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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद

सूची भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद

भाकृअनुप का प्रतीक चिन्ह। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप, Indian Council of Agricultural Research) भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्था है। रॉयल कमीशन की कृषि पर रिपोर्ट के अनुसरण में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत और 16 जुलाई 1929 को स्थापित इस सोसाइटी का पहले नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च था। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है। .

30 संबंधों: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, तमिल नाडु कृषि विश्वविद्यालय, नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, पशु पालन कालेज, सेलिसीह, मिजोरम, पंतनगर, पी जे कुरियन, बिहार का भूगोल, भारत में मधुमक्खी पालन, भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, भारत में कृषि, भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, मखाना, मृदा, राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र, राष्ट्रीय कृषि आर्थिकी एवं नीति अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय कृषिवानिकी अनुसंधान केन्द्र, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत), गोबर, केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली, केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसन्धान संस्थान, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार स्थित एक विश्वविद्यालय है जिसकी स्थापना १९७० में हुई थी। यह विश्वविद्यालय एशिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है। इसका नाम भारत के सातवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर रखा गया है। पहले यह संस्थान पंजाब कृषि विश्वविद्यालय का हिसार में 'उपग्रह कैम्पस' था। हरियाणा राज्य के निर्माण के बाद यह स्वायत्त संस्थान घोषित किया गया। ३१ अक्टूबर १९९१ को इसका नामकरण चौधरी चरण सिंह के नाम पर किया गया। यह विश्वविद्यालय भारत के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में सर्वाधिक शोधपत्र प्रकाशित करता है। १९९७ में इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा सर्वश्रेष्ठ संस्थान का सम्मान दिया गया। भारत के हरित क्रांति तथा श्वेत क्रांति में इस विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है। .

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चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय

चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर में स्थित एक कृषि विश्वविद्यालय है।इसकी स्थापना नवम्बर १९७८ में हुई थी। इस विश्वविद्यालय का ध्यानबिन्दु मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्रों से सम्बन्धित कृषि पर है। यह विश्वविद्यालय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (National Board of Accreditation) से मान्यताप्राप्त है। .

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तमिल नाडु कृषि विश्वविद्यालय

तमिलनाडु कृषि विश्‍वविद्यालय कोयंबटूर, तमिल नाडु में स्थित है। यह वहां के रोचक पर्यटक स्थलों में से एक है। रेलवे स्टेशन से पांच किलोमीटर दूर स्थित यह विश्‍वविद्यालय एशिया के सर्वश्रेष्ठ कृषि विश्‍वविद्यालयों में से एक है। यहां का मुख्य आकर्षण यहां का जैविक उद्यान है। करीब 300 हैक्टेयर में फैले इस उद्यान में विविध प्रजाति के पेड़-पौधों का अच्छा संग्रह है। .

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नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय

नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में स्थित एक पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय है। यह सन् २००९ में स्थापित किया गया था। जुलाई २०१७ में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआरआई) दिल्ली ने भारत के १४ पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालयों में इस विश्वविद्यालय को ७वाँ स्थान दिया था। ५७ कृषि एवं पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालयों में यह स्थान ३८वां है। .

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पशु पालन कालेज, सेलिसीह, मिजोरम

पशु पालन कालेज, सेलिसीह, मिजोरम में स्थित है। यह कालेज 5 वर्षीय बी वी एस सी तथा पशु पालन डिग्री कार्यक्रम चलाता है। यह कालेज केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत कार्यरत है। .

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पंतनगर

पंतनगर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधम सिंह नगर जनपद में स्थित एक नगर है। गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय तथा पंतनगर विमानक्षेत्र यहां ही स्थित हैं। उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री, गोविन्द बल्लभ पन्त के नाम पर ही इस नगर का नाम पंतनगर रखा गया है। .

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पी जे कुरियन

पल्लथ जोसेफ "पी जे" कुरियन (जन्म ३१ मार्च १९४१) एक केरल से भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो अगस्त २०१२ से राज्य सभा के वर्तमान उपाध्यक्ष हैं। वे लोक सभा के छह बार सदस्य और राज्य सभा के तीन बार। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता है। .

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बिहार का भूगोल

बिहार 21°58'10" ~ 27°31'15" उत्तरी अक्षांश तथा 82°19'50" ~ 88°17'40" पूर्वी देशांतर के बीच स्थित भारतीय राज्य है। मुख्यतः यह एक हिंदी भाषी राज्य है लेकिन उर्दू, मैथिली, भोजपुरी, मगही, बज्जिका, अंगिका तथा एवं संथाली भी बोली जाती है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। 2001 की जनगणना के अनुसार बिहार राज्य की जनसंख्या 8,28,78,796 है जिनमें ६ वर्ष से कम आयु का प्रतिशत 19.59% है। 2002 में झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार का भूभाग मुख्यतः नदियों के बाढमैदान एवं कृषियोग्य समतल भूमि है। गंगा तथा इसकी सहायक नदियों द्वारा लायी गयी मिट्टियों से बिहार का जलोढ मैदान बना है जिसकी औसत ऊँचाई १७३ फीट है। बिहार का उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र .

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भारत में मधुमक्खी पालन

भारत में मधुमक्खी पालन का प्राचीन वेद और बौद्ध ग्रंथों में उल्लेख किया गया हैं। मध्य प्रदेश में मध्यपाषाण काल की शिला चित्रकारी में मधु संग्रह गतिविधियों को दर्शाया गया हैं। हालांकि भारत में मधुमक्खी पालन की वैज्ञानिक पद्धतियां १९वीं सदी के अंत में ही शुरू हुईं, पर मधुमक्खियों को पालना और उनके युद्ध में इस्तेमाल करने के अभिलेख १९वीं शताब्दी की शुरुआत से देखे गए हैं। भारतीय स्वतंत्रता के बाद, विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के माध्यम से मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित किया गया। मधुमक्खी की पाँच प्रजातियाँ भारत में पाई जाती हैं जो कि प्राकृतिक शहद और मोम उत्पादन के लिए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। .

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भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी

भारत के प्रथम रिएक्टर '''अप्सरा''' तथा प्लुटोनियम संस्करण सुविधा का अमेरिकी उपग्रह से लिया गया चित्र (१९ फरवरी १९६६) भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है। भारत में विज्ञान का उद्भव ईसा से 3000 वर्ष पूर्व हुआ है। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंध घाटी के प्रमाणों से वहाँ के लोगों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। प्राचीन काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चरक और सुश्रुत, खगोल विज्ञान व गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट द्वितीय और रसायन विज्ञान में नागार्जुन की खोजों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। इनकी खोजों का प्रयोग आज भी किसी-न-किसी रूप में हो रहा है। आज विज्ञान का स्वरूप काफी विकसित हो चुका है। पूरी दुनिया में तेजी से वैज्ञानिक खोजें हो रही हैं। इन आधुनिक वैज्ञानिक खोजों की दौड़ में भारत के जगदीश चन्द्र बसु, प्रफुल्ल चन्द्र राय, सी वी रमण, सत्येन्द्रनाथ बोस, मेघनाद साहा, प्रशान्त चन्द्र महलनोबिस, श्रीनिवास रामानुजन्, हरगोविन्द खुराना आदि का वनस्पति, भौतिकी, गणित, रसायन, यांत्रिकी, चिकित्सा विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है। .

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भारत में कृषि

भारत के अधिकांश उत्सव सीधे कृषि से जुड़े हुए हैं। होली खेलते बच्चे कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से की जाती रही है। १९६० के बाद कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ नया दौर आया। सन् २००७ में भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं सम्बन्धित कार्यों (जैसे वानिकी) का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सा 16.6% था। उस समय सम्पूर्ण कार्य करने वालों का 52% कृषि में लगा हुआ था। .

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भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी

300px भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (Indian Grassland and Fodder Research Institute) उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित है। इसकी स्थापना 1962 में हुई थी। झांसी में इस संस्थान की स्थापना करने का मुख्य कारण यहाँ सभी प्रमुख घासों का पाया जाना भी था। तत्पश्चात् सन् 1966 में इसका प्रशासनिक नियंत्रण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली को सौंपा गया। संस्थान ने अपने स्थापना काल से ही चारा उत्पादन व उपयोग के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान कर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका प्रचार-प्रसार करने और समन्वित विकास करने में अहम् भूमिका निभायी है। इसके अतिरिक्त संस्थान में अखिल भारतीय चारा समन्वित परियोजना का संचालन भी किया जा रहा है। साथ ही संस्थान के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए देश-विदेश के सहयोग से अन्य परियोजनाएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रहीं हैं। जलवायु तथा कृषि की क्षेत्रीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर भारत के अन्य भागों में इस संस्थान के तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र स्थापित किए गए हैं जो अंबिका नगर (राजस्थान), धारवाड़ (कर्नाटक) एवं पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में स्थित हैं। .

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भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली का एक घटक संस्थान है। सब्जियों की महत्ता को देखते हुए वर्ष 1992 में सातवीं पंचवर्षीय योजना के अंतगर्त सब्जी अनुसंधान परियोजना निदेशालय के रूप में इसकी स्थापना वाराणसी में की गई। निदेशालय के वृहद कार्य क्षेत्र, उपलब्धियां एवं सब्जी पर अनुसंधान की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, 17 अगस्त, 1999 को इसे राष्ट्रीय संस्थान “भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान” के रूप में मान्यता प्रदान की गई। यह संस्थान, 150 एकड़ में वाराणसी से दक्षिण-पश्चिम दिशा में शहँशाह पुर (अदलपुरा के निकट) में वाराणसी स्टेशन से 20 तथा बाबतपुर हवाई अड्डे से लगभग 40 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। .

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भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान (आई आई एस आर), लखनऊ में स्थित उच्च शिक्षा का एक स्वायत्तशासी संस्थान है। इसकी स्थापना गन्ना के विषय में उन्नत अनुसंधान करने के लिये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्त्वावधान में कृषि मंत्रालय द्वारा की गयी है। इसकी स्थापना 1952 में तत्कालीन भारतीय केन्द्रीय गन्ना समिति द्वारा गन्ने की खेती के मौलिक और अनुप्रयुक्त पहलुओं पर शोध करने के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों में इस फसल पर किए जाने वाले अनुसंधान कार्य को समन्वित करने के लिए स्थापित किया गया था। संस्थान, लखनऊ रेलवे स्टेशन (चारबाग) से 4.8 किमी, आलमबाग बस स्टेशन से 8 किमी, चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा, लखनऊ से 12 किमी तथा नई दिल्ली से 500 किमी दूर रायबरेली रोड पर स्थित है। यह 26.56oN, 80.52oE तथा समुद्र तल से 111 मीटर ऊंचाई पर अवस्थित है। .

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भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान

indian agriculture ' भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Statistics Research Institute / IASRI) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन एक संस्था है। यह कृषि प्रयोगों के लिए नई तकनीकों के विकास एवं कृषि से सम्बन्धित आंकड़ों के विश्लेषण का कार्य करती है। यह नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रांगण में स्थित है। यह पशुओं एवं पादपों के प्रजनन से सम्बन्धित सांख्यिकीय तकनीकों में विशेषज्ञता रखती है। .

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मखाना

तालाब, झील, दलदली क्षेत्र के शांत पानी में उगने वाला मखाना पोषक तत्वों से भरपुर एक जलीय उत्पाद है। मखाने के बीज को भूनकर इसका उपयोग मिठाई, नमकीन, खीर आदि बनाने में होता है। मखाने में 9.7% आसानी से पचनेवाला प्रोटीन, 76% कार्बोहाईड्रेट, 12.8% नमी, 0.1% वसा, 0.5% खनिज लवण, 0.9% फॉस्फोरस एवं प्रति १०० ग्राम 1.4 मिलीग्राम लौह पदार्थ मौजूद होता है। इसमें औषधीय गुण भी होता है।; उत्पादन: बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में मखाना का सार्वाधिक उत्पादन होता है। मखाना के कुल उत्पादन का ८८% बिहार में होता है।;अनुसंधान: 28 फ़रवरी 2002 को दरभंगा के निकट बासुदेवपुर में राष्ट्रीय मखाना शोध केंद्र की स्थापना की गयी। दरभंगा में स्थित यह अनुसंधान केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्य करता है। दलदली क्षेत्र में उगनेवाला यह पोषक भोज्य उत्पाद के विकाश एवं अनुसंधान की प्रबल संभावनाएँ है। .

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मृदा

पृथ्वी ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा (मिट्टी / soil) कहते हैं। ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय: चट्टान (शैल) पाई जाती है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है। 'मृदा विज्ञान' (Pedology) भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं। पृथऽवी की ऊपरी सतह के कणों को ही (छोटे या बडे) soil कहा जाता है .

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राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो

भारत सरकार ने पादप आनुवंशिक संसाधनों के संकट से उबरने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (National Beauro of Plant Genetic Resorces) की स्थापना अगस्त १९७६ में नई दिल्ली में की थी। पादप आनुवंशिक संसाधनों के विकास, खोज, सर्वेक्षण व संग्रहण ब्यूरो का प्रमुख उद्देश्य है। यह देश के वैज्ञानिकों से तालमेल रख कर देश के विभिन्न क्षेत्रों से पादप आनुवंशिक संसाधनों को एकत्र करता है। .

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राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र

राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र (नेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेन्ट / NCIPM) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का अनुसंधान केन्द्र है। फरवरी 1988 में इसकी स्थापना की गयी थी, जिसका मुख्य उदेश्य था की भारत में पौध सुरक्षा के लिऎ एक अलग से केन्द्र का स्थापित करना। इस केन्द्र के कार्यक्रम विस्तार रूप से सभी केन्द्र, संस्थान, किसानो के साथ, तथा देश व किसानो के हित से जुडे हुऎ हैं! राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आई.पी. एम.) एक ऐसी प्रणाली है जिसमें फसल उत्पादन एवं पादप संरक्षण सम्बन्धी उन्नत विधियों को शामिल किया जाता है जिससे नाशीजीवों (कीट रोगों, सूत्रकृमियों, खरपतवार, पक्षियों, इत्यादि) से होने वाली आर्थिक हानि को कम किया जा सके। आई.

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राष्ट्रीय कृषि आर्थिकी एवं नीति अनुसंधान संस्थान

राष्ट्रीय कृषि आर्थिकी एवं नीति अनुसंधान संस्थान (निआप / National Institute of Agricultural Economics and Policy Research (NIAP)) भारत में कृषि अर्थशास्त्र का प्रमुख संस्थान है। इसकी स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा वर्ष 1991 में, अर्थशास्त्र के एकीकरण माध्यम से कृषि अनुसंधान को मजबूत करने तथा राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान की क्षमता को बढ़ाने के लिए की गयी थी। इस संस्थान का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक एवं नीतिगत शोध विश्लेषणों, तथा निर्णयों में परिषद् की सहभागिता को राष्ट्रीय स्तर पर परिलक्षित करना है। इस संस्थान में निदेशक सहित 19 कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान वैज्ञानिक है। एक प्रबंधन समिति है जो संस्थान को भारतीय दृष्टिकोण से कृषि अर्थशास्त्र और नीति योजना के अनुसंधान प्रशासन संबंध की सलाह देते हैं। इस समिति में वरिष्ठ अनुसंधान प्रशासनिक अधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी एवं किसानों के हितकर प्रतिनिधि सम्मिलित हैं। अन्य कई आंतरिक समितियां भी संस्थान के क्रियाकलापो के विकेंद्रीकृत प्रबंधन में सहायता प्रदान करती हैं। .

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राष्ट्रीय कृषिवानिकी अनुसंधान केन्द्र

राष्ट्रीय कृषिवानिकी अनुसंधान केन्द्र (रा.कृ.वा.अनु.के.) झांसी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषिवानिकी कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष 1988 में स्थापित किया गया। यह केन्द्र उत्तर प्रदेश के झांसी नगर रेलवे स्टेशन से करीब 10 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है और ‘‘कृषिवानिकी’’ के नाम से जाना जाता है। .

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राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र

राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर में है। यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) का एक प्रमुख अनुसंधान केन्‍द्र है जो कि कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्‍वायत संस्‍था है। .

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सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का एक विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना ०२ अक्टूबर सन २००० को उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम (संशो.) १९५८ के अनुसार हुई थी। इसका उद्घाटन २८ मार्च २००२ को हुआ। यह उत्तर प्रदेश सरकार तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वित्तपोषित एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त है। .

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स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय

स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर में स्थित राजस्थान सरकार का एक कृषि विश्वविद्यालय है। इसका नाम पहले 'राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय' था। इसके पहले यह संस्थान मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर का भाग था। .

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विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत)

आयोग की स्थापना के समय मौलाना आजाद एवं डॉ॰सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (अंग्रेज़ी:University Grants Commission, लघु:UGC) केन्द्रीय सरकार का एक उपक्रम है जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान प्रदान करता है। यही आयोग विश्वविद्यालयों को मान्यता भी देता है। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है और इसके छः क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलुरु में हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। २२ फ़रवरी २०१० .

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गोबर

गोबर गोबर शब्द का प्रयोग गाय, बैल, भैंस या भैंसा के मल के लिये प्राय: होता है। घास, भूसा, खली आदि जो कुछ चौपायों द्वारा खाया जाता है उसके पाचन में कितने ही रासायनिक परिवर्तन होते हैं तथा जो पदार्थ अपचित रह जाते हैं वे शरीर के अन्य अपद्रव्यों के साथ गोबर के रूप में बाहर निकल जाते हैं। यह साधारणत: नम, अर्द्ध ठोस होता है, पर पशु के भोजन के अनुसार इसमें परिवर्तन भी होते रहते हैं। केवल हरी घास या अधिक खली पर निर्भर रहनेवाले पशुओं का गोबर पतला होता है। इसका रंग कुछ पीला एवं गाढ़ा भूरा होता है। इसमें घास, भूसे, अन्न के दानों के टुकड़े आदि विद्यमान रहते हैं और सरलता से पहचाने जा सकते हैं। सूखने पर यह कड़े पिंड में बदल जाता है। .

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केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली

केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (Central Avian Research Institute of India (CARI)) उत्तर प्रदेश में बरेली के पास इज्जतनगर में स्थित है। इसमें कुक्कुट विज्ञान से सम्बन्धित विविध विषयों पर शोध होता है। इसकी स्थापना १९७९ में हुई थी। यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अन्तर्गत कार्य करती है। केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली .

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केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसन्धान संस्थान

केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसन्धान संस्थान (Central Research Institute for Dryland Agriculture (CRIDA)) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का एक संस्थान है। इसकी स्थापना १९८५ में हुई थी। .

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केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय

केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना संसद के अधिनियम केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम 1992 (1992 का सं.40) के द्वारा हुई है। अधिनियम भारत सरकार ने कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग द्वारा आवश्यक अधिसूचना जारी करके 26 जनवरी 1993 से लागू किया गया है। विश्वविद्यालय में प्रथम कुलपति के कार्यालय ग्रहण करने के बाद 13 सितम्बर 1993 से आरंभ हो गया इस विश्वविद्यालय का क्षेत्राधिकार छ: पूर्वोत्तर राज्यों में है अर्थात अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपूरा है तथा इसका मुख्यालय मणिपुर में इम्फाल में है। .

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केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान

कपास चुनने की मशीन केन्द्रीय कृषि प्रौद्योगिकी संस्थान (Central Institute of Agricultural Engineering (CIAE)) भोपाल में स्थित एक कृषि-शिक्षा एवं अनुसंधान तथा विकास का संस्थान है। यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का एक स्वायत्त संस्थान है। केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान का उद्देश्य कृषि अभियांत्रिकी से संबंधित अनुसंधान कार्य करना है। इसकी स्थापना १५ फरवरी १९७६ को हुई थी। यह एक सौ पचास एकड़ जमीन में यह फैला शोध केन्द्र किसानों के लिए उच्च स्तरीय कृषि प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान के बारे में विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण की जानकारी प्रदान करता है। आरम्भ में इसका कार्यक्षेत्र कृषि मशीनें, कटाई के बाद की प्रौद्योगिकी तथा कृषि में ऊर्जा आदि क्षेत्रों में था। किन्तु बाद में इसके कार्यक्षेत्र का विस्तार करके कृषि-औद्योगिकी, इंस्ट्रुमेन्टेशन, सिंचाई, तथा ड्रेनेज इंजीनियरी आदि को भी सम्मिलित कर लिया गया। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र

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