और इसका औपचारिक नाम 'बयन ओएनदोर' (Баян-Өндөр, Bayan-Öndör) है। एरदेनेत नगर देश के उत्तरी भाग में सेलेन्गा नदी और ओरख़ोन नदी के बीच की घाटी में बसा हुआ है, और राष्ट्रीय राजधानी उलान बतोर से २४१ किमी पश्चिमोत्तर में स्थित है। .

नई!!: मंगोल भाषा और एरदेनेत · और देखें »

एवेंक लोग

सन् १९०० के आसपास साइबेरिया में खींची गई कुछ एवेंकियों की तस्वीर एक पारम्परिक एवेंक ओझा (जो पुजारी और हक़ीम दोनों का स्थान रखता था) की पोशाक एवेंक लोग (रूसी: Эвенки, एवेंकी; मंगोल: Хамниган, ख़ामनिगन; अंग्रेजी: Evenk) पूर्वोत्तरी एशिया के साइबेरिया, मंचूरिया और मंगोलिया क्षेत्रों में बसने वाली एक तुन्गुसी जाति का नाम है। रूस के साइबेरिया इलाक़े में सन् २००२ में ३५,५२७ एवेंकी थे और यह औपचारिक रूप से 'उत्तरी रूस की मूल जनजाति' की सूची में शामिल थे।, José Antonio Flores Farfán, Fernando F. Ramallo, John Benjamins Publishing Company, 2010, ISBN 978-90-272-0281-9,...

नई!!: मंगोल भाषा और एवेंक लोग · और देखें »

तमग़ा

तातारों का पारम्परिक तमग़ा भारत के कुषाण सम्राट कनिष्क का तमग़ा तमग़ा (मंगोल: Тамга, अंग्रेजी: Tamgha) मध्य एशिया, मंगोलिया और उसके आसपास के इलाक़ों में बसने वाले प्राचीन ख़ानाबदोश क़बीलों की संस्कृति में विशेष मोहरों और चिह्नों को कहा जाता था। यही शब्द इन लोगों से सम्पर्क रखने वाली बहुत सी अन्य संस्कृतियों में प्रवेश कर गया, जिनमें भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, तुर्की और कुछ अन्य देश शामिल हैं। हिन्दी में 'तमग़ा' शब्द का मतलब प्रमाण के रूप में दिए जाने वाले किसी भी विशेष चिह्न के लिए प्रयोग होता है, मसलन खेल में जीतने पर प्रमाण के रूप में मिलने वाले पदक (मेडल) को अक्सर 'तमग़ा' कहा जाता है। पारम्परिक रूप से सरकारी शुल्क अदा करने पर या अन्य सरकारी दस्तावेज़ों पर लगने वाली मोहर को भी उत्तर भारत में 'तमग़ा' कहा जाता था।, John Shakespear, Parbury, Allen & Co, 1834,...

नई!!: मंगोल भाषा और तमग़ा · और देखें »

तामिर नदी

तामिर नदी (मंगोल: Тамир гол, तामिर गोल; अंग्रेज़ी: Tamir River) मंगोलिया के मध्य भाग में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। 'तामिर' शब्द का अर्थ मंगोल भाषा में 'मांस-पेशी' (मसल, muscle) होता है। यह ख़ानगई पर्वतों से उभरती है और ओरख़ोन नदी की एक प्रमुख उपनदी है जो स्वयं सेलेन्गा नदी में जाकर मिलती है और यह पानी आगे जाकर रूस की बायकल झील में विलय हो जाता है। तामिर नदी अपने गहरे नीले और बहुत साफ़ पानी के लिए मशहूर है।, Jane Blunden, Bradt Travel Guides, 2008, ISBN 978-1-84162-178-4,...

नई!!: मंगोल भाषा और तामिर नदी · और देखें »

तिब्बती रामचकोर

तिब्बती रामचकोर (Tibetan Snowcock) (Tetraogallus tibetanus) फ़ीज़ैन्ट कुल का एक पक्षी है जो पश्चिमी हिमालय तथा तिब्बती पठार के ऊँचाई वाले इलाकों में रहता है और हिमालय के कुछ इलाकों में यह हिमालय के रामचकोर के साथ इलाका बांटता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और तिब्बती रामचकोर · और देखें »

तियाँ शान

सूर्यास्त के वक़्त ख़ान तेन्ग्री की चोटी तियान शान (अंग्रेज़ी: Tian Shan या Tien Shan; मंगोल: Тэнгэр уул, तेंगेर उउल; उइग़ुर:, तेन्ग्री ताग़; चीनी: 天山, तियान शान) मध्य एशिया का एक पहाड़ी सिलसिला है। .

नई!!: मंगोल भाषा और तियाँ शान · और देखें »

तुमेन

तुमेन (मंगोल: Түмэн, अंग्रेज़ी: Tümen) तुर्कियों और मंगोलों की संख्या प्रणाली में 'दस-हज़ार' (१०,०००) के लिए प्रयोग होने वाली संख्या थी। फ़ौजी दृष्टिकोण से दस-हज़ार सैनिकों के दस्तों को तुमेन बुलाया जाता था। मंगोल सोच थी कि एक तुमेन का दस्ता किसी झड़प को तेज़ी से जीतने के लिए पर्याप्त था लेकिन इतना भी बड़ा नहीं था कि इसे जल्दी से दिशा बदलने में या खाना-पानी पहुँचाने में मुश्किल हो। आधुनिक मंगोल भाषा में 'तुमेन' शब्द को 'बहुत ज़्यादा' या 'असीमित' के अर्थ के साथ भी इस्तेमाल किया जाता है। मान्छु लोग और हूण लोग भी इसी तुमेन सैनिक संगठन प्रणाली का प्रयोग करते थे।, Michael Lee Lanning, James F. Dunnigan, Citadel Press, 2002, ISBN 978-0-8065-2425-2,...

नई!!: मंगोल भाषा और तुमेन · और देखें »

तुलाबुग़ा

तुलाबुग़ा द्वारा जारी की गई चांदी की दिरहम तुलाबुग़ा, तालुबुग़ा या तेलुबुग़ा (मंगोल: Тулабуга; अंग्रेजी: Tulabuga; देहांत: १२९०-१२९१ ई) सुनहरा उर्दू नामक मंगोल ख़ानत का सन् १२८७ ईसवी से लेकर १२९१ ईसवी तक ख़ान था। वह तरतू का पुत्र और सुनहरे उर्दू साम्राज्य के संस्थापक बातु ख़ान का पोता था। १२५७ में उसने मशहूर मंगोल सिपहसालार बुरूनदाई के नेतृत्व में लिथुआनिया पर हमले में भाग लिया। १२८४-८५ में उसने नोगाई ख़ान के साथ हंगरी पर दूसरे आक्रमण का और १२८७ में पोलैंड पर तीसरे आक्रमण का नेतृत्व किया। १२८७ में नोगाई ख़ान की मदद से वह सुनहरे उर्दू का ख़ान बना लेकिन ४ साल बाद नोगाई ख़ान के ही कारण उसे हटाकर तोख़्ता को ख़ान बनाया गया। तोख़्ता ने १२९० या १२९१ में उसे मरवा दिया।, James Chambers, Book Sales, 2003, ISBN 978-0-7858-1567-9 .

नई!!: मंगोल भाषा और तुलाबुग़ा · और देखें »

तुंगुसी भाषा-परिवार

उत्तर-पूर्वी एशिया में तुंगुसी भाषाओं का विस्तार एवेंकी भाषा में कुछ लिखाई, जो साइबेरिया में बोली जाने वाली एक तुंगुसी भाषा है मांचु भाषा में, जो एक तुंगुसी भाषा है तुंगुसी भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Tungusic languages, तुन्गुसिक लैग्वेजिज़) या मांचु-तुंगुसी भाषाएँ पूर्वी साइबेरिया और मंचूरिया में बोली जाने वाली भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। इन भाषाओं को मातृभाषा के रूप में बोलने वालुए समुदायों को तुंगुसी लोग कहा जाता है। बहुत सी तुंगुसी बोलियाँ हमेशा के लिए विलुप्त होने के ख़तरे में हैं और भाषावैज्ञानिकों को डर है कि आने वाले समय में कहीं यह भाषा-परिवार पूरा या अधिकाँश रूप में ख़त्म ही न हो जाए। बहुत से विद्वानों के अनुसार तुंगुसी भाषाएँ अल्ताई भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। ध्यान दीजिये कि मंगोल भाषाएँ और तुर्की भाषाएँ भी इस परिवार कि उपशाखाएँ मानी जाती हैं इसलिए, अगर यह सच है, तो तुंगुसी भाषाओँ का तुर्की, उज़बेक, उइग़ुर और मंगोल जैसी भाषाओं के साथ गहरा सम्बन्ध है और यह सभी किसी एक ही आदिम अल्ताई भाषा की संतानें हैं।, Martine Irma Robbeets, Otto Harrassowitz Verlag, 2005, ISBN 978-3-447-05247-4 तुंगुसी भाषाएँ बोलने वाली समुदायों को सामूहिक रूप से तुंगुसी लोग कहा जाता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और तुंगुसी भाषा-परिवार · और देखें »

तूमन

तूमन या तोमान शब्द का अर्थ मंगोल भाषा और बहुत सी तुर्की भाषाओँ में 'दस हज़ार' की संख्या होता है और आधुनिक फ़ारसी में इसका अर्थ विस्तृत होकर 'असंख्य' या 'बहुत अधिक' भी हो गया है। इसका प्रयोग मध्य एशिया, मंगोलिया और ईरान में कई सन्दर्भों में मिलता है, जैसे कि -.

नई!!: मंगोल भाषा और तूमन · और देखें »

तूमन चानयू

२०० ईसापूर्व में शियोंगनु साम्राज्य तूमन (चीनी: 頭曼, मंगोल: Түмэн, अंग्रेज़ी: Touman) मध्य एशिया और चीन पर प्राचीनकाल में अधिकार रखने वाले शियोंगनु लोगों का सबसे पहला चानयू (सम्राट) था। उसका शासनकाल २२० ईसापूर्व से २०९ ईसापूर्व अनुमानित किया गया है। इतिहासकारों का मानना है कि तूमन का नाम शब्द मंगोल भाषा के 'तुमेन' शब्द से लिया गया है, जिसका मतलब 'दस हज़ार' होता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और तूमन चानयू · और देखें »

तूमन नदी

तूमन नदी तूमन नदी पर एक पुल तूमन नदी या तूमेन नदी एक ५२१ किमी लम्बी नदी है जो उत्तर कोरिया की रूस और चीन के साथ सीमाओं पर बहती है। यह चंगबाई पर्वत शृंखला के लगभग २,५०० मीटर ऊँचे बएकदू पर्वत से उत्पन्न होकर पूर्वी सागर (जापान सागर) की ओर बहकर उसमें मिल जाती है। इसका नाम मंगोल भाषा से लिया गया है, जिसमें इसका अर्थ "दस हज़ार" निकलता है। उत्तर कोरिया और चीन दोनों ने इसके किनारे बहुत से कारख़ाने बनाए हुए हैं, जिन से इस का पानी बहुत प्रदूषित रहता है। फिर भी यह एक पर्यटक स्थल है और चीन ने इसके किनारे कुछ टहलने-योग्य पर्यटक स्थल बनाए हैं जहाँ से लोग नदी के पार झाँक कर उत्तर कोरिया देख सकते हैं।, Paul Theroux and Jason Wilson, Houghton Mifflin Harcourt, 2001, ISBN 978-0-618-11878-6.

नई!!: मंगोल भाषा और तूमन नदी · और देखें »

तूल नदी

गोरख़ी-तेरेल्ज​ राष्ट्रीय उद्यान से गुज़रती तूल नदी तूल नदी (मंगोल: Туул гол, तूल गोल; अंग्रेज़ी: Tuul River) मंगोलिया के उत्तरी भाग में बहने वाली एक प्रमुख नदी है जिसे मंगोल लोग एक पवित्र नदी मानते हैं। इसे पुराने ज़माने में 'तोला नदी' (Tola) भी कहा जाता था और 'तूल' शब्द का अर्थ मंगोल भाषा में 'पानी में चलना' होता है। इस ७०४ किमी लम्बी नदी का ज़िक्र 'मंगोलों का गुप्त इतिहास' नामक इतिहास-ग्रन्थ में हुआ था। मंगोल लोग इस अक्सर 'ख़तन तूल' यानि 'रानी तूल' बुलाते हैं। इसके जलसम्भर का क्षेत्रफल ४९,८४० वर्ग किमी है।, World Bank, World Bank Publications, 2010, ISBN 978-0-8213-8126-7,...

नई!!: मंगोल भाषा और तूल नदी · और देखें »

तूवा

तूवा, जिसका सरकारी नाम तूवा गणतंत्र (तूवी: Тыва Республика तिवा रयिसपुब्लिका) है, मध्य एशिया के दक्षिणी साइबेरिया क्षेत्र में स्थित रूस का एक राज्य है जो रूस की संघ व्यवस्था में गणतंत्र की हैसियत रखता है। भौगोलिक दृष्टि से तूवा ठीक एशिया के महाद्वीप के भौगोलिक केंद्र में बैठता है। तूवा की सरहदें कुछ अन्य रूसी राज्यों से लगतीं हैं और दक्षिण की ओर मंगोलिया से लगतीं हैं। तूवा की राजधानी किज़िल है। इस राज्य में अधिकतर लोग तूवी भाषा बोलते हैं, हालांकि की रूसी भी कई लोगों द्वारा समझी और बोली जाती है। १९४४ तक तूवा एक तन्नू तूवा नाम का अलग राष्ट्र था, लेकिन १९४४ में इसका रूस और सोवियत संघ में विलय हो गया। .

नई!!: मंगोल भाषा और तूवा · और देखें »

तूवी भाषा

तूवा की राजधानी किज़िल में तुर्की लिपि का एक प्राचीन शिलालेख तूवी भाषा (तूवी: тыва дыл, तूवा द्यिल; अंग्रेज़ी: Tuvan) रूस के तूवा गणराज्य में बोली जाने वाली एक तुर्की भाषा है। इसके मातृभाषी तूवा के आलावा चीन, मंगोलिया और रूस के अन्य भागों में भी पाए जाते हैं। इसे मातृभाषा बोलने वालों की संख्या लगभग २.५ लाख अनुमानित की गई है। हालांकि यह एक तुर्की भाषा है, इसमें मंगोल, तिब्बती और रूसी भाषाओं का काफ़ी प्रभाव भी दिखता है। अलग तूवी समुदायों में इसकी अलग-अलग उपभाषाएँ बोली जाती हैं।, Bayarma Khabtagaeva, Otto Harrassowitz Verlag, 2009, ISBN 978-3-447-06095-0,...

नई!!: मंगोल भाषा और तूवी भाषा · और देखें »

तेन्ग्री

यहाँ पुरानी तुर्की लिपि में 'तेन्ग्री' लिखा हुआ है गुयुक ख़ान द्वारा १२४६ ई में इसाई पोप को लिखे पत्र पर लगी मोहर में पहले चार शब्द है 'मोन्गके तेन्ग्री- यिन कुचुन्दुर' यानि 'सनातन आकाश की शक्ति के अधीन' ख़ान तेन्ग्री पर्वत तेन्ग्री (Tengri) प्राचीन तुर्क लोगों और मंगोल लोगों के धर्म के मुख्य देवता थे। इनकी मान्यता शियोंगनु और शियानबेई जैसे बहुत सी मंगोल और तुर्की समुदायों में थी और इनके नाम पर उन लोगों के धर्म को तेन्ग्री धर्म (Tengriism) बुलाया जाता है। तुर्की लोगों की सबसे पहली ख़ागानत ने, जिसका नाम गोएकतुर्क ख़ागानत था, भी इन्हें अपना राष्ट्रीय देवता ठहराया था और उसके ख़ागान भी अपनी गद्दी पर विराजमान होने का कारण 'तेन्ग्री की इच्छा' बताते थे। तेन्ग्री को 'आकाश का देवता' या 'नीले आकाश का पिता' कहा जाता था। अक्सर मंगोल शासक अपने राज के पीछे 'सनातन नीले आकाश की इच्छा' होने की बात किया करते थे।, Zachary Kent, Enslow Publishers, 2007, ISBN 978-0-7660-2715-2,...

नई!!: मंगोल भाषा और तेन्ग्री · और देखें »

तेन्ग्री धर्म

काज़ाख़स्तान के राष्ट्रीय ध्वज की नीली पृष्ठभूमि 'सनातन नीले आकाश', यानि तेन्ग्री, का प्रतीक है तेन्ग्री धर्म (पुरानी तुर्की: 7px7px7px7px, मंगोल: Тэнгэр шүтлэг, अंग्रेज़ी: Tengrism) एक प्राचीन मध्य एशियाई धर्म है जिसमें ओझा प्रथा, सर्वात्मवाद, टोटम प्रथा और पूर्वज पूजा के तत्व शामिल थे। यह तुर्क लोगों और मंगोलों की मूल धार्मिक प्रथा थी। इसके केन्द्रीय देवता आकाश के प्रभु तेन्ग्री (Tengri) थे और इसमें आकाश के लिए बहुत श्रद्धा रखी जाती थी। आज भी मध्य एशिया और उत्तरी एशिया में तूवा और साइबेरिया में स्थित ख़कासिया जैसी जगहों पर तेन्ग्री धर्म के अनुयायी सक्रीय हैं।, Robert A. Saunders, Vlad Strukov, Scarecrow Press, 2010, ISBN 978-0-8108-5475-8,...

नई!!: मंगोल भाषा और तेन्ग्री धर्म · और देखें »

तोमान (ईरानी मुद्रा)

ईरान का पुराना २० तोमान का नोट तोमान (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Toman) ईरान की मुद्रा (जिसका नाम 'रियाल' है।) की एक महा-ईकाई को कहते हैं। 'तोमान' शब्द मंगोल भाषा के 'तुमेन' शब्द से लिया गया है, जिसका मतलब 'दस हज़ार' होता है। सन् १९३२ तक ईरान की तोमान मुद्रा में १०,००० दीनार हुआ करते थे।, Georg Thomas Flügel, Francis Joseph Grund, Hilliard, Gray & Co, 1834,...

नई!!: मंगोल भाषा और तोमान (ईरानी मुद्रा) · और देखें »

तोलुइ ख़ान

तोलुइ ख़ान अपनी पत्नी सोरग़ोग़तानी के साथ तोलुइ ख़ान (मंगोल: Тулуй, फ़ारसी:, अंग्रेजी: Tolui;; जन्म: ११९२ ई; देहांत: १२३२ ई) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान और उसकी मुख्य पत्नी बोरते का चौथा और सबसे छोटा पुत्र था। अपने पिता की वसीयत में उसे मंगोलिया का क्षेत्र मिला, जो मंगोलों की मातृभूमि थी। चंगेज़ ख़ान की मृत्यु के बाद जब ओगताई ख़ान को अगला सर्वोच्च ख़ान चुनने में थोड़ा विलम्ब हुआ तो उसी काल में तोलुइ ने एक निपुण प्रशासक की भूमिका निभाई। उस से पहले चीन और ईरान पर क़ब्ज़ा करने के चंगेज़ ख़ान के अभियान में उसने एक कुशल सिपहसलार होने का भी प्रमाण दिया। हालांकि तोलुइ ख़ान ने कभी भी सर्वोच्च ख़ान बनने का दावा नहीं किया, उसी के ही दो पुत्रों ने आगे चलकर ईरान के इलख़ानी साम्राज्य और चीन के युआन राजवंश की स्थापना की। उसकी पत्नी सोरग़ोग़तानी को मंगोल इतिहास की सबसे होशियार और सक्षम स्त्री कहा जाता है।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

नई!!: मंगोल भाषा और तोलुइ ख़ान · और देखें »

तोव प्रांत

तोव (मंगोल: Төв; अंग्रेज़ी: Töv) मंगोलिया के मध्य में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। मंगोल भाषा में भी 'तोव' का अर्थ 'केन्द्र' होता है। मंगोलिया की राष्ट्रीय राजधानी, उलान बतोर, भी भौगोलिक रूप से इस प्रांत के बीच में स्थित है लेकिन उसे प्रशासनिक रूप से इस प्रांत से अलग एक संघीय नगर के रूप में प्रशासित किया जाता है।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 प्रांत की सबसे महत्वपूर्ण नदी तूल नदी है जो उलान बतोर से गुज़र कर ओरख़ोन नदी में शामिल हो जाती है। .

नई!!: मंगोल भाषा और तोव प्रांत · और देखें »

दरख़ान (शहर)

दरख़ान (मंगोल: Дархан) मंगोलिया का एक शहर है। यह दरख़ान-ऊल प्रान्त की राजधानी है और इसकी स्थापना सन् १९६१ में राष्ट्रीय राजधानी, उलान बतोर, में भीड़ कम करने के लिये हुई थी। मंगोल भाषा में दरख़ान का अर्थ 'लोहार' होता है। इस नगर का निर्माण सोवियत संघ की भारी साहयता के साथ किया गया था और इसके ध्येय मंगोलिया के उत्तरी भाग में औद्योगिक केन्द्र बनना था। आज भी यह नगर रूस के समीप होने के कारण एक छोटे रूसी समुदाय का घर है। .

नई!!: मंगोल भाषा और दरख़ान (शहर) · और देखें »

दरख़ान-ऊल प्रांत

दरख़ान-ऊल (मंगोल: Дархан-Уул; अंग्रेज़ी: Bayankhongor) मंगोलिया के उत्तरी भाग में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। यह पूरी तरह सेलेंगे प्रांत से घिर हुआ है और १९९४ तक उसी प्रांत का हिस्सा हुआ करता था।, Alan J.K. Sanders, Scarecrow Press, 2010, ISBN 9780810874527 राष्ट्रीय राजधानी ऊलानबातर के बाद यह देश का दूसरा सबसे बड़ा ओद्योगिक केन्द्र है। .

नई!!: मंगोल भाषा और दरख़ान-ऊल प्रांत · और देखें »

दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन के सदस्य राष्ट्र

दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (Association of Southeast Asian Nations) दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र का संगठन है जिसका लक्ष्य सदस्य राष्ट्रों के मध्य आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, सांस्कृतिक विकास तथा क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देना है। आसियान के 10 सदस्य राष्ट्र, एक उम्मीद्वार राष्ट्र तथा एक पर्यवेक्षक राष्ट्र है। आसियान की स्थापना 8 अगस्त 1967 में पाँच सदस्यों के साथ की गयी थी: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन्स, सिंगापुर तथा थाईलैंड। .

नई!!: मंगोल भाषा और दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन के सदस्य राष्ट्र · और देखें »

दुन्दगोवी प्रांत

दुन्दगोवी (मंगोल: Дундговь; अंग्रेज़ी: Dundgovi) मंगोलिया के दक्षिण में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। यह मंगोलिया के उन तीन प्रांतों में से है जो कि गोबी रेगिस्तान का हिस्सा हैं। यह तीन दोरनोगोवी (अर्थ: पूर्वी गोबी), दुन्दगोवी (अर्थ: मध्य गोबी) और ओम्नोगोवी (अर्थ: दक्षिणी गोबी) हैं।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 .

नई!!: मंगोल भाषा और दुन्दगोवी प्रांत · और देखें »

देशी भाषाओं में देशों और राजधानियों की सूची

निम्न चार्ट विश्व के देशों को सूचीबद्ध करता है (जैसा की यहां परिभाषित किया गया है), इसमें उनके राजधानीयों के नाम भी शामिल है, यह अंग्रेजी के साथ साथ उस देश की मूल भाषा और/या सरकारी भाषा में दी गयी है। ज टी की कोण नॉन en .

नई!!: मंगोल भाषा और देशी भाषाओं में देशों और राजधानियों की सूची · और देखें »

दोरनोद प्रांत

दोरनोद (मंगोल: Дорнод, अर्थ: सुदूर-पूर्व) मंगोलिया के सुदुर पूर्वी भाग में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। इसका क्षेत्रफल १,२३,५९७.४३ वर्ग किमी है, यानि भारत के तमिल नाडु राज्य से ज़रा कम।, Alan J.K. Sanders, Scarecrow Press, 2010, ISBN 9780810874527 .

नई!!: मंगोल भाषा और दोरनोद प्रांत · और देखें »

दोरनोगोवी प्रांत

दोरनोगोवी (मंगोल: Дорноговь; अंग्रेज़ी: Dornogovi) मंगोलिया के दक्षिण-पूर्व में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। यह मंगोलिया के उन तीन प्रांतों में से है जो कि गोबी रेगिस्तान का हिस्सा हैं। यह तीन दोरनोगोवी (अर्थ: पूर्वी गोबी), दुन्दगोवी (अर्थ: मध्य गोबी) और ओम्नोगोवी (अर्थ: दक्षिणी गोबी) हैं।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 .

नई!!: मंगोल भाषा और दोरनोगोवी प्रांत · और देखें »

नम त्सो

नम त्सो (तिब्बती: གནམ་མཚོ་, अंग्रेज़ी: Namtso) या नमत्सो, जिसे मंगोल भाषा में तेन्ग्री नोर (Tengri Nor, अर्थ: तेन्ग्री/स्वर्ग की झील) भी कहते हैं, तिब्बत की एक पर्वतीय झील है। यह तिब्बत के ल्हासा विभाग के दमझ़ुंग ज़िले और नगछु विभाग के पलगोन (बैनगोइन) ज़िले की सरहद पर स्थित है। इसका पानी खारा है। लगभग १५,००० फ़ुट पर स्थित यह झील दुनिया की सबसे ऊँची खारी झील है और चिंगहई झील के बाद तिब्बत के पठार की दूसरी सबसे बड़ी झील है।, Suzanne Anthony, pp.

नई!!: मंगोल भाषा और नम त्सो · और देखें »

नायमन लोग

चंगेज़ ख़ान के मंगोल साम्राज्य से पहले १३वीं सदी में यूरेशिया के स्थिति - नायमन (Naiman) राज्य नक़्शे में दिख रहा है नायमन या नायमन तुर्क या नायमन मंगोल (मंगोल: Найман ханлиг, नायमन ख़ानलिग) मध्य एशिया के स्तेपी इलाक़े में बसने वाली एक जाति का मंगोल भाषा में नाम था, जिनके कारा-ख़ितान के साथ सम्बन्ध थे और जो सन् ११७७ तक उनके अधीन रहे। मंगोल नाम होने के बावजूद, नायमानों को एक मंगोल जाति नहीं बल्कि एक तुर्की जाति माना जाता है।, René Grousset, Rutgers University Press, 1970, ISBN 978-0-8135-1304-1,...

नई!!: मंगोल भाषा और नायमन लोग · और देखें »

नारीन

नारीन बाज़ार नारीन(किरगिज़: Нарын, अंग्रेज़ी: Naryn) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश का एक शहर है और उस राष्ट्र के नारीन प्रांत की राजधानी भी है। यह नारीन नदी के किनारे बसा हुआ है जो प्रसिद्ध सिर दरिया की एक प्रमुख उपनदी है और शहर से गुज़रते हुए एक आकर्षक तंग घाटी बनाती है। इस शहर में दो क्षेत्रीय संग्रहालय, एक आकर्षक मस्जिद, एक 'हाकिमयत' नामक सरकारी कार्यालय और कुछ यात्रियों के ठहरने के होटल हैं लेकिन इनके अलावा यह एक छोटा सा शहर है।, Bradley Mayhew, pp.

नई!!: मंगोल भाषा और नारीन · और देखें »

नोगाई ख़ान

नोगाई ख़ान (मंगोल: Ногай хан; अंग्रेजी: Nogai Khan;; देहांत: १२९९ ई) एक मंगोल सिपहसालार और सुनहरा उर्दू नामक मंगोल ख़ानत का असली शासक भी था। नोगाई का दादा बाउल ख़ान (उर्फ़ तेवल ख़ान) था जो जोची ख़ान का ७वाँ बेटा था। इस लिहाज़ से नोगाई मंगोल साम्राज्य के मशहूर संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पड़-पड़-पोता था। .

नई!!: मंगोल भाषा और नोगाई ख़ान · और देखें »

प्रांत

प्रान्त एक प्रादेशिक इकाई है, जो कि लगभग हमेशा ही एक देश या राज्य के अंतर्गत एक प्रशासकीय खंड होता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और प्रांत · और देखें »

बयान-ओलगी प्रांत

बयान-ओलगी (मंगोल: Баян-Өлгий; अंग्रेज़ी: Bayan-Ölgii) मंगोलिया के सुदूर पश्चिम में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। यहाँ कज़ाख़ लोग बहुसंख्या में हैं और यह मंगोलिया का एकमात्र मुस्लिम व कज़ाख़ बहुसंख्यक प्रांत है। इस प्रांत की स्थापना १९४० में हुई थी।, Alan J.K. Sanders, pp.

नई!!: मंगोल भाषा और बयान-ओलगी प्रांत · और देखें »

बयानख़ोंगोर प्रांत

बयानख़ोंगोर (मंगोल: Баянхонгор; अंग्रेज़ी: Bayankhongor) मंगोलिया के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह मंगोलिया के सबसे बड़े ऐमगों में से एक है।, Alan J.K. Sanders, Scarecrow Press, 2010, ISBN 9780810874527 .

