लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

भौमिकी

सूची भौमिकी

भौमिकी (Earth science या geoscience) धरती से सम्बन्धित सभी विज्ञानों को समेटने वाला शब्द है। इसे ग्रह विज्ञान (planetary science) की शाखा माना जा सकता है किन्तु इसका इतिहास ग्रह विज्ञान से भी पुराना है। भौमिकी के अन्तर्गत भूविज्ञान (geology), स्थलमंडल (lithosphere), तथा पृथ्वी के अन्दर की वृहत-स्तरीय संरचना के साथ-साथ वायुमण्डल, जलमंडल (hydrosphere) तथा जैवमंडल (biosphere) आदि सब आ जाते हैं। भौमिकी के वैज्ञानिक भूगोल, भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान, कालानुक्रमिकी (क्रोनोलोजी) तथा गणित आदि के औजारों (और विधियों) का उपयोग करते हैं। .

10 संबंधों: एंथ्रोपोसीन, भौमिकी का इतिहास, भूभौतिकी, लिओनार्दो दा विंची, साधारण नमक, स्तरिकी, जीवाश्मविज्ञान, आर्थिक भौमिकी, कशेरुक जीवाश्मिकी, कायान्तरण (भूविज्ञान)

एंथ्रोपोसीन

एंथ्रोपोसीन (Anthropocene) एक प्रस्तावित युग का नाम है जिसमें मानव के कार्यकलापों के कारण धरती के भौमिकी पर तथा उसके पर्यावरण पर महत्वपूर्ण (significant) प्रभाव पड़े हैं। इस शब्द को आधिकारिक स्वीकृति अभी नहीं मिली है। .

नई!!: भौमिकी और एंथ्रोपोसीन · और देखें »

भौमिकी का इतिहास

भौमिकी का इतिहास बहुत पुराना है। शायद 'पृथ्वी की उत्पत्ति' सम्बन्धी विचारों को सबसे पहला भूवैज्ञानिक विचार कहा जा सकता है।.

नई!!: भौमिकी और भौमिकी का इतिहास · और देखें »

भूभौतिकी

भूभौतिकी (Geophysics) पृथ्वी की भौतिकी है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी सारी समस्याओं की छानबीन होती है। साथ ही यह एक प्रयुक्त विज्ञान भी है, क्योंकि इसमें भूमि समस्याओं और प्राकृतिक रूपों में उपलब्ध पदार्थों के व्यवहार की व्याख्या मूल विज्ञानों की सहायता से की जाती है। इसका विकास भौतिकी और भौमिकी से हुआ है। भूविज्ञानियों की आवश्यकता के फलस्वरूप नए साधनों के रूप में इसका जन्म हुआ। विज्ञान की शाखाओं या उपविभागों के रूप में भौतिकी, रसायन, भूविज्ञान और जीवविज्ञान को मान्यता मिले एक अरसा बीत चुका है। ज्यों-ज्यों विज्ञान का विकास हुआ, उसकी शाखाओं के मध्यवर्ती क्षेत्र उत्पन्न होते गए, जिनमें से एक भूभौतिकी है। उपर्युक्त विज्ञानों को चतुष्फलकी के शीर्ष पर निरूपित करें तो चतुष्फलक की भुजाएँ (कोर) नए विज्ञानों को निरूपित करती हैं। भूभौतिकी का जन्म भौमिकी एवं भौतिकी से हुआ है। .

नई!!: भौमिकी और भूभौतिकी · और देखें »

लिओनार्दो दा विंची

फ्लोरेंस में लिओनार्दो की मूर्ति लिओनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci, 1452-1519) इटलीवासी, महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक, इंजीनियर तथा वैज्ञानिक था। .

नई!!: भौमिकी और लिओनार्दो दा विंची · और देखें »

साधारण नमक

नमक (Common Salt) से साधारणतया भोजन में प्रयुक्त होने वाले नमक का बोध होता है। रासायनिक दृष्टि से यह सोडियम क्लोराइड (NaCl) है जिसका क्रिस्टल पारदर्शक एवं घनाकार होता है। शुद्ध नमक रंगहीन होता है, किंतु लोहमय अपद्रव्यों के कारण इसका रंग पीला या लाल हो जाता है। समुद्र के खारापन के लिये उसमें मुख्यत: सोडियम क्लोराइड की उपस्थिति कारण होती है। भौमिकी में लवण को हैलाइट (Halite) कहते हैं। .

