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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड

सूची भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। इसकी स्थापना सेबी अधिनियम 1992 के तहत 12 अप्रैल 1992 में हुई सेबी का मुख्यालय मुंबई में बांद्रा कुर्ला परिसर के व्यावसायिक जिले में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं। .

15 संबंधों: निवेशक, बुक बिल्डिंग, बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, भारत में वस्तु व्यापार, भारत के नियामक अभिकरणों की सूची, भारतीय म्यूचुअल फंड, भारतीय अर्थव्यवस्था की समयरेखा, म्यूचुअल फंड, म्यूचुअल फंड्स सही है, शेयर बाजार की पारिभाषिक शब्दावली, सहभागी नोट, वित्तीय आसूचना एकक (भारत), कट ऑफ मूल्य, अशोक चावला, अंश (वित्त)

निवेशक

निवेशक उन व्यक्ति या संस्थाओं को कहा जाता है, जो किसी योजना में अपना धन निवेश करते हैं। निवेशक कई प्रकार के होते हैं, जैसे व्यक्तिगत निवेशक, सामाजिक संस्थाएं और विदेशी संस्थागत निवेशक।। हिन्दुस्तान लाइव। २० नवम्बर २००९। .

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बुक बिल्डिंग

200px बुक बिल्डिंग वह प्रक्रिया होती है जिसके माध्यम से कोई कंपनी अपनी प्रतिभूतियों का प्रस्ताव मूल्य तय करती है।। इकोनॉमिक टाइम्स। १३ अगस्त २००८ इस प्रक्रिया के तहत कोई कंपनी अपने शेयरों को खरीदने के लिए मांग पैदा करती है जिसके माध्यम से प्रतिभूतियों की अच्छी कीमत पाई जा सकती है।। बिज़नेस भास्कर। २ जुलाई २०१० इस प्रक्रिया में जब शेयर बेचे जाते हैं तो निवेशकों से अलग-अलग कीमतों पर बिड (बोली) मांगी जाती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ५ जुलाई २०१० यह तल मूल्य (फ्लोर प्राइस) से ज्यादा और कम भी हो सकता है। अंतिम तिथि के बाद ही ऑफर प्राइस सुनिश्चित होती है। इसमें इश्यू खुले रहने तक हर दिन मांग के बारे में जाना जा सकता है। उससे ही पता चलता है कि इश्यू की कीमत कितनी होनी चाहिए। जब कंपनी अपनी प्रतिभूतियों को खुले बाजार में लोगों के बीच ले जाती है तब बुक बिल्डिंग की आवश्यकता होती है। कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज में स्वयं को सूचिबद्ध कराने हेतु वह एक मूल्य पट्टी (प्राइज बैंड) निर्धारित करती है, जिसके लिए निवेशक शेयर की बोलियाँ लगाते हैं। निवेशक को यह स्पष्ट करना होता है कि वह कितने शेयर लेना चाहता है और प्रत्येक शेयर के लिए वह कितना मूल्य देना चाहेगा। इस प्रकार बुक बिल्डिंग की परिभाषा है कि एक आई.पी.ओ(या अन्य सिक्योरिटियों के जारी करने के समय) के दौरान दक्ष मूल्य (एफ़िशियेंट प्राइज़ डिस्कवरी) के समर्थन में निवेशकों की प्रतिभूतियों की मांग के जनरेशन, कैप्चरिंग एवं अंकन (रिकॉर्डिंग) की प्रक्रिया को बुक बिल्डिंग कहते हैं। मूल्य पट्टी में नीचे के मूल्य को तल मूल्य (फ्लोर प्राइज) कहा जाता है और ऊपरी मूल्य को सीलिंग प्राइज कहा जाता है। इसके बाद कंपनी लोगों के बीच जाने हेतु एक अग्रणी मर्चेट बैंकर को नियुक्त करती है, जिसे बुक रनिंग लीड मैनेजर कहते हैं। ये मर्चेंट बैंकर एक सूचीपत्र (प्रॉस्पेक्टस) तैयार करता है और उसे नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत कराता है। जब मूल्य पट्टी स्थायी होती है तो भावी निवेशकों को आमंत्रित किया जाता है कि वे कीमत तय करें। इस प्रक्रिया से शेयरों की मांग कितनी होगी, यह समझने में भी सहायता मिलती है। यदि लीड मैनेजर को ये प्रतीत होता है, कि नीलामी की अधिक संभावना नहीं है तो वह इसे रद्द भी कर सकता है। विभिन्न कीमतों पर बोली का आकलन करने के बाद जारीकर्ता अंतिम कीमतों का निर्धारण करता है, जिस पर बिल्डिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद शेयरों को निवेशकों को जारी किया जाता है। इसको कट ऑफ मूल्य (कट ऑफ प्राइज) कहा जाता है। जो इसमें सफल रहते हैं उन्हें शेयरों का आवंटन कर दिया जाता है और शेष को उनकी राशि वापस कर दी जाती है। .

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बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण

इरडा से जुड़े हुए संसथान बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority / IRDA) भारत सरकार का एक प्राधिकरण (एजेंसी) है। इसका उद्देश्य बीमा की पालसी धारकों के हितों कि रक्षा करना, बीमा उद्योग का क्रमबद्ध विनियमन, संवर्धन तथा संबधित व आकस्मिक मामलों पर कार्य करना है। इसका मुख्यालय हैदराबाद में है। इसकी स्‍थापना संसद के अधिनियम आईआरडीए अधिनियम, 1999 द्वारा की गई थी। यह प्राधिकरण विनियमों को जारी कर रही है जिसमें बीमा एजेंटों, विलेयता लाभ, पुन: बीमा, बीमाकर्ताओं का पंजीकरण, ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र के बीमाकर्ताओं के दायित्‍व, लेखांकन की प्रक्रियाओं आदि सहित बीमा उद्योग को लगभग सम्‍पूर्ण भाग शामिल है। बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) उपभोक्ता के हितों को सुनिश्चित करने के लिए बीमा कंपनियों का निरीक्षण करती है। वह आईआरडीए अधिनियम, 1999 की धारा 14(2) (ज) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुसार, सभी कंपनियों का मौके पर और मौके के अलावा निरीक्षण करता है। आईआरडीए मौके के अलावा निरीक्षणों के माध्यम से उनके शोध क्षमता मामलों और वित्तीय रिर्पोटिंग मानदडों की नियमित निगरानी करता है। आईआरडीए ने बीमा कंपनियों के कार्यालयों का स्थल पर निरीक्षण करने के लिए एक निरीक्षण विभाग की अलग से स्थापना की है। स्थल पर निरीक्षणों के दौरान, आईआरडीए, बीमा कंपनियों के माकिर्ट संचालन, परिचालन के तरीके और अभिशासन के मानदंडों सहित उनके सांविधिक प्रावधानों और विनियामक निर्देशों के अनुपालन की सीमा का निरीक्षण करता है। आईआरडीए पर बीमा पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा करने की ज़िम्‍मेदारी है। इस उद्देश्‍य को हासिल करने के लिए, प्राधिकरण ने निम्‍नलिखित उपाय किए हैं:-.

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भारत में वस्तु व्यापार

भारत में वस्तु व्यापार का इतिहास बहुत पुराना है। वास्तव में, बहुत से अन्य देशों की तुलना में भारत में वस्तु व्यापार का आरम्भ पहले ही हो गया था। किन्तु बहुत लम्बी अवधि तक विदेशी शासन के अधीन होने के कारण तथा सरकारी नीतियों के कारण वस्तु व्यापार धीरे-धीरे बहुत कम हो गया। वर्तमान समय में भारत में ६ राष्ट्रीय वस्तु विनिमय हैं तथा अनेकों क्षेत्रीय वस्तु विनिमय केन्द्र हैं। भारत के ६ राष्ट्रीय वस्तु विनिमय केन्द्र ये हैं-.

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भारत के नियामक अभिकरणों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारतीय म्यूचुअल फंड

भारतीय म्यूचुअल फंड भारत का म्यूच्युअल फंड उद्योग है। इसकी शुरूआत भारत में 1964 में भारत सरकार द्वारा यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की स्थापना से हुई। यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया अभी भी भारत का एक अग्रिणी म्यूच्युअल फंड है। इसका नियंत्रण एक खास कानून, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया एक्ट, 1963 के द्वारा होता है। इस उद्योग को 1987 में सरकारी बैंको और बीमा कम्पनियो के लिये खोला गया। अब तक 6 सरकारी बैंको ने अपने म्यूच्युअल फंड शुरू किये है, तथा दो इंश्योरैंस कम्‍पनियां एलआईसी (LIC) और जीआईसी (GIC) ने भी अपने फंड शुरू किये है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने Mutual Fund (Regulation) 1993, के तहत भारत में पहली बार म्यूच्युअल फंड उद्योग के लिये एक comprehensive regulatory framework बनाया। तब से अब तक काफी सारे निजी और सरकारी म्यूच्युअल फंडो की स्थापना हो चुकी है। .

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भारतीय अर्थव्यवस्था की समयरेखा

यहाँ भारतीय उपमहाद्वीप के आर्थिक इतिहास की प्रमुख घटनाएँ संक्षेप में दी गई हैं। .

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म्यूचुअल फंड

म्यूचुअल फंड (अंग्रेज़ी:Mutual fund) जिसे हिन्दी में पारस्परिक निधि कहते हैं, किन्तु इसका अंग्रेज़ी नाम अधिक प्रचलित है, एक प्रकार का सामुहिक निवेश होता है। निवेशकों के समूह मिल कर स्टॉक, अल्प अविधि के निवेश या अन्य प्रतिभूतियों (सेक्यूरीटीज) मे निवेश करते है।। यूटीआई एएमसी भारत की सबसे पुरानी म्यूचुअल फंड कंपनी है।।नवभारत टाइम्स-हिन्दी।९ अक्टूबर, २००९ म्यूचुअल फंड मे एक फंड प्रबंधक होता है जो फंड के निवेशों को निर्धारित करता है और लाभ और हानि का हिसाब रखता है। इस प्रकार हुए फायदे-नुकसान को निवेशको मे बाँट दिया जाता है। स्टॉक बाजार की पर्याप्त जानकारी न होने पर भी निवेश की इच्छा रखने वालों के लिए एक सुलभ मार्ग म्यूचुअल फंड होता है।।इकोनॉमिक टाइम्स।२० जुलाई, २००९।हिन्दुस्तान लाइव।१५ अक्टूबर, २००९ म्यूचुअल फंड संचालक (कंपनी) सभी निवेशकों के निवेश राशि को लेकर इकट्ठे करती है और उनसे कुछ सुविधा शुल्क भी लेती है। फिर इस राशि को उनके लिए बाजार में निवेश करती है। इनमें में निवेश करने का फायदा यह है कि निवेशक को इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं होती कि आप कब शेयर खरीदें या बेचें, क्योंकि यह चिंता फंड मैनेजर की होती है। वही निवेशक के निवेश का रखरखाव करने वाला होता है। एक दूसरा लाभ ये भी होता है, कि छोटे निवेशक बहुत कम राशि जैसे १०० रु.प्रतिमाह तक निवेश कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान लेना होता है, जिसमें बैंक से ये राशि मासिक सीधे फंड में स्थानांतरित होती रहती है।।यूटीआई एमएफ पर म्यूचुअल फंड के शेयर की कीमत नेट ऐसेट वैल्यु या एनएवी (NAV) कहलाती है। इसकी गणना के लिए फंड के कुल मूल्य को निवेशको द्वारा खरीदे गए कुल शेयरो की संख्या से भाग दिया जाता है।।हिन्दुस्तान लाइव।६ नवंबर, २००९ .

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म्यूचुअल फंड्स सही है

म्यूचुअल फंड्स सही है भारत में निवेश शिक्षा के लिए चलाया जा रहा एक प्रचार अभियान एवं वेबसाइट है जिसका संचालन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया द्वारा किया जा रहा है। http://brandequity.economictimes.indiatimes.com/news/advertising/mutual-funds-sahi-hai-says-amfi-in-their-new-ad-campaign/57701407  .

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शेयर बाजार की पारिभाषिक शब्दावली

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सहभागी नोट

सहभागी नोट या पर्टिसिपेटरी नोट्स (Participatory Notes) उन प्रपत्रों (instruments) को कहते हैं जिन्हें पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक, विदेशों में स्थित निवेशकों को देते हैं ताकि वे सेबी में पंजीकृत हुए बिना भी भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकें। इन्हें पी-नोट्स (P-notes) भी कहते हैं। पी-नोट्स के माध्यम से निवेश करना बहुत सरल है अतः विदेशी संस्थागत निवेशकों के मध्य यह तरीका बहुत लोकप्रिय है। इसका आरम्भ १९९२ में किया गया था। .

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वित्तीय आसूचना एकक (भारत)

वित्तीय आसूचना एकक (भारत) (अंग्रेज़ी में - फाईनैंशियल इंटेलिजेंस यूनिट-इ़डिया, Financial Intelligence Unit-India) वित्त मंत्रालय के अधीन एक एजेंसी है जिसका कार्य संदेहयुक्त वित्तीय सौदों की सूचनाओं का संग्रहण, प्रोसेसिंग, विश्लेषण व अपसारण करना है। यह अपने आप में एक नियामक संस्था नहीं है अपितु सूचना संग्रहण के माध्यम से विभिन्न नियामकों यथा भारतीय रिज़र्व बैंक, सेबी आदि के साथ सहयोग करता है। .

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कट ऑफ मूल्य

कोई कंपनी लोगों के बीच जाने हेतु एक अग्रणी मर्चेट बैंकर को नियुक्त करती है, जिसे बुक रनिंग लीड मैनेजर कहते हैं। ये मर्चेंट बैंकर एक सूचीपत्र (प्रॉस्पेक्टस) तैयार करता है और उसे नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत कराता है। जब मूल्य पट्टी स्थायी होती है तो भावी निवेशकों को आमंत्रित किया जाता है कि वे कीमत तय करें। इस प्रक्रिया से शेयरों की मांग कितनी होगी, यह समझने में भी सहायता मिलती है। यदि लीड मैनेजर को ये प्रतीत होता है, कि नीलामी की अधिक संभावना नहीं है तो वह इसे रद्द भी कर सकता है। विभिन्न कीमतों पर बोली का आकलन करने के बाद जारीकर्ता अंतिम कीमतों का निर्धारण करता है, जिस पर बिल्डिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद शेयरों को निवेशकों को जारी किया जाता है। इसको कट ऑफ मूल्य (कट ऑफ प्राइज) कहा जाता है। जो इसमें सफल रहते हैं उन्हें शेयरों का आवंटन कर दिया जाता है और शेष को उनकी राशि वापस कर दी जाती है। श्रेणी:वित्त श्रेणी:बुक बिल्डिंग श्रेणी:शेयर श्रेणी:निगमित वित्त श्रेणी:वित्तीय शब्दावली.

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अशोक चावला

अशोक चावला नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NES) के वर्तमान अध्यक्ष हैं। 13 मई, 2016 को उनकी नियुक्ति को पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मंजूरी दे दी। इस पद पर वे 3 मई, 2016 से 27 मार्च, 2014 तक रहेंगे। इसके पूर्व वे भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष पद पर कार्यरत थे। इससे पूर्व वे फरवरी, 2016 में द इनर्जी एंड रिर्सोसेज इंस्टीट्यूट (Teri) के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे। .

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अंश (वित्त)

वित्त में, अंश अथवा शेयर का अर्थ किसी कम्पनी में भाग या हिस्सा होता है। एक कंपनी के कुल स्वामित्व को लाखों करोड़ों टुकड़ों में बाँट दिया जाता है। स्वामित्व का हर एक टुकड़ा एक शेयर होता है। जिसके पास ऐसे जितने ज्यादा टुकड़े, यानी जितने ज्यादा शेयर होंगे, कंपनी में उसकी हिस्सेदारी उतनी ही ज्यादा होगी। लोग इस हिस्सेदारी को खरीद-बेच भी सकते हैं। इसके लिए बाकायदा शेयर बाजार (स्टॉक एक्सचेंज) बने हुए हैं। भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बी॰एस॰ई॰) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन॰एस॰ई॰) सबसे प्रमुख शेयर बाजार हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, सिक्योरिटीज़ एवं एक्स्चेंज बोर्ड, भारत, सेबी

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