नई!!: मंगोल भाषा और बयानख़ोंगोर प्रांत · और देखें »

बातु ख़ान

222px बातु ख़ान (मंगोल: Бат Хаан, बात ख़ान; अंग्रेजी: Batu Khan;; जन्म: १२०७ ई अनुमानित; देहांत: १२५५ ई) एक मंगोल शासक था और सुनहरा उर्दू नामक साम्राज्य का संस्थापक था जो मंगोल साम्राज्य के अधीन एक ख़ानत थी। बातु ख़ान जोची ख़ान का पुत्र और मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता था। 'बातु' या 'बात' शब्द का अर्थ मंगोल भाषा में 'कड़ा' या 'दृढ़' होता है। उसके द्वारा शुरू किये गए साम्राज्य का रूस, पूर्वी यूरोप और कॉकस के बड़े भाग पर लम्बे अरसे तक राज रहा। चंगेज़ ख़ान के पुत्रों कि मृत्य के बाद बातु ख़ान ही उस साम्राज्य का सबसे आदरणीय राजकुंवर बना और उसे 'आग़ा' (अर्थ: बड़े भाईसाहब) के नाम से जाना जाता था।, David Morgan, John Wiley & Sons, 2007, ISBN 978-1-4051-3539-9,...

नई!!: मंगोल भाषा और बातु ख़ान · और देखें »

बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग

बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग (उईग़ुर:, अंग्रेजी: Bayingolin Mongol Autonomous Prefecture) जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह चीन का सबसे बड़ा और यूरोप के फ़्रान्स देश से भी बड़ा है। इसकी प्रशासनिक राजधानी कोरला है। मंगोल भाषा में 'बायिनग़ोलिन' का मतलब 'समृद्ध नदी' होता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग · और देखें »

बालासगून

बुराना बुर्ज बालासगून (तुर्की: Balagasun, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Balasagun) मध्य एशिया के किरगिज़स्तान क्षेत्र में एक प्राचीन सोग़दाई शहर था। यह चुय वादी में किरगिज़स्तान की आधुनिक राजधानी बिश्केक और इसिक कुल झील के बीच स्थित था। शुरू में यहाँ सोग़दाई भाषा बोली जाती थी, जो एक ईरानी भाषा थी। १०वीं सदी ईसवी के बाद यह काराख़ानी ख़ानत की राजधानी बना जो तुर्की भाषी था जिस से यहाँ की स्थानीय भाषा धीरे-धीरे बदलकर तुर्की हो गई। १२वीं सदी में इसपर कारा-ख़ितान ख़ानत का क़ब्ज़ा हो गया और फिर सन् १२१८ में फैलते हुए मंगोल साम्राज्य ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया। मोंगोलों ने इसका नाम बदलकर गोबालिक (Gobalik) कर दिया, जिसका मतलब मंगोल भाषा में 'सुन्दर शहर' था। मंगोल जीत के बाद इस शहर का महत्व घटने लगा। अब यहाँ बहुत से खँडहर हैं जिन्हें देखने के लिए सैलानी आया करते हैं। यहाँ का बुराना बुर्ज (Burana Tower) मशहूर है, जो कभी १३८ फ़ुट (४६ मीटर) लम्बा था लेकिन भूकम्पों में इसके हिस्से गिरने से केवल ७९ फ़ुट (२४ मीटर) रह गया है। यहाँ नेस्टोरी शाखा के ईसाई भी रहते थे जिनका टूटता हुआ कब्रिस्तान भी यहीं मौजूद है। तुर्की भाषा के प्रसिद्ध 'कूतादगू बिलिग' (Kutadgu Bilig) नामक ग्रन्थ के रचियता, युसुप ख़ास हाजिब, भी बालासगून शहर में पैदा हुए थे।, Laurence Mitchell, pp.

नई!!: मंगोल भाषा और बालासगून · और देखें »

बुरख़ान ख़लदुन

बुरख़ान ख़लदुन​ (मंगोल: Бурхан Халдун, अंग्रेज़ी: Burkhan Khaldun) मंगोलिया के ख़ेन्ती प्रांत में ख़ेन्ती पर्वत शृंखला में स्थित एक पर्वत है। मंगोलिया में लोकमान्यता है कि मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान का जन्म इसी पहाड़ पर या इसके इर्द-गिर्द कहीं हुआ था और उसका गुप्त मक़बरा भी यहीं-कहीं है। यह पर्वत १९९२ में मंगोलियाई सरकार द्वारा स्थापित १२,००० वर्ग किमी के 'ख़ान ख़ेन्ती अति-संरक्षित क्षेत्र' में आता है। बुरख़ान ख़लदुन मंगोलिया का सबसे पवित्र पर्वत माना जाता है। यह चंगेज़ ख़ान से पहले भी धार्मिक महत्व रखता था लेकिन उसके द्वारा पवित्र घोषित किये जाने के बाद इसकी अहमियत और मान्यता बहुत अधिक बढ़ गई। मंगोल भाषा में 'बुरख़ान ख़लदुन' का मतलब 'प्रभु पर्वत' है।, Jack Weatherford, pp.

नई!!: मंगोल भाषा और बुरख़ान ख़लदुन · और देखें »

बुल्गन प्रांत

बुल्गन (मंगोल: Булган; अंग्रेज़ी: Bulgan) मंगोलिया के उत्तर में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। इस प्रांत की राजधानी का नाम भी बुल्गन शहर ही है। .

नई!!: मंगोल भाषा और बुल्गन प्रांत · और देखें »

ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ

ब्राह्मी परिवार उन लिपियों का परिवार हैं जिनकी पूर्वज ब्राह्मी लिपि है। इनका प्रयोग दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया में होता है, तथा मध्य व पूर्व एशिया के कुछ भागों में भी होता है। इस परिवार की किसी लेखन प्रणाली को ब्राह्मी-आधारित लिपि या भारतीय लिपि कहा जा सकता है। इन लिपियों का प्रयोग कई भाषा परिवारों में होता था, उदाहरणार्थ इंडो-यूरोपियाई, चीनी-तिब्बती, मंगोलियाई, द्रविडीय, ऑस्ट्रो-एशियाई, ऑस्ट्रोनेशियाई, ताई और संभवतः कोरियाई में। इनका प्रभाव आधुनिक जापानी भाषा में प्रयुक्त अक्षर क्रमांकन पर भी दिखता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ · और देखें »

बोरते

चंगेज़ ख़ान और ख़ातून बोरते अपने चार लड़कों में साम्राज्य बांटते हुए बोरते (मंगोल: Бөртэ үжин, बोएर्ते उझ़िन; जन्म: ११६१ ई; देहांत: १२३० ई) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान की पहली और मुख्य पत्नी थी। इन्हें मंगोल-प्रथानुसार ख़ातून की उपाधि हासिल थी। उन्हें मंगोल साम्राज्य की माहरानी भी माना जाता था। बोरते की सगाई बहुत कम उम्र में चंगेज़ ख़ान से हो गई थी और १७ वर्ष की आयु में उन दोनों का विवाह हुआ। उसके बाद एक विरोधी क़बीले ने बोरते को अग़वा कर लिया लेकिन चंगेज़ ख़ान ने आकर उन्हें बचाया। चंगेज़ ख़ान की इस जुर्रत को पहला संकेत माना जाता है कि उनमें आगे चलकर विश्व-विजय करने का साहस था। उन दोनों के चार लड़के और पाँच लडकियाँ हुई जिनसे आगे मंगोल साम्राज्य का राजवंश चला।, Alison Behnke, Twenty-First Century Books, 2008, ISBN 978-0-7613-4025-6,...

नई!!: मंगोल भाषा और बोरते · और देखें »

बोगदा पर्वत शृंखला

बोगदा पर्वतों के उत्तरी भाग में तिआनची झील (अर्थ:स्वर्ग झील) बोगदा पर्वत शृंखला (मंगोल: Богд уул, बोग्द ऊल; चीनी: 博格达山, बोगेदा शान; अंग्रेज़ी: Bogda Mountains) तियान शान पर्वत शृंखला की एक पूर्वी शाखा है जो जनवादी गणराज्य चीन की वर्तमान शिनजियांग प्रान्त में उरुम्ची शहर से ६० किमी पूर्व में स्थित है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ ५४४५ मीटर ऊँचा 'बोगदा पर्वत' (चीनी में 'बोगेदा फ़न्ग', मंगोल में 'बोग्द ऊल') है। यह शृंखला शिनजियांग प्रान्त के दाबानचंग रायोन (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Dabancheng District) और जिम्सार ज़िले (Jimsar County) की सरहद पर खड़ी है और दोनों तरफ़ इन्ही पहाड़ियों के नदी-झरने कृषि के लिए पानी प्रदान करते हैं। शृंखला की उत्तरी तरफ़ तियानची (Tianchi, अर्थ: स्वर्ग झील) नामक एक सुन्दर झील है।, Michael R. Kelsey, Kelsey Pub., 1990, ISBN 978-0-944510-02-5,...

नई!!: मंगोल भाषा और बोगदा पर्वत शृंखला · और देखें »

भाषा सम्पर्क

भाषा सम्पर्क (language contact) उस स्थिति को कहते हैं जब दो (या अधिक) अलग भाषाओं या उपभाषाओं के बोलने वाले आपसी सम्पर्क में आएँ और संचार या वार्तालाप करें। यह विश्व में एक सर्वव्यापी स्थिति है: बहुभाषिकता पूरे इतिहास में देखी गई है और आधुनिक दुनिया में अधिकतर लोग बहुभाषीय हैं। जब भिन्न भाषाओं के लोग आपसी सम्पर्क में रहते हैं तो उनकी भाषाएँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं - यही कारण है कि अंग्रेज़ी में तमिल भाषा के "मंगई" शब्द का "मैंगो" रूप आम के फल के लिए मानक बन गया और मंगोल भाषा का "नौकर" / "नौकरी" शब्द हिन्दी और फ़ारसी में प्रवेश कर गया। .

नई!!: मंगोल भाषा और भाषा सम्पर्क · और देखें »

भाषा संस्थानों की सूची

यहाँ भाषा-नियामक संस्थानों की सूची दी गई है जो मानक भाषाओं का नियमन करतीं हैं। इन्हें प्रायः 'भाषा अकादमी' कहा जाता है। भाषा अकादमियाँ भाषाई शुद्धता (linguistic purism) के उद्देश्य से काम करतीं हैं तथा भाषा से सम्बन्धित नीतियाँ बनाती एवं प्रकाशित करतीं हैं। .

नई!!: मंगोल भाषा और भाषा संस्थानों की सूची · और देखें »

महाव्युत्पत्ति

500px महाव्युत्पति (तिब्बती भाषा में: བྱེ་བྲག་ཏུ་རྟོགས་པར་བྱེད་པ།, bye brag tu rtogs par byed pa) संस्कृत-तिब्बती द्विभाषिक पारिभाषिक कोश (Glossary) है। इसमें २८५ अध्यायों में लगभग नौ हजार संस्कृत शब्दों का तुल्य तिब्बती शब्द दिये गये हैं। बौद्ध संप्रदाय के पारिभाषिक शब्दों का अर्थ देने के साथ-साथ पशु-पक्षियों, वनस्पतियों और रोगों आदि के पर्यायों का इसमें संग्रह है। इसमें लगभग ९००० शब्द संकलित है। दूसरी ओर, मुहावरों, नामधातु के रूपों और वाक्यों के भी संकलन है। यह विश्व का सबसे पहला द्विभाषी शब्दकोश है। इसकी रचना तिब्बत में आठवीं शताब्दी के अन्तिम भाग एवं नौवीं शताब्दी के आरम्भिक भाग में हुई थी। महाव्युत्पत्ति का निर्माण संस्कृत के बौद्ध धर्मग्रन्थों का तिब्बती भाषा में अनुवाद करने में सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था। बाद में इसी तरह के पारिभाषिक कोश चीनी भाषा, मंगोली भाषा और मंचू भाषा के लिये भी बने। .

नई!!: मंगोल भाषा और महाव्युत्पत्ति · और देखें »

मांचु भाषा

तिब्बती लिपि में लिखा है और किनारों पर मांचु में, जो एक तुन्गुसी भाषा है मांचु या मान्चु (मांचु: ᠮᠠᠨᠵᡠ ᡤᡳᠰᡠᠨ, मांजु गिसुन) पूर्वोत्तरी जनवादी गणतंत्र चीन में बसने वाले मांचु समुदाय द्वारा बोली जाने वाली तुन्गुसी भाषा-परिवार की एक भाषा है। भाषावैज्ञानिक इसके अस्तित्व को ख़तरे में मानते हैं क्योंकि १ करोड़ से अधिक मांचु नसल के लोगों में से सिर्फ ७० हज़ार ही इसे अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। बाक़ियों ने चीनी भाषा को अपनाकर उसमें बात करना आरम्भ कर दिया है। मांचु भाषा की 'शिबे भाषा' नाम की एक अन्य क़िस्म चीन के दूर पश्चिमी शिनजियांग प्रान्त में भी मिलती है, जहाँ लगभग ४०,००० लोग उसे बोलते हैं। शिबे बोलने वाले लोग उन मांचुओं के वंशज हैं जिन्हें १६४४-१९११ ईसवी के काल में चलने वाले चिंग राजवंश के दौरान शिनजियांग की फ़ौजी छावनियों में तैनात किया गया था।, Edward J. M. Rhoads, University of Washington Press, 2001, ISBN 978-0-295-98040-9 मांचु एक जुरचेन नाम की भाषा की संतान है। जुरचेन में बहुत से मंगोल और चीनी शब्दों के मिश्रण से मांचु भाषा पैदा हुई। अन्य तुन्गुसी भाषाओँ की तरह मांचु में अभिश्लेषण (अगलूटिनेशन) और स्वर सहयोग (वावल हार्मोनी) देखे जाते हैं। मांचु की अपनी एक मांचु लिपि है, जिसे प्राचीन मंगोल लिपि से लिया गया था। इस लिपि की ख़ासियत है की यह ऊपर से नीचे लिखी जाती है। मांचु भाषा में वैसे तो लिंग-भेद नहीं किया जाता लेकिन कुछ शब्दों में स्वरों के इस्तेमाल से लिंग की पहचान होती है, मसलन 'आमा' का मतलब 'पिता' है जबकि 'एमे' का मतलब 'माता' है। .