नई!!: भौमिकी और साधारण नमक · और देखें »

स्तरिकी

अर्जेंटीना में भूवैज्ञानिक तबके साइप्रस में एक चट्टान में चाक की परतें स्तरित शैलविज्ञान या स्तरिकी (Stratigraphy) भौमिकी की वह यह शाखा है जिसके अंतर्गत पृथ्वी के शैलसमूहों, खनिजों और पृथ्वी पर पाए जानेवाले जीव-जंतुओं का अध्ययन होता है। पृथ्वी के धरातल पर उसके प्रारम्भ से लेकर अब तक हुए विभिन्न परिवर्तनों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान हमें जानकारी प्रदान करता है। शैलों और खनिजों के अध्ययन के लिए स्तरिकी, शैलविज्ञान (petrology) की सहायता लेता है और जीवाश्म अवशेषों के अध्ययन में पुराजीवविज्ञान की। स्तरित शैलविज्ञान के अध्ययन का ध्येय पृथ्वी के विकास और इतिहास के विषय में ज्ञान प्राप्त करना है। स्तरित शैलविज्ञान न केवल पृथ्वी के धरातल पर पाए जानेवाले शैलसमूहों के विषय में ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि यह पुरातन भूगोल, जलवायु और जीव जंतुओं की भी एक झलक प्रदान करता है और हम स्तरित शैलविज्ञान को पृथ्वी के इतिहास का एक विवरण कह सकते हैं। स्तरित शैलविज्ञान को कभी कभी ऐतिहासिक भौमिकी (हिस्टोरिकल जिओलोजी) भी कहते हैं जो वास्तव में स्तरित शैलविज्ञान की एक शाखा मात्र है। इतिहास में पिछली घटनाओं का एक क्रमवार विवरण होता है; पर स्तरित शैलविज्ञान पुरातन भूगोल और विकास पर भी प्रकाश डालता है। प्राणिविज्ञानी (Zoologist), जीवों के पूर्वजों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान पर निर्भर हैं। वनस्पतिविज्ञानी (Botanist) भी पुराने पौधों के विषय में अपना ज्ञान स्तरित शैलविज्ञान से प्राप्त करते हैं। यदि स्तरित शैलविज्ञान न होता तो भूआकृतिविज्ञानी (geomorphologists) का ज्ञान भी पृथ्वी के आधुनिक रूप तक ही सीमित रहता। शिल्पवैज्ञानिक (Technologists) को भी स्तरित शैलविज्ञान के ज्ञान के बिना अँधेरे में ही कदम उठाने पड़ते। इस प्रकार स्तरित शैलविज्ञान बहुत ही विस्तृत विज्ञान है जो शैलों और खनिजों तक ही सीमित नहीं वरन् अपनी परिधि में उन सभी विषयों को समेट लेता है जिनका संबंध पृथ्वी से है। .

नई!!: भौमिकी और स्तरिकी · और देखें »

जीवाश्मविज्ञान

जीवाश्मिकी या जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी (Paleontology), भौमिकी की वह शाखा है जिसका संबंध भौमिकीय युगों के उन प्राणियों और पादपों के अवशेषों से है जो अब भूपर्पटी के शैलों में ही पाए जाते हैं। जीवाश्मिकी की परिभाषा देते हुए ट्वेब होफ़ेल और आक ने लिखा है: जीवाश्मिकी वह विज्ञान है, जो आदिम पौधें तथा जंतुओं के अश्मीभूत अवशेषों द्वारा प्रकट भूतकालीन भूगर्भिक युगों के जीवनकी व्याख्या करता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि जीवाश्म विज्ञान आदिकालीन जीवजंतुओं का, उने अश्मीभूत अवशेषों के आधार पर अध्ययन करता है। जीवाश्म शब्द से ही यह इंगित होता है कि जीव + अश्म (अश्मीभूत जीव) का अध्ययन है। अँग्रेजी का Palaentology शब्द भी Palaios .

नई!!: भौमिकी और जीवाश्मविज्ञान · और देखें »

आर्थिक भौमिकी

आर्थिक भौमिकी, भौमिकी की वह शाखा है जो पृथ्वी की खनिज संपत्ति के संबंध में बृहत्‌ ज्ञान कराती है। पृथ्वी से उत्पन्न समस्त धातुओं, पत्थर, कोयला, भूतैल (पेट्रोलियम) तथा अन्य अधातु खनिजों का अध्ययन तथा उनका आर्थिक विवेचन आर्थिक भौमिकी द्वारा ही होता है। प्रत्येक देश की समृद्धि वहाँ की खनिज संपत्ति पर बहुत कुछ निर्भर रहती है और इस दृष्टि से आर्थिकी भौतिकी का अध्ययन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यद्यपि भारतवर्ष प्राचीन समय से ही अपनी खनिज संपत्ति के लिए प्रसिद्ध रहा है, तथापि कुछ कारणों से यह देश अत्यंत समृद्ध नहीं कहा जा सकता। भारत में आर्थिक खनिज पाए जाते हैं जिनमें से लगभग १६ खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इनमें विशेष कर लौह अयस्क, मैंगनीज़, अभ्रक, बॉक्साइट, इल्मेनाइट, पत्थर के कोयले जिप्सम, चूना पत्थर (लाइम स्टोन), सिलीमेनाइट, कायनाइट, कुरबिंद (कोरंडम), मैग्नेसाइट, मत्तिकाओं आदि के विशाल भांडार हैं, किंतु साथ ही साथ सीसा, तांबा, जस्ता, रांगा, गंधक तथा मूतैल आदि अत्यंत न्यून मात्रा में हैं। भूतैल का उत्पादन तो इतना अल्प है कि देश की आंतरिक खपत का केवल सात प्रतिशत ही उससे पूरा हो पाता है। इस्पात उत्पादन के लिए सारे आवश्यक खनिज पर्याप्त किए जाते हैं उनमें इन धातुओं के अभाव के कारण कुछ हल्की धातुएं, जैसे ऐल्युमिनियम इत्यादि तथा उनकी मिश्र धातुएँ उपयोग में लाई जा सकती है। .

नई!!: भौमिकी और आर्थिक भौमिकी · और देखें »

कशेरुक जीवाश्मिकी

कशेरुक जीवाश्मिकी (Vertebrate paleontology) जीवाश्मिकी की विशाल शाखा है जो अश्मीभूत कशेरुकों के अवशेषों के अध्ययन के आधार पर उनके व्यवहार, प्रजनन तथा स्वरूप आदि की खोज करती है। कशेरुक प्राणी वे कहलाते हैं जिनके कशेरुक दण्ड (vertebrae) होता है। उद्विकास की समयरेखा का प्रयोग करते हुए यह शाखा पुराकाल के जन्तुओं तथा उनके वर्तमान संबन्धियों को भी जोड़ने का प्रयत्न करती है। जीवाश्मों के अध्ययन से पता चलता है कि आरम्भिक काल में कशेरुक प्राणी जलीय-जन्तु थे जिनसे विकसित होकर आज के स्तनपोषी बने हैं। जेप्सेन, मेयर एवं सिम्पसन के शब्दों में, कशेरुकीय जीवाश्म विज्ञान समय की सीमा में बँधे तुलनात्मक अस्थिविज्ञान का अध्ययन है। कारण कि (1) जैवाश्मिकीय न्यास (data) मूल रूप से कंकाल (sdeleton) तंत्र तक ही सीमित होते हैं। (2) जीवाश्मवैज्ञानिकों के पास अध्ययन सामग्री के रूप में विविध पुराकालिक कंकालों के संकलन मात्र होते हैं। (ग्लेन एल. जेप्सेन, अर्न्स्ट मेयर तथा जार्ज गेलार्ड सिम्पसन: जेनेटिक्स, पैलिओन्टोलाजी एंड इवोल्यूशन, प्रिंस्टन यूनि. प्रेस, प्रिंस्टन, न्यूजर्सी, 1949)। 'कशेरुकीय जीवाश्मिकी' (Vertebrate paleontology) की दो मुख्य शाखाएँ हैं.

नई!!: भौमिकी और कशेरुक जीवाश्मिकी · और देखें »

कायान्तरण (भूविज्ञान)

भौमिकी के सन्दर्भ में, जब किसी शैल का भूवैज्ञानिक स्वरूप (टेक्चर), बिना पिघलकर मैग्मा बने ही, बदल जाय तो इसे कायान्तरण (Metamorphism) कहते हैं। अर्थात यह एक ठोस से दूसरे ठोस में परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह परिवर्तन मुख्यतः ऊष्मा, दाब, तथा रासायनिक रूप से सक्रिय द्रवों के प्रवेश के कारण सम्भव होता है। .

नई!!: भौमिकी और कायान्तरण (भूविज्ञान) · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »