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भारतीय विज्ञान संस्थान

सूची भारतीय विज्ञान संस्थान

भारतीय विज्ञान संस्थान का प्रशासकीय भवन भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) भारत का वैज्ञानिक अनुसंधान और उच्च शिक्षा के लिये अग्रगण्य शिक्षा संस्थान है। यह बंगलुरु में स्थित है। इस संस्थान की गणना भारत के इस तरह के उष्कृष्टतम संस्थानों में होती है। संस्थान ने प्रगत संगणन, अंतरिक्ष, तथा नाभिकीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है।  2016 तक यह संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 250 संस्थानों में से एक था .

48 संबंधों: चन्द्रशेखर वेंकटरमन, चित्रा मंडल, ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम, नौतम भट्ट, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, प्रभु लाल भटनागर, पूर्णिमा सिन्हा, बंगलौर विश्वविद्यालय, भारत में विश्वविद्यालयों की सूची, भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत, भारत सारावली, भारत का आंकिक पुस्तकालय, भारत के श्रेष्ठ शिक्षा संस्थान, भारत की शिक्षा प्रणाली, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, महाविद्यालय (कॉलेज), मंजू बंसल, रशना भंडारी, राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क, राघवेंद्र गडगकर, रघु दीक्षित, रेने एम. बोर्जेस, रोहिणी बालाकृष्णन, रोहिणी गोडबोले, सतीश धवन, सरस्वती विश्वेश्वरैया, सिंप्यूटर, संध्या श्रीकांत विश्वेश्वरीया, स्नातक अभियांत्रिकी अभिरुचि परीक्षा, सी॰ एन॰ आर॰ राव, होमी जहांगीर भाभा, ज्ञानचन्द्र घोष, जॉर्ज सुदर्शन, विश्वविद्यालय, वंदना शिवा, गैसीकरण, गोपाल बालकृष्ण कोल्हटकर, आकाश (कम्प्यूटिंग डिवाइस), इंजीनियरी में स्नातक अभिरुचि परीक्षा, कर्नाटक, कर्नाटक में शिक्षा, कर्नाटक/आलेख, किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना, कुसल राजेंद्रन, कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ, अन्नापुर्नी सुब्रमण्यम, अंजू चड्ढा, उषा विजयाराघवन

चन्द्रशेखर वेंकटरमन

सीवी रमन (तमिल: சந்திரசேகர வெங்கடராமன்) (७ नवंबर, १८८८ - २१ नवंबर, १९७०) भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष १९३० में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। १९५४ ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा १९५७ में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया था। .

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चित्रा मंडल

चित्रा मंडल जैव-आणविक के क्षेत्र में एक रासायनिक जीवविज्ञानी है और स्वास्थ्य और रोगों में उनका आवेदन है। वह वर्तमान में सीएसआईआर के निदेशक हैं - भारतीय कोलकाता में रसायन जीव विज्ञान संस्थान, भारत। .

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ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम

अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam), (15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा। इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई। कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये। .

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नौतम भट्ट

भारतीय विज्ञान डॉ नौतम भट्ट (१९०९ - २००५) भारत के एक रक्षा वैज्ञानिक थे। उन्होने भारत को रक्षा-सामग्री के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अग्‍नि, पृथ्वी, त्रिशूल, नाग, ब्रह्मोस, धनुष, तेजस, ध्रुव, पिनाका, अर्जुन, लक्ष्य, निशान्त, इन्द्र, अभय, राजेन्द्र, भीम, मैसूर, विभुति, कोरा, सूर्य आदि भारतीय शस्त्रों के विकास में उनका अद्वितीय योगदान रहा। उन्हें भारत के रक्षा अनुसंधान की नीव रखने वाला वैज्ञानिक माना जाता है। .

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नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, भारत की स्थापना भारत सरकार द्वारा फार्मास्यूटिकल साइंस में उन्नत उच्च शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता के लिए एक समर्पित नोडल की स्थापना की वर्षों से चली आ रही मांग को पूरा करने के लिए की गई। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के तीव्र विकास के युग में औपनिवेशिक शासन ने विज्ञान में कभी अग्रदूतों की रही इस भूमि को अग्रणी शोधकर्ताओं से कुछ दशक पीछे धकेल दिया। प्रौद्योगिकी/अभियांत्रिकी में इसी तरह की पहल (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी), मेडिसीन (एआईआईएमएस) और मैनेजमेंट (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेनेजमेंट), की तर्ज पर नीति निर्माताओं ने फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में एक धीमी शुरूआत की। .

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प्रभु लाल भटनागर

प्रभुलाल भटनागर, (8 अगस्त, 1912 - 5 अक्टूबर, 1976) विश्वप्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। इन्हें गणित के लैटिस-बोल्ट्ज़मैन मैथड में प्रयोग किये गए भटनागर-ग्रॉस-क्रूक (बी.जी.के) कोलीज़न मॉडल के लिये जाना जाता है।। इंडियन मैथ सोसायटी। ऑब्सोल्यूट एस्ट्रॉनोमी .

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पूर्णिमा सिन्हा

पूर्णिमा सिन्हा एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थी। वह भौतिक विज्ञान में डॉक्टरेट प्राप्त करने वाली पहली बंगाली महिला थी। उनका जन्म १२ अक्टूबर १९२७ को हुआ था। वह डॉ. नरेश चंद्रा सेन-गुप्ता की सबसे छोटी बेटी, जो एक संवैधानिक वकील और एक प्रगतिशील लेखक थे, जिन्होंने बंगाली और अंग्रेजी में ६५ पुस्तकों और कई निबंधों पर लिखे है। .

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बंगलौर विश्वविद्यालय

बैंगलोर विश्वविद्यालय (BU) एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है, जो कर्नाटक राज्य, भारत के बैंगलोर शहर में स्थित है। यह विश्वविद्यालय भारत के पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है जिसकी स्थापना सन 1886 में हुई थी तथा यह भारत के अग्रणी बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है। विश्वविद्यालय, भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ (AIU) का एक भाग है तथा 'उत्कृष्टता के लिये संभावित' (Potential for Excellence) की प्रतिष्ठा के नजदीक है जो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के दिशा निर्देशों के अनुसार भारत के 10 शीर्ष विश्वविद्यालयों के लिये आरक्षित है। विश्वविद्यालय, प्रतिष्ठित विदेशी तथा स्थानीय विश्वविद्यालयों, संगठनों तथा संस्थाओं के साथ एमओयू के द्वारा शोध कार्य में संलग्न है। इसके कई विभाग उत्कृष्टता के केन्द्र के रूप में UGC द्वारा चिन्हित किये गये हैं। .

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भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

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भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत

भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत सन १९५२ में भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता से हुई थी। सन १९५२ में आई एस आई में एक एनालोंग कंप्यूटर की स्थापना की गई थी जो भारत का प्रथम कंप्यूटर था। यह कंप्यूटर १० X १० की मैट्रिक्स को हल कर सकता था। इसी समय भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूर में भी एक एनालोग कंप्यूटर स्थापित किया गया था जिसका प्रयोग अवकलन विश्लेषक के रूप में किया जाता था। लेकिन इन सब के बाद भी भारत में कंप्यूटर युग की वास्तविक रूप से शुरुआत हुई सन १९५६ में, जब आई एस आई कोलकाता में भारत का प्रथम इलेक्ट्रोनिक डिजिटल कंप्यूटर HEC - 2M स्थापित किया गया। यह कंप्यूटर केवल भारत का प्रथम इलेक्ट्रोनिक कंप्यूटर होने के कारण ख़ास नहीं था बल्कि इसलिए भी ख़ास था क्योंकि इसकी स्थापना के साथ ही भारत जापान के बाद एशिया का दूसरा ऐसा देश बन गया था जिसने कंप्यूटर तकनीक को अपनाया था। वास्तव में HEC - 2M का निर्माण भारत में न होकर इंग्लेंड में हुआ था। जहां से इसे आयात करके आई एस आई में स्थापित किया गया था। इसका विकास एंड्रयू डोनाल्ड बूथ द्वारा किया गया था जो उस समय लंदन के बर्कबैक कोलेज में कार्यरत प्रोफ़ेसर थे | यह कंप्यूटर १०२४ शब्द की ड्रम मेमोरी युक्त एक १६ बिट का कंप्यूटर था जिसका संचालन करने के लिए मशीन भाषा का प्रयोग किया जाता था तथा इनपुट और आउटपुट के लिए पंच कार्ड्स का प्रयोग किया जाता था लेकिन बाद में इसमे प्रिंटर भी जोड़ दिया गया | चूँकि यह देश का प्रथम डिजिटल कंप्यूटर था इसलिए सम्पूर्ण देश से विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक समस्याओं का समाधान इस कंप्यूटर से किया जाता था जैसे सुरक्षा विभाग तथा प्रयोगशालाओं से सम्बंधित समस्याएँ विभिन्न प्रकार के विश्लेषक आदि | लेकिन यह विकास गाथा यही समाप्त नहीं होती है | सन १९५८ में आई एस आई में युआरएएल नामक एक अन्य कंप्यूटर स्थापित किया गया जो आकार में HEC - 2 M से भी बड़ा था। इस कंप्यूटर को रूस से खरीदा गया था। यह नाम वास्तव में रूस की एक पर्वत श्रृंखला का नाम है और चूँकि यह कंप्यूटर भी रूस से खरीदा गया था, इस कारण से इस कंप्यूटर को यह नाम दिया गया | यह कंप्यूटर क्षेतिक मैग्नेटिक टेप युक्त एक ३२ बिट कंप्यूटर था, जिसमे इनपुट के रूप में पंच कार्ड्स तथा आउटपुट के रूप में प्रिंटर का प्रयोग किया जाता था। सन १९६४ में इन दोनों कंप्यूटर को तब विराम दे दिया गया जब आईबीएम ने आई एस आई में अपना कंप्यूटर १४०१ स्थापित किया | आईबीएम १४०१, १४०० श्रृंखला का पहला कंप्यूटर था जिसे आईबीएम द्वारा सन १९५९ में विकसित किया गया था जो की एक डाटा प्रोसेसिंग सिस्टम कंप्यूटर था। इस कंप्यूटर में मुख्य रूप से १४०१ प्रोसेसिंग यूनिट थी जो एक मिनट में १,९३,३०० योग की गणनाएं कर सकती थी | साथ ही साथ इस कंप्यूटर में इनपुट के लिए पंच कार्ड्स के साथ साथ मैग्नेटिक टेप तथा आउटपुट के लिए आईबीएम १४०३ प्रिंटर का प्रयोग किया जाता था। इन सभी कंप्यूटर में जो एक समानता थी वह यह थी कि ये सभी कंप्यूटर भारत में विकसित नहीं हुए थे बल्कि इन्हें दूसरे देशों से खरीदा गया था। भारत में विकसित किया गया पहला कंप्यूटर था ISIJU, इस कंप्यूटर का विकास सन १९६६ में दो संस्थाओं भारतीय सांख्यिकी संस्थान तथा जादवपुर यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया था। जिस कारण इसे ISIJU नाम दिया गया | HEC - 2M तथा URAL दोनों ही वैक्यूम ट्यूब युक्त कंप्यूटर थे जबकि ISIJU एक ट्रांजिस्टर युक्त कंप्यूटर था। इस कंप्यूटर का विकास भारतीय कंप्यूटर तकनीक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था, यद्यपि यह कंप्यूटर व्यवसायिक कम्प्यूटिंग आवश्यकताओं को पूर्ण नहीं करता था जिस कारण से इसके द्वारा कोई विशिष्ट कार्य नहीं किया गया | भारत में कम्प्यूटिंग विकास में सबसे महत्वपूर्ण चरण आया ९० के दशक में जब पुणे में स्थित प्रगत संगणन विकास केंद्र में भारत का प्रथम सुपर कंप्यूटर ' परम ८००० ' का विकास किया गया | परम का अर्थ है parallel machine जो कि आज सुपर कंप्यूटर की एक श्रृंखला है | परम का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रो में किया जाता है जैसे बायोइन्फ़ोर्मेटिक्स के क्षेत्र में, मौसम विज्ञान के क्षेत्र में, रसायन शास्त्र के क्षेत्र में आदि | यद्यपि पर्सनल कंप्यूटर के आ जाने के कारण आज भारत के कई हजारों घरों में, कार्यालयों में कंप्यूटर तकनीक पैर पसार रही है लेकिन इन सभी एनालोग, मेनफ्रेम तथा सुपरकंप्यूटर ने भारत को एक विकासशील देश बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया है | .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत का आंकिक पुस्तकालय

भारत का आंकिक पुस्तकालय (Digital Library of India) भारतीय भाषाओं एवं अंग्रेजी की पुस्तकों को आनलाइन उपलब्ध कराने का एक प्रकल्प है। यह भारतीय विज्ञान संस्थान द्वारा क्रियान्वित है तथा इसमें 'मिलियन बुक प्रोजेक्ट' भी सहभागी है। .

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भारत के श्रेष्ठ शिक्षा संस्थान

किसी भी देश का विकास का उस देश में संस्थाओं के विकास और उनकी स्थिति से सीधा सम्बन्ध है। इन संस्थाओं में भी शिक्षा-संस्थाओं का महत्व सबसे अधिक है। भारत ने प्राचीन काल से ही शिक्षा का महत्व समझ लिया था। हमारी मान्यता रही है कि विद्या रूपी धन सभी धनों में प्रधान है। प्राचीन काल में प्रचलित गुरुकुल पद्धति और तक्षशिला और नालन्दा आदि विश्वविद्यालय इसके साक्षात् प्रमाण हैं। शिक्षा को मिले महत्व के कारण ही भारत विश्व गुरू कहलाता था। वैसे तो भारत में लखों की संख्या में शैक्षणिक संस्थायें हैं, किन्तु उनमें से कुछ को बहुत ही सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त हैं। इन संस्थानों में प्रवेश पा लेना बहुत सम्मान की बात मानी जाती है। इन संस्थानों में प्रवेश आजकल कठिन प्रतियोगी परिक्षाओं के आधार पर दिया जाता है। प्रायः निम्नलिखित शिक्षा-संस्थानों को भारत में आजकल सर्वश्रेष्ठ और प्रतिष्ठित माना जाता है.

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भारत की शिक्षा प्रणाली

भारत के स्कूली बच्चे .

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भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (यानी, आई. आई. एस. ई. आर.) भारत के प्रमुख विज्ञान संस्थान हैं। यह संस्थान कोलकाता, पुणे, मोहाली, भोपाल एवं तिरुवनंतपुरम में स्थित हैं। इन संस्थानों की स्थापना भारत में विज्ञान अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए की गई है। यह संस्थान भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा प्रायोजित हैं। प्रत्येक आई.

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महाविद्यालय (कॉलेज)

सेंट एन्सेल्म कॉलेज, एक अमेरिकी कॉलेज. वर्तमान में कॉलेज (लैटिन: कॉलीजियम (collegium)) शब्द का संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रयोग डिग्री प्रदान करने वाले तृतीयक शैक्षणिक संस्थान के लिये किया जाता है एवं अन्य अंग्रेजी भाषी देशों में निजी शैक्षणिक प्रणाली में द्वितीयक या माध्यमिक स्कूल के लिये किया जाता है। अधिक विस्तृत रूप में, यह किसी भी कॉलेज समूह का नाम हो सकता है, उदाहरण के लिए एक निर्वाचन कॉलेज, हथियारों का कॉलेज, कार्डिनलों का कॉलेज.

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मंजू बंसल

मंजू बंसल (जन्म. 1 दिसंबर, 1950) आण्विक बायोफिज़िक्स के क्षेत्र में माहिर हैं और वर्तमान में  वह भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर के आणविक बायोफिज़िक्स इकाई में सैद्धांतिक बायोफिज़िक्स समूह  की प्रोफेसर हैं। वह जैविक सूचना विज्ञान और अनुप्रयुक्त जैव प्रौद्योगिकी, बैंगलोर संस्थान की संस्थापक निर्देशक हैं। .

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रशना भंडारी

रंजन भंडारी सेल सिग्नलिंग प्रयोगशाला जो डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एवं निदान केन्द्र, हैदराबाद में है, वहाँ की वह प्रमुख हैं। उन्होंनेने भारतीय विज्ञान संस्थान से जैव विज्ञान से स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। भंडारी एक कर्मचारी वैज्ञानिक के रूप में २००८ में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग और डायग्नॉस्टिक्स के लिए केंद्र में शामिल हुईं। २००१ में, वह यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले में डॉक्टरेट फेलो के रूप में जॉन कुरियन प्रयोगशाला में शामिल हुई थी। .

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राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क

राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) भारत में उच्च शिक्षा के सभी संस्थानों को रैंक करने के लिए, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी), भारत सरकार द्वारा अपनाई गई एक पद्धति है। फ्रेमवर्क को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया और मानव संसाधन विकास मंत्री ने 2 9 सितंबर, 2015 को लॉन्च किया। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों, इंजीनियरिंग संस्थानों, प्रबंधन संस्थानों, फार्मेसी संस्थानों और वास्तुकला संस्थानों जैसे ऑपरेशन के अपने क्षेत्रों के आधार पर विभिन्न प्रकार के संस्थानों के लिए अलग रैंकिंग है। फ्रेमवर्क संसाधनों, अनुसंधान और हितधारक की धारणा जैसे रैंकिंग उद्देश्यों के लिए कई मापदंडों का उपयोग करता है। इन मापदंडों को पांच समूहों में समूहीकृत किया गया है और इन समूहों को विशिष्ट भार निर्दिष्ट किया गया है। भार संस्था के प्रकार पर निर्भर करता है। लगभग 3500 संस्थानों ने रैंकिंग के पहले दौर में स्वेच्छा से भाग लिया। 4 अप्रैल 2016 को एमएचआरडी द्वारा रैंक वाली सूची जारी की गई। .

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राघवेंद्र गडगकर

प्रो॰ राघवेंद्र गडगकर (अँग्रेजी:Raghavendra Gadagkar, जन्म: 28 जून 1953), एक भारतीय जैवविज्ञानी हैं और बंगलुरू स्थित भारतीय विज्ञान अकादमी के सेंटर फॉर इकोलॉजिकल ऑफ सांइस में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। वे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने भारत और जर्मनी के बीच अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्हें विगत 7 अगस्त, 2015 को जर्मनी के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द क्रास ऑफ द ऑर्डर ऑफ मेरिट’ से बंगलुरू स्थित जर्मनी वाणिज्य दूतावास में सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान व्यवहार पारिस्थितिकी और समाज जीव-विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया है। .

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रघु दीक्षित

रघु दीक्षित (कन्नड़: ರಘು ದೀಕ್ಷಿತ್; जन्म ११ नवम्बर १९७४) एक भारत के रॉक संगीत गायक हैं। रघु का गाना "नो मैन विल एवर लव यू" आई टूयन पर बहुत डाउनलोड होने वाला गानों की सूची में शामिल हो गया है। वह मानते हैं कि संगीत में पारंगत होने की हर किसी की इच्छा होती है चाहे उसके लिये तालीम ली हो या नहीं। उन्होंने हाल ही में यशराज फिल्म की मुक्षसे फ्रैंडशिप करोगे के लिये संगीत निर्देशन किया है। इससे पहले भी वह कन्नड फिल्म जगत में अपना नाम बना चुके हैं। .

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रेने एम. बोर्जेस

रेने मारिया बोर्जेस (जन्म 25 फरवरी, 1959) एक भारतीय वैज्ञानिक है। वह वर्तमान में एक प्रोफेसर और भारतीय विज्ञान संस्थान के पारिस्थितिकी विज्ञान केन्द्र की अध्यक्षा है। उनके कार्यों पर इण्डिया टुडे में रपट प्रकाशित हुई है। .

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रोहिणी बालाकृष्णन

रोहिणी बालाकृष्णन भारतीय विज्ञान संस्थान में एक वरिष्ठ प्रोफेसर और पारिस्थिकी वैज्ञानिक हैं। वह पशु संचार और बायोएकॉस्टिक के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं। प्रसिद्ध शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके शोध को भारतीय समाचार पत्रों में भी सभी का ध्यान केन्द्रित किया गया। .

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रोहिणी गोडबोले

रोहिणी गोडबोले एक भारतीय भौतिक विज्ञानी और अकादमिक है। वह उच्च ऊर्जा भौतिकी, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के केंद्र में प्रोफेसर हैं। वह भारत के विज्ञान के तीनों अकादमियों और विकासशील विश्व के विज्ञान अकादमी (टीयूएएस) के निर्वाचित साथी हैं। रोहिणी गोडबोले ने अपनी बीएससी सर परशुरामभाऊ कॉलेज, पुणे विश्वविद्यालय से प्राप्त कि और एमएससी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई से की। स्टॉनी ब्रुक में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के सैद्धांतिक कण भौतिकी में पीएचडी की उन्होंने। .

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सतीश धवन

सतीश धवन (25 सितंबर 1920 – 3 जनवरी 2002) को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये कर्नाटक राज्य में कई वर्ष रहे थे। ३ जनवरी २००२ को उनका निधन हो गया। इनकी प्रमुख देनों में से एक थी टर्ब्युलेंस में भारतीय शोध का विकास। ध्वनि के तेज रफ़्तार (सुपरसोनिक) विंड टनेल के विकास में इनका प्रयास निर्देशक रहा है। वे बंगलौर के भारतीय विज्ञान संस्थान से कोई २० साल जुड़े रहे। .

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सरस्वती विश्वेश्वरैया

सरस्वती विश्वेश्वरैया एक जीवभौतिकीवेत्ता है। वह भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में आणविक बायोफिज़िक्स यूनिट में प्रोफेसर हैं। वह कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान पर काम करती है और उनका शोध मुख्य रूप से जैविक प्रणालियों में संरचना-समारोह संबंधों को स्पष्ट करने पर केंद्रित है। उन्होंने स्नातकोत्तर (एमएससी) शिक्षा बंगलौर विश्वविद्यालय से प्राप्त की और उन्होंने अपनी पीएचडी डेविड बेवरिज के मार्गदर्शन में सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क से पूरी की। उनकी डॉक्टरेट क्वांटम केमिस्ट्री में थी। उन्होंने डॉक्टर की उपाधि के बाद विश्वेश्वरा कार्नेगी मेलॉन विश्वविद्यालय, पिट्सबर्ग में एक पोस्ट-डॉक्टरेटी साथी के रूप मे शामिल हो गई। .

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सिंप्यूटर

हाथ में पकड़कर इस्तेमाल करने वाले कंप्यूटर को सिंप्यूटर कहते हैं। सिंप्यूटर को टाइम पत्रिका ने दस सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण तकनीकी खोजों में शामिल किया है। सिंप्यूटर बनाने के पीछे उद्देश्य यह है कि कंप्यूटर को आम आदमी तक सरल, सस्ते और कई भाषाओं में पहुँचाया जाए.

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संध्या श्रीकांत विश्वेश्वरीया

संध्या श्रीकांत विश्वेश्वरिया भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में एक वैज्ञानिक और शिक्षक हैं। वह वर्तमान में आणविक प्रजनन विभाग, विकास और आनुवंशिकी विभाग के अध्यक्ष हैं और बायोसिस्टम्स साइंस एंड इंजीनियरिंगआणविक की सह-अध्यक्ष है। .

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स्नातक अभियांत्रिकी अभिरुचि परीक्षा

स्नातक अभियांत्रिकी अभिरुचि परीक्षा (ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग / गेट) एक अखिल भारतीय परीक्षा है जो मास्टर डिग्री की पढ़ाई के लिए इंजीनियरिंग के सभी विषयों की होती है। इसका आयोजन भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु, भारत की आईआईटी (IIT), नेशनल कोर्डिनेसन बोर्ड, गेट डिपार्टमेंट ऑफ़ हायर एजुकेशन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारत सरकार मिलकर करती है। यह परीक्षा सभी चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। .

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सी॰ एन॰ आर॰ राव

चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव (कन्नड़: ಚಿಂತಾಮಣಿ ನಾಗೇಶ ರಾಮಚಂದ್ರ ರಾವ್) जिन्हें सी॰ एन॰ आर॰ राव के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय रसायनज्ञ हैं जिन्होंने घन-अवस्था और संरचनात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम किया है। वर्तमान में वह भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। डॉ॰ राव को दुनिया भर के 60 विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त है। उन्होंने लगभग 1500 शोध पत्र और 45 वैज्ञानिक पुस्तकें लिखी हैं। वर्ष 2013 में भारत सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया। सी वी रमण और ए पी जे अब्दुल कलाम के बाद इस पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले वे तीसरे ऐसे वैज्ञानिक हैं। .

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होमी जहांगीर भाभा

होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा.

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ज्ञानचन्द्र घोष

ज्ञानचंद्र घोष (1894 - 1959 ई) भारत के एक अग्रगण्य वैज्ञानिक थे। .

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जॉर्ज सुदर्शन

एन्नाक्कल चांडी जॉर्ज सुदर्शन (ഇ.സി.ജി.) (ई॰ सी॰ जी॰ सुदर्शन के नाम से भी जाने जाते थे; जन्म १६ सितम्बर १९३१ - १३ मई २०१८) टेक्सास विश्वविद्यालय, ऑस्टिन में प्रोफेसर, लेखक और भारतीय वैज्ञानिक थे। .

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विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान, भवन, प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं। .

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वंदना शिवा

वंदना शिवा (जन्म. 5 नवम्बर 1952, देहरादून, उत्तराखंड, भारत), एक दार्शनिक, पर्यावरण कार्यकर्ता, पर्यावरण संबंधी नारी अधिकारवादी एवं कई पुस्तकों की लेखिका हैं। वर्तमान में दिल्ली में स्थित, शिवा अग्रणी वैज्ञानिक और तकनीकी पत्रिकाओं में 300 से अधिक लेखों की रचनाकार हैं। उन्होंने 1978 में डॉक्टरी शोध निबंध: "" के साथ पश्चिमी ओंटेरियो विश्वविद्यालय, कनाडा से अपनी पीएच.डी.

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गैसीकरण

गैसीकरण (Gasification) वह प्रक्रिया है जिसमें जैविक पदार्थों या जीवाश्म आधारित कार्बनयुक्त पदार्थों को कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड और मिथेन में बदला जाता है। इस प्रक्रिया में पदार्थ को उच्च ताप (>700 °C) पर ले जाकर, बिना ज्वलन के, नियंत्रित मात्रा में ऑक्सीजन और/या जलवाष्प से क्रिया करायी जाती है। प्राप्त गैस का मिश्रण प्रोड्युसर गैस या 'सिंथेटिक गैस' कहलाती है जो स्वयं एक ईंधन है। इसका महत्व इस बात में है कि यह नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्ति का एक स्रोत है। गैसीकरण का लाभ यह है कि सिंथेटिक गैस को उपयोग में लाना मूल पदार्थ को उपयोग में लाने की अपेक्षा अधिक दक्ष (efficient) है क्योंकि इसे अधिक ताप पर भी जलाया जा सकता है या ईंधन सेल में भी जलाया जा सकता है। इस गैस को सीधे गैस इंजनों में भी जलाया जा सकता है। इस गैस को फिशर-ट्रॉप्स प्रक्रिया (Fischer-Tropsch process) द्वारा मेथेनॉल और हाइड्रोजन में बदला जा सकता है। गैसीकरण के लिये ऐसे पदार्थ का भी उपयोग किया जा सकता है जो अन्यथा कचड़ा समझकर फेंक दिया जाता है। इस समय जीवाश्म ईंधन का गैसीकरण औद्योगिक पैमाने बहुतायत में हो रहा है जिससे बिजली पैदा की जाती है। .

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गोपाल बालकृष्ण कोल्हटकर

गोपाल बालकृष्ण कोल्हटकर (1878-1955 ई.) भारत के रसायनशास्त्री थे। उनका जन्म सातारा जिले के एक छोटे से गाँव जाखण में हुआ था। गाँव की प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा पाकर मुंबई के मराठा हाई स्कूल में और बाद में सेंट जेवियर्स कालेज में भौतिकी और रसायन का अध्ययन किया। रसायन की एम.

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आकाश (कम्प्यूटिंग डिवाइस)

साक्षात भारत में डिजाइन किया गया एक ऍण्ड्रॉइड प्लेटफॉर्म आधारित टैबलेट संगणन यन्त्र है। यह तकनीकी विभाजन को पाटने हेतु एक सस्ते डिवाइस के तौर पर डिजाइन किया गया है। यह उपकरण सूचना तथा संचार तकनालॉजी के द्वारा शिक्षा के राष्ट्रीय मिशन के तहत विकसित किया गया है जिसका उद्देश्य उपमहाद्वीप के २५,००० कॉलेज तथा ४०० विश्वविद्यालयों को एक मौजूदा के द्वारा एक ई-लर्निंग प्रोग्राम से जोड़ना है। BBC World news-South Asia Retrieved 25 जुलाई 2010 यह १५०० रुपये ($३५ अमेरिकी) के मूल्य के लक्ष्य के साथ घोषित किया गया है। इससे पहले २००९ में भी $ १० के इस तरह का एक उपकरण बनाने की बात हुयी थी जो कि अन्ततः एक पैन ड्राइव जैसा स्टोरेज डिवाइस निकला। .

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इंजीनियरी में स्नातक अभिरुचि परीक्षा

इंजीनियरी में स्नातक अभिरुचि परीक्षा (गेट) एक अखिल भारतीय परीक्षा है जिसका आयोजन और संचालन गेट-समिति द्वारा भारत भर में स्थित आठ अंचलों में किया जाता है। समिति में भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर तथा सात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के संकाय सम्मिलित होते हैं और यह राष्ट्रीय समन्वयबोर्ड-गेट, शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से इस परीक्षा का आयोजन करती है। गेट परीक्षा में सफल होने वालों के लिए देश में विभिन्न इंजीनियरी कॉलेजों/संस्थानों में इंजीनियरी/प्रौद्योगिकी /वास्तुकला/फार्मेसी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए आकर्षक छात्रवृत्ति/सहायता-वृत्ति उपलब्ध होती है। कुछेक इंजीनियरी कॉलेज/संस्थानों में तो गेट को, यहां तक कि स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए भी एक अनिवार्य योग्यता के रूप में विनिर्दिष्ट किया जाता है। उम्मीदावर को उस संबंधित संस्थान से अंतिम चयन तथा छात्रवृत्ति/सहायतावृत्ति प्रदान किए जाने की प्रक्रिया का पता लगाना अपेक्षित होता है जिसमें वह प्रवेश चाह रहा है। इंजीनियरी विषयो में गेट क्वालीफाइड उम्मीदवार सीएसआईआर प्रयोगशलाओं में कनिष्ठ अनुसंधान अध्येतावृत्ति प्रदान किए जाने के लिए भी पात्र होंगे। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कर्नाटक में शिक्षा

भारतीय विज्ञान संस्थान, भारत का एक प्रतिष्ठित विज्ञान संस्थान, बंगलुरु में स्थित है २००१ की जनसंख्या अनुसार, कर्नाटक की साक्षरता दर ६७.०४% है, जिसमें ७६.२९% पुरुष तथा ५७.४५% स्त्रियाँ हैं। राज्य में भारत के कुछ प्रतिष्ठित शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान भी स्थित हैं, जैसे भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कर्नाटक और भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय। मार्च २००६ के अनुसार, कर्नाटक में ५४,५२९ प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें २,५२,८७५ शिक्षक तथा ८४.९५ लाख विद्यार्थी हैं। इसके अलावा ९४९८ माध्यमिक विद्यालय जिनमें ९२,२८७ शिक्षक तथा १३.८४ लाख विद्यार्थी हैं। राज्य में तीन प्रकार के विद्यालय हैं, सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त निजी (सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त) एवं पूर्णतया निजी (कोई सरकारी सहायता नहीं)। अधिकांश विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम कन्नड़ एवं अंग्रेज़ी है। विद्यालयों में पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम या तो सीबीएसई, आई.सी.एस.ई या कर्नाटक सरकार के शिक्षा विभाग के अधीनस्थ राज्य बोर्ड पाठ्यक्रम (एसएसएलसी) से निर्देशित होता है। कुछ विद्यालय ओपन स्कूल पाठ्यक्रम भी चलाते हैं। राज्य में बीजापुर में एक सैनिक स्कूल भि है। विद्यालयों में अधिकतम उपस्थिति को बढ़ावा देने हेतु, कर्नाटक सरकार ने सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में विद्यार्थियों हेतु निःशुल्क अपराह्न-भोजन योजना आरंभ की है। राज्य बोर्ड परीक्षाएं माध्यमिक शिक्षा अवधि के अंत में आयोजित की जाती हैं, जिसमें उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को द्विवर्षीय विश्वविद्यालय-पूर्व कोर्स में प्रवेश मिलता है। इसके बाद विद्यार्थी स्नातक पाठ्यक्रम के लिये अर्हक होते हैं। राज्य में यहां के विश्वविद्यालयों जैसे बंगलुरु विश्वविद्यालय,गुलबर्ग विश्वविद्यालय, कर्नाटक विश्वविद्यालय, कुवेंपु विश्वविद्यालय, मंगलौर विश्वविद्यालय तथा मैसूर विश्वविद्यालय, आदि से मान्यता प्राप्त ४८१ स्नातक महाविद्यालय हैं। १९९८ में राज्य भर के अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को नवगठित बेलगाम स्थित विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत्त लाया गया, जबकि चिकित्सा महाविद्यालयों को राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकारक्षेत्र में लाया गया था। इनमें से कुछ अच्छे महाविद्यालयों को मानित विश्वविद्यालय का दर्जा भि प्रदान किया गया था। राज्य में १२३ अभियांत्रिकी, ३५ चिकित्सा ४० दंतचिकित्सा महाविद्यालय हैं। राज्य में वैदिक एवं संस्कृत शिक्षा हेतु उडुपी, शृंगेरी, गोकर्ण तथा मेलकोट प्रसिदध स्थान हैं। केन्द्र सरकार की ११वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत्त मुदेनहल्ली में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की सथापना को स्वीकृति मिल चुकी है। ये राज्य का प्रथम आई.आई.टी संस्थान होगा। इसके अतिरिक्त मेदेनहल्ली-कानिवेनारायणपुरा में विश्वेश्वरैया उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान का ६०० करोड़ रुपये की लागत से निर्माण प्रगति पर है। .

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कर्नाटक/आलेख

कर्नाटक (उच्चारण), जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का सृजन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्संगठन अधिनियम के अधीन किया गया था। मूलतः यह मैसूर राज्य कहलाता था और १९७३ में इसे पुनर्नामकरण कर कर्नाटक नाम मिला था। कर्नाटक की सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। राज्य का कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है और इसमें २९ जिले हैं। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। हालांकि कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई सन्दर्भ हैं, फिर भी उनमें से सर्वाधिक स्वीकार्य तथ्य है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्खन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द प्रयोग किया गया है, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयोग किया गया है और कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन याज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना

किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना भारत सरकार द्वारा विद्यालयों तथा स्नातक छात्रों को दी जाने वाली एक छात्रवृत्ति है जिसका संयोजन भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलोर करती है। यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा औषधि क्षेत्र में प्रदान की जाती है। यह छात्रवृत्ति योजना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा 1999 में की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रतिभावान एवं अभिप्रेरित विद्यार्थियों की खोज कर उन्हें मूलभूत विज्ञान में अनुसंधान में करियर बनाने लिए प्रोत्साहित करना है। यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को अध्धयन में उनकी प्रतिभा को पहचानने में मदद करता है एवं देश की सर्वश्रेष्ठ योग्यता को शोध और विकास के लिए तैयार करता है। चयनित के.

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कुसल राजेंद्रन

कुसल राजेंद्रन एक भारतीय भूकंपविज्ञानी हैं और वर्तमान में पृथ्वी विज्ञान केंद्र, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु, भारत में प्रोफेसर हैं। वह खुद को पृथ्वी वैज्ञानिक कहती है। उन्होंने मुख्य रूप से पृथ्वी के भूकंपों और उनके स्रोत तंत्र पर काम किया है। उन्होंने भारत में पृथ्वी के भूकंप पैटर्न पर बड़े पैमाने पर काम किया है और इस क्षेत्र में अग्रणी लोगों में से एक माना जाता है। .

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कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ

कृष्ण राज वाडियार चतुर्थ (4 जून 1884 - 3 अगस्त 1940 ನಾಲ್ವಡಿ ಕೃಷ್ಣರಾಜ ಒಡೆಯರು बेंगलोर पैलेस), नलवडी कृष्ण राज वाडियार ನಾಲ್ವಡಿ ಕೃಷ್ಣರಾಜ ಒಡೆಯರು के नाम से भी लोकप्रिय थे, वे 1902 से लेकर 1940 में अपनी मृत्यु तक राजसी शहर मैसूर के सत्तारूढ़ महाराजा थे। जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था तब भी वे भारतीय राज्यों के यशस्वी शासकों में गिने जाते थे। अपनी मौत के समय, वे विश्व के सर्वाधिक धनी लोगों में गिने जाते थे, जिनके पास 1940 में $400 अरब डॉलर की व्यक्तिगत संपत्ति थी जो 2010 की कीमतों के अनुसार $56 बिलियन डॉलर के बराबर होगी.

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अन्नापुर्नी सुब्रमण्यम

अन्नापुर्नी सुब्रमण्यम भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में एक वैज्ञानिक है। तारों समूहों, तारकीय विकास और आकाशगंगाओं में जनसंख्या और मैगेलैनिक बादलों जैसे क्षेत्रों पर जुड़े हुए काम करती है। .

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अंजू चड्ढा

अंजू चड्डा एक भारतीय बायोकेमिस्ट हैं. वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास में प्रोफेसर हैं। वह बायोकैलेलिसीस और एंजाइम तंत्र, कार्बनिक संश्लेषण में एंजाइमों, एंजाइमों के उपयोग से aस्स्य्मेट्रिक सिंथेसिस, क्रोरोटेक्नोलॉजी, ग्रीन रसायन विज्ञान और बायोसेंसर के क्षेत्रों में काम करती है। .

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उषा विजयाराघवन

  उषा विजयराघवन (जन्म 1 9 61) माइक्रोबायोलॉजी और सेल बायोलॉजी, आईआईएससी, बैंगलोर विभाग के संकाय में है। उनका प्रमुख शोध हित आण्विक आनुवंशिकी, प्लांट डेवलपमेंट है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

भारतीय विज्ञान संसथान भौतिकी विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान (भौतिकी विभाग), भारतीय विज्ञान संस्थान स्नातक, इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ साइंसेज

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