नई!!: मंगोल भाषा और मांचु भाषा · और देखें »

मंगोल भाषा-परिवार

मोंगोल भाषाओँ का विस्तार मंगोल भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Mongolic languages, मोंगोलिक लैग्वेजिज़) पूर्वी एशिया और मध्य एशिया में बोली जाने वाली भाषाओँ का एक भाषा-परिवार है। इसकी सब से नुमाया भाषा मंगोल भाषा है, जो मंगोलिया और चीन के भीतरी मंगोलिया प्रान्त के मंगोल समुदाय कि प्रमुख भाषा है और जिसे लगभग ५२ लाख लोग बोलते हैं। कुछ भाषावैज्ञानिकों के हिसाब से मंगोल भाषाएँ अल्ताई भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। मंगोल के अलावा मंगोल भाषा-परिवार में कई अन्य भाषाएँ भी आती हैं, जैसे कि रूस के साइबेरिया क्षेत्र में बोली जाने वाली बुर्यात भाषा, चीन के चिंग हई प्रान्त में बोली जाने वाली कन्गजिआ भाषा और चीन के ही शिनजियांग प्रान्त में बोली जाने वाली दोंगशियांग भाषा।, Juha Janhunen, Psychology Press, 2003, ISBN 978-0-7007-1133-8 .

नई!!: मंगोल भाषा और मंगोल भाषा-परिवार · और देखें »

मंगोल लिपि

मंगोल लिपि में गुयुक ख़ान का सन् १२४६ का राजचिह्न इस सिक्के पर मंगोल लिपि में लिखा है कि यह 'रिन्छिन्दोर्जी ग​एख़ातू ने ख़ागान के नाम पर ज़र्ब किया' मंगोल लिपि (मंगोल: ᠮᠣᠩᠭᠣᠯ ᠪᠢᠴᠢᠭ᠌, सिरिलिक लिपि: Монгол бичиг, मोंगयोल बिचिग), जिसे उईग़ुरजिन भी कहते हैं, मंगोल भाषा को लिखने की सर्वप्रथम लिपि और वर्णमाला थी। यह उईग़ुर भाषा के लिए प्रयोग होने वाली प्राचीन लिपि को लेकर विकसित की गई थी और बहुत अरसे तक मंगोल भाषा लिखने के लिए सब से महत्वपूर्ण लिपि का दर्जा रखती थी।, Urgunge Onon, Brill Archive, 1990, ISBN 978-90-04-09236-5,...

नई!!: मंगोल भाषा और मंगोल लिपि · और देखें »

मंगोल साम्राज्य

हलाकू (बायें), खलीफा अल-मुस्तसिम को भूख से मारने के लिये उसके खजाने में कैद करते हुए मांगके खान की मृत्यु के समय (१२५९ ई में) मंगोल साम्राज्य मंगोल साम्राज्य 13 वीं और 14 वीं शताब्दियों के दौरान एक विशाल साम्राज्य था। इस साम्राज्य का आरम्भ चंगेज खान द्वारा मंगोलिया के घूमन्तू जनजातियों के एकीकरण से हुआ। मध्य एशिया में शुरू यह राज्य अंततः पूर्व में यूरोप से लेकर पश्चिम में जापान के सागर तक और उत्तर में साइबेरिया से लेकर दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैल गया। आमतौर पर इसे दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा सन्निहित साम्राज्य माना जाना जाता है। अपने शीर्ष पर यह 6000 मील (9700 किमी) तक फैला था और 33,000,000 वर्ग कि॰मी॰ (12,741,000 वर्ग मील) के क्षेत्र को कवर करता था। इस समय पृथ्वी के कुल भू क्षेत्रफल का 22% हिस्सा इसके कब्ज़े में था और इसकी आबादी 100 करोड़ थी। मंगोल शासक पहले बौद्ध थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे तुर्कों के सम्पर्क में आकर उन्होंने इस्लाम को अपना लिया। .

नई!!: मंगोल भाषा और मंगोल साम्राज्य · और देखें »

मंगोलिया

मंगोलिया (मंगोलियन: Монгол улс) पूर्व और मध्य एशिया में एक भूमि से घिरा (लेंडलॉक) देश है। इसकी सीमाएं उत्तर में रूस, दक्षिण, पूर्वी और पश्चिमी में चीन से मिलती हैं। हालांकि, मंगोलिया की सीमा कज़ाख़िस्तान से नहीं मिलती, लेकिन इसकी सबसे पश्चिमी छोर कज़ाख़िस्तान के पूर्वी सिरे से केवल 24 मील (38 किमी) दूर है। देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर उलान बाटोर है, जहां देश की लगभग 38% जनसंख्या निवास करती है। मंगोलिया में संसदीय गणतंत्र है। .

नई!!: मंगोल भाषा और मंगोलिया · और देखें »

मंगोलिया का राष्ट्रगान

मंगोलिया के राष्ट्रगान की कृति १९५० में हुई थी। इसके बोल त्सेनदीन दमदिनसुएरेन (Tsendiin Damdinsüren) ने लिखे थे और संगीतकार बिलेगीन दमदिनसुएरेन (Bilegiin Damdinsüren) व लुवसनजम्बयिन मोएरदोर्ज (Luvsanjambyn Mördorj) थे।, Central Intelligence Agency, pp.

नई!!: मंगोल भाषा और मंगोलिया का राष्ट्रगान · और देखें »

मंगोलिया की संस्कृति

मंगोलिया की संस्कृति मंगोलों के घुमन्तू जीवनशैली से बहुत सीमा तक प्रभावित है। इसके अलावा मंगोलिया की संस्कृति पर तिब्बत एवं तिब्बती बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव है। २०वीं शताब्दी के पश्चात इस पर रूस एवं यूरोपीय संस्कृति का प्रभाव भी पड़ा है। .

नई!!: मंगोल भाषा और मंगोलिया की संस्कृति · और देखें »

मंगोलों का गुप्त इतिहास

सन् १९०८ में चीनी भावचित्र लिपि में लिखी मंगोल भाषा में 'मंगोलों का गुप्त इतिहास' की एक प्रति मंगोलों का गुप्त इतिहास (प्राचीन मंगोल: 30px, मोंगग़्योल निग़ुचा तोबचियान; अंग्रेज़ी: Secret History of the Mongols) मंगोल भाषा की सबसे पुरानी साहित्य कृति है जो आधुनिक काल तक उपलब्ध है। चंगेज़ ख़ान की सन् १२२७ में हुई मृत्यु के बाद यह किसी अज्ञात लेखक द्वारा मंगोल शाही परिवार के लिए लिखी गई थी। माना जाता है कि इसे सबसे पहले प्राचीन मंगोल लिपि में लिखा गया था हालाँकि वर्तमान तक बची हुई इसकी प्रतियाँ सभी चीनी भावचित्रों में या उस से लिप्यान्तरण करके बनी हैं। यह चीनी लिपि में आधारित प्रतियाँ १४वीं शताब्दी में मिंग राजवंश द्वारा 'युआन राजवंश का गुप्त इतिहास' के नाम से मंगोल लिपि से लिप्यान्तरण करके बनवाई गई थी।, Herbert Franke, Cambridge University Press, 1994, ISBN 978-0-521-24331-5,...

नई!!: मंगोल भाषा और मंगोलों का गुप्त इतिहास · और देखें »

मोदू चानयू

मोदू के शासनकाल के आरम्भ में शियोंगनु साम्राज्य का विस्तार मोदू चानयू (चीनी: 冒頓單于, मंगोल: Модун шаньюй, अंग्रेज़ी: Modu Chanyu) मध्य एशिया, मंगोलिया और उत्तरी चीन के कई इलाक़ों पर प्राचीनकाल में अधिकार रखने वाले शियोंगनु लोगों का एक चानयू (सम्राट) था। मोदू को शियोंगनु साम्राज्य का निर्माता भी कहा जाता है और उसका शासनकाल २०९ ईसापूर्व से १७४ ईसापूर्व तक चला। मोदू ने अपने अधीन मंगोलिया के स्तेपी क्षेत्र के ख़ानाबदोश क़बीलों को संगठित किया और चीन के चिन राजवंश के लिए ख़तरा बन गया। उसका शियोंगनु साम्राज्य पूर्व में लियाओ नदी से लेकर पश्चिम में पामीर पर्वतों तक और उत्तर में साइबेरिया की बायकल झील तक विस्तृत था। .

नई!!: मंगोल भाषा और मोदू चानयू · और देखें »

मोरोन (शहर)

मोरोन (मंगोल: Мөрөн), जो मुरुन भी कहलाता है, मंगोलिया का एक शहर है और उस देश के ख़ोव्स्गोल प्रांत की राजधानी है। .

नई!!: मंगोल भाषा और मोरोन (शहर) · और देखें »

मोंगके ख़ान

गद्दी पर विराजमान मोंगके ख़ान से मिलते कुछ फ़रियादी मोंगके ख़ान (मंगोल: Мөнх хаан, मोन्ख़ ख़ान; अंग्रेज़ी: Mongke Khan; १० जनवरी १२०९ – ११ अगस्त १२५९) मंगोल साम्राज्य का चौथा ख़ागान (सबसे बड़ा ख़ान शासक) था। उसने १ जुलाई १२५१ से ११ अगस्त १२५९ में हुई अपनी मृत्यु तक शासन किया। मोंगके ख़ान मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का बेटा था। उसकी माता सोरग़ोग़तानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला और परवारिक परिस्थितियों पर ऐसा नियंत्रण रखा कि मोंगके मंगोल साम्राज्य का ख़ागान बन सका। मोंगके के नेतृत्व में मंगोलों ने ईराक और सीरिया पर आक्रमण करके उन्हें अपने राज का हिस्सा बनाया। आधुनिक वियतनाम और (दक्षिणी चीन स्थित) नानझाओ राज्य भी मंगोलों के अधीन लाया गया। मोंग्के की मृत्यु के बाद उसका भाई कुबलई ख़ान साम्राज्य का अगला ख़ागान बना।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

नई!!: मंगोल भाषा और मोंगके ख़ान · और देखें »

युर्त

युर्त (रूसी: Юрта) या यर्ट (अंग्रेज़ी: Yurt) या गेर (मंगोली: гэр) एक प्रकार का गोल-आधार वाला तम्बू होता है जिसे पशुओं की खाल से ढका जाता है और जो मध्य एशिया के स्तेपी क्षेत्र के बंजारा जातियों द्वारा आवास के लिए प्रयोग होता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और युर्त · और देखें »

युआन राजवंश

सन् १२९४ ईसवी में युआन साम्राज्य का नक़्शा (हरे रंग में) - कोरिया का इलाक़ा एक स्वशासित लेकिन अधीन राज्य था युआन राजवंश (चीनी: 元朝, युआन चाओ; मंगोल: दाई ओन उल्स; अंग्रेजी: Yuan Dynasty) सन् १२७१ ईसवी से सन् १३६८ ईसवी तक चलने वाला एक राजवंश था जिसके साम्राज्य में आधुनिक चीन का लगभग पूरा हिस्सा, सारे मंगोलिया का भूक्षेत्र और कुछ आसपास के इलाक़े शामिल थे। इसकी स्थापना मंगोल नेता कुबलई ख़ान ने की थी, जो चंगेज़ ख़ान का पोता भी था। इस साम्राज्य को मंगोल साम्राज्य का एक विभाग और चीन का एक राजवंश दोनों समझा जाता है। युआन राजवंश के ज़माने में पूरा चीन पर एक विदेशी जाति ने लम्बे अरसे तक राज किया।, Gregory Veeck, Clifton Pannell, Christopher Smith, Youqin Huang, Rowman & Littlefield Publishers, 2011, ISBN 978-0-7425-6784-9,...

नई!!: मंगोल भाषा और युआन राजवंश · और देखें »

रघु वीर

आचार्य रघुवीर (३०, दिसम्बर १९०२ - १४ मई १९६३) महान भाषाविद, प्रख्यात विद्वान्‌, राजनीतिक नेता तथा भारतीय धरोहर के मनीषी थे। आप महान्‌ कोशकार, शब्दशास्त्री तथा भारतीय संस्कृति के उन्नायक थे। एक ओर आपने कोशों की रचना कर राष्ट्रभाषा हिंदी का शब्दभण्डार संपन्न किया, तो दूसरी ओर विश्व में विशेषतः एशिया में फैली हुई भारतीय संस्कृति की खोज कर उसका संग्रह एवं संरक्षण किया। राजनीतिक नेता के रूप में आपकी दूरदर्शिता, निर्भीकता और स्पष्टवादिता कभी विस्मृत नहीं की जा सकती। वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे। दो बार (१९५२ व १९५८) राज्य सभा के लिये चुने गये। नेहरू की आत्मघाती चीन-नीति से खिन्न होकर जन संघ के साथ चले गये। भारतीय संस्कृति को जगत्गुरू के पद पर आसीन करने के लिये उन्होने विश्व के अनेक देशों का भ्रमण किया तथा अनेक प्राचीन ग्रन्थों को एकत्रित किया। उन्होने ४ लाख शब्दों वाला अंग्रेजी-हिन्दी तकनीकी शब्दकोश के निर्माण का महान कार्य भी किया। भारतीय साहित्य, संस्कृति और राजनीति के क्षेत्र में आपकी देन विशिष्ट एवं उल्लेखनीय है। भारत के आर्थिक विकास के संबंध में भी आपने पुस्तकें लिखी हैं और उनमें यह मत प्रतिपादित किया है कि वस्तु को केंद्र मानकर कार्य आरंभ किया जाना चाहिए। .

नई!!: मंगोल भाषा और रघु वीर · और देखें »

सायन पर्वत शृंखला

सायन की पूर्वी और पश्चिमी शाखाओं का नक़्शा, जिसमें अल्ताई पर्वत भी देखे जा सकते हैं लटकती चट्टान, पश्चिमी सायन के ऍरगाकी इलाक़े सायन पर्वत शृंखला (रूसी: Саяны, सायनी; मंगोल: Саяаны нуруу, सायनी नुउरी) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वत शृंखला है। भौगोलिक दृष्टि से इसके दो खंड हैं - पूर्वी और पश्चिमी। पूर्वी सायन के पहाड़ येनिसेय नदी (जो रेखांश ९२°पूर्व पर स्थित है) से शुरू होकर पूर्व की ओर १,००० किमी फैला हुआ है ओर बायकल झील पर जा के रुकते हैं (जो 106°पूर्व पर है)। पश्चिमी सायन अल्ताई पर्वत श्रंखला के पूर्वी छोर (89°पूर्व) से शुरू होकर पूर्वोत्तर की तरफ़ जाते हैं और करीब ६०० किमी बाद पूर्वी सायन श्रंखला से बीच में (९६°पूर्व पर) जा मिलते हैं। तूवा के इलाक़े से ज़रा दक्षिण-पश्चिम में सायन के ऊंचे पहाड़ और ठंडी झीलों के इर्द-गिर्द के जलसंभर के झरने सारे येनिसेय नदी में मिल जाते हैं। यह नदी उत्तर की ओर ३,२०० किमी (२,००० मील) का सफ़र तय कर के उत्तरध्रुवीय महासागर में जा मिलती है। १९४४ के बाद, कई दशकों तक सोवियत संघ ने इस इलाक़े को बाहरी दुनिया से बंद किया हुआ था, जिस वजह से आज भी यहाँ का वातावरण साफ़ और सुरक्षित है। .

नई!!: मंगोल भाषा और सायन पर्वत शृंखला · और देखें »

सिंह (पशु)

सिंह (पेन्थेरा लियो) पेन्थेरा वंश की चार बड़ी बिल्लियों में से एक है और फेलिडे परिवार का सदस्य है। यह बाघ के बाद दूसरी सबसे बड़ी सजीव बिल्ली है, जिसके कुछ नरों का वजन २५० किलोग्राम से अधिक होता है। जंगली सिंह वर्तमान में उप सहारा अफ्रीका और एशिया में पाए जाते हैं। इसकी तेजी से विलुप्त होती बची खुची जनसंख्या उत्तर पश्चिमी भारत में पाई जाती है, ये ऐतिहासिक समय में उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और पश्चिमी एशिया से गायब हो गए थे। प्लेइस्तोसेन के अंतिम समय तक, जो लगभग १०,००० वर्ष् पहले था, सिंह मानव के बाद सबसे अधिक व्यापक रूप से फैला हुआ बड़ा स्तनधारी, भूमि पर रहने वाला जानवर था। वे अफ्रीका के अधिकांश भाग में, पश्चिमी यूरोप से भारत तक अधिकांश यूरेशिया में और युकोन से पेरू तक अमेरिका में पाए जाते थे। सिंह जंगल में १०-१४ वर्ष तक रहते हैं, जबकि वे कैद मे २० वर्ष से भी अधिक जीवित रह सकते हैं। जंगल में, नर कभी-कभी ही दस वर्ष से अधिक जीवित रह पाते हैं, क्योंकि प्रतिद्वंद्वियों के साथ झगड़े में अक्सर उन्हें चोट पहुंचती है। वे आम तौर पर सवाना और चारागाह में रहते हैं, हालांकि वे झाड़ी या जंगल में भी रह सकते हैं। अन्य बिल्लियों की तुलना में सिंह आम तौर पर सामाजिक नहीं होते हैं। सिंहों के एक समूह जिसे अंग्रेजी मे प्राइड कहॉ जाता में सम्बन्धी मादाएं, बच्चे और छोटी संख्या में नर होते हैं। मादा सिंहों का समूह प्रारूपिक रूप से एक साथ शिकार करता है, जो अधिकांशतया बड़े अनग्युलेट पर शिकार करते हैं। सिंह शीर्ष का और कीस्टोन शिकारी है, हालांकि वे अवसर लगने पर मृतजीवी की तरह भी भोजन प्राप्त कर सकते हैं। सिंह आमतौर पर चयनात्मक रूप से मानव का शिकार नहीं करते हैं, फिर भी कुछ सिंहों को नर-भक्षी बनते हुए देखा गया है, जो मानव शिकार का भक्षण करना चाहते हैं। सिंह एक संवेदनशील प्रजाति है, इसकी अफ्रीकी रेंज में पिछले दो दशकों में इसकी आबादी में संभवतः ३० से ५० प्रतिशत की अपरिवर्तनीय गिरावट देखी गयी है। ^ डाटाबेस प्रवेश में एस बात का एक लंबा औचित्य सम्मिलित है कि यह प्रजाति संवेदनशील क्यों है। क्यों इस प्रजाति की दुर्दशा का एक भी सम्मिलित है सिंहों की संख्या नामित सरंक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों के बहार अस्थिर है। हालांकि इस गिरावट का कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है, आवास की क्षति और मानव के साथ संघर्ष इसके सबसे बड़े कारण हैं। सिंहों को रोमन युग से पिंजरे में रखा जाता रहा है, यह एक मुख्य प्रजाति रही है जिसे अठारहवीं शताब्दी के अंत से पूरी दुनिया में चिडिया घर में प्रदर्शन के लिए रखा जाता रहा है। खतरे में आ गयी एशियाई उप प्रजातियों के लिए पूरी दुनिया के चिड़ियाघर प्रजनन कार्यक्रमों में सहयोग कर रहे हैं। दृश्य रूप से, एक नर सिंह अति विशिष्ट होता है और सरलता से अपने अयाल (गले पर बाल) द्वारा पहचाना जा सकता है। सिंह, विशेष रूप से नर सिंह का चेहरा, मानव संस्कृति में सबसे व्यापक ज्ञात जंतु प्रतीकों में से एक है। उच्च पाषाण काल की अवधि से ही इसके वर्णन मिलते हैं, जिनमें लॉसकाक्स और चौवेत गुफाओं की व नक्काशियां और चित्रकारियां सम्मिलित हैं, सभी प्राचीन और मध्य युगीन संस्कृतियों में इनके प्रमाण मिलते हैं, जहां ये ऐतिहासिक रूप से पाए गए। राष्ट्रीय ध्वजों पर, समकालीन फिल्मों और साहित्य में चित्रकला में, मूर्तिकला में और साहित्य में इसका व्यापक वर्णन पाया जाता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और सिंह (पशु) · और देखें »

सुनहरा उर्दू

सन् १३०० ईसवी में सुनहरा उर्दू साम्राज्य (हरे रंग में) सुनहरा उर्दू या सुनहरा झुण्ड (मंगोल: Зүчийн улс, ज़ुची-इन उल्स; अंग्रेज़ी: Golden Horde) एक मंगोल ख़ानत थी जो १३वीं सदी में मंगोल साम्राज्य के पश्चिमोत्तरी क्षेत्र में शुरू हुई थी और जिसे इतिहासकार मंगोल साम्राज्य का हिस्सा मानते हैं। इसे किपचक ख़ानत और जोची का उलुस भी कहा जाता था। यह ख़ानत १२४० के दशक में स्थापित हुई और सन् १५०२ तक चली। यह अपने बाद के काल में तुर्की प्रभाव में आकर एक तुर्की-मंगोल साम्राज्य बन चला था। इस साम्राज्य की नीव जोची ख़ान के पुत्र (और चंगेज़ ख़ान के पोते) बातु ख़ान ने रखी थी। अपने चरम पर इस ख़ानत में पूर्वी यूरोप का अधिकतर भाग और पूर्व में साइबेरिया में काफ़ी दूर तक का इलाक़ा शामिल था। दक्षिण में यह कृष्ण सागर के तट और कॉकस क्षेत्र तक विस्तृत थी। इसकी दक्षिण सीमाएँ इलख़ानी साम्राज्य नाम की एक अन्य मंगोल ख़ानत से लगती थीं।, David Morgan, John Wiley & Sons, 2007, ISBN 978-1-4051-3539-9,...

नई!!: मंगोल भाषा और सुनहरा उर्दू · और देखें »

सुम (ज़िला)

मंगोलिया के अरख़ानगई प्रांत के सुम सुम (मंगोलियाई: ᠰᠤᠮᠤ या сум; अंग्रेजी: Sum), सुमु या सुमुन मंगोलियाई और तुर्की भाषाओँ में ज़िले का स्तर रखने वाले एक प्रशासनिक प्रभाग हो कहते हैं। यह ईकाई मंगोलिया में और चीन और रूस के मंगोल इलाक़ों में इस्तेमाल होती है। चीन में इसे भीतरी मंगोलिया में और रूस में इसे बुरयात गणतंत्र और तूवा में प्रयोग किया जाता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और सुम (ज़िला) · और देखें »

सुख़बातर प्रांत

सुख़बातर (मंगोल: Сүхбаатар; अंग्रेज़ी: Sükhbaatar) मंगोलिया के पूर्व में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 .

नई!!: मंगोल भाषा और सुख़बातर प्रांत · और देखें »

सेलेन्गा नदी

सेलेन्गा नदी और उसकी उपनदियों के मार्गों का नक़्शा सेलेन्गा नदी (मंगोल: Сэлэнгэ мөрөн, सेलेन्गे मोरोन; रूसी: Селенга; अंग्रेज़ी: Selenga) मंगोलिया और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के बुर्यातिया गणतंत्र की एक प्रमुख नदी है। यह इदेर नदी (Ider) और देलगेर नदी (Delgermörön) के विलय से बनती है और इसका पानी अंत में बायकल झील में एक नदीमुख (डेल्टा) बनाकर मिल जाता है। इसकी कुल लम्बाई ९९२ किमी है और यह येनिसेय-अंगारा नदी मंडल के लिए जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।, www.medeelel.mn, Accessed July 16, 2007 बायकल झील में जाने वाला लगभग आधा पानी इसी नदी से आता है।, Hellmuth Barthel, Haack, 1988 मंगोलिया के सेलेन्गे प्रान्त का नाम इसी नदी से आया है। .

नई!!: मंगोल भाषा और सेलेन्गा नदी · और देखें »

सेलेंगे प्रांत

सेलेंगे (मंगोल: Сэлэнгэ; अंग्रेज़ी: Selenge) मंगोलिया के उत्तर में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। इस प्रांत की राजधानी सुख़बातर (Сүхбаатар, Sükhbaatar) शहर है। इस प्रांत का नाम इसमें बहने वाली सेलेन्गा नदी पर पड़ा है। इस प्रांत की ज़मीन इसकी बहुत से नदी-झरनों की वजह से बड़ी उपजाऊ है और यहाँ की गेंहू, सेब और अन्य पैदावार मंगोलिया-भर में जाती है। इस प्रांत के बीच में दरख़ान-ऊल​ प्रांत है जो चारों तरफ़ से सेलेंगे प्रांत से घिरा हुआ है और जिसको सन् १९९४ में सेलेंगे प्रांत से अलग किया गया था।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9,...

नई!!: मंगोल भाषा और सेलेंगे प्रांत · और देखें »

सोरग़ोग़तानी बेकी

तोलुइ ख़ान अपनी पत्नी सोरग़ोग़तानी के साथ सोरग़ोग़तानी बेकी (मंगोल: Сорхагтани Бэхи, अंग्रेजी: Sorghaghtani Beki;; जन्म: ११९८ ई; देहांत: १२५२ ई) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान की बहु और उसके चौथे और सबे छोटे पुत्र तोलुइ ख़ान की पत्नी थी। उसे मंगोल इतिहास की सबसे होशियार और सक्षम स्त्री माना जाता है। उसने अपने चारों बेटों - मोंगके ख़ान, हलाकु ख़ान, आरिक़ बोके और कुबलाई ख़ान - को कुशलता से अपने दादा के साम्राज्य की बागडोर संभाल लेने के लिए पाला और उनमें नेतृत्व का गुण पैदा किया। परिवार और साम्राज्य की परिस्थितियाँ समझते हुए उसने अपने बेटों के लिए अनुकूल स्थिति भी बनाई। मंगोल साम्राज्य के जारी रहने और पनपने से पूरे यूरेशिया में व्यापार और विचारों की अदला-बदली के मार्ग खुलने का बहुत श्रेय उसको दिया जाता है। बहुत से इतिहासकार उसे विश्व इतिहास की सब से प्रभावशाली स्त्रियों में से एक भी समझते हैं।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

नई!!: मंगोल भाषा और सोरग़ोग़तानी बेकी · और देखें »

सीरिलिक लिपि

सीरिलिक लिपि (या, सीरिलीय लिपि / Cyrillic) पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के क्षेत्र की कई भाषओं को लिखने में प्रयुक्त होती है। इसे अज़्बुका भी कहते हैं, जो इस लिपि की वर्णमाला के शुरुआती दो अक्षरों के पुराने नामों को मिलाकर बनाया गया है, जैसे कि यूनानी वर्णमाला के दो शुरुआती अक्षरों - अल्फ़ा और बीटा - को मिलाकर अल्फ़ाबेट (Alphabet) यानि वर्णमाला बनता है। इस लिपि के वर्णों से जिन भाषओं को लिखा जाता है उसमें रूसी भाषा प्रमुख है। सोवियत संघ के पूर्व सदस्य ताजिकिस्तान में फ़ारसी भाषा का स्थानीय रूप (यानि ताजिक भाषा) भी इसी लिपि में लिखा जाता है। इसके अलावा बुल्गारियन, सर्बियन, कज़ाख़, मैसीडोनियाई, उज़बेक, यूक्रेनी तथा मंगोलियाई भाषा भी मुख्यतः इसी लिपि में लिखी जाती है। इस वर्णमाला को यूरोपीय संघ में आधिकारिक मान्यता प्राप्त है जहाँ केवल रोमन तथा यूनानी लिपि ही अन्य आधिकारिक लिपियाँ हैं। .

नई!!: मंगोल भाषा और सीरिलिक लिपि · और देखें »

हलाकु ख़ान

इलख़ानी साम्राज्य का संस्थापक हलाकु ख़ान अपनी पत्नी दोक़ुज़ ख़ातून के साथ सन् १२५८ में हलाकु की फ़ौज बग़दाद को घेरे हुए हलाकु द्वारा ज़र्ब किया गया ख़रगोश के चिह्न वाला सिक्का हलाकु ख़ान या हुलेगु ख़ान (मंगोल: Хүлэг хаан, ख़ुलेगु ख़ान; फ़ारसी:, हूलाकू ख़ान; अंग्रेजी: Hülegü Khan;; जन्म: १२१७ ई अनुमानित; देहांत: ८ फ़रवरी १२६५ ई) एक मंगोल ख़ान (शासक) था जिसने ईरान समेत दक्षिण-पश्चिमी एशिया के अन्य बड़े हिस्सों पर विजय करके वहाँ इलख़ानी साम्राज्य स्थापित किया। यह साम्राज्य मंगोल साम्राज्य का एक भाग था। हलाकु ख़ान के नेतृत्व में मंगोलों ने इस्लाम के सबसे शक्तिशाली केंद्र बग़दाद को तबाह कर दिया। ईरान पर अरब क़ब्ज़ा इस्लाम के उभरने के लगभग फ़ौरन बाद हो चुका था और तबसे वहाँ के सभी विद्वान अरबी भाषा में ही लिखा करते थे। बग़दाद की ताक़त नष्ट होने से ईरान में फ़ारसी भाषा फिर पनपने लगी और उस काल के बाद ईरानी विद्वान और इतिहासकार फ़ारसी में ही लिखा करते थे।, Craig A. Lockard, Cengage Learning, 2010, ISBN 978-1-4390-8535-6,...

नई!!: मंगोल भाषा और हलाकु ख़ान · और देखें »

हज़ारगी भाषा

हज़ारगी में हज़ारगी भाषा का नाम, जो 'आज़रगी' लिखा जाता है हज़ारगी अफ़ग़ानिस्तान में हज़ारा लोगों द्वारा बोली जाने वाली फ़ारसी भाषा का एक रूप है। यह सब से ज़्यादा मध्य अफ़ग़ानिस्तान के हज़ाराजात नामक क्षेत्र में बोली जाती है। हज़ारा लोग इस भाषा को आम तौर पर आज़रगी बोलते हैं। हज़ारगी बोलने वालों की संख्या १८ से २२ लाख अनुमानित की गई है।, Franz Schurmann, pp.

नई!!: मंगोल भाषा और हज़ारगी भाषा · और देखें »

हेइलोंगजियांग

चीन में हेइलोंगजियांग प्रांत (लाल रंग में) हेइलोंगजियांग (黑龙江省, Heilongjiang) जनवादी गणराज्य चीन के सुदूर पूर्वोत्तर में स्थित एक प्रांत है जो ऐतिहासिक मंचूरिया क्षेत्र का भाग है। हेइलोंगजियांग का मतलब 'काली अझ़दहा नदी' होता है, जो चीनी भाषा में अमूर नदी का नाम है। चीनी भावचित्रों में इसका संक्षिप्त एकाक्षरी चिह्न '黑' (हेइ) है। इस इलाक़े को मान्छु भाषा में 'साहालियान उला' (ᠰᠠᡥᠠᠯᡳᠶᠠᠨ ᡠᠯᠠ, अर्थ: काली नदी) कहते हैं और मंगोल भाषा में भी इसका नाम क़ारामोएरिन (यानि 'काली नदी') है। उत्तर और पूर्व में इस प्रांत की सीमाएँ रूस को लगती हैं। हेइलोंगजियांग प्रांत की राजधानी और सबसे बड़ा शहर हारबिन है। चीन के सबसे उत्तरी और सबसे पूर्वी स्थान दोनों इसी प्रांत में पड़ते हैं। इस शहर में बहुत सर्दी पड़ती है और यह सर्दियों में आयोजित होने वाले बर्फ़-मूर्तिकला उत्सवों के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रांत में मान्छु, रूसी, मंगोल और बहुत से अन्य प्रभाव नज़र आते हैं।, Simon Foster, Jen Lin-Liu, Sharon Owyang, Sherisse Pham, Beth Reiber, Lee Wing-sze, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-0-470-52658-3 .

नई!!: मंगोल भाषा और हेइलोंगजियांग · और देखें »

ज़वख़ान प्रांत

ज़वख़ान (मंगोल: Завхан; अंग्रेज़ी: Zavkhan) मंगोलिया के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। इसका नाम ज़वख़ान नदी पर पड़ा है जो इस प्रांत और गोवी-अल्ताई प्रांत के बीच की सीमा भी है।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 .

नई!!: मंगोल भाषा और ज़वख़ान प्रांत · और देखें »

ज़ुन्गार लोग

सरल (Saral), जो मान्छु लोगों के चीन और मंगोलिया पर राज करने वाले चिंग राजवंश की फ़ौज में ज़ुन्गार जाति का एक अफसर था ज़ुन्गार (मंगोल: Зүүнгар, कज़ाख़: Жоңғар, अंग्रेज़ी: Dzungar) मंगोल लोगों की ओइरत शाखा की एक उपशाखा का नाम है जिन्होनें १७वीं और १८वीं सदी में अपनी ज़ुन्गार ख़ानत चलाई थी। ऐतिहासिक रूप से वे ओइरत उपजाति के चार प्रमुख क़बीलों में से एक रहे हैं (अन्य तीन तोरग़ुत​, दोरबेत और ख़ोशूत​ हैं)। मंगोल भाषा में 'ज़ुउन्गार' शब्द का मतलब 'बाहिनें हाथ' होता है। आधुनिक युग में ज़ुन्गार लोग मंगोलिया और चीन में रहते हैं और मंगोलिया में उनकी जनसँख्या १५,५२० अनुमानित की गई थी। .

नई!!: मंगोल भाषा और ज़ुन्गार लोग · और देखें »

जू-जान ख़ागानत

५०० ईसवी में जू-जान ख़ागानत ५०० ईसवी में जू-जान और उनके पड़ौसी जू-जान ख़ागानत (Jou-jan Khaganate) या रोऊरान ख़ागानत (चीनी: 柔然, Rouran Khaganate) या निरून ख़ागानत (मंगोल: Нирун, Nirun Khaganate) एक ख़ानाबदोश क़बीलों का परिसंघ था जो चीन के उत्तरी भाग और उसके पड़ौसी इलाक़ों में चौथी सदी ईसवी के अंत से छठी सदी ईसवी के मध्य तक के काल में विस्तृत था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार यह क़बीले वही थे जो बाद में यूरोप में यूरेशियाई आवार लोगों के रूप में उभरे।, Barbara A. West, Infobase Publishing, 2009, ISBN 978-1-4381-1913-7,...

नई!!: मंगोल भाषा और जू-जान ख़ागानत · और देखें »

जोची ख़ान

मंगोलिया में जोची ख़ान का बुत, जो चंगेज़ ख़ान और बोरते का पहला पुत्र था जोची ख़ान (मंगोल: Зүчи, ज़ूची; फ़ारसी:, जोजी, अंग्रेजी: Jochi;; जन्म: ११८१ ई अनुमानित; देहांत: १२२७ ई) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान और उसकी मुख्य पत्नी बोरते का पहला पुत्र था। उसने अपने पिता के मध्य एशिया को मंगोल साम्राज्य के अधीन करने के अभियान में बहुत हिस्सा लिया। उसे एक क़ाबिल और सहासी सिपहसालार माना जाता है।, Leo de Hartog, Tauris Parke Paperbacks, 2004, ISBN 978-1-86064-972-1,...

नई!!: मंगोल भाषा और जोची ख़ान · और देखें »

वज्रयान

वज्रयान (বজযান; मलयाली: വജ്രയാന; उडिया: ବଜ୍ରଯାନ; तिब्बती: རྡོ་རྗེ་ཐེག་པ་, दोर्जे थेग प; मंगोल: Очирт хөлгөн, ओचिर्ट होल्गोन; चीनी: 密宗, मि ज़ोंग) को तांत्रिक बौद्ध धर्म, तंत्रयान, मंत्रयान, गुप्त मंत्र, गूढ़ बौद्ध धर्म और विषमकोण शैली या वज्र रास्ता भी कहा जाता है। वज्रयान बौद्ध दर्शन और अभ्यास की एक जटिल और बहुमुखी प्रणाली है जिसका विकास कई सदियों में हुआ। वज्रयान संस्कृत शब्द, अर्थात हीरा या तड़ित का वाहन है, जो तांत्रिक बौद्ध धर्म भी कहलाता है तथा भारत व पड़ोसी देशों में, विशेषकर तिब्बत में बौद्ध धर्म का महत्त्वपूर्ण विकास समझा जाता है। बौद्ध धर्म के इतिहास में वज्रयान का उल्लेख महायान के आनुमानिक चिंतन से व्यक्तिगत जीवन में बौद्ध विचारों के पालन तक की यात्रा के लिये किया गया है।;वज्र ‘वज्र’ शब्द का प्रयोग मनुष्य द्वारा स्वयं अपने व अपनी प्रकृति के बारे में की गई कल्पनाओं के विपरीत मनुष्य में निहित वास्तविक एवं अविनाशी स्वरूप के लिये किया जाता है।;यान ‘यान’ वास्तव में अंतिम मोक्ष और अविनाशी तत्त्व को प्राप्त करने की आध्यात्मिक यात्रा है। .

नई!!: मंगोल भाषा और वज्रयान · और देखें »

ख़ान (उपाधि)

ओगदाई ख़ान, चंग़ेज़ ख़ान का तीसरा पुत्र ख़ान या ख़ाँ (मंगोल: хан, फ़ारसी:, तुर्की: Kağan) मूल रूप से एक अल्ताई उपाधि है तो शासकों और अत्यंत शक्तिशाली सिपहसालारों को दी जाती थी। यह समय के साथ तुर्की-मंगोल क़बीलों द्वारा पूरे मध्य एशिया में इस्तेमाल होने लगी। जब इस क्षेत्र के सैन्य बलों ने भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, अफ़्ग़ानिस्तान और अन्य क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर के अपने साम्राज्य बनाने शुरू किये तो इसका प्रयोग इन क्षेत्रों की कई भाषाओँ में आ गया, जैसे कि हिन्दी-उर्दू, फ़ारसी, पश्तो, इत्यादि। इसका एक और रूप 'ख़ागान' है जिसका अर्थ है 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना', जो भारत में कभी प्रचलित नहीं हुआ। इसके बराबरी की स्त्रियों की उपाधियाँ ख़ानम और ख़ातून हैं।, Elena Vladimirovna Boĭkova, R. B. Rybakov, Otto Harrassowitz Verlag, 2006, ISBN 978-3-447-05416-4 .

नई!!: मंगोल भाषा और ख़ान (उपाधि) · और देखें »

ख़ानगई पर्वत

मध्य मंगोलिया में स्थित ख़ानगई पर्वत ख़ानगई पर्वतों के बीच तेरख़िइन त्सगाआन झील ख़ानगई पर्वत (मंगोल: Хангайн нуруу, अंग्रेज़ी: Khangai Mountains) मध्य मंगोलिया में स्थित एक पर्वत शृंखला है। यह मंगोलिया की राजधानी उलान बतोर से लगभग ४०० किमी पश्चिम पर स्थित है। ख़ानगई के पहाड़ अल्ताई पर्वतों से पूर्व में और सायन पर्वतों से दक्षिण की तरफ़ हैं। ५०० किमी तक चलने वाली ख़ानगई शृंखला का सबसे ऊँचा पहाड़ लगभग ४,००० मीटर लम्बा ओतगोनतेंगर (Отгонтэнгэр, Otgontenger) है। इन पहाड़ों से ओरख़ोन, सेलेंगे, इदर और ज़वख़ान नदियाँ निकलती हैं और इसी क्षेत्र में ओरोग और बोओन झीलें भी स्थित हैं। पश्चिम में यह पर्वत ख़त्म होते हैं और महान झील द्रोणी शुरू होती है।, Alan J. K. Sanders, Scarecrow Press, 2010, ISBN 978-0-8108-6191-6,...

नई!!: मंगोल भाषा और ख़ानगई पर्वत · और देखें »

ख़ागान

कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य का पाँचवा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) था ख़ागान या ख़ाक़ान (मंगोल: хаган, फ़ारसी) मंगोलियाई और तुर्की भाषाओँ में 'सम्राट' के बराबर की एक शाही उपाधि थी। इसी तरह ख़ागानत इन्ही भाषाओँ में 'साम्राज्य' के लिए शब्द था। ख़ागान को कभी-कभी 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना' भी अनुवादित किया जाता है, जो 'महाराजाधिराज' (यानि 'राजाओं का राजा') या 'शहनशाह' (यानि 'शाहों का शाह') के बराबर है। जब मंगोल साम्राज्य विस्तृत हो गया था तो उसके भिन्न हिस्सों को अलग-अलग ख़ानों के सुपुर्द कर दिया था। इन सब ख़ानों से ऊपर के 'सर्वोच्च ख़ान' को 'ख़ागान' कहा जाता था।, Donald Ostrowski, Cambridge University Press, 2002, ISBN 978-0-521-89410-4,...

नई!!: मंगोल भाषा और ख़ागान · और देखें »

ख़ितानी भाषा

कोरिया से मिला एक आइना जिसमें छोटी ख़ितानी लिपि में लिखावट है सन ९८६ की ऐक शिला जिसमें बड़ी ख़ितानी लिपि में लिखावट है ख़ितानी भाषा मध्य एशिया में बोले जाने वाली एक विलुप्त भाषा थी जिसे ख़ितानी लोग बोला करते थे। यह भाषा सन् ३८८ से सन् १२४३ तक ख़ितानी राज्य व्यवस्था के लिए प्रयोगित थी। भाषा-परिवार के नज़रिए से इसे मंगोल भाषा-परिवार का सदस्य माना जाता है, हालांकि जब यह बोली जाति थी तब आधुनिक मंगोल भाषा अस्तित्व में नहीं थी। यह भाषा पहले ख़ितानियों के लियाओ राजवंश और फिर कारा-ख़ितान की राजभाषा रही। किसी ज़माने में कुछ भाषावैज्ञानिक समझते थे कि इसका मंगोल भाषा होने कि बजाए एक तुन्गुसी भाषा होना अधिक संभव है, लेकिन वर्तमान युग में लगभग सभी विद्वान इस एक मंगोल भाषा मानते हैं। क्योंकि यह भाषा काफ़ी अरसे तक उईग़ुर जैसी तुर्की भाषाओँ के संपर्क में रही, इसलिए इनमें शब्दों का आपसी आदान-प्रदान होता रहा। .

नई!!: मंगोल भाषा और ख़ितानी भाषा · और देखें »

ख़ितानी लोग

ख़ितानी लोग शिकार के लिए पालतू चीलों का इस्तेमाल करते थे चंगेज़ ख़ान के मंगोल साम्राज्य से पहले १३वीं सदी में यूरेशिया के स्थिति - कारा-ख़ितान राज्य नक़्शे में दिख रहा है ख़ितानी लोग (मंगोल: Кидан, किदान; फ़ारसी:, ख़िताई; चीनी: 契丹, चिदान) ४थी सदी ईसवी से मंगोलिया और मंचूरिया में बसने वाले एक मंगोल जाति के लोग थे। १०वीं सदी तक उन्होंने उत्तरी चीन के एक बड़े इलाक़े पर अपनी धाक जमा ली थी और लियाओ राजवंश स्थापित कर लिया था। सन् ११२५ में यह राजवंश ख़त्म हो गया और ख़ितानी पश्चिम की ओर कूच कर गए जहाँ उन्होंने कारा-ख़ितान नाम का राज्य बनाया। फिर सन् १२१८ में उनकी टक्कर मंगोल साम्राज्य से हुई जिसने उनका राज हमेशा के लिए समाप्त कर दिया।, Michal Biran, Cambridge University Press, 2005, ISBN 978-0-521-84226-6 .

नई!!: मंगोल भाषा और ख़ितानी लोग · और देखें »

ख़ेन्ती प्रांत

ख़ेन्ती (मंगोल: Хэнтий; अंग्रेज़ी: Khentii) मंगोलिया के पूर्वोत्तर में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। इसका नाम प्रांत से निकलने वाले ख़ेन्ती पर्वतों पर पड़ा है। इतिहासकारों का मानना है कि प्रसिद्ध मंगोल साम्राज्य के शासक-संस्थापक चंगेज़ ख़ान की समाधी इसी प्रांत में कहीं है, हालाँकि वह आज तक किसी को मिली नहीं है।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 .

नई!!: मंगोल भाषा और ख़ेन्ती प्रांत · और देखें »

ख़ोव्द (शहर)

ख़ोव्द (मंगोल: Ховд) मंगोलिया का एक शहर है और इसी नाम के ख़ोव्द प्रांत की राजधानी है। यह पूरे मंगोलिया में अपने तरबूज़ व टमाटर के लिये जाना जाते है और यहाँ का माँस भी मंगोलिया में लोकप्रिय है। ख़ोव्द शहर अल्ताई पर्वतों के चरणों में स्थित है। .

नई!!: मंगोल भाषा और ख़ोव्द (शहर) · और देखें »

ख़ोव्द प्रांत

ख़ोव्द (मंगोल: Ховд; अंग्रेज़ी: Khovd) मंगोलिया के पश्चिमी भाग में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। यहाँ कई समुदाय रहते हैं और मंगोल लोग व कज़ाख़ लोग की मिश्रित आबादी बसी हुई है।, Alan J.K. Sanders, Scarecrow Press, 2010, ISBN 9780810874527 इसका नाम इस प्रांत में बहने वाली ख़ोव्द नदी पर पड़ा है। .

नई!!: मंगोल भाषा और ख़ोव्द प्रांत · और देखें »

ख़ोव्स्गोल प्रांत

ख़ोव्स्गोल (मंगोल: Хөвсгөл; अंग्रेज़ी: Khövsgöl) मंगोलिया के उत्तरी भाग में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। यह म्ंगोलिया का सर्वोत्तरी प्रांत है।, Alan J.K. Sanders, Scarecrow Press, 2010, ISBN 9780810874527 इस प्रांत का नाम ख़ोव्स्गोल झील पर पड़ा है। .

नई!!: मंगोल भाषा और ख़ोव्स्गोल प्रांत · और देखें »

गुयुक ख़ान

गुयुक ख़ान या गोयोक ख़ान (मंगोल: Гүюг хаан, फ़ारसी:, अंग्रेजी: Güyük Khan;; १२०६ ई - १२४८ ई अनुमानित जीवनकाल) मंगोल साम्राज्य का तीसरा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) था। वह चंगेज़ ख़ान का पोता और ओगताई ख़ान का सबसे बड़ा पुत्र था। सन् १२४८ में सफ़र करते हुए अज्ञात कारणों से उसकी मृत्यु हो जाने के बाद उसके चाचा तोलुइ ख़ान का पुत्र मोंगके ख़ान ख़ागान बना।, Robert Marshall, University of California Press, 1993, ISBN 978-0-520-08300-4,...

नई!!: मंगोल भाषा और गुयुक ख़ान · और देखें »

गूगल खोज

गूगल खोज या गूगल वेब खोज वेब पर खोज का एक इंजन है, जिसका स्वामित्व गूगल इंक के पास है और यह वेब पर सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला खोज इंजन है। अपनी विभिन्न सेवाओं के जरिये गूगल प्रति दिन कई सौ लाख विभिन्न प्रश्न प्राप्त करता है। गूगल खोज का मुख्य उद्देश्य अन्य सामग्रियों, जैसे गूगल चित्र खोज के मुकाबले वेबपृष्ठों से सामग्री की खोज करना है। मूलतः गूगल खोज का विकास 1997 में लैरी पेज और सेर्गेई ब्रिन ने किया। गूगल खोज मूल शब्द खोज क्षमता से परे कम से कम 22 विशेष सुविधाएं प्रदान करता है। इनमें समानार्थी शब्द, मौसम पूर्वानुमान, समय क्षेत्र, स्टॉक उद्धरण, मानचित्र, भूकंप डेटा, मूवी शोटाइम, हवाई अड्डा, होम लिस्टिंग और खेल स्कोर शामिल है। (नीचे देखें: विशेष सुविधाएं).

नई!!: मंगोल भाषा और गूगल खोज · और देखें »

गूगल अनुवाद

गूगल अनुवाद या गूगल ट्रान्स्लेट (Google Translate) एक अनुवादक साफ्टवेयर एवं सेवा है जो एक भाषा के टेक्स्ट या वेबपेज को दूसरी भाषा में अनुवाद करता है। यह गूगल नामक कंपनी द्वारा विकसित एवं परिचालित है। इसके लिये गूगल अपना स्वयं का अनुवादक सॉफ्टवेयर प्रयोग करता है जो सांख्यिकीय मशीनी अनुवाद है। जनवरी 2016 की स्थिति के अनुसार, गूगल अनुवाद विभिन्न स्तरों पर 90 भाषाओं का समर्थन करता है और प्रतिदिन 20 करोड़ लोगों को अनुवाद प्रदान करता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और गूगल अनुवाद · और देखें »

गोलमुद

गोलमुद रेल स्टेशन चीन के नक़्शे पर गोलमुद की स्थिति गोलमुद (मंगोलियाई: Голмуд; तिब्बती: ན་གོར་མོ་; चीनी: 格尔木), जिसे चीनी लोग कभी-कभी 'गीरमू' उच्चारित करते हैं, पश्चिमी चीन के चिंगहई प्रांत में एक शहर और ज़िले का नाम है। यह चिंगहई प्रांत की दूसरा सब से बड़ा नगर और तिब्बत के पठार पर स्थित तीसरा सब से बड़ा नगर है। सन् १९९९ की जनगणना में इसकी आबादी लगभग २ लाख थी और इस ज़िले का क्षेत्रफल लगभग १२४,५०० वर्ग किमी है। इस शहर का नाम मंगोल भाषा से लिया गया है जिसकी पश्चिमी उपभाषा में इसका अर्थ 'नदियाँ' होता है। गोलमुद कुनलुन पर्वतों के काफ़ी पास है और यह पहाड़ शहर के दक्षिण में पड़ते हैं। उत्तर में चाई एर्हान (Cai Erhan) नाम की एक खारी झील स्थित है जो पर्यटकों के लिए दिलचस्प मानी जाती है। .

नई!!: मंगोल भाषा और गोलमुद · और देखें »

गोवी-अल्ताई प्रांत

गोवी-अल्ताई (मंगोल: Говь-Алтай; अंग्रेज़ी: Govi-Altai) मंगोलिया के दक्षिण-पश्चिम में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। ज़वख़ान नदी इस अइमग और पड़ोस की ज़वख़ान अइमग के बीच की सीमा है।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 इस प्रांत का नाम इसके दो बड़े भौगोलिक तथ्यों को मिलाकर रखा गया है: गोबी रेगिस्तान व अल्ताई पर्वत। .

नई!!: मंगोल भाषा और गोवी-अल्ताई प्रांत · और देखें »

गोवीसुम्बेर प्रांत

गोवीसुम्बेर (मंगोल: Говьсүмбэр; अंग्रेज़ी: Govisümber) मंगोलिया के मध्य में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। इसका नाम गोबी रेगिस्तान और हिन्दू व बौद्ध परम्परा में महत्वपूर्ण सुमेरू पर्वत को मिलाकर बना है।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 .

नई!!: मंगोल भाषा और गोवीसुम्बेर प्रांत · और देखें »

ओम्नोगोवी प्रांत

ओम्नोगोवी (मंगोल: Өмнөговь; अंग्रेज़ी: Ömnögovi) मंगोलिया के दक्षिण में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। यह मंगोलिया के उन तीन प्रांतों में से है जो कि गोबी रेगिस्तान का हिस्सा हैं। यह तीन दोरनोगोवी (अर्थ: पूर्वी गोबी), दुन्दगोवी (अर्थ: मध्य गोबी) और ओम्नोगोवी (अर्थ: दक्षिणी गोबी) हैं।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 .

नई!!: मंगोल भाषा और ओम्नोगोवी प्रांत · और देखें »

ओरख़ोन नदी

सेलेन्गा नदी के जलसम्भर का नक़्शा जिसमें ओरख़ोन नदी भी प्रदर्शित है ओरख़ोन नदी (मंगोल: Орхон гол, तूल गोल; अंग्रेज़ी: Orkhon River) मंगोलिया के उत्तरी भाग में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। यह अरख़ानगई प्रांत के ख़ानगई पर्वतों से शुरू होती है और १,१२४ किमी उत्तर की तरफ़ बहकर सेलेन्गा नदी में विलय कर जाती है, जिसका स्वयं आगे जाकर रूस की बायकल झील में विलय हो जाता है। ओरख़ोन मंगोलिया की सबसे लम्बी नदी है और तूल नदी और तामिर नदी इसकी मुख्य उपनदियाँ हैं। ओरख़ोन नदी की घाटी की मंगोलिया के इतिहास में अहम भूमिका रही है। इसके किनारे प्राचीन उईग़ुर ख़ागानत की राजधानी ओर्दु बालिक़ (Ordu Baliq) और मंगोल साम्राज्य की प्राचीन राजधानी काराकोरुम (Karakorum) के खँडहर स्थित हैं। इसी नदी के पास ओरख़ोन शिलालेख मिले हैं जो पुरानी तुर्की भाषा के सब से पुराने ज्ञात लेख हैं।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9,...

नई!!: मंगोल भाषा और ओरख़ोन नदी · और देखें »

ओरख़ोन प्रान्त

ओरख़ोन (Орхон, Orkhon) मंगोलिया का एक अइमग (प्रान्त) है। यह देश के उत्तरी भाग में स्थित है। इसकी राजधानी एरदेनेत है। .

नई!!: मंगोल भाषा और ओरख़ोन प्रान्त · और देखें »

ओवोरख़ानगई प्रांत

ओवोरख़ानगई (मंगोल: Өвөрхангай; अंग्रेज़ी: Övörkhangai) मंगोलिया के मध्य भाग में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है।, Alan J.K. Sanders, Scarecrow Press, 2010, ISBN 9780810874527 ओवोरख़ानगई में देश के कई ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण बौद्ध मठ हैं। .

नई!!: मंगोल भाषा और ओवोरख़ानगई प्रांत · और देखें »

ओगताई ख़ान

ओगताई ख़ान, जो मंगोल साम्राज्य का दूसरा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) और चंगेज़ ख़ान और बोरते का तीसरा पुत्र था ओगताई ख़ान (मंगोल: Өгэдэй, ओगदेई; फ़ारसी:, ओगताई, अंग्रेजी: Ögedei;; जन्म: ११८६ ई अनुमानित; देहांत: ११ दिसम्बर १२४१ ई) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान और उसकी मुख्य पत्नी बोरते का तीसरा पुत्र था और पूरे साम्राज्य का दूसरा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) था। उसने अपने पिता के ईरान, चीन और मध्य एशिया को मंगोल साम्राज्य के अधीन करने के अभियान में बहुत हिस्सा लिया। उसे एक क़ाबिल और सहासी सिपहसालार माना जाता है। कहा जाता है कि ओगताई अपने पिता का सब से प्रिय बेटा था। उसमें किसी भी बहस में लोगों का मत जीत लेने की क्षमता थी। बड़े कद-बुत और शक्तिशाली व्यक्तित्व वाला ओगताई हँसमुख और बुद्धिमान भी माना जाता था।, Leo de Hartog, Tauris Parke Paperbacks, 2004, ISBN 978-1-86064-972-1,...

नई!!: मंगोल भाषा और ओगताई ख़ान · और देखें »

ओइरत भाषा

ओइरत मंगोल भाषा-परिवार की एक सदस्य है। विद्वानों में मतभेद है कि यह एक अलग भाषा है या फिर मंगोल भाषा की एक मुख्य उपभाषा है। यह मंगोलिया के सुदूर पश्चिमी इलाक़ों, चीन के सुदूर पश्चिमोत्तरी शिन्जियान्ग प्रान्त और रूस में कैस्पियन सागर के तट पर (विषेशकर कालमिकिया में) बोली जाती है। कालमिकिया में इसकी 'कालमिक' नामक उपभाषा बोली जाती है। .

नई!!: मंगोल भाषा और ओइरत भाषा · और देखें »

ओइरत लोग

ल्हाबज़ंग ख़ान एक ख़ोशूत​ ओइरत था जिसने १६९७-१७१७ काल में तिब्बत पर राज किया ओइरत (मंगोल: Ойрад, अंग्रेज़ी: Oirat) मंगोल लोगों का सबसे पश्चिमतम समुदाय है जो पश्चिमी मंगोलिया के अल्ताई पर्वत क्षेत्र में वास करते हैं। कई क़बीलों के एकीकरण से बनी यह जाति मध्य एशिया के पूर्वी भाग में उत्पन्न हुई थी लेकिन अब इनका सबसे बड़ा गुट रूस के काल्मिकिया गणतंत्र में मिलता है जहाँ इन्हें काल्मिक लोग कहा जाता है। काल्मिकी १७वीं सदी के शुरूआती दौर में ज़ुन्गारिया से रूसी साम्राज्य के दक्षिण-पूर्वी यूरोपी भाग में आ बसे थे।, Barbara A. West, Infobase Publishing, 2010, ISBN 978-1-4381-1913-7,...

नई!!: मंगोल भाषा और ओइरत लोग · और देखें »

आरिक़ बोके

आरिक़ बोके (मंगोल: Аригбөх, आरिगबोख़; अंग्रेज़ी: Ariq Böke; १२१९ – १२६६) मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का सबसे छोटा पुत्र था। उसकी माता सोरग़ोग़तानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला। उसका बड़ा भाई मोंगके ख़ान कुछ अरसे के लिए साम्राज्य का ख़ागान (सबसे बड़ा ख़ान शासक) रहा। जब १२५९ में मोंगके की मृत्यु हो है तो उसके दोनों बड़े भाई हलाकु ख़ान और कुबलई ख़ान मंगोल गृहभूमि से अनुपस्थित थे और आरिक़ बोके ने शासन की बागडोर संभाली। १२६० में नए ख़ागान के चुनाव के लिए कुबलई मंगोलिया वापस आया तो राजसम्बन्धी दो खेमों में बाँट गए - एक आरिक़ बोके की तरफ़दारी करने लगा और तो दूसरा कुबलई ख़ान की। मंगोल गृहयुद्ध छिड़ गया, जिसमें मंगोल साम्राज्य की पुरानी प्रथाओं के समर्थकों ने आरिक़ बोके का साथ दिया जबकि मंचूरिया और उत्तर चीन के राजकुंवरों ने कुबलई ख़ान का। अंत में आरिक़ बोके की हार हुई और उसने कुबलई ख़ान के आगे हथियार डाल दिए। कुबलई ख़ान ने भाई होने के नाते आरिक़ बोके का जीवन तो बख़्श दिया लेकिन उसके साथियों को मार डाला। इसके बाद कुबलई ने बिना किसी रोकटोक के मंगोल साम्राज्य के पाँचवे ख़ागान के रूप में राज किया।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

नई!!: मंगोल भाषा और आरिक़ बोके · और देखें »

इलख़ानी साम्राज्य

अपने चरम पर इलख़ानी साम्राज्य इलख़ानी साम्राज्य या इलख़ानी सिलसिला (फ़ारसी:, सिलसिला-ए-इलख़ानी; मंगोल: Хүлэгийн улс, हुलेगु-इन उल्स; अंग्रेज़ी: Ilkhanate) एक मंगोल ख़ानत थी जो १३वीं सदी में ईरान और अज़रबेजान में शुरू हुई थी और जिसे इतिहासकार मंगोल साम्राज्य का हिस्सा मानते हैं। इसकी स्थापना चंगेज़ ख़ान के पोते हलाकु ख़ान ने की थी और इसके चरम पर इसमें ईरान, ईराक़, अफ़्ग़ानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, आर्मीनिया, अज़रबेजान, तुर्की, जोर्जिया और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे। इलख़ानी बहुत से धर्मों के प्रति सहानुभूति रखते थे लेकिन इनमें बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म को विशेष स्वीकृति हासिल थी।, Robert Marshall, University of California Press, 1993, ISBN 978-0-520-08300-4,...

