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भूख हड़ताल

सूची भूख हड़ताल

भूख हड़ताल एक अहिंसक प्रतिरोध या दबाव की एक विधि है जिसमें प्रतिभागियों उपवास कर विरोध करते हैं। मूलतः यह विरोध राजनीतिक होते हैं या दूसरों में अपराध की भावना को भड़काने के लिए किये जाते हैं। आमतौर पर नीति परिवर्तन के रूप में एक विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के साथ किये जाते हैं। अधिकांश भूख हड़ताली तरल पदार्थ ग्रहण करते हैं लेकिन ठोस पदार्थों का सेवन नहीं किया जाता। आमतौर पर राज्य या वह इकाई जिसके खिलाफ यह भूख हड़ताल की जाती है भूख हड़ताली की हिरासत प्राप्त करने में सक्षम रहते हैं और अक्सर भूख हड़ताल बल के प्रयोग के माध्यम से संस्था द्वारा इच्छा के विरुद्ध खाना खिला कर ख़तम होती है। .

6 संबंधों: तारिक़ अज़ीज़, भारतीय आम चुनाव, 2014, भूख हड़ताल, राम प्रसाद 'बिस्मिल', इरोम चानू शर्मिला, अन्ना हजारे

तारिक़ अज़ीज़

तारिक़ अज़ीज़ (जन्म मिखाइल यौहानन, Syriac: ܡܝܟܐܝܠ ܝܘܚܢܢ,, इसाई नाम मैनुयल क्रिस्टो; 28 अप्रैल 1936 – 5 जून 2015) इराक के विदेश मंत्री (1983–1991) और उप प्रधानमंत्री (1979–2003) और तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के सलाहकार थे। वो एक दूसरे के सहयोगी 1950 के दशक में हुये जब दोनों उस समय प्रतिबन्धित अरब समाजवादी बाथ पार्टी के कार्यकर्ता थे। हालांकि वो एक अरब राष्ट्रवादी थे एवं वो कलडीन थे और कलडीन कैथोलिक चर्च के सदस्य भी थे। सुरक्षा कारणों से सद्दाम हुसैन ने शायद ही कभी इराक़ छोड़ा हो अतः उच्च-स्तरीय राजनयिक शिखर सम्मेलनों में अज़ीज़ ही इराक़ का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके अनुसार अमेरिका इराक में "शासन परिवर्तन" नहीं बल्कि "क्षेत्र परिवर्तन" चाहता था। उनके अनुसार बुश प्रशासन का युद्ध करने का कारण "तेल और इजरायल" थे। 24 अप्रैल 2003 को अमेरिकी सेना के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद अज़ीज़ को पहले अमेरिकी सेना द्वारा जेल में रखा गया और उसके बाद इराकी सरकार द्वारा पश्चिमी बगदाद के कैम्प क्रोपर में बन्दी रखा गया। उन्हें 1 मार्च 2009 को कुछ अपराधों से मुक्त कर दिया गया लेकिन 11 मार्च 2009 को, 1992 में  42 व्यापारियों को प्राणदण्ड देने में दोषी पाये जाने के लिए 15 वर्षों की जेल की सजा तथा कुर्दों को स्थानान्तरित करने के लिए सात वर्ष जेल की सजा सुनायी गयी। 26 अक्टूबर 2010 को उन्हें इराक़ी उच्च न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई जिसका क्षेत्रिय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इराकी और गैर इराकी धर्माध्यक्षों ने निंदा की। इसके अतिरिक्त वेटिकन, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और मानवाधिकार संगठनों एमनेस्टी इण्टरनेशनल सहित रूस जैसी अन्य सरकारों ने भी मृत्युदण्ड का विरोध किया 28 अक्टूबर 2010 को प्रतिवेदित किया गया कि तारिक़ अज़ीज़ सहित उनके साथी अन्य 25 कैदी भी कुछ माँगों को लेकर भूख हड़ताल आरम्भ की। 17 नवम्बर 2010 को यह प्रतिवेदित किया गया कि इराक़ी राष्ट्रपति जलाल तालाबानी ने घोषित किया कि वो अज़ीज़ के प्राणदण्ड के आदेश पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे जिससे उनकी सजा जीवनभर कारावास में बदल जाये। अज़ीज़ का 5 जून 2015 को 79 वर्ष की आयु में नासिरियाह नगर की कारावास में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। .

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भारतीय आम चुनाव, 2014

भारत में सोलहवीं लोक सभा के लिए आम चुनाव ७ अप्रैल से १२ मई २०१४ तक ९ चरणों में हुए। मतगणना १६ मई को हुई। इसके लिए भारत की सभी संसदीय क्षेत्रों में वोट डाले गये। वर्तमान में पंद्रहवी लोक सभा का कार्यकाल ३१ मई २०१४ को ख़त्म हो रहा है। ये चुनाव अब तक के इतिहास में सबसे लंबा कार्यक्रम वाला चुनाव था। यह पहली बार होगा, जब देश में ९ चरणों में लोकसभा चुनाव हुए। निर्वाचन आयोग के अनुसार ८१.४५ करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। सभी नौ चरणों में औसत मतदान ६६.३८% के आसपास रहा जो भारतीय आम चुनाव के इतिहास में सबसे उच्चतम है। चुनाव के परिणाम १६ मई को घोषित किये गये। ३३६ सीटों के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सबसे बड़ा दल और २८२ सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने ५९ सीटों पर और कांग्रेस ने ४४ सीटों पर जीत हासिल की।, Election Commission of India बीजेपी ने केवल 31.0% वोट जीते, जो आजादी के बाद से भारत में बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए पार्टी का सबसे कम हिस्सा है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का संयुक्त वोट हिस्सा 38.5% था। 1984 के आम चुनाव के बाद बीजेपी और उसके सहयोगियों ने सबसे बड़ी बहुमत वाली सरकार बनाने का अधिकार जीता, और यह चुनाव पहली बार हुआ जब पार्टी ने अन्य पार्टियों के समर्थन के बिना शासन करने के लिए पर्याप्त सीटें जीती हैं। आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सबसे खराब हार थी। भारत में आधिकारिक विपक्षी दल बनने के लिए, एक पार्टी को लोकसभा में 10% सीटें (54 सीटें) हासिल करनी होंगी; हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस नंबर को हासिल करने में असमर्थ थी। इस तथ्य के कारण, भारत एक आधिकारिक विपक्षी पार्टी के बिना बना हुआ है। .

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भूख हड़ताल

भूख हड़ताल एक अहिंसक प्रतिरोध या दबाव की एक विधि है जिसमें प्रतिभागियों उपवास कर विरोध करते हैं। मूलतः यह विरोध राजनीतिक होते हैं या दूसरों में अपराध की भावना को भड़काने के लिए किये जाते हैं। आमतौर पर नीति परिवर्तन के रूप में एक विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के साथ किये जाते हैं। अधिकांश भूख हड़ताली तरल पदार्थ ग्रहण करते हैं लेकिन ठोस पदार्थों का सेवन नहीं किया जाता। आमतौर पर राज्य या वह इकाई जिसके खिलाफ यह भूख हड़ताल की जाती है भूख हड़ताली की हिरासत प्राप्त करने में सक्षम रहते हैं और अक्सर भूख हड़ताल बल के प्रयोग के माध्यम से संस्था द्वारा इच्छा के विरुद्ध खाना खिला कर ख़तम होती है। .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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इरोम चानू शर्मिला

इरोम चानू शर्मिला(जन्म:14 मार्च 1972) मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जो पूर्वोत्तर राज्यों में लागू सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम, १९५८ को हटाने के लिए लगभग १६ वर्षों तक (4 नवम्बर 2000 से 9 अगस्त 2016) भूख हड़ताल पर रहीं। .

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अन्ना हजारे

किसन बाबूराव हजारे (जन्म: १५ जून १९३७) एक भारतीय समाजसेवी हैं। अधिकांश लोग उन्हें अन्ना हजारे के नाम से जानते हैं। सन् १९९२ में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। सूचना के अधिकार के लिये कार्य करने वालों में वे प्रमुख थे। जन लोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिये अन्ना ने १६ अगस्त २०११ से आमरण अनशन आरम्भ किया था। .

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