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भाषा

सूची भाषा

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त करते है और इसके लिये हम वाचिक ध्वनियों का उपयोग करते हैं। भाषा मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है। किसी भाषा की सभी ध्वनियों के प्रतिनिधि स्वन एक व्यवस्था में मिलकर एक सम्पूर्ण भाषा की अवधारणा बनाते हैं। व्यक्त नाद की वह समष्टि जिसकी सहायता से किसी एक समाज या देश के लोग अपने मनोगत भाव तथा विचार एक दूसरे पर प्रकट करते हैं। मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है। बोली। जबान। वाणी। विशेष— इस समय सारे संसार में प्रायः हजारों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं जो साधारणतः अपने भाषियों को छोड़ और लोगों की समझ में नहीं आतीं। अपने समाज या देश की भाषा तो लोग बचपन से ही अभ्यस्त होने के कारण अच्छी तरह जानते हैं, पर दूसरे देशों या समाजों की भाषा बिना अच्छी़ तरह नहीं आती। भाषाविज्ञान के ज्ञाताओं ने भाषाओं के आर्य, सेमेटिक, हेमेटिक आदि कई वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग अलग शाखाएँ स्थापित की हैं और उन शाखाकों के भी अनेक वर्ग उपवर्ग बनाकर उनमें बड़ी बड़ी भाषाओं और उनके प्रांतीय भेदों, उपभाषाओं अथाव बोलियों को रखा है। जैसे हमारी हिंदी भाषा भाषाविज्ञान की दृष्टि से भाषाओं के आर्य वर्ग की भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है; और ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उपभाषाएँ या बोलियाँ हैं। पास पास बोली जानेवाली अनेक उपभाषाओं या बोलियों में बहुत कुछ साम्य होता है; और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं। यही बात बड़ी बड़ी भाषाओं में भी है जिनका पारस्परिक साम्य उतना अधिक तो नहीं, पर फिर भी बहुत कुछ होता है। संसार की सभी बातों की भाँति भाषा का भी मनुष्य की आदिम अवस्था के अव्यक्त नाद से अब तक बराबर विकास होता आया है; और इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है। भारतीय आर्यों की वैदिक भाषा से संस्कुत और प्राकृतों का, प्राकृतों से अपभ्रंशों का और अपभ्रंशों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है। सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा आभ्यंतर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं वह हमारे आभ्यंतर के निर्माण, विकास, हमारी अस्मिता, सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का भी साधन है। भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है और अपने इतिहास तथा परम्परा से विच्छिन्न है। इस समय सारे संसार में प्रायः हजारों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं जो साधारणतः अपने भाषियों को छोड़ और लोगों की समझ में नहीं आतीं। अपने समाज या देश की भाषा तो लोग बचपन से ही अभ्यस्त होने के कारण अच्छी तरह जानते हैं, पर दूसरे देशों या समाजों की भाषा बिना अच्छी़ तरह सीखे नहीं आती। भाषाविज्ञान के ज्ञाताओं ने भाषाओं के आर्य, सेमेटिक, हेमेटिक आदि कई वर्ग स्थापित करके उनमें से प्रत्येक की अलग अलग शाखाएँ स्थापित की हैं और उन शाखाओं के भी अनेक वर्ग-उपवर्ग बनाकर उनमें बड़ी बड़ी भाषाओं और उनके प्रांतीय भेदों, उपभाषाओं अथाव बोलियों को रखा है। जैसे हिंदी भाषा भाषाविज्ञान की दृष्टि से भाषाओं के आर्य वर्ग की भारतीय आर्य शाखा की एक भाषा है; और ब्रजभाषा, अवधी, बुंदेलखंडी आदि इसकी उपभाषाएँ या बोलियाँ हैं। पास पास बोली जानेवाली अनेक उपभाषाओं या बोलियों में बहुत कुछ साम्य होता है; और उसी साम्य के आधार पर उनके वर्ग या कुल स्थापित किए जाते हैं। यही बात बड़ी बड़ी भाषाओं में भी है जिनका पारस्परिक साम्य उतना अधिक तो नहीं, पर फिर भी बहुत कुछ होता है। संसार की सभी बातों की भाँति भाषा का भी मनुष्य की आदिम अवस्था के अव्यक्त नाद से अब तक बराबर विकास होता आया है; और इसी विकास के कारण भाषाओं में सदा परिवर्तन होता रहता है। भारतीय आर्यों की वैदिक भाषा से संस्कृत और प्राकृतों का, प्राकृतों से अपभ्रंशों का और अपभ्रंशों से आधुनिक भारतीय भाषाओं का विकास हुआ है। प्रायः भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिये लिपियों की सहायता लेनी पड़ती है। भाषा और लिपि, भाव व्यक्तीकरण के दो अभिन्न पहलू हैं। एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है और दो या अधिक भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है। उदाहरणार्थ पंजाबी, गुरूमुखी तथा शाहमुखी दोनो में लिखी जाती है जबकि हिन्दी, मराठी, संस्कृत, नेपाली इत्यादि सभी देवनागरी में लिखी जाती है। .

374 संबंधों: चन्द्रशेखर धर मिश्र, चाडी भाषाएँ, चाम भाषा, चामी भाषाएँ, चिंतन, चंपक (बाल पत्रिका), चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, चीन जापान सम्बन्ध, चीनी भाषा, ट्रक्टेटुस लॉजिको-फिलोसोफिक्स, टोडा, टोडा भाषा, ऍथनोलॉग, एस्पेरांतो, एकल विद्यालय, एकॉर्ड भाषा विद्यालय, ऐतिहासिक भाषाविज्ञान, ऐनी स्टीवेनसन, डिमाश भाषा, डॉ राम दयाल राकेश, डॉ॰ ओदोलेन स्मेकल, तमिल भाषा, तांगखुल भाषा, तिलवल्लि, तगालोग भाषा, तकनीकी मानक, तुर्कीयाई भाषा, तुलनात्मक भाषाविज्ञान, तुलू भाषा, त्रिभाषा सूत्र, त्रुटि, तोल्काप्पियम्, ददरेवा, दन्त्य और वर्त्स्य उत्क्षिप्त, दफ़ला, दिल्ली विश्‍वविद्यालय, दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म, द्विभाषिक शिक्षा, देवनागरी, देओरी भाषा, धातु (बहुविकल्पी), ध्येयवाक्य, नामवर सिंह, नासिक्य व्यंजन, निर्णय सागर प्रेस, निहाली भाषा, नंददुलारे वाजपेयी, न्गूनी भाषाएँ, नैया, हिन्दी फिल्म, नूंगार लोग, ..., नेपाल, नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद, नेपालभाषा, नेपाली संस्कृति, नोआम चाम्सकी, पद्म सम्मान, पहलवी भाषा, पाठ संदेश, पारिभाषिक शब्दावली, पालि भाषा, पाइथन प्रोग्रामिंग, 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चन्द्रशेखर धर मिश्र

पण्डित चन्द्रशेखर धर मिश्र (१८५९-१९४९) आधुनिक हिंदी साहित्य में भारतेन्दु युग के अल्पज्ञात कवियों में से एक हैं। खड़ी बोली हिन्दी-कविता के बिकास में अपने एटिहासिक योगदान के लिए ये आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा प्रशंसित हैं। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार चंपारण के प्रसिद्ध विद्वान पण्डित चन्द्रशेखर धर मिश्र' जो भारतेन्दु जी के मित्रों में से थे, संस्कृत के अतिरिक्त हिन्दी में भी बड़ी सुंदर आशु कविता करते थे। मैं समझता हूँ कि हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में संस्कृत वृत्तों में खड़ी बोली के कुछ पद्य पहले-पहल मिश्र जी ने ही लिखे थे। .

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चाडी भाषाएँ

चाडी भाषाएँ (Chadic languages) अफ़्रीका के सहेल क्षेत्र में बोला जाने वाला एक भाषा-परिवार है। यह अफ़्रो-एशियाई भाषा-परिवार (सामी-हामी भाषा-परिवार) की एक शाखा है। चाडी भाषा-परिवार में लगभग 150 भाषाएँ आती हैं जो उत्तरी नाइजीरिया, दक्षिणी नाइजर, दक्षिणी चाड, मध्य अफ़्रीकी गणतंत्र और उत्तरी कैमरून में बोली जाती है। हाउसा भाषा सर्वाधिक बोली जाने वाली चाडी भाषा है और पश्चिमी अफ़्रीका के समुद्र से दूर वाले अधिकांश भागों में बोली जाती है। .

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चाम भाषा

चाम भाषा दक्षिणपूर्व एशिया के निवासी चाम लोगों की भाषा है। यह चाम लिपि में लिखी जाती है। पहले यह केन्द्रीय वियतनाम के चम्पा राज्य की भाषा थी। चाम भाषा आस्ट्रेलियायी-इण्डोनेशियायी परिवार के मलय-पॉलीनेशियन शाखा की यह भाषा वियतमान के लगभग १ लाख और कम्बोडिया के लगभग २ लाख २० हजार लोगों द्वारा बोली जाती है। (१९९२ के अनुमान के आधार पर) थाइलैण्ड और मलेशिया में भी कुछ लोग चाम भाषा बोलते हैं। पुराने काल में चाम भाषा का विस्तार और बोलने वालों की संख्या और भी अधिक थी क्योंकि यह चाम साम्राज्य की भाषा थी। .

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चामी भाषाएँ

चामी भाषाएँ (Chamic languages) या आचेह-चामी भाषाएँ (Aceh–Chamic) दक्षिणपूर्वी एशिया के आचेह (जो इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप से सुदूर पश्चिम में स्थित एक राज्य है), कम्बोडिया, वियतनाम और हाइनान (चीन के दक्षिणपूर्व में स्थित एक द्वीप) में बोली जाने वाली कुछ भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। इसका नाम चाम भाषा पर पड़ा है जो इस परिवार की सदस्य है। चामी भाषाएँ ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा-परिवार की मलय-पोलेनीशियाई शाखा की एक उपशाखा है। .

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चिंतन

चिंतन अवधारणाओं, संकल्पनाओं, निर्णयों तथा सिद्धांतो आदि में वस्तुगत जगत को परावर्तित करने वाली संक्रिया है जो विभिन्न समस्याओं के समाधान से जुड़ी हुई है। चिंतन विशेष रूप से संगठित भूतद्रव्य-मस्तिष्क- की उच्चतम उपज है। चिंतन का संबंध केवल जैविक विकासक्रम से ही नहीं अपितु सामाजिक विकास से भी है। चिंतन का उद्भव लोगों के उत्पादन कार्यकलाप की प्रक्रिया के दौरान होता है और वह यथार्थ का व्यवहृत परावर्तन सुनिश्चित करता है। अपने विशिष्ट मूल, क्रियाकलाप के ढंग और परिणामों की दृष्टि से उसका स्वरूप सामाजिक होता है। इसकी पुष्टि इस बात में है कि चिंतन श्रम तथा वाणी के कार्यकलाप से, जो केवल मानव समाज की अभिलाक्षणकताएं हैं, अविच्छेद्य रूप में जुड़ा हुआ है। इसी कारण मनुष्य का चिंतन वाणी के साथ घनिष्ठ रखते हुए मूर्त रूप ग्रहण करता है और उसका परिणाम भाषा के रूप में व्यक्त होता है। .

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चंपक (बाल पत्रिका)

चंपक बच्चों की एक हिन्दी पत्रिका है जो पाक्षिक है। .

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चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय

चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल, के नाम पर हरियाणा सरकार के द्वारा ५ अप्रैल २००३ को स्थापित किया गया था। यह विश्वविद्यालय दिल्ली से २५६ किमी और चंडीगढ़ से २८५ किमी दूर बरनाला रोड, सिरसा पर ६ एकड़ के एक विशाल परिसर में स्थित है। विश्वविद्यालय में १६ शैक्षणिक विभाग हैं, जिनमे की छात्रों के लिए 21 भविष्य उन्मुख और विशेष पाठ्यक्रम हैं। यह विश्वविद्यालय नौकरी उन्मुख पाठ्यक्रम दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से भी प्रदान करता है। .

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चीन जापान सम्बन्ध

चीन (हरा) तथा जापान (नारंगी) चीन और जापान भौगोलिक रूप से पूर्वी चीन सागर द्वारा विलगित हैं। जापान के ऊपर चीन की भाषा, वास्तु, संस्कृति, धर्म, दर्शन तथा विधि से काफी प्रभाव है। १९वीं शताब्दी के मध्य में जब युनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका आदि ने जापान को अपना व्यापार खोलने के लिये विवश कर दिया तो इसका परिणाम सकारात्मक हुआ और जापान तेजी से आधुनिकीकरण की ओर बढ़ा जिसे मीजी पुनःस्थापन (मीजी रिस्टोरेशन) कहते हैं। उसके बाद जापान चीन को ऐसा देश मानने लगा जो पिछड़ा तथा अपने आप को पश्चिमी देशों से रक्षा करने में असमर्थ है। .

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चीनी भाषा

चीनी भाषा (अंग्रेजी: Chinese; 汉语/漢語, पिनयिन: Hànyǔ; 华语/華語, Huáyǔ; या 中文 हुआ-यू, Zhōngwén श़ोंग-वॅन) चीन देश की मुख्य भाषा और राजभाषा है। यह संसार में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह चीन एवं पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बोली जाती है। चीनी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में आती है और वास्तव में कई भाषाओं और बोलियों का समूह है। मानकीकृत चीनी असल में एक 'मन्दारिन' नामक भाषा है। इसमें एकाक्षरी शब्द या शब्द भाग ही होते हैं और ये चीनी भावचित्र में लिखी जाती है (परम्परागत चीनी लिपि या सरलीकृत चीनी लिपि में)। चीनी एक सुरभेदी भाषा है। .

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ट्रक्टेटुस लॉजिको-फिलोसोफिक्स

ट्रक्टेटुस लॉजिको-फिलोसोफिक्स (Tractatus Logico-Philosophicus) लुडविग विट्गेंश्टाइन की महान दार्शनिक कृति है। पुस्तक का नाम लैटिन भाषा में है जिसका अर्थ है - 'तार्किक-दार्शनिक प्रबन्ध' (Logical-Philosophical Treatise)। यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना थी जिसका लक्ष्य भाषा और वास्तविकता के अन्तः संबन्ध का पता लगाना तथा विज्ञान की सीमा को परिभाषित करना था। यह बीसवीं शती की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में गिनी जाती है। विट्गेंस्टीन ने यह प्रबन्ध उस समय लिखा जब वह प्रथम विश्वयुद्ध का सैनिक एवं युद्धबंदी था। यह सर्वप्रथम सन १९२१ में जर्मन भाषा "Logisch-Philosophische Abhandlung" नाम से प्रकाशित हुई। यह प्रबन्ध विएना मण्डल (विएना सर्कल) के 'लॉजिकल पॉजिटिविस्ट्स' के बीच मुख्य रूप से लोकप्रिय थी। .

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टोडा

श्रेणी:भारत की जनजातियाँ श्रेणी:केरल की जनजातियां टोडा जनजाति भारत की निलगिरी पहाड़ियों की सबसे प्राचीन और असामान्य जनजाति है। टोडा को कई नामों से जाना जाता है जैसे टूदास, टूडावनस और टोडर। टोडा नाम 'टुड' शब्द, टोड जनजाति के पवित्र टुड पेड़ से लिया गया माना जाता है। टोडा लोगो की अपनी भाषा है और उनके पास गुप्त रीति-रिवाजों और अपाना नियम हैं। टोड के लोगा प्रकृति ओर पहाड़ी देवताओं की पूजा करते हे, जैसे भगवान अमोद और देवी टीकीरजी। .

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टोडा भाषा

टोडा भाषा (तमिल: தோடா, अंग्रेज़ी: Toda) भारत की एक द्रविड़ भाषा-परिवार की तमिल-कन्नड़ शाखा की भाषा है जो अपने स्वरों में संघर्षी व लुण्ठित व्यंजनों की भरपूर मौजूदगी के लिए जानी जाती है। इसे तमिल नाडु के नीलगिरि क्षेत्र में बसने वाला टोडा समुदाय बोलता है। इसके बोलने वालों की संख्या बहुत ही कम है और सन् २००१ की जनगणना में केवल १,६०० गिनी गई थी। .

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ऍथनोलॉग

ऍथनोलॉग (अंग्रेज़ी: Ethnologue) विश्व की भाषाओँ की एक सूची है जिसका प्रयोग भाषाविज्ञान में अक्सर किया जाता है। इसमें हर भाषा और उपभाषा को अलग तीन अंग्रेज़ी अक्षरों के साथ नामांकित किया गया है। इस नामांकन को "सिल कोड" (SIL code) कहा जाता है। उदाहरण के लिए मानक हिंदी का सिल कोड 'hin', ब्रज भाषा का 'bra', बुंदेली का 'bns' और कश्मीरी का 'kas' है। हर भाषा और उपभाषा का भाषा-परिवार के अनुसार वर्गीकरण करने का प्रयास किया गया है और उसके मातृभाषियों के वासक्षेत्र और संख्या का अनुमान दिया गया है। इस सूची का १६वाँ संस्करण सन् २००९ में छपा और उसमें ७,३५८ भाषाएँ दर्ज थीं। .

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एस्पेरांतो

एस्पेरांतो (अंग्रेज़ी: Esperanto) एक आसान और कृत्रिम अंतरराष्ट्रीय भाषा है। "दोक्तोरो एस्पेरांतो" के उपनाम से इस भाषा के निर्माता लुडविग लाज़र ज़ामेनहोफ़ ने एस्पेरांतो की पहली किताब १८८७ में वारसा (पोलैंड, तब रूस में) में प्रकाशित की थी। उनकी चाहत थी कि एस्परान्तो एक वैश्विक भाषा बने। इस भाषा में "एस्पेरांतो" शब्द का अर्थ है "आशा रखने वाला"। यह भाषा यूरोप की प्रमुख भाषाओं के मदद से बनाई गई थी। इसकी लिपि भी ध्वनि सिद्धांतों पर आधारित है। लिपि जैसे पढ़ी जाती है, भाषा का वैसे ही उच्चारण होता है। अलग-अलग मातृ भाषाएँ बोलने वालों के लिये एस्पेरांतो एक सामूहिक, आयोजित, सरल भाषा है। ज़ामेनहोफ़ का उद्देश्य था की एक ऐसी भाषा हो जो सीखने में आसान हो, राजनैतिक दृष्टि से तटस्थ हो, जो राष्ट्रीयता के पार हो और भिन्न-भिन्न प्रांतीय और राष्ट्रीय भाषाओँ के बोलने वालों के बीच शांति और अंतरराष्ट्रीय संचार का साधन बन सके। कहा जाता है कि आज दुनिया में १ लाख से २० लाख के बीच लोग एस्पेरांतो बोल सकते हैं। इस भाषा को बोलने वालों की सबसे बड़ी संख्या यूरोप, पूर्वी एशिया और दक्षिण अम्रीका में है। पहला विश्व एस्पेरांतो सम्मलेन १९०५ में फ्रांस में आयोजित किया गया था। उसके बाद, दोनों महायुद्धों को छोड़कर, हर वर्ष अलग-अलग देशों में विश्व सम्मलेन होते आ रहे हैं। एस्पेरांतो अन्य भाषाएं सीखने के लिए प्रयोग किया जाता है। .

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एकल विद्यालय

एकल विद्यालय 'एक शिक्षक वाले विद्यालय' हैं जो विगत कई वर्षो से भारत के उपेक्षित और आदिवासी बहुल सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में एकल विद्यालय फाउंडेशन द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। भारत के वनवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों में इस समय (सितम्बर, २००९) २५,००० से अधिक एकल विद्यालय चल रहे हैं। ग्रामीण भारत के उत्थान में शिक्षा के महत्व को समझने वाले हजारों संगठन इसमें सहयोग दे रहे हैं। भारत के वर्तमान में ३६ हजार गांवों के 8 लाख वनवासी बच्चों को एकल विद्यालय फाउंडेशन मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। यहां बुनियादी शिक्षा ही नहीं दी जाती बल्कि समाज के उपेक्षित वर्गो को स्वास्थ्य, विकास और स्वरोजगार संबंधी शिक्षा भी दी जाती है। .

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एकॉर्ड भाषा विद्यालय

एकॉर्ड भाषा स्कूल (फ़्रान्सीसी भाषा: Accord École de langues) एक विदेशी 1988 में बनाई गई भाषा के रूप में फ्रांस के शिक्षण के लिए एक बेहतर संस्थान है। हर साल, स्कूल 50 विभिन्न देशों से 5000 से अधिक छात्रों का स्वागत किया है और शिक्षा के फ्रेंच मंत्रालय से fle गुणवत्ता लेबल से सम्मानित किया गया.

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ऐतिहासिक भाषाविज्ञान

ऐतिहासिक भाषाविज्ञान (Historical linguistics या diachronic linguistics), समय के साथ भाषाओं में होने वाले परिवर्तनों का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। .

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ऐनी स्टीवेनसन

1 ४-http://www.anne-stevenson.co.uk/ श्रेणी:कवि श्रेणी:लेखक.

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डिमाश भाषा

डिमासा भाषा, तिब्बती-बर्मी परिवार की एक भाषा है जो डिमासा लोगों द्वारा बोली जाती है जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में निवास करते हैं। कछार बर्मन और कछार होजाइ प्रथम भाषा के रूप में डिमासा बोलते हैं। .

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डॉ राम दयाल राकेश

डॉ राम दयाल राकेश नेपाली भाषा के नेपाली निवन्धकार और अनुवादक हैं। ये एक गंभीर और मूर्धन्य समालोचक के रूप में जाने जाते हैं। ये फिलहाल काठमाण्डु में राष्ट्रीय खेल-कूद परिषद में कार्यरत हैं। .

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डॉ॰ ओदोलेन स्मेकल

डॉ॰ ओदोलेन स्मेकल (cs:Odolen Smékal, १८ अगस्त १९२८-१३ जून १९९८) चेकोस्लोवाकिया के सुप्रसिद्ध हिन्दी विद्वान और राजनयिक थे। सुदूर देश हिन्दुस्तान और उसकी विशिष्ट हिन्दी भाषा से प्रेम के कारण उन्होंने अपनी दो सन्तानों के नाम भी भारतीय एवं हिन्दी भाषा में ही रखे। चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राहा के चा‌र्ल्स विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम॰ए॰ व पीएच॰डी॰ करने के बाद प्रो॰ स्मेकल प्राहा विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक और भारत-विद्या विभाग के विभागाध्यक्ष रहे। विश्वविद्यालय से अवकाश लेने के पश्चात् वे अनेक वर्षों तक भारत में चेकोस्लोवाकिया के राजदूत भी रहे। १९९६ में वे दो-दो बार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत व सम्मानित किये गये। १३ जून १९९८ को लगभग ७० वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई। .

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तमिल भाषा

तमिल (தமிழ், उच्चारण:तमिऴ्) एक भाषा है जो मुख्यतः तमिलनाडु तथा श्रीलंका में बोली जाती है। तमिलनाडु तथा पुदुचेरी में यह राजभाषा है। यह श्रीलंका तथा सिंगापुर की कई राजभाषाओं में से एक है। .

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तांगखुल भाषा

तांगखुल (या 'तांगखुल नागा') भारत के पूर्वोत्तर में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह तिब्बती-बर्मी परिवार की भाषा है। तांगखुल अन्य नागा भाषाओं के समीप नहीं है। .

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तिलवल्लि

तिलवल्लि गाँव हावेरि जिला के हानगल ताल्लुक में मौजूद एक बहुत ही ऐतिहसिक ग्राम है।Village code.

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तगालोग भाषा

तगालोग दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश में बोली जाने वाली ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा परिवार की मलय-पोलेनीशियाई शाखा की एक भाषा है। इसे फ़िलिपीन्ज़ के २५% लोग मातृभाषा के रूप में और उस देश के अधिकांश लोग द्वितीय भाषा के रूप में बोलते हैं, जो कि फ़िलिपीन्ज़ की किसी भी अन्य भाषा से अधिक है। अंग्रेज़ी के साथ-साथ, तगालोग को फ़िलिपीन्ज़ की राजभाषा होने का दर्जा प्राप्त है। .

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तकनीकी मानक

किसी तकनीकी तंत्र, प्रक्रम, सेवा या उत्पाद के बारे में निर्धारित आवश्यक मापदण्ड को तकनीकी मानक (technical standard) कहा जाता है। तकनीकी मानक प्रायः एक दस्तावेज (डॉक्युमेन्ट) के रूप में होते हैं। तकनीकी मानक वस्तुतः एकसमान इन्जीनियरी मानदण्ड, विधि, प्रक्रम या व्यवहार (practices) का प्रचलन करने के ध्येय से बनाये जाते हैं जिससे उपभोक्ताओं को सुविधा होती है एवं अन्य लाभ भी होते हैं। .

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तुर्कीयाई भाषा

तुर्की-भाषी क्षेत्र: '''गहरा नीला''': वे क्षेत्र जहाँ तुर्की भाषा को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है, '''हल्का नीला''': जहाँ तुर्की भाषा को अल्पसंख्यक भाषा की मान्यता प्राप्त है। तुर्की भाषा (Türkçe), आधुनिक तुर्की और साइप्रस की प्रमुख भाषा है। पूरे विश्व में कोई 6.3 करोड़ लोग इस मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। यह तुर्क भाषा परिवार की सबसे व्यापक भाषा है जिसका मूल मध्य एशिया माना जाता है। बाबर, जो मूल रूप से मध्य एशिया (आधुनिक उज़्बेकिस्तान) का वासी था, चागताई भाषा बोलता था जो तुर्क भाषा परिवार में ही आती है। .

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तुलनात्मक भाषाविज्ञान

तुलनात्मक भाषाविज्ञान (Comparative linguistics; पहले 'comparative philology'), ऐतिहासिक भाषाविज्ञान की एक शाखा है जिसमें भाषाओं की तुलना की जाती है ताकि उनके ऐतिहासिक सम्बन्धों को पुनः स्थापित किया जा सके। .

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तुलू भाषा

तुलू भारत के कर्नाटक राज्य के पश्चिमी किनारे में स्थित दक्षिण कन्नड़ और उडुपि जिलों में तथा उत्तरी केरल के कुछ भागों में प्रचलित भाषा है। पहले तुलू ब्राह्मण वैदिक और संस्कृत साहित्य लिखने के लिये 'तिगलारि' नामक लिपि को उपयोग करते थे। लेकिन बहुत कम साहित्य तुलू भाषा में मिला है। पर आज इस लिपि को जाननेवाले बहुत कम हैं। पुरानी तिगलारि लिपि मलयालम लिपि से बहुत मिलती है। अब तुलू लिखने के लिये कन्नड़ लिपि का प्रयोग किया जाता है। यह पंच द्राविड भाषाओं में एक है। दक्षिण कन्नड और उडुपी जिलों की अधिकांश लोगों की मातृभाषा तुळु है। इसलिए ये दोनो जिले सम्मिलित रूप से तुलुनाडु नाम से जाने जाते हैं। केरल के कासरगोड जिले में भी बहुत लोग तुलू भाषा बोलते हैं। .

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त्रिभाषा सूत्र

भाषा की एक उदाहरण्। त्रिभाषा सूत्र (Three-language formula) भारत में भाषा-शिक्षण से सम्बन्धित नीति है जो भारत सरकार द्वारा राज्यों से विचार-विमर्श करके बनायी गयी है। यह सूत्र (नीति) सन् १९६८ में स्वीकार किया गया। .

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त्रुटि

मोंटपार्नासे, फ्रांस, में ट्रेन का मलबा,1895 शब्द त्रुटि के कई अर्थ है और सापेक्ष रूप से इसे कैसे लागू किया जाता हैं इस आधार पर इसके कई उपयोग भी हैं। लैटिन भाषा के शब्द एरर (error यानि त्रुटि) का वास्तविक अर्थ है "भटकना" या "इधर उधर घूमना".

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तोल्काप्पियम्

तोल्कापपियम् (तमिल: தொல்காப்பியம்), तमिल व्याकरण का प्राचीन ग्रन्थ है। यह नूरपा (छोटे सूत्र) के रूप में रचित है। इसके तीन भाग हैं- एझुत्ताधिकारम्, सोल्लाधिकाराम् और पोरुलाधिकारम्। प्रत्येक भाग में नौ-नौ अध्याय हैं। इसका रचनाकाल ठीक-ठीक पता नहीं है किन्तु भाषा-सम्बन्धी एवं अन्य प्रमाणों के आधार पर अलग-अलग लोगों ने इसका रचनाकाल तीसरी शताब्दी ईसापूर्व से लेकर १०वीं ई. तक बताया है। कुछ आधुनिक विद्वानों का मत है कि यह एक बार में नहीं लिखा गया बल्कि लम्बी समयावधि में टुकड़ों में लिखा गया है। इसके रचयिता कौन हैं, इसके बारे में भी ठीक-ठीक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। .

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ददरेवा

ददरेवा भारतीय राज्य राजस्थान के चूरू जिले में स्थित एक गाँव है। यह गांव हिसार-बीकानेर राजमार्ग पर सादुलपुर और तारानगर के मध्य स्थित है। भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार सन् 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक इस गांव के कुल परिवारों की संख्या 1387 है। ददरेवा की कुल जनसंख्या 7199 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 3708 और महिलाओं की संख्या 3491 है। .

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दन्त्य और वर्त्स्य उत्क्षिप्त

दन्त्य और वर्त्स्य उत्क्षिप्त (Dental and alveolar flaps) एक प्रकार का उत्क्षिप्त व्यंजन है जो विश्व की कई भाषाओं में पाया जाता है। इसे हिन्दी में 'र' लिखा जाता है और अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में इसका चिन्ह 'ɾ' है। .

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दफ़ला

दफ़ला नागलैंड प्रान्त में बोली जाने वाली एक भाषा है। श्रेणी:विश्व की भाषाएँ.

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दिल्ली विश्‍वविद्यालय

दिल्ली विश्वविद्यालय (अंग्रेजी:University of Delhi), भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। भारत की राजधानी दिल्ली स्थित यह विश्वविद्यालय 1922 में स्थापित हुआ था। यह स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम उपलब्ध कराता है। भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलाधिपति हैं। THES-QS की विश्व के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग के अनुसार यह भारत का शीर्ष गैर-आईआईटी विश्वविद्यालय है। दिल्ली विश्वविद्यालय के दो परिसर हैं जो दिल्ली के उत्तरी और दक्षिणी भाग में स्थित हैं। इन्हें क्रमश: उत्तरी परिसर और दक्षिणी परिसर कहा जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय का उत्तरी परिसर में दिल्ली मेट्रो की पीली लाइन के साथ सुनियोजित ढंग से जुड़ा हुआ है और मेट्रो स्टेशन का नाम 'विश्वविद्यालय' है। उत्तरी परिसर दिल्ली विधान सभा से 2.5 किमी और अंतरराज्यीय बस अड्डे से 7.0 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।तो वहीं इसका दक्षिणी परिसर गुलाबी (पिंक)लाइन से जुड़ा है और मेट्रो स्टेशन का नाम 'दुर्गाबाई देशमुख साउथ केम्पस 'है| .

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दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म

दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म का प्रसार हुआ तथा इसने मध्य वियतनाम के दक्षिणी भागों में चम्पा सभ्यता को जन्म दिया, कम्बोडिया में फुनान, हिन्दचीन में ख्मेर, मलय प्रायद्वीप में लंगकासुक राज्य, गंगा नगर, तथा पुराना केदा को जन्म दिया। इसी प्रकार सुमात्रा में श्रीविजयन राज्य, जावा, बाली और फिलिपीन में सिंगोसरी राज्य, और मजापहित साम्राज्य को जन्म दिया। इतना ही नहीं, भारत की सभ्यता ने इन क्षेत्रों की भाषा, लिपि, पंचांग, तथा कला और जीवन शैली को भी प्रभावित किया। दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म का प्रसार .

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द्विभाषिक शिक्षा

द्विभाषिक शिक्षा (Bilingual education) के अन्तर्गत शैक्षिक विषयों को दो भाषाओं में पढ़ाया जाता है; मातृभाषा में तथा दूसरी 'सद्वितीयक भाषा' में। इसमें पाठ्य सामग्री का कितना भाग किस भाषा में रहेगा - यह उस शिक्षाप्रणाली के मॉडल पर निर्भर करता है। .

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देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .

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देओरी भाषा

देओरी (Deori) या जिमोसाया (Jimosaya) पूर्वोत्तर भारत के असम और अरुणाचल प्रदेश के देओरी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली ब्रह्मपुत्री भाषा-परिवार की एक भाषा है। देओरी समाज में केवल दिबोंगिया उपसमुदाय ही अब इस भाषा को बोलता है और अन्य सभी ने असमिया भाषा बोलना आरम्भ कर दिया है। .

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धातु (बहुविकल्पी)

‘धातु’ शब्द सभी शास्त्रों में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। धातु शब्द की व्युत्पत्ति ‘धा’ धातु में ‘तुन्’ प्रत्यय लगाने से हुआ है। व्याकरण में ‘धातु’ का अर्थ है - ‘जिससे शब्द निष्पन्न होता है’। महर्षि पाणिनि ने लगभग दो हजार धतुओं का उल्लेख किया है। भाषा का मूल बीज ‘धातु’ है। आयुर्वेद में वात-पित्त-कफ को 'धातु’ कहा गया है, जिससे समस्त जीव-शरीर का निर्माण हुआ है। आयुर्वेद में प्रयुक्त धतु को देखा नहीं जा सकता, परन्तु इनमें से किसी एक में भी विकार होते ही उसे हम अनुभव करते हैं। मनुष्य के शरीर मे ‘ओज’ को ‘धातु’ की संज्ञा दी गई है। यह शरीर के मूल बीज का घटक है जिन्हें हम सत्त्व-रज-तम भी कहते हैं। इन्हें भी नहीं देखा जा सकता परन्तु आचरण आदि में किसी एक गुण का विकास होता है इसी प्रकार वीणा की वादन क्रिया में प्रयुक्त समस्त युक्तियों का सार ‘धातु’ है। प्रबन्ध के अवयव को भी धातु कहा गया है। शास्त्रीय संगीत के सन्दर्भ में ‘धातु’ विभिन्न विशेष अर्थों में प्रयुक्त हुआ है जैसे प्रबन्ध का अवयव धातु, विविध वादनों में प्रयुक्त धातु, वाग्गेयकार के संदर्भ में धातु, वाचिक अभिनय के संदर्भ में धातु आदि। धातु शब्द 'धा' में 'तुन्' प्रत्यय जोड़ने से बना है। यह शब्द कई अर्थों में प्रयुक्त होता है-.

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ध्येयवाक्य

ध्येयवाक्य (motto) उस वाक्यांश को कहते हैं जो किसी सामाजिक समूह या संस्था के लक्ष्य को औपचारिक रूप से, संक्षेप में, अभिव्यक्त करता है। ध्येयवाक्य किसी भी भाषा में हो सकता है किन्तु शास्त्रीय भाषाएं (जैसे लैटिन, संस्कृत आदि) का अधिकांशत: प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये भारत का ध्येयवाक्य है - सत्यमेव जयते (सत्य की ही जीत होती है।) .

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नामवर सिंह

नामवर सिंह (जन्म: 28 जुलाई 1926(क)नामवर होने का अर्थ (व्यक्तित्व एवं कृतित्व), भारत यायावर, किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली; संस्करण-2012; पृ०-32; (ख)द्रष्टव्य-'कविता की ज़मीन और ज़मीन की कविता' सहित डाॅ० नामवर सिंह की सभी नयी पुस्तकों में दिये गये लेखक परिचय में। बनारस, उत्तर प्रदेश) हिन्दी के शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबन्धकार तथा मूर्द्धन्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपन्यास लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रिय शिष्‍य रहे हैं। अत्यधिक अध्ययनशील तथा विचारक प्रकृति के नामवर सिंह हिन्दी में अपभ्रंश साहित्य से आरम्भ कर निरन्तर समसामयिक साहित्य से जुड़े हुए आधुनिक अर्थ में विशुद्ध आलोचना के प्रतिष्ठापक तथा प्रगतिशील आलोचना के प्रमुख हस्‍ताक्षर हैं। .

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नासिक्य व्यंजन

स्वनविज्ञान में नासिक्य व्यंजन (nasal consonant) ऐसा व्यंजन होता है जिसे नरम तालू को नीचे लाकर उत्पन्न किया जाए और जिसमें मुँह से वायु निकलने पर अवरोध हो लेकिन नासिकाओं से निकलने की छूट हो। न, म और ण ऐसे तीन व्यंजन हैं। नासिक्य व्यंजन लगभग हर मानव भाषा में पाए जाते हैं। .

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निर्णय सागर प्रेस

निर्णय सागर प्रेस, मुंबई स्थित भारत का प्रसिद्ध प्रकाशन संस्थान है। यह सौ साल से भी अधिक पुराना प्रकाशन संस्था है। इसकी स्थापना १८६७ जावजी दादाजी ने की थी। इन्होने भारतीय संस्कृति, धर्म, भाषा आदि पर संस्कृत, हिन्दी, मराठी, अंग्रेजी आदि भाषाओं में कालजयी पुस्तके प्रकाशित कीं। यह प्रकाशन मूलतः 'निर्णयसागर पंचांग' नामक एक प्रसिद्ध पंचांग का प्रकाशन करने के लिये स्थापित किया गया था। .

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निहाली भाषा

निहाली भाषा पश्चिम-मध्य भारत के मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र राज्यों के कुछ छोटे भागों में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह एक भाषा वियोजक है, यानि विश्व की किसी भी अन्य भाषा से कोई ज्ञात जातीय सम्बन्ध नहीं रखती और अपने भाषा-परिवार की एकमात्र ज्ञात भाषा है। भारत में इसके अलावा केवल जम्मू और कश्मीर की बुरुशस्की भाषा ही दूसरी ज्ञात भाषा वियोजक है। निहाली समुदाय की संख्या लगभग ५,००० है लेकिन सन् १९९१ की जनगणना में इनमें से केवल २,००० ही इस भाषा को बोलने वाले गिने गए थे। निहाली समुदाय ऐतिहासिक रूप से कोरकू समुदाय से सम्बन्धित रहा है और उन्हीं के गाँवों में बसता है। इस कारण से निहाली बोलने वाले बहुत से लोग कोरकू भाषा में भी द्विभाषीय होते हैं। निहाली बोली में बहुत से शब्द आसापास की भाषाओं से लिए गए हैं और साधारण बोलचाल में लगभग ६०-७०% शब्द कोरकू के होते हैं। भाषावैज्ञानिकों के अनुसार मूल निहाली शब्दावली के केवल २५% शब्द ही आज प्रयोग में हैं। .

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नंददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी (१९०६ - २१ अगस्त, १९६७ उज्जैन) हिन्दी के साहित्यकार, पत्रकार, संपादक, समीक्षक और अंत में प्रशासक भी रहे। इनको छायावादी कविता के शीर्षस्थ आलोचक के रूप में मान्यता प्राप्त है। हिंदी साहित्य: बींसवीं शताब्दी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचन्द, आधुनिक साहित्य, नया साहित्य: नये प्रश्न इनकी प्रमुख आलोचना पुस्तकें हैं। वे शुक्लोत्तर युग के प्रख्यात समीक्षक थे। .

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न्गूनी भाषाएँ

न्गूनी भाषाएँ या गूनी भाषाएँ (Nguni languages) दक्षिणी अफ़्रीका के न्गूनी लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं का एक समूह है जो बांटू भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। गूनी भाषाओं में कोसा, ज़ुलु, स्वाती, श्लूबी, फूथी, लाला और ह्लांगवीनी शामिल हैं। इनके अलावा तीन न्देबेले (देबेले) कहलाने वाली भाषाएँ भी न्गूनी भाषा-परिवार की सदस्या हैं: दक्षिणी त्रांसवाल न्देबेले, उत्तरी न्देबेले और सुमालेया न्देबेले। विभिन्न न्गूनी भाषाओं में आपस में उपभाषा सतति देखी जाती है, यानि पड़ोसी न्गूनी भाषाओं के बोलने वाले एक-दूसरे को समझने में सक्षम हैं। .

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नैया, हिन्दी फिल्म

नैया,  १९७९ में बनी हुई एका हिन्दी फिल्म है। ग्रामीण कथाबस्तु के अधहर पर इसी फिल्म का निर्देशन प्रशांत नन्द ने दिया था। खूद प्रशांत नन्द उसमे मुखी अभिनेता का भूमिका पर था और ज़रीना  वाहब अभिनेत्री थे। इसी फिल्म पहले ओडिआ भाषा में बने हुए हिट फिल्म " शेष श्राबाण " के आधार पर बनी थी।   .

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नूंगार लोग

नूंगार (Noongar) या नूंगा ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया राज्य के दक्षिणपश्चिम कोने में केन्द्रित एक ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी समुदाय है। इनकी मूल भाषा भी नूंगार कहलाती है। .

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नेपाल

नेपाल, (आधिकारिक रूप में, संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल) भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध हिमालयी राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के ८१ प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व का प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है। एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की श्रृंखलाएं अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची १४ हिम श्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है। वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई संधियों में नेपाल को उस समय (१८१४ में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इंडिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा पश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारंभ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अंततः २००८ में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् २००६ में राजा के अधिकारों को अत्यंत सीमित कर दिया गया था। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है। .

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नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान (Nepal Academy) भाषा, साहित्य, संस्कृति तथा दर्शन के संरक्षण, सम्वर्द्धन और विकास हेतु नेपाल सरकार द्वारा स्थापित संस्था है। इसीलिए इसका पहला नाम नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठान (Royal Nepal Academy) था, जिसे कालांतर में परिवर्तित किया गया। संप्रति इस प्रतिष्ठान के कुलपति कवि बैरागी काँइला हैं तथा सदस्य सचिव सनत रेग्मी हैं। .

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नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद

नेपाल कें अधिकांश क्षेत्र मे हिन्दी स्थानीय भाषा की तरह बोली जाती है और बहुसंख्य लोग हिन्दी बोल या समझ सकते हैं। इसके बावजूद हिन्दी का विकास यहाँ मात्र एक बोलचाल की भाषा के रूप में ही हो रहा है। ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, संस्कृति और कला की समृद्ध भाषा के रूप में जो सम्मान उसे मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पाया है। इन परिस्थितियो को देखते हुए, हिन्दी, भोजपुरी तथा संस्कृत के मनीषी एवं लेखक पँ.

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नेपालभाषा

नेपालभाषा, नेपाली भाषा से भिन्न भाषा है; इनमें भ्रमित न हों। ---- नेपाल भाषा ('नेवारी' अथवा 'नेपाल भाय्') नेपाल की एक प्रमुख भाषा है। यह भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार के अन्तर्गत तिब्बती-बर्मेली समूह मे संयोजित है। यह देवनागरी लिपि मे भी लिखी जाने वाली एक मात्र चीनी-तिब्बती भाषा है। यह भाषा दक्षिण एशिया की सबसे प्राचीन इतिहास वाली तिब्बती-बर्मेली भाषा है और तिब्बती बर्मेली भाषा में चौथी सबसे प्राचीन काल से उपयोग में लाई जाने वाली भाषा। यह भाषा १४वीं शताब्दी से लेकर १८वीं शताब्दी के अन्त तक नेपाल की प्रशासनिक भाषा थी। .

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नेपाली संस्कृति

नेपाल की संस्कृति समृद्ध और अनन्य है। इसकी सांस्कृतिक विरासत शताब्दियों से क्रमशः विकसित हुई है। नेपाल की संस्कृति पर भारतीय, तिब्बती और मंगोली संस्कृतियों का प्रभाव है। नेपाल की संस्कृति, विश्व की सबसे समृद्ध संस्कृतियों में से एक है। संस्कृति को 'संपूर्ण समाज के लिए जीवन का मार्ग' कहा जाता है। यह बयान नेपाल के मामले में विशेष रूप से सच है, जहां जीवन, भोजन, कपड़े और यहाँ तक कि व्यवस्सायों के हर पहलू सांस्कृतिक दिशा निर्देशित है। नेपाल कि संस्कृति में शिष्टाचार, पोशाक,भाषा,अनुष्टान, व्यवहारके नियम और मानदंडो के नियम शामिल है और यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। नेपाल कि संस्कृति, परंपरा और नवनीता का एक अद्वतीय संयोजन है। नेपाल में संस्कृतिक संगीत, वास्तुकला, धर्म और सांकृतिक समूहों के साथ सामुध्र है। नेपाली पोशाक, दौरा-सुरुवाल, जिसे आमतौर पर 'लाबडा-सुरुवाल' कहा जाता है, में कई धार्मिक विश्वास हैं जो अपने डिजाइनों कि पहचान करते हैं और इसलिए यह वर्षो से एक समान रहा है। दौरा में आठ तार हैं जो शरीर के चारों ओर बाँधा जाता है। दौरो का बंद गर्दन भगवान शिव की गर्दन के चारों ओर सांप का प्रतीक है। महिलाओं के लिए नेपाली पोशाक एक कपास साड़ी (गुनु) है, जो फैशन की दुनिया में बहुत लोकप्रिय हो रही है। नेपाल में मुख्य अनुष्टानों का नामकरण समारोह, चावल का भोजन समारोह, मण्डल का समारोह, विवाह और अन्तिम संस्कार है। अनुष्ठान अभी भी समाज में प्रचलित हैं और उत्साह से किया जाता है। कहा जाता है इस देश में नृत्य,भगवान शिव के निवास-हिमालय से प्रकट हुआ है। इससे पता चलता है कि नेपाल की नृत्य परंपराएं बहुत द्वितीय हैं। फसलों की फसल, शादी के संस्कार, युद्ध की कहानियों, एक अकेली लड़की का प्रेम और कई अन्य विषयों पर नृत्य किया जाता है। नेपाल में त्यौहार और उत्सव देश के संस्कृति का पर्याय है क्योकि नेपाली, त्यौहार केवल वार्षिक व्यवस्ता नहीं है, बल्कि उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक जीवित हिस्सा भी है। त्योहारों ने विभिन्न राष्ट्रों के सान्स्क्रिथिक पृष्टभूमि और विश्वासों के नेपाली लोगो को प्रभावी रूप से एक्जुट कर लिया है। अधिकांश नेपाली त्योहार विभिन्न हिंदू और बौद्ध देवताओं से संबंधित हैं। वे धर्म और परंपरा द्वारा उनके लिए पवित्रा दिन पर मनाया जाता है। दश्न और तिहार धर्म पर आधारित सबसे बड़े और सबसे लोकप्रिय त्यौहार हैं। कुछ और मनाये त्योहार,बुद्ध-जयंती,गाड़ी-जत्रा,जानई-पूर्णिमा,तीज है। नेपाली लोग सबसे मेहमाननवाज मेजबानों में से एक हैं और यही कारण है कि पर्यटकों नेपाल में बार-बार आते हैं और आनंद उठाया है। स्थानीय नेपाली आम तौर पर ग्रामीण लोग हैं जो चाय, कॉफी या रात के खाने के लिए अपने घरों में पर्यटकों का स्वागत करते हैं। नेपाली सांस्कृतिक रूप से गर्म, मेहमाननवाज और स्नेही मेजबान हैं जो अपने दिल को अपने सिर से ऊपर रखते हैं। श्रेणी:नेपाल.

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नोआम चाम्सकी

एवरम नोम चोम्स्की (हीब्रू: אברם נועם חומסקי) (जन्म 7 दिसंबर, 1928) एक प्रमुख भाषावैज्ञानिक, दार्शनिक, by Zoltán Gendler Szabó, in Dictionary of Modern American Philosophers, 1860–1960, ed.

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पद्म सम्मान

विशिष्ट सेवा के लिए दिया हुआ प्र्धान पुरस्कारे पद्म सम्मान भारत सरकार द्वारा शासकीय सेवकों व अन्य भारतीयों को किसी भी क्षेत्र में असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री नामक पद्म सम्मान (पुरस्कार) प्रदान किए जाते हैं। पद्म पुरस्कारों की सिफारिशें राज्य सरकारों/संघ राज्य प्रशासनों, केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, उत्कृष्टता संस्थानों आदि से प्राप्त की जाती हैं, जिन पर पुरस्कार समिति द्वारा विचार किया जाता है। पुरस्कार समिति की सिफारिश के आधार पर और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इन पद्म सम्मानों की घोषणा की जाती है। परन्तु इस बार सामान्य नागरिकों को ये सम्मान देने की प्रक्रिया में कुछ बदलाव किया गया है। प्रकार: नागरिकश्रेणी: सामान्यस्थापना: 1954 |- | पद्म भूषण | चित्र: pb1.jpg | चित्र: pb2.jpg | प्रदाता: भारत सरकारप्रकार: नागरिकश्रेणी: सामान्यस्थापना: 1954 |- | पद्म श्री | चित्र: ps2n.jpg | चित्र: ps1n.jpg | प्रदाता: भारत सरकारप्रकार: नागरिकश्रेणी: सामान्यस्थापना: 1954 |- |--> .

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पहलवी भाषा

पहलवी एक भाषा है जो ईरान के दक्षिण-पश्चिम भाग में २२४ ई से ६५४ ई के काल में बहुत सम्मानित भाषा थी। इसे पारसीग भी कहते हैं। पहलवी भाषा पुरानी पारसी भाषा से व्युत्पन्न थी। पहलवी से ही नयी पारसी भाषा का जन्म हुआ। .

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पाठ संदेश

एक एक एलजी लि (VX9900) पर एक पाठ संदेश टाइप उपयोगकर्ता पाठ संदेशन, या पाठन का अभिप्राय एक नेटवर्क पर एक अचल लाइन फोन या मोबाइल फोन तथा अचल या सुवाह्य उपकरण के बीच संक्षिप्त लिखित संदेशों के आदान-प्रदान से है। जबकि मूल शब्द (नीचे देखें) रेडियो टोलीग्राफी से उत्पन्न लघु संदेश सेवा (एसएमएस (SMS)) का उपयोग करते हुए संदेशों के भेजे जाने की बात से व्युत्पन्न हुआ था, तब से छवि, वीडियो और ध्वनि सामग्री युक्त संदेशों को शामिल करने के लिए (एमएमएस (MMS) संदेशों के रूप में जाने जाते हैं) इसका विस्तार किया गया है। पाठ संदेश भेजने वाला प्रेषक (texter) के रूप में जाना जाता है, जबकि बोलचाल की भाषा में खुद इस सेवा के क्षेत्रों के आधार पर कई नाम हैं: उत्तरी अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपीन्स और इंगलैंड में इसे मात्र पाठ (टेक्स्ट), अधिकतर यूरोप में एसएमएस (SMS) और मध्य पूर्व और एशिया में टीएमएस (TMS) या एसएमएस (SMS) कहा जाता है। पाठ संदेशों का उपयोग मोबाइल फोन के लिए उत्पादों और सेवाओं के आदेश देने या प्रतियोगिताओं में भाग लेने जैसे स्वचालित तंत्रों के साथ परस्पर क्रिया करने में किया जा सकता है। विज्ञापनदाता और सेवा प्रदाता पाठ संदेशों का उपयोग मोबाइल फोन प्रयोक्ताओं को प्रोत्साहनों, भुगतान देय तिथियों तथा अन्य सूचनाएं जिन्हें सामान्यतः डाक से, ईमेल से या वॉयसमेल से भेजा जा सकता है, को भेजने में कर सकते हैं। सीधी और संक्षिप्त परिभाषा में, फोन या मोबाइल फोन से पाठ संदेशन में अंग्रेजी वर्णमाला के 26 अक्षर तथा 10 अंक शामिल होने चाहिएं, अर्थात प्रेषक द्वारा प्रेषित या प्राप्तकर्ता द्वारा प्राप्त पाठ या अक्षरांकिक संदेश.

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पारिभाषिक शब्दावली

पारिभाषिक शब्दावली या परिभाषा कोश, "ग्लासरी" (glossary) का प्रतिशब्द है। "ग्लासरी" मूलत: "ग्लॉस" शब्द से बना है। "ग्लॉस" ग्रीक भाषा का glossa है जिसका प्रारंभिक अर्थ "वाणी" था। बाद में यह "भाषा" या "बोली" का वाचक हो गया। आगे चलकर इसमें और भी अर्थपरिवर्तन हुए और इसका प्रयोग किसी भी प्रकार के शब्द (पारिभाषिक, सामान्य, क्षेत्रीय, प्राचीन, अप्रचलित आदि) के लिए होने लगा। ऐसे शब्दों का संग्रह ही "ग्लॉसरी" या "परिभाषा कोश" है। ज्ञान की किसी विशेष विधा (कार्य क्षेत्र) में प्रयोग किये जाने वाले शब्दों की उनकी परिभाषा सहित सूची पारिभाषिक शब्दावली (glossary) या पारिभाषिक शब्दकोश कहलाती है। उदाहरण के लिये गणित के अध्ययन में आने वाले शब्दों एवं उनकी परिभाषा को गणित की पारिभाषिक शब्दावली कहते हैं। पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग जटिल विचारों की अभिव्यक्ति को सुचारु बनाता है। महावीराचार्य ने गणितसारसंग्रहः के 'संज्ञाधिकारः' नामक प्रथम अध्याय में कहा है- इसके बाद उन्होने लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन, समय, सोना, चाँदी एवं अन्य धातुओं के मापन की इकाइयों के नाम और उनकी परिभाषा (परिमाण) दिया है। इसके बाद गणितीय संक्रियाओं के नाम और परिभाषा दी है तथा अन्य गणितीय परिभाषाएँ दी है। द्विभाषिक शब्दावली में एक भाषा के शब्दों का दूसरी भाषा में समानार्थक शब्द दिया जाता है व उस शब्द की परिभाषा भी की जाती है। अर्थ की दृष्टि से किसी भाषा की शब्दावली दो प्रकार की होती है- सामान्य शब्दावली और पारिभाषिक शब्दावली। ऐसे शब्द जो किसी विशेष ज्ञान के क्षेत्र में एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, वह पारिभाषिक शब्द होते हैं और जो शब्द एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त नहीं होते वह सामान्य शब्द होते हैं। प्रसिद्ध विद्वान आचार्य रघुवीर बड़े ही सरल शब्दों में पारिभाषिक और साधारण शब्दों का अन्तर स्पष्ट करते हुए कहते हैं- पारिभाषिक शब्दों को स्पष्ट करने के लिए अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार से परिभाषाएं निश्चित करने का प्रयत्न किया है। डॉ॰ रघुवीर सिंह के अनुसार - डॉ॰ भोलानाथ तिवारी 'अनुवाद' के सम्पादकीय में इसे और स्पष्ट करते हुए कहते हैं- .

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पालि भाषा

ब्राह्मी तथा भाषा '''पालि''' है। पालि प्राचीन उत्तर भारत के लोगों की भाषा थी। जो पूर्व में बिहार से पश्चिम में हरियाणा-राजस्थान तक और उत्तर में नेपाल-उत्तरप्रदेश से दक्षिण में मध्यप्रदेश तक बोली जाती थी। भगवान बुद्ध भी इन्हीं प्रदेशो में विहरण करते हुए लोगों को धर्म समझाते रहे। आज इन्ही प्रदेशों में हिंदी बोली जाती है। इसलिए, पाली प्राचीन हिन्दी है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में की एक बोली या प्राकृत है। इसको बौद्ध त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है। पाली, ब्राह्मी परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी। .

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पाइथन प्रोग्रामिंग

" पाइथन प्रोग्रामिंग " .

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पुरालेखविद्या

कागज का टुकड़ा जिस पर खरोष्टी में लिखा गया है (२री-५वीं शदी) प्राचीन लेखों को पढ़ना और उनके आधार पर इतिहास का पुनर्गठन करना पुरालेखविद्या (Palaeography) कहलाता है। पुरालेखविद्या के अन्तर्गत निम्नलिखित बातें आती हैं- 1.

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प्रतापगढ़ (राजस्थान) की संस्कृति

सीतामाता मंदिर के सामने एक मीणा आदिवासी: छाया: हे. शे. हालाँकि प्रतापगढ़ में सभी धर्मों, मतों, विश्वासों और जातियों के लोग सद्भावनापूर्वक निवास करते हैं, पर यहाँ की जनसँख्या का मुख्य घटक- लगभग ६० प्रतिशत, मीना आदिवासी हैं, जो राज्य में 'अनुसूचित जनजाति' के रूप में वर्गीकृत हैं। पीपल खूंट उपखंड में तो ८० फीसदी से ज्यादा आबादी मीणा जनजाति की ही है। जीवन-यापन के लिए ये मीना-परिवार मूलतः कृषि, मजदूरी, पशुपालन और वन-उपज पर आश्रित हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट-संस्कृति, बोली और वेशभूषा रही है। अन्य जातियां गूजर, भील, बलाई, भांटी, ढोली, राजपूत, ब्राह्मण, महाजन, सुनार, लुहार, चमार, नाई, तेली, तम्बोली, लखेरा, रंगरेज, रैबारी, गवारिया, धोबी, कुम्हार, धाकड, कुलमी, आंजना, पाटीदार और डांगी आदि हैं। सिख-सरदार इस तरफ़ ढूँढने से भी नज़र नहीं आते.

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्रभा खेतान

डॉ प्रभा खेतान डॉ॰ प्रभा खेतान (१ नवंबर १९४२ - २० सितंबर २००८) प्रभा खेतान फाउन्डेशन की संस्थापक अध्यक्षा, नारी विषयक कार्यों में सक्रिय रूप से भागीदार, फिगरेट नामक महिला स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापक, १९६६ से १९७६ तक चमड़े तथा सिले-सिलाए वस्त्रों की निर्यातक, अपनी कंपनी 'न्यू होराईजन लिमिटेड' की प्रबंध निदेशिका, हिन्दी भाषा की लब्ध प्रतिष्ठित उपन्यासकार, कवयित्री तथा नारीवादी चिंतक तथा समाज सेविका थीं। उन्हें कलकत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स की एकमात्र महिला अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त था। वे केन्द्रीय हिन्दी संस्थान की सदस्या थीं। .

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प्राचीन भारत

मानव के उदय से लेकर दसवीं सदी तक के भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास कहलाता है। .

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प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी

प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा तकनीक को जानने के लिये पुरातत्व और प्राचीन साहित्य का सहारा लेना पडता है। प्राचीन भारत का साहित्य अत्यन्त विपुल एवं विविधतासम्पन्न है। इसमें धर्म, दर्शन, भाषा, व्याकरण आदि के अतिरिक्त गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, रसायन, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान आदि भी वर्ण्यविषय रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्राचीन भारत के कुछ योगदान निम्नलिखित हैं-.

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प्रकाश परिमल

प्रकाश परिमल (जन्म- २८ नवम्बर १९३६, बीकानेर) एक हिन्दी-राजस्थानी लेखक, कला-समीक्षक, चित्रकार और अनुवादक हैं। इनके साहित्य, दर्शन, वैदिक-ज्ञान, कला विषयक कई ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं। .

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प्रेम कुमार क्षेत्री

प्रेम कुमार क्षेत्री नेपाली भाषा के भारतीत कवि, लेखक और अनुवादक हैं। .

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पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान (भारतेश्वरः पृथ्वीराजः, Prithviraj Chavhan) (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में १२ वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर (अजयमेरु) और दिल्ली पर राज्य करते थे। वे भारतेश्वर, पृथ्वीराजतृतीय, हिन्दूसम्राट्, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा इत्यादि नाम से प्रसिद्ध हैं। भारत के अन्तिम हिन्दूराजा के रूप में प्रसिद्ध पृथ्वीराज १२३५ विक्रम संवत्सर में पंद्रह वर्ष (१५) की आयु में राज्य सिंहासन पर आरूढ हुए। पृथ्वीराज की तेरह रानीयाँ थी। उन में से संयोगिता प्रसिद्धतम मानी जाती है। पृथ्वीराज ने दिग्विजय अभियान में ११७७ वर्ष में भादानक देशीय को, ११८२ वर्ष में जेजाकभुक्ति शासक को और ११८३ वर्ष में चालुक्य वंशीय शासक को पराजित किया। इन्हीं वर्षों में भारत के उत्तरभाग में घोरी (ग़ोरी) नामक गौमांस भक्षण करने वाला योद्धा अपने शासन और धर्म के विस्तार की कामना से अनेक जनपदों को छल से या बल से पराजित कर रहा था। उसकी शासन विस्तार की और धर्म विस्तार की नीत के फलस्वरूप ११७५ वर्ष से पृथ्वीराज का घोरी के साथ सङ्घर्ष आरंभ हुआ। उसके पश्चात् अनेक लघु और मध्यम युद्ध पृथ्वीराज के और घोरी के मध्य हुए।विभिन्न ग्रन्थों में जो युद्ध सङ्ख्याएं मिलती है, वे सङ्ख्या ७, १७, २१ और २८ हैं। सभी युद्धों में पृथ्वीराज ने घोरी को बन्दी बनाया और उसको छोड़ दिया। परन्तु अन्तिम बार नरायन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात् घोरी ने पृथ्वीराज को बन्दी बनाया और कुछ दिनों तक 'इस्लाम्'-धर्म का अङ्गीकार करवाने का प्रयास करता रहा। उस प्रयोस में पृथ्वीराज को शारीरक पीडाएँ दी गई। शरीरिक यातना देने के समय घोरी ने पृथ्वीराज को अन्धा कर दिया। अन्ध पृथ्वीराज ने शब्दवेध बाण से घोरी की हत्या करके अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहा। परन्तु देशद्रोह के कारण उनकी वो योजना भी विफल हो गई। एवं जब पृथ्वीराज के निश्चय को परिवर्तित करने में घोरी अक्षम हुआ, तब उसने अन्ध पृथ्वीराज की हत्या कर दी। अर्थात्, धर्म ही ऐसा मित्र है, जो मरणोत्तर भी साथ चलता है। अन्य सभी वस्तुएं शरीर के साथ ही नष्ट हो जाती हैं। इतिहासविद् डॉ.

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पूर्वोत्तर भारत

पूर्वोत्तर भारत से आशय भारत के सर्वाधिक पूर्वी क्षेत्रों से है जिसमें एक साथ जुड़े 'सात बहनों' के नाम से प्रसिद्ध राज्य, सिक्किम तथा उत्तरी बंगाल के कुछ भाग (दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी और कूच बिहार के जिले) शामिल हैं। पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के अन्य राज्यों से कुछ भिन्न है। भाषा की दृष्टि से यह क्षेत्र तिब्बती-बर्मी भाषाओँ के अधिक प्रचलन के कारण अलग से पहचाना जाता है। इस क्षेत्र में वह दृढ़ जातीय संस्कृति व्याप्त है जो संस्कृतीकरण के प्रभाव से बची रह गई थी। इसमें विशिष्ट श्रेणी के मान्यता प्राप्त आठ राज्य भी हैं। इन आठ राज्यों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए 1971 में पूर्वोतर परिषद (नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल / NEC) का गठन एक केन्द्रीय संस्था के रूप में किया गया था। नॉर्थ ईस्टर्न डेवेलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (NEDFi) का गठन 9 अगस्त 1995 को किया गया था और उत्तरपूर्वीय क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) का गठन सितम्बर 2001 में किया गया था। उत्तरपूर्वीय राज्यों में सिक्किम 1947 में एक भारतीय संरक्षित राज्य और उसके बाद 1975 में एक पूर्ण राज्य बन गया। पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसकी औसत चौड़ाई 21 किलोमीटर से 40 किलोमीटर के बीच है, उत्तरपूर्वीय क्षेत्र को मुख्य भारतीय भू-भाग से जोड़ता है। इसकी सीमा का 2000 किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र अन्य देशों: नेपाल, चाइना, भूटान, बर्मा और बांग्लादेश के साथ लगती है। .

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पूर्वी नुसा तेंगारा

पूर्वी नुसा तेंगारा (इंडोनेशियाई:Nusa Tenggara Timur; नुसा तेंगारा तैमूर) इंडोनेशिया का एक प्रांत है जो, छोटा सुन्दा द्वीप समूह के पूर्वी भाग में स्थित है और तिमोर द्वीप का पश्चिमी भाग, पश्चिमी तिमोर इसका एक हिस्सा है। प्रांत की राजधानी पश्चिमी तिमोर पर स्थित शहर कुपांग है। प्रांत का सबसे ऊँचा स्थल तिमोर तेंगाह सेलातन का मुटिस पर्वत है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 2427 मीटर है। प्रांत 550 द्वीपों से मिलकर बना है, लेकिन फ्लोरेस, सुंबा और पश्चिमी तिमोर (तिमोर द्वीप का पश्चिमी भाग) नामक तीन द्वीप ही प्रमुख हैं। अन्य द्वीपों में अदोनारा, अलोर, कोमोडो, लेम्बाटा, मेनिपो, रायजुआ, रिंकाह, रोटे द्वीप (इंडोनेशिया का सबसे दक्षिणी द्वीप), सावु, सेमाउ और सोलोर शामिल हैं। .

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पोट्टि श्रीरामुलु

पोट्टि श्रीरामुलु पोट्टि श्रीरामुलु (तेलुगु: పొట్టి శ్రీరాములు; 16 मार्च 1901 – 16 दिसम्बर 1952) भारत के एक क्रांतिकारी थे। मद्रास राज्य से अलग आंध्र प्रदेश राज्य के निर्माण की मांग को लेकर उन्होने आमरण अनशन किया जिसके कारण अन्ततः उनकी मृत्यु हो गयी। भारत में भाषा के आधार पर राज्यों के निर्माण के निर्णय के पीछे उनकी असामयिक मृत्यु बहुत बड़ा कारण सिद्ध हुई। वे महात्मा गांधी के परम भक्त थे। उन्होने जीवन पर्यन्त सत्य, अहिंसा, देशभक्ति और हरिजन उत्थान के लिये कार्य किया। श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी श्रेणी:तेलुगु श्रेणी:आन्ध्र प्रदेश श्रेणी:1901 में जन्मे लोग.

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पी. जयरामन

राष्ट्रपति अबुल कलाम आजाद से प्रवासी भारतीय सम्मान प्राप्त करते हुए। डॉ॰ पी.

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फर्दिनान्द द सस्यूर

फर्दिनान्द द सस्यूर फर्डिनांद द सस्यूर (Ferdinand de Saussure) को आधुनिक भाषाविज्ञान के जनक के रूप में जाना जाता है। .

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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फ़्लोरिडा

फ्लोरिडा संयुक्त राज्य के दक्षिणपूर्वी क्षेत्र में स्थित एक राज्य है, जिसके उत्तर-पश्चिमी सीमा पर अलाबामा और उत्तरी सीमा पर जॉर्जिया स्थित है।संयुक्त राज्य में शामिल होने वाला यह 27वां राज्य था। इस राज्य के भूस्थल का अधिकांश भाग एक बड़ा प्रायद्वीप है जिसके पश्चिम में मैक्सिको की खाड़ी और पूर्व में अटलांटिक महासागर है। साधारणतया इसकी गर्म जलवायु की वजह से इसे "सनशाइन स्टेट" के रूप में उपनामित किया गया है। इसके उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में उपोष्णकटिबंधीय एवं दक्षिणी भाग में उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है। इस राज्य में चार बड़े शहरी क्षेत्र, कई छोटे-छोटे औद्योगिक नगर और बहुत से छोटे कस्बें हैं।संयुक्त राज्य के जनगणना विभाग (यूनाइटेड स्टेट्स सेंसस ब्यूरो) का अनुमान है कि 2008 में इस राज्य की जनसंख्या 18,328,340 थी और फ्लोरिडा, U.S. के चौथे सर्वाधिक आबादी वाले राज्य के रूप में श्रेणीत था। टलहसी, इस राज्य की राजधानी और मियामी सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र है। फ्लोरिडा के निवासियों को सटीक तौर पर "फ्लोरिडियन्स" के रूप में जाना जाता है। .

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बलिया जिला

बलिया जिला भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में सबसे पूर्वी जिला है, जिसका मुख्यालय बलिया शहर है। बलिया जिले की उत्तरी और दक्षिणी सीमा क्रमशः सरयू और गंगा नदियों द्वारा बनाई जाती है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इस जिले के निवासियों के विद्रोही तेवर के कारण इसे बागी बलिया के नाम से भी जाना जाता है। भोजपुरी भाषा इस जिले में बहुतायत से बोली जाती है। सन १८५७ के प्रथम स्वातन्त्र्य समर के बागी सैनिक मंगल पांडे का सम्बन्ध भी इस जिले से रहा है। बलिया का नाम बलिया राक्षस राज बलि के नाम पर पड़ा राजा बलि ने बलिया को अपनी राजधानी बनाया था। राक्षसो के गुरू शुक्राचार्य भृगु मुनि के पुत्र थे। .

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बल्तिस्तान

बल्तिस्तान (गहरा नीला एवं हल्का नीला) स्कर्दू नगर कारगिल की बलती बालिकायें बल्तिस्तानतान (बलती, लद्दाख़ी व तिब्बती: སྦལ་ཏི་སྟཱན) राजनैतिक रूप से विवादित क्षेत्र है जो काराकोरम के दक्षिण तथा सिन्धु नदी के उत्तर में स्थित है। यह अत्यन्त पर्वतीय क्षेत्र है और इस क्षेत्र की औसत ऊँचाई ३३५० मीटर से अधिक है। इसे 'लघु तिब्बत' भी कहते हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग 27,400 किमी2 है। इस क्षेत्र में बलती भाषा बोली जाती है जो तिब्बती लिपि में लिखी जाती है। इस क्षेत्र के अधिकांश लोग मुसलमान हैं। स्कर्दू तथा कारगिल यहाँ के मुख्य कस्बे हैं। इस क्षेत्र का अधिकांश भाग पाकिस्तान के अधीन (गिलगित-बल्तिस्तान) है और कुछ भाग भारत के अधीन (जम्मू और कश्मीर)। यह क्षेत्र सिन्धु नदी की घाटियों से बना है। बल्तिस्तान के दक्षिण-पूर्व में भारत और पाकिस्तान के बीच की नियन्त्रण रेखा है। .

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बहुभाषिकता

बहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है। विश्व में बहुभाषी लोगों की संख्या एकभाषियों की तुलना में बहुत अधिक है। विद्वानों का मत है कि द्विभाषिकता किसी भी व्यक्ति के ज्ञान एवं व्यक्तित्व के विकास के लिये बहुत उपयोगी है। .

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बहुकेन्द्रीय भाषा

बहुकेन्द्रीय भाषा (pluricentric language) ऐसी भाषा होती है जिसके एक से अधिक मानक भाषा रूप हों, जो कि अक्सर अलग देशों में आधारित होते हैं। मसलन जर्मन भाषा के जर्मनी व ऑस्ट्रिया, अंग्रेज़ी के ब्रिटेन, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया, कोरियाई के उत्तर कोरिया व दक्षिण कोरिया और पुर्तगाली के पुर्तगाल व ब्राज़ील में अलग-अलग मानक रूप हैं। इनके विपरीत रूसी और जापानी जैसी कई भाषाएँ एककेन्द्रीय (monocentric) होती हैं। .

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बाबल का मीनार

बेबीलोन के हेंगिंग गार्डेन में बाबल का मिनार का नज़ारा बाबुल का मीनार (/ˈbæbəl/ या /ˈbeɪbəl/; इब्रानी: מִגְדַּל בָּבֶל‎, Migdal Bāḇēl) एक आकस्मिक मिथक है जो टोरा (जिसको इब्रानी बाइबल या ऑल्ड टेस्टामेंट भी कहते हैं) की उत्पत्ति की किताब में विभिन्न भाषाओं के मूल को समझाने के लिए थी। कहानी के अनुसार, महान प्रलय के बाद, एक ही भाषा बोलने वाली पीढ़ियों की संयुक्त मनुष्य-जाती पूर्व से प्रवास करके शिनार (इब्रानी: שנער) की ज़मीन आ गई। वहाँ वह एक शहर और बुर्ज बनाने के लिए सहमत हो गए; यह देखकर परमेश्वर ने उनकी बोली गड़बड़ा दी, जिससे वह अब एक-दूसरे को समझ न कर सकें और उनको दुनिया भर में बिखेर दिया। .

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बाल पत्रकारिता

बाल पत्रकारिता की सुदीर्घ परम्परा को एक आलेख में समेटना निश्चय ही अंजलि में समुद्र भर लेने के समान है। बाल साहित्य की अनेक पत्रिकाएँ विगत पचास वर्षों में प्रकाशित हुई हैं। इन प्रकात्रिओं का सही-सही विवरण दे पाना एक दुरूह कार्य है। बाल साहित्य की पत्रिकाओं में कुछ पत्रिकाएँ तो लम्बे समय से प्रकाशित हो रही हें, परन्तु अधिकतर पत्रिकाएँ काल-कविलत हो गईं। उनके पुराने अंक खोजना कठिन ही नहीं, असम्भव-सा कार्य है। फिर भी जिन पत्रिकाओं का विवरण उपलब्ध हो सका है, उन्हें इस आलेख में समाहित किया जा रहा है। .

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बाल विकास

अन्वेषण (एक्सप्लोरिंग) बाल विकास (या बच्चे का विकास), मनुष्य के जन्म से लेकर किशोरावस्था के अंत तक उनमें होने वाले जैविक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों को कहते हैं, जब वे धीरे-धीरे निर्भरता से और अधिक स्वायत्तता की ओर बढ़ते हैं। चूंकि ये विकासात्मक परिवर्तन काफी हद तक जन्म से पहले के जीवन के दौरान आनुवंशिक कारकों और घटनाओं से प्रभावित हो सकते हैं इसलिए आनुवंशिकी और जन्म पूर्व विकास को आम तौर पर बच्चे के विकास के अध्ययन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है। संबंधित शब्दों में जीवनकाल के दौरान होने वाले विकास को सन्दर्भित करने वाला विकासात्मक मनोविज्ञान और बच्चे की देखभाल से संबंधित चिकित्सा की शाखा बालरोगविज्ञान (पीडीऐट्रिक्स) शामिल हैं। विकासात्मक परिवर्तन, परिपक्वता के नाम से जानी जाने वाली आनुवंशिक रूप से नियंत्रित प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप या पर्यावरणीय कारकों और शिक्षण के परिणामस्वरूप हो सकता है लेकिन आम तौर पर ज्यादातर परिवर्तनों में दोनों के बीच का पारस्परिक संबंध शामिल होता है। बच्चे के विकास की अवधि के बारे में तरह-तरह की परिभाषाएँ दी जाती हैं क्योंकि प्रत्येक अवधि के शुरू और अंत के बारे में निरंतर व्यक्तिगत मतभेद रहा है। बाल विकास में विकासात्मक अवधियों की रूपरेखा. कुछ आयु-संबंधी विकास अवधियों और निर्दिष्ट अंतरालों के उदाहरण इस प्रकार हैं: नवजात (उम्र 0 से 1 महीना); शिशु (उम्र 1 महीना से 1 वर्ष); नन्हा बच्चा (उम्र 1 से 3 वर्ष); प्रीस्कूली बच्चा (उम्र 4 से 6 वर्ष); स्कूली बच्चा (उम्र 6 से 13 वर्ष); किशोर-किशोरी (उम्र 13 से 20 वर्ष).

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बालबोध

बालबोध (मराठी: बाळबोध) देवनागरी लिपि का एक ज़रा-सा विस्तृत रूप है जिसमें मराठी, कोरकू व कुछ अन्य भाषाओं को लिखा जाता है। हिन्दी, नेपाली, डोगरी व अन्य भाषाओं में प्रयोगित देवनागरी के सभी अक्षरों और चिन्हों के अलावा बालबोध शैली में "ळ" अक्षर और "रफार" कहलाने वाला र्‍ चिन्ह भी उपलब्ध हैं, जिनकी मराठी और कोरकू में आवश्यकता है। .

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बाली

बाली इंडोनेशिया का एक द्वीप प्रान्त है। यह जावा के पूर्व में स्थित है। लोम्बोक बाली के पूर्व में द्वीप है। यहां के ब्राह्मी लेख २०० ईपू के पुराने के हैं। बालीद्वीप का नाम भी बहुत पुराना है। १५०० ई से पहले इंडोनेशिया में मजापहित हिन्दू साम्राज्य स्थापित था। जब यह साम्राज्य गिरा और मुसलमान सुलतानों ने सत्ता ले ली तो जावा और अन्य द्वीपों के अभिजात-वर्गीय बाली भाग आये। यहां में हिन्दु धर्म का पतन नही हुआ। बाली १०० वर्ष पहले तक स्वतन्त्र रहा पर अन्त में डच लोगों ने इसे परास्त कर लिया। यहां की जनता का बहुमत (९० प्रतिशत) हिन्दू धर्म में आस्था रखता है। यह विश्व विख्यात पर्यटन स्थान है जिसकी कला, संगीत, नृत्य और मन्दिर मनमोहक हैं। यहां की राजधानी देनपसार नगर है। उबुद मध्य बाली में नगर है। यह द्वीप में कला और संस्कृति का प्रधान स्थान है। कूटा दक्षिण बाली में नगर है। यहा २००२ में इसलामी आतंकवादियों ने बम विस्फोट किया जिसमे २०२ व्यक्ति मारे गये।जिम्बरन बाली में मछुओं का ग्राम और अब पर्यटन स्थल है। द्वीप के उत्तरी तट पर सिंहराज नगर स्थापित है। अगुंग पर्वत और ज्वालामुखी बतुर पर्वत दो ऊंची चोटियां हैं। '''बाली द्वीप''' .

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बाहुबली: द बिगनिंग (2015)

बाहुबली तेलुगू और तमिल भाषाओं में बनी एक भारतीय फ़िल्म है। यह हिन्दी, मलयालम व कुछ विदेशी भाषाओं में भी बनी है तथा इसे 10 जुलाई 2015 को सिनेमाघरों में दिखाया गया। इसे एस॰एस॰ राजामौली ने निर्देशित किया है। प्रभास, राणा डग्गुबती, अनुष्का शेट्टी और तमन्ना ने मुख्य किरदार निभाए हैं। इसमे रम्या कृष्णन, सत्यराज, नासर, आदिवि सेश, तनिकेल्ल भरनी और सुदीप ने भी कार्य किया है। फ़िल्म की कुछ खास बातों में से एक रही इस फिल्म में चित्रित कालकेय कबीले द्वारा बोली जाने वाली किलिकिलि नामक एक कृत्रिम भाषा जिसका निर्माण मधन कर्की ने लगभग 750 शब्दों और 40 व्याकरण के नियमों द्वारा किया। भारतीय फ़िल्म के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी फ़िल्म के लिए एक नई भाषा का निर्माण किया गया हो। .

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बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

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बिसौरी

बिसौरी उत्तरी भारत में जौनपुर जिला का एक गांव है जिसकी आबादी लगभग 1000 है। बिसौरी वाराणसी डिवीजन और जौनपुर जिला प्रशासन के अंतर्गत आता है। यह जौनपुर शहर से 49 किमी पूर्व, और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 306 किमी की दूर पर स्थित है। बिसौरी का पोस्टल इंडेक्स नंबर है और पोस्ट ऑफिस पतरहीं है और प्रधान डाक कार्यालय शहर में स्थित है। बिसौरी एक ग्राम पंचायत है, इस पंचायत में दो गांव हैं जिसमे पहला गांव बिसौरी तथा दूसरा गांव तिवारीपुर है। .

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बिहारी

कोई विवरण नहीं।

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बुन्देलखण्ड

बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है।इसका प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है.

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बुरुशस्की

बुरुशस्की एक भाषा है जो पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के उत्तरी भागों में बुरुशो समुदाय द्वारा बोली जाती है। यह एक भाषा वियोजक है, यानि विश्व की किसी भी अन्य भाषा से कोई ज्ञात जातीय सम्बन्ध नहीं रखती और अपने भाषा-परिवार की एकमात्र ज्ञात भाषा है। सन् २००० में इसे हुन्ज़ा-नगर ज़िले, गिलगित ज़िले के उत्तरी भाग और ग़िज़र ज़िले की यासीन व इश्कोमन घाटियों में लगभग ८७,००० लोग बोलते थे। इसे जम्मू और कश्मीर राज्य के श्रीनगर क्षेत्र में भी लगभग ३०० लोग बोलते हैं। भारत में बुरुशस्की के अलावा केवल मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के सीमावर्ती बुलढाणा क्षेत्र की निहाली भाषा ही दूसरी ज्ञात भाषा वियोजक है। .

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ब्रज

शेठ लक्ष्मीचन्द मन्दिर का द्वार (१८६० के दशक का फोटो) वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के मथुरा नगर सहित वह भू-भाग, जो श्रीकृष्ण के जन्म और उनकी विविध लीलाओं से सम्बधित है, ब्रज कहलाता है। इस प्रकार ब्रज वर्तमान मथुरा मंडल और प्राचीन शूरसेन प्रदेश का अपर नाम और उसका एक छोटा रूप है। इसमें मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, महाबन, वलदेव, नन्दगाँव, वरसाना, डीग और कामबन आदि भगवान श्रीकृष्ण के सभी लीला-स्थल सम्मिलित हैं। उक्त ब्रज की सीमा को चौरासी कोस माना गया है। सूरदास तथा अन्य व्रजभाषा के भक्त कवियों और वार्ताकारों ने भागवत पुराण के अनुकरण पर मथुरा के निकटवर्ती वन्य प्रदेश की गोप-बस्ती को ब्रज कहा है और उसे सर्वत्र 'मथुरा', 'मधुपुरी' या 'मधुवन' से पृथक वतलाया है। ब्रज क्षेत्र में आने वाले प्रमुख नगर ये हैं- मथुरा, जलेसर, भरतपुर, आगरा, हाथरस, धौलपुर, अलीगढ़, इटावा, मैनपुरी, एटा, कासगंज, और फिरोजाबाद। ब्रज शब्द संस्कृत धातु 'व्रज' से बना है, जिसका अर्थ गतिशीलता से है। जहां गाय चरती हैं और विचरण करती हैं वह स्थान भी ब्रज कहा गया है। अमरकोश के लेखक ने ब्रज के तीन अर्थ प्रस्तुत किये हैं- गोष्ठ (गायों का बाड़ा), मार्ग और वृंद (झुण्ड)। संस्कृत के व्रज शब्द से ही हिन्दी का ब्रज शब्द बना है। वैदिक संहिताओं तथा रामायण, महाभारत आदि संस्कृत के प्राचीन धर्मग्रंथों में ब्रज शब्द गोशाला, गो-स्थान, गोचर भूमि के अर्थों में भी प्रयुक्त हुआ है। ऋग्वेद में यह शब्द गोशाला अथवा गायों के खिरक के रूप में वर्णित है। यजुर्वेद में गायों के चरने के स्थान को ब्रज और गोशाला को गोष्ठ कहा गया है। शुक्लयजुर्वेद में सुन्दर सींगों वाली गायों के विचरण स्थान से ब्रज का संकेत मिलता है। अथर्ववेद में गोशलाओं से सम्बधित पूरा सूक्त ही प्रस्तुत है। हरिवंश तथा भागवतपुराणों में यह शब्द गोप बस्त के रूप में प्रयुक्त हुआ है। स्कंदपुराण में महर्षि शांण्डिल्य ने ब्रज शब्द का अर्थ व्थापित वतलाते हुए इसे व्यापक ब्रह्म का रूप कहा है। अतः यह शब्द ब्रज की आध्यात्मिकता से सम्बधित है। वेदों से लेकर पुराणों तक में ब्रज का सम्बध गायों से वर्णित किया गया है। चाहे वह गायों को बांधने का बाडा हो, चाहे गोशाला हो, चाहे गोचर भूमि हो और चाहे गोप-बस्ती हो। भागवतकार की दृष्टि में गोष्ठ, गोकुल और ब्रज समानार्थक हैं। भागवत के आधार पर सूरदास की रचनाओं में भी ब्रज इसी अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। मथुरा और उसका निकटवर्ती भू-भाग प्राचीन काल से ही अपने सघन वनों, विस्तृत चारागाहों, गोष्ठों और सुन्दर गायों के लिये प्रसिद्ध रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म यद्यपि मथुरा नगर में हुआ था, तथापि राजनैतिक कारणों से उन्हें जन्म लेते ही यमुना पार की गोप-वस्ती में भेज दिया गया था, उनकी वाल्यावस्था एक बड़े गोपालक के घर में गोप, गोपी और गो-वृंद के साथ बीती थी। उस काल में उनके पालक नंदादि गोप गण अपनी सुरक्षा और गोचर-भूमि की सुविधा के लिये अपने गोकुल के साथ मथुरा निकटवर्ती विस्तृत वन-खण्डों में घूमा करते थे। श्रीकृष्ण के कारण उन गोप-गोपियों, गायों और गोचर-भूमियों का महत्व बड़ गया था। पौराणिक काल से लेकर वैष्णव सम्प्रदायों के आविर्भाव काल तक जैसे-जैसे कृश्णोपासना का विस्तार होता गया, वैसे-वैसे श्रीकृष्ण के उक्त परिकरों तथा उनके लीला स्थलों के गौरव की भी वृद्धि होती गई। इस काल में यहां गो-पालन की प्रचुरता थी, जिसके कारण व्रजखण्डों की भी प्रचुरता हो गई थी। इसलिये श्री कृष्ण के जन्म स्थान मथुरा और उनकी लीलाओं से सम्वधित मथुरा के आस-पास का समस्त प्रदेश ही ब्रज अथवा ब्रजमण्डल कहा जाने लगा था। इस प्रकार ब्रज शब्द का काल-क्रमानुसार अर्थ विकास हुआ है। वेदों और रामायण-महाभारत के काल में जहाँ इसका प्रयोग 'गोष्ठ'-'गो-स्थान' जैसे लघु स्थल के लिये होता था। वहां पौराणिक काल में 'गोप-बस्ती' जैसे कुछ बड़े स्थान के लिये किया जाने लगा। उस समय तक यह शब्द प्रदेशवायी न होकर क्षेत्रवायी ही था। भागवत में 'ब्रज' क्षेत्रवायी अर्थ में ही प्रयुक्त हुआ है। वहां इसे एक छोटे ग्राम की संज्ञा दी गई है। उसमें 'पुर' से छोटा 'ग्राम' और उससे भी छोटी बस्ती को 'ब्रज' कहा गया है। १६वीं शताब्दी में 'ब्रज' प्रदेशवायी होकर 'ब्रजमंडल' हो गया और तव उसका आकार ८४ कोस का माना जाने लगा था। उस समय मथुरा नगर 'ब्रज' में सम्मिलित नहीं माना जाता था। सूरदास तथा अन्य ब्रज-भाषा कवियों ने 'ब्रज' और मथुरा का पृथक् रूप में ही कथन किया है, जैसे पहिले अंकित किया जा चुका है। कृष्ण उपासक सम्प्रदायों और ब्रजभाषा कवियों के कारण जब ब्रज संस्कृति और ब्रजभाषा का क्षेत्र विस्तृत हुआ तब ब्रज का आकार भी सुविस्तृत हो गया था। उस समय मथुरा नगर ही नहीं, बल्कि उससे दूर-दूर के भू-भाग, जो ब्रज संस्कृति और ब्रज-भाषा से प्रभावित थे, व्रज अन्तर्गत मान लिये गये थे। वर्तमान काल में मथुरा नगर सहित मथुरा जिले का अधिकांश भाग तथा राजस्थान के डीग और कामबन का कुछ भाग, जहाँ से ब्रजयात्रा गुजरती है, ब्रज कहा जाता है। ब्रज संस्कृति और ब्रज भाषा का क्षेत्र और भी विस्तृत है। उक्त समस्त भू-भाग रे प्राचीन नाम, मधुबन, शुरसेन, मधुरा, मधुपुरी, मथुरा और मथुरामंडल थे तथा आधुनिक नाम ब्रज या ब्रजमंडल हैं। यद्यपि इनके अर्थ-बोध और आकार-प्रकार में समय-समय पर अन्तर होता रहा है। इस भू-भाग की धार्मिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक और संस्कृतिक परंपरा अत्यन्त गौरवपूर्ण रही है। .

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ब्लिट्ज

ब्लिट्ज एक भारतीय समाचार-पत्र था जिसके सम्पादक रूसी करंजिया थे। .

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बेज रंग

बेज रंग एक बहुत ही मद्धिम पीला ish - क्रीम रंग है। शब्द बेज रंग कपड़े, एक सूती कपड़े छोड़ दिया अपने प्राकृतिक रंग में से बनती है। यह बाद से प्रकाश रंग s अपने तटस्थ या अच्छा दिखने के लिए चुना की एक श्रृंखला के लिए इस्तेमाल किया जा करने के लिए आ गया है। 1920 के दशक के बाद से, इस बिंदु जहाँ इसे अब भी उपयोग पीला भूरे रंग, जो नीचे दिखाया गया है की अधिक उल्लेखनीय में से कुछ की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए होता है के लिए शब्द बेज रंग का अर्थ का विस्तार किया।  .

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बोड़ो-कोच भाषाएँ

बोड़ो-कोच भाषाएँ (Bodo–Koch languages) पूर्वी भारत में बोली जाने वाली कुछ भाषाओं का एक परिवार है। यह तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की एक शाखा है। इसकी स्वयं तीन शाखाएँ हैं: बोड़ो-गारो भाषाएँ, कोच भाषाएँ और देओरी भाषा। .

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बोलना

बोलना (speech) वाक-शक्ति द्वारा ध्वनियों को जोड़कर बने एक विस्तृत शब्दकोश के शब्दों का प्रयोग कर के करी गई संचार की क्रिया को कहते हैं। आमतौर पर प्रभावशाली संचार के लिये बोलने में कम-से-कम १,००० शब्दों का प्रयोग देखा गया है। हर शब्द को स्वर और व्यंजन वर्णों का स्वानिक मिश्रण कर के बनाया जाता है। इन शब्दकोशों और उनमें से शब्द चुनकर वाक्यों में संगठित करने वाले वाक्यविन्यास में कई विविधताएँ हो सकती हैं जिस कारणवश विश्व में हज़ारों मानवीय भाषाएँ देखी जाती हैं। अधिकतर मानव दो या उस से अधिक भाषाओं में संचार करने में सक्षम होते हैं, यानि बहुभाषी (पॉलिग्लाट, polyglot) होते हैं। वही वाक-शक्तियाँ जो मानवों को बोलने की योग्यता देती हैं, गाने में भी प्रयोग होती हैं। बहरे लोगों में हाथ व अंगुलियों द्वारा बनाई आकृतियों से भी पूरे रूप से संचार होता है। .

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बीज-लेखन

द्वितीय विश्व युद्ध में सेना के उच्च स्तरीय जनरल स्टाफ के संदेशों को कूटबद्ध करने के लिए या उन्हें गुप्त भाषा में लिखने के लिए प्रयोग की गई। Lorenz cipher) क्रिप्टोग्राफ़ी या क्रिप्टोलोजी यानि कूट-लेखन यूनानी शब्द κρυπτός,, क्रिपटोस औरγράφω ग्राफ़ो या -λογία,लोजिया (-logia), से लिया गया है। इनके अर्थ हैं क्रमशः छुपा हुआ रहस्य और मैं लिखता हूँ। यह किसी छुपी हुई जानकारी (information) का अध्ययन करने की प्रक्रिया है। आधुनिक समय में, क्रिप्टोग्राफ़ी या कूट-लेखन को गणित और कंप्यूटर विज्ञान (computer science) दोनों की एक शाखा माना जाता है और सूचना सिद्धांत (information theory), कंप्यूटर सुरक्षा (computer security) और इंजीनियरिंग से काफ़ी ज्यादा जुड़ा हुआ है। तकनीकी रूप से उन्नत समाज में कूटलेखन के अनुप्रयोग कई रूपों में मौजूद हैं। उदाहरण के लिये - एटीएम कार्ड (ATM cards), कंप्यूटर पासवर्ड (computer passwords) और इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य (electronic commerce)- ये सभी कूटलेखन पर निर्भर करते हैं। .

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बीकानेर का इतिहास

बीकानेर। Raja Karan Singh of Bikaner, Auranzeb's ally and enemy एक अलमस्त शहर है, अलमस्त इसलिए कि यहाँ के लोग बेफ्क्रि के साथ अपना जीवन यापन करते हैं। इसका कारण यह भी है कि बीकानेर के सँस्थापक राव बीकाजी अलमस्त स्वभाव के थे अलमस्त नहीँ होते तो वे जोधपुर राज्य की गद्दी को यो हीँ बात बात में छोड़ देते। उस समय तो बेटा बाप को मार कर गद्दी पे बैठ जाता था। जैसा कि इतिहास में मिलता है यथा राव मालदेव ने अपने पिता राव गाँगा को गढ की खिडकी से नीचे फेंक कर किया था और जोधपुर की सत्ता हथिया ली थी। इसके विरूद्ध बीकाजी ने अपनी इच्छा से जोधपुर की गद्दी छोडी। इसके पीछे दो कहानियाँ लोक में प्रचलित है। एक तो यह कि, नापा साँखला जो कि बीकाजी के मामा थे उन्होंने जोधाजी से कहा कि आपने भले ही सांतळ जी को जोधपुर का उत्तराधिकारी बनाया किंतु बीकाजी को कुछ सैनिक सहायता सहित सारुँडे का पट्टा दे दीजिये। वह वीर तथा भाग्य का धनी है। वह अपने बूते खुद अपना राज्य स्थापित कर लेगा। जोधाजी ने नापा की सलाह मान ली। और पचास सैनिकों सहित पट्टा नापा को दे दिया। बीकाजी ने यह फैसला राजी खुशी मान लिया। उस समय कांधल जी, रूपा जी, मांडल जी, नथु जी और नन्दा जी ये पाँच सरदार जो जोधा के सगे भाई थे साथ ही नापा साँखला, बेला पडिहार, लाला लखन सिंह बैद, चौथमल कोठारी, नाहर सिंह बच्छावत, विक्रम सिंह पुरोहित, सालू जी राठी आदि कई लोगों ने बीकाजी का साथ दिया। इन सरदारों के साथ बीकाजी ने बीकानेर की स्थापना की। सालू जी राठी जोधपुर के ओंसिया गाँव के निवासी थे। वे अपने साथ अपने आराधय देव मरूनायक या मूलनायक की मूर्ति साथ लायें आज भी उनके वंशज साले की होली पे होलिका दहन करते हैं। साले का अर्थ बहन के भाई के रूप में न होकर सालू जी के अपभ्रंश के रूप में होता है बीकानेर की स्थापना के पीछे दूसरी कहानी ये हैं कि एक दिन राव जोधा दरबार में बैठे थे बीकाजी दरबार में देर से आये तथा प्रणाम कर अपने चाचा कांधल से कान में धीर धीरे बात करने लगे यह देख कर जोधा ने व्यँगय में कहा “ मालूम होता है कि चाचा-भतीजा किसी नवीन राज्य को विजित करने की योजना बना रहे हैं’। इस पर बीका और कांधल ने कहाँ कि यदि आप की कृप्या हो तो यही होगा। और इसी के साथ चाचा – भतीजा दोनों दरबार से उठ के चले आये तथा दोनों ने बीकानेर राज्य की स्थापना की। इस संबंध में एक लोक दोहा भी प्रचलित है ‘ पन्द्रह सौ पैंतालवे, सुद बैसाख सुमेर थावर बीज थरपियो, बीका बीकानेर ‘ इस प्रकार एक ताने की प्रतिक्रिया से बीकानेर की स्थापना हुई वैसे ये क्षेत्र तब भी निर्जन नहीं था इस क्षेत्र में जाट जाति के कई गाँव थे .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में सांस्कृतिक विविधता

अंगूठाकार .

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भारत में संकटग्रस्त भाषाओं की सूची

एक लुप्तप्राय भाषा वह भाषा है जिसके कुछ ही जीवित वक्ता(बोलने वाले) हैं व जो उपयोग से बाहर होने की कगार पर है। अगर इनमें से कोई भाषा अपने सभी मूल वक्ताओं को खो देती हैं, तो ये एक विलुप्त भाषा बन जायेगी। यूनेस्को 'सुरक्षित' (खतरे में नहीं) और "विलुप्त" के बीच भाषाओं के चार स्तरों को परिभाषित करता है.

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भारत का संविधान

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। .

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भारत के भाषाई परिवार

वृहद भारत के भाषा परिवार भारत में विश्व के सबसे चार प्रमुख भाषा परिवारों की भाषाएँ बोली जाती है। सामान्यत: उत्तर भारत में बोली जाने वाली भारोपीय परि वार की भाषाओं को आर्य भाषा समूह, दक्षिण की भाषाओं को द्रविड़ भाषा समूह, ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भाषाओं को भुंडारी भाषा समूह तथा पूर्वोत्तर में रहने वाले तिब्बती-बर्मी, नृजातीय भाषाओं को चीनी-तिब्बती (नाग भाषा समूह) के रूप में जाना जाता है। .

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भारत के लोग

भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बडी जनसंख्या वाला देश है। भारत की विभिन्नताओं से भरी जनता में भाषा, जाति और धर्म, सामाजिक और राजनीतिक संगठन के मुख्य शत्रु हैं। मुम्बई (पहले बॉम्बे), दिल्ली, कोलकाता (पहले कलकत्ता) और चेन्नई (पहले मद्रास), भारत के सबसे बङे महानगर हैं। भारत में ६४.८ प्रतिशत साक्षरता है जिसमे से ७५.३ % पुरुष और ५३.७% स्त्रियाँ साक्षर है। लिंग अनुपात की दृष्टि से भारत में प्रत्येक १००० पुरुषों के पीछे मात्र ९३३ महिलायें है। कार्य भागीदारी दर (कुल जनसंख्या मे कार्य करने वालों का भाग) ३९.१% है। पुरुषों के लिये यह दर ५१.७% और स्त्रियों के लिये २५.६% है। भारत की १००० जनसंख्या में २२.३२ जन्मों के साथ बढती जनसंख्या के आधे लोग २२.६६ वर्ष से कम आयु के हैं। यद्यपि भारत की ८०.५ प्रतिशत जनसंख्या हिन्दू है, १३.४ प्रतिशत जनसंख्या के साथ भारत विश्व में मुसलमानों की संख्या में भी इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद तीसरे स्थान पर है। अन्य धर्मावलम्बियों में ईसाई (२.३३ %), सिख (१.८४ %), बौद्ध (०.७६ %), जैन (०.४० %), अय्यावलि (०.१२ %), यहूदी, पारसी, अहमदी और बहाई आदि सम्मिलित हैं। भारत चार मुख्य भाषा सूत्रों, इनदो-यूरोपीयन, द्रविङियन्, सिनो-टिबेटन और औसटरो-एजियाटिक का भी स्रोत है। भारत का संविधान कुल २३ भाषाओं को मान्यता देता है। हिन्दी और अंग्रेजी केन्द्रीय सरकार द्वारा सरकारी कामकाज के लिये उपयोग की जाती है। संस्कृत, तमिल, कन्नड़ और तेलुगु जैसी अति प्राचीन भाषाऐं भारत में ही जन्मी हैं। कुल मिलाकर भारत में १६५२ से भी अधिक भाषाऐं एवं बोलियां बोली जातीं हैं।.

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भारत की भाषाएँ

भारत बहुत सारी भाषाओं का देश है, लेकिन सरकारी कामकाज में व्यवहार में लायी जाने वाली दो भाषायें हैं, हिन्दी और अंग्रेज़ी। वृहद भारत के भाषा परिवार .

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भारतविद

भारत की सभ्यता संस्कृति परम्परा भाषा रीति-रिवाज़ लोगों भूगोल आदि का अध्येता विशेषज्ञ विद्वान जो भारतीय भी हो सकता है - विदेशी मूल का अ-भारतीय भी.

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भारतीय प्रभाव क्षेत्र

इण्डोस्फीयर (Indosphere) या भारतीय प्रभावक्षेत्र, भाषाशास्तरी जेम्स मातिसोफ (James Matisoff) द्वारा दिया गया शब्द है जो दक्षिणपूर्वी एशिया के उन क्षेत्रों को सूचित करता है जिन पर भारत का भाषाई और सांस्कृतिक प्रभाव है। क्षेत्रीय भाषाविज्ञान में इस शब्द का प्रयोग प्रायः चीनी प्रभावक्षेत्र (Sinosphere) से वैषम्य (contrast) दर्शाने के लिए किया जाता है। .

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भारतीय लिपियाँ

भारत में बहुत सी भाषाएं तो हैं ही, उनके लिखने के लिये भी अलग-अलग लिपियाँ प्रयोग की जातीं हैं। किन्तु इन सभी लिपियों में बहुत ही साम्य है। ये सभी वर्णमालाएँ एक अत्यन्त तर्कपूर्ण ध्वन्यात्मक क्रम (phonetic order) में व्यवस्थित हैं। यह क्रम इतना तर्कपूर्ण है कि अन्तरराष्ट्रीय ध्वन्यात्मक संघ (IPA) ने अन्तरराष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि के निर्माण के लिये मामूली परिवर्तनों के साथ इसी क्रम को अंगीकार कर लिया। .

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भाषा (एशियाई भाषाएँ)

भाषा, भासा, बासा, या फासा, अनेक एशियाई भाषाओं के लिये प्रयुक्त होने वाला शब्द है। यह मूलतः संस्कृत के 'भाषा' के ही अपभ्रंश हैं। एक समय में हिन्दी को भी 'भाखा' (या भाषा) कहा जाता था। .

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भाषा नियोजन

किसी क्षेत्र की एक या कई भाषाओं के कार्य, संरचना एवं अर्जन को योजनाबद्ध ढंग से प्रभावित करना भाषा नियोजन (Language planning) कहलाता है। प्राय यह कार्य सरकार द्वारा किया जाता है किन्तु अनेकों गैर-सरकारी संस्थाएं एवं व्यक्ति भी इसमें भाग लेते हैं। प्रायः भाषा-नियोजन के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य आते हैं-.

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भाषा पुनर्जीवन

किसी व्यक्ति, सांस्कृतिक समूह, सरकार या किसी राजनैतिक समूह आदि द्वारा किसी भाषा के पतन की दिशा को उलटकर उसका प्रचार-प्रसार करने की कोशिश को भाषा पुनर्जीवन (Language revitalization, language revival या reversing language shift) कहते हैं। भाषा के पुनर्जीवन के लक्ष्य भिन्न भिन्न हो सकते हैं जो उस भाषा को बोलने वाले समुदाय एवं भाषा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिये लुप्त होने के कगार पर स्थित किसी भाषा को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य अलग होगा और किसी विकसित किन्तु धीरे-धीरे पतनशील किसी भाषा को पुनर्जीवित करने के लक्ष्य अलग-अलग होने स्वाभाविक हैं। हिब्रू सहित कई अन्य भाषाओं को पुनर्जीवित करने का उदाहरण आधुनिक विश्व के सामने है। .

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भाषा प्रयुक्ति

भाषाविज्ञान में भाषा प्रयुक्ति (register) किसी भाषा की वह भाषिका (variety, lect) होती है जो किसी विशेष सामाजिक परिस्थिति, सामाजिक वर्ग या लक्ष्य के लिए प्रयोग हो। मसलन औपचारिक स्थितियों में हिन्दी में "आप कल आइये" या "तू कल आना" के प्रयोग को ही सही व्याकरण समझा जाता है, जबकि दो किशोर मित्रों के बीच "तू कल आइयो" का प्रयोग भी एक भिन्न भाषा प्रयुक्ति के रूप में अक्सर होता है। इसी तरह अमेरिकी अंग्रेज़ी में "आए ऐम गोइंग टू टॉक टू माए फ़ादर" (I am going to talk to my father, अर्थ: मैं अपने पिता से बात करूँगा) सभ्य समाज में प्रयोग होने वाली औपचारिक भाषा प्रयुक्ति है जबकि "आएम गोन्ना टॉक टू माए ओल्ड मैन" (I'm gonna talk to my old man) ठीक वहीं अर्थ रखने वाली अनौपचारिक प्रयुक्ति है। .

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भाषा भूगोल

भाषा-भूगोल (language geography) मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इस शाखा के अन्तर्गत किसी भाषा या क्षेत्रीय बोली में पाई जाने वाली क्षेत्रीय एवं भौगोलिक विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता हैं। .

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भाषा शुद्धतावाद

भाषा शुद्धतावाद (linguistic purism) या भाषा संरक्षणवाद (linguistic protectionism) ऐसी विचारधारा को कहते हैं जिसमें किसी भाषा के एक विशेष रूप या प्रकार को अन्य रूपों या प्रकारों से अधिक उत्कृष्ट समझा जाये। कुछ देशों में यह विचारधारा सरकार द्वारा स्थापित भाषा-अकादमियों द्वारा लागू की जाती है, मसलन फ़्रान्स में आकादेमी फ़्रान्सेस (Académie française) सरकार द्वारा स्थापित है। शुद्धतावादी अक्सर किसी भाषा में अन्य भाषाओं से हुए शब्द-प्रवेश और व्याकरण में हुए बदलावों का विरोध करते हैं, और यह विरोध अक्सर ऐसी किसी भाषा से होता है जिसके विस्तार या अधिक प्रभाव से शुद्धतावादियों को खतरा लगे। .

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भाषा सम्पर्क

भाषा सम्पर्क (language contact) उस स्थिति को कहते हैं जब दो (या अधिक) अलग भाषाओं या उपभाषाओं के बोलने वाले आपसी सम्पर्क में आएँ और संचार या वार्तालाप करें। यह विश्व में एक सर्वव्यापी स्थिति है: बहुभाषिकता पूरे इतिहास में देखी गई है और आधुनिक दुनिया में अधिकतर लोग बहुभाषीय हैं। जब भिन्न भाषाओं के लोग आपसी सम्पर्क में रहते हैं तो उनकी भाषाएँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं - यही कारण है कि अंग्रेज़ी में तमिल भाषा के "मंगई" शब्द का "मैंगो" रूप आम के फल के लिए मानक बन गया और मंगोल भाषा का "नौकर" / "नौकरी" शब्द हिन्दी और फ़ारसी में प्रवेश कर गया। .

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भाषा संस्थानों की सूची

यहाँ भाषा-नियामक संस्थानों की सूची दी गई है जो मानक भाषाओं का नियमन करतीं हैं। इन्हें प्रायः 'भाषा अकादमी' कहा जाता है। भाषा अकादमियाँ भाषाई शुद्धता (linguistic purism) के उद्देश्य से काम करतीं हैं तथा भाषा से सम्बन्धित नीतियाँ बनाती एवं प्रकाशित करतीं हैं। .

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भाषा वियोजक

भाषा वियोजक (language isolate) ऐसी प्राकृतिक भाषा है जिसका किसी भी अन्य भाषा से कोई जातीय सम्बन्ध न हो, यानि जो अपने भाषा परिवार में बिलकुल अकेली हो और जिसका किसी भी अन्य भाषा के साथ कोई सांझी पूर्वज भाषा न हो। यूरोप की बास्क भाषा और एशिया की कोरियाई भाषा इसके उदाहरण हैं। भारत में जम्मू और कश्मीर की बुरुशस्की भाषा और मध्य प्रदेश की निहाली भाषा दोनों ही भाषा वियोजक हैं। .

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भाषा का अर्थशास्त्र

भाषा का अर्थशास्त्र (economics of language) अध्ययन का नया क्षेत्र है जिसमें भाषा का संस्कृति पर प्रभाव, भाषा और आय, भाषा तथा बाजार, भाषा-नियोजन के विकल्पों के लाभ और हानियों, अलपसंख्यक भाषाओं के संरक्षण आदि विषय शामिल किए जाते हैं। यह विषय भाषा-नीति के विश्लेषण के लिए बहुत उपयोगी है। .

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भाषा के प्रकार्य

प्रभावी मौखिक संचार के छः अवयव। प्रत्येक अवयव के संगत एक भाषा प्रकार्य भी है (जो चित्र में नहीं दिखाया गया है।) रोमन जैकोब्सन (Roman Jakobson) ने भाषा के छः प्रकार्य (functions) गिनाए हैं।.

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भाषा की उत्पत्ति

भाषा की उत्पत्ति से आशय उस काल से है जब मानव ने बोलना आरम्भ किया और 'भाषा' सीखना आरम्भ किया। इस विषय में बहुत सी संकल्पनाएं हैं जो अधिकांशतः अनुमान पर आधारित हैं। मानव के इतिहास में यह काल इतना पहले आरम्भ हुआ कि इसके विकास से सम्बन्धित कोई भी संकेत मिलने असम्भव हैं। .

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भाषा अर्जन

भाषा अर्जन (Language acquisition) उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा मानव भाषा को ग्रहण करने एवं समझने की क्षमता अर्जित करता है तथा बातचीत करने के लिये शब्दों एवं वाक्यों का प्रयोग करता है। .

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भाषा उद्योग

भाषा उद्योग (language industry) उन कार्यकलापों को कहते हैं जो भाषाओं के कम्प्यूटर द्वारा प्रसंस्करण से सम्बन्धित उपकरणों (सॉफ्टवेयर आदि) एवं उत्पादों के डिजाइन, उत्पादन एवं विपणन आदि से सम्बन्ध रखते हैं। भाषा उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी के उद्योग का एक भाग है। इसमें सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी, भाषा विज्ञान, कृत्रिम बुद्धि एवं इन्टरफेस डिजाइन आदि की महत्वपूर्ण भूमिका है। .

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भाषा-परिवार

विश्व के प्रमुख भाषाकुलों के भाषाभाषियों की संख्या का पाई-चार्ट आपस में सम्बंधित भाषाओं को भाषा-परिवार कहते हैं। कौन भाषाएँ किस परिवार में आती हैं, इनके लिये वैज्ञानिक आधार हैं। इस समय संसार की भाषाओं की तीन अवस्थाएँ हैं। विभिन्न देशों की प्राचीन भाषाएँ जिनका अध्ययन और वर्गीकरण पर्याप्त सामग्री के अभाव में नहीं हो सका है, पहली अवस्था में है। इनका अस्तित्व इनमें उपलब्ध प्राचीन शिलालेखो, सिक्कों और हस्तलिखित पुस्तकों में अभी सुरक्षित है। मेसोपोटेमिया की पुरानी भाषा ‘सुमेरीय’ तथा इटली की प्राचीन भाषा ‘एत्रस्कन’ इसी तरह की भाषाएँ हैं। दूसरी अवस्था में ऐसी आधुनिक भाषाएँ हैं, जिनका सम्यक् शोध के अभाव में अध्ययन और विभाजन प्रचुर सामग्री के होते हुए भी नहीं हो सका है। बास्क, बुशमन, जापानी, कोरियाई, अंडमानी आदि भाषाएँ इसी अवस्था में हैं। तीसरी अवस्था की भाषाओं में पर्याप्त सामग्री है और उनका अध्ययन एवं वर्गीकरण हो चुका है। ग्रीक, अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी आदि अनेक विकसित एवं समृद्ध भाषाएँ इसके अन्तर्गत हैं। .

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भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

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भाषिका

भाषिका (lect) किसी भाषा या उपभाषा सतति का एक विशिष्ट रूप होती है। यह भाषा, उपभाषा, भाषा प्रयुक्ति, भाषा शैली या अन्य भाषा रूप हो सकती है। भाषाविज्ञान में किसी विशेष भाषा रूप को मानक भाषा कहकर उसे एक उच्च-प्रतीत होने वाला स्थान दिया जाता है जबकि अन्य रूपों को अक्सर उपभाषा कहकर उन्हें निम्न प्रतीत होने वाला स्थान दिया जाता है। इस कारणवश इनकी परिभाषा को लेकर भाषावैज्ञानिकों में आपसी विवाद लगा रहता है। "भाषिका" शब्द में ऐसा कोई विवाद नहीं होता और मानक भाषाएँ व उपभाषाएँ सभी भाषिका की परिभाषा में आ सकती हैं। .

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भिखारीदास

भिखारीदास रीतिकाल के श्रेष्ठ हिन्दी थे। कवि और आचार्य भिखारीदास का जन्म प्रतापगढ़ के निकट टेंउगा नामक स्थान में सन् १७२१ ई० में हुआ था। इनकी मृत्यु बिहार में आरा के निकट भभुआ नामक स्थान पर हुई। भिखारीदास द्वारा लिखित सात कृतियाँ प्रामाणिक मानी गईं हैं- रस सारांश, काव्य निर्णय, शृंगार निर्णय, छन्दोर्णव पिंगल, अमरकोश या शब्दनाम प्रकाश, विष्णु पुराण भाषा और सतरंज शासिका हैं।.

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भेलसंहिता

भेलसंहिता संस्कृत में रचित आयुर्वेद का ग्रन्थ है। इसके रचयिता भेलाचार्य हैं जो अत्रेय के छः शिष्यों में से एक थे। अग्निवेश भी अत्रेय के ही शिष्य थे। भेलसंहिता कई शताब्दियों तक अप्राप्य हो गई थी किन्तु १८८० में ताड़पत्र पर लिपिबद्ध एक प्रति प्राप्त हुई। इस प्रति की भाषा संस्कृत तथा लिपि तेलुगु है। यह तन्जावुर के राजमहल पुस्तकालय में मिली। इसकी रचना 1650 के आसपास हुई लगती है। इसमें बहुत सी त्रुटियाँ हैं तथा कुछ पत्र इतने खराब हो गए हैं कि उन्हें पढ़ पाना सम्भव नहीं है। चरकसंहिता की भांति इस ग्रन्थ में भी आठ भाग हैं। प्रत्येक अध्याय के अन्त में इत्याह भगवानात्रेय (ऐसा भगवान अत्रेय ने कहा) आता है। .

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मणिपुरी

कोई विवरण नहीं।

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मणिपुरी भाषा

मणिपुरी (या मीतै भाषा, या मैतै भाषा) भारत के असम के निचले हिस्सों एवं मणिपुर प्रांत के लोगों द्वारा बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसकी कई उपभाषाएँ भी हैं। मणिपुरी भाषा, मेइतेइ मायेक लिपि में तथा पूर्वी नागरी लिपि में लिखी जाती है। मीतै लिपि में रचित एक पाण्डुलिपि .

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मतरुकात

मतरूकात का सिद्धान्त का अर्थ है भाषा में बिगड़े हुए शब्द एवं प्रयोग को भाषाकोश से बाहर निकालना जो अप्रचलित या लुप्तप्रयोग हो चुके हैं। भारत में मतरूकात के सिद्धान्त के कारण ही उर्दू और हिन्दी में से बहुत से शब्द छोड़ दिये गये। इसके कारण 'हिन्दी' और उर्दू में दूरी बढ़ती चली गयी। मतरूकात के दो पहलू हैं - एक तो बहुत से प्रचलित शब्द 'गंवारू' कहकर छोड़ दिये गये, दूसरे उच्च साम्स्कृतिक शब्दावली के लिये केवल अरबी-फारसी से शब्द उधार लिये गये। हिन्दी का उर्दू से विलगाव इसलिये आवश्यक था कि उर्दू कबीर, तुलसी, सूर, मीरा, रसखान आदि द्वारा प्रयुक्त देशी शब्दों की परम्परा से अपने को जानबूझकर अलग कर लिया था। उर्दू में जितने अरबी शब्द अंग्रेजों के राज में आये उतने मुसलमानों के राज में भी नहीं आये थे। 'उर्दू अलग भाषा है', 'मजहब के आधार पर भी कौमें बनतीं हैं' - ये विचार अंग्रेजी राज में ही प्रचारित किये गये, मुसलमानों के शासनकाल में नहीं। श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:विवाद.

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मध्ययुग

रोमन साम्राज्य के पतन के उपरांत, पाश्चात्य सभ्यता एक हजार वर्षों के लिये उस युग में प्रविष्ट हुई, जो साधारणतया मध्ययुग (मिडिल एजेज) के नाम से विख्यात है। ऐतिहासिक रीति से यह कहना कठिन है कि किस किस काल अथवा घटना से इस युग का प्रारंभ और अंत होता है। मोटे तौर से मध्ययुग का काल पश्चिमी यूरोप में पाँचवीं शताब्दी के प्रारंभ से पंद्रहवीं तक कहा जा सकता है। तथाकथित मध्ययुग में एकरूपता नहीं है और इसका विभाजन दो निश्चित एवं पृथक् युगों में किया जा सकता है। 11वीं शताब्दी के पहले का युग सतत संघर्षों, अनुशासनहीनता, तथा निरक्षरता के कारण 'अंधयुग' कहलाया, यद्यपि इसमें भी यूरोप को रूपांतरित करने के कदम उठाए गए। इस युग का प्रारंभ रोमन साम्राज्य के पश्यिमी यूरोप के प्रदेशों में, बर्बर गोथ फ्रैंक्स वैंडल तथा वरगंडियन के द्वारा स्थापित जर्मन साम्राज्य से होता है। यहाँ तक कि शक्तिशाली शार्लमेन (742-814) भी थोड़े ही समय के लिये व्यवस्था ला सका। शार्लमेन के प्रपौलों की कलह तथा उत्तरी स्लाव और सूरासेन के आक्रमणों से पश्चिमी यूरोप एक बार फिर उसी अराजकता को पहुँचा जो सातवीं और आठवीं शताब्दी में थी। अतएव सातवीं और आठवीं शताब्दी का ईसाई संसार, प्रथम शताब्दी के लगभग के ग्रीक रोम जगत् की अपेक्षा सभ्यता एवं संस्कृति की निम्न श्रेणी पर था। गृहनिर्माण विद्या के अतिरिक्त, शिक्षा, विज्ञान तथा कला किसी भी क्षेत्र में उन्नति नहीं हुई थी। फिर भी अंधयुग उतना अंध नहीं था, जितना बताया जाता है। ईसाई भिक्षु एवं पादरियों ने ज्ञानदीप को प्रज्वलित रखा। 11वीं शताब्दी के अंत से 15वीं शताब्दी तक के उत्तर मध्य युग में मानव प्रत्येक दिशा में उन्नतिशील रहा। राष्ट्रीय एकता की भावना इंग्लैंड में 11वीं शताब्दी में, तथा फ्रांस में 12वीं शताब्दी में आई। शार्लमैन के उत्तराधिकारियों की शिथिलता तथा ईसाई चर्च के अभ्युदय ने, पोप को ईसाई समाज का एकमात्र अधिष्टाता बनने का अवसर दिया। अतएव, पोप तथा रोमन सम्राट् की प्रतिस्पर्धा, पावन धर्मयुद्ध, विद्या का नियंत्रण तथा रोमन केथोलिक धर्म के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप इत्यादि में इस प्रतिद्वंद्विता का आभास मिलता है। 13वीं शताब्दी के अंत तक राष्ट्रीय राज्य इतने शक्तिशाली हो गए थे कि चर्च की शक्ति का ह्रास निश्चित प्रतीत होने लगा। नवीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी तक, पश्चिमी यूरोप का भौतिक, राजनीतिक तथा सामाजिक आधार सामंतवाद था, जिसके उदय का कारण राजा की शक्तियों का क्षीण होना था। समाज का यह संगठन भूमिव्यवस्था के माध्यम से पैदा हुआ। भूमिपति सामंत को अपने राज्य के अंतर्गत सारी जनता का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्राप्त था। मध्ययुग नागरिक जीवन के विकास के लिये उल्लेखनीय है। अधिकांश मध्ययुगीन नगर सामंतों की गढ़ियों, मठों तथा वाणिज्य केंद्रों के आस पास विकसित हुए। 12वीं तथा 13वीं शताब्दी में यूरोप में व्यापार की उन्नति हुई। इटली के नगर विशेषतया वेनिस तथा जेनोआ पूर्वी व्यापार के केंद्र बने। इनके द्वारा यूरोप में रूई, रेशम, बहुमूल्य रत्न, स्वर्ण तथा मसाले मँगाए जाते थे। पुरोहित तथा सामंत वर्ग के समानांतर ही व्यापारिक वर्ग का ख्याति प्राप्त करना मध्ययुग की विशेषताओं में है। इन्हीं में से आधुनिक मध्यवर्ग प्रस्फुटित हुआ। मध्ययुग की कला तथा बौद्धिक जीवन अपनी विशेष सफलताओं के लिये प्रसिद्ध है। मध्ययुग में लैटिन अंतरराष्ट्रीय भाषा थी, किंतु 11वीं शताब्दी के उपरांत वर्नाक्यूलर भाषाओं के उदय ने इस प्राचीन भाषा की प्राथमिकता को समाप्त कर दिया। विद्या पर से पादरियों का स्वामित्व भी शीघ्रता से समाप्त होने लगा। 12वीं और 13वीं शताब्दी से विश्वविद्यालयों का उदय हुआ। अरस्तू की रचनाओं के साथ साथ, कानून, दर्शन, तथा धर्मशास्त्रों का अध्ययन सर्वप्रिय होने लगा। किंतु वैज्ञानिक साहित्य का सर्वथा अभाव था। भवन-निर्माण-कला की प्रधानता थी, जैसा वैभवशाली चर्च, गिरजाघरों तथा नगर भवनों से स्पष्ट है। भवननिर्माण की रोमन पद्धति के स्थान पर गोथिक पद्धति विकसित हुई। आधुनिक युग की अधिकांश विशेषताएँ उत्तर मध्ययुग के प्रवाहों की प्रगाढ़ता है। .

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मन प्रसाद सुब्बा

मन प्रसाद सुब्बा का जन्म 3 सितंबर 1952 को दार्जिलिंग में। ये नेपाली भाषा के भारतीय कवि और उपन्यासकार हैं। 'बिब्लियंटों युगमित्र कार्टून मांछे हरू', 'बुख्यंचा हरू को देश माँ', 'ऊष्मा' (कविता संग्रह) एवं 'त्यो मोरसम्म पुगे को माछे' (उपन्यास) प्रकाशित। .

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मनोभाषाविज्ञान

मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics or psychology of language) भाषा को सीखने, प्रयोग करने, समझने एवं अभिव्यक्त करने से सम्बन्धित मनोवैज्ञानिक एवं तंत्रिका-जैविक (neurobiological) कारकों का अध्ययन करता है। .

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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मराठी विश्वकोश

मराठी विश्वकोश महाराष्ट्र सरकार की खास पहल द्वारा मराठी भाषा में निर्मित एन्सायक्लोपीडिया ब्रिटानिया की तरह एक ज्ञानकोश है। मुद्रित स्वरूप में इस विश्वकोश को प्रकाशित करने का कार्य महाराष्ट्र राज्य विश्वकोश निर्मिती मंडल द्वारा सन १९६० में आरम्भ किया गया। अक्टूबर २०१२ तक मराठी विश्वकोश के १८ खंड प्रकाशित किये जा चुके है। योजना के अनुसार इस विश्वकोश के दो और काया खंड प्रकाशित किये जायेंगे। उसके बाद प्रतिशब्द संग्रह, सूची संग्रह और मानचित्र संग्रह भी प्रकाशित किये जायेंगे। .

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मलयालम भाषा

मलयालं (മലയാളം, मलयालम्‌) या कैरली (കൈരളി, कैरलि) भारत के केरल प्रान्त में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है। केरल के अलावा ये तमिलनाडु के कन्याकुमारी तथा उत्तर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिला, लक्षद्वीप तथा अन्य कई देशों में बसे मलयालियों द्वारा बोली जाती है। मलयालं, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है। इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है। संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है। अरबों के साथ सदियों से व्यापार संबंध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है। .

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मशीनी लिप्यन्तरण

कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर की सहायता से एक भाषा या लिपि के शब्दों का किसी दूसरी भाषा या लिपि में ध्वन्यात्मक (फोनेटिक) परिवर्तन मशीनी लिप्यन्तरण (मशीन ट्रान्सलिटरेशन) कहलाता है। John को देवनागरी/हिन्दी में जॉन लिखना लिप्यन्तरण का एक उदाहरण है। .

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महेंद्र भटनागर

डॉ महेंद्र भटनागर (Mahendra Bhatnagar जन्म 26 जून,1926) भारतीय समाजार्थिक-राष्ट्रीय-राजनीतिक चेतना-सम्पन्न द्वि-भाषिक (हिन्दी एवं अंग्रेजी) कवि एवं लेखक हैं। ये सन् 1946 से प्रगतिवादी काव्यान्दोलन से सक्रिय रूप से सम्बद्ध प्रगतिशील हिन्दी कविता के द्वितीय उत्थान के चर्चित हस्ताक्षरों में से एक हैं। .

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माँ (उपन्यास)

माँ क्रांतिकारी कारखाने के कर्मचारियों के बारे में 1906 में मैक्सिम गोर्की द्वारा लिखित एक उपन्यास है। इस काम कई भाषाओं में अनुवाद किया गया था, और फिल्मों की संख्या में बनाया गया था। जर्मन नाटककार बर्टोल्ट ब्रेख्त और उसके सहयोगियों को उनकी 1932 में इस उपन्यास पर माँ ड्रामा आधारित है। .

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मात्रात्मक भाषाविज्ञान

मात्रात्मक भाषाविज्ञान (Quantitative linguistics (QL)), भाषाविज्ञान का एक उपक्षेत्र है। इसमें सांख्यिकीय विधियों का उपयोग करते हुए भाषाओं का विश्लेषण किया जाता है। इसका उपयोग भाषा अधिगम, भाषा परिवर्तन, तथा प्राकृतिक भाषाओं की संरचना के अध्ययन में किया जाता है। मात्रात्मक भाषाविज्ञान का का प्रमुख उद्देश्य भाषा के नियमों के सूत्रीकरण (formulation) में होता है। श्रेणी:भाषा-विज्ञान.

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मानस शास्त्र

साइकोलोजी या मनोविज्ञान (ग्रीक: Ψυχολογία, लिट."मस्तिष्क का अध्ययन",ψυχήसाइके"शवसन, आत्मा, जीव" और -λογία-लोजिया (-logia) "का अध्ययन ") एक अकादमिक (academic) और प्रयुक्त अनुशासन है जिसमें मानव के मानसिक कार्यों और व्यवहार (mental function) का वैज्ञानिक अध्ययन (behavior) शामिल है कभी कभी यह प्रतीकात्मक (symbol) व्याख्या (interpretation) और जटिल विश्लेषण (critical analysis) पर भी निर्भर करता है, हालाँकि ये परम्पराएँ अन्य सामाजिक विज्ञान (social science) जैसे समाजशास्त्र (sociology) की तुलना में कम स्पष्ट हैं। मनोवैज्ञानिक ऐसी घटनाओं को धारणा (perception), अनुभूति (cognition), भावना (emotion), व्यक्तित्व (personality), व्यवहार (behavior) और पारस्परिक संबंध (interpersonal relationships) के रूप में अध्ययन करते हैं। कुछ विशेष रूप से गहरे मनोवैज्ञानिक (depth psychologists) अचेत मस्तिष्क (unconscious mind) का भी अध्ययन करते हैं। मनोवैज्ञानिक ज्ञान मानव क्रिया (human activity) के भिन्न क्षेत्रों पर लागू होता है, जिसमें दैनिक जीवन के मुद्दे शामिल हैं और -; जैसे परिवार, शिक्षा (education) और रोजगार और - और मानसिक स्वास्थ्य (treatment) समस्याओं का उपचार (mental health).

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मानव मस्तिष्क

मानव मस्तिष्क को प्रदर्शित करता चित्र मानव मस्तिष्क के एम.आर.आई. प्रतिबिंब को प्रदर्शित करता चित्र मानव मस्तिष्क शरीर का एक आवश्यक अंग होने के साथ-साथ प्रकृति की एक उत्कृष्ट रचना भी है। देखने में यह एक जैविक रचना से अधिक नहीं प्रतीत होता। परन्तु यह हमारी इच्छाओं, संवेगों, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, चेतना, ज्ञान, अनुभव, व्यक्तित्व इत्यादि का केन्द्र भी होता है। मानव मस्तिष्क कैसे काम करता है यह एक ज्वलंत प्रश्न के रूप में जीवविज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित और दर्शनशास्त्र में स्थान रखता है। प्रस्तुत आलेख में मस्तिष्क के विभिन्न संरचनात्मक एवं क्रियात्मक पहलुओं पर चर्चा की गई है। 200px .

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मानव जाति विज्ञान

मानव जाति विज्ञान (यूनानी शब्द एथनॉस, अर्थ "लोग, राष्ट्र, नस्ल") मानव शास्त्र की एक शाखा है जो मानवों के सजातीय, नस्ली और/या राष्ट्रीय वर्गों के उद्गमों, वितरण, तकनीकी, धर्मं, भाषा तथा सामाजिक संरचना की तुलना तथा विश्लेषण करती है। .

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मानविकी

सिलानिओं द्वारा दार्शनिक प्लेटो का चित्र मानविकी वे शैक्षणिक विषय हैं जिनमें प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के मुख्यतः अनुभवजन्य दृष्टिकोणों के विपरीत, मुख्य रूप से विश्लेषणात्मक, आलोचनात्मक या काल्पनिक विधियों का इस्तेमाल कर मानवीय स्थिति का अध्ययन किया जाता है। प्राचीन और आधुनिक भाषाएं, साहित्य, कानून, इतिहास, दर्शन, धर्म और दृश्य एवं अभिनय कला (संगीत सहित) मानविकी संबंधी विषयों के उदाहरण हैं। मानविकी में कभी-कभी शामिल किये जाने वाले अतिरिक्त विषय हैं प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी), मानव-शास्त्र (एन्थ्रोपोलॉजी), क्षेत्र अध्ययन (एरिया स्टडीज), संचार अध्ययन (कम्युनिकेशन स्टडीज), सांस्कृतिक अध्ययन (कल्चरल स्टडीज) और भाषा विज्ञान (लिंग्विस्टिक्स), हालांकि इन्हें अक्सर सामाजिक विज्ञान (सोशल साइंस) के रूप में माना जाता है। मानविकी पर काम कर रहे विद्वानों का उल्लेख कभी-कभी "मानवतावादी (ह्यूमनिस्ट)" के रूप में भी किया जाता है। हालांकि यह शब्द मानवतावाद की दार्शनिक स्थिति का भी वर्णन करता है जिसे मानविकी के कुछ "मानवतावाद विरोधी" विद्वान अस्वीकार करते हैं। .

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मानवीकरण

मानवीकरण मनुष्य की गंभीर आवश्यकता है जिसमें व्यक्ति गैर-मानव वस्तु, घटना या संकल्पना को मानवीय गुण, विशेषता या आशय से रंग देता है। मानवीकरण या मानवत्वरोपण दैनिक जीवन के क्रिया-कलापों का महत्वपूर्ण भाग है। यह एक ऐसी मानसिक तथा सामाजिक प्रक्रिया है जो मनोविज्ञान, मानवशास्त्र, साहित्य, इतिहास और आध्यात्म के खोजकर्ताओं को मन की गहराईयों में ले जाती है। मानवीकरण से भाषा, कला और संस्कृति समृद्ध होती है। व्यक्ति के जीवन काल या समाज के सांस्कृतिक विकास के साथ मानवीकृत तत्वों या कारकों में नए कथानक जुड़ते जाते हैं। कुछ अवस्थाओं में यह मानवीकृत तत्व दो तरह के मानसिक परिवर्तन लाने में सक्षम पाए गए। एक श्रेणी तंत्रिका तंत्र के विघटन द्वारा अर्धचेतन अवस्था में देवता, भूत-प्रेत, या अन्य लोकातीत अनुभव, तथा दूसरी श्रेणी उपचार और स्वास्थ्य लाभ से संबंधित है, जैसे, पराप्राकृतिक संवाद। धार्मिक अनुष्ठान तथा नैतिकता द्वारा मानवीकरण गैर-बंधुओं में आपसी मेल-जोल बनाये रखता है। वैज्ञानिक खोज, विशेषकर जंतुओं के व्यवहार, में मानवीकरण वर्जित है, पर इसने दो नए क्षेत्रों को जन्म दिया, “थ्योरी ऑफ माइंड” और “दर्पण तंत्रिका तंत्र”। .

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मानक हिन्दी

मानक हिन्दी हिन्दी का मानक स्वरूप है जिसका शिक्षा, कार्यालयीन कार्यों आदि में प्रयोग किया जाता है। भाषा का क्षेत्र देश, काल और पात्र की दृष्टि से व्यापक है। इसलिये सभी भाषाओं के विविध रूप मिलते हैं। इन विविध रूपों में एकता की कोशिश की जाती है और उसे मानक भाषा कहा जाता है। हिन्दी में ‘मानक भाषा’ के अर्थ में पहले ‘साधु भाषा’, ‘टकसाली भाषा’, ‘शुद्ध भाषा’, ‘आदर्श भाषा’ तथा ‘परिनिष्ठित भाषा’ आदि का प्रयोग होता था। अंग्रेज़ी शब्द ‘स्टैंडर्ड’ के प्रतिशब्द के रूप में ‘मान’ शब्द के स्थिरीकरण के बाद ‘स्टैंडर्ड लैंग्विज’ के अनुवाद के रूप में ‘मानक भाषा’ शब्द चल पड़ा। अंग्रेज़ी के ‘स्टैंडर्ड’ शब्द की व्युत्पत्ति विवादास्पद है। कुछ लोग इसे ‘स्टैंड’ (खड़ा होना) से जोड़ते हैं तो कुछ लोग एक्सटैंड ‘बढ़ाना’ से। मेरे विचार में यह ‘स्टैंड’ से संबद्ध है। वह जो कड़ा होकर, स्पष्टतः औरों से अलग प्रतिमान का काम करे। ‘मानक भाषा’ भी अमानक भाषा-रूपों से अलग एक प्रतिमान का काम करती है। उसी के आधार पर किसी के द्वारा प्रयुक्त भाषा की मानकता अमानकता का निर्णय किया जाता है। .

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मारवाड़

मारवाड़ राजस्थान प्रांत के पश्चिम में थार के मरुस्थल में आंशिक रूप से स्थित है। मारवाड़ संस्कृत के मरूवाट शब्द से बना है जिसका अर्थ है मौत का भूभाग.

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मारवाड़ी भाषा

राजस्थान में मारवाड़ी बोलने वाले इलाक़े मारवाड़ी राजस्थान में बोली जाने वाली एक क्षेत्रीय भाषा है। यह राजस्थान की एक मुख्य भाषाओं में से एक है। मारवाड़ी गुजरात, हरियाणा और पूर्वी पाकिस्तान में भी बोली जाती है। इसकी मुख्य लिपि देवनागरी है। इसकी कई उप-बोलियाँ भी है। मारवाड़ी की ख़ुद की लिपि जिसे मोड़िया लिपि भी हैं। परन्तु इस लिपि के विकास में राजपुताने राजरस्थान के राजा-महाराजा (वर्तमान में राजस्थान राज्य) व राजस्थान सरकार ने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। पिछले ४०-५० सालों से इस भाषा के विकास पर बातें तो बहुत होती रही है पर कार्य के मामले में कोई विशेष प्रगति नहीं दिखी। इन दिनों सन् 2011 से कोलकाता के श्री शम्भु चौधरी इस दिशा में काफी कार्य किया है। राजस्थानी भाषा कि लिपि के संदर्भ में यह गलत प्रचार किया जाता रहा कि इसकी लिपि देवनागरी है जबकि राजस्थान के पुराने दस्तावेजों से पता चलता है कि इसकी लिपि मोड़िया है। उस लिपि को महाजनी भी कहा जाता है। हांलाकि मोड़िया लिपि को भी महाजनी लिपि कहा जाता हैं। कुछ लोग मोड़ी लिपि को ही मोड़िया लिपि मानते रहे। जब इसके विस्तार में देखा गया तो दोनों लिपि में काफी अन्तर है। .

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मारवाड़ी ग्रुप

मारवाङी राजस्थान मे बोली जाने वाली एक क्षेत्रीय भाषा है। श्रेणी:विश्व की भाषाएँ.

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मारीशस के हिन्दी विद्वान

मारीशस में २ नवंबर १८३४ में एटलस नामक जहाज़ में बिहार के छोटा नागपुर इलाके से पहली बार विधिवत गिरमिटियों को लाया गया था। १९२० तक मारीशस में साढ़े चार लाख भारतीय गिरमिटिए लाए गए, जिनमें अधिकतर भोजपुरी बोलने वाले थे। उन्नीसवीं सदी के अंत तक बोलचाल की भाषा के रूप में यहाँ भोजपुरी का विकास हो चुका था। १९०१ में बैरिस्टर मोहनदास करमचन्द गांधी यहाँ आकर रहे और भारतीयों की दशा और कठिनाइयों को समझा। उन्हें कानूनी सलाह उपलब्ध कराने और सहायता करने के लिए उन्होंने १९०९ में एक योग्य बैरिस्टर मगनलाल मणिलाल को मारीशस भेजा। बैरिस्टर मगनलाल मणिलाल ने १५ मार्च १९०९ में एक साप्ताहिक पत्र का आरंभ किया जिसकी भाषा अँग्रेजी और गुजराती थी। बाद में गुजराती के स्थान पर यह पत्र हिंदी में प्रकाशित होने लगा क्यों कि आमतौर पर सभी भारतीय लोगों को हिंदी आसानी से समझ में आती थी। इसके बाद ही मारीशस में हिंदी का विकास हुआ। इस दृष्टि से वे मारीशस के पहले हिंदी विद्वान माने जाते हैं। इसके बाद अनेक लोगों ने अध्यापन, पत्रकारिता और लेखन द्वारा मारीशस में हिंदी का विकास किया। इन लोगों में प्रमुख नाम हैं- मुकेश्वर चुन्नी, पं. आत्माराम विश्वनाथ, पं. लक्ष्मीनारायण चतुर्वेदी रसपुंज, पं. रामावध शर्मा, पं. काशीनाथ किष्टो, पं. नरसिंहदास, श्री जयनारायण राय, प्रो॰ वासुदेव विष्णुदयाल, डॉ॰ सर शिवसागर रामगुलाम, प्रो॰ राम प्रकाश, बैरिस्टर सोमदत्त बखोरी, पं.मोहनलाल मोहित, आर्य रत्न, डॉ॰ ब्रज भारत, श्री सूर्यमंजर भगत, सर खेर जगतसिंह, स्वामी कृष्णानंद सरस्वती, श्री दुखी गंगा, श्री रामनाथ जीता, पं. रामदत्त महावीर, रामरेखा रति, पं. श्रीनिवास जगदत्त, पं. उमाशंकर जगदत्ता, पं. दौलत शर्मा, श्री दयानंदलाल वसंतराय, अभिमन्यु अनत आदि। .

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माहली

माहली जनजाति झारखंड के ज्यादातर हिस्सों तथा पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के कुछ जिलों में रहने वाली भारत की प्राचीनतम जनजातियों में से एक है। ये भारत के प्रमुख आदिवासी समूह है। इनका निवास स्थान मुख्यतः झारखंड प्रदेश है। झारखंड से बाहर ये बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, असम, मे रहते है। माहली प्रायः नाटे कद के होता है। इनकी नाक चौड़ी तथा चिपटी होती है। इनका संबंध प्रोटो आस्ट्रेलायड से है। माहली के समाज मे मुख्य व्यक्ति इनका मांझी होता है। मदिरापान तथा नृत्य इनके दैनिक जीवन का अंग है। अन्य आदिवासी समुहों की तरह इनमें भी जादू टोना प्रचलित है। ये बांस के कार्य करते हुए देखे जाते है। माहली की अन्य विषेशता इनके सुन्दर ढंग के मकान हैं जिनमें खिडकीयां नहीं होती हैं। माहली मारांग बुरु की उपासना करतें हैं ये पूर्वजो द्वारा जो परम्परा पीढ़ीयों से चली आ रही है उसको मानते है ये धर्म पूर्वी लोग होते है। इनकी भाषा संथाली और लिपि ओल चिकी है। इनके बारह मूल गोत्र हैं ; बास्के, मुर्मू, बेसरा, किस्कू, हेम्ब्रम, हासंदा, टुडू, करुणामय, मार्डी, सामन्त आदि। माहली समुदाय मुख्यतः बाहा, सोहराय, माग, ऐरोक, माक मोंड़े, जानथाड़, हरियाड़ सीम, आराक सीम, जातरा, पाता, बुरु मेरोम, गाडा पारोम तथा सकरात नामक पर्व / त्योहार मनाते हैं। इनके विवाह को 'बापला' कहा जता है। माहली समुदाय मे कुल 23 प्रकार की विवाह प्रथायें है, जो निम्न प्रकार है - 1.

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मिथिलाक्षर

मिथिलाक्षर लिपि अथवा मिथिलाक्षरा का प्रयोग लोग भारत के उत्तर बिहार एवं नेपाल के तराई क्षेत्र की मैथिली भाषा को लिखने के लिये करते हैं। इसे 'मैथिली लिपि' और 'तिरहुता' भी कहा जाता है। इस लिपि का प्राचीनतम् नमूना दरभंगा जिला के कुशेश्वरस्थान के निकट तिलकेश्वरस्थान के शिव मन्दिर में है। इस मन्दिर में पूर्वी विदेह प्राकृत में लिखा है कि मन्दिर 'कात्तिका सुदी' (अर्थात कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा) शके १२५ (अर्थात २०३ ई सन्) में बना था। इस मन्दिर की लिपि और आधुनिक तिरहुता लिपि में बहुत कम अन्तर है। किन्तु २0वीं शताब्दी में क्रमश: अधिकांश मैथिली के लोगों ने मैथिली लिखने के लिये देवनागरी का प्रयोग करना आरम्भ कर दिया। किन्तु अब भी कुछ पारम्परिक ब्राह्मण (पण्डित) 'पाता' (विवाह आदि से सम्बन्धित पत्र) भेजने के लिये इसका प्रयोग करते हैं। सन् २००३ ईसवी में इस लिपि के लिये फॉण्ट का विकास किया गया था। यह लिपि बंगला लिपि से मिलती-जुलती है किन्तु उससे थोड़ी-बहुत भिन्न है। यह पढ़ने में बंगला लिपि की अपेक्षा कठिन है। तिरहुत लिपि के व्यंजन वर्ण .

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मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर पैकेजों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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मौलाना सूफी मूफ्ती अज़ानगाछी साहेब

हज़रत मौलाना सूफी मूफ्ती अज़ानगाछी साहेब (र०) (उर्दू: مولانا صوفی مفتی اذانگاچھی, अंग्रेजी: Maulana Sufi Mufti Azangachhi Shaheb (1828 या 1829 - 19 दिसंबर 1932)), एक महान भारतीय सूफी संत थे। ये पश्चिम बंगाल के बागमारी में एक इस्लामी सुफी गैर सरकारी संगठन, हक्कानी अंजुमन के स्थापकके रूप में काफी परिचीत हैं। ये इस्लाम धर्म के दुसरे खलीफा हजरत उमर (रह०) के 36 वें बाद की पीढ़ी से संबंधित हैं। सूफ़ीम एक तरीका है, जो एक व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में मदद करता है और प्रत्येक व्यक्ति के माध्यम से, कुल प्रणाली में अनुशासन लाने में मदद करता है। हज़रत मौलाना अज़ानगाछी (रए•) ऐसे सूफी थे, जिन्होंने 1920 के दशक और 1930 के शुरुआती दिनों में ब्रिटिश बंगाल (अब बांग्लादेश और भारत के पूर्वी भाग) में सुफ़िज्म का प्रसार किया। उन्होंने एक तारिका विकसित किया, जिसका नाम तारिका ई जामिया | .

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मैथिली भाषा

मैथिली भारत के उत्तरी बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यह हिन्द आर्य परिवार की सदस्य है। इसका प्रमुख स्रोत संस्कृत भाषा है जिसके शब्द "तत्सम" वा "तद्भव" रूप में मैथिली में प्रयुक्त होते हैं। यह भाषा बोलने और सुनने में बहुत ही मोहक लगता है। मैथिली भारत में मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शिवहर, भागलपुर, मधेपुरा, अररिया, सुपौल, वैशाली, सहरसा, रांची, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर जिलों में बोली जाती है| नेपाल के आठ जिलों धनुषा,सिरहा,सुनसरी, सरलाही, सप्तरी, मोहतरी,मोरंग और रौतहट में भी यह बोली जाती है। बँगला, असमिया और ओड़िया के साथ साथ इसकी उत्पत्ति मागधी प्राकृत से हुई है। कुछ अंशों में ये बंगला और कुछ अंशों में हिंदी से मिलती जुलती है। वर्ष २००३ में मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की ८वीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया। सन २००७ में नेपाल के अन्तरिम संविधान में इसे एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्थान दिया गया है। .

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मैथिली साहित्य

मैथिली मुख्यतः भारत के उत्तर-पूर्व बिहार एवम् नेपाल के तराई क्षेत्र की भाषा है।Yadava, Y. P. (2013).

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मैक्स मूलर

फ्रेडरिक मैक्स मूलर (०६ दिसम्बर १८२३ - २८ अक्टूबर १९००) एक जर्मनवासी थे जो ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कर्मचारी थे। वे एक जर्मन भाषाविद तथा प्राच्य विद्या विशारद थे, जन्म से जर्मन होने के बावजूद उन्होने अप्नी ज्यादातर जिन्दगी बिताई इंगलैंड में और वही अपना अध्ययन भी किया। वे सन्स्थापक थे शैक्षिक पश्चिमी, भरतीय विद के तथा तुलनात्मक धर्म के अनुशासन के। .

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मूषक (जालस्थल)

मूषक या मूषक.भारत हिन्दी भाषा में उपलब्ध भारतीय सामाजिक जालस्थल है। इसका निर्माणकर्ता और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनुराग गौड़ हैं। ट्वि‍टर की तर्ज पर वर्ल्‍ड हिंदी सम्‍मेलन की शुरुआत से पहले हिंदी नेटवर्किंग साइट ‘मूषक’ (Mooshak) को 9 सितम्बर 2015 को विश्व हिंदी सम्मेलन,भोपाल में लांच कि‍या गया। इस नई नेटवर्किंग जालस्थल के निशाने पर हिंदी भाषी लोग हैं। .

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मोहन ठकुरी

मोहन ठकुरी का जन्म 20 अप्रैल 1948 को मंग्पू दार्जिलिंग में हुआ। ये नेपाली भाषा के चर्चित भारतीय कवि, कथाकार और संपादक हैं। 'मेरो अंगाठों को रात', 'हेंग ओभर' (कहानी संग्रह), एवं 'नि:शब्द' (कविता संग्रह) प्रकाशित। साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित 'नेपाली कविता संग्रह' तथा' आगम सिंह गिरि रचना संचयन' का संपादन। .

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यान्त्रिक अनुवाद

कम्प्यूटर साफ्टवेयर की सहायता से एक प्राकृतिक भाषा के टेक्स्ट या कही गयी बात (स्पीच) को दूसरी प्राकृतिक भाषा के टेक्स्ट या वाक में अनुवाद करने को मशीनी अनुवाद या यांत्रिक अनुवाद कहते हैं। .

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युवा दिवस (दक्षिण अफ्रिका)

16 जून 1976 को दक्षिण अफ्रिका के टोएटा में दस हजार काले स्कूली छात्रों द्वारा अपनी खराब गुणवत्ता वाली शिक्षा के खिलाफ तथा अपनी भाषा में बात करने के अधिकार के लिए किए गए प्रदर्शन की याद में यह दिवस मनाया जाता है। लगभग आधे मील लंबे इस प्रदर्शन में सैंकड़ों छात्रों को गोली मार दी गई तथा हजारों व्यक्ति घायल हो गए। .

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यूरोपीय संविधान

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति वेलरी गिशार्ड डेस्टिंग की अध्यक्षता वाले एक विशेषज्ञ दल ने 2002 और 2003 में अच्छा ख़ासा समय यूरोपीय संघ का एक संविधान का मसौदा तैयार करने पर लगाया। इस संविधान का मक़सद यूरोपीय संधियों को आसान भाषा में उपलब्ध कराना है ताकि यूरोपीय संघ के मिज़ाज़ को ज़्यादा आसान तरीक़े से समझा जा सके और विस्तार होने पर इसे सुचारू रूप से चलाया जा सके। लेकिन यूरोपीय संविधान के किसी मसौदे पर अभी कोई सहमति नहीं बन पाई है। श्रेणी:यूरोपीय संघ.

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रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। .

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रसायन विज्ञान का इतिहास

रसायन विज्ञान का इतिहास बहुत पुराना है। १००० ईसापूर्व में प्राचीन सभ्यताओं के लोग ऐसी प्राविधियों काo.

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राधाकृष्ण

बिहार में जन्में राधाकृष्ण हिन्दी के यशस्वी कहानीकार हैं। आपकी कहानियों में देश एवं समाज की कुरीतियों पर गहरा व्यंग्य रहता है। भाषा सरल, सीधी किन्तु हृदयग्राही है। आपके अब तक कई उपन्यास तथा कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें रूपान्तर एवं सजला को हिन्दी-साहित्य में समुचित आदर मिला है। श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार.

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राप्ती अंचल

राप्ती अंचल मध्यपस्चिमान्चल नेपाल में पड़ता है, इस अन्चल में दांग, रोल्पा रूकुम, प्युठान व सल्यान जिले पडते है, भित्री मधेस कहेजाने वाला दांग उपत्यका इसी अंचलमे पड़ता है, इस अंचलकी पुर्वमे लुंबिनी अंचल, उत्तर, पुर्वमे धवलागिरी अंचल व उत्तरमे कर्णाली अंचल पश्चिम में भेरी अंचल व दक्षिण में भारतीय राज्य उत्तरप्रदेश पडताहै। .

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राम चौधरी

डॉ॰ रामदास चौधरी (८ अगस्त १९२७ – २० जून २०१५) भौतिकी के प्राध्यापक एवं हिन्दी सेवी थे। उन्होने अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति और बाद में विश्व हिंदी न्यास गठित कर संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को पहुंचाने की कोशिशें कीं। वे अमेरिका में 'हिन्दी की छत्रछाया' समझे जाते थे। वह अक्सर कहा करते थे कि हमें सदियों पहले मॉरिशस, फिजी, ट्रिनिडाड पहुंचे गिरमिटिया मजदूरों से सबक लेना चाहिए, जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी भाषा व संस्कृति को बचाकर रखा। .

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राजभाषा

राजभाषा, किसी राज्य या देश की घोषित भाषा होती है जो कि सभी राजकीय प्रायोजनों में प्रयोग होती है। उदाहरणतः भारत की राजभाषा हिन्दी है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। .

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राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय

राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर के निकट,राजस्थान, भारत में एक शैक्षणिक संस्थान है। यह संसद के एक अधिनियम के माध्यम से स्थापित किया गया है: "केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009" भारत सरकार द्वारा स्थापित। राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय को एक नए केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में संसद के एक अधिनियम (2009 के अधिनियम सं. 25, भारत के गजट सं. 27, 20 मार्च 2009 को प्रकाशित) द्वारा स्थापित किया गया था और यह पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है। .

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राज्य पुनर्गठन आयोग

वर्ष १९५१ में भारत के प्रशासनिक प्रभाग भारत के स्वतंत्र होने के बाद भारत सरकार ने अंग्रेजी राज के दिनों के 'राज्यों' को भाषायी आधार पर पुनर्गठित करने के लिये राज्य पुनर्गठन आयोग (States Reorganisation Commission) की स्थापना की। 1950 के दशक में बने पहले राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश में राज्यों के बंटवारे का आधार भाषाई था। इसके पीछे तर्क दिया गया कि स्वतंत्रता आंदोलन में यह बात उठी थी कि जनतंत्र में प्रशासन को आम लोगों की भाषा में काम करना चाहिए, ताकि प्रशासन लोगों के नजदीक आ सके। .

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राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६

राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ (States Reorganisation Act, 1956) भारत को प्रशासनिक दृष्टि से गठित करने का एक प्रमुख कदम था। इसके द्वारा भारत में नये प्रदेशों का निर्माण हुआ, कुछ प्रदेशों की सीमाएँ परिवर्तित हुईं। यह कार्य मुख्यतः भाषा के आधार पर किया गया। .

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राजेन्द्र भण्डारी

राजेन्द्र भण्डारी नेपाली भाषा के प्रतिष्ठित भारतीय कवि हैं। ये गैंगटोक, सिक्किम में प्राध्यापक हैं। इनका जन्म 1955 में कलिमपोंग दार्जिलिंग में हुआ। 'हिउन्देछैसा रात का पर्दा हरू मा' और 'यी शब्द हरू: यी हरफ हरू' आदि कविता संग्रह प्रकाशित। .

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राजी सेठ

राजी सेठ प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकार हैं। उनका कथा मानस आंतरिक भाव यंत्र या सम्वेदन -तंत्र के ताने-बाने को पूरी जटिलता के साथ रेखांकित करता है। उनका दर्शन यथार्थ कलाऔर विचार का मनोवैज्ञानिक ढंग से संपुजन करता है। उनके शिल्प में भाषा, शैली, शब्द संगीत, तरह -तरह के कोलाज या पेंटिंग एक साथ उभरते हैं। श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार श्रेणी:स्त्री साहित्यकार .

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रेमिका थापा

रेमिका थापा नेपाली भाषा की भारतीय कवियित्रि है। इनका जन्म 28 अक्तूवर 1971 को मांग्पू दार्जिलिंग में हुआ। .

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रेखती

उर्दू साहित्य में स्त्रियों की भाषआ में स्त्रियों के संबंध में जो कविताएं लिखी गई हैं वे रेखती कहलाती हैं। इनमें स्त्रियों के पारिवारिक जीवन और सामाजिक बंधनों का वर्णन होता है। स्त्रियों की अंतरंग बातें कभी-कभी अश्लील रूप भी ले लेती हैं। इसके अध्ययन से घरेलु भाषा का ज्ञान सहजता से प्राप्त होता है। इसका रूप प्रायः ग़ज़ल का होता है। किंतु इसकी कोइ अनिवार्यता नहीं है। यह अन्य सिन्फों में भी लिखी जाती है। श्रेणी:उर्दू छंद.

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रेंगमा भाषा

रेंगमा (Rengma), भारत के नागालैंड राज्य में बोली जाने वाले एक भाषा है। यह तिब्बती-बर्मी भाषा परिवार की अंगामी-पोचुरी शाखा की बोली है, और सम्भव है कि उस शाखा की पोचुरी उपशाखा की सदस्य है। .

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रोहिलखंड

रोहिलखंड या रुहेलखण्ड उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिम में एक क्षेत्र है।.

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रोहिंग्या भाषा

रोहिंग्या (अथवा), या रुऐंग्गा, राखीन राज्य के रोहिंग्या लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। रोहिंग्या बंगाली-असमिया भाषासमूह में से एक है। यह भाषा चटगाँवी भाषा से काफ़ी मिलती-जुलती है, जो पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में बोली जाती है। .

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रीडिफ.कॉम

रीडिफ डॉट कॉम अथवा रीडिफ.कॉम (रीडिफ.कॉम) भारतीय समाचार, सूचना, मनोरंजन और शॉपिंग वेब पोर्टल है। इसकी स्थापना १९९६ में हुई। इसकी स्थापना रीडिफ ऑन द नेट (रीडिफ On The NeT) के रूप में हुई। इसका मुख्य कार्यालय मुम्बई में है जिसके शाखा कार्यालय बंगलौर, नई दिल्ली और न्यूयॉर्क नगर में स्थित हैं। एलेक्सा के अनुसार रीडिफ १७वाँ भारतीय वेब पोर्टल है। इसमें ३१६ से अधिक कर्मचारी नियुक्त हैं। इसके लाखों परिदर्शकों में से 89.1% परिदर्शक भारतीय हैं जबकि अन्यों में मुख्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका (3.4%) और चीन शामिल हैं। अप्रैल २००१ में रीडिफ ने इंडिया अब्रॉड आरम्भ किया। फ़रवरी २०११ में अलेक्सा पर इसकी रैंक २९५ थी। रीडिफ डॉट कॉम १९९६ में भारत में पंजीकृत पहला डोमेन नाम है। .

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लाला हरदयाल

लाला हरदयाल (१४ अक्टूबर १८८४, दिल्ली -४ मार्च १९३९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् १९२७ में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् १९३८ में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही ४ मार्च १९३९ को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी। उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया। .

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लिपि का इतिहास

लिपि का इतिहास वस्तुतः भाषा को वर्णों या अन्य संकेतों के माध्यम से अभिव्यक्ति के विकास का इतिहास है। श्रेणी:लिपि.

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लिव वाइगोत्सकी

लिव सिमनोविच वाइगोत्सकी (Лев Семёнович Вы́готский or Выго́тский, जन्मनाम: Лев Симхович Выгодский; 1896 - 1934) सोवियत संघ के मनोवैज्ञानिक थे तथा वाइगोत्स्की मण्डल के नेता थे। उन्होने मानव के सांस्कृतिक तथा जैव-सामाजिक विकास का सिद्धान्त दिया जिसे सांस्कृतिक-ऐतिहासिक मनोविज्ञान कहा जाता है। उनका मुख्य कार्यक्षेत्र विकास मनोविज्ञान था। उन्होने बच्चों में उच्च संज्ञानात्मक कार्यों के विकास से सम्बन्धित एक सिद्धान्त प्रस्तुत किया। अपने करीअर के आरम्भिक काल में उनका तर्क था कि तर्क-शक्ति का विकास चिह्नों एवं प्रतीकों के माध्यम से होता है। वाइगोत्स्की का सामाजिक दृषिटकोण संज्ञानात्मक विकास का एक प्रगतिशील विश्लेषण प्रस्तुत करता है। वस्तुत: वाइगोत्सकी ने बालक के संज्ञानात्मक विकास में समाज एवं उसके सांस्कृतिक संबन्धों के बीच संवाद को एक महत्त्वपूर्ण आयाम घोषित किया। ज़ाँ प्याज़े की तरह वाइगोत्स्की भी यह मानते थे कि बच्चे ज्ञान का निर्माण करते हैं। किन्तु इनके अनुसार संज्ञानात्मक विकास एकाकी नहीं हो सकता, यह भाषा-विकास, सामाजिक-विकास, यहाँ तक कि शारीरिक-विकास के साथ-साथ सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में होता है। वाइगोत्सकी के अनुसार बच्चे के संज्ञानात्मक विकास को समझने के लिए एक विकासात्मक उपागम की आवश्यकता है जो कि इसका शुरू से परीक्षण करे तथा विभिन्न रूपों में हुए परिवर्तन को ठीक से पहचान पाए। इस प्रकार एक विशिष्ट मानसिक कार्य जैसे- आत्म-भाषा को विकासात्मक प्रक्रियाओं के रूप में मूल्यांकित किया जाए, न कि एकाकी रूप से। वाइगोत्सकी के अनुसार संज्ञानात्मक विकास को समझने के लिए उन औजारों का परीक्षण अति आवश्यक है जो संज्ञानात्मक विकास में मध्यस्थता करते हैं तथा उसे रूप प्रदान करते हैं। इसी के आधार पर वे यह भी मानते हैं कि भाषा संज्ञानात्मक विकास का महत्त्वपूर्ण औजार है। इनके अनुसार आरमिभक बाल्यकाल में ही बच्चा अपने कार्यों के नियोजन एवं समस्या समाधान में भाषा का औजार की तरह उपयोग करने लग जाता है। .

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लिंग (व्याकरण)

व्याकरण के सन्दर्भ में लिंग से तात्पर्य भाषा के ऐसे प्रावधानों से है जो वाक्य के कर्ता के स्त्री/पुरुष/निर्जीव होने के अनुसार बदल जाते हैं। विश्व की लगभग एक चौथाई भाषाओं में किसी न किसी प्रकार की लिंग व्यवस्था है। हिन्दी में दो लिंग होते हैं (पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग) जबकि संस्कृत में तीन लिंग होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसक लिंग। फ़ारसी जैसे भाषाओं में लिंग होता नहीं, और भी अंग्रेज़ी में लिंग सिर्फ़ सर्वनाम में होता है।; उदाहरण श्रेणी:व्याकरण.

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लुडविग विट्गेंस्टाइन

लु़डविग विट्गेंश्टाइन लुडविग विट्गेंश्टाइन (Ludwig Josef Johann Wittgenstein') (26 अप्रिल 1889 - 29 अप्रैल 1951) आस्ट्रिया के दार्शनिक थे। उन्होने तर्कशास्त्र, गणित का दर्शन, मन का दर्शन, एवं भाषा के दर्शन पर मुख्यतः कार्य किया। उनकी गणना बीसवीं शताब्दी के महानतम दार्शनिकों में होती है। उनके जीते जी एक ही पुस्तक प्रकाशित हो पाई - Tractatus Logico-Philosophicus। बाद की प्रकाशित पुस्तकों में Philosophical Investigations काफी चर्चित रही। विट्गेंश्टाइन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे हैं। विट्गेंश्टाइन के पिता कार्ल एक यहूदी थे जिन्होंने बाद में प्रोटेस्टेंट धर्म अपना लिया था। .

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लेपचा (जनजाति)

लेपचा (जनजाति), जिसे रोंग भी कहते हैं। ये भारत के प्रमुख जनजातियों में से एक हैं। .

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लेप्चा

लेपचा भारत रहने वाली जनजाति और इस जातिद्वारा बोली जाने वाली एक जनजातिय भाषा है। श्रेणी:सिक्किम की भाषाएँ श्रेणी:पश्चिम बंगाल की भाषाएँ.

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लेखनवर्तनी

लेखनवर्तनी (orthography) या लेखनविधि किसी भाषा को लिखने के स्थापित मानकों को कहते हैं। इसमें विराम, अर्ध-विराम, प्रश्नचिन्ह, शब्दों के बीच में प्रयोग होने वाली जगह या अन्य चिन्ह, इत्यादि आते हैं। .

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लोकोक्ति

बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। इन वाक्यों में जनता के अनुभव का निचोड़ या सार होता है। इनकी उत्पत्ति एवं रचनाकार ज्ञात नहीं होते। लोकोक्तियाँ आम जनमानस द्वारा स्थानीय बोलियों में हर दिन की परिस्थितियों एवं संदर्भों से उपजे वैसे पद एवं वाक्य होते हैं जो किसी खास समूह, उम्र वर्ग या क्षेत्रीय दायरे में प्रयोग किया जाता है। इसमें स्थान विशेष के भूगोल, संस्कृति, भाषाओं का मिश्रण इत्यादि की झलक मिलती है। लोकोक्ति वाक्यांश न होकर स्वतंत्र वाक्य होते हैं। .

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लील बहादुर क्षेत्री

लील बहादुर क्षेत्री नेपाली भाषा के भारतीय कथा लेखक हैं। .

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शबनम गोरखपुरी

शबनम गोरखपुरी (1927-10 जुलाई 2013) एक भारतीय उर्दू शायर थे। वे हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा साहित्य में सामान अधिकार रखते थे। उन्होंने दूसरी भाषाओं के साहित्य को उर्दू में अनुवाद करके उर्दू साहित्य को समृद्ध बनाया। .

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शरद रावत

शरद रावत नेपाली भाषा के भारतीय कवि हैं। इनका जन्म 17 सितंवर 1962 को मंग्पू दार्जिलिंग में हुआ। .

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शाब्दिक इकाई

शाब्दिक इकाई (lexical item या lexical unit) किसी भाषा का एक शब्द, शब्द का अंश या शब्दों की शृंख्ला होती है जो उस भाषा के शब्दसंग्रह (lexicon) का मूल तत्व होती है। उदाहरण के लिये "बिल्ली," "बस अड्डा," "जाने-अनजाने में," "चलते-चलते," "सूई की नोक पर" और "गाड़ी" सभी शाब्दिक इकाईयाँ हैं। शब्दिम (lexeme) की तरह हर शाब्दिक इकाई भी केवल एक अर्थ प्रदान करती है, लेकिन जहाँ शब्दिम एक शब्द या शब्द का अंश ही जो सकते हैं, वहाँ शाब्दिक इकाईयाँ कई शब्दों की भी बदी हो सकती हैं। भाषा अनुवाद में शाब्दिक इकाईयाँ ही भाषा-प्रयोग के वह प्राकृतिक अंश होते हैं जिन्हें अनुवादित करा जाता है। .

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शिक्षा का माध्यम

किसी शिक्षण संस्थान में जो भाषा शिक्षण के लिये प्रयोग की जाती है, उसे उस संस्थान की शिक्षा का माध्यम (medium of instruction) कहते हैं। अधिकांश विकसित देशों में मातृभाषा ही प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक का माध्यम है। किन्तु ब्रिटेन और फ्रांस के उपनिवेश रहे देशों में अभी भी मातृभाषा के बजाय अंग्रेजी या फ्रेंच शिक्षा के माध्यम हैं। .

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शिकोमोरी भाषा

शिकोमोर भाषा कोमोरोस में व्यापक रूप से प्रयुक्त होने वाली भाषा है। यह स्वाहीली बोलियों का एक समूह है लेकिन इसपर अरबी भाषा का प्रभाव मानक स्वाहीली से कहीं अधिक है। प्रत्येक द्वीप की अपनी बोली है; जैसे अंजोउन की शिन्दज़ुआनी, मोहेली की शिम्वाली, मायोत की शिमाओरे और ग्रान्द कोमोरे की शिंगाज़िजा। १९९२ तक इसकी कोई लिपि नहीं थी, लेकिन अरबी और लातिन दोनों लिपियाँ उपयोग में थीं। शिमासिवा, शिकोमोर भाषा का एक और नाम है, जिसका अर्थ है "द्वीपों की भाषा"। यह यहाँ के राष्ट्रगान उद्ज़िमा वा या मासिवा की भाषा है। श्रेणी:कोमोरोस की भाषाएँ श्रेणी:स्वाहीली.

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श्रीनारायण चतुर्वेदी

पं॰ श्रीनारायण चतुर्वेदी (१८९५ -- १८ अगस्त १९९०) हिन्दी के साहित्यकार, प्रचारक, सर्जक तथा पत्रकार थे जो आजीवन हिन्दी के लिये समर्पित रहे। वे सरस्वती पत्रिका के सम्पादक रहे। उन्होने राष्ट्र को हिन्दीमय बनाने के लिये जनता में भाषा की जीवन्त चेतना को उकसाया। अपनी अमूल्य हिन्दी सेवा द्वारा उन्होने भारतरत्न मदन मोहन मालवीय तथा पुरुषोत्तम दास टंडन की योजनाओं और लक्ष्यों को आगे बढ़ाया। .

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श्रीरामचरितमानस

गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीरामचरितमानस का आवरण श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। इस ग्रन्थ को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। श्री रामचरित मानस के नायक राम हैं जिनको एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। त्रेता युग में हुए ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित और हिन्दी की ही एक लोकप्रिय भाषा अवधी में रचित रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

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शौरसेनी

शौरसेनी नामक प्राकृत मध्यकाल में उत्तरी भारत की एक प्रमुख भाषा थी। यह नाटकों में प्रयुक्त होती थी (वस्तुतः संस्कृत नाटकों में, विशिष्ट प्रसंगों में)। बाद में इससे हिंदी-भाषा-समूह व पंजाबी विकसित हुए। दिगंबर जैन परंपरा के सभी जैनाचार्यों ने अपने महाकाव्य शौरसेनी में ही लिखे जो उनके आदृत महाकाव्य हैं। शौरसेनी उस प्राकृत भाषा का नाम है जो प्राचीन काल में मध्यप्रदेश में प्रचलित थी और जिसका केंद्र शूरसेन अर्थात् मथुरा और उसके आसपास का प्रदेश था। सामान्यत: उन समस्त लोकभाषाओं का नाम प्राकृत था जो मध्यकाल (ई. पू. ६०० से ई. सन् १००० तक) में समस्त उत्तर भारत में प्रचलित हुईं। मूलत: प्रदेशभेद से ही वर्णोच्चारण, व्याकरण तथा शैली की दृष्टि से प्राकृत के अनेक भेद थे, जिनमें से प्रधान थे - पूर्व देश की मागधी एवं अर्ध मागधी प्राकृत, पश्चिमोत्तर प्रदेश की पैशाची प्राकृत तथा मध्यप्रदेश की शौरसेनी प्राकृत। मौर्य सम्राट् अशोक से लेकर अलभ्य प्राचीनतम लेखों तथा साहित्य में इन्हीं प्राकृतों और विशेषत: शौरसेनी का ही प्रयोग पाया जाता है। भरत नाट्यशास्त्र में विधान है कि नाटक में शौरसेनी प्राकृत भाषा का प्रयोग किया जाए अथवा प्रयोक्ताओं के इच्छानुसार अन्य देशभाषाओं का भी (शौरसेनं समाश्रत्य भाषा कार्या तु नाटके, अथवा छंदत: कार्या देशभाषाप्रयोक्तृभि - नाट्यशास्त्र १८,३४)। प्राचीनतम नाटक अश्वघोषकृत हैं (प्रथम शताब्दी ई.) उनके जो खंडावशेष उपलब्ध हुए हैं उनमें मुख्यत: शौरसेनी तथा कुछ अंशों में मागधी और अर्धमागधी का प्रयोग पाया जाता है। भास के नाटकों में भी मुख्यत: शौरसेनी का ही प्रयोग पाया जाता है। पश्चात्कालीन नाटकों की प्रवृत्ति गद्य में शौरसेनी और पद्य में महाराष्ट्री की ओर पाई जाती है। आधुनिक विद्वानों का मत है कि शौरसेनी प्राकृत से ही कालांतर में भाषाविकास के क्रमानुसार उन विशेषताओं की उत्पत्ति हुई जो महाराष्ट्री प्राकृत के लक्षण माने जाते हैं। वररुचि, हेमचंद्र आदि वैयाकरणों ने अपने-अपने प्राकृत व्याकरणों में पहले विस्तार से प्राकृत सामान्य के लक्षण बतलाए हैं और तत्पश्चात् शौरसेनी आदि प्रकृतों के विशेष लक्षण निर्दिष्ट किए हैं। इनमें शौरसेनी प्राकृत के मुख्य लक्षण दो स्वरों के बीच में आनेवाले त् के स्थान पर द् तथा थ् के स्थान पर ध्। जैसे अतीत > अदीद, कथं > कधं; इसी प्रकार ही क्रियापदों में भवति > भोदि, होदि; भूत्वा > भोदूण, होदूण। भाषाविज्ञान के अनुसार ईसा की दूसरी शती के लगभग शब्दों के मध्य में आनेवाले त् तथा द् एव क् ग् आदि वर्णों का भी लोप होने लगा और यही महाराष्ट्री प्राकृत की विशेषता मानी गई। प्राकृत का उपलभ्य साहित्य रचना की दृष्टि से इस काल से परवर्ती ही है। अतएव उसमें शौरसेनी का उक्त शुद्ध रूप न मिलकर महाराष्ट्री मिश्रित रूप प्राप्त होता है और इसी कारण पिशल आदि विद्वानों ने उसे उक्त प्रवृत्तियों की बहुलतानुसार जैन शौरसेनी या जैन महाराष्ट्री नाम दिया है। जैन शौरसेनी साहित्य दिंगबर जैन परंपरा का पाया जाता है। प्रमुख रचनाएँ ये हैं - सबसे प्राचीन पुष्पदंत एव भूतवलिकृत षट्खंडागम तथा गुणधरकृत कषाय प्राभृत नामक सूत्रग्रंथ हैं (समय लगभग द्वितीय शती ई.)। वीरसेन तथा जिनसेनकृत इनकी विशाल टीकाएँ भी शौरसेनी प्राकृत में लिखी गई है (९वीं शती ई.)। ये सब रचनाएँ गद्यात्मक हैं। पद्य में सबसे प्राचीन रचनाएँ कुंदकुंदाचार्यकृत हैं (अनुमानत: तीसरी शती ई.)। उनके बारह तेरह ग्रंथ प्रकाश में आ चुके हैं, जिनके नाम हैं - समयसार, प्रवचनसार, पंचास्तिकाय, नियमसार, रयणसार, बारस अणुवेक्खा तथा दर्शन, बोध पाहुडादि अष्ट पाहुड। इन ग्रंथों में मुख्यतया जैन दर्शन, अध्यात्म एवं आचार का प्रतिपादन किया गया है। मुनि आचार संबंधी मुख्य रचनाएँ हैं- शिवार्य कृत भगवती आराधना और वट्टकेर कृत मूलाचार। अनुप्रेक्षा अर्थात् अनित्य, अशरण आदि बारह भावनाएँ भावशुद्धि के लिए जैन मुनियों के विशेष चिंतन और अभ्यास के विषय हैं। इन भावनाओं का संक्षेप में प्रतिपादन तो कुंदकुंदाचार्य ने अपनी 'बारस अणुवेक्खा' नामक रचना में किया है, उन्हीं का विस्तार से भले प्रकार वर्णन कार्त्तिकेयानुप्रेक्षा में पाया जाता है, जिसके कर्ता का नाम स्वामी कार्त्तिकेय है। (लगभग चौथी पाँचवीं शती ई.)। (१) यति वृषभाचार्यकृत तिलोयपण्णत्ति (९वीं शती ई. से पूर्व) में जैन मान्यतानुसार त्रैलाक्य का विस्तार से वर्णन किया गया है, तथा पद्मनंदीकृत जंबूदीवपण्णत्ति में जंबूद्वीप का। (२) स्याद्वाद और नय जैन न्यायशास्त्र का प्राण है। इसका प्रतिपादन शौरसेनी प्राकृत में देवसेनकृत लघु और बृहत् नयचक्र नामक रचनाओं में पाया जाता है (१०वीं शती ई.)। जैन कर्म सिद्धांत का प्रतिपादन करनेवाला शौरसेनी प्राकृत ग्रन्थ है- नेमिचंद्रसिद्धांत चक्रवर्ती कृत गोम्मटसार, जिसकी रचना गंगनरेश मारसिंह के राज्यकाल में उनके उन्हीं महामंत्री चामुंडराय की प्रेरणा से हुई थी, जिन्होंने मैसूर प्रदेश के श्रवणबेलगोला नगर में उस सुप्रसिद्ध विशाल बाहुबलि की मूर्ति का उद्घाटन कराया था (११वीं शती ई.)। उपर्युक्त समस्त रचनाएँ प्राकृत-गाथा-निबद्ध हैं। जैन साहित्य के अतिरक्त शौरसेनी प्राकृत का प्रयोग राजशेखरकृत कर्पूरमंजरी, रद्रदासकृत चंद्रलेखा, घनश्यामकृत आनंदसुंदरी नामक सट्टकों में भी पाया जाता है। यद्यपि कर्पूरमंजरी के प्रथम विद्वान् संपादक डा.

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शैक्षिक मनोविज्ञान

गिनतारा, अमूर्त वस्तुओं वस्तुओं को मूर्त बनाकर गणित की मूलभूत बातें सिखाने की युक्ति है। शैक्षिक मनोविज्ञान (Educational psychology), मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें इस बात का अध्ययन किया जाता है कि मानव शैक्षिक वातावरण में सीखता कैसे है तथा शैक्षणिक क्रियाकलाप अधिक प्रभावी कैसे बनाये जा सकते हैं। 'शिक्षा मनोविज्ञान' दो शब्दों के योग से बना है - ‘शिक्षा’ और ‘मनोविज्ञान’। अतः इसका शाब्दिक अर्थ है - शिक्षा संबंधी मनोविज्ञान। दूसरे शब्दों में, यह मनोविज्ञान का व्यावहारिक रूप है और शिक्षा की प्रक्रिया में मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। शिक्षा के सभी पहलुओं जैसे शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधि, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन, अनुशासन आदि को मनोविज्ञान ने प्रभावित किया है। बिना मनोविज्ञान की सहायता के शिक्षा प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल सकती। शिक्षा मनोविज्ञान से तात्पर्य शिक्षण एवं सीखने की प्रक्रिया को सुधारने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग करने से है। शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करता है। इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के व्यवहार, मानसिक प्रक्रियाओं एवं अनुभवों का अध्ययन शैक्षिक परिस्थितियों में किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसका ध्येय शिक्षण की प्रभावशाली तकनीकों को विकसित करना तथा अधिगमकर्ता की योग्यताओं एवं अभिरूचियों का आंकलन करना है। यह व्यवहारिक मनोविज्ञान की शाखा है जो शिक्षण एवं सीखने की प्रक्रिया को सुधारने में प्रयासरत है। .

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शेर्पा भाषा

शेर्पा भाषा (तिब्बती: ཤར་པའི་སྐད་ཡིག, Wyl: shar pa'i skad yig) नेपाल में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। विशेष रूप से नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में यह भाषा बहुत लोकप्रिय है। शेर्पा समुदाय में अपनी अलग भाषा के विकास है। शेर्पा भाषा का शुद्ध उच्चारण तथा लेख रचना में प्राचीनकाल से ही सम्भोट लिपि का प्रयोग किया जाता है। जबकि संस्कृत, पाली, हिन्दी, नेपाली, भोजपुरी और अन्य भाषाओं के लिये देवनागरी लिपि में उपयोग किया जाता है। इसी तरह, तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भूटानी, भोटे, आदि सम्भोट लिपि द्वारा प्रयोग किया जाता है। यह भाषा नेपाल के सोलुखुम्बु जैसा कई भागों में तथा सिक्किम, तिब्बत, भूटान आदि में बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा के बोलने वाले एक लाख तीस हजार लोग नेपाल में रहते हैं (सन् २००१ की जनगणना के अनुसार); लगभग बीस हजार लोग सिक्कम में रहते हैं (सन् १९९७); और कोई ८००० लोग तिब्बत में रहते हैं। यह भाषा प्राय: मौखिक भाषा रही है। इसका तिब्बती से बहुत गहरा सम्बन्ध रहा है। .

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शेखावाटी

शेखावाटी उत्तर-पूर्वी राजस्थान का एक अर्ध-शुष्क ऐतिहासिक क्षेत्र है। राजस्थान के वर्तमान सीकर और झुंझुनू जिले शेखावाटी के नाम से जाने जाते हैं इस क्षेत्र पर आजादी से पहले शेखावत क्षत्रियों का शासन होने के कारण इस क्षेत्र का नाम शेखावाटी प्रचलन में आया। देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर-शाहपुरा, खंडेला, सीकर, खेतडी, बिसाऊ, सुरजगढ, नवलगढ़,मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता, खुड, * कंकङेऊ कलां खाचरियाबास, अलसीसर,यासर,मलसीसर,लक्ष्मणगढ,बीदसर आदि बड़े-बड़े प्रभावशाली संस्थान शेखा जी के वंशधरों के अधिकार में थे। वर्तमान शेखावाटी क्षेत्र पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व मानचित्र में तेजी से उभर रहा है, यहाँ पिलानी और लक्ष्मणगढ के भारत प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र है। वही नवलगढ़, फतेहपुर, गंगियासर,अलसीसर, मलसीसर, लक्ष्मणगढ, मंडावा आदि जगहों पर बनी प्राचीन बड़ी-बड़ी हवेलियाँ अपनी विशालता और भित्ति चित्रकारी के लिए विश्व प्रसिद्ध है जिन्हें देखने देशी-विदेशी पर्यटकों का ताँता लगा रहता है। पहाडों में सुरम्य जगहों बने जीण माता मंदिर, शाकम्बरीदेवी का मन्दिर, लोहार्ल्गल के अलावा खाटू में बाबा खाटूश्यामजी का (बर्बरीक) का मन्दिर,सालासर में हनुमान जी का मन्दिर * कंकङेऊ कलां में बाबा माननाथ की मेङी आदि स्थान धार्मिक आस्था के ऐसे केंद्र है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं। इस शेखावाटी प्रदेश ने जहाँ देश के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने वाले देशप्रेमी दिए वहीँ उद्योगों व व्यापार को बढ़ाने वाले सैकडो उद्योगपति व व्यापारी दिए जिन्होंने अपने उद्योगों से लाखों लोगों को रोजगार देकर देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दिया। भारतीय सेना को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला झुंझुनू जिला शेखावाटी का ही भाग है। .

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सदल मिश्र

सदल मिश्र (जन्म 1767-68 ई0 तथा मृत्यु 1847-48) फोर्ट विलियम कॉलेज से संबद्ध १८वीं सदी के आरंभिक दौर के चार प्रमुख गद्यकारों में से एक हैं। गिलक्राइस्ट के आग्रह पर इन्होंने नासिकेतोपाख्यान नामक पुस्तक लिखी। इनकी अन्य रचनाएं हैं- रामचरित(आध्यात्म रामायण)1806 और हिंदी पर्सियन शब्दकोश है। भाषा पर संस्कृत का गहरा प्रभाव है। .

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समय दैनिक

समय दैनिक 2004 से सिक्किम राज्य की राजधानी गांतोक से प्रकाशित नेपाली भाषा की दैनिक समाचार पत्र है। इस का सम्पादक पारसमणि दंगाल है। यह समाचार पत्रिका कुछ दिन से प्रकाशित नहीं हो रहा है। समय दैनिक बन्द होने का कारण ज्ञात नहीं है। .

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समाजभाषाविज्ञान

समाजभाषाविज्ञान (Sociolinguistics) के अन्तर्गत समाज का भाषा पर एवं भाषा के समाज पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। यह भाषावैज्ञानिक अध्ययन का वह क्षेत्र है जो भाषा और समाज के बीच पाये जानेवाले हर प्रकार के सम्बंधों का अध्ययन विश्लेषण करता है। अर्थात समाजभाषाविज्ञान वह है जो भाषा की संरचना और प्रयोग के उन सभी पक्षों एवं संदर्भों का अध्ययन करता है जिनका सम्बंध सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रकार्य के साथ होता है अत: इसके अध्ययन क्षेत्र के भीतर विभिन्न सामाजिक वर्गों की भाषिक अस्मिता, भाषा के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण एवं अभिवृत्ति, भाषा की सामाजिक शैलियाँ, बहुभाषिकता का सामाजिक आधार, भाषा नियोजन आदि भाषा-अध्ययन के वे सभी संदर्भ आ जाते है, जिनका संबंध सामाजिक संस्थान से रहता है। .

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सम्पर्क भाषा

उस भाषा को सम्पर्क भाषा (lingua franca) कहते हैं जो किसी क्षेत्र में सामान्य रूप से किसी भी दो ऐसे व्यक्तियों के बीच प्रयोग हो जिनकी मातृभाषाएँ अलग हैं। इसे कई भाषाओं में 'लिंगुआ फ़्रैंका' (lingua franca) कहते हैं। इसे सेतु-भाषा, व्यापार भाज़ा, सामान्य भाषा या वाहन-भाषा भी कहते हैं। मानव इतिहास में सम्पर्क भाषाएँ उभरती रही हैं। .

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सरस्वती लिपि

सिंधु घाटी की सभ्यता से सम्बन्धित छोटे-छोटे संकेतों के समूह को सिन्धु लिपि (Indus script) कहते हैं। इसे सिन्धु-सरस्वती लिपि और हड़प्पा लिपि भी कहते हैं। यह लिपि सिन्धु सभ्यता के समय (२६वीं शताब्दी ईसापूर्व से २०वीं शताब्दी ईसापूर्व तक) परिपक्व रूप धारण कर चुकी थी। इसको अभी तक समझा नहीं जा पाया है (यद्यपि बहुत से दावे किये जाते रहे हैं।) उससे सम्बन्धित भाषा अज्ञात है इसलिये इस लिपि को समझने में विशेष कठिनाई आ रही है। भारत में लेखन ३३०० ईपू का है। सबसे पहले की लिपि सरस्वती लिपि थी, उसके पश्चात ब्राह्मी आई। सिन्धु घाटी से प्राप्त मुहरें .

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साहित्य

किसी भाषा के वाचिक और लिखित (शास्त्रसमूह) को साहित्य कह सकते हैं। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से आदिवासी साहित्य सभी साहित्य का मूल स्रोत है। .

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सांथाल जनजाति

संथाल जनजाति झारखंड के ज्यादातर हिस्सों तथा पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के कुछ जिलों में रहने वाली भारत की प्राचीनतम जनजातियों में से एक है। ये भारत के प्रमुख आदिवासी समूह है। इनका निवास स्थान मुख्यतः झारखंड प्रदेश है। झारखंड से बाहर ये बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, असम, में रहते है। संथाल प्रायः नाटे कद के होता है। इनकी नाक चौड़ी तथा चिपटी होती है। इनका संबंध प्रोटो आस्ट्रेलायड से है। संथालों के समाज में मुख्य व्यक्ति इनका मांझी होता है। मदिरापान तथा नृत्य इनके दैनिक जीवन का अंग है। अन्य आदिवासी समुहों की तरह इनमें भी जादू टोना प्रचलित है। संथालो की अन्य विषेशता इनके सुन्दर ढंग के मकान हैं जिनमें खिडकीयां नहीं होती हैं। संथाल मारांग बुरु की उपासना करतें हैं साथ ही ये सरना धर्म का पालन करते हैं। इनकी भाषा संथाली और लिपि ओल चिकी है। इनके बारह मूल गोत्र हैं; मरांडी, सोरेन, हासंदा, किस्कू, टुडू, मुर्मू, हेम्ब्रम, बेसरा, बास्की, चौड़े, बेदिया, एवं पौरिया। संताल समुदाय मुख्यतः बाहा, सोहराय, माग, ऐरोक, माक मोंड़े, जानथाड़, हरियाड़ सीम, आराक सीम, जातरा, पाता, बुरु मेरोम, गाडा पारोम तथा सकरात नामक पर्व / त्योहार मनाते हैं। इनके विवाह को 'बापला' कहा जता है। संताल समुदाय में कुल 23 प्रकार की विवाह प्रथायें है, जो निम्न प्रकार है - उनकी अद्वितीय विरासत की परंपरा और आश्चर्यजनक परिष्कृत जीवन शैली है। सबसे उल्लेखनीय हैं उनके लोकसंगीत, गीत और नृत्य हैं। संथाली भाषा व्यापक रूप से बोली जाती है। दान करने की संरचना प्रचुर मात्रा में है। उनकी स्वयं की मान्यता प्राप्त लिपि 'ओल-चिकी' है, जो संताल समुदाय के लिये अद्वितीय है। संथाल के सांस्कृतिक शोध दैनिक कार्य में परिलक्षित होते है- जैसे डिजाइन, निर्माण, रंग संयोजन और अपने घर की सफाई व्यवस्था में है। दीवारों पर आरेखण, चित्र और अपने आंगन की स्वच्छता कई आधुनिक शहरी घर के लिए शर्म की बात होगी। संथाल के सहज परिष्कार भी स्पष्ट रूप से उनके परिवार के पैटर्न -- पितृसत्तात्मक, पति पत्नी के साथ मजबूत संबंधों को दर्शाता है। विवाह अनुष्ठानों में पूरा समुदाय आनन्द के साथ भाग लेते हैं। लड़का और लड़की का जन्म आनंद का अवसर हैं। संथाल मृत्यु के शोक अन्त्येष्टि संस्कार को अति गंभीरता से मनाया जाता है। संताल समुदाय का धार्मिक विश्वासों और अभ्यास किसी भी अन्य समुदाय या धर्म से मेल नहीं खाता है। इनमें प्रमुख देवता हैं- 'सिंग बोंगा', 'मारांग बुरु' और 'जाहेर एरा, गोसांय एरा, मांझी बाबा - गोगो, आदि। पूजा अनुष्ठान में बलिदानों का इस्तेमाल किया जाता है। .

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सांस्कृतिक मानवशास्त्र

सांस्कृतिक मानवशास्त्र (Cultural anthropology) अथवा सांस्कृतिक नृतत्व विज्ञान मानव और उसके कार्यों का अध्ययन है। मानवशास्त्र की दो प्रमुख अंग हैं-.

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सांकेतिक भाषा

संकेत भाषा (या सांकेतिक भाषा) एक ऐसी भाषा है, जो अर्थ सूचित करने के लिए श्रवणीय ध्वनि पैटर्न में संप्रेषित करने के बजाय, दृश्य रूप में सांकेतिक पैटर्न (हस्तचालित संप्रेषण, अंग-संकेत) संचारित करती है-जिसमें वक्ता के विचारों को धाराप्रवाह रूप से व्यक्त करने के लिए, हाथ के आकार, विन्यास और संचालन, बांहों या शरीर तथा चेहरे के हाव-भावों का एक साथ उपयोग किया जाता है। जहां भी बधिर लोगों का समुदाय मौजूद हो, वहां संकेत भाषा का विकास होता है। उनके पेचीदा स्थानिक व्याकरण, उच्चरित भाषाओं के व्याकरण से स्पष्ट रूप से अलग है। दुनिया भर में सैकड़ों संकेत भाषाएं प्रचलन में हैं और स्थानीय बधिर समूहों द्वारा इनका उपयोग किया जा रहा है। कुछ संकेत भाषाओं ने एक प्रकार की क़ानूनी मान्यता हासिल की है, जबकि अन्य का कोई महत्व नहीं है। .

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सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिन्ध, बम्बई प्रांत का एक भाग होने के नाते गुजराती के विशेष संपर्क में रहा है। पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिये देवनागरी और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं। .

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सिबुआनो भाषा

सिबुआनो (Cebuano), जिसके अधिकतर वक्ता इसे बिसाया (Bisaya) कहते हैं, दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश में बोली जाने वाली ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा परिवार की मलय-पोलेनीशियाई शाखा की एक भाषा है। इसे २००७ में लगभग २.१ करोड़ लोग बोलते थे और, तगालोग भाषा के बाद यह देश की दूसरी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है। सिबुआनो का नाम सिबु द्वीप पर पड़ा है और माना जाता है कि भाषा वहीं से फैली थी। वर्तमान काल में यह मध्य विसाया, पूर्वी नेग्रोस द्वीप क्षेत्र, पूर्वी विसाया के पश्चिमी भाग और मिन्दनाओ के अधिकतर भागों में बोली जाती है। विसाया भाषाओं में यही सर्वाधिक बोली जाने वाली बोली है, जिसके कारण इसका एक अन्य नाम ही "बिसाया" पड़ गया है।http://www.gutenberg.ph/previews/wolff/WCED-complete.pdf .

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सिलेसियन भाषा

सिलेसियन भाषा पोलैंड के ऊपरी सिलेसिया क्षेत्र में लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक भाषा है। यह चेक गणराज्य और जर्मनी में भी बोली जाती है। पोलैंड में 2011 की राष्ट्रीय जनगणना के मुताबिक 509000 लोगों की यह मूल भाषा है। सिलेसियन का पोलिश भाषा से काफी निकट का संबंध है। इसमें एक भी सिलेसियन वर्णमाला नहीं है। सिलेसियन वक्ता अपनी भाषा लिखने के लिए पोलिश वर्ण का ही प्रयोग करते हैं। 2006 में सभी सिलेसियन लिपियों (जिन की संख्या दस है) के आधार पर एक नई सिलेसियन वर्णमाला का आविष्कार किया गया था। यह इंटरनेट पर व्यापक रूप में प्रयोग होती है और सिलेसियन विकिपीडिया में भी। .

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सिंहली भाषा

सिंहली भाषा श्रीलंका में बोली जाने वाली सबसे बड़ी भाषा है। सिंहली के बाद श्रीलंका में सबसे ज्यादा बोली जानेवाली भाषा तमिल है। प्राय: ऐसा नहीं होता कि किसी देश का जो नाम हो, वही उस दश में बसने वाली जाति का भी हो और वही नाम उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा का भी हो। सिंहल द्वीप की यह विशेषता है कि उसमें बसने वाली जाति भी "सिंहल" कहलाती चली आई है और उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा भी "सिंहल"। .

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संचार

संचार प्रेषक का प्राप्तकर्ता को सूचना भेजने की प्रक्रिया है जिसमे जानकारी पहुंचाने के लिए ऐसे माध्यम (medium) का प्रयोग किया जाता है जिससे संप्रेषित सूचना प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों समझ सकें यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिस के द्वारा प्राणी विभिन्न माध्यमों के द्वारा सूचना का आदान प्रदान कर सकते हैं संचार की मांग है कि सभी पक्ष एक समान भाषा का बोध कर सकें जिस का आदान प्रदान हुआ हो, श्रावानिक (auditory) माध्यम हैं (जैसे की) बोली, गान और कभी कभी आवाज़ का स्वर एवं गैर मौखिक (nonverbal), शारीरिक माध्यम जैसे की शारीरिक हाव भाव (body language), संकेत बोली (sign language), सम भाषा (paralanguage), स्पर्श (touch), नेत्र संपर्क (eye contact) अथवा लेखन (writing) का प्रयोग संचार की परिभाषा है - एक ऐसी क्रिया जिस के द्वारा अर्थ का निरूपण एवं संप्रेषण (convey) सांझी समझ पैदा करने का प्रयास में किया जा सके इस क्रिया में अंख्या कुशलताओं के रंगपटल की आवश्यकता है अन्तः व्यक्तिगत (intrapersonal) और अन्तर व्यक्तिगत (interpersonal) प्रक्रमण, सुन अवलोकन, बोल, पूछताछ, विश्लेषण और मूल्यांकनइन प्रक्रियाओं का उपयोग विकासात्मक है और जीवन के सभी क्षेत्रों के लिए स्थानांतरित है: घर, स्कूल, सामुदायिक, काम और परे.संचार के द्बारा ही सहयोग और पुष्टिकरण होते हैं संचारण विभिन्न माध्यमों द्बारा संदेश भेजने की अभिव्यक्ति है चाहे वह मौखिक अथवा अमौखिक हो, जब तक कोई विचारोद्दीपक विचार संचारित (transmit) हो भाव (gesture) क्रिया इत्यादि संचार कई स्तरों पर (एक एकल कार्रवाई के लिए भी), कई अलग अलग तरीकों से होता है और अधिकतम प्राणियों के लिए, साथ ही कुछ मशीनों के लिए भी.यदि समस्त नहीं तो अधिकतम अध्ययन के क्षेत्र संचार करने के लिए ध्यान के एक हिस्से को समर्पित करते हैं, इसलिए जब संचार के बारे में बात की जाए तो यह जानना आवश्यक है कि संचार के किस पहलू के बारे में बात हो रही है। संचार की परिभाषाएँ श्रेणी व्यापक हैं, कुछ पहचानती हैं कि पशु आपस में और मनुष्यों से संवाद कर सकते हैं और कुछ सीमित हैं एवं केवल मानवों को ही मानव प्रतीकात्मक बातचीत के मापदंडों के भीतर शामिल करते हैं बहरहाल, संचार आमतौर पर कुछ प्रमुख आयाम साथ में वर्णित है: विषय वस्तु (किस प्रकार की वस्तुएं संचारित हो रहीं हैं), स्रोत, स्कंदन करने वाला, प्रेषक या कूट लेखक (encoder) (किस के द्वारा), रूप (किस रूप में), चैनल (किस माध्यम से), गंतव्य, रिसीवर, लक्ष्य या कूटवाचक (decoder) (किस को) एवं उद्देश्य या व्यावहारिक पहलू.पार्टियों के बीच, संचार में शामिल है वेह कर्म जो ज्ञान और अनुभव प्रदान करें, सलाह और आदेश दें और सवाल पूछें यह कर्म अनेक रूप ले सकते है, संचार के विभिन्न शिष्टाचार के कई रूपों में से उस का रूप समूह संप्रेषण की क्षमता पर निर्भर करता हैसंचार, तत्त्व और रूप साथ में संदेश (message) बनाते हैं जो गंतव्य (destination) की ओर भेजा जाता हैलक्ष्य ख़ुद, दूसरा व्यक्ति (person) या हस्ती, दूसरा अस्तित्व (जैसे एक निगम या हस्ती के समूह) हो सकते हैं संचार प्रक्रियासूचना प्रसारण (information transmission) के तीन स्तरों द्वारा नियंत्रित शब्दार्थ वैज्ञानिक (semiotic) नियमों के रूप में देखा जा सकता है.

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संथाल परगना

संथाल परगना भारत के झारखंड राज्य की प्रशासनिक इकाइयों में से एक है। यह झारखंड की एक कमीशनरी है जिसका मुख्यालय दुमका में है। इस इकाई में झारखंड के छह जिले - गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुड़ शामिल हैं। ब्रिटिश राजमें पहले संथाल परगना नाम से ही संयुक्त बिहार में एक जिला हुआ करता था जिसे 1855 में ब्रिटिशों ने जिला घोषित किया था और यह बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा हुआ करता था। संथाल परगना दो शब्दों संथाल (जिसे कुछ लोग संताल एवं सांथाल भी कहते हैं) - जो एक आदिवासी समुदाय है और परगना (उर्दू) - जिसका अर्थ प्रांता या राज्य होता है - से बना है। संथाल परगना के सभी छह जिलों में सांथाल आदिवासियों की बहुतायत है जो आस्ट्रो एशियाटिक भाषा परिवार की सांथाली और भारतीय आर्य भाषा परिवार की अंगिका भाषा का प्रयोग करते हैं। ब्रिटिश राज के दौरान आदिवासियों द्वारा यहाँ कई विद्रोह हुए थे जिसमें तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, कान्हू मुर्मू और सिद्धू मुर्मू इत्यादि जैसे आदिवासियों ने काफी प्रमुख भूमिका निभाई थी। .

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संथाली भाषा

संताली मुंडा भाषा परिवार की प्रमुख भाषा है। यह असम, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ, बिहार, त्रिपुरा तथा बंगाल में बोली जाती है। संथाली, हो और मुंडारी भाषाएँ आस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार में मुंडा शाखा में आती हैं। संताल भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में लगभग ६० लाख लोगों से बोली जाती है। उसकी अपनी पुरानी लिपि का नाम 'ओल चिकी' है। अंग्रेजी काल में संथाली रोमन में लिखी जाती थी। भारत के उत्तर झारखण्ड के कुछ हिस्सोँ मे संथाली लिखने के लिये देवनागरी लिपि का प्रयोग होता है। संतालों द्वारा बोली जानेवाली भाषा को संताली कहते हैं। .

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संधा भाषा

संधा भाषा सिद्धों द्वारा अपनी अंतःसाधनात्मक अनुभूतियों को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त भाषा है। इसमें प्रतीकों के सहारे अंतस्साधनात्मक अनुभूतियों को व्यक्त किया जाता है। इसलिए इसका तात्पर्य प्रतीकों के खुलने पर ही प्रकट होता है। सिद्धों ने अपनी रचनाएँ मुख्यतः अपभ्रंश और पुरानी हिंदी में की है। संधा भाषा वास्तव में इन रचनाओं में प्रयुक्त भाषा शैली है। यह कोई नितांत पृथक भाषा नहीं है। नाथों ने भी संधा भाषा का प्रयोग अपनी रचनाओं में किया है। कबीर की ऐसी ही भाषा को 'उलटबाँसी' कहा जाता है। श्रेणी:आदिकाल श्रेणी:सिद्ध श्रेणी:निर्मित भाषाएँ.

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संधि-विच्छेद संग्रह

दो वर्णों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं। इस मिलावट को समझकर वर्णों को अलग करते हुए पदों को अलग-अलग कर देना संधि-विच्छेद है। हिंदी भाषा में संधि द्वारा संयुक्त शब्द लिखने का सामान्य चलन नहीं है। पर संस्कृत में इसके बिना काम नहीं चलता है। संस्कृत के तत्सम शब्द ग्रहण कर लेने के कारण संस्कृत व्याकरण के संधि के नियमों को हिंदी व्याकरण में भी ग्रहण कर लिया गया है। शब्द रचना में संधियाँ उसी प्रकार सहायक है जैसे उपसर्ग, प्रत्यय, समास आदि। यहाँ वर्णक्रम से संधि तथा उसके विच्छेद संग्रहित किए गए हैं। साथ ही संधि का प्रकार भी निर्देशित है। .

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संरचनात्मक पहुंच

अक्षारों की स्ंरचात्मक् .

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संस्कृत भाषा का इतिहास

जिस प्रकार देवता अमर हैं उसी प्रकार सँस्कृत भाषा भी अपने विशाल-साहित्य, लोक हित की भावना,विभिन्न प्रयासों तथा उपसर्गो के द्वारा नवीन-नवीन शब्दों के निर्माण की क्षमता आदि के द्वारा अमर है। आधुनिक विद्वानों के अनुसार संस्कृत भाषा का अखंड प्रवाह पाँच सहस्र वर्षों से बहता चला आ रहा है। भारत में यह आर्यभाषा का सर्वाधिक महत्वशाली, व्यापक और संपन्न स्वरूप है। इसके माध्यम से भारत की उत्कृष्टतम मनीषा, प्रतिभा, अमूल्य चिंतन, मनन, विवेक, रचनात्मक, सर्जना और वैचारिक प्रज्ञा का अभिव्यंजन हुआ है। आज भी सभी क्षेत्रों में इस भाषा के द्वारा ग्रंथनिर्माण की क्षीण धारा अविच्छिन्न रूप से वह रही है। आज भी यह भाषा, अत्यंत सीमित क्षेत्र में ही सही, बोली जाती है। इसमें व्याख्यान होते हैं और भारत के विभिन्न प्रादेशिक भाषाभाषी पंडितजन इसका परस्पर वार्तालाप में प्रयोग करते हैं। हिंदुओं के सांस्कारिक कार्यों में आज भी यह प्रयुक्त होती है। इसी कारण ग्रीक और लैटिन आदि प्राचीन मृत भाषाओं (डेड लैंग्वेजेज़) से संस्कृत की स्थिति भिन्न है। यह मृतभाषा नहीं, अमरभाषा है। .

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संज्ञान

कई उदाहरणों को देखकर बुद्धि संज्ञान से उनकी समानताएँ निकाल लेती है और फिर 'वृक्ष' नामक एक उच्च-स्तरीय अवधारणा से वास्तविकता में मौजूद करोड़ों अलग-अलग दिखने वाले वृक्षों को एक ही अवधारणा के प्रयोग से समझने में सक्षम होती है संज्ञान (cognition, कोग्निशन) कुछ महत्वपूर्ण मानसिक प्रक्रियाओं का सामूहिक नाम है, जिनमें ध्यान, स्मरण, निर्णय लेना, भाषा-निपुणता और समस्याएँ हल करना शामिल है। संज्ञान का अध्ययन मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, भाषाविज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान और विज्ञान की कई अन्य शाखाओं के लिए ज़रूरी है। मोटे तौर पर संज्ञान दुनिया से जानकारी लेकर फिर उसके बारे में अवधारणाएँ बनाकर उसे समझने की प्रक्रिया को भी कहा जा सकता है।, CUP Archive, 1988, ISBN 978-0-521-31246-2,...

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संज्ञानात्मक विज्ञान

इस चित्र में उन विषयों को दिखाया गया है जिनका बोध विज्ञान के जन्म में योगदान था। संज्ञानात्मक विज्ञान या बोध विज्ञान (Cognitive science) मस्तिष्क एवं उसकी प्रक्रियाओं का अनतरविषयी वैज्ज्यानिक अध्ययन है। यह संज्ञान की प्रकृति और उसके कार्यों की खोजबीन करता है। संज्ञानात्मक वैज्ञानिक बुद्धि और व्यवहार का अध्ययन करते हैं जिसमें फोकस इस बात पर रहता है कि तंत्रिका तंत्र किस प्रकार सूचनाओं का किस प्रकार निरूपण करता है, कैसे उनका प्रसंस्करण करता है और कैसे उनको रूपान्तरित करता है। बोध विज्ञानी के लिये महत्व के कुछ विषय ये हैं- भाषा, अवगम (perception), स्मृति, ध्यान (attention), तर्कणा (reasoning), तथा संवेग (emotion)। इन विषयों को समझने के लिये बोध विज्ञानी भाषाविज्ञान, मनोविज्ञान, कृत्रिम बुद्धि, दर्शन, तंत्रिका विज्ञान (neuroscience) तथा नृविज्ञान (anthropology) आदि का सहारा लेता है। श्रेणी:दर्शन की शाखा श्रेणी:संज्ञानात्मक विज्ञान.

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सुदर्शन (साहित्यकार)

सुदर्शन (1895-1967) प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार हैं। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है। ये आदर्शोन्मुख यथार्थवादी हैं। मुंशी प्रेमचंद और उपेन्द्रनाथ अश्क की तरह सुदर्शन हिन्दी और उर्दू में लिखते रहे हैं। उनकी गणना प्रेमचंद संस्थान के लेखकों में विश्वम्भरनाथ कौशिक, राजा राधिकारमणप्रसाद सिंह, भगवतीप्रसाद वाजपेयी आदि के साथ की जाती है। अपनी प्रायः सभी प्रसिद्ध कहानियों में इन्होंने समस्यायों का आदशर्वादी समाधान प्रस्तुत किया है। चौधरी छोटूराम जी ने कहानीकार सुदर्शन जी को जाट गजट का सपादक बनाया था। केवल इसलिये कि वह पक्के आर्यसमाजी थे और आर्य समाजी समाज सुधारर होते हैं। एक गोरे पादरी के साथ टक्कर लेने से गोरा शाही सुदर्शन जी से चिढ़ गई। चौ.

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सुनार

कटक के सुनार (सन १८७३) सुनार (वैकल्पिक सोनार या स्वर्णकार) भारत और नेपाल के स्वर्णकार समाज से सम्बन्धित जाति है जिनका मुख्य व्यवसाय स्वर्ण धातु से भाँति-भाँति के कलात्मक आभूषण बनाना, खेती करना तथा सात प्रकार के शुद्ध व्यापार करना है। यद्यपि यह समाज मुख्य रूप से हिन्दू को मानने वाला है लेकिन इस जाति का एक विशेष कुलपूजा स्थान है। सुनार अपने पूर्वजों के धार्मिक स्थान की कुलपूजा करते है। यह जाति हिन्दूस्तान की मूलनिवासी जाति है। मूलत: ये सभी क्षत्रिय वर्ण में आते हैं इसलिये ये क्षत्रिय सुनार भी कहलाते हैं। आज भी यह समाज इस जाति को क्षत्रिय सुनार कहने में गर्व महसूस करता हैं। .

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सुरेश किरण

सुरेश किरण नेपाली भाषा के नेपाली साहित्यकार हैं। इनका जन्म नेपाली संवत 2023 को काठमाण्डू नेपाल में हुआ। ये नेपाल के पुरस्कृत कवि और लेखक हैं। कविता प्रधान त्रैमासिकी 'क्वास्लवाह' के संपादक हैं और विश्वभूमि (दैनिक) में कार्यरत हैं। .

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स्मृति (मनोविज्ञान)

चूहों की स्थान-सम्बन्धी स्मृति को जांचने का प्रयोग '''स्मृति का पैटर्न कुछ इस तरह का होता है''' हमारी यादें हमारे व्यक्तित्व का एक प्रमुख अंग हैं। हम क्या याद रखते हैं और क्या भूल जाते है यह सब बहुत सारी चीजों पर निर्भर करता है। भाषा, दृष्टि, श्रवण, प्रत्यक्षीकरण, अधिगम तथा ध्यान की तरह स्मृति (मेमोरी) भी मस्तिष्क की एक प्रमुख बौद्धिक क्षमता है। हमारे मस्तिष्क में जो कुछ भी अनुभव, सूचना और ज्ञान के रूप में संग्रहीत है वह सभी स्मृति के ही विविध रूपों में व्यवस्थित रहता है। मानव मस्तिष्क की इस क्षमता का अध्ययन एक काफी व्यापक विषय वस्तु है। मुख्यतः इसका अध्ययन मनोविज्ञान, तंत्रिकाविज्ञान एवं आयुर्विज्ञान के अंतर्गत किया जाता है। प्रस्तुत आलेख में स्मृति के विविध रूपों, इसके जैविक आधार, स्मृति संबंधी प्रमुख रोग तथा कुछ प्रमुख स्मृति युक्तियों पर प्रकाश डाला जाएगा। .

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स्वनिम

किसी भाषा या बोली में, स्वनिम (phoneme) उच्चारित ध्वनि की सबसे छोटी ईकाई है। स्वनिम के लिए ध्वनिग्राम, स्वनग्राम आदि शब्द भी प्रयुक्त होते हैं। अंग्रेजी में इसका पर्यायी शब्द फोनीम (phoneme) है। Phoneme के लिए प्रयुक्त होने वाला ‘स्वनिम’ शब्द ‘ध्वनिग्राम’ की अपेक्षा कहीं अधिक नया है, किन्तु आजकल इसका ही प्रयोग चल रहा है। स्वनिम के स्वरूप के संदर्भ में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। विभिन्न विद्वानों ने इसे भिन्न-भिन्न विषयों से सम्बन्धित माना है। ब्लूमफील्ड और डैनियल जोन्स से इसे भौतिक इकाई के रूप में स्वीकार किया है। एडवर्ड सापीर इसे मनोवैज्ञानिक इकाई मानते हैं। डब्ल्यू.

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स्वनिमविज्ञान

स्वनिमविज्ञान (Phonology) भाषाविज्ञान की वह शाखा है जो किसी भी मानव भाषा में ध्वनि के सम्यक उपयोग द्वारा अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति से सम्बन्धित मुद्दों का अध्ययन करती है। किसी भाषा की सार्थक ध्वनियों की व्यवस्था का अध्ययन ही स्वनिमविज्ञान कहलाता है। स्वनिमविज्ञान अपनी मूल इकाई के रूप में स्वनिम (फोनीम) की संकल्पना करता है और इसके उपरांत स्वनिम तथा सहस्वन, उनके वितरण तथा अनुक्रम आदि का अध्ययन करता है। यह 'शब्द' के स्तर के नीचे के स्तर पर अध्यन करता है। .

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स्वनिक परिवर्तन

ऐतिहासिक भाषाविज्ञान के सन्दर्भ में, किसी भाषा की ध्वनि का कोई भी परिवर्तन जो उस भाषा के स्वनिमों की संख्या या उनका वितरण बदल दे, स्वनिक परिवर्तन या ध्वनि परिवर्तन (phonological change) कहलाता है। भाषा को गतिशील और परिवर्तनशील माना जाता है। प्रत्येक भाषा में आंतरिक परिवर्तन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। यह परिवर्तन या बदलाव सभी भाषिक स्तरों जैसे- ध्वन्यात्मक, रूपात्मक, अर्थात्मक आदि पर जारी रहता है। इन सभी परिवर्तनों में ध्वनि परिवर्तन मुख्य रूप से सबसे अधिक क्रियाशील रहता है। .

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स्वामी विवेकानन्द

स्वामी विवेकानन्द(স্বামী বিবেকানন্দ) (जन्म: १२ जनवरी,१८६३ - मृत्यु: ४ जुलाई,१९०२) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों" के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली परिवार में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीव स्वयं परमात्मा का ही एक अवतार हैं; इसलिए मानव जाति की सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानंद ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का पहले हाथ ज्ञान हासिल किया। बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए कूच की। विवेकानंद के संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार किया, सैकड़ों सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया। भारत में, विवेकानंद को एक देशभक्त संत के रूप में माना जाता है और इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। .

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स्वाज़ी भाषा

स्वाज़ी भाषा या स्वाती भाषा (Swazi language) स्वाज़ीलैण्ड और दक्षिण अफ़्रीका में बोली जाने वाली बांटू भाषा-परिवार की न्गूनी शाखा की एक भाषा है। यह न्गूनी परिवार की तेकेला उपशाखा की सदस्या है और इसे लगभग २५ लाख लोग अपनी मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। .

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स्वीडिश भाषा

स्वीडिश, मुख्य रूप से स्वीडन और फ़िनलैण्ड के कुछ हिस्सों में 90 लाख लोगो द्वारा स्वाभाविक रूप से बोली जाने वाली एक उत्तर जर्मन भाषा है। श्रेणी:जर्मैनी भाषाएँ श्रेणी:विश्व की प्रमुख भाषाएं.

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सैद नगली

सैद नगली भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में जनपद अमरोहा का एक कस्बा है। इसकी जनसंख्या लगभग १५००० है। यह संभल और हसनपुर रोड पर स्थित है। इसकी तहसील हसनपुर है। कुछ साल पहले तक यह कस्बा जनपद मुरादाबाद में आता था। .

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सूचना प्रौद्योगिकी की व्याख्या

भाषा, अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। भाषा मानव जीवन का अभिन्न अंग है। संप्रेषण के द्वारा ही मनुष्य सूचनाओं का आदान प्रदान एवं उसे संग्रहित करता है। सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक अथवा राजनीतिक कारणों से विभिन्न मानवी समूहों का आपस में संपर्क बन जाता है। गत शताब्दी में सूचना और संपर्क के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति हुई है। इलेक्ट्राॅनिक माध्यम के फलस्वरूप विश्व का अधिकांश भाग जुड गया है। सूचना प्रौद्योगिकी क्रांती ने ज्ञान के द्वार खोल दिये है। बुद्धि एवं भाषा के मिलाप से सूचना प्रौद्योगिकी के सहारे आर्थिक संपन्नता की ओर भारत अग्रसर हो रहा है। इलेक्ट्राॅनिक वाणिज्य के रूप में ई-कॉमर्स, इंटरनेट द्वारा डाक भेजना, ई-मेल द्वारा संभव हुआ है। ऑनलाईन सरकारी कामकाज विषयक ई-प्रशासन, ई-बैंकिंग द्वारा बैंक व्यवहार ऑनलाईन, शिक्षा सामग्री के लिए ई-एज्यूकेशन आदि माध्यम से सूचना प्रौद्योगिकी का विकास हो रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के बहु आयामी उपयोग के कारण विकास के नये द्वार खुल रहे हैं। भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। इस क्षेत्र में विभिन्न प्रयोगों का अनुसंधान करके विकास की गति को बढाया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी में सूचना, आँकडे (डेटा) तथा ज्ञान का आदान प्रदान मनुष्य जीवन के हर क्षेत्र में फ़ैल गया है। हमारी आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, व्यावसायिक तथ अन्य बहुत से क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी का विकास दिखाई पड़ता है। इलेक्ट्रानिक तथा डिजीटल उपकरणों की सहायता से इस क्षेत्र में निरंतर प्रयोग हो रहे हैं। आर्थिक उदारतावाद के इस दौर के वैश्विक ग्राम (ग्लोबल विलेज) की संकल्पना संचार प्रौद्योगिकी के कारण सफ़ल हुई है। इस नये युग में ई-कॉमर्स, ई-मेडीसिन, ई-एज्यूकेशन, ई-गवर्नंस, ई-बैंकिंग, ई-शॉपिंग आदि इलेक्ट्राॅनिक माध्यमों का विकास हो रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी आज शक्ति एवं विकास का प्रतीक बनी है। कंप्यूटर युग के संचार साधनों में सूचना प्रौद्योगिकी के आगमन से हम सूचना समाज में प्रवेश कर रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस अधिकतम देन के ज्ञान एवं इनका सार्थक उपयोग करते हुए, उनसे लाभान्वित होने की सभी को आवश्यकता है। .

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सूर्यकुमार पाण्डेय

सूर्यकुमार पाण्डेय (जन्म 10 अक्तूबर 1954) एक हिंदी कवि, हास्य लेखक और व्यंग्यकार हैं। उनके विशिष्ट भाषा शैली के कारण वे एक प्रसिद्ध हास्य कवि के रूप में अभिज्ञात हैं। .

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सेमरा, गाजीपुर

सेमरा गाजीपुर जिले का एक बड़ा गाँव है। सेमरा के सामने गंगा पार रामपुर गांव स्थित है। इन दोनों गांवों को स्थानीय लोग संयुक्त रूप से रामपुर-सेमरा कहते हैं। सेमरा गांव मोहम्मदाबाद तहसील के शेरपुर ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आता है। इस गाँव की आबादी तकरीबन 5500 है जबकि मतदाताओं की संख्या 3800 है। .

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सोपवोमा भाषा

सोपवोमा (Sopvoma) या माओ (Mao), भारत के मणिपुर राज्य के सेनापति ज़िले और नागालैंड राज्य में बोली जाने वाले एक भाषा है, जो अंगामी भाषा से बहुत मिलती-जुलती है। यह तिब्बती-बर्मी भाषा परिवार की अंगामी-पोचुरी शाखा की बोली है, और उस शाखा की अंगामी उपशाखा की सदस्या है। .

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हड़ौती

हाड़ौती (जिसे हाड़ौली, हाड़ावली, इत्यादि नाम से भी जाना जाता है) बूंदी राज्य था। यह पूर्वी राजस्थान में स्थित है। इसके बड़े शहरों में बूंदी और कोटा हैं। इसमें सम्मिलित जिले हैं.

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हत्ती

१२९० ईसा पूर्व में अपने शक्ति के उच्चतम् बिन्दु के समय हिती साम्राज्य (लाल रंग में) हत्ती या हित्ती प्राचीन खत्तियों (हित्ताइत) की जाति और भाषा है। भाषा के रूप में खत्ती हिंद-यूरोपीय परिवार की है परंतु उसकी लिपि प्राचीन सुमेरी-बाबुली-असूरी है और उसका साहित्य अक्कादी (असूरी-बाबुली) अथवा उससे भी पूर्ववर्ती सुमेरी से प्रभावित है। .

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हाथियों की बुद्धिमत्ता

मानव, पायलट व्हेल और हाथी का दिमाग पैमाने पर (1)-प्रमस्तिष्क (सेरीब्रम) (1 क)-टेम्पोरल लोब और (2)-सेरिबैलम (अनुमस्तिष्क) हाथी दुनिया की सबसे बुद्धिमान प्रजातियों में से एक हैं। 5 किलोग्राम से अधिक वज़न का हाथी का मस्तिष्क (दिमाग) किसी भी स्थलीय जानवर की तुलना में बड़ा होता है। हालांकि सबसे बड़े आकार की व्हेल के शरीर का वज़न एक प्रारूपिक हाथी की तुलना में 20 गुना अधिक होता है, व्हेल के मस्तिष्क का वज़न एक हाथी के मस्तिष्क की तुलना में दोगुना होता है। सरंचना और जटिलता के आधार पर हाथी का मस्तिष्क मनुष्य के मस्तिष्क से समानता रखता है- जैसे एक हाथी के वल्कुट (cortex) में उतने ही न्यूरोन (तंत्रिका कोशिकाएं) होते हैं, जितने की मानव मस्तिष्क में, जो संसृत विकास (convergent evolution) को दर्शाता है। हाथी कई प्रकार के व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, इनमें दुःख, सीखना, मातृत्व, अनुकरण (मिमिक्री या नक़ल करना), कला, खेल, हास्य, परोपकारिता, उपकरणों का उपयोग, करुणा और सहयोग इत्यादि भावनाएं शामिल हैं। इन व्यवहारों में आत्म जागरूकता, स्मृति और संभवतया भाषा भी शामिल हो सकती है। इनमें अत्यधिक बुद्धिमान प्रजातियों के वे सभी गुण पाए जाते हैं जिन्हें केटाशियन और प्राइमेट्स के समतुल्य माना जाता है। हाथियों की उच्च बुद्धिमत्ता और प्रबल पारिवारिक संबंधों के कारण, कुछ शोधकर्ता तर्क देते हैं कि मनुष्यों के लिए उन्हें चुनना नैतिक रूप से गलत है। अरस्तू ने एक बार कहा था कि हाथी "वे जानवर हैं जो मन और बुद्धि की दृष्टि से सभी अन्य जानवरों को पीछे छोड़ देते हैं".

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हारुकी मुराकामी

हारुकी मुराकामी एक जापानी उपन्यासकार हैं जिनकी कृतियाँ ५० से अधिक भाषाओं में अनुवादित करी जा चुकी हैं और जिनकी करोड़ों प्रतियाँ विश्वभर में बिक चुकी हैं। इनके उपन्यासों में अकेलेपन और अतियथार्थवाद की छवियाँ मिलती हैं।Endelstein, Wendy,, UC Berkeley News, October 15, 2008, accessed August 12, 2014 .

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हावड़ा

हावड़ा(अंग्रेज़ी: Howrah, बांग्ला: হাওড়া), भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक औद्योगिक शहर, पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर एवं हावड़ा जिला एवं हावड़ सदर का मुख्यालय है। हुगली नदी के दाहिने तट पर स्थित, यह शहर कलकत्ता, के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, जो किसी ज़माने में भारत की अंग्रेज़ी सरकार की राजधानी और भारत एवं विश्व के सबसे प्रभावशाली एवं धनी नगरों में से एक हुआ करता था। रवीन्द्र सेतु, विवेकानन्द सेतु, निवेदिता सेतु एवं विद्यासागर सेतु इसे हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित पश्चिम बंगाल की राजधानी, कोलकाता से जोड़ते हैं। आज भी हावड़, कोलकाता के जुड़वा के रूप में जाना जाता है, समानताएं होने के बावजूद हावड़ा नगर की भिन्न पहचान है इसकी अधिकांशतः हिंदी भाषी आबादी, जोकि कोलकाता से इसे थोड़ी अलग पहचान देती है। समुद्रतल से मात्र 12 मीटर ऊँचा यह शहर रेलमार्ग एवं सड़क मार्गों द्वारा सम्पूर्ण भारत से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ का सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन है। हावड़ा स्टेशन पूर्व रेलवे तथा दक्षिणपूर्व रेलवे का मुख्यालय है। हावड़ स्टेशन के अलावा हावड़ा नगर क्षेत्र मैं और 6 रेलवे स्टेशन हैं तथा एक और टर्मिनल शालीमार रेलवे टर्मिनल भी स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 6 इसे दिल्ली व मुम्बई से जोड़ते हैं। हावड़ा नगर के अंतर्गत सिबपुर, घुसुरी, लिलुआ, सलखिया तथा रामकृष्णपुर उपनगर सम्मिलित हैं। .

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हाउसा भाषा

हाउसा भाषा (Hausa language) पश्चिमी अफ़्रीका में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह अफ़्रो-एशियाई भाषा-परिवार की चाडी शाखा की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसे 3.5 करोड़ लोग मातृभाषा के रूप में और करोड़ों अन्य द्वितीय भाषा के रूप में बोलते हैं। शुरु में यह दक्षिणी नाइजर और उत्तरी नाइजीरिया के हाउसा समुदाय की भाषा हुआ करती थी लेकिन समय के साथ-साथ फैलकर पूरे पश्चिमी अफ़्रीका के एक बड़े भूभाग की सम्पर्क भाषा बन गई। यह एक सुरभेदी भाषा है और सुरों के अंतर के आधार पर इसे कई पारम्परिक उपभाषाओं में बांटा जाता है। आरम्भ में हाउसा भाषा को "अजमी" कहलाने वाले अरबी लिपि के एक परिवर्तित रूप में लिखा जाता था लेकिन अब इसे "बोको" कहलाने वाले रोमन लिपि के एक रूप में लिखा जाता है। .

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हितकारिणी सभा

हितकारिणी सभा मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित एक ऐतिहासिक, शैक्षणिक संस्था है। यह संस्था इस क्षेत्र के कुछ सबसे पुराने शिक्षण संस्थान संचालित करती है। इसकी स्थापना १८६८ में राज बलवन्त राव खेर, दीवान बिहारीलाल खजांची, तथा श्री अम्बिका चरण बनर्जी ने की थी। सेठ गोविन्ददास के अनुरोध पर हितकारिणी सभा ने राष्ट्रवादी विचारों को पोषण देना आरम्भ किया। इसके द्वारा संचालित विद्यालयों के विद्यार्थियों ने स्वराज आन्दोलन में बढ़चढ़कर भाग लिया। इस सभा ने हिन्दी भाषा के विकास में महती भूमिका निभायी। 1871 में हुई एक बैठक में सभा ने न्यायालयों में प्रयुक्त भाषा के प्रश्न पर विचार किया। १० में से ८ सदस्यों ने माना कि इस कार्य के लिये उर्दू की अपेक्षा हिन्दी अधिक उपयुक्त है। संस्था ने कुछ समय तक एक साहित्यिक पत्रिका का भी प्रकाशन किया तथा प्रमुख हिन्दी लेखकों के सम्मेलन भी आयोजित किये।सेठ गोविन्ददास इस सभा के ट्रस्टी के थे। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इस सभा की सेवा करते आ रहे हैं। रविशंकर शुक्ल, रजनीश, महर्षि महेश योगी, गजानन माधव मुक्तिबोध आदि विद्वान इस सभा द्वारा संचालित संस्थाओं से ही निखरे थे। .

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हिन्दू धर्म का विश्वकोश

हिन्दू धर्म का विश्वकोश या इंसाइक्लोपीडिया ऑफ हिन्दुइज्म (Encyclopedia of Hinduism) हिन्दू धर्म एवं इससे सम्बन्धित अनेकानेक विषयों का विश्वकोश है। इसका प्रथम संस्करण २०१२ में निकला। यह ग्यारह भागों में है और अंग्रेजी भाषा में है। यह विश्वकोश ७१८४ पृष्टों में है जिसमें मन्दिरों, स्थानों, विचारकों, कर्मकाण्डों एवं त्यौहारों का विवरण रंगीन चित्रों के साथ दिया हुआ है। यह परियोजना परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानन्द सरस्वती की प्रेरणा से चली एवं फलीभूत हुई। २५ वर्षों के निरन्तर प्रयास तथा २००० से अधिक विद्वानों के योगदान से यह विश्वकोश निर्मित हुआ है। इसके सम्पादक डॉ कपिल कपूर हैं। यह विश्वकोश केवल हिन्दू धर्म तक ही सीमीति नहीं है बल्कि कला, इतिहास, भाषा, साहित्य, दर्शन, राजनीति, विज्ञान तथा नारी विषयों को भी इसमें स्थान दिया गया है। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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हिन्दी एवं उर्दू

हिंदी और उर्दू भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली दो प्रमुख भाषाएँ हैं। वर्तमान समय में हिन्दी मुख्यतः देवनागरी लिपि में लिखी जाति है जबकि उर्दू मुख्यतः नस्तालीक़ में। दोनों की सामान्य शब्दावली भी बहुत सीमा तक समान है, विशेष सन्दर्भों में हिन्दी में संस्कृत शब्दों की अधिकता हो जाती है जबकि उर्दू में फारसी और अरबी शब्दों की। बहुत से लोग यह मानते हैं कि नामभेद, लिपिभेद और शैलीभेद के अलावा दोनों एक ही भाषा हैं, अलग-अलग नहीं। प्रसिद्ध समालोचक रामविलास शर्मा का मत है कि इतिहास में हम जितना ही पीछे की तरफ चलते हैं, उतना ही हिन्दी-उर्दू का भेद कम दिखाई देता है। उनका यह भी कहना है कि हिन्दी और उर्दू के व्याकरण समान हैं, उनके सर्वनाम और क्रियापद एक ही है। ऐसा दो भिन्न भाषाओं में नहीं होता। हिन्दी और बांग्ला के व्याकरण भिन्न-भिन्न हैं। आधुनिक साहित्य की रचना खड़ी बोली में हुई है। खड़ी बोली हिंदी में अरबी-फारसी के मेल से जो भाषा बनी वह 'उर्दू' कहलाई। मुसलमानों ने 'उर्दू' का प्रयोग छावनी, शाही लश्कर और किले के अर्थ में किया है। इन स्थानों में बोली जानेवाली व्यावहारिक भाषा 'उर्दू की जबान' हुई। पहले-पहले बोलचाल के लिए दिल्ली के सामान्य मुसलमान जो भाषा व्यवहार में लाते थे वह हिन्दी ही थी। चौदहवीं सदी में मुहम्मद तुगलक जब अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि ले गया तब वहाँ जानेवाले पछाँह के मुसलमान अपनी सामान्य बोलचाल की भाषा भी अपने साथ लेते गए। प्रायः पंद्रहवीं शताब्दी में बीजापुर, गोलकुंडा आदि मुसलमानी राज्यों में साहित्य के स्तर पर इस भाषा की प्रतिष्ठा हुई। उस समय उत्तरभारत के मुसलमानी राज्य में साहित्यिक भाषा फारसी थी। दक्षिणभारत में तेलुगू आदि द्रविड़ भाषाभाषियों के बीच उत्तर भारत की इस आर्य भाषा को फारसी लिपि में लिखा जाता था। इस दखिनी भाषा को उर्दू के विद्वान्‌ उर्दू कहते हैं। शुरू में दखिनी बोलचाल की खड़ी बोली के बहुत निकट थी। इसमें हिंदी और संस्कृत के शब्दों का बहुल प्रयोग होता था। छंद भी अधिकतर हिंदी के ही होते थे। पर सोलहवीं सदी से सूफियों और बीजापुर, गोलकुंडा आदि राज्यों के दरबारियों द्वारा दखिनी में अरबी फारसी का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ने लगा। फिर भी अठारहवीं शताब्दी के आरंभ तक इसका रूप प्रधानतया हिंदी या भारतीय ही रहा। सन्‌ १७०० के आस पास दखिनी के प्रसिद्ध कवि शम्स वलीउल्ला 'वली' दिल्ली आए। यहाँ आने पर शुरू में तो वली ने अपनी काव्यभाषा दखिनी ही रखी, जो भारतीय वातावरण के निकट थी। पर बाद में उनकी रचनाओं पर अरबी-फारसी की परंपरा प्रवर्तित हुई। आरंभ की दखिनी में फारसी प्रभाव कम मिलता है। दिल्ली की परवर्ती उर्दू पर फारसी शब्दावली और विदेशी वातावरण का गहरा रंग चढ़ता गया। हिंदी के शब्द ढूँढकर निकाल फेंके गए और उनकी जगह अरबी फारसी के शब्द बैठाए गए। मुगल साम्राज्य के पतनकाल में जब लखनऊ उर्दू का दूसरा केंद्र हुआ तो उसका हिंदीपन और भी सतर्कता से दूर किया। अब वह अपने मूल हिंदी से बहुत भिन्न हो गई। हिंदी और उर्दू के एक मिले जुले रूप को हिंदुस्तानी कहा गया है। भारत में अँगरेज शासकों की कूटनीति के फलस्वरूप हिंदी और उर्दू एक दूसरे से दूर होती गईं। एक की संस्कृतनिष्ठता बढ़ती गई और दूसरे का फारसीपन। लिपिभेद तो था ही। सांस्कृतिक वातावरण की दृष्टि से भी दोनों का पार्थक्य बढ़ता गया। ऐसी स्थिति में अँगरेजों ने एक ऐसी मिश्रित भाषा को हिंदुस्तानी नाम दिया जिसमें अरबी, फारसी या संस्कृत के कठिन शब्द न प्रयुक्त हों तथा जो साधारण जनता के लिए सहजबोध्य हो। आगे चलकर देश के राजनयिकों ने भी इस तरह की भाषा को मान्यता देने की कोशिश की और कहा कि इसे फारसी और नागरी दोनों लिपियों में लिखा जा सकता है। पर यह कृत्रिम प्रयास अंततोगत्वा विफल हुआ। इस तरह की भाषा ज्यादा झुकाव उर्दू की ओर ही था। .

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हिन्दी वर्तनी मानकीकरण

भाषा की वर्तनी का अर्थ उस भाषा में शब्दों को वर्णों से अभिव्यक्त करने की क्रिया को कहते हैं। हिन्दी में इसकी आवश्यकता काफी समय तक नहीं समझी जाती थी; जबकि अन्य कई भाषाओं, जैसे अंग्रेजी व उर्दू में इसका महत्त्व था। अंग्रेजी व उर्दू में अर्धशताब्दी पहले भी वर्तनी (अंग्रेज़ी:स्पेलिंग, उर्दू:हिज्जों) की रटाई की जाती थी जो आज भी अभ्यास में है। हिन्दी भाषा का पहला और बड़ा गुण ध्वन्यात्मकता है। हिन्दी में उच्चरित ध्वनियों को व्यक्त करना बड़ा सरल है। जैसा बोला जाए, वैसा ही लिख जाए। यह देवनागरी लिपि की बहुमुखी विशेषता के कारण ही संभव था और आज भी है। परन्तु यह बात शत-प्रतिशत अब ठीक नहीं है। इसके अनेक कारण है - क्षेत्रीय आंचलिक उच्चारण का प्रभाव, अनेकरूपता, भ्रम, परंपरा का निर्वाह आदि। जब यह अनुभव किया जाने लगा कि एक ही शब्द की कई-कई वर्तनी मिलती हैं तो इनको अभिव्यक्त करने के लिए किसी सार्थक शब्द की तलाश हुई (‘हुई’ शब्द की विविधता द्रष्टव्य है - हुइ, हुई, हुवी)। इस कारण से मानकीकरण की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। हिन्दी शब्द लिखने की दो प्रचलित वर्तनियाँ (ऊपर), (नीचे)हिन्दी फोनोलॉजी सारणी (बाएं), आर्यभाट्ट सारणी (दाएं) .

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हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें

हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाएँ, हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं के विकास और संवर्द्धन में उल्लेखनीय भूमिका निभाती रहीं हैं। कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, नाटक, आलोचना, यात्रावृत्तांत, जीवनी, आत्मकथा तथा शोध से संबंधित आलेखों का नियमित तौर पर प्रकाशन इनका मूल उद्देश्य है। अधिकांश पत्रिकाओं का संपादन कार्य अवैतनिक होता है। भाषा, साहित्य तथा संस्कृति अध्ययन के क्षेत्र में साहित्यिक पत्रिकाओं का उल्लेखनीय योगदान रहा है। वर्तमान में प्रकाशित कुछ प्रमुख पत्रिकाओं की सूची निम्नवत है: .

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हिरी मोतू

हिरी मोतू जो पुलिस मोतू, पिजिन मोतू या केवल हिरी के नाम से जानी जाती है, पापुआ न्यू गिनी की आधिकारिक भाषा है। यह ऑस्ट्रोनेशियन भाषा परिवार की मोतू भाषा का सरलीकृत संस्करण है। हालाँकि यह भाषा न तो पिजिन है न ही क्रियोल, बल्कि यह दोनों प्रकार की भाषाओँ के गुण रखती है। हिरी मोतू व मोतू दोनों के स्वर तथा व्याकरण में अन्तर है कि हिरी मोतू भाषा बोलने वाला समझ नहीं पता है। यही सामान समस्या मोतू भाषी को भी होती है। .

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हिलिगायनोन भाषा

हिलिगायनोन (Hiligaynon), जो अनौपचारिक रूप से इलोंगो (Ilonggo) भी कहलाती है, दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश में बोली जाने वाली ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा परिवार की मलय-पोलेनीशियाई शाखा की एक भाषा है। इसे २०१० में लगभग ९१ लाख बोलते थे, जो प्रमुखतः फ़िलिपिन्ज़ के पश्चिमी विसाया, पश्चिमी नेग्रोस द्वीप क्षेत्र और सोकसारजेन प्रशासनिक क्षेत्रों के निवासी हैं। हिलिगायनोन विसाया भाषा-परिवार की सदस्या है और, सिबुआनो भाषा के बाद, उसकी दूसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। .

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हिंदी शब्दसागर

हिंदी शब्दसागर हिन्दी भाषा के लिए बनाया गया एक वृहत शब्द-संग्रह तथा प्रथम मानक कोश है। 'हि‍न्‍दी शब्‍दसागर' का नि‍मार्ण नागरी प्रचारिणी सभा, काशी ने कि‍या था। इसका प्रथम प्रकाशन १९२२ - १९२९ के बीच हुआ। यह वैज्ञानिक एवं विधिवत शब्दकोश मूल रूप में चार खण्डों में बना। इसके प्रधान सम्पादक श्यामसुन्दर दास थे तथा बालकृष्ण भट्ट, लाला भगवानदीन, अमीर सिंह एवं जगन्मोहन वर्मा सहसम्पादक थे। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एवं आचार्य रामचंद्र वर्मा ने भी इस महान कार्य में सर्वश्रेष्ठ योगदान किया। इसमें लगभग एक लाख शब्द थे। बाद में सन् १९६५ - १९७६ के बीच इसका का परिवर्धित संस्काण ११ खण्डों में प्रकाशित हुआ। .

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हिंदी की विभिन्न बोलियाँ और उनका साहित्य

हिन्दी की अनेक बोलियाँ (उपभाषाएँ) हैं, जिनमें अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली, बघेली, भोजपुरी, हरयाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, झारखंडी, कुमाउँनी, मगही आदि प्रमुख हैं। इनमें से कुछ में अत्यंत उच्च श्रेणी के साहित्य की रचना हुई है। ऐसी बोलियों में ब्रजभाषा और अवधी प्रमुख हैं। यह बोलियाँ हिन्दी की विविधता हैं और उसकी शक्ति भी। वे हिन्दी की जड़ों को गहरा बनाती हैं। हिन्दी की बोलियाँ और उन बोलियों की उपबोलियाँ हैं जो न केवल अपने में एक बड़ी परंपरा, इतिहास, सभ्यता को समेटे हुए हैं वरन स्वतंत्रता संग्राम, जनसंघर्ष, वर्तमान के बाजारवाद के खिलाफ भी उसका रचना संसार सचेत है। मोटे तौर पर हिंद (भारत) की किसी भाषा को 'हिंदी' कहा जा सकता है। अंग्रेजी शासन के पूर्व इसका प्रयोग इसी अर्थ में किया जाता था। पर वर्तमानकाल में सामान्यतः इसका व्यवहार उस विस्तृत भूखंड को भाषा के लिए होता है जो पश्चिम में जैसलमेर, उत्तर पश्चिम में अंबाला, उत्तर में शिमला से लेकर नेपाल की तराई, पूर्व में भागलपुर, दक्षिण पूर्व में रायपुर तथा दक्षिण-पश्चिम में खंडवा तक फैली हुई है। हिंदी के मुख्य दो भेद हैं - पश्चिमी हिंदी तथा पूर्वी हिंदी। .

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हुरूहुरी

हुरुहुरी उत्तरी भारत में जौनपुर जिला का एक गांव है जिसकी आबादी लगभग 2000 है। हुरुहुरी वाराणसी मंडल और जौनपुर जिला प्रशासन के अंतर्गत आता है। यह जौनपुर शहर से 25 किमी पूर्व, और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 274 किमी की दूर पर स्थित है। हुरुहुरी का पोस्टल इंडेक्स नंबर २२२१४२ है शाखा डाकघर जयगोपालगंज तथा उपडाकघर केराकत हैं| यह गांव गोमती नदी से लगभग 2 कम उत्तर दिशा में केराकत तहसील में स्थित है|यह गांव राजमार्ग संख्या ३६ (सैदपुर-खजुरहट सड़क)से लगा हुआ है| .

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होमो

होमो लगभग २५ लाख वर्ष पहले ध्रुवीय हिमाच्छादन से जब पृथ्वी के बड़े-बड़े भाग बर्फ से ढक गए तो जलवायु तथा वनस्पति की स्थिति में भारी परिवर्तन आए ' जंगल कम हो गए तथा जंगलों में रहने के अभ्यस्त आस्ट्रेलोपिथिक्स के प्रारंभिक स्वरुप लुप्त होते गए तथा उनके स्थान पर उनकी दूसरी प्रजातियों का उद्भव हुआ जिनमें होमो के सबसे पुराने प्रतिनिधि सम्मिलित थे ' .

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हीब्रू

कोई विवरण नहीं।

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जातीय समूह

जातीय समूह मनुष्यों का एक ऐसा समूह होता है जिसके सदस्य किसी वास्तविक या कल्पित सांझी वंश-परंपरा के माध्यम से अपने आप को एक नस्ल के वंशज मानते हैं।1987 स्मिथ यह सांझी विरासत वंशक्रम, इतिहास, रक्त-संबंध, धर्म, भाषा, सांझे क्षेत्र, राष्ट्रीयता या भौतिक रूप-रंग (यानि लोगों की शक्ल-सूरत) पर आधारित हो सकती है। एक जातीय समूह के सदस्य अपने एक जातीय समूह से संबंधित होने से अवगत होते हैं; इसके अलावा जातीय पहचान दूसरों द्वारा उस समूह की विशिष्टता के रूप में पहचाने जाने से भी चिह्नित होती है।"एन्थ्रोपोलोजी.

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जावा भाषा

कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में प्रयुक्त 'जावा' नामक भाषा के लिए देखें - जावा (प्रोग्रामिंग भाषा) ---- जावा भाषा (जावा भाषा में: ꦧꦱꦗꦮ बासा जावा; इण्डॉनेशियाई भाषा: बहासा जावा) इण्डोनेशिया के जावा द्वीप के पूर्वी एवं केन्द्रीय भाग के लोगों की भाषा है। पश्चिमी जावा के उत्तरी भाग में भी कुछ स्थानों पर यह भाषा बोली जाती है। जावा भाषा लगभग 7.55 करोड़ लोगों की मातृभाषा है जो इण्डोनेशिया के कुल जनसंख्या के लगभग ३०% हैं। मलेशिया, सिंगापुर तथा सूरीनाम में भी कुछ लोगों द्वारा यह भाषा बोली जाती है। जावा भाषा अपने पड़ोसी भाषाओं मलय, सुन्दनी (Sundanese), मदुरी (Madurese), बाली आदि से मिलती जुलती है। इसे वर्गीकृत करना कठिन है। इसे आस्ट्रेलियाई-एशियाई परिवार में रखा गया है। संस्कृत का इस पर अमिट प्रभाव है। पुरानी जावा-अंग्रेजी शब्दकोश में २५५००० प्रविष्टियाँ हैं जिनमें से १२६०० सम्स्कृत मूल के हैं। पुरानी जावा भाषा के साहित्यिक रचनाओं में २५% से अधिक शब्द संस्कृत के हैं। जावा के लोगों के नाम में भी संस्कृत की छाप देखी जा सकती है। संस्कृत शब्दों का आज भी खूब प्रयोग होता है। जावा भाषा पर डच और मलय भाषाओं का भी प्रभाव पड़ा है किन्तु संस्कृत जितना बिलकुल नहीं। जावाभाषा की लिपि जावा लिपि है जो ब्राह्मी से व्युत्पन्न है। जावाभाषी क्षेत्र .

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जगमोहन मुंद्रा

वो कई पुरस्कार जीती है। उनमे से जगमोहन जी बॉलीवुड मूवी पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ संपादन के लिऐ और बरमुडा अंतरराष्ट्रीय फिल्म दर्शकों के च्वाइस अवार्ड के लिऐ जीता है। वह स्क्रीन साप्ताहिक पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ संपादन के लिऐ भी वे नामित किया गया है। ६४ वर्षीय फिल्मकार जगमोहन मुंद्रा बंबैई में रविवार की सुबह पीडित के बारे में दो दिन पहले वह ऐक से अधिक अंग विफलता थी के लिऐ ऐक जठरात्रं संबंधी रक्तस्त्राव के बाद निधन हो गया है। जगमोहन जी भारत में ऐक बहुत ही मशहूर फिल्म निर्माता है। वह अपने पूरे ज़िदगी फिल्म निर्माता के लिऐ योगदान दिया है। उनकी सभी फिल्मों से पता चलता है कि वह फिल्म निर्माण की ओर कितना आवेश्पूर्ण था। वह तो कई अच्छा फिल्म, बंगाली आदि भाषाओं में लिया गया है। श्रेणी:अमेरिकी फ़िल्म निर्देशक श्रेणी:अनिवासी भारतीय.

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जॉर्ज बुहलर

प्रोफेसर जोहान जॉन बुहलर (Johann Georg Bühler; 19 जुलाई, 1837 – 8 अप्रैल, 1898) भारत की प्राचीन भाषाओं एवं विधि का विद्वान था। श्रेणी:भारतविद.

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जीभ

जीभ मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना। यह संवेदनशील होती है और लार द्वारा नम बनी रहती है, साथ ही इसे हिलने-डुलने में मदद करने के लिए इसमें बहुत सारी तंत्रिकाएं तथा रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं। इन सब के अलावा, जीभ दातों की सफाई का एक प्राकृतिक माध्यम भी है। .

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घासीराम कोतवाल (नाटक)

घासीराम कोतवाल विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित मराठी नाटक है। यह ब्राह्मणों के गढ़ पूना में रोजगार की तलाश में गए एक हिंदी भाषी ब्राह्मण घासीराम के त्रासदी की कहानी है। ब्राह्मणों से अपमानित घासीराम मराठा पेशवा नाना फड़नबीस से अपनी बेटी के विवाह का सौदा करता है और पूना की कोतवाली हासिल कर उन ब्राह्मणों से बदला लेता है। किंतु नाना उसकी बेटी की हत्या कर देता है। घासीराम चाहकर भी इसका बदला नहीं ले पाता। उल्टे नाना उसकी हत्या करवा देता है। इस नाटक के मूल मराठी स्वरूप का पहली बार प्रदर्शन 16 दिसंबर, 1972 को पूना में ‘प्रोग्रेसिव ड्रामाटिक एसोसिएशन’ द्वारा भरत नाट्य मन्दिर में हुआ। निर्देशक थे डॉ॰ जब्बार पटेल। .

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वनस्पती वर्गिकरण

कोई विवरण नहीं।

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वर्णमाला

तिब्बती वर्णमाला चित्रलिपि-आधारित शब्द है, जिसका अर्थ 'किताब' या 'लेख' होता है - यह अक्षर नहीं है और इसका सम्बन्ध किसी ध्वनि से नहीं है - जापान में इसे "काकू" पढ़ा जाता है जबकि चीन में इसे "शू" पढ़ा जाता है किसी एक भाषा या अनेक भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त मानक प्रतीकों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला (.

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वर्तनी जाँचक

वर्तनी जाँचक या शब्द शोधक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम है, जो स्वयं या किसी अन्य प्रोग्राम से जुड़कर किसी भाषा में लिखे पाठ या शब्दों की वर्तनी (अक्षर और मात्रा) की जाँच करता है और जो शब्द गलत हों उनके लिये शुद्ध वर्तनी वाले वैकल्पिक शब्द प्रस्तुत करता है। आजकल लगभग सभी प्रमुख भाषाओं के लिये ऐसे अनेकों प्रोग्राम उपलब्ध हो गये हैं। .

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वर्त्स्य कटक

मानवों और कुछ अन्य प्राणियों के मुँहों में वर्त्स्य कटक (alveolar ridge) या दंतउलूखल कटक जबड़ों के सामने वाली बाढ़ होती है जो ऊपर के दांतों के ऊपर व पीछे तथा नीचे के दांतों के नीचे व पीछे होती है। इसमें दाँत समूहने वाले गढढे होते हैं। वर्त्स्य कटकों को जिह्वा से छुआ जा सकता है और उनमें छोटे उतार-चढ़ाव महसूस किए जा सकते हैं। भाषा में वर्त्स्य कटकों का प्रयोग कई ध्वनियों के उच्चारण में होता है। जीभ के अंत या धार को वर्त्स्य कटक से छू कर उच्चारित होने वाले व्यंजनों में त, द, स, ज़, न, ल, इत्यादि शामिल हैं जो सामूहिक रूप से वर्त्स्य व्यंजन कहलाते हैं। .

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वाडमीमांसा

लिखित ऐतिहासिक स्रोतों की भाषा का अध्ययन सांस्कृतिक भाषाशास्त्र या वाडमीमांसा (Philology) कहलाता है। यह साहित्यिक आलोचना, इतिहास तथा भाषाविज्ञान का सम्मिलित रूप है। श्रेणी:भाषा.

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वार भाषा

वार (War), जो वार-जयंतिया (War-Jaintia) भी कहलाती है, भारत के पूर्वोत्तरी मेघालय राज्य व बांग्लादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की खसिक शाखा की एक भाषा है। आम्वी (Amwi) भी इसकी एक बहुत समीपी उपभाषा है, इसलिए इन्हें अक्सर एक ही भाषा समझा जाता है। सन् 2001 में वार को भारत में 26,000 और बांग्लादेश में 16,000 बोलने वाले अनुमानित करे गए थे। .

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वागडी

वागडी एक भाषा है जो राजस्थान के दक्षिणी भागों- डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर में बोली जाती है। .

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वागीश शास्त्री

भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी वागीश शास्त्री (जन्म: २४ जुलाई १९३४; बी.पी.टी. वागीश शास्त्री के नाम से भी जाने जाते हैं) अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत व्याकरणज्ञ, उत्कृष्ट भाषाशास्त्री, योगी एवं तांत्रिक हैं। इनका जन्म खुरई, मध्य प्रदेश में २४ जुलाई १९३४ को हुआ था। प्राथमिक शिक्षा वहीं पाकर आगे वृंदावन और बनारस में अध्ययन किया। १९५९ में इन्होंने संस्कृत व्याख्याता के रूप में टीकमणि संस्कृत महाविद्यालय, वाराणसी में कार्य किया। जल्दी ही इनके कार्य देखते हुए इन्हें १९७० मे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में व्याख्याता और फिर निदेशक पद पर चयन हो गया। इस माननीय शैक्षणिक पद पर ये तीन दशक तक रहे। वर्ष 2014-15 के लिए यश भारती सम्मान पाने वाले भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’ अपने चाहने वालों के बीच बीपीटी के नाम से जाने जाते हैं। लगभग 30 वर्ष तक संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को अपनी सेवा देने वाले आचार्य वागीश शास्त्री को 1982 में ही काशी पंडित परिषद की ओर से 'महामहोपाध्याय' की पदवी दी गई थी। उन्होंने 40 से अधिक पुस्तकें लिखीं हैं और 300 से ज्यादा पांडुलिपियों का संपादन किया है। काशी परंपरा के संस्कृत के विद्वान डॉ॰ वागीश शास्त्री को साल 2013 में संस्कृत साहित्य में योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्हें राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से बाणभट्ट पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वागीश शास्त्री ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘सरस्वती सुषमा’ का लगभग 30 सालों तक संपादन किया था। .

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वाक् संश्लेषण

कृत्रिम रूप से मानव की वाणी उत्पन्न करने को वाक् संश्लेषण (Speech synthesis) कहते हैं। यह कार्य क्म्प्यूटर प्रोग्रामों की सहायता से किया जाता है। प्रश्न संख्या 1►किस पर्वतीय दर्रे सेहोकर भारतीय तीर्थयात्री मानसरोवर झील तथा कैलाश पर्वतीय घाटी के दर्शन हेतु जाते हैं?  उत्तर ►लिपुलेख दर्रा प्रश्न संख्या (2 ►तिब्बत में मानसरोवर झील के पास किस नदी का उद्गम स्रोत स्थित है?) ( उत्तर ► सिन्धु, सतलुज, ब्रह्मपुत्र.) प्रश्न संख्या (3 ►कुल अक्षांशों की संख्या कितनी है?  ) (उत्तर ► 180) प्रश्न संख्या (4 ►विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप ‘माजुली’ का निर्माण करने वाली नदी हैं?)  (उत्तर ► ब्रह्मपुत्र) प्रश्न संख्या(5 ►पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखा क्या कहलाती है?)  (उत्तर ► देशांतर रेखा) (उत्तर ► पृथ्वी की बाह्य पपड़ी) प्रश्न संख्या (7 ► ख़ैबर दर्रे से कौन से दो देश जुड़े हैं?)  (उत्तर►अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान) प्रश्न संख्या(8 ► वर्ष 2006 के लगभग मध्य में निम्नलिखित हिमालय दर्रों में से कौन-सा एक भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए पुनः खोला गया? ) (उत्तर ►नाथुला) प्रश्न संख्या (9 ►निम्नलिखित में से कौन-सी नदी दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित होती है?) ( उत्तर ► बेतवा) प्रश्न संख्या(10 ►निम्नलिखित में से किस नदी को ‘उड़ीसा का शोक’ कहा जाता है?)  (उत्तर ►महानदी) प्रश्न संख्या(11 ►पृथ्वी के किस भाग में निकल और लोहे की प्रधानता है?)  (उत्तर ►निफे) प्रश्न संख्या (12 ►निम्नलिखित में से कौन-सी नदी एश्चुअरी डेल्टा नहीं बनाती है?)  (उत्तर ►महानदी) प्रश्न संख्या (13 ►बोस्निया का सबसे प्रमुख पर्वत कौन-सा है?)  (उत्तर ►डिनैरिक आल्प्स) प्रश्न संख्या (14 ►कोला प्रायद्वीप निम्न में से किस देश में स्थित है?)  (उत्तर ►रूस) प्रश्न संख्या (15 ►छोटानागपुर पठारी प्रदेश का सबसे प्रमुख नगर कौन-सा है?) ( उत्तर ►रांची) प्रश्न संख्या (16 ►कोचीन का जुड़वाँ नगर कौन-सा है? ) (उत्तर ► एर्नाकुलम) प्रश्न संख्या (17 ►विश्व का एकमात्र हिन्दू राष्ट्र निम्न में से कौन सा है?)  (उत्तर ►नेपाल) प्रश्न संख्या (18 ►पृथ्वी की अनुमानित आयु निम्न में से कितने वर्ष है? ) (उत्तर ► 400 करोड़ वर्ष) प्रश्न संख्या(19 ►सन 1902 में भारत की सबसे पहली जलविद्युत परियोजना निम्न में से कहाँ स्थापित की गयी थी?)  (उत्तर ► शिवसमुद्रम) प्रश्न संख्या(20 ►भारत में सर्वप्रथम कोयला उत्खनन निम्न में से किस स्थान पर प्रारम्भ किया गया? ) (उत्तर ►रानीगंज) प्रश्न संख्या(21 ►निम्न में से किसकी वृद्धि (प्रतिशत में) देश में सबसे तीव्र गति से हो रही है? ) (उत्तर ► महिला साक्षरता) प्रश्न संख्या (22 ►निम्न में से कौन महाराष्ट्र में स्थित नहीं है? ) (उत्तर ►अमरनाथ की गुफ़ाएं) प्रश्न संख्या (23 ►निम्न में से किस क्षेत्र में विश्व का सर्वाधिक पशुओं का माँस उत्पादित किया जाता है?)  (उत्तर ► पम्पास क्षेत्र (अर्जेण्टीना) प्रश्न संख्या(24 ►निम्न में से कौन-सी स्थलाकृति ज्वालामुखी क्रिया से सम्बन्धित नहीं है? ) (उत्तर ► गेसर) प्रश्न संख्या(25 ►निम्न में से कौन पृथ्वी का एक स्थायी खण्ड नहीं हैं?( (उत्तर ► हिमालय पर्वत) प्रश्न संख्या (26 ►निम्न में से कौन अधात्विक खनिज है?)  (उत्तर ►जिप्सम) प्रश्न संख्या(27 ►यदि पृथ्वी एवं अंतरिक्ष के बीच से वायुमण्डल को हटा हुआ माना जाय तो आसमान का रंग कैसा होगा? ) (उत्तर ► काला) प्रश्न संख्या (28 ►निम्न में से कौन सी नदी ‘पक्षिपाद डेल्टा’ का निर्माण करती है? ) (उत्तर ► मिसीसिपी) प्रश्न संख्या(29 ►निम्न में से कौन सुमेलित नहीं है? ) (उत्तर ► आयरन- ऐंथ्रेसाइट) प्रश्न संख्या(30 ►सॅरीकल्चर निम्न में से किसके उत्पादन से सम्बन्धित है?)  (उत्तर ► रेशम) प्रश्न संख्या (31 ►निम्नलिखित में से किस राज्य में सबरीमाला स्थित है?)  (उत्तर ► केरल) प्रश्न संख्या(32 ►भारत में सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला कौन सी है?)  (उत्तर ►अरावली पर्वतमाला) प्रश्न संख्या(33 ►ओंकारेश्वर जल-विद्युत संयंत्र से ऊर्जा उत्पन्न होती है? ) (उत्तर ► 520 मेगावाट) प्रश्न संख्या (34 ►तुलबुल परियोजना निम्नलिखित नदी से सम्बन्धित है?) ( उत्तर ► झेलम) प्रश्न संख्या(35 ►सरदार सरोवर परियोजना किस नदी पर चल रही है?)  (उत्तर ►नर्मदा) .

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वाक्यविन्यास

किसी भाषा में जिन सिद्धान्तों एवं प्रक्रियाओं के द्वारा वाक्य बनते हैं, उनके अध्ययन को भाषा विज्ञान में वाक्यविन्यास, 'वाक्यविज्ञान' या सिन्टैक्स (syntax) कहते हैं। वाक्य के क्रमबद्ध अध्ययन का नाम 'वाक्यविज्ञान' कहते हैं। वाक्य विज्ञान, पदों के पारस्परिक संबंध का अध्ययन है। वाक्य भाषा का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। मनुष्य अपने विचारों की अभिव्यक्ति वाक्यों के माधयम से ही करता है। अतः वाक्य भाषा की लघुतम पूर्ण इकाई है। .

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विदेशों से प्रकाशित हिन्दी की पत्र-पत्रिकायें

विदेशों मे बसे भारतीय भारत की मिट्टी से जुड़े रहने के लिये अपनी भाषा में अपने विचार अभिव्यक्त करते हैं। हिन्दी में भिन्न-भिन्न देशों से निकलने वाली विविध पत्र-पत्रिकायें इसका प्रमाण है। इस प्रकार की कुछ पत्रिकाओं की सूची निम्न है.

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वियतनामी भाषा

मूलतः वियतनामी भाषा बोलने वाले क्षेत्र वियतनामी भाषा वियतनाम की राजभाषा है। जब वियतनाम फ्रांस का उपनिवेश था तब इसे अन्नामी (Annamese) कहा जाता था। वियतनाम के ८६% लोगों की यह मातृभाषा है तथा लगभग ३० लाख वियतनामी बोलने वाले यूएसए में रहते हैं। यह ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की भाषा है। वियतनामी भाषा की अधिकांश शब्दराशि चीनी भाषा से ली गयी है। यह वैसे ही है जैसे यूरोपीय भाषाएं लैटिन एवं यूनानी भाषा से शब्द ग्रहण की हैं उसी प्रकार वियतनामी भाषा ने चीनी भाषा से मुख्यत: अमूर्त विचारों को व्यक्त करने वाले शब्द उधार लिये हैं। वियतनामी भाषा पहले चीनी लिपि में ही लिखी जाती थी (परिवर्धित रूप की चीनी लिपि में) किन्तु वर्तमान में वियतनामी लेखन पद्धति में लैटिन वर्णमाला को परिवर्तित (adapt) करके तथा कुछ डायाक्रिटिक्स (diacritics) का प्रयोग करके लिया जाता है। .

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विल्नुस विश्वविद्यालय का पुस्तकालय

श्रेणी:पुस्तकालय विल्नुस विश्वविद्यालय का पुस्तकालय (VUB) - सब से पुराना पुस्तकालय लिथुआनिया में है। वह जेशूइट के द्वारा स्थापित किया गया था। पुस्तकालय विल्नुस विश्वविद्यालय से पुराना है - पुस्तकालय १५७० में और विश्वविद्यालय १५७९ में स्थापित किया गया था। कहने तो लायक है कि अभी तक पुस्तकालय समान निर्माण में रहा है।पहले पुस्तकालय वर्तमान भाषाशास्त्र (फ़िलोलोजी) के वाचनालय में रहा था। आज पुस्तकालय में लगभग ५४ लाख दस्तावेज रखे हैं। ताक़ों की लम्बाई - १६६ किलोमीटर ।अभी पुस्तकालय के २९ हज़ार प्रयोक्ते हैं। १७५३ में यहाँ लिथुआनिया की प्रथम वेधशाला स्थापित की गयी थी। प्रतिवर्ष विल्नुस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में बहुत पर्यटक आते हैं - न केवल लिथुआनिया से बल्कि भारत, स्पेन, चीन, अमरीका से, वगैरह। विल्नुस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में प्रसिद्ध व्यक्तित्व भी आते हैं। उदाहरण के लिये - राष्ट्रपति, पोप, दलाई लामा, वगैरह। विल्नुस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय का सदर मकान उनिवेर्सितेतो ३ में, राष्ट्रपति भवन के पास स्थापित किया गया है। यहाँ १३ वाचनालय और ३ समूहों के कमरे हैं। दूसरे विल्नुस के स्थानों में अन्य पुस्तकालय के भाग मिलते हैं। .

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विल्सन के चौदह सिद्धान्त

प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी परास्त हो चुका था और फ्रांस विजेताओं की कतार में खड़ा था। युद्ध की समाप्ति पर युद्धविराम की संधियों पर हस्ताक्षर करने हेतु फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक शांति सम्मेलन आयोजन किया गया। इस शांति सम्मेलन में भाग लेने के लिए 32 राज्यों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया। इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति के अतिरिक्त 11 देशों के प्रधानमंत्री, 12 विदेश मंत्री एवं अन्य राज्यों के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एकत्रित हुए थे। चूँकि रूस में साम्यवादी क्रांति आंरभ हो गई थी और पश्चिमी राष्ट्र साम्यवाद के विरोधी थे अतः सोवियत रूस को इस सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया। इस सम्मेलन में पराजित राष्ट्रों - जर्मनी, आस्ट्रिया, तुर्की और बल्गारिया को भी स्थान नहीं दिया गया था। इस प्रकार इस सम्मेलन में 32 राज्यों के 70 प्रतिनिधि एकत्रित हुए। इस सम्मेलन में 5 पराजित राष्ट्रों के साथ पृथक-पृथक संधि की गयी जिसमें वर्साय की संधि प्रमुख है। अमेरिका के राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने अपने 14 सूत्रों में से एक सूत्र में कहा था कि 'छोटे बड़े सभी राष्ट्रों को समान रूप से राजनीतिक स्वतंत्रता तथा प्रादेशित अखण्डता का आश्वासन देने के लिये राष्ट्र संघ की स्थापना की जाये।' इस प्रकार विल्सन महोदय ने विश्व शांति की स्थापना के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था की स्थापना पर बल दिया था। वस्तुतः विल्सन के 14 सूत्रों के आधार पर ही प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी ने आत्म समर्पण किया था। इसी आधार पर 10 जनवरी 1920 ई. को राष्ट्र संघ की विधिवत् स्थापना हुई। .

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विश्व हिन्दी सचिवालय

विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीसस के मोका गाँव में स्थित है। सचिवालय, ११ फरवरी २००८ से कार्यरत है। हिन्दी का एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में संवर्द्धन करने और विश्व हिन्दी सम्मेलनों के आयोजन को संस्थागत व्यवस्था प्रदान करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना का निर्णय लिया गया। इसकी संकल्पना 1975 में नागपुर में आयोजित प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान की गई जब मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम ने मॉरीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय स्थापित करने का प्रस्ताव किया। इस संकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए भारत और मॉरीशस की सरकारों के बीच 20 अगस्त 1999 को एक समझौता ज्ञापन सम्पन्न किया गया। 12 नवम्बर 2002 को मॉरीशस के मंत्रिमंडल द्वारा विश्व हिन्दी सचिवालय अधिनियम पारित किया गया और भारत सरकार तथा मॉरीशस की सरकार के बीच 21 नवम्बर 2001 को एक द्विपक्षीय करार सम्पन्न किया गया। विश्व हिन्दी सचिवालय ने 11 फरवरी 2008 से औपचारिक रूप से कार्य करना आरंभ कर दिया। .

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विश्व के सभी देश

यह विश्व के देशों की सूची, एक सिंहावलोकन कराती है, विश्व के राष्ट्रों का, जो कि देवनागरी वर्णक्रमानुसार व्यवस्थित है। इसमें स्वतंत्र राज्य भी सम्मिलित हैं। (जो कि अन्तराष्ट्रीय मान्यताप्राप्त हैं और जो अमान्यता प्राप्त), हैं, बसे हुए हैंपरतंत्र क्षेत्र, एवं खास शासकों के क्षेत्र भी। ऐसे समावेश मानदण्ड अनुसार यह सूची शब्द `देश' एवं `सार्वभौम राष्ट्र' को पर्यायवाची नहीं मानती। जैसा कि प्रायः साधारण बोलचाल में प्रयोग किया जाता है। कृप्या ध्यान रखें कि किन्हीं खास परिस्थितिवश एवं किन्हीं खास भाषाओं में 'देश' शब्द को सर्वथा प्रतिबंधात्मक अर्थ समझा जाता है। अतः केवल 193 निम्नलिखित प्रविष्टियाँ ही प्रथम शब्द (देश या राष्ट्र) में समझे जाएं। यह सूची दिए गए देशों के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी क्षेत्रों को आवृत्त करती है, अर्थात क्षेत्र, जलीय क्षेत्र (जिसमें जलीय आंतरिक क्षेत्र एवं थल से लगे जलीय क्षेत्र भी आते हैं), विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र, कॉण्टीनेण्टल शैल्फ, एवं हवाई क्षेत्र.

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विसंगति

विसंगति काव्य को समृद्ध करने वाला तत्व है जो परस्पर विरोधी लगने वाले स्थितियों के संयोजन से निर्मित होता है। विसंगति में शब्द के लक्षणा और व्यंजना व्यापार सक्रिय होते हैं। इससे रचना की भाषा में संक्षिप्तता आती है और वह अधिक सटीक बनती है। श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:हिन्दी व्याकरण.

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वंदना टेटे

वंदना टेटे (जन्मः 13 सितम्बर 1969) एक भारतीय आदिवासी लेखिका, कवि, प्रकाशक, एक्टिविस्ट और आदिवासी दर्शन ‘आदिवासियत’ की प्रबल पैरोकार हैं। सामुदायिक आदिवासी जीवनदर्शन एवं सौंदर्यबोध को अपने लेखन और देश भर के साहित्यिक व अकादमिक संगोष्ठियों में दिए गए वक्तव्यों के जरिए उन्होंने आदिवासी विमर्श को नया आवेग प्रदान किया है। आदिवासियत की वैचारिकी और सौंदर्यबोध को कलाभिव्यक्तियों का मूल तत्व मानते हुए उन्होंने आदिवासी साहित्य को ‘प्रतिरोध का साहित्य’ की बजाय ‘रचाव और बचाव’ का साहित्य कहा है। आदिवासी साहित्य की दार्शनिक अवधारणा प्रस्तुत करते हुए उनकी स्थापना है कि आदिवासियों की साहित्यिक परंपरा औपनिवेशिक और ब्राह्मणवादी शब्दावलियों और विचारों से बिल्कुल भिन्न है। आदिवासी जीवनदृष्टि पक्ष-प्रतिपक्ष को स्वीकार नहीं करता। आदिवासियों की दृष्टि समतामूलक है और उनके समुदायों में व्यक्ति केन्द्रित और शक्ति संरचना के किसी भी रूप का कोई स्थान नहीं है। वे आदिवासी साहित्य का ‘लोक’ और ‘शिष्ट’ साहित्य के रूप में विभाजन को भी नकारती हैं और कहती हैं कि आदिवासी समाज में समानता सर्वोपरि है, इसलिए उनका साहित्य भी विभाजित नहीं है। वह एक ही है। वे अपने साहित्य को ‘ऑरेचर’ कहती हैं। ऑरेचर अर्थात् ऑरल लिटरेचर। उनकी स्थापना है कि उनके आज का लिखित साहित्य भी उनकी वाचिक यानी पुरखा (लोक) साहित्य की परंपरा का ही साहित्य है। उनकी यह भी स्थापना है कि गैर-आदिवासियों द्वारा आदिवासियों पर रिसर्च करके लिखी जा रही रचनाएं शोध साहित्य है, आदिवासी साहित्य नहीं। आदिवासियत को नहीं समझने वाले हिंदी-अंग्रेजी के लेखक आदिवासी साहित्य लिख भी नहीं सकते। .

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वक्र

बन्द वक्र का एक उदाहरण बोलचाल की भाषा में कोई भी टेढ़ी-मेढ़ी रेखा वक्र (Curve) कहलाती है। किन्तु गणित में, सामान्यतः, वक्र ऐसी रेखा है जिसके प्रत्येक बिंदु पर उसकी दिशा में किसी विशेष नियम से ही परिवर्तन होता हो। यह ऐसे बिंदु का पथ है जो किसी विशेष नियम से ही विचरण करता हो। उदाहरण के लिए, यदि किसी बिंदु की दूरी एक नियत बिंदु से सदा समान रहती हो, तो बिंदुपथ एक वक्र होता है जिसे वृत्त कहते हैं। नियत बिंदु इस वृत्त का केंद्र होता है। यदि वक्र के समस्त बिंदु एक समतल में हो तो उसे समतल वक्र (Plane curve) कहते हैं, अन्यथा उसे विषमतलीय (Skew) या आकाशीय (Space) वक्र कहा जाता है। .

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वुद्ध सायमी

वुद्ध सायमी नेपाली भाषा के नेपाली कवि हैं। इनका जन्म विक्रम संवत 2001 में झोंछे काठमाण्डू में हुआ। इनका एक कविता संग्रह 'मेरो वर्तमान' प्रकाशित है। ये द्विमासिक पत्रिका 'सिड' के सह संपादक हैं। .

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व्याकरण

किसी भी भाषा के अंग प्रत्यंग का विश्लेषण तथा विवेचन व्याकरण (ग्रामर) कहलाता है। व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा किसी भाषा का शुद्ध बोलना, शुद्ध पढ़ना और शुद्ध लिखना आता है। किसी भी भाषा के लिखने, पढ़ने और बोलने के निश्चित नियम होते हैं। भाषा की शुद्धता व सुंदरता को बनाए रखने के लिए इन नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। ये नियम भी व्याकरण के अंतर्गत आते हैं। व्याकरण भाषा के अध्ययन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। किसी भी "भाषा" के अंग प्रत्यंग का विश्लेषण तथा विवेचन "व्याकरण" कहलाता है, जैसे कि शरीर के अंग प्रत्यंग का विश्लेषण तथा विवेचन "शरीरशास्त्र" और किसी देश प्रदेश आदि का वर्णन "भूगोल"। यानी व्याकरण किसी भाषा को अपने आदेश से नहीं चलाता घुमाता, प्रत्युत भाषा की स्थिति प्रवृत्ति प्रकट करता है। "चलता है" एक क्रियापद है और व्याकरण पढ़े बिना भी सब लोग इसे इसी तरह बोलते हैं; इसका सही अर्थ समझ लेते हैं। व्याकरण इस पद का विश्लेषण करके बताएगा कि इसमें दो अवयव हैं - "चलता" और "है"। फिर वह इन दो अवयवों का भी विश्लेषण करके बताएगा कि (च् अ ल् अ त् आ) "चलता" और (ह अ इ उ) "है" के भी अपने अवयव हैं। "चल" में दो वर्ण स्पष्ट हैं; परंतु व्याकरण स्पष्ट करेगा कि "च" में दो अक्षर है "च्" और "अ"। इसी तरह "ल" में भी "ल्" और "अ"। अब इन अक्षरों के टुकड़े नहीं हो सकते; "अक्षर" हैं ये। व्याकरण इन अक्षरों की भी श्रेणी बनाएगा, "व्यंजन" और "स्वर"। "च्" और "ल्" व्यंजन हैं और "अ" स्वर। चि, ची और लि, ली में स्वर हैं "इ" और "ई", व्यंजन "च्" और "ल्"। इस प्रकार का विश्लेषण बड़े काम की चीज है; व्यर्थ का गोरखधंधा नहीं है। यह विश्लेषण ही "व्याकरण" है। व्याकरण का दूसरा नाम "शब्दानुशासन" भी है। वह शब्दसंबंधी अनुशासन करता है - बतलाता है कि किसी शब्द का किस तरह प्रयोग करना चाहिए। भाषा में शब्दों की प्रवृत्ति अपनी ही रहती है; व्याकरण के कहने से भाषा में शब्द नहीं चलते। परंतु भाषा की प्रवृत्ति के अनुसार व्याकरण शब्दप्रयोग का निर्देश करता है। यह भाषा पर शासन नहीं करता, उसकी स्थितिप्रवृत्ति के अनुसार लोकशिक्षण करता है। .

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व्युत्पत्तिशास्त्र

भाषा के शब्दों के इतिहास के अध्ययन को व्युत्पत्तिशास्त्र (etymology) कहते हैं। इसमें विचार किया जाता है कि कोई शब्द उस भाषा में कब और कैसे प्रविष्ट हुआ; किस स्रोत से अथवा कहाँ से आया; उसका स्वरूप और अर्थ समय के साथ किस तरह परिवर्तित हुआ है। व्युत्पत्तिशास्त्र में शब्द के इतिहास के माध्यम से किसी भी राष्ट्र, प्रांत एवं समाज की भाषिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि अभिव्यक्त होती है। 'व्युत्पत्ति' का अर्थ है ‘विशेष उत्पत्ति’। किसी शब्द के क्रमिक इतिहास का अध्ययन करना, व्युत्पत्तिशास्त्र का विषय है। इसमें शब्द के स्वरूप और उसके अर्थ के आधार का अध्ययन किया जाता है। अंग्रेजी में व्युत्पत्तिशास्त्र को 'Etymology' कहते हैं। यह शब्द यूनानी भाषा के यथार्थ अर्थ में प्रयुक्त Etum तथा लेखा-जोखा के अर्थ में प्रयुक्त Logos के योग से बना है, जिसका आशय शब्द के इतिहास का वास्तविक अर्थ सम्पुष्ट करना है। भारतवर्ष में व्युत्पत्तिशास्त्र का उद्भव बहुत प्राचीन है। जब वेद मन्त्रों के अर्थों को समझना सुगम नहीं रहा तब भारतीय मनीषियों द्वारा वेदों के क्लिष्ट शब्दों के संग्रह रूप में निघण्टु ग्रन्थ लिखे गए तथा निघण्टु ग्रन्थों के शब्दों की व्याख्या और शब्द व्युत्पत्ति के ज्ञान के लिए निरुक्त ग्रन्थों की रचना हुई। वेदों के अध्ययन के लिए वेदागों के छ: शास्त्रों में निरुक्त शास्त्र भी सम्मिलित हैं। निरूक्त शास्त्र संख्या में 12 बतलाए जाते हैं, लेकिन इस समय आचार्य यास्क प्रणीत एक मात्र निरूक्त उपलब्ध है। .

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वेद

वेद प्राचीन भारत के पवितत्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर की वाणी है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -.

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वेद प्रताप वैदिक

डॉ॰ वेद प्रताप वैदिक (जन्म: 30 दिसम्बर 1944, इंदौर, मध्य प्रदेश) भारतवर्ष के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, पटु वक्ता एवं हिन्दी प्रेमी हैं। हिन्दी को भारत और विश्व मंच पर स्थापित करने की दिशा में सदा प्रयत्नशील रहते हैं। भाषा के सवाल पर स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गांधी और डॉ॰ राममनोहर लोहिया की परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में डॉ॰ वैदिक का नाम अग्रणी है। वैदिक जी अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में ‘विजिटिंग प्रोफेसर’ रहे हैं। भारतीय विदेश नीति के चिन्तन और संचालन में उनकी भूमिका उल्लेखनीय है। अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने लगभग 80 देशों की यात्रायें की हैं। अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युग आरम्भ करने वालों में डॉ॰ वैदिक का नाम अग्रणी है। उन्होंने सन् 1958 से ही पत्रकारिता प्रारम्भ कर दी थी। नवभारत टाइम्स में पहले सह सम्पादक, बाद में विचार विभाग के सम्पादक भी रहे। उन्होंने हिन्दी समाचार एजेन्सी भाषा के संस्थापक सम्पादक के रूप में एक दशक तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में काम किया। सम्प्रति भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष तथा नेटजाल डाट काम के सम्पादकीय निदेशक हैं। .

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वोल्टा-नाइजर भाषाएँ

वोल्टा-नाइजर भाषाएँ (Volta–Niger languages), जिन्हें पश्चिम बेनुए-कांगो भाषाएँ (West Benue–Congo) और पूर्व क्वा भाषाएँ (East Kwa) भी कहा जाता है, नाइजर-कांगो भाषा-परिवार की एक शाखा है। लगभग ५ करोड़ लोग वोल्टा-नाइजर भाषा-परिवार की सदस्य भाषाएँ बोलते हैं। इसमें दक्षिणी नाइजीरिया, बेनिन, टोगो और दक्षिणपूर्वी घाना की सबसे महत्वपूर्ण भाषाएँ आती हैं, जैसे कि योरुबा, इगबो, बिनि, फ़ोन और एवे। .

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वोले शोयिंका

वोले शोयिंकावोले शोयिंका-(पूरा नाम अकिन्वान्डे ओलुवोले शोयिंका)(१३ जुलाई १९३४-) १९८६ में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अफ्रीका के पहले साहित्यकार हैं। उनका जन्म ओगुन राज्य में स्थिति अव्योकुटा कस्बे में हुआ था। इनके पिता एनिओला शोंयिंका एक अध्यापक थे और मां आयोडेले (इया) ओलुवोले अपनी दुकान चलाती थीं। इस दम्पति ने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया था इसलिए बालक शोयिंका का बपतिस्मा संस्कार हुआ। लेकिन बचपन से ही बालक शोयिंका पर अपने दादा के मूल योरूबा प्रकृति धर्म (एनिमिज्म) पर अटल रहने का गहरा प्रभाव पड़ा। इसी के फलस्वरूप उनके मन मनुष्य के प्रति अगाध आस्था जनमी। आगे चलकर योरूबा जनजाति की भाषा और संस्कृति से अभिन्न जुड़ाव का उनकी सृजनात्मकता में अद्भुद उपयोग हुआ। युवा होते-होते १९६३ में वोले शोयिंका ने ईसाई धर्म सार्वजनिक रूप से परित्याग करके प्रकृति धर्म में आस्था व्यक्ति की और उनकी पुर्नस्थापना के लिए प्रयत्नशील हो गए। रायल कोर्ट थियेटर लंदन में प्ले-रीडर के रूप में जीवन आरम्भ करके वह नाइजीरिया के कई विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी साहित्य और नाट्य कला के प्राध्यापक रहे। कालान्तर में लेगान विश्वविद्यालय घाना और शेफील्ड विश्वविद्यालय इंग्लैण्ड में विजिटिंग प्रोफेसर और चर्चित कालेज कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय इंगलैण्ड व कॉर्नेल विश्वविद्यालय अमरीका के फैलो बने। अपनी प्रतिबद्धताओं और अभिव्यक्ति के कारण कई बार जेल यात्रा करनी पड़ी। अश्वेत अफ्रीका की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक विश्वास में युगों-युगों से रचे-बसे मिथकों की काव्यात्मकता और उनकी नई रचनात्मक सम्भावनाओं को शोयिंका ने ही पहली बार पहचाना। प्राचीन यूनानी मिथकों की आधुनिक यूरोपीय व्याख्या से प्रेरित हो उन्होंने योरूबा देवमाला की सर्वथा नई दृष्टि से देखा। साहित्य और कला के अपार रचना-सामर्थ्य को प्रतिबिम्बित करने वाले योरूबा देवता ओगुन इस नव्य दृष्टिकोण को रेखांकित करती है। उनकी कविताओं के अनुवाद हिंदी में भी पढ़े जा सकते हैं। .

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खरतरगच्छ

खरतरगच्छ जैन संप्रदाय का एक पंथ है। इस गच्छ की उपलब्ध पट्टावली के अनुसार महावीर के प्रथम शिष्य गौतम हुए। जिनेश्वर सूरि रचित कथाकोषप्रकरण की प्रस्तावना में इस गच्छ के संबंध में बताया गया है कि जिनेश्वर सूरि के एक प्रशिष्य जिनबल्लभ सूरि नामक आचार्य थे। इनका समय १११२ से ११५४ ई. है। इनका जिनदत्त सूरि नामक एक पट्टधर थे। ये दोनों ही प्रकांड पंडित और चरित्रवान् थे। इन लोगों के प्रभाव से मारवाड़, मेवाड़, बागड़, सिंध, दिल्ली एवं गुजरात प्रदेश के अनेक लोगों ने जैन धर्म की दीक्षा ली। उन लोगों ने इन स्थानों पर अपने पक्ष के अनेक जिन मंदिर और जैन उपाश्रय बनवाए और अपने पक्ष को विधिपक्ष नाम दिया। उनके शिष्यों ने जो जिन मंदिर बनवाए वे विधि चैत्य कहलाए। यही विधि पक्ष कालांतर में खरतरगच्छ कहा जाने लगा और यही नाम आज भी प्रचलित है। इस गच्छ में अनेक गंभीर एवं प्रभावशाली आचार्य हुए हैं। उन्होंने भाषा, साहित्य, इतिहास, दर्शन, ज्योतिष, वैद्यक आदि विषयों पर संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश एवं देश भाषा में हजारों ग्रंथ लिखे। उनके ये ग्रंथ केवल जैन धर्म की दृष्टि से ही महत्व के नहीं हैं, वरन समस्त भारतीय संस्कृति के गौरव माने जाते हें। श्रेणी:जैन धर्म.

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खोंग

न्यूयॉर्क शहर में खोंग ड्रमर खोंग (बर्मा भाषा: ရခိုင်လူမျိုး, रखोंलूम्योः, अंग्रेजी: Rakhine people) म्यांमार के अराकान प्रदेश का निवासी एक जनसमाज है। इनकी अपनी भाषा और अपनी लिपि है। इस कारण विद्वानों की धारणा है कि अति प्राचीन काल से एक सुशिक्षित समाज रहा है। ये लोग बौद्ध धर्मावलंबी हैं। विवाह प्रसंग में लड़के का पिता लड़की के घर जाकर अपने लड़के के लिए लड़की माँगता है। इस संबंध के स्वीकार करने या न करने पर गाँव के चार प्रतिष्ठित जनों के सामने विचार होता है और एक मुर्गे के माध्यम से शुभाशुभ का विचार कर निर्णय किया जाता है। इस समाज में स्त्री पुरुष दोनों की एक सी वेशभूषा होती है। इनके बीच इस संबंध में एक अनुश्रुति प्रचलित है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में अराकान के किसी राजा की एक रूपवती रानी थी। राजा उसी के प्रेम में निमग्न रहकर राजकाज की उपेक्षा करने लगा। जब रानी ने यह देखा तो वह स्वयं राजकाज देखने लगी। उसकी सुव्यवस्था देखकर प्रजा उसे देव समान मानने लगी। रानी ने देखा कि लोग स्त्रियों को पुरुषों की उपेक्षा हेय मानते हैं। उसे यह बात अच्छी न लगी। उसने आदेश दिया कि स्त्रियाँ पुरुषों के समान लुंगी धारण करेंगी और पुरुष केश बढ़ायेंगे और हाथ पाँव में गुदना गुदवाएँगे। प्रजा ने रानी की इस आज्ञा का पालन किया और आज तक यह बात मान्य होती चली आ रही है। श्रेणी:म्यान्मार श्रेणी:बर्मा की मानव जातियाँ.

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गढ़वाली भाषा

गढ़वाली भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गद्य

सामान्यत: मनुष्य की बोलने या लिखने पढ़ने की छंदरहित साधारण व्यवहार की भाषा को गद्य (prose) कहा जाता है। इसमें केवल आंशिक सत्य है क्योंकि इसमें गद्यकार के रचनात्मक बोध की अवहेलना है। साधारण व्यवहार की भाषा भी गद्य तभी कही जा सकती है जब यह व्यवस्थित और स्पष्ट हो। रचनात्मक प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए गद्य को मनुष्य की साधारण किंतु व्यस्थित भाषा या उसकी विशिष्ट अभिव्यक्ति कहना अधिक समीचीन होगा। .

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ग़ुस्ल

(غسل) एक अरबी भाषा शब्द का है। जिसका मतलब पुरे शरीर को नहलाना अर्थात स्नान होता है, अगर वयस्क व्यक्ति अपनी पाकीज़गी (शुद्धता) खो चुका है तो इस्लाम में नमाज और अन्य इस्लामी अनुष्ठानो (Rituals) के समय सबसे पहले करना ज़रूरी है।  Sahih Muslim, Hadith number 616ग़ुस्ल करना ज़रूरी है हर उस वयस्क इन्सान पर जो कि.

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गाब्रिएल दाँनुतस्यो

300px गाब्रिएल दाँनुतस्यो (Gabriele D'Annunzio; इतालवी उच्चारण:; 12 मार्च, 1863 – 01 मार्च 1938) इटली का लेखक, कवि, पत्रकार, नाटककार, तथा प्रथम विश्वयुद्ध का योद्धा त्था। १८८९ से १९१० तक इतालवी साहित्य में तथा १९१४ से १०२४ तक इटली के राजनीतिक जीवन में उसका प्रमुख स्थान था। उसको प्रायः इल वाटे (Il Vate .

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गुजराती भाषा

गुजराती भारत की एक भाषा है जो गुजरात राज्य, दीव और मुंबई में बोली जाती है। गुजराती साहित्य भारतीय भाषाओं के सबसे अधिक समृद्ध साहित्य में से है। भारत की दूसरी भाषाओं की तरह गुजराती भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। वहीं इसके कई शब्द ब्रजभाषा के हैं ऐसा भी माना जाता है की इसका जन्म ब्रजभाषा में से भी हुआ अर्थात संस्कृत और ब्रजभाषा के मिले जुले शब्दों से गुजरातीे भाषा का जन्म हुआ। दूसरे राज्य एवं विदेशों में भी गुजराती बोलने वाले लोग निवास करते हैं। जिन में पाकिस्तान, अमेरिका, यु.के., केन्या, सिंगापुर, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलीया मुख्य है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के दूसरे महानुभावों में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना, महर्षि दयानंद सरस्वती, मोरारजी देसाई, नरेन्द्र मोदी, धीरु भाई अंबानी भी सम्मिलित है। .

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ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा (अंग्रेज़ी: Greater Noida) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण उपनगर है, जो दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित है। आधिकारिक दृष्टि से यह उत्तर प्रदेश राज्य के गौतम बुद्ध नगर जिले में आता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इसके निकटवर्ती ही एक अन्य उपनगर नोएडा है, जो यहाँ से दिल्ली के रास्ते में पड़ता है। नोएडा एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक उपनगरों में से एक है। ग्रेटर नोएडा, जैसा कि इसका नाम है, आकार में नोएडा से भी बहुत बड़ा है और बहुत ही कम समय में अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर अपनी पहचान बना चुका है। वर्तमान समय में इसके अध्यक्ष व मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रमा रमण हैं। रमा रमण के अनुसार नई दिल्ली से ग्रेटर नोएडा के बीच यातायात को सुगम बनाने हेतु मई 2014 तक मेट्रो ट्रेक का निर्माण शुरू हो जायेगा। .

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गूगल धरती

गूगल अर्थ वास्तविक भूमंडल (virtual globe) चित्रण का एक ऐसा कार्यक्रम है जिसे प्रारम्भ में अर्थ व्यूअर नाम दिया गया, तथा इसे कीहोल, इंक (Keyhole, Inc) द्वारा तैयार किया गया है, जो 2004 में गूगल द्वारा अधिगृहीत की गई एक कंपनी है। यह कार्यक्रम उपग्रह चित्रावली (satellite imagery), हवाई छायांकन (aerial photography) तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) त्रि आयामी (3D) भूमंडल से प्राप्त चित्रों का अध्यारोपण (superimposition) करते हुए धरती का चित्रण करता है। यह तीन विभिन्न अनुज्ञप्तियों के अधीन उपलब्ध है: गूगल अर्थ, सीमित कार्यात्मकता के साथ एक मुक्त संस्करण; गूगल अर्थ प्लस ($ २० प्रति वर्ष), जो अतिरिक्त विशेषताओं से युक्त है तथा गूगल अर्थ प्रो ($ ४०० प्रति वर्ष), जो कि वाणिज्यिक कार्यों में उपयोग हेतु तैयार किया गया है। २००६ में इस उत्पाद का नाम बदलकर गूगल अर्थ कर दिया गया, जो कि वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट विन्डोज़ (Microsoft Windows) २००० (2000), एक्स पी अथवा विस्ता, मैक ओएस एक्स (Mac OS X) १०.३.९ तथा उससे अधिक, लिनुक्स(१२ जून, २००६ को जारी) तथा फ्री BSD (FreeBSD) से युक्त निजी कंप्यूटरों (personal computer) पर उपयोग के लिए उपलब्ध है। गूगल अर्थ फायरफॉक्स, आई ई 6 (IE6) अथवा आई ई 7 (IE7) के लिए एक ब्राउज़र प्लगइन (02 जून, 2008 को जारी) के रूप में भी उपलब्ध है। एक अद्यतन कीहोल आधारित क्लाइंट को जारी करने के साथ, गूगल ने अपने वेब आधारित प्रतिचित्रण सॉफ़्टवेयर में अर्थ डेटाबेस की चित्रावली भी शामिल की है। वर्ष २००६ के मध्य जनता के लिए गूगल अर्थ जारी होने के साथ २००६ तथा २००७ के बीच आभासी भूमंडल (virtual globes) पर मीडिया कवरेज में दस गुना से भी अधिक की वृद्धि हुई तथा भूस्थानिक (geospatial) तकनीकों तथा अनुप्रयोगों में जनता की रूचि बढ़ गई। .

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गूगल वीडियो

गूगल वीडियो इन्टरनेट पर गूगल समूह द्वारा संचालित एक वीडियो अपलोड एवं संग्रह स्थल है। यह इंटरनेट पर अपने प्रकार का सबसे व्यापक स्थल है। इसमें लाखों वीडियो उपलब्ध हैं। यहां प्रसिद्ध टी.वी.

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गूगल अनुवाद

गूगल अनुवाद या गूगल ट्रान्स्लेट (Google Translate) एक अनुवादक साफ्टवेयर एवं सेवा है जो एक भाषा के टेक्स्ट या वेबपेज को दूसरी भाषा में अनुवाद करता है। यह गूगल नामक कंपनी द्वारा विकसित एवं परिचालित है। इसके लिये गूगल अपना स्वयं का अनुवादक सॉफ्टवेयर प्रयोग करता है जो सांख्यिकीय मशीनी अनुवाद है। जनवरी 2016 की स्थिति के अनुसार, गूगल अनुवाद विभिन्न स्तरों पर 90 भाषाओं का समर्थन करता है और प्रतिदिन 20 करोड़ लोगों को अनुवाद प्रदान करता है। .

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गोरामानसिंह

गोरमानसिंह एक छोटा गांव है जो बिहार प्रान्त के दरभंगा जिलान्तर्गत आता है। यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग ६० कि॰मी॰ दूर कमला-बलान नदी के किनारे बसा है। प्रत्येक वर्ष कमला बलान के उमड्ने से प्रायः जुलाई में यंहा बाढ आ जाती है। बाढग्रसित क्षेत्र से पानी निर्गत होने में काफी समय लगता है जिससे जानमाल, फसल एवं द्रव्य की काफी क्षति होती है। नियमित बाढ आगमन से इस क्षेत्र में अभी तक पक्की सड्क एवं बिजली का अभाव है। इस क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। यहां का मुख्य व्यवसायिक केन्द्र सुपौल बाजार है जहां दूर-दूर से लोग पैदल या नौका यात्रा करके अपने सामानों की खरीद-विक्री के लिये आते हैं। दिसंबर से मार्च महीने तक लगातार जल-जमाव रहने से इस गांव के चौर क्षेत्र में विभिन्न देशों से कुछ प्रवासी पक्षी भी आतें हैं। प्रवासी पक्षीयों में लालसर, दिघौंच, सिल्ली, अधनी, चाहा, नक्ता, मैल, हरियाल, कारण, रतवा, इत्यादि प्रमुख है। ये पक्षीयां मुलतः नेपाल, तिब्बत, भुटान, चीन, पाकिस्तान, मंगोलिया, साइबेरिया इत्यादि देशों से आतें है। बाढ के पानी में डुबी हुई धान की फसलें बाढ के दिनों मे नौका यात्रा करते लोग प्रवासी पक्षीयां .

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गोर्खालैंड

गोरखालैंड, भारत के अन्दर एक प्रस्तावित राज्य का नाम है, जिसे दार्जीलिंग और उस के आस-पास के भारतीय गोरखा बहुल क्षेत्रों (जो मुख्यतः पश्चिम बंगाल में हैं) को मिलाकर बनाने की माँग होती रहती है। गोरखालैण्ड की मांग करने वालों का तर्क है कि उनकी भाषा और संस्कृति शेष बंगाल से भिन्न है। गोरखालैण्ड की यह मांग हड़ताल, रैली और आंदोलन के रूप में भी समय-समय पर उठती रहती है। गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में गोरखालैंड के लिए दो जन आंदोलन (१९८६-१९८८) में हुए। इसके अलावा गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में (२००७ से अब तक) कई आंदोलन हुए। .

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गोविन्द चन्द्र पाण्डेय

डॉ॰ गोविन्द चन्द्र पाण्डेय (30 जुलाई 1923 - 21 मई 2011) संस्कृत, लेटिन और हिब्रू आदि अनेक भाषाओँ के असाधारण विद्वान, कई पुस्तकों के यशस्वी लेखक, हिन्दी कवि, हिन्दुस्तानी अकादमी इलाहबाद के सदस्य राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति और सन २०१० में पद्मश्री सम्मान प्राप्त, बीसवीं सदी के जाने-माने चिन्तक, इतिहासवेत्ता, सौन्दर्यशास्त्री और संस्कृतज्ञ थे। .

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गोविन्द शंकर कुरुप

गोविन्द शंकर कुरुप या जी शंकर कुरुप (५ जून १९०१-२ फरवरी १९७८) मलयालम भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। उनका जन्म केरल के एक गाँव नायतोट्ट में हुआ था। ३ साल की उम्र से उनकी शिक्षा आरंभ हुई। ८ वर्ष तक की आयु में वे 'अमर कोश' 'सिद्धरुपम' 'श्रीरामोदन्तम' आदि ग्रन्थ कंठस्थ कर चुके थे और रघुवंश महाकाव्य के कई श्लोक पढ चुके थे। ११ वर्ष की आयु में महाकवि कुंजिकुट्टन के गाँव आगमन पर वे कविता की ओर उन्मुख हुये। तिरुविल्वमला में अध्यापन कार्य करते हुये अँग्रेजी भाषा तथा साहित्य का अध्यन किया। अँग्रेजी साहित्य इनको गीति के आलोक की ओर ले गया। उनकी प्रसिद्ध रचना ओटक्कुष़ल अर्थात बाँसुरी भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार ज्ञानपीठ द्वारा सम्मानित हुई। इनकी काव्य चेतना ने ऐतिहासिक तथा वैज्ञानिक युग बोध के प्रति सजग भाव रखा है। कुरुप बिम्बों और प्रतीकों के कवि हैं। इन्होंने परम्परागत छन्दविधान और संस्कृतनिष्ठ भाषा को अपनाया, परिमार्जित किया और अपने चिन्तन तथा काव्य प्रतिबिम्बों के अनुरुप उन्हें अभिव्यक्ति की नयी सामर्थ्य से पुष्ट किया। .

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ऑर्कुट

ऑर्कुट इन्टरनेट पर एक प्रसिद्ध सामाजिक तंत्र-व्यवस्था समूह (सामाजिक नेटवर्क) था जो कि गूगल समूह द्वारा संचालित किया जा रहा था। इसका नाम गूगल समूह के एक कर्मचारी ऑर्कुट बुयुक्कॉक्टेन के नाम पर पड़ा। इसकी सेवा में कहा गया था कि यह उपयोगकर्ता को नए दोस्त बनाने और वर्तमान संबंधों को बनाए रखने में मदद करने के लिए अन्वेषित किया गया है। पहले इसमें खाता खोलने के लिए किसी पूर्व सदस्य के निमंत्रण की आवश्यकता होती थी पर अक्टूबर २००६ के बाद से बिना निमंत्रण के खाता खोलने की सुविधा दे दी गई। ऑर्कुट का प्रयोग सबसे ज्यादा ब्राजील में होता था जिसके बाद भारत दूसरे स्थान पर था। ऑर्कुट 30 सितंबर, 2014 से बंद कर दिया गया। ऑर्कुट के सबसे ज्यादा उपयोगकर्ता ब्राजील (५१.१८%), संयुक्त राज्य अमेरिका (१७.४१%) और भारत (१७.४१%) में हैं। सबसे ज्यादा उपयोग करने वाले १८-२५ वर्ष के लोग हैं। अगस्त २००७ में गूगल ने यह निर्णय लिया कि कैलिफोर्निया स्थित होस्टेड ऑर्कुट का प्रबंधन करेगा और संचालन पूरी तरह से अब गूगल ब्राजील के द्वारा किया जाएगा। .

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ओड़िया भाषा

ओड़िआ, उड़िया या ओडिया (ଓଡ଼ିଆ, ओड़िआ) भारत के ओड़िशा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। यह यहाँ के राज्य सरकार की राजभाषा भी है। भाषाई परिवार के तौर पर ओड़िआ एक आर्य भाषा है और नेपाली, बांग्ला, असमिया और मैथिली से इसका निकट संबंध है। ओड़िसा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में उड़िया शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप "ओड़िया" होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं: ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है: "शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।" भाषातात्विक दृष्टि से उड़िया भाषा में आर्य, द्राविड़ और मुंडारी भाषाओं के संमिश्रित रूपों का पता चलता है, किंतु आज की उड़िया भाषा का मुख्य आधार भारतीय आर्यभाषा है। साथ ही साथ इसमें संथाली, मुंडारी, शबरी, आदि मुंडारी वर्ग की भाषाओं के और औराँव, कुई (कंधी) तेलुगु आदि द्राविड़ वर्ग की भाषाओं के लक्षण भी पाए जाते हैं। .

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ओड़िआ

ओड़िआ ओड़िशा की प्रमुख भाषा है। इसके साथ ही 'ओडिया' शब्द निम्नलिखित अर्थों में भी प्रयुक्त होता है-.

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आचार्य रामचंद्र वर्मा

आचार्य रामचंद्र वर्मा (1890-1969 ई.) हिन्दी के साहित्यकार एवं कोशकार रहे हैं। हिन्दी शब्दसागर के सम्पादकमण्डल के प्रमुख सदस्य थे। आपने आचार्य किशोरीदास वाजपेयी के साथ मिलकर 'अच्छी हिन्दी' का आन्दोलन चलाया। आपके समय में हिन्दी का मानकीकरण हुआ। .

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आदिवासी भाषाएँ

भारत में सभी आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषा है। भाषाविज्ञानियों ने भारत के सभी आदिवासी भाषाओं को मुख्यतः तीन भाषा परिवारों में रखा है। द्रविड़ आस्ट्रिक और चीनी-तिब्बती। लेकिन कुछ आदिवासी भाषाएं भारोपीय भाषा परिवार के अंतर्गत भी आती हैं। आदिवासी भाषाओं में ‘भीली’ बोलने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है जबकि दूसरे नंबर पर ‘गोंडी’ भाषा और तीसरे नंबर पर ‘संताली’ भाषा है। भारत की 114 मुख्य भाषाओं में से 22 को ही संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। इनमें हाल-फिलहाल शामिल की गयी संताली और बोड़ो ही मात्र आदिवासी भाषाएं हैं। अनुसूची में शामिल संताली (0.62), सिंधी, नेपाली, बोड़ो (सभी 0.25), मिताइ (0.15), डोगरी और संस्कृत भाषाएं एक प्रतिशत से भी कम लोगों द्वारा बोली जाती हैं। जबकि भीली (0.67), गोंडी (0.25), टुलु (0.19) और कुड़ुख 0.17 प्रतिशत लोगों द्वारा व्यवहार में लाए जाने के बाद भी आठवीं अनुसूची में दर्ज नहीं की गयी हैं। (जनगणना 2001) भारतीय राज्यों में एकमात्र झारखण्ड में ही 5 आदिवासी भाषाओं - संताली, मुण्डारी, हो, कुड़ुख और खड़िया - को 2011 में द्वितीय राज्यभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। .

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आरोह

संगीत के नीचे के सुर से आरम्भ करके ऊपर के सुरों की ओर चढ़ते हुये जब आलाप लिया जाता है तो उसे आरोह कहते हैं। मुख्यतः आरोह शब्द संगीत से सम्बंधित है किन्तु उत्थान, विकास आदि का भाव दर्शाने के लिये इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। .

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आशय

आशय मन की वह इच्छा है जो व्यक्ति को कोई कार्य करने को प्रेरित करती है। आशय का आपराधिक विधि में बहुत महत्त्व है बिना आशय के कोई बात अपराध नहीं हो सकती है। .

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आघात

आघात अर्थ होता है मार। .

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आंग्ल-भारतीय समुदाय

आंग्ल-भारतीय या ऐंग्लो इंडियन(ऍङ्ग्लो-इण्डियन) विशेष शब्द है जो जाति और भाषा के संबंध में प्रयुक्त होता है। जाति के संबंध में यह उन अंग्रेजों की ओर संकेत करता है जो भारत में बस गए हैं या व्यवसाय अथवा पदाधिकार से यहाँ प्रवास करते हैं। इनकी संख्या तो आज भारत में विशेष नहीं है और मात्र प्रवासी होने के कारण उनको देश के राजनीतिक अधिकार भी प्राप्त नहीं, परंतु एक दूसरा वर्ग उनसे संबंधित इस देश का है और उसे देश के नागरिकों के सारे हक भी हासिल हैं। यह वर्ग भारत के अंग्रेज प्रवासियों और भारतीय स्त्रियों के संपर्क से उत्पन्न हुआ है जो ऐंग्लो इंडियन कहलाता है। इनकी संख्या काफी है और लोकसभा में इनके विशेष प्रतिनिधि के लिए संवैधानिक अधिकार भी सुरक्षित हैं। इस समुदाय के समझदार व्यक्ति अपने को सर्वथा भारतीय और भारत के सुख-दु:ख में शरीक मानते हैं, परंतु अधिकतर ये स्थानीय जनता से घना संपर्क नहीं बना पाते और इंग्लैंड की सहायता की अपेक्षा करते हैं। इनका अंग्रेजों से रक्तसंबंध होना, अंग्रेजी का इनकी जन्मजात और साधारण बोलचाल की भाषा होना और उनका धर्म से ईसाई होना भी उन्हें अपना विदेशी रूप बनाए रखने में सहायक होते हैं। उनकी समूची संस्कृति अंग्रेजी विचारधारा और रहन-सहन से प्रभावित तथा अनुप्रमाणित है। तथापि अब वे धीरे-धीरे देश की नित्य बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होते जा रहे हैं। ऐंग्लो इंडियन शब्द का व्यवहार प्रवासी अंग्रेजों की भारतीय माताओं से प्रसूत संततियों अथवा उनसे प्रजनित संतानों से भिन्न भाषा के अर्थ में भी होता है। ऐंग्लो इंडियन भाषा के अनेक रूप हैं। कभी तो इसका प्रयोग भारतीयों द्वारा लिखी शुद्ध अंग्रेजी के अर्थ में हुआ है और कभी उन अंग्रेजों की भाषा के संबंध में भी जिन्होंने भारत में रहकर लिखा है, यद्यपि भाषाशास्त्र की दृष्टि से दोनों में स्थानीय प्रभावों के अतिरिक्त कोई विशेष भेद नहीं है। फिर ऐंग्लो इंडियन से तात्पर्य उस संकर हिंदी भाषा से भी है जो भारत के ऐंग्लों इंडियन अपने से भिन्न भारतीयों से बोलते हैं। इस शब्द का व्यवहार अनेक बार उस हिंदी भाषा के संबंध में भी हुआ है जिसे हिंदुस्तानी कहते हैं। परंतु इस अर्थ में इसका उपयोग अकारण और अनुचित दोनों हैं। नोट':- राष्ट्रपति को लोकसभा में 2 एंग्लो इंडियन को मनोनीत करने का अधिकार हैं। जबकि राज्यपाल विधान सभा मे 01 एंग्लो इंडियन को मनोनीत करता है। .

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आकारों के आसपास

इंसान के आपसी और स्वयं अपने साथ संबंधों का एक रूप और स्तर ऐसा भी होता है जो कहानी के आम चालू मुहावरे की पकड़ में अक्सर नहीं आता। ऐसे वक्त शायद कवि की संवेदनशीलता ज्यादा कारगर साबित होती है- न सिर्फ़ अनुभव-तंत्र के एक भिन्न तरंग पर सक्रिय होने के कारण, बल्कि भाषा की सर्जनात्मकता की एक अलग तरह की पहचान और आदत के कारण भी। कवि कुँवर नारायण के कहानी-संग्रह आकारों के आस-पास की कहानियों को पढ़कर इसलिए कुछ ऐसा आस्वाद मिलता है जो आम तौर पर आज की कहानियों से सुखद रूप में अगल है। एक तरह से इन कहानियों की दुनिया कोई खास निजी दुनिया नहीं है, इनमें भी रोज़मर्रा की जिंदगी के ही परिचित अनुभवों को पेश किया गया है। मगर उन्हें देखने वाली नज़र, उसके कोण और इन दोनों के कारण उभरने वाले रूप और भाषाई संगठन का फ़र्क इतना बड़ा है कि इन कहनियों की दुनिया एकदम विशिष्ट और विस्मयकारी जान पड़ती है, जिसमें किसी-न-किसी परिचित संबंध, अनुभव या रुख का या तो कोई अंतर्विरोध या नया अर्थ खुल जाता है, या इसकी कोई नयी परत उभर आती है- जैसा अक्सर कविता के बिम्बों से हुआ करता है। कोई अजब नहीं कि इन कहानियों में यथार्थ और फ़ैंटेसी के बीच लगातार आवाजाही है। दरअसल, फ़ैंटेसी और यथार्थ की मिलावट के अलग-अलग रूप और अनुपात से ही इन कहानियों का अपना अलग-अलग रंग पैदा होता है। ‘संदिग्ध चालें’ में स्त्री-पुरुष संबंधों में तरह-तरह के बाहरी दबावों से उत्पन्न होने वाले तनाव और उनकी टूट-फूट की बड़ी गहरी पीड़ा और करुणा है जो ‘मैं’, महिला, तोते वाला और मूँछोंवाला के इर्द-गिर्द एक फ़ैंटेसी के रूप में बुनी गई है। भाषा में शुरु से आख़ीर तक एक परीकथा-जैसी सहजता और लाक्षणिकता भी है और तीखे तनाव से उत्पन्न काव्यात्मकता भी। ‘उसका यह रूप आईने का मोहताज नहीं, न समय का, क्योंकि वह दोनों से मुक्त आत्मा का उदार सौंदर्य है।‘ या, ‘तुम उनकी ओर मत देखो, केवल मेरी आँखों में देखो जहाँ तुम हो, केवल उत्सव है: जहाँ दूसरे नहीं हैं।‘ और अंत में, ‘स्त्री फ़र्श पर लहूलुहान पड़ी थी: किसी जावन ने उसके कोमल शरीर पर जगह-जगह अपने दाँत और पंजे धँसा दिए थे।‘ ‘दो आदमियों की लड़ाई’ में फ़ैंटेसी कुछ इस अंदाज में ज़ाहिर होती है कि ‘इस सारे झगड़े को कोई कीड़ा देखता होता और उनकी बातचीत को समझता होता तो क्या कभी भी वह आदमी कहलाना पसंद करता?’ अंत में, इस शानदार लड़ाई का इतिहास लिखने का काम पास ही पेड़ पर शांत भाव में बैठे उल्लू को सौंपा गया कि जानवरों की आनेवाली पीढ़ियाँ इस महायुद्ध का वृत्तांत पढ़कर प्रेरणा लें।’ ‘आशंका’ में ‘मैं’ का सामना सीधे एक कीड़े से है। ‘मैं’ को महसूस होता है कि वह कीड़ा ‘अकेला’ नहीं है, अनेक हैं।...इशारा पाते ही वे सब-के-सब कमरे के अंदर रेंग आ सकते थे और मुझे तथा मेरी चीजों को, बल्कि मेरी सारी दुनिया को रौंदकर रख दे सकते थे।’ फैंटेसी के साथ-साथ कुँवर नारायण अपनी बात कहने के लिए तीखे व्यंग की बजाय हलकी विडम्बना या ‘आयरनी’ का इस्तेमाल अधिक करते हैं। इसी से उनके यहाँ फूहड़ अतिरंजना या अति-नाटकीयता नहीं है, एक तरह का सुरुचिपूर्ण संवेदनशील निजीपन है। यह नहीं कि ज़िंदगी के हर स्तर पर फैली हुई कुरुपता, गंदगी, हिंसा, स्वार्थपरता, नीचता उन्हें दीखती नहीं, पर वे उसे घिसे हुए उग्र आक्रामक मुहाविरे की बजाय एक आयासहीन हल्के-धीमे अंदाज में रखते हैं जिससे सचाई की उनकी निजी पहचान शोर में खो नहीं जाती। ‘बड़ा आदमी’ में रेलवे क्रासिंग के चपरासी और डिप्टी कलक्टर के बीच इस प्रकार सामना है: ‘और आज पहली बार एक बड़े आदमी ने दूसरे आदमी के बड़प्पन को पहचाना। वास्तव में बड़ा आदमी वह जिसे कम दिखाई दे, जो अँधेरे और उजाले में फर्क न कर सके।’ ‘चाकू की धार’ में बड़े मियाँ अपने बेटे को अंत में नसीहत देते हैं कि ‘जो चकमा खाकर भी दूसरों को चकमा देना न सीख सके, कभी व्यापार नहीं कर सकता।’ और यह व्यापार ही दुनियादारी है जो घर से शूरू होती है। ‘याद रखो, प्यार या नफरत बच्चे करते हैं, बड़े होकर सिर्फ आदमी व्यापार करते हैं।’ ‘सवाह और सवार’ में कम कपड़े वाले और ज्यादा कपड़े वाले के बीच संघर्ष अंत में यह रूप लेता है: ‘वह मान गया। उसने मेरे सब कपड़े नहीं लिए। कुछ कपड़ों की गठरी बाँधकर चला गया। कह गया, पूरी कोशिश करूँगा कि हम दोनों की इज्ज़त का सवाल है।’ एक साथ कई स्तरों पर व्यंजना की सादगी से ही इन कहानियों में इतनी ताज़गी आती है। मगर इन कहानियों का फैलाव केवल ऐसी प्रतीकात्मक सादगी तक ही सीमित नहीं है। ‘गुड़ियों का खेल’ या ‘कमीज’ जैसी कहानियों में निजी या बाहरी बड़ी गहरी तकलीफ़ मौजूद है। ‘अफ़सर’ में अफ़सरियत की यांत्रिकता, अमानवीयता और साधारण आदमी की पहचान साकार की गई है। ‘जनमति’ में भीड़ के तरल अस्थिर मतामत की एक तस्वीर है, ‘दूसरा चेहरा’ में डरावना और मक्कार दीखनेवाला आदमी के एक बच्चे को ट्रेन से गिरने से बचाने में अपनी जान दे देता है। ‘आत्महत्या’ का कथ्य है: ‘उस मानवीय संविधान को क्या कहा जाए जिसमें जीने और मरने दोनों की संभावनाएँ हों लेकिन साधन की गारंटी एक की भी न हो।’ ‘वह’ में स्त्री-पुरुष के पारस्परिक आकर्षण और उसमें क्रमशः बननेवाले त्रिकोण और चतुष्कोण की बड़ी तल्ख परिणति है। या फिर बड़ी सूक्ष्म प्रतीकात्मकता वाली संग्रह की पहले ही कहानी ‘आकारों के आस-पास’ कहानी और कविता के सीमांत पर रची गई लगती है। दरअसल, ये कहानियाँ काफी फैले हुए फलक पर अनेक मानवीय नैतिक संबंधों, प्रश्नों और मूल्यों को जाँचने, उधेड़ने और परिभाषित करने की कोशिश करती हैं, किसी क्रांतिकारी मुद्रा में नहीं, ब्लकि असलियत की बेझिझक निजी पहचान के इरादे से। बाहरी उत्तेजना भले ही न हो, पर आज की दुनिया में इंसान की हालत को लेकर गहरी बेचैनी और छपटाहट इनमें ज़रूर है। श्रेणी:पुस्तक.

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इन्स्क्रिप्ट

इन्स्क्रिप्ट (इण्डियन स्क्रिप्ट का लघुरूप) भारतीय भाषी लिपियों का मानक कीबोर्ड है। यह कम्यूटर हेतु एक टच टाइपिंग कुंजीपटल खाका है। यह कुंजीपटल खाका भारत सरकार द्वारा भारतीय लिपियों के लिये मानक के रूप में स्वीकृत है। यह भारत की भाषायी सॉफ्टवेयर के लिये नामी कम्पनी सी-डैक द्वारा विकसित है। यह देवनागरी, बंगाली, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, तमिल तथा तेलुगू आदि सहित १२ भारतीय लिपियों का मानक कीबोर्ड है। .

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इल्हाम अलियेव

इल्हाम हेदर ओगलू अलियेव (अज़ेरी भाषा: İlham Heydər oğlu Əliyev, Илһам Һејдәр оғлу Әлиев, ایلهام علیف) एक अज़रबैजानी राजनेता है, जो, वर्ष २००३ से अज़रबैजान के राष्ट्रपति हैं। उनका जन्म २४ दिसम्बर १९६१ में हुआ था। अज़ेरी भाषा के अलावा वह अंग्रेज़ी, फ़्रान्सीसी, रूसी और तुर्की भाषाएँ भी बोलते है। वह हेदर अलियेव का बेटा है जो १९९३-२००० के दौरान अज़रबैजान के राष्ट्रपति थे। वे न्यू अज़रबाइजान पार्टी के नेता हैं। .

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इलोकानो भाषा

इलोकानो (Ilocano) दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश में बोली जाने वाली ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा परिवार की मलय-पोलेनीशियाई शाखा की एक भाषा है। यह उत्तरी फ़िलिपीन्ज़ के लूज़ोन द्वीप के एक विस्तृत भाग में बोली जाती है। सन् २०१५ में इसे फ़िलिपीन्ज़ के ९१ लाख लोग मातृभाषा के रूप में बोलते थे, जिसके आधार पर यह फ़िलिपीन्ज़ की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। २०१२ में इलोकोस क्षेत्र के ला युनियोन प्रान्त ने इसे आधिकारिक प्रान्तीय भाषा देने का विधेयक पारित करा। यह उस देश की पहली स्थानीय भाषा है जिसे ऐसा दर्जा प्राप्त हुआ है। इसका तगालोग भाषा से गहरा सम्बन्ध है जो अंग्रेज़ी के साथ-साथ फ़िलिपीन्ज़ की राष्ट्रभाषा होने का दर्जा रखती है। .

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इगबो भाषा

इगबो (Igbo), जो इबो (Ibo) भी कहलाती है, दक्षिण-पूर्वी नाइजीरिया के इगबो लोगों की प्रमुख भाषा है। इस भाषा को बोलने वालों की कुल संख्या २.५ करोड़ के लगभग है, जिनमें से नाइजीरिया में हैं। इबो भाषा को रोमन लिपि में लिखा जाता है जो ब्रितानी उपनिवेश में प्रस्तावित हुयी। इगबो भाषा नाइजर-कांगो भाषा-परिवार की वोल्टा-नाइजर शाखा की एक सदस्य है।Laurie Bauer, 2007, The Linguistics Student's Handbook, Edinburgh .

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इंडोनेशिया

इंडोनेशिया गणराज्य (दीपान्तर गणराज्य) दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया में स्थित एक देश है। १७५०८ द्वीपों वाले इस देश की जनसंख्या लगभग 26 करोड़ है, यह दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी बौद्ध आबादी वाला देश है। देश की राजधानी जकार्ता है। देश की जमीनी सीमा पापुआ न्यू गिनी, पूर्वी तिमोर और मलेशिया के साथ मिलती है, जबकि अन्य पड़ोसी देशों सिंगापुर, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और भारत का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र शामिल है। .

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इंडोनेशियाई भाषा

इंडोनेशियाई (इंडोनेशियाई भाषा: Bahasa Indonesia, बहासा इंदोनेसिया) इंडोनेशिया की एकमात्र आधिकारिक और राष्ट्रीय भाषा है। यह मलय भाषा की एक मानक प्रयुक्ति पर आधारित है। मलय एक ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा है जो बहुभाषीय इंडोनेशियाई द्वीपसमूह पर सम्पर्क भाषा के रूप में शताब्दियों से विस्तृत रही है। इंडोनेशिया विश्व का चौथी सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और इस कारण से इंडोनेशियाई विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। इसे बोलने वाले अधिकांश लोग इसके साथ-साथ अक्सर एक क्षेत्रीय भाषा या स्थानीय उपभाषा सतति भी बोलते हैं। .

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क मुं हिंदी विद्यापीठ आगरा

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ डॉ भीमराव अंबेदकर विश्वविद्यालय, आगरा का प्रतिष्ठित शिक्षण और शोध संस्थान है जो हिंदी भाषा और भाषाविज्ञान के उच्चतर अध्ययन और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्तर भारत के सर्वप्रथम संस्थान के रूप में सन 1953 से कार्य कर रहा है। .

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कठबोली

कठबोली या स्लैंग (slang) किसी भाषा या बोली के उन अनौपचारिक शब्दों और वाक्यांशों को कहते हैं जो बोलने वाले की भाषा या बोली में मानक तो नहीं माने जाते लेकिन बोलचाल में स्वीकार्य होते हैं।, Elisa Mattiello, Polimetrica s.a.s., 2008, ISBN 978-88-7699-113-4,...

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कन्नड़ भाषा

कन्नड़ (ಕನ್ನಡ) भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत की उन २२ भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में साम्मिलित हैं। name.

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कन्हैयालाल सेठिया

महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया (11 सितम्बर 1919-11 नवंबर 2008) राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध कवि थे। आपको 2004 में पद्मश्री, साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा 1988 में ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी साहित्य पुरास्कार से भी सम्मानित किया गया था। .

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करणी सिंह

महाराजा करणी सिंह (21 अप्रैल 1924 - 6 सितंबर 1988) भी डॉ.

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कलानाथ शास्त्री

कलानाथ शास्त्री (जन्म: 15 जुलाई 1936) संस्कृत के जाने माने विद्वान,भाषाविद्, एवं बहुप्रकाशित लेखक हैं। आप राष्ट्रपति द्वारा वैदुष्य के लिए अलंकृत, केन्द्रीय साहित्य अकादमी, संस्कृत अकादमी आदि से पुरस्कृत, अनेक उपाधियों से सम्मानित व कई भाषाओँ में ग्रंथों के रचयिता हैं। वे विश्वविख्यात साहित्यकार तथा संस्कृत के युगांतरकारी कवि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के ज्येष्ठ पुत्र हैं। .

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कश्मीरी

कश्मीरी का अर्थ हो सकता हैः.

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कार्टून कला और कलाकार

के. शंकर पिल्लई, आर. के. लक्ष्मण, अबू अब्राहम, रंगा, कुट्टी, (ई. पी.), उन्नी, प्राण, मारियो मिरांडा, रवींद्र, केशव, बाल ठाकरे, अनवर अहमद, जी. अरविन्दन, जयंतो बनर्जी, माया कामथ, कुट्टी, माधन, वसंत सरवटे, रविशंकर, आबिद सुरती, अजीत नैनन, काक, मिकी पटेल, सुधीर दर, सुधीर तैलंग, शेखर गुरेरा, राजेंद्र धोड़पकर, इस्माईल लहरी, आदि इस कला के कई जाने पहचाने नाम हैं। दूसरे कुछ भारतीय व्यंग्यचित्रकार माली, सुशील कालरा, नीरद, देवेन्द्र शर्मा, सुधीर गोस्वामी इंजी, मंजुला पद्मनाभन, पी. के मंत्री, सलाम, प्रिया राज, तुलाल, येसुदासन, यूसुफ मुन्ना, चंदर, पोनप्पा, सतीश आचार्य, चन्दर, त्र्यम्बक शर्मा, अभिषेक तिवारी, इरफान, चंद्रशेखर हाडा, हरिओम तिवारी, गोपी कृष्णन, शरद शर्मा, शुभम गुप्ता, शिरीश, पवन, देवांशु वत्स, के. अनूप, राधाकृष्णन, अनुराज, के. आर. अरविंदन, धीमंत व्यास, धीर, द्विजित, गिरीश वेंगर, सुरेन्द्र वर्मा, धनेश दिवाकर, ए. एस. नायर, नम्बूतिरी, शिवराम दत्तात्रेय फडणीस, शंकर परमार्थी, एन. पोनप्पा, गोपुलू.

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काव्य

काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है। 'अर्थ की रमणीयता' के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं। पर 'अर्थ' की 'रमणीयता' कई प्रकार की हो सकती है। इससे यह लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं है। साहित्य दर्पणाकार विश्वनाथ का लक्षण ही सबसे ठीक जँचता है। उसके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है'। रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार की काव्य की आत्मा है। काव्यप्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र। ध्वनि वह है जिस, में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो। गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो। चित्र या अलंकार वह है जिसमें बिना ब्यंग्य के चमत्कार हो। इन तीनों को क्रमशः उत्तम, मध्यम और अधम भी कहते हैं। काव्यप्रकाशकार का जोर छिपे हुए भाव पर अधिक जान पड़ता है, रस के उद्रेक पर नहीं। काव्य के दो और भेद किए गए हैं, महाकाव्य और खंड काव्य। महाकाव्य सर्गबद्ध और उसका नायक कोई देवता, राजा या धीरोदात्त गुंण संपन्न क्षत्रिय होना चाहिए। उसमें शृंगार, वीर या शांत रसों में से कोई रस प्रधान होना चाहिए। बीच बीच में करुणा; हास्य इत्यादि और रस तथा और और लोगों के प्रसंग भी आने चाहिए। कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए। महाकाव्य में संध्या, सूर्य, चंद्र, रात्रि, प्रभात, मृगया, पर्वत, वन, ऋतु, सागर, संयोग, विप्रलम्भ, मुनि, पुर, यज्ञ, रणप्रयाण, विवाह आदि का यथास्थान सन्निवेश होना चाहिए। काव्य दो प्रकार का माना गया है, दृश्य और श्रव्य। दृश्य काव्य वह है जो अभिनय द्वारा दिखलाया जाय, जैसे, नाटक, प्रहसन, आदि जो पढ़ने और सुनेन योग्य हो, वह श्रव्य है। श्रव्य काव्य दो प्रकार का होता है, गद्य और पद्य। पद्य काव्य के महाकाव्य और खंडकाव्य दो भेद कहे जा चुके हैं। गद्य काव्य के भी दो भेद किए गए हैं- कथा और आख्यायिका। चंपू, विरुद और कारंभक तीन प्रकार के काव्य और माने गए है। .

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कुड़ुख

कुड़ुख या 'कुरुख' एक भाषा है जो भारत, नेपाल, भूटान तथा बांग्लादेश में बोली जाती है। भारत में यह बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के उराँव जनजातियों द्वारा बोली जाती है। यह द्रविण परिवार से संबन्धित है। इसको 'उराँव भाषा' भी कहते हैं। छत्तीसगढ़ में बसने वाली उरांव जाति की बोली को कुरुख कहते हैं। इस भाषा में तमिल और कनारी भाषा के शब्दों की बहुतायत है। कुड़ुख भाषा को पश्चिम बंगाल में राजकीय भाषा के रूप में फरवरी २०१८ में स्वीकृति मिली थी। .

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कुन्दन अमिताभ

श्री कुन्दन अमिताभ हिन्दी एवं अंगिका भाषा के जाने-माने साहित्यकार हैं। वे अंगिका भाषा के विकास और वेब पर उसकी उपस्थिति बनाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने २००३ में अंगिका भाषा का एक वेब साइट तैयार किया गया था। २००४ में उनके सहयोग से अंगिका भाषा का अपना एक सर्च इंजन भी तैयार किया गया है। .

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कुसुन्दा

कुसुन्दा (या कुसन्दा) पश्चिमी नेपाल एवं मध्य नेपाल में गिने चुने लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। यह भाषा विलुप्ति के कगार पर है। .

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क्रियोल भाषा

क्रियोल भाषा या सिर्फ़ क्रियोल (Creole language) ऐसी स्थाई भाषा को कहते हैं जो दो या दो से अधिक भाषाओं के मिश्रण से पैदा हुई हो। इस कारण से इन्हें कभी-कभी खिचड़ी भाषाएँ भी कह दिया जाता है, हालाँकि यह किसी आम मिश्रण से बनी बोली से भिन्न होती हैं क्योंकि क्रियोलों के बोलने वाले इन्हें अपनी मातृभाषा के रूप में अपना लेते हैं और इनमें प्राकृतिक भाषाओं के लक्षण उपस्थित होते हैं। यह पिजिन से अलग होती हैं क्योंकि पिजिन बोलियाँ कई भाषा-समुदायों के एक साथ सम्पर्क होने पर भाषा-मिश्रण से अपसी तालमेल में प्रयोग होने लगती हैं उन्हें कोई भी समुदाय अपनी मातृभाषा के लिये प्रयोग नहीं करता। क्रियोल भाषाओं के शब्द उनकी जननी भाषाओं से आते हैं, जिनमें अक्सर एक या दो प्रमुख होती हैं, मसलन मॉरीशस में बोली जाने वाली क्रीयोल में अधिकतर फ़्रान्सीसी और भोजपुरी के शब्द हैं। देखा गया है कि बहुत से शब्दों के उच्चारण व अर्थ मूल भाषाओं से बदल जाते हैं। इसी तरह क्रियोल भाषाओं के व्याकरण में भी अक्सर कई नवीनताएँ होती हैं जो जननी भाषाओं से अलग होती हैं। .

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क्रीटी लिपि

मिट्टी से बने छड़ पर क्रीटी लिपि में लिखा है। क्रीटी ग्रीस के क्रीट द्वीप की प्राचीन भाषा है। क्रीटी भाषा और लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी जिससे उसकी भाषा के प्राचीन रूप का पता चल सकना संभव न हो सका है। किंतु अधिकतर विद्वानों का मत है कि प्राचीन क्रीट की यह भाषा आर्येतर थी। वहाँ तक आर्यों की पहुँच होने से पहले ही वह मर चुकी थी। उसके दक्षिण सागर पार प्राचीन मिस्रियों की हामी सभ्यता थी, पूर्व में सुमेरियों और बाबुलियों की सामी सभ्यता उसे छापे हुए थी, जिससे आर्यों के संपर्क से वह वंचित रहा। क्रीट और उसके ग्रीक, लघुएशियाई नगरों का १५वीं सदी ई. पू.

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कृष्ण बलदेव वैद

हिन्दी के आधुनिक गद्य-साहित्य में सब से महत्वपूर्ण लेखकों में गिने जाने वाले कृष्ण बलदेव वैद ने डायरी लेखन, कहानी और उपन्यास विधाओं के अलावा नाटक और अनुवाद के क्षेत्र में भी अप्रतिम योगदान दिया है। अपनी रचनाओं में उन्होंने सदा नए से नए और मौलिक-भाषाई प्रयोग किये हैं जो पाठक को 'चमत्कृत' करने के अलावा हिन्दी के आधुनिक-लेखन में एक खास शैली के मौलिक-आविष्कार की दृष्टि से विशेष अर्थपूर्ण हैं। .

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केली पत्रैसी,संभल (मुरादाबाद)

केली पत्रैसी मुरादाबाद जिले की संभल तहसील का एक गांव हैं जो कि अब संभल जिले की भौगोलिक सीमा में स्थित है। भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार सन् 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक इस गांव के कुल परिवारों की संख्या 184 है। केली पत्रैसी की कुल जनसंख्या 1068 है जिसमें पुरुषों की संख्या 589 और महिलाओं की संख्या 479 है। .

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कॉप्टिक भाषा

कॉप्टिक या कोप्ती मिस्र की एक भाषा थी जो १७वीं शताब्दी तक लुप्त हो गयी। यह प्राचीन मिस्रियों के आधुनिक वंशधर कोप्तों (किब्त, कुब्त) की भाषा थी। कोपी भाषा उस प्राचीन मिस्री से निकली थी जो स्वयं चित्रलिपिक (हिरोग्लिफ़िक), पुरोहिती (हिरेतिक), देमोतिक आदि अनेक रूपों में लिखी गई। दीर्घकाल तक, ग्रीक भाषा के घने प्रभाव के बावजूद, कोप्ती अपनी निजता बनाए रही। अरबों की मिस्र विजय ने नि:संदेह इसपर अपना गहरा प्रभाव डाला और अरबी प्राय: इसे आत्मसात् कर गई। १७वीं सदी ईसवी तक पहुँचते-पहुँचते इसके अस्तित्व का लोप हो गया। दूसरी सदी ईसवी में देमोतिक से मिलीजुली वह जंतर-मंतर के उपयोग के लिए लिखी जाने लगी थी। तब तक उसका रूप प्राय: शुद्ध प्राचीन था। प्राचीन कोप्ती की अपनी अनेक जनबोलियाँ भी थीं जिनमें तीन - साहीदी, अख़मीमी और फ़ायूमी प्रधान थीं। ग्रीक भाषा प्रभावित इन बोलियों का उपयोग अधिकतर १३वीं सदी तक होता रहा, पर अरबी के बढ़ते हुए प्रभाव और प्रयोग के धीरे-धीरे इसका अस्तित्व मिटा दिया। इनके धार्मिक साहित्यों की व्याख्या तक अरबी में होने लगी। स्वयं कोप्तों ने १०वीं सदी से ही अरबी में लिखना-पढ़ना शुरू कर दिया था, यद्यपि कोप्ती का साहित्यिक व्यवहार एक अंश में १४वीं सदी तक जहाँ-तहाँ दीख जाता है। प्राय: पिछले ३०० वर्षों से बोली जानेवाली भाषा के रूप में कोप्ती का उपयोग उठ गया है। साधारणत: माना जाता है कि कोप्त जाति और भाषा का संबंध मिस्र के उस कुफ्त गाँव से है जो नील नदी के पूर्वी तट पर प्राचीन थीब्ज़ से प्राय: ३५ किमी उत्तर-पूर्व आज भी खड़ा है। कोप्त लोग ईसा की तीसरी चौथी सदी में ईसाई हो गए थे। वस्तुत: प्राचीन मिस्री ईसाइयों का ही नाम कोप्त पड़ा और उनकी भाषा कोप्ती कहलाई। इसकी जनबोली साहीदी बियाई जनपद में बोली जाती थी, जैसे अख़मीमी अख़मीम के पड़ोस में और फ़ायुमी फ़ायूम के आस पास मिस्र के मध्य भाग में, मेंफ़िस तक। बोहाइरी नाम की कोप्ती बोली डेल्टा के उत्तर-पश्चिमी भाग में बोली जाती थी। इसमें लिखा नवीं सदी का ईसाई साहित्य आज भी उपलब्ध है। कोप्ती का प्राय: समूचा साहित्य धार्मिक है जो मूलत: ग्रीक से अनूदित है। साहीदी, अख़मीमी और फ़ायूमी तीनों में बाइबिल की पुरानी और नई दोनों पोथियों के अनुवाद ४५० ई. से पूर्व ही प्रस्तुत हो चुके थे। धर्मेतर विषयों का बहुत थोड़ा साहित्य कोप्ती में लिखा गया या आज बच रहा है। इसमें कुछ तो झाड़-फूँक या जंतर-मंतर संबंधी प्रयोग हैं, कुछ चिकित्सा से संबंधित हैं, कुछ में सिकन्दर और मिस्रविजेता प्राचीन ईरानी सम्राट् कंबुजीय की जीवन की घटनाएँ हैं। १३वीं-१४वीं सदी में काप्ती का यह रूप भी अरबी के प्रभाव से मिट गया। श्रेणी:विश्व की भाषाएँ.

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कोच भाषा

कोच एक तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की ब्रह्मपुत्रीय शाखा की एक भाषा है जिसे भारत के उत्तरपूर्व, नेपाल और बांग्लादेश में रहने वाले कोच राजबोंग्शी लोग बोलते हैं। कोच बोलने वाले अक्सर राजबोंग्शी भाषा भी जानते हैं। .

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कोरियाई भाषा

कोरियाई भाषा दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की आधिकारिक भाषा है और इसे बोलने वालों की संख्या लगभग ८ करोड़ है। इस भाषा का विकास १४४३ ई० में किंगसेजोंग के शासनकाल में हुआ। इस भाषा की लिपि हंगुल (Hangul 한글) है। कोरियन में 한 (हान/Haan) का अर्थ है - कोरिया अथवा महान और 글/गुल/geul का अर्थ है - लिपि। इस प्रकार हंगुल का अर्थ हुआ - "महान लिपि" अथवा "कोरियन लिपि"। कोरियायी भाषा अल्टाइक कुल की भाषा है जो चीनी की भाँति संसार की प्राचीन भाषाओं में गिनी जाती है। चीनी की भाँति यह भी दाए से बाई ओर लिखी जाती है। इसका इतिहास कोरिया के इतिहास की तरह ही 4000 वर्ष प्राचीन है। प्राचीन काल में चीनी लोग कोरिया में जाकर बस गए थे, इसलिये वहाँ की भाषा भी चीनी भाषा से काफी प्रभावित है। चीनी और कोरियायी के अनेक शब्द मिलते जुलते हैं: उस समय कोरिया के विद्वानों की बोलचाल की भाषा तो कोरियायी थी लेकिन वे चीनी में लिखते थे। चीनी लिपि में लिखी जानेवाली कोरियायी भाषा की लिपि हानमून/hanmun कही जाती थी। जबतक कोई विद्वान प्राचीन चीनी का ज्ञाता न हो तब तक वह पूर्ण विद्वान नहीं माना जाता था। कोरियायी भाषा अपनी शिष्टता और विनम्रता के लिये प्रसिद्ध है। शिष्टता और विनम्रतासूचक कितने ही शब्द इस भाषा में पाए जाते हैं। कोरिया के लोग अभिवादन के समय "आप शांतिपूर्वक आएँ", "आप शांतिपूर्वक सोएँ" जैसे आदरसूचक शब्दों का प्रयोग करते हैं। .

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कोरकू भाषा

कोरकू (Korku) भारत के मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र राज्यों में बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की मुण्डा शाखा की एक भाषा है। इसे कोरकू समुदाय के लोग बोलते हैं, जो भारतीय संविधान के तहत एक अनुसूचित जनताति हैं। कोरकूभाषियों के आसपास गोंडी भाषा बोलने वाले बसते हैं, जिनकी संख्या अधिक है। ऐतिहासिक रूप से कोरकू लोगों का निहाली भाषा बोलने वालों के साथ सम्बन्ध रहा है, जो कोरकू बोलने वालों के गावों के भीतर ही विशेष हिस्सों में रहते हैं। .

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अनुवाद

किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। अनुवाद का कार्य बहुत पुराने समय से होता आया है। संस्कृत में 'अनुवाद' शब्द का उपयोग शिष्य द्वारा गुरु की बात के दुहराए जाने, पुनः कथन, समर्थन के लिए प्रयुक्त कथन, आवृत्ति जैसे कई संदर्भों में किया गया है। संस्कृत के ’वद्‘ धातु से ’अनुवाद‘ शब्द का निर्माण हुआ है। ’वद्‘ का अर्थ है बोलना। ’वद्‘ धातु में 'अ' प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है 'वाद' जिसका अर्थ है- 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वाद' में 'अनु' उपसर्ग उपसर्ग जोड़कर 'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना। इसका प्रयोग पहली बार मोनियर विलियम्स ने अँग्रेजी शब्द टांंसलेशन (translation) के पर्याय के रूप में किया। इसके बाद ही 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग एक भाषा में किसी के द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री की दूसरी भाषा में पुनः प्रस्तुति के संदर्भ में किया गया। वास्तव में अनुवाद भाषा के इन्द्रधनुषी रूप की पहचान का समर्थतम मार्ग है। अनुवाद की अनिवार्यता को किसी भाषा की समृद्धि का शोर मचा कर टाला नहीं जा सकता और न अनुवाद की बहुकोणीय उपयोगिता से इन्कार किया जा सकता है। ज्त्।छैस्।ज्प्व्छ के पर्यायस्वरूप ’अनुवाद‘ शब्द का स्वीकृत अर्थ है, एक भाषा की विचार सामग्री को दूसरी भाषा में पहुँचना। अनुवाद के लिए हिंदी में 'उल्था' का प्रचलन भी है।अँग्रेजी में TRANSLATION के साथ ही TRANSCRIPTION का प्रचलन भी है, जिसे हिंदी में 'लिप्यन्तरण' कहा जाता है। अनुवाद और लिप्यंतरण का अंतर इस उदाहरण से स्पष्ट है- इससे स्पष्ट है कि 'अनुवाद' में हिंदी वाक्य को अँग्रेजी में प्रस्तुत किया गया है जबकि लिप्यंतरण में नागरी लिपि में लिखी गयी बात को मात्र रोमन लिपि में रख दिया गया है। अनुवाद के लिए 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग भी किया जाता रहा है। लेकिन अब इन दोनों ही शब्दों के नए अर्थ और उपयोग प्रचलित हैं। 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग अँग्रेजी के INTERPRETATION शब्द के पर्याय-स्वरूप होता है, जिसका अर्थ है दो व्यक्तियों के बीच भाषिक संपर्क स्थापित करना। कन्नडभाषी व्यक्ति और असमियाभाषी व्यक्ति के बीच की भाषिक दूरी को भाषांतरण के द्वारा ही दूर किया जाता है। 'रूपांतर' शब्द इन दिनों प्रायः किसी एक विधा की रचना की अन्य विधा में प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त है। जैस, प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' का रूपांतरण 'होरी' नाटक के रूप में किया गया है। किसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में यथावत् प्रस्तुत करना अनुवाद है। इस विशेष अर्थ में ही 'अनुवाद' शब्द का अभिप्राय सुनिश्चित है। जिस भाषा से अनुवाद किया जाता है, वह मूलभाषा या स्रोतभाषा है। उससे जिस नई भाषा में अनुवाद करना है, वह 'प्रस्तुत भाषा' या 'लक्ष्य भाषा' है। इस तरह, स्रोत भाषा में प्रस्तुत भाव या विचार को बिना किसी परिवर्तन के लक्ष्यभाषा में प्रस्तुत करना ही अनुवाद है।ज .

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अन्दमानी भाषाएँ

अन्दमानी भाषाएँ अन्दमान द्वीपसमूह के आदिवासियों की भाषाएँ है। इसमें भी दो स्पष्ट भाषा परिवार हैं- महाअन्दमानी और ओंगान। इसके अलावा सेन्टीनीली भाषा भी है जिसके बारे में बहुत कम जानकारी है और इसका वर्गीकरण नहीं हुआ है।Abbi, Anvita (2008).

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अन्विता अब्बी

अन्विता अब्बी (जन्म ९ जनवरी १९४९) एक भारतीय भाषाविद और अल्पसंख्यक भाषाओं की विद्वान हैं। भाषा विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें २०१३ में, पद्म श्री को चौथी उच्चतम नागरिक पुरस्कार प्रदान करके उन्हें सम्मानित किया था। अन्विता अब्बी का जन्म ९ जनवरी १९४९ को आगरा में हुआ था। १९६८ में उन्होंने ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र (बीए ऑनर्स) में स्नातक प्राप्त की। उन्होंने १९७० में पहले डिवीजन और प्रथम रैंक के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय से ही भाषाविज्ञान में मास्टर डिग्री (एमए) हासिल की। और १९७५ में कॉर्नेल विश्वविद्यालय, इथाका, यूएसए, से पीएचडी की। उन्होंने ने कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी में फ़रवरी १९७५ में दक्षिण एशिया मीडिया केंद्र के निदेशक के रूप में अपना करियर शुरू किया और वाहा एक साल तक काम किया। .

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अपतानी भाषा

अपतानी (अप तानी, अप) भाषा भारत के अरुणाचल प्रदेश में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह तिब्बती-बर्मी परिवार की भाषा है। यह सर्वाधिक संकटग्रस्त केवल बोली जाने वाली भाषा है। इसके लिखने का कोई मानक नहीं है और अभी तक यह निश्चित नहीं हो पाया है कि इसे किस लिपि में लिखा जाय। .

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अपोहवाद

बौद्ध दर्शन में सामान्य का खंडन करके नामजात्याद्यसंयुत अर्थ को ही शब्दार्थ माना गया है। न्यायमीमांसा दर्शनों में कहा गया है कि भाषा सामान्य या जाती के बिना नहीं रह सकती। प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग शब्द हो तो भाषा का व्यवहार नष्ट हो जाएगा। अनेकता में एकत्व व्यवहार भाषा की प्रवृत्ति का मूल है और इसी को तात्विक दृष्टि से सामान्य कहा जाता है। भाषा ही नहीं, ज्ञान के क्षेत्र में भी सामान्य का महत्व है क्योंकि यदि एक ज्ञान को दूसरे ज्ञान से पृथक्‌ माना जाए तो एक ही वस्तु के अनेक ज्ञानों में परस्पर कोई संबंध नहीं हो सकेगा। अतएव सामान्य या जाती को अनेक व्यक्तियों में रहनेवाली एक नित्य सत्ता माना गया है। यही सत्ता भाषा के व्यवहार का कारण है और भाषा का भी यही अर्थ है। बौद्धों के अनुसार सभी पदार्थ क्षणिक हैं अत: वे सामान्य की सत्ता नहीं मानते। यदि सामान्य नित्य है तो वह अनेक व्यक्तियों में कैसे रहता है? यदि सामान्य नित्य है तो नष्ट पदार्थ में रहनेवाले सामान्य का क्या होता है? अत: वह किसी अन्य वस्तु से संबंधित न होकर अपने आपमें ही विशिष्ट एक सत्ता है जिसे स्वलक्षण कहा जाता है। अनेक स्वलक्षण पदार्थों में ही अज्ञान के कारण एकता की मिथ्या प्रतीति होती है और चूंकि लोकव्यवहार के लिए ऐसी प्रतीति की आवश्यकता है इसलिए सामान्य लक्षण पदार्थ व्यावहारिक सत्य तो हैं किंतु परमार्थत: वे असत्‌ हैं। शब्दों का अर्थ परमार्थत: सामान्य के संबंध से रहित होकर ही भासित हाता है। इसी को 'अन्यापोह' या 'अपोह' कहते हैं। अपोह सिद्धांत के विकास के तीन स्तर माने जाते हैं। दिंनाग के अनुसार शब्दों का अर्थ अन्याभाव मात्र होता है। शांतरक्षित ने कहा कि शब्द भावात्मक अर्थ का बोध कराता है, उसका अन्य से भेद ऊहा से मालूम होता है। रत्नकीर्ति ने अन्य के भेद से युक्त शब्दार्थ माना। ये तीन सिद्धांत कम से कम अन्य से भेद को शब्दार्थ अवश्य मानते हैं। यही अपोहवाद की विशेषता है। .

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अमेरिकीकरण

चीन के एक सुपरमार्केट में कोका कोला संयुक्त राज्य अमेरिका से इतर देशों में अमेरिकीकरण (Americanization) का मतलब अमेरिकी संस्कृति का अन्य देशों की संस्कृति पर प्रभाव से है। यह शब्द कम से कम १९०७ से प्रयोग किया जा रहा है। 'अमेरिकीकरण' के विचार का प्रचलित अर्थ अमेरिकी मीडिया कम्पनियों के विश्व-प्रभुत्व की आलोचना की देन है। मोटे तौर पर इसे संस्कृति-उद्योग और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के पर्याय की तरह भी देखा जाता है। लेकिन ऐसे भी कुछ पहलू हैं जो अमेरिकीकरण को इन दोनों से अलग करते हैं। इनमें प्रमुख है अमेरिकीकरण की अभिव्यक्ति का युरोपीय संस्कृतियों द्वारा प्रयोग। पश्चिमी युरोप के अमीर देश वैसे तो राजनीति, अर्थनीति और समरनीति में अमेरिका के अभिन्न सहयोगी हैं, पर संस्कृति के संदर्भ में वे इसके द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की संस्कृति के प्रसारवादी चरित्र पर आपत्ति करते हैं। इस दृष्टि से अमेरिकीकरण पूँजीवादी सांस्कृतिक शिविर के अंतर्विरोधों का परिचायक भी है। फ़्रांस, जर्मनी और इटली जैसे जी-सात देशों की मान्यता है कि टेलिविज़न कार्यक्रमों, हॉलीवुड की फ़िल्मों, पॉप म्यूज़िक और खान-पान के माध्यम से अमेरिकी विचारधारा, जीवन-शैली और प्रवृत्तियाँ उनके अपने सांस्कृतिक मूल्यों और परम्पराओं को पृष्ठभूमि में धकेले दे रही हैं। उदाहरण के लिये इटली के आलोचक यह देख कर चिंतित हैं कि उनकी जनता पास्ता की जगह हैमबर्गर तथा ऑपेरा की जगह माइकल जैक्सन सरीखी संगीत-नृत्य परम्परा को उत्तरोत्तर अपनाती जा रही है। इसी तरह अपनी भाषा को सबसे श्रेष्ठ मानने की खुराक पर पले फ़्रांसीसियों और जर्मनों को यह देखकर सांस्कृतिक डर सताने लगे हैं कि अमेरिकी रुतबे के कारण अंग्रेजी का बौद्धिक और सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकीकरण का यही अर्थ धीरे-धीरे एशियाई संस्कृतियों के पैरोकारों द्वारा भी भूमण्डलीकरण की आलोचना के एक अहम मुहावरे की तरह अपनाया जाने लगा है। भूमण्डलीकरण के आलोचकों के बीच 'कोकाकोलाइज़ेशन' या 'मैकडनलाइज़ेशन' जैसे मुहावरों का अक्सर इस्तेमाल होता है। अमेरिकी संस्कृति के संक्रामक चरित्र के प्रति भय भूमण्डलीकरण की विश्वव्यापी प्रक्रिया शुरू होने के काफी पहले से व्यक्त किये जा रहे हैं। मजदूर वर्ग की संस्कृति के दृष्टिकोण से ब्रिटिश समाजशास्त्री और 'बरमिंघम सेंटर फ़ॉर द कल्चरल स्टडीज़' के संस्थापक रिचर्ड होगार्ट की 1957 में प्रकाशित रचना 'द यूज़िज़ ऑफ़ लिटरेसी' ने अमेरिकीकरण की विस्तृत आलोचना पेश की थी। होगार्ट ने अमेरिकी और ब्रिटिश लोकप्रिय उपन्यासों की तुलना करते हुए आरोप लगाया था कि अमेरिकी उपन्यासों में सेक्स और हिंसा का संदर्भच्युत इस्तेमाल किया जाता है। पचास के दशक के ब्रिटिश ‘मिल्क बारों’ के विश्लेषण के ज़रिये होगार्ट ने अंग्रेज युवकों पर अमेरिका के असर की शिनाख्त करते हुए दिखाया कि उनके बीच अमेरिकी शैली में ‘मॉडर्न’ और ‘कूल’ होना किस तरह तरह प्रचलित होता चला गया। होगार्ट को इस बात में कोई संदेह नहीं था कि अमेरिका से आ रही ये सांस्कृतिक हवाएँ ‘जीवन-विरोधी’ हैं। यह एक रोचक तथ्य है कि अमेरिकीकरण की जिस प्रक्रिया पर युरोपीय देश आज आपत्ति कर रहे हैं, उसने अपना आधार द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद और शीत युद्ध के दौरान प्राप्त किया था। एक तरह से यह अमेरिकीकरण विश्वयुद्ध से जर्जर हो चुके युरोप की आवश्यकता था। यही वह दौर था जब अमेरिकी बिजनेस मॉडल ने युरो के स्थानीय व्यापारिक प्रारूपों को अपनी सफलता के कारण पीछे धकेल दिया। व्यवसाय प्रबंधन के लिए एमबीए की डिग्री मुख्यतःपहले केवल अमेरिका में दी जाती थी, लेकिन आज यह डिग्री युरोप समेत दुनिया भर में कुशल व्यवसाय-प्रबंधन का पर्याय मानी जाती है। अमेरिका द्वारा प्रवर्तित ‘दक्षता आंदोलन’ युरोपीय देशों की आर्थिक और बौद्धिक संस्कृति (जिसमें उद्योगपति, सामाजिक जनवादी, इंजीनियर, वास्तुशिल्पी, शिक्षाविद्, अकादमीशियन, मध्यवर्ग, नारीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं) द्वारा कम से कम साठ-सत्तर साल पहले ही आत्मसात कर लिया गया था। इस आंदोलन के तहत हुए सुसंगतीकरण के दौरान युरोप में न केवल मशीनों और कारख़ानों के माध्यम से बढ़ी हुई उत्पादकता हासिल की गयी, बल्कि इससे मध्यवर्गीय और श्रमिकवर्गीय जनता के जीवन-स्तर में भी काफ़ी सुधार आया। इस आंदोलन को जर्मनी में नाज़ियों और युरोप के अन्य हिस्सों में कम्युनिस्टों द्वारा आक्रमण का निशाना बनाया गया, लेकिन उसकी सामाजिक स्वीकृति एक असंदिग्ध तथ्य बन चुकी है। अमेरिका से व्यापारिक संस्कृति का प्रवाह किस तरह एकतरफ़ा रहा है, यह निवेश के आँकड़ों से स्पष्ट हो सकता है। 1950 से 1965 के बीच युरोप में अमेरिकी निवेश आठ सौ प्रतिशत बढ़ा, जबकि इसी दौरान युरोप का अमेरिका में निवेश केवल 15 से 28 फ़ीसदी तक ही बढ़ सका। अमेरिकी निवेश में हुई ज़बरदस्त वृद्धि के पीछे अमेरिकी प्रौद्योगिकीय श्रेष्ठता की भूमिका भी रही है। शीत-युद्ध की समाप्ति के बाद अब पश्चिमी युरोप को सोवियत खेमे की तरफ से किसी प्रकार का सैनिक खतरा नहीं रह गया है। अर्थात् अपने रक्षक के रूप में अब उसे अमेरिका की जरूरत पहले की तरह नहीं है। युरोपीय संघ की रचना भी हो चुकी है, और युरोप एकीकृत आर्थिक संरचना के रूप में अमेरिका से होड़ कर रहा है। इस नयी स्थिति के परिणामस्वरूप आज अमेरिकी निवेश, अमेरिकी विज्ञापनों, व्यापारिक तौर-तरीकों, कर्मचारी संबंधी नीतियों और अमेरिकी कम्पनियों द्वारा अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल पर आपत्तियाँ होने लगी हैं। इसकी शुुरुआत फ़्रांस से हुई थी जिसका प्रसार अब सारे गैर-अंग्रेजी भाषी युरोप में हो चुका है। युरोपीय आलोचकों को यह देख-सुन कर काफी उलझन होती है कि अमेरिका ख़ुद को युरोपीय समाजों के राजनीतिक अभिजनवाद के मुकाबले कहीं अधिक लोकतांत्रिक, वर्गेतर और आधुनिक संस्कृति के रूप में पेश करता है। इसके जवाब में इन आलोचकों का दावा है कि अमेरिकी प्रभाव राजनीतिक और सांस्कृतिक दायरों में युरोपीय समाजों की अभिरुचियों को भ्रष्ट कर रहा है। लेकिन, अमेरिकीकरण का मतलब हमेशा से ही नकारात्मक नहीं था। इसके सकारात्मक पहलुओं की पहचान बीसवीं सदी के पहले दशक से की जा सकती है। 1907 से ही अमेरिका के भीतर इसका हवाला दुनिया की दूसरी संस्कृतियों से वहाँ रहने आये समुदायों द्वारा अमेरिकी रीति-रिवाज़ों और प्रवृत्तियों को अपनाने की प्रक्रिया के रूप में दिया जाता रहा है। इस सिलसिले को ‘मेल्टिंग पॉट’ (melting pot) की परिघटना के तौर पर भी देखा जाता है। 1893 में इतिहासकार फ़्रेड्रिक जैक्सन टर्नर ने एक लेख के द्वारा पहली बार इस अवधारणा का प्रयोग यह दिखाने के लिए किया कि अमेरिकी संस्कृति और अन्य संस्थाएँ केवल एंग्लो-सेक्सन लोगों की देन नहीं हैं। उन्हें रचने में युरोप से अमेरिका में बसने आयी तरह-तरह की संस्कृतियों का योगदान है। इसके बाद धीरे-धीरे मेल्टिंग पॉट का मुहावरा सांस्कृतिक आत्मसातीकरण के पर्याय के तौर पर लोकप्रिय होता चला गया। यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि बौद्धिक क्षेत्रों में भी अमेरिकी संस्कृति के प्रभावों को सभी पक्षों द्वारा नकारात्मक दृष्टि से नहीं देखा जाता। संस्कृति-अध्ययन के क्षेत्र में सक्रिय कुछ विद्वानों का मत है कि बाजारू संस्कृति को नीची निगाह से देखने के बजाय साधारण जनों द्वारा उसे आत्मसात करने के यथार्थ की सकारात्मक समीक्षा की जानी चाहिए। इनका दावा है कि अमेरिकी सांस्कृतिक उत्पादों से जन-मानस की मुठभेड़ एकांगी नहीं बल्कि विभेदीकृत और विविधतामूलक है। हेबडिगी ने अपनी 1979 में प्रकाशित रचना में दिखाया है कि किस प्रकार ब्रिटिश श्रमिकवर्गीय युवकों ने अमेरिकी फ़ैशन और म्यूजिक की मदद से अपनी अपेक्षाकृत शक्तिहीन और अधीनस्थ वर्गीय हैसियत में प्रतिरोध का समावेश किया है। अमेरिका ब्रिटिश युवकों के लिए एक आधुनिक, उन्मुक्त और रोमानी संस्कृति का आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है। संस्कृति-अध्ययन से निकले इस तरह के विद्वानों ने ‘डलास’ और ‘डायनेस्टी’ जैसे अमेरिकी टीवी सीरियलों का विश्लेषण करके पाया कि उन्हें देखते हुए लोग जिन निष्कर्षों पर पहुँचते हैं, उन पर स्थानीय परिवेश का गहरा असर होता है। उदाहरणार्थ, ‘डलास’ देखने वाला अरब दर्शक उसे पश्चिमी पतनशीलता के उदाहरण के रूप में ग्रहण करता है, जबकि एक रूसी यहूदी उसे पूँजीवाद की आत्मालोचना मान कर चलता है। इन विद्वानों के अनुसार अमेरिका को एक प्रभुत्वशाली शक्ति मानने का मतलब यह नहीं है कि उसे दुनिया की सांस्कृतिक अस्मिता के ऊपर अपना अंतिम निर्णय थोपने वाली ताकत भी मान लिया जाए। ये लोग सांस्कृतिक प्रवाहों को एकतरफा नहीं मानते, बल्कि अमेरिकी हवाओं के मुकाबले भारत के बॉलीवुडीय मनोरंजन, लातीनी अमेरिका के ‘टेलिनॉवेल’ और जापानी टीवी उत्पादों का जिक्र करते हैं। इन विद्वानों ने यह तर्क भी दिया है कि सेटेलाइट लाइसेंसों के सस्ती दर पर उपलब्ध होने से टीवी कार्यक्रम बनाने की अंतर्निहित राजनीति में काफी विविधता आयी है। पहले खाड़ी युद्ध के समय मीडिया जगत में ‘गल्फ़ वार टीवी प्रोजेक्ट’ ने सफलतापूर्वक युद्धविरोधी झंडा बुलंद किया था। .

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अयोध्या प्रसाद खत्री

अयोध्या प्रसाद खत्री अयोध्या प्रसाद खत्री (१८५७-४ जनवरी १९०५) का नाम हिंदी पद्य में खड़ी बोली हिन्दी के प्रारम्भिक समर्थकों और पुरस्कर्ताओं में प्रमुख है। उन्होंने उस समय हिन्दी कविता में खड़ी बोली के महत्त्व पर जोर दिया जब अधिकतर लोग ब्रजभाषा में कविता लिख रहे थे। उनका जन्म बिहार में हुआ था बाद में वे बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में कलक्‍टरी के पेशकार पद पर नियुक्त हुए। १८७७ में उन्होंने हिन्दी व्याकरण नामक खड़ी बोली की पहली व्याकरण पुस्तक की रचना की जो बिहार बन्धु प्रेस द्वारा प्रकाशित की गई थी। उनके अनुसार खड़ीबोली गद्य की चार शैलियाँ थीं- मौलवी शैली, मुंशी शैली, पण्डित शैली तथा मास्टर शैली। १८८७-८९ में इन्होंने "खड़ीबोली का पद्य" नामक संग्रह दो भागों में प्रस्तुत किया जिसमें विभिन्न शैलियों की रचनाएँ संकलित की गयीं। इसके अतिरिक्त सभाओं आदि में बोलकर भी वे खड़ीबोली के पक्ष का समर्थन करते थे। सरस्वती मार्च १९०५ में प्रकाशित "अयोध्याप्रसाद" खत्री शीर्षक जीवनी के लेखक पुरुषोत्तमप्रसाद ने लिखा था कि खड़ी बोली का प्रचार करने के लिए इन्होंने इतना द्रव्य खर्च किया कि राजा-महाराजा भी कम करते हैं। १८८८ में उन्‍होंने 'खडी बोली का आंदोलन' नामक पुस्तिका प्रकाशित करवाई। भारतेंदु युग से हिन्दी-साहित्य में आधुनिकता की शुरूआत हुई। इसी दौर में बड़े पैमाने पर भाषा और विषय-वस्तु में बदलाव आया। इतिहास के उस कालखंड में, जिसे हम भारतेंदु युग के नाम से जानते हैं, खड़ीबोली हिन्दी गद्य की भाषा बन गई लेकिन पद्य की भाषा के रूप में ब्रजभाषा का बोलबाला कायम रहा। अयोध्या प्रसाद खत्री ने गद्य और पद्य की भाषा के अलगाव को गलत मानते हुए इसकी एकरूपता पर जोर दिया। पहली बार इन्होंने साहित्य जगत का ध्यान इस मुद्दे की तरफ खींचा, साथ ही इसे आंदोलन का रूप दिया। हिंदी पुनर्जागरण काल में स्रष्टा के रूप में जहाँ एक ओर भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसा प्रतिभा-पुरुष खड़ा था तो दूसरी ओर द्रष्टा के रूप में अयोध्याप्रसाद खत्री जैसा अद्वितीय युगांतरकारी व्यक्तित्व था। इसी क्रम में खत्री जी ने 'खड़ी-बोली का पद्य` दो खंडों में छपवाया। इस किताब के जरिए एक साहित्यिक आंदोलन की शुरूआत हुई। हिन्दी कविता की भाषा क्या हो, ब्रजभाषा अथवा खड़ीबोली हिन्दी? जिसका ग्रियर्सन के साथ भारतेंदु मंडल के अनेक लेखकों ने प्रतिवाद किया तो फ्रेडरिक पिन्काट ने समर्थन। इस दृष्टि से यह भाषा, धर्म, जाति, राज्य आदि क्षेत्रीयताओं के सामूहिक उद्घोष का नवजागरण था। जुलाई २००७ में बिहार के शहर मुजफ्फरपुर में उनकी समृति में 'अयोध्या प्रसाद खत्री जयंती समारोह समिति' की स्थापना की गई। इसके द्वारा प्रति वर्ष हिंदी साहित्य में विशेष योगदन करने वाले किसी विशिष्ट व्यक्ति को अयोध्या प्रसाद खत्री स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाता है। पुरस्कार में अयोध्या प्रसाद खत्री की डेढ़ फुट ऊँची प्रतिमा, शाल और नकद राशि प्रदान की जाती है। ५-६ जुलाई २००७ को पटना में खड़ी बोली के प्रथम आंदोलनकर्ता अयोध्या प्रसाद खत्री की १५०वीं जयंती आयोजित की गई। संस्था के अध्यक्ष श्री वीरेन नंदा द्वारा श्री अयोध्या प्रसाद खत्री के जीवन तथा कार्यों पर केन्द्रित 'खड़ी बोली का चाणक्य' शीर्षक फिल्म का निर्माण किया गया है। .

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अरंडा लोग

अरंडा (Aranda), जिन्हें विकृत रूप से अंग्रेज़ी में अरेंटे (Arrernte) कहते थे, ऑस्ट्रेलिया के नॉर्थर्न टेरिटरी क्षेत्र में ऐलिस स्प्रिंग्स इलाक़े पर केन्द्रित एक ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी समुदाय है। इनकी मूल भाषा भी अरंडा कहलाती है। .

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अर्थविज्ञान

भाषाविज्ञान के अन्तर्गत अर्थविज्ञान या 'शब्दार्थविज्ञान' (Semantics) शब्दों के अर्थ से सम्बन्धित विधा है। .

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अर्बुद

अर्बुद, रसौली, गुल्म या ट्यूमर, कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि द्वारा हुई, सूजन या फोड़ा है जिसे चिकित्सीय भाषा में नियोप्लास्टिक कहा जाता है। ट्यूमर कैंसर का पर्याय नहीं है। एक ट्यूमर बैनाइन (मृदु), प्री-मैलिग्नैंट (पूर्व दुर्दम) या मैलिग्नैंट (दुर्दम या घातक) हो सकता है, जबकि कैंसर हमेशा मैलिग्नैंट होता है। .

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अर्जीरिया

चांदी का वरक़ जिसे आम बोलचाल की भाषा में बरक के नाम से जाना जाता हे। भारतीय समाज में ख़ासकर राजस्थानी समाज में काफ़ी लोकप्रिय है। श्रेणी:घरेलु सामग्री श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अलबर्टा हिंदी परिषद

कोई विवरण नहीं।

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अशाब्दिक संप्रेषण

अशाब्दिक संप्रेषण (non-verbal communication /NVC) से तात्पर्य सामान्यतः शब्द रहित संदेशों को भेजने एवं प्राप्त करने की संप्रेषण प्रक्रिया से है। अर्थात् भाषा ही संप्रेषण का एकमात्र माध्यम नहीं है, कुछ अन्य माध्यम भी हैं। इस प्रकार के संप्रेषण के लिए 'अवाचिक संप्रेषण', 'वाचेतर संपेष्रण'; 'अशाब्दिक संचार' आदि शब्दों का भी प्रयोग होता है। अशाब्दिक संप्रेषण को शारीरिक हाव-भाव एवं स्पर्श (हैपटिक संप्रेषण), शारीरिक भाषा एवं भावभंगिमा, चेहरे की अभिव्यक्ति या आँखों के संपर्क से भी संप्रेषित किया जा सकता है। एन वी सी (NVC) को वस्तु सामग्री संप्रेषण यथा - वस्त्र, बालों की स्टाइल या स्थापत्य, प्रतीकों व चित्रों के माध्यम से भी संप्रेषित किया जा सकता है। आवाज या वाणी में पैरालैग्वेज नामक अशाब्दिक तत्व सम्मिलित होते हैं जिनमें आवाज की गुणवत्ता, भावना, बोलने के तरीके के साथ-साथ ताल, लय, आलाप एवं तनाव जैसे छन्द शास्त्र संबंधी लक्षण भी सम्मिलित हैं। नृत्य को भी अशाब्दिक संप्रेषण माना जाता है। इसी तरह, लिखित पाठ में भी अशाब्दिक तत्व होते हैं जैसे - हस्तलेखन तरीका, शब्दों की स्थान संबंधी व्यवस्था या इमोटिकॉन (emoticons) का प्रयोग.

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असम विश्वविद्यालय

असम विश्वविद्यालय (আসাম বিশ্ববিদ্যালয়) भारत का एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय दक्षिण असम में स्थित है, जिसकी सीमाएँ बांग्लादेश, मिजोरम, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड से मिलती हैं। विश्वविद्यालय का परिसर सिलचर से लगभग 20 किमी दूर, दुर्गाकोणा में के क्षेत्र में स्थित है। विश्वविद्यालय के अंतर्गत नौ संकाय (संस्थान) हैं, जो कि सामाजिक विज्ञान, मानविकी, भाषा, जीवन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, सूचना विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन अध्ययन संबंधी शैक्षणिक पाठ्यक्रम का प्रस्ताव करते है। इन नौ संकायों के अंतर्गत 29 विभाग हैं। असम विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत पांच जिलों के 51 स्नातक महाविद्यालय आते हैं। देश के कोने कोने से विविध अनुशासनों के शिक्षकों को आकर्षित कर असम विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के प्रति अंतरानुशासनात्मक दृष्टिकोण का उदाहरण प्रस्तुत करता है। .

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असमिया भाषा

आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर अवस्थित असम की भाषा को असमी, असमिया अथवा आसामी कहा जाता है। असमिया भारत के असम प्रांत की आधिकारिक भाषा तथा असम में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसको बोलने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है। भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है। गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर सुनीतिकुमार चटर्जी के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है। उड़िया तथा बंगला की भांति असमी की भी उत्पत्ति प्राकृत तथा अपभ्रंश से भी हुई है। यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। सीमा की दृष्टि से असमिया क्षेत्र के पश्चिम में बंगला है। अन्य दिशाओं में कई विभिन्न परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से तिब्बती, बर्मी तथा खासी प्रमुख हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा जा सकता है। अपने प्रदेश में भी असमिया एकमात्र बोली नहीं हैं। यह प्रमुखतः मैदानों की भाषा है। .

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असुर (आदिवासी)

असुर भारत में रहने वाली एक प्राचीन आदिवासी समुदाय है। असुर जनसंख्या का घनत्व मुख्यतः झारखण्ड और आंशिक रूप से पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में है। झारखंड में असुर मुख्य रूप से गुमला, लोहरदगा, पलामू और लातेहार जिलों में निवास करते हैं। समाजविज्ञानी के.

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असीमित

असीमित एक विशेषण है जो किसी चीज के अत्यधिक और सीमारहित होने की ओर इंगित करता है। .

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अहमदनगर

अहमदनगर महाराष्ट्र का एक शहर है। अहमदनगर महाराष्ट्र का सबसे बडा जिला है। .

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अहीरवाल

अहीरवाल एक ऐसा क्षेत्र है जो दक्षिणी हरियाणा और उत्तर-पूर्वी राजस्थान के हिस्सों में फैला हुआ है, जो भारत के वर्तमान राज्य हैं। यह क्षेत्र एक बार रेवाडी के शहर से नियंत्रित रियासत थी और मुगल साम्राज्य के पतन के समय से अहीर समुदाय के सदस्यों द्वारा नियंत्रित था। नाम "अहीर की भूमि" के रूप में अनुवादित है। जेई श्वार्ट्ज़बर्ग ने इसे "लोक क्षेत्र" और लुसिया माइकलुट्टी को "सांस्कृतिक-भौगोलिक क्षेत्र" के रूप में वर्णित किया है।..

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अवध

अवध अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी अयोध्या थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रांरभ में फैजाबाद थी किंतु बाद को लखनऊ उठ आई थी। अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्राय: स्वतंत्र थे, क्योंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अत: अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। लखनऊ उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ है। भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा - लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, खलीलाबाद, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है। .

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अवधी दिवस

अवधी भाषा दिवस प्रत्येक वर्ष को रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर मनाई जाती हैं। अवध की संस्कृति, भाषा, साहित्य, लोककला, नृत्य-संगीत व परम्पराओं को फिर से प्रतिष्ठड्ढा दिलाने के उद्ड्ढदेश्य से श्रीरामचरित मानस के रचयिता महाकवि तुलसीदास की जयंती को हर वर्ष ‘अवधी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। भक्तिकाव्य में तुलसीदास का रामचरितमानस (संवत 1631) अवधी साहित्य की प्रमुख कृति है। By Baburam Saksena .

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अंतरभाषा

अंतरभाषा का लोगो अंतरभाषा (इंटरलिंगुआ / Interlingua) का अर्थ है - 'अनेक भाषाओं के मध्य एक सर्वनिष्ठ भाषा'। यह एक अंतर-राष्ट्रीय मददगार भाषा है। चूँकि एक भाषा दूसरी से सर्वथा पृथक् होती है अत: ऐसी भाषा स्वाभाविक न होकर कृत्रिम ही हो सकती है। आधुनिक युग में (२०वीं शताब्दी में) विश्व अंतरभाषा बनाने के दो प्रयास किए गए। प्रथम प्रयास १९०८ ई. में गिउसेपो पेआनो नामक भाषाविद् द्वारा किया गया ("लातीनो सीने फ़्लेक्शॉने" या "पेआनो की अंतरभाषा") और दूसरा प्रयास अंतरराष्ट्रीय सहकारी भाषा संस्था (इंटरनैशनल आक्जीलरी लैंग्वेज एसोसियेशन) द्वारा किया गया, किंतु भाषा की लोकप्रियता की दृष्टि से सफलता नहीं मिली। इसी प्रकार की एक अन्य विश्वभाषा एस्पेरान्तो की रचना डॉ॰ एल.

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अंतरभाषिक अनुवाद

अंतरभाषिक अनुवाद माध्यम आधारित अनुवाद का एक प्रकार है जिसमें एक भाषा की प्रतीक व्यवस्था का रूपांतरण किसी दूसरी भाषा की प्रतीक व्यवस्था में किया जाता है। उदाहरण के लिए प्रेमचंद के हिंदी उपन्यास गोदान का अंग्रेज़ी में गिफ्ट ऑफ काउ नाम से हुआ अनुवाद। .

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अंतःभाषिक अनुवाद

अंतःभाषिक अनुवाद एक ही भाषा की किसी एक प्रतीक व्यवस्था से उसी भाषा की किसी अन्य प्रतीक व्यवस्था के बीच किया गया अनुवाद है। जैसे अवधी में लिखे गए रामचरितमानस का खड़ीबोली या ब्रज में अनुवाद। .

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अंगिका भाषा

अंगिका लगभग तीन करोड़लोगों की भाषा है जो बिहार के पूर्वी, उत्तरी व दक्षिणी भागों,झारखण्ड के उत्तर पूर्वी भागों और पं.

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अक्षरम

अक्षरम्‌ भाषा, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है। यह लगभग 6 वर्ष से देश-विदेश में हिंदी के प्रवर्धन और साहित्य के प्रकाशन का कार्य कर रही है। यू॰के॰ हिंदी समिति, यू॰के॰, के सहयोग से अक्षरम्‌ गत 4 वर्षों से 'हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता' का आयोजन कर रही है, जिसके अंतर्गत हर वर्ष प्रतियोगिता के विजयी हिंदी के 10 विद्यार्थियों को पुरस्कार स्वरूप दो सप्ताह की भारत यात्रा का पैकेज दिया जाता है। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (विदेश मंत्रालय, भारत सरकार), साहित्य अकादमी आदि संस्थाओं के सहयोग से अक्षरम्‌ गत 4 वर्षों से प्रवासी कवि सम्मेलन, प्रवासी उत्सव आदि का आयोजन कर रही है, जिसमें हिंदी के ज्वलंत विषयों पर विचार विमर्श किया जाता है, महत्त्वपूर्ण सिफ़ारिशें की जाती हैं और नाटक, रचना पाठ, कवि-सम्मेलन, आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और हिंदी सेवी सम्मान दिया जाता है। .

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अक्षरम्

अक्षरम् अक्षरम्‌, भाषा, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है। यह लगभग 6 वर्ष से देश-विदेश में हिंदी के प्रवर्धन और साहित्य के प्रकाशन का कार्य कर रही है। .

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उपभाषा

उपभाषा (अंग्रेज़ी: dialect, डायालॅक्ट​) किसी भाषा के ऐसे विशेष रूप को बोलते हैं जिसे उस भाषा के बोलने वाले लोगों में एक भिन्न समुदाय प्रयोग करता हो। अक्सर 'उपभाषा' किसी भाषा के क्षेत्रीय प्रकारों को कहा जाता है, उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ी, हरयाणवी, मारवाड़ी, ब्रजभाषा और खड़ीबोली हिन्दी की कुछ क्षेत्रीय उपभाषाएँ हैं।, Manisha Kulshreshtha, Ramkumar Mathur, pp.

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उराँव

ओराँव या 'कुड़ुख' भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। ये भारत के केन्द्रीय एवं पूर्वी राज्यों में तथा बंगलादेश के निवासी हैं। इनकी भाषा का नाम भी 'उराँव' या 'कुड़ुख' है। .

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ऋणशब्द

ऋणशब्द (loanword) ऐसे शब्द होते हैं जो एक भाषा में उत्पन्न हुए हों लेकिन किसी अन्य भाषा में, बिना अनुवाद के, प्रयोग होते हों। उदाहरण के लिये, अंग्रेज़ी में एक पंच (punch) नामक पेय है, जो ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में पिया जाता है। इसका नाम हिन्दी के "पाँच" शब्द से उत्पन्न हुआ और अंग्रेज़ी में ऋणशब्द है क्योंकि इसमें पारम्परिक रूप से पाँच चीज़े डाली जाती थी (शराब, चीनी, नींबू, पानी और चाय या अन्य मसाला)।The Language of Drink Graham and Sue Edwards 1988, Alan Sutton Publishing .

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१८ सितम्बर

18 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 261वॉ (लीप वर्ष मे 262 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 104 दिन बाकी है। .

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१९६७

1967 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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