नई!!: मंगोल भाषा और इलख़ानी साम्राज्य · और देखें »

कारा-ख़ितान ख़ानत

सन् १२०० में कारा-ख़ितान ख़ानत (हरे रंग में) कारा-ख़ितान ख़ानत (मंगोल: Хар Хятан, ख़ार ख़ितान; चीनी: 西遼, शी लियाओ; अंग्रेजी: Kara-Khitan Khanate), जिसे पश्चिमी लियाओ साम्राज्य भी कहा जाता है, मध्य एशिया में स्थित ख़ितानी लोगों का एक साम्राज्य था जो सन् ११२४ ईसवी से १२१८ ईसवी तक चला। ख़ितानियों का लियाओ राजवंश उत्तरी चीन पर राज करा करता था लेकिन जुरचेन लोगों के आक्रमण से वे पश्चिम की ओर चले गए और वहाँ लियाओ राजघराने के वंशज येलू दाशी (耶律達實, Yelü Dashi) ने कारा-ख़ितान नाम की ख़ानत शुरू करी।, Barbara A. West, Infobase Publishing, 2009, ISBN 978-0-8160-7109-8,...

नई!!: मंगोल भाषा और कारा-ख़ितान ख़ानत · और देखें »

कज़ाख़ लोग

चीन के शिनजियांग प्रांत में एक कज़ाख़ परिवार कज़ाख़ मध्य एशिया के उत्तरी भाग में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। कज़ाख़स्तान की अधिकाँश आबादी इसी नस्ल की है, हालाँकि कज़ाख़ समुदाय बहुत से अन्य देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़बेकिस्तान, मंगोलिया, रूस और चीन के शिनजियांग प्रान्त में। विश्व भर में १.३ से लेकर १.५ करोड़ कज़ाख़ लोग हैं और इनमें से अधिकतर की मातृभाषा कज़ाख़ भाषा है। कज़ाख़ लोग बहुत से प्राचीन तुर्की जातियों के वंशज हैं, जैसे कि अरग़िन, ख़ज़र, कारलुक, किपचक और कुमन। माना जाता है कि इनमें कुछ हद तक मध्य एशिया की कुछ ईरानी भाषाएँ बोलने वाली जातियाँ (जैसे कि शक, स्किथाई और सरमती) भी शामिल हो गई। कज़ाख़ लोग साइबेरिया से लेकर कृष्ण सागर तक फैले हुए थे और जब इस क्षेत्र में तुर्की-मंगोल लोगों का राज चला तब भी वे मध्य एशिया में ही बसे रहे। .

नई!!: मंगोल भाषा और कज़ाख़ लोग · और देखें »

कुनलुन पर्वत

तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग से पश्चिमी कुनलुन पर्वतों में काराकाश नदी का नज़ारा चिंग हई प्रांत में दूर से कुनलुन पर्वतों का दृश्य कुनलुन पर्वत शृंखला (चीनी: 昆仑山, कुनलुन शान; मंगोलियाई: Хөндлөн Уулс, ख़ोन्दलोन ऊल्स) मध्य एशिया में स्थित एक पर्वत शृंखला है। ३,००० किलोमीटर से अधिक चलने वाली यह शृंखला एशिया की सब से लम्बी पर्वतमालाओं में से एक गिनी जाती है। कुनलुन पर्वत तिब्बत के पठार के उत्तर में स्थित हैं और उसके और तारिम द्रोणी के बीच एक दीवार बनकर खड़े हैं। पूर्व में यह उत्तर चीन के मैदानों में वेई नदी के दक्षिण-पूर्व में जाकर ख़त्म हो जाते हैं। कुनलुन पर्वत भारत के अक्साई चिन इलाक़े को भी तारिम द्रोणी से अलग करते हैं, हालांकि वर्तमान में अक्साई चिन क्षेत्र चीन के क़ब्ज़े में है। इस पर्वतमाला में कुछ ज्वालामुखी भी स्थित हैं। .

नई!!: मंगोल भाषा और कुनलुन पर्वत · और देखें »

कुबलई ख़ान

कुबलई ख़ान कुबलई ख़ान या 'खुबिलाई ख़ान' (मंगोल: Хубилай хаан; चीनी: 忽必烈; २३ सितम्बर १२१५ – १८ फ़रवरी १२९४) मंगोल साम्राज्य का पाँचवा ख़ागान (सबसे बड़ा ख़ान शासक) था। उसने १२६० से १२९४ तक शासन किया। वह पूर्वी एशिया में युआन वंश का संस्थापक था। उसका राज्य प्रशान्त महासागर से लेकर यूराल तक और साइबेरिया से वर्तमान अफगानिस्तान तक फैला हुआ था जो विश्व के रहने योग्य क्षेत्रफल का २० प्रतिशत है। कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का बेटा था। उसकी माता सोरग़ोग़तानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला और परवारिक परिस्थितियों पर ऐसा नियंत्रण रखा कि कुबलई मंगोल साम्राज्य के एक बड़े भू-भाग का शासक बन सका।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

नई!!: मंगोल भाषा और कुबलई ख़ान · और देखें »

कोंगुर ताग़

कोंगुर ताग़ का नज़ारा कोंगुर ताग़ (उइग़ुर:, मंगोल: Хонгор Таг, अंग्रेज़ी: Kongur Tagh) कुनलुन शान पर्वतमाला का सबसे ऊँचा पहाड़ है। वैसे तो यह ७,६४९ मीटर (२५,०९५ फ़ुट) ऊँचा पर्वत अपने समीपी मुज़ताग़ अता पहाड़ (जो कुनलुन शान का दूसरा सबसे ऊँचा पहाड़ है) के बहुत पास है, लेकिन अधिक दुर्गम स्थल में होने से कम जाना जाता है। आधुनिक काल में काराकोरम राजमार्ग के बन जाने से अब कोंगुर ताग़ तक पहुँचना आसान हो गया है। यह चीन के शिनजियांग प्रांत का सबसे ऊँचा पर्वत भी है। पामीर पर्वतों के नज़दीक होने से कोंगुर ताग़ को कभी-कभी उस पर्वतमाला का हिस्सा भी माना जाता है।, Gyurme Dorje, Footprint Travel Guides, 1999, ISBN 978-1-900949-33-0,...

नई!!: मंगोल भाषा और कोंगुर ताग़ · और देखें »

अरख़ानगई प्रांत

अरख़ानगई (मंगोल: Архангай; अंग्रेज़ी: Arkhangai) मंगोलिया के पश्चिम-मध्य में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2005,...

नई!!: मंगोल भाषा और अरख़ानगई प्रांत · और देखें »

अर्गुन नदी

शिल्का नदी और अर्गुन नदी के मिलाप से ही अमूर नदी जन्म लेती है अर्गुन नदी (रूसी: Аргунь) या ऍर्गुन नदी (मंगोल: Эргүнэ) पूर्वी रूस और पूर्वोत्तरी चीन की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित १,६२० किलोमीटर लम्बी एक नदी है। इसका जन्म चीन द्वारा नियंत्रित भीतरी मंगोलिया क्षेत्र में स्थित महान ख़िन्गन पर्वत शृंखला के पश्चिमी भाग में होता है। अर्गुन नदी आगे चलकर शिल्का नदी से मिलती है और इन दोनों के मिलाप के बाद इसे अमूर नदी के नाम से जाना जाता है। .

नई!!: मंगोल भाषा और अर्गुन नदी · और देखें »

अइमाक़ लोग

अइमाक़​ (Aimaq) हेरात नगर से उत्तर में पश्चिम-मध्य अफ़्ग़ानिस्तान में और ईरान के ख़ोरासान प्रांत​ में विस्तृत कुछ ईरानी भाषाएँ बोलने वाले ख़ानाबदोश क़बीलों का सामूहिक नाम है। यह फ़ारसी की कई अइमाक़​ उपभाषाएँ बोलते हैं, हालांकि इनके तइमानी और मालेकी उपसमुदायों ने पश्तो भाषा और पश्तून संस्कृति अपना ली है। अफ़्ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में अइमाक़ बहुसंख्यक समुदाय समझे जाते हैं। इसके अलावा यह बड़ी संख्या में हेरात और बादग़ीस प्रान्तों में और कम संख्या में फ़राह, फ़ारयाब, जोज़जान और सर-ए-पोल प्रान्तों में भी रहते हैं।, Willem Vogel, pp.

नई!!: मंगोल भाषा और अइमाक़ लोग · और देखें »

अइमग

मंगोलिया के अइमग सुख़बातर अइमग का राजचिह्न अइमग (मंगोलियाई: Аймаг, 14px) मंगोलियाई और तुर्की भाषाओँ में 'क़बीले' के लिए एक शब्द होता है। आधुनिक मंगोलिया और चीन के कुछ हिस्सों में यह 'प्रान्त' के लिए भी एक शब्द है। .

नई!!: मंगोल भाषा और अइमग · और देखें »

उत्तरी युआन राजवंश

उत्तरी युआन राजवंश की (रानी) ख़ातून मंदूख़​ई, जिन्हें 'बुद्धिमान रानी मंदूख़​ई' कहा जाता है उत्तरी युआन राजवंश (मंगोल: ᠬᠦᠮᠠᠷᠳᠦ ᠥᠨ ᠥᠯᠥᠰ; चीनी: 北元, बेई युआन; अंग्रेजी: Northern Yuan Dynasty) युआन राजवंश के उन बचे-कुचे भागों को कहते हैं जो अपने सन् १३६८ में चीन से सत्ता-वांछित और निकाले जाने के बाद मंगोलिया वापस चले गए थे। ध्यान रहे कि चीन पर शासन करने वाला युआन राजवंश वास्तव में चीनी जाति का नहीं बल्कि मंगोल जाति का था। १५वीं सदी में दयन ख़ान और मंदूख़​ई ख़ातून ने पूरे मंगोल राष्ट्र को फिर संगठित कर दिया। मंगोलिया में उत्तरी युआन राजवंश को 'चालीस और चार तुमेन' कहा जाता है क्योंकि इसमें चालीस तुमेन पूर्वी मंगोल और चार तुमेन पश्चिमी तुमेन शामिल थे (मंगोल भाषा में 'तुमेन' का मतलब 'दस हज़ार' है)। इस राजवंश के अन्तकाल में मंगोलिया में बौद्ध धर्म का प्रभाव बहुत बढ़ा। १६३५ में मान्छु लोगों के दबाव के कारण इसका अंत हो गया और मान्छुओं ने मंगोलिया, चीन और अन्य क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया।, Marshall Cavendish Corporation, Not Available (NA), Marshall Cavendish, 2007, ISBN 978-0-7614-7631-3,...

नई!!: मंगोल भाषा और उत्तरी युआन राजवंश · और देखें »

उलानगोम

उलानगोम (मंगोल: Улаангом) मंगोलिया का एक शहर है। यह उव्स प्रांत की राजधानी है। यह उव्स झील के दक्षिण-पश्चिमी छोर से २६ किमी दूर और ख़रख़िरा पर्वत के पास स्थित है। यह रूस की सीमा के बहुत समीप है। उलानगोम की पूरी विद्युत रूस से आती है और उस देश के तूवा गणतंत्र का यहाँ एक दूतावास है, जबकि उव्स प्रांत का भी तूवा की राजधानी किज़िल में एक दफ़्तर स्थित है। .

नई!!: मंगोल भाषा और उलानगोम · और देखें »

उज़्बेकिस्तान के प्रांत

उज़बेकिस्तान के प्रांत - नीला रंग अरल सागर है और 1 द्वारा नामांकित लाल क्षेत्र राजधानी ताशकंत शहर है उज़बेकिस्तान बारह प्रान्तों में बंटा हुआ है जिन्हें उज़बेक भाषा में 'विलोयत' (viloyat) बुलाया जाता है। इसके अलावा उस देश में एक स्वशासित गणतंत्र (क़ाराक़ालपाक़स्तान गणतंत्र) और एक स्वतन्त्र शहर (ताशकंत) है।, Michael M. Cernea, Ayşe Kudat, pp.

नई!!: मंगोल भाषा और उज़्बेकिस्तान के प्रांत · और देखें »

उईग़ुर ख़ागानत

उइग़ुर ख़ागानत ८२० ईसवी में दुनिया के नक़्शे पर उइग़ुर ख़ागानत (ऊपर-दाई तरफ़ ख़ाकी रंग में) उइग़ुर ख़ागानत (उइग़ुर:, उरख़ुन उइग़ुर ख़ानलिक़ी; मंगोल: Уйгурын хаант улс, उइग़ुरिन ख़ान्त उल्स; चीनी: 回鶻, हुइहु; अंग्रेज़ी: Uyghur Khaganate), जिसे तोक़ुज़ ओग़ुज़ देश (Toquz Oghuz Country) भी कहा जाता था, एक तुर्की ख़ागानत (साम्राज्य) था जो ७४४ ईसवी से ८४८ ईसवी (यानि लगभग एक शताब्दी) तक चला। यह ओरख़ोन उइग़ुर क़बीले के सरदारों के अधीन एक क़बीलों का परिसंघ था। .

नई!!: मंगोल भाषा और उईग़ुर ख़ागानत · और देखें »

उव्स प्रांत

उव्स (मंगोल: Увс; अंग्रेज़ी: Uvs) मंगोलिया के पश्चिमोत्तर में स्थित उस देश का एक अइमग (यानि प्रांत) है। इस प्रांत की राजधानी उलानगोम (Улаангом, Ulaangom) शहर है। उव्स प्रांत का नाम मंगोलिया की सबसे बड़ी झील, उव्स झील, पर रखा गया है जो इस राज्य में आती है। इस प्रांत की उत्तरी सीमा रूस से लगती है और इसका क्षेत्र स्तेपी घासभूमि, गोबी रेगिस्तान और पर्वतीय क्षेत्र का मिश्रण है।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9 .

नई!!: मंगोल भाषा और उव्स प्रांत · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

मन्गोल भाषा, मंगोल भाषा और साहित्य, मंगोलियन भाषा, मंगोलियाई, मंगोलियाई भाषा, मंगोली भाषा, मोन्गोल भाषा, मोंगोल भाषा